02-08-2022, 01:43 PM
औलाद की चाह
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
तैयारी-
‘ परिधान'
Update 6
टेलर
मैं समझ गयी की बहस करने का कोई फायदा नहीं और मुझे कंधे पर सिर्फ ½ इंच चौड़े स्ट्रैप के लिए राज़ी होना पड़ा. मुझे याद नहीं है की कभी मैंने ऐसी कोई ड्रेस पहनी हो जिससे मेरे कंधे पूरे नंगे दिखते हों, ना कभी कॉलेज में पढ़ते समय ना कभी शादी के बाद. हाँ हनीमून में जरूर राजेश ने एक नाइटी लाकर दी थी जिसमें कंधे पर पतली डोरी जैसे स्ट्रैप थे. मैंने 3-4 दिन हनीमून के दौरान ही वो नाइटी पहनी थी और उसके बाद कभी नहीं पहनी क्यूंकी मुझे लगता था की वो बहुत बदन दिखाऊ है. एक तो उसमें मेरी ब्रा के स्ट्रैप दिख जाते थे और वो सिर्फ मेरे घुटनों तक लंबी थी. मेरी जैसी शर्मीली औरत के लिए वो कुछ ज़्यादा ही मॉडर्न ड्रेस थी. मुझे मालूम था की उस नाइटी में मेरा गदराया हुआ बदन देखकर मेरे पति को बड़ा मज़ा आता है और वो उत्तेजित हो जाते हैं लेकिन मेरे शर्मीलेपन की वजह से मैंने उस नाइटी को फिर कभी नहीं पहना.
मैं यही सब सोच रही थी की तभी मुझे ध्यान आया की टेलर मेरे पीछे खड़ा है. मुझे पता नहीं चल पा रहा था की वो क्या कर रहा है क्यूंकी वो मेरे ब्लाउज को भी नहीं छू रहा था. कुछ पल ऐसे ही गुजर गये , अब मुझे असहज महसूस होने लगा की गोपालजी आख़िर मेरे पीछे कर क्या रहा है ? मैंने दीपू की तरफ देखा और जैसे ही हमारी नजरें मिली , तुरंत उसने अपनी आँखें घुमा लीं. मुझे शक़ था की वो मेरे ब्लाउज में चूचियों को घूर रहा था जो की पल्लू हटने से लुभावनी लग रही थीं.
मैं दुविधा में थी की पीछे मुड़कर टेलर को देखूँ या नहीं. मैं पल्लू हटाए खड़ी थी और उसको मेरी गोरी पीठ दिख रही होगी. अचानक मेरी पीठ में गोपालजी की अँगुलियाँ महसूस हुई , वो मेरे ब्लाउज के कपड़े को खींच रहा था. अचानक उसकी अंगुलियों के छूने से मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी.
गोपाल टेलर – क्या हुआ मैडम ?
“नहीं कुछ नहीं.”
मैं शरमा गयी क्यूंकी गोपालजी ने मेरी कंपकपी को महसूस कर लिया था.
गोपाल टेलर – मैडम, ये ब्लाउज तो आपको सही से फिट आ रहा है.
“हाँ …”
गोपाल टेलर – लेकिन मैडम, चोली के लिए तो टाइट फिटिंग होगी.
“लेकिन क्यूँ ?”
अपनेआप मेरे मुँह से ये सवाल निकल गया पर जवाब सुनकर मेरा चेहरा लाल हो गया.
गोपाल टेलर – मैडम अगर आपका साइज 30 या 32 होता तो मैं ऐसा नहीं करता. लेकिन आपकी बड़ी चूचियाँ हैं इसलिए चोली को टाइट करना पड़ेगा ताकि अंदर के लिए सपोर्ट रहे. मैडम, जानती हो समस्या क्या है ? जब कोई औरत ब्रा पहनती है और इधर उधर घूमते हुए कोई काम करती है तो चूचियों के वजन से ब्रा नीचे को खिसकने लगती है. इसलिए चोली टाइट होनी चाहिए ताकि ब्रा के लिए भी सपोर्ट रहे.
