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Adultery पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ नौजवान के कारनामे
#1
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ नौजवान के कारनामे

 
परिचय



ये मेरे दोस्त दीपक कुमार की कहानी है जिसके बारे में आप अंतरंग हमसफ़र में पढ़ सकते हैं. हम दोनों अपनी लंदन में पढ़ाई के दौरान मिले थे और फिर हमारी  गहरी दोस्ती हो गयी  और हम दोनों का आपस में कुछ भी छुपा हुआ नहीं है।  ये उसी कड़ी के आगे की कहानी है ।


ये कहानी की 2011-12 है जो वर्तमान समय से लगभग 9-10 साल पहले वर्ष 2011-12 में सूरत शुरू हुई थी ।

इसमें  आपको जीवन के सभी रंग मिलेंगे  और खास तौर पर कामुकता से भरपूर होगी ये कहानी l

इसमें मिलेगा आपको पड़ोसियों से सेक्स, युवतियों से सेक्स, ऑफिस में सेक्स, पार्क में सेक्स, सिनेमा में सेक्स, नौकरानी से सेक्स , ग्रुप सेक्स, कुंवारा सेक्स, कॉलेज सेक्स, डॉक्टर के साथ सेक्स, बच्चे के लिए सेक्स , गर्भादान, इत्यादिl

कहानी लम्बी चलेगी और उम्मीद है आप सब को मजा आएगाl

पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानी।



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#2
INDEX

पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे



[b]CHAPTER- 1 आगमन और परिचय
UPDATE 001 आगमन
UPDATE 002 -परिचय.
UPDATE 003 - आशा को उपहार दिए.
UPDATE 004 उपहार
UPDATE 005 -युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ को उपहार.
[/b]
 [b]CHAPTER- 2 मानवी- मेरी पड़ोसन
UPDATE 006 - सुबह- सुबह मेरी पड़ोसन मानवी.
UPDATE 007 - लंड की दीवानी मानवी भाभी.
UPDATE 008 -सोनू के लिए ख़ुशी का दिन आया.
UPDATE 009 -स्वपनदोष.
UPDATE 010 = एक कप कॉफी
UPDATE 011- मानवी के दर्द का इलाज
UPDATE 012 =-मानवी की मालिश और इलाज
UPDATE 013 -सेक्सी गदरायी हुई महिला के साथ सम्भोग.
UPDATE 014 - मानवी मे सुन्दर बदलाव.
UPDATE 015 -आशा से एक और मुलाकात .
UPDATE 016 -पार्क के निर्जन कोने में भाभी के साथ.
UPDATE 017- हमारे गुप्त इशारे.
UPDATE 018 -छत पर सारी रात.
UPDATE 019- छत पर सेक्स.
UPDATE 020 -छत पर गुदा सेक्स.
[/b]

[b]CHAPTER- 3[b][b] रुसी युवती ऐना[/b][/b]
UPDATE 021  -
[/b]
होटल में रुसी युवती ऐना से मुलाकात.
UPDATE 022 
जल परी रुसी युवती ऐना
UPDATE 023
रुसी जल पारी ऐना के साथ जल क्रीड़ा
UPDATE 024 (
रुसी जल परी ऐना के साथ
UPDATE 025
रुसी युवती ऐना के साथ जल क्रीड़ा.
UPDATE 026
रुसी युवती ऐना के साथ चुंबन.
UPDATE 027
रुसी युवती ऐना स्विमिंग पूल के किनारे.
UPDATE 028
रुसी युवती ऐना के साथ स्विमिंग पूल के किनारे चुदाई.
UPDATE 029
रुसी युवती ऐना के साथ पूल के पानी में चुदाई.
Interracial Love
UPDATE 030
रुसी युवती ऐना के साथ कमरे में चुदाई.
Interracial Love
UPDATE 031
[b]CHAPTER- 4 परिवार


गर्भदान.
Erotic Couplings
UPDATE 032
परिवार की वंशावली.
Erotic Couplings
UPDATE 033
वंश वृद्धि के लिए साधन - प्रायश्चित मदन, गर्भदान के नियम.
Erotic Couplings
UPDATE 034
राजकुमारी से भेंट.
Romance
UPDATE 035
CHAPTER- 5 रुपाली - मेरी पड़ोसन

कामुक दृश्यमं.
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 036
रुपाली पड़ोसन का बल्ब फ्यूज हो गया.
NonConsent/Reluctance
UPDATE 037
स्टूल (छोटी मेज).
NonConsent/Reluctance
UPDATE 038
रुपाली मेरी पड़ोसन, वास्तविकता या एक सपना.
NonConsent/Reluctance
UPDATE 039
रुपाली पड़ोसन के साथ 69 सेक्स.
NonConsent/Reluctance
UPDATE 040
राजकुमारी के साथ विवाह प्रस्ताव.
Loving Wives
UPDATE 041
ईशा के पीछे बगीचे में.
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 042
ईशा की माफ़ी की प्राथना.
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 043
रुपाली भाभी के साथ फिल्म देखना.
Romance
UPDATE 044
पड़ोसन के साथ कामुक फ़िल्म देखना.
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 045
पड़ोसन ने किया हस्त मैथुन.
NonConsent/Reluctance
UPDATE 046
कामुक फिल्म का अंतराल.
NonConsent/Reluctance
UPDATE 047
कामुक फिल्म अंतराल के बाद मुखमैथुन.
Erotic Couplings
UPDATE 048
पड़ोसन की फिल्म थिएटर में चुदाई .
Erotic Couplings
UPDATE 049
पड़ोसन के साथ सुपर संडे.
Erotic Couplings
UPDATE 050
सुपर संडे - ईशा.
Romance
UPDATE 051
सुपर संडे-ईशा की परख.
NonConsent/Reluctance
UPDATE 052
विर्जिनिटी टेस्ट.
First Time
UPDATE 053
सुपर संडे-जाल में ईशा.
NonConsent/Reluctance
UPDATE 054
सुपर संडे-इज़हार.
NonConsent/Reluctance
UPDATE 055
ईशा की तयारी .
First Time
UPDATE 056
सुपर संडे-ईशा का कौमार्य भेदन .
First Time
UPDATE 057
सुपर संडे-ईशा के साथ सम्भोग का आनंद
First Time
UPDATE 058
सुपर संडे-शाही हर्बल तेल से मालिश.
Group Sex
UPDATE 059
सुपर संडे-कपल मालिश.
Erotic Couplings
UPDATE 060
सुपर संडे-क्लब सैंडविच मालिश.
Erotic Couplings
UPDATE 061
सुपर संडे-सुपर लेस्बियन शो.
Lesbian Sex
UPDATE 062
लेस्बियन त्रिकोण.
Lesbian Sex
UPDATE 063
सुरक्षा
Erotic Couplings
UPDATE 064
सुपर संडे-मानवी.
Incest/Taboo
UPDATE 065
रूपाली के साथ सुहागरात
Erotic Couplings
UPDATE 066
रूपाली के साथ सुहागरात .
Erotic Couplings
UPDATE 067
सुपर संडे-रूपाली के साथ.
Erotic Couplings
UPDATE 068
CHAPTER 6 पश्ताचाप

पैतृक स्थान
Loving Wives
UPDATE 069
राज .
Loving Wives
UPDATE 070
VOLUME II विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1 विवाह से पहले


दावत.
Group Sex
UPDATE 071
समूह सेक्स दावत.
Group Sex
UPDATE 072
प्रातः काल भ्रमण मुलाकात.
Mind Control
UPDATE 073
घायल वृद्ध .
Mind Control
UPDATE 074
घायल वृद्ध की अंगूठी.
Mind Control
UPDATE 075
राज कुमारी के साथ सगाई.
Romance
UPDATE 076
इलेक्ट्रॉनिक लाकर का पासवर्ड.
Mind Control
UPDATE 077
चमत्कारी अंगूठी.
Mind Control
UPDATE 078
इच्छा की शक्ति या सपना .
Mind Control
UPDATE 079
वृद्ध से एक और मुलाकात.
Mind Control
UPDATE 080
मानसिक नियंत्रण.
Mind Control
UPDATE 081
मानसिक नियंत्रण.
Mind Control
UPDATE 082
अंगूठी की शक्तियों का पहला प्रयोग.
Mind Control
UPDATE 083
गर्भाधान की समस्या और समाधान.
Mind Control
UPDATE 084
भाभी का कृत्रिम गर्भधान.
First Time
UPDATE 085
सेक्स की इच्छा.
Erotic Couplings
UPDATE 086
कामवासना का जंगली जुनून सवार.
Mind Control
UPDATE 087
मेरे अंतरंग हमसफ़र.
Erotic Couplings
UPDATE 088
मैंने अपना रानिवास-हरम बनाने का फैसला किया.
Mind Control
UPDATE 089
सेक्सी लाल रंग की पोशाक.
Erotic Couplings
UPDATE 090
युवा प्रशिक्षु के प्रशिक्षण का सबसे महत्त्वपूर्ण सबक.
How To
UPDATE 091
पोशाक का चयन
Romance
UPDATE 092
मौसियो के परिवार.
Incest/Taboo
UPDATE 093
मौसियो की पोतिया का मेट्रो ट्रेन में पहला सेक्स अनुभव.
First Time
UPDATE 094
मेट्रो ट्रेन में मौसियो की पोतियो के पहले कामुक अनुभव .
First Time
UPDATE 095
मौसियो की पोतियो की नग्न तैराकी.
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 096
मौसियो की पोतियो का परस्पर निरीक्षण और हस्तमैथुन.
Lesbian Sex
UPDATE 097
समलैंगिकता का दूसरा सत्र.
Lesbian Sex
UPDATE 098
समलैंगिक कजिन बहने
Lesbian Sex
UPDATE 099
समलैंगिक कजिन बहने.
Lesbian Sex
UPDATE 100
समलैंगिक कजिन बहने.
Lesbian Sex
UPDATE 101
असली मजे का थोड़ा-सा स्वाद.
Sci-Fi & Fantasy
UPDATE 102
असली मजे.
First Time
UPDATE 103
बेतहाशा चुंबन और मजे.
First Time
UPDATE 104
बेतहाशा स्तनों की चुसाई और मजे.
First Time
UPDATE 105
प्रतिक्रिया
First Time
UPDATE 106
लंड की चुसाई और मजे.
First Time
UPDATE 107
दुल्हन बनी नीता.
First Time
UPDATE 108
कुंवारी नीता की पहली चुदाई.
First Time
UPDATE 109
कुंवारी नीता की पहली चुदाई.
First Time
UPDATE 110
कुंवारी रीता की पहली चुदाई.
Incest/Taboo
UPDATE 111
कुंवारी रीता की पहली चुदाई.
First Time
UPDATE 112
धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा ही है.
First Time
UPDATE 113
चुदाई से पहले उसे गर्म किया.
First Time
UPDATE 114
लंड का योनि में प्रथम प्रवेश
First Time
UPDATE 115
लंड के योनि में प्रथम प्रवेश के बाद मस्तीभरी चुदाई.
First Time
UPDATE 116
प्रेम निवेदन और समर्पण.
Erotic Couplings
UPDATE 117
मरीना का प्रेम निवेदन .
Erotic Couplings
UPDATE 118
मरीना का प्रेम निवेदन
Erotic Couplings
UPDATE 119
मरीना का प्रेम निवेदन- मैं कुछ करूँ
First Time
UPDATE 120
मरीना से प्यार
Erotic Couplings
UPDATE 121
मरीना के साथ मुख मैथुन
Erotic Couplings
UPDATE 122
जो तुमको हो पसंद
BDSM
UPDATE 123
दो तरफा चुसाई
Group Sex
UPDATE 124
फोरसम
Group Sex
UPDATE 125
डर
Group Sex
UPDATE 126
मरीना का कौमर्य भंग
First Time
UPDATE 127
हेमा की कामुकता
Erotic Couplings
UPDATE 128
कुंवारी हेमा का कौमार्य भंग
First Time
UPDATE 129
हस्तमैथुन के साथ-साथ चुदाई
Erotic Couplings
UPDATE 130
बहनो की साथ-साथ में चुदाई
Group Sex
UPDATE 131
अर्धनग्न तरुण- नर्तकी
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 132
तुम्हारे ही लिए आया हूँ.
Romance
UPDATE 133
जल क्रीड़ा
Romance
UPDATE 134
फूलों से प्राकृतिक शृंगार
Romance
UPDATE 135
अलोकिक रचना
Romance
UPDATE 136
वीर्यदान के लिए संकल्प
Erotic Couplings
UPDATE 137
VOLUME II CHAPTER-2 नयी भाभी की सुहागरात

ओवुलेशन प्रक्रिया
How To
UPDATE 138 (
नयी भाभी की सुहागरात - राजमाता ने लिया साक्षात्कार.
How To
UPDATE 139 (
असाधरण परिस्तिथियों में असाधारण कार्य.
How To
UPDATE 140
क्या और कैसे करना है.
How To
UPDATE 141
नयी भाभी की सुहागरात में सम्भोग कैसे करना है.
How To
UPDATE 142
हस्तमैथुन और स्खलन.
How To
UPDATE 143
सुहागरात की तयारी.
Incest/Taboo
UPDATE 144
नयी रानी की सुहागरात सुहागसेज.
Incest/Taboo
UPDATE 145
नयी रानी की सुहागरात.
Incest/Taboo
UPDATE 146
सुहागरात में नयी रानी भाभी का कौमार्य भंग.
First Time
UPDATE 147
नयी रानी के साथ सम्भोग.
First Time
UPDATE 148
नयी रानी का गर्भादान.
First Time
UPDATE 149
नयी रानी के साथ पिक्चर अभी बाकी है
First Time
UPDATE 150
भोर में आँख खुली
First Time
UPDATE 151
रानी गर्भवती हुई है या नहीं?
First Time
UPDATE 152
एक बार फिर.
Erotic Couplings
UPDATE 153
रानी माँ ने एकांत प्रदान किया
Erotic Couplings
UPDATE 154
लग रहा था कि मेरा इरेक्शन कभी कम नहीं होगा
Erotic Couplings
UPDATE 155
मालिश से आराम और चुदाई.
Erotic Couplings
UPDATE 156
VOLUME II CHAPTER-3 बैचलर पार्टी

