04-05-2022, 08:05 PM
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गुरुजी के आश्रम में सावित्री
औलाद की चाह
CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की
Update-5
कमीना नौकर
कमरे का दरवाज़ा खुला था और वहां काजल नहीं थी बल्कि मेरे सामने एक 35 – 40 बरस का आदमी बाल्टी लिए खड़ा था , जो नौकर लग रहा था. उसे अपने सामने खड़ा देखकर मैं अवाक रह गयी. मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से अपनी बड़ी चूचियाँ ढकने की कोशिश की. हथेलियों से सिर्फ़ निप्पल और उसके आस पास का हिस्सा ही ढक पा रहा था पर इस हड़बड़ाहट की वजह से हल्के से लिपटा हुआ मेरा टॉवेल खुलकर फर्श में गिर गया. अब मेरे बदन में एक भी कपड़ा नहीं था और मेरी बालों से ढकी हुई चूत उस नौकर के सामने नंगी हो गयी . वो नौकर हक्का बक्का होकर मुझे उस पूरी नंगी हालत में देख रहा था.
नौकर – अरे अरे ……. मैडम.
मैं तुरंत नीचे झुकी और टॉवेल उठाने लगी. मैं फिर से अपनी चूत ढकने के लिए टॉवेल लपेटने लगी तो मेरे दाएं हाथ में पकड़ी हुई पैंटी नीचे गिर गयी. मैंने उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए था क्यूंकी सामने खड़े नौकर ने मेरा पूरा नंगा बदन अच्छे से देख लिया था. लेकिन हुआ ये की जैसे ही मैंने फर्श से टॉवेल उठाकर जल्दी से अपनी चूत के आगे लगाया तो पैंटी मेरे हाथ से फिसल गयी. मैंने टॉवेल लपेटना छोड़कर पैंटी को हवा में ही पकड़ने की कोशिश की.
असल में उस अंजान आदमी के सामने पूरी नंगी होने से मैं इतना घबरा गयी थी की सब गड़बड़ कर दिया. पैंटी पकड़ने की कोशिश में मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं घुटनों के बल फर्श में गिर गयी. मेरे हाथ से टॉवेल छिटक गया और एक बार फिर से मैं उस नौकर के सामने पूरी नंगी हो गयी.
अब तक वो नौकर आँखें फाड़े मुझे देख रहा था पर इससे पहले की मैं उठ पाती , वो मेरी मदद को आगे आया. पहली बार मैंने ध्यान से उसे देखा. वो काला कलूटा , बदसूरत सा लेकिन मजबूत बदन वाला था. उसने नीले रंग की कमीज़ और सफेद धोती पहनी हुई थी और वो शायद बाथरूम साफ करने वहाँ आया था.
नौकर – मैडम …ध्यान से….
वो आगे झुका और मेरा कंधा पकड़ लिया. मेरी हालत उस समय बहुत बुरी थी. मैं अपने घुटनों के बल फर्श में बैठी हुई थी , कपड़े का एक टुकड़ा भी मेरे बदन में नहीं था, मेरी बड़ी चूचियाँ पूरी नंगी लटक रही थीं और एक अंजान नौकर मेरे नंगे कंधे को पकड़े हुए था.
उसके मेरे नंगे बदन को छूते ही मुझे करेंट सा लगा. मैंने तुरंत उसका हाथ झटक दिया और अपनी नंगी चूचियों को टॉवेल से ढककर उठ खड़ी हुई और बाथरूम में भाग गयी. पीछे मुड़ने से नौकर के सामने अब मेरी बड़ी गांड नंगी थी पर मेरे पास सोचने का समय नहीं था और मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया.
ये सब कुछ अचानक और बहुत जल्दी से हो गया था पर मैं इतनी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी की हाँफने लगी थी की जैसे कितना जो दौड़कर आई हूँ. मुझे नॉर्मल होने में कुछ वक़्त लगा . फिर मुझे होश आया की अब क्या करूँ ? पहनने के लिए तो मेरे पास कुछ है ही नहीं. मेरे पास सिर्फ़ एक छोटा सा टॉवेल और एक गीली पैंटी थी. मैंने दरवाज़े पे कान लगाए की शायद काजल कमरे में वापस आ गयी हो पर उसकी कोई आवाज़ मुझे नहीं सुनाई दी. कुछ पल ऐसे ही बीत गये फिर नौकर ने आवाज़ लगाई.
नौकर – मैडम, मुझे बाथरूम , टॉयलेट साफ करना है. जल्दी से कपड़े पहन लो. मुझे और भी काम है.
“रूको , रूको.”
अब मेरा बदन काँपने लगा था क्यूंकी मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की मैं कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूँ ? मैंने बाथरूम में इधर उधर देखा शायद काजल के कोई कपड़े रखे हों. हुक्स में कोई भी कपड़े नहीं टंगे थे पर एक बाल्टी में पड़े हुए कुछ कपड़े मुझे दिख गये. मैंने बाल्टी में हाथ डालकर वो कपड़े बाहर निकाले . उसमें सिर्फ़ एक ब्रा , एक पैंटी , एक चुन्नटदार स्कर्ट और एक मुड़ा तुड़ा टॉप था. मैं बाथरूम में बिल्कुल नंगी खड़ी थी तो मेरे पास कोई और चारा नहीं था. मैंने उन्हीं कपड़ों को पहनने का फ़ैसला किया.
नौकर – मैडम , मैं कितनी देर तक खड़ा रहूँगा ?
अब ये नौकर मुझे इरिटेट कर रहा था. मैंने गुस्से से उसे जवाब दिया.
“या तो एक बार काजल को बुला दो या फिर इंतज़ार करो.”
नौकर – मैडम, काजल तो सेठजी के किसी काम से नीचे गयी है.
अब तो मैं बुरी फँस गयी थी. अगर मैं गुप्ताजी को बुलाती हूँ तो वो इस हालत में देखकर मुझसे मज़ा लिए बिना छोड़ेगा नहीं. नंदिनी ज़रूर मेरी मदद कर सकती थी लेकिन अभी वो यज्ञ में बिज़ी थी. अगर मैं इस नौकर से अपने कपड़े मांगू तो इससे मुसीबत भी हो सकती है क्यूंकी तब इसे पता चल जाएगा की मेरे पास पहनने को बाथरूम में कोई कपड़े नहीं हैं. इन सब विकल्पों पर सोचने के बाद मैंने जो है उसी को पहनने का मन बनाया.
सबसे पहले तो मैंने अपनी पैंटी पहन ली जो थोड़ी गीली थी लेकिन और कोई चारा भी तो नहीं था. मैंने पैंटी के सिरों को पकड़कर अपने बड़े नितंबों के ऊपर फैलाने की कोशिश की ताकि ज़्यादा से ज़्यादा ढक जाए. फिर मैंने काजल की ब्रा पहनने की कोशिश की लेकिन वो छोटे साइज़ की थी और ब्रा के कप भी छोटे थे. मेरी बड़ी चूचियाँ ब्रा कप में ठीक से नहीं आयीं पर जितना ढक गया अभी उतना भी बहुत था. मैंने ब्रा के स्ट्रैप्स कंधों पर डाल लिए और पीठ पर हुक नहीं लगा तो ऐसे ही रहने दिया.
उसके बाद मैंने काजल की स्कर्ट उठाई. ये एक चुन्नटदार स्कर्ट थी और खुशकिस्मती से छोटी नहीं थी. मैंने इसे पहना तो मेरे घुटने तक लंबी थी लेकिन समस्या ये थी की इसकी कमर मेरे लिए छोटी हो रही थी. इसलिए बटन लग नहीं रहा था और मेरे बड़े नितंबों पर टाइट भी हो रही थी लेकिन मैंने सोचा की बाहर निकलकर तो अपने कपड़े पहन ही लूँगी.
अब मुझे अपनी नंगी छाती को ढकना था. मैंने काजल का टॉप बाल्टी से निकाला, वो मुड़ा तुड़ा हुआ था तो मैंने उसे सीधा करने की कोशिश की. वो शायद लंबे समय से बाल्टी में पड़ा था इसलिए सीधा नहीं हो रहा था. मैंने उसमें अपनी बाँहें डालने की कोशिश की तो मुझे पता लगा की ये तो मेरे लिए बहुत टाइट है और बहुत छोटा भी. मेरे जैसी भरे पूरे बदन वाली औरत के लिए वो टॉप पूरी तरह से अनफिट था. मैंने उसे फिर से बाल्टी में डाल दिया और टॉवेल को फैलाकर अपनी चूचियों को ढक लिया.