एक मर्द के मुँह से औरतों की ऐसी निजी बातें सुनकर मेरी साँसें तेज हो गयीं. मुझसे कुछ जवाब नहीं दिया गया. मुझे चुप देखकर गोपालजी और विस्तार से बताने लगा और फिर मुझे टाइट चोली के लिए राज़ी होना पड़ा.
गोपाल टेलर – मैडम, अगर मैं चोली की नाप नहीं बदलूँ और जो ब्लाउज आपने अभी पहना है इसी नाप की चोली सिल दूँ तो जल्दी ही ब्रा के कप आपकी चूचियों से फिसलने लगेंगे क्यूंकी उनको साइड्स से सपोर्ट नहीं मिलेगा. अगर आपको चुपचाप एक जगह बैठना होता तो मैं कुछ नहीं कहता. लेकिन आपको महायज्ञ में भाग लेना है. इसलिए अगर चोली ढीली हुई तो ऐसा भी हो सकता है की चोली के अंदर ब्रा खिसकने से आपके निप्पल ब्रा से बाहर आ जाएँ.
मैडम, अगर आप पतली होती या आपकी चूचियों का साइज छोटा होता तो ज़्यादा फरक नहीं पड़ता. लेकिन आपका साइज 34 है और आप पहली बार स्ट्रैपलेस ब्रा पहनोगी. इसलिए टेलर होने के नाते मेरा ये फर्ज बनता है की मैं आपको सही राय दूं ताकि बाद में आपको शर्मिंदगी का सामना ना करना पड़े.
“ठी…क है गोपालजी, मैं आपकी बात समझ गयी. धन्यवाद.”
मैंने हकलाते हुए हामी भर दी.
गोपाल टेलर – मैडम मैं एक बार पीठ पर नाप लेता हूँ.
गोपालजी ने मेरे ब्लाउज के अंदर अपनी दो अँगुलियाँ डाली और शायद ये चेक करने लगा की ये कितना टाइट किया जा सकता है. उसकी अंगुलियों के मेरी पीठ पर रगड़ने से मुझे गुदगुदी सी हो रही थी. तभी उसने मेरे ब्लाउज को अपनी अंगुलियों से बाहर को खींचा और मुझे यकीन था की वो मेरे ब्लाउज के अंदर झाँक रहा होगा और उसे मेरी ब्रा के स्ट्रैप्स और हुक दिख रहे होंगे. गोपालजी अपनी अँगुलियाँ मेरी पीठ में डालकर पता नहीं क्या कर रहा था और अब मैं असहज होने लगी थी. मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा सा हिलाया. फिर मैंने खुद को झिड़का की मैं तो ऐसे असहज हो रही हूँ जैसे की पहली बार किसी टेलर को नाप दे रही हूँ.
गोपालजी ने दीपू से कुछ नोट करने को कहा. फिर गोपालजी पीछे से मेरे सामने आने लगा और मैंने ख्याल किया की वो अपने श्रोणि भाग पर खुजला रहा था. मुझे मन ही मन हँसी आई और मैं शरमा गयी पर मुझे मज़ा भी आया की मेरे बदन के घुमाव एक 60 बरस के बुड्ढे को भी उत्तेजित कर सकते हैं. मेरे सामने आकर वो थोड़ा झुका और उसका चेहरा मेरी सुडौल चूचियों के एकदम सामने आ गया. उसने बाएं हाथ से ब्लाउज के निचले हिस्से को पकड़ा और दाएं हाथ की दो अँगुलियाँ मेरे पेट से ब्लाउज के अंदर घुसाने लगा. उसकी अंगुलियों के स्पर्श से मेरे बदन में सिहरन हुई और एक पल के लिए मेरी आँखें बंद हो गयीं.
गोपाल टेलर – मैडम, एक बार लंबी सांस लो और पेट को पतला करो.
मैंने एक लंबी सांस ली और पेट पतला कर लिया . अब गोपालजी के लिए अँगुलियाँ अंदर घुसाना आसान हो गया. पहले ब्लाउज के टाइट होने से उसकी अँगुलियाँ ज़्यादा अंदर नहीं घुस पा रही थीं. मुझे महसूस हुआ की अब उसकी अँगुलियाँ मेरी ब्रा के निचले हिस्से को छू रही हैं. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने सांस छोड़ दी.
