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अंतरंग हमसफ़र
#1
अंतरंग हमसफ़र

अंतरंग हमसफ़र  मेरे दोस्त,  दीपक कुमार की कहानी है . हम दोनों अपनी लंदन में पढ़ाई के दौरान मिले थे और फिर हमारी  गहरी दोस्ती हो गयी  और हम दोनों का आपस में कुछ भी छुपा हुआ नहीं है।

हम कब और कैसे और कहाँ  और किन हालात  में मिले ये सब आप इस कहानी में आगे पढोगे।

दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी  से शुरू होती  हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, उसकी कहानी उसी की जुबानी।


आमिर खान  हैदराबाद



परिचय

दोस्तों मैं दीपक कुमार, मेरे अंतरंग हमसफर मेरी सबसे पहली कहानी हैl आप इसे काफी कामुक पाएंगे और आपको पढ़ कर मजा भी आएगा l

मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता थाl

आपका

दीपक कुमार





मेरे अंतरंग हमसफ़र

INDEX

प्रथम अध्याय

सेक्स से मेरा परिचय और पहला सम्भोग

भाग 1 - सेक्स से मेरा परिचय
भाग 2 - पहली हमसफ़र - शारीरक सुखो से मेरा पहला परिचय
भाग 3पहले सम्भोग की कहानी.
भाग 4 - पहली हमसफर के साथ मानसिक सेक्स
भाग 5 - रूबी के साथ सेक्स, उसके बाद समूह सेक्स-
भाग 6 - टीना के साथ सेक्स-
भाग 7 - साथियो की अदला बदली.


द्वितीय अध्याय

भाग 1- परिवार से मेलजोल

भाग 2 -फूफेरी बहन से प्रेम का इजहार
भाग 3- जेन, रूबी और रोजी से प्रेम
भाग 4रूबी और रोजी
भाग 5-रूबी और रोजी 
भाग 6- जेन
भाग 7- जेन के साथ मुखमैथुन और सेक्स
भाग 8- जेन के साथ सेक्स
भाग 9- अलका
भाग 10- अलका की पहली चुदाई
भाग 11- फूफेरी बहन अलका के साथ चुंबन
भाग 12-अलका के साथ सम्भोग से पहले चाटना चूमना.

अंतरंग हमसफ़र 



INDEX




अंतरंग हमसफ़र भाग 001 अंतरंग जीवन की पहली हमसफ़र रोज़ी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 002 पहली हमसफ़र - शारीरक सुखो से मेरा पहला परिचय.

अंतरंग हमसफ़र भाग 003 अंतरंग जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 004 अंतरंग जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ मानसिक सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 005 रूबी के साथ संसर्ग, उसके बाद समूह सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 006 टीना एक नयी कुंवारी युवती के साथ तालाब में पहला संसर्ग.

अंतरंग हमसफ़र भाग 007 साथियो की अदला बदली.

अंतरंग हमसफ़र भाग 008 सुन्दर युवती से मुलाकात.

अंतरंग हमसफ़र भाग 009 फूफेरी बहन से प्रेम का इजहार.

अंतरंग हमसफ़र भाग 010 रूबी और रोजी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 011 रूबी और रोजी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 012 रोजी, रूबी के साथ सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 013 जेन के साथ सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 014 जेन के साथ मुखमैथुन और सेक्स.

अंतरंग हमसफ़र भाग 015 जेन के साथ सेक्स

अंतरंग हमसफ़र भाग 016 अलका की पहली चुदाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 017 अलका की पहली चुदाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 018 दूसरी फूफेरी बहन के साथ सम्भोग.

अंतरंग हमसफ़र भाग 019 फूफेरी बहन के साथ सम्भोग से पहले चाटना चूमना.

अंतरंग हमसफ़र भाग 020 कुंवारी फूफेरी बहन की धुआंधार चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 021 कमसिन फूफेरी बहनो की धुआंधार चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 022 नयी लड़किया और तालाब पर छुप कर मस्तियो के नज़ारे.

अंतरंग हमसफ़र भाग 023 लड़कियों की तालाब पर मस्ती के मादक कामुक नज़ारे.

अंतरंग हमसफ़र भाग 024 तुम ने पुकारा और हम चले आये- लड़कियों के साथ तालाब पर मस्ती.

अंतरंग हमसफ़र भाग 025 नग्न सामूहिक कामुक खेल और मुख मैथुन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 026 सौतेली बहने.

अंतरंग हमसफ़र भाग 027 सौत बनी साथी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 028 बॉब की रुखसाना के लिए बेकरारी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 029 सेक्स का आरंभिक ज्ञान.

अंतरंग हमसफ़र भाग 030 चुदाई के नज़ारे.

अंतरंग हमसफ़र भाग 031 प्यार का असली सबक

अंतरंग हमसफ़र भाग 032 कजिन के सहेली के साथ मेरे फूफेरे भाई की आशिक़ी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 033 रुखसाना की पहली चुदाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 034 रुखसाना की चुदाई की कहानी जारी है

अंतरंग हमसफ़र भाग 035 हुमा की पहली चुदाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 036 दुल्हन की लाल रंग की पोशाक में खूबसूरत हुमा.

अंतरंग हमसफ़र भाग 037 चुदाई से पहले की चूमा चाटी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 038 चिकनी संकरी और छोटी से चूत वाली हुमा की पहली चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 039 हुमा की पहली चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 040 हुमा की आनंदभरी चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 041 हुमा के साथ मस्तिया जारी हैं.

अंतरंग हमसफ़र भाग 042 हुमा बहुत नाराज हो गयी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 043 सेक्सी मेजबान की टांग में क्रैम्प.

अंतरंग हमसफ़र भाग 044 सेक्सी मेजबान के साथ पहली बार संसर्ग.

अंतरंग हमसफ़र भाग 045 मेजबान के साथ संसर्ग.

अंतरंग हमसफ़र भाग 046 लिली की योनि में मेरे लंड का प्रथम प्रवेश.

अंतरंग हमसफ़र भाग 047 लिली ने सम्भोग का नया तरीका सिखाया.

अंतरंग हमसफ़र भाग 048 सरप्राइज़.

अंतरंग हमसफ़र भाग 049 सोई हुई परम् सुंदरी

अंतरंग हमसफ़र भाग 050 परम् सुंदरी का प्रभाव.

अंतरंग हमसफ़र भाग 051 वूमेन ऑन टॉप.

अंतरंग हमसफ़र भाग 052 नकली गुस्सा असली प्यार.

अंतरंग हमसफ़र भाग 053 भाग्यशाली.

अंतरंग हमसफ़र भाग 054 लिली की बहन मिली से पहली मुलाकात और आलिंगन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 055 चलती कार में चुदाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 056 सामने चुदाई करते हुए देखना.

अंतरंग हमसफ़र भाग 057 तीन गर्म बहनो की चुदाई का क्रम.

अंतरंग हमसफ़र भाग 058 तीन गर्म बहनो की चुदाई का क्रम.

अंतरंग हमसफ़र भाग 059 मिली का सौंदर्य अवलोकन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 060 मिली की सहायिका सपना की ख़ूबसूरती.

अंतरंग हमसफ़र भाग 061 सपना के नग्न सौंदर्य का निरीक्षण कर उसे सराहा.

अंतरंग हमसफ़र भाग 062 हुमा का निरिक्षण.

अंतरंग हमसफ़र भाग 063 हुमा को सजा.

अंतरंग हमसफ़र भाग 064 मिली निकली उस्ताद.

अंतरंग हमसफ़र भाग 065 मिली ने दिया पहला सेक्स ज्ञान.

अंतरंग हमसफ़र भाग 066 लिली के साथ मजे.

अंतरंग हमसफ़र भाग 067 लिली ने की लंड चुसाई.

अंतरंग हमसफ़र भाग 068 घट कंचुकी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 069 एमी और तीनो कुंवारी लड़कियों ने पहली बार चुदाई साक्षात देखी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 070 हुमा ने की लंड चटाई

अंतरंग हमसफ़र भाग 071 अगले सत्र की तयारी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 072 मैं तरोताजा महसूस कर रहा था.

अंतरंग हमसफ़र भाग 073 ज्यादातर पशु किस आसन में सेक्स करते हैं.

अंतरंग हमसफ़र भाग 074 चॉकलेट खाने का सही तरीका.

अंतरंग हमसफ़र भाग 075 मिली खुद चुदी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 076 चकाचक माल की दावत.

अंतरंग हमसफ़र भाग 077 सपना का कौमार्य भंग

अंतरंग हमसफ़र भाग 078 पहली चुदाई के बाद का दुलार.

अंतरंग हमसफ़र भाग 079 सपना चुपके से मेरे कमरे में मेरे पास आयी और मेरे से लिपट गयी.

अंतरंग हमसफ़र भाग 080 वीसा साक्षात्कार

अंतरंग हमसफ़र भाग 081 पहली डेट

अंतरंग हमसफ़र भाग 082 सूर्यास्त

अंतरंग हमसफ़र भाग 083 चाँद की धीमी रोशनी, नदी में नाव में हम

अंतरंग हमसफ़र भाग 084 मुखमैथुन के नए पाठ

अंतरंग हमसफ़र भाग 085 कुंवारी योनि का दुर्लभ अवलोकन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 086 कौमार्य भंग

अंतरंग हमसफ़र भाग 087 दोबारा करेंगे तो बेहतर लगेगा

अंतरंग हमसफ़र भाग 088 मैं पूरी कोशिश करूँगा

अंतरंग हमसफ़र भाग 089 लंदन की हवाई यात्रा-1

अंतरंग हमसफ़र भाग 090 जहाज के सफर में मनोरंजन

अंतरंग हमसफ़र भाग 091 हवाई यात्रा में छोटा ब्रेक

अंतरंग हमसफ़र भाग 092 एयरलाइंस की वो परिचारिका

अंतरंग हमसफ़र भाग 093 एयरलाइंस परिचारिका के साथ कार में

अंतरंग हमसफ़र भाग 094 एयरलाइंस परिचारिका के साथ कार में

अंतरंग हमसफ़र भाग 095 एयरलाइंस परिचारिका का पहला अनुभव

अंतरंग हमसफ़र भाग 096 नायाब एयरलाइंस परिचारिका

अंतरंग हमसफ़र भाग 097 आगे का सफर नए साथी के साथ

अंतरंग हमसफ़र भाग 098 नए साथी के साथ खेल

अंतरंग हमसफ़र भाग 099 हवाई यात्रा मे हस्तमैथुन

अंतरंग हमसफ़र भाग 100 इन-फ्लाइट मनोरंजन

अंतरंग हमसफ़र भाग 101 लंदन में पढ़ाई और मस्तियो की शुरुआत

अंतरंग हमसफ़र भाग 102 लंदन का ख़ास पैराडाइस मनोरजन क्लब

अंतरंग हमसफ़र भाग 103 साथी का चयन

अंतरंग हमसफ़र भाग 104 भोजन, संगीत और प्रेम का इजहार

अंतरंग हमसफ़र भाग 105 प्रेम और मस्तिया

अंतरंग हमसफ़र भाग 106 प्रेम आलिंगन और नृत्य

अंतरंग हमसफ़र भाग 107 सार्वजानिक और खुले तौर पर सम्भोग

अंतरंग हमसफ़र भाग 108 चुदाई के दौरान बिस्तर ने हवा उछाल दिया

अंतरंग हमसफ़र भाग 109 बिस्तर में लगे ताकतवार स्प्रिंगों का स्प्रिंगिंग एक्शन

अंतरंग हमसफ़र भाग 110 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया कामुकता और ऐयाशी

अंतरंग हमसफ़र भाग 111 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया सामूहिक ऐयाशी

अंतरंग हमसफ़र भाग 112 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया, नफीसा का स्वागत

अंतरंग हमसफ़र भाग 113 सुंदरता, सेक्स की देवी की पुजारिन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 114 सेक्स की देवी की पुजारिन.

अंतरंग हमसफ़र भाग 115 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया, पुजारिन के ख़ुशी के आंसू!

अंतरंग हमसफ़र भाग 116 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया नियंत्रण

अंतरंग हमसफ़र भाग 117 सुंदर और अध्भुत सम्भोग का आनंद

अंतरंग हमसफ़र भाग 118 अध्भुत सम्भोग का आनंद और शक्ति का संचार.

अंतरंग हमसफ़र भाग 119 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया अरबपति की ट्रॉफी पत्नी

अंतरंग हमसफ़र भाग 120 लंदन में मस्तिया टिटियन प्रकार की लड़की

अंतरंग हमसफ़र भाग 121 लड़की या कोई हूर परी!

अंतरंग हमसफ़र भाग 122 चार प्रेमिकाओ के साथ सामूहिक सम्भोग

अंतरंग हमसफ़र भाग 123 लंदन में पढ़ाई और मस्तिया कामुक पागलपन .

अंतरंग हमसफ़र भाग 124 कामुक ख्याल

अंतरंग हमसफ़र भाग 125 लंदन में मस्तिया कामुक दृश्यम

अंतरंग हमसफ़र भाग 126 लंदन में मस्तिया और उस रात का आखिरी पहर

अंतरंग हमसफ़र भाग 127 सुबह-सुबह टहलना-कुछ-बहुत कुछ

अंतरंग हमसफ़र भाग 128 सुबह-सुबह-बहुत कुछ

अंतरंग हमसफ़र भाग 129 समारोह की प्रक्रिया

अंतरंग हमसफ़र भाग 130 सेक्स और सुंदरता की उपासक पुजारिने

अंतरंग हमसफ़र भाग 131 मैं ही क्योे?

अंतरंग हमसफ़र भाग 132 काफिला

अंतरंग हमसफ़र भाग 133 पुजारिन के उद्धारकर्ता की जय

अंतरंग हमसफ़र भाग 134 प्यार का मंदिर प्रेम भरी प्राथना

अंतरंग हमसफ़र भाग 135 स्नानागार

अंतरंग हमसफ़र भाग 136 शुद्धिकरण स्नान

अंतरंग हमसफ़र भाग 137 ऐयाशी - जब रात हैं ऐसी मतवाली तो फिर सुबह का आलम क्या होगा!

अंतरंग हमसफ़र भाग 138 जनाना स्नान्नगार

अंतरंग हमसफ़र भाग 139 प्यार की देवी

अंतरंग हमसफ़र भाग 140 स्नान और सम्भोग

अंतरंग हमसफ़र भाग 141 सफाई और स्नान

अंतरंग हमसफ़र भाग 142 विशेष समारोह आरंभ

अंतरंग हमसफ़र भाग 143 विशेष समारोह शुद्धिकरण दुग्ध स्नान

अंतरंग हमसफ़र भाग 144 विशेष समारोह - दुग्ध स्नान

अंतरंग हमसफ़र भाग 145 विशेष समारोह-प्रारम्भकर्ता या माध्यम, पहलकर्ता

अंतरंग हमसफ़र भाग 146 विशेष समारोह की मालिशकर्ता

अंतरंग हमसफ़र भाग 147 विशेष समारोह महायाजक

अंतरंग हमसफ़र भाग 148 महायाजक द्वारा सशक्तिकरण

अंतरंग हमसफ़र भाग 149 पुजारिणो द्वारा सशक्तिकरण

अंतरंग हमसफ़र भाग 150 सशक्तिकरण

अंतरंग हमसफ़र भाग 151 दावत कक्ष

अंतरंग हमसफ़र भाग 152 मार्टिनी ग्लास में नर्तकी अंतरंग हमसफ़र भाग 153 दावत - 13. मुख्य व्यंजन - 1. जूस, 2 फल. 3 स्नैक्स 4. सूप

अंतरंग हमसफ़र भाग 154 दावत - 13. मुख्य व्यंजन - 5. ऐपेटाइज़र, 6. सलाद

अंतरंग हमसफ़र भाग 155 दावत - 13. मुख्य व्यंजन 6- सलाद

अंतरंग हमसफ़र भाग 156 दावत - 13. 7 - तालू की सफाई के लिए वाइन. स्तन निरीक्षण

अंतरंग हमसफ़र भाग 157 दावत - 13. 8 मुख्य व्यंजन


अंतरंग हमसफ़र भाग 158 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 8- मुख्य व्यंजन

अंतरंग हमसफ़र भाग 159 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 9 शैंपेन से मुख शुद्धि -

अंतरंग हमसफ़र भाग 160 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 10 अगली मुख्य डिश

अंतरंग हमसफ़र भाग 161 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 10- एक बार फिर

अंतरंग हमसफ़र भाग 162 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 -मजेदार आनद का अनुभव

अंतरंग हमसफ़र भाग 163 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 - सामूहिक आनद का अनुभव

अंतरंग हमसफ़र भाग 164 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन 11 - मजेदार अनुभव

अंतरंग हमसफ़र भाग 165 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मजेदार मीठा

अंतरंग हमसफ़र भाग 166 असुविधा को दूर करने का प्रयास

अंतरंग हमसफ़र भाग 167 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मीठा त्यार है

अंतरंग हमसफ़र भाग 168 दावत - 13 प्रकार के मुख्य व्यंजन -12- मीठा परोस दिया है

अंतरंग हमसफ़र भाग 169 मालिश

अंतरंग हमसफ़र भाग 170 सैंडविच मालिश

अंतरंग हमसफ़र भाग 171 जुड़वाँ बहनो के साथ मालिश और सम्भोग

                                             अंतरंग हमसफ़र भाग 172 बेकरार महायाजक




 
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#2
मेरे अंतरंग हमसफ़र

प्रथम अध्याय

सेक्स से मेरा परिचय और पहला सम्भोग

भाग 1

सेक्स से मेरा परिचय

दीपक कुमार के जीवन की पहली हमसफर रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी हैंl कहानी में उसके सुन्दर सेक्स जीवन का एक विवरण पेश करने की कोशिश की गयी हैंl पढ़िए, मेरी  कहानी ।


दोस्तों  मेरे अंतरंग हमसफर मेरी सबसे पहली कहानी है और इसके पहल्रे तीन भाग आप पढ़ सकते हैं "अंतरंग हमसफर" के नाम से जो मेरे कॉलेज के दोस्त आमिर ने पोस्ट किये हैं .  जिन्होंने पहले तीन भाग नहीं पढ़े है  उनके लाइट दुबारा यहाँ डाल रहा हूँ .

आगे के कहानी के सभी भाग आपको इस फोरम पर मिलेंगे और मेरी कोशिश  है आप इसे काफी कामुक पाएंगे और आपको पढ़ कर मजा भी आएगा  और  इसके नियमित नए अपडेट आएंगे

दोस्तों मैं दीपक कुमार, मैं अठारह साल की उम्र तक पढ़ाई में ही डूबा रहाl मैं हमेशा पढ़ने लिखने में होशियार, एक मेधावी छात्र थाl उस समय तक पढाई में ही डूबे रहने के कारण मेरे कोई ख़ास दोस्त भी नहीं थे और मैं स्कूल में भी अपने अध्यापकों के ही साथ अपनी पढ़ाई में ही लगा रहता थाl


मैं अपने माँ बाप की एकलौती संतान हूँl अठारह साल की उम्र तक मेरी देखभाल करने वाले भी पुरुष नौकर ही थेl हालाँकि, मेरे पिताजी की एक से अधिक पत्निया रही है और मेरी कुछ सौतेली बहने भी हैं, पर मुझे हमेशा उनसे दूर ही रखा गया थाl यहाँ तक की मेरी अपनी माँ के अतिरिक्त किसी महिला से कोई ख़ास बातचीत भी नहीं होती थीl
मेरा स्कूल भी सिर्फ लड़कों का ही था जिसमे कोई महिला टीचर भी नहीं थीl मुझे कभी भी लड़कियों की संगत करने की अनुमति नहीं थी, गर्लफ्रेंड तो बहुत दूर की कौड़ी थीl

स्कूल ख़त्म करने के बाद और फाइनल पेपर देने के बाद, मैं अपनी उपरोक्त परवरिश और स्वभाव के कारण, मैं अपने जीवन की नीरस दिनचर्या से बहुत विचलित हो गया थाl मुझे यक़ीन होने लगा था कि इस तरह मैं अधिक समय तक जीवित नहीं रह सकताl मुझे दिनचर्या में बदलाव की बहुत सख्त ज़रूरत महसूस हो रही थीl

जब मेरे सब पेपर ख़त्म हो गए तो मैंने अपनी सभी किताबों को एक कोने में रख कर, अपने पहली मंजिल पर स्तिथ अपने कमरे से निकल कर, घर से बाहर घूमने जाने के लिए फटाफट नीचे उतरा, तो दरवाजे पर मुझे मेरे पिता जी मिल गएl

उनके साथ मेरे फूफा रोज़र अपने दो बेटों, रोबोट (बॉब) और टॉम मिलेl दोनों मेरी ही उम्र के थेl उन्हें आया देख, मैं बहुत खुश हुआl मुझे लगा अब इनके साथ मैं अपनी दिनचर्या को बदल कर, खूब खेलूंगा, मस्ती करूंगा. और अपनी बोरियत दूर कर सकूंगाl


[Image: b1a.jpg]


उसी दिन, मेरे पिता ने मुझे बताया कि वह और मेरी माँ वह कुछ दिन के लिए कुछ जरूरी काम के सिलसिले में विदेश (इंग्लैण्ड) जा रहे हैं, और उनकी अनुपस्थिति में, मुझे अपने फूफा के साथ यहीं रहना था और एक या दो सप्ताह के लिए हमारे पास यहाँ रहने के बाद मेरे फूफा और फूफेरे भाई गाँव में जाएंगेl

अगले दिन मेरे पिता ने विदेश जाने से पहले, मुझे कुछ जरूरी परामर्श दिए और किन-किन चीजों का ख़्याल रखना हैं, उनके पीछे से क्या करना हैं, क्या नहीं करना हैं, कैसे करना हैं, सब समझायाl मुझे प्यार और आशीर्वाद देने के बाद, मेरे पिता और माँ लंदन रवाना हो गएl

मेरे फूफेरे भाई, रोबोट (बॉब) और टॉम, से मेरी अच्छी बनती थीl मेरे फूफा, रोबोट (बॉब) और टॉम अंग्रेज थेl रोबोट (बॉब) और टॉम दोनों, लगभग हर साल कुछ दिन के लिए हमारे पास रहने लन्दन से आते थे और मुझे उनके साथ खूब मज़ा आता थाl परन्तु बॉब और टॉम की बहने भी, जब हमारे घर आती थी मुझे उनसे दूर ही रखा जाता थाl
बॉब और टॉम दोनों पहले जब भी मिलते थे. तो दोनों बहुत सीधे और सरल लड़के लगते थे, लेकिन इस बार दोनों बहुत शैतान या यूँ कहिये बदमाश हो गए थेl

मुझे अब वह दोनों, दो ऐसे जंगली घोड़ों जैसे लगते थे, जिन्हे सीधे सादे निवासियों पर खुला छोड़ दिए गया होl शैतानी करने के बाद पकड़े जाने पर, सब बात मुझ पर डाल कर, दोनों ख़ुद साफ़ बच निकलते थेl दोनों सभी प्रकार के कुचक्रों बनाने में बहुत निपुण और विद्वान साबित होते थेl

बॉब और टॉम को एक तरह से पूरी छुट मिली हुई थी, क्योंकि मेरे फूफा, जिन्हें कुछ व्यावसायिक और अन्य व्यस्तता के कारण, हमारे आचरण की देखभाल निगरानी करने का समय नहीं था, इसलिए वह दोनों दिन भर उछल कूद मचाते रहते थेl उनकी शरारते देख कर मैं भी मजे लेता रहता था और कभी-कभी उनके साथ मैं भी धमा चौकड़ी मचा लेता थाl

फिर दो दिन बाद फूफाजी, हम तीनो को साथ लेकर गाँव में हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर चले गएl वहाँ पर भी बॉब और टॉम की उछल कूद जारी रही, क्योंकि फूफा ज़मीन जायदाद के सारे मसले देखने में ही व्यस्त रहते थेl मैं भी उनमें जाने अनजाने शामिल रहता था, इसलिए कोई भी नौकर चाकर डर के मारे बॉब और टॉम की शिकायत नहीं करता थाl अगले दिन फूफा किसी काम से पास के गाँव में अपने किसी मित्र से मिलने चले गए और हमें पता चला वह आज रात वापिस नहीं आएंगेl

हालांकि, पिछले तीन दिनों के दौरान जब मेरे फूफेरे भाई मेरे साथ थे, उन्होंने भद्दे-भद्दे चुटकुले और असभ्य बातचीत करके, लड़कियो के पवित्र होने की जिस अवधारणा के साथ मेरी माँ ने मुझे पाला था, मेरी
सभी उन पूर्वधारणाओं को उखाड़ फेंका थाl



[Image: teen1.webp]
हमारे पुरानी पुश्तैनी महल नुमा घर में हम सब के ठहरने के लिए अलग-अलग, बड़े-बड़े आलीशान कमरे थेl शाम को मैं बॉब की तलाश में मेरे फूफेरे भाई बॉब के कमरे में गया, दरवाज़ा खोलने पर, मैंने जो कुछ देखा, उस पर मैं पूरी तरह से चकित रह गयाl वहाँ बिस्तर पर टॉम लगभग नंगा एक बेहद खूबसूरत भगवान की बनाई हुई लाजवाब मूर्ति के जैसी, गोरी, गुलाबी गालों वाली कमसिन लड़की की बाँहों में खोया हुआ था, जिसके कपड़े हमारी नौकरानियों जैसे थेl


[Image: teen2a.webp]

जब मैंने कमरे में प्रवेश किया तो वहाँ बॉब उस खूबसूरत कन्या के ऊपर एक तंग अंतरंग आलिंगन में जकड़ा हुआ लेटा हुआ था l लड़की की लम्बी खूबसूरत सफेद टाँगों का एक जोड़ा उसकी पीठ के ऊपर से पार हो गया थाl उनके शरीर की थिरकन, हिलने और स्पीड को देखकर मुझे लगा कि वे दोनों असीम आनंद ले रहे हैं, जो उनके लिए पूरी तरह से संतोषजनक थाl दोनों उस आनंद दायक क्रिया में इस तरह से डूबे हुए थे, कि उन्हें मेरे आने का कुछ पता नहीं चला, यहाँ तक के ये भी नहीं मालूम हुआ कि कब मैंने उस कमरे में प्रवेश किया हैl
 
कहानी जारी रहेगीl

आपका दीपकl
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#3
मेरे अंतरंग हमसफ़र

प्रथम अध्याय

सेक्स से मेरा परिचय और पहला सम्भोग

भाग 2


शारीरक सुखो से मेरा पहला परिचय.


बिस्तर पर दोनों को इस तरह से अंतरंग हालात में देखकर मैं इतना चकित हो गया कि, मैं दरवाजे पर खड़ा उन्हें तब तक देखता रहा, जब तक कि बॉब ने हिलना बंद नहीं कर दियाl उसके बाद बॉब कुछ देर शांत होकर उस खूबसूरत लड़की के ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा, फिर उसेने ख़ुद को लड़की से दूर कर लियाl

वह उठा, उसकी पीठ मेरी तरफ थी, जबकि, वह सुन्दर खूबसूरत अधनंगी लड़की अभी भी अपनी आँखें बंद करके लेटी हुई थीl उसका पेटीकोट और कमीज ऊपर की और था, जिससे उसके बड़े-बड़े सुडौल स्तन मुझे ललचा रहे थेl लड़की का बदन, इतना सुन्दर, खूबसूरत, और आकर्षक उत्तेजक होता है, ये मुझे उस दिन ही पता चला था।

उस लड़की की टाँगे खुली हुई थीl वह हिली, और उसने अपनी जाँघों को अलग कियाl मेरी आँखे उसके सुन्दर गोर सुडौल बदन को टकटकी लगा कर देखने लगी, और मैंने उसके गोल सफेद सपाट पेट का मुआयना कियाl लड़की के नीचे के हिस्से और दोनों जाँघों के बीच की जगह को गहरे काले घुँघराले बालों ने छुपाया हुआ था।


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मैंने ऐसा अकसर लड़कों से सुना था, लेकिन पहले कभी नहीं देखा थाl मैंने काले घुंघराले बालों के ताले के बीच छीपी हुई योनि की पहली झलक देखी। उसकी जाँघों के खुलने से मैंने घुंघराले बालों के बीच छीपी हुई उस शानदार गुफा, जो की एक गर्म-गर्म भट्ठे की तरह थीl उसके बीच के चीरे के आसपास दो मोटे और रसीले होंठों के बीच थोड़ा-सी खुली हुई थीl योनि मे से थोड़ा-सा सफेद दिखने वाला झाग निकल रहा थाl

मैंने जो कुछ देखा उससे अजीब-सी भावनाएँ, मुझ में जग गई थींl

मैं उस खूबसूरत नज़ारे को और पास से देखने के लिए बिस्तर की ओर आगे बढ़ा। जिस क्षण मेरे क़दम की आवाज़ को सुना गया, उस लड़की ने ख़ुद को बेडकवर के नीचे छुपा लियाl बॉब पलटा और मुझे मिलने आया, और मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर मुझे बिस्तर तक ले गया, और कहा, -मेरे भाई दीपक तुमने क्या देखा है? आप कितने समय से कमरे में हैं? "

मैंने उसे बताया कि मैंने उनके पूरे पराक्रम और प्रदर्शन को देखा है।

जब तुमने सब देख ही लिया है, तो फिर केसी शर्म, कहते हुए बॉब ने उस लड़की का कवर उतार कर फेंक दियाl लड़की अपने स्तनों को एक हाथ से, तथा दुसरे हाथ से अपने चेहरे को छिपाने की नाकाम कोशिश करने लगी, और मैं उस खूबसूरती के मुजस्मे को घूरता ही रहाl मेरा हाथ अनायास ही मेरे लंड पर चला गया, जो की मुझे कड़ा होता हुआ महसूस हुआl

बाब ने लड़की को बैठे हुए मुद्रा में उठाते हुए, एक हाथ उसकी कमर पर लपेटते हुए कहा-" दीपक भाई!, क्या तुमने कभी किसी लड़की के संग का आनंद लिया है?

मैंने कहा "नहीं कभी नहीं"l


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तो बॉब बोला तुमसे बातें करते हुए, मुझे कुछअंदाजा तो था, के तुम इस मामले में बिलकुल अनारी होl

तुमने एक सुंदर लड़की को बांहों में लेकर प्यार करने से प्राप्त होने के लिए सुख का स्वाद कभी नहीं लिया हैंl तुम्हें नहीं पता इस आनंद के आगे दुनिया के सभी सुख और आनंद फीके हैंl तुम ये भी नहीं जानते, कि एक खूबसूरत लड़की की बाहो में खो जाना उसे हासिल कर लेना, उसे प्यार करना, और उसका प्यार पाने के प्रलोभन का विरोध कर पाना, एक पुरुष के लिए कितना कठिन हैl पुरुष अपनी पूरी शक्ति और साधन का उपयोग करके, एक खूबसूरत स्त्री को हासिल करने के लिए अपना सब कुछ भी दाव पर लगा देता हैl इस शारीरिक भूख को रोक सकने की शक्ति बहुत कम लोगों में होती हैl

फिर उस लड़की का हाथ पकड़ कर चूमते हुआ बॉब बोला-ऐसा कौन है, जो ऐसी सुंदर, प्यारी, और आकर्षक हुस्न की मालकिन हसीना को इनकार कर सकता हैl मैं क्या चीज हूँl इन्होंने मुझे कल रात अपने कक्ष में मुझे आमंत्रित किया था, लेकिन मैं इंतज़ार नहीं कर सकाl मैंने आज ही इसे अपने कक्ष में आमंत्रित कर इनके शिष्टाचार का जवाब दिया, जो इन्होंने सहर्ष स्वीकार कर लिया, और ये सब उसी का नतीजा हैl "


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वह खूबसूरत हसीना जिसे मैंने पहले बार बेपर्दा देखा था, वह रूबी थी l बॉब ने मुझ से पूछा "क्यों भाई ये बहुत आकर्षक और खूबसूरत है न?"

तो मैंने उत्तर दिया, "हाँ, बेशक, ये बहुत ही सुन्दर और आकर्षक है"l लिंगों के संयोजन से प्राप्त सुखों को प्राप्त करने की इच्छा महसूस करते हुए, मैंने अपने हाथ रूबी के नंगे घुटने पर रखे, जो अभी भी बिस्तर के किनारे पर बैठी थीl उसके कपड़े उसकी योनी और जाँघों को छुपाने की असफल कोशिश कर रहे थेl उसने अपनी क़मीज़ के नीचे खिसका दिया था, जो अपने नीचे उस खूबसूरत योनि की छुपाये हुई थीl


मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी रस भरी योनि की और बढ़ने लगा और मैं धीरे-धीरे रूबी को अपनी और खींचने लगाl

वही पता नहीं मुझे क्या हुआ के अनायास ही मेरे हाथ रूबी के घुटनों पर चले गए, और उसकी योनि की और बढ़ने लगे, लेकिन बॉब ने मुझे रोकते हुए कहा, "मुझे माफ़ कर दो, मेरे भाई, लेकिन रूबी फिलहाल मेरी हैl कम से कम वर्तमान के लिए, लेकिन जैसा कि मैं देख रहा हूँ, कि आप प्रेम की देवी के रहस्यों में ख़ुद को डूबा देने के लिए उत्सुक हैं, तैयार हैंl मुझे लगता है कि रूबी की मदद से मैं आपको रात के लिए एक साथी खोजने में सक्षम हो सकता हूँl उसने रूबी की तरफ़ देखते हुए कहा क्या हम मेरे भाई के लिए एक साथी नहीं ढूँढ सकते?"

तो रूबी वहाँ एकदम से कूद कर अपने पैरो पर खड़ी हो गयी और मुसकुराते हुए बोली, बहुत बढ़िया "हम, महाशय दीपक को मेरी छोटी बहन रोज़ी से मिला देते हैं, और मुझे यक़ीन है कि मेरे ख़ुद की तुलना में रोज़ी बहुत सुंदर लड़की हैl कुमार दीपक, रोज़ी आपको बहुत अच्छी लगेगीl उसकी मुझ से बड़ी सुडौल और गोरे गोरी स्तन हैं"l उसने फुसफुसाते हुए मेरे फूफेरे भाई बॉब के कानों में कुछ कहाl


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तो बॉब ने मुझे बधाई देते हुए कहा :मेरे भाई तुम बहुत क़िस्मत वाले हो तुम्हें बहुत बधाई!, अभी मुझे रूबी ने बताया है, तुम्हारी पहली साथी भी तुम्हारी तरह ही कुंवारी हैl मुझे रूबी ने भी मुबारक दी और अपनी गोल सफेद गोलाइयों की जोड़ी को कवर किया कहा, जिन्हे मैं अपनी आँखों से लालच से खा रहा था। "मुझे यक़ीन है, जब हम उसे आज रात लाएंगे तो आप रोज़ी से मिल कर प्रसन्न होंगे", रूबी बोलीl


तो मुझ से बॉब ने पूछा "तुम चुदाई के बारे में क्या जानते हो?" तो मेरा जवाब सुन कर वह बो बोला "तुम्हें बहुत कुछ सिखाना पड़ेगा", और बोला "रूबी मेरी मदद करो दीपक को कुछ सेक्स सीखा देते हैं"l

बॉब बोला तो दीपक, तुम अब ठीक से चुदाई देख और सीख लोl

बॉब रूबी को किस करने लगा और उसके और अपने सारे कपडे उतार डालेl बॉब उसके बूब्स दबाने लगा, और रूबी उसके खड़े लण्ड को सहलाते हुए अपनी चूत पर घिसने लग गयीl

और फिर बॉब अपना लण्ड रूबी की चूत में घुसा कर दनादन धक्के लगाने लग गयाl फिर एक दो आसान बदले और कुछ देर बाद झड़ गया। उसके बाद, रूबी ने मुझ से वादा किया, कि वह रात को अपनी बहन को मेरे कमरे में ले आएगी, तो मैंने भी वादा किया, कि मैं भी उसका और बॉब का राज गुप्त रखूँगा, और जो मैंने देखा था उसका किसी से भी कोई जि़क्र नहीं करूंगाl मैं उन्हें वही छोड़ कर अपने कमरे की और जाने लगाl

बॉब रूबी के कान में कुछ फुसफुसाया और रूबी अपने कपडे उठा कर भाग गयी, और जाते हुए बोली रात के खाने के बाद मैं रोज़ी को ले कर आती हूँl बाद में बॉब ने मुझे सेक्स के बारे में कुछ और हिदायतें दी और सफ़ाई करने की जरूरी हिदायतें दीl उसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और नहा धो कर सफ़ाई कर के जल्दी-जल्दी रात का खाना खायाl

रात को जल्दी से अपने कमरे में जाकर मैंने एक घंटा इंतज़ार के बुखार में बितायाl फिर रूबी मेरे कमरे में आयी और मुझ से बोली "आप कुछ देर के लिए अपने भाई बॉब के कमरे में चले जाओ, तब तक मैं आपका कमरा तैयार कर देती हूँl इतनी देर में रोज़ी भी आ जायेगी, फिर जब मैं बुलाऊंगी आप आ जाना"l

लगभग आधे घंटे बाद में रूबी मेरे पास आयी और मुझे मेरे कमरे में ले गयी वहां कमरे का नजारा बदला हुआ थाl बिस्तर फूलों से सजा हुआ थाl मेरे अंदर आते ही रूबी की बहन रोजी कमरे में दाखिल हुईl मैंने रोजी की तरफ हाथ बढ़ाया रोजी एक सबसे खूबसूरत लड़की थीl रोजी ने एक दुल्हन की गुलाबी पोशाक पहन रखी थीl


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मैं रोजी को एकटक देखता रहा और जिस पल वह कमरे में दाखिल हुई और दरवाजा बंद किया गयाl मैं आगे की ओर बढ़ गया, उसे अपनी बांहों में पकड़ लिया, और उसे एक सोफे पर ले गया, जहां मैं बैठ गया और उसे अपनी तरफ खींच लियाl रोजी ने एक दुल्हन की पोशाक में अपना चेहरा नक़ाब से ढक रखा थाl मैंने उसका हाथ पकड़ कर चूमा और अपनी जेब से एक अंगूठी निकाल कर उसे तोहफ़े के तौर पर दी, और उसे कहा ये हमारे पहले मिलन की निशानी के तौर पर तोहफा कबूल करो, मेरी रोज! उसने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया और मैंने उसे अंगूठी पहना दीl


मैंने उसका नक़ाब हटाया और उसका खूबसूरत चेहरा देखकर मुझसे रुका न गया, और उसके होंठ चूमने लगाl मैंने वों रुमाल जो उसके स्तनों को ढक रहा था, उसके पिन को खोला, तो उसके बड़े गोल सुडौल उरोज मेरे सामने उजागर हो गएl मैं उसके स्तन चूमते हुए अपनी बांहों में फिर से उसे कस कर जकड़ लियाl मेरी निष्ठुरता और कुछ हद तक, अपने आप को मेरे आलिंगन से मुक्त करने के लिए रोजी संघर्ष करने लगी, और बोली प्लीज मुझे छोड़ दोl तब उस कमरे में मौजूद रूबी जिसे मैं लगभग भूल ही चूका था वह बोलीl

कुमार!! रोजी इससे पहले किसी पुरुष के साथ अंतरंग नहीं हुई है, और कुंवारी है, इसलिए आपको थोड़ी गंवार या अनारी लग सकती हैl लेकिन आपके साथ रहने के लिए बहुत इच्छुक और उत्साहित है, और वों आपको जरूर खुश करेगी, ऐसा मेरा यकीन हैl मुझे पक्का भरोसा है, वह आपकी सारी इच्छाएं पूरी करेगीl आप दोनों बहुत मजे करोगेl ये उसका पहली बार है, इसलिए थोड़ा आराम से और प्यार से कीजियेl

क्यों मेरी बहन रोजी क्या ऐसा नहीं है,?