नौकर – मैडम, क्या दिक्कत है ? सेठजी को बुलाऊँ क्या ?
“नहीं नहीं. किसी को बुलाने की ज़रूरत नहीं. मैं आ रही हूँ.”
मैंने सोचा इससे कहूं या नहीं, फिर सोचा कह ही देती हूँ.
“एक काम करो. कमरे का दरवाज़ा लॉक कर दो.”
नौकर – क्यूँ मैडम ?
“असल में…वो क्या है की ….मेरा मतलब मेरे पास बाथरूम में साड़ी नहीं है.”
नौकर – हाँ मैडम. आपकी साड़ी तो यहाँ बेड पर है.
“हाँ. दरवाज़ा बंद कर दो और मुझे बताओ.”
नौकर – मैडम ये बाकी कपड़े भी आपके ही होंगे क्यूंकी मुझे पता है की ये काजल दीदी के तो नहीं हैं.
मैं सोच रही थी की इस आदमी की बात का क्या जवाब दूँ. उसने ज़रूर मेरी साड़ी के साथ रखे हुए मेरे ब्लाउज, पेटीकोट और ब्रा को देख लिया होगा.
नौकर – आपके सारे कपड़े तो यहीं दिख रहे हैं तो फिर बाथरूम में क्या ले गयी हो ?
“असल में मैं उनको ले जाना भूल गयी थी लेकिन…”
मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी की उसने टोक दिया. वो बहुत बातूनी आदमी लग रहा था लेकिन मुझे उसकी बातों से इरिटेशन हो रही थी और एंबरेसमेंट भी.
नौकर – ओहो… अब मुझे समझ आया की जब मैंने आपको देखा था तब आपने कपड़े क्यूँ नहीं पहने थे. लेकिन मैडम, आपको ध्यान रखना चाहिए. हमेशा दरवाज़ा लॉक करना चाहिए. किसी को पता नहीं चलेगा की आप …..बिल्कुल नंगी हो.
वो थोड़ा रुका फिर बोलने लगा.
नौकर – लेकिन मैडम, एक बात बताऊँ …..एक सेकेंड रूको, दरवाज़े के पास आता हूँ.
एक पल के लिए शांति रही फिर उसकी आवाज़ मेरे बिल्कुल नज़दीक़ से आई. मुझे पता चल गया की वो बाथरूम के दरवाज़े से चिपक के खड़ा है और वो धीमी आवाज़ में बोल रहा था.
नौकर – मैडम, मैं आपको एक राज की बात बता रहा हूँ. जैसे मैंने आपको देखा अगर वैसे सेठजी ने देख लिया होता तो वो आपको आसानी से नहीं जाने देता. उसका चरित्र अच्छा नहीं है. वो विकलांग ज़रूर है पर बहुत चालाक है. मैडम, ध्यान रखना.
कुछ पल रुककर फिर बोलने लगा.
नौकर – काजल दीदी भी अपने कमरे में बहुत कम कपड़े पहनती है पर फिर भी आपकी जैसी नहीं मैडम. आप तो बिल्कुल नंगी निकली बाथरूम से.
मेरे पास जवाब देने को कुछ नहीं था और मैं बाथरूम में शर्मिंदगी से खड़ी रही.
नौकर – मैडम फिर भी आपने मुझे देखकर अपने बदन को ढकने की कोशिश तो की. लेकिन काजल दीदी तो मेरे सामने अपने को ढकने की कोशिश भी नहीं करती है. ये लड़की अभी से बिगड़ चुकी है. मैं इस घर का नौकर हूँ अब इससे ज़्यादा क्या कह सकता हूँ.
मैं सोचने लगी कब तक ऐसे ही बाथरूम में खड़ी रहूंगी.
“अच्छा …”
नौकर – मैं आपको बता रहा हूँ मैडम, पर किसी को मत बताना. ना जाने कितनी बार मैंने काजल दीदी को बिना कपड़े पहने बेड में लेटे हुए देखा है.
“क्या..???”
नौकर – मेरा मतलब वो कुर्ता या नाइटी नहीं पहनी थी, सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट पहने हुई थी मैडम. मैं झाड़ू पोछा लगा रहा था और वो ऐसे ही बेड में लेटी थी. कभी कभी मैं जब बाथरूम साफ कर रहा होता हूँ तो वो मुझे कोई हिदायत देने आती है. आपको पता है मैडम की क्या पहन के आती है ?
वो रुका और शायद मेरे पूछने का इंतज़ार कर रहा था. काजल के किस्से मैं सिर्फ उत्सुकता की वजह से सुन रही थी वरना जिस हालत में मैं थी उसमें तो अपनी इज़्ज़त बचाने के अलावा किसी और चीज़ में ध्यान लगाना मुश्किल था.
“क्या पहन के ?”
नौकर – मैडम , काजल दीदी एक छोटा सा टॉप और एक चड्डी जैसी चीज़ पहन के आयी थी , जो लड़कियाँ शहर में अपनी स्कर्ट के अंदर पहनती हैं. मैं बार बार उसका नाम भूल जाता हूँ. मैडम आपने भी तो अपने हाथ में पकड़ी थी. क्या कहते हैं उसको ?
“हाँ मैं समझ गयी बस. तुम्हें इसका नाम लेने की ज़रूरत नहीं है.”
नौकर – नहीं नहीं मैडम. एक बार बता दो. मैं भूल गया हूँ. असल में एक दिन मेरी घरवाली बोली की वो भी अपने घाघरे के अंदर इसको पहनना चाहती है, लेकिन मैंने मना कर दिया. ये सब शहर वालों के फैशन हैं. मैडम ? इसका नाम कुछ प से कहते हैं, है ना ? पा …पा…..?
“पैंटी..”
नौकर – हाँ मैडम , पैंटी….. पैंटी…… मैं इसका नाम भूल जाता हूँ. पता नहीं क्यूँ.
मैं सोच रही थी की अब फिर से इसे बोलूं की कमरे का दरवाज़ा बंद कर दे ताकि मैं बाथरूम से बाहर निकलूं लेकिन इसका मुँह ही बंद नहीं हो रहा था.
नौकर – लेकिन मैडम, ये तो इतनी छोटी सी होती है , मुझे समझ नहीं आता की आप लोग इसे पहनते ही क्यूँ हो ? मैडम, सेठानी भी इसे पहनती है. जब वो इसे धोने के लिए देती है तो मेरी हँसी नहीं रुकती.
“क्यूँ ?”
धीरे धीरे मुझे उसकी बातों में इंटरेस्ट आ रहा था इसलिए मेरे मुँह से अपनेआप ‘क्यूँ’ निकल गया. फिर मुझे लगा की बेकार ही पूछ बैठी क्यूंकी जवाब तो जाहिर था.
नौकर –मैडम, आपने तो सेठानी को देखा ही होगा. क्या गांड है उसकी. ये छोटी सी चीज़ क्या ढकेगी मैडम ? ना गांड , ना चूत.
उसने बड़े आराम से बातचीत में ऐसे अश्लील शब्द बोल दिए , मैं तो शॉक्ड रह गयी और दरवाज़े के पीछे अवाक खड़े रही. मैंने अपने मन को ये सोचकर दिलासा देने की कोशिश की, कि ये तो लोवर क्लास आदमी है तो ऐसे शब्द बोलने का आदी होगा. मैंने इसे इग्नोर करने की कोशिश की लेकिन एक मर्द के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी.
मुझे शरम भी आ रही थी और इरिटेशन भी हो रही थी कि एक अंजान आदमी, वो भी घर का नौकर, मुझसे ऐसी भाषा में बात कर रहा है. जब मैं शादी के बाद अपनी ससुराल आई तो खुशकिस्मती से वहाँ कोई मर्द नौकर नहीं था लेकिन शादी से पहले मेरे मायके में एक नौकर था पर बोलचाल में मैंने कभी उसके मुँह से ऐसे अश्लील शब्द नहीं सुने. वैसे उसका बोलना ठीक ठाक था लेकिन रवैया ठीक नहीं था. मुझे याद है की जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी तो कई बार उसने मुझसे छेड़छाड़ की थी लेकिन वो हमारे घर का पुराना नौकर था इसलिए मैं कभी भी उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई.