गोपाल टेलर – ओहो मैडम. थोड़ी देर तक और थामनी थी ना. एक बार और लो.
मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था क्यूंकी गोपालजी की अँगुलियाँ मेरे पेट से ऊपर को घुसी हुई थीं और मेरे ब्रा कप्स को छू रही थीं. मैंने फिर से एक गहरी सांस लेकर पेट को पतला कर लिया. गोपालजी फिर से अपनी अंगुलियों को मेरे ब्लाउज के अंदर घुमाने लगा और धीरे से मेरी चूचियों को नीचे से ऊपर को धक्का देने लगा. कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा और जब उसने मेरी ब्रा कप में अपनी अंगुली चुभोकर मेरी चूचियों की कोमलता का एहसास किया तो….
“आउच….”
मैंने सांस छोड़ दी और अपनेआप ही मेरे हाथ ने उसका ब्लाउज के अंदर घुसा हाथ पकड़ लिया. गोपालजी ने आश्चर्य के भाव से मुझे देखा. मैंने जल्दी से अपने को कंट्रोल किया क्यूंकी मुझे समझ आ गया था की नाप लेने के दौरान मुझे इतना तो एलाऊ करना ही पड़ेगा. मैंने धीरे से फुसफुसाते हुए उसे ‘सॉरी’ बोला और कायरता से अपनी आँखें झुका लीं. गोपालजी शायद मेरी हालत समझ गया और अपनी अँगुलियाँ ब्लाउज से बाहर निकाल लीं.
गोपाल टेलर – दीपू, मैडम की चोली की नाप लिखो.
दीपू – जी.
गोपालजी ने अपनी गर्दन से टेप निकाला और झुककर मेरे पेट की नाप लेने लगा. मेरे ब्लाउज के आधार पर उसने नाप ली. नाप लेते समय फिर से उसने मेरी चूचियों के निचले हिस्से को छुआ जिससे मैं असहज हो गयी.
गोपाल टेलर – 24”
दीपू ने उसे नोट किया. गोपालजी ने टेप हटा लिया और सीधा हो गया.
गोपाल टेलर – मैडम अपनी बायीं बाँह थोड़ी सी ऊपर उठाओ.
मैंने अपनी बायीं बाँह ऊपर उठा दी और गोपालजी ने उसे अपनी नाप के हिसाब से सही किया. पता नहीं क्यूँ पर उसके मेरे बदन को छूने से मेरे मन में कुछ अजीब हो रहा था. मैंने अपने मन को उसकी बड़ी उमर का हवाला देते हुए समझाने की कोशिश की पर मुझे अपनी रगों में तेज़ी से खून दौड़ता हुआ महसूस हुआ. गोपालजी ने मेरे कंधे पर टेप रखा और मेरी कांख पर नापा. मुझे ये देखकर आश्चर्य हुआ क्यूंकी मेरा लोकल टेलर इसे दूसरी तरह से नापता था. मतलब की वो मेरी कांख से टेप ले जाकर कंधे पर नापता था पर गोपालजी कंधे से टेप ले जाकर कांख में नाप रहा था. वो अपनी अंगुलियों से मेरे ब्लाउज में पसीने से भीगी हुई कांख को छू रहा था और मुझे असहज महसूस हो रहा था.
अब मैंने देखा की टेप की नाप नोट करने के लिए गोपालजी मेरी कांख के पास अपना चेहरा ले गया. मुझे अजीब लग रहा था क्यूंकी इतने नजदीक़ से तो कोई मेरी कांख की गंध सूंघ सकता था.
हे भगवान ! ये आदमी क्या कर रहा है ? मैं मन ही मन बुदबुदाई. मैं ये देखकर जड़वत हो गयी की वो बुड्ढा मेरी पसीने से भीगी हुई कांख की गंध सूंघ रहा था.
नहीं , नहीं मुझे कोई ग़लतफहमी नहीं हो रही. गोपालजी जिस तरह से अपनी नाक सिकोड़ रहा था उससे साफ जाहिर था की वो मेरी कांख के पसीने की गंध को अपने
नथुनों में भर रहा है. मेरी जिंदगी में कभी किसी मर्द ने ऐसे नाक लगाकर मेरी कांख को नहीं सूँघा था. उफ कितनी शरम की बात थी.
