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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#55
आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07

औलाद की चाह


CHAPTER 6 - पांचवा दिन

तैयारी-

‘ परिधान'

Update 5




गोपाल टेलर – मैडम, डेज़ी मेगा आपके लिए सही रहेगी क्यूंकि आपके बहुत मांसल नितम्ब हैं. ये पैंटी ऐसी ही औरतों के लिए है जिनके आपके आपके ही जैसे बड़े बड़े गोल नितम्ब हो मतलब की बड़ी गाँड वाली.

उस बुड्ढे टेलर के मुंह से ऐसे शब्द सुनकर मेरी नज़रें झुक गयी और मेरे कान गरम हो गए. गोपालजी साइड से मेरी साड़ी से ढकी हुई गाँड देख रहे थे और मैंने देखा की वो छोटा लड़का दीपक भी मेरी गांड देख रहा था. मैंने बात बदलने की कोशिश की.

“गोपालजी आपने कुछ मिग के बारे में कहा था, ये क्या है ?”

गोपाल टेलर – मैडम, ये डायना कंपनी की पैंटी का नाम है. आपने डायना ब्रा पैंटी के बारे में सुना है ?

मैंने न में सर हिला दिया क्यूंकि मैंने कभी इस कंपनी का नाम नहीं सुना था.

गोपाल टेलर – मैडम, ये पैंटी मॉडर्न टाइप की है और उप्पेर क्लास की औरतें इसे पसंद करती हैं.

“लेकिन मिग का मतलब क्या है ?”

गोपाल टेलर – मैडम , मिग अंग्रेजी शब्द ‘मर्ज’ का छोटा रूप है, जिसका मतलब है बहुत कम. इसलिए इसमें बहुत कम कपडा होता है. इसमें पैंटी के पीछे बहुत पतला कपडा होता है और कट्स भी बहुत बड़े होते हैं. और आगे से इसमें नायलॉन नेट होता है जिससे ये आकर्षक लगती है.

गोपालजी मुस्कुराया. उसकी बात से मैं असहज महसूस कर रही थी , खासकर सामने से नायलॉन नेट वाली बात से. मैं समझ सकती थी कि जो औरत इस पैंटी को पहनेगी उसकी चूत साफ़ दिखती होगी क्यूंकि नायलॉन नेट से ढकेगा कम दीखेगा ज्यादा.

“ऐसी पैंटी कौन खरीदता है ?”

गोपाल टेलर – मैडम, आपको शायद मालूम नहीं लेकिन दुनिया कहाँ की कहाँ पहुँच गयी है. मेरे पास इस मिग पैंटी के बहुत आर्डर आते हैं और सेल्समेन ने मुझे बताया कि ज्यादातर नयी शादी वाली लड़कियां इसे खरीदती हैं लेकिन मिडिल एज्ड औरतें भी इसे पसंद करती हैं.

मुझे हैरानी हुई कि इस बुड्ढे टेलर के पास सारी जानकारी है. मै गहरी सांसे लेने लगी थी और मेरे कान और चेहरा गरम हो गए थे जैसे मुझे इस मिग पैंटी को पहनने के लिए कहा गया हो. लेकिन मुझे क्या पता था कि गुरूजी ने मेरे लिए इस मिग पैंटी से भी सेक्सी सरप्राइज रखा है.

गोपाल टेलर – ठीक है मैडम. आप डेज़ी नार्मल ब्रांड यूज करती हो. मेरे ख्याल से दो बातें हैं अगर ये ठीक हो जाएँ तो आपकी परेशानी खत्म हो जाएगी.

मैंने उत्साही नज़रों से उसकी तरफ देखा.

गोपाल टेलर – मैडम, पहली ये कि आपकी पैंटी के पिछले हिस्से को खींचना पड़ेगा और दूसरी ये की उसमें कट्स को थोड़ा टाइट करना पड़ेगा और अच्छी क्वालिटी के इलास्टिक बैंड्स लगाने पड़ेंगे. बस इतना ही.

