02-08-2022, 01:10 PM
मेरे अंतरंग हमसफ़र
चतुर्थ अध्याय
लंदन जाने की तयारी
भाग -13
चलती कार में चुदाई
आपने "मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 12 में पढ़ा:
मैंने किश करते हुए फिर अपने दाए हाथ को उसकी कमर के सामने की ओर घुमाते हुए, मैंने साहसपूर्वक उसके स्तनों को सहलाया, फिर दबाया और एक उंगली को उसके निप्पल को छेड़ा और फिर, अपना हाथ उसकी टांगो पर ले जाकर उसकी छोटी स्कर्ट और ऑफर उसकी नंगी और चिकनी जांघों को सहलाया। अब, मेरा लंड लोहे की छड़ की तरह हो गया था, एक बार वह थोड़ा पीछे हट गई और मानो मुझे रोकने के लिए प्रयासरत हुई लेकिन मैंने उसे वापस अपनी ओर खींच लिया और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में धकेल दिया और मुझे उसकी झांटों के बीच योनि के नंगे होंठ महसूस हुए।
इस पर वह मेरी छाती पर चिपक गई, मेरी गर्दन में उसने उसकी बाहें डाल दी और यह देखकर कि उसका प्रतिरोध समाप्त हो गया था, मैंने उसके फांक के गर्म नम होंठों को विभाजित किया और उसके भगशेफ की तलाश की और कोमल और लगातार रगड़ से जल्द ही उसका भगशेफ मिल गया जो आक्रमणकारी से लड़ने के लिए खड़ा और कठोर था।
आपने मेरी कहानी " मेरे अंतरंग हमसफ़र " में अब तक पढ़ा:
मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।
उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।
लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया और उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा। मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।
कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा। मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने नहीं ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया! मेरा लंड एक बार फिर झड़ने के बाद कठोर ही रहा और उसे देख लिली थोड़ा आश्चर्यचकित हुई और मैंने उसने अपने ऊपर आने के लिए उत्साहित किया। हुमा भी घण्टे की आवाज़ से जग गयी थी और मुझे ढूँढते हुए लिली के कमरे में पता नहीं कब आ गयी थी लिली की चुदाई देखने के बाद हुमा भी मेरे साथ चिपक गयी। फिर मैंने हुमा और लिली की रात भर चुदाई की। अगले दिन लिली बोली अब तुम्हे मेरी दोनों बहने भी चाहती हैं और तुम्हे उन्हें भी चोदना होगा। दीपक मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मेरी बहनें मिली सबसे बेहतरीन महिला हैं और एमी बहुत कमसिन है। मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उत्तर दिया मैं अपने आप को पूरी तरह से आपको समर्पित करता हूँ और आपकी सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ूंगा और हमने उसकी कार से हवाई अड्डे के लिए प्रस्थान किया।'
कार में मैं मिली की बगल में बैठा उसे निहार रहा था और यह वास्तव में बहुत सुंदर थी, मैंने उसकी पतली कमर ने अपनी बाहों डाल कर उसे कसकर गले से लगा लिया, उसे चूमा और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में धकेल दिया और मुझे उसकी झांटों के बीच योनि के नंगे होंठ महसूस किये।
अब आगे:-
मिली वास्तव में बेहद खूबसूरत महिला थी, जिसे अपने पिता के कद के साथ-साथ अपनी माँ की सुंदरता विरासत में मिली थी। उसके बदन की आकृति सबसे कामुक थी और वह उसे प्रदर्शित करना पसंद करती थी। उसकी माँ के तरह मिली सुनहरे बालों और बिल्लोरी आँखों के साथ एक आकर्षक गोरी थी, जिसने मुझे काफ़ी आकर्षित किया था
