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Adultery मजे - लूट लो जितने मिले
#74
मजे - लूट लो जितने मिले

छठा अध्याय -खड़े लंड की दास्ताँ.

भाग-17


हसीना ऐनी 





जब ऐनी के हाथ मेरे हथियार तक पहुंचे तो उसको अंदाजा हो गया के मेरा हथियार कैसा है और उसने उसे भींच कर अपना इरादा जाहिर कर दियाl

मैंने भी ऐनी के बदन को अपनी छाती से दबा कर उसके नितम्बो पर हाथ फिराते हुए उसकी गांड को दबा कर अपनी सहमति दे दीl

मैं भी बहुत खुश था क्योंकि अब मेरा अपनी बाकी मौसेरी और ममेरी बहनो और प्रेमिकाओ को अपनाने का मार्ग साफ़ हो गया था l अब मैं जितनी चाहो उतनी बेगमे रख सकता था और इसी ख़ुशी में मैंने ऐनी को भी अपना बनने का झट से फैसला कर लिया l

दरअसल जब ऐनी अपनी कजिन ब्रेडी के साथ थी तो मेरे बारे और मेरे परिवार के बारे में ऐनी सब कुछ बता दिया। मेरे बारे में जान और मिल कर एनी भी मुझे चाहने लगी थी। ये पहली नज़र का प्यार था l

और फिर जब एनी ने ब्रेडी को-अपना इरादा बताया कि वह मुझ से प्यार करने लगी है। तो ब्रेडी ने एनी से कहा "अगर प्यार करती है तो पहले तुम दोनों को एक हो जाना चाहिए। मेरा मतलब दो जिस्म एक जान जैसे। उसके लिए तुम्हे सबसे पहले आमिर को अपनाना होगा। उसे अपने दिल में उतारना होगा और साथ ही साथ उसके दिल में भी उतरना होगा।"

ऐनी: और ये सब में कैसे करूँ?

ब्रेडी: बहुत सिम्पल है यार मैं तुम दोनों को अकेला छोड़ने का प्रबंध कर देता हूँl जब तुम दोनों आगरा जाओ, कमरे के अंदर एक ही बेड होगा, तोड़ दो रात भर में। ही-ही ही ही।

अच्छा मज़ाक अलग है लेकिन ये सच है सेक्स कोई प्यार नहीं है ऐनी लेकिन ये प्यार जाहिर करने का तरीक़ा है। तुम आज

आमिर को सब सौंप दो और आमिर को अपना लो।

खेर जो होगा सो होगा लेकिन फिलहाल तो दोनों एक दूसरे की बाहों में गुम हुए खड़े थे।

तभी मैंने ऐनी की नाज़ुक कमर पर हाथ रख कर ऐनी के चेहरे पर झुका और एक स्मूच किस किया ये एक ऐसा चुम्मा था जिसके अंदर दोनों गुम थे। सारी दुनिया से दूर किसी हसीन जगह पर।

मैं अब बहुत गर्म हो चुका था। वहीं ऐनी ख़ुद भी अपनी गर्मी से पिघल रही थी। दोनों की हवस और प्यास पराकाष्ठा की चोटी पर पहुँच चुकी थी। जिसके आगे कुछ नहीं था। सिवा हसीन नज़ारों के।

ऐनी और मैं एक दूसरे के कपड़े उतारने लगे। मेरे कपड़े उतारते हुए ऐनी जितना शर्मा रही थी। उस से ज़्यादा जब उसका एक मात्र शर्ट मैने उतारा तो ऐनी शर्म से ग़ुलाब हो गयी।

मैं ऐनी के बदन को हल्की रोशनी में देखता ही रह गया। उस हल्की रोशनी में ऐनी का दूध-सा और चांदनी जैसा चमकीला बदन लम्बी सुनहरी जुल्फे। गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ और उनपर शर्म की चादर से उमड़ी मुस्कान। आंखों में गहरा काजल और हया की चादर। माउंट एवरेस्ट जैसी सुडौल चुंचिया और उन चुंचियों पर जैसे एक छोटी-सी चेरी रखी हो जैसे निप्पल। मेरी नज़र जैसे नीचे आती है तो जैसे अजंता की गुफाओं की खूबसूरत नाभि। और पहाड़ों जैसा प्राकृतिक कमर के कटाव। और कॉक बोटल की तरह बाहर को उभरे ऐनी के नितम्ब उफ्फ।

ऐसा प्रतीत हो रहा था जैसे जन्नत से साक्षात कोई हूर आयी हो।

ऐनी एक अत्यधिक सुंदर युवा किशोर वय की कन्या जिसका रंग सफेद है उसके उरोज उन्नत, गोल और बडे हैं जो झुके हुए नहीं हैं। उसके आने से सारा कमरा सुगंधित और प्रकाशित हो गया था और एनी का मुख दर्पण से भी अधिाक चमकदार था।

मैं एक टक ऐनी के बदन को निहार रहा था। जो हाल इस वक़्त मेरा था वही हाल ऐनी का था। मेरा चेहरा। ऐनी की खूबसुरती में डूबा जहन। छाती और बदन पर हल्के बाल जो और हल्की मसल जो मेरे पुरुषार्थ को दर्शा रही थी।

मैंने हल्के से आगे बढ़ कर ऐनी की कमर में अपना हाथ डाल और उसे अपनी और खींचा । मेरे हल्के से खींचने पर ऐनी मेरी बाहों में समा गयी ऐसा होते ही दोनों के शरीर में बिजली कौंध गयी ऐनी की वह खूबसूरत घाटियों का लिबास लिए चुंचियाँ सीधे मेरे सीने में धंस गयी। पहली बार में ही हम इतने आगे बढ़ गए थे।

मैंने हल्का-सा ऐनी का चेहरा ऊपर को उठा कर ऐनी के होंठों को चूमा।

मैं और ऐनी दोनों ही इस वक़्त एक अलग ही दुनिया में थे।

मैं ऐनी को किस करते-करते बेड पर ले गया और बड़े ही शालीन तरीके से ऐनी को बिस्तर पर लिटा दिया। ऐनी को बिस्तर पर लिटाने के बाद भी ऐनी की सुडौल चुंचियाँ एक दम ऊपर की और उठी हुई थी। मैं अपने एक मात्र अंडरवियर को भी उतार कर ऐनी के शरीर पर चढ़ गया। इस वक़्त ऐनी और मुझे, हम दोनों को सिवा एक दूसरे के सारी दुनिया की कोई परवाह नहीं थी। दोनों अपने ख़ुद को भूल कर एक दूसरे में गुम होने को तैयार थे।

ऐनी ने भी मेरे लंड को पकड़ कर उसकी लम्बाई और मोटाई का अंदाजा लगाया और खुश होकर मुझे ज़ोर से किश कर दिया l जब मैंने उसे प्रश्नसूचक निगाहो से देखा तो उसने शर्मा कर आँखे झुका कर मेरे लंड को देखा तो मैंने उसके ओंठो को चुम्बन कर दिया ।

आज पहली बार ऐनी अपना सर्वस्व मुझ पर लूटा रही थी। मुझ पर भी एक तरफ़ जहाँ ऐनी के बदन को देख कर हवस सवार होनी चाहिए थीl वह भी एक अजीब-सी कस्मोकश में थी। ना तो मेरे मन में हवस की कोई जगह थी ना ही ऐनी दूसरी लड़कियों की तरह थी। आज का ये मिलन मेरे लिए दुनिया का सबसे हसीन सुख था।

मैं बड़े ही महोब्बत भरे अंदाज़ में ऐनी पर झुकता चला जाता है और ऐनी के नाज़ुक से गुलाब जैसे होंटों को अपने होंटों में भर लिया।

मैं ऐनी के होंटों को इस क़दर चूम रहा था जैसे वह कोई साधारण होंठ नहीं बल्कि अमृत का कोई झरना हो।

और ऐनी मैं की इसी चुम्बन से मैं की महोब्बत की प्रगाढ़ता को महसूस कर सकती थी। ऐनी भी अपनी आंखें मूंदे हुए मेरे चुम्बन का जवाब देने की कोशिश कर रही थी लेकिन मेरे पौरुष के सामने उसकी कोशिश महज़ कुछ भी नहीं के सिवा और क्या हो सकती थी।

सबसे पहले मैंने उसके चुंबन लेने प्रारंभ किए। मैं उसकी जीभ और उपर नीचे के होठों को चूसने लगा। मैं उसके होठों को पूरी तरह से जकड़ उसका पूरा साँस अपने फेफड़ो में ले लेता जिससे वह बिना साँस के व्याकुल हो छटपटाने लगती और जब मैं उसे छोड़ता तो ज़ोर-ज़ोर से साँस भरने लगती। यह क्रिया काफ़ी देर तक चली।

कुछ ही क्षणों में मैं और ऐनी दोनों के नंगे बदन हल्के नीले चंद्रमा की चांदनी से चमक उठे। मेरे हाथ उस हल्की चांदनी में ऐनी के दूध से बदन पर रेंग रहे थे। मेरे हाथ कभी ऐनी के कंधे तो कभी गाल सहला रहे थे। कभी ऐनी की गर्दन तो कभी सुडौल उरोज। ऐनी के बदन का हर एक रोंया खड़ा हो रहा था।

करीब 10-15 मिनट तक मैं ऐनी के शरीर को सहलाता रहा। उसके बाद होले-होले मैं अपने होंटों की मुहर ऐनी के ललाट से लेकर उसके पूरे चेहरे पर छाप दी और उसी मुहर को राह ऐनी के पूरे शरीर पर लगाने के लिए ऐनी की ठुड्डी से नीचे की और बढ़ने लगा। मेरे मुँह से निकलने वाली गर्म हवा और इश्क़ के इस नए अंदाज़ ने ऐनी के पूरे शरीर में झुरझुरी दौड़ा दी।

अचानक मेरे होंठ ऐनी के नरम नाज़ुक और सुडौल उरोजों पर जा ठहरे। मेरे होंटों का ऐनी की चुंचियों पर स्पर्श ही ऐनी की सिसकियों की वज़ह बन गया था। मैं ने ऐनी के शरीर की इस गर्मी को भांप कर हल्की मुस्कुराहट से ऐनी की बायीं चुंची को अपने मुंह में भर लिया और दायीं चुंची को अपनी दाएँ हाथ की हथेली के पकड़ में क़ैद कर लिया।

फिर मैं उसके स्तनों पर आ गया। पहले उसने धीरे-धीरे स्तन मर्दन करना प्रारंभ किया। फिर चूचुक पर धीरे-धीरे जीभ फेरनी शुरू की। इस'से एनी की काम ज्वाला भड़क के सातवें आस' मान पर जा पाहूंची।

ऐनी मैं की इस हरकत से बहुत बैचैन हो चुकी थी। मेरे मुँह में ऐनी की चुंची जाते ही ऐनी की पीठ हवा में उठ गई। एक और जहाँ ऐनी का शरीर थर-थर कांप रहा था वहीं दूसरी और भट्टी की तरह गर्म हो कर तप रहा था।

धीरे धीरे मैं ऐनी की चुंचियों को अपने आतंक से मुक्त करते हुए आगे बढ़ा और अपने होंटों को ऐनी की गहरी नाभी की और ले गया। वह चांदनी रात थी। हल्की चांदनी में ऐनी की गहरी नाभी किसी झील से कम ना थी। ऐनी की नाभि से जब मैंने नज़र उठा कर ऐनी के चेहरे की तरफ़ देखा तो ऐनी के शरीर के कटावों से होकर मेरी नज़र ऐनी के कांपते होंठो पर पड़ी।

कहानी जारी रहेगी l

आपका आमिर खान हैदराबाद


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RE: मजे - लूट लो जितने मिले - by aamirhydkhan1 - 12-06-2022, 05:13 AM



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