“ओह्ह.. इतना सरल उपाय…”

मैंने राहत की सांस ली.

गोपाल टेलर – अनुभव है मैडम , अनुभव.

गोपालजी मुस्कुराया और मुझे भरोसा हो गया की मेरी पैंटी की परेशानी अब नहीं रहेगी.

गोपाल टेलर – मैडम, अभी मई यहाँ महायग्य परिधान के लिए आया हूँ. अगर बुरा न माने तो पैंटी को मै बाद में ठीक करूँगा .

“हाँ ठीक है.”

मुझे इस महायज्ञ परिधान के बारे में कुछ भी नहीं पता था और अभी भी मैं इसे लेकर थोड़ी चिंतित थी लेकिन मैंने अपने चेहरे से ये जाहिर नहीं होने दिया.

गोपाल टेलर – दीपू , कॉपी लाओ जिसमें डिजाइन बनाया है. मैडम, गुरुजी ने आपको बताया होगा लेकिन फिर भी एक बार डिजाइन देख लो उसके बाद मैं नाप लूँगा.

मैं डिजाइन देखने के लिए उत्सुक थी और दीपू के पास जाकर खड़ी हो गयी. दीपू के हाथ में कॉपी थी और गोपालजी उसकी बायीं तरफ खड़े हो गया. दीपू ने कॉपी खोली और उस पेज में चार डिजाइन थे, एक चोली , एक घाघरा जैसा कुछ था, एक ब्रा और एक पैंटी . सच कहूँ तो चोली घाघरा देखकर मेरी चिंता कम हुई क्यूंकी मुझे फिकर हो रही थी की महायज्ञ परिधान कितना बदन दिखाऊ होगा. गुरुजी के शब्द मुझे याद थे…..” रश्मि, मैं इस बात से सहमत हूँ की ‘महायज्ञ परिधान’ एक औरत के लिए पर्याप्त नहीं है पर मैं इस बारे में कुछ नहीं कर सकता”……

मैंने राहत की सांस ली और अब नाप देने के लिए मैं सहज महसूस कर रही थी.

गोपाल टेलर – मैडम, जैसा की आप देख रही हैं , महायज्ञ परिधान में अंतर्वस्त्रों के साथ कुल चार वस्त्र हैं. इसी डिजाइन के अनुसार मैं नाप लूँगा.

“ठीक है.”

उस कॉपी में ब्रा का डिजाइन मेरी ब्रा से बिल्कुल अलग लग रहा था. क्या है ये ? मैं सोचने लगी.

गोपाल टेलर – मैडम, अगर नाप लेते समय मैं इस लड़के को नाप का तरीका बताते जाऊँ तो आप बुरा तो नहीं मानेंगी ? आपको बोरिंग लगेगा लेकिन इस लड़के को सीखने में बहुत मदद मिलेगी.

“ना, ना मुझे कोई दिक्कत नहीं है.”

मैंने सोचा मेरे लिए तो ये अच्छा ही है क्यूंकी अगर मैं टेलर से पूछती की ये कैसी ब्रा का डिजाइन है तो औरत होने की वजह से मुझे शरम आती लेकिन अगर टेलर लड़के को समझाते हुए नाप लेगा तो मुझे भी बिना पूछे सब पता चलते रहेगा.

गोपाल टेलर – धन्यवाद मैडम. दीपू बेटा, अब ध्यान से देखो मैं कैसे मैडम की नाप लेता हूँ. अगर कोई शंका हो तो सवाल पूछ लेना.

दीपू – जी ठीक है. मैं मैडम को ध्यान से देखूँगा.

दीपू की इस बात से मुझे थोड़ा झटका लगा और मैंने गौर से उसके चेहरे की तरफ देखा. लग तो छोटा ही रहा है , मुझे ऐसा लगा की मासूमियत से ऐसा बोल दिया होगा. एक अच्छी बात जो मुझे उसमें लगी वो ये थी की बाकी मर्दों की तरह वो मेरे ख़ास अंगों को बिल्कुल भी नहीं घूर रहा था. इसलिए मैंने उसकी बात को नजरअंदाज कर दिया.