गोपाल टेलर – ठीक है मैडम अब आप अपनी बाँह नीचे कर लो. दीपू 10.5 “.
भगवान का शुक्र है , इसका सूंघना तो बंद हुआ. अब गोपालजी ने मेरे बाएं कंधे में ब्रा स्ट्रैप के ऊपर टेप को अपने हाथ से दबाया और दूसरे सिरे को मेरी बायीं चूची के ऊपर से होते हुए नीचे को लटका दिया. मेरे ब्लाउज के गले में यू शेप का बड़ा कट था और उन दोनों मर्दों को मेरी चूचियों के बीच की घाटी के फ्री दर्शन हो रहे थे.
गोपाल टेलर – दीपू चोली की लंबाई कितनी होती है ?
दीपू – जी 14 – 16 “.
गोपाल टेलर – लेकिन बेटा तुम्हें हमेशा ग्राहक की आवश्यकता को ध्यान में रखना चाहिए.
दीपू – वो कैसे ?
गोपाल टेलर – उदाहरण के लिए , कोई औरत छोटी चोली चाहती है तो तुम्हें 12 – 13” की लंबाई रखनी पड़ेगी. ध्यान रखो, औरत की छाती में 1 इंच से भी बहुत अंतर पड़ जाता है. अगर कोई मॉडर्न औरत है और वो मिनी चोली चाहती है तो चोली की लंबाई 10 – 12” रखनी पड़ेगी.
दीपू – जी मैं ध्यान रखूँगा.
मैं भी दीपू की तरह गोपालजी की बात ध्यान से सुन रही थी. मिनी चोली ? ये क्या होता है ?
कहानी जारी रहेगी
[*]मजे - लूट लो जितने मिले
[*]मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
[*]अंतरंग हमसफ़र
[*]पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
[*]गुरुजी के आश्रम में सावित्री
[*]मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया
[*]छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम-completed
[*]दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
CHAPTER 6 - पांचवा दिन
तैयारी-
‘ परिधान'
Update 6
टेलर
मैं समझ गयी की बहस करने का कोई फायदा नहीं और मुझे कंधे पर सिर्फ ½ इंच चौड़े स्ट्रैप के लिए राज़ी होना पड़ा. मुझे याद नहीं है की कभी मैंने ऐसी कोई ड्रेस पहनी हो जिससे मेरे कंधे पूरे नंगे दिखते हों, ना कभी कॉलेज में पढ़ते समय ना कभी शादी के बाद. हाँ हनीमून में जरूर राजेश ने एक नाइटी लाकर दी थी जिसमें कंधे पर पतली डोरी जैसे स्ट्रैप थे. मैंने 3-4 दिन हनीमून के दौरान ही वो नाइटी पहनी थी और उसके बाद कभी नहीं पहनी क्यूंकी मुझे लगता था की वो बहुत बदन दिखाऊ है. एक तो उसमें मेरी ब्रा के स्ट्रैप दिख जाते थे और वो सिर्फ मेरे घुटनों तक लंबी थी. मेरी जैसी शर्मीली औरत के लिए वो कुछ ज़्यादा ही मॉडर्न ड्रेस थी. मुझे मालूम था की उस नाइटी में मेरा गदराया हुआ बदन देखकर मेरे पति को बड़ा मज़ा आता है और वो उत्तेजित हो जाते हैं लेकिन मेरे शर्मीलेपन की वजह से मैंने उस नाइटी को फिर कभी नहीं पहना.
मैं यही सब सोच रही थी की तभी मुझे ध्यान आया की टेलर मेरे पीछे खड़ा है. मुझे पता नहीं चल पा रहा था की वो क्या कर रहा है क्यूंकी वो मेरे ब्लाउज को भी नहीं छू रहा था. कुछ पल ऐसे ही गुजर गये , अब मुझे असहज महसूस होने लगा की गोपालजी आख़िर मेरे पीछे कर क्या रहा है ? मैंने दीपू की तरफ देखा और जैसे ही हमारी नजरें मिली , तुरंत उसने अपनी आँखें घुमा लीं. मुझे शक़ था की वो मेरे ब्लाउज में चूचियों को घूर रहा था जो की पल्लू हटने से लुभावनी लग रही थीं.