मैंने सोचा ये नौकर लोग ऐसे ही होते हैं और इस आदमी के अश्लील शब्दों को वैसे ही इग्नोर करने की कोशिश की जैसे मैं अपनी मम्मी के घर पे नौकर की छेड़छाड़ को इग्नोर किया करती थी.
अब मुझे बाथरूम से बाहर आना था लेकिन जब मैंने अपने को देखा तो मेरे ऊपरी बदन में टॉवेल था और निचले बदन में काजल की टाइट स्कर्ट थी, और मैं ऐसे बहुत कामुक लग रही थी. अगर कोई भी मुझे इस हालत में देख लेता तो मेरे बारे में बहुत ग़लत सोचता. इसलिए मैंने फिर से दरवाज़ा बंद करने के लिए कहा.
“तुमने दरवाज़ा बंद कर दिया ?”
नौकर – नहीं मैडम. अभी करता हूँ.
मैंने दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ सुनी और थोड़ी राहत महसूस की.
नौकर – मैडम मैंने दरवाज़ा तो बंद कर दिया है पर आप बाहर कैसे आओगी ? आपके सारे कपड़े तो बेड में पड़े हैं.
“तुम्हें उसकी फिकर करने की कोई ज़रूरत नहीं.”
नौकर – मैडम, आप वैसे ही बाहर आओगी जैसे पहले आयी थी ? मुझे तो भगवान का शुक्रिया अदा करना पड़ेगा.
“क्या बकवास कर रहे हो. मतलब क्या है तुम्हारा ?”
उसके बेहूदे सवाल से मेरा धैर्य समाप्त हो गया और मैं बाथरूम का दरवाज़ा खोलकर बाहर आ गयी. मैंने ख्याल किया की मुझे देखकर उस नौकर की आँखों में चमक सी आ गयी और वो मेरे चेहरे की तरफ नहीं देख रहा था बल्कि मेरे बदन को घूर रहा था. वो इतनी बेशर्मी से हवस भरी निगाहों से मुझे घूर रहा था की असहज महसूस करके मैंने अपनी नजरें झुका लीं . वो स्कर्ट मेरी मांसल जांघों पर टाइट हो रही थी इसलिए मैं ठीक से नहीं चल पा रही थी. मैंने बाएं हाथ से कमर पे स्कर्ट को पकड़ रखा था क्यूंकी स्कर्ट का बटन टाइट होने से नहीं लग पा रहा था.
नौकर – आआहा….मैडम आप तो बिल्कुल करीना कपूर लग रही हो.
मैंने उसकी बात को इग्नोर किया और बेड की तरफ जाने लगी जहाँ मेरे कपड़े रखे थे. मुझे मालूम था की मेरी पीठ नंगी है और ब्रा का हुक ना लग पाने से ब्रा के स्ट्रैप पीठ में लटक रहे हैं इसलिए मैंने ऐसे चलने की कोशिश की ताकि मेरी नंगी पीठ इस नौकर को ना दिखे. लेकिन पलक झपकते ही सारा माजरा बदल गया.
नौकर – कहाँ जा रही है रानी ?
अचानक वो मेरा रास्ता रोककर खड़ा हो गया. उसकी इस हरकत से मैं हक्की बक्की रह गयी और मेरे बाएं हाथ से स्कर्ट फिसल गयी . मैंने जल्दी से स्कर्ट को पकड़ लिया पर उस कमीने ने मौके का फायदा उठाया और मेरे दाएं हाथ से टॉवेल छीन लिया जिससे मैंने अपनी छाती ढक रखी थी. अब फिर से मेरी छाती नंगी हो गयी हालाँकि चूचियाँ थोड़ा बहुत काजल की ब्रा से ढकी थीं पर हुक ना लग पाने से ब्रा भी खुली हुई ही थी.
“ये क्या बेहूदगी है ? मुझे टॉवेल दो नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.”
नौकर – तू शोर मचाना चाहती है रानी ? ठीक है.
उसने अचानक मेरी बायीं कलाई पकड़ी और मरोड़ दी. मेरे हाथ से स्कर्ट छूट गयी और फर्श में गिर गयी.
नौकर – अब मचा शोर. मैं देखना चाहता हूँ अब कितना शोर मचाती है मेरी रानी. शोर मचा.
अचानक हुए इस घटनाक्रम से मैं हक्की बक्की रह गयी और उस नौकर के सामने अवाक खड़ी रही. मेरी हालत ऐसी थी जैसे की मैं बिकिनी में खड़ी हूँ. काजल की ब्रा से मेरी बड़ी चूचियों का सिर्फ़ ऐरोला और निप्पल ही ढक पा रहा था. मैंने अपनी बाँहों से चूचियों को ढकने की कोशिश की.
नौकर – क्या हुआ मैडम ? शोर मचा. सबको आने दे और देखने दे की तेरे पास दिखाने को क्या क्या है.
मेरे बदन में सिहरन दौड़ गयी. मुझे समझ आ गया था की मैं फँस चुकी हूँ. मैं सिर्फ़ अंडरगार्मेंट्स में खड़ी थी , इसलिए शोर भी नहीं मचा सकती थी. मेरा दिमाग़ सुन्न पड़ गया और मैं नहीं जानती थी की क्या करूँ ? कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूं ? मैं खुली हुई छोटी ब्रा और गीली पैंटी में , अपनी चूचियों को ढकने के लिए बाँहें आड़ी रखे हुए, उस नौकर के सामने खड़ी रही.
नौकर – शोर मचा ? अब क्या हुआ ? साली रंडी.
उस नौकर के मुँह से अपने लिए ऐसा घटिया शब्द सुनकर अपमान से मेरी आँखों में आँसू आ गये. आज तक कभी भी किसी ने मेरे लिए ये शब्द इस्तेमाल नहीं किया था. इस लो क्लास आदमी के हाथों ऐसे अपमानित होकर मैं बहुत असहाय महसूस कर रही थी.
नौकर – जैसा मैं कहता हूँ वैसा कर. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगा और सबको यहाँ बुला लूँगा. समझी ?
वो बहुत कड़े और रूखे स्वर में बोला. उससे झगड़ने की मेरी हिम्मत नहीं हुई. मैं अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए उससे विनती करने लगी.
“प्लीज़ मुझे छोड़ दो. मुझसे ऐसा बर्ताव मत करो. मैं किसी की पत्नी हूँ.”
नौकर – तो फिर अपने मर्द के सामने नंगी घूम. यहाँ क्यूँ ऐसे घूम रही है ?
“मेरा विश्वास करो. मुझे नहीं मालूम था की तुम कमरे में हो.”
नौकर – चुप साली. गुरुजी अपने साथ ऐसी हाइ क्लास रंडी रखते हैं ? क्या मखमली बदन है साली का.
उसकी बात सुनकर मैंने अपमान से आँखें बंद कर लीं और जबड़े भींच लिए. अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पायी. मेरे गालों में आँसू बहने लगे. कोई और रास्ता ना देखकर मैं भगवान से प्रार्थना करने लगी.
नौकर – नाटक करके मेरा समय बर्बाद मत कर. तू तो बहुत खूबसूरत बदन पायी है. पैंटी उतार और चूत दिखा मुझे साली.
“प्लीज़ भैया. मैं उस टाइप की औरत नहीं हूँ. मुझ पर दया करो प्लीज़.”
नौकर – साली , भैया बोलना अपने मर्द को. अब नखरे मत कर. उतार फटाफट.
ऐसा कहकर वो एक कदम आगे बढ़ा. मैं इतना डर गयी की उसके आगे समर्पण कर दिया.
“अच्छा, अच्छा , मैं ….”
मैंने हिचकिचाते हुए अपनी छाती से बाँहें हटाई और मैं अच्छी तरह से समझ रही थी की ये आदमी मुझे फिर से नंगी देखना चाहता है. वो मेरे लिए होपलेस सिचुयेशन थी और उसकी इच्छा पूरी करने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था. मेरे गालों में आँसू बह रहे थे और मैंने दोनो हाथों से पैंटी के एलास्टिक को पकड़ा और नीचे करने लगी. मैं शरम से नजरें झुकाए हुई थी और वो कमीना अपनी धोती में लंड पकड़े हुए मेरे सामने खड़ा था.