उसकी लम्बाई 5' 4" थी, उसके कमर तक उसके लंबे रेशमी बाल गिर रहे थे, जिसे वह अक्सर बाँधती थी। उसका गोल चेहरा था, चौड़ा माथा, लंबी नुकीली नाक, पतली भौहें और गहरी नीली बिल्लोरी आँखें। उसके मोटे होंठ प्राकृतिक गुलाबी रंग में थे और उसके सफेद दांत मोतियों की तरह चमकते थे। वह बहुत गोरी थी और त्वचा का रंग सफेद और गुलाबी (गुलाबी) रंग का मिश्रण था। उसके लम्बे पतले हाथ और उसकी कमर संकीर्ण थी और उसकी कमर की तुलना में उसके उभरे हुए नितम्ब गोल थे। उसके बड़े स्तन गोल आकार में ऊपर की ओर खड़े थे और नुकीले निपल्स लाल और भूरे रंग के मिश्रित रंग के थे और स्तनों के ऊपर और निप्पल के चारो और गुलाबो रंग के घेरे थे।
मेरे हाथ में मिली के बूब्स थे और मेरे होंठ मिली के होठों में दब गए थे। इस क्षण भर की अनपेक्षित कार्यवाही से सब कुछ बदल गया, एक सनसनी और करंट दोनों के शरीर में बह गयी।
उसने मुझे कस कर अपने आलिंगन में खींच लिया और मैंने उसको गालों को चूमा और अंत में उसके होंठो पर अपने गर्म होंठ रख दिए मैंने मिली के होठों को अलग किया और अपनी जीभ उसके मुँह के भीतर डाल उसकी दांतो की जांच की। मेरी जीभ ने उसकी जीभ को छुआ और मिली के गालो की दीवार को छुआ। हम दोनों की लार मिश्रित हो गई और हमारे शरीर में एक अजीब-सी सनसनी फैल गई। हम दोनों ने एक दूसरे की लार का स्वाद चखा जो स्वर्ग में मिलने वाले अमृत के समान थी और हमने उस रस को निगल लिया।
मैं उसके द्वारा पहने गए टॉप्स के नीचे उसके निपल्स को सख्त महसूस कर रहा था। मैं उसके दोनों स्तनों को निचोड़ने से ख़ुद को अब रोक नहीं सका। मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके बड़े उभरे हुए स्तनों को देखा। वे दोनों गोल आकार में थे और लाल-भूरे रंग छोटे गुलाबी घेरे से घिरे हुए छोटे निप्पल उसकी पारदर्शी ब्रा से बिलकुल स्पष्ट दिख रहे थे। वे चबाने और चखने के लिए छोटी चेरी के समान थे। मैंने उनको उसके टॉप और ब्रा के ऊपर से ही चूमा और उसकी छोटी-सी गुलाबी निप्पल के चारों ओर अपनी जीभ घुमा का उसकी चाटा और अपनी उंगली से दबाया और सहलाया। वे सख्त हो गए और थोड़े बड़े हो गए। मैंने एक से दूसरे निप्पल पर स्विच किया और उसके दो स्तनों के बीच अपना सिर आगे-पीछे करते हुए स्तनों को चूमा और चाटा।
जैसे ही मैंने अपने हाथ से जो मिली की स्कर्ट में घुसा हुआ था उससे मिली के भगशेफ को छेड़ा तो मिली कराह उठी और बोली लिली दीपक तो आपने जितना बताया था उसे बहुत तेज और उतावले हैं देखो एक पल के लिए मैंने इन्हे आलिंगन किया तो ये कहाँ तक पहुँच गए हैं ।
flag smileys
उसकी बात सुन मैंने अब एक पल के लिए अपना हाथ हटा दिया और अपनी पैंट के सामने के हिस्से में ज़िप को खोला तो मेरा पत्थर जैसा कठोर ही चूका लंड उछाल कर बाहर निकल आया और मैंने मिली का हाथ पकड़ लिया और उसे धड़कते हुए लंड पर रख दिया तो मिली ने मेरे लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर महसूस किया और फिर का कर पकड़ा और धीरे-धीरे अपने हाथ को लंड की लंबाई से ऊपर और नीचे रगड़ना शुरू कर दिया।