बैचलर पार्टी की तयारी
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 157
बैचलर पार्टी डांस पार्टी की तयारी
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 158
नर्तकियों की तलाश
Erotic Couplings
UPDATE 159
नर्तकियों की तलाश
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 160
बैचलर पार्टी के लिए डांसर
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 161
बैचलर पार्टी के लिए बारगर्ल्स डांसर
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 162
लैप डांसर
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 163
बैचलर पार्टी- संधि और विधि, संगीत और नृत्य
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 164
बैचलर पार्टी-संगीत और नृत्य और नवविवाहित
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 165
बैचलर पार्टी की शुरुआत
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 166
बैचलर पार्टी- शो का आनंद
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 167
बैचलर पार्टी-प्रतिभागि
Group Sex
UPDATE 168
बैचलर पार्टी - मंच से नीचे का नजारा
Group Sex
UPDATE 169
बैचलर पार्टी मंच का नजारा
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 170
कौमार्य भंग करने के लिए प्रशंसा और बधाई
Group Sex
UPDATE 171
आनंद आनंद
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 172
बैचलर पार्टी-अध्भुत कामुकता
Group Sex
UPDATE 173
बैचलर पार्टी अध्भुत कामुकता और चुदाई
Group Sex
UPDATE 174
बैचलर पार्टी तरोताजा कामुकता और चुदाई
Group Sex
UPDATE 175
बैचलर पार्टी- तरोताजा चुदाई
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 176
बैचलर पार्टी तरोताजा कामुकता और समूह सेक्स
Group Sex
UPDATE 177
बैचलर पार्टी सेक्सी समूह नृत्य
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 178
बैचलर पार्टी सेक्सी समूह नृत्य.
Group Sex
UPDATE 179
बैचलर पार्टी लैप डांस
Group Sex
UPDATE 180
बैचलर पार्टी नंगा नाच और समूह सेक्स.
Group Sex
UPDATE 181
VOLUME II CHAPTER 4 विवाह

विवाह से पहले मिलने को दिल बेकरार है
Romance
UPDATE 182
बेकरार दिल का प्रेमालाप
Romance
UPDATE 183
विवाह पूर्व प्रेमालाप का सुनहरा समय
Romance
UPDATE 184
सुनहरा समय
Interracial Love
UPDATE 185
मंगेतरों का परस्पर परिचय
Loving Wives
UPDATE 186
हल्दी समारोह
Loving Wives
UPDATE 187
मेहंदी संगीत और नृत्य
Erotic Couplings
UPDATE 188
विवाह
Loving Wives
UPDATE 189
दुल्हन की बिदाई
Loving Wives
UPDATE 190
दुल्हन का सोलह श्रृंगार
First Time
UPDATE 191
स्वर्ग की अप्सरा
Loving Wives
UPDATE 192
VOLUME II CHAPTER 4 सुहागरात

सुहागरात के दंगल की तैयारी
First Time
UPDATE 193
सुहाग कक्ष
Loving Wives
UPDATE 194
पूरे जीवन चलने वाले प्यार और जुनून की चाहत
Loving Wives
UPDATE 195
अरमानो वाली रात सुहागरात
Loving Wives
UPDATE 196
सुहागरात-मैं चुपचाप निहारता रहा
First Time
UPDATE 197
सुहागरात- चक्रनितम्बा, फूलो से श्रृंगार
First Time
UPDATE 198
सुहागरात- वासना के ज़्वार-भाटे
First Time
UPDATE 199
सुहागरात-अध्भुत नजारा
First Time
UPDATE 200
सुहागरात पहला ओर्गास्म अनुभव
Loving Wives
UPDATE 201
सुहागरात लिंग दर्शन पहला
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 202
अच्छे मजेदार सेक्स का अच्छा पक्ष बार बार करना और दोहराना
Loving Wives
UPDATE 203
सुहागरात कौमार्य भेदन
Loving Wives
UPDATE 204
सुहागरात कौमार्य भेदन फिर प्रथम सम्भोग
First Time
UPDATE 205
सुहागरात कौमार्य भेदन के बाद प्रथम सम्पूर्ण मिलन का आनंद
Loving Wives
UPDATE 206
सुहागरात में कौमार्य भेदन पहले मोहक मिलन का प्रभाव
First Time
UPDATE 207
गर्भाधान के लिए सेवक आपकी सेवा के लिए प्रस्तुत है
Incest/Taboo
UPDATE 208
भाभी की सेवा
Incest/Taboo
UPDATE 209
सुहागरात -कोई देख रहा है
Exhibitionist & Voyeur
UPDATE 210
सुहागरात- एक साथ तीन का स्नान और सम्भोग
Loving Wives
UPDATE 211
मेरी सुहागरात और भाभी की संतान की मुराद
Loving Wives

[/b]
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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम
  7.  मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
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#3
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

आगमन और परिचय

PART 1- परिचय




ये कहानी की 2011-12 है जो वर्तमान समय से लगभग 9-10 साल पहले वर्ष 2011-12 में सूरत शुरू हुई थी ।

भारत में सूरत में आप जानते हैं कि इतनी घनी आबादी है, और लोग मधुमखी के छत्ते में मधुमक्खियों के झुंड की तरह रहते है । अधिकांश मध्यमवर्गीय परिवार भीड़भाड़ वाले इलाके में बहुमंजिला अपार्टमेंट में दो बेडरूम वाले छोटे फ्लैटों में रहते है ।

लेकिन इसी सूरत शहर में "ला-कासा" एक 4-मंजिला छोटा अपार्टमेंट था जिसमें 4 मंजिलें थीं, और प्रत्येक मंजिल में 3 फ्लैट थे जो सूरत के बीचो बीच एक व्यस्त और व्यावसायिक स्थान पर स्थित था। लेकिन यह अपार्टमेंट शर की पागल भीड़ से बस दूर था यूनिवर्सिटी के पास , आसपास काफी हरियाली थी और एक कोने में स्थित, मुख्य सड़क से दूर एक शांत जगह में था और इसमें मुख्यता मध्यम वर्ग के परिवार रहते थे । अपार्टमेंट में कुल 12 परिवारों, प्रत्येक मंजिल में 3 फ्लैटों में रहते थे। बड़े शहरों में प्रचलित रहने वाली संस्कृति केअनुसार , पड़ोसी शायद ही अपने पड़ोस में रहने वालों या एक दूसरे को जानते थे और न ही वे एक-दूसरे के बारे में परेशान थे क्योंकि हर कोई सूरत में व्यस्त था, किसी के पास एक-दूसरे के लिए समय ही नहीं था ।

लेकिन इसी अप्पार्टमेन्ट में पहली मंजिल पर 3 फ्लैटों में रहने वाले लोग एक करीबी परिवार की तरह रह रहे थे, एक-दूसरे की समस्याओं को साझा कर रहे थे और जरूरत और संकट के समय एक-दूसरे के लिए खड़े थे, उन बीच एक करीबी बंधन उनके बीच मौजूद और विकसित था ।

पहली मंजिल पर श्री सुरेश सिंह का फ्लैट फ्लोर के बीचो बीच था जो बाएं और दाएं हिस्से में स्थित अन्य दो फ्लैटों से थोड़ा बड़ा था। उनके फ्लैट में 3 बेडरूम थे और एक नौकर का कमरा भी था जबकि अन्य दो फ्लैटों में 2 बेडरूम थे। वह एक इंजीनियर थे पर विश्वविद्यालय में प्रोफेसर के तौर पर कार्यरत 54 साल का एक वरिष्ठ व्यक्ति अपनी पत्नी के साथ रह रहे थे । उनका इकलौता शादीशुदा बेटा अमेरिका में रह रहा था और किस्मत से उन्हें NASA अमरीकी द्वारा उनके विशाल अनुभव और क्षेत्र में वरिष्ठता की देखते हुए और भारत सरकार के अनुशंसा के बाद NASA अमेरिका में 6 साल के लिए एक शोध कार्य के लिए आमंत्रित किया गया था, जो उनके लिए बड़ी गर्व की बात थी। इस शोध कार्य के लिए उन्हें भारत सरकार से तत्काल अनुमति भी मिल गई।

उनके बाएं फ्लैट पर श्री टेक चंद का परिवार रहता था , जिनकी उम्र 45 वर्ष के आसपास थी, जो कोलकाता के एक बड़े कॉर्पोरेट हाउस में चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) थे। वो अपने ओफिस के काम में इतना व्यस्त थे कि उसे मेरे परिवार के लिए कोई अतिरिक्त समय नहीं मिलता था , और वह अक्सर अपने परिवार को देखने के लिए 4 महीने में एक बार ही सूरत आ पाते थे । उनके परिवार में 40 साल की उनकी पत्नी मानवी 18 साल का एक युवा लड़का उम्र का राजन , जो अभी कॉलेज में था, चंदा, मेरी सबसे छोटी बेटी अभी भी स्कूल में है, 9 वीं कक्षा में पढ़ती थी शामिल थे । टेक चंद की पहली नौकरी सूरत में ही लगी थी यही शादी हुई तो यही घर ले लिए था और अब चुकी बच्चे भी पढ़ने लग गए थे तो जब उन्हें कोलकत्ता में अच्छी नौकरी मिली उन्हें यही छोड़ टेक चंद अकेले ही कोलकत्ता चले गए ..

श्री सुरेश सिंह के दाहिने हाथ वाले फ्लैट में पर श्री सौरव मिश्रा का परिवार रहता था जिनकी उम्र 48 वर्ष थी, जो एक शिपिंग कंपनी के कर्मचारी थे। साल भर में, वह समुद्र में ही रहते ते क्योंकि उसका जहाज दुनिया के विभिन्न हिस्सों में, ज्यादातर समय सिंगापुर और हांगकांग में ही रहता था । वह साल में एक या दो बार ही घर आते थे। उनके परिवार में उनकी 36 साल की उम्र की पत्नी रूपाली , उनकी बड़ी बेटी काजल, 11 वीं कक्षा में पढ़ रही थी और 14 साल की उनकी सबसे छोटी बेटी दीप्ति, 9 वीं कक्षा में पढ़ रही, शामिल थी। दीप्ति (सौरव की बेटी) और चंदा (श्री टेक चंद की बेटी) एक ही स्कूल में थी इसलिए स्वाभाविक रूप से वे बहुत ही अच्छी दोस्त थी

काजल एक वयस्क किशोरी लड़की थी जो युवावस्था में कदम रखने जा रही थी, बस इन दोनों लड़कियों से थोड़ी दूरी बनाए हुए थी, लेकिन एक बड़ी बहन की तरह दीप्ति और चंदा का मार्गदर्शन करती रहती थी । राजन, 18 साल का वयस्क लड़का उन सब में सबसे बड़ा था और वे सभी उसका बड़े भाई के रूप में उसका मान सामान करते थे ।

चूंकि तीनो परिवार पूर्वांचल यूपी या आस-पास के बिहार से सम्बंधित हे , इसलिए उन्होंने एक-दूसरे के परिवार के लिए एक लगाव विकसित हो गया था ल चुकी दोनों की पहली नौकरी इसी शहर से शुरू हुई थी तो उनका परिवार यही बस गया था. बाद में श्री टेक चंद और श्री सौरव मिश्रा अपनी नौकरी के चक्कर में सूरत में नहीं रहते थे और पहली मंजिल में श्री टेक चंद और श्री सौरव मिश्रा की अनुपस्थिति में, श्री सुरेश सिंह एकमात्र पुरुष व्यक्ति थे। अन्य सभी परिवार के मुखिया और महिलाएं श्री सुरेश को मोटा भाई (गुजराती बोलचाल के अनुसार बड़े भाई) के रूप में संबोधित करते थे और बच्चे उन्हें मोटा पापा ( ताऊ या पिता का बड़ा भाई ) के रूप में बुलाते थे । श्री सुरेश इन दो परिवारों की तुलना में बहुत अमीर थे, वो एक ईमानदार और सरल व्यक्ति थे, और वे अन्य दो परिवारों के पुरुष प्रमुखों की अनुपस्थिति में एक संरक्षक व्यक्ति की तरह थे।

एक मध्यम-वर्गीय परिवार की विशिष्ट प्रकृति और विशेष रूप से परिवार की एक महिला की अवसर आने पर जितना संभव हो सके पैसा बचाने की प्रवृति के अनुसार माणवी और रूपाली माखन लगा कर मीठी मीठी बातो द्वारा सुरेश कुमार जैसे एक सीधे व्यक्ति से अधिकतम लाभ निकालने की कोशिश करती रहती थीl माणवी और रूपाली दोनों एक-दूसरे के साथ श्री सुरेश से लंच और डिनर के लिए आमंत्रित करने और हर दिन चाय के कप पेश करने के लिए एक दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा में रहती थी । सुरेश कुमार उन्हें अपने ही परिवार का हिस्सा मानते थे और इन दोनों परिवारों परिवारों को विभिन्न उपहार पेश करके और इन दोनों परिवारों को अपनी घरेलू सामग्री का उपयोग करने की अनुमति देकर भव्य रूप से खर्च करते थे । कभी-कभी, वह मानवी और रूपाली को पैसे भी उधार दे दिया करते थे जिसे वसूलना वो अक्सर भूल जाया करते थे क्योंकि वो कोई हिसाब नहीं रखते थे।

श्री सुरेश और उनकी पत्नी 6 साल के लिए यूएसए रवाना होने वाले थे। यह टेक चंद और सौरव के परिवार के सदस्यों के लिए एक चौंकाने वाला क्षण था।

उदास चेहरे और टूटे दिलों के साथ, हर किसी ने दयालु दंपत्ति को विदाई देने के लिए पहली मंजिल के खुले स्थान में इकट्ठा हुए । दोनों परिवार इस तथ्य से अवगत थे कि वे क्या खो रहे थे। वातावरण शांत, शांत और सबका मन अशांत था।

मानवी अपने बच्चों के साथ अपने पति श्री टेक चंद के साथ खड़ी थीं।

श्री टेक चंद ने बहुत नरम लहजे में कहना शुरू किया, "मोटा भाई, (बड़े भाई) आपको एक सुखद यात्रा की शुभकामनाएं। आप हमारी अनुपस्थिति के दौरान इस मंजिल के संरक्षक थे। हम आपको बहुत याद आएगी.

रूपाली, अपने पति श्री सौरव के पास खड़ी होकर रोते हुए बोलने लगी , "हम आपके बिना यहाँ रहने के बारे में नहीं सोच सकते, और हमारे पतियों की अनुपस्थिति के दौरान आपकी उपस्थिति सबसे अधिक महसूस होगी।"

मानवी ने पूछा, "मोटा भई, आपके खाली फ्लैट में कौन रहेगा?"