मैं सोचने लगी जब से इस आश्रम में आई हूँ , किसी ना किसी वजह से कितनी बार मुझे पैंटी उतारनी पड़ी है. मैं आगे की भी सोच रही थी. क्यूंकी ये तो तय था की मुझे नंगी करने के बाद ये आदमी मुझे बेड में जाने के लिए मजबूर करेगा और फिर मुझे चोदने की कोशिश करेगा. फिर मैं क्या करूँगी ? क्या मैं चिल्लाऊँगी ? लेकिन अगर गुप्ताजी , नंदिनी और गुरुजी मुझे इस नौकर के साथ नंगी देखेंगे तो मेरे बारे में क्या सोचेंगे ?
नौकर – क्या चूत है तेरी रानी.
मैं यही सब सोच के उलझन में थी और समझ नहीं पा रही थी की अपने को कैसे बचाऊँगी तभी अचानक एक झटका सा लगा और उसके टाइट आलिंगन से मैं बेड में गिर पड़ी. इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती , मैं बेड में गिरी हुई थी और वो मेरे ऊपर था.
“कमीने छोड़ दे मुझे…”
मैं आगे कुछ नहीं बोल पायी क्यूंकी उसने मेरे मुँह में अपना गंदा रुमाल ठूंस दिया. उसके बदन से आती हुई बदबू से मुझे मतली हो रही थी और उस गंदे रुमाल से मेरा दम घुटने को हो गया. मेरी आँखें बाहर निकल आयीं और उसके मजबूत बदन के नीचे दबी हुई मैं उसका विरोध करने लगी. अपने दाएं हाथ से उसने मेरे मुँह में इतनी अंदर तक वो रुमाल घुसेड़ दिया की मेरी आवाज़ ही बंद हो गयी.
अब उसने अपना दायां हाथ मेरे मुँह से हटाया और दोनो हाथों से मेरे हाथों को पकड़कर दबा दिया और मेरे पेट में बैठ गया. मैं अपनी नंगी टाँगों को हवा में पटक रही थी लेकिन मुझे समझ आ गया था की कुछ फायदा नहीं क्यूंकी मैं उसके पूरे कंट्रोल में थी और हाथों को हिला भी नहीं पा रही थी.
मैं अपना सर भी इधर उधर पटक रही थी और मुँह से जीभ निकालने की कोशिश कर रही थी ताकि रुमाल बाहर निकल जाए लेकिन कमीने ने इतना अंदर डाल रखा था की जल्दी ही मुझे समझ आ गया की बेकार में ही कोशिश कर रही हूँ.
नौकर – रानी , अब क्या करेगी ?
मैंने उस कमीने से आँखें मिलाने से परहेज़ किया , मैं बेड में लेटी हुई थी और वो मेरे ऊपर बैठा हुआ था. अब मेरे बदन में कपड़े का एक टुकड़ा भी नहीं था क्यूंकी उसने मेरी ब्रा भी फर्श में फेंक दी थी. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था की इस नौकर के हाथों मेरी ऐसी दशा हो गयी है. अब उसने अपने एक हाथ से मेरी दोनों कलाई पकड़ लीं और दूसरे हाथ से मेरे गुप्तांगो को छूने लगा.
पहले भी बचपन में एक नौकर ने मेरी असहाय स्थिति का फायदा उठाया था वही आज भी हो रहा था. तब भी मेरे मन में घृणा और नफरत की भावनाएं आयीं थी और आज भी वही भावनाएं मेरे मन में आ रही थीं.
मेरे नंगे बदन के साथ छेड़छाड़ करने से वो बहुत कामोत्तेजित हो गया. लेकिन उसने एक हाथ से मेरी कलाईयों को पकड़ा हुआ था इसलिए एक ही हाथ खाली होने से वो मनमुताबिक पूरी तरह से मेरे बदन से नहीं खेल पा रहा था और मुझे चोद नहीं पा रहा था. मैं भी अपनी भारी जाँघों से उसको लात मारने की कोशिश कर रही थी. उसका ज़्यादातर समय मेरे विरोध को रोकने की कोशिश में बर्बाद हो रहा था. अब वो मेरी रसीली चूचियों को एक एक करके मसलने लगा और उसने मेरे कड़े निपल्स को बहुत ज़ोर से मरोड़ दिया. फिर वो अचानक से मेरी छाती पे झुका और मेरे निप्पल को मुँह में भरकर चूसने और काटने लगा.
“मम्म्म…”
मैं और कोई आवाज़ नहीं निकाल पायी क्यूंकी उसके गंदे रुमाल ने मेरा मुँह बंद कर रखा था. लेकिन अगर कोई मर्द किसी औरत के निप्पल चूसे तो औरत को उत्तेजना आ ही जाती है. मेरी टाँगें अपनेआप खुल गयीं और उसके बदन के नीचे मैं बेशर्मी से कसमसाने लगी. उसका पूरा वज़न मेरे ऊपर था और अब उसका खड़ा लंड धोती से बाहर निकलकर मेरे नंगे पेट में चुभने लगा. उसके बदन से आती बदबू से मेरा दम घुटने लगा था और मुझे समझ आ गया था की अब ये मेरा रेप करने ही वाला है. असहाय होकर मेरी आँखों से आँसुओं की धार बहने लगी और मैं मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी . हे भगवान ! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ. मुझे इस कमीने से बचा लो.
खट …खट……
दरवाज़े पर खटखट होते ही नौकर हड़बड़ा गया और पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखने लगा. मेरी तो जैसे जान में जान आई.
खट …खट……
काजल – आंटी….आंटी…..
काजल की आवाज़ सुनते ही मैं खुश हो गयी और मेरे दिल में बहुत राहत महसूस हुई जैसे की मुझे नयी जिंदगी मिली हो.
नौकर – मैडम , अगर तुमने मेरे बारे में किसी से कुछ कहा तो मैं भी कह दूँगा की ये ऐसी ही औरत है. समझ लो.
मैंने अपनी आँखों से उसे इशारा किया की मेरे मुँह से रुमाल निकाल दे. उसने मेरे मुँह से रुमाल निकाल दिया. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं कितने समय बाद ठीक से सांस ले पा रही हूँ. फिर उसने मेरे हाथ भी छोड़ दिए और मेरे ऊपर से उठ गया.
चटा$$$$$$$$$$$कक………
उसकी पकड़ से छूटकर खड़े होते ही पहला काम मैंने यही किया. जो की उस नौकर के लिए मेरे मन में घृणा , गुस्से और नफ़रत का नतीज़ा था. उसने अपने गाल पर पड़ा मेरा जोरदार तमाचा सहन कर लिया और अपने दाँत भींच लिए. मैंने बेड से साड़ी उठाकर अपने नंगे बदन में लपेट ली. ऐसा लग रहा था की मैं ना जाने कब से नंगी हूँ और साड़ी से बदन ढककर सुकून मिला.
नौकर – मैडम, तुम टॉयलेट में चली जाओ. मैं कह दूँगा की तुम टॉयलेट गयी हो और मैं कमरा साफ कर रहा हूँ.
“तुझे जो कहना है कह देना. कमीना कहीं का.”
वो बहुत फ्रस्टरेट दिख रहा था. मुझे ना चोद पाने की निराशा से उसका चेहरा लटक गया था. मैंने जल्दी से पैंटी पहनी और फिर ब्रा पहन ली.
खट …खट……
अभी तक मुझसे ज़ोर ज़बरदस्ती करने वाला वो आदमी , काजल की आवाज़ सुनकर, अब फिर से नौकर बन गया था और चुपचाप खड़ा था. मैंने उसे दरवाज़े की तरफ धकेला और ब्लाउज और पेटीकोट लेकर टॉयलेट में भाग गयी.
नौकर – काजल दीदी, एक सेकेंड रूको. अभी खोलता हूँ.
नौकर ने दरवाज़ा खोल दिया. काजल ने उससे ज़्यादा पूछताछ नहीं करी की दरवाज़ा क्यूँ बंद था वगैरह. कुछ देर बाद कपड़े पहनकर मैं टॉयलेट से बाहर आ गयी. अब वहाँ काजल अकेली कमरे में थी और उस कमीने का कोई अता पता नहीं था.