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जिस पर रोजी ने एकदम से जवाब दिया, "ओह! हां," दीदी, और मेरी छाती में अपना चेहरा छिपा लियाl कसम से, उसकी इस अदा पै, मैं एकदम फ़िदा हो गयाl उसका चेहरा ऊपर कर उसके माथे पर एक किस कियाl उसे अपनी छाती से लगा लिया, और बोला "मेरी जान! घबराओ मत अब आराम से करूंगाl. क्या करूँ तुम्हें देख कर मुझ से रुका ही नहीं जा रहा"l

रूबी ने मुझे बताया, चूंकि शराब जोश और हिम्मत को बढाती है, प्रेम की उत्तेजना को भी बढाती है, वह बोली वह मेरे लिए कुछ शराब ले कर आती हैl मैंने कहा रूबी तुम चिंता मत करो शराब हर कमरे में उपलब्ध है, क्योंकि मेरे पिताजी और फूफा सब शराब के शौकीन हैl

फिर वों रोजी से बोली. "कुमार को अच्छे से खुश करो मेरी बहन और उन्हें अच्छी शराब जितनी वों पी सके, उतनी पिलाओ और उनकी सब बात मानो"l फिर वह गयी और एक ट्रे में कुछ शराब के बोतल, केक नमकीन कुछ फल मिठाई इत्यादि ले आयीl मेरे पास आ कर, दो गिलासों में शराब डाल कर, मुझे एक छोटी बोतल देते हुए बोली मेरे कान में फुसफुसाई, "आप रोजी को शराब में इस ख़ास देसी दवा की कुछ बूंदे डाल दें और आपके गिलास में भी मैंने कुछ बूँद डाल दी है इससे आपका आनंद बढ़ जाएगाl फिर मजे करिये", और शुभ रात्रि बोल कर वह दरवाजा बंद कर चली गयीl

जब रूबी चली गयी, तो मैंने अंदर से दरवाजा बंद कर दिया, फिर एक टेबल को बिस्तर का पास खींचा, और रोजी को बिस्तर पर ले गयाl उसके पास बैठ कर, मैंने पहले बिना रोजी के साथ कोई स्वतंत्रता लिए,आगे धीरे- धीरे आगे बढ़ने का फैसला किया, और अपने सभी प्रयास आराम से करने का प्रयास कियाl मैं उसकी प्रशंसा करने लगा मैं उसे कहा,"तुम मुझे बहुत अच्छी लगीl तुम बहुत अच्छी हो!"


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तो उसने शर्माते हुए पुछा, "आप को मुझ में क्या अच्छा लगा?", तो मैंने कहा, "तुम्हारे रस भरे ओंठ, मन करता है, बस इन्हें चूसता रहूँl"

वह बोली तो फिर किसने रोका है और मेरे ओंठों पर उसने अपने ओंठ रख दिए, और मैंने उसके रस भरे ओंठों पर चुम्बन कर दियाl ऐसे ही उसकी तारीफ करता रहा, और उसका पूरा चेहरा, गाल, नाक, माथा, और आँखे, धीरे-धीरे सब चूमते-चूमते चाट गयाl

आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगीl

आपका दीपक
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#4
मेरे अंतरंग हमसफ़र

प्रथम अध्याय

सेक्स से मेरा परिचय और पहला सम्भोग

भाग 3

रोज़ी के साथ पहले सम्भोग की कहानी.

मैंने रोज़ी को शराब का गिलास दिया, तो वह बोली मैं शराब नहीं पीती, तो मैंने उसे एक घूँट पीने को कहा तो उसने पी लीl


रोज़ी बोली अब आप पीओ, तो मैं पहले शराब का घूँट भरता फिर अपने होंठ उसके ओंठों से लगा कर, उसे अपने ओंठों से शराब पिलाने लगाl इस तरह मैंने उसको कुछ गिलास शराब पिलाई और उसके साथ मैंने ख़ुद भी शराब पीl

कुछ देर बाद ख़ास उत्तेजक दवा और दारू का दोनों पर असर हो गयाl अब उसके चरित्र की स्वाभाविक जीवंतता, उसके खुले, और मुक्त वार्तालाप में दिखाई देने लगीl

मैंने उससे पुछा 'थकी हुई तो नहीं हो, सोना या आराम करना तो नहीं चाहती?'

तो वो बोली 'इतनी हसीं रात सोने के लिए तो नहीं होगी और फिर इस रात का इंतजार तो हर लड़की को रहता हैl हर लड़की की चाहत होती है, कोई चाहने उसे जी भर कर, बहुत सारा, प्यार करेl '


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मैंने फिर उसे कहा, 'रोज़ी! तुम बेहद सुन्दर हो और आज मैं तुम्हे बहुत प्यार करने वाला हूँ 'l

तो उसने कहा 'आपको मेरा क्या सबसे सुन्दर लगता है?' तो मैंने कहा उसका हर अंग बेहद सुन्दर है और मुझे प्रिय है तो वह बोली तो सबसे ज्यादा क्या प्रिय है?

मैंने उसकी कमर और गर्दन के चारों ओर अपनी बाँहों को रखा, और उसकी छाती को अपने छाती के पास दबाने लगा, और एक हाथ उसकी छाती पर फिराते हुए, उसके मुलायम बदन को महसूस करने लगा, और उसके गोल-गोल बूब्स को सहलाने लगाl

तो उसने फिर पूछा कौन-सा अंग सबसे सुन्दर लगा, तो मैंने कहा वही तो जांच रहा हूँl तो वह बोली सिर्फ़ जांचेंगे या देखेंगे भी? उसका ये सुनने के बाद, मेरे ओंठ उसके ओंठों से जुड़ गए, और लगभग 10-15 मिनट मैं उसे किस करता रहाl इस बीच मेरे हाथ, उसकी दुल्हन के पोशाक के ऊपर से ही उसके पूरे बदन को सहला और दबा रहे थे l उसके बड़े-बड़े उरोज मुझे ललचा रहे थे, तो मैंने पीछे से उसकी ड्रेस की डोरिया खींची, और उसके स्तन बाहर निकाल कर उन्हें पहले चूमा, फिर मसला दबाया, और चूस-चूस कर दोनों स्तन लाल कर दिए l वाह! क्या बड़े-बड़े गोल सुडौल स्तन थेl


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इस तरह, उसकी स्तन दबाने के बाद मैं रुक गया, और धीरे-धीरे आगे बढ़ता हुआ, उसके क़मीज़ के नीचे से एक हाथ डाला, उसके कपड़े उसके घुटनों पर चढ़ा दिए। उसकी टाँगों और जंघा को सहलाते फिर उन्हें निचोड़ने लगाl उसके पैरों के साथ खेला, मैंने अपना हाथ उसकी जाँघ पर तब तक सरकाया, जब तक कि मेरी उंगलियाँ उसकी कुंवारी चुत के द्वार पर नहीं पहुँच गई। उसने पैंटी नहीं पहनी हुई थीl उसके मुँह से इस्सस! निकली और मेरे ओंठ जोर से चूमने लगीl
रोजी की चूत बिलकुल सफाचट थीl बालों का नामों निशान नहीं था, बिलकुल मुलायम, चिकनी और नरमl जब मैंने हाथ फिराया, तो रोज़ी बोली दीदी ने आज ही साफ़ करवाई है, ख़ास आपके लिएl

उसकी रेशमी चूत से खेलते हुए अपनी उंगलियों को घुमाकर चूत के मध्य के लकीर पर फेरते हुए, अपनी उँगली को उनके बीच से घुमाते हुए, मैंने अपनी एक उंगली को थोड़ा नीचे ले जाते हुए, उसकी गांड के छेद को छेड़ते हुए, हलक़े से गांड में पिरो दियाl

वों कराह उठी, आह! आह! प्लीज यहाँ नहीं l दीदी कहती है यहाँ बहुत दर्द होता है l

मैंने फिर दुबारा उसकी योनि के होंठों के बीच उँगली की नोक डालते हुए, उसकी चूत के दाने को ढूँढ लियाl मैंने उसे इतनी अच्छी तरह से छेड़ा कि वह अपनी जगह पर उछलने लगी, और बोली अब इंतज़ार नहीं होता प्लीज अब कुछ करोl मैं इसे अब बर्दाश्त नहीं कर सकती । मैं आग पर था; मेरी नसों में से खून उबल रहा था। मेरा लंड फुल टाइट हो गया था।

मैंने उसे ज़मीं पर पैरों पर खड़ा किया और उसके कपडे उतारना शुरू कर दिया। मैंने जल्दबाजी में उसके कपड़े फाड़ दिए, और उसे पूरी नंगी कर दियाl मेरे लिए किसी लड़की को पूरा नंगा देखने का ये पहला मौका थाl मेरे सामने सचमुच अद्भुत नजारा थाl वाह भगवान्! हुस्न का क्या शानदार नजारा थाl


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मेरी आँखे के सामने गोल सुदृढ़ सुडौल स्तन, गोरा मख़मली बदन, पतली बल खाती कमर, सपाट पेट, सुन्दर नैन नक्श, मीठी आवाज़, बड़ी-बड़ी हिरणी जैसी चंचल आँखे, गुलाबी होंठ, हल्के भूरे रंग के लम्बे बाल, नरम चूतड़ और उसका फिगर 34-24-36 का थाl तीखी नुकीली नाक, बड़े गोल नितम्ब, लंबी सुगढ़ टाँगे और सुन्दर हाथ, सब कुछ बेहद सुन्दरl पूरा शरीर सांचे में ढला हुआ, गोल बड़े-बड़े स्तनl मैं उन्हें दबाने लगा, तो कभी चूमने लगा, फिर उसके निपल्स को मुँह में ले कर चूसने लगाl उसे इस हालात में देख कर मैं सब भूल कर उसे जोर से काटने लगा तो वह ओह! आह! करने लगीl

उसकी ऐसे हालत देख मेरे भी लंड का तनाव इतना ज्यादा हो गया, मुझे लगा मेरा लंड, मेरे कपडे फाड़ कर बाहर निकल आएगा और फट जायेगाl
मैंने अपने सब कपडे ऐसे उतार फेंके, जैसे उनमे से कांटे चूभ रहे हो और पूरा नंगा होकर उसे पकड़ कर अपने शरीर से चिपका लियाl मैं उसका पूरा बदन महसूस कर रहा थाl

मेरा लंड उसकी चूत के द्वार पर अपना रास्ता खोजने लगाl

हम दोनों कामाग्नि में जल रहे थे l मैंने अपने हाथों से उसे अपने छाती पर दबायाl उसके स्तन कठोर हो मेरी छाती में चूभ रहे थेl उसने भी अपने हाथों से मेरी पीठ को अपने बड़े-बड़े स्तनों पर दबा दिया थाl तो मैं उसकेओंठों की किश करने लगा और मेरे हाथ उसके उसकी कमर पर फिसलते हुए रोज़ी के नितंबो की अपनी और दबाने लगेl ऐसा लग रहा था दोनों एक दूसरे में समां जाना चाहते होl

आकर्षित, उससे चिपका हुआ उसके नग्न शरीर को महसूस करते हुए, अपने घुटनों पर झुक कर, मैंने उसकी योनि पर प्यार भरे चुंबन कियेl मैं पूर्ण उन्माद में थाl मेरे चूमने से, वह भी जल बिना मछली के तरह तड़पने लगी, और बोली प्लीज अब रुका नहीं जा रहा कुछ करो, मेरे राजा l

और उसके शरीर को मेरा करने के लिए, मैंने कांपती हुई लड़की को अपनी बाँहों में उठाया और उसे बिस्तर पर ले गया।

मैंने आराम करने के लिए एक तकिया उसकी शानदार गोल गांड, नितम्बो के नीचे रखकर लेटा दिया। मैंने उसकी जाँघों को चौड़ा किया और लंड पूरा खड़ा था तो उसने एक बार अपना हाथ लंड पर फेरा, तो लंड जैसे उसके हाथ के छुअन से पूरा भड़क गयाl


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रोजी बोली आपका लंड सचमुच काफ़ी बड़ा है l

मेरे लंड का साइज 7 इंच है, और उसकी चूत में जाने को लिए बिलकुल तैयार थाl मैंने उसकी चूत पर लंड को एक बार लगायाl उसकी चूत के दाने पर लंड को दो तीन बार रगड़ा, तो वह बोली प्लीज अब तडपाओ मतl

मुझे बॉब ने बताया था, रोज़ी कुंवारी हैl आराम से करना, थोड़ा दर्द होगा, जब वह पूरी तरह तैयार हो, उससे पूछ कर ही अंदर घुसानाl
मैंने लंड चूत पर घिसते हुए उससे पूछा, तुम तैयार होl

वह बोली हाँ जल्दी करो, अब बर्दाश्त नहीं हो रहाl

मैंने कहा दर्द होगा तो वह बोली 'मैं सब सह लुंगी, तुम अब आ जाओ, मुझ में समा जाओ मैं सब सह लुंगी मुझे भी दीदी ने सब बताया थाl'

अपनी उंगलियों के अग्र भाग की मदद से साथ, मैंने उसकी टाइट चूत के होठों को बहुत मुश्किल से अलग किया और अत्यंत परेशानी के साथ अपने कुँवारे लंड के लुंडमुंड को उसके कुंवारी योनी के प्रवेश द्वार में डालl

जैसे ही मैंने महसूस किया कि लंड ठीक जगह रखा गया है मैंने थोड़ा जोर लगा कर लंड को चूत पर दबाया, लेकिन रोज़ी की चूत इतनी टाइट थी के लंड अंदर जाने की जगह वही से नीचे फिसल गयाl मैंने लंड को पकड़ा फिर चूत के द्वार पर घिसा और थूक लगा कर गीला कियाl मैंने दो तीन बार ऐसा किया पर अंदर जाने में सफलता नहीं मिलीl तो मैंने कहा रोज़ी लगता है, ज्यादा ताकत लगानी पड़ेगी, तुम तैयार हो, तो उसने आँखे झपक कर अपनी स्वीकृति दे दीl

फिर से चूत को हाथो से सहलाया चूत के दाने को लंड से मसला, फिर उंगलियों की मदद से ओंठो को फिर अलग किया, तो रोज़ी ने भी हाथ से मेरा लंड पकड़कर उसे अपनी चूत के छोटे से छेद पर लगा कर, अपने दुसरे हाथ से मेरे नितम्ब दबा कर इशारा किया, तो मैंने भी पूरे ज़ोर से एक धक्का दियाl


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इस बार लंड चूत के अंदर जाने में कामयाब हुआl आधा लंडमुंड अंदर चला गया और साथ ही साथ रोज़ी की आह भी निकलीl उसने लंड को छोड़ा नहीं और पकडे रखाl उसने आँखे झपक कर मुझे इशारा कियाl इस बार मैंने लंड पर फिर लम्बे समय तक दबाब दियाl मेरे भयंकर दबाब देने से लंड को चूत के अंदर का रास्ता मिल गया और लंडमुंड का सर पूरा अंदर चला गया, मैंने एक बार फिर ज़ोर से धक्का दिया और मेरा लगभग आधा लंड चूत के झिली को चीरता हुआ रोज़ी का कुंवारापण भंग करता हुआ अंदर चला गयाl

उसकी चीख निकली, लेकिन न मैंने, और न ही रोज़ी ने उसे रोकने की कोई कोशिश करि l

रोजी की चूत बहुत टाइट थीl मुझे लगा कि मेरा लंड उस तंग गुफा में फंस गया हो, और चूत ने लंड को कस कर जकड लिया थाl मेरी भी चीख निकल गयी थीl
रोज़ी ने, न केवलअपने कौमार्य भंग में होने वाले दर्द को पूरी हिम्मत के साथ सहा था, बल्कि बाकायदा मदद करि थीl उसके हाथ मेरे शरीर को उसके पास ले जाते थे, यहाँ तक कि अपने कौमार्य को भंग करने के मेरे जानलेवा इरादों की सहभागी बनते हुए, रोज़ी ने मेरे लंड को भी अपने हाथो से संभाला थाl

वह हो रहे दर्द के मारे, होने वाले रुदन को दबाने के लिए, अपने दांतों के बीच बिस्तर की चादर रखते हुए,इस दर्द को सहने का पूरा प्रयास कर रही थीl

हम दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे 'ऊह्!, मर गएl' मुझे लंड पर गर्म-गर्म स्राव महसूस हुआl जैसा कि मुझे बॉब ने बताया था ये झिली फटने पर निकलने वाला खून था, इसके साथ ही मेरा भी कुंवारापण भंग हो गयाl इस तरह की रोज़ी की चूत की गुफा में मेरे लंड के लिए रास्ता बन गया थाl मैंने थोड़ा-सा लंड पीछे किया और फिर एक ज़ोर दार शॉट लगा कर पूरा लंड जड़ तक अंदर पैबस्त कर दिया, और प्रेम के जलाशय ने रास्ता दे दिया और बाढ़ आ गयीl रोज़ी झड़ गयी और मेरा लंड रोज़ी के प्रेम के जल से भीग गयाl

उसने चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा हैl मैंने रोज़ी को धीरे-धीरे चूमना और सहलाना शुरू कर दिया, तो रोज़ी के आँखों में आंसू आ गएl वह बोली "आराम से धीरे-धीरे नहीं कर सकते थे क्या?" तो मैंने कहा "धीरे करने से अंदर ही नहीं जा रहा था इसलिए ज़्यादा ज़ोर लगाना पड़ा"l मैंने उससे पुछा बहुत दर्द हो रहा है क्या हाँ हो तो रहा हैl

मैं बोला-मेरी रोज़ी मेरी जान, थोड़ी देर में सब ठीक हो जाएगाl वह बोली प्लीज अब तब तक मत हिलना जब तक मैं इशारा न करूनl



[Image: mis8.gif]
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मैंने उसे लिप किस कियाl मैं उसे लिप किस करता रहाl मैंने उसके लिप्स पर काटा, तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दियाl तो मैंने अपने ओंठ उसके ओंठो से जोड़ कर उसे लिप किश करने लगा, और मेरे हाथ उसके बूब्स के साथ खेलने लगेl एक हाथ उसके निप्पल मसलने लगाl फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दीl वह सिसकारियाँ ले मजे लेने लगीl वो इस वक़्त इस चूमाचाटी में अपना दर्द भूल चुकीl कुछ देर में रोज़ी का दर्द कम हो गयाl
फिर उसने अपने नितम्ब ऊपर उठा कर, और मेरे नितम्बो को अपने ऊपर दबाया, और पलके झपक कर मुझे इशारा कियाl मैंने धीरे से लंड भहर खींचा और
एक बार फिर ज़ोर लगा कर अंदर घुसा दियाl

मुझे महसूस हुआ, कि मेरे लिंग को रोज़ी ने अपनी योनि रस ने भिगो दिया था, जिसकी वज़ह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था।

वह भी मेरा साथ देने लगीl अब उसकी चुदाई में दोनों को जन्नत का मज़ा आ रहा थाl कुछ ही देर में रोज़ी ने भी स्पीड पकड़ ली थीl वह जोश में आ गई थी, और मेरे शॉट के साथ ताल मिलाते हुए, अपने नितम्ब हिलाने लगीl

अब वह मजे से चिल्लाने लगी थी-अहा! ... राजा ... मर गई ... आईसीई ... और ज़ोर से ... और ज़ोर से चोदो ... बहुत मज़ा आ रहा है, आ जाओ, मेरे अंदर समा जाओl मेरी चूत को अपने रस से भर दो, ... आआआआ और ज़ोर से ... उउउईईईई माँ ... आहहहांl

उसकी इन आवाजों ने मुझे जैसे जान दे दी होl मैं पूरी ताकत से रोज़ी को चोदने में लग गयाl कुछ ही मिनट बाद हम दोनों चरम पर आ गए थेl मैंने उसकी चूत में ही अपना रस छोड़ दियाl

मैंने उसकी फटी हुई कुंवारी चुत जिसमे से खून निकल रहा था, को अपने वीर्य से भर कर चिकनी कर दिया था, और उसके ऊपर ही गिर गयाl वह भी एकदम से झड़ कर मुझसे लिपट गई थीl

मैं झड़ने के बाद भी उसे किस करता रहाlकरीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ चुके थेl दो-तीन झटकों बाद मैंने लंड निकाल लियाl कुछ देर बाद जब हम लोग उठे, और चादर को देखा, तो उस पर खून लगा हुआ थाl वह मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गईl

चूँकि रोज़ी की ऐसी जबरदस्त चुदाई के बाद, जैसे मेरा सारा दम ही निकल गया हो, और मैं रोज़ी पर हांफते हुए तेज-तेज सांस लेते हुए, निढाल हो कर गिर गयाl भयंकर उत्तेजना के साथ चमकते हुए, मेरी आँखें रोज़ी को ही निहार रही थीl वह भी तेज-तेज साँसे ले रही थे, और उसके साथ ही उसके स्तन और निप्पल ऊपर नीचे हो रहे थेl जिन्हे देख कर मेरे लंड की कठोरता जो झड़ने के बाद हट गई थी, फिर से प्रबलता के साथ वापस आ गईl मैंने उसकी योनी के गहरे और संकीर्ण मार्ग में अपना जो लंड घुसा कर रास्ता बनाया था, उसे मेरे वीर्य ने चिकना कर दिया था, और मैंने फिर से उसके लिए रास्ता बनाना शुरू कर दियाl मेरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गयाl

तो रोज़ी मुझ से लिपट गयी और मुझे मेरे सारे बदन पर बेतहाशा चूमने लगी, और फिर उसके ओंठ मेरे ओंठो से जुड़ गएl रोज़ी मेरे ऊपर आ गई थींl मेरे खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अन्दर घुसा रही थींl मुझे उस समय मुझे बेहद मज़ा आ रहा थाl वह मेरे लंड पर धीरे से उठतीं और फिर नीचे बैठ जातीं, जिसकी वज़ह से लंड अन्दर बाहर हो रहा थाlवह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थीं और बहुत मज़े कर रही थींlसच कहो तो रोज़ी को मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे बहुत सेक्सी लग रही थl मैंने अपने चूतड़ उठा कर उसका साथ दियाl जब मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर पूरा समा जाता था, तो हम दोनों की आह निकल जाती थीl फिर मेरे हाथ उसके हिलते हुए मम्मों को मसलने लग गएl

उसके बाद रोज़ी मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए. मैं उसको चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारे मुँह खुले गए, और मैं उसकी झीभ चूसने लग गयाl



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फिर हम दोनों झड़ गए, इसी तरह बार-बार चोदते हुए, मैंने रोज़ी के साथ पूरी रात बिताई, कुंवारेपन के आकर्षण का पूरा आनंद उठाते रहेl हम दोनों ने अपने कुंवारेपन के भंग होने का जश्न, पूरी रात एक साथ पूरे मजे लेते हुए बार-बार लगातार हम चुदाई करते रहेl

कभी मैंने उसे चोदा, कभी उसने मुझेअपनी और खींच कर अलग-अलग आसान में चुदाई की, मानो अपनी कामाग्नि को शांत करना चाहते होl पर हर बार हमारी कोशिश नाकाम ही हुई और उसके बाद बहुत जल्द ही हम दोनों एक दुसरे को चूमते चाटते दुबारा शुरू हो जाते थेl थोड़ा-सा आराम करते, फिर से गले लगाते हुए, एक ख़ुशी के समुद्र में तैरते हुए एक दुसरे में खोये रहे। पता ही नहीं चला इस तरह प्यार करते-करते कब सुबह हो गयीl

सुबह जब उजाला हुआ, तो रोज़ी बिस्तर पर, मुझ से चिपक कर लेटी हुई थीl लगातार बार-बार चुदाई के कारण दोनों बुरी तरह से थक चुके थेl एक दुसरे के लिए आकर्षण और लगाव काम होने की जगह बढ़ गया थाl मुझे लग रहा था, मैं रोज़ी के बिना अब नहीं रह पाऊँगा, और चाहता था रोज़ी हमेशा मेरे पास रहे, और मैं उसे जब चाहू प्यार कर सकूl रोज़ी की आँखों में भी मुझे वही प्यार नज़र आया और मैंने रोज़ी को अपनी और खींचा तो वह मेरी बाहो में समा गयी और अपना चेहरा मेरी छाती में छिपा दियाl

उसने शुरू किया, "पिछली रात बहुत ख़ास थी। मैंने कभी भी किसी से इतना जुड़ाव महसूस नहीं किया हैl अपनी पहली चुदाई की रात से ही आपके के बारे में इतना मज़बूत लगाव महसूस किया है।" मैंने कुछ कहना शुरू किया, लेकिन रोज़ी ने उसे रोकने के लिए अपना हाथ रखाl

"यह कल रात एकदम सही था, कम से कम मेरे लिएl आपने मुझसे ऐसा प्यार किया और मुझे लगा कि हम दो बदन एक जान हैंl उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थेl कल रात, जब तुम मेरे पास आए, तो तुमने मेरे भीतर कुछ जागृत कियाl मुझे ऐसा लगा कि मैं आपसे बहुत प्यार करती हूँ"l मैंने कहा 'मेरा भी यही हाल हैl अब मैं भी तुमसे दूर नहीं रहना चाहता'l ये कहते हुए रोज़ी के ओंठो पर किश किया, तो उसने भी वापिस किश कियाl

उसके छूते ही लंड महाराज फिर जोश में आने लगेl उसे धीरे से उसे उठाते हुए, लिप किश करते हुए हुए, मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दियाl उसके हाथ का स्पर्श मुझमें नए सिरे से आग लगा रहा थाl रोज़ी ने अपने हाथ में मेरा लिंग ले कर उसे सहलाया, तो मेरी आह निकल गयीl मैंने कहा अभी भी मैं और ये तुम्हे और प्यार करना चाहता हैl उसके छूने भर से मेरा लंड अपने विकराल आकार में आ गयाl

आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगी...

दीपक कुमार


आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगीl

आपका दीपक
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#5
मेरे अंतरंग हमसफ़र

प्रथम अध्याय

सेक्स से मेरा परिचय और पहला सम्भोग

भाग 4

मानसिक  सेक्स




रोजी बोली अब मुझ में भी और चुदाई की हिम्मत तो नहीं है मैं भी बुरी तरह से थक चुकी हूँl मेरी चूत भी एक दम से सूज गयी है और बहुत दुःख रही है, पर मन अभी नहीं भरा है और ऐसा ही हाल मेरे लंड का था। लेकिन फिर भी मैं उसे एक बार और चोदना चाहता था और जब मैंने उसे अंतिम बार एक बार मुझे चोदने के लिए सहमत कियाl बार बार लंड को चूत में अन्दर-बाहर करना, जैसे वो आम तौर पर संभोग के दौरान किया जाता है मुश्किल लग रहा था । मैंने सुझाव दिया कि हमें "अपने आप को एक संभोग के लिए सोचने की कोशिश करनी चाहिएl"

तो मैंने कहा ऐसा करते हैं, एक बार लंड अंदर घुसा लेने दोl ये अब तुम्हारी चूत से दूर नहीं रहना चाहता हैl इसके बाद मैंने अपने कठोर हो चुके लिंग को उसकी चूत के छेद पर रखा, और एक झटके पे पूरा का पूरा अंदर उतार कर योनि के अंदर गहराई से दफन कर दिया। और फिर, हम दोनों के शरीर एक दुसरे से लिपट गए और हमारी आँखें बंद थीl फिर मैंने रोजी से कहा, जो हम दोनों ने कल रात किया उसे एक बार फिर सब मानसिक तौर पर महसूस करते हुए मन ही मन दोहराओl फिर मैंने अपने दिमाग (अपनी खुद की यौन कल्पनाओं) का उपयोग करते हुए सब मानसिक तौर पर महसूस कियाl धीरे-धीरे मेरी मानसिक यौन उत्तेजना के उस बिंदु तक बढ़ गयाl जहां मैं संभोग का कारण बन गया मेरे मस्तिष्क की यही तरंगे रोजी ने भी महसूस करिl हम दोनों बिना अपने जननांग को धक्को द्वारा हिलाये सम्भोग करने लगेl

वास्तव में, जब रोजी मेरे साथ इस तरह से सम्भोग कर रही थीl मैं रोजी के साथ अपनी पहली चुदाई के पूरे घटना क्रम को मानसिक तौर पर दोहरा रहा था, और इससे अपनी मानसिक यौन उत्तेजना को इतने उच्च स्तर पर रखने में कामयाब रहाl रोजी से भी मैंने ऐसा ही करने को कहा कि रोजी को मैंने दो बार झड़ते हुए महसूस किया।

हालाँकि मुझे शुरू में अपनी यौन उत्तेजना का निर्माण करने में थोड़ा समय लगा, लेकिन यह पता चला कि मैं वास्तव में "संभोग करने के लिए खुद को" सोच सकता था। और मैं ये सब कुछ देख सोच कर बहुत हैरान थाl

(अब हर चीज पर पीछे मुड़कर, मैं वास्तव में नहीं जानता कि मैं इस तथ्य से इतना हैरान क्यों था कि मेरे पास एक संभोग करने के लिए "खुद को सोचने" की क्षमता थी, क्योंकि मुझे पता था कि सेक्स शोधकर्ताओं ने हमेशा दावा किया था ,कि सेक्स वास्तव में 90% मानसिक और केवल 10% शारीरिक है।)

और आखिरकार उस दिन मैंने उस सुबह रोजी की चूत में अपना लावा जमा कर दिया, वो भी,एक बार भी, अपने लिंग को उसकी योनि में अंदर-बाहर किये बिना। अद्भुत यह मेरे और रोजी के सबसे लम्बे चलने वाले और कामुक यौन अनुभवों में से एक है।

वैसे, इस तरह से मानसिक सेक्स का मतलब का मतलब यह नहीं है पुरुष जानबूझकर योनि के अंदर घुसे हुए (गर्भाशय ग्रीवा के खिलाफ) अपने अन्यथा-स्थिर लिंग के सिर का विस्तार और अनुबंध नहीं कर सकता, जो की आगे लगभग हर बार मानसिक सेक्स करते हुए मैंने रोजी के साथ अक्सर कियाl इसी तरह रोजी भी मेरी हरकतों को महसूस करते हुए अक्सर मानसिक सेक्स के दौरान योनि के अंदर घुसे हुए कठोर लिंग को निचोड़ने और मालिश करने के लिए अपनी योनि में मांसपेशियों का उपयोग करती हैl यहां महत्वपूर्ण यही है की मानसिक सेक्स के दौरान हम जान बूझकर पैल्विक रॉकिंग या जननांग थ्रस्टिंग नहीं करते स्वाभिक तौर पर कुछ हो जाए तो उसे रोकते भी नहीं है।

उसके बाद अपना लिंग रोजी की योनि के अंदर दाल कर ही हम दोनों गहरी नींद में खो गए उसके बाद हमारी नींद तभी खुली जब बॉब ने हमारे दरवाजे पर दस्तक दी, तो हम मुश्किल से अपने आप को ठीक कर पाए। मैंने दरवाजे को तुरंत खोल दिया, और बॉब और रूबी अंदर आ गए। तो रूबी ने रोजी को बधाई दी और बॉब ने मुझे बधाई दी मैंने भी बॉब और रूबी का शुक्रिया अदा किया, के उनके कारण ही मुझे रोजी का साथ मिल पाया है, और मैं प्रेम की दिव्य कला के रहस्यों को जान पाया थाl

फिर मैंने जब तक गाँव में रहे, तब तक अपनी सारी रातें रोजी के साथ बिताईं, कभी-कभी उसके कमरे में में, फिर से मेरे अपने कमरे में कभी जब रात के इंतजार नहीं हो पाता था तो मैं उसे दिन में अपने कमरे में ले जाताl ये घर के किसी भी कोने में जहाँ हमे कोई नहीं देख रहा होता था और उसके साथ खूब आनंद लेता और रोजी भी हमेशा खुल कर मेरा साथ देती थी।

एक दिन, जब रोजी मेरे साथ मेरे कमरे में, बिस्तर पर लेटी हुई थी , उसके कपड़े ऊपर उठे हुए थे मेरा कठोर लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा थाl अचानक रूबी ने कमरे में प्रवेश किया, क्योंकि मैंने जल्दबाजी में दरवाजा अंदर से बंद नहीं किया थाl

रूबी को मेरे खड़े लंड का एक अच्छा नज़ारा मिला, और वह इसे देख रहा थी, जाहिर तौर पर मेरे लंड के इसके इतने बड़े होने पर आश्चर्यचकित थी, लेकिन हम जिस हालात में थे उसे देख कर चुपचाप दरवाजा बंद कर चली गयीl

आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगी

आपका दीपक


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1. मजे - लूट लो जितने मिले
2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
3.अंतरंग हमसफ़र
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

प्रथम अध्याय

रूबी के साथ सेक्स, उसके बाद समूह सेक्स.

भाग 5


अगले दिन दोपहर में, रूबी मेरे कमरे में आयी तो मैंने उससे पुछा वह कल मेरे कमरे में किस लिए आयी थी कुछ ख़ास है क्या? उसने मुझे उसके कमरे में आने का आमंत्रण देते हुए कहा, "मेरे पास आपको दिखाने के लिए कुछ है जो आपको आपकी प्रेमिका रोजी की तुलना में बहुत अधिक खुश और संतुष्ट करेगा।" और फिर मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपने कमरे की तरफ आने का इशारा करते हुए अपने कमरे को और चली गयीl

मैंने रूबी का उसके कमरे तक पीछा किया, जैसे ही मैं उसमे घुसा उसने ताला लगा दिया। मैं एक खिड़की से बाहर देखने लगा और रूबी से पुछा ऐसा क्या ख़ास है जो मुझे रोजी से भी ज्यादा ख़ुशी और आननद देगा? रूबी बिस्तर के पीछे गयी , जिसके पर्दे खींचे कर थोड़ा उजाला किया। मेरी तरफ बढ़ते हुए एक हलके कदम की आहट सुन मैं पीछे को पलटा तो मैंने वहां देखा रूबी जो पूरी तरह से नग्न होकर मेरे सामने खड़ी थीl वह उछली और मेरी बाहों में में आ गयी और मेरे गले में बाहे डाल कर,, गोल-गोल घुमाती हुई, और मुझे बिस्तर पर ले गई, जिस पर वह खुद बैठ गयीl

मुझे समझ आ गया रूबी मुझे क्या दिखाना चाहती थीl मैंने पहले भी उसकी खूबसूरती को देखाl और महसूस किया थाl और जिसमें उसने मुझे आमंत्रित किया थाl अब उसके साथ सेक्स करने में मुझे कोई हर्ज नहीं दिखाई दियाl और कोई दूसरा रास्ता नहीं होने के कारण, मैंने अपना कोट और कमीज उतार कर फेंक दिया, जबकि उसने मेरी पैंट को नीचे फेंक दियाl मेरे हमेशा तैयार हथियार को उसने बाहर निकाल लिया और उसे सहलाते हुए बोली सच में आपका लंड काफी बड़ा हैl इससे चुदने में तो काफी मजा आएगा और मेरे लंड को मुँह में ले कर चूसने लगी l ये लंड चुसवाने का मेरा पहला अनुभव थाl रोजी ने कभी लंड नहीं चूसा थाl रूबी लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी और बोली इतना खूबसूरत बड़ा और मोटा लंड देखकर मैं खुद को रोक नहीं सकीl फिर बिस्तर पर गिरते हुए, उसने मुझे ऊपर खींच लिया फेंक दिया। मैंने अपने जल्द ही अपने लंड की पूरी लंबाई उसकी कुदरती और स्वाभाविक नरम और सुस्वाद म्यान में चला दी, और रेल गाडी बना कर चलाता रहा।

इस बीच मैंने उसको ओंठो को खूब चूसा और और उसके स्तनों को बुरी तरह से दबाने के बाद चूमा चाटा और चूसा । मैंने उसको कई बार काटा। इसके बाद दो बार उसने प्रेम के जलाशय की बाढ़ को खोल दिया, और उसके अंदर अपने ज्वलंत शुक्राणु की एक धारा डाल दी, क्योंकि दोनों बार जब वह मुझसे मिली, तो मैंने बहुत सी क्रीम को उसके शरीर की इतनी गहराई से छोड़ दिया कि हमारी जांघों हमारे प्रेम रस से भीग गए।

इस समय से जब तक मैं और मेरे फूफेरे भाई ने गाँव में रहे तब तक मैं प्रत्येक दिन उसी तरह से रूबी का दिन में और रोजी के साथ रात भर आनंद लेता रहा l

तो प्रीती बोली इस दौरान आपका दूसरा फूफेरे भाई टॉम क्या कर रहा था, प्लीज वह भी बताइये?