गोपाल टेलर – अच्छा दीपू अब यहाँ देखो. पहले दो डिजाइन मैडम के अंतर्वस्त्रों के हैं लेकिन ये साधारण ब्रा पैंटी नहीं हैं जैसी हम रोज सिलते हैं.

दीपू – जी मैंने ख्याल किया था. ब्रा में स्ट्रैप नहीं हैं और पीछे तीन हुक्स हैं.

गोपाल टेलर – हाँ, ये स्ट्रैपलेस ब्रा है और ब्रा के कप्स को सहारा देने के लिए इसमें तीन हुक्स लगेंगे.

ओह्ह …ये स्ट्रैपलेस ब्रा है. मैंने स्ट्रैपलेस ब्रा के बारे में सुना तो था पर पहले कभी पहनी नहीं. बल्कि मैंने किसी और को पहने हुए भी कभी नहीं देखा. महायज्ञ परिधान का डिजाइन देखकर अब मैं थोड़ी बेफ़िक्र हो गयी थी. क्यूंकी गुरुजी ने कहा था की पहले तो इस यज्ञ को निर्वस्त्र होकर ही करना होता था , उस हिसाब से मैं घबरा रही थी की बहुत कम या छोटे कपड़े होंगे.

गोपाल टेलर – तुमने ये भी देखा होगा की पैंटी में एक भाग में दोहरा आवरण है.

दीपू – जी मैंने ये भी ख्याल किया था.

गोपाल टेलर – असल में ये अलग डिजाइन के इसलिए हैं क्यूंकी ये ड्रेस महायज्ञ के लिए है. मैडम, मैं आपको बता दूं की मैं इस ड्रेस में कोई फेर बदल नहीं कर सकता क्यूंकी महायज्ञ परिधान गुरुजी के निर्देशानुसार बनाया गया है.

ऐसा कहते हुए गोपालजी ने पेज पलटे और कुछ लिखा हुआ दिखाया जो महायज्ञ परिधान के लिए आश्रम से मिले हुए निर्देश थे. मैं उसे पढ़ नहीं पाई क्यूंकी समझ में नहीं आ रहा था की लिखा क्या है.

“ठीक है. मैं भी गुरुजी के निर्देशों का प्रतिकार नहीं कर सकती. इसलिए जो भी उन्होंने आपसे सिलने को कहा है , मुझे वही पहनना पड़ेगा.

गोपालजी मुस्कुराया और उसने सहमति में सर हिलाया.

गोपाल टेलर – दीपू अभी हम अंतर्वस्त्रों को रहने देते हैं. चोली बिना बाहों की है इसलिए कपड़ा काटते समय बाहों का कपड़ा कम करके काटना. मैडम की छाती का साइज 34 है तो 34 साइज के ब्लाउज के अनुसार कपड़ा काटना.

दीपू – जी ठीक है.

दोनों मर्द मेरी चूचियों की तरफ देखने लगे जैसे की आँखों से ही मेरी 34” की चूचियों का साइज नाप रहे हों. उनकी निगाहों से बचने के लिए मुझे अपनी नजरें झुकानी पड़ी.

गोपाल टेलर – मैडम, जो कपड़ा इसमें लगेगा वो बहुत खास और महँगा है. गुरुजी क्वालिटी से कभी समझौता नहीं करते. ये खास मलमल के कपड़े की तरह है, एकदम सफेद और मुलायम. दीपू , एक बार मैडम को कपड़ा दिखाओ.

दीपू ने बैग से निकालकर मुझे एक सफेद कपड़ा दिया.

“हाँ ये तो वास्तव में बहुत मुलायम और हल्का कपड़ा है.”

गोपाल टेलर – मैडम , इसको पहनकर आपको बहुत अच्छा लगेगा, ये मेरी गारंटी है.