काजल – आंटी, मम्मी को कितना वक़्त और लगेगा ?
“ अब तो पूरा होने वाला ही होगा. फिर तुम्हें बुलाएँगे.”
वो कुछ मैगजीन्स ले आई थी , जो उसने मुझे दे दी. फिर उसने टीवी ऑन करके फिल्मी गानों का चैनल लगा दिया. मैगजीन्स और टीवी देखने में मेरा बिल्कुल मन नहीं लग रहा था. इनके नौकर ने मेरे साथ जो बेहूदा बर्ताव किया था बार बार मेरे मन में वही घूम रहा था. मैंने सोचा भी ना था की गुरुजी की सहायता करने गुप्ताजी के घर आना मेरे लिए इतना डरावना और बेइज्जत करने वाला अनुभव साबित होगा.
ऐसा ही लज्जित करने वाला अनुभव तब भी हुआ था जब मैं कॉलेज पढ़ती थी. उन दिनों हमारे घर के नौकर के मेरे बदन से छेड़छाड़ करने पर भी मैं चुप रही थी और आज जब इनके नौकर ने मेरे रेप की कोशिश की थी तब भी मुझे चुप रहना पड़ रहा था.
काजल मेरी हालत से बेख़बर होकर टीवी देख रही थी और मैं यूँ ही बिना पढ़े मैगज़ीन के पन्ने पलट रही थी . जो कुछ मेरे साथ अभी हुआ था उससे मेरा मन कॉलेज के उन दिनों में चला गया.
कहानी जारी रहेगी
NOTE
1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब अलग होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .
2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा जी स्वामी, पंडित, पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
3. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
4 जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी। बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था। अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।
कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
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औलाद की चाह
CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की
Update-5
कमीना नौकर
कमरे का दरवाज़ा खुला था और वहां काजल नहीं थी बल्कि मेरे सामने एक 35 – 40 बरस का आदमी बाल्टी लिए खड़ा था , जो नौकर लग रहा था. उसे अपने सामने खड़ा देखकर मैं अवाक रह गयी. मैंने तुरंत अपने दोनों हाथों से अपनी बड़ी चूचियाँ ढकने की कोशिश की. हथेलियों से सिर्फ़ निप्पल और उसके आस पास का हिस्सा ही ढक पा रहा था पर इस हड़बड़ाहट की वजह से हल्के से लिपटा हुआ मेरा टॉवेल खुलकर फर्श में गिर गया. अब मेरे बदन में एक भी कपड़ा नहीं था और मेरी बालों से ढकी हुई चूत उस नौकर के सामने नंगी हो गयी . वो नौकर हक्का बक्का होकर मुझे उस पूरी नंगी हालत में देख रहा था.
नौकर – अरे अरे ……. मैडम.
मैं तुरंत नीचे झुकी और टॉवेल उठाने लगी. मैं फिर से अपनी चूत ढकने के लिए टॉवेल लपेटने लगी तो मेरे दाएं हाथ में पकड़ी हुई पैंटी नीचे गिर गयी. मैंने उस पर ध्यान नहीं देना चाहिए था क्यूंकी सामने खड़े नौकर ने मेरा पूरा नंगा बदन अच्छे से देख लिया था. लेकिन हुआ ये की जैसे ही मैंने फर्श से टॉवेल उठाकर जल्दी से अपनी चूत के आगे लगाया तो पैंटी मेरे हाथ से फिसल गयी. मैंने टॉवेल लपेटना छोड़कर पैंटी को हवा में ही पकड़ने की कोशिश की.
असल में उस अंजान आदमी के सामने पूरी नंगी होने से मैं इतना घबरा गयी थी की सब गड़बड़ कर दिया. पैंटी पकड़ने की कोशिश में मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं घुटनों के बल फर्श में गिर गयी. मेरे हाथ से टॉवेल छिटक गया और एक बार फिर से मैं उस नौकर के सामने पूरी नंगी हो गयी.
अब तक वो नौकर आँखें फाड़े मुझे देख रहा था पर इससे पहले की मैं उठ पाती , वो मेरी मदद को आगे आया. पहली बार मैंने ध्यान से उसे देखा. वो काला कलूटा , बदसूरत सा लेकिन मजबूत बदन वाला था. उसने नीले रंग की कमीज़ और सफेद धोती पहनी हुई थी और वो शायद बाथरूम साफ करने वहाँ आया था.
नौकर – मैडम …ध्यान से….
वो आगे झुका और मेरा कंधा पकड़ लिया. मेरी हालत उस समय बहुत बुरी थी. मैं अपने घुटनों के बल फर्श में बैठी हुई थी , कपड़े का एक टुकड़ा भी मेरे बदन में नहीं था, मेरी बड़ी चूचियाँ पूरी नंगी लटक रही थीं और एक अंजान नौकर मेरे नंगे कंधे को पकड़े हुए था.
उसके मेरे नंगे बदन को छूते ही मुझे करेंट सा लगा. मैंने तुरंत उसका हाथ झटक दिया और अपनी नंगी चूचियों को टॉवेल से ढककर उठ खड़ी हुई और बाथरूम में भाग गयी. पीछे मुड़ने से नौकर के सामने अब मेरी बड़ी गांड नंगी थी पर मेरे पास सोचने का समय नहीं था और मैंने बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया.
ये सब कुछ अचानक और बहुत जल्दी से हो गया था पर मैं इतनी शर्मिंदगी महसूस कर रही थी की हाँफने लगी थी की जैसे कितना जो दौड़कर आई हूँ. मुझे नॉर्मल होने में कुछ वक़्त लगा . फिर मुझे होश आया की अब क्या करूँ ? पहनने के लिए तो मेरे पास कुछ है ही नहीं. मेरे पास सिर्फ़ एक छोटा सा टॉवेल और एक गीली पैंटी थी. मैंने दरवाज़े पे कान लगाए की शायद काजल कमरे में वापस आ गयी हो पर उसकी कोई आवाज़ मुझे नहीं सुनाई दी. कुछ पल ऐसे ही बीत गये फिर नौकर ने आवाज़ लगाई.
नौकर – मैडम, मुझे बाथरूम , टॉयलेट साफ करना है. जल्दी से कपड़े पहन लो. मुझे और भी काम है.
“रूको , रूको.”
अब मेरा बदन काँपने लगा था क्यूंकी मुझे समझ ही नहीं आ रहा था की मैं कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूँ ? मैंने बाथरूम में इधर उधर देखा शायद काजल के कोई कपड़े रखे हों. हुक्स में कोई भी कपड़े नहीं टंगे थे पर एक बाल्टी में पड़े हुए कुछ कपड़े मुझे दिख गये. मैंने बाल्टी में हाथ डालकर वो कपड़े बाहर निकाले . उसमें सिर्फ़ एक ब्रा , एक पैंटी , एक चुन्नटदार स्कर्ट और एक मुड़ा तुड़ा टॉप था. मैं बाथरूम में बिल्कुल नंगी खड़ी थी तो मेरे पास कोई और चारा नहीं था. मैंने उन्हीं कपड़ों को पहनने का फ़ैसला किया.
नौकर – मैडम , मैं कितनी देर तक खड़ा रहूँगा ?
अब ये नौकर मुझे इरिटेट कर रहा था. मैंने गुस्से से उसे जवाब दिया.
“या तो एक बार काजल को बुला दो या फिर इंतज़ार करो.”
नौकर – मैडम, काजल तो सेठजी के किसी काम से नीचे गयी है.
अब तो मैं बुरी फँस गयी थी. अगर मैं गुप्ताजी को बुलाती हूँ तो वो इस हालत में देखकर मुझसे मज़ा लिए बिना छोड़ेगा नहीं. नंदिनी ज़रूर मेरी मदद कर सकती थी लेकिन अभी वो यज्ञ में बिज़ी थी. अगर मैं इस नौकर से अपने कपड़े मांगू तो इससे मुसीबत भी हो सकती है क्यूंकी तब इसे पता चल जाएगा की मेरे पास पहनने को बाथरूम में कोई कपड़े नहीं हैं. इन सब विकल्पों पर सोचने के बाद मैंने जो है उसी को पहनने का मन बनाया.