मेरी कामुक संवेदनाओं के केंद्र पर-पर उसके कोमल और नाज़ुक हाथ के अचानक चुंबकीय स्पर्श और फिर उसके द्वारा मेरे प्यार के औजार को उसकी नरम और कोमल उंगलियों की हरकत ने और हमारे चुम्बन और उसके स्तनों के स्पर्श और हमारी कामुकता को जानूं की हद तक बढ़ाने की साज़िश रची और उस कामुक जुनून में मैंने उसे अपनी ओर खींचा और अपनी उंगली को उसकी योनि के अंदर घुसा दिया जिससे उसे थोड़ा दर्द हुआ और वह कराह उठी और जल्दी से मुझसे दूर हो गया और कार के दुसरे कोने की तरफ़ बैठ गयी और कराहने लगी।
उसका आग के अंगारे की तरह गर्म हाथ मेरे धड़कते और उसे हुई लंड से हट गया था और जैसे ही मैंने उसकी आँखों में आंसू बहते हुए देखा, मैंने ख़ुद को अंदर से कोसते हुए, जल्दी से माफी मांगी उसने उसे बताया कि उसने मुझे कितना उत्तेजित कर दिया था । मेरी कामुक प्रकृति, आदि के बारे में उसे बताया। फिर कुछ पल के बाद मैंने उसे फिर से मेरी तरफ़ खींच लिया और उसके ओंठो को चूमने लगा और उसने फिर से उसकी मुलायम गोरी उंगलियों में मेरे कड़े लिंग को कस लिया।
इस बार मैंने पहले की तरह नहीं किया, बल्कि उसका टॉप उतार दिया और उसकी ब्रा को खोल दिया और उसके स्तनों को चूमा और धीरे से उसकी स्कर्ट के नीचे फिर से मेरे हाथ फिसला और मेरे हाथ की उंगलिया उसकी भगशेफ को पुनः सहलाने लगी।
कुछ पलों के लिए मैंने उसे नाज़ुक ढंग से सहलाया और फिर उसके बूब्स को निचोड़ा और फिर उसके छोटे कांपती हुए योनि के नम होंठों को अलग किया और उसके खड़े भगशेफ को सहलाया, लेकिन तभी मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके हाथ की मीठी सिकुड़न और हरकते मुझे चर्म पर जल्द ले जाएंगी तो मैंने धीरे से उसके हाथ को हटा दिया और उसे मेरी गोद में खींच दिया और उसकी छोटी स्कर्ट को-को उसकी कमर के ऊपर धकेल दिया और उसे चूमता रहा।
उसने अब मुझे अपनी इच्छा पूरी करने की अनुमति दी और अपने खड़े लंड के सिर को उसके योनि के होठों के रखकर, मैंने उसे धीरे-धीरे उस पर बिठा दिया और उसे अपनी बाहों में मजबूती से पकड़ लिया, अब हमने वासना भरी चुदाई शुरू कर दी । मानो उस समय सब कुछ अनुकूल हो गया सड़क में कुछ खडडे थे जिनमे कार ने हिचकोले खाये और मिली उन के साथ मेरे लंड पर ऊपर नीचे हुई और पूरा लंड उनकी योनि की जड़ में समा गया ।
'ओह, ओह, ओह, आह-ह-ह!' उसने सांस ली, 'ऐसा है, ये बहुत बढ़िया है ओह, ओह, ओह। वह धीरे-धीरे मेरे लंड पर ऊपर नीचे होती रही और आगे सड़क भी समतल नहीं थी इसलिए झटके लगने जारी रहे। ओह, कितना प्यारा है; ओह, ओह, ओह, आह, मैं जा रहा हूँ... ओह-ह-ह-ह!' और उसने मेरे तूफानी छड़ी के सिर पर अपने रसों की धार बरसा दी।
मैंने भी अपना चरम उत्कर्ष महसूस किया, मैंने लंड को बाहर नहीं निकाला और उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे कार के कुशन पर उसकी पीठ पर लिटा कर, कुछ गहरे और जोरदार धक्के मारता रहे और उसकी-उसकी कोमल और चिपकी हुई योनि के भीतर आत्मा-उत्तेजक फुहारे मार दी ।
हम फिर घनिष्ठ आलिंगन में लेटे सुखद संयोग के मधुर परिणाम का आनंद लेते रहे उसकी योनि ने, मेरे लंड को कसकर जकड़ा हुआ था।
मैंने उसकी जांघों के बीच रूमाल रखा और उसके होठों को चूमता रहा।
रास्ते भर मिली यही बोलती रही "उह! इसे अंदर ले आओ! ऊओह, तुम्हारा बहुत बड़ा है, तुम बहुत अच्छी तरह से चोद रहे हो! मम्म, तुम मुझे तो मुझेमार ही डालोगे! अघ्ह! अब मुझे चोदना बंद मत करो; मैं तुम्हारे लिए कब से तड़प रही थी, अगर तुम मुझे नहीं चोदोगे तो मैं मर जाऊंगी!"