मैंने वो कपड़ा वापस दीपू को दे दिया और उसने बैग में रख दिया. अचानक मेरी नजर दीपू की हथेलियों पर पड़ी , मैं कन्फ्यूज हो गयी , चेहरे से तो बहुत मासूम लग रहा है पर हाथ तो बड़े लग रहे हैं.

गोपाल टेलर – मैडम, प्लीज यहाँ पर लाइट के पास आ जाइए.

मैं दो तीन कदम चलकर लाइट के पास खड़ी हो गयी. मैं सोचने लगी ये छोटा लड़का कितने साल का होगा. मैंने उससे बात करने की कोशिश की.

“दीपू, सिलाई के अलावा और क्या करते हो ?”

दीपू – मैं शाम को एक किताबों की दुकान में भी काम करता हूँ.

“अच्छा. तुम्हारे कितने भाई बहन हैं ?”

असल में बात ये थी की मुझे मालूम था की नाप देते समय टेलर के सामने थोड़ा एक्सपोज करना पड़ सकता था और मैं दीपू को छोटा लड़का समझकर नजरअंदाज कर सकती थी लेकिन अब मुझे उसकी उमर पर शक़ हो रहा था.

दीपू – मेरी दो बड़ी बहनें हैं और दोनों की शादी हो चुकी है.

“अच्छा तो तुम अकेले अपने मां बाप की देखभाल करते हो.”

दीपू – हाँ मैडम, लेकिन कुछ महीने बाद मेरी घरवाली भी उनकी देखभाल करेगी.”

ये सुनकर मैं हक्की बक्की रह गयी.

“क्या ? तुम्हारी घरवाली ?”

गोपाल टेलर – मैडम, गांव में जल्दी शादी हो जाती है.

“लेकिन इसकी उमर कितनी है ?”

गोपाल टेलर – ये 18 बरस का है.

हे भगवान , जिसे मैं मासूम लड़का समझ रही थी वो तो 18 बरस का है और अब इसकी शादी भी होने वाली है. गोपालजी ने मेरे चेहरे पर आश्चर्य के भावों को देखा.

गोपाल टेलर – मैडम , ये छोटा लगता है क्यूंकी अभी इसकी दाढ़ी मूँछ नहीं आई हैं.

टेलर ज़ोर से हंसा और दीपू भी शरमाते हुए मुस्कुराने लगा. लेकिन मुझे बिल्कुल हँसी नहीं आई और ये जानकर की दीपू बालिग है अब मुझे असहज महसूस हो रहा था. इसकी तो शादी भी होने वाली है, बुड्ढे टेलर के लिए भले ही वो छोटा लड़का हो पर मेरे लिए नहीं. समस्या ये थी की अब मैं गोपालजी से कह भी नहीं सकती थी की दीपू के सामने नाप देने में मुझे असहज महसूस हो रहा है इसलिए चुप ही रहना पड़ा.

गोपालजी टेप लेकर मेरे पास आया. मुझे ध्यान आया की पिछली बार मेरे ब्लाउज की नाप लेते समय इसके पास टेप नहीं था और ये मेरे लिए बहुत शर्मिंदगी वाली बात थी क्यूंकी गोपालजी ने अपनी अंगुलियों से मेरे सीने की नाप ली थी और ब्लाउज के बाहर से मेरी बड़ी चूचियों पर अपनी हथेली रख दी थी.

गोपाल टेलर – मैडम , मेरे हाथ में टेप देखकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा. मैंने आपको बताया था की नाप लेने के लिए मैं अपनी अंगुलियों पर भरोसा करता हूँ पर ये ख़ास ड्रेस है और मुझे गुरुजी के निर्देश मानने पड़ेंगे.

मैं मुस्कुरायी और टेप देखकर वास्तव में मुझे खुशी हुई.