सबसे पहले तो मैंने अपनी पैंटी पहन ली जो थोड़ी गीली थी लेकिन और कोई चारा भी तो नहीं था. मैंने पैंटी के सिरों को पकड़कर अपने बड़े नितंबों के ऊपर फैलाने की कोशिश की ताकि ज़्यादा से ज़्यादा ढक जाए. फिर मैंने काजल की ब्रा पहनने की कोशिश की लेकिन वो छोटे साइज़ की थी और ब्रा के कप भी छोटे थे. मेरी बड़ी चूचियाँ ब्रा कप में ठीक से नहीं आयीं पर जितना ढक गया अभी उतना भी बहुत था. मैंने ब्रा के स्ट्रैप्स कंधों पर डाल लिए और पीठ पर हुक नहीं लगा तो ऐसे ही रहने दिया.
उसके बाद मैंने काजल की स्कर्ट उठाई. ये एक चुन्नटदार स्कर्ट थी और खुशकिस्मती से छोटी नहीं थी. मैंने इसे पहना तो मेरे घुटने तक लंबी थी लेकिन समस्या ये थी की इसकी कमर मेरे लिए छोटी हो रही थी. इसलिए बटन लग नहीं रहा था और मेरे बड़े नितंबों पर टाइट भी हो रही थी लेकिन मैंने सोचा की बाहर निकलकर तो अपने कपड़े पहन ही लूँगी.
अब मुझे अपनी नंगी छाती को ढकना था. मैंने काजल का टॉप बाल्टी से निकाला, वो मुड़ा तुड़ा हुआ था तो मैंने उसे सीधा करने की कोशिश की. वो शायद लंबे समय से बाल्टी में पड़ा था इसलिए सीधा नहीं हो रहा था. मैंने उसमें अपनी बाँहें डालने की कोशिश की तो मुझे पता लगा की ये तो मेरे लिए बहुत टाइट है और बहुत छोटा भी. मेरे जैसी भरे पूरे बदन वाली औरत के लिए वो टॉप पूरी तरह से अनफिट था. मैंने उसे फिर से बाल्टी में डाल दिया और टॉवेल को फैलाकर अपनी चूचियों को ढक लिया.
नौकर – मैडम, क्या दिक्कत है ? सेठजी को बुलाऊँ क्या ?
“नहीं नहीं. किसी को बुलाने की ज़रूरत नहीं. मैं आ रही हूँ.”
मैंने सोचा इससे कहूं या नहीं, फिर सोचा कह ही देती हूँ.
“एक काम करो. कमरे का दरवाज़ा लॉक कर दो.”
नौकर – क्यूँ मैडम ?
“असल में…वो क्या है की ….मेरा मतलब मेरे पास बाथरूम में साड़ी नहीं है.”
नौकर – हाँ मैडम. आपकी साड़ी तो यहाँ बेड पर है.
“हाँ. दरवाज़ा बंद कर दो और मुझे बताओ.”
नौकर – मैडम ये बाकी कपड़े भी आपके ही होंगे क्यूंकी मुझे पता है की ये काजल दीदी के तो नहीं हैं.
मैं सोच रही थी की इस आदमी की बात का क्या जवाब दूँ. उसने ज़रूर मेरी साड़ी के साथ रखे हुए मेरे ब्लाउज, पेटीकोट और ब्रा को देख लिया होगा.
नौकर – आपके सारे कपड़े तो यहीं दिख रहे हैं तो फिर बाथरूम में क्या ले गयी हो ?
“असल में मैं उनको ले जाना भूल गयी थी लेकिन…”
मैं अपनी बात पूरी भी नहीं कर पाई थी की उसने टोक दिया. वो बहुत बातूनी आदमी लग रहा था लेकिन मुझे उसकी बातों से इरिटेशन हो रही थी और एंबरेसमेंट भी.
नौकर – ओहो… अब मुझे समझ आया की जब मैंने आपको देखा था तब आपने कपड़े क्यूँ नहीं पहने थे. लेकिन मैडम, आपको ध्यान रखना चाहिए. हमेशा दरवाज़ा लॉक करना चाहिए. किसी को पता नहीं चलेगा की आप …..बिल्कुल नंगी हो.
वो थोड़ा रुका फिर बोलने लगा.
नौकर – लेकिन मैडम, एक बात बताऊँ …..एक सेकेंड रूको, दरवाज़े के पास आता हूँ.
एक पल के लिए शांति रही फिर उसकी आवाज़ मेरे बिल्कुल नज़दीक़ से आई. मुझे पता चल गया की वो बाथरूम के दरवाज़े से चिपक के खड़ा है और वो धीमी आवाज़ में बोल रहा था.
नौकर – मैडम, मैं आपको एक राज की बात बता रहा हूँ. जैसे मैंने आपको देखा अगर वैसे सेठजी ने देख लिया होता तो वो आपको आसानी से नहीं जाने देता. उसका चरित्र अच्छा नहीं है. वो विकलांग ज़रूर है पर बहुत चालाक है. मैडम, ध्यान रखना.
कुछ पल रुककर फिर बोलने लगा.
नौकर – काजल दीदी भी अपने कमरे में बहुत कम कपड़े पहनती है पर फिर भी आपकी जैसी नहीं मैडम. आप तो बिल्कुल नंगी निकली बाथरूम से.
मेरे पास जवाब देने को कुछ नहीं था और मैं बाथरूम में शर्मिंदगी से खड़ी रही.
नौकर – मैडम फिर भी आपने मुझे देखकर अपने बदन को ढकने की कोशिश तो की. लेकिन काजल दीदी तो मेरे सामने अपने को ढकने की कोशिश भी नहीं करती है. ये लड़की अभी से बिगड़ चुकी है. मैं इस घर का नौकर हूँ अब इससे ज़्यादा क्या कह सकता हूँ.
मैं सोचने लगी कब तक ऐसे ही बाथरूम में खड़ी रहूंगी.
“अच्छा …”
नौकर – मैं आपको बता रहा हूँ मैडम, पर किसी को मत बताना. ना जाने कितनी बार मैंने काजल दीदी को बिना कपड़े पहने बेड में लेटे हुए देखा है.
“क्या..???”
नौकर – मेरा मतलब वो कुर्ता या नाइटी नहीं पहनी थी, सिर्फ़ ब्रा और स्कर्ट पहने हुई थी मैडम. मैं झाड़ू पोछा लगा रहा था और वो ऐसे ही बेड में लेटी थी. कभी कभी मैं जब बाथरूम साफ कर रहा होता हूँ तो वो मुझे कोई हिदायत देने आती है. आपको पता है मैडम की क्या पहन के आती है ?
वो रुका और शायद मेरे पूछने का इंतज़ार कर रहा था. काजल के किस्से मैं सिर्फ उत्सुकता की वजह से सुन रही थी वरना जिस हालत में मैं थी उसमें तो अपनी इज़्ज़त बचाने के अलावा किसी और चीज़ में ध्यान लगाना मुश्किल था.
“क्या पहन के ?”
नौकर – मैडम , काजल दीदी एक छोटा सा टॉप और एक चड्डी जैसी चीज़ पहन के आयी थी , जो लड़कियाँ शहर में अपनी स्कर्ट के अंदर पहनती हैं. मैं बार बार उसका नाम भूल जाता हूँ. मैडम आपने भी तो अपने हाथ में पकड़ी थी. क्या कहते हैं उसको ?
“हाँ मैं समझ गयी बस. तुम्हें इसका नाम लेने की ज़रूरत नहीं है.”
नौकर – नहीं नहीं मैडम. एक बार बता दो. मैं भूल गया हूँ. असल में एक दिन मेरी घरवाली बोली की वो भी अपने घाघरे के अंदर इसको पहनना चाहती है, लेकिन मैंने मना कर दिया. ये सब शहर वालों के फैशन हैं. मैडम ? इसका नाम कुछ प से कहते हैं, है ना ? पा …पा…..?
“पैंटी..”
नौकर – हाँ मैडम , पैंटी….. पैंटी…… मैं इसका नाम भूल जाता हूँ. पता नहीं क्यूँ.
मैं सोच रही थी की अब फिर से इसे बोलूं की कमरे का दरवाज़ा बंद कर दे ताकि मैं बाथरूम से बाहर निकलूं लेकिन इसका मुँह ही बंद नहीं हो रहा था.