श्री सुरेश ने हर किसी को सहजता से देखा और अपने प्रति उनके दिल में दर्द, सम्मान और प्यार महसूस किया।

उन्होंने सभी को संबोधित किया, "सुनो, मेरे प्यारे प्यारे भाई लोगो भाभियो और बच्चो , मैं तुम्हारे प्यार और स्नेह की सराहना करता हूं, लेकिन चिंता मत करो। भगवान बहुत दयालु हैं । मेरे बचपन के दोस्त के पुत्र दीपक कुमार पंजाब से सूरत स्थानांतरित हो गए हैंl उत्तर भारत के एक परिधान निर्माता के कार्यालय में एक प्रबंधक के रूप में। वह मेरे दोस्त का बेटा है, बहुत अच्छा, सरल, विनम्र और मददगार सज्जन है। वह शादीशुदा नहीं है , वह पंजाब के एक बहुत अमीर परिवार से हैं और 6 साल बाद जब मैं यूएसए से लौटूंगा। तब तक, वह आपके साथ रहेगा। चूंकि वह मेरे फ्लैट में अकेला रहेगा। दोनों परिवारों की और महिलाएं की देखभाल वो कर लेगा । श्री चंद और श्री सौरव की अनुपस्थिति के दौरान, मेरे मित्र का पुत्र दीपक कुमार इन दोनों परिवारों के लिए सबसे अच्छे अभिभावक होंगे, और वे दोनों परिवारों के एक छोटे भाई के रूप में होंगे। "

आप उन्हें अपने परिवार का सदस्य ही मानियेगा और बिलकुल चिंता न करे आप उन्हें मुझ से भी बेहतर ही पाएंगे.

दोनों परिवारों ने राहत की सांस ली।

उसके बाद जब सुरेश कुमार अमेरिका के लिए रवाना हुए और दोनों परिवार उन्हें छोड़ने के लिए हवाई अड्डे तक गए।

उनके जाने के बाद जल्द ही श्री चंद और श्री सौरव दोनों अपने-अपने कार्य स्थलों के लिए रवाना हो गए और दोनों के परिवार वही अकेले रह गए और नए रहने वाले के आगमन का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।

दीपक कुमार (मैं ) एक जाट (भारत में पंजाब राज्य से एक समुदाय) थे। मुझे पंजाबी लोगों की आनुवंशिक गुणवत्ता विरासत में मिली थी। उसका कद लगभग 6 फीट, जिसकी उम्र 24 साल थी। वह शारीरिक रूप से बहुत मजबूत और मर्दाना था, और इस उम्र में, मेरे पास व्यापक कंधे और छाती, लंबी, चौड़ी भुजाएँ और हथेलियाँ थीं। वह रंग में गोरा था, मेरे चेहरे पर घने बाल और मूंछें थीं जो काले रंग की थी। मेरी शारीरिक बनावट 20 साल के यंगमैन खिलाडी की तरह थी।हमारा परिवार पंजाब के अपने गाँव में बहुत ज़मीन-जायदाद रखने वाले बहुत अमीर है. मैंने अपनी कुछ शिक्षा लंदन में रह कर भी पायी है । चंडीगढ़ में मेरी तीन इमारतें थीं जिनसे मुझे अच्छा किराया मिलता था । बस अपना समय गुजारने के लिए, मैं एक कंपनी में अधिकारी के रूप में शामिल हो गया था और अब मैं उस कंपनी में प्रबंधक के पद पर था और मेरा तबदला सूरत क्र दिया गया था । मैं सूरत में अपने पिता के बचपन के दोस्त श्री सुरेश के संपर्क में था। जब मैंने सुरेश जी को अपने सूरत स्थानांतरण के बारे में अवगत कराया और उनसे एक घर ढूंढने में मदद मांगी , तो सुरेशजी ने मुझे रहने के लिए अपने फ्लैट की पेशकश की क्योंकि वह स्वयं अपनी श्रीमती के साथ अमेरिका के लिए रवाना हो रहे थे।

मैं कुंवारा था,। मैं अपने सेक्स जीवन में बहुत जोश और जीवटता थी और साथ मैं मेंने योग और ध्यान के माध्यम से अपनी जैविक आवश्यकताओं को नियंत्रित किया था। मेरी सबसे अतिरिक्त साधारण गुणवत्ता यह थी कि मैं होम्योपैथी में डॉक्टर की उपाधि रखता था, होम्योपैथी उपचार में पारंगत था और इस उद्देश्य के लिए मेरे पास एक चमड़े की किट थी जिसमें सभी प्रकार की होम्योपैथी दवाएं थीं, दूसरी बात यह कि मेरे पास एक लम्बा मोटा बड़ा और भारी लंड था जो 8 इंच लंबा था ।

रविवार की दोपहर की तेज धूप थी। मैं "ला कासा" अपार्टमेंट पहुंचा तो मैं ऊपरी मंजिल की ओर जाने वाली सीढ़ी पर चढ़ गया। लिफ्ट का उपयोग करने की कोई आवश्यकता नहीं थी क्योंकि सुरेश जी का फ्लैट पहली मंजिल पर ही था और सीढ़ी पर चढ़कर आसानी से पहुंचा जा सकता था। जब मैं पहली मंजिल पर पहुंच गया और पहली मंजिल के प्रवेश द्वार पर एक लोहे की ग्रिल को सुरक्षित रूप से बंद पाया। मुझे सुरक्षा व्यवस्था बढ़िया लगी और मैंने मन हो मन उसकी सराहना की। मैंने बेल पर अपना अंगूठा लगाया।

जब घंटी बजी तो रूपाली, श्री सौरव की 36 वर्षीय गृहिणी इत्मीनान से बैठी थी और टीवी देख रही थी। वह इस विषम समय में आये हुए किसी अप्रत्याशित आगंतुक या घंटी बजाने वाले को देखने के लिए बाहर आई तो वहां अटैची लेकर मेरे रूप में एक सुन्दर व्यक्तित्व का लंबा, सज्जन व्यक्ति उसे बाहर खड़ा मिला ।

मैं भी अपने सामने एक खूबसूरत महिला को पाकर दंग रह गया। मैंने उसे भारत की सबसे खूबसूरत महिलाओं में से एक पाया, मैंने पंजाब में, लंदन में और विश्व के अन्य कुछ सुंदरियों को देखा था, लेकिन आज, मैं उस सुन्दर महिला को बहुत करीब से देख रहा था ।

रुपाली अपने नाम के अनुसार रूप की मूर्त थी बहुत खूबसूरत थी, मेरी आकृति अद्भुत और आकर्षक थी गोरा रंग था, ऊँचाई लगभग 5'5 थी, और लंबे रेशमी बाल थे। मेरी पतली कमर थी, कूल्हे मोटे और गद्देदार थे उसको देखकर आपको ऐसा लगेगा जैसे कि इसे बनाने वाले द्वारा उसे संगमरमर से उकेरा गया और फिर बड़ी देखभाल से बाहर निकाला गया था, और मुझे उसकी चिकनी त्वचा देखकर ऐसा लगा कि चिकनी मिट्टी जैसी त्वचा जिससे कोई कुम्हार कच्चे बर्तन गढ़ता है ।

उसके कूल्हों का झुकाव, नितम्बो की परिपूर्णता और उन्नत वक्ष स्थल सब पूर्णता के विचार की याद दिलाते थे । जब वह अपने बालों को ठीक कर रही थी, उन लंबी पतली भुजाओं के साथ, उसकी नग्न नाभि मेरे देखने के लिए उजागर हो गयी , उसकी साड़ी उसके बदन पर इतनी समग्र रूप से लिपटी हुई थी, कि मेरे शरीर की बनावट और वक्र लाल और काले रंग की साड़ी में प्रमुखता से स्पष्ट हो गए , उसकी साडी के रंगो ने उसकी आकर्षक सफ़ेद क्रीम आधारित त्वचा के रंग को रेखांकित किया।

उसकी चमकती दमकती दूधिया सफ़ेद चिकनी त्वचा उसकी लाल साडी के कारण गुलाबी हो रही थी जो किसी को भी दिल का दर्द देने के लिए पर्याप्त था, और निश्चित रूप से मेरा दिल भी कुछ समय के लिए धड़कना भूल गया होगा ।उसकी सफ़ेद ब्रा के सफेद कप और पट्टियों को उसके काले पारदर्शी ब्लाउज के माध्यम से आसानी से दिख रहे थे , और उन्हें देख कर मैंने अनुमान लगाया कि मोहतरमा के गोल स्तन 36 साइज के होंगे।

फ़िलहाल मेरे दिमाग में उसके बाद इतना ही विचार आया - ओह! मेरे भगवान क्या सौंदर्य है ,मैं मंत्रमुग्ध था ।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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1. मजे - लूट लो जितने मिले
2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
3.अंतरंग हमसफ़र
4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
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#4
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

आगमन और परिचय


PART 2- परिचय



"हाँजी कहिये आपको क्या चाहिए?" रूपाली ने मुस्कुराते हुए पूछा, मुस्कुराते हुए उसके होंठों की दो पंखुड़ियों के बीच सफ़ेद प्रमुख दांतों के मोती दिखाई दे रहे थे ।

"मैं दीपक कुमार हूँ," एक विस्तृत मुस्कान के साथ मैंने उत्तर दिया।

"ओह्ह, माई गॉड, कृपया अंदर आईये । आपका स्वागत है।"

उसने उसे अपने फ्लैट पर ले गयी और मुझे अपने ड्राइंग रूम के खुले स्थान मेंएक सोफे पर बैठने का संकेत दिया, जिसे ड्रॉइंग रूम और भोजन स्थान के रूप में उनका परिवार इस्तेमाल करता था ।

रूपाली ने विनम्रता से कहा, "मैं रूपाली हूं, आपके फ्लैट की लेफ्ट साइड वाली पड़ोसन, मोता भाई (सुरेश जी ) ने उनके फ्लैट की चाबी मुझे सौंपी है आपको देने के लिए ।"

उसने अपनी दो बेटियों, सबसे बड़ी बेटी, काजल और सबसे छोटी बेटी दीप्ति को मुझ से मिलवाने के लिए बुलाया। दोनों बेटियों ने आकर मेरे पैर छूने चाहे तो मैंने उन्हें पैर छूने से रोक दिया, यह कहते हुए कि पंजाब में हम अपनी बेटियों को अपने पैरों को छूने नहीं देते हैं, बल्कि हम नवरात्र के दौरान उनके पैर छूकर उनकी पूजा करते हैं और मैंने दोनों लड़कियों को आशीर्वाद दिया । दोनों बेटियाँ अपनी माँ से भी ज्यादा खूबसूरत हैं । रूपाली ने उसके बाद मुझे नाश्ते की एक प्लेट और एक कप चाय की पेशकश की। चाय पीते समय रूपाली ने अपने परिवार के बारे में, विशेष रूप से अपने पति, बेटियों के बारे में सब बताना शुरू कर दिया, और मुझे जल्दी आने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया फिर वो बोली अब हमे अकेले नहीं रहना पड़ेगा ।

इस बीच, माणवी, दूसरी पड़ोसी महिला ने अपने पड़ोसन के फ्लैट में कुछ शोर और अजनबी आवाजे सुनी और बच्चो से पुछा तो उन्हें मेरे आने का पता चला तो वह तुरंत मुझसे मिलने आ गयी और बोली मैं मानवी हूँ आपकी दाईं और रहने वाली पड़ोसन और उसने मुझे दोपहर के भोजन के लिए अपने घर बुलाया।

इन दो महिलाओं रूपाली और मानवी के बीच सुरेश का फायदा उठाने के लिए हमेशा एक अंतर्निहित प्रतियोगिता थी, और अब वे मुझे भी प्रभावित करना चाहती थी क्योंकि उन्हें पता लगा गया था मैं काफी अमीर परिवार से था;l

श्री चंद की पत्नी मानवी की उम्र 40 साल थी। वह वास्तव में मोटी महिला नहीं थी, लेकिन उसकी कमर के चारों ओर वजन थोड़ा बढ़ा हुआ था , और पीछे की तरफ उसके नितम्ब काफी मांसल थे । उसका चेहरा गोल, होंठ मोटे रसीले और स्तन बड़े - बड़े थे। मैंने उसे बहुत ध्यान से देखा । उसके बड़े बड़े बूब्स टाइट ब्रा और ब्लाउज के माध्यम से उभरे हुए थे जैसे कि हुक खोल कर बाहर आ जाएंगे । उसके स्तन 38 साइज के थे और उनके बीच की खाई साफ़ नज़र आ रही थी. फिर मैं उन दो महिलाओं की तुलना करने लगा, रूपाली एक मॉडल की तरह पतली थी, और इसके विपरीत, मानवी ज्यादा भरी हुई थी। मुझे दोनों बहुत सेक्सी लगीl मुझे लगा उनका ऐसा रूप देखकर मेरा आठ इंची जगने लगा और उसने खड़ा होना शुरू कर दिया । जैसे ही मुझे उसके कठोर होने का आभास हुआ मैंने तुरंत, कहा मैं सुरेश जी का फ्लैट देखना चाहूंगा ।

उसके बाद मानवी ने अपने बेटे को राजन जिसकी उम्र 18 साल थी को बुलाया , राजन एक कॉलेज का छात्र था और फिर अपनी नवी क्लास में पढ़ने वाली बेटी चंदा से मिलवाया । दोनों बच्चो ने आकर मेरे पैर छुए। फिर से मैंने चंदा को मेरे पैर छूने से रोक दिया और उससे कहा कि वह मेरे पैर न छुए क्योंकि हम बेटियों से अपने पाँव नहीं छुआते और उनके सिर पर दाहिने हाथ को छूकर दोनों को आशीर्वाद दिया। मैंने उसका नाम पूछा और कहा कि तुम वास्तव में पूर्णिमा के चाँद की तरह सुंदर हो .. गॉड ब्लेस यू।

अगले दिन, मैं ठीक सुबह 9.30 अपने कार्यालय में पहुँच गया । मेरी कम्पनी का कार्यालय सूरत में एक बहुत व्यस्त, व्यावसायिक स्थान पर था। कार्यालय मुख्य सड़क के पास तीसरी मंजिल में था। शाखा के कर्मचारियों में 3 पुरुष सहायकऔर मेरी सहायता के लिए एक नई भर्ती की गई, युवा लड़की सहायक महिला अधिकारी थीं जिसका नाम था कविता, उम्र 22 वर्ष, इसके इलावा एक सशस्त्र गार्ड और 40 वर्ष की आयु की एक महिला स्वीपर सविता थी। सभी कर्मचारियों ने मेरा स्वागत और अभिवादन किया। हालाँकि कार्यालय छोटा सा था लेकिन मुख्य व्यावसायिक स्थान पर स्थित था। कम्पनी की शाखा का मुख्य उद्देश्य नवीनतम फैशन और रुझानों पर नजर रखते हुए वस्त्रों की नियमित खरीद करना था।

