04-05-2022, 08:18 PM
गुरुजी के आश्रम में सावित्री
औलाद की चाह
CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की
Update-7
लिंगा
मैं पूजा घर में आई. गुरुजी अभी भी कुछ समझा रहे थे और काजल बड़े ध्यान से उनकी बात सुन रही थी. गुरुजी ने मुझे देखा.
गुरुजी – रश्मि, दरवाज़ा बंद कर दो और दूध को स्टोव में गरम कर दो.
मैंने सफेद साड़ी गुरुजी को दे दी और दूध गरम करने स्टोव के पास चली गयी. जब मैं गुरुजी को साड़ी दे रही थी तो मैंने ख्याल किया की ये तो पतली सूती साड़ी है जो अक्सर विधवा औरतें पहनती हैं. मुझे समझ नहीं आया की यज्ञ में इसकी क्या ज़रूरत है ? मैं जैसे ही गुरुजी से पूछने को हुई , तब तक गुरुजी ने काजल को पूजा के बारे में बताना शुरू कर दिया.
गुरुजी – काजल बेटी, अब हम लिंगा महाराज की पूजा करेंगे. इस पूजा के लिए माध्यम की ज़रूरत पड़ती है. तुम्हारे मम्मी पापा ने समीर अंकल और रश्मि आंटी को माध्यम बनाया और तुम्हारे लिए माध्यम मैं बनूंगा. ठीक है ?
काजल – जी गुरुजी.
गुरुजी – काजल, तुम्हारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ पूजा में होना चाहिए. तुम्हें ध्यान नहीं भटकाना है. अगर तुम्हारा ध्यान भटका तो तुम्हें ‘दोष निवारण’ प्रक्रिया करनी होगी. इसलिए सिर्फ अपनी पढ़ाई के लिए पूजा पर ध्यान लगाना. जय लिंगा महाराज.
काजल ने सर हिलाकर हामी भरी और खड़ी हो गयी. अब क्या करना है उसे मालूम नहीं था. गुरुजी ने मुझे इशारा किया. मैं उसे वहाँ पर ले गयी जहाँ पर मैं माध्यम के रूप में फर्श पर लेटी थी. और उसे फर्श में पेट के बल लेटने को कहा. काजल ने सफेद रंग का टाइट सलवार सूट पहना हुआ था , वो पेट के बल लेट गयी. ऐसे उल्टी लेटी हुई काजल के नितंब ऊपर को उठे हुए बहुत आकर्षक लग रहे थे. मैं उसे पूजा के फूल देने लगी तो देखा की उसका चेहरा शरम से लाल हो रखा है. मैंने उसे प्रणाम की मुद्रा में हाथ आगे को करने को कहा.
गुरुजी – रश्मि तुम वहाँ पर बैठो. काजल बेटी मैं तुम्हारे कान में पाँच बार मंत्र बोलूँगा और तुम उसे ज़ोर से लिंगा महाराज के सामने बोल देना. उसके बाद तुम मुझे अपनी इच्छा बताओगी और मैं उसे लिंगा महाराज को बोल दूँगा. ठीक है ?
काजल – जी गुरुजी.
अब गुरुजी ने जय लिंगा महाराज का जाप किया और काजल के ऊपर लेट गये. गुरुजी का लंबा चौड़ा शरीर था , काजल उनके शरीर से पूरी तरह ढक गयी. मैं सोचने लगी की माध्यम के रूप में मैं फर्श में लेटी थी और गुप्ताजी ने मेरे ऊपर चढ़कर मुझसे मज़े लिए थे. लेकिन अब अलग ही हो रहा था. काजल फर्श में लेटी थी और गुरुजी माध्यम के रूप में उसके ऊपर लेटे थे. मेरे मन में आया की गुरुजी से पूछूं की ऐसा क्यूँ ? पर पूछने की मेरी हिम्मत नहीं हुई.
गुरुजी – काजल बेटी तुम्हें अजीब लगेगा, पर यज्ञ का यही नियम है. मैं अपना वजन तुम पर नहीं डालूँगा. तुम बस पूजा में ध्यान लगाओ.
गुरुजी काजल के ऊपर लेटे हुए थे और मैं कुछ फीट की दूरी से देख रही थी. मैंने ख्याल किया की अपनी धोती ठीक करने के बहाने गुरुजी ने अपने बदन को काजल के ऊपर ऐसे एडजस्ट किया की उनका श्रोणि भाग (पेल्विक एरिया) ठीक काजल के नितंबों के ऊपर आ गया. अब गुरुजी ने काजल के कान में मंत्र पढ़ना शुरू किया. मैंने देखा की वो काजल की गांड में हल्के से धक्का लगा रहे हैं.
मैं ये देखकर शॉक्ड हो गयी की गुरुजी भी काजल के कमसिन बदन से आकर्षित होकर मार्ग से भटक रहे हैं. फिर काजल ने गुरुजी का बताया हुआ मंत्र ज़ोर से बोल दिया. ऐसा पाँच बार करना था. बाद बाद में तो काजल के नितंबों पर गुरुजी का धक्का लगाना भी साफ महसूस होने लगा.
मंत्र जाप खत्म होने के बाद अब काजल को अपनी इच्छा गुरुजी को बतानी थी. मैंने देखा गुरुजी अपने चेहरे को काजल के चेहरे के बिल्कुल नज़दीक़ ले गये, उनके मोटे होंठ काजल के गालों को छू रहे थे. गुरुजी ने अपने दोनों हाथ काजल के दोनों तरफ फर्श में रखे हुए थे. अब उन्होंने अपना दायां हाथ काजल के कंधे में रख दिया और अपना मुँह उसके चेहरे से चिपका कर उसकी इच्छा सुनने लगे.
लिंगा महाराज से काजल की इच्छा कह देने के बाद गुरुजी काजल के बदन से उठ गये. मैंने साफ साफ देखा की उनका खड़ा लंड धोती को बाहर को ताने हुए है. काजल के उठने से पहले ही उन्होंने जल्दी से अपने लंड को एडजस्ट कर लिया.
गुरुजी – काजल बेटी, तुमने पूजा करते समय अपना पूरा ध्यान लगाया ?
काजल – हाँ गुरुजी.
मैंने ख्याल किया उसकी आवाज़ कांप रही थी , शायद कामोत्तेजना की वजह से.
गुरुजी – तो फिर तुम्हारी आवाज़ में कंपन क्यूँ है ?
काजल गहरी साँसें ले रही थी, जैसे की अगर कोई आदमी उसके ऊपर लेटे तो कोई भी औरत लेती. लेकिन गुरुजी का स्वर कठोर था.
काजल – मेरा विश्वास कीजिए गुरुजी. मैं सिर्फ अपनी पूजा के बारे में सोच रही थी.
गुरुजी – तुम झूठ क्यूँ बोल रही हो बेटी ?
कमरे में बिल्कुल चुप्पी छा गयी. मैं भी हैरान थी की ये हो क्या रहा है ?
गुरुजी – तुम्हारी असफलता का यही कारण है. तुम्हारा मन स्थिर नहीं रहता और पढ़ाई के अलावा अन्य चीज़ों में ज़्यादा उत्सुक रहता है. वही यहाँ पर भी हुआ. तुम्हारा मन पूजा की बजाय मेरे बदन के तुम्हारे बदन को छूने पर लगा हुआ था.
काजल – गुरुजी मेरा विश्वास कीजिए. मैं सिर्फ अपने फाइनल एग्जाम्स को पास करने के लिए प्रार्थना कर रही थी.
गुरुजी – काजल बेटी तुम मुझे मजबूर कर रही हो की मैं अपनी बात साबित करूँ और मैं ये साबित करूँगा. रश्मि यहाँ आओ और पता करो की काजल का मन भटका हुआ था की नहीं.
मैं हैरान थी. ये मैं कैसे पता करूँगी ? काजल सर झुकाए खड़ी थी और मुझे यकीन था की वो झूठ बोल रही थी. उसका ध्यान पक्का एक मर्द के अपने बदन को छूने पर था.
“लेकिन गुरुजी कैसे ? मेरा मतलब….कैसे पता करूँ ?”
गुरुजी – ये तो आसान है. तुम इसके निप्पल चेक करो , तुम्हें पता चल जाएगा की ये कामोत्तेजित हुई थी या नहीं.
एक मर्द के मुँह से ऐसी बात सुनकर हम दोनों हक्की बक्की रह गयीं. लेकिन फिर मुझे समझ आया की गुरुजी ने एकदम सही निशाना लगाया है. क्यूंकी अगर किसी औरत का पता लगाना हो की वो कामोत्तेजित है या नहीं तो ये बात उसके निप्पल सही सही बता सकते हैं.
“ठीक है, गुरुजी.”
काजल – लेकिन गुरुजी…
काजल शरम से लाल हो रखी थी. शायद उसको समझ आ गया की वो गुरुजी को बेवक़ूफ़ नहीं बना सकती क्यूंकी वो बहुत अनुभवी और बुद्धिमान थे.
काजल – क्षमा चाहती हूँ गुरुजी. आप सही हैं.
गुरुजी – हम्म्म ……देख लिया बेटी तुमने, लोगों को बहलाने का कोई मतलब नहीं है. हमेशा सच बताओ. ठीक है ?
काजल ने सिर्फ सर हिला दिया. मैं समझ सकती थी की गुरुजी जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले आदमी के सामने इस टीनएजर लड़की की क्या हालत हो रखी है. उनके सामने उसका झूठ कुछ पल भी नहीं ठहर पाया.
अब गुरुजी ने अपने बैग से लिंगा महाराज के दो प्रतिरूप निकाले. वो दिखने में बिल्कुल वैसे ही थे जिसकी हम यहाँ पूजा कर रहे थे.
गुरुजी – रश्मि, बेल के पत्ते, दूध, गुलाब जल और शहद मुझे दो. और अग्नि कुंड में थोड़ा घी डाल दो.
मैंने वैसा ही किया और गुरुजी उनसे कुछ मिश्रण बनाने लगे. उन्होंने बेल के पत्तों को कूटकर शहद में मिलाया. और उसमें बाकी चीज़ें मिलाकर एक गाढ़ा द्रव्य तैयार किया. फिर लिंगा महाराज के एक प्रतिरूप पर वो द्रव्य चढ़ाने लगे. उन्होंने उस प्रतिरूप को द्रव्य से नहलाकर हाथ से उसमें सब जगह मल दिया. फिर दूसरे प्रतिरूप को उन्होंने अग्नि में शुद्ध किया और गुलाब जल से धो दिया. उसके बाद दोनों प्रतिरूपों की पूजा की. मैं और काजल चुपचाप ये सब देख रहे थे.
गुरुजी – काजल बेटी, यहाँ आओ और अग्नि के पास खड़ी रहो. अपनी आँखें बंद कर लो और मैं जो मंत्र पढ़ूँ , अग्निदेव के सम्मुख उनका जाप करो.
मेरे घी डालने से अग्निकुण्ड में लपटें तेज हो गयी थीं. गुरुजी ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ने लगे. मैंने काजल के होठों को हिलते हुए देखा, वो मंत्रों को दोहरा रही थी. पांच मिनट तक यही चलता रहा.
गुरुजी – काजल बेटी, अब ये यज्ञ का बहुत महत्वपूर्ण भाग है. तुम अपना पूरा ध्यान इस पर लगाओ. लिंगा महाराज के ये दोनों प्रतिरूप तुम्हें जाग्रत करेंगे. इसे ‘जागरण क्रिया’ कहते हैं. तुम्हें इस प्रतिरूप से पवित्र द्रव्य को पीना है और साथ ही साथ मैं दूसरे प्रतिरूप को तुम्हारे बदन में घुमाकर तुम्हें ऊर्जित करूँगा.
काजल ने सर हिला दिया पर उसके चेहरे से साफ पता लग रहा था की उसे कुछ समझ नहीं आया. लेकिन गुरुजी से पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी. मुझे भी ठीक से समझ नहीं आया की गुरुजी क्या करने वाले हैं.
गुरुजी – काजल बेटी, अब ये यज्ञ का बहुत महत्वपूर्ण भाग है. तुम अपना पूरा ध्यान इस पर लगाओ. लिंगा महाराज के ये दोनों प्रतिरूप तुम्हें जाग्रत करेंगे. इसे ‘जागरण क्रिया’ कहते हैं. तुम्हें इस प्रतिरूप से पवित्र द्रव्य को पीना है और साथ ही साथ मैं दूसरे प्रतिरूप को तुम्हारे बदन में घुमाकर तुम्हें ऊर्जित करूँगा.
काजल ने सर हिला दिया पर उसके चेहरे से साफ पता लग रहा था की उसे कुछ समझ नहीं आया. लेकिन गुरुजी से पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी. मुझे भी ठीक से समझ नहीं आया की गुरुजी क्या करने वाले हैं.
काजल यज्ञ के अग्निकुण्ड के सामने हाथ जोड़े खड़ी थी , उसने आँखें बंद की हुई थीं. गुरुजी उसके बगल में खड़े थे और मैं अग्निकुण्ड के दूसरी तरफ खड़ी थी.
गुरुजी ज़ोर से मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे. अब उन्होंने लिंगा महाराज के पवित्र द्रव्य से भीगे हुए प्रतिरूप को काजल के मुँह में लगाया. काजल ने पहले तो थोड़े से ही होंठ खोले , लेकिन लिंगा प्रतिरूप की गोलाई ज़्यादा होने से उसे थोड़ा और मुँह खोलना पड़ा. गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को उसके मुँह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी. प्रतिरूप में लगे हुए द्रव्य का स्वाद अच्छा आ रहा होगा क्यूंकी काजल तेज़ी से उसे चूस रही थी. गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को धीरे धीरे काजल के मुँह में और अंदर घुसा दिया और अब वो मुझे बड़ा अश्लील लग रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे कोई औरत किसी मर्द का लंड चूस रही हो.
गुरुजी – लिंगा को अपने हाथों से पकड़ो और ध्यान रहे इस ‘जागरण क्रिया’ के दौरान ये तुम्हारे मुँह में ही रहना चाहिए.
अब काजल ने अपने दोनों हाथों से लिंगा प्रतिरूप को पकड़ लिया और चूसने लगी. गुरुजी की आज्ञा के अनुसार उसने अपनी आँखें बंद ही रखी थीं. आँखें बंद करके लिंगा को चूसती हुई काजल बहुत अश्लील लग रही थी , शरम से मैंने अपनी नज़रें झुका ली. गुरुजी काजल को गौर से देख रहे थे. उन्हें इस दृश्य को देखकर बहुत मज़ा आ रहा होगा की एक टीनएजर लड़की , तने हुए लंड की आकृति के लिंगा को मज़े से मुँह में चूस रही है. काजल ने अब अपना चेहरा ऊपर को उठाया और लिंगा से थोड़ा और द्रव्य बहकर उसके मुँह में चला गया. लिंगा को चूसते हुए काजल बहुत कामुक सी आवाज़ निकाल रही थी.
काजल को लिंगा चूसते देखकर मुझे अपनी एक पुरानी घटना याद आ गयी. मैंने अपने पति का लंड सिर्फ एक बार ही चूसा था और तब भी मैंने असहज महसूस किया था. शादी के बाद पहली बार जब मेरे पति ने मुझसे लंड चूसने को कहा तो मैं बहुत शरमा गयी और तुरंत मना कर दिया. फिर और भी कई दिन उन्होंने मुझसे इसके लिए कहा , पर जब देखा की मेरा मन नहीं है तो ज़्यादा ज़ोर नहीं डाला. लेकिन बारिश के एक दिन मैं एक नॉवेल पढ़ रही थी और पढ़ते पढ़ते कामोत्तेजित हो गयी ,
जब मेरे पति काम से घर लौटे तो मेरा सेक्स करने का बहुत मन हो रहा था. लेकिन वो थके हुए थे और उनका मूड नहीं था. उस दिन मैं जानबूझकर देर से नहाने गयी और मैंने ध्यान रखा की जब मैं बाथरूम से बाहर आऊँ तो उस समय मेरे पति बेड में हों. मैं ड्रेसिंग टेबल के पास गयी और वहाँ खड़ी होकर नाइटी के अंदर से अपनी पैंटी उतार दी. ताकि मेरे पति को कामुक नज़ारा दिखे और मैं भी शीशे में उनका रिएक्शन देख सकूँ. मेरी ये अदा काम कर गयी क्यूंकी जब मैं बेड में उनके पास आई तो देखा पाजामे में उनका लंड अधखड़ा हो गया है.
लेकिन वो दिखने से ही थके हुए लग रहे थे और एक आध चुंबन लेकर सोना चाह रहे थे. लेकिन मैं तो चुदाई के लिए बेताब हो रखी थी. वो लेटे हुए थे और मैं उनके बालों में उंगलियाँ फिराने लगी और अपनी नाइटी भी ऐसे एडजस्ट कर ली की मेरी बड़ी चूचियाँ उनके चेहरे के सामने आधी नंगी रहें. वैसे तो मैं , ज़्यादातर औरतों की तरह बिस्तर में पहल नहीं करती थी. पर उस दिन अपने पति को कामोत्तेजित करने के लिए बेशरम हो गयी थी. अब मेरे पति भी थोड़ा एक्साइटेड होने लगे और उन्होंने मेरी नाइटी के अंदर हाथ डाल दिया.
मैं इतनी बेताब हो रखी थी की मैंने अपनी जांघों तक नाइटी उठा रखी थी. वो मेरी नंगी मांसल जांघों में हाथ फिराने लगे. लेकिन मैंने देखा की उनका लंड तन के सख़्त नहीं हो पा रहा है. फिर मेरे पति ने लाइट ऑफ कर दी , तब तक मेरे बदन में सिर्फ मंगलसूत्र रह गया था और मैं बिल्कुल नंगी हो गयी थी . मैं अपने हाथों से उनके लंड को सहलाने लगी ताकि वो तन के खड़ा हो जाए .
उन्होंने कहा की मुँह में ले के चूसो शायद तब खड़ा हो जाए. मैंने मना नहीं किया और उस दिन पहली बार लंड चूसा. सच कहूँ तो ऐसा करना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और दूसरे दिन मैंने अपने पति से ऐसा कह भी दिया. लेकिन उस दिन तो मेरा लंड चूसना काम कर गया क्यूंकी चूसने से उनका लंड खड़ा हो गया और फिर हमने चुदाई का मज़ा लिया.
जैसे आज काजल लिंगा को चूस रही थी , उस दिन मैंने भी अपने पति के लंड को चूसा और चाटा था. उसके प्री-कम से लंड चिकना हो गया था और चूसते समय मेरे मुँह से भी वैसी ही कामुक आवाज़ें निकल रही थीं जैसी अभी काजल निकाल रही थी. गुरुजी अब काजल के पीछे आ गये और लिंगा के दूसरे प्रतिरूप को काजल के बदन में छुआकर मंत्र पढ़ने लगे.
काजल के बदन में एक जगह पर लिंगा को लगाते और मंत्र पढ़ते फिर दूसरी जगह लगाते और मंत्र पढ़ते. ऐसा लग रहा था जैसे कोई जादूगर जादू कर रहा हो. सबसे पहले उन्होंने काजल के सर में लिंगा को लगाया फिर गर्दन में और फिर उसकी पीठ में. जब गुरुजी ने काजल की कमीज़ से ढकी हुई पीठ में लिंगा को छुआया तो काजल के बदन को एक झटका सा लगा. फिर गुरुजी ने कुछ ऐसा किया जो किसी भी औरत को अपमानजनक लगेगा.
गुरुजी काजल के पीछे खड़े थे और जैसे ही लिंगा काजल की कमर में पहुँचा , गुरुजी ने काजल के सलवार से ढके हुए गोल नितंबों के ऊपर से कमीज़ ऊपर उठा दी. स्वाभाविक रूप से काजल शॉक्ड हो गयी . उसने लिंगा को चूसना बंद कर दिया और शायद वो लिंगा को मुँह से बाहर निकालने ही वाली थी. तभी गुरुजी ने उससे कहा.
गुरुजी – काजल बेटी, जैसा की मैंने तुमसे कहा था , तुम जो कर रही हो उसी पर ध्यान दो. मैं तुम्हें बता दूँ की लिंगा से ऊर्जित करने की इस प्रक्रिया में किसी अंग के ऊपर ज़्यादा से ज़्यादा दो ही वस्त्र होने चाहिए. तुमने पैंटी के ऊपर सलवार पहना है इसलिए मुझे तुम्हारी कमीज़ ऊपर उठानी पड़ी.
ऐसा कहते हुए गुरुजी काजल का रिएक्शन देखने के लिए रुके और जब उन्होंने देखा की वो उनकी बात समझ गयी है तो उन्होंने मेरी तरफ देखा.
गुरुजी – रश्मि, काजल के लिंगा में थोड़ा द्रव्य डाल दो.
“जी गुरुजी.”
मैं थोड़ा साइड में खड़ी थी , मैंने ख्याल किया की काजल की पीठ में पीछे से रोशनी पड़ रही है. गुरुजी ने उसकी कमीज़ कमर तक ऊपर उठा दी थी तो उसके पतले सलवार पे रोशनी ऐसे पड़ रही थी की उसकी पैंटी दिख रही थी. लड़कियों को पतले सलवार से कोई परेशानी नहीं होती क्यूंकी कमीज़ जांघों या घुटनों तक लंबी होने से सलवार के ऊपर ढका रहता है. लेकिन यहाँ पर गुरुजी ने सलवार के ऊपर कमीज़ का कवर हटा दिया था और मैं शॉक्ड रह गयी की काजल की पैंटी उसके नितंबों के ऊपर साफ दिख रही थी. गुरुजी तो मर्द थे उन्हें तो ये देखकर मज़ा आ रहा होगा.
मैंने द्रव्य का कटोरा लिया और काजल के पास आ गयी. काजल ने मुँह से लिंगा को बाहर निकाल लिया और वो हाँफ रही थी. उसकी आँखें अभी भी बंद थीं. मैंने उसके लिंगा में थोड़ा द्रव्य डाल दिया.
गुरुजी – देर मत करो. यज्ञ का शुभ समय निकल ना जाए.
मैं अपनी जगह वापस चली गयी और काजल ने फिर से लिंगा को मुँह में डालकर चूसना शुरू कर दिया. इतनी देर तक गुरुजी काजल की सलवार से ढकी गांड के ऊपर से कमीज़ हटाए खड़े थे. अब काजल फिर से लिंगा को चूसने लगी तो गुरुजी ने उसके गोल नितंबों पर लिंगा को घुमाना शुरू किया. मैं अपनी जगह से थोड़ा खिसकी ताकि गुरुजी की हरकतों को देख सकूँ.
अब मैंने देखा की गुरुजी ने उसकी कमीज़ नीचे कर दी है और दोनों हाथों से लिंगा पकड़कर मंत्र पढ़ रहे हैं. उनके हाथ कमीज़ के अंदर घूम रहे थे और सिर्फ काजल को ही मालूम होगा की वो क्या कर रहे थे क्यूंकी कमीज़ नीचे हो जाने से मुझे नहीं दिख रहा था. जिस तरह से खड़े खड़े काजल अपने बदन को झटक रही थी उससे मुझे लग रहा था की गुरुजी उसके पतले सलवार के बाहर से उसकी गांड को सहला रहे होंगे.
ये दृश्य बहुत अश्लील लग रहा था. पहली बार काजल असहज दिख रही थी. और क्यूँ ना हो ? वो एक टीनएजर लड़की थी और अगर कोई मर्द उसकी गांड में दोनों हाथों से लिंगा घुमाए और साथ ही साथ उसको दूसरा लिंगा चूसना पड़े तो कोई शादीशुदा औरत भी कामोत्तेजित हो जाएगी. गुरुजी मंत्र पढ़े जा रहे थे और अपनी ऊर्जित प्रक्रिया को जारी रखे हुए थे. अब वो काजल के सामने आ गये और लिंगा को उसके घुटनों में लगाया और धीरे धीरे ऊपर को उसकी जांघों में घुमाने लगे. जैसे जैसे गुरुजी के हाथ ऊपर को बढ़ने लगे तो मेरे दिल की धड़कनें तेज होने लगी क्यूंकी अब गुरुजी के हाथ काजल के नाजुक अंग तक पहुँचने वाले थे. तभी अचानक गुरुजी ने मुझसे कहा.
गुरुजी – रश्मि , यहाँ आओ.
मैं उनके पास आ गयी.
गुरुजी – तुम काजल की कमीज़ ऊपर करके पकड़ो. मैं इसकी योनि को ऊर्जित करता हूँ.
गुरुजी के मुँह से योनि शब्द सुनकर मुझे थोड़ा झटका लगा लेकिन फिर मैंने सोचा ये तो यज्ञ की प्रक्रिया है तो इसका पालन तो करना ही पड़ेगा. किसी भी औरत के लिए ये बड़ा अपमानजनक होता की उसके कपड़े ऊपर उठाकर कोई मर्द उसके गुप्तांगो को छुए लेकिन गुरुजी के अनुसार यज्ञ की प्रक्रिया होने की वजह से इसका पालन करना ही था. काजल ने भी कुछ खास रियेक्ट नहीं किया, शायद इसलिए क्यूंकी मैं भी वहाँ मौजूद थी.
मैंने एक हाथ से काजल की कमीज पकड़ी और आगे से कमर तक ऊपर उठा दी. लेकिन गुरुजी ने मुझसे दोनों हाथों से पकड़कर ठीक से थोड़ा और ऊपर उठाने को कहा. मैंने दोनों हाथों से कमीज पकड़कर थोड़ी और ऊपर उठा दी. अब काजल की नाभि और उसके सलवार का नाड़ा दिखने लगे.
गुरुजी ने काजल के सलवार के ऊपर से दोनों हाथों से लिंगा को उसकी योनि के ऊपर घुमाना शुरू किया और ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ने लगे. उस सेन्सिटिव भाग को छूने से काजल का चेहरा लाल हो गया और उसने लिंगा को चूसना बंद कर दिया. वैसे लिंगा अभी भी उसके मुँह में ही था और उसकी आँखें बंद थीं. फिर मैंने देखा की गुरुजी उसके सलवार और पैंटी के ऊपर से चूत की दरार में ऊपर से नीचे अंगुली फिराने की कोशिश कर रहे हैं. ये देखकर मेरी ब्रा के अंदर निप्पल एकदम तन गये. गुरुजी की अँगुलियाँ काजल की चूत को छू रही थीं और अब आँखें बंद किए हुए काजल हल्की सिसकारियाँ लेने लगी.
काजल – उम्म्म्ममम…….
गुरुजी अब साफ साफ काजल की चूत के त्रिकोणीय भाग को अपनी अंगुलियों से महसूस कर रहे थे और लिंगा को बस नाममात्र के लिए घुमा रहे थे. वो इस सुंदर लड़की की चूत के सामने झुककर इस ‘जागरण क्रिया’ को कर रहे थे. काजल अब अपनी खड़ी पोजीशन में इधर उधर हिल रही थी और मैं उसकी असहज स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकती थी. कुछ देर बाद ये प्रक्रिया समाप्त हुई और गुरुजी सीधे खड़े हो गये. मैंने काजल की कमीज नीचे कर दी और उसने राहत की सांस ली.
गुरुजी – लिंगा में थोड़ा और द्रव्य डालो.
मैंने उस गाड़े द्रव्य का कटोरा लिया और काजल से लिंगा को मुँह से बाहर निकालने को भी नहीं कहा और ऐसे ही लिंगा में थोड़ा द्रव्य डाल दिया. लिंगा में बहते हुए द्रव्य काजल के होठों में पहुँच गया और थोड़ा सा ठुड्डी से होते हुए उसकी गर्दन में बह गया. गुरुजी ने तक तक उसके सपाट पेट में लिंगा घुमा दिया था और अब ऊपर को बढ़ रहे थे.
एक मर्द के द्वारा नितंबों और चूत को सहलाने से अब काजल गहरी साँसें ले रही थी और उसकी नुकीली चूचियाँ कड़क होकर सफेद कमीज को बाहर को ताने हुए थीं. मैं उसके एकदम पास खड़ी थी इसलिए उसकी कमीज में खड़े निप्पल की शेप देख सकती थी. उसने चुनरी नहीं डाली हुई थी इसलिए उसकी चूचियाँ बहुत आकर्षक लग रही थीं.
काजल लिंगा से द्रव्य को चूस रही थी. अब ऐसा लग रहा था की गुरुजी भी अपनी भाव भंगिमाओं पर थोड़ा नियंत्रण खो बैठे हैं. इस सुंदर लड़की के बदन के हर हिस्से से छेड़छाड़ करने के बाद अब उनके जबड़े लटक गये थे और वो खुद भी गहरी साँसें लेने लगे थे और उनका लंड धोती में खड़ा हो गया था. मंत्र पढ़ते हुए अब उनकी आवाज भी कुछ धीमी हो गयी थी.
अब गुरुजी ने काजल की चूचियों पर लिंगा को घुमाना शुरू किया. काजल की आँखें बंद थीं शायद इसलिए गुरुजी को ज़्यादा जोश आ गया. उन्होंने मेरी मौजूदगी को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए लिंगा से अपना दायां हाथ हटा लिया और काजल की बायीं चूची को पकड़ लिया.
काजल – उम्म्म्मम……
उसके मुँह से सिसकारी निकल गयी. वो लिंगा चूस रही थी और उसने कस के आँखें बंद की हुई थी, शायद उत्तेजना की वजह से. मुझे लगा अब गुरुजी हद पार कर रहे हैं, खुलेआम अपनी बेटी की उमर की लड़की की चूची दबा रहे हैं. वो अपनी हथेली से काजल की चूची की गोलाई और सुडौलता को महसूस कर रहे थे और मेरे सामने खुलेआम ऐसा करना इतना अश्लील लग रहा था की मुझे अपनी नजरें फेरकर दूसरी तरफ देखना पड़ा. गुरुजी इस परिस्थिति का अनुचित लाभ उठा रहे थे
और इस गुलाब की कली के कोमल बदन को महसूस कर रहे थे. लेकिन जल्दी ही गुरुजी ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया और ज़ोर से मंत्र पढ़ते हुए दोनों हाथों से लिंगा पकड़कर काजल की चूचियों पर घुमाने लगे. अंत में गुरुजी ने काजल की चूचियों को लिंगा के आधार से ऐसे दबाया जैसे उनपर अपनी मोहर लगा रहे हों.
गुरुजी – काजल बेटी, अपनी आँखें खोलो. तुम्हारी ‘जागरण क्रिया’ पूरी हो चुकी है. अपने मुँह से लिंगा निकाल लो.
काजल – उफफफफफफफ्फ़….
काजल ने राहत की सांस ली. मैंने ख्याल किया की उसे बहुत पसीना आ रहा था , एक तो अग्निकुण्ड की गर्मी थी ऊपर से बदन में नाज़ुक अंगों की एक मर्द द्वारा छेड़छाड़.
गुरुजी – मैं उम्मीद करता हूँ की तुम्हारा पूरा ध्यान पूजा में रहा होगा. वरना तुम्हारे लिए ‘अमंगल’ हो सकता है और तुम एग्जाम्स में सफलता भी प्राप्त नहीं कर पाओगी.
काजल – नहीं गुरुजी. मैं ध्यान लगा रही थी.
गुरुजी – ठीक है. अब यज्ञ का पहला भाग पूरा हो चुका है.
कहानी जारी रहेगी
NOTE
1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब अलग होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .
2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा जी स्वामी, पंडित, पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
3. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
4 जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी। बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था। अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।
कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
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गुरुजी – रश्मि, दरवाज़ा बंद कर दो और दूध को स्टोव में गरम कर दो.
मैंने सफेद साड़ी गुरुजी को दे दी और दूध गरम करने स्टोव के पास चली गयी. जब मैं गुरुजी को साड़ी दे रही थी तो मैंने ख्याल किया की ये तो पतली सूती साड़ी है जो अक्सर विधवा औरतें पहनती हैं. मुझे समझ नहीं आया की यज्ञ में इसकी क्या ज़रूरत है ? मैं जैसे ही गुरुजी से पूछने को हुई , तब तक गुरुजी ने काजल को पूजा के बारे में बताना शुरू कर दिया.
गुरुजी – काजल बेटी, अब हम लिंगा महाराज की पूजा करेंगे. इस पूजा के लिए माध्यम की ज़रूरत पड़ती है. तुम्हारे मम्मी पापा ने समीर अंकल और रश्मि आंटी को माध्यम बनाया और तुम्हारे लिए माध्यम मैं बनूंगा. ठीक है ?
काजल – जी गुरुजी.
गुरुजी – काजल, तुम्हारा ध्यान सिर्फ और सिर्फ पूजा में होना चाहिए. तुम्हें ध्यान नहीं भटकाना है. अगर तुम्हारा ध्यान भटका तो तुम्हें ‘दोष निवारण’ प्रक्रिया करनी होगी. इसलिए सिर्फ अपनी पढ़ाई के लिए पूजा पर ध्यान लगाना. जय लिंगा महाराज.
काजल ने सर हिलाकर हामी भरी और खड़ी हो गयी. अब क्या करना है उसे मालूम नहीं था. गुरुजी ने मुझे इशारा किया. मैं उसे वहाँ पर ले गयी जहाँ पर मैं माध्यम के रूप में फर्श पर लेटी थी. और उसे फर्श में पेट के बल लेटने को कहा. काजल ने सफेद रंग का टाइट सलवार सूट पहना हुआ था , वो पेट के बल लेट गयी. ऐसे उल्टी लेटी हुई काजल के नितंब ऊपर को उठे हुए बहुत आकर्षक लग रहे थे. मैं उसे पूजा के फूल देने लगी तो देखा की उसका चेहरा शरम से लाल हो रखा है. मैंने उसे प्रणाम की मुद्रा में हाथ आगे को करने को कहा.
गुरुजी – रश्मि तुम वहाँ पर बैठो. काजल बेटी मैं तुम्हारे कान में पाँच बार मंत्र बोलूँगा और तुम उसे ज़ोर से लिंगा महाराज के सामने बोल देना. उसके बाद तुम मुझे अपनी इच्छा बताओगी और मैं उसे लिंगा महाराज को बोल दूँगा. ठीक है ?
काजल – जी गुरुजी.
अब गुरुजी ने जय लिंगा महाराज का जाप किया और काजल के ऊपर लेट गये. गुरुजी का लंबा चौड़ा शरीर था , काजल उनके शरीर से पूरी तरह ढक गयी. मैं सोचने लगी की माध्यम के रूप में मैं फर्श में लेटी थी और गुप्ताजी ने मेरे ऊपर चढ़कर मुझसे मज़े लिए थे. लेकिन अब अलग ही हो रहा था. काजल फर्श में लेटी थी और गुरुजी माध्यम के रूप में उसके ऊपर लेटे थे. मेरे मन में आया की गुरुजी से पूछूं की ऐसा क्यूँ ? पर पूछने की मेरी हिम्मत नहीं हुई.
गुरुजी – काजल बेटी तुम्हें अजीब लगेगा, पर यज्ञ का यही नियम है. मैं अपना वजन तुम पर नहीं डालूँगा. तुम बस पूजा में ध्यान लगाओ.
गुरुजी काजल के ऊपर लेटे हुए थे और मैं कुछ फीट की दूरी से देख रही थी. मैंने ख्याल किया की अपनी धोती ठीक करने के बहाने गुरुजी ने अपने बदन को काजल के ऊपर ऐसे एडजस्ट किया की उनका श्रोणि भाग (पेल्विक एरिया) ठीक काजल के नितंबों के ऊपर आ गया. अब गुरुजी ने काजल के कान में मंत्र पढ़ना शुरू किया. मैंने देखा की वो काजल की गांड में हल्के से धक्का लगा रहे हैं.
मैं ये देखकर शॉक्ड हो गयी की गुरुजी भी काजल के कमसिन बदन से आकर्षित होकर मार्ग से भटक रहे हैं. फिर काजल ने गुरुजी का बताया हुआ मंत्र ज़ोर से बोल दिया. ऐसा पाँच बार करना था. बाद बाद में तो काजल के नितंबों पर गुरुजी का धक्का लगाना भी साफ महसूस होने लगा.
मंत्र जाप खत्म होने के बाद अब काजल को अपनी इच्छा गुरुजी को बतानी थी. मैंने देखा गुरुजी अपने चेहरे को काजल के चेहरे के बिल्कुल नज़दीक़ ले गये, उनके मोटे होंठ काजल के गालों को छू रहे थे. गुरुजी ने अपने दोनों हाथ काजल के दोनों तरफ फर्श में रखे हुए थे. अब उन्होंने अपना दायां हाथ काजल के कंधे में रख दिया और अपना मुँह उसके चेहरे से चिपका कर उसकी इच्छा सुनने लगे.
लिंगा महाराज से काजल की इच्छा कह देने के बाद गुरुजी काजल के बदन से उठ गये. मैंने साफ साफ देखा की उनका खड़ा लंड धोती को बाहर को ताने हुए है. काजल के उठने से पहले ही उन्होंने जल्दी से अपने लंड को एडजस्ट कर लिया.
गुरुजी – काजल बेटी, तुमने पूजा करते समय अपना पूरा ध्यान लगाया ?
काजल – हाँ गुरुजी.
मैंने ख्याल किया उसकी आवाज़ कांप रही थी , शायद कामोत्तेजना की वजह से.
गुरुजी – तो फिर तुम्हारी आवाज़ में कंपन क्यूँ है ?
काजल गहरी साँसें ले रही थी, जैसे की अगर कोई आदमी उसके ऊपर लेटे तो कोई भी औरत लेती. लेकिन गुरुजी का स्वर कठोर था.
काजल – मेरा विश्वास कीजिए गुरुजी. मैं सिर्फ अपनी पूजा के बारे में सोच रही थी.
गुरुजी – तुम झूठ क्यूँ बोल रही हो बेटी ?
कमरे में बिल्कुल चुप्पी छा गयी. मैं भी हैरान थी की ये हो क्या रहा है ?
गुरुजी – तुम्हारी असफलता का यही कारण है. तुम्हारा मन स्थिर नहीं रहता और पढ़ाई के अलावा अन्य चीज़ों में ज़्यादा उत्सुक रहता है. वही यहाँ पर भी हुआ. तुम्हारा मन पूजा की बजाय मेरे बदन के तुम्हारे बदन को छूने पर लगा हुआ था.
काजल – गुरुजी मेरा विश्वास कीजिए. मैं सिर्फ अपने फाइनल एग्जाम्स को पास करने के लिए प्रार्थना कर रही थी.
गुरुजी – काजल बेटी तुम मुझे मजबूर कर रही हो की मैं अपनी बात साबित करूँ और मैं ये साबित करूँगा. रश्मि यहाँ आओ और पता करो की काजल का मन भटका हुआ था की नहीं.
मैं हैरान थी. ये मैं कैसे पता करूँगी ? काजल सर झुकाए खड़ी थी और मुझे यकीन था की वो झूठ बोल रही थी. उसका ध्यान पक्का एक मर्द के अपने बदन को छूने पर था.
“लेकिन गुरुजी कैसे ? मेरा मतलब….कैसे पता करूँ ?”
गुरुजी – ये तो आसान है. तुम इसके निप्पल चेक करो , तुम्हें पता चल जाएगा की ये कामोत्तेजित हुई थी या नहीं.
एक मर्द के मुँह से ऐसी बात सुनकर हम दोनों हक्की बक्की रह गयीं. लेकिन फिर मुझे समझ आया की गुरुजी ने एकदम सही निशाना लगाया है. क्यूंकी अगर किसी औरत का पता लगाना हो की वो कामोत्तेजित है या नहीं तो ये बात उसके निप्पल सही सही बता सकते हैं.
“ठीक है, गुरुजी.”
काजल – लेकिन गुरुजी…
काजल शरम से लाल हो रखी थी. शायद उसको समझ आ गया की वो गुरुजी को बेवक़ूफ़ नहीं बना सकती क्यूंकी वो बहुत अनुभवी और बुद्धिमान थे.
काजल – क्षमा चाहती हूँ गुरुजी. आप सही हैं.
गुरुजी – हम्म्म ……देख लिया बेटी तुमने, लोगों को बहलाने का कोई मतलब नहीं है. हमेशा सच बताओ. ठीक है ?
काजल ने सिर्फ सर हिला दिया. मैं समझ सकती थी की गुरुजी जैसे प्रभावशाली व्यक्तित्व वाले आदमी के सामने इस टीनएजर लड़की की क्या हालत हो रखी है. उनके सामने उसका झूठ कुछ पल भी नहीं ठहर पाया.
अब गुरुजी ने अपने बैग से लिंगा महाराज के दो प्रतिरूप निकाले. वो दिखने में बिल्कुल वैसे ही थे जिसकी हम यहाँ पूजा कर रहे थे.
गुरुजी – रश्मि, बेल के पत्ते, दूध, गुलाब जल और शहद मुझे दो. और अग्नि कुंड में थोड़ा घी डाल दो.
मैंने वैसा ही किया और गुरुजी उनसे कुछ मिश्रण बनाने लगे. उन्होंने बेल के पत्तों को कूटकर शहद में मिलाया. और उसमें बाकी चीज़ें मिलाकर एक गाढ़ा द्रव्य तैयार किया. फिर लिंगा महाराज के एक प्रतिरूप पर वो द्रव्य चढ़ाने लगे. उन्होंने उस प्रतिरूप को द्रव्य से नहलाकर हाथ से उसमें सब जगह मल दिया. फिर दूसरे प्रतिरूप को उन्होंने अग्नि में शुद्ध किया और गुलाब जल से धो दिया. उसके बाद दोनों प्रतिरूपों की पूजा की. मैं और काजल चुपचाप ये सब देख रहे थे.
गुरुजी – काजल बेटी, यहाँ आओ और अग्नि के पास खड़ी रहो. अपनी आँखें बंद कर लो और मैं जो मंत्र पढ़ूँ , अग्निदेव के सम्मुख उनका जाप करो.
मेरे घी डालने से अग्निकुण्ड में लपटें तेज हो गयी थीं. गुरुजी ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ने लगे. मैंने काजल के होठों को हिलते हुए देखा, वो मंत्रों को दोहरा रही थी. पांच मिनट तक यही चलता रहा.
गुरुजी – काजल बेटी, अब ये यज्ञ का बहुत महत्वपूर्ण भाग है. तुम अपना पूरा ध्यान इस पर लगाओ. लिंगा महाराज के ये दोनों प्रतिरूप तुम्हें जाग्रत करेंगे. इसे ‘जागरण क्रिया’ कहते हैं. तुम्हें इस प्रतिरूप से पवित्र द्रव्य को पीना है और साथ ही साथ मैं दूसरे प्रतिरूप को तुम्हारे बदन में घुमाकर तुम्हें ऊर्जित करूँगा.
काजल ने सर हिला दिया पर उसके चेहरे से साफ पता लग रहा था की उसे कुछ समझ नहीं आया. लेकिन गुरुजी से पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी. मुझे भी ठीक से समझ नहीं आया की गुरुजी क्या करने वाले हैं.
गुरुजी – काजल बेटी, अब ये यज्ञ का बहुत महत्वपूर्ण भाग है. तुम अपना पूरा ध्यान इस पर लगाओ. लिंगा महाराज के ये दोनों प्रतिरूप तुम्हें जाग्रत करेंगे. इसे ‘जागरण क्रिया’ कहते हैं. तुम्हें इस प्रतिरूप से पवित्र द्रव्य को पीना है और साथ ही साथ मैं दूसरे प्रतिरूप को तुम्हारे बदन में घुमाकर तुम्हें ऊर्जित करूँगा.
काजल ने सर हिला दिया पर उसके चेहरे से साफ पता लग रहा था की उसे कुछ समझ नहीं आया. लेकिन गुरुजी से पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी. मुझे भी ठीक से समझ नहीं आया की गुरुजी क्या करने वाले हैं.
काजल यज्ञ के अग्निकुण्ड के सामने हाथ जोड़े खड़ी थी , उसने आँखें बंद की हुई थीं. गुरुजी उसके बगल में खड़े थे और मैं अग्निकुण्ड के दूसरी तरफ खड़ी थी.
गुरुजी ज़ोर से मंत्रों का उच्चारण कर रहे थे. अब उन्होंने लिंगा महाराज के पवित्र द्रव्य से भीगे हुए प्रतिरूप को काजल के मुँह में लगाया. काजल ने पहले तो थोड़े से ही होंठ खोले , लेकिन लिंगा प्रतिरूप की गोलाई ज़्यादा होने से उसे थोड़ा और मुँह खोलना पड़ा. गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को उसके मुँह में डाल दिया और वो उसे चूसने लगी. प्रतिरूप में लगे हुए द्रव्य का स्वाद अच्छा आ रहा होगा क्यूंकी काजल तेज़ी से उसे चूस रही थी. गुरुजी ने लिंगा प्रतिरूप को धीरे धीरे काजल के मुँह में और अंदर घुसा दिया और अब वो मुझे बड़ा अश्लील लग रहा था. ऐसा लग रहा था जैसे कोई औरत किसी मर्द का लंड चूस रही हो.
गुरुजी – लिंगा को अपने हाथों से पकड़ो और ध्यान रहे इस ‘जागरण क्रिया’ के दौरान ये तुम्हारे मुँह में ही रहना चाहिए.
अब काजल ने अपने दोनों हाथों से लिंगा प्रतिरूप को पकड़ लिया और चूसने लगी. गुरुजी की आज्ञा के अनुसार उसने अपनी आँखें बंद ही रखी थीं. आँखें बंद करके लिंगा को चूसती हुई काजल बहुत अश्लील लग रही थी , शरम से मैंने अपनी नज़रें झुका ली. गुरुजी काजल को गौर से देख रहे थे. उन्हें इस दृश्य को देखकर बहुत मज़ा आ रहा होगा की एक टीनएजर लड़की , तने हुए लंड की आकृति के लिंगा को मज़े से मुँह में चूस रही है. काजल ने अब अपना चेहरा ऊपर को उठाया और लिंगा से थोड़ा और द्रव्य बहकर उसके मुँह में चला गया. लिंगा को चूसते हुए काजल बहुत कामुक सी आवाज़ निकाल रही थी.
काजल को लिंगा चूसते देखकर मुझे अपनी एक पुरानी घटना याद आ गयी. मैंने अपने पति का लंड सिर्फ एक बार ही चूसा था और तब भी मैंने असहज महसूस किया था. शादी के बाद पहली बार जब मेरे पति ने मुझसे लंड चूसने को कहा तो मैं बहुत शरमा गयी और तुरंत मना कर दिया. फिर और भी कई दिन उन्होंने मुझसे इसके लिए कहा , पर जब देखा की मेरा मन नहीं है तो ज़्यादा ज़ोर नहीं डाला. लेकिन बारिश के एक दिन मैं एक नॉवेल पढ़ रही थी और पढ़ते पढ़ते कामोत्तेजित हो गयी ,
जब मेरे पति काम से घर लौटे तो मेरा सेक्स करने का बहुत मन हो रहा था. लेकिन वो थके हुए थे और उनका मूड नहीं था. उस दिन मैं जानबूझकर देर से नहाने गयी और मैंने ध्यान रखा की जब मैं बाथरूम से बाहर आऊँ तो उस समय मेरे पति बेड में हों. मैं ड्रेसिंग टेबल के पास गयी और वहाँ खड़ी होकर नाइटी के अंदर से अपनी पैंटी उतार दी. ताकि मेरे पति को कामुक नज़ारा दिखे और मैं भी शीशे में उनका रिएक्शन देख सकूँ. मेरी ये अदा काम कर गयी क्यूंकी जब मैं बेड में उनके पास आई तो देखा पाजामे में उनका लंड अधखड़ा हो गया है.
लेकिन वो दिखने से ही थके हुए लग रहे थे और एक आध चुंबन लेकर सोना चाह रहे थे. लेकिन मैं तो चुदाई के लिए बेताब हो रखी थी. वो लेटे हुए थे और मैं उनके बालों में उंगलियाँ फिराने लगी और अपनी नाइटी भी ऐसे एडजस्ट कर ली की मेरी बड़ी चूचियाँ उनके चेहरे के सामने आधी नंगी रहें. वैसे तो मैं , ज़्यादातर औरतों की तरह बिस्तर में पहल नहीं करती थी. पर उस दिन अपने पति को कामोत्तेजित करने के लिए बेशरम हो गयी थी. अब मेरे पति भी थोड़ा एक्साइटेड होने लगे और उन्होंने मेरी नाइटी के अंदर हाथ डाल दिया.
मैं इतनी बेताब हो रखी थी की मैंने अपनी जांघों तक नाइटी उठा रखी थी. वो मेरी नंगी मांसल जांघों में हाथ फिराने लगे. लेकिन मैंने देखा की उनका लंड तन के सख़्त नहीं हो पा रहा है. फिर मेरे पति ने लाइट ऑफ कर दी , तब तक मेरे बदन में सिर्फ मंगलसूत्र रह गया था और मैं बिल्कुल नंगी हो गयी थी . मैं अपने हाथों से उनके लंड को सहलाने लगी ताकि वो तन के खड़ा हो जाए .
उन्होंने कहा की मुँह में ले के चूसो शायद तब खड़ा हो जाए. मैंने मना नहीं किया और उस दिन पहली बार लंड चूसा. सच कहूँ तो ऐसा करना मुझे बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगा और दूसरे दिन मैंने अपने पति से ऐसा कह भी दिया. लेकिन उस दिन तो मेरा लंड चूसना काम कर गया क्यूंकी चूसने से उनका लंड खड़ा हो गया और फिर हमने चुदाई का मज़ा लिया.
जैसे आज काजल लिंगा को चूस रही थी , उस दिन मैंने भी अपने पति के लंड को चूसा और चाटा था. उसके प्री-कम से लंड चिकना हो गया था और चूसते समय मेरे मुँह से भी वैसी ही कामुक आवाज़ें निकल रही थीं जैसी अभी काजल निकाल रही थी. गुरुजी अब काजल के पीछे आ गये और लिंगा के दूसरे प्रतिरूप को काजल के बदन में छुआकर मंत्र पढ़ने लगे.
काजल के बदन में एक जगह पर लिंगा को लगाते और मंत्र पढ़ते फिर दूसरी जगह लगाते और मंत्र पढ़ते. ऐसा लग रहा था जैसे कोई जादूगर जादू कर रहा हो. सबसे पहले उन्होंने काजल के सर में लिंगा को लगाया फिर गर्दन में और फिर उसकी पीठ में. जब गुरुजी ने काजल की कमीज़ से ढकी हुई पीठ में लिंगा को छुआया तो काजल के बदन को एक झटका सा लगा. फिर गुरुजी ने कुछ ऐसा किया जो किसी भी औरत को अपमानजनक लगेगा.
गुरुजी काजल के पीछे खड़े थे और जैसे ही लिंगा काजल की कमर में पहुँचा , गुरुजी ने काजल के सलवार से ढके हुए गोल नितंबों के ऊपर से कमीज़ ऊपर उठा दी. स्वाभाविक रूप से काजल शॉक्ड हो गयी . उसने लिंगा को चूसना बंद कर दिया और शायद वो लिंगा को मुँह से बाहर निकालने ही वाली थी. तभी गुरुजी ने उससे कहा.
गुरुजी – काजल बेटी, जैसा की मैंने तुमसे कहा था , तुम जो कर रही हो उसी पर ध्यान दो. मैं तुम्हें बता दूँ की लिंगा से ऊर्जित करने की इस प्रक्रिया में किसी अंग के ऊपर ज़्यादा से ज़्यादा दो ही वस्त्र होने चाहिए. तुमने पैंटी के ऊपर सलवार पहना है इसलिए मुझे तुम्हारी कमीज़ ऊपर उठानी पड़ी.
ऐसा कहते हुए गुरुजी काजल का रिएक्शन देखने के लिए रुके और जब उन्होंने देखा की वो उनकी बात समझ गयी है तो उन्होंने मेरी तरफ देखा.
गुरुजी – रश्मि, काजल के लिंगा में थोड़ा द्रव्य डाल दो.
“जी गुरुजी.”
मैं थोड़ा साइड में खड़ी थी , मैंने ख्याल किया की काजल की पीठ में पीछे से रोशनी पड़ रही है. गुरुजी ने उसकी कमीज़ कमर तक ऊपर उठा दी थी तो उसके पतले सलवार पे रोशनी ऐसे पड़ रही थी की उसकी पैंटी दिख रही थी. लड़कियों को पतले सलवार से कोई परेशानी नहीं होती क्यूंकी कमीज़ जांघों या घुटनों तक लंबी होने से सलवार के ऊपर ढका रहता है. लेकिन यहाँ पर गुरुजी ने सलवार के ऊपर कमीज़ का कवर हटा दिया था और मैं शॉक्ड रह गयी की काजल की पैंटी उसके नितंबों के ऊपर साफ दिख रही थी. गुरुजी तो मर्द थे उन्हें तो ये देखकर मज़ा आ रहा होगा.
मैंने द्रव्य का कटोरा लिया और काजल के पास आ गयी. काजल ने मुँह से लिंगा को बाहर निकाल लिया और वो हाँफ रही थी. उसकी आँखें अभी भी बंद थीं. मैंने उसके लिंगा में थोड़ा द्रव्य डाल दिया.
गुरुजी – देर मत करो. यज्ञ का शुभ समय निकल ना जाए.
मैं अपनी जगह वापस चली गयी और काजल ने फिर से लिंगा को मुँह में डालकर चूसना शुरू कर दिया. इतनी देर तक गुरुजी काजल की सलवार से ढकी गांड के ऊपर से कमीज़ हटाए खड़े थे. अब काजल फिर से लिंगा को चूसने लगी तो गुरुजी ने उसके गोल नितंबों पर लिंगा को घुमाना शुरू किया. मैं अपनी जगह से थोड़ा खिसकी ताकि गुरुजी की हरकतों को देख सकूँ.
अब मैंने देखा की गुरुजी ने उसकी कमीज़ नीचे कर दी है और दोनों हाथों से लिंगा पकड़कर मंत्र पढ़ रहे हैं. उनके हाथ कमीज़ के अंदर घूम रहे थे और सिर्फ काजल को ही मालूम होगा की वो क्या कर रहे थे क्यूंकी कमीज़ नीचे हो जाने से मुझे नहीं दिख रहा था. जिस तरह से खड़े खड़े काजल अपने बदन को झटक रही थी उससे मुझे लग रहा था की गुरुजी उसके पतले सलवार के बाहर से उसकी गांड को सहला रहे होंगे.
ये दृश्य बहुत अश्लील लग रहा था. पहली बार काजल असहज दिख रही थी. और क्यूँ ना हो ? वो एक टीनएजर लड़की थी और अगर कोई मर्द उसकी गांड में दोनों हाथों से लिंगा घुमाए और साथ ही साथ उसको दूसरा लिंगा चूसना पड़े तो कोई शादीशुदा औरत भी कामोत्तेजित हो जाएगी. गुरुजी मंत्र पढ़े जा रहे थे और अपनी ऊर्जित प्रक्रिया को जारी रखे हुए थे. अब वो काजल के सामने आ गये और लिंगा को उसके घुटनों में लगाया और धीरे धीरे ऊपर को उसकी जांघों में घुमाने लगे. जैसे जैसे गुरुजी के हाथ ऊपर को बढ़ने लगे तो मेरे दिल की धड़कनें तेज होने लगी क्यूंकी अब गुरुजी के हाथ काजल के नाजुक अंग तक पहुँचने वाले थे. तभी अचानक गुरुजी ने मुझसे कहा.
गुरुजी – रश्मि , यहाँ आओ.
मैं उनके पास आ गयी.
गुरुजी – तुम काजल की कमीज़ ऊपर करके पकड़ो. मैं इसकी योनि को ऊर्जित करता हूँ.
गुरुजी के मुँह से योनि शब्द सुनकर मुझे थोड़ा झटका लगा लेकिन फिर मैंने सोचा ये तो यज्ञ की प्रक्रिया है तो इसका पालन तो करना ही पड़ेगा. किसी भी औरत के लिए ये बड़ा अपमानजनक होता की उसके कपड़े ऊपर उठाकर कोई मर्द उसके गुप्तांगो को छुए लेकिन गुरुजी के अनुसार यज्ञ की प्रक्रिया होने की वजह से इसका पालन करना ही था. काजल ने भी कुछ खास रियेक्ट नहीं किया, शायद इसलिए क्यूंकी मैं भी वहाँ मौजूद थी.
मैंने एक हाथ से काजल की कमीज पकड़ी और आगे से कमर तक ऊपर उठा दी. लेकिन गुरुजी ने मुझसे दोनों हाथों से पकड़कर ठीक से थोड़ा और ऊपर उठाने को कहा. मैंने दोनों हाथों से कमीज पकड़कर थोड़ी और ऊपर उठा दी. अब काजल की नाभि और उसके सलवार का नाड़ा दिखने लगे.
गुरुजी ने काजल के सलवार के ऊपर से दोनों हाथों से लिंगा को उसकी योनि के ऊपर घुमाना शुरू किया और ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ने लगे. उस सेन्सिटिव भाग को छूने से काजल का चेहरा लाल हो गया और उसने लिंगा को चूसना बंद कर दिया. वैसे लिंगा अभी भी उसके मुँह में ही था और उसकी आँखें बंद थीं. फिर मैंने देखा की गुरुजी उसके सलवार और पैंटी के ऊपर से चूत की दरार में ऊपर से नीचे अंगुली फिराने की कोशिश कर रहे हैं. ये देखकर मेरी ब्रा के अंदर निप्पल एकदम तन गये. गुरुजी की अँगुलियाँ काजल की चूत को छू रही थीं और अब आँखें बंद किए हुए काजल हल्की सिसकारियाँ लेने लगी.
काजल – उम्म्म्ममम…….
गुरुजी अब साफ साफ काजल की चूत के त्रिकोणीय भाग को अपनी अंगुलियों से महसूस कर रहे थे और लिंगा को बस नाममात्र के लिए घुमा रहे थे. वो इस सुंदर लड़की की चूत के सामने झुककर इस ‘जागरण क्रिया’ को कर रहे थे. काजल अब अपनी खड़ी पोजीशन में इधर उधर हिल रही थी और मैं उसकी असहज स्थिति को अच्छी तरह से समझ सकती थी. कुछ देर बाद ये प्रक्रिया समाप्त हुई और गुरुजी सीधे खड़े हो गये. मैंने काजल की कमीज नीचे कर दी और उसने राहत की सांस ली.
गुरुजी – लिंगा में थोड़ा और द्रव्य डालो.
मैंने उस गाड़े द्रव्य का कटोरा लिया और काजल से लिंगा को मुँह से बाहर निकालने को भी नहीं कहा और ऐसे ही लिंगा में थोड़ा द्रव्य डाल दिया. लिंगा में बहते हुए द्रव्य काजल के होठों में पहुँच गया और थोड़ा सा ठुड्डी से होते हुए उसकी गर्दन में बह गया. गुरुजी ने तक तक उसके सपाट पेट में लिंगा घुमा दिया था और अब ऊपर को बढ़ रहे थे.
एक मर्द के द्वारा नितंबों और चूत को सहलाने से अब काजल गहरी साँसें ले रही थी और उसकी नुकीली चूचियाँ कड़क होकर सफेद कमीज को बाहर को ताने हुए थीं. मैं उसके एकदम पास खड़ी थी इसलिए उसकी कमीज में खड़े निप्पल की शेप देख सकती थी. उसने चुनरी नहीं डाली हुई थी इसलिए उसकी चूचियाँ बहुत आकर्षक लग रही थीं.
काजल लिंगा से द्रव्य को चूस रही थी. अब ऐसा लग रहा था की गुरुजी भी अपनी भाव भंगिमाओं पर थोड़ा नियंत्रण खो बैठे हैं. इस सुंदर लड़की के बदन के हर हिस्से से छेड़छाड़ करने के बाद अब उनके जबड़े लटक गये थे और वो खुद भी गहरी साँसें लेने लगे थे और उनका लंड धोती में खड़ा हो गया था. मंत्र पढ़ते हुए अब उनकी आवाज भी कुछ धीमी हो गयी थी.
अब गुरुजी ने काजल की चूचियों पर लिंगा को घुमाना शुरू किया. काजल की आँखें बंद थीं शायद इसलिए गुरुजी को ज़्यादा जोश आ गया. उन्होंने मेरी मौजूदगी को पूरी तरह से नजरअंदाज करते हुए लिंगा से अपना दायां हाथ हटा लिया और काजल की बायीं चूची को पकड़ लिया.
काजल – उम्म्म्मम……
उसके मुँह से सिसकारी निकल गयी. वो लिंगा चूस रही थी और उसने कस के आँखें बंद की हुई थी, शायद उत्तेजना की वजह से. मुझे लगा अब गुरुजी हद पार कर रहे हैं, खुलेआम अपनी बेटी की उमर की लड़की की चूची दबा रहे हैं. वो अपनी हथेली से काजल की चूची की गोलाई और सुडौलता को महसूस कर रहे थे और मेरे सामने खुलेआम ऐसा करना इतना अश्लील लग रहा था की मुझे अपनी नजरें फेरकर दूसरी तरफ देखना पड़ा. गुरुजी इस परिस्थिति का अनुचित लाभ उठा रहे थे
और इस गुलाब की कली के कोमल बदन को महसूस कर रहे थे. लेकिन जल्दी ही गुरुजी ने अपनी भावनाओं पर काबू पा लिया और ज़ोर से मंत्र पढ़ते हुए दोनों हाथों से लिंगा पकड़कर काजल की चूचियों पर घुमाने लगे. अंत में गुरुजी ने काजल की चूचियों को लिंगा के आधार से ऐसे दबाया जैसे उनपर अपनी मोहर लगा रहे हों.
गुरुजी – काजल बेटी, अपनी आँखें खोलो. तुम्हारी ‘जागरण क्रिया’ पूरी हो चुकी है. अपने मुँह से लिंगा निकाल लो.
काजल – उफफफफफफफ्फ़….
काजल ने राहत की सांस ली. मैंने ख्याल किया की उसे बहुत पसीना आ रहा था , एक तो अग्निकुण्ड की गर्मी थी ऊपर से बदन में नाज़ुक अंगों की एक मर्द द्वारा छेड़छाड़.
गुरुजी – मैं उम्मीद करता हूँ की तुम्हारा पूरा ध्यान पूजा में रहा होगा. वरना तुम्हारे लिए ‘अमंगल’ हो सकता है और तुम एग्जाम्स में सफलता भी प्राप्त नहीं कर पाओगी.
काजल – नहीं गुरुजी. मैं ध्यान लगा रही थी.
गुरुजी – ठीक है. अब यज्ञ का पहला भाग पूरा हो चुका है.
कहानी जारी रहेगी
NOTE
1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब अलग होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .
2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा जी स्वामी, पंडित, पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
3. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
4 जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी। बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था। अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।
कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
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