मिली की कामुक आकृति ने मेरे को उत्तेजित कर दिया था और मुझे एक चरमोत्कर्ष पर ले आयी थी । उसके बाद वह मेरे लंड को अपनी चूत के हल्के फुल्के होंठों में भरने की कोशिश कर रही थी। उस दोपहर मेरे लंड से निकलने वाली गर्म, चिपचिपी बाढ़ ने उसकी ख्वाहिशों को आग लगा दी थी, और वह चाहती थी कि वह पहले मौके पर उसे ठीक से चोद दे।
वह पूरी तरह से कापं रही थी, उसकी नब्ज पागलों की तरह धड़क रही थी और उसका हाथ मेरे लंड पर चला गया और उसने उसे धीरे से बाहर निकाला और अपने हाथ में पकड़ लिया और वह तेजी से अपना हाथ अधीरता से लुंड के ऊपर नीचे और इधर-उधर घुमाती रही, और कराहती हुई पागलपन में मुझे मेरे होंठो पर चुंबन करती रही। उसके सहलाने से मेरा लंड जल्द ही सख्त हो गया और उसे एक बार फिर से सीट पर लिटा कर, मैंने उसे फिर से उसके भीतर डुबो दिया, वह बोली चोदो, दीपक चोदो! ख़ूब चोदो! और थोड़ी-सी फुसफुसाहट और ख़ुशी भरी कराहो के साथ उसने अपनी कमर का एक पागल क्रंदन शुरू कर दिया, जो कार की गति से उछलने के साथ-साथ, लण्ड बुर में काफ़ी रगड़ते हुए जा रहा था। जिससे मेरा मज़ा ही कुछ और था और मिली भी झूम-झूम कर चूतड़ हिला रही थी और बुर लण्ड की दोस्ती गच-गच की धुन पैदा कर रही थी। लण्ड गच-गच गच गच की धुन बुर को सुना रहा था और बुर चुभ-चुभ फ़ुच फ़ुच कर लण्ड के गीत का स्वागत कर रही थी।
जिसने हमे बहुत ही जल्द झड़ने की कगार पर ला दिया मैंने अपने लण्ड की अंदर बाहर करने की रफ़्तार बढ़ा ली, लग रहा था उसकी रेशमी झांटों वाली बुर उछ्ल-उछ्ल कर लण्ड का स्वागत कर रही हो और लण्ड फच-फच कर स्वागत करवा रहा हो। पूरी गति से लण्ड का प्रहार बुर पर जारी था और तभी मिली की योनि ऐसी चिपकी जैसे लण्ड को निगल जाएगी और उसका बदन काम्पा और वह झड़ गई। और लण्ड ने भी अपना गरम लावा फेंक कर बुर को पूरा भर दिया।
मिली बोली वाह-वाह दीपक! ग़ज़ब चोदा तुमने मेरी बुर को! अन्दर तक हिला दिया! वाह मज़ा आ गया। मैंने मिली से कहा-मिली वाकई तुम बेहतरीन और कमाल की हसीना हो और तुम्हारी योनि तो तोहफा ही है।
वो बोलीं-आपका लण्ड भी कम नहीं है, बड़ा ही मस्त है। मैं आज की चुदाई कभी नहीं भूलूंगी इस छोटे से सफ़र में जीवन का वह आनन्द प्राप्त हुआ है कि मैं व्यक्त नहीं कर सकती।
कार की आगे की सीटों पर लिली और सपना को ये शब्द स्पष्ट रूप से सुनाई दे रहे थे और उन्हें पता था कि उनका क्या मतलब है; लिली ने इसे पहले ही देख लिया था। मिली की आसमानी नीली आंखें और मक्के के रेशमी बाल में वो फरिश्ता लग रही थी, वहीं बगल की सीट पर बैठी लड़की सपना कुछ अलग थी।
इस समय तक हम लगभग लिली के घर पहुँच चुके थे और अपने वस्त्रों को ठीक करते हुए, हम एक-दूसरे की बाँहों में चिपक कर बैठ गए।
जारी रहेगी
[*]मजे - लूट लो जितने मिले
[*]मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
[*]अंतरंग हमसफ़र
[*]पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
[*]गुरुजी के आश्रम में सावित्री
[*]मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया
[*]छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम-completed
[*]दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
चतुर्थ अध्याय
लंदन जाने की तयारी
भाग -13
चलती कार में चुदाई