मैं दुविधा में थी की पीछे मुड़कर टेलर को देखूँ या नहीं. मैं पल्लू हटाए खड़ी थी और उसको मेरी गोरी पीठ दिख रही होगी. अचानक मेरी पीठ में गोपालजी की अँगुलियाँ महसूस हुई , वो मेरे ब्लाउज के कपड़े को खींच रहा था. अचानक उसकी अंगुलियों के छूने से मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी.
गोपाल टेलर – क्या हुआ मैडम ?
“नहीं कुछ नहीं.”
मैं शरमा गयी क्यूंकी गोपालजी ने मेरी कंपकपी को महसूस कर लिया था.
गोपाल टेलर – मैडम, ये ब्लाउज तो आपको सही से फिट आ रहा है.
“हाँ …”
गोपाल टेलर – लेकिन मैडम, चोली के लिए तो टाइट फिटिंग होगी.
“लेकिन क्यूँ ?”
अपनेआप मेरे मुँह से ये सवाल निकल गया पर जवाब सुनकर मेरा चेहरा लाल हो गया.
गोपाल टेलर – मैडम अगर आपका साइज 30 या 32 होता तो मैं ऐसा नहीं करता. लेकिन आपकी बड़ी चूचियाँ हैं इसलिए चोली को टाइट करना पड़ेगा ताकि अंदर के लिए सपोर्ट रहे. मैडम, जानती हो समस्या क्या है ? जब कोई औरत ब्रा पहनती है और इधर उधर घूमते हुए कोई काम करती है तो चूचियों के वजन से ब्रा नीचे को खिसकने लगती है. इसलिए चोली टाइट होनी चाहिए ताकि ब्रा के लिए भी सपोर्ट रहे.
एक मर्द के मुँह से औरतों की ऐसी निजी बातें सुनकर मेरी साँसें तेज हो गयीं. मुझसे कुछ जवाब नहीं दिया गया. मुझे चुप देखकर गोपालजी और विस्तार से बताने लगा और फिर मुझे टाइट चोली के लिए राज़ी होना पड़ा.
गोपाल टेलर – मैडम, अगर मैं चोली की नाप नहीं बदलूँ और जो ब्लाउज आपने अभी पहना है इसी नाप की चोली सिल दूँ तो जल्दी ही ब्रा के कप आपकी चूचियों से फिसलने लगेंगे क्यूंकी उनको साइड्स से सपोर्ट नहीं मिलेगा. अगर आपको चुपचाप एक जगह बैठना होता तो मैं कुछ नहीं कहता. लेकिन आपको महायज्ञ में भाग लेना है. इसलिए अगर चोली ढीली हुई तो ऐसा भी हो सकता है की चोली के अंदर ब्रा खिसकने से आपके निप्पल ब्रा से बाहर आ जाएँ.
मैडम, अगर आप पतली होती या आपकी चूचियों का साइज छोटा होता तो ज़्यादा फरक नहीं पड़ता. लेकिन आपका साइज 34 है और आप पहली बार स्ट्रैपलेस ब्रा पहनोगी. इसलिए टेलर होने के नाते मेरा ये फर्ज बनता है की मैं आपको सही राय दूं ताकि बाद में आपको शर्मिंदगी का सामना ना करना पड़े.
“ठी…क है गोपालजी, मैं आपकी बात समझ गयी. धन्यवाद.”
मैंने हकलाते हुए हामी भर दी.
गोपाल टेलर – मैडम मैं एक बार पीठ पर नाप लेता हूँ.
