Thread Rating:
  • 8 Vote(s) - 2 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Romance मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
#44
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ


भाग 41

नहाते हुए चुदाई




[Image: gif2.gif]



अर्शी ने मेरे पूरे बाए शरीर को अपने हाथों से धोया, मेरे हर हिस्से को साफ करने, दुलारने और छेड़ने के लिए उनका इस्तेमाल किया, सभी बाहरी, या वास्तव में लगभग आंतरिक, जहां वह पहुंच सकती थी। उसने मेरी त्वचा को रगड़ना जारी रखा । उसने मुझे कभी-कभी अपनी तरफ घुमाया, दूसरी बार मेरे पेट पर, फिर मेरी पीठ पर, मेरे कानों के पीछे से मेरे पैर की उंगलियों के बीच और बीच में सभी जगहों तक पहुंचने के लिए अपने हाथो का इस्तेमाल किया ।

अर्शी ने अपने एक हाथ मे साबुन लिया और एक कातिल मुस्कान के साथ मेरी छाती पर साबुन मलने लगी. जब वो साबुन घिसती तो साथ साथ उनकी चुचियाँ भी किसी घड़ी के पेंडुलम की तरह इधर से उधर डॅन्स करने लगती. ना तो वो कुछ कह रही थी ना में कुछ कह पा रहा था.

मेरी छाती पर अच्छी तरह साबुन लगाने के बाद मेरे हाथ मे साबुन देते हुए बोली, " ज़रा मेरी पीठ पर साबून लगा दो." अर्शी मेरी तरफ पीठ कर के खड़ी हो गयी. उसके दूधिया चूतड़ एक दम चिपक कर जान लेवा नज़ारा पेश कर रहे थे. में साबुन उसकी की पीठ पर घिसने लगा.

कहानी जारी रहेगी

"म्‍म्म्मम" अर्शी सिसकने लगी और कहने लगी, " थोड़ा साबून नीचे भी घसो ना."

में अपने हाथ नीचे कर साबून उसकी जाँघो पर मसल्ने लगा. जाँघो से जैसे ही मेने अपना हाथ उनकी जाँघो के बीच मे डालना चाहा उसने मुझे रोक दिया.

पहले ... मेरी चुचियों को दबाओ और धीरे से मसलो."

कहकर अर्शी ने मेरा हाथ अपनी चुचियो पर रख दिया.

पहले तो मेने हल्की से चुचि को सहलाया और फिर हौले हौले दबाने लगा. मामी के मुँह से हल्की सी सिसकी निकल पड़ी...

"आह आह"

उत्तेजना के वजह से उसके स्तन और कड़े हो गएl मैंने अर्शी को अपनी छाती के साथ चिपका लिया तो उसके गोल सुडोल स्तन और निप्पल मेरे छाती में गड गएl बता नहीं सकता मुझे क्या मजा आया l फिर मैंने उसको सीने से लगा कर रखते हुए उसके ओंठो को दुबारा चूमना शुरू कर दिया l फिर मेरा हाथ फिसल कर सीधा उसकी गांड तक पहुँच गयाl

मेरे पीछे और दोनों साइड से मेरी बाकी तीनो बहनो ने मुझे दुबारा अपनी बाहों में भर लिया।

अब मेरे के हाथ अपनी कजिन बहन अर्शी की गुदाज गान्ड की पहाड़ियों पर घूम रहे थे और ज़ीनत मेरी पीठ से चिपकी हुई थी और दायी और रुखसार और बायीं और जूनि चिपकी हुई थी और उनके हाथ मेरी नितम्बो पर और अर्शी और ज़ीनत आप के नितम्बो पर फिर रहे थे और ज़ीनत आपण के हाथ जूनि और रुखसार के नितम्बो पर थे । हम सब एक दूसरे के जिस्मो पर साबुन लगाने लगे।

जिस्मो पर साबुन लगाने के अमल के दौरान भी हमारे हाथ सबके जिस्म के सारे नाज़ुक हिस्सो पर पूरी आज़ादी के साथ घूमते रहे।

मैंने अर्शी को अपने साथ सामने से चिपका लिया और मेरा लंड अर्शी की गरम चूत के मुँह पर ठोकरे मार मार कर अंदर जाने की इजाज़त माँग रहा था।

दूसरी तरफ आज ना जाने क्यों मेरे लंड को कई बार चूस कर भी चारो का दिल अपने भाई के लंड से नही भर रहा था। उसने पानी दाल कर मुझे धोया और फिर सबसे पहले अर्शी अपने मुँह को मेरे मुँह से अलहदा करते हुए बाथरूम में खड़े हुए मेरे यानी अपने शौहर के कदमों में बैठ गई।

अर्शी ने नीचे बैठ कर मेरे लंड की मोटी टोपी को मुँह में ले कर मेरे लंड को फिर से सक करना शुरू कर दिया। और ऊपर रुखसार ने पहले मुझे बहुत देर तक कस किया ऑफर अपना चूचा मेरे मुँह में दाल दिया

मेरा लंड अर्शी की चुसाइ की वजह से बिल्कुल किसी लोहे की रोड की तरह सख़्त हो गया था।

अपने लंड को अर्शी मुँह में फिर से जाते हुए पा कर मैंने मज़े से पागल होते हुए नीचे से झटका मारा। तो मेरा मोटा और बड़ा लंड उ अर्शी के हलक तक आ गया।

मेरा मोटा लम्बा और इतना बड़ा लंड अपने हलक में लेते ही अर्शी की तो साँस भी उस के गले में ही अटक गई।