आपने "मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 12 में पढ़ा:
मैंने किश करते हुए फिर अपने दाए हाथ को उसकी कमर के सामने की ओर घुमाते हुए, मैंने साहसपूर्वक उसके स्तनों को सहलाया, फिर दबाया और एक उंगली को उसके निप्पल को छेड़ा और फिर, अपना हाथ उसकी टांगो पर ले जाकर उसकी छोटी स्कर्ट और ऑफर उसकी नंगी और चिकनी जांघों को सहलाया। अब, मेरा लंड लोहे की छड़ की तरह हो गया था, एक बार वह थोड़ा पीछे हट गई और मानो मुझे रोकने के लिए प्रयासरत हुई लेकिन मैंने उसे वापस अपनी ओर खींच लिया और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में धकेल दिया और मुझे उसकी झांटों के बीच योनि के नंगे होंठ महसूस हुए।
इस पर वह मेरी छाती पर चिपक गई, मेरी गर्दन में उसने उसकी बाहें डाल दी और यह देखकर कि उसका प्रतिरोध समाप्त हो गया था, मैंने उसके फांक के गर्म नम होंठों को विभाजित किया और उसके भगशेफ की तलाश की और कोमल और लगातार रगड़ से जल्द ही उसका भगशेफ मिल गया जो आक्रमणकारी से लड़ने के लिए खड़ा और कठोर था।
आपने मेरी कहानी " मेरे अंतरंग हमसफ़र " में अब तक पढ़ा:
मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।
उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।
लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया और उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा। मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।
कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा। मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने नहीं ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया! मेरा लंड एक बार फिर झड़ने के बाद कठोर ही रहा और उसे देख लिली थोड़ा आश्चर्यचकित हुई और मैंने उसने अपने ऊपर आने के लिए उत्साहित किया। हुमा भी घण्टे की आवाज़ से जग गयी थी और मुझे ढूँढते हुए लिली के कमरे में पता नहीं कब आ गयी थी लिली की चुदाई देखने के बाद हुमा भी मेरे साथ चिपक गयी। फिर मैंने हुमा और लिली की रात भर चुदाई की। अगले दिन लिली बोली अब तुम्हे मेरी दोनों बहने भी चाहती हैं और तुम्हे उन्हें भी चोदना होगा। दीपक मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मेरी बहनें मिली सबसे बेहतरीन महिला हैं और एमी बहुत कमसिन है। मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उत्तर दिया मैं अपने आप को पूरी तरह से आपको समर्पित करता हूँ और आपकी सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ूंगा और हमने उसकी कार से हवाई अड्डे के लिए प्रस्थान किया।'
कार में मैं मिली की बगल में बैठा उसे निहार रहा था और यह वास्तव में बहुत सुंदर थी, मैंने उसकी पतली कमर ने अपनी बाहों डाल कर उसे कसकर गले से लगा लिया, उसे चूमा और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में धकेल दिया और मुझे उसकी झांटों के बीच योनि के नंगे होंठ महसूस किये।
अब आगे:-
मिली वास्तव में बेहद खूबसूरत महिला थी, जिसे अपने पिता के कद के साथ-साथ अपनी माँ की सुंदरता विरासत में मिली थी। उसके बदन की आकृति सबसे कामुक थी और वह उसे प्रदर्शित करना पसंद करती थी। उसकी माँ के तरह मिली सुनहरे बालों और बिल्लोरी आँखों के साथ एक आकर्षक गोरी थी, जिसने मुझे काफ़ी आकर्षित किया था