नौकर – लेकिन मैडम, ये तो इतनी छोटी सी होती है , मुझे समझ नहीं आता की आप लोग इसे पहनते ही क्यूँ हो ? मैडम, सेठानी भी इसे पहनती है. जब वो इसे धोने के लिए देती है तो मेरी हँसी नहीं रुकती.
“क्यूँ ?”
धीरे धीरे मुझे उसकी बातों में इंटरेस्ट आ रहा था इसलिए मेरे मुँह से अपनेआप ‘क्यूँ’ निकल गया. फिर मुझे लगा की बेकार ही पूछ बैठी क्यूंकी जवाब तो जाहिर था.
नौकर –मैडम, आपने तो सेठानी को देखा ही होगा. क्या गांड है उसकी. ये छोटी सी चीज़ क्या ढकेगी मैडम ? ना गांड , ना चूत.
उसने बड़े आराम से बातचीत में ऐसे अश्लील शब्द बोल दिए , मैं तो शॉक्ड रह गयी और दरवाज़े के पीछे अवाक खड़े रही. मैंने अपने मन को ये सोचकर दिलासा देने की कोशिश की, कि ये तो लोवर क्लास आदमी है तो ऐसे शब्द बोलने का आदी होगा. मैंने इसे इग्नोर करने की कोशिश की लेकिन एक मर्द के मुँह से ऐसे शब्द सुनकर मेरे बदन में सिहरन सी दौड़ गयी.
मुझे शरम भी आ रही थी और इरिटेशन भी हो रही थी कि एक अंजान आदमी, वो भी घर का नौकर, मुझसे ऐसी भाषा में बात कर रहा है. जब मैं शादी के बाद अपनी ससुराल आई तो खुशकिस्मती से वहाँ कोई मर्द नौकर नहीं था लेकिन शादी से पहले मेरे मायके में एक नौकर था पर बोलचाल में मैंने कभी उसके मुँह से ऐसे अश्लील शब्द नहीं सुने. वैसे उसका बोलना ठीक ठाक था लेकिन रवैया ठीक नहीं था. मुझे याद है की जब मैं कॉलेज में पढ़ती थी तो कई बार उसने मुझसे छेड़छाड़ की थी लेकिन वो हमारे घर का पुराना नौकर था इसलिए मैं कभी भी उसका विरोध करने की हिम्मत नहीं जुटा पाई.
मैंने सोचा ये नौकर लोग ऐसे ही होते हैं और इस आदमी के अश्लील शब्दों को वैसे ही इग्नोर करने की कोशिश की जैसे मैं अपनी मम्मी के घर पे नौकर की छेड़छाड़ को इग्नोर किया करती थी.
अब मुझे बाथरूम से बाहर आना था लेकिन जब मैंने अपने को देखा तो मेरे ऊपरी बदन में टॉवेल था और निचले बदन में काजल की टाइट स्कर्ट थी, और मैं ऐसे बहुत कामुक लग रही थी. अगर कोई भी मुझे इस हालत में देख लेता तो मेरे बारे में बहुत ग़लत सोचता. इसलिए मैंने फिर से दरवाज़ा बंद करने के लिए कहा.
“तुमने दरवाज़ा बंद कर दिया ?”
नौकर – नहीं मैडम. अभी करता हूँ.
मैंने दरवाज़ा बंद करने की आवाज़ सुनी और थोड़ी राहत महसूस की.
नौकर – मैडम मैंने दरवाज़ा तो बंद कर दिया है पर आप बाहर कैसे आओगी ? आपके सारे कपड़े तो बेड में पड़े हैं.
“तुम्हें उसकी फिकर करने की कोई ज़रूरत नहीं.”
नौकर – मैडम, आप वैसे ही बाहर आओगी जैसे पहले आयी थी ? मुझे तो भगवान का शुक्रिया अदा करना पड़ेगा.
“क्या बकवास कर रहे हो. मतलब क्या है तुम्हारा ?”
उसके बेहूदे सवाल से मेरा धैर्य समाप्त हो गया और मैं बाथरूम का दरवाज़ा खोलकर बाहर आ गयी. मैंने ख्याल किया की मुझे देखकर उस नौकर की आँखों में चमक सी आ गयी और वो मेरे चेहरे की तरफ नहीं देख रहा था बल्कि मेरे बदन को घूर रहा था. वो इतनी बेशर्मी से हवस भरी निगाहों से मुझे घूर रहा था की असहज महसूस करके मैंने अपनी नजरें झुका लीं . वो स्कर्ट मेरी मांसल जांघों पर टाइट हो रही थी इसलिए मैं ठीक से नहीं चल पा रही थी. मैंने बाएं हाथ से कमर पे स्कर्ट को पकड़ रखा था क्यूंकी स्कर्ट का बटन टाइट होने से नहीं लग पा रहा था.
नौकर – आआहा….मैडम आप तो बिल्कुल करीना कपूर लग रही हो.
मैंने उसकी बात को इग्नोर किया और बेड की तरफ जाने लगी जहाँ मेरे कपड़े रखे थे. मुझे मालूम था की मेरी पीठ नंगी है और ब्रा का हुक ना लग पाने से ब्रा के स्ट्रैप पीठ में लटक रहे हैं इसलिए मैंने ऐसे चलने की कोशिश की ताकि मेरी नंगी पीठ इस नौकर को ना दिखे. लेकिन पलक झपकते ही सारा माजरा बदल गया.
नौकर – कहाँ जा रही है रानी ?
अचानक वो मेरा रास्ता रोककर खड़ा हो गया. उसकी इस हरकत से मैं हक्की बक्की रह गयी और मेरे बाएं हाथ से स्कर्ट फिसल गयी . मैंने जल्दी से स्कर्ट को पकड़ लिया पर उस कमीने ने मौके का फायदा उठाया और मेरे दाएं हाथ से टॉवेल छीन लिया जिससे मैंने अपनी छाती ढक रखी थी. अब फिर से मेरी छाती नंगी हो गयी हालाँकि चूचियाँ थोड़ा बहुत काजल की ब्रा से ढकी थीं पर हुक ना लग पाने से ब्रा भी खुली हुई ही थी.
“ये क्या बेहूदगी है ? मुझे टॉवेल दो नहीं तो मैं शोर मचा दूँगी.”
नौकर – तू शोर मचाना चाहती है रानी ? ठीक है.
उसने अचानक मेरी बायीं कलाई पकड़ी और मरोड़ दी. मेरे हाथ से स्कर्ट छूट गयी और फर्श में गिर गयी.
नौकर – अब मचा शोर. मैं देखना चाहता हूँ अब कितना शोर मचाती है मेरी रानी. शोर मचा.
अचानक हुए इस घटनाक्रम से मैं हक्की बक्की रह गयी और उस नौकर के सामने अवाक खड़ी रही. मेरी हालत ऐसी थी जैसे की मैं बिकिनी में खड़ी हूँ. काजल की ब्रा से मेरी बड़ी चूचियों का सिर्फ़ ऐरोला और निप्पल ही ढक पा रहा था. मैंने अपनी बाँहों से चूचियों को ढकने की कोशिश की.
नौकर – क्या हुआ मैडम ? शोर मचा. सबको आने दे और देखने दे की तेरे पास दिखाने को क्या क्या है.
मेरे बदन में सिहरन दौड़ गयी. मुझे समझ आ गया था की मैं फँस चुकी हूँ. मैं सिर्फ़ अंडरगार्मेंट्स में खड़ी थी , इसलिए शोर भी नहीं मचा सकती थी. मेरा दिमाग़ सुन्न पड़ गया और मैं नहीं जानती थी की क्या करूँ ? कैसे इस मुसीबत से बाहर निकलूं ? मैं खुली हुई छोटी ब्रा और गीली पैंटी में , अपनी चूचियों को ढकने के लिए बाँहें आड़ी रखे हुए, उस नौकर के सामने खड़ी रही.
नौकर – शोर मचा ? अब क्या हुआ ? साली रंडी.
उस नौकर के मुँह से अपने लिए ऐसा घटिया शब्द सुनकर अपमान से मेरी आँखों में आँसू आ गये. आज तक कभी भी किसी ने मेरे लिए ये शब्द इस्तेमाल नहीं किया था. इस लो क्लास आदमी के हाथों ऐसे अपमानित होकर मैं बहुत असहाय महसूस कर रही थी.