मैं समझ गया कि अर्शी मेरा पूरा लंड अपने मुँह में नही ले पाएगी।

इसीलिए उस ने अपने लंड को थोड़ा बाहर निकाला और आहिस्ता आहिस्ता ऐसे नीचे होने लगा जैसे मैं अर्शी के मुँह को चोद रहा हूँ ।

फिर मैं सोचने लगा कि इस से पहले कि मैं जोश में आ कर शाज़िया के मुँह में फारिग हो जाउन । मुझे अब अपना लंड अपनी बेगमो की चूत में डाल देना चाहिए।

उधर दूसरी तरफ थोड़ी देर अपने शौहर के लंड को सक करने के बाद अब अर्शी का दिल भी चाह रहा था। कि वो भी जल्दी से मेरा लंड को अपनी चूत में डलवा ले।

वो अभी ये सोच ही रही थी की जूनि ने बाथरूम का शोवर् खोल दिया। और पांचो बहन भाई बाथरूम के शवर के साथ एक दूसरे के नंगे जिस्मो को भिगोने लगे।

सब बहन भाई बारी बारी एक दूसरे के जिस्मो पर साबुन को धोने लगे । और जिस्मो पर धोने के अमल के दौरान भी हमारे पांचो के हाथ एक दूसरे के जिस्म के सारे नाज़ुक हिस्सो पर पूरी आज़ादी के साथ घूमते रहे।

हम पांचो बाथरूम के खुले शवर के नीचे खड़े हो कर एक दूसरे के बदन को पानी से अच्छी तरह भिगोते रहे।

हमने इससे पहले कभी भी इस तरह की बाथरूम में मस्ती नही की थी।

इसीलिए आज चारो बहनो को अपने शौहर के साथ बाथरूम में ये खेल खेलने में उसे बहुत ही ज़्यादा मज़ा आ रहा था।

मगर हम पांचो अब अपनी उम्र के उस हिस्से में थे, जिधर सिर्फ़ हाथ और मुँह की छेड़ छाड़ से जवानी के जज़्बात ठंडे नही होते । इसीलिए अर्शी अब अपने आप को मेरी बाहों से अलग करते हुए पलट गई।

अर्शी में मुड़ कर अपना मुँह बाथरूम की दीवार की तरफ करते हुए अपना एक पैर बाथरूम में बनी हुई एक छोटी सी स्टेप पर रख दिया।

अर्शी के इस तरह करने से वो आगे से थोड़ी सी झुकी। तो पीछे उस की गान्ड ऊपर की तरफ उठी जिस से अर्शी की चूत का मुँह भी पीछे से खुल गया।

अर्शी की चूत के मुँह को अपने लंड के लिए खुलता देख कर मैं अपने लंड को हाथ से मसलता हुआ अर्शी के पीछे आया।

मैंने अर्शी की टाँगों को पीछे से मज़ीद चौड़ा किया। और अर्शी की गान्ड को अपने हाथों से पकड़ कर अपने घुटनो को थोड़ा सा नीचे मोडते हुए अपने जिस्म को एक दम ऊपर की तरफ किया।

"उउईइ!, आपा ! उई! अम्मिईिइ!" अर्शी के मुँह से एक चीख निकली। और मेरा मोटा ताज़ा लम्बा लंड फन फनाता हुआ पीछे से अर्शी बेगम की चूत में घुसता चला गया।

"उफफ! तुम वाकई ही बहूत टाइट हो, श्री " मैं अर्शी की चूत में लंड डालते हुए सिसकार उठा।

साथ ही साथ मैंने अपनी बेगम अर्शी के बड़े बड़े मम्मो को पीछे से अपने हाथ में पकड़ते हुए अर्शी या के निपल को मसल्ने लगा। तभी रुखसार आगे हुए और उसने अपने मम्मी मेरे मुँह में डाल दिए . जूना मेरे निप्पल चूसने लगी और ज़ीनत आपा अपने हाथ मेरी गेंदों पर ले गयी और मेरी पीठ और नितम्बो पर हाथ फेरने लगी ।

मैंने अर्शी की चूत में अब अपना पूरा लंड डाल कर अपनी अर्शी को बेदर्दी से चोदना शुरू कर दिया।

अर्शी को चोदते चोदते मैंने अर्शी की एक टाँग को अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर की तरफ उठाया।

जिस की वजह से मेरा लंड पीछे से बहुत ही आसानी के साथ पूरे का पूरा अर्शी की फुद्दि में घुसने लगा।

चुदाई का ये अंदाज़ मेरी चारो बीबियो के लिए बिल्कुल नया और मज़ेदार था।

इस मज़ेदार और ज़ोर दार चुदाई की वजह से अर्शी और भी मस्त हो गई।

उस ने अपने जिस्म को पीछे की तरह हल्का सा मोड़ कर अपना एक बाज़ू मेरी गर्दन के गिर्द डाल लिया। और मेरे मुँह से अपना मुँह लगा कर मेरे होंठो और ज़ुबान को चूसने लगी। वो साथ साथ मेरे मुँह के सामने रुखसार के बूब्स और निप्पल को भी चूसने लगी ।

अब मैं पूरी रफ़्तार से अर्शी की चूत में धक्के मारने लगा था। जब कि ज़ीनत अपने हाथ से अर्शी की चूत के दाने को रगड़ रगड़ कर चुदाई के मज़े कई गुना महसूस कर रही थी। और ीुसी कारण से वो उत्तेजना के चरम पर पहुंची और उसका बदन काम्पा और फिर अकड़ा और वो फारिग हुईऔर मेरे लंड को अपने रस से भिगो दिया ।


कहानी जारी रहेगी

My Stories Running on this Forum



  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम
  7. मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
[+] 1 user Likes aamirhydkhan1's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ - by aamirhydkhan1 - 24-06-2022, 08:58 AM



Users browsing this thread: 3 Guest(s)