उसकी लम्बाई 5' 4" थी, उसके कमर तक उसके लंबे रेशमी बाल गिर रहे थे, जिसे वह अक्सर बाँधती थी। उसका गोल चेहरा था, चौड़ा माथा, लंबी नुकीली नाक, पतली भौहें और गहरी नीली बिल्लोरी आँखें। उसके मोटे होंठ प्राकृतिक गुलाबी रंग में थे और उसके सफेद दांत मोतियों की तरह चमकते थे। वह बहुत गोरी थी और त्वचा का रंग सफेद और गुलाबी (गुलाबी) रंग का मिश्रण था। उसके लम्बे पतले हाथ और उसकी कमर संकीर्ण थी और उसकी कमर की तुलना में उसके उभरे हुए नितम्ब गोल थे। उसके बड़े स्तन गोल आकार में ऊपर की ओर खड़े थे और नुकीले निपल्स लाल और भूरे रंग के मिश्रित रंग के थे और स्तनों के ऊपर और निप्पल के चारो और गुलाबो रंग के घेरे थे।
मेरे हाथ में मिली के बूब्स थे और मेरे होंठ मिली के होठों में दब गए थे। इस क्षण भर की अनपेक्षित कार्यवाही से सब कुछ बदल गया, एक सनसनी और करंट दोनों के शरीर में बह गयी।
उसने मुझे कस कर अपने आलिंगन में खींच लिया और मैंने उसको गालों को चूमा और अंत में उसके होंठो पर अपने गर्म होंठ रख दिए मैंने मिली के होठों को अलग किया और अपनी जीभ उसके मुँह के भीतर डाल उसकी दांतो की जांच की। मेरी जीभ ने उसकी जीभ को छुआ और मिली के गालो की दीवार को छुआ। हम दोनों की लार मिश्रित हो गई और हमारे शरीर में एक अजीब-सी सनसनी फैल गई। हम दोनों ने एक दूसरे की लार का स्वाद चखा जो स्वर्ग में मिलने वाले अमृत के समान थी और हमने उस रस को निगल लिया।
मैं उसके द्वारा पहने गए टॉप्स के नीचे उसके निपल्स को सख्त महसूस कर रहा था। मैं उसके दोनों स्तनों को निचोड़ने से ख़ुद को अब रोक नहीं सका। मैं उसके ऊपर झुक गया और उसके बड़े उभरे हुए स्तनों को देखा। वे दोनों गोल आकार में थे और लाल-भूरे रंग छोटे गुलाबी घेरे से घिरे हुए छोटे निप्पल उसकी पारदर्शी ब्रा से बिलकुल स्पष्ट दिख रहे थे। वे चबाने और चखने के लिए छोटी चेरी के समान थे। मैंने उनको उसके टॉप और ब्रा के ऊपर से ही चूमा और उसकी छोटी-सी गुलाबी निप्पल के चारों ओर अपनी जीभ घुमा का उसकी चाटा और अपनी उंगली से दबाया और सहलाया। वे सख्त हो गए और थोड़े बड़े हो गए। मैंने एक से दूसरे निप्पल पर स्विच किया और उसके दो स्तनों के बीच अपना सिर आगे-पीछे करते हुए स्तनों को चूमा और चाटा।
जैसे ही मैंने अपने हाथ से जो मिली की स्कर्ट में घुसा हुआ था उससे मिली के भगशेफ को छेड़ा तो मिली कराह उठी और बोली लिली दीपक तो आपने जितना बताया था उसे बहुत तेज और उतावले हैं देखो एक पल के लिए मैंने इन्हे आलिंगन किया तो ये कहाँ तक पहुँच गए हैं ।
flag smileys
उसकी बात सुन मैंने अब एक पल के लिए अपना हाथ हटा दिया और अपनी पैंट के सामने के हिस्से में ज़िप को खोला तो मेरा पत्थर जैसा कठोर ही चूका लंड उछाल कर बाहर निकल आया और मैंने मिली का हाथ पकड़ लिया और उसे धड़कते हुए लंड पर रख दिया तो मिली ने मेरे लंड को अपनी हथेली में पकड़ कर महसूस किया और फिर का कर पकड़ा और धीरे-धीरे अपने हाथ को लंड की लंबाई से ऊपर और नीचे रगड़ना शुरू कर दिया।