शाम को, जब मैं ऑफिस से लौटा तो मैंने काजल, चंदा और दीप्ति तीनो लड़कियों को पहले तले के खुले स्थान में खेलते हुए देखा ।

मुझे देखकर, सभी लड़कियों ने एक स्वर में मेरा अभिवादन किया, "अंकल, गुड इवनिंग।" मैं उनके पास रुका , मुस्कुराया, अपनी जेब से कैडबरी के पैकेट निकाले और उन्हें दे दिए । जिसे पाकर तीनो बहुत खुश हो गयी . उनके हाथमे चॉक्लेट देख कर राजन भी मेरे पास आया और मैंने उसे भी कैडबरी चॉक्लेट दी l

इस तरह मैं हर रोज ही बच्चों के लिए कुछ मिठाइयाँ या चॉकलेट ले आता था और मैं बच्चों का प्रिय बन गया l जल्द ही वे सभी बच्चे शाम को मेरे ऑफिस से लौटने का इंतजार करने लगे और उन्होंने मुझे प्यार से काका (पिता का छोटा भाई) कहना शुरू कर दियाl

इसी तरह एक महीना बहुत जल्दी बीत गया। मैं दोनों परिवारों के बीच घुलमिल गया और उनके साथ इस तरह से विलीन हो गया जैसे वो मेरे ही परिवार हो । मुझे बच्चों द्वारा अपने पिता के छोटे भाई- काका के रूप में स्वीकार किया गया था और दोनों महिलाओं द्वारा काका (देवर -छोटे भाई) के रूप में स्वीकार किया गया था। और मैं भी उन्हें भाभी ही कहता थाl

मेरा फ्लैट इन दोनों पड़ोसियों के बीच में था । इस एक महीने में मैंने सुरेश जी ने फ्लैट को उनसे अनुमति लेकर आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कर बदल दिया। मैंने ललित लकड़ी से बने आधुनिक फर्नीचर खरीदे और पूरे फ्लैट को सुसज्जित कर दिया। तीनों बेडरूम में तकिए के साथ शानदार गद्दे लगवा दिए और एक बड़ी एलसीडी टीवी, (बिग स्क्रीन) भी खरीदी और एक टेलीफोन भी लगवाया (उन दोनों Mobile इतना प्रचलित नहीं था ) मैंने एक वॉशिंग मशीन खरीदी और पूरे फ्लैट में एयर कंडीशनर (एसी) भी लगवा दिया । इन बदलावों से अब सुरेश जी का फ्लैट इन दो साधारण फ्लैटों के बीच एक आधुनिक और समृद्ध फ्लैट बन गया।

कहानी जारी रहेगी


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#5
(29-10-2021, 07:29 PM)aamirhydkhan1 Wrote:
clps
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#6
(29-10-2021, 07:29 PM)aamirhydkhan1 Wrote:
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

आगमन और परिचय


PART 2- परिचय



"हाँजी कहिये आपको क्या चाहिए?" रूपाली ने मुस्कुराते हुए पूछा, मुस्कुराते हुए उसके होंठों की दो पंखुड़ियों के बीच सफ़ेद प्रमुख दांतों के मोती दिखाई दे रहे थे ।

"मैं दीपक कुमार हूँ," एक विस्तृत मुस्कान के साथ मैंने उत्तर दिया।

"ओह्ह, माई गॉड, कृपया अंदर आईये । आपका स्वागत है।"

उसने उसे अपने फ्लैट पर ले गयी और मुझे अपने ड्राइंग रूम के खुले स्थान मेंएक सोफे पर बैठने का संकेत दिया, जिसे ड्रॉइंग रूम और भोजन स्थान के रूप में उनका परिवार इस्तेमाल करता था ।

रूपाली ने विनम्रता से कहा, "मैं रूपाली हूं, आपके फ्लैट की लेफ्ट साइड वाली पड़ोसन, मोता भाई (सुरेश जी ) ने उनके फ्लैट की चाबी मुझे सौंपी है आपको देने के लिए ।"

उसने अपनी दो बेटियों, सबसे बड़ी बेटी, काजल और सबसे छोटी बेटी दीप्ति को मुझ से मिलवाने के लिए बुलाया। दोनों बेटियों ने आकर मेरे पैर छूने चाहे तो मैंने उन्हें पैर छूने से रोक दिया, यह कहते हुए कि पंजाब में हम अपनी बेटियों को अपने पैरों को छूने नहीं देते हैं, बल्कि हम नवरात्र के दौरान उनके पैर छूकर उनकी पूजा करते हैं और मैंने दोनों लड़कियों को आशीर्वाद दिया । दोनों बेटियाँ अपनी माँ से भी ज्यादा खूबसूरत हैं । रूपाली ने उसके बाद मुझे नाश्ते की एक प्लेट और एक कप चाय की पेशकश की। चाय पीते समय रूपाली ने अपने परिवार के बारे में, विशेष रूप से अपने पति, बेटियों के बारे में सब बताना शुरू कर दिया, और मुझे जल्दी आने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया फिर वो बोली अब हमे अकेले नहीं रहना पड़ेगा ।

इस बीच, माणवी, दूसरी पड़ोसी महिला ने अपने पड़ोसन के फ्लैट में कुछ शोर और अजनबी आवाजे सुनी और बच्चो से पुछा तो उन्हें मेरे आने का पता चला तो वह तुरंत मुझसे मिलने आ गयी और बोली मैं मानवी हूँ आपकी दाईं और रहने वाली पड़ोसन और उसने मुझे दोपहर के भोजन के लिए अपने घर बुलाया।

इन दो महिलाओं रूपाली और मानवी के बीच सुरेश का फायदा उठाने के लिए हमेशा एक अंतर्निहित प्रतियोगिता थी, और अब वे मुझे भी प्रभावित करना चाहती थी क्योंकि उन्हें पता लगा गया था मैं काफी अमीर परिवार से था;l

श्री चंद की पत्नी मानवी की उम्र 40 साल थी। वह वास्तव में मोटी महिला नहीं थी, लेकिन उसकी कमर के चारों ओर वजन थोड़ा बढ़ा हुआ था , और पीछे की तरफ उसके नितम्ब काफी मांसल थे । उसका चेहरा गोल, होंठ मोटे रसीले और स्तन बड़े - बड़े थे। मैंने उसे बहुत ध्यान से देखा । उसके बड़े बड़े बूब्स टाइट ब्रा और ब्लाउज के माध्यम से उभरे हुए थे जैसे कि हुक खोल कर बाहर आ जाएंगे । उसके स्तन 38 साइज के थे और उनके बीच की खाई साफ़ नज़र आ रही थी. फिर मैं उन दो महिलाओं की तुलना करने लगा, रूपाली एक मॉडल की तरह पतली थी, और इसके विपरीत, मानवी ज्यादा भरी हुई थी। मुझे दोनों बहुत सेक्सी लगीl मुझे लगा उनका ऐसा रूप देखकर मेरा आठ इंची जगने लगा और उसने खड़ा होना शुरू कर दिया । जैसे ही मुझे उसके कठोर होने का आभास हुआ मैंने तुरंत, कहा मैं सुरेश जी का फ्लैट देखना चाहूंगा ।

उसके बाद मानवी ने अपने बेटे को राजन जिसकी उम्र 18 साल थी को बुलाया , राजन एक कॉलेज का छात्र था और फिर अपनी नवी क्लास में पढ़ने वाली बेटी चंदा से मिलवाया । दोनों बच्चो ने आकर मेरे पैर छुए। फिर से मैंने चंदा को मेरे पैर छूने से रोक दिया और उससे कहा कि वह मेरे पैर न छुए क्योंकि हम बेटियों से अपने पाँव नहीं छुआते और उनके सिर पर दाहिने हाथ को छूकर दोनों को आशीर्वाद दिया। मैंने उसका नाम पूछा और कहा कि तुम वास्तव में पूर्णिमा के चाँद की तरह सुंदर हो .. गॉड ब्लेस यू।

अगले दिन, मैं ठीक सुबह 9.30 अपने कार्यालय में पहुँच गया । मेरी कम्पनी का कार्यालय सूरत में एक बहुत व्यस्त, व्यावसायिक स्थान पर था। कार्यालय मुख्य सड़क के पास तीसरी मंजिल में था। शाखा के कर्मचारियों में 3 पुरुष सहायकऔर मेरी सहायता के लिए एक नई भर्ती की गई, युवा लड़की सहायक महिला अधिकारी थीं जिसका नाम था कविता, उम्र 22 वर्ष, इसके इलावा एक सशस्त्र गार्ड और 40 वर्ष की आयु की एक महिला स्वीपर सविता थी। सभी कर्मचारियों ने मेरा स्वागत और अभिवादन किया। हालाँकि कार्यालय छोटा सा था लेकिन मुख्य व्यावसायिक स्थान पर स्थित था। कम्पनी की शाखा का मुख्य उद्देश्य नवीनतम फैशन और रुझानों पर नजर रखते हुए वस्त्रों की नियमित खरीद करना था।

शाम को, जब मैं ऑफिस से लौटा तो मैंने काजल, चंदा और दीप्ति तीनो लड़कियों को पहले तले के खुले स्थान में खेलते हुए देखा ।

मुझे देखकर, सभी लड़कियों ने एक स्वर में मेरा अभिवादन किया, "अंकल, गुड इवनिंग।" मैं उनके पास रुका , मुस्कुराया, अपनी जेब से कैडबरी के पैकेट निकाले और उन्हें दे दिए । जिसे पाकर तीनो बहुत खुश हो गयी . उनके हाथमे चॉक्लेट देख कर राजन भी मेरे पास आया और मैंने उसे भी कैडबरी चॉक्लेट दी l

इस तरह मैं हर रोज ही बच्चों के लिए कुछ मिठाइयाँ या चॉकलेट ले आता था और मैं बच्चों का प्रिय बन गया l जल्द ही वे सभी बच्चे शाम को मेरे ऑफिस से लौटने का इंतजार करने लगे और उन्होंने मुझे प्यार से काका (पिता का छोटा भाई) कहना शुरू कर दियाl

इसी तरह एक महीना बहुत जल्दी बीत गया। मैं दोनों परिवारों के बीच घुलमिल गया और उनके साथ इस तरह से विलीन हो गया जैसे वो मेरे ही परिवार हो । मुझे बच्चों द्वारा अपने पिता के छोटे भाई- काका के रूप में स्वीकार किया गया था और दोनों महिलाओं द्वारा काका (देवर -छोटे भाई) के रूप में स्वीकार किया गया था। और मैं भी उन्हें भाभी ही कहता थाl

मेरा फ्लैट इन दोनों पड़ोसियों के बीच में था । इस एक महीने में मैंने सुरेश जी ने फ्लैट को उनसे अनुमति लेकर आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित कर बदल दिया। मैंने ललित लकड़ी से बने आधुनिक फर्नीचर खरीदे और पूरे फ्लैट को सुसज्जित कर दिया। तीनों बेडरूम में तकिए के साथ शानदार गद्दे लगवा दिए और एक बड़ी एलसीडी टीवी, (बिग स्क्रीन) भी खरीदी और एक टेलीफोन भी लगवाया (उन दोनों Mobile इतना प्रचलित नहीं था ) मैंने एक वॉशिंग मशीन खरीदी और पूरे फ्लैट में एयर कंडीशनर (एसी) भी लगवा दिया । इन बदलावों से अब सुरेश जी का फ्लैट इन दो साधारण फ्लैटों के बीच एक आधुनिक और समृद्ध फ्लैट बन गया।

कहानी जारी रहेगी


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1. मजे - लूट लो जितने मिले
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3.अंतरंग हमसफ़र
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Bahut achcha likh rahe ho bro 
Daily update karte rehna
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#7
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे



CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

 उपहार

PART 1
 





मैंने इन दोनों परिवारों को हमेशा इन्फ्लुएंजा, खांसी, बुखार, और अन्य छोटी बीमारी में बीमारी में होम्योपैथी दवाओं के उपचार के माध्यम से मदद की, जिससे उन्हें डॉक्टरों की फीस बचाने में मदद मिली। इसके इलावा भी मैंने अक्सर बच्चों को चॉकलेट, पेन, नोटबुक और विभिन्न पत्रिकाओं जैसे उपहार भेंट किए क्योंकि मुझे इन बाचो से भरपूर प्यार और अपनापण मिलता था । मैंने अक्सर महिलाओं को साड़ी और सौंदर्य प्रसाधन भी भेंट किए। दोनों परिवार मुझे बहुत पसंद थे।

मेरे सूरत आने से पहले सुरेश जी एक नौकरानी, आशा बेन को अपने घर नौकरी पर रखा था, वह 25 साल की एक युवा महिला थी और वह ही उनके ज्जाने के बाद भी मेरे लिए , घर, बर्तन साफ करने और कपड़े धोने का काम करती रही.. वह सुबह-सुबह मेरे घर आती थी। और मेरे ऑफिस जाने से पहले ही अपना काम खत्म कर चली जाती थी. उसकी शादी को 5 साल हो गए थे लेकिन उसके कोई बच्चा नहीं था।

एक अवसर पर मुझे कुछ आधिकारिक काम के लिए अपनी कंपनी के मुख्य कार्यालय, जयपुर जाना था और मैं वापसी पर वह से सभी महिलाओं और बच्चो के लिए कुछ साड़ी और कृत्रिम आभूषण ले लाया और वे उस दिन मिले उपहारों से सब बहुत खुश थे .. और मानवी और रूपाली ने उस कपड़ो और ज्वेलरी को पहन खुद को मेरे सामने पेश किया। नयी साड़ी और ज्वेलरी पहने हुए वे दोनों नई दुल्हन की तरह लग रही थीं .. मैंने उनकी खूबसूरती के लिए उनकी तारीफ की .. दोनों शरमा गयी और उनदुल्हन की तरह सजी देख कर मेरा लंड कड़ा हो गया .. जिसे मैं बड़ी मुश्किल से छिपाने में कामयाब रहा । उस दिन काजल का जन्मदिन भी था इसलिए हम सभी ने देर रात पार्टी की और आशा भी पार्टी की तैयारी के लिए रूपाली और मानवी की मदद करने के लिए वहाँ रुकी थीं।

आधी रात के बाद पार्टी खत्म हो गई और सभी मेहमान चले गए और सब लोग पार्टी और बहुत डांस के बाद थक गए और सोने चला गए । आशा उस रात वही रुक रही थी क्योंकि एक तो रात बहुत हो गयी थी और फिर उसका पति भी अपनी बहन से मिलने दुसरे शहर गया हुआ था । चूंकि अन्य दोनों घरों में कोई अतिरिक्त स्थान नहीं था , इसलिए महिलाओं ने आशा को मेरे घर की रसोई में सोने के लिए कहा और दोनों परिवारों मेरे घर की भी अपना ही मानते थे ।

सोने से पहले आशा मुझे अपने कमरे में दूध देने के लिए आयी तो जैसे मैंने मानवी और रूपाली को उपहार दिए थे वैसे ही मैंने आशा को लाल साड़ी, कुछ सौंदर्य प्रसाधन और आभूषणों का एक सेट उपहार में दिया। और उससे कहा कि मैं यह ख़ास तुम्हारे लिए जयपुर से लाया हूं, वह उपहार पाने पर बहुत उत्साहित थी लेकिन उसने कहा कि सर ये बहुत महंगे उपहार हैं। मैं उन्हें नहीं ले सकती और उन्हें घर नहीं ले जा सकटी । और बोली मेरे पति मुझ पर शक करेंगे और इसका एक मुद्दा बनायेंगे।

मैंने उनसे अनुरोध किया कि वे उन्हें ले जाएं क्योंकि मैं यूए विशेष उनके लिए लाया हूँ । लेकिन वह उन्हें अपने साथ ले जाने के लिए तैयार नहीं थी। जब मैंने जोर देकर उससे पूछा कि क्या समस्या है। उसने बताया कि उसका पति शराबी है .. मुझे आश्चर्य हुआ और उससे पूछा .. कि उसे गुजरात में व्हिस्की या शराब कैसे मिलती है .. क्या यह गुजरात में प्रतिबंधित नहीं है ..