तो मैंने कहा इस तरह गाँव में मैं बिना रोकटोक के रूबी और रोजी के साथ मजे करता रहा और वहां हम लगभग दो हफ्ते रहेl दो हफ्ते बाद पिताजी को फ़ोन आया, वो अगले हफ्ते में वापिस आ रहे हैंl

उनके आने के बाद दूसरे सप्ताह के अंत में सुबह सुबह मेरे फूफा ने अगले दिन वापिस शहर के लिए प्रस्थान करने की घोषणा की, और मुझे उनके साथ जाने के लिए पूरी तैयारी करने के लिए कहा। मैंने और मेरे दोनों फूफेरे भाइयो ने फैसला किया की हम अपनी अपनी प्रेमिकाओ के साथ जंगल में एक छोटे से तालाब के किनारे बिताकर दिन का सर्वोत्तम संभव उपयोग करने का निर्धारित किया ।

वह रविवार की सुबह थी, बॉब खुद, मैं और और टॉम (हालांकि मैंने उसका हमारे प्रेम संबंधों के संबंध में उल्लेख नहीं किया है, यह नहीं माना जाना चाहिए कि वह हर समय ऐसी चीजों में लिप्त नहीं था, बल्कि इससे उल्ट, जबकि बॉब और मैं; रूबी और रोजी के साथ मजे ले रहे थे, टॉम ने खुद को मोना की बाहों में सांत्वना दी, मोना हमारी डेयरी की नौकरानियों में से एक थी, बड़ी रसीली और बहुत अच्छी दिखने वाली थी, जिसके साथ वह हररोज हमबिस्तर होता था l) हमने यह बात अपनी प्रेमिकाओ को भी बता दी थी और मिलने की जगह तय की गयीl जिसे तीनो लड़किया अच्छी तरह से जानती थी और अलग अलग हमारे साथ उस जगह पर जा चुकी थी l हम अपने साथ खाने पीने का जरूरी सामान और शराब इत्यादि अपनी कार में भर कर ले कर गए l

मैंने चुपचाप शराब में वह ख़ास देसी दवा जो रूबी में मुझे दी थी मिला दी जिससे सब लोग खुल कर मजे ले सके l

वहां पहुँच कर सुंदरियों को सलाम करने के बाद, हम दोपहर के भोजन की व्यवस्था करने के लिए आगे बढ़े, और हरे रंग की चटाई पर बैठ गए ,और शराब के कुछ जाम चले जिसे सबने पियाl हमारी प्रेमिकाओ द्वारा हमे प्रदान की गई कुछ अच्छी चीजों और उनके गुणों पर चर्चा कीl सबने अपनी अपनी प्रेमिका की भरपूर तारीफ की, जिसे सुन तीनो की प्रेमिकाए मुस्कुरा रही थीl उसके बाद स्वादिष्ट भोजन करने के बाद संतुष्ट हो गएl दूसरी अच्छी चीजें जो उनके पास थी, लेकिन जो दिखाई नहीं दे रही थीं, उसे पाने की स्कीम बनाने लगे ।

तदनुसार, शुरूआती तौर पर , हम अपने हाथों को अपनी प्रेमिकाओ की छाती में खिसकाएंगे, और थोड़ी देर के लिए उन्हें जमीन पर लेटा कर उसने प्रेमालाप और आनंद लेने का उपक्रम करेंगेl लेकिन हमारे प्रयासों के बावजूद हम तीनो उनको जांघो की एक झलक पाने से ज्यादा पेटीकोट ऊपर नहीं उठा सके थेl हमारे सभी प्रयासों के मामलों में आगे बढ़ने के लिए, यह कहते हुए, मना कर दिया वे एक दूसरे की दृष्टि में ऐसी शरारती चीजों के लिए वो सहमति नहीं देंगी , और अगर हमने बेहतर व्यवहार नहीं किया तो वे हमे छोड़ कर भाग जएंगी।

इस पर हमने उन्हें कुछ और दारु पिलाई जिससे दारु और दवा के मिले जुले असर से वो खुल कर हमारा साथ देl

मैंने तब प्रस्ताव किया और हमें स्नान करना चाहिए। "हम लड़के पहले अपनी शर्ट उतारेंगे, और फिर अपनी प्रेमिकाओ को निर्वस्त्र करेंगे, और आखिर में मेरे आदेश पर प्रत्येक अपने सारे वस्त्र उतार देगा।"

इसके लिए भी हमारी युवा प्रेमिकाए त्यार नहीं थी, क्योंकि उन्हें एक-दूसरे द्वारा देखे जाने पर कुछ शर्म थी , विशेष रूप से मोना, जिसे न तो बॉब और न ही मैंने खुद ने वर्तमान समय तक देखा थाl उन्होंने अपने आपातिया दर्ज करवाईl यहाँ तक के ये भी बोली हम अपने प्रेमी के साथ अकेले में कुछ भी करने को त्यार हैं, लेकिन सबके सामने नहीं कर सकतीl

हमने उनकी आपत्तियों को खारिज कर दिया और लड़को ने अपनी शर्ट को उतार फेंकाl फिर प्रत्येक अपनी प्रेमिका के पास जा कर उनकी ड्रेस की हुँको को खोल, और डोरियों को खोलते हुए उनके ब्लाउज, और पेटीकोट उतार दिए, लेकिन उनके शॉर्ट्स उन पर छोड़ दिए गए थे। मैंने आदेश शब्द दिया, उतारो ।" हमने अपनी पेण्ट भी उतार फेंकी और बिलकुल नंगे हो गए, लेकिन हमारी लड़कियों को देखकर पाया कि वे अभी भी अपनी शॉर्ट्स में खड़ी हैं।

हमे समझ आ गया अभी भी शर्म इन पे हावी है और जैसा हम चाहते थे की वे बारी बारी अपने कपडे उतारे वह नहीं होने वाला पर हम भी आज इन परियों को छोड़ देने के मूड में बिलकुल नहीं थे। मैंने प्रस्ताव दिया अगर वे अपने कपडे उतार कर फेंक दें और नग्न खड़ी हों जाए, और फिर पुरुषों द्वारा उनके शरीर की जांच की जायेगी और उनकी सुंदरता की तुलना की जायेगी और जो ये सबसे पहले कपडे उतारेगी, उसे एक सुंदर हीरे की अंगूठी दी जायेगी, दुसरे नंबर वाली को सोने की अंगूठी और तीसरी को एक चांदी की अंगूठी दी जायेगी।

और इसके बाद कि चूँकि लड़कियों को अपने प्रेमी के साथ एकांत में नग्न होने से कोई इंकार नहीं है, तो इसके बाद सभी प्रेमी अपनी प्रेमिका को एक कोने में कोई एकांत ढूंढ कर वहां उन्हें प्यार करे और बॉब और टॉम को एक आँख मार दीl

इसके बाद रूबी बोली "कि यहाँ पर हम अपने प्रेमियों से मिलने और अपने प्रेमियों के साथ प्रेम का आनंद लेने के लिए आयी हैं, उन्होंने शर्म को त्याग अपने सभी कपड़ो को उत्तर फेंका हैl वो इस खेल को खराब नहीं करेगी, क्योंकि उसे कोई शर्म नहीं थी कि क्योंकि उसे पूरा विश्वास है की वह खूबसूरत हुस्न की मल्लिका है, जो वह सब को दिखा सकती हैl उसे यकीन है कि वह एक खूबसूरत टांगो, छोटे छेद वाली योनि और सुन्दर सुडोल स्तनों की मालकिन है जो दुनिया की किसी लड़की से कम नहीं हैl"

इसके बाद रूबी ने अपने सभी कपडे उत्तर फेंकेl मैंने पलके झपक कर रोजी को इशारा किया तो उसने भी अपने बाकी कपडे निकाल दिएl ये देख के दोनों लड़कियों ने शर्म छोड़ दी है .मोना ने भी धीरे से अपने कपडे उतार फेंके, तो तीनो लड़को ने लड़कियों के लिए तालिया बजाईl फिर मैंने तीनो लड़कियों को एक एक हीरे की अंगूठी देते हुए कहा ये लो आपका इनाम l आप तीनो की कोई तुलना नहीं है तीनो एक से बढ़ कर एक हो कोई किसी से कम नहीं होl

चूँकि मैं रूबी और रोजी को पहले नंगी देख और भोग चूका था, मुझे मोना जो की टॉम की प्रेमिका थी आकर्षित कर रही थीl उसकी अपार बड़ी-बड़ी चूचिया उसके असाधारण बड़े कूल्हों और जाँघों के साथ, और सबसे सुन्दर उसकी योनि थी और जिसमें से दो बड़े लाल थपथपाते होंठ झाँकते थे, जो सबसे लुभावने लगते थेl मैंने प्रस्तावित किया था कि हम अपने पहले स्नान के बाद अपनी प्रेमिका को भोगेl फिर अपनी प्रेमिका को बदल दें, ताकि हर एक को दूसरे की प्रेमिका का आनंद लेना चाहिए।

इस पर रोजी बोली उसे इस प्रेमिका बदलने के प्रस्ताव से ऐतराज है, वो केवल मुझ से ही संसर्ग करेगी और उसने प्रतिज्ञा की है वो किसी अन्य मर्द के साथ नहीं जायेगी lतो मैंने कहा फिर गड़बड़ हो जायेगी, तो रोजी बोली उसके पास इसका उपाय है और रोजी एक तरफ गयी और वापिस आयी तो रोजी के साथ एक नयी लड़की आयी थी, जो किसी भी मामले में कम खूबसूरत और आकर्षक नहीं थीl उसे मुझ से मिलवाया और बताया वो उसकी सहेली थी टीना और मुझ से मिलना चाहती थीl मैंने उसका स्वागत किया और बाकी सबने भी उसका स्वागत किया, और हमारे साथ पिकनिक मनाने के लिए आमंत्रित किया, जिसे वह सहर्ष मान गयी और हमने उससे वादा लिया, की यहाँ जो भी होगा वह उसका चर्चा किसी से नहीं करेगी और राज रखेगीl

फिर रोजी मुझ से कान में बोली, टीना भी कुंवारी हैl अब आप फैसला कर लो पहले उसे कौन चोदेगाl मैं बोलै इसके दो तरीके हैं या तो ये फैसला टीना करे उसे किस्से चुदना है, अगर उसकी कोई ख़ास पसंद नहीं है तो हम लाटरी डाल कर फैसला कर ले l तो मैंने टीना से पुछा गया वह सबसे पहले किस्से चुदना पसंद करेगी l

तो टीना सर झुका कर खड़ी रही और फिर कुछ देर बाद रोजी की तरफ देखने लगीl

आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगी

आपका दीपक







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अंतरंग हमसफ़र

प्रथम अध्याय

टीना के साथ सेक्स

भाग 6



रोजी मुस्कराते हुए बोली वैसे टीना तो यहाँ दीपक से ही चुदने आयी है, फिर भी हम सब जो फैसला करेंगे उसे मंजूर होगाl"

तो रूबी बोली ठीक है फिर जैसा टीना चाहती है उसका सबसे पहला मिलन कुमार दीपक के ही साथ होगा l जिस पर सबने सहमति जताई और इसके बाद टीना भी इस अदला बदली के कार्यक्रम में शामिल होगी, तो टीना ने इसपर अपनी सहमति दी l रूबी बोली चुकी पहली चुदाई हमेशा ख़ास होती है. उसे यादगार बनाने का प्रयास करना चाहिए l आप हमे कुछ समय दे तो हम टीना को त्यार कर देते हैं. और कुछ जरूरी तयारी करके इस मौके को ख़ास बनाने का प्रबंध करते हैंl

तो रूबी. टीना. और रोजी के साथ चली गयी और हम तीनो मोना को पकड़ कर तालाब में चले गए.और उसके साथ खेलने लगेl कोई पानी में उसके स्तनों को धो रहा था, तो कोई उसकी पीठ, और कोई उसकी केले के तने जैसी चिकनी टाँगे धो रहा था l कुछ देर बाद मैं अपने हाथ उसके सारे बदन पर चला रहा था l उसका एक हाथ मेरे खड़े लंड से खेल रहे थे और उसका दूसरा हाथ बॉब की लंड से खेल रहा था l बॉब के हाथ उसकी गांड और चुत पर चल रहे थेl वही टॉम उसके स्तनों से खेल रहा था और दोनों एक दुसरे को बेतहाशा किश कर रहे थेl

कुछ ही देर में रूबी आ गयी, और बोली कुमार दीपक आ जाइये, टीना आपका इंतजार कर रही हैl मैं तालाब से बाहर निकल कर एक साइड में देखाl हरे घास के मैदान में फूलो की एक सेज बना कर उस पर, टीना बड़ा सा घूंघट कर के बैठी हुई थी l सब तालाब से बाहर निकल कर उस तरफ देखने लगेl ये पहला मौका था जब मुझे सब के सामने एक सुन्दर कन्या का कौमार्य भंग करना था l टीना ने दुल्हन के कपडे पहने हुए थे और उसका फूलों से श्रृंगार किया गया था l एक तरफ रोजी बैठी हुई थी l मैंने रोजी की तरफ देखा तो वो मुस्कुराने लगी l

टीना को सिवा इस समय सब नंगे थे ,तो मैंने निश्चय किया टीना को भी हम नंगो के गैंग में जल्द शामिल कर लेना चाहिए l फिर मैं पहले रोजी के पास गया और उसे लिप किश करने लगाl वहीँ रूबी जाकर बॉब के पास बैठ गयी और टॉम और मोना भी जोड़े बना कर बैठ गए l सब अपनी अपनी साथी के साथ थे, तभी रोजी ने लिप किश तोड़ते हुए कहा कुमार टीना मेरी सबसे अच्छी दोस्त है, वो आपका इंतज़ार कर रही हैl आप उसके पास जाइये l

मेरा हाथ पकड़ कर टीना के पास ले गयी, और टीना का हाथ मेरे हाथ में दे कर बोली मजे कीजिये, और एक तरफ हो कर जाने लगीl मैंने उसे कहा थैंक यू रोजी इस खूबसूरत तोहफे के लिए l वह मुस्कुरा कर देखने लगी l तो मैंने अपनी एक अंगूठी उतार कर टीना को देते हुए बोला" टीना हमारे प्यार के पहले नज़राने को कबूल करोl" उसने अपनी ऊँगली आगे कर दी. तो मैंने उसे पहने कर हाथ पकड़ कर खड़ा कर दिया l मैंने देखा उसने साड़ी पहनी हुई थी और उसका फूलो से श्रृंगार किया गया था l

तो रूबी की आवाज़ आयी, हम पहले से तयारी कर कर के आयी थीl मैंने धीरे से उसका घूंघट उठा दियाl टीना का भी रंग गोरा और सुन्दर नैन नक्श थे. और काले लम्बे बाल. बड़ी बड़ी आँखे. गोल चेहरा. कमसिन बदन. और प्यारी सूरत थी l मैंने उससे पुछा क्या मैं आपको किश कर सकता हूँ और उसे गालो पे एक हलकी से किश कर दी l ये उसकी पहली किश थीl

फिर उसके माथे पर किस करि l फिर आँखों पर फिर नाक को चूमा और फिर ओंठो पर एक हलकी सी मीठी सी किश करि, और चेहरा दूर कर उसको देखा. उसने शर्मा कर अपना चेहरा और आँखे झुका ली. पर मुझे उसकी इस अदा में उसकी सहमति दिखी. और मैंने उसके ओंठो पर एक लम्बी गहरी किश कर दीl

मेरे जीभ उसके ओंठ खोलते हुए उसके मुँह में चली गयी और उसके दांतो तो घिस कर चमकाने के बाद, उसकी जीभ से लड़ने लग गयी l फिर टीना ने मेरी किस का जवाब अपनी किश से दिया और वह मेरी जीब चूसने लगी l उधर मेरे हाथ उसकी पीठ पर पहुचं कर उसकी गांड तक पहुंचे और उसके सुडोल स्तनों के दबाने लगेl वहीँ टीना के हाथ भी मेरी पीठ पर जाकर मुझे उसकी छाती की और दबाने लगे l

फिर मैंने उसे अपने गले से लगा कर कुछ देर उसकी पीठ को सहलाया और फिर मेरे हाथ उसको स्तनों पर चले गए और उन्हें दबाने लगेl उसके बूब्स सुडोल और बड़े बड़े थे और उसके निप्पल भी उत्तेजित हो चुके थेl मुझे महसूस हुआ उसने टॉप नहीं पहना हुआ था l और टीना भी उत्तेजित थी तो मैंने उसके कपडे उतारने शुरू किये l

मैंने उसका पल्लू हटाया तो मेरा अंदेशा पक्का हो गया की उसने सिर्फ साडी ही लपेटी हुई थी और उसकी पीठ नंगी हो गयीl मैंने उसकी पीठ पर हाथ फिरायाl

वाह! क्या चिकनी कमर थी मेरा हाथ फिसल कर सीधा उसकी गांड तक पहुँच गयाl मैंने साडी का पल्लू खींचा तो गोल स्तन मेरे आगे सीना तान कर मुझे ललचाने लगे l मैं उसके स्तन पकड़ कर उनकी दृढ़ता को महसूस किया और उनके दवाया l उसके निप्पल उत्तेजना में खड़े हो चुके थे l फिर मैंने उसके स्तनों को चूमा सहलाया दबाया और एक निप्पल को अपने मुँह में ले कर चूसने लगा, फिर उसके दुसरे निप्पल को चूसा l फिर ऐसे ही एक एक कर दोनों निप्पलों को चूसता रहाl

उत्तेजना के वजह से उसके स्तन और कड़े हो गएl मैंने उसे छाती के साथ चिपका लिया तो उसके गोल सुडोल स्तन और निप्पल मेरे छाती में गड गएl बता नहीं सकता मुझे क्या मजा आया l फिर मैंने उसको सीने से लगा कर रखते हुए उसके ओंठो को दुबारा चूमना शुरू कर दिया l फिर एक हाथ नीचे ले जा कर उसकी साड़ी की गाँठ खोल कर साडी को उतार फेंकाl वह बिलकुल नंगी हो गयीl बस कुछ फूल जिनसे उसका श्रृंगार किया गया था वही उसके बदन पर थे l मेरे द्वारा उसको नंगा करते ही रोजी बोली टीना हम नंगो के गैंग में तुम्हारा स्वागत है l

मैंने देखा टीना की चुत भी सफाचट थीl उसपे एक भी बाल नहीं थाl मैंने उस पर हाथ फिराया तो टीना धीरे से बोली आज ही रोजी ने साफ करि है ख़ास आपके लिए क्योंकि आपको यहाँ बाल पसंद नहीं हैं l

फिर मैंने एक बार उसके सारे बदन को चूमा, और तभी रूबी बोली चलो अब चुकी सब नंगे हो चुके हैं, तो तालाब में स्नान कर लिया जाएl

मैंने अब तालाब का रास्ता पकड़ा एक हाथ में टीना का हाथ और दुसरे में रोजी का हाथ पकड़, दूसरों का अनुसरण करते हुए हम सब के सब उस छोटे से तालाब में उतर गए। हम सब पानी में हर तरह की तरकीबें कर रहे थे, कभी लड़कियों पर पानी के छींटे डाल कर और कभी तो उनका सिर और कानों को दबाकर, और उन्हें हर संभव तरीके से उकसाया जाता था, और उन्हें धोने के बहाने हमने अपने हाथों को हर आज़ादी दी। हर हिस्से को सहला स्तनों को निचोड़ और उनकी चूचियों , उनकी मुलायम बेलो जैसी टाँगे , उनकी जाँघों, उनके चूतड़ों और दूसरे सभी हिस्सों को रगड़ते हुए उनके साथ खेल रहे थे और लड़किया भी यथा संभव अपने साथियो का साथ दे रही थी l

जहाँ रोजी सिर्फ मेरे साथ थीl वही बाकी तीनो लड़कियों टीना, रूबी और मोना के साथ तीनो लड़के बारी बारी मजे ले रहे थेl l रोजी को तीनो लड़किया भी छेड रही थी, तो वह भी मुस्कुरा कर उनके अंगो पर पानी के छींटे मार देती थी l सच में बहुत मजा आ रहा था l

जैसा कि हम कमर तक की गहराई के पानी में खड़े थेl हमारे इंजन खड़े थे, और अच्छी कामकाजी स्थिति में थेl टीना और रोज़ की कमर के चारों ओर मेरे हाथ के साथ, मैंने अपने इंजन के नोजल को टीना के पानी से भरे भट्टी के मुंह में डालने की कोशिश कीl उस आग को बाहर निकालने के उद्देश्य से जो इसके भीतर भड़की हुई थी, लेकिन मेरी कोशिश सफल नहीं हो सकी, क्योंकि हम पानी में एक दूसरे का समर्थन करने में असमर्थ थे।

तभी मेरा ध्यान पानी की छपाक की आवाजों की तरफ गया, तो मैंने चारो तरफ घूम कर देखा की टॉम और बॉब अपनी प्रेमिकाओ को तालाब के किनारो पर ले गए थे l रूबी और मोना के सर जहाँ किनारे पर आराम कर रहे थे, उनका बदन तालाब में ऐसे था की रूबी और मोना का पेट और पीठ तैर रही थी और पानी की तरंगे उनके ऊपर से बह रही थीl टॉम और बॉब ने उनकी कमर पकड़ रखी थी और उनकी खुली हुई टांगो में घुसे हुए थे और फिर उनकी कमरे हिलने लगी थीl

मैंने यही तरकीब टीना के साथ आजमाने की कोशिश करि. तो रोजी ने आ कर मुझे सहारा दिया और मेरा लंड उसकी योनि पर लगायाl चुकी ये टीना की कुंवारी योनि के लिए पहली बार था, तो मेरा ये प्रयास भी विफल रहा l रोजी बोली टीना अपनी योनि को ढीला छोड़ो ताकि कुमार का लंड इसमें प्रवेश कर सकेl टीना ने कोशिश करि. मैंने भी जोर लगाया पर कोई ख़ास सफलता नहीं मिली, तो टीना बोली कुमार आप एक बार रोजी के साथ अभ्यास कर लो, फिर हम कर पाएंगे l

उसका ये सुझाव मुझे और रोजी को जच गया और बाकी सब ने भी इसका समर्थन किया l तो मैंने रोजी का भी इस तरह से तालाब के किनारे पर सर टिकायाl उसे पानी में लिटाया, उसकी टांगो को पकडे लंड उसकी योनि के द्वार पर फसाया, और धक्का दे दिया ,और लंड उसकी चुत की जड़ में पैबस्त कर दियाl फिर कुछ देर तक हम दोनों की कमर और चूतड़ों ने हरकत जारी रखीl फिर रोजी हिली और उसने मेरे गले में अपनी बाहे डाल दी, और अपने ओंठ मेरे ओंठो से जोड़ दिए, और वह मेरी गोद में थी मेरा लोढ़ा उसकी चुत में था और वह उछलने लगी l

चुकी हम पानी में थे, तो शरीर पर कोई ज्यादा बजन नहीं थाl हमने पानी में चारो तरफ घुमते हुए चुदाई जारी रखी और फिर मैं उसे दूबरा किनारे पर ले गयाl उसे किनारे के साथ टिकाया और कुछ तेज झटके दे कर उसे गर्भाशय पर अपने वीर्य के धार मार दीl रोजी ने भी अपने जलाशय से अपना प्रेम अमृत छोड़ दिया l

जब हम दोनों एक दुसरे से फारिग हुए तो हमने देखा, बाकी सब तालाब से बाहर आ चुके थे और किनारे पर टॉम और बॉब , मोना और रूबी के चिपके हुए थे और उनके कमर नॉन स्टॉप इंजन की तरह चल रही थीl

उधर ये नज़ारे देख कर उत्तेजना के तूफ़ान ने डूबी हुई टीना मेरे पास आयी और मुझे तालाब में अपनी और खींच कर ले गयीl यह हमारे सामने एक उदाहरण था, जिसे रोजी और मैं विरोध नहीं कर सकते थेl

पानी से बाहर निकलकर हम किनारे एक पेड़ के छाँव ने नीचे तीनो घास पर बैठ गए, रोजी मेरे कान में फुसफुसाई, आप टीना की योनि में प्रवेश यही किनारे पर कर लो, फिर आगे का काम तालाब में कर लेना l मुझे उसका सुझाव पसंद आया मैंने वहाँ टीना को मेरी जांघों पर बिठाया, उसके पैर मेरी पीठ के चारों ओर लिपट गए। उसके नरम, सुंदर सफेद पेट मेरे पेट के खिलाफ रगड़, मैंने उसके गुलाबी निप्पल वाली गोल सुडोल चूचियों को एक हाथ से मजबूती से दबोच लिया, जबकि दूसरे के साथ मैं प्रकृति की अपनी उत्कृष्ट कृति के अंदर अपने छड़ के लिए जगह बनाने के लिए प्रेम के बंदरगाह के प्रवेश द्वार को बनाने की कोशिश कर रहा थाl

मैंने उसकी जाँघों के बीच में लंड को घिसा, और योनि के छेद को महसूस किया, और उसके पेट के खिलाफ जोर से दबाया, और नरम, और सुस्वाद म्यान , जिसकी बेशुमार आपूर्ति प्रकृति ने एक इतनी खूबसूरत महिला को की थी, के भीतर प्रवेश, और आश्रय की मांग करि जिसका रोजी और टीना सबसे प्यारा नमूना थेl

टीना ने भी विनोद करते मजे लेने के लिए मेरे योनि में प्रवेश प्राप्त करने के मेरे प्रयासों को रोकने के लिए बचने का प्रयास किया l उसका ये प्रयास हमारे आनद को लम्बा करने का ही एक उपक्रम था l उसने अपने कमसिन नाजुक बदन को इस तरह की पैंतरेबाजी की, जिससे हम दोनों के अंदर जल रही कामाग्नि, और भड़क जाए, और इसने मेरी उत्तेजना को और बढ़ा दियाl

मैं उसके बदन पर गरमा गर्म चुम्बन किये, जिसका उसने भी उतनी ही गर्मी और उत्तेजना के साथ मुझे चुम कर जवाब दिया l उसकी आँखों भी काम उत्तेजना की आग में लाल हो रही थीl लम्बे काले रेशमी पलकों जो आधी खुली हुई थीl ऐसा लग रहा उसकी आग मुझे पिघला रही थी । हम दोनों घास पर लुढ़क गए , एक दूसरे की बाहों में समाये हुए मैं नीचे था और वह मेरे ऊपर थीl मैंने दुबारा लंड को उसकी योनि के द्वार पर सेट किया l एक धक्का ऊपर को दिया उधर रोजी ने टीना के अपने हाथो से दबाब दिया l

टीना जोर से चिल्लाई है मैं मर गयी मेरी फैट गयी और मेरा पूरा लंड उसकी झिल्ली फाड़ता हुआ एक ही झटके में जड़ में जाकर उसके गर्भाशय से टकराया l

उसकी आँखे आंसुओ से भर गयी और वह रोती हुई बोली आराम से नहीं कर सकते थे मुझे बहुत दर्द हुआl मैंने कहा जब आराम से कर रहा था, तो तुम भी सहयोग नहीं कर रही थी, और नाटक करके मजे ले रही थीl तो मुझे लगा थोड़ा ज्यादा जोर लगाना पड़ेगा तो लगा दिया l हम कुछ देर ऐसे ही लेटे रहे और उसे चूमता हुए उसके स्तन दबाता रहा l कुछ देर बाद उसका दर्द कम हो गया, तो उसने चूतड़ उठा कर एक बार नीचे को दबाये, तो मैं समझ गया, अब चुदाई जारी रखने का समय आ गया हैl

फिर मैं लंड अंदर डाले हुआ धीरे धीरे सरकता हुआ, उसे तालाब के अंदर ले गयाl वो मेरे प्यार के औजार को अपने अंदर महसूस कर रही थी l मैंने तालाब के अंदर उसे खड़ा किया, फिर कुछ देर तक हम दोनों की कमर और चूतड़ों ने हरकत जारी रखी, और फिर जैसे रोजी ने किया था, वैसे ही टीना उछलीl उसने मेरे गले में अपनी बाहे डाल दी और अपने ओंठ मेरे ओंठो से जोड़ दिएl वह मेरी गोद में थी मेरा लोढ़ा, उसकी चुत में था और मैं घूमा मेरी पीठ तालाब के किनारे से लग गयी थी l टीना लंड पर उछलने लगी. मेरे हाथो ने उसके चूतड़ों को संभालाl l मैं फिर घूमा उसे तालाब की दिवार से लगाया और स्पीड से धक्के लगाए हमारी स्पीड बढ़ती जा रही हैl हम और उग्र हुए और दोने एक साथ चरम पर पहुंचे और झड़ गएl

अपनी आँखें बंद करके और एक सांस ले कर हमने कंपकंपी के साथ अपने अंगों को तालाब से बाहर निकाला; और घास पर लेट कर आराम करने लगेl मैंने उसे चूमा तो वह बोली तुमने मुझे सबसे बड़े आनंद का अनुभव दिया है जो महिला प्राप्त करने या देने में सक्षम है।

आगे क्या हुआ ...

ये कहानी जारी रहेगी




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#8
अंतरंग हमसफ़र

प्रथम अध्याय


साथियो की अदला बदली.

भाग 7


बेशक टीना की चुदाई करके मुझे बहुत मजा आयाl और टीना भी अपने पहले सेक्स अनुभव से बहुत खुश थी l उसे दर्द हो रहा था पर ये दर्द उसने पूरी हिम्मत के साथ सहा थाl मेरे लंड पर उसके कुंवारे पण का सबूत उसका लहू, उसके जलाशयों का रस और मेरी क्रीम लगी हुई थी l और उसकी योनि से भी तीनो का मिश्रण बह कर उसकी जांघो पर फ़ैल रहा था ,तो टीना ने वही रखा एक रुमाल उठा कर मेरा लंड और अपनी चूत को साफ़ कर दिया l तो टीना ने रोजी से वह रुमाल सभाल कर रखने को कहा और हम दोनों एक दुसरे के आलिंगन बद्ध हो गएl हम दोनों से सांस बहुत तेज चल रहे थे, जैसे कई मील लम्बी दौड़ लगा कर आये हो और जब हमारे सांस सम्मान्य हो गएl तो मैं टीना को नीचे लिटा कर, उसके ऊपर आकर उसे लिप किश करने लगा, और टीना के साथ दुसरे राउंड की तयारी करने लगा l

अभी हम अपनी तपन से ठीक से उबर भी नहीं पाए थे और जैसे ही मैं उसके ऊपर आ कर उसे लिप किश करने लगा, तो कुछ ही देर में मेरे फुफेरे भाइयो ने आकर मेरी नंगी पीठ पर थप्पड़ मारते हुए मुझे मुबारकबाद दीl फिर रोजी ने टीना को मुबारक बाद दीl बाकी लड़कियों ने भी टीना और मुझे मुबारकबाद दी तो हम दोनों अलग हो गए।

तो बॉब बोला दीपक भाई क्या नयी लड़की मिलने के बाद तुमने साथियो की अदला बदली का इरादा बदल लिया है? अगर हां तो कोई बात नहीं, हम दोनों भाई टॉम और बॉब ही अपने साथी बदल लेते हैं l तो मैंने तुरंत भागीदारों का परिवर्तन प्रस्तावित किया।

इसके लिए मेरे फूफेरे भाइयों ने तुरंत अपनी सहमति व्यक्त कीl इसके साथ लड़कियों को भी बहुत खुशी हुई क्योंकि रूबी मेरे साथ एक बार अपनी रसदार सिलवटों और उसकी योनी के अवकाश के भीतर मेरे लंड को दफनाने के लिए बहुत उत्सुक थीl मोना भी बहुत इच्छुक थी, क्योंकि जब मैं उसकी जांच कर रहा था, तो उसने मुझसे फुसफुसाते हुए कहा था कि यद्यपि दिखने में उसकी योनि बड़ी थी, लेकिन उसकी योनि छोटे छेद वाली थीl टॉम का लंड बहुत छोटा था और उसकी चुदाई के कारण मोना की योनि का छेद खींच कर बड़ा नहीं हुआ थाl वही मेरा लिंग टॉम से लगभग दोगुना बड़ा था, और उसे यकीन था कि अगर मैं उसे आजमाने के लिए तैयार हो जाऊं, तो मैं उसे रोजी की तुलना में बहुत बेहतर पाऊँगा।

पानी से बाहर आने के तुरंत बाद हमने साथी बदल लिए, बॉब टीना के साथ टॉम और रूबी, मेरी और मोना की जोडिया बनीl वही रोजी इस अदला बदली से अलग रही और मेरे पास आ कर खड़ी हो गयीl मोना की अपार बड़ी-बड़ी गोल सुडोल गोरी गोरी चूचिया उन पर गुलाबी निप्पल, उसके असाधारण बड़े कूल्हे और चिकनी जाँघें, सब से ऊपर उसकी खूबसूरत आठ इंच लम्बी योनी थीl उसकी योनि के बड़े-बड़े लाल थरथराते होंठ, जो सबसे लुभावना लग रहे थेl मैं उसके खूबसूरत पैरों के बीच लेट गयाl मेरे गाल उसकी चिकनी जांघो पर लग रहे थे और मेरे ओंठ उसकी योनि के फटे होंठों की खुशबू ले रहे थेl उसने तालाब से बाहर निकलने से पहले अपनी चूत को तालाब के पानी में साफ़ कर लिया थाl जिससे उसकी चूत बिलकुल ताज़ी लग रही थी। जिसके अंदर उसका स्वादिष्ट और शानदार प्रवेश द्वार था। मैंने उसकी चूत के आसपास के क्षेत्र को चाटना और चूमना शुरू किया, पर उसे सताते हुए उसकी चूत को छुआ भी नहींl

मैं कुछ देर उसकी जाँघों और चूत के आस-पास के क्षेत्र को छेड़ता रहा। प्लीज मुझे ऐसे मत तड़पाओ वह मिन्नत करने लगी और मेरी छेड़खानी के कारण ही उसका शरीर कांपने लगाl बोली आह क्या कर रहे हो प्लीज मुझे कुछ कुछ हो रहा हैl प्लीज! कुछ करो मेरे बदन में आग लग रही हैl एक मिनट के लिए उसकी फुहार करने के बाद, मैंने उसकी चूत को किश कियाl, तो उसने टाँगे खोल कर मुझे अंदर तक किश करने का जैसे न्योता और रास्ता दिया.पर मैंने सोचा इसे अभी और तड़पाना. ताकि सिर्फ मेरे छूने की कल्पना मात्र से मोना इतनी उत्तेजित हो जाए, चाहिए फिर देखते हैं कैसा मजा आता है l

मैंने फिर घुटनो से शुरू करते हुए उसकी एक जांघ के अंदरूनी हिस्से पर किश करना शुरू करते हुए, धीरे धीरे चूत की तरफ बढ़ना शुरू कियाl तो मोना में अपने घुटना मोड और शरीर को नीचे किया, ताकि मैं उसकी चूत को भी किश कर लूl मैंने भी पैंतरा बदलते हुए उसकी दूसरी जांघ पर किश करते फिर ऊपर बढ़ने लगा, तो उसे फिर कूल्हे और घुटने हिला कर मेरा चुम्बन चूत पर लेने की कोशिश की ,तो मैंने भी चूत पर ना कर ऊपर किश कर दियाl वह बोली अच्छा! तो फिर अपनी मर्जी से ही करोगे, तो ऐसा ही सही, और मोना ने हार मानते हुए अपना बदन ढीला छोड़ दियाl

मैं फिर धीरे-धीरे उसकी टाँगे चूमते हुए उसकी चूत की तरफ बढ़ा, और जीभ निकाल कर चाटने लगाl जब बिलकुल चूत के ओंठो के पास पहुँच गया तो मोना को लगा, अब मैं उसकी चूत को चूमूंगा, पर मैंने उसे तड़पाने का उपक्रम जारी रखाl उसकी चूत को हलकी सी एक किस किया ,तो वह आगे क्या होगा ये सोच कर कांपने लगी मैं अपनी जीभ से चूत को छूते हुए ऊपर की और बढ़ गया और उसके चूत के ऊपर पेट के पास वाले हिस्से को किश किया और उसकी नाभि की और बढ़ गया l

मैंने उसकी नाभि को किस किया और फिर उसे ये बताने के लिए की मैं उसकी चूत को कैसे चूमने चाटने और चूसने वाला हूँl इसका एक नमूना दिखाने के लिए उसकी नाभि को पहले सब जगह चूमाl फिर जीभ निकाल कर नाभि के अंदर चाटा और फिर जीभ को नाभि के अंदर चारो और घुमाया l मेरी इन हरकतों से मोना की हालात बुरी हो गयी l बोली प्लीज जो करना है, जल्दी करो मेरी चूत के अंदर आग लग रही है l पर मैंने उसकी नाभि को चूसाl फिर उसके स्तनों की और बढ़ गया, तो मोना घुटनो के बल हो गयीl

मोना ने मेरे लंड को टटोलते हुए लंड को पहले पकड़ा, फिर सहलाने लगीl उसके हाथ लगाते ही लंड खूंखार होने लगाl उसने लंड को पकड़ कर चूत में छेद पर घिसा, तो मेरा भी मन किया अभी पूरा का पूरा उसके अन्दर घुसा दूँ पर मैंने खुद को रोका की अभी कुछ मजे और ले लूl,

मैंने सब जगह चूमा पर उसके किसी भी अंग को अभी तक हाथ नहीं लगाया थाl उसके बड़े बड़े गोल स्तन ने ऐसा ललचाया के मेरे हाथ पता नहीं, कब उसके स्तनों पर पहुँच गए और उन्हें दबाने लगे l क्या नरम मुलायम लेकिन दृढ स्तन थे, जो बिलकुल लटके हुए नहीं थेl उत्तेजना के मारे उसके निप्पल भी कड़े हो गए थेl मैंने उन पर हाथ फेरा, फिर स्तनों को किश किया और निप्पल को चूमा तो वह फिर कांपने लगीl मैंने निप्पल को जीभ से चाटा, वाह! क्या नमकीन स्वाद था और मुझे नमकीन स्वाद बहुत अच्छा लगाl उसकी कमर बल खाने लगीl उसने मेरा लंड छोड़ मेरे सर पकड़ा और अपनी छाती पर दबा दिया और बोली और जोर से चूसो l बहुत अच्छा लग रहा है l ऐसे ही चूसते रहो l मैंने फिर दांतो से निप्पल को पकड़ा और खींचा, और फिर ऐसे ही दुसरे निप्पल को चूमा चाटा और चूसने के बाद दांतो में दबा कर खींचाl फिर और ऊपर की और बढ़ गयाl

मैंने उसके छाती और गले की बीच के हिस्से को चूमा और चाटाl धीरे धीरे ऊपर की और बढ़ते हुए उसके कंधो को चूमा और चाटा l फिर उसकी गर्दन पर किस करि और उसकी ठोड़ी पर किश कर चाटाl उसके ओंठो पर एक हलकी से किस कर, उसके ओंठो और नाक के बीच के हिस्से को चूमा तो उसने भी मेरे ओंठो को मुझे चूमने की कोशिश करिl पर मैंने उसे तड़पाना जारी रखते हुए उसकी नाक को किश किया, और फिर आँखो को किस करने का बाद उसका माथा चूमा, तो उसने मुझे खींच कर अपनी छाती से चिपका लियाl तो मैंने उसके कानो को बारी बारी से चूमा और कानो के निचले हिस्से को चूसा और कानो में अपनी जाभ घुसा दी और मेरे हाथ उसके स्तन दबाते रहे l मोना की बस उतनी आवाज निकली इस्सस! क्यों इतना तड़पा रहे हो?

