Thread Rating:
  • 16 Vote(s) - 2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
औलाद की चाह


CHAPTER 7-पांचवी रात

योनि पूजा

अपडेट-16

पूर्णतया  उत्तेजक अनुभव


मुझे बुरा लग रहा था  कि यह क्यों रुक गया । मैं  अब इतनी उत्तेजित थी की इसे  अब जारी रखना चाहती थी ।

जैसे ही गुरूजी ने पुनः मंत्र पढ़ा  राजकमल और संजीव  दोनों ने  ने मुझे छोड़ दिया और जब वे मुझे छोड़ गए तो मैं "बाहर  बुरी   हालत  में थी । मैंने  महसूस  किया की मेरा बायां स्तन मेरी चोली से लगभग पूरी तरह से बाहर आ  गया था और सभी के सामने नग्न हो  दिख रहा  था। मेरी पीठ पर मेरी स्कर्ट भी कमरबंद की तरह  बंधी हुई थी, जो संजीव ने इस समय अपने लंड से मेरी गांड पर  ढ़ाके मारते  हुए  बाँध  दी थी । इस प्रकार मेरी पूरी  गोल गाण्ड और मेरा बायाँ स्तन वहाँ उपस्थित सभी पुरुषों के सामने  नग्न  ही उजागर  गयी थी । मेरा पूरा शरीर कामवासना से इतना तप  और तड़प  रहा था कि मैं ठीक से ढकने से भी कतरा रही थी!  लेकिन  अभी   भी मैंने अपने होश नहीं खोये थे (मुझे  अभी भी इस बात का आश्चर्य  हैं की मैंने उस समय  अपने होश कैसे नहीं  खोये ) और इसलिए मैंने अपने संयम को वापस इकट्ठा करने की कोशिश की और अपनी स्कर्ट को नीचे खींच लिया और अपने बाएं स्तन को अपनी ब्रा के अंदर धकेल दिया। लेकिन सबसे खास बात यह थी कि मैं लगातार उत्तेजित हो रही थी - न केवल इन पुरुषों के स्पर्श से बल्कि कई वयस्कों के संपर्क में आने के बारे में मेरी जागरूकता के कारण भी!



[Image: blind3.webp]
गुरु-जी :  रश्मि क्या आप इस बीच मंत्र को दोहरा पायी ?

काफी स्वाभाविक सवाल, मैंने सोचा!

मैं:  अह्ह्ह . हाँ... हाँ गुरु जी।

गुरु जी : बहुत बढ़िया ! यह बहुत महत्वपूर्ण है। वैसे भी, अब तक अगर आप बिस्तर पर होतीं, तो ये निश्चित है की  ऐसे हालात में  आपके पति ने आपकी चुत ड्रिल कर दी होती ! हा हा हा...

संजीव: गुरु-जी, कोई भी पुरुष मैडम को इस अवस्था में पाता या देखता तो उसे चोद हो देता  और उसे छोड़ने की अपने इच्छा का  विरोध नहीं कर सकता था। वह एक सेक्स बम है! आप सब क्या कहते हैं?

उदय और राजकमल  ने संजीव के सुर ने सुर मिलाया और  कोर्स में गाया “ज़रूर! ज़रूर!"

उसके बाद हँसी का एक दौर  और थक्के कमरे में गूंजने लगे और ईमानदारी से मेरा सिर  गुरुजी  और उनके शिष्यों की ऐसी अश्लील बातों को सुनकर घूम रहा था।

गुरु-जी: वैसे भी, मज़ाक  के अलावा, रश्मि, मुझे यकीन है कि आपने उस दोहरे प्रेम प्रसंग का भरपूर आनंद लिया।

मैं जो कर रही थी उस पर मेरा कोई नियंत्रण नहीं था और मैं बेशर्मी से मुस्कुरायी  और सिर हिलाया।

गुरु-जी: ठीक है, अब निर्मल  तुम्हारा नया पति होगा !  बेटी  लिंग महाराज का  धन यवाद करो  कि असल जिंदगी में आपके इतने पति नहीं हैं, नहीं तो एक हफ्ते में ही  आपकी चुत नहर बन जाती…. हा हा हा…

मैं मूर्ति की तरह ही खड़ी हुई  थी   और अब कोई प्रतिक्रिया भी नहीं कर रही थी । मुझे समझ नहीं आ
 रहा था  की गुरु जी  ये क्या कर रहे थे? और मैं सोचने लगेगी इसके बाद क्या वह पूरे गांव को आकर मुझे चूमने को  कहेंगे ?!!?

निर्मल : लेकिन गुरु जी...

गुरु जी : हाँ, मैं निर्मल को जानता हूँ। रश्मि, मुझे इस सत्र में आपके नए पति के लिए उसकी छोटी लंबाई के लिए एक विशेष प्रावधान करना होगा। वह आपको अपना प्यार दिखाने के लिए एक स्टूल का इस्तेमाल करेगा।

मैं क्या?

मैं अब अपनी हंसी नहीं रोक पा रही थी।

गुरु-जी : बेटी, दुर्भाग्य से, वह लंबा नहीं है और मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि आप उसके प्रति थोड़ी सहानुभूति रखें।

मैं अपनी   नग्न अवस्था को पूरी तरह भूलकर फिर से मुस्कुरा  दी । सोचिये   क्या  नजारा  होगा - एक आदमी मुझसे प्यार करने के लिए एक स्टूल पर चढ़ने वाला  है !  मैं उस अध्भुत  दृश्य  को देखने से चूक गयी  क्योंकि मेरी आंखें अभी भी बंधी हुई थीं।

गुरुजी : राजकमल, अब तुम रश्मि के पीछे जाओ।

अचानक मुझे अपने शरीर पर हाथों की एक नई जोड़ी महसूस हुई। वह बौना! निर्मल। वह अनाड़ी मूर्ख! अब गुरु जी मुझे दुलारने का मौका उसे दिया था ! मैंने महसूस किया कि उसके खुरदुरे होंठ सीधे मेरे होठों को छू रहे हैं और उसने मुझे मेरी बाहों से पकड़ लिया और उसकी उँगलियाँ तुरंत मेरे आधे खुले स्तनों को दबाने लगीं! निर्मल ने  चुम्बन करते  हुए अपना समय लिया और धीरे-धीरे पूरी  तस्सली  के साथ  मेरे होठों पर दबाव डाला और  वह मेरे ओंठो को चूसने लगा। राजकमल उस समय बिल्कुल खली नहीं रहा ! तुरंत उसने मेरी पीठ से मेरी स्कर्ट उठा ली और मेरे  नितम्ब गालों को उजगार किया  और अपने लंड से मेरी गांड की दरार को ट्रेस करना शुरू कर दिया! साथ ही ब निर्दयता से मेरे  नितम्बो के गालों को दोनों हाथों से सहला रहा था।



[Image: blind2.webp]

मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं इस पूजा-घर में रंडी-गिरी के सारे रिकॉर्ड तोड़ रही  हूं! मुश्किल से आधे घंटे में चौथे आदमी ने मुझे किस किया था ! निर्मल ने अपने हाथों से मेरे गोल सुडोल और   सख्त स्तनों को महसूस किया, जबकि उसकी जीभ मेरे मुंह के अंदर तक चली गई और मेरे पूरे मुंह के अंदर की तरफ चाट रही थी। फिर उसने अपने होठों को मेरे पूरे चेहरे पर घुमाया और फिर  मुझे चूमता हुआ मेरी गर्दन और कंधे पर चला गया।

में :उउउ  आअह्ह्ह आआआआ  ररररर ीीीी ……अब …मैं इसे नहीं कर सकती … प्लीज  रुको !

निर्मल ने आसानी से मेरे निपल्स का पता लगा लिया था , जो पहले से ही अपने अधिकतम लचीले आकार तक बड़े हो गए  थे, और उन्होंने मेरी चोली के कपड़े के ऊपर से उन्हें अच्छी तरह से घुमाना शुरू कर दिया।  एक बार फिर इस दोहरे  पुरुष   अंतरंग सत्र ने लगभग  अपने उत्कर्ष और स्खलन के कगार पर धकेल दिया था और  में आगे  पुरुष स्पर्श प्राप्त करने के लिए इतना उत्साहित ही गयी थी कि मैंने राजकमल के सीधे  लिंग को पकड़ लिया और इसे अपनी  योनि में धकेलने की कोशिश की!

गुरु जी : गुरु जी: ओम ऐ, क... चा... वि, नमः! ओम ऐं...... ! आखिरी  कुछ सेकंड…

मैं मुश्किल से मंत्र को दोहरा सकी , मुझे  मेरा सिर "रिक्त" लग रहा था। निर्मल और राजकमल ने मेरी जवानी  के आकर्षणों पर  आक्रमण करने के लिए अपनी स्वतंत्र इच्छा शक्ति का  भरपूर इस्तेमाल किया और मेरे लगभग नग्न शरीर का एक इंच भी अनदेखा और  अनछुआ  नहीं छोड़ा।

गुरु जी : जय लिंग महाराज! शानदार रश्मि! इतना  सहयोगी होने के लिए आप सभी से तालियों की गड़गड़ाहट की पात्र हैं!

गुरु जी के चारों शिष्यों ने ताली बजाकर मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया।

गुरु-जी : बेटी, आपने मंत्र दान का ये भाग भी सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है और अब  ये मंत्र दान का आखिरी   भाग है   उसके बाद   लिंग पूजा  और फिर मैं योनि पूजा पूरी करूंगा। राजकमल,  एक काम  करो, अब  रश्मि की आँखें खोल दो !`


योनि पूजा में मंत्र दान की कहानी जारी रहेगी

NOTE welcome


1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब  अलग  होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर  कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा  कही पर भी संभव है  .



2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा  जी  स्वामी, पंडित,  पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन   खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.



3.  इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने  अन्यत्र नहीं पढ़ी है  .



जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी। बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था। अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।



कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।



My Stories Running on this Forum



  1. मजे - लूट लो जितने मिले

  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध

  3. अंतरंग हमसफ़र

  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री

  6. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम

  7.  मेरे निकाह मेरी कजिन के 
[+] 2 users Like aamirhydkhan1's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 03-02-2023, 05:32 AM



Users browsing this thread: 11 Guest(s)