उसने कहा कि साहब क्या आपने ऑफिस जाते समय स्क्रैप डीलर की दूकान के बाहर हर दिन इस्तेमाल की जाने वाली बोतलों का एक ताजा ढेर देखा है। .. मैंने सिरहाँ में हिलाया .. सच में मैं कभी कभार शराब पीने वाला व्यक्ति हूँ और इसलिए मैंने कभी भी शराब या व्हिस्की पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया .. और फिर उसने रोना शुरू कर दिया .. मेरे पति अपनी सारी कमाई शराब पर बर्बाद कर देता है और फिर मुझसे पैसे माँगता हैं और अक्सर मेरी सारी कमाईले जाता है और मुझे बच्चा न होने के लिए गाली भी देता है।

मैंने उनसे पूछा कि क्या आपने बच्चे के लिए और शारब के लिए डॉक्टर से सलाह ली है .. उन्होंने कहा कि नहीं..मेरे पति कोई भी टेस्ट करवाने के लिए त्यार ही नहीं हैं .. मैंने कहा कि ठीक है मैं मदद करूंगा .. मैं कल आपके लिए कुछ परीक्षण करवाऊंगा और फिर उसके बाद हम आपके पति की जांच करेंगे ... और चिंता मत करो सब टेस्ट मैं करवाऊंगा . वह मुस्कुराई और उपहार, साड़ी और आभूषणों को देखती रही।

मैंने यहां मौका देखा और आशा से कहा। ठीक है आप नहीं ले जा सकते कोई बात नहीं पर आप इनको आज़मा सकती हैं और देख ले कि आप इन साड़ी और गहनों में कैसी देखेंगी .. अगर ये आप को पहनने के बाद उन्हें पसंद आये .. तो उसी के अनुसार आप उन्हें लेने या छोड़ने का फैसला कर ले । मेरे कहने सेइतना तो देख ले की क्या ये आपको सूट करते हैं और आप पर जचेंगे या नहीं ।

उसने कहा साहब मैं पसीने के कारण चिपचिपा महसूस कर रही हूं और स्नान करना चाहती हूं और फिर ये नए कपड़े पहनती हूं .. मैंने कहा ठीक है मुझे सोने की कोई जल्दी नहीं है और वैसे भी कल रविवार है। मैं भी पसीने के कारण चिपचिपा भी महसूस कर रहा था और स्नान करना चाहता था .. मैंने उसे दूसरे कमरे में बाथरूम का उपयोग करने के लिए कहा जहाँ एक विशाल दर्पण के साथ एक ड्रेसिंग टेबल भी थी जिसे सुरेश जी की पत्नी उपयोग करती थी ।

कहानी जारी रहेगी



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#8
Itna chota update bro
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#9
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

परिचय-उपहार

PART 2


वह शौचालय गई और नहायी, तब तक मैंने भी स्नान कर लिया। फिर जब वह स्नान करने के बाद उस साड़ी को पहनने वाली थी। उसने आवाज दे कर मुझ से पूछा। साहब साडी के साथ कोई ब्लाउज नहीं है .. अब मैं क्या पह्नु । मैं मुस्कुराया और कहा कि ओह! क्षमा करें आशा मैं आपके लिए साडी के साथ लाया गया चोली और पेटीकोट देना ही भूल गया था । मैंने बैग में ले दोनों को निकाला और बोला आप इसे ले आओ। (हालांकि दिमाग में मुझे लगा कि वह बिना चोली के और भी ज्यादा सेक्सी लगेगी)

उसने कहा कि नहीं, सर मैं आपके पास नहीं आ सकती, मैंने कुछ नहीं पहना है। उसने कहा कि मैं वापस बाथरूम जा रही हूं और आप से अनुरोध कर रही हूं कि वह ब्लाउज को साड़ी के ऊपर कमरे में रख दे, आशा की बात सुनकर मेरे लंड में तनाव आ गया था कि उसने कुछ नहीं पहना है। मैंने वहां जाकर साड़ी के ऊपर ब्लाउज और पेटीकोट को रख दिया और वापस कमरे में लौटने वाला था , लेकिन तभी मुझे एक शरारत भरा विचार आया। मैंने सोचा कि उसे नंगा देखने का यह अच्छा मौका है। इसलिए मैंने धीरे से दरवाजा बंद कर दिया और उस कमरे के पर्दे के पीछे छिप गया, जहाँ से मैंने प्रवेश किया था. मैंने अपनी आँखें शौचालय के दरवाजे पर रखीं और आशा के बाहर आने का इंतजार करने लगा।

आशा ने सर सर दो बार पुकारा लेकिन मैंने कोई जवाब नहीं दिया .. तो आशा ने सोचा कि मैं अपने कमरे में वापस चला गया हूँ। उसने कुछ देर इंतजार किया और फिर उसने शौचालय के दरवाजे को धीरे से खोला और कमरे में कोई है तो नहीं यह सुनिश्चित करने के लिए बाहर की ओर झाँका .. क्योंकि मैंने अपने आप को कमरे के पर्दों में छिपाया था और कमरे का दरवाजा बंद था, उसे लगा कि अब बाहर आना सुरक्षित है .. पानी में भीगी हुई वह धीरे-धीरे नग्न ही टॉयलेट से बाहर आयी और वह गोरी , कम कद की लेकिन बहुत फुर्तीली थी . उसके शरीर की सुन्दर संरचना थी और उसके स्तन बड़े थे, जिसने तुरंत मेरा ध्यान आकर्षित किया। वह अपने कूल्हों मटकाते हुए आयी उसके स्तन हिल रहे थे और मेरा ध्यान आकर्षित कर रहे थे । उसकी चूत के आस-पास बहुत छोटे छोटे बाल उग आए थे जिससे पता चलता है कि उसने हाल ही में उन्हें साफ किया था.

उसके नंगा जिस्म देखने के बाद मुझे बहुत बड़ा इरेक्शन हुआ। मैंने खुद केवल एक तौलिया पहन रखा था और स्नान करने के बाद कोई अंडरवियर भी नहीं पहना था। मैंने मन ही मन सोचा। ये भगवान् ! ये तो बहुत खूबसूरत है।

उसने कमरे में ही पड़ी अपनी पुरानी साड़ी का उपयोग कर खुद को सुखाया । मैं सोच रहा था कि उसने टॉयलेट में तौलिये का उपयोग क्यों नहीं किया है। मुझे याद आया कि यह शौचालय लगभग इस्तेमाल ही नहीं हुआ था और शायद शौचालय में कोई तौलिया नहीं था .. या हो सकता है कि वह मेरे तौलिए का उपयोग करने में संकोच कर रही थी । जो भी कारण रहा हो मैंने भगवान को धन्यवाद दिया कि शौचालय में कोई तौलिया नहीं था अन्यथा मुझे स्नान के बाद इस युवा सौंदर्य को बिल्कुल नग्न देखने का मौका नहीं मिला होता।

उसके द्वारा पोंछने के लिए पुरानी साड़ी का उपयोग करने का दृश्य शानदार था, मैं उसे मंत्रमुग्ध देख रहा था। जल्द ही उसने चोली को उठाया । यह साड़ी के लाल रंग से मेल खाता हुआ टॉप चोली (ब्लाउज) था, जिसकी पीठ पर केवल तार थे उसे बाँधने के लिए । उसने चोली को पहन लिया जिसमे उसके विशाल खरबूजे पूरी तरह से फिट हो गए । लेकिन वह ब्लाउज के तार बाँधने में असमर्थ थी। फिर उसने पेटीकोट पहन लिया और साड़ी लपेट ली और फिर उसने मेरे द्वारा गिफ्ट की हुई सारी ज्वैलरी भी पहन ली .. और फिर उसने फिर से तार बाँधने की कोशिश की लेकिन उसके सारे प्रयास असफल रहे। उसने खुद को दर्पण में कुछ बार देखा और कुछ सौंदर्य प्रसाधनों का इस्तेमाल किया और फिर उसने अपने रसीले होंठों पर कुछ लाल लिपस्टिक लगाई।

उसने फिर साड़ी (पल्लू) के एक छोर का उपयोग करके दुल्हन के द्वारा उपयोग किए गए घूंघट के रूप में साड़ी में अपना चेहरा और सिर ढक लिया। मैं यह सब चुप कर देख रहा था और साथ ही आईने में उसकी छवि भी देख रहा था ।

उसने आखिरी बार तार बाँधने की कोशिश की लेकिन उसके विशाल खरबूजे उसे तार बाँधने के लिए सहयोग नहीं कर रहे थे। तो वह दरवाजे के पास आई, घूमी पीठ दरवाजे की और की और कहा सर कृपया इस ब्लाउज को बांधने में मेरी मदद करें।

मैं हैरान हो गया था कि उसे पता लगा गया था कि मैं यहां छिपा हुआ था और उसे नग्न देख रहा था। मैंने कहा सॉरी आशा मैं तुम्हें देखने के प्रलोभन का विरोध नहीं कर पाया । उसने कहा मैंने आपको दर्पण से पर्दे के पीछे झाँकते हुए देख लिया था, अब दोनों की हिचकिचाहट दूर हो गई थी और मैं धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ा और हाथ पीठ पर ले जाते हुए मैंने डोरिया खोजने की कोशिश की और उस प्रक्रिया में मैंने धीरे से उसकी चिकनी पीठ को छुआ। चोली के तार उसके बूब्स के अंदरूनी हिस्से की तरफ चिपके हुए थे। मैंने कहा कि मुझे डोरिया नहीं मिल रही ।

साहब कृपया उन्हें ढूंढें और बाँध लें। और इस पल में मेरा लंड पूरा कड़ा हो गया जिससे मेरा तौलिया ढीला हो गया। लेकिन उस समय मेरा ध्यान तौलिये पर केंद्रित नहीं था .. मैं चोली को बाँधने के लिए उसकी डोरिया ढूंढ़ने लगा । मैंने अपने हाथों को उसकी चिकनी पीठ पर फेराया और फिर अंदर डालकर हाथ स्तनों की और ले गया वहां मैंने उसके सुदृढ़ गोल स्तनों को हल्का सा छुआ और इतने में मुझे डोरिया मिल गयी पर मैंने उन्हें खींच नहीं बल्कि अपने हाथो को उसकी स्तनों पर फिरने दिया और ऐसे में आशा की आह निकली फिर मैंने डोरियों को पकड़ उन्हें खींच लिया और उन्हें बांध दिया।

फिर मैंने कहा "आशा, कृपया घूमिये मैं देखना चाहता हूं कि आप दुल्हन के परिधान में कैसे दिखती हैं"। । वह शरमा गई, धीरे से घूमी और उसने अपना चेहरा मेरी ओर किया और उसका चेहरा और सिर उसकी लाल साड़ी के पल्लू से ढका हुआ था ।

मैंने आगे बढ़कर उसका घूंघट हटा दिया और कहा, हे भगवान, आशा, तुम एक दुल्हन के रूप में बहुत खूबसूरत लग रही हो। अगर आप मुझसे शादी करने से पहले मुझसे ऐसे मिले होते तो क्या होता। मैंने अपनी उंगली से एक अंगूठी निकाली और उसे उपहार के रूप में दिया। फिर मैं आगे बढ़ा और उसकी ठुड्डी पकड़ कर उसका चेहरा उठाया और उसकी आँखें बंद थीं। उसने साबुन की खुशबू और गंध और सौंदर्य प्रसाधनों का ताजा इस्तेमाल किया। मैं उसकी ठोड़ी को उठाया और किस करने के लिए अपना मुँह उसके उसके मुंह के पास ले गया और उसे चूमने शुरू कर दिया। मैं उसकी भारी साँस को महसूस कर रहा था । वह सहज नहीं थी। जिस तरह से उसने मेरी किसपर अपनी प्रतिक्रिया दी मुझे शक हुआ शायद उसके पति ने उसे कभी इतने प्यार से चूमा है या नहीं ।

शुरुआती भ्रम और हिचकिचाहट के बाद, वह धीरे-धीरे चुंबन करने लगी । उसके बाद जब मैंने उसकी जीभ को चूसने में थोड़ा समय बिताया, तो उसने उसका उत्त्तर उत्साह से चुंबन कर के दिया ।

कहानी जारी रहेगी




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#10
Great Story Keep it up
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#11
Bro story bahut mast likh rahe ho
Bas update thoda bada diya karo
Ye aapse vinti h
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#12
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

परिचय-उपहार

PART 3




हम आलिंगनबद्ध हुए और मेरे हाथ उसकी पीठ पर पहुंच गए और उसके ब्लाउज की डोरियों जो मैंने अभी बाँधी थी मैंने उन्हें महसूस किया। मैंने जल्दी से उन्हें ढीला कर दिया। चूंकि यह बैकलेस चोली थी और उसने कोई ब्रा नहीं पहनी थी। उसने चोली निकालने के लिए जल्दी से अपने हाथ उठाए। वह अब पूरी तरह से ऊपर से नग्न हो गयी । मैंने उसके शानदार स्तनों को अपने हाथों में महसूस किया। वे दृढ़ और बड़े थे। उसके निपल्स लंबे और मजबूती से उभरे हुए थे। वे बच्चे के दूध पिलाने की बोतल के निपल्स की तरह लग रहे थे। वे डार्क चॉकलेट कलर के थे। (मुझे चॉकलेट बहुत पसंद है!)। उसकी निप्पल ज्यादातर महिलाओं की तुलना में काफी बड़े थे । अरेला पर छोटे छोटे दाने थे। यह स्पष्ट था कि वह भी उत्तेजित थी।

मैंने काफी देर तक उसके स्तनों की दबाया सहलाया और मालिश की। उसके स्तनों का अनुभव करना एक अलग ही सुखद अनुभव था . वे ढीले नहीं हुए थे और सुदृढ़ थे साथ हो साथ नरम और लचीले थे। जब मैं उसके स्तन चूमने लगा वह अपने मन का नियंत्रण खोने लगी । मैंने जब उसके स्तन को चूमा तो उसकी हलकी सी कराह निकली इसस । उसने मेरा सर पकड़ कर मुझे हटाना चाहा लेकिन मैं टस से मस नहीं हुआ और दोनों चुची को एक साथ चूसने और काटने लगा आशा कराहने लगी बआआहह, ओमम्म्मममम, चाटो ना जोर से, सस्स्सस्स हहा और मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। जब मैंने उसके एक निप्पल को अपने दांतों से दबाया, तो उसने बड़ी मुश्किल से कहा, "साब, प्लीज़ ..." कहते हुए वो काम्पी और झड़ गयी और मैंने उसे अपने एक हाथ से उसके पेटीकोट के ऊपर से उसे अपनी चूत पर मालिश करते हुए देखा। और उसकी चूत से चुतरस बहने लगा था ।

मेरा लंड उधर बेकाबू हो रहा था और मेरा तौलिया ढीला हो गया और उसने लंड की कठोरता को महसूस किया और उसका हाथ तौलिये के अंदर मेरे लिंग पर चला गया । उसने तौलिया के नीचे मेरा लंड की कठोरता को महसूस किया . उसने एक हाथ से मेरे लंड पर कुछ सेकंड के लिए फेरा और मेरा तौलिया खोला लंड को बाहर निकाल लिया। उस समय तक, मेरा लंड रोड की तरह से सख्त हो गया था। उसने इसे अपनी हथेली में लिया और कुछ समय के लिए इसे महसूस किया। उसने कहा, "हे भगवान। आपका लंड वास्तव में बड़ा हैं। आपका लंड मेरे पति से कम से कम दुगना तो है।"

वो मेरे लंड को हिलाने लगी। मैंने उसकी साड़ी को उतार दिया और उसे अपनी बाहों में उठा लिया, उसे बेडरूम में ले गया, बिस्तर पर लिटा दिया, मैं पहले उसकी बगल में लेट गया और फिर उसके ऊपर चढ़ गया। मैंने अपने ओंठो से उसके होंठ बंद कर दिए और उसे चूमने लगा । इस बार उसने चुंबन में पूरा सहयोग किया और उसने मुझे शिद्दत के साथ वापस चूमा। उसने मेरा सर पकड़ा और जोर से अपनी और खींचा। उसने मेरी नग्न त्वचा को अपने बदन पर महसूस किया। अब हम दोनों ऊपर से नंगे थे।

उसने मुझे अपनी बाँहों में लपेट लिया और मेरी पीठ पर बेरहमी से हाथ फेरा तो उसके हाथो से मेरी पीठ पर खरोंच के निशान पड़ गए । मैं दर्द में चिल्लाया । यह खुशी से प्रेरित दर्द था। सीधी सादी लगने वाली आशा बिस्तर में एक शेरनी की तरह थी। वह मेरी गर्दन, मेरे निपल्स, मेरे पेट, मेरी नाभि को चूमते हुए और मेरा लिंग पर पहुँच कर उसे चूमने लगी । हम अब 69 की स्थिति में थे। मैंने उसके पेटीकोट को ऊपर उठाया और उसकी योनि को चुंबन करते हुए चाटना शुरू कर दिया। उसकी चूत से जोरदार रिसाव हो रहा था। उसकी शुरुआती झिझक और उलझन गायब हो गई। वह अपने प्रेमी को संतुष्ट करने की कला में एक विशेषज्ञ की तरह थी। जिस तरह से वह मुझसे प्यार कर रही थी, मुझे पता लग गया था कि उसे सेक्स की कला में महारत हासिल है। उसने मेरे लंड को और मेरे अंडकोष को इतने कलात्मक ढंग से चूसा कि मैं लगभग झड़ने वाला था ।

मैं अपने नए प्रेमिका पर एक छाप छोड़ना चाहता था और चाहता था मैं लम्बे समय तक टिकू। मैंने उसे रोका और उसका पेटीकोट निकाल दिया। उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थी। वो अब मेरे सामने नंगी खड़ी थी। वह एक अजीब मुद्रा में थोड़ा झुकी हुई खड़ी हो गयी थी शायद अपने यौनांगो को छिपाने की कोशिश कर रही थी । उसके हाथ आधे उठे हुए थे। वह अनिश्चित थी कि हाथों से उसे अपनी उसकी नग्नता को कवर करना उचित होगा या नहीं। इस प्रक्रिया में, वह सुंदर लग रही थी। अगर उसके पास कुछ ब्यूटी ट्रीटमेंट कराने के लिए पैसे होते हैं, तो वह उन महिलाओं की तुलना में अधिक सुंदर लगेगी जिनकी वह सेवा कर रही थी।

मैंने उसे अपनी बाहों में लिया और उससे पूछा, क्या उसका उसके पति के अलावा उसका कोई अन्य प्रेमी था। उसने मासूमियत से कहा नहीं।

उसने प्यार से मेरे लंड को हाथों में पकड़ लिया। मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में घुसा दी और जोर जोर उंगलिया अंदर बाहर करने लगा। उसके पैरों के बीच बहुत गीलापन था। मेरी उंगली के कारण वो झड़ने की कगार पर पहुँच गयी. तो वो ज़ोर से चिल्लाई आहह अब लंड डाल दो, अब और इंतज़ार नहीं होता, प्लीज जल्दी करो ना, प्लीज आहहह। अब में उसको ऊँगली से लगातार चोद रहा था और वो ज़ोर से मौन कर रही अब वो चाहती थी कि मैं उसे जल्दी से चोद दू । वो लेट गयी और मैं उसके ऊपर चढ़ गया। उसने मेरे लंड को अपने एक हाथ में पकड़ कर अपने छेद पर रखा। उसने मेरे लंड के अग्रभाग को अपनी चूत के होंठों पर रगड़ा और अपनी उँगलियों से अंदर धकेल दिया। मैं उभी उत्सुकता में उसके प्यार के छेद को टटोल रहा था। जैसे ही मेरा लंड सही जगह पर पहुंचा , मैंने उसे एक जोरदार धक्के के साथ अन्दर कर दिया। मेरा लंड उसके रस और मेरे प्री-कम से पूरी तरह से चिकना हो गया था और उसके छेद में आसानी से फिसल गया । और अब आधा अंदर था . उसने हाथ लगा कर देखा अभी आधा हीअंदर है तो वो मुझसे लिपट गयी.

आशा ने अपनी टाँगे मेरे चूतड़ों से और बाहें मेरे कंधे पर लपेट दी थीं और अपने नितम्बो को ऊपर कि ओर उठा दिया उसने अपने आपको मुझे सौंप दिया। मैं उसके ओंठ चूसने लगा वह भी मेरा साथ देने लेगी

मैंने पूरी ताकत के एक धका लगा दिया आशा की टांगो ने भी मेरे चूतड़ों की नीचे की और कस लिया ओह अम्मी आशा के मुह से निकला. उसके स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गया जैसे ही मेरा 8 इंची गर्म, आकार में बड़ा लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनी में घुस गया. अन्दर, और अन्दर वो चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वो पूरा 8 इंच अन्दर तक चला गया था. उसकी योनी मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी. उधर मेरे हिप्स भी कड़े होकर दवाब दे रहे थे और लिंग अन्दर जा चूका था . आशा भी दर्द के मारे कराहने लगी आहहहहह आएीी उउउउउइइइइइइ ओह्ह्ह्हह

मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. अनुपमा मुझे बेकरारी से चूमने चाटने लगी.

कुछ देर बाद मेरे लंड की लम्बाई के लिए उसकी चूत की मांपेशिया अभ्यस्त हो गयी और फिर इक मिनट रुकने के बाद मैंने धक्का लगाना शुरू किया.

उसे चोदना एक लम्बा अनुभव था। उसने मेरा साथ ऐसे दिया जैसे कि मैं उसका पुराना प्रेमी था। ऐसा लग रहा था जैसे वह अत्यधिक उत्तेजित हो गयी थी । मुझे नहीं पता था कि ये वास्तव में ऐसा था या वह मुझे खुश करने की कोशिश कर रही थी। मैंने उसे 20 मिनट से अधिक समय तक चोदा होगा, जब मैं झड़ने वाला था । मैंने जिज्ञासावश नीचे की और देखा। उसने कहा, "साहब मेरे अंदर हो छोड़ दो । मैं चाहती हूं कि आप मुझे गर्भवती करें। आपके लंबे कड़े लंड ने मुझे प्रसन्न किया है और मुझे संतुष्ट किया है कि मुझे लगता है जैसे मैं आज पहली बार चुदी हूं। आपके लंड ने अगर कोई रुकावटों थी तो उस सब को हटा दिया है.

मैंने भी लगभग एक महीने से सम्भोग नहीं किया था और मैंने अपना ढेर सारा लावा जो मैंने काफी दिनों से इकठा कर रखा था उसकी योनि में भर दिया । मेरे साथ साथ वो भी झड़ गयी. वो अपने गर्भाशय में पहुंचे मेरे वीर्य की गर्मी महसूस कर रही थी । थोड़ी देर बाद उसने मेरे नीचे से खुद को उठाया और मेरे गले में अपनी बाहें लपेटकर मुझे चूमा।

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दीपक कुमार



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#13
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

परिचय-उपहार

PART 4


आशा ने साधारण देशी बोली में कहा, धन्यवाद साहब । आपको लग सकता है कि आपने मुझे बहकाया या ललचाया । हालांकि, तथ्य यह है कि मैंने लंबे समय के बाद आज महसूस किया है, कि किसी ने एक महिला के रूप में मेरा सम्मान किया है। आपने मुझे वो प्यार और सम्मान दिया है, जो मेरे पति ने भी मुझे मेरी शादीशुदा जिंदगी में नहीं दिया है ।

आशा के इस सरल शैली में बयान से मैंने आशा के दर्द और प्यार को महसूस किया। मैं एक बार फिर उस पर चढ़ गया और उसके होठों पर चूमा । मैंने उसके पूरे शरीर को चूमा और कहा, "सिर्फ तुम ने ही नहीं मैंने भी खुद को सम्मानित महसूस किया है । आशा तुमने मुझे वो प्यार दिया है जो केवल एक अच्छी पत्नी देती है। इसके लिए मैं आपको धन्यवाद देता हूं । मैं जल्द ही आपकी बच्चे की अभिलाषा को पूरा कर दूंगा. मेरा अमोघ वीर्य जिसे मैंने काफी महीनो से इकठा कर के रखा है जल्द ही आपको संतान प्रदान करेगा और आप चिंता मत करना मैं आपका और अपनी संतान का पूरा भरण पोषण करूंगा। आशा ने इसका प्रति उत्तर मेरे ओंठो पर एक गहरे और लम्बे चुम्बन से दिया ।

उसके बाद तो चुदाई के दौर ही शुरू हो गया lउस रात में हम नव विवाहितो की तरह रात भर चुदाई करते रहे l एक के बाद एक चुदाई के दौर चलते रहे । बच्चो के स्कूल में छुट्टिया थी सो मेरे पड़ोसी मानवी और रूपाली परिवार सहित एक सप्ताह की आगामी छुट्टियों में मां के घर के लिए सुबह जल्दी रवाना हो गए हैं । मैंने और आशा ने उन सबको सुबह बिदा किया l

"ला कासा " अप्पार्टमेंट्स के बाकी सभी निवासी भी छुट्टियों पर या अपने किसी रिश्तेदार के यहाँ चले गए और चूंकि आशा का पति भी बहन के घर से छुट्टियों के दिनों से वापस नहीं आने वाला था और हमे परेशान करने वाला कोई नहीं था और लगभग एक सप्ताह तक हम दोनों ने एकांतवास में एक दुसरे के साथ का भरपूर आनंद लिया। हम पूरे सप्ताह के लिए घर में लगभग नग्न घूमते रहे और घर में लगभग हर जगह चुदाई और चुदाई ही करते रहे।

जब छुट्टियां खत्म होने वाली थी और उस दिन आशा का पति वापिस लौटने वाला था, इसलिए आशा अब अपने घर वापिस जाना चाहती थी तो मैंने जाने से पहले उसे एक बार फिर से चोदाl जिसके बाद उसने वो तोहफे में दी गयी साड़ी और गहने पैक कर वापस मुझे दे दिए और कहा कि साहब कृपया इन्हे आप अपने पास रखें । आप जानते हैं कि मैं इन्हें नहीं ले सकती। मैंने तब उसे कुछ पैसे देने चाहे जिसे उसने स्वीकार करने से इनकार कर दिया । इस पर मैंने पुछा क्या तुम्हारा कोई बैंक आकउंट है तो आशा ने कहा नहीं कोई नहीं है तो मैंने कहा "ठीक है मैं बैंक में आपके लिए एक खाता खोलने में मदद करूंगा जहां आप पैसे को अपने पति से सुरक्षित रख सकेंगी । फिर उसे एक अलमारी के चाबी देते हुए कहा आप इन वस्त्रों गहनों और पैसो को इस अलमारी में सुरक्षित रख सकती हैं ये अलमारी अब आपकी रहेगी । फिर मैंने कहा "आप को जब भी उसे किसी चीज की जरूरत हो तो मुझे बेजिझक बता सकती हैं । आपकी इच्छा पूरी करने में मुझे आनंद मिलेगा "।