गोपाल टेलर – मैडम आप अपना पल्लू हटा दें तो …

मुझे मालूम था ऐसा ही होगा लेकिन पहले मैं दीपू को छोटा समझ रही थी तो मुझे ज़्यादा संकोच नहीं था पर अब बात दूसरी थी. मैंने संकोच से पल्लू अपनी छाती से हटाया और बाएं हाथ में पकड़ लिया. दीपू की नजरें भी मुझ पर होंगी सोचकर मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था. पल्लू हटने से मेरी गोरी चूचियों का ऊपरी हिस्सा ब्लाउज के कट से दिखने लगा था. मैंने देखा दीपू की नजरें मेरी रसीली चूचियों पर ही हैं और जब हमारी नजरें मिली तो वो जल्दी से अपनी कॉपी देखने लगा.

गोपालजी टेप लेकर मेरे बहुत नजदीक़ खड़ा था और अब एक मर्द मेरे बदन को छुएगा सोचकर मेरी साँसें थोड़ी भारी हो गयी थीं. वैसे तो उस टेलर से मुझे ज़्यादा शरम नहीं थी क्यूंकी वो बुड्ढा भी था और उसने पहले भी मेरा बदन देखा था. लेकिन एक 18 बरस का जवान लड़का भी मेरी जवानी पर नजर गड़ाए है ये देखकर मेरी पैंटी में खुजली होने लगी थी.

जब मैं अपने लोकल टेलर के पास नाप देने जाती थी तब भी मैं थोड़ी असहज रहती थी क्यूंकी वो गोपालजी जैसा बुड्ढा नहीं था बल्कि 38- 40 का होगा. नाप लेते समय वो अपनी अंगुलियों से मेरे ब्लाउज के बाहर से चूचियों को छूता जरूर था. और ब्लाउज की फिटिंग देखने के बहाने चूचियों को दबा भी देता था. मुझे मालूम था की टेलर को तो नाप देनी ही पड़ेगी और वो सभी के साथ ऐसा ही करता होगा लेकिन फिर भी मैं असहज महसूस करती थी और हर बार नाप देने के बाद मेरी पैंटी गीली जरूर हो जाती थी.

गोपाल टेलर – मैडम , ये चोली बिना बाहों की है इसलिए बाँहों की नाप नहीं लेनी पड़ेगी.

“शुक्र है.”

हम दोनों मुस्कुराए और फिर मैं शरमा गयी क्यूंकी टेलर ने एक नजर मेरी बिना पल्लू की गोल चूचियों पर डाली , जो की मेरे सांस लेने के साथ ऊपर नीचे उठ रही थीं. गोपालजी ने मेरी गर्दन का नाप लिया और दीपू से कुछ नोट करने को कहा. मेरी गर्दन पर गोपालजी की ठंडी अंगुलियों के स्पर्श से मेरे बदन में कंपकपी सी हुई.

गोपाल टेलर – चोली स्ट्रैप ½ इंच.

कंधों पर स्ट्रैप की चौड़ाई सुनकर मुझे टोकना पड़ा.

“गोपालजी , कंधों पर ½ इंच तो कुछ भी नहीं है , बाँहें भी खुली हैं.”

गोपाल टेलर – लेकिन मैडम, आपको चौड़ी पट्टी क्यूँ चाहिए ? आपकी ब्रा भी तो स्ट्रैपलेस है.

मैं भूल गयी थी की इस चोली के अंदर स्ट्रैपलेस ब्रा है. इसलिए गोपालजी की बात में दम था.

“लेकिन गोपालजी इतने पतले स्ट्रैप से तो मेरे कंधे पूरे नंगे दिखेंगे.”

गोपाल टेलर – मैडम, अब डिजाइन ही ऐसा है तो….

“प्लीज गोपालजी. ये तो बहुत खुला खुला दिखेगा.”

गोपाल टेलर – नहीं मैडम, ज़्यादा खुला नहीं दिखेगा. आपके कंधे खुले रहेंगे लेकिन आपकी छाती ढकी रहेगी.

कहानी जारी रहेगी


NOTE welcome




1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब  अलग  होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर  कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा  कही पर भी संभव है  .



2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा  जी  स्वामी, पंडित,  पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन   खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.



3.  इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने  अन्यत्र नहीं पढ़ी है  .



जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी। बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था। अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।




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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 02-07-2022, 08:00 AM



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