प्लीज, अब मुझे पूरा सुख दोl और उसने मेरा सर पकड़ा और मेरे होंठो पर बेतहाशा किस करके बोली प्लीज मुझे किस करोl

मैंने कहा तुम्हे सब जगह किश ही तो कर रहा हूँl

वह बोली नहीं सिर्फ लिप किश करो

मैंने कहा चलो तुम्हारी ऐसी इच्छा है तो लिप किश ही सही l

उसके बाद मोना ने मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस किया. और मेरे सर को जकड़ के अपने मुंह से मुंह लगा दियाl वह मेरा ऊपर का ओंठ चूसने लगीl मैं चुपचाप अपना जीभ चुसवा रहा थाl मैं उसके निचले ओंठ को चूसने लगाl थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगाl फिर मैंने अपना मुँह थोड़ा खोला और मोना की जीभ मेरे मुंह में चली गयीl

मोना मुझे बेकरारी से चूमने लगी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 20- 25 मिनट तक दोनों ऐसे ही ओंठ चूमते और चूसते रहेl फिर मोना तेज तेज सांस लेनी लगी और उसका पूरा बदन कांपने लगा और वह आह! आह! ओह्ह! करते हुए झड़ गयीl

इस बाद रोजी बोली कुमार मोना, बहन रूबी, टीना, बॉब और टॉम आप सब लोग कुछ देर आराम कर लो कुछ नाश्ता कर लो और शराब के दो गिलास ला कर सब को थमा दिएl इस तरह कुछ समय के लिए अपने साथी की खुबिया सब को बताते हुए सबने, शराब पी नमकीन , बिस्कुट, सलाद और मिठाई खाईl शराब और शराब में मिली दारु ने फिर अपना असर दिखाना शुरू कर दियाl हमारे जुनून इस तरह से उठने लगे, जिससे उन्हें लंबे समय तक अधीनता में रखना मुश्किल हो गयाl

मेरे फुफेरे भाइ बॉब ने कहा , मुझे लगता है कि पानी में लड़कियों को चोदने के दौरान ज्यादा मजा आया या फिर इस तरह की चुदाई की नवीनता से, हमारे पानी में फिर से जाने का प्रस्ताव है, और हम चाहते हैं हम अपनी इन संगिनीयो के साथ का पानी में आनंद लें। उन्होंने ऐसा किया, लेकिन मैं मोना के साथ पेड़ के नीचे ही रहा। फिर जो सेज मेरे और टीना के लिए लगाई गई थी मैं मोना को उस आरामदायक बिस्तर पर ले गया । मैंने उसे अपनी तरफ खींचकर उसके ओंठो को चूमा और बोला जहाँ पर रुके थे वही से शुरू करते हैं। वह उठकर उस बिस्तर पर लेट गई जिसे टीना की पहली चुदाई के लिए लड़कियों ने तैयार किया थाl

मोना हसते हुए बोली " बिस्तर बिस्तर पे लिखा होता है चुदने वाली का नाम l"

आओ मेरे राजा हो जाओ शुरू और मुझे अपने ऊपर खींच लिया l मैंने उसे एक लम्बी किश करि और फिर चुम्बन तोड़ कर उसके बूब्स चूसने लगा l फिर नीचे होते हुए उसकी नाभि को चूमते हुए जीभ दुबारा नाभि में घुसा दी. फिर और नीचे सरक कर चूत को पहले चूमाl जीभ को बढ़ा के पहले धीरे-धीरे सहलाया और धीरे-धीरे अपनी जीभ को उसकी चूत में डाला थोड़े समय के बाद, मैं अपनी जीभ को उसकी चूत के दाने के पास ले गया और चूत के दाने को चूसता, वो चूत के दाने को छेड़ने से पर पागल होने लगी। मेरी जीभ जबकि उसकी चूत की छेद के पास चल रही थी वो मेरे सिर को अपनी चूत में जोर से दबा देती।

मेरा सिर पकड़ कर वह बोली "ओह माय गॉड्" और ऐसा बार-बार करने लगी l

मैंने अपना मुँह हटा लिया तो वह बोली तुम रुक क्यों गए मुँह क्यों हटा लिया? प्लीज ऐसे हे करते रहो बहुत अच्छा लग रहा हैl

मैंने कहा मोना तुम इस समय नहीं झड़ोगीl जब मैं आपको बताऊंगा तभी चरम पर जाओगी, इसलिए उस बिंदु पर पहुंचने से पहले रुक जाओ। वह बोली प्लीज ऐसे मत तड़पाओl

अपने हाथ से अपनी चूत के दाने को सहलाने लगी तो मैंने उसका हाथ पकड़ कर रोक दिया और अपनी एक ऊँगली से उसके दाने तो छेड़ना शुरू कर दियाl फिर अपना लंड उसके हाथ में दे दिया तो उसने लंड पकड़ कर चूत के दाने पर घिसना शुरू कर दियाl वो झड़ने के कगार पर थी और जोर जोर से चिल्लाने लगी, फ़क मी प्लीज फ़क मी l मैंने अब उसे और तड़पाना ठीक नहीं समझा।

मैंने अपने लंड की योनि प्रवेश के लिए उत्कृष्ट स्थिति में रखा। मैंने खुद को धीरे से उसके ऊपर लेटा दिया, उसने पकड़ लिया और उस की योनि के होठों के बीच लंडमुंड रखाl तब मैंने उसे एक पल के लिए उसकी योनि को लंड के साथ मसल दिया और फिर धीरे से उसे अंदर ले गया, इतना धीरे-धीरे कि यह सब पूरा होने में पांच मिनट से भी ज्यादा समय लगाया l उसकी योनी इतनी तंग थी और छेद इतना छोटा था और मेरा लंड बड़ा और मोटा था l उसकी चूत के ओंठ वे खिंचे हुए थे और पूरी हद तक लंड को जकड़े हुए थे।

मोना की योनी का छेद छोटा था, वास्तव में बहुत छोटा था, उसकी योनि मैंने अब तक जितनी लड़किया को चोदा था, उन सबसे कसी हुई थी, और मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर दबा रहा था और फिर अपने लंड के सिर से बाहर खींच रहा थाl उसकी चूत मेरे लंड को जकड़े हुए थी जकड़न मेरे लंड को जैसे चूस रही थी।

ये जकड़न और मेरा लंड को आगे पीछे करना चूषण पैदा कर रही थीl ऐसा लग रहा तह मानो चूत मेरे लंड को जोर जोर से चूस रही थीl हरेक घक्के में लंड पर दबाब दे कर आगे बढ़ानाl और फिर ढीला कर के बहार खींचना इस तरह से ऐसा बार बार करना फिर इसे शुरू करना l उसे, और फिर से इसे बाहर खींचना, ऐसा मैं तब तक करता रहा जब तक मैंने खुद को इस क्रियाl में मास्टर नहीं कर लिया तब तक शॉट लगता रहाl मेरी गति इतनी तेज और जोरदार हो गई कि लंड पूरा अंदर चला गया और इस चुसन ने पूरे शरीर में सबसे उत्तम खुशी का एक रोमांच भेजाl- हम दोनों एक साथ चरम पर पहुंचे और अपनी आत्माओं का सार एक साथ मिलाया और झड़ गए।

यद्यपि मैं रोजी से प्यार करता था, उसके सभी आकर्षण के साथ, उसको चोद कर उसकी बाहो में मुझे बहुत खुशी मिली और हालाँकि मैं उसकी बहन रूबी के पके हुए आम जैसे सौंदर्य का भी आनंद ले रहा था, फिर भी मुझे मोना की प्यारी छोटी सी योनी की चोद कर जो खुशी की अनुभूति हुई थी। वह मेरे हिसाब से उन दोनों से श्रेष्ठ थी ।

मैं दूसरी बार मोना के नमकीन सौंदर्य का स्वाद ले रहा था, जब बाकी पार्टी हम पर टूट पड़ी, लेकिन हमने उन्हें बुरा नहीं माना, और तब तक अपना काम करते रहे जब तक हमने अपना काम पूरा नहीं कर लिया। कुछ समय के लिए आराम करने के बाद, जब हमारी भूख भड़क गयी , हमने अपने नग्न प्रेमिकाओ के साथ फिर से खाना खाने के बाद एक और स्नान करने के बाद, हमने कपड़े पहने और घर के लिए निकल पड़े। रास्ते में मैंने प्रस्ताव दिया के हमें अपना प्रेमिका का विनिमय रात की भी जारी रखना चाहिए या नहीं।

बॉब ने उत्तर दिया कि जैसा कि हमने एक साथ दिन बिताया था, इसलिए हमें रात भी ऐसे ही एक साथ बितानी चाहिए तो टीना को भी पार्टी में आने का न्योता दिया गया, जो उसने तुरंत स्वीकार कर लिया और हम सभी एक कमरे में एक साथ लेट गएl यदि कोई भी लड़की किसी ख़ास लड़के से चुदाई की इच्छा हो, तो उसे ऐसा कहना चाहिए, और इसी तरह से यदि कोई लड़का किसी ख़ास लड़की को चोदना चाहता हो, तो वैसा ही समायोजित किया जा सकता है, जिससे हम सभी सहमत थे l

उस रात हम दस बजे सब मेरे कमरे मे आ गए लड़किया दुसरे कमरे से गद्दे ला कर नीचे लगा कर आराम दायक बिस्तर लगा दिए और तकिये भी रख दिए शराब के गिलास सब को थमा दिएl फिर हमने लड़कियों को खड़ा किया मैंने अपने कपडे निकाल कर नग्न हो गया और रोजी को अपने पास बिठा कर उसे किश करने लगा तो रूबी भाग कर मेरी तरफ आ गयी और मेरे पास लेट गयीl बॉब ने मोना को आजमाने का फैसला किया और टॉम टीना को एक कोने में ले गया ।

जब मैंने रूबी को मेरे भीतर की शक्तियों का प्रमाण दिया और उसके बाद रोजी के साथ रूबी को एकसाथ अपनी साथी बना कर भोगा फिर एक और बदलाव किया गया था, और मुझे गर्मागर्म टीना मिली, दिन के उजाले तक हम सभी अपनी-अपनी खास प्रेमिका के साथ थे और भविष्य की सारी योजनाए बनाने के बाद बॉब और टॉम दोनों सो गए, तो मैं अपनी पसंदीदा स्थिति में, रोजी की टांगों के बीच लेटकर, उन्हें अपने ऊपर फेंके हुए, अपने सिर को अपने नरम गोरे रंग के पेट पर टिका दिया। और टीना मेरे लंड को चुंबन करते हुए लेट गयी।

हमने दस बजे नाश्ता किया, उसके बाद मैं रूबी के कमरे में गया, जहाँ पर रोजी , मोना और टीना पहले से मौजूद थी । प्रत्येक को मैंने सुंदर भेंट और गिफ्ट्स दिए, और उन्हें बताया कि अगर वो मेरे प्रति वफादार रहने का वादा करे तो उन्हें मैं हमेशा के लिए, उन सभी चारो को अपने साथ रखूंगाl उनमें से हर एक मुझसे बिस्तर पर एक बार फिर से उसे चुदने के लिए बेचैन थी, लेकिन समय आभाव के कारण मैं केवल एक के ही साथ सम्भोग कर सकता था, उन्होंने मेरी आखिरी चुदाई के लिए लाटरी डाली जो मोना के पक्ष में गयी। वह पूरे बिस्तर पर लेट गई, और जब मैंने अपनी पैंट उतारी, तो बाकी लड़कियों ने भी अपने कपड़े उतार दिए।

सब एक लाइन में खड़ी हो गयी और प्रत्येक ने एक पैर उठाया, और मैंने अपना प्यार का पिस्टन मोना की स्वादिष्ट पनाहगाहों में डाल कर द्वारा उसे परमानंद में डूबा दिया और तीनो को किश करने के बाद जाने लगा तो रोजी बोली वह मेरे बिन नहीं रह पाएगी और मेरे से दूर रह कर मर जायेगीl रोजी ने मुझ से अभी अपने साथ ले जाने की प्राथना की, तो मैंने माँ से बात करि की गाँव ने मेरी देखभाल रोजी ने अच्छे से की है इसलिए मैं चाहता हूँ ये शहर में भी मेरी देखभाल करे तो माँ ने भी मुझे इसकी इजाजत दे दी l फिर उसकी बहन ने भी कहा इसे आप साथ ले जाओ, तो मैंने कहा कुछ दिन में आप तीनो भी मेरे पास आ जाना. मैं इसका इंतजाम कर दूंगा।

तो मैंने जा कर फूफा को बोला माँ ने मुझे अपनी देखभाल के लिए रोजी को शहर में लाने को कहा है इसलिए उसे शहर ले जाने की अनुमति ले ली हैl फूफा जी ने भी अनुमति दे दी और रोजी फटाफट कुछ जरूरी सामान ले आयी और उसके बाद अपने फूफा और दोनों फूफेरे भाइयो के साथ रोजी को लेकर वापिस शहर रवाना हो गए।



ll प्रथम अध्याय- समाप्त ll

आगे क्या हुआ ...

ये कहानी जारी रहेगी 




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1. मजे - लूट लो जितने मिले
2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
3.अंतरंग हमसफ़र
4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग 1


मेरे दोनों फूफेरे भाई मुझ से नाराज थे की मैं रूबी, टीना और मोना को साथ क्यों नहीं लायाl यह कहते हुए की तुम केवल अपनी प्रेमिका ही क्यों लाये? हमारा तुमने कोई ख्याल नहीं रखा उन दोनों ने रास्ते में मुझ से ज्यादा बात नहीं कीl

जब हम शहर पहुंचे तो कुछ ही देर बाद फूफा ने बताया मेरी बड़ी बुआ भी मेरी तीनो फूफेरी बहनो के साथ लंदन से दिल्ली आ रही हैं और यही कारण था की हम गाँव से वापिस दिल्ली लौटे थेl गाँव के दौरे ने मेरा लड़कियों की तरफ नजरिया बदल दिया थाl मैंने घर की देखभाल करने वाली प्रमुख सेविका आशा अम्मा से मिल कर पूरे घर का निरीक्षण करने का निर्णय कियाl मैंने आशा अम्मा को रोजी से मिलवाया और उसकी प्रशंसा करते हुए कहा गाँव में रोजी ने मेरी सब जरूरतों का बढ़िया ख्याल रखाl तो उन्होंने रोजी को मेरे कमरे और मेरी देखभाल करने की जिम्मेदारी दे दी l सबसे पहले जहाँ मेरा कमरा था, उसे देखा तो उसमे किताबी फैली हुई थी तो रोजी को उसे व्यवस्थित करने को कहाl

हमारा मुख्यता दिल्ली के दक्षिणी इलाके में फ़ार्म हाउस नुमा घर हैl उसमे मुख्यता तीन बड़े बड़े भवन हैं l सबसे आगे का एक भवन जिसमे बैठक पिताजी का दफ्तर और मेरे पिताजी और माता जी रहते हैंl मेरा भी अपने स्कूल की पढाई के दौरान मेरा कमरा भी उसी भवन की पहली मंजिल पर था आने वाले सभी मेहमान भी इसी पहले मुख्य भवन में रहते हैंl इसमें काफी सारे कमरे थेl

दुसरे हिस्से में मेरे स्वर्गीय दादाजी रहते थे l ये हिस्सा घर मुख्या हिस्से से थोड़ा अलग है l अपने जीवन काल में अधिकतर दादा जी इसी हिस्से में रहते थेl ये हिस्सा मुख्य भवन से थोड़ा सा बड़ा हैl जिसमे एक बहुत बड़ा हाल और कुछ कमरे हैं l घर की देखभाल की प्रमुख आशा अम्मा ने मेरा एकाकी स्वभाव और घर में भीड़ भाड़ को देखते हुए मुझे मेरे दादा का उनके इन्तेकाल के बाद से बंद पड़ा हुआ कमरा दे दिया गयाl उन्हें मेरे स्वभाव में आये परिवर्तन का अभी कुछ अंदाजा नहीं था और रोजी को मेरी और मेरे कमरे की देखभाल की जिम्मेदारी और उसके साथ ही लगता हुआ कमरा दे दिया गया l चुकी घर में काफी मेहमान आ गए थे तो घर की देखभाल के लिए और सहायको की आवश्यकता थी .तो रोजी ने फुर्ती से आशा अम्मा की सहायता करते हुए घर के कुछ काम अपने ऊपर ले लिए तो आशा अम्मा ने उसकी कार्य कुशलता की तारीफ कीl

मैंने सारे कामो को व्यवस्थित करवाने को कहा तो आशा अम्मा ने कहा इसमें थोड़ा समय लगेगा, तो मैंने भी मौके पे चौका मारते हुए कहा गाँव में कुछ और लड़किया थी जो काम अच्छे तरीके सलीके और मेहनत से करती हैं उन्हें बुला लेते हैं, आपकी मदद के लिए l जिसके लिए आशा अम्मा ने सहर्ष सहमति दे दी और मैंने फ़ोन करके रूबी, मोना और टीना को जल्द से जल्द दिल्ली आने को कह दियाl तीनो बोली वह रात की बस पकड़ कल सुबह तक आ जाएंगीl

जिससे आशा अम्मा भी प्रसन्न हो गयी की अब मैं भी समझदार हो गया हूँ और घर की जिम्मेदारी उठाने लग गया हूँ l ये सुन कर की टीना रूबी और मोना भी आ रही हैं टॉम और बॉब भी बेहद खुश हो गए l

इसके इलावा तीसरा भवन था जिसमे पिताजी की कुछ अन्य स्त्रिया अपने बच्चो के साथ रहती थी ( हमारे यहाँ पुरुषो के द्वारा एक से अधिक स्त्रियाँ रखने की प्रथा रही है) l और फिर इसके इलावा चौथे हिस्से में कुछ सेवक सेविकाओं के के कमरे थे जिनमे सेवक सेविकाएं और उनके परिवार रहते थेl

वहां पर मुझे एक बहुत सुन्दर युवती मिली जिसका नाम अलका थाl वह मेरी कजिन ( छोटी बुआ की लड़की) थी l वह मुझे देख कर बोली दीपक आज आप इधर का रास्ता कैसे भूल गए,?

तो मैंने कहा की पिताजी विदेश गए हैंl मुझे घर की देखभाल की जिम्मेदारी दे गए हैं, तो मैं देखने आया हूँ, किसी को कोई दिक्कत तो नहीं है l

फिर अलका ने मुझे वहां हमारे पूरे परिवार से मिलवाया और कइयों से तो मैं पहली बार ही मिला थाl सब मुझ से मिल कर बहुत खुश हुए और मैंने सब बड़ो के पाँव छुए और कुछ फल मिठाईया दी जो हम गाँव से अपने साथ ले आये थेl सबने मुझे आशीर्वाद दिया और मैंने अपने से छोटो को कुछ चॉक्लेट के तोहफे दिए, जिससे वो खुश हो गएl

अलका की माँ, मेरी छोटी बुआ ने कहा मुझ में मेरे बाप दादा के गुण स्वाभविक तौर पर आ गए हैंl मैंने वहां मिली लड़कियों को गाँव से लाये कुछ कपडे तोहफे में दिए जो उन्हें बहुत पसंद आये और सब खश हो गयीl

मैंने सबसे कहा अगर किसी को भी कुछ चाहिए हो तो निस्संकोच मुझ से कह सकता हैl मैं जल्द से जल्द उस जरूरत को पूरा करने की कोशिश करूंगा l पर किसी ने कुछ ख़ास मांग नहीं रखीl

भवनों के पीछे एक बहुत बड़ा सुन्दर बगीचा है l फिर उसके पीछे कुछ खेत और चरागाह भूमि थी और उसके पीछे काफी बड़ा जंगल है l मुझे अलका ने वह सब कुछ दिखाया l तो मैंने अलका को अपनी एक अंगूठी देते हुए कहा मेरी तरफ से ये तोहफा कबूल करो l तो अलका ने उसे ले लिया और बोली मुझे आपसे कुछ और भी चाहिए और मुझे गालो पर किश करके भाग गयी lपहले तो मैंने उसका पीछा करने की सोची, फिर चुकी रात होने लगी थी इसलिए सब विचार छोड़ कर वापिस आ गयाl

रात के खाने के बाद सब काम निपटाने के रोजी मेरे पास आ गयीl हम दोनों एक नहाये और फिर मैंने उसे रात में दो बार चोदा और फिर एक दुसरे के साथ चिपक कर सो गएl

अगले दिन सुबह सुबह जब बड़ी बुआ आयी तो मैं अपनी बुआ से मिला उनके चरण स्पर्श किये, तो उन्होंने मुझे अपने गले लगा कर कहा मेरा भतीजा अब एक सुन्दर बांका जवान बन गया हैl उनसे मिलने के बाद मैं अपनी तीनो फूफेरी बहनो से भी गले मिलाl इस बार उन्हें मिल कर मुझे एक अलग ही आनंद मिला l फिर घर में सबके रहने का इंतजाम किया गया l

तो मैंने एकांत में दोनों फूफेरे भाइयो से कहा भाइयो क्या तुम्हे पता था बुआ आ रही है तो वो बोले हाँ हमें उनका कार्यक्रम पहले से पता थाl तो मैंने कहा अगर आप मुझे भी बता देते तो मैं रूबी टीना और मोना का हमारे साथ दिल्ली आने का प्रबंध पहले ही कर देता. क्योंकि पिताजी ने विदेश जाते हुए मुझे सबका ख्याल रखने की जिम्मेदारी दी थीl चलो कोई बात नहीं आगे से ऐसा कोई राज मत रखना और कभी ये मत सोचना के मैं उनके बारे में नहीं सोचता हूँ l हालात को देख समझ कर ही चलने से सब काम ठीक से हो पाते हैं, तो वह माफ़ी मांगते और शुक्रिया कहते हुए मेरे गले लग गए l

तो मैंने कहा भाई लोगो अब घर में कुछ और लोग भी हैं खासकर महिलाये और लड़किया, इसलिए हमे अपने आगे के प्रेमालाप के कार्यक्रम काफी सावधानी और गुप्त रूप से करने होंगे ताकि हमारे राज खुल न जाएl सबने जरूरी सावधानी रखने का वादा किया और मुझे घर में गुप्त प्रेमालाप के लिए कोई सुरक्षित स्थान ढूंढ निकालने का काम सौंपा गया l जिसमे मैंने रोजी की सहायता लेने का निर्णय किया l

मेरी फूफेरी बहनो का नाम जेन लूसी और सिंडी , क्रमशः, उन्नीस अठारह, अट्ठारह । दो बहने अठारह सालो की कैसे ये खुलासा कहानी में आगे करूंगा l

आगे क्या हुआ ...

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 अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय


परिवार से मेलजोल

भाग - 2


फूफेरी बहन से प्रेम का इजहार


मार्च अप्रैल के मस्त महीने हमेशा से ही सेक्स के बारे में अपने कामुक प्रभाव के लिए प्रसिद्ध रहे हैंl सर्दी ख़त्म हो रही होती है और ज्यादा गर्मी भी नहीं हुई होती हैl कुदरत भी इस समय अपने रंग बदल रही होती है पेड़ो पर नए पत्ते आ रहे होते हैंl तरह तरह के रंग बिरंगे फूल चारो तरफ खिले होते हैं, जिन्हे देख कर मन प्रफुल्लित हो जाता है l

अगले दिन सुबह सुबह टीना रूबी और मोना भी आ गयी और उन्हें देख कर टॉम और बॉब काफी खुश हो गए। उन तीनो को बुआ उनकी बेटियों और मेरे फूफेरे भाइयो बाले भवन की देखभाल की जिम्मेदारी दी गयी।

उस दिन सुबह के नाश्ते के बाद, सफर की थकान के कारण फूफा और बुआ उनकी सभी लड़किया अपने कमरे में जा कर ऊँघने लगेl दोनों बेटे बॉब और टॉम भी जल्दी से अपने कमरे में चले गए ,तो मैं भी भांप गया की वह क्या करने वाले हैं, तो मैंने रूबी को सावधान रहने के लिए कहा क्योंकि यहाँ पर काफी और लोग भी थे। जिस पर रूबी ने भी अपनी सहमति जताई और उसने मोना और टीना को भी सावधान कर दिया।

उसके बाद मैंने एक बार पीछे के मैदान में चहलकदमी करने का निर्णय किया, तो रोजी ने कहा बादल हो रहे हैंl आप छाता ले कर जाए कभी भी बरसात आ सकती हैl मैंने छाता लिया और मैदान की और चल दियाl

वहां पर मुझे अलका दिखाई दी, उसने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी हुई थी और बगीचे में फूल चुन रही थी। वह बहुत सुन्दर लग रही थी।

उसने काफी झीनी सी गुलाबी रंग की चोली पहन रखी थीl जिसमे से उसके बड़े बड़े उरोज दिख रहे थेl वह फूल चुन चुन कर अपने साडी की झोली में डाल रही थीl तभी उसके नज़र मुझ पर पड़ी और वह एक दम से हैरान हो कर खड़ी हो गयीl ऐसा करने ने उसके सारे फूल जो उसने चुने थे, नीचे गिर गए l
वह मुझ से बोली आप कैसे हो?

मैंने कहा अच्छा हूँl में उसकी तारीफ करते हुए बोला इस साडी में तुम बेहद सुन्दर लग रही ही तो उसने शर्मा कर अपना सर नीचे झुका लियाl

वो नीचे बैठ कर गिरे हुए फूल दुबारा उठाने लगी तो मैं भी नीचे गिरे हुए फूल उठा कर उसके झोली में डालने लगा l ऐसे करते हुए मेरा ध्यान उसके वक्ष स्थल पर जा कर रुक गया, तो वह जब मुझे देखती थीl मैं भी झेंप कर दुबारा फूल उठाने लगता थाl ऐसा करते हुए हमारे हाथ टकरा जाते थेl हमने नीचे से सारे फूल उठाये ही थे की तभी हलकी सी बारिश शुरू हो गयीl तो मैंने कहा आप भीग जाओगी छतरी में आ जाओl वह छतरी के नीचे आ गयीl मेरे हाथ उसके स्तनों को हलके से छु रहे थेl तभी बारिश तेज हो गयीl मैंने कहा ठीक से पास आ जाओ नहीं तो भीग जाओगी और बीमार हो जाओगी, तो वह और नजदीक आ गयी और उसके उरोज मेरे हाथो से दब गए।

वह मुस्कुरा दी और मेरे हाथो की और देखने लगी मैंने भी देखा l न तो उसने पीछे हटने की कोशिस करि, न मैंने हाथ हटायाl वाह! क्या अनुभव था l क्या नरम मुलायम अहसास थाl
वह धीरे से बोली प्लीज ये छाता मुझे दे दीजिये मैं पकड़ लेती हूँl तो मैंने उसे छाता दे दिया और उसके हाथ पर अपना हाथ रखाl तभी एक जोर से बिजली कड़की और अलका डर कर मुझ से
लिपट गयीl मैंने अपना दूसरा हाथ उसके कमर में डालते हुए दुसरे हाथ से अपने और खींचाl

मैं बोला जो कल आपने मुझे दिया था उसके बदले मुझे भी आपको कुछ देना है, और उसे अपनी और खींचते हुए उसे उसके ओंठो पर किश कर दियाl तभी दूर से एक आवाज आयी अलका आ जाओ, बारिश आ गयी है और अलका फूल सभालते हुए चुंबन तोड़ कर वहां से भाग गयी।

वहां हवा जोर जोर से चलने लगी मुझे बारिश पर बहुत गुस्सा आयाl ये अभी क्यों आ गयी, पर अलका के लिपटने का अहसास याद आते ही, बारिश अछि लगने लगी, क्योंकि बारिश के कारण ही अलका मेरे से लिपटी थीl मैं भी धीरे धीरे चलता हुआ बारिश के मजे लेता हुआ वापिस अपने कमरे में आ गया। वहां रोजी ने एक डायरी मुझे दी और बोली मुझे सफाई करते हुए कमरे में मुझे ये डायरी मिली है। मैंने डायरी को खोला तो मैं लिखाई से पहचान गया वो मेरे दादा जी की थी।

उसमे पहले पेज पर लिखा था ये डायरी मेरे पोते दीपक के लिए सन्देश हैl इसमें लिखा सन्देश दीपक के लिए है l अगर आप दीपक नहीं है तो ये डायरी आप दीपक को दे दे और दादा जी के हस्ताक्षर थे।

उसके अगले पन्नो पे क्या लिखा था मुझे समझ नहीं आ रही थी l मैंने कहा रोजी दादा जी ने कुछ कोड में लिखा है l मैं डायरी लेकर कमरे में घुमते हुए जहाँ खड़ा हुआ वहां एक शीशा था l रोजी बोली कुमार प्लीज वही रुकिए मैं शीशे में डायरी में जो लिखा है, उसमे से कुछ पढ़ पा रही हूँl तो मैंने भी डायरी को उल्टा कर दिया तो मुझे भी डायरी में जो लिखा है वह समझ आने लगा।

मैंने अगला पेज खोला तो उसमे मुझे आशीर्वाद के बाद लिखा था, ये डायरी दीपक तुम अकेले में पढ़ना । इसमें कुछ राज है। उसमे लिखा था दीपक ये वाला घर का हिस्सा जिसमे मेरे दादू रहते थेl उनके बाद वह मेरे अधीन होगा और गांव की भी सारी जमीं जायदाद कितनी है कहाँ है, सब का व्योरा था। इसके इलावा और भी सारी जमीन जायदाद प्रॉपर्टी बिज़नेस का व्योरा थाl दादू ने डायरी में लिखा था उनके मरने के बाद मुझे भी जा सारी जमीन जायदाद रुपए पैसे की जानकारी होनी चाहिए।

डायरी में कुछ गुप्त रास्तो का भी जिक्र था और दो तहखानों का जिक्र थाl गुप्त रास्तो कहाँ हैं, उनमे जाने का क्या रास्ता है और उनमे क्या छुपा है? इस बारे में डायरी में लिखा थाl यह उन तहखानों और गुप्त रास्तो को जब मैं खोज लूँगा तो वही पता चलेगा।

उस के बाद डायरी में कुछ और राज थे जिनका खुलासा मैं कहानी के अगले उपयुक्त भागो मे करूंगा।

तो मैं और रोजी दोनों उन दोनों तहखानों और रास्तो को खोजने में लग गए, पर वह नहीं मिले इतने में दोपहर के खाने का समय हो गयाl

रोजी बोली बाकी खोज का काम रात में करेंगे, अब आप दोपहर का भोजन कर लीजियेl तब तक हलकी हलकी बारिश हो रही थी ।

सब ने साथ में दोपहर का भोजन किया और चुकी बरसात जारी थी तो सब अपने कमरों में चले गए। हाल में केवल मैं, मेरी बुआ की लड़की जेन, लूसी और बॉब रह गए। हम कुछ देर बारिश को देखते रहे। बॉब पढ़ रहा था, तभी अचानक मौसम बदला और बारिश रुक गयी और धुप निकल आयी।

फिर हम लड़कों और लड़कियों ने मैदान में चहलकदमी की। मुझे विशेष रूप से मेरी फूफेरी बहन जेन जो की रूप में पूर्णतया सुन्दर विकसित गोरी , गहरी नीली आँखों के साथ, लाल होंठ, और एक पूर्ण विकसित बड़ी, गर्म छाती, जो मुझे इछाओ की की एक आदर्श ज्वालामुखी की तरह लग रही थी, ने अपनी और सबसे ज्यादा आकर्षित किया था। मैंने थोड़ा और घूमने का प्रस्ताव किया जिसे लूसी और बॉब ने अस्वीकार कर दिया।

मेरा फूफेरे भाई बॉब एक बहुत ही अशिष्ट साथी साबित हुआ। वह धूम्रपान करना चाहता था, इसलिए मुझे बोला आप जेन के साथ चले जाओ, तब तक मैं एक सिगरेट पी लेता हूँl लूसी बोली वह एक किताब जो उसने घर की लाइब्रेरी में देखि है उसे पढ़ना पसंद करेगी, वही जेन ने कहा वह तीन वर्षो बाद यहाँ आयी है और देखना चाहेगी यहाँ क्या क्या परिवर्तन हुए हैं।

जेन से मुझसे पहले मैदान में हुए बदलाव दिखाने के लिए अनुरोध कियाl मैंने फ्रैंक और लूसी से कहा "मुझे लगता है , साथियो आप दोनों बहुत आलसी हैं, आलस्य छोड़ दीजिये चलिए एक लम्बा चक्कर मार कर आते हैं। "

बॉब बोला इतने बढ़िया मौसम में मैं एक सिगरेट पीना चाहूंगाl सिगरेट का धुआँ आपकी निश्चित अच्छा नहीं लगेगाl इसके अलावा, मेरी बहन काफी अच्छी तरह से, या बेहतर योग्य है इसके लिए। मैं मैदान में बाहर निकलने के लिए बेहद उत्सुक नहीं हूंl मेरी बहन को इन सब में मुझ से ज्यादा शौक हैं। वैसे भी मैंने कभी भी कुछ भी नोटिस नहीं किया हैं।" और उसने एक दूसरी दिशा में जाकर अपनी सिगरेट सुलगा ली और लूसी वापिस हाल में चली गयी और कोई किताब पढ़ने लग गयी।

"आओ, जेन ," मैंने उसका हाथ लेते हुए कहा; " बॉब प्यार में है हम घूम कर आते हैं ।"

"नहीं, मुझे यकीन है कि वह अपनी बहनों को छोड़कर कभी किसी लड़की के बारे में नहीं सोचता," उसका जवाब था। तो मैंने कहा मुझे लगता है शायद उसे अपनी सिगरेट से प्यार है।

हम अब मैदान से आगे निकले। पेड़ो की एक छायादार सैर में, सबकी नज़र से दूर इसलिए मैं थोड़ा खुलते हुए बोला "लेकिन, अगर वह नहीं है तो निश्चित रूप से, आप, प्यार में हैं । मैं इसे आपकी आँखों से आपके लाल होते हुए सुन्दर गालो से और तेज चलती साँसों के कारण तेज धड़कती हुई बड़ी भारी छाती के ऊपर नीचे होने से बता सकता हूं ।"

अपनी बड़ी छाती के जिक्र से जेन का चेहरा एक दम से लाल हो गया पर निश्चित तौर पर उसकी विशेषताओं की प्रशंसा उसके लिए स्पष्ट रूप से मनभावन थी, और बिना नाराज हुए किसी भी आक्रामकता से दूर, वह शर्माते हुए चंचलता से बोली "ओह! आप थोड़ी , शरम कीजिये, दीपक!"

हम इस समय तक एक अच्छी दूरी पर आ गए थे और दूर दुर तक कोई नज़र नहीं आ रहा थाl एक सुविधाजनक स्थान पर एक पेड़ के नीचे खड़े होकर, तो शरमाई हुई जेन के चारों ओर मेरी बाहों को फेंक, मैंने उसके लाल ओंठो को चूमाl

उसे अपने पास खींचते हुए कहा, "अब, प्रिय जेन मैं तुम्हारा कजिन भाई हूँ और तुम्हारा पुराना मित्र और प्रशंसक हूँl तुम एक पूर्णतया सुन्दर युवती के रूप में विकसित हो चुकी होl मैं तुम्हारे इन सुन्दर ओंठो को किश करने से खुद को रोक नहीं सकाl मैं जब आप एक छोटी लड़की और मैं एक छोटा लड़का था तब से आप को पसंद करता हूँl अब यहाँ से जाने से पहले आप सब कबूल करिये और सच सच बताइये, तभी मैं आपको छोडूंगा "।

"लेकिन मेरे पास कबूल करने के लिए कुछ भी नहीं है दीपक।"

"क्या आपने कभी प्यार के बारे में नहीं सोचा हैं। जेन? आप मुझे देखिये. मेरे चेहरे को देखिए, क्या आप कह सकती हैं? कि यह आपके लिए अजनबी है," मैंने अपने बाए हाथ को उसकी गर्दन पर तब तक रखे रखा, जब तक कि मेरा दाहिने हाथ ने उसके हाँफते हुए उरोजों की गोलाइयों का माप नहीं लेने लगा।

मेरे ऐसा करने से वो मेरी तरफ घूमी और मेरी बातो का अर्थ समझने की एक निडर कोशिस करते हुए, उसके चेहरे का रंग सफ़ेद से पहले से कहीं ज्यादा गहरे सुर्ख लाल में बदल गयाl मेरी आँखे ने उसकी गहरे नीले रंग की आँखों से मुलाकात की तो उसमे एक मूक अपील नज़र आयी l लेकिन उसकी मूक अपील के जवाब मे मैंने बोलने की जगह उसे हर्षातिरेक से चूमा, और उसकी मीठी साँसों की खुशबू को में तब तक चूसता रहा, जब तक कि वह उत्तेजित हो कर कांपने नहीं लगी।

शाम होने लगी थी, मेरे हाथ उसकी खूबसूरत सुराहीदार गोरी चिकनी गर्दन को सहला रहे थे, और धीरे-धीरे नीचे की तरफ उसकी छाती की और बढ़ते हुए अपना काम कर रहे थेl आखिरकार मैंने फुसफुसाते हुए कहा, " जब मैंने आपके तीन साल पहले देखा था, उसके बाद से आप बहुत बहुत सुन्दर आकर्षक हो गयी हैं। आपके उरोज बहुत शानदार विकसित हुए हैं, डियर जेन, तुम अपने ममेरे भाई को बुरा तो नहीं मानोगी,? आपको मालूम नहीं मैं आपको कितना पसंद करता हूँ और उसके उरोजों को धीरे धीरे दबाने लगा और दुबारा उसको किस करने लगा। "

आगे क्या हुआ, ये कहानी जारी रहेगी l ।

आपका दीपक



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 अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग -3

जेन, रूबी और रोजी से प्रेम




जब में जेन को चूम रहा था तो वही एक पेड़ के झुके हुए तने पर दोनों बैठ कर चुम्बन करने लगेl जेन भी चुम्बन में मेरा साथ देने लगी थीl उसके बाद जेन ने मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस कियाl और मैंने उसके सर को जकड़ के उसके मुंह से अपना मुंह लगा दियाl और वह उसके ओंठ चूसने लगा और वो मेरे ओंठ चूसने लगाl थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगा lफिर उसने अपना मुंह थोड़ा सा खोला और मेरी जीभ जेन के मुंह में चली गयीl

और जेन ने भी अपने झीभ मेरे मुँह में डाल दी मैं उसकी जीब चूसने लगा, फिर मैं जेन की झीब से खेलने लगाl वह मेरे साथ लिपट गयी, उसका बदन मेरे बदन से चिपक गयाl उसके बड़े बड़े गोल स्तन मेरी छाती में दब गए थेl हम दोनों एक दुसरे को बेकरारी से चूमने लगे और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट हम एक दुसरे के लबों को चूमते रहे, फिर रुक कर सांस लेती हुई बोली अब बस कीजिये ये बहुत हो गयाl

मैंने उसकी ओर देखा और कहा: "ठीक है। बस एक बार, और केवल एक बार! मैं चाहता हूं कि आप यह जान लें कि मैं आपसे प्यार करता हूं और मैं यह कर रहा हूं क्योंकि मैं आपसे और आपसे बहुत प्यार करता हूंl

मैंने उससे कहा कि वह अपने सिर को थोड़ा सा दाईं ओर झुकाए और बस थोड़ा सा मुंह खोले। मैंने अपने हाथ उसके चेहरे के हर तरफ रख दिए और उसे अपने पास खींचने लगा। जैसे ही हम अपने होंठों के मिलन के करीब आए, उसका पूरा शरीर हिल गया। उसी के साथ उसके संपर्क में मेरे होंठ आये , मेरे होंठ उसके होंठ की मालिश करने लगेl वह धीमी गति से और बहुत नरम चुंबन, महसूस कर रही इस युवा किशोरी के साथ होंठो का मिलान बहुत रोमांचक था। मुझे उसके होंठ इतने जवान और इतने मस्त लग रहे थे की मुझे बहुत अच्छा लगा। मैं अपनी जीभ बाहर लाया और उसके साथ उसके नरम गुलाब की पंखुरियों जैसे होंठों को छुआ और जब मैंने उन्हें बाहर को सहलाया, तो उसने अपने होंठ खुले रखे। जल्द ही उसने अपनी जीभ को वापस वही काम किया। हम एक दूसरे के मुंह, बाहर चुंबन, जीभ को चूमते रहेl

भावनाओं के रोमांच , उत्तेजना के कारण हमारे बदन तप रहे थे और कई क्षणों तक वह मेरी बाहों में लगभग स्थिर थी l उसका एक हाथ मेरी जांघ पर आराम कर रहा था। मेरा लंड जाग गया था और अभिसार के लिए तैयार था, लेकिन उसने अचानक खुद को हिलाते हुए और चुम्बन तोड़ते हुए कहा, "हमें अब यहां और नहीं रुकना चाहिए, हमें तुरंत चलना चाहिए ,कही कोई हम ढूंढ़ता हुआ न आ जाए तो हमें यहाँ इन हालत में देख लेगा या देर होने पर वे कुछ संदेह करेंगे।"

"हम कब फिर से अकेले होंगे, डार्लिंग? हमें वापिस अंदर जाने से पहले उसे व्यवस्थित करना होगा,"मैंने जल्दी से कहा।

अब उसे उस पेड़ पर रोके रखना असंभव था, हमने दुबारा चलना शुरू किया l उसने कहा, "हम कल सुबह-सुबह दोपहर के भोजन से पहले टहलने जा सकते हैं, मां पापा किसी से मिलने जाने वाले हैं बॉब पुस्तक पढ़ रहा है और मुझे लगता है वह कल तक उसे समाप्त नहीं कर पायेगा टॉम बिस्तर पर ही रहता है , और मेरी बहनें सुबह TVl देखने में व्यस्त रहती हैं और मुझे कल कोई ख़ास काम नहीं है। "

मैं उसे गले लगाया और एक और चुंबन दे दिया, फिर मैंने कहा, "ये तो बहुत रमणीय हो जाएगा; प्रिय जेन , आप अत्यंत खूबसूरत होने के साथ विचारशील और समझदार भी हैं ।"

फिर वह बोली "मगर ध्यान दीजियेगा कल आपका व्यवहार संयत होl कल इतना चुम्बन नहीं होगा lनहीं तो मैं आगे से आपके साथ घूमने नहीं आऊँगी"और फिर हम वापिस घर पहुँच गए हमने चाय पि और अपने कमरे में चला गया l"

अपने कमरे में वापिस आया तो रोजी मुझसे पूछने लगी बहुत देर लग गयी आपको आप जेन के साथ lतो मैंने कहा में उसे बाग़ बगीचा दिखाने ले गया थाlतो वह शरारत भरी मुस्कराहट के साथ बोली कुछ ज्यादा ही लम्बा चक्कर लगाने चले गए या कोई और चक्कर चला रहे थे l बताइये तो क्या चक्कर है तो मैं बोला इधर आओ बताता हूँ क्या कर रहा थाl उसके साथ ll जेन के साथ हुए प्यारे चुम्बन को याद करते ही मैं फिर उत्तेजित हो गया और रोजी को पकड़ने उसके पीछे दौड़ा, तो वह बचने के लिए उपक्रम करते हुए पीछे हुई, और कमरे में दाहिने हिस्से में रखे एक मूर्ति से टकराई, तो मूर्ति घूम गयी और मेरे बिस्तर के साथ की अलमारी की साइड में एक गुप्त दरवाजा खुल गया शायद इसी गुप्त दरवाजे का जिक्र दादाजी की डायरी में था l

अब इसमें आगे क्या था l ये जानने के लिए हमारा उसके अंदर जाना जरूरी था पर दरवाजे के अंदर अँधेरा था तो रोजी बोली आप रुकिए मैं टोर्च ले कर आती हूँ तो मैंने कहा रुको मैं मोबाइल में से टोर्च जलाता हूँ lतो हमने मूर्ति को वापिस घुमाया तो दरवाजा बंद हो गया और फिर उसे दूसरी दिशा में घुमाया तो दरवाजा फिर खुल गया l पर दोनों का एक साथ अंदर जाना ठीक नहीं रहेगा मैं अंदर जाता हूँ तुम बाहर रुको अगर अंदर दरवाजा खोलने का रास्ता नहीं मिला तो तुम 5 मिनट बाद दुबारा मूर्ति हिला कर दरवाजा खोल देना l

हमने मोबाइल से टोर्च जला कर अंदर देखा तो वहां लाइट के स्विच नज़र आये उन्हें दबाया तो वहां रौशनी हो गयी और नीचे उतरने की सीढिया नज़र आयी मैं नीचे उतर गया आगे दीवार थी ।

वहां एक हैंडल भी था मैंने उसे घुमाया तो कमरे वाला दरवाजा बंद हो गया और सीढ़ियों के अंत में एक दरवाजा खुल गया मैंने उस हैंडल को उल्टा घुमाया तो कमरे का दरवाजा खुल गया और सीढ़ियों के अंत में खुला दरवाजा बंद हो गया ।

रोजी ने पुछा क्या वह आ जाए तो मुझे लगा चुकी ये एक गुप्त रास्ता है और इसका जिक्र दादाजी की डायरी में है तो सुरक्षित ही होगा मैंने कहा वह डायरी जो तुमने संभल कर रखी है वह ले कर आ जाओ तो रोजी वह डायरी ले कर आ गयी और फिर बोली इसे पढ़ेंगे कैसे शीशा तो मैं लायी नहीं l तो मैंने कहा आगे देखते हैं नहीं तो कोई शीशा ले कर आ जाना और मैंने हैंडल घुमा कर कमरे का दरवाजा बंद किया और आगे का दरवाजा खुल गया l हम उस दरवाजे के अंदर गए तो वहां एक शानदार हाल था l जिसमे बहुत सुन्दर सुन्दर लड़कियों की बहुत कामुक मुर्तिया और कामुक अंतरंग चित्र कलाकृतिया लगी हुई थी l और कमरे के अंदर एक शानदार बिस्तर जिसपर आठ से दस लोग आराम से सो सकते थे ।

किनारो पर शानदार आरामदायक सोफे लगे हुए थे l और हाल में एक बड़ा शानदार बाथरूम भी था ।

मेरे मुँह से अनायास निकला?बहुत शानदार"दादा जी भी पूरे रसिक थे ।

तभी मुझे वहां एक शीशा नज़र आया तो मैं उस पास गया तो उसके पास एक दूसरी डायरी और एक चाबी रखी हुई थी उसमे लिखा था इस कमरे में ऊपर के कमरे जैसी तीन मूतिया रखी हैं जिनको घूमाने से तीन अलग अलग रास्ते खुलेंगे l उनमे से एक से वो दरवाजा खुलेगा जिससे हम कमरे से इस तहखाने वाले हाल में आये थे l दुसरे से रास्ता पहले मुख्या भवन के हाल में खुलता है तीसरे से रास्ता से तीसरे भवन के पास खुलता है और उसी से आगे एक रास्ता मैदान के पास बड़े बरगद का पास पेड़ो के झुण्ड में खुलता हैl बड़ा बरगद उसे पेड़ के पास था जिस पेड़ के पास आज मैंने अपनी कजिन जेन को किश किया था l और चाबी ऊपर रखी अलमारी की थी ।

पूरा हॉल साउंड प्रूफ था उसमे एक बहुत बड़ी टीवी स्क्रीन लगी थी और बाकी भी सभी आधुनिक सुविधाओं से लैस था l उस डायरी में ये भी लिखा था की इस हाल और मुख्या भवन से रास्ते का राज घर का ध्यान रखने वाली आशा अम्मा को भी मालूम था और वह ही इसकी सफाई और रख रखाव करती थीl उस डायरी में ये भी लिखा था के किस प्रकार से सब दरवाजो कोलॉक किया जा सकता था, जिससे कोई भी दरवाजा खोल न सके और साथ ही ये हिदायत भी थी के सुरक्षा की दृष्टि से ये राज गुप्त ही रखा जाए।

हम दोनों हाल की सब लाइट इत्यादि बंद करते हुए और डायरी में बताये गए तरीके से दरवाजे लॉक करके वापिस मेरे कमरे में आ गए ।

मैंने वापिस आ कर कमरे में देखा तो वहां ऐसी ही दो मूर्तिया और थी l एक मुख्या भवन की और एक बायीं और थी जो की एक गुप्त रास्ता था जो घर के बाहर ले जाता था मैंने दोनों को घुमाया तो दो दरवाजे खुले ।

कमरे के दायी और जो अलमारी थी नीचे जो चाबी मिली थी वो चाबी अलमारी में एक लॉकर की थी और डायरी में लिखा था की दोनों डायरी को उसी लाकर में सुरक्षित रखा जाए जब मैंने अलमारी खोल कर चाबी से लाकर खोला तो उसके अंदर एक इलेक्ट्रॉनिक लाकर था और सके पास ही एक पर्ची पर उसका पास वर्ड लिखा था और साथ ही पससवर्ड बदलने की जरूरी हिफ़ायते थी और साथ ही लिखा था के पासवर्ड बदलने के बाद चबा कर इस पर्ची को खा जाना ।

अलमारी के लाकर में कुछ नहीं था l बस केवल लक्ष्मी जी की एक मूर्ति थी l मुझे समझ नहीं आया इसके लिए इतना झमेला क्यों किया दादा जी ने तो रोजी बोली "आप उस अंदर की मूर्ति को छु कर देखिये जरूर उसमे कोई राज है"l मैंने मूर्ति के चरण छुए तो मूर्ति घूम गयी और अलमारी में एक और गुप्त रास्ता खुल गया और वह रास्ता एक और तहखाने में ले गया जहाँ पर क्या मिला उसे मैं यहाँ गोपनीय रख रहा हूँ और प्रीती को भी एकांत में संक्षेप में बता दिया था ।

दादाजी ने ये भी लिखा था इन गुप्त रास्तो के बारे में घर के सभी सदस्यों को मालूम था केवल अलमारी वाले रास्ते और तहखाने का राज उन्हें और मुझे ही मालूम थाl चुकी मैं पहले पढाई में व्यस्य था तो इन रास्तो के राज को कभी नहीं बताया गया थाl अब चुकी मैं व्यस्क भी हो गया था और मेरी स्कूल की पढाई भी पूरी हो गयी थी तो दादाजी अपने आखिरी समय में सब लिख दिया था ताकि ये राज मुझे भी ठीक समय पर मालूम हो जाए ।

तो हम वापिस कमरे में आ गए और रात का खाना खाने के बाद आपमें कमरे में वापिस आ रहा था तो रास्ते में मुझे रोजी मिली और वह बोली आज रात को रूबी भी उसके साथ सोना चाहती है l जब सब लोग रात में अपने कमरों में चले गए तो मोना चुपके से बॉब के कमरे में और टीना टॉम के कमरे में चली गयी l और आधी रात में रूबी जब मेरे कमरे में आयी तो उससे पहले रोजी और मैं टेलीविजन देख रहे हैं, लेकिन हम ऊब गए थे।

- मैंने नग्न होते हुए कहा हमें साथ में कुछ मस्ती करनी चाहिए? - मैंने रोजी से कहा।

रोजी कहती हैं - रूबी के आने में थोड़ा समय लगेगा और रोजी ने भी अपने सभी कपडे उतार डाले मैं कुछ अच्छे सेक्स का मन नहीं बनाऊँगी, वह मुस्कुराते हुए कहती है। फिर बोली रूबी ने सुझाव दिया है कि आज हम दोनों को तुम्हें चोदना चाहिए। "

रोजी द्वारा मुझे उसके और रूबी को एकसाथ चोदने के लिए कहा गया विचार पूरी तरह से आश्चर्यचकित कर गया। मैंने रोजी से पूछा कि क्या उसकी और रूबी दोनों की एकसाथ चुदाई का विचार किसी तरह का मजाक तो नहीं था । रोजी ने कहा "नहीं, यह मजाक नहीं है।"उसने कहा कि रूबी उन दोनों के साथ मेरे साथ एक थ्रीसम के बारे में बात कर रही थी। रूबी मुझे और रोजी दोनों को अपने बिस्तर पर चाहती थी, और रोजी की भी ये इच्छा थी की मैं एक ही समय में उन दोनों को चोदू।

मेरा मानना है कि लगभग हर पुरुष की दो महिलाओं के साथ थ्रीसम करने की गुप्त इच्छा होती है; मैं कोई अपवाद नहीं था और हां में जवाब देने में संकोच नहीं किया। मैं यह जानकर रोमांचित और उत्साहित दोनों था कि मैं जल्द ही वह पूरा करूंगा जो मेरी सबसे बड़ी यौन फंतासी थी। मेरे दिमाग में मैं उन सभी अलग-अलग चीजों के बारे में सोच रहा था जो मैं दो महिलाओं के साथ कर सकता था।

मैं एक पल भी संकोच नहीं करता, क्योंकि मैं हमेशा सेक्स के लिए तैयार रहता हूं। तो मैं रोजी को पकड़ कर चूमता हूँ फिर हम गर्म पानी में स्नान करके खुद को तैयार करने के लिए दोनों नग्न ही बाथरूम में जाते हैं। उसे नग्न देख एक दूसरे को छूने नहलाने सहलाने और दूसरे के शरीर को चूमने से मेरा लिंग सर उठाना शुरू कर देता हैं।

हम एक दुसरे को चूमते हुए बेडरूम में जाते हैं। जब रोजी और मैंने बेडरूम में प्रवेश किया, रूबी पर रोशनी थी और वो बिस्तर पर लेती हुई थी पूरी तरह से नंगी हमारा इंतजार कर रही थी । उसने मान लिया होगा कि ऐसा कोई कारण नहीं था कि मैं इस तरह के प्रस्ताव को ठुकरा दूं। पूरे समय जब तक हम कमरे में रहे किसी ने भी लाइट बंद करने का कोई प्रयास नहीं किया ।

मैं अपने बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया और मेरी अपने ऊपरी बांह रूबी के स्तनों को दबा रही थी और फिर रोजी भी अपने शरीर को मेरे साथ लता की तरह लिपट कर दूसरी तरफ लेट गई। तो दूसरी तरफ रूबी भी मुझ से लिपट गयी मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक दिन मैं वास्तव में दो महिलाओं जो मुझे बहुत ज्यादा पसंद थी के नग्न शरीर के बीच नग्न और सैंडविच की तरह रहूंगा।

मैंने कहा आप दोनों ने आज मुझे एक बहुत बड़ा सरप्राइज दिया है मेरा लंड तब तक पूरा उग्र हो चूका था और पूरे ९० डिग्री पर तन गया था रूबी ने जवाब दिया, "शायद आपका मुंह ऐसा कह रहा है, लेकिन कोई और कुछ और कह रहा है कि आप कुछ और करना चाहते हैं।"ये कहते हुए उसने नीचे की और मेरे खड़े लंड को देखा।

तो रोजी ने ये जानने के लिए की रूबी किसके बारे में बात कर रही है नीचे देखा और उसने देखा कि मेरा लंड एकदम सीधा था और हम तीनों हँसने लगे, मुझे थोड़ी शर्मिंदगी हुई।

"क्या तुम उस चीज़ को नियंत्रित नहीं कर सकते,"हँसते हुए रोजी ने कहा।

"क्षमा करें, आप जानते हैं कि इसका खुद का दिमाग है। यह आप दोनों के आसपास होने से अब बिलकुल बेकाबू है।"मैंने जवाब दिया, मैं अपनी असहज भावना को छिपाने की कोशिश कर रहा था।

आगे क्या हुआ ... ये कहानी जारी रहेगी l



दीपक कुमार


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#12
अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग -4


रूबी और रोजी
 


रोजी बोली ठीक है हरेक का अपनी भावना व्यक्त करने का और धन्यवाद करने का अलग तरीका है और इसका ये तरीका बहुत शानदार है। ये कह कर रोजी मेरे ऊपर झुकी और मुझे एक बहुत गरमा गर्म लिप किस करि। कुछ देर बाद हमने चुंबन तोड़ दिया तो रूबी ने मजाक में पूछा रोजी मुझे लगता है मुझे भी धन्यवाद देना चाहिए।"

"इसका लाभ उठाएं।"रोजी ने कहा।

उस टिप्पणी के बाद, एक सेकंड के अंदर ही रूबी के होठों ने मेरा एक जबरदस्त चुंबन किया ।

फिर रोजी बोली एक धन्यवाद मेरी तरफ से तो रूबी तुम्हारा भी बनता है जो तुमने मुझे दीपक जी से मिलवाया और प्रेम शास्त्र का अद्भुत अनुभव दिलवाया और रूबी को किश करने लगी ।रूबी भी उसी शिद्दत से रोजी को चूमने लगी । मैंने भी बोला रूबी का धन्यवाद तो मुझे भी देना चाहिए जो मुझे रोजी जैसी शानदार प्रेमिका से मिलवाया और रोजी का धन्यवाद के उसने मुझे इतना शुद्ध निर्मल और स्वार्थ रहित पूर्ण समर्पित प्रेम किया और उन चुम्बन करती हुई बहनो के चुम्बन में मैं भी शामिल हो गया।

इस तरह हमने एक थ्रीसम चुम्बन किया जिसमे तीनो एक दुसरे के ओंठो को चूस रहे थे।. ये बहुत शानदार अनुभव था। मैं रोजी और रूबी का ऊपर का ओंठ चूस रहा था तो रूबी और रोजी मेरा आधा नीचे का ओंठ चूस रही थी और तीनो की जीभे आपस में मिल रही थी। कुछ पता नहीं किसकी जीभ किसके साथ पेच लड़ा रही थी। तीनो की आँखे आनंद में बंद थी।

पता नहीं हम तीनो कितनी देर किस करते रहे। मेरे हाथ उनकी पीठ पर फिरते रहे और पीठ से होकर उनके एक स्तन पर पहुँच कर रोजी के दाए स्तन और रूबी के बाए स्तन से खेलने लग गए।

मेरे लिए ये शानदार सेक्स की सबसे शानदार शुरुआत है जो एक गर्म किश से शुरू होती है। योनि प्रवेश से पहले खुद को हुए अपने साथी को तैयार करना इसमें चूमना किश करना, सहलाना, प्यार करना,. मीठी बाते करना एक अच्छे सेक्स का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैl इससे सेक्स का पूरा मजा मिलता है।

रूबी चुम्बन तोड कर सांस लेने के लिए रुकी तो तीनो ने एक दुसरे को देखा तो मैंने उसे वापिस नीचे खींच लिया और हमने दुबारा एक दुसरे को चूमना शुरू कर दिया और रूबी ने मेरी जांघों को रगड़ना शुरू कर दिया। फिर रोजी ने चुंबन तोड़ दिया , मैं रूबी की ओर मुड़ते हुए बोला मुझे लगता है मैं आप दोनों से बेहतर कर सकता हूँ। "

एक धीमी गति से मौन मंजूरी के साथ, रूबी ने उसकी सहमति दे दी है और रोजी ने मुझे एक और गर्म चुंबन दे दिया और जैसे रूबी मेरी जाँघे रगड़ रही थी वैसे ही उसका हाथ भी नीचे पहुँच गया और मेरी कठोर लंड को सहलाते हुए उसने उसे कस कर पकड़ कर दबोच लिया ।

जब रोजी ने अपना चुम्बन तोडा तो रूबी ने भी गर्म चुम्बन से लेकर मेरी छाती को अपने हाथो से सहलाते हुए उसका हाथ भी मेरे लंड पर पहुंचा । उसकी जांघो ने मेरी जांघ को रगड़ा और फिर उसने भी लंड को सहलाते हुए दबोच लिया ।

फिर जब रूबी का चुंबन समाप्त हो गया है, हमने आगे और पीछे एक दूसरे को देखा, ये हमारे लिए एक नया रोमांच था।

10 सेकंड के अंदर ही वे दोनों में झुक कर मेरी गर्दन को चूमने और चाटने लगी और मेरे सारे बदन पर उनके हाथ चल रहे थे फिर जब रोजी मेरी छाती को चूम और चाट रही थी तो रूबी मुझे लिप किश करने लगी । फिर जहाँ रोजी ने छाती को चूमना रोका वही से रूबी मेरी छाती को चूमना और चाटना शुरू कर देती थी और रोजी मुझे लिप कस करने लगी इस तरह बारी बारी से वैकल्पिक चुंबन और मुझे चूमना और चाटना चलता रहा और वह दोनों मेरे निप्पलों से बारी बारी खेलने और चूसने लगी। .ये एक अभूतपूर्व अनुभव था पूरा शरीर कुछ नया अनुभव कर रहा था । एक साथ ओंठो का चुम्बन और छाती के निप्पल को चुसवाना. मेर लंड फुफकार रहा था ।

इसके बाद पता नहीं कब मेरा हर हाथ से एक अलग चूत पर पहुँच गया था और तभी मैंने महसूस किआ कि दो जोड़ी हाथ मेरे बहुत खड़े हुए लंड से खेल रहे हैं।

मैंने शुरू में प्रत्येक चूत को अपने हाथ से सहलाया और फिर उन्हें रगड़ना शुरू कर दिया । जबकि मेरी उंगलियों ने हर एक के अंदर अपना रास्ता ढूंढ लिया। रूबी की चूत के अंदर मेरे एक हाथ की उंगलियाँ थीं, जबकि मेरे दूसरे हाथ की उंगलियाँ रोजी की चूत के अंदर थीं। मैं वो कर रहा था जो मुझे लगता था कि कभी भी नहीं होगा, एक ही समय में दो अलग-अलग महिलाओं की योनियों में अपनी उंगलियों के साथ खेलना । सच में ये एक अद्भुत अनुभव था । इस दौरान हमारी किस चलती रही ।

उनकी चूत पर हाथ फेरने के कुछ ही मिनटों के बाद रूबी और रोजी दोनों ने अपनी स्थिति बदल ली और अपने सिर को मेरे पैर की ओर करके बिस्तर पर लेट गईं। इस बदलाव के बबाद भी वे दोनों मेरे लंड के साथ खेलती रही , और लंड के ऊपर अपने हाथ एक साथ चलाती रही इससे पहले कि मुझे यह समझ आये कि क्या हो रहा है । मैंने महसूस किया कि होंठों की एक जोड़ी ने मेरे लंड को घेर लिया है और नीचे की ओर से उँगलियों से लंड को पकड़ लिया था, जिससे लंड सीधा खड़ा रहे ।

मैंने नीचे देखा और देखा कि रूबी मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी जबकि रोजी ने मेरा लंड पकड़ रखा था। रोजी ने रूबी के लिए एक ऐसे स्थिति में मेरा लंड अपने हाथ से उसके बेस पर पकड़ रखा तह जिससे रूबी को लंड चूसने में कोई दिक्कत न हो । इस तरह से रूबी ने मेरे लंड को पहली बार चूसा था । कुछ देर बाद इसी का अनुसरण करते हुए रोजी ने मेरा लंड चूसा और रूबी ने मेरा लंड उसके लिए पकड़ा । इसी तरह दोनों ने कई बार बारी बारी से मेरा लंड चूसा मैं उन्हें मेरा लंड चूसते हुए देखता रहा ।

मेरे लिए ये अद्भुत अनुभव था जब पहली बार इस तरह से मेरा लंड दो लड़कियों ने एक साथ बारी बारी से चूसा हो । फिर उन दोनों ने मेरा लंड अब एकसाथ चूसना शुरू कर दिया । रोजी मेरे लंडमुंड को मुँह में दाल कर चूसने लगी और रूबी बाकी के खड़े हुए कठोर लंड की पूरी लम्बाई को चूसने लगी।

उनका भी पहला थ्रीसम होते हुए भी उनका सामंजस्य अद्भुत था । ऐसा नहीं लग रहा था ये उनका भी पहला थ्रीसम है । फिर दोनों ने आधा आधा लंड चूसना शुरू कर दिया । रोजी ने दायी और से चूसना शुरू किया और रूबी ने बायीं और से चूसना शुरू कर दिया । दोनों ऊपर से शुरू करती फिर लंड पर झीभ फेरते हुए नीचे तक जाती फिर जड़ से वापिस ऊपर तक आती। मैं तो बस जन्नत में था।

फिर मेरा ध्यान मेरे सर के दोनों और उनकी चूत पर गया जो मेरे मुँह के पास थी । दोनों लड़किया इस तरह से लेटी हुई थी के उनकी चुत मेरे मुँह के बिलकुल पास थी ।रोजी की चुत बायीं और और रूबी की चूत सिर के बाईं ओर थीl मुझे केवल अपना सिर एक तरफ से दूसरी तरफ मोड़ना था और मेरा मुंह रूबी और रोजी की चूत पर टिका कर उन्हें बारी बारी चूसने लगा । मैं पहले एक चूत को चूसता और चाटता था फिर सर घुमा कर दूसरी को चूसने और चाटने लगता ।

मैं कई बार आगे पीछे होकर रूबी और रोजी की चुत को बारी बारी चूमता चूसता रहा । मैं उनकी चुत की पूरी लम्बाई और गहराई में अपनी जीभ चला रहा था । मैंने जीभ से उनकी चुत की गहराई की जांच करि । हालाँकि मेरा लंड कई बार उनकी चुत की गहराइयों की जांच कर चूका था पर जीभ से जांच करने का ये अनुभव स्पेशल था । मैंने उसकी चुत को इस प्रकार से चाटा बिल्ली कटोरे से दूध चाट जाती है । मैंने बिल्ली के समान गति का उपयोग करते हुए इसकी गहराई की जांच की।

बीच मैं कभी-कभी उनकी छत के दाने को भी चूसना शुरू कर देता और फिर उनकी योनि के बाहरी होठों की पूरी लंबाई को अपने मुँह में लेकर चूसता और फिर अचानक अपनी जीभ को जितना हो सके उनकी योनि की गहराइयों में घुसा देता था । हालांकि मुझे पता था कि मेरा मुँह दोनों में से किस की चुत पर था पर मैं उन्हें उनके स्वाद से भी बताने में सक्षम था। रोजी की चूत को स्वाद लगभग मीठा और हल्का था; जबकि रूबी की चूत का तीखा और तेज स्वाद था।

उसके बाद हमने स्थिति बदल दी जिसमे रोजी और रूबी दोनों एक-दूसरे के बगल में अपनी पीठ पर लेट गए। इसने मुझे प्रत्येक महिलाओं में से एक के साथ 69 करने की सुविधा दी। जब मेरा चेहरा रूबी या रोजी की चूत पर था, तो मैं उस पर लेट जाता और अपनी जीभ को उनकी चूत में जहाँ तक मैं पहुँच सकता था डाल देता था । वही मेरा लंड उसके मुँह में होता था ।

जिस तरह वो मेरे लंड को चूस रही थी मैं भी उसी तरह उसकी चूत के हिस्सों को अपने मुँह में ले लेता और उसे उसी तरह से चूसता जैसे वो चूस रही थी । पूरे समय यही होता रहा जब वो मेरा लंड मुँह की गहराइयों में लेकर चूसती रही और उसी तरह मैं उसकी चुत चूसता रहा । मैं फिर दूसरी लड़की के साथ ऐसा ही करता हूं, फिर से एक से दूसरे चुत पर बारी बारी से चूसने लगा । जब मैं अपना चेहरा रोजी या रूबी की चूत पर लगा कर चाटता था उसी समय दूसरी की चूत को मेरी उँगलियाँ जितनी हो सकती थीं और उसे अपने हाथ से चोद रहा था। इस दौरान दोनों दो बार झड़ चुकी थी ।

मैं आज दोनों को बराबर समय और प्यार देना चाहता था, तो रोजी बोली अब आप पहले रूबी को चोदिये मैं उसकी चूत का जितना हो सकता था चोदना चाहता था, लेकिन मैं रोजी को यह सोचने के लिए नहीं चाहता था कि मुझे आज केवल रूबी में दिलचस्पी थी। मैंने निश्चय किया मैं जो भी रोजी के साथ किया वही मैं रूबी के साथ करूंगा और मैं रूबी के साथ जो भी करूंगा वही मैं रोजी के साथ भी करूंगा। मैंने उनमें से प्रत्येक के साथ समान व्यवहार करने की कोशिश की।

रूबी और रोजी अपने समय को विभाजित करने के लिए स्वतंत्र थी । उन दोनों की हरकते और मेरे लंड को चूसने का समय अलग अलग था । हम आखिरकार मैं पीठ पर आ गया और रूबी या रोजी मेरे मुँह पर बैठ गयी और मैं उनकी चुत को खाने लगा जबकि इस दौरान दूसरी मेरे लंड को शानदार तरीके से चूसती । फिर उन्हों ने कई बार अपनी स्थिति बदली ताकि मैं उनकी चुत को अछि तरह से चाट सकू और फिर वो मेरा लंड भी चूस सके।

अब चुकी मैं प्रत्येक छोर पर एक समय में मैं एक को ही समायोजित कर सकता था, तो फिर मैंने सुझाव दिया क्यों न त्रिकोण बना कर किया जाए।इससे तीनो के मुँह और जानाँनग का भरपूर उपयोग हो सके, तो मैं साइड पर लेट गया और रूबी ने अपनी चुत मेरे मुँह के पर रखी और अपना मुँह मेरे लैंड के तरफ कर साइड पर लेट गयीl उसके बाद रोजी भी इस तरह से लेटी के मेरा लंड उसके मुँह में था और उसकी चुत रूबी के मुँह के पास थी। अब तीनो के मुँह चल रहे थे।

कुछ देर बाद दोनों ने अपनी स्थिति बदल ली इसके बाद मेरा मुँह रोजी की चुत पर चल रहा था और रोजी का मुँह रूबी की चुत पर था और रूबी का मुँह मेरे लंड पर था ।

इस पूरे समय में यह सब हो रहा था हमारे छह हाथ चार उपलब्ध स्तनों और निप्पल्स के साथ खेल रहे थे। इस तरह हम तीनों ने काफी समय बहुत सारे मौखिक सेक्स के अलावा एक-दूसरे के शरीर के साथ खेलने और और छेड़ छाड में बिताया।

मुझे इनमे से सबसे ज़्यादा मज़ा तब आया, जब रूबी और रोजी दोनों एक साथ अपने मुँह को मेरे लंड के दोनों तरफ रखेंगी और दोनों अपने मुँह को एक साथ ऊपर-नीचे करती थी इस मौके पर उनमें से एक ने मेरे लंड की पूरी लंबाई को अपने मुँह में ले लिया तब भी बहुत मजा आया ।


आगे क्या हुआ ये कहानी जारी रहेगी ..



दीपक कुमार


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अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग -5

रूबी और रोजी 



रोजी ने आखिरकार मुझसे कहा कि मुझे उसकी चुदाई करने से पहले रूबी को चोदना चाहिए। मुझे इस बात का इंतज़ार था, कि हम दोनों साथ-साथ रहें क्योंकि थ्रीसम का पूरा इरादा मेरे लिए रोजी और रूबी दोनों को चोदना था। मुझे पता था कि मेरा लंड त्यार था उस की चूत में घुसने के लिए और दोनों की जबरदस्त चुदाई करेगा

रोजी बिस्तर पर इस तरह से बैठ गयी ताकि वह मेरे लंड रूबी की योनि के अंदर जाते हुए आसानी से देख सकेl मैं अभी भी अपनी पीठ पर था और मेरे लंड की पूरी लंबाई रूबी के मुँह में थी। उसके बाद रूबी ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकाला, मेरे कूल्हों के दोनों ओर एक एक पैर करते हुए खुद को खड़ा किया और और फिर नीचे बैठते हुए उसने मेरा लंड अपनी चूत में लेने के लिए तैयार किया।

रोजी ने मेरा लंड रूबी की चूत के द्वार पर लगा दिया। जब उसने खुद को मेरे लंड पर उतारा तो रूबी की चुत मेरे लंड को पूरा निगल गयी। रूबी की चूत अब पूरी तरह से मेरे लंड के चारों ओर लिपटी हुई थी। मैंने महसूस किया रूबी की चूत की योनि मोना की चुत जैसी ही टाइट हो गयी थी और उससे पहले मैंने जिस रूबी की चुदाई की थी, ये उससे बहुत टाइट हो गयी थीl मुझे लगा ये लड़की वह नहीं थी जिसे उससे पहले मैंने चोदा था। मैं काफी हैरान था पर उसकी टाइट चुत के कारण बहुत मजा आ रहा थाl ऐसा लग रहा था की आज मैं उसे पहली बार चोद रहा थाl

मेरे लंड पर बैठ कर जिस तरह से उसने उस दिन थ्रीसम के दौरान मुझे चोदा, तो मुझे कुछ नहीं करना था, बस वहीं लेटा रहा, और चुदाई का मजा ले रहा था। वो भी मेरे लंड को अपने अंदर लेने के एहसास को महसूस कर मजे ले रही थी और मुझे अपनी चूत को देने का आनंद ले रही थी। कुछ देर तक वो ऊपर नीचे होती रहीl इस तरह चोदने का आनंद लेने के बाद मैं भी उससे मिलने के लिए नीचे से अपने चूतड़ उठा कर जोर लगाने लगाl जब भी उसकी चूत नीचे और मेरे लंड के आसपास आती थी. मैं भी नीचे से एक धक्का ऊपर को लगा देता था. जिससे उसकी आह निकल जाती थी । फिर तो हम रिदम में ताल से ताल मिला कर चुदाई करने लगे जब मैं इस तरह रूबी को चोद रहा था. तो रोजी मेरे लंड को रूबी के अंदर बाहर जाते हुए देखने के लिए बगल में लेटी हुई थी ।

फिर रोजी उठी और मेरे लैंड को नीचे आकर मेरे अंडकोषों को चूमने लगी, और साथ के साथ जब रूबी ऊपर होती तो वो मेरे लंड को भी चूमने लगी और बीच बीच में रूबी की चूत को भी चूम लेती थीl इस तरह से रूबी की चुदाई का मजा दोगुना हो गया और इस बीच मैं उसके स्तनों से खेलता रहा कुछ देर बाद मेरे लंड के प्रहारों और रोजी के चूमने के कारण रूबी झड़ गयी और मेरे ऊपर हो होl आह! आह! ओह्ह! ओह्ह! करती गिर गयी ।

और इस तरह आखिरकार रूबी ने मुझे चोदना बंद कर दिया और नीचे उतर कर लेट गयी मैं अपनी पीठ से उठ गया और खुद रोजी के ऊपर आ गया । मैंने धीरे से उसकी बहुत गीली हो चुकी चूत में प्रवेश किया जो चुदाई के लिए एकदम तैयार थी। मैं चुदाई के दौरान उसकी चूत के भीतर हर लहर महसूस कर पा रहा था क्योंकि मैंने अपना पूरा लंड उसकी गहराइयों में सरका दिया था । इस तरह से मैंने रोजी को काफी देर तक चोदा।

मुझे जल्द ही पता चला कि रूबी की चुदाई के पसंदीदा आसन पीठ के बल लेटते हुए पैर फैला कर ऊपर उठा कर, चुदाई करवाना है। इस आसन में जब हमने चुदाई की तो मैं उसके ऊपर था इस पोज़िशन मैं उसके ऊपर था और मेरा लंड उसकी चूत में गहराई तक घुस गया। जब मैं रूबी को चोद रहा था, तो रूबी हमारे बगल में लेटी हुई. मुझे रूबी की चुदाई करते हुए देख रही थी और गर्म से गर्मतर हो रही थी

मैंने थोड़ी देर के लिए रूबी की चुदाई की और फिर अपना ध्यान रोजी की तरफ किया और रोजी को चोदने लगा और रूबी हमे देखने लगी । रोजी अपनी पीठ पर थी उसने अपने पैरों को ऊपर खींचा और घुटनों पर झुकाते हुए उन्हें दूर तक फैलाया और उसकी चुदाई करनी शुरू कर दीl इसने मेरे लंड को रोजी की चूत में गहराई तक घुसने दिया।

जब मैं रोजी को चोद रहा था रूबी लगातार हम दोनों को छू रही थी उसने पूरे समय हमारी चुदाई को देखा। कभी-कभी रूबी भी रोजी की चूत पर हाथ रख देती थी और रोजी को चोदते समय मेरे लंड को छू लेती थी। मुझे सहलाने और चुम्बन करने के बावजूद उसके हाथ मुख्य रूप से रोजी के निप्पल्स के साथ खेल रहे हैं और उसे चुंबन कर रहे थे । इस बीच मैं लंड को आगे पीछे करता रहा और फिर थोड़ी देर के लिए रोजी को चोदता रहा। .

फिर मैंने नए नए प्रयोग करना शुरू कर दिया जो मैं अगर मेरे पास चुदाई करने के लिए दो छूटे हो तो उनके साथ करने की सोच सकता था । उन दोनों ने उनकी पीठ के बल साथ साथ लेटाकर मैं पहले एक से चोदता और फिर दूसरी को । फिर मैं भी दोनों में से एक को चोदता और अपना चेहरा दूसरी की चूत में घुसा देता । फिर मैं लड़की बदल देता और जिसे छोड़ता था उसकी चूत को चूसता और दूसरी की चूत को चोदने लगा ।

जब मैं इनकी भगनासा को उसी तरह से चूसता था जिस तरह से वे पहले मेरा लंड चूसते रहे थे तो वे दोनों बेकाबू हो गयी । इसके इलावा जब मैं रूबी या रोजी को छोड़ता था तो उसे चोदने के दौरान दूसरी की चूत को चूसूंने लगा । उसके बाद बदल कर फिर मैं जिसको चोद रहा था उसकी चूत को चूसूंगा और जिसे चूस रहा था उसे चोदने लगता था ।

इन सब पर मैं पहले दोनों में से एक को चोदता और फिर दूसरे को और फिर ऐसा करते हुए दोनों को कई बार चोदता। ऐसा मैंने कई बार किया । जितनी बार मैं उनमें से एक को चोद रहा था, उतनी ही बार मेरा हाथ उसकी चूत में ज्यादा से ज्यादा छेद चाँद करता था या मैं उसकी क्लिटोरिस से खेलता था । मैं कभी-कभार महसूस करता हूँ कि जो मुझ से चुद नहीं रही होती थी, वह कभी कभी मेरे लंड और चुद रही चूत को छू रहा होता थाl इस दौरान दोनों लड़किया कई बार झड़ीl जो झड़ जाती थी उसे छोड़ कर मैं दूसरी को चोदने लग जाता था ।

मुझे आज तक इस बात का कोई अंदाजा नहीं है कि मैं उन्हें एक साथ इस तरह से चोदना चाहता थाl इस तरह बार बार चोदते हुए उन दोनों को बिना एक भी बार झड़े नॉन स्टॉप ओरल सेक्स करते हुए उन्हें चार घंटे तक चोद पाया और मैं झड़ने के कगार पर पहुँच गया। पता नहीं ये बीच बीच में पार्टनर बदल लेने का परिणाम था या भवनाओ का अतिरेक या उस दिन कोई जादू हुआ था।

जब मेरा लंड रूबी की चूत के अंदर था और रोजी ने देखा कि मैं झड़ने के करीब था तो वह बिस्तर पर एक तरफ हो गयी और हमे देखने लगी, जहाँ उसने मेरे द्वारा रूबी को चोदने और उसके अंदर झड़ने के लिए मेरा इंतजार किया। रोजी द्वारा हमें अकेला छोड़ने का इरादा मुझे रूबी के साथ अकेले रहने की अनुमति देता था ताकि हम एक-दूसरे को निजी तौर पर चोदते हुए चरमोत्कर्ष प्राप्त कर सके।

हालाँकि मुझे ज्यादा अच्छा लगता अगर रोजी उस समय जब मैं रूबी की चूत में झड़ने लगता, तो रोजी मेरे पास रहती और मुझे छूती चूमती और सहलाती। रोजी के एक तरफ हो जाने के बाद मैंने एक बार फिर खुद को रूबी की सीधी टांगों के बीच फँसा लिया और अपना लंड उसकी इंतज़ार करती हुई चूत में सरका दिया।

मैंने उसे इस प्रकार चोदना शुरू किया जैसे उसे उस रात में आखिरी बार चोद रहा हूँ। मैं रूबी को सबसे अच्छी चुदाई देना चाहता था जो कि मैं उसे बहुत मजबूत संभोग बनाकर करने में सक्षम था। मैं भी रूबी को चोदने की अपनी क्षमता से प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था और उसे दिखाना चाहता था कि चाहे वह कितने भी लड़को से चुदवा चुकी हो, मैं चुदाई करने में उन सबसे अच्छा और बेहतर था। उसके बाद मैंने रूबी की चूत में कस कस कर लम्बे लम्बे शॉट लगाए जिससे उसका पूरा बदन हिल जाता था और हर शॉट के साथ उसकी एक जोरदार आह निकलती थीl

इस जबरदस्त चुदाई से जैसे ही रूबी अपने कामोन्माद के पास पहुंची, उसने अपने हाथ ऊपर उठाते हुए उसके सिर पर वापस फेंक दिए और बिस्तर के हेडबोर्ड पर पकड़ लिया और जोर से कराहने लगी। उसने हेडबोर्ड पर अपनी पकड़ तब तक जारी राखी जब तक कि हम दोनों एक साथ नहीं चरमोत्कर्ष पर नहीं पहुँच गए। रूबी अब अपने शरीर पर पूरा नियंत्रण खो चुकी थी और एक जंगली चुदाई की मशीन बन गई थी। वह उस मुकाम पर पहुंच गई थी, जहां सिर्फ दो चीजें मौजूद थीं, उसकी चूत और मेरा लंड जो उसकी चूत को चोद रहा था ।

उस समय मैं उसे ऐसे चोद चोद रहा था जैसे कि वह फिर कभी नहीं चुदी होगी और चिल्लाने लगी "दे दो बेबी। यह मुझे दे दो बेबी। और जोर से । " मैं आज उस लड़की को खुल कर चोद रहा था जिसे मैंने सबसे पहले अपने फूफेरे भाई बॉब से चुदते हुए देखा था और पूरी तरह से उसके साथ चुदाई का आनंद ले रहा था क्योंकि मैं उसे वही दे रहा हूं जो वह चाहती है। "

मैं अपने नीचे मेरी जबरदस्त चुदाई के कारण हो रही रूबी के शरीर की प्रतिक्रिया को महसूस कर रहा था क्योंकि उसका शरीर कांपने लगा वह एक जबरदस्त ओर्गास्म अनुभव कर रही थीl उसने मेरे लंड को अपने जलाशय के अमृत से पूरा नहला दिया। लगभग उसी के साथ रूबी ने ऐसे चिल्लाना शुरू किया जैसे उसे बहुत तीव्र दर्द हो रहा हो । रूबी की उस कम्पन भरी चिल्लाहट से चार घंटे से ज्यादा देर से उत्तेजित मेरे लंड ने भी रूबी की चूत में बड़ी भारी मात्रा में लावे का विस्फोट कर दियाlजिसके बाद मेरे आधा दर्जन अतिरिक्त डिस्चार्ज और थे, प्रत्येक पूर्ववर्ती की तुलना में मात्रा में छोटे थे । रूबी की चूत में मेरे आखिरी शॉट के साथ मैंने कुछ शॉट और लगाए और उसके बाद उसके ऊपर गिर गया, थक गया। उसकी आश्चर्यजनक रूप से कसी हुई चूत के कारण रूबी ने मुझे एक बहुत अच्छी चुदाई का भरपुर मजा दिया ।

हम दोनों कुछ देर तक एक दुसरे की बाहों में बिस्तर पर लेट, वह मुझे पकड़ कर आलिंगन करती रही और हम चुंबन का आदान-प्रदान करते रहे । रूबी कुछ देर वैसे ही लेते रहना चाहती थी और एक दुसरे की बाहो में लिपटे हुए चुंबन कर रही थी जैसे हम दोनों अमर प्रेमी हो ।

जब हम्मारी साँसे कुछ संयत हुई तो रोजी और मैं आखिरकार बिस्तर से उठ गए तो रोजी जो हमे देख रही थी और हमारा इंतजार कर रही रोजी ने हमें उसके चेहरे पर मुस्कान के साथ अभिवादन किया और मुझसे कहा, "क्या आपको रूबी को चोदने में मज़ा आया?" जिस पर मैंने जवाब दिया, "बेशक।" उसकी अगली टिप्पणी थी, "मुझे यह नहीं पूछना है कि क्या रूबी को मज़ा आया। मैंने यह सुना।" हम तीनों के बीच थोड़ी सी बातचीत हुई और यह निर्णय लिया गया कि हमें अक्सर थ्रीसम के लिए मिलते रहना चाहिए । फिर रूबी बोली अगर अब आप चाहते हैं तो कुछ देर आराम कर लीजिये या एक बार रोजी को भी चोद लीजिये

भले ही मैं रूबी और रोजी दोनों को चोदने से थक गया था, और विशेष रूप से रूबी को , मैंने एक बार रोजी की चूत में लंड घुसा दिया और उसे चोदना शुरू कर दिया। हम वहां अंधेरे में लेटे रहे, एक-दूसरे से प्यार करते रहे, और फिर तीनो साथ में जो हुआ था उसके बारे में बात करते हुए चिपक कर सो गए।

अगली सुबह रूबी अपने कमरे में चली गयीl अगला दिन मौसम शानदार था और मैंने रोजी से कहा शायद आज कमरे में कोई मेहमान आएगा. तो जरूरी व्यवस्था कर देना जैसे ही नाश्ता खत्म हुआ तो बुआ और फूफा किसी रिश्तेदार से मिलने चले गए और बाकी लोग अपने पूर्व निर्धारित कार्य बॉब पुस्तक पढ़ रहा था, टॉम बिस्तर पर था , और जेन की बहने TV. देखने में व्यस्त हो गयीl

मैंने और जेन ने टहलना शुरू कर दिया, विशेष रूप से मेरे दिमाग में था की बुआ और फूफा लंच के लिए वापस आ सकते हैं ।

मैं और मेरी खूबसूरत फूफेरी बहन के साथ बगीचे से आगे और मैदान से बाहर निकल गए, मैंने उसकी तारीफ करनी शुरू कर दी थी और धीरे धीरे हमारी बातचीत बहुत गर्म हो गई, और शर्म के मारे जेन का चेहरा उसके दौड़ते गर्म खून के कारण सुर्ख लाल हो गया ।

" आप बहुत बदमाश हो गए है दीपक। जब हम पहले यहाँ आये थे तो आप इतने अशिष्ट लड़के नहीं थे। मुझे आपके बात करने के तरीके पर शरम आ रही है, दीपक!" वह आखिरकार अपनी चुप्पी तोड़ती हुई बोली।

" मेरी प्यारी, जेन," मैंने जवाब दिया, "सुंदर लड़कियों, सुंदरियों की शानदार टाँगे उनके पैरों और सुन्दर उन्नत छातियों की, और उन सभी के बारे में और उनके साथ मस्ती करने और मस्ती की बात करने के ज्यादा और अधिक सुखदायक क्या हो सकता है?

मैं आपको बता नहीं सकता मैं आपकी ख़ूबसूरती का कैसा दीवाना हो गया हूँ कल के बाद से आज मैं आपके ही खयालो में डूबा रहा हूँ मैं आपके खूबसूरत टांगो की एक झलक देखने को बेकरार हूँ जिनकी मुझे एक झलक मिली है और मैं यही सोच रहा हूँ के आपकी ख़ूबसूरती को किस तरह से प्यार करना चाहिए?"

ये कह कर मैं एक छायादार पेड़ के नीचे रुक गया और उसे अपने पास खींच लिया, फिर वही घास का मैदान जो की पेड़ो के झुरमुट में छिपा हुआ था उसमे लेट कर, अपने पास घास पर नीचे, आधे मन से विरोध करती हुई जेन को अपने पास खींच लिया , और उसको ओंठो पर पूरी शिद्दत के साथ चूमने के बाद मैं बड़बड़ाया, "ओह! जेन, आपका चुम्बन बिलकुल आपकी ही तरह मीठा है, मीठे प्यार की तरह जीने लायक कुछ और भी है क्या?"

उसके होंठ मुझे एक उग्र आलिंगन में मिले थे, लेकिन अचानक खुद को मुझ से अलग करते हुए, उसकी आँखें नीचे झुक गईं, और भयानक रूप से हतोत्साहित दिखते हुए, उसने हकलाते हुए कहा, "यह क्या है? तुम्हारा क्या मतलब है, दीपक?"

"आह, मेरी प्यारी जेन, तुम इतनी मासूम तो नहीं हो? तुम देखो इधर प्रेम औजार तुम्हारी गदरायी जाँघों के बीच समाने के लिए बेताब हैl " मैं फुसफुसाते हुए ,उसका हाथ पकड़ कर मेरे लंड पर जिसे मैंने पेण्ट की ज़िप से बाहर निकाल लिया था और अब तक पूरा कठोर हो चूका थाl उस पर रख कर बोला " इसे अपने हाथ में पकड़ लो, प्रिय, क्या यह संभव है कि आप यह नहीं समझती कि यह किस लिए है?"

उसका चेहरा उसके बालों की जड़ों तक लाल हो गया था, क्योंकि उसके कांपते हुए हाथ ने मेरे उपकरण को पकड़ लिया था, और उसकी आँखें लंड श्री के अचानक स्पष्ट होने पर डर के मारे लाल हो गयी थी। वह डर भी रही थी और हैरान भी हो रही थी और इसके मुँह से बस इतना निकला "ओह माय गॉड! इतना बड़ा! " और उसका हाथ मेरे लंड के ऊपर ऐसे सरक रहा था जैसे वह माप ले रही होl उसके बाद वो आवाक सी मेरे लंड् को ताकने लगी . मैंने उसके अवाक भ्रम का फायदा उठाते हुए, उसकी लाल लंग की स्कर्ट के अंदर नीचे फिसलते हुए, जल्द ही उसके जांघो के बीच के जगह पर कब्जा कर लिया, और उसकी जांघों के घबराहट भरे संकुचन के बावजूद, मेरी उंगलियों ने अग्रदूत की तरह उसकी कुंवारी भगशेफ की खोज शुरू की ली । उसने अपनी जाँघे कस कर भींच ली ।

"आह! ओह! ओह! नहीं प्लीज दीपक नहीं वहां नहीं? आप क्या चाहते हो? आप क्या खोज रहे हो?"

उसे नए सिरे से सुस्वाद चुंबन के साथ उसे अपने साथ लपेटते हुए , उसके होंठ के बीच मेरी जीभ की मखमली अगले हिस्से को घुसाते हुए मैं फिर से फुसफुसाया "यह सब प्यार है , प्रिय जेन , प्लीज अपनी जांघों को थोड़ा सा खोलिये और मेरी ऊँगली आप को मजे का अद्भुत अनुभव देगी ।"

"ओह! ओह! नहीं आप चोट करेंगे और मुझे दर्द होगा!" वह बोलने के बजाए आहें भरती दिख रही थी, लेकिन चुम्बन से मिलने वाले आनंद से उसके पैरों ने अपने अकड़ने वाले संकुचन को थोड़ा ढीला कर दिया था।

मेरे होंठ उसके ओंठो के साथ चिपके रहे, हमारी भुजाओं ने एक दूसरे को कमर के करीब से जकड़ा हुआ था, उसका हाथ मेरे कठोर लंड की ऐंठन को पकडे हुए था, जबकि मेरे दुसरे हाथ की उंगलियां क्लिटोरिस और उसकी योनि के साथ व्यस्त थींl उस समय केवल हमारे चुंबन और हमारी आह की आवाज ही वहां सुनाई दे रही थीl ये तब तक चलता रहा जब तक मेरे द्वारा उसकी चूत की छेड़ छाड़ और उसके चूत के दाने को सहलाने के कारण उसका शरीर हल्का सा थर्र्राया और मेरी उंगलियो ने उसकी योनि से निकलता हुआ गीलापन महसूस किया। और वह तेज तेज साँसे लेती हुई धीमे से मेरे कानो में बोली "ओह! दीपक मजा आ गया! अरे ये मुझे क्या हुआ?" "मुझे माफ़ कीजियेगा मैंने आपका हाथ गीला कर दिया।" वह शर्माते हुए बोलीl

ये कह कर मैं चुप हो गया क्योंकि मैं भी उस अनुभव की यादो में खो गया था, तो प्रीती बोली आगे क्या हुआ जेन के साथ आपका मिलन, कैसे, और कहाँ हुआ.. बताइये प्लीज!

ये कहानी जारी रहेगी


आपका दीपक


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#14
अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग -6

जेन-प्रेमालाप में आया व्यवधान



थोड़ी ही देर में जेन की उखड़ी हुई साँसे, संयत हो गयी और फिर मैंने उसे समझाया कि जिस परमानंद को उसने अभी महसूस किया था, वह केवल उस खुशी का थोड़ा सा संकेत मात्र था जो मैं उसे दे सकता था, अपने लंड को उसकी योनि में डालकर। मेरी मजेदार प्रेरक वाक्पटुता और उसकी इच्छाओं की गर्माहट ने जल्द ही उसके सभी स्त्री सुलभ डर और दबाव को खत्म कर दिया, और वो मुझे चूमने लगी मेरे लिए इतना इशारा काफी था।

फिर उसकी ड्रेस को नुकसान पहुंचने के डर से, या मेरे हल्के सफ़ेद रंग की पतलून के घुटनों पर घास का हरा दाग लगने के डर से, मैं उसे एक गेट जो वहां था उस पास ले गयाl मैंने उसे गेट के पास खड़े होने के लिए राजी कर लिया और मैं उसके पीछे आ गया। उसने गेट का एक हिस्सा पकड़ते हुए अपना चेहरा अपने हाथों में छिपा लिया, जैसे ही मैंने धीरे से उसकी ड्रेस उसके नितम्बो से ऊपर कर दी, तो मेरे देखने के लिए क्या नजारा मेरे सामने आया थाl मेरा लंड जो पहल ही पेण्ट से बाहर था, उसकी गोल चिकने नितंबों को देखते हुए एक पल में अपने पूरे विकराल रूप में आ गयाl लंड की कठोरता नवीनीकृत हो गई थीl उसकी गांड की दरार को मैंने मह्सूस किया.आअह्ह्ह उसकी सिसकी निकल गयी ।

मैंने उसके नितम्बो के बीच की सफ़ेद सुंदर दरार को सहलाया तो वह कहराने लगी जैसे उसे बहुत राहत मिली हो। मैंने नितम्बो को दबाया क्या नरम और मजबूत नितम्ब थे मैंने दरार को थोडा खोला और उसके मांस को उजागर किया, तो मैं उसकी योनि के मोठे होंठों को देख सकता था, जो दो पंखो जैसे लग रहे थे , जो नीचे की तरफ नरम थेl उसकी सुदृढ़ पुष्ट जाँघे, सुन्दर घुटने उसके प्यारे पैर, लम्बी केले के पेड़ के तने जैसी लम्बी चिकनी टाँगे, सुन्दर लम्बे जूते सब मिला कर, बहुत सुन्दर बना रहा था, जिसे मैं लिख और वर्णन करता हूँ तो आज भी मेरा लंड उत्साहित हो कठोर हो रहा है ।

ये नज़ारा मेरे लंड की सूजन के विकराल होने का कारण बन गया l सबसे खूबसूरत और शानदार दृश्य था। मैं उसके नीचे झुका, और उसके नितम्बो को चूमा, और सब कुछ जहाँ तक मेरी जीभ तक पहुँच सकता थी उसको भी चूमा । यह सब मेरा था, मैं उठ कर खड़ा हुआ और प्रेम सिंघासन का कब्जा लेने के लिए तैयार हो । ऐसे में गोरी चिट्टी जेन को मुँह से गू गू आवाजे निकली वो गाये के रम्भाने जैसी थी।

अपना प्रेम औजार को पकड़ कर प्रेम की गुफा के द्वार के पास लाने ही वाला था की जेन अचानक से चीखी! बचाओ! जेन बेहद परेशान हो गई और डर गयी थी । उसकी गु गु की आवाज सुन कर एक सांड आकर्षित हो कर उसी और आ गया था। उसे एक बहुत बड़ा भयानक सांड अप्रत्याशित रूप से उसके सामने की तरफ दिखाई दिया,और उस सांड की ठंडी नम नाक जेन के माथे से अचानक छूने से मेरी प्यारी जेन उस समय बहुत ज्यादा डर गयी। वह पलटी और सीधी खड़ी हो गयी और मेरे साथ लिपट गयी और उसके कपड़े उसके बदन पर गिर गए, हमारी सारी व्यवस्था एक पल में उलट पलट हो गयी।

जेन चिल्लाते हुए बेहोश होने वाली थी, " दीपक, दीपक! बचाओ मुझे इस भयानक जानवर से बचाओ!" मैंने उस जानवर को देखा और बोला ऐ भागो यहाँ से। ये देख कर ये वो गाय नहीं है जिसकी पुकार सुन कर वो यहाँ आया था. वो आज्ञाकारी सेवक की तरह एक तरफ को चला गया। जेन मुझ से लिपटी हुई थी और बोली प्लीज दीपक यहाँ से चलो मुझे बहुत डर लग रहा है। मैंने जेन को भरोसा दिलाया के गेट बंद है और गेट की इस तरफ हम दोनों बिलकुल सुरक्षित हैं। और फिर खुले और जंगल में प्यार का यही तो रोमांच है। जो इस प्यार को ख़ास बनाता है।

मैं शान्ति के साथ उसे गेट के मध्य के पास ले गया, वहां पर लगा हुआ ताला दिखाया और गेट की ग्रिल और ताले को को हिला कर दिखाया के वो मजबूत हैं तो जेन आश्वस्त हो गयी के हम सुरक्षित हैं।

पर फिर भी वह बोली प्लीज यहाँ से चलो मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा है यहाँ। तो मैंने उसे कुछ प्यार भरे चुम्बन किये तो वह कुछ संयत हो गयी और चुम्बन में मेरा साथ देने लगी।

उसने अपनी ड्रेस थोड़ी ठीक की, मैंने भी अपनी पेण्ट थोड़ी ठीक की जिससे मैं चल पाऊ और फिर हमने दोनों ने चलना फिर शुरू किया, और कोई और अनुकूल जगह ढूंढने लगे । जल्द ही एक अनुकूल छायादार स्थान हमने ढूंढ लिया । मैंने कहा क्या यह जगह आपको ठीक लगती है प्रिय जेन तो उसने सहमति में सर हिला दिया। "आओ, प्रिय जेन , मेरे पास बैठ जाओ और मुझे यकीन है, प्रिय उस चौंकाने वाली रुकावट से उबरने और उसकी भरपाई के लिए ये अच्छी जगह है आप बहुत घबरा गयी थी।"

मैंने उसे अपने साथ लायी बोतल जिसमे शराब और ख़ास देसी दवा की कुछ बूंदे मिली हुई थी वह उसे पीने को दी। उसने कुछ घूँट पि तो मैंने भी उसके कुछ घूँट भर लिए।. वैसे दवा कुछ बूंदे मैंने जेन से छुपा कर उसके नाश्ते में भी मिला दी थी ताकि आज वह मेरे साथ खुल कर बेजिझक संसर्ग कर सके। कुछ देर मैं उसकी खूबसूरती की तारीफ करता रहा आपकी बड़ी बड़ी नीली मदमस्त आँखे गुलाबी होंठ सुनहरे रंग के लम्बे बाल, बड़े बड़े गोल गोल बूब्स. नरम चूतड़, पतली कमर, सपाट पेट, पतला छरहरा बदन और फिगर 36 26 36 था. कद 5 फुट 7 इंच था, मीठी कोयल जैसी आवाज़ मुझे मदहोश करती है। बहुत सुन्दर हो आप जब से मैं जवान हुआ हूँ और आप को देखा है तब से आप से बहुत प्यार करता हूँ और आप को पाना चाहता था।आज आप मेरी हो गयी हैं ।

आप बहुत सुन्दर , सबसे गोरी मस्त माल हो . आपको देखकर मैं तो दीवाना हो गया हूँl मैंने हल्की सी आवाज में ' आई लव यू जेन' आपको मालूम नहीं है. मेरे मन आपको देखते हे बेकाबू हो जाता है आपने मेरे दिल दिमाग पर काबू कर लिया हैl मैं उसको बोला आपके गुलाबी नरम गुलाब के पंखुरियों जैसे होठों का रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले।

जिसे सुन कर वह शर्माने लगी और उसका चहेरा लाल हो गया । मैंने पुछा क्या आपको अभी भी डर लग रहा है तो वह बोली नहीं । मैंने फिर उसको अपने से हल्का सा दूर किया हाथो से उसका चेहरा ऊपर किया और होंठो पर एक लम्बी किस की । उसकी आँखे बंद थी मैंने उसके होंठो को छोड कर चेहरा ऊपर किया तो उसने आँखे खोली और मुस्करायी। मैं फिर तो मैंने उसे चूमना शुरू किया। उसके ओंठ बेहद नरम और गीले थे लेकिन इस बार वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी।

फिर एक हाथ उसकी छाती पर ले गया और उसे सहलाते हुए उसके मुलायम बदन को महसूस कर रहा था और उसके गोल गोल बूब्स को सहला दबा रहा था। धीरे धीरे दवा ने भी अपना असर दिखाना शुरू कर दिया और वह भी मेरी छाती पर अपने हाथ फिराने लगी। मैंने उसकी छाती को कस कर दबाया तो वह मुझसे लिपट गयी थी और उसकी 36 साईज की चूचीयां मेरे सीने से दब गयी।

फिर मैंने उत्तेजना में उन्हें जकड़कर अपनी बाहों में मसल डाला. तो जेन ने कहा कि दीपक प्लीज धीरे करो बहुत दर्द होता है। फिर मैंने उनके गालों पर अपनी जीभ फैरनी चालू कर दी और फिर उसके होठों को चूमता हुआ, नाक पर अपनी जीभ से चाट लिया। अब जेन भी उत्तेजित हो चुकी थी और सिसकारियां भरती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी। अब में उनके चेहरे के मीठे स्वाद को चूसते हुए उनकी गर्दन को चूमने, चाटने लगा था और मेरे ऐसा करते ही वो सिसकारी लेती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी। मैं उसका पूरा चेहरा गाल नाक माथा आँखे धीरे धीरे सब चूमते चूमते चाट गया।

अब में जेन की की ड्रेस के ऊपर का हिस्सा खोल कर उसके बूब्स को दबाने लगा था। उसके मांसल बूब्स दबाने से वो सिहरने, सिकुड़ने और छटपटाने लगी थी, मैंने उसकी ड्रेस के टॉप को बिलकुल ढीलाकर दिया। उसने उसके नीचे लाल रंग की ब्रा पहन रखी थी । मैंने पहले उसकी ब्रा पर हाथ फिराया और उसके नरम बूब्स को महसूस किया। बहुत शानदार अहसास था!! फिर उसकी लाल ब्रा भी खोल दी तो उसने भी अपनी बाजुए ऊपर कर दी तो मैंने खींच कर ब्रा उतार दी। उफ़फ्फ़! भगवान् ने उसे क्या खूबसूरती से बनाया था! अब मेरा लंड तनकर पूरा खड़ा हो गया था और खुले हुए पोस्ट बॉक्स में से अपने आप ही उत्तेजित होकर बाहर आ गया जैसे वह भी उन शानदार बूब्स की पहली झलक देखना चाहता हो। उसके गुलाबी निपल भी उत्तेजित होकर कड़े हो गए थे।

मैंने महसूस किया उसके अनछुए बूब्स बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थे। मैंने उसके निप्पल कड़क मह्सूस किये और उसकी छातियों को हाथो से पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा। मेरे दबाने से दोनों गोरे बूब्स एक दम लाल हो गए।

मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और मसलने लगा । दोनों बूब्स एक दम नरम मुलायम गोल सुडोल थे । जेन के पिंक गुलाबी निप्पल उत्तेजना से खड़े हो चुके थे । मेरे हाथों ने उनके स्तनों को अपनी हथेलियों में भरा और उन्हें किस करने लगा। मैंने स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। हम दोनों की साँसे तेज तेज चलने लगीl उसके कंधो और बाँहों पर किस करने लगा। मैंने उसके बूब्स को चूमा और निप्पल्स को चूसा।

उसका सुडोल, चिकना, गोरा बदन, मेरी बाहों में था। मैंने उसको अपने गले लगाया और पीठ पर हाथ फिराया उसकी पीठ बहुत चिकनी थी ।

मैंने अपनी शर्ट को खोल दिया और जेन को अपनी छाती से लगा लिया और अपनी बाँहों में जकड लिया। उसके नरम मुलायम बूब्स का मेरी छाती से दबने लगे। मैं अपने आनंद को बयां नहीं कर सकता। मैंने जेन का मुँह चूमा और लिप किस करि. फिर मैं उनके निप्पल के साथ खेल रहे था। मैं उसके स्तनों को देखे जा रहे था और उसका दिल जोर जोर से धड़क रहा था । मैंने एक निप्पल अपने मुह में रखा और उसे चूसने लगा। हे भगवान्! मैं बता नहीं सकता की उस पल क्या अनुभूति हुयी।

मैंने उसके दुसरे निप्पल को किस किया और उसे भी चूसना शुरू कर दिया। उसने अपना सर उत्तेजना और आनंद के मारे पीछे की और कर लिया। मैंने चूचियों को दांतो से काटा। जेन कराह उठी आह! आह! दीपक!! प्लीज धीरे करो, प्लीज काटो मत।

मै उनकी चुचियों को मसलने लगा, और वो मादक आवाजें निकालने लगी, आह, उह, आह! फिर मैंने उनके मोमो को चूसना शुरू कर दियाl उनके मोमो कड़क हो गए थेl मैंने चूचियों को दांतो से कुतरा तो जेन कराह रही थी, आह1 यह1 आह1

जेन बोली धीरे प्रिय धीरे प्यार से चूसो, खेलो सब तुम्हारा ही हैl उसके बूब्स अब सुर्ख लाल हो चुके थेl

मैं बार बार बाएँ और दायें निप्पल को चूसना जारी करे रहा, जब तक की उसके पूरे शरीर में एक आग सी न लग गयी। पहली बार कोई ऐसा उसके साथ सम्भोग कर रहा था। उसके शरीर में एक उफान सा आया। उसका शरीर अकड़ा और फिर कांपने लगा और वह निढाल सी हो गयी और उसकी चूत को छूआ मुझे योनी में एक बार फिर गीलापन महसूस हुआ।

कुछ देर वह मेरी बाहो में ऐसे ही लेटी रही और हम लिप किश करते रहे । मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी । फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा । मैं जेन को बेकरारी से चूमने लगा। और चूमते चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 5-10 मिनट तक उसका लिप्स किस लेता रहा ।

जब मुझे लगा जेन की उखड़ी हुई सांस संयत हो गयी है तो फिर मैं उसके बूब्स दबाने लगा, वो भी मेरा साथ देने लगी, मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा । वह बोली आज मार ही डालोगे क्या? मैंने कहा इसके अलावा मैं चाहता हूँ के हमारे प्रेमालाप में उस बैल के कारण आये व्यवधान से हुई निराशा की भरपाई करि जाए और इसके लिए आप अभी और उत्तेजना को प्राप्त करें। "

ये जान कर के कि अब वो समय लगभग आ गया, उसके प्यारे चेहरे पर गर्म लाल खून की धारें बहने लगती है। उसने अपनी आँखें नीचे झुका ली तो मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और एक दुसरे को देखते हुए हम कंधे से कंधा मिलाकर गहरी घास पर लेटे रहे और एक दुसरे को एक प्रगाढ़ आलिंगन में चुमबन करने लगे।

" जेन! ओह! जेन!" मैंने हांफते हुए कहा, " मेरी प्यारी जेन मुझे अपनी जीभ की नोक दो ।" जैसे उसे पहले से ही कामना के अनुरूप उपजने वाली रमणीय प्रत्याशा हो की मैं ऐसा ही कुछ करूंगा या मांगूंगा उसने मेरी कामना की पूर्ती करते हुए बिना किसी हिचकिचाहट के, बिना किसी झिझक के, अपनी मखमली जीभ एक गहरी आह के साथ मेरे मुँह में डाल दी। मेरा एक हाथ उसके सिर के नीचे था, और दूसरे के साथ मैंने धीरे से उसके स्कार्फ़ को हटा दिया, और एक तरफ अपने शर्ट को उतार कर फेंक दिया, और इस दौरान उसकी जीभ को चूसता और चूमता रहा।

आगे क्या हुआ ..

ये कहानी जारी रहेगी


आपका दीपक

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#15
आप सभी को एवं आपके समस्त परिवार को  प्रकाश पर्व दिपावली  कि हार्दिक शुभकामनाएं...
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अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग -7

जेन के साथ मुखमैथुन और सेक्स


फिर मैंने जेन के गले पर बेतहाशा किस किया और काटने लगाl

वो बोली प्लीज काटो मत निशाँ पड़ जाएंगे l कोई पूछेगा तो क्या जवाब दूँगी?

मैंने फिर उसकी कंधो पर किस किया फिर मैं उसके गालो पर टूट पड़ा। उसके गाल बहुत नरम मुलायम सॉफ्ट और स्वाद में मीठे थे । वह कराहने लगी आअह्ह्ह्ह! आयीीी! ऊह्ह्हह्ह! मर गयी, मार डाला, प्लीज प्यार से करो, दर्द होता है ,और उसकी कराहट से मेरे जोश और बढ़ गया।.

मैं अपने हाथ उसके पीछे ले गया और उसकी मुलायम नरम पीठ को पहले सहलाया फिर कस कर पकड़ लिया। कुछ देर बाद मैंने उसे थोड़ा ऊपर किया और फिर मैंने मैं उसके दाए निप्पल को चूसा और काटाl फिर मैंने बाए निप्पल को चूसा और काटा, और पहली को हाथ से दबोच रहा था! वो बहुत फूल चुकी थी।और बोला जेन तू बहुत मीठी हैl मैं तुझे खा जाऊँगाl

जेन बोली अगर खा जाओगे तो प्यार किसे करोगेl मेरे दोनों चुची को एक साथ चूसने से वह कराह रही थी, आआहह, ओमम्म्मममम, चाटो ना जोर से, सस्स्सस्स हहा और मचलने लगीl जेन अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। अब वो सिसकारियाँ मारने लग गई थी।

अब मैंने फैसला कर लिया. अब मुझे उसे पूर्ण नग्न देखना है और मैंने उसे नग्न करने के लिए उसकी स्कर्ट खोलने का और उसे उतारने का उपक्रम शुरू करने लगा, तो उसने बहुत हल्का सा प्रतिरोध किया । तो मैंने उसे प्यार से उसके स्तन चूमते हुए बोला क्या तुम्हे अपने बाकी जिस्म को छूने , सहलाने और चूमने का जादू अनुभव नहीं करना है तो उसने प्रतिरोध छोड़ते हुए अपना जिस्म ढीला कर मेरे हवाले कर दियाl

जेन बोली "जैसा आप ठीक समझो करो, मेरे प्रिय प्रेमी! अब सब कुछ तुम्हारा ही है ।"

मैंने खींच कर उसकी स्कर्ट को उतार डाला और उसकी पैंटी को खींचा तो उसने चूतड़ उठा कर पेंटी उतारने में मेरा साथ दिया और मैंने उसे पूरी नंगी कर दिया।

मैंने उनको एक तरफ रख दियाl उसकी योनि पर कोई बाल नहीं था । मैंने हाथ फिराया तो बोली मैंने आज ही साफ़ किये हैंl जैसे आप किश करते हैं, उससे मुझे लगा आपको यहाँ बाल बिलकुल पसंद नहीं होंगे।

मैंने जेन के एक हाथ को अपने तैयार कठोर लंड पर रखा, जो उत्तेजना के कारण फटने की स्थिति में थाl मैंने उसकी जीभ को एक पल के लिए छोड़ दिया और कहा "जेन , हमारे प्यार के हथियार को अपने हाथ में ले लो।"

उसने घबराते हुए उसे पकड़ लिया और वह धीरे-धीरे मेरे कान में फुसफुसाते हुए बड़बड़ा रही थी: "ओह, दीपक , अभी भी मुझे बहुत डर लग रहा है, और फिर भी, आप मुझे सबसे प्यारे लगते हो । हालाँकि मैंने पढ़ा और सुना है ये ही वह यह निषिद्ध फल है जिसके कारण आदम और ईव को जन्नत से निकाला गया था । मुझे लगता है, अगर इसमें मैं मर भी जाऊं तो भी, मुझे प्यार की इस सबसे सुस्वादु मिठाइ का स्वाद लेना चाहिए। "

उसकी आवाज़ बहुत धीमी थी फिर उसने मेरे लंड को दबाया और मेरे लंड पर ऊपर नीचे हाथ फेरा। उसके द्वारा लंड को प्यार से सहलाने से लंड और व्यग्र हो गया और नसे कुछ ज्यादा फूल गयी।

उधर मेरा हाथ भी नीचे अपना रास्ता खोजने में व्यस्त था वहीँ मैंने फिर से उसका मुँह चूमने लग गया, और उसकी जीभ को तब तक चूसा, जब तक कि मैं उसकी बढ़ी हुई उत्तेजना के अतिरेक के कारण उसके पुरे बदन का कंपन महसूस नहीं किया और मेरा हाथ, जो आनंद की गुफा के द्वार पर पहुँच गया था, उसके गर्म रज से भीग गया।

चुकी रोजी और रूबी के साथ थ्रीसम में मुझे मुखमैथुन के जादू के बारे में पता चल चूका था तो मैं जेन को भी इस अमृत से परिचित करवाना चाहता थाl

" मेरी प्यारी जेन! अब मैं तुम्हें वहाँ चुंबन करूंगा, और तुम्हारे प्रेम का अमृत का स्वाद चखना चाहूंगा ।" मैंने कहा और चुम्बन तोड़ कर होंठ अलग करते हुए अपनी स्थिति को उलटते हुए अपना चेहरा उसकी जाँघों के बीच घुसा दिया, उसने या उसकी जांघो ने कोई प्रतिरोध नहीं किया। उसकी योनि पर और उसके आसपास कोई बाल नहीं थाl

मैंने उसके तंग योनि के होंठों को आनंद के साथ चूसा, फिर मेरी जीभ ने अपनी संवेदनशील भगशेफ को छेड़ने लगी , जिसने उसे चुदने की पागल इच्छा के उन्माद में डाल दिया, उसने आनंद लेते हुए अपने टांगो को मेरे सिर के ऊपर घुमायाl मेरे सिर को अपनी शानदार चिकनी और मजबूत जांघों के बीच दबा दिया।

मैंने अपनी ऊँगली उसकी चूत की दरार में डाली तो वह गीली हो गयीl मैंने आसानी से अपनी ऊँगली को उसके छेद में डाल दियाl मेरी जीभ उसके कड़े छोटे से भगशेफ को टटोलने, छेड़ने में व्यस्त थीl मेरी ये हरकते उसे इतनी उग्र अवस्था में ले गयी कि उसने मेरा लंड पकड़ लिया, और अपने मुँह को मेरे लंड को पर ले आयी और उसने लंड मुंड पर एक मीठी किस करिl

मैं भी उसे ऐसा करने का मौका देने के लिए उसके ऊपर लेटा हुआ थाl उसने अपनी जीभ को लंड के सिर पर फिराया और फिर उसने अपने ओंठ खोलते हुए लंडमुंड को मुँह के अंदर ले लिया उसने ख़ास ख़याल रखा के लंड को उसके दांत न लगें। दोनों कामोत्तेजक आनंद में कराह रहे थे । फिर अत्यधिक उत्तेजना से उसके जलाशय में बाढ़ में आ गयी, जिसे मैं चूस गया और उसने भी लंड से हुए शुक्राणु विस्फोट की हर बूंद को चाट गयी।

हम दोनों अपनी भावनाओं की अधिकता से निढाल होकर लगभग बेहोश हो गएl थके हुए हौं दोनों तब तक वैसे ही लेटे रहेl जब तक मुझे लगा कि उसके प्यारे होंठ फिर से मेरे प्यार के इंजन को दबाने और चूसने लगे हैं। इसका प्रभाव जादुई था और मेरा लंड हमेशा की तरह कठोर हो गया था।

"अब प्रिय, क्या तुम प्यार के असली स्ट्रोक के लिए तैयार हो ।" मैंने कहा। मैंने अपनी जगह को बदला और उसकी खूबसूरत स्पंदन करती हुई जांघों को अलग किया, ताकि मैं उनके बीच अपने घुटने टेक सकूं। मैंने अपने घुटनो को उसकी जांघो के बीच में रखा और उसकी और देखा ।

वह मेरे सामने एक प्रसन्नचित्त अवस्था में लेटी हुई थीl उसका गोरा खूबसूरत चेहरा शर्म के मारे लाल हो गया था और काली पलकें बंद, उसके होंठ थोड़े खुले हुए, और उसके बड़े बड़े उभरे हुए गोल सुडोल स्तन और उन पर ललचाते हुए उत्तेजना से कठोर हो चुके निप्पल, जो साँसों के साथ ऊपर नीचे हो कर मुझे ललचा रहे थे यह दृश्य बेहद उत्तेजक थाl मैं वासना से पागल हो गया था, और अब अपने आप को इसके बाद योनि प्रवेश से रोक नहीं सकता था।

मुझे मन ही मन अफसोस हो रहा था की ये सुंदर युवती जो मुझे पूरी तरह समर्पित है, उसका कौमार्य भंग करते समय मैं उसे असहनीय दर्द देने जा रहा था! और ये भी अफसोस था की मेरे पास कोई ऐसा उपाय नहीं था जिससे मैं उसे इस दर्द से बचा सकू। यह वह दर्द भरी राह थी जिस से गुजर कर ही हम दोनों उस अलौकिक आनंद को अनुभव कर सकते थे। उसके कौमार्य के लिए! मैं अपने लंड के सर को उसकी योनि के होंठों के बीच में लगाया।

जैसे ही मेरे लंड ने उसकी योनि को स्पर्श किया, मुझे उसी समय आनंद की एक सिहरन उसके बदन से गुजरती हुई महसूस हुई, उसकी आँखें खुलीं, और वह एक नरम, प्यार भरी मुस्कान के साथ, फुसफुसायी, "मुझे पता है कि मुझे अब चोट लगेगी और दर्द होगा, लेकिन दीपक, मेरे प्रिय दीपक, आप दयालु और दृढ़ दोनों रहें। मुझे पूरे आनंद की खोज में इस से गुजरना ही होगा, शायद ये दर्द मुझे मार ही डालेl तब भी मैं इस दर्द से गुजरना चाहूंगीl "

उसने मेरी गर्दन के चारों ओर अपनी बाहों को फेंकते हुए, वो मेरे होंठों को अपने पास ले आयीl मुझे किस किया और फिर उसने अपनी जीभ को मेरे मुंह में डालते हुए बेहद प्यार के साथ चूमने चूसने लगी, और मेरे लंड से मिलने के लिए अपने चूतड़ ऊपर उठा दिए और बोली मुझ में समा जाओ दीपक। .

मैंने अपना एक हाथ उसके नितंबों के नीचे रखा, जबकि दूसरे से, मैंने अपना लंड सीधे निशान पर रखा; फिर जोर से धक्का दिया, लंडमुंड लगभग एक इंच तक घुस गयाl मैंने फिर तब तक जोर लगता रहा जब तक कि यह कुदरती विरोध करने वाले अवरोधक हाइमन तक नहीं पहुंच गया। जब लंड ह्यमन से टकराया तो उसे दर्द की शुरुआत हो गयी की, लेकिन तब भी उसकी आँखों ने मुझे पूरे उत्साह से देखा।

वो दर्द से कराहते हुए बोली "ओह्ह, आह , मेरे दर्द की परवाह मत करो, आप अपना काम पूरा करोl "

"अपने पैरों को मेरी पीठ पर ले जाओ , प्रिय," मैं सांस लेने के लिए रुकाl मैंने एक पल के लिए उसकी जीभ को छोड़ कर बोला और फिर दुबारा दुगने जोश के साथ उसे चूमने लगा। उसने सबसे ज्यादा होने वाले दर्द को सहन करने की दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ अपनी टांगो से मेरी कमर और नितम्बो को लपेट लिया। फिर जब मैंने एक निर्दयी धक्का दिया, तब उसके नितम्ब भी इस तरह ऊपर को उठ गए और उसकी टांगो ने मेरे नितम्बो को नीचे की और इस तरह दबा दिया, जैसे वो मुझसे मिलने के लिए तड़प रही हो और काम पूरा हो गया था।

मेरे लंड महाराज ने हमारे आनंद भोग के मार्ग की सभी बाधाओं को तोड़ दिया था। उसने अपने दर्द को वश में करते हुई दर्द से कराही, और मैं अपने सबसे बड़े आकर्षण को उसके कब्जे में कठोर और फूलता हुआ महसूस कर रहा था। .

" जेन डार्लिंग! मेरी जान! तुम मुझसे बेहद प्यार करती हो! मेरी बहादुर जेन, तुम कितनी अच्छी तरह से इस असहनीय दर्द को झेल गयी। चलो हम एक-दो पल के लिए लेटे और फिर प्यार की खुशियों लूटेंगे।" मैंने कहा, और उसके चेहरे, माथे, आंख, मुंह और ओंठो को जीत के आनंद में चूमा।

उसके बाद मैं उसकी योनि के तंग म्यान को अपने लंड पर सिकुड़ता महसूस कर रहा था । मेरे लंड के आवेग के लिए यह चुनौती बहुत ज्यादा थी। मैंने एक हल्का सा झटका दिया तो मैं उसके खूबसूरत चेहरे पर दर्द की ऐंठन से देख सकता था, कि यह अभी भी उसके लिए दर्दनाक थाl

लेकिन, अपनी ललक को रोकते हुए, मैंने बहुत धीमे से काम किया, और धीरे धीरे लंड को हिलाना शुरू कियाl

हालाँकि मेरी वासना और उत्तेजना इतनी ज्यादा थी कि मैं अपने चरमोत्कर्ष को रोक नहीं सका और उनकी योनि के अंदर मैंने अपने वीर्य से भर दियाl मेरे लंड के घर्षण के कारण वह भी मेरे साथ ही कांपती हुई झड़ गयी और मेरे लंड को उसने अपने जलाशय के रस से भिगो दिया और मैं आंनद और प्यार की सुस्ती में उसकी छाती पर गिर गया।

यह केवल कुछ ही क्षणों के लिए था, मैं उसे अपने से नीचे कांपती हुई महसूस कर सकता था, और उसकी म्यान अब अच्छी तरह से चिकनी हो गयी थी, और मेरा लंड भी अभी तक कठोर ही थाl हमने परमानंद के लिए एक रमणीय संसर्ग की शुरुआत की और मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू किये। उसका सारा दर्द गायब हो गया था, मेरे वीर्य के बहाव से उसकी योनि के घायल हुए भाग अब केवल प्रेम के रमणीय घर्षण का आंनद ले रहे थेl

मेरा प्रसन्नचित्त लंड उसमें घुसा, फिर मेरा लंड मेरे पूरे मर्दाना जोर से अंदर-बाहर हो रहा था और वो बार बार झड़ रही थीl इस तरह मैं भी उसके अंदर तीन चार बार झड़ गयाl जब तक हमारी काम प्रचंडता काफी हद तक कम नहीं हो गयी।

आगे क्या हुआ? ये कहानी जारी रहेगीl..


आपका दीपक

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#17
अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग - 8

जेन के साथ सेक्स




फिर इस तरह मैंने जेन को उस दिन हमारे पहले मिलन पर तीन चार बार नॉनस्टॉप चोदा और जेन तो पता नहीं कितनी बार झड़ीl

उस दोपहर उसके अंदर आखिरी बार जब मैं झडा तो उसके कुछ देर बाद मेरा लंड आधा मुरझाया हुआ आधा बाहर आ गया, जिस पर उसकी नज़र पड़ी तो उसने मुझ से शांत होने की अपील की और साथ ही ये भी बोली की कृपया अत्यधिक आनंद से खुद को घायल मत कीजियेl अब बस कीजिये। तो मैं रुक गया ।

फिर उसने आह भरते हुए बोला "ओह दीपक! क्या इस तरह के रमणीय आनंद से किसी का खुद को चोट पहुंचाना भी संभव हो सकता है?" उसने आहें भरींl

उसने अब तक तो मेरे लंबे कठोर लंड को ही देखा था पर इस बार उसने मुझे अपना मुरझाया हुआ लंगड़ा उपकरण उसकी योनि से निकालते हुए देखा तो वह कुछ चिंता करते हुए बोली थी अब बस कीजिये ।

वह मंद मंद मुस्कुराई, जैसा कि उसने शरमाते हुए कहा था, "मेरी अशिष्टता के लिए मुझे क्षमा कीजिये, प्रिय दीपक, लेकिन मुझे डर है कि हम दोनों में से तुम ही सबसे ज्यादा घायल हो। देखिये आपका औज़ार खून से पूरा सना हुआ है । "

" हे थोड़ी अनजान, अनाड़ी सुंदरी ," उसे हर्षातिरेक से चुंबन करते हुए मैंने कहा " ये तुम्हारा खुद के कुंवारेपन का रक्त है। मुझे, इसे पोंछने दो, प्रिय जेन," फिर मैंने अपना रुमाल ले कर उसकी सूजी गई योनि के ऊपर और अंदर पोंछने के बाद मैंने अपना लंड भी उससे पोंछ कर साफ किया और बाद में उससे कहा। "यह सबसे प्यारी जेन , इसे मैं आपके कुंवारे और पहले प्यार के सबूत के रूप मे अपने खजाने में रखूंगा, आज आपने मेरे आगे आत्मसमर्पण करते हुए मुझे अपना सब कुछ सौंप दिया हैl" उसके लहू से सना हुआ रुमाल उसको प्रदर्शित किया और फिर उसे अपनी जेब में छुपा लिया ।

फिर मैंने उससे पुछा उसे कैसा लगा? तो वह बोली "बस शुरू में जब पहली बार आपने अंदर डाला था तब कुछ देर दर्द हुआ था। उसके बाद तो बहुत मजा आया। उससे पहले भी जब आपने चूमा चाटा तो सब बहुत अच्छा लगा। आपको कैसा लगा?"

तो मैंने कहा मुझे तो हर पल बहुत मजा आया और आपके साथ जब भी संभव हो सके तब करना चाहूंगाl आपको जो दर्द होना था वह हो गया अब कभी वैसा दर्द नहीं होगा। नाही अब फिर कभी खून निकलेगा। अब तो बस मजे लूटिये प्यार के खेल के। मैंने जेन को अपने कमरे में आने के लिए आमंत्रित किया।

अब हम अपने नरम हरी घास के बिस्तर से उठे, और एक-दूसरे की सहायता करके हमारे प्रेम संबंधों के सभी निशान वहां से हटा दिए। एक दुसरे को कपडे पहनायेl वैसे तो कपडे उतारने में मजा आता है पर कपडे पहनाने के भी आनंद आया। फिर हम वापिस भवन की और चले और रास्ते में मैंने प्रिय जेन को प्यार की सभी कलाओं और प्रथाओं के बारे में बताया।

"क्या आपको लगता है," मैंने टिप्पणी की, "आपकी बहनों या बॉब और टॉम को इस बात का कोई अंदाजा है कि प्यार की खुशियाँ क्या होती हैं?" इससे पहले के जेन कोई जवाब देती मुझे लगा के कोई लड़की मुझे पुकार रही थी । दीपक! कहाँ है आप? इससे पहले हम कुछ समझते हमें सामने अलका आती हुई दिखाई दीl उसके हाथ में मोबाइल फ़ोन था।

वो मेरे पास आयी और मुस्कुराते हुए बोली दीपक आप कहाँ थे? तो मैंने कहा मैं और जेन बस यही घूम रहे थे। तो वह बोली मेरी माँ आपसे बात करना चाहती है। तो मैंने कहा ठीक है आप चलो मैं जेन को उनके निवास पर छोड़ कर आता हूँ। तो मैंने जेन और अलका दोनों मौसेरी बहनो का आपस में परिचय करवाया।

तो उसके बाद अलका बोली नहीं माँ घर पर नहीं है, वो इनकी माँ ( मौसी) और मौसा के साथ गयी हैं और फिर उसने फ़ोन मिला कर मुझे पकड़ा दिया। तो मैंने बुआ को प्रणाम किया तो बुआ ने कहा वह, बहन और जीजा के साथ किसी काम से किसी परिचित के यहाँ गए थे और शाम तक वापिस आने का कार्यक्रम थाl पर अब वो अगले दिन वापिस आएंगे। ऐसे में अलका अकेली है, इसलिए वो चाहती थी की आज मैं अलका के पास रात को सो जाऊं, क्योंकि अलका कभी भी रात को अकेली नहीं रही है। तो मैंने कहा क्यों न अलका मेरे भवन पर मेरे पास आ कर रात में रहे, वहां और लोग भी हैं तो उसके लिए बुआ मान गयी। तो मैंने अलका को दोपहर के भोजन पर आमंत्रित किया जिसे उसने सहर्ष स्वीकार कर लिया।

इतने में जेन की माँ और पिताजी का भी फ़ोन आ गया और उन्होंने भी अपने वापसी के कार्यक्रम के एक दिन टल जाने की बात बताई और खाने पर इंतज़ार न करने के लिए कह दिया ।

इस पर अलका मुस्कुराती हुई वापिस चली गयी और जेन ने भी अपना कमरे में वापिस जाने की बात कही तो उसको उसके कमरे में छोड़ कर मैं अपना कमरे में आ गया । तो रोजी मेरे पास आ कर मुझ से पूछने लगी आज आप जेन के साथ काफी लम्बे चक्कर पर चले गए नाश्ते के बाद तो मैं कुछ नहीं बोला और अपनी पेण्ट बदलने लगा तो उसमे से जेन के कौमार्य के लहू, वीर्य और जेन के चूत रस से सना रूमाल बाहर गिर गया ।

रोजी उसे उठा कर सूंघते हुए बोली "ठीक है फिर तो आप शायद जल्दी वापिस आ गए" और मुझे बधाई देती हुई बोली .. कैसी लगी जेन आपको?

मैंने कहा "वह एक शानदार युवती हैl" ये मेरे द्वारा पटायी गयी पहली युवती के साथ मेरे संसर्ग की निशानी है। इसे संभाल कर खजाने में रख दो और वहां जगह बना लो ऐसे बहुत से रुमाल इकट्ठे करने का मैंने निश्चय कर लिया है।

मैंने कहा " रोजी, मैंने अब तक तुम्हारे , रूबी, मोना और टीना के साथ कई बार संसर्ग किया है और आज जेन के साथ भी संसर्ग किया हैl हरेक के साथ मैंने भरपूर मजे लिए हैं और आगे भी लेता ही रहूंगा, पर अपने अनुभव से कह सकता हूँ, की एक कुंवारी के साथ पहला संसर्ग करने के आनंद का कोई मुक़ाबला नहीं है।

मैं चाहता हूँ के इस यादगार को ख़ास बनाया जाए और लड़की को भी हमारे इस मिलन की प्यारी स्मृति रहे, इस के लिए उसे कुछ तोहफा दूँl तुम ऐसा करो हमारे परिचित सुनार के पास जा कर कुछ अँगूठिया बनवा लो जिन्हे मैं अपनी प्रेमिकाओ को पहले मिलन की निशानी के तौर पर तौह्फे के तौर पर देना चाहूंगाlमैं उन्हें फ़ोन कर दूंगा और मैंने उसे स्वस्तिक का निशाँ बना कर दे दिया और कहा हर अंगूठी पर ये निशाँ बनवा देनाl ये मेरी याद उन्हें दिलवाएगाl

मैंने कहा " रोजी, आज मैं बहुत खुश हूँ और अगर प्रभु की कृपा ऐसे ही बनी रही. तो आज रात को एक नयी कुंवारी से भी पहला मिलन हो जाएगाl "

तो रोजी बोली कौन है वह सौभाग्यशाली कन्या तो मैंने कहा शाम को आएगी तुम खुद ही देख लेना . तो रोजी मुस्कुराते हुए बोली अलका आएगी ऐसा क्यों नहीं कहते आपl तो मैं चौंका और बोलै तुम्हे कैसे मालूम अलका आएगीl हे प्राणप्रिया! अन्तर्यामी सुंदरी ये राज बताओl

वह मुस्कराते हुए बोलीl " मेरे भोले प्रेमी! सुबह के नाश्ते के कुछ देर बाद अलका तुम्हे ढूंढती हुई आयी थी और मुझे उसने सब बताया था, तो मैंने ही उसे तुम्हे ढूंढ़ने के लिए पीछे मैदान और जंगल की तरफ भेजा था।"

तो मुझे संशय हुआ जब अलका हमें ढूंढते हुए इतनी जल्दी आ गयी थी तो हमे इतनी देर बाद जब हमारा संसर्ग ख़तम हो गया ,तब क्यों मिली पर अभी मेरे पास इसका कोई उत्तर नहीं था।

दोपहर के खाने के समय मैंने अपने फूफेरे भाइयो बॉब और टॉम और फूफेरी बहनो जेन , लूसी और सिंडी से. मैंने कहा जेन आप पहले ही अलका से आज नाश्ते के बाद जब हम सैर करके वापिस आ रहे थे तब अलका से मिल ही चुकी हैं और उसके बाद सबका परिचय अलका के साथ करवाया। अलका जाकर जेन जो मेरे साथ बैठी थी उसके पास दूसरी तरफ बैठ गयी । फिर मैंने उन सब को ये भी बताया की आज रात बुआ और फूफा वापिस नहीं लौटने वाले हैं।. तो ये सुन कर बॉब और टॉम अति प्रसन्न हो गए। फिर मैंने उन्हें ये भी बताया की आज रात को अलका भी यहीं हम सब के साथ रुकने वाली है. तो अलका बोली उसे घर में कुछ काम है जिन्हे ख़त्म करके वह रात के खाने के समय यहाँ आ जायेगी ।

खाना ख़त्म करके हम लोग कुछ इधर उधर की बाते करते रहे अलका वापिस चली गयी और बॉब मेरे पास से गुजरा और फुसफुसाता हुआ बोला जेन को संभाल लो और आँखो से इशारा करते हुए वापिस पुस्तक पढ़ने अपने कमरे में चला गया। लूसी और सिंडी अपने कमरे में जाकर टीवी से चिपक गयी कोई वेब सीरीज देख रही थी। जिसके काफी हिस्से थे और उसे ख़त्म किये बिना छोड़ने वाली नहीं थी। और टॉम भी अंगड़ाई लेते हुए बॉब के कमरे में चला गया ।

वहां मैं और जेन दोनों रह गए तो मैंने कहा जेन चलिए बाहर का एक चक्कर लगा कर आते हैं तो उसने कोई जवाब नहीं दिया । शायद मुझ से किसी बात के लिए नाराज हो गयी थी। लेकिन मैं चाहता था वह यहाँ से बाहर चले ताकि बॉब और टॉम अपनी प्रेमिकाओ से मिल सके। मेरे बार बार अनुनय करने पर नाराजगी भरे स्वर में जेन बोली " आप अपनी अलका के पास जाईये मुझ से अब आपको क्या मिलेगा? "

मैंने वहीँ जेन का हाथ पकड़ लिया और बोला आप ही बताइये मैं क्या करता, अगर बड़े कह रहे हैं तो मैं उसे कैसे टालता?

अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है आप कुछ सुझाव दीजिये। जेन बोली मैं आज रात आपके साथ रहना चाहती हूँ ऐसा मौका हमे दुबारा पता नहीं कब मिलेगा?

चाहता तो मैं भी यही हूँ की आपका साथ मुझे फिर मिले। तो मैंने कहा ये तो अच्छा है आप अलका के साथ देने के बहाने मेरे भवन में आ जाइये। फिर तो सारी रात हमारी है आज सारी रात आपको प्यार करूँगा। आप अलका से दोस्ती बढ़ा लीजिये ताकि वही ये प्रस्ताव कर दे। (मुझे लगा अभी अलका के साथ संसर्ग करने का समय नहीं आया है।वैसे भी अलका तो यही हैं कभी भी दुबारा मौका मिल सकता है।)

मैंने कहा अब आप खुद देख लीजिये आप कैसे करेंगी। चलिए थोड़ा बाहर घूम आते हैं और अगर आप थकी हुई हैं तो मेरा कक्ष देखने चलिए, वहां आपकी सारी नाराजगी दूर कर दूंगा और उसे अपने पास खींच कर उसे एक लिप किश कर दिया। तो वह बोली यहाँ ठीक नहीं रहेगा। मैं आपके साथ चलती हूँ और मैं उसका हाथ पकड़ कर अपने कमरे में ले गया।

कमरे में घुसते ही हमारे ओंठ जुड़ गए । मैंने उसकी ड्रेस ढीली करि और उसके बूब्स पकड़ लिए . तो उसने भी मेरा सदा कठोर रहने वाला लंड पकड़ लिया । फिर मैने उसे घुमा कर घोड़ी बना दिया और बोलै उस बैल के अचानक आ जाने से जो अधूरा रह गया था उसे अभी पूरा कर देता हूँ । फिर अपनी पेण्ट से लिंग को बाहर निकाला उसकी ड्रेस उठा कर ऊपर करि और पैंटी को साइड में कर के चूत को सहलाया । मैंने देखा आगे क्या होने वाला है इसकी अपेक्षा में उसकी योनि थोड़ी सी गीली और तैयार हो गयी थी।.

मैंने एक झटके से उस म्यान में अपनी तलवार डाल दी । जेन के मुँह से हलकी सी चीख निकली जिसे सुन रोजी भागी हुई आयी पर हमे इस अवस्था में देख कर वापिस चली गयी। फिर मैंने तलवार की धार को तेज करने के इरादे से तलवार को म्यान में आगे पीछे करना शुरू कर दिया, मानो उस घिस रहा हूँ । मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके स्तन पकड़ कर उन्हें दबाने लगा मैंने उसके मोमे उसकी ड्रेस ढीली कर बाहर निकाल लिए । .

फिर वो मेरे लंड पर अपनी नितम्बो को ज़ोर से आगे पीछे करने लगी और ज़ोर से मौन करने लगी। किया मुझे लगा पीछे से लंड ज्यादा अन्दर तक गया और पहले से ज्यादा मजा आया. । जेन भी मस्ती में गांड आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगी और हम दोनों रिदम में चुदाई करने लगे और फिर में उसे लगातार धक्के देकर चोदता रहा।

मैं पीछे से उनके मोमो पकड़ कर दबाता रहा और चूचिया मसलता रहा मैं जेन अपना मुँह पीछे घुमा लेती थी और में उसे लिप किस करता रहा । इस बीच मेरा लण्ड फस फस कर अंदर बाहर जाता रहा। उसकी चूत का छेद बहुत टाइट था । करीब 25 मिनट तक लगातार उसको उस पोज़िशन में चोदा। हमारी हालत बुरी हो गयी थी । हम दोनों तेज तेज सांस ले रहे थे फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए । मैंने जेन की चूत अपने वीर्य से भर दी मैं जेन के ऊपर ही लेट कर उसकी जीभ चूसने लगा ।..

कुछ देर हम ऐसे ही लेटे रहे मैंने उसके कपडे उतारने चाहे तो उसने मना कर दिया बोली रात को सब देख लेना। अभी कही कोई आ न जाए ख़ास तौर पर तुम्हारी चहेती अलका । मैंने देखा था वह खाने की टेबल पर तुम्हे कैसे घूर रही थी। लड़कियों में नज़रो को पहचाने की एक जनम ज़ात काबलियत तो हमेशा होती है ।

मैंने कहा छोड़ो अलका को, आप वो बाताओ जो मैंने आपसे पुछा था वह बोली क्या पुछा था आपने? तो मैं बोला "क्या आपको लगता है," "आपकी बहनों या बॉब और टॉम को इस बात का कोई अंदाजा है कि प्यार की खुशियाँ क्या होती हैं?"


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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#18
अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग -9

अलका

इस तरह से मैंने जेन से उसके भाई बहनो बॉब, टॉम, लूसी और लिंडा के सेक्स के बारे में ज्ञान को जानना चाहा। .

"मुझे विश्वास है अगर एक बार उन्हें इसका ज्ञान हो जाए और उन्हें पता लग जाए तो वो भी पूरी तल्लीनता और गंभीरता से इस ज्ञान की बारीकियां सीख लेंगे तो मेरी ही तरह से वो सब करेंगे जो मैंने किया हैl" उसने जवाब दिया। " बॉब जब भी हमें चुंबन करता है तो मैंने अक्सर बॉब को कहते हुए भी सुना हैं कि हम उसके तन बदन में आग लगा देती हैंl" और फिर उसकी आँखों में गहराई से झाँकते हुए मेरी आँखों से मिली तो उसने शर्मा कर अपनी आँखे झुका ली।

मैं उसका जवाब सुन कर सोच रहा था. ये अपने भाइयो को कितना शरीफ समझती है जबकि दोनों एक नंबर के सेक्स के खिलाड़ी हैं और उन्होंने ही मुझे भी इस ज्ञान से परिचित करवाया हैl
वह फिर बोली . "ओह! प्रिय दीपक , मुझे डर है कि आप सोचेंगे कि हम कितनी ज्यादा असभ्य लड़कियां हैं, जब आपको पता चलेगा की लंदन में जब हम रात को सोते हैं, तो मैं और बहनें अक्सर हमारे नवोदित आकर्षण की तुलना करते हैं, और कुछ सेक्सी चुटकले जो हम अपनी दोस्तों से सुनती हैं वह आपस में सुनाती है। "

लूसी के पास तो मेरी और लूसी के गुप्तांगो पर बढ़ती हुई झांटो के बारे में और सिंडी की बाल रहित योनि के बारे में गंदे गंदे चुटकुले का भण्डार हैl जब वो एक बार शुरू हो जाती है तो काफी देर तक नए-नए चुटकुले सुनाती रहती हैl हमारे पास थप्पड़ मारने के ऐसे खेल हैं, और कभी-कभी रति क्रिया जैसे खेल भी खेलती हैं, इनसे अक्सर मेरा बदन अक्सर उत्तेजना से तपने लगता है, जैसे मुझे तेज बुखार का एहसास करा देता है। जिसका कारण मैं पहले नहीं समझ पाती थी पर अब आपके साथ हुए संसर्ग से मैं सब जान गयी हूँl इसके लिए हार्दिक धन्यवाद, मेरे प्रिय, काश, आप ऐसे समय में हमारे कमरे में झाँक कर देख पाते।"

"शायद इसका प्रबंध आसानी से किया जा सकता हैl आप जानती ही हैं उस भवन में मेरा कमरा आपके कमरे की बगल में है, मैं उसमे रात को सोने आ जाता हूँl फिर मैं आपको रात में हँसता और खेलता सुन सकूंगा।"

"मुझे पता है कि हमने कल भी ये किया, था हमें इसमें बहुत मज़ा आया था ," उसने जवाब दिया, "लेकिन मुझे डर है अगर आज भी हमने ऐसा किया तो मेरी सफाचट और सूजी हुई योनि देखकर उन्हें हमने आज क्या किया उसका सब अंदाज़ा हो जाएगा, प्रिय?"

फिलहाल जेन हमारे बीच जो भी हुआ था उसे सब पे उजागर नहीं करना चाहती थी, इसलिए उसे फिलहाल स्थगित कर दिया गया।

उसने पूरी तरह आनंद लेने के लिए से मेरी सब योजनाओं में हिस्सेदार होने का उत्साह दिखाया, अंत में मैंने एक प्लान बनाया जो यह बहुत अच्छा काम कर सकता थाl मैंने वो जेन के साथ सांझा किया और उसके परामर्श के अनुसार उसमे कुछ बदलाव भी किये।

फिर ये प्लान बना की मैं पहले बॉब को प्यार के तरीकों के बारे में में थोड़ा प्रबुद्ध करूं और जो की मैं जानता था वो हमारे उद्देश्य के लिए पहले से ही पका हुआ त्यार थाl जेन अपनी बहनो को एक साथ नग्न स्नान के लिए त्यार करेगीl हम तीनों बहनों को नग्न स्नान करते हुए आश्चर्यचकित कर देंगे, और उनके नग्न नितम्बो के चारों तरफ से थप्पड़ मारेंगेl जेन अपनी बहनों को हमारे सभी कपड़े फाड़ने के लिए प्रोत्साहित करेगी, और फिर हम सभी रति क्रिया में संलिप्त हो सकते हैं।

जेन इस विचार पर बहुत प्रसन्न थी, पर मेरे मन में एक संशय था क्या बॉब टॉम , जेन लूसी और लिंडा अपने भाइयो के साथ प्रेम का खेल खुल कर खेल पाएंगीl इतने में मेरा फ़ोन बजा और हमे शाम की चाय के लिए बुलाया गया और मैंने बाद में जेन से इस बारे में आगे बात करने का निश्चय किया और मैंने जेन से वादा किया की अगले दिन या अगर ठीक मौका मिला तो आज शाम को ही बॉब के साथ इस बारे में बात करूंगा।

हम घर वापस आ गए, खून तेज प्रवाह से जेन के गाल लाल हो गए थे और बॉब ने उसे देख कर टिप्पणी की कि बग़ीचे में घूमने का जेन के स्वस्थ्य पर जाहिर तौर अच्छा प्रभाव पड़ा था, जबकि असलियत ये थी की उसकी बहन ने, ईव की तरह, निषिद्ध फल का आज सुबह सुबह स्वाद चखा था। निषिद्ध फल, के प्रभाव का नतीजा था और इसीलिए वह बहुत खुश थी।
शाम की चाय के बाद मैंने बॉब से मेरे कमरे में सिगरेट पीने के लिए कहा, वह ख़ुशी ख़ुशी मेरे पीछे पीछे मेरे कमरे में आ गया जैसे ही मैंने दरवाजा बंद किया, मैंने कहा, " दोस्त क्या आपने कभी प्यार और आनंद की एक सुंदर किताब "कामसूत्र " देखी है?

"क्या, मुझे लगता है कि आप का मतलब है हिन्दुतान की मशहूर सेक्स ज्ञान पुस्तक,? दीपक , लेकिन अगर आपको यह मिल गयी है तो मैं उसे अवश्य देखना चाहूंगाl " वह बोला तो उसकी आँखें चमक रही थी।

"मेरे भाई, ये लो, केवल तुम्हारे लिए, मुझे आशा है कि यह आपको बहुत ज्यादा उत्तेजित नहीं करेगीl आप इसे अपने आप एकांत में देख और पढ़ सकते हैंl," मैंने कहा, और उसे अपनी अलमारी से निकालकर वो पुस्तक उसे दे दी। उसने उसे बहुत उत्सुकता से फटाफट पकड़ लिया।

वह वही मेरे करीब बैठ गया, और मैंने उसे देखा तो जब वह उस पुस्तक के पन्नो को पलट रहा था और जहाँ भी उसमे फोटो थी, वहां वो उनको रुक कर गौर से देखता थाl देखते ही देखते उसकी पेण्ट के अंदर उसका हथियार काफी कठोर और प्रचंड हो गया।

मैंने उसे जो योजना जेन के साथ मिल कर बनायीं थी, वह बताई तो उसने सहर्ष उसमे शामिल होने के लिए अपनी सहमति दे दी और मेरी योजनाओं में मेरा साथ देने का वादा कियाl हमने मौका मिलते ही लड़कियों से एक साथ मिलने का दृढ़ निश्चय किया।

तो मैंने उससे जो मेरा संशय था वो पुछा क्या आप दोनों बॉब और टॉम ,अपनी बहनो जेन लूसी और लिंडा साथ प्रेम का खेल खुल कर खेल पाओगेl बॉब ने मुझे तो अपने परिवार का एक विशेष राज बताया उसने कहा मेरे पिताजी, तुम्हारे फूफाजी की एक नहीं कई पत्निया हैंl जिनमे तुम्हारी बुआ भी शामिल है जेन और लूसी तुम्हारी बुआ से हैं और हम दोनों भाइयो की और शेष बहनो की माताए अलग अलग हैl हम सब आपस में सौतेले भाई बहन है, पर आपकी बुआ हम सबको अपनी ही संतान मानती है और एक जैसा प्यार करती हैंl हमे अपनी माओ से ज्यादा स्नेह आपकी बुआ से मिलता है और वह बहनो के साथ प्रेमालाप करने को उत्सुक हैं।

रात के भोजन से समय से बाद अलका वहां आयी तो जेन ने उसके साथ मित्रता कर ली और उसके अनुरोध पर अलका के साथ साथ जेन भी रात को वही मेरे भवन वाले भाग में रात में रुकने के लिए आ गयी।

अलका अपने साथ स्पेशल हलवा ले कर आयी थी मैंने उसमे मौका देखकर ख़ास देसी दवा मिली दी फिर हम सब ने मिल कर वो ख़ास दवा मिला हलवा खाया और मैंने उन दोनों को अपने कमरे में आमंत्रित कियाl

अलका बोली वह अपने कपडे बदल कर आती हैं और उन दोनों को जो कमरा दिया गया था वो उसमे चली गयी मैं अपने कमरे में गया, तो रोजी बिस्तर तैयार कर रही थी तो मैं दुसरे कमरे में जाकर बैठ गया ।

कुछ देर बाद अलका ने मेरा दरवाजा खटखटाया और कहा कि मैं तुम्हें परेशान करने के लिए माफी चाहती हूँ। तो मैंने पुछा क्या आपको कुछ और तो नहीं चाहिए? तो वो बोली नहीं कुछ ख़ास तो नहीं लेकिन आज मैं अकेला नहीं रहना चाहती, क्योंकि मैं कभी रात में अकेली नहीं रही हूँ। नींद भी नहीं आ रही है और जेन सोने जा रही है। मैंने कहा कोई बात नहीं आप मेरे पास बैठो।
उसने मुझसे पूछा कि क्या हम उसकी पसंदीदा फिल्म देख सकते हैंl मैं मान गया और उसे कुर्सी पर बैठने को कहा और मैं बिस्तर पर था। उसने कहा मैं भी बिस्तर पर बैठना चाहती हूँ, मैंने कहा ठीक है और हम बिस्तर पर बैठे मूवी देखने लगे। मूवी एक पुरानी रोमांटिक फिल्म थी और जब फिल्म चल रही थी तो एक भावनात्मक दृश्य था और वह अचानक रोने लगी।

मैं उसे देखकर हंस रहा था और मूवी देखते हुए रोने का मज़ाक बना रहा था। वह क्रोधित हो गयी और मुझ से लड़ने लगी तो मैंने एक बार और उसका मजाक बनाया तो वो मुझे मारने लगी, मुझे नहीं पता क्यों, लेकिन उसने वास्तव में मुझे 2 बार चोट दी और तीसरी बार उसके हाथों को मैंने पकड़ लिया और उससे पुछा कि तुम्हें क्या हो गया है मुझे वास्तव में लग रही है।
मैंने उसे कहा मुझे माफ़ कर दे मेरा इरादा उसे हर्ट करने का नहीं था मैं तो मजाक इसलिए कर रहा था ताकि वो रोना बंद कर दे क्योंकि वो रोती हुई बिलकुल अच्छी नहीं लगती हैl तो वोह बोली छोड़ो मुझे अब मैं तुम्हे नहीं मारूंगी, तो मैंने उसके हाथो को छोड़ कर उसका सिर पकड़ा और उसे ऊपर खींच लिया। उसने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गई । मुझे
बिलकुल नहीं पता था कि क्या हो रहा था।

और बोली " जब आपने मेरा मजाक बनाया तो मुझे बहुत बुरा लगा । ऐसी पिक्चर देख कर मैं ऐसे ही भावुक हो जाती हूँl मुझे खेद है मैं नहीं जानती मुझे क्या हुआ लेकिन मैं अभी भी उसी स्थिति में हूँ।" और फिर धीरे-धीरे मेरी छाती पर लेट गयी। मैंने एक बार फिर उससे माफ़ी मांगी तो उसने कहा कोई बात नहीं अभी आप मेरे बारे में कुछ भी ख़ास नहीं जानते हैं। उसने भी अपने व्यवहार और मुझे मारने के लिए मुझ से माफ़ी मांगी । मैं भी उससे कहा " अब ठीक है तो वो मुस्कुराने लगी तो मैंने कहा आप ऐसे ही मुस्कुराती हुई अच्छी लगती हैं। "


वो मेरे ऊपर लेटी रही और उसी पोजीशन में उसने मुझ से पुछा क्या मैं आपको अच्छी लगती हूँ? तो मैंने कहा बेशक आप मुझे अच्छी लगती हैं। आपकी मुस्कराहट इतनी अच्छी है के जब

आप मुस्क़ुराती है तो आपके चेहरे से नज़र ही नहीं हटती हैl मन करता है आप मुस्कराती रहे और मैं आपको देखता रहूl पहले तो वह थोड़ा शर्मायी फिर वह बोली बस इतना ही मेरा और कुछ आपको अच्छा नहीं लगता तो मैंने कहा अच्छा तो आपका पूरा पैकेज लगता हैl
अब मैंने उसकी तारीफ करनी शुरू कर दी।

आप कमसिन अल्हड सुन्दर गोरी तरुणा होl आपकी फिगर शानदार है और जबसे आपको उस दिन बग़ीचे में फूल चुनते हुए देखा है, तबसे मैं तो आपका दीवाना हो गया हूँ।
और फिर वह मेरे चेहरे के पास अपना चेहरा ले आयी और बोली मैं तुम्हें प्यार करती हूँ और मैं कुछ भी कह पाता इससे पहले कि उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया मैंने उसके चुम्बन का जवाब दिया और उसे वापस चूमना शुरू कर दिया।

उसके होंठ उसकी लार से भरे हुए थे और वे इतने स्वादिष्ट और रसीले थे मैं उसके ओंठो को रास भरे आम के जैसे चूसने लगा। फिर उसने धीरे से मेरे लंड पर अपना हाथ रखा और कहा ओह तुम्हारा हथियार जाग गया है । फिर मैंने कहा कि हाँ क्यों नहीं जागेगा एक सुन्दर सेक्सी लड़की जिसे मैं पसंद करता हूँ, उसके रस भरे होंठो को चूस रहा हूँ और वो मेरे ऊपर लेटी हुई हैl क्या इतना काफी नहीं है इसके अरमान जगाने के लिए या आपको लगता इससे भी कुछ ज्यादा शरारती होना चाहिए।

तभी रोजी आ गयी और बोली आपका कमरा तैयार है आप कमरे में चलो कुमार। फिर अलका ने अपना हाथ हटा लिया और कहा कि फिर तो इसे कुछ देर और इंतजार करना होगा। तो अलका रोजी को अपने साथ ले गयी। बोली आप अपने कमरे में चलो हम आते हैं ।

मैं सोच रहा था कि वह क्या कर रही थी, तब एक नाइट गाउन में लिपटी वापस आयी और उसने मुझसे पूछा कि तुम इस गाउन के अंदर क्या है वो देखना चाहते हो? तो मैंने अपने पायजामे के ऊपर से ही लंड पर हाथ फिराते हुए कहा कि ये पूछने की क्या जरूरत है, बेशक हाँ।

आगे क्या हुआ ..

ये कहानी जारी रहेगीl
 


दीपक कुमार


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#19
अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग -10

अलका की पहली चुदाई 






मेरी एक अन्य फूफेरी बुआ की बेटी अलका, मेरे सामने एक नाइट गाउन में लिपटी खड़ी, मुझसे पूछ रही थी क्या तुम गाउन के अंदर क्या है वो देखना चाहते हो? जब मैंने हाँ कहा तो वो बोली मैं भी तुम्हे देखना चाहती हूं। मैंने कहा ओके तो मुझे फिर क्या करना होगा? वो बोली आप भी अपने सभी कपड़ों को निकाल दे बस अपना अंडरवियर पहने रखे।

मन तो कर रहा था अलका को पकड़ कर उसका गाउन फाड़ डालू, पर मैंने खुद पर किसी तरह नियंत्रण किया और जो खेल अलका मेरे साथ खेल रही थी, उसका साथ देते हुए खेलने के लिए वो जैसा कहेगी वैसा करता रहा। मैंने फटाफट अपना कुरता और पायजामा उतार फेंका ।

आगे क्या होने वाला है इस प्रत्याशा में मेरा हथियार अपना विकराल रूप धारण कर चूका था और अंडरवियर के अंदर से मेरे लंड का उभार नज़र आ रहा था । फिर उसने कहा ठीक है अब आप खड़े हो जाओ।

फिर उसने वह गाउन खोलने लगी तो मैंने उसे रोक दिया और रोजी को बुलाया अब वो मुझे चौंक कर देखने लगी तो मैंने कहा अब तुम भी थोड़ा सा इंतज़ार करो ।.मैंने उसे कहा ये हमारा पहला मिलन है इसे यादगार बनने के लिए मैंने भी कुछ इंतजाम किया है । तुम जरा उसका भी जायजा ले लो. और रोजी उसको अपने साथ दुसरे कमरे में ले गयी । कुछ देर बाद रोजी मेरे पास आयी मुझे चूमते हुए बोली अलका सच में बहुत सुन्दर है। आपको बहुत बहुत बधाई! और बोली अब आप अपने कमरे में अलका के पास जा सकते हो वो आपका इंतजार कर रही है।

अंदर मेरे कमरे का नज़ारा ही अलग था पूरा कमरा और बिस्तर फूलो से सजा हुआ था। फूलों से सजी धजी अलका को रोजी कमरे में हमारे पहले मिलन के लिए ले आयी। और मुझे छेड़ने लगी है कुमार धीरे से कीजियेगा, बहन अलका कमसिन और नाजुक हैं । वह हँसते हुए अलका को मेरे पास छोड कर एक तरफ चली गयी ।.

अलका ने लाल लेहंगा चोली चुनरी और ढेर सारे गहणे पहने हुए थे. और साथ में गजरा और फूलों से श्रृंगार किये हुए स्वर्ग से आयी हुई अप्सरा लग रही थी. मेरा लंड उसे दुल्हन के रूप में देख कर बेकाबू हो गया और मैं पूरी तरह से काम रोग से ग्रस्त हो गया था। अलका बिस्तर के पास शर्मायी हुई अपने पैरो की तरफ देख रही थी। उसने घूंघट किया हुआ था। उसका चेहरा शर्म और आगे जो होने वाला था वह सोच नीचे झुका हुआ था। मैंने आगे होकर उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसको बेड पर ले गया ।!उसका नरम गर्म हाथ पकड़ते ही मेरे तनबदन की आग और भड़क गयी और मेरा लंड सनसनाता हुआ पूरा 8 इंची बड़ा हो गयाl लगा वो अंडरवियर फाड़ कर अभी बाहर आ जाएगा ।

मैंने अलका को कहा कैसा लगा आपको ये सरप्राइज? तो अलका बोली जबरदस्त! मैंने सपनो में भी नहीं सोचा था आप मुझे ऐसा सरप्राइज दोगे। मैंने कहा अलका, जब से आपको फूल चुनते हुए देखा तब से आप को पाना चाहता था। वह और भी शर्माने लगी और मेरे बहुत कहने पर मीठी आवाज़ में बोली मैं बचपन से जब आप मेरे साथ खेला करते थे तब से आप को पसंद करती हूँ।.उस दिन जब आप हमसे मिलने आये तब से मैं आपको पाने के लिए तड़पने लगी और आज हमारे मिलन की सुनहरी घडी आ ही गयी है। मैंने उसका घूंघट उठाना चाहा तो वो घूंघट पकड़ कर बोली पहले मुँह दिखाई की रस्म तो पूरी कीजिये ।

फिर मैंने इशारा किया तो रोजी ने मुझे एक पैकेट पकड़ा दिया और मैंने उसे खोल कर एक अंगूठी उसको नज़राने के तौर पर दिया। वह बोली आप ही पहना दीजिये। मैंने उसे अंगूठी को पहनाया, उसके हाथ को चूमा और फिर धीरे से उसका घूंघट उठा दिया।

दूध जैसी गोरी चिट्टी लाल गुलाबी होंठ! नाक पर बड़ी नथ, मांग में टिका बालो में गजरा, उसका चेहरा नीचे को झुका हुआ था इतनी सुन्दर अलका को दुल्हन के रूप में देख मेरे मुँह से निकला वाह रोजी!! तुम ठीक कह रही थी अलका वाकई में बहुत सुन्दर है और दुल्हन के रूप में तो बस क्या तारीफ करूँ समझ ही नहीं आ रहा। मेरा लंड फुफकारने लगा था अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा।

मैंने धीरे से उसके चेहरे को ऊपर किया अलका की आँखे बंद थी। बोला अलका मेरी महबूबा अपनी आँखे खोलो और अपने दीवाने प्रेमी को देखो। उसने आँखे खोली और हलकी से मुस्करायी मैंने उसका ओंठो पर एक नरम सा चुम्बन ले लिया। वह फिर शर्मा कर सिमट कर मुझ से लिपट गयी. मैंने अलका को अपने गले लगाया और पीठ पर हाथ फिरा उसकी पीठ बहुत चिकनी थी उसकी झीनी से बैकलेस चोली थी जो सिर्फ दो डोरियों से बंधी हुई थीl

जब मैंने उसके कपडे उतारने शुरू कर दिए और धीरे से उसकी चुनरी हटा दी । उसका चाँद सा खूबसूरत रूप मेरे सामने था । मैं तो एकदम से सन्न हो उसे देखता ही रह गया। गोरी चिट्टी कमसिन तीखी नैन नक्श. गोल मुस्कुरता हुआ शर्म के मारे लाल चेहराl मेरा लंड का तनाव फिर बढ़ने लगा ।

मेरे हाथ अब अनछुए मोमो पर जा चुके थे। मैंने ऊके गोल गोल बूब्स को पहले सहलाया, फिर चोली के ऊपर से ही दबाया। मैंने महसूस किया उसके अनछुए बूब्स बहुत नरम मुलायम गोल और सुडोल थे।

उसकी चोली जिसमे उनके स्तन बाहर आने को आतुर थे। उसकी चोली स्लीव लेस थी मैंने उसकी चोली के ऊपर की डोरी खोल दी और उसके कंधो और बाँहों पर किस करने लगा । उसके बाद नीचे की भी डोरी खिंच कर चोली की अलग कर दिया। उसने नीचे लाल रंग की सेक्सी ब्रा पहनी हुई थी ।

फिर मेरे हाथ स्तनों पर से अपने हाथ नीचे की और बढाए और लहंगे पर पहुँच गए. मैंने लहंगे का नाडा खोल दिया और लहंगा खींच कर उतार दिया। उसने नीचे एक बेहद सेक्सी अधोवस्त्र पहनी हुई थी।

तो मैं धीरे से बोला प्रिय अलका क्या यही वह जलवा है जो तुमने उस गाउन में छिपा रखा था और मुझे दिखाना चाहती थी। अब मेरे और तुम्हारे सरप्राइज दोनों का मिला जुला जादुई असर मुझे देखने दो ।

अलका एक गोरी लड़की थी, लगभग 5'5 in या उससे अधिक की ऊँचाई वाली और सुंदर गोल दृढ ३४क साइज के स्तन उसकी शान थे और उसकी गोल गांड और भी सुंदर थी। ये सभी और उसके आकर्षण का केंद्र थे । उसने नीचे बेहद सेक्सी अधोवस्त्र पहनी हुई थी और ऐसी सेक्सी अंडरवियर को देखकर मैं एकदम भौचक्का रह गया। चूत को ढँकने के लिए उसने थोड़े थोड़े पतले कपड़े (सिर्फ पतली पट्टियाँ और हीरे के आकार में थोड़ा काला कपड़ा पहना है। ब्रा में बाहरी किनारों पर सामग्री की तरह सफ़ेद फर था, जो बिल्कुल तेजस्वी था । और उसके ऊपर रोजी के पहनाये हुए गहने थे । मांग में टीका . बालो में चूरामणि , कानो में लटकी सुन्दर बालिया और नल में बड़ी सी सुन्दर नथ,

पैरों की ऊँगलियों में बिछिया, पैरों में पायल, कमर में करधनी, हाथों की ऊँगलियों में अनेक अंगूठियाँ, हाथो के फूल, कलाई में चूड़ियाँ व कंगन, गले में हार और मटरमाला या चेन. मैं बस उसे देखता ही रह गया।

अलका की आँखे शर्म के मारे बंद थी, उसे कमरे में मौजूद एक आदम कद शीशे के सामने ले गया और बोलै प्लीज अपनी आँखे खोल कर देखो ।

उसने आँखे खोली और कहा ओह मेरे प्रिय दीपक मैंने ये पहले ही देख लिया था। मुझे एहसास था ये आप पर जादुई असर करेगा और आपको उसमे मैं आश्चर्यजनक लगूंगी। उसने कहा कि आप यू सिर्फ वहीं खड़े रहेंगे और दृश्य की प्रशंसा करेंगे या आप मेरे साथ कुछ करेंगे। मैंने कहा अलका देखो इस मिले जुले सरप्राइज सेक्सी अधोवस्त्र और गहनों का मुझ पर क्या असर हुआ है और अपना अंडरवियर नीचे उतार दियाl मेरा लंड पूरा ९० डिग्री पर तना हुआ था और फुदक कर सलामी दे रहा था। उसने शर्मा कर फिर अपनी आँखे बंद कर ली।

मैं विश्वास नहीं कर सकता था कि अलका बहुत सुंदर लग रही थी। मैंने कहा प्रिय अलका अपने प्रेमी को देखो तो उसने धीरे से आँखे खोली। यह पहली बार था जब उसने पुरुष के लिंग को इतने उत्कृष्ट कठोर और प्रकट और विक्रांत रूप में देखा था, और उसकी पहली प्रतिक्रिया ईमानदार प्रशंसा थी। जिस तरह से उसकी आँखों अभी भी स्पार्कलिंग थे। मैंने लंड को सहलाया और ऊपरी त्वचा को पीछे किया तो गुलाबी लिंगमुण्ड उजागर हो गयाl मैंने और भी अधिक प्यार में अलका के हाथ को पकड़ा और अपने लंड पर रख दियाl उसने धीरे से एक बार लंड को हाथ से सहलाया और लंड को छोड़ कर, फिर शर्म के मारे अपने हाथो से अपने चेहरे हो छुपा लिया ।

मैंने उससे पुछा कैसा लगा तो वो शर्मा कर बोली आपका तो काफी लम्बा और बड़ा है। मेरी तो दुर्गति कर देगा। मुझे बहुत डर लग रहा है तो मैंने कहा घबराओ मत, ये ही तो इस प्यार के खेल का असली औजार हैi यही तुम्हे और मुझे जन्नत की सैर करवाएगा, इसलिए, बिलकुल मत घबराओ एक बार इस के साथ मजे ले लोगो तो इसके बिना रह नहीं पाओगी, तो वह धीरे से मुस्कुरा कर मेरे गले लग गयी ।

मैंने उसके माथे को चूमा । उसे धीरे से उठाया और मैं उस को बिस्तर पर ले गया और उसे एक पागल आदमी की तरह चूमना शुरू कर दिया। उसने मुझे कहा जल्दी क्या है आराम से करो सारी रात हमारी है मैं कहीं नहीं जा रही हूँ।

मैंने कहा प्लीज मुझे माफ़ कर दो इस अधीरता के लिए । क्या करून तुम्हारा ऐसा रूप देख कर मेरा अब होने आप पर काबू नहीं रहा । मैं काम वश हो गया और फिर उसने मेरा सर पकड़ा और मेरे ओंठो से अपने ओंठ मिला दिया और हम 10-15.मिनट चुम्बन करते रहे जिससे मेरे जज्बात कुछ काबू में हुए।

मैंने चुम्बन को तोडा और गर्दन पर चूमते हुए धीरे धीरे नीचे का रास्ता पकड़ने लगा । जब मैंने उसकी गर्दन पर चूमा तो उसके बदन ने थोड़ा झटका दिया और उसने मुझे कस कर अपने गले लगाया। मैंने फिर धीरे से उसकी सेक्सी काली अधोवस्त्र ड्रेस को उतार दिया और अंदर पहनी हुई गुलाबी ब्रा देखी।

जब मैं उसे लिप किस कर रहा था तो वो मेरे बाल कस कर पकड़े हुए थी । मैंने फिर उसके शरीर की पूरी महिमा को सराहा। मैं समझा नहीं सकता कि वह कितनी सुंदर है , गुलाबी ब्रा उसके स्तनों पर चमक रही थी और नाभि एक ऐसी कुंवारी गुफा की तरह थी जिसका पता लगाया जाना अभी बाकी था। उसके शरीर के सभी अंग सुडौल थे उसकी बलखाती कमर स्पॉट पेट और गोल चिकनी नितम्ब और मुझे उसकी पारदर्शी पतली सी पेंटी में से में गुलाबी चूत दिख रही थी ।

मैं धीरे से उस के ऊपर चढ़ गया और उसके होंठो को चूमा तो उसने अपनी बाहो को मेरे चारो और लपेट लिया । हमारे चुंबन अब नरम नहीं थे बल्कि जो उत्तेजना और जोश आ गया था उसके अनुसार ही गर्म से गर्मतर होते जा रहे थे। फिर होंठ थोड़ा खुल गए और हमारी झीभे एक दूसरे के चारों ओर नाच रही थी, और दुसरे की होंठ और मुंह में सब जगह घूम रही थी जैसे कुछ खोज रही हो ।

मैंने उसके नंगे कंधे को चूम लिया। मैं धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी ब्रा के पट्टे से होते हुए उसकी गर्दन पर चुंबन रोपण किये जिससे अलका कराहने लगी ।

आगे क्या हुआ,
ये कहानी जारी रहेगीl
 


दीपक कुमार


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मेरे अंतरंग हमसफ़र

द्वितीय अध्याय

परिवार से मेलजोल

भाग -11

अलका के साथ सम्भोग से पहले चाटना चूमना.




स्तन मेरी हमेशा कमजोरी रही है। मेरे ऐसे चूसने से अलका स्वर्ग में पहुँच गयी थी। कुछ देर बाद मैं इस स्तन से थक गया, तो समान शक्ति के साथ दूसरे स्तन को चूसने लगा। अपने जुनून में, मैंने उसके दूधिया और कोमल मांस के चारों ओर प्रेम से काटने लगा, कुतरने लगा जिससे उसके स्तनों पर काटने के निशान पड़ गए। मैंने उसकी छातियों को हाथो से पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा इससे उसके दोनों बूब्स एक दम लाल हो गए। फिर मैंने उनके निप्पल्स को पकड़ लिया और मसलने लगा। दोनों बूब्स एक दम नरम मुलायम गोल सुडोल थे, अलका के गुलाबी निप्पल उत्तेजना से खड़े हो चुके थे।

मेरे हाथों ने उनके स्तनों को अपनी हथेलियों में भरा और उन्हें किस करने लगा। मैंने स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। हम दोनों की साँसे तेज तेज चलने लगी। फिर एक के बाद दुसरे निप्पल को लगातार चूसने लगा। फिर एक बिंदु पर मैंने दोनों स्तनों को एक साथ निचोड़ा और एक साथ में दोनों निपल्स को मुँह में ले लिया, चूसा , अपनी जीभ को दोनों स्तनों के आगे पीछे की ओर घुमाया। उसकी आँखें पूरी तरह से बंद थी. वह मेरे हर प्रयास को अनुभव कर रही थी और उसका पूरा मजा ले रही थी।

उसको दोनों स्तनों पर हुए इस लगातार आक्रमण से अलका अपना नियंत्रण खो रही थी। उसका पूरा शरीर बिजली के करंट जैसी उत्तेजना महसूस कर रहा था और उसने कभी भी इस तरह की उत्तेजना महसूस नहीं की थी। उसे लगा कि उसके स्तन सूज गए हैं और उसके निप्पल इतने सख्त लग रहे हैं कि वह डर गई कि वे विस्फोट करेंगे।

हर अर्थ में अलका के लिए एक नया अनुभव था क्योंकि न केवल वह एक कुंवारी थी, उसने पहले कभी हस्तमैथुन भी नहीं किया था। उसकी टाँगों पेट और छाती कांपने लगे। उसकी साँसें छिटपुट हो रही थीं और उसकी त्वचा फड़क रही थी। मैंने उसकी क्लिट को चूसते हुए उसका मौखिक हमला जारी रखा और जब उसने अपने होंठों से उस पर दबाव डाला, तो अलका उसके पहले संभोग सुख की उमंग में चिल्ला उठी! फिर उसका शरीर अकड़ने लगा उसकी साँसे तेज चलने लगी उसके शरीर में एक उफान आया और वह निढाल हो कर मुझ से लिपट गयीl

मैंने उसे किस करके पुछा क्या तुमने पहले भी कभी कुछ ऐसा अनुभव किया है तो वो बोली नहीं कभी नहीं। ये निश्चित तौर पर उसका पहला ओर्गास्म था . हम कुछ देर ऐसे ही लेते रहे जब तक उसकी साँसे कुछ नियंत्रित नहीं हो गयी। फिर मैंने पहले उसे किश किया और उसके स्तनों से खेलना शुरू कर दिया। फिर कानो को किश किया जब उसकी प्रतिक्रिया से ये महसूस होने लगा वो दुबारा गर्म हो गई, तो हमारी किश जयादा गर्म होने लगी। तो मैंने धीरे धीरे नीचे को और चलने लगा उसकी गर्दन फिर उसकी बाजू ऊपर उठा दी और उसकी कांख ( armpit ) को चूमा वो इस करके कराहने लगी। मैं उसकी छाती और फिर स्तन और फिर निप्पलों को चूसने और चूमने लगा।

अब नीचे उसका स्पॉट पेट मेरे चूमते ही उसकी पतली नाजुक कमर बल खाने लगी। उसकी कमर में कमरघनी उसकी पतली कमर की शोभा बढ़ा रही थी। मैंने अपनी जीभ से गीली चटाई शुरू कर दी।पेट एकदम सपाट था कमर पतली और नाजुक मैंने उनके एक एक अंग को चाट डाला। फिर उसकी गुफा जैसी नाभि के बाहर चारो तरफ चूमा और फिर चाटते हुए अपनी जीभ उसकी नाभि में घुसा दी। वो एक दम से उछल गयी। मेरे उसके नाभि में हर हिस्से में जीभ घुमाई। उधर मेरे हाथ उसके स्तनों को दबा फिर उसके निप्पल को मसलने और खींचने लगा। वो बोली प्लीज मुझे कुछ हो रहा है।

फिर मैं और नीचे जाने लगा और उसके नाभि के नीचे किस करता हुआ उसकी जंघा के पास पहुंचा और उसकी आंतरिल जंघा पर एक किश की और चाट कर धीरे धीरे उसकी योनि की और जाने लगा पर योनि को नहीं छुआ और घुटनो की तरफ किस करता चला गया, फिर घुटनो के आंतरिक हिस्सों और फिर घुटनो पर फिर पिंडलिया और फिर टखना और फिर पैर और पैरो की उंगलियों को चूमा और चूसा फिर उसके दोनों पैरो को मिला दिया और दुसरे पैर को चूमा और फिर धीरे धीरे से टखनो फिर पिंडलियों , घुटनो को चूमते हुए उसकी जांघो को चूमते हुए उसकी जंघा के बीच के स्थान की और बढ़ता गया।

जब मैं अलका के टांगो के मध्य के करीब पहुंचा तब तक चुंबन करना जारी रखा। अलका ने मुझे उसके नारीत्व पर आक्रमण करते हुए देखने के लिए अपना सिर ऊपर किया। उसने उसे करीब से देखा और महसूस किया कि मेरी जीभ उसकी फीते से ढकी हुई पेटी के सिरों पर टिकी है। वह मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अपने पैरों को अलग करती है और फिर मेरे होंठ उसके फीते से ढकी हुई चूत को रेशमी कपड़ो को ऊपर से सहलाने लगे।

मैंने अलका की योनि को ढकने वाले रेशमी कपड़े को चूमा. मैंने महसूस किया उसकी पेंटी पूरी गीली थी। मैंने अपना हाथ उसकी पेंटी की डोरियों के अंदर सरका दिया और उसकी पेंटी को नीचे खींचा तो अलका ने अपने चूतड़ उठा दिए। और आखिरकार मैंने अलका को उसके सारे वैभव में देखा। उसकी योनि पर और आसपास बालों के एक भी निशान को साफ़ किया हुआ था। उसकी योनि पहले से ही सिकुड़ रही थी और उसके रस को बूंदो से उसकी योनि भीगी हुई थी।

मैंने उसकी भीगी चूत को पहले चूमा फिर उसके उभरे हुए बाहरी होंठों को चाटने लगा। अलका की चूत मेरे चुम्बन से उसकी चूत संकुचन करने लगी। मैंने अपनी जीभ को बाहर निकालते हुए, धीरे से गीली योनि के दरार की नोक पर चलाया और कुछ रसों को उसके योनि से बाहर निकलते ही चाट गया। अलका ने और अधिक की उम्मीद में अपने कूल्हे ऊपर उठा दिए।

मेरी आँखे बंद हो गयी और मैंने अलका के चूतरस का स्वाद लिया। जब मैंने अपने आँखों को फिर से खोला, तो मेरी आँखों में एक इच्छा थी जो अलका ने पहले नहीं देखी थी। मैंने अपनी जीभ को इसके चूत के दाने के चारों ओर घुमाया और धीरे-धीरे उसे छेड़ दिया।

"हे भगवान!"अलका कराह उठी। हाथो से अपने स्तनों को सहलाते हुए कहने लगी"तुमने कैसी आग लगा दी है अब जल्दी कुछ करो"।

मैंने उसकी चूत पे अपने होंठों को टिकाया और धीमे-धीमे चौड़े झटके में चाटने लगा। अल्का ने अपने पैरों को और भी फैला दिया उसने अपने निप्पलों की मसला और परमानंद में डूब गई।

उसकी चूत से निकलती संचित रस को निगलते हुए, मैंने अपनी उंगलियों से उसकी योनि की ओंठो को जुदा किया और उसकी अंदरूनी सिलवटों को चाटना शुरू कर दिया। मुझे लगा अब तरसाने का समय खत्म हो गया। अब यह समय था जब प्रेमी अपनी काम वासना की इच्छाओं को पूरा करें। मैंने अपनी जीभ को उसकी गर्म चूत में डुबो दिया और उसकी मांसपेशियों का संकुचन अपनी जीभ के आस-पास महसूस किया। जैसे ही मैंने अपने होंठों को खोल कर, जब उसने अपनी जीभ को अंदर-बाहर किया अलका ने अपने कूल्हों को उठा कर मेरे मुंह पर खुद को धकेल दिया।

उसने अपने हाथो से मेरा सर पकड़ा और मेरे चेहरे को अपनी चूत में अपनी पूरी ताकत के साथ चिपका लिया। मैं चाटना जारी रखा जिससे उसके बदन में तीव्र आनंद की लहर दौड़ गयी। उसके कूल्हे मेरा मुंह पीस रहे थे , उसका रस मेरे चेहरे पर फ़ैल रहा था। और वह बिस्तर पर गिर गई। उसके दिल के धड़कन की गति बहुत तेज हो गयी थी। अलका ने कभी इस रात की ऐसी कल्पना नहीं की थी, न ही ऐसी तीव्रता या आनंद या परमानंद की। उसके शरीर पहले काम्पा फिर अकड़ा और फिर निढाल हो गया मैं धीरे से ऊपर हुआ और उसे लिप किश करने लगा। उसने मेरे होठों पर लगे अपने रस का स्वाद चखा।

अलका को उसके कामुक आनंद में देखकर मैंने उसे अपनी बाँहों में पकड़ लिया और उसे किस किया। मेरा लंड अब उत्तेजना के चार्म पर पहुँचने वाला था। अल्का ने अपनी जांघ पर मेरे लंड की कठोरता महसूस की और मुस्कुराई। उसका हाथ नीचे पहुंच गया और उसने उंगलियों के साथ लंड की ढूंढते हुए बड़ी नाज़ुकता से पकड़ लिया और उधर मेरे ओंठो को बड़े प्रेम से चूमा। उसने धीरे से मेरे लंड को कस के पकड़ लिया।

अलका ने नेट पर पहले भी लंड की तस्वीरें देखी थीं, लेकिन असली चीज़ उससे बहुत बेहतर थी। वह बस उसे देखती रही थी और धीरे से छोड़ा तो लंड ऊपर को फुदका तो उसने ऊपर उसे फिर पकड़ लिया। उसने अपनी उंगलियों को शाफ्ट के चारों ओर लपेटा और उसे वह एकदम गर्म रोड जैसा महसूस हुआ। उसने जिज्ञासा और कामुकता के मिश्रण के साथ हाथ को लंड के ऊपर नीचे किया।

फिर वह बोली ये तो काफी बड़ा और सख्त है। मेरी तो बहुत छोटी सी है . ये अंदर चला तो जाएगा . मुझे बहुत दर्द होगा मैं सह नहीं पाऊँगी।तो मैंने कहा नहीं मेरी रानी ये तो प्यार का औजार है और कितनी भी छोटी योनि क्यों न हो अपने प्रेमी के लिय जगह बना ही लेती है। और ये दर्द तो पहली बार ही होता है और एकदिन हर लड़की जो प्यार से कामसुख आनद पाना चाहती है उसे इसे एक बार तो गुजरना ही पड़ता है। और फिर मैं बहुत आराम से करूंगा।

उसके हाथ के स्पर्श से मेरा लंड भड़क गया और अलका ने अपनी उंगलियों को उसकी चारों ओर लपेट दिया और धीरे-धीरे उसे पंप करना शुरू कर दिया था। फिर उसने लंड को चूत के छेद पर ले गयी और चुत के दाने को लंड से घिसा। मुझे लग गया अब लंबे समय तक रुकने और इंतजार करने की कोई वजह नहीं थी क्योंकि अलका अब बिलकुल त्यार लग रही थी।

"प्लीज, अब मुझे चाहिए,"उसने विनती की।".

मैंने देखा कि अलका अभी भी मेरे लंड को देख रही है। चेहरे पर मुस्कान के साथ, मैंने उसके नग्न शरीर को अपनी छाती से चिपका लिया। उसके स्तन मेरी छाती पर दब गए और मेरा लंड उसकी चूसी हुई चूत को चुम्बन करने लगा। मैं उसकी आँखों में देख रहा था तो उसके बाल मेरे चेहरे पर आ रहे थे, और उसे एहसास हुआ कि वह मुझसे कितना प्यार करती है। अलका ने मेरी आँखों में भी गर्मजोशी देखी, जिसे देख उसका दिल और भी पिघल गया। वह अब मेरी थी मुझे पूर्णतया समर्पित।

"आई लव यू ,"दोनों ने उसी समय एक साथ कहा। यह महसूस करते हुए कि अब तक दोनों के बीच क्या हुआ, कुछ मुस्कराए और फिर से चूमा और दोनों अपने प्रेमी के मुंह में अपना रस चख रहे थे। चुंबन नरम, रोमांटिक, एक दूसरे के लिए प्यार से भरे थे। मैंने अलका के बाल एक तरफ किये और भारतीय संस्कृति के संकेत के अनुरूप , फिर से उसके माथे चूमा,। अल्का ने मेरे सीने पर अपना सिर टिका दिया, और मैंने उसका नाम पुकारा।

अलका मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ के आप मुझे मिली।

अलका ने मेरी छाती को चूमा और फुसफुसाए,"इस के लिए धन्यवाद।"

मैंने धीरे से अपनी उँगलियाँ की और अलका की नंगी पीठ पर ऊपर नीचे की मेरी उंगलियाँ उसकी रीढ़ की हड्डी के एक एक मनके को महसूस करते हुए धीरे से उसके नितम्बो की दरार में से होते हुए उसके नितम्बो पर दबाव डाला तो अलका ने आहें भरी। उसकी उंगली उसके गोल नरम पर सुदृढ़ नितम्बो पर गोल घूमी फिर नितम्बो को सहलाया।

ऐसा करने से मेरा लंड उत्तेजना की ताजा स्थिति के रूप में उठा और उसकी योनि का दरवाजा खटखटाने लगा।. मेरी उंगलियों ने उसकी योनि की दरार को महसूस किया फिर धीरे से एक फिर दूसरी अंदर सरका दी मेरी ऊँगली का अग्रभाग उसके रस से डूब गया।

फिर मैंने उंगलिया ऊपर नीचे की और उंगलियों की मदद से दरार की थोड़ा फैलाया और लंड मुंड का अगर भाग दुसरे हाथ से लंड की पकड़ कर दरार पर रगड़ कर अलका की चूत की छेद की द्वार पर लगा दिया। अब वो सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वो अहाह! आहहह! आहहह! कर रही थी। अब उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी।

उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया।

मेरी उंगली ने धीरे से उसकी योनि के गीले होठों की मालिश की, मेरी उंगली धीरे-धीरे उसकी चुत के अंदर गोलाई को धीमे-धीमे घूमने लगी. मेरी उसकी उंगली धीरे-धीरे उसकी चूत में घुस गई और अलका की मेरे मुँह में किस करते हुए एक आह निकली।

आगे क्या हुआ -- ये कहानी जारी रहेगीl




दीपक कुमार


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