गोपालजी ने मेरे ब्लाउज के अंदर अपनी दो अँगुलियाँ डाली और शायद ये चेक करने लगा की ये कितना टाइट किया जा सकता है. उसकी अंगुलियों के मेरी पीठ पर रगड़ने से मुझे गुदगुदी सी हो रही थी. तभी उसने मेरे ब्लाउज को अपनी अंगुलियों से बाहर को खींचा और मुझे यकीन था की वो मेरे ब्लाउज के अंदर झाँक रहा होगा और उसे मेरी ब्रा के स्ट्रैप्स और हुक दिख रहे होंगे. गोपालजी अपनी अँगुलियाँ मेरी पीठ में डालकर पता नहीं क्या कर रहा था और अब मैं असहज होने लगी थी. मैंने अपनी टाँगों को थोड़ा सा हिलाया. फिर मैंने खुद को झिड़का की मैं तो ऐसे असहज हो रही हूँ जैसे की पहली बार किसी टेलर को नाप दे रही हूँ.
गोपालजी ने दीपू से कुछ नोट करने को कहा. फिर गोपालजी पीछे से मेरे सामने आने लगा और मैंने ख्याल किया की वो अपने श्रोणि भाग पर खुजला रहा था. मुझे मन ही मन हँसी आई और मैं शरमा गयी पर मुझे मज़ा भी आया की मेरे बदन के घुमाव एक 60 बरस के बुड्ढे को भी उत्तेजित कर सकते हैं. मेरे सामने आकर वो थोड़ा झुका और उसका चेहरा मेरी सुडौल चूचियों के एकदम सामने आ गया. उसने बाएं हाथ से ब्लाउज के निचले हिस्से को पकड़ा और दाएं हाथ की दो अँगुलियाँ मेरे पेट से ब्लाउज के अंदर घुसाने लगा. उसकी अंगुलियों के स्पर्श से मेरे बदन में सिहरन हुई और एक पल के लिए मेरी आँखें बंद हो गयीं.
गोपाल टेलर – मैडम, एक बार लंबी सांस लो और पेट को पतला करो.
मैंने एक लंबी सांस ली और पेट पतला कर लिया . अब गोपालजी के लिए अँगुलियाँ अंदर घुसाना आसान हो गया. पहले ब्लाउज के टाइट होने से उसकी अँगुलियाँ ज़्यादा अंदर नहीं घुस पा रही थीं. मुझे महसूस हुआ की अब उसकी अँगुलियाँ मेरी ब्रा के निचले हिस्से को छू रही हैं. मुझसे रहा नहीं गया और मैंने सांस छोड़ दी.
गोपाल टेलर – ओहो मैडम. थोड़ी देर तक और थामनी थी ना. एक बार और लो.
मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था क्यूंकी गोपालजी की अँगुलियाँ मेरे पेट से ऊपर को घुसी हुई थीं और मेरे ब्रा कप्स को छू रही थीं. मैंने फिर से एक गहरी सांस लेकर पेट को पतला कर लिया. गोपालजी फिर से अपनी अंगुलियों को मेरे ब्लाउज के अंदर घुमाने लगा और धीरे से मेरी चूचियों को नीचे से ऊपर को धक्का देने लगा. कुछ देर तक ऐसा ही चलता रहा और जब उसने मेरी ब्रा कप में अपनी अंगुली चुभोकर मेरी चूचियों की कोमलता का एहसास किया तो….
“आउच….”
मैंने सांस छोड़ दी और अपनेआप ही मेरे हाथ ने उसका ब्लाउज के अंदर घुसा हाथ पकड़ लिया. गोपालजी ने आश्चर्य के भाव से मुझे देखा. मैंने जल्दी से अपने को कंट्रोल किया क्यूंकी मुझे समझ आ गया था की नाप लेने के दौरान मुझे इतना तो एलाऊ करना ही पड़ेगा. मैंने धीरे से फुसफुसाते हुए उसे ‘सॉरी’ बोला और कायरता से अपनी आँखें झुका लीं. गोपालजी शायद मेरी हालत समझ गया और अपनी अँगुलियाँ ब्लाउज से बाहर निकाल लीं.
गोपाल टेलर – दीपू, मैडम की चोली की नाप लिखो.
दीपू – जी.
गोपालजी ने अपनी गर्दन से टेप निकाला और झुककर मेरे पेट की नाप लेने लगा. मेरे ब्लाउज के आधार पर उसने नाप ली. नाप लेते समय फिर से उसने मेरी चूचियों के निचले हिस्से को छुआ जिससे मैं असहज हो गयी.
गोपाल टेलर – 24”
दीपू ने उसे नोट किया. गोपालजी ने टेप हटा लिया और सीधा हो गया.