वैसे तो वो अपने पति से दुखी थी पर फिर भी एक शादीशुदा नारी थी इसलिए बोली " क्या आप मेरे पति सोनू को नौकरी दिलाने में कोई मदद कर सकते हैं?: मैंने कहा जरूर और मैंनेआशा से पूछा कि सोनू क्या जानता है, क्या काम कर सकता है ? इस पर आशा ने कहा कि वह कार चला सकता है। वह एक अच्छा कुशल कार चालक हैl उसके पिछले मालिक सूरत से बाहर चले गए इसलिए अब उसके पास कोई नौकरी नहीं है इसीलिए वह पीने भी लग गया है और परेशान रहता है । मैंने कहा कि मेरे पास एक बड़ी मरेसिडीज़ कार है जो आज शाम तक पंजाब से यहां आ जाएगी और मुझे एक ड्राइवर चाहिए होगा। आप अपने पति सोनू को मेरे पास भेज दो। मैं उसे अपने ड्राइवर के रूप में और आपको एक पूर्णकालिक नौकरानी के रूप में रोजगार दे दूंगा और मेरे पास नौकर का कमरा भी है। जहां आप दोनों रह सकते हैं। इस तरह आप मेरे पास रह सकोगे और हमआसानी से मिल सकेंगे ।

आशा ने पुछा बच्चे के लिए आप मेरी जांच कब करोगे ? तो मैं बोला मुझे नहीं लगता है अब तुम्हारी जांच की कोई ख़ास जरूरत है। तुम्हारी जांच तो मैं और मेरा लंड अच्छी तरह से कर चुके हैं निश्चित तौर पर कुछ कमी तुम्हारे पति सोनू में ही है । इसके बाद मैंने आशा से उसके पीरियड्स के बारे में पूछताछ की। उसने आज कहा कि उसका 13 वां या 14वा दिन है तो मैंने आशा को कहा आज और अगले कुछ दिन अपने पति के साथ चुदाई जरूर कर लेना और मैंने अपने चमड़े का बैग खोल कर कुछ दवा आशा की दी और उसे बोला ये दवा सोनू के खाने में मिला कर दे देना ताकि वो उत्तेजित होकर तुम्हे आज जरूर चोदे ताकि अगर वह गर्भवती हो जाए तो उसका पति उस पर कोई शक न करे ।

उसी शाम मेरी कार पंजाब से मेरे पास आ गई और आशा का पति भी रात में वापस आ गया । आशा ने उस रात अपने पति सोनू को वह दवा खाने में डाल कर खिला दी जिसके बाद सोनू ने उसकी चुदाई कर डाली ।

अगली सुबह आशा और उसका पति सोनू मेरे पास आए और मैंने सोनू से कार चलवा कर उसका टेस्ट लिया और पाया वह एक कुशल ड्राइवर था और उसे महंगी मर्सेडीज़ कार के बारे में भी पर्याप्त जानकारी थी । मैंने उसे नौकर के कमरे की पेशकश करते हुए कहा कि मुझे काम के सिलसिले में कई बार मैं देर रात लौटना पड़ता है और आपको मेरे साथ रहने की जरूरत होगी और इससे उन्हें पैसे बचाने में भी मदद मिलेगी ।

आशा और सोनू किराए के घर में ही रहते थे इसलिए इस प्रस्ताव को अस्वीकार करना सोनू के लिए बहुत कठिन था । मैंने सोनू (आशा के पति) से पुछा क्या वो शराब पीता है तो उसने कहा साहब अब नहीं पीऊँगा । तो मैंने कहा वह कभी शराब न पीएं और शराब पी कर गाडी तो बिलकुल न गाड़ी चलाएं वरना उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना होगा । जिस पर सोनू ने कहा साहब अब उसके पास नौकरी है इसलिए वह शराब पीना बिलकुल बंद कर देगा। मैंने सोनू को सुंदर वेतन देने की पेशकश की । जो आशा के पति सोनू ने सहर्ष स्वीकार कर लिया और वे दोनों दोपहर में अपना सामान और कपड़े आदि ले आये और नौकर के कमरे में अपना सामान जमा लिया । फिर मैंने आशा को भी घर के पूरे कामकाज की जिम्मेदारी सौंप दी गयी और उसका उचित वेतन तय कर दिया गया जिसमे खाना बनाना भी शामिल था क्योंकि इससे पहले मैं भोजन होटल से ही मंगवा कर खा रहा था ।.

शाम तक दोनों पड़ोसी परिवार भी लौट आये और इतनी आलीशान कार देखकर खुश हो गए और मैं सब को कार में घुमाने ले गया और सबने कुछ मिठाइयां और आइसक्रीम का लुत्फ उठाया ।

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दीपक कुमार





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पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 1

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

उपहार

PART 5


उसी रात मैंने दोनों देवियों को बुलाकर उन्हें संबोधित करते हुए कहा, मानवी भाभी और रूपाली भाभी सुनो, " मैं अकेला इंसान हूं, लेकिन मैं 3 कमरों के बड़े फ्लैट का इस्तेमाल कर रहा हूं जबकि मुझे सिर्फ एक कमरे की जरूरत है जो मेरे लिए पर्याप्त है । मेरे लिए शाम को ऑफिस से आने के बाद समय गुजारना भी बहुत मुश्किल है। फिजिक्स, केमिस्ट्री, बायोलॉजी, मैथमेटिक्स और इंग्लिश सब्जेक्ट में मैं बहुत अच्छा हूं। इसलिए, मैं सुझाव देता हूं, आप दोनों अपने बच्चों को उनकी पढ़ाई के लिए शाम को मेरे फ्लैट में भेज दिया करे ।

मैं प्रत्येक बच्चे की होमवर्क करने में मदद कर दूंगा और यह करके मेरा समय भी पारित हो जाएगा । चूंकि आपके फ्लैट भीड़भाड़ वाले हैं, इसलिए बच्चों को एसी के साथ उनके फ्लैट में अच्छा अध्ययनशील माहौल मिलेगा और वे अपनी पढ़ाई में ज्यादा ध्यान देंगे। मनोरजन के लिए बच्चे थोड़े समय के लिए एलसीडी टीवी देख सकते थे । इसके अलावा, मेरा फ्लैट जब तक मैं कार्यालय में रहता हूँ पूरे दिन के लिए बंद ही रहता है उसलिए मेरे लौटने तक , आप दोनो भी दिन भर इस मंजिल में अकेलेी रहती है क्योंकि आपके बच्चे भी अपने अपने स्कूल या कॉलेज चले जाते हैं । आप दोनों बोरियत महसूस कर रहे होंगे, और बाहर का तापमान भी असहनीय है। अब आशा यहाँ दिन भर रहेगी फ्लैट की चाबी उसी के पास ही रहेगी ,तो, मेरा सुझाव है, दिन के दौरान आप सब एलसीडी टीवी एसी कमरे में आराम से देखते हुए अपने दैनिक सीरियल का आनंद लें ।

इसके बाद उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने आशा के पति सोनू को ड्राइवर के रूप में और आशा को उनकी अनुपस्थिति में पूर्णकालिक नौकरानी के रूप में नौकरी दी है । उन्होंने परिजनों से यह भी कहा कि मैं उन्हें अपना परिवार मानता हूँ और कार या घर और उसकी सभी सुख सुविधाओं का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं। और वे जहां भी जाना चाहते हैं, उन्हें सोनू कार में ले जाएंगे । और अब आगे से बच्चे भी कार से ही स्कूल जाएंगे । यह सुनकर बच्चे तो खुशी के साथ कूद पड़े।

दोनों महिलाएं अपनी किस्मत पर विश्वास नहीं कर सकीं और खुशी से राजी हो गईं।

इसी तरह कंपनी के सभी कर्मचारी अपने नए बॉस से काफी खुश थे। उन्होंने मेरे अंदर एक सच्चे नेता, एक सुहृदय सज्जन, सहायक, सहकारी, अच्छा प्रशासक, जानकार, और सबसे अच्छा गाइड पाया । प्रबंधक होने के नाते मैंने भी अपने कर्मचारियों को कुछ फायदे और स्वतंत्रताएं दी थीं, जिनसे वे पहले वंचित थे । मेरे अधीन ऑफिस की दूसरी अधिकारी नई लड़की कविता हमेशा कंपनी के सब मामलो में मेरी सलाह मांगती और मानती थी। मेरे इस रवैये के कारण कंपनी के कर्मचारी शाखा के डीलिंग में सुधार हुआ और कम्पनी के व्यावसायिक सम्बन्ध अधिक जीवंत हो गए, अच्छा माल उचित दाम पर मिलने लगा और जिसके कारण प्रधान कार्यालय भी सूरत शाखा से खुश था और सबको इंसेंटिव मिलने लगा ।

एक हफ्ते के बाद ही आशा को बड़ौदा में अपनी मां को देखने के लिए जाना पड़ा क्योंकि वह बीमार पड़ गई थी और फिर अपनी माँ की देखभाल के लिए आशा वही रुक गयी और कुछ महीने वही रुकने वाली थी । सोनू ने आशा के स्थान पर मेरे घर का पूरा ख्याल रखा इसलिए कोई प्रतिस्थापन नौकरानी की जरूरत मह्सूस नहीं की गई लेकिन मेरे लिए एक समस्या पैदा हो गयी सोनू भोजन बनने में पारंगत नहीं था तो मैंने रेस्तरां से खाना शुरू कर दिया और मैं जल्द ही मसालेदार खाद्य पदार्थों के कारण पेट से संबंधित समस्याओं का शिकार हो गया, और बीमार हो गया ।

इस समस्या को भांपते हुए दोनों महिलाओं ने एक दोपहर में आपस में मिल कर मेरी मदद करने का निश्चय किया । उन्होंने इसमें मेरी मदद के साथ साथ अपने लिए कुछ अतिरिक्त रुपये कमाने की योजना पर विस्तार से चर्चा की । उन्होंने अपनी आपस की प्रतिद्वंद्विता से समझौता किया । दोनों को मेरी इस समस्या से फायदा होने वाला था लेकिन वे दोनों और ज्यादा फायदा उठाना चाहती थी क्योंकि दोनों बहुत स्वार्थी और भौतिकवादी थी जबकि मैं सब समझते हुए भी उन्हें अपना परिवार ही मानता था और वे दोनों मुझ से ज्यादा से ज्यादा फायदा उठाना चाहती थी क्योंकि मेरे रहन सहन और व्यवहार से वो समझ गयी थी की मेरा फायदा उठाया जा सकता है ।

शाम को जब मैं ऑफिस से लौटा तो दोनों ने मुझसे संपर्क किया। मानवी बड़े होने के कारण कहने लगीं, काका, हम दोनों आपकी सेहत को लेकर काफी चिंतित हैं। इसलिए, अब से आप बाहर का भोजन नहीं लेंगे, हम आपको घर का बना भोजन परोसेंगे। एक महीने के लिए मैं आपको बिस्तर पर चाय प्रदान करने से लेकर जब आप सुबह में जाग जाएंगे और आप कार्यालय जाने से पहले नाश्ता प्रदान करूंगी , और आपको दोपहर के भोजन के लिए टिफ़िन पैक करूंगी । जब आप ऑफिस से लौटेंगे तो मैं आपको शाम की चाय और डिनर मुहैया करूंगी।रूपाली अगले महीने में भी यही काम करेंगी।

मैंने कहा मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है मैं इसे स्वीकार करते हूँ लेकिन इसके लिए आप दोनों को उचित खर्च का भुगतान लेना होगा । दोनों मन ही मन खुश हो गयी क्योंकि वो जानती थी मेरे द्वारा उन्हें उनकी उनकी उम्मीदों से कहीं ज्यादा पुरस्कृत किया जाएगा । तो दोनों थोड़ा ना नुकर का नाटक करते हुए मान गयी और मैं भी खुशी से इस प्रस्ताव पर सहमत हो गया ।


कहानी जारी रहेगी


दीपक कुमार


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#15
Bahut interested chal rahi story
Nice.....
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#16
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी- मेरी पड़ोसन

PART 1

सुबह- सुबह


शुरुआत में हर दिन सुबह सुबह मानवी डुप्लीकेट चाबी से मेरे फ्लैट को खोलती और मुझे बिस्तर पर एक कप हॉट मॉर्निंग चाय सर्व करती और मुझे अपनी मीठी और मधुर आवाज में गुड मॉर्निंग करके जगा देती ।

जब तक आशा मेरे साथ रही थी वो रोज सुबह डुप्लीकेट चाबी से मेरे फ्लैट को खोलती और बिस्तर पर मुझे चूमती और मुझे अपनी मीठी और मधुर आवाज में गुड मॉर्निंग करके जगा देती । मैं साधारणतया रात को लुंगी पहन कर ही सोता हूँ और कभी भी अंडरवियर पहन कर नहीं सोता .. आशा के चूमने से मेरा लंड जाग जाता था और फिर चाय से भी पहले मैं आशा के साथ लगभग रोज चुदाई का एक राउंड लगा लेता था . और उसके जाने के बाद भी वो रोज सुबह सुबह मेरे ख्वाबो में आती थी और मैं उसकी भरपूर चुदाई करता था.

एक दो दिन बाद मैंने मानवी भाभी को सुझाव दिया, " मानवी भाभी, मैं देख रहा हूं, आप दिन-ब-दिन वजन बढ़ा रही हैं, और मैं आप जैसी इतनी खूबसूरत महिला को मोटी महिला में तब्दील होते नहीं देखना चाहता । तो कल से, हम दोनों पार्क में एक साथ सुबह और शाम की सैर करेंगे ।

मानवी ने सहमति जताई और प्रसन्न हुई कि काका को उनके स्वास्थ्य और सौंदर्य की कितनी चिंता है।

रूपाली फिल्म के शौकीन थी , लेकिन सूरत में उनके पति के छोटे छोटे प्रवासो के दौरान उनके पति शायद ही किसी फिल्म थिएटर में उसके साथ गए होंगे ।मुझे जल्द ही इस बात की जानकारी हो गई। इसलिए हर वीकेंड में मैं रूपाली को शनिवार या रविवार को मूवी थिएटर में ले जाता और रूपाली की पसंद के अनुसार फिल्म देखते। रूपाली का चुनाव गुजराती या भोजपुरी फिल्मों और हिंदी फिल्मों से लेकर हॉलीवुड फिल्मों तक अलग-अलग था। बेशक, पूरा खर्च मैं ही वहन करता था ।

एक सुबह रूटीन से मानवी ने चाय के प्याले के साथ मेरे बेडरूम में प्रवेश किया। मैं अपनी पीठ के बल चित्त सो रहा था। सुबह के समय में, उस समय मेरे सपने में आशा मेरे साथ थी और मैं उसे घोड़ी बना कर चोद रहा था और नींद में मेरा लंड पूरी हद तक कठोर और खड़ा हुआ था जैसे की मैंने पहले भी लिखा है मैं अंडरवियर पहन कर नहीं सोता और मैंने हमेशा की तरह सिर्फ लुंगी (भारत में कमर के चारों ओर पहना जाने वाला पारंपरिक परिधान) पहना हुआ था और लंड अपने विशाल आकार के कारण लुंगी में से पूरा बाहर आ गया था । मानवी ने अपने जीवन में कभी 8 इंच का इतना बड़ा लंड नहीं देखा था । वह इस नजारे से पूरी तरह मंत्रमुग्ध हो गई थी । वह बहुत हैरान थी और सोचा कि उसके पति का मरियल सा लंड तो मेरे इस विशालकाय लंड के आधे आकार का ही होगा ।

इन दिनों , दो कारणों से मानवी और उसके पति के बीच सेक्स लगभग बंद ही था । ( जो की मानवी ने ही मुझे बाद में बताया था। ) सबसे पहले, उसके पति छह महीने में एक बार ही यात्रा कर सूरत आते थे , और वह सेक्स के लिए कोई पहल नहीं करेंते थे सम्भवता उम्र और थकान, सेक्स में अरुचि इसका कारण थे । दूसरा, भीड़भाड़ वाले फ्लैट में बेटे और बेटी के बढ़ने के साथ ही फ्री तरीके से सेक्स संभव नहीं था । इन कारणों से निश्चित तौर पर मानवी सेक्स की भूखी महिला थी ।

अचानक मेरे बड़े खड़े हुए लंड को देखकर मानवी को अपनी चूत के अंदर एक सनसनी सी महसूस हुई। उसने लंबे समय तक मेरा विशाल लंड की मन्त्रमुुग्ध हो कर देखा, लेकिन उसे जल्द ही होश आ गयाऔर उसने खुद को नियंत्रित किया, ।

उसने चाय का कप बिस्तर के पास रखा, और धीरे से पुकारा, "काका, उठो, सुबह हो गई है।"

उसके बाद वो तुरंत वहां से चली गई। मैं जाग गया और उन घटनाओं से अनभिज्ञ था जो मेरे कमरे में कुछ समय पहले हुई थीं। उस दिन मानवी इतनी गर्म कामुक हो गयी थी कि दोपहर के समय, जब कोई भी घर पर नहीं होता था, उसने रसोई से एक लम्बा बेंगन उठा कर उसे अपनी चूत के अंदर डाल लिया । उसने बैगन की कल्पना मेरे लंड के रूप में की और 10 मिनट तक हस्तमैथुन करती रही जब तक वो झड़ नहीं गयी ।

 

कहानी जारी रहेगी



दीपक कुमार


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#17
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी- मेरी पड़ोसन

PART 2

दीवानी 




उस दिन मानवी भाभी ने लंबे समय के बाद, हस्तमैथुन किया था और वह 3 बार झड़ गयी । उसे बहुत आराम मिला और उस दिन दोपहर में वो 2 घंटे तक गहरी नींद में सोती रही। शाम की सैर के दौरान, जब वह मेरे साथ पार्क की बेंच में बैठी , और उसका शरीर मेरे साथ लगा तो उसे अपने शरीर के अंदर गर्मी महसूस हुई ।

अगले दिन भी मानवी ने मेरा लंड देखा और एक दो दिन में ही ये अब मानवी भाभी के लिए हर सुबह की आदत बन गयी कि वह हर रोज सुबह सुबह मेरा पूरा सीधा और सख्त लंड देख ले, यहाँ तक के वो मेरे लंड की दीवानी हो गई थी। लेकिन मेरी लुंगी की स्थिति और नींद में मेरे लेटने की स्थिति और मेरे लंड की स्तिथि हमेशा समान नहीं होती थी , कभी-कभी लंड लुंगी के अंदर ही होता था और वह लुंगी के अंदर विशाल लंड की रूपरेखा देखती, और किसी दिन, मेरा लंड उसे आंशिक रूप से दीखता था । और किसी दिन वो पूरा बाहर खाद हुआ होता था दिन पर दिन लंड को ऐसे देखने से वह मेरे लंड की दीवानी हो गई।

एक सुबह लंड खड़ा हुआ लुंगी के बाहर था और फिर मानवी खुद को रोक नहीं सकी।

और वह हिम्मत कर के देखने से कुछ आगे करने के लिए तैयार हो गई। वह जानती था कि सुबह के इस घंटे में, मैं गहरी नींद में था क्योंकि मैं हल्की आवाज में खर्राटे ले रहा था।

वह धीरे से मेरे बिस्तर के पास पहुंची और धीरे से लुंगी को इस तरह हटाया के पूरा लंड दिखने लगा अपने हाथ से उसने मेरी बालों वाली जांघ की छुआ। मुझे बेडरूम में नग्न देखकर उसके बदन में उत्तेजना बढ़ गयी । उसने तब धीरे-धीरे अपना हाथ मेरे जांघो पर तब तक घुमाया, जब तक कि उसका हाथ मेरे लंड और अंडकोषों को छूने नहीं लगा। बहुत धीरे-धीरे, उसने अपना हाथ तब तक ऊपर किया, जब तक कि मेरे सीधे खड़े लंड को उसने अपने हाथ में लेकर पकड़ न लिया ।

उसने हाथ ऊपर नीचे करना शुरू किया, कभी इतना धीरे-धीरे, तो कभी उसे स्ट्रोक करने के लिए और ऐसा करते हुए वो मेरे लंड को ही देखती रही । मैंने बिल्कुल कोई भी हलचल नहीं की क्योंकि उस समय मैं गहरी नींद में आशा की चुदाई का सपना ले रहा था और मेरा नींद में नियमित सांस लेना जारी था। मानवी ने अपनी हाथों को मेरे लौड़े पर चलाना शुरू कर दीया । उसे डर भी लग रहा था कि वह मुझे जगा देगी क्योंकि उसका हाथ उत्तेजना और घबराहट से बहुत हिल रहा था। थोड़ी देर तक मेरे लंड को रगड़ने के बाद, उसे और हिम्मत मिली और उसने सोचा कि वह मेरे लंड के और करीब आ कर उसे महसूस करेगी और थोड़ा करीब आ गयी ।

मुझे धीरे से सहलाते हुए, उसने मेरे लंड के सिर पर तब तक हाथ फेरा जब तक मेरा लंड मेरे पेट पर पूरी तरह से टिक नहीं गया ,वो अपना मुँह मेरे लंड के चार इंच करीब तक ले आयी और फिर मैंने नींद में अपने कूल्हों को ऊपर उछाला तो मेरा लंड उसकी आँख के ठीक नीचे, उसके गाल को छू रहा था

वो घबरा गयी पर उसने देखा मैं अ्भी भी नींद में ही था तो उसने लंड को फिर से पकड़ा और उसका हाथ मेरी बड़ी बड़ी गेंदों को सहला रहा था।

उसका मुँह खिड़की की और था और उसकी खुली आँखे मेरे लंड पर केंद्रित थी, इसलिए उसकी आँखें खुली थीं, और खिड़कियों से परदे हेट हुए थे और कमरे में सुबह की हल्की रोशनी थी, जिसमे वह मेरे उभरे हुए विशाल खड़े हुए कठोर लंड और विशाल गेंदों को देख रही थी ।

मैं स्पष्ट रूप से गहरी नींद में था, इसलिए वह मेरे लंड के साथ वहां खेल रही थी। वह अपने गाल के से टच हो रहे लंड की गरमी और चिकनाहट को महसूस कर रही थी, वह कैद थी।

तभी मानवी ने मेरे लंड को हाथ में लिया फिर वो नीचे पहुँची और अपना मुँह खोल दिया। और अपने होंठों से दबा लिया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि वह मेरे लंड को अपनी जीभ से चख रही है। मैं नींद में सपने में अपने लंड को आशा की गहरी चूत में आगे-पीछे करते हुए अपने लंड को दबा रहा था । जबकि असलियत में लंड मानवी के मुँह में था

मेरे लंड को मुँह में भरते समय इस तरह की हरकत करने के डर से, और पकड़े जाने के डर से उसे जो उत्तेजना महसूस हुई, उससे वह बेकाबू होकर कांप रही थी।

उसने मेरे लंड के आधे हिस्से को मुँह में भर लिया और उसने लंड मुंह से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया, थोड़ी देर के बाद, मेरे लंड ने लावा उसके मुँह पर उगल दिया और वो उसके मुँह चेरे पर फ़ैल गया , मानवी को मेरे वीर्य का स्वाद थोड़ा लगा और वो सब चाट कर वहां से चुपचाप खिसक गयी और मेरे वीर्य का स्वाद उसको अप्रिय नहीं लगा

अगले 2-3 दिनों तक उसने वही प्रक्रिया दोहराई और सोते हुए मेरा लंड चूसा

2-3 दिनों के बाद, मैंने महसूस किया कि मुझे पिछली कुछ सुबह के घंटे में लगातार कई दिन आईएस सपना आया जिसमे मैं स्खलित हो गया था । मुझे शक हुआ कि कुछ गड़बड़ चल रही है।


कहानी जारी रहेगी



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आप सभी को एवं आपके समस्त परिवार को  प्रकाश पर्व दिपावली  कि हार्दिक शुभकामनाएं...
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#19
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 2

 
एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

मानवी- मेरी पड़ोसन

PART 3

सोनू के लिए बड़े दिनों में ख़ुशी का दिन आया


जब मैंने सोनू और आशा को नौकरी पर रखा था तो उन्हें मैंने मोबाइल और सिम कार्ड खरीद कर दिए ताकि जब भी मुझे उनकी आवश्यकता हो मैं उनसे संपर्क कर सकूं।

गुरूवार की शाम सोनू बहुत प्रसन्नचित मूड में मेरे पास आया और मुझसे 2 दिनों के लिए छुट्टी मांगी। वह अपनी पत्नी आशा को देखने बड़ौदा जाना चाहता था। मैंने उससे पूछा कि आशा और उसकी माँ कैसी हैं? सोनू ने सूचित किया कि अब आशा की देखभाल के कारण उनकी सास बेहतर हैं। और फिर शरमाते हुए सोनू ने मेरे पैर को छुआ, मिठाई का डिब्बा निकाला और बताया कि आशा की मां ने उसे फोन किया है और उसे बताया है कि आशा एक महीने की गर्भवती है और वह जल्द ही पिता बन जाएगा।

मैं भी इस खबर को सुनकर बहुत खुश हुआ लेकिन उस पल में मैंने अपनी खुशी छिपा ली। मैंने सोनू को बधाई दी और सोनू को कुछ पैसे दिए और उसे मिठाई लाने को कहा जो मैं मानवी और रूपाली के परिवार को देना चाहता था क्योंकि मुझसे आशा को बच्चा होने वाला था। मैं इतना खुश था कि मैं गाना और नृत्य करना चाहता था . मैं अपनी ख़ुशी सबसे बांटना चाहता था पर मैंने किसी तरह खुद को नियंत्रित किया।

जब सोनू मिठाई लेकर आया, तो मैंने सोनू को पूजा करने के लिए एक स्थानीय मंदिर में जाने के लिए कहा और भगवान को उसे पिता बनाने के लिए धन्यवाद देने को कहा और फिर मंदिर से वापिस आने पर सोनू को रूपाली और मानवी को मिठाई देकर उनका आशीर्वाद लेने को कहा ।

फिर मैंने सोमू को कुछ पैसे दिए और उससे कहा कि आशा के लिए कपड़े और उपहार लाए और उसे उसकी वांछित छुट्टी दे दी।

मैंने सोनू को आशा को जल्द से जल्द वापस सूरत लाने के लिए भी कहा ताकि उसकी गर्भावस्था में नियमित मेडिकल जाँच हो सके। सोनू ने कहा कि वह अपनी गर्भावस्था के दौरान आशा की देखभाल के लिए अपनी सास से सूरत आने का अनुरोध करेगा । मैं भी आशा से मिलने और बधाई देने के लिए काफी उत्सुक था।

जब हम बात कर रहे थे तो आशा ने सोनू को उसके मोबाइल पर फोन किया और सोनू ने मुझे मोबाइल दिया ताकि मैं उसे बधाई दे सकूं। मैंने उसे बधाई दी तो आशा बोली ये आपका ही आशीर्वाद है जिससे वो माँ बनने वाली है . मैंने उसे कहा कि वह खुद की देखभाल करे और नियमित रूप से चिकित्सा जांच करवाए। मैं उस पल बहुत खुश थी और आशा और सोनू भी बहुत खुस थेl

मंदिर से आने के बाद जब सोनू मानवी और रुपाली भाभी को मिठाई देने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए उनके पास गया और उन्हें खुशखबरी सुनाई तो वे भी उसके लिए बहुत खुश हुई और फिर सोनू ने उन्हें बताया कि वह आशा से मिलने बड़ौदा जा रहा है और मैंने 2-3. उसे छुट्टी दे दी है । रूपाली उसकी बेटियों, मानवी और उसके बच्चे राजन और चंदा भी अपने एक पुराने दोस्त और उनके परिवार जो कभी इन अपार्टमेंट में रहते थे से मिलने बरोदा जाना चाहते थे l

दोनों मेरे पास आयी और बोली वो भी सोनू के साथ बरोदा अपने मिटो से मिलने जान चाहती हैं लेकिन इसमें मुद्दा यह था कि उनकी अनुपस्थिति में मेरे खाने का ख्याल कौन रखेगा चूँकि उस दौरान मानबी भाभी की बारी थी मेरी और मेरे घर की देखरेख करने की तो उसने रुकने का फैसला किया । मैंने कहा आप मेरी कार ले कर चले जाओ और सोनू को कार ले जाने की इजाजत दे दी ।

मैंने सोनू को जाने से अफ्ले एक बार फिर सख्त हिदायत दी के वो ख़ुशी मेंशराब न पिए और न ही शराब पीकर गाडी चलाये तो सोनू बोला उसने जिस दिन से मुझ से मिला है तब से शराब को हाथ नहीं लगाया है और अब कभी नहीं पियेगा और अपने होने वाले बच्चे की कसम खाने लगा l

तो मैंने कहा कार ठीक से चलाना अब तुम परिवार वाले हो गए हो तुम्हारी जिम्मेदारी बढ़ने वाली है।

उसके बाद सोनू रूपाली और बच्चों के साथ उसी शाम कार से बड़ौदा के लिए रवाना हो गया ।


कहानी जारी रहेगी


दीपक कुमार


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#20
Bro please update you are best
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