मेरी कामुक संवेदनाओं के केंद्र पर-पर उसके कोमल और नाज़ुक हाथ के अचानक चुंबकीय स्पर्श और फिर उसके द्वारा मेरे प्यार के औजार को उसकी नरम और कोमल उंगलियों की हरकत ने और हमारे चुम्बन और उसके स्तनों के स्पर्श और हमारी कामुकता को जानूं की हद तक बढ़ाने की साज़िश रची और उस कामुक जुनून में मैंने उसे अपनी ओर खींचा और अपनी उंगली को उसकी योनि के अंदर घुसा दिया जिससे उसे थोड़ा दर्द हुआ और वह कराह उठी और जल्दी से मुझसे दूर हो गया और कार के दुसरे कोने की तरफ़ बैठ गयी और कराहने लगी।
उसका आग के अंगारे की तरह गर्म हाथ मेरे धड़कते और उसे हुई लंड से हट गया था और जैसे ही मैंने उसकी आँखों में आंसू बहते हुए देखा, मैंने ख़ुद को अंदर से कोसते हुए, जल्दी से माफी मांगी उसने उसे बताया कि उसने मुझे कितना उत्तेजित कर दिया था । मेरी कामुक प्रकृति, आदि के बारे में उसे बताया। फिर कुछ पल के बाद मैंने उसे फिर से मेरी तरफ़ खींच लिया और उसके ओंठो को चूमने लगा और उसने फिर से उसकी मुलायम गोरी उंगलियों में मेरे कड़े लिंग को कस लिया।
इस बार मैंने पहले की तरह नहीं किया, बल्कि उसका टॉप उतार दिया और उसकी ब्रा को खोल दिया और उसके स्तनों को चूमा और धीरे से उसकी स्कर्ट के नीचे फिर से मेरे हाथ फिसला और मेरे हाथ की उंगलिया उसकी भगशेफ को पुनः सहलाने लगी।
कुछ पलों के लिए मैंने उसे नाज़ुक ढंग से सहलाया और फिर उसके बूब्स को निचोड़ा और फिर उसके छोटे कांपती हुए योनि के नम होंठों को अलग किया और उसके खड़े भगशेफ को सहलाया, लेकिन तभी मुझे ऐसा महसूस हो रहा था कि उसके हाथ की मीठी सिकुड़न और हरकते मुझे चर्म पर जल्द ले जाएंगी तो मैंने धीरे से उसके हाथ को हटा दिया और उसे मेरी गोद में खींच दिया और उसकी छोटी स्कर्ट को-को उसकी कमर के ऊपर धकेल दिया और उसे चूमता रहा।
उसने अब मुझे अपनी इच्छा पूरी करने की अनुमति दी और अपने खड़े लंड के सिर को उसके योनि के होठों के रखकर, मैंने उसे धीरे-धीरे उस पर बिठा दिया और उसे अपनी बाहों में मजबूती से पकड़ लिया, अब हमने वासना भरी चुदाई शुरू कर दी । मानो उस समय सब कुछ अनुकूल हो गया सड़क में कुछ खडडे थे जिनमे कार ने हिचकोले खाये और मिली उन के साथ मेरे लंड पर ऊपर नीचे हुई और पूरा लंड उनकी योनि की जड़ में समा गया ।
'ओह, ओह, ओह, आह-ह-ह!' उसने सांस ली, 'ऐसा है, ये बहुत बढ़िया है ओह, ओह, ओह। वह धीरे-धीरे मेरे लंड पर ऊपर नीचे होती रही और आगे सड़क भी समतल नहीं थी इसलिए झटके लगने जारी रहे। ओह, कितना प्यारा है; ओह, ओह, ओह, आह, मैं जा रहा हूँ... ओह-ह-ह-ह!' और उसने मेरे तूफानी छड़ी के सिर पर अपने रसों की धार बरसा दी।
मैंने भी अपना चरम उत्कर्ष महसूस किया, मैंने लंड को बाहर नहीं निकाला और उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे कार के कुशन पर उसकी पीठ पर लिटा कर, कुछ गहरे और जोरदार धक्के मारता रहे और उसकी-उसकी कोमल और चिपकी हुई योनि के भीतर आत्मा-उत्तेजक फुहारे मार दी ।
हम फिर घनिष्ठ आलिंगन में लेटे सुखद संयोग के मधुर परिणाम का आनंद लेते रहे उसकी योनि ने, मेरे लंड को कसकर जकड़ा हुआ था।
मैंने उसकी जांघों के बीच रूमाल रखा और उसके होठों को चूमता रहा।
रास्ते भर मिली यही बोलती रही "उह! इसे अंदर ले आओ! ऊओह, तुम्हारा बहुत बड़ा है, तुम बहुत अच्छी तरह से चोद रहे हो! मम्म, तुम मुझे तो मुझेमार ही डालोगे! अघ्ह! अब मुझे चोदना बंद मत करो; मैं तुम्हारे लिए कब से तड़प रही थी, अगर तुम मुझे नहीं चोदोगे तो मैं मर जाऊंगी!"