गोपाल टेलर – मैडम अपनी बायीं बाँह थोड़ी सी ऊपर उठाओ.
मैंने अपनी बायीं बाँह ऊपर उठा दी और गोपालजी ने उसे अपनी नाप के हिसाब से सही किया. पता नहीं क्यूँ पर उसके मेरे बदन को छूने से मेरे मन में कुछ अजीब हो रहा था. मैंने अपने मन को उसकी बड़ी उमर का हवाला देते हुए समझाने की कोशिश की पर मुझे अपनी रगों में तेज़ी से खून दौड़ता हुआ महसूस हुआ. गोपालजी ने मेरे कंधे पर टेप रखा और मेरी कांख पर नापा. मुझे ये देखकर आश्चर्य हुआ क्यूंकी मेरा लोकल टेलर इसे दूसरी तरह से नापता था. मतलब की वो मेरी कांख से टेप ले जाकर कंधे पर नापता था पर गोपालजी कंधे से टेप ले जाकर कांख में नाप रहा था. वो अपनी अंगुलियों से मेरे ब्लाउज में पसीने से भीगी हुई कांख को छू रहा था और मुझे असहज महसूस हो रहा था.
अब मैंने देखा की टेप की नाप नोट करने के लिए गोपालजी मेरी कांख के पास अपना चेहरा ले गया. मुझे अजीब लग रहा था क्यूंकी इतने नजदीक़ से तो कोई मेरी कांख की गंध सूंघ सकता था.
हे भगवान ! ये आदमी क्या कर रहा है ? मैं मन ही मन बुदबुदाई. मैं ये देखकर जड़वत हो गयी की वो बुड्ढा मेरी पसीने से भीगी हुई कांख की गंध सूंघ रहा था.
नहीं , नहीं मुझे कोई ग़लतफहमी नहीं हो रही. गोपालजी जिस तरह से अपनी नाक सिकोड़ रहा था उससे साफ जाहिर था की वो मेरी कांख के पसीने की गंध को अपने
नथुनों में भर रहा है. मेरी जिंदगी में कभी किसी मर्द ने ऐसे नाक लगाकर मेरी कांख को नहीं सूँघा था. उफ कितनी शरम की बात थी.
गोपाल टेलर – ठीक है मैडम अब आप अपनी बाँह नीचे कर लो. दीपू 10.5 “.
भगवान का शुक्र है , इसका सूंघना तो बंद हुआ. अब गोपालजी ने मेरे बाएं कंधे में ब्रा स्ट्रैप के ऊपर टेप को अपने हाथ से दबाया और दूसरे सिरे को मेरी बायीं चूची के ऊपर से होते हुए नीचे को लटका दिया. मेरे ब्लाउज के गले में यू शेप का बड़ा कट था और उन दोनों मर्दों को मेरी चूचियों के बीच की घाटी के फ्री दर्शन हो रहे थे.
गोपाल टेलर – दीपू चोली की लंबाई कितनी होती है ?
दीपू – जी 14 – 16 “.
गोपाल टेलर – लेकिन बेटा तुम्हें हमेशा ग्राहक की आवश्यकता को ध्यान में रखना चाहिए.
दीपू – वो कैसे ?
गोपाल टेलर – उदाहरण के लिए , कोई औरत छोटी चोली चाहती है तो तुम्हें 12 – 13” की लंबाई रखनी पड़ेगी. ध्यान रखो, औरत की छाती में 1 इंच से भी बहुत अंतर पड़ जाता है. अगर कोई मॉडर्न औरत है और वो मिनी चोली चाहती है तो चोली की लंबाई 10 – 12” रखनी पड़ेगी.
दीपू – जी मैं ध्यान रखूँगा.
मैं भी दीपू की तरह गोपालजी की बात ध्यान से सुन रही थी. मिनी चोली ? ये क्या होता है ?
कहानी जारी रहेगी
[*]मजे - लूट लो जितने मिले
[*]मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
[*]अंतरंग हमसफ़र
[*]पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
[*]गुरुजी के आश्रम में सावित्री
[*]मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया
[*]छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम-completed
[*]दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed