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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#46
गुरुजी के आश्रम में सावित्री

औलाद की चाह

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

Update-9


दोष निवारण



काजल – गुरुजी , जब हम उस जोड़े के बगल में बेंच में बैठे तो वो दोनों एक दूसरे के बहुत नज़दीक़ बैठे थे और जल्दी ही उन्होंने एक दूसरे के होठों को छूना शुरू कर दिया. फिर उस आदमी ने उस औरत को अपने आलिंगन में लेकर बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया. गुरुजी वो हमसे सिर्फ़ एक फुट की दूरी पर थे और खुलेआम ऐसा कर रहे थे. वो औरत लगभग रश्मि आंटी की उमर की होगी और तब तक उसके कपड़े इतने अस्त व्यस्त हालत में आ गये थे की मुझे अपने बॉयफ्रेंड को उसकी तरफ देखने से रोकना पड़ा.

गुरुजी – मुझे सब कुछ बताओ बेटी. उसी दिन से तुम्हारी अपने बॉयफ्रेंड से नज़दीक़ियाँ बढ़ गयीं. ठीक ?

काजल – हाँ गुरुजी. ज़रा सोचिए खुलेआम वो दोनों एक दूसरे को चूम रहे थे और उस औरत की साड़ी का पल्लू ज़मीन में गिरा हुआ था और उसके खुले हुए ब्लाउज और ब्रा में से एक चूची बाहर निकली हुई थी.

“खुले पार्क में ?”

वो सवाल पूछने से मैं अपनेआप को रोक नहीं पाई.

गुरुजी – रश्मि, तुम उस जगह को नहीं जानती. वहाँ कोई सिक्योरिटी गार्ड वगैरह नहीं रहते इसलिए कोई डिस्टर्बेंस नहीं होता. बेटी, फिर क्या हुआ ?

काजल – गुरुजी, अपने इतने नज़दीक़ ऐसा सीन देखकर हम दोनों भी एक्साइटेड हो गये. और फिर जब उसने मुझे आलिंगन में लिया तो मैं उसे रोक नहीं पाई. वो पहला दिन था, मेरा मतलब उस दिन पहली बार उसने मेरा चुंबन लिया.

गुरुजी – फिर ?

काजल – हम दोनों अपनी मुलाक़ातों को लेकर बहुत उत्सुक रहते थे और अपनी पढ़ाई से मेरा ध्यान भटकने लगा. हम पार्क में मिलते थे, बातें करते थे और मज़े में समय गुजारते थे. मुझे लगने लगा था की उसकी इच्छायें बढ़ते जा रही हैं और पार्क में सुनसानी होने से कोई रोक टोक नहीं थी उसके बाद तीसरी या चौथी मुलाकात में उसने चुंबन लेने के बाद मेरे पूरे बदन को छुआ और मेरी ड्रेस के अंदर भी. गुरुजी, मेरा विश्वास कीजिए, हर दिन मैं मन में सोचती थी की जब मैं उससे मिलूंगी तो अपने बदन को छूने नहीं दूँगी , लेकिन…..

गुरुजी – हम्म्म ….बेटी, लिंगा महाराज जानना चाहते हैं की तुम कितनी दूर तक गयी ? क्या तुम उसके साथ बेड तक …

काजल – नहीं नहीं गुरुजी. कभी नहीं.

कमरे में एकदम सन्नाटा छा गया. गुरुजी अभी भी एक पैर पे सर के ऊपर हाथ जोड़े खड़े थे. लेकिन उनके कच्छे में उभार थोड़ा बढ़ गया था और बड़ा अजीब लग रहा था. ऐसा लग रहा था जैसी किसी पोल को कपड़े से ढक रखा हो.

काजल – गुरुजी मेरा विश्वास कीजिए, हम ज़्यादातर सिर्फ़ बातें ही करते थे. लेकिन अक्सर आस पास में कोई ना कोई जोड़ा ऐसी हरकतें कर रहा होता था और हम भी उनसे प्रभावित हो जाते थे. मेरे बॉयफ्रेंड ने मुझे टॉप के ऊपर से छुआ है लेकिन सीधे नहीं , मेरा मतलब…

काजल थोड़ा रुकी और तभी गुरुजी ने एक बेहूदा सवाल पूछ लिया.

गुरुजी – तुमने अपने बॉयफ्रेंड का छुआ है ?

ऐसा कहते हुए उन्होंने अपनी आँखों से अपने लंड की तरफ इशारा किया. काजल एकदम बहुत शरमा गयी. मेरे भी ब्लाउज और ब्रा के अंदर निप्पल कड़क हो गये और चूत में सनसनी सी हुई.

गुरुजी – क्या हुआ बेटी ? तुमने बताया की तुम्हारे बॉयफ्रेंड ने तुम्हारी चूचियों को छुआ है पर क्या तुमने उसका नहीं छुआ ?

काजल ने ना में सर हिला दिया.

गुरुजी – सच बताओ. अभी तुम लिंगा महाराज के सामने हो .

काजल कुछ देर चुप रही और नीचे फर्श को देखती रही. फिर उसने सब कुछ बता दिया.

काजल – गुरुजी , आप सब कुछ जानते हैं. हाँ उसने मुझे इनरवियर के अंदर छुआ था और मैंने भी उसका छुआ था. पार्क में तो सिर्फ़ चुंबन और आलिंगन होता था , वैसे कभी कभी वो मेरे टॉप में भी हाथ डाल देता था पर मैं हमेशा मना ही करती थी. लेकिन जब हम वाटरवर्ल्ड जाने लगे तो नज़दीक़ आ गये. वहाँ पूल में जब वो मेरे नज़दीक़ आता था तो मैं उसे रोक नहीं पाती थी. पानी के अंदर वो मेरे स्विमिंग सूट के ऊपर से मुझे हर जगह छूता था और मैंने भी उसके अंडरवियर के ऊपर से उसका छुआ है.

काजल ने थोड़ा रुककर एक गहरी सांस ली.

काजल – स्वाभाविक रूप से उसका मेरे बदन को छूना मुझे अच्छा लगता था लेकिन एक दिन कुछ ज़्यादा ही हो गया और मैंने तुरंत उसको मना कर दिया और उसने भी अपनी हरकत के लिए माफी माँगी. वाटरपार्क में लड़कों और लड़कियों के कपड़े बदलने के लिए चेंजिंग रूम अगल बगल थे. वो रूम्स छोटे छोटे थे. उस दिन हल्की बारिश थी और लोग भी बहुत कम थे. चेंजिंग रूम में कोई नहीं था . मैं वहाँ अपने कपड़े बदल रही थी तभी उसने दरवाज़ा खटखटाया और आवाज़ दी.

काजल ने अपने बॉयफ्रेंड का नाम नहीं लिया.

काजल – मैंने थोड़ा सा दरवाज़ा खोला और बाहर झाँका, वो मुझे धकेलते हुए अंदर घुस आया. मैं जैसे अभी हूँ वैसे ही सिर्फ़ अंडरगार्मेंट्स में थी. मैं अंडरगार्मेंट्स के ऊपर स्विमिंग सूट पहनने ही वाली थी की वो अंदर आ गया था. उसने अपने कपड़े बदलकर स्विमिंग ब्रीफ पहन लिया था. अंदर आते ही उसने मुझे आलिंगन में लिया और चूमना शुरू कर दिया. गुरुजी मैंने उससे बचने की कोशिश की पर मैं करीब करीब…..मेरा मतलब …नंगी थी, उसके मुझे छूने से मैं कमज़ोर पड़ती चली गयी ….

काजल ने सर झुका लिया और कुछ पलों तक चुप रही.

काजल – गुरुजी , उस दिन पहली बार उसने मुझे अंडरगार्मेंट्स के अंदर छुआ. आप मेरी हालत समझ सकते हैं. मुझे डर भी लग रहा था. फिर मैंने उसे चेंजिंग रूम से बाहर निकाल दिया.

गुरुजी – उसने कुछ और करने की कोशिश नहीं की ?

काजल – उसने मेरी ब्रा उतारने की कोशिश की लेकिन मेरे विरोध करने से वो थोड़ा सा ही नीचे कर पाया.

गुरुजी – और इसको ?

गुरुजी ने अपनी आँखों से काजल की पैंटी की तरफ इशारा किया. कितनी अपमानजनक बात थी. लेकिन वो लड़की कर ही क्या सकती थी.

काजल – हाँ गुरुजी….मेरा मतलब….उसने इसे नीचे कर दिया था लेकिन उसके कुछ करने से पहले ही मैं तुरंत संभल गयी.

गुरुजी – हम्म्म ….तो उसने तुम्हारी चूत देख ली. तुमने उसका लंड देखा ?

गुरुजी के मुँह से सीधे ऐसे शब्द सुनकर मैं हक्की बक्की रह गयी. काजल भी ऐसे शब्दों का जवाब देने के लिए तैयार नहीं थी. उसके लिए बड़ी अजीब स्थिति थी. बल्कि ऐसा सवाल सुनकर मैं भी असहज महसूस कर रही थी. कुछ देर बाद काजल ने सर झुकाए हुए जवाब दिया.

काजल – नहीं गुरुजी.

गुरुजी – लेकिन ऐसी सिचुयेशन में तुमने अपने हाथ से छुआ तो होगा.

काजल – उसने ज़बरदस्ती मुझे छूने पर मजबूर किया.

गुरुजी – ठीक है. ये जानकर अच्छा लगा की तुमने अपना कुँवारापन बचा लिया. लेकिन इससे ये तो पूरी तरह से साबित हो गया की तुम्हारा ध्यान अपनी पढ़ाई से क्यूँ भटका. लेकिन ध्यान रखो की शादी से पहले शारीरिक संबंध रखना हमारे समाज में स्वीकार्य नहीं है. बल्कि किसी लड़के का तुम्हें चूमना या तुम्हारे बदन को छूना भी हमारी संस्कृति के अनुसार ठीक नहीं है. है की नहीं ?
काजल – जी गुरुजी.

गुरुजी – इसलिए बेहतर होगा की तुम अपने बॉयफ्रेंड से दूरी बना के रखो. लेकिन अगर तुम उसे वास्तव में चाहती हो तो संबंध बिगाड़ना मत. तुमने लिंगा महाराज के सामने सच स्वीकार किया है , तो अब तुमने

‘दोष निवारण’ की आधी प्रक्रिया पूरी कर ली है.

काजल ने सर हिलाया और काफ़ी देर बाद उसके चेहरे पर मुस्कान आई, ऐसा लग रहा था जैसे उसे बड़ी राहत हुई हो.

 

कहानी जारी रहेगी



NOTE welcome



1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब  अलग  होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर  कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा  कही पर भी संभव है  .



2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा  जी  स्वामी, पंडित,  पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन   खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.





3.  इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने  अन्यत्र नहीं पढ़ी है  .



जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी। बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था। अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।






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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 04-05-2022, 08:23 PM



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