मिली की कामुक आकृति ने मेरे को उत्तेजित कर दिया था और मुझे एक चरमोत्कर्ष पर ले आयी थी । उसके बाद वह मेरे लंड को अपनी चूत के हल्के फुल्के होंठों में भरने की कोशिश कर रही थी। उस दोपहर मेरे लंड से निकलने वाली गर्म, चिपचिपी बाढ़ ने उसकी ख्वाहिशों को आग लगा दी थी, और वह चाहती थी कि वह पहले मौके पर उसे ठीक से चोद दे।
वह पूरी तरह से कापं रही थी, उसकी नब्ज पागलों की तरह धड़क रही थी और उसका हाथ मेरे लंड पर चला गया और उसने उसे धीरे से बाहर निकाला और अपने हाथ में पकड़ लिया और वह तेजी से अपना हाथ अधीरता से लुंड के ऊपर नीचे और इधर-उधर घुमाती रही, और कराहती हुई पागलपन में मुझे मेरे होंठो पर चुंबन करती रही। उसके सहलाने से मेरा लंड जल्द ही सख्त हो गया और उसे एक बार फिर से सीट पर लिटा कर, मैंने उसे फिर से उसके भीतर डुबो दिया, वह बोली चोदो, दीपक चोदो! ख़ूब चोदो! और थोड़ी-सी फुसफुसाहट और ख़ुशी भरी कराहो के साथ उसने अपनी कमर का एक पागल क्रंदन शुरू कर दिया, जो कार की गति से उछलने के साथ-साथ, लण्ड बुर में काफ़ी रगड़ते हुए जा रहा था। जिससे मेरा मज़ा ही कुछ और था और मिली भी झूम-झूम कर चूतड़ हिला रही थी और बुर लण्ड की दोस्ती गच-गच की धुन पैदा कर रही थी। लण्ड गच-गच गच गच की धुन बुर को सुना रहा था और बुर चुभ-चुभ फ़ुच फ़ुच कर लण्ड के गीत का स्वागत कर रही थी।
जिसने हमे बहुत ही जल्द झड़ने की कगार पर ला दिया मैंने अपने लण्ड की अंदर बाहर करने की रफ़्तार बढ़ा ली, लग रहा था उसकी रेशमी झांटों वाली बुर उछ्ल-उछ्ल कर लण्ड का स्वागत कर रही हो और लण्ड फच-फच कर स्वागत करवा रहा हो। पूरी गति से लण्ड का प्रहार बुर पर जारी था और तभी मिली की योनि ऐसी चिपकी जैसे लण्ड को निगल जाएगी और उसका बदन काम्पा और वह झड़ गई। और लण्ड ने भी अपना गरम लावा फेंक कर बुर को पूरा भर दिया।
मिली बोली वाह-वाह दीपक! ग़ज़ब चोदा तुमने मेरी बुर को! अन्दर तक हिला दिया! वाह मज़ा आ गया। मैंने मिली से कहा-मिली वाकई तुम बेहतरीन और कमाल की हसीना हो और तुम्हारी योनि तो तोहफा ही है।
वो बोलीं-आपका लण्ड भी कम नहीं है, बड़ा ही मस्त है। मैं आज की चुदाई कभी नहीं भूलूंगी इस छोटे से सफ़र में जीवन का वह आनन्द प्राप्त हुआ है कि मैं व्यक्त नहीं कर सकती।
कार की आगे की सीटों पर लिली और सपना को ये शब्द स्पष्ट रूप से सुनाई दे रहे थे और उन्हें पता था कि उनका क्या मतलब है; लिली ने इसे पहले ही देख लिया था। मिली की आसमानी नीली आंखें और मक्के के रेशमी बाल में वो फरिश्ता लग रही थी, वहीं बगल की सीट पर बैठी लड़की सपना कुछ अलग थी।
इस समय तक हम लगभग लिली के घर पहुँच चुके थे और अपने वस्त्रों को ठीक करते हुए, हम एक-दूसरे की बाँहों में चिपक कर बैठ गए।
जारी रहेगी
[*]मजे - लूट लो जितने मिले
[*]मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
[*]अंतरंग हमसफ़र
[*]पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
[*]गुरुजी के आश्रम में सावित्री
[*]मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया
[*]छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम-completed
[*]दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed