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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#43
गुरुजी के आश्रम में सावित्री

औलाद की चाह

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

Update-6

कामेच्छायें




“आंटी ….आंटी…” मैं जैसे सपने से जागी. मेरी गोद में मैगज़ीन खुली हुई थी पर गुप्ताजी के नौकर ने कुछ समय पहले जो बदसलूकी मेरे साथ की थी उससे मेरा मन बचपन की उन बुरी यादों में खो गया था. हालाँकि आज की घटना बहुत ही शर्मिंदगी वाली थी क्यूंकी अब मैं 28 बरस की शादीशुदा औरत थी.

काजल मुझे बुला रही थी.

काजल – आंटी …आंटी….

“ओह……हाँ….क्या हुआ ?”

काजल – गुरुजी बुला रहे हैं.

“हाँ…. हाँ , चलो.”

काजल – गुरुजी बुला रहे हैं.

“हाँ…. हाँ , चलो.”

मैंने अपनी गोद में खुली हुई मैगज़ीन उठाकर टेबल पे रख दी और अपनी साड़ी ठीक करके काजल के साथ चल दी. काजल मुझसे 10 – 12 साल छोटी थी , वो मेरे आगे चल रही थी और मैं उसका कसा हुआ बदन देख रही थी. मेरे आगे मस्ती में चलती हुई काजल की मटकती हुई गांड बहुत मनोहारी लग रही थी. जब हम पूजा घर पहुँचे तो देखा की वहाँ सभी लोग हैं , गुरुजी , समीर, गुप्ताजी और नंदिनी.

गुरुजी – अब हम यज्ञ के आख़िरी पड़ाव पर हैं और काजल बेटी को इसे पूरा करना है.

काजल – जी गुरुजी.

गुरुजी – समीर, नंदिनी और कुमार को भोग बाँट दो. नियम ये है की काजल के यज्ञ में बैठने से पहले उसके माता पिता को भोग गृहण करना होगा.

समीर – जी गुरुजी.

गुरुजी – समीर, यज्ञ में अब तुम्हारी ज़रूरत नहीं है. तुम आराम कर सकते हो. रश्मि, तुम्हें काजल को आध्यात्मिक लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करनी है इसलिए तुम यहीं रूको.

नंदिनी और कुमार ने गुरुजी को प्रणाम किया और वो दोनों पूजा घर से बाहर चले गये. समीर भी दो कटोरे भोग लेकर बाहर चला गया. अब गुरुजी , मैं और काजल तीन लोग ही पूजा घर में थे.

गुरुजी – रश्मि, एक बार देख लो की समीर ने यज्ञ के लिए ज़रूरी सामग्री रखी है ? दूध, घी, शहद, चंदन, हल्दी, फूल, पान के पत्ते, नारियल, सुपारी, तिल , जौ होने चाहिए .

“जी गुरुजी.”

मैं नीचे बैठ गयी और यज्ञ की सामग्री चेक करने लगी. जब मैं नीचे बैठी तो पैंटी का कपड़ा मेरे नितंबों से सिकुड़कर बीच की दरार में घुसने लगा. पेटीकोट के अंदर मेरे बड़े नितंब लगभग नंगे हो गये पर मैं गुरुजी के सामने अपने कपड़े एडजस्ट नहीं कर सकती थी इसलिए वैसी ही बैठी रही.

गुरुजी काजल को मनुष्य के जीवन, दर्शन, उद्देश्य, पढ़ाई आदि के बारे में आध्यात्मिक बातें बता रहे थे और काजल ध्यान से उनकी बातें सुन रही थी. मैं सोचने लगी की गुरुजी को क्या मालूम की ये लड़की अश्लील फिल्में देखती है और कुछ देर पहले मेरे साथ बड़े मज़े लेकर लेस्बियन सेक्स कर रही थी. और अब यहाँ ज्ञान , धर्म की आध्यात्मिक बातें हो रही थीं.

मैंने देखा की समीर ने सभी सामग्री अच्छे से रखी हुई है सिर्फ़ दूध वहाँ नहीं था. मैं गुरुजी की बात खत्म होने का इंतज़ार करने लगी.

“गुरुजी, यहाँ दूध नहीं है और बाकी सब है.”

गुरुजी – ठीक है. तुम नंदिनी से एक लीटर दूध ले आओ. और हाँ, मैंने नंदिनी से एक सफेद साड़ी लाने को कहा था पर यहाँ नहीं दिख रही. उससे कह देना.

“जी गुरुजी.”

मैं पूजा घर से बाहर आ गयी और गुरुजी फिर से काजल को आध्यात्मिक बातें समझाने लगे. सीढ़ियों से नीचे उतरकर मैंने अपनी पैंटी एडजस्ट करने की सोची क्यूंकी उसका कपड़ा मेरे नितंबों की दरार में फँस गया था जिससे चलने में मुझे असुविधा हो रही थी. लेकिन उस गैलरी में सुनसानी थी तो मुझे डर लगा की कहीं वो कमीना नौकर ना आ जाए इसलिए मैं इस वाले बाथरूम में जाने में घबरा रही थी.

मैं गैलरी से होते हुए ड्राइंग रूम की तरफ चली गयी. वहाँ मुझे कोई बैठा हुआ नज़र आया. मैंने कुछ दूरी से ध्यान से देखा , वो गुप्ताजी था.

“हे भगवान…”

वो शराब पी रहा था और उसके पैरों के पास वही नौकर बैठा हुआ था जिसने मेरे साथ बदतमीज़ी की थी. मेरे पैर वहीं रुक गये . मैं जानती थी की अगर इन्हें अब दूसरा मौका मिल गया तो ये कमीने मुझे नंगी कर देंगे और बिना चोदे जाने नहीं देंगे. मैं काजल के कमरे की तरफ चली गयी. मैंने सोचा की अब मुझे मालूम है की ये दोनों आदमी ड्राइंग रूम में बैठे हैं तो काजल का कमरा सेफ है. मैंने जल्दी से अपनी साड़ी कमर तक ऊपर उठाई और पैंटी के सिरो को पकड़कर नितंबों के बीच की दरार से बाहर निकाला और नितंबों के ऊपर फैला दिया. और चूत के ऊपर भी पैंटी का कपड़ा एडजस्ट कर लिया. फिर साड़ी नीचे कर ली. शुक्र है की यहाँ कोई नहीं था और पैंटी एडजस्ट करके मुझे बहुत राहत हुई.

मैं काजल के कमरे से बाहर आकर गैलरी में ड्राइंग रूम के दूसरी तरफ जाने लगी , तभी मुझे चूड़ियों की खनक सुनाई दी , मैंने इधर उधर देखा पर मुझे कोई औरत नहीं दिखी. गैलरी से एक रास्ता बायीं तरफ मुड़कर बालकनी को जाता था. हाँ, चूड़ियों की आवाज़ वहीं से आ रही थी. मैं समझ गयी की वो नंदिनी होगी. मैंने उसे आवाज़ देने की सोची फिर मुझे उत्सुकता हुई की उसके साथ कौन है ? क्यूंकी मुझे ड्राइंग रूम में समीर नहीं दिखा था. मैं बिना आवाज़ किए धीरे से आगे बढ़ी और बालकनी में झाँका. बालकनी में चाँद की रोशनी आ रही थी और वहाँ नंदिनी के साथ समीर था.

लेकिन वो दोनों वहाँ कर क्या रहे थे ?

चाँद की रोशनी में सफेद साड़ी लपेटे हुए नंदिनी सेक्सी लग रही थी. समीर उसके हाथ पकड़े हुए था और कुछ फुसफुसा रहा था. मैं बिल्कुल सही वक़्त पर वहाँ पहुँची थी. जल्दी ही मुझे समझ आ गया की समीर उस खुली हुई बालकनी में नंदिनी को फुसला रहा था लेकिन नंदिनी हिचकिचा रही थी क्यूंकी उसका विकलांग पति कुछ ही दूरी पर ड्राइंग रूम में बैठा हुआ था. अब समीर ने नंदिनी को अपने नज़दीक़ खींच लिया , नंदिनी का विरोध भी कमज़ोर पड़ने लगा. कुछ देर बाद नंदिनी मान ही गयी.

नंदिनी – ओके बाबा, करो जो तुम्हारा मन है.

समीर उसकी हामी का इंतज़ार कर रहा था. अब उसने नंदिनी की पीठ में ब्लाउज के ऊपर हाथ फिराना शुरू किया और फिर नंगी कमर पर हाथ फेरने लगा. नंदिनी का चेहरा मेरी तरफ था, उसने अपनी आँखें बंद कर ली. फिर समीर ने नंदिनी को पीठ की तरफ घुमा दिया और दोनों हाथों से उसकी बड़ी चूचियों को मसलने लगा. नंदिनी कसमसाने लगी और हाथ नीचे ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही अपनी चूत को रगड़ने लगी. मैं उन दोनों की कामुक हरकतों को देखने में मगन हो गयी थी

और बिल्कुल ही भूल गयी की मैं नंदिनी के पास दूध और सफेद साड़ी लेने आई थी. अचानक समीर ने अपनी हरकतें रोक दी और चुपचाप खड़ा रहा, उसने हथेलियों में नंदिनी की बड़ी चूचियों को ब्लाउज के बाहर से पकड़ा हुआ था पर उसके हाथ स्थिर हो गये. नंदिनी थोड़ी घबराई , उसने सोचा शायद समीर ने किसी को देख लिया है तभी हाथ रोक दिए. लेकिन मुझे मालूम था की समीर ने किसी को नहीं देखा था वो तो बस नंदिनी की बड़ी बड़ी चूचियों को अपनी हथेलियों में भरकर महसूस कर रहा था.

नंदिनी – बदमाश……

नंदिनी की सांस अटक गयी थी , वो समीर की तरह घूम गयी. समीर के हाथ उसकी साड़ी के पल्लू के अंदर ब्लाउज के ऊपर थे. अब समीर ने अपने होंठ नंदिनी के होठों पे रख दिए और दोनों कुछ देर तक एक दूसरे के होठों को चूमते रहे. साथ ही साथ समीर ने नंदिनी के ब्लाउज के ऊपर से उसका पल्लू भी नीचे गिरा दिया और फिर उसकी कमर से साड़ी खोलने लगा.

मुझे हैरानी हो रही थी की नंदिनी उस खुली हुई बालकनी में समीर को ऐसी अश्लील हरकतें कैसे करने दे रही थी. वैसे बालकनी से रोड तो नहीं दिखती थी लेकिन अगर कोई इस घर की तरफ आए तो उसे साफ दिख जाता की बालकनी में क्या हो रहा है. समीर अपना काम तेज़ी से कर रहा था और कुछ ही देर में उसने नंदिनी के सफेद ब्लाउज के हुक खोल दिए और उसकी सफेद ब्रा चूचियों से ऊपर कर दी. नंदिनी एक 18 बरस की लड़की की माँ थी , उसका भरा हुआ बदन था और बड़ी बड़ी चूचियाँ थी और उसमें काले रंग के बड़े निप्पल थे जो कड़क होकर तने हुए थे.

अब समीर ने नंदिनी की कमर को अपनी बाँहों के घेरे में लिया और उसकी ठोड़ी को उठाकर उसके होठों के बीच अपनी जीभ डाल दी. नंदिनी ने समीर को अपने आलिंगन में ले लिया और उसकी पीठ पर हाथ फिराने लगी. उसकी साड़ी फर्श में गिरी हुई थी और ब्लाउज खुला हुआ था. उसकी ब्रा नंगी चूचियों के ऊपर को कर रखी थी और सिर्फ़ पेटीकोट से उसकी इज़्ज़त ढकी हुई थी. अब समीर अपने लंड को उसके पेटीकोट के बाहर से चूत पर दबाने लगा. समीर नंदिनी की चूचियों को मसल रहा था और उसके मुँह में जीभ डालकर घुमा रहा था.

“उहहहह…..”

उनकी कामलीला देखने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. ये सीन देखकर मुझे नाव में विकास के साथ चुंबन की याद आ गयी. उस रात नाव में बिताए हुए वो पल मैं भूल ही नहीं सकती. मैं सोचने लगी काश विकास यहाँ आया होता तो हम फिर से प्यार भरे कुछ पल बिता सकते थे. फिर मेरे मन में आया की मैं अपने पति को क्यूँ नहीं याद कर रही हूँ , विकास को क्यूँ ? राजेश भी मुझे ऐसे चूमता था पर कभी कभार क्यूंकी वो चुंबन की बजाय सीधे सेक्स में ज़्यादा इंट्रेस्टेड रहता था. लेकिन विकास का चुंबन बहुत रोमांटिक था और अभी समीर भी उसी तरह से नंदिनी को चूम रहा था.

अब समीर के हाथ नंदिनी की गांड पर आ गये और वो उसकी बड़ी गांड को सहलाने और दबाने लगा. मेरा दायां हाथ अपनेआप ही नीचे जाकर साड़ी के बाहर से मेरी चूत को रगड़ रहा था और बायां हाथ ब्लाउज के ऊपर से चूचियों को सहला रहा था और निप्पल को दबा रहा था.

अब समीर ने नंदिनी के ब्लाउज और ब्रा को उतारकर चेयर पे डाल दिया और नंदिनी अब सिर्फ़ पेटीकोट में टॉपलेस खड़ी थी. उस औरत की हिम्मत देखकर मैं हैरान रह गयी. उसका आदमी घर में मौजूद था और वो समीर के साथ टॉपलेस होकर खुली बालकनी में खड़ी थी. मैं तो अपने घर में कभी भी ऐसा नहीं कर सकती. जब दोपहर में मेरे पति काम पर गये होते थे और कोई सेल्समैन आ जाता था तो मैं कभी भी नाइटी में या बिना ब्रा पहने सेल्समैन के पास नहीं जाती थी जबकि ज़्यादातर उस समय मैं दोपहर की नींद ले रही होती थी इसलिए हल्के कपड़ों में होती थी. लेकिन यहाँ पर नंदिनी सारी हदें पार कर रही थी.

अब समीर ने नंदिनी की बाँहें ऊपर कर दी , मैंने देखा उसकी कांख शेव की हुई थी. समीर ने कांख में अपना मुँह लगा दिया और खुशबू सूंघने लगा. और फिर वहाँ पर जीभ से चाटने लगा. नंदिनी कसमसाने लगी. अब मुझसे और नहीं देखा गया. मैं सोचने लगी नंदिनी से दूध और सफेद साड़ी कैसे माँगू ? मुझे होश आया की देर हो गयी है और गुरुजी कहीं नाराज़ ना हो रहे हों. मैंने मन ही मन नंदिनी से माफी माँगी क्यूंकी मुझे उसकी कामलीला को रोकना पड़ रहा था.

मैं बालकनी से थोड़ी दूर 7 – 8 कदम वापस पीछे गयी और नंदिनी को आवाज़ लगाने लगी.

“नंदिनीजी ……. नंदिनीजी….”

मैं जानबूझकर आगे नहीं बढ़ी क्यूंकी मुझे मालूम था की मेरी आवाज़ सुनकर वो तुरंत कपड़े पहनने लगेगी इसलिए उसको कुछ वक़्त देना पड़ेगा. कुछ पल बाद मैंने फिर से आवाज़ लगाई. उसकी हल्की सी आवाज़ आई.

नंदिनी – हाँ …..मैं यहाँ हूँ.

मैं बहुत धीमे धीमे बालकनी की तरफ बढ़ी. जब मैं बालकनी में आई तो समीर चेयर पे बैठा हुआ था और नंदिनी बहुत कामुक लग रही थी. उसके जल्दबाज़ी में ब्लाउज पहन लिया था पर उसके सारे हुक खुले हुए थे और साड़ी भी यूँ ही ऊपर से लपेट ली थी. मुझे लगा की उसे कपड़े पहनने को थोड़ा और वक़्त देना चाहिए था.

“गुरुजी ने एक लीटर दूध और एक सफेद साड़ी के लिए कहा है.”

नंदिनी – ओह … हाँ हाँ …रश्मि. मैं तो भूल ही गयी. तुम यहाँ बैठो , मैं अभी लाती हूँ.

नंदिनी बोलते वक़्त हाँफ रही थी और उसका चेहरा लाल हो रखा था. मैं बालकनी में चेयर में बैठ गयी. नंदिनी जल्दी से वहाँ से चली गयी . उसकी चूड़ियों की खनक से मुझे अंदाज़ा हो रहा था की वो गैलरी में जाकर अपने कपड़े ठीक कर रही है. समीर बिल्कुल नॉर्मल होकर मुझसे बातें कर रहा था. कुछ देर बाद नंदिनी एक दूध का बर्तन और एक सफेद साड़ी लेकर आई.

मैं दूध और साड़ी लेकर वहाँ से चली आई. गैलरी से सीढ़ियां चढ़ते वक़्त मैं सोच रही थी की अब समीर और नंदिनी बालकनी में ही अपनी कामलीला जारी रखेंगे या मेरे आने से सावधान होकर किसी कमरे में जाकर अपनी कामेच्छायें पूरी करेंगे ? जो भी हो पर मैं इतना तो समझ गयी थी की अगर माँ ही ऐसी है तो बेटी को अश्लील फिल्में देखने पर मैं ज़्यादा दोष नहीं दे सकती


कहानी जारी रहेगी


NOTE



1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब  अलग  होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर  कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा  कही पर भी संभव है  .



2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा  जी  स्वामी, पंडित,  पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन   खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.





3.  इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने  अन्यत्र नहीं पढ़ी है  .



जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी। बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था। अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।






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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 04-05-2022, 08:10 PM



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