नौकर – जैसा मैं कहता हूँ वैसा कर. नहीं तो मैं शोर मचा दूँगा और सबको यहाँ बुला लूँगा. समझी ?
वो बहुत कड़े और रूखे स्वर में बोला. उससे झगड़ने की मेरी हिम्मत नहीं हुई. मैं अपनी इज़्ज़त बचाने के लिए उससे विनती करने लगी.
“प्लीज़ मुझे छोड़ दो. मुझसे ऐसा बर्ताव मत करो. मैं किसी की पत्नी हूँ.”
नौकर – तो फिर अपने मर्द के सामने नंगी घूम. यहाँ क्यूँ ऐसे घूम रही है ?
“मेरा विश्वास करो. मुझे नहीं मालूम था की तुम कमरे में हो.”
नौकर – चुप साली. गुरुजी अपने साथ ऐसी हाइ क्लास रंडी रखते हैं ? क्या मखमली बदन है साली का.
उसकी बात सुनकर मैंने अपमान से आँखें बंद कर लीं और जबड़े भींच लिए. अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पायी. मेरे गालों में आँसू बहने लगे. कोई और रास्ता ना देखकर मैं भगवान से प्रार्थना करने लगी.
नौकर – नाटक करके मेरा समय बर्बाद मत कर. तू तो बहुत खूबसूरत बदन पायी है. पैंटी उतार और चूत दिखा मुझे साली.
“प्लीज़ भैया. मैं उस टाइप की औरत नहीं हूँ. मुझ पर दया करो प्लीज़.”
नौकर – साली , भैया बोलना अपने मर्द को. अब नखरे मत कर. उतार फटाफट.
ऐसा कहकर वो एक कदम आगे बढ़ा. मैं इतना डर गयी की उसके आगे समर्पण कर दिया.
“अच्छा, अच्छा , मैं ….”
मैंने हिचकिचाते हुए अपनी छाती से बाँहें हटाई और मैं अच्छी तरह से समझ रही थी की ये आदमी मुझे फिर से नंगी देखना चाहता है. वो मेरे लिए होपलेस सिचुयेशन थी और उसकी इच्छा पूरी करने के अलावा मेरे पास कोई चारा नहीं था. मेरे गालों में आँसू बह रहे थे और मैंने दोनो हाथों से पैंटी के एलास्टिक को पकड़ा और नीचे करने लगी. मैं शरम से नजरें झुकाए हुई थी और वो कमीना अपनी धोती में लंड पकड़े हुए मेरे सामने खड़ा था.
मैं सोचने लगी जब से इस आश्रम में आई हूँ , किसी ना किसी वजह से कितनी बार मुझे पैंटी उतारनी पड़ी है. मैं आगे की भी सोच रही थी. क्यूंकी ये तो तय था की मुझे नंगी करने के बाद ये आदमी मुझे बेड में जाने के लिए मजबूर करेगा और फिर मुझे चोदने की कोशिश करेगा. फिर मैं क्या करूँगी ? क्या मैं चिल्लाऊँगी ? लेकिन अगर गुप्ताजी , नंदिनी और गुरुजी मुझे इस नौकर के साथ नंगी देखेंगे तो मेरे बारे में क्या सोचेंगे ?
नौकर – क्या चूत है तेरी रानी.
मैं यही सब सोच के उलझन में थी और समझ नहीं पा रही थी की अपने को कैसे बचाऊँगी तभी अचानक एक झटका सा लगा और उसके टाइट आलिंगन से मैं बेड में गिर पड़ी. इससे पहले की मैं कुछ समझ पाती , मैं बेड में गिरी हुई थी और वो मेरे ऊपर था.
“कमीने छोड़ दे मुझे…”
मैं आगे कुछ नहीं बोल पायी क्यूंकी उसने मेरे मुँह में अपना गंदा रुमाल ठूंस दिया. उसके बदन से आती हुई बदबू से मुझे मतली हो रही थी और उस गंदे रुमाल से मेरा दम घुटने को हो गया. मेरी आँखें बाहर निकल आयीं और उसके मजबूत बदन के नीचे दबी हुई मैं उसका विरोध करने लगी. अपने दाएं हाथ से उसने मेरे मुँह में इतनी अंदर तक वो रुमाल घुसेड़ दिया की मेरी आवाज़ ही बंद हो गयी.
अब उसने अपना दायां हाथ मेरे मुँह से हटाया और दोनो हाथों से मेरे हाथों को पकड़कर दबा दिया और मेरे पेट में बैठ गया. मैं अपनी नंगी टाँगों को हवा में पटक रही थी लेकिन मुझे समझ आ गया था की कुछ फायदा नहीं क्यूंकी मैं उसके पूरे कंट्रोल में थी और हाथों को हिला भी नहीं पा रही थी.
मैं अपना सर भी इधर उधर पटक रही थी और मुँह से जीभ निकालने की कोशिश कर रही थी ताकि रुमाल बाहर निकल जाए लेकिन कमीने ने इतना अंदर डाल रखा था की जल्दी ही मुझे समझ आ गया की बेकार में ही कोशिश कर रही हूँ.
नौकर – रानी , अब क्या करेगी ?
मैंने उस कमीने से आँखें मिलाने से परहेज़ किया , मैं बेड में लेटी हुई थी और वो मेरे ऊपर बैठा हुआ था. अब मेरे बदन में कपड़े का एक टुकड़ा भी नहीं था क्यूंकी उसने मेरी ब्रा भी फर्श में फेंक दी थी. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था की इस नौकर के हाथों मेरी ऐसी दशा हो गयी है. अब उसने अपने एक हाथ से मेरी दोनों कलाई पकड़ लीं और दूसरे हाथ से मेरे गुप्तांगो को छूने लगा.
पहले भी बचपन में एक नौकर ने मेरी असहाय स्थिति का फायदा उठाया था वही आज भी हो रहा था. तब भी मेरे मन में घृणा और नफरत की भावनाएं आयीं थी और आज भी वही भावनाएं मेरे मन में आ रही थीं.
मेरे नंगे बदन के साथ छेड़छाड़ करने से वो बहुत कामोत्तेजित हो गया. लेकिन उसने एक हाथ से मेरी कलाईयों को पकड़ा हुआ था इसलिए एक ही हाथ खाली होने से वो मनमुताबिक पूरी तरह से मेरे बदन से नहीं खेल पा रहा था और मुझे चोद नहीं पा रहा था. मैं भी अपनी भारी जाँघों से उसको लात मारने की कोशिश कर रही थी. उसका ज़्यादातर समय मेरे विरोध को रोकने की कोशिश में बर्बाद हो रहा था. अब वो मेरी रसीली चूचियों को एक एक करके मसलने लगा और उसने मेरे कड़े निपल्स को बहुत ज़ोर से मरोड़ दिया. फिर वो अचानक से मेरी छाती पे झुका और मेरे निप्पल को मुँह में भरकर चूसने और काटने लगा.
“मम्म्म…”
मैं और कोई आवाज़ नहीं निकाल पायी क्यूंकी उसके गंदे रुमाल ने मेरा मुँह बंद कर रखा था. लेकिन अगर कोई मर्द किसी औरत के निप्पल चूसे तो औरत को उत्तेजना आ ही जाती है. मेरी टाँगें अपनेआप खुल गयीं और उसके बदन के नीचे मैं बेशर्मी से कसमसाने लगी. उसका पूरा वज़न मेरे ऊपर था और अब उसका खड़ा लंड धोती से बाहर निकलकर मेरे नंगे पेट में चुभने लगा. उसके बदन से आती बदबू से मेरा दम घुटने लगा था और मुझे समझ आ गया था की अब ये मेरा रेप करने ही वाला है. असहाय होकर मेरी आँखों से आँसुओं की धार बहने लगी और मैं मन ही मन भगवान से प्रार्थना करने लगी . हे भगवान ! मैं तुम्हारे आगे हाथ जोड़ती हूँ. मुझे इस कमीने से बचा लो.
खट …खट……
दरवाज़े पर खटखट होते ही नौकर हड़बड़ा गया और पीछे मुड़कर दरवाज़े की तरफ देखने लगा. मेरी तो जैसे जान में जान आई.
खट …खट……
काजल – आंटी….आंटी…..
काजल की आवाज़ सुनते ही मैं खुश हो गयी और मेरे दिल में बहुत राहत महसूस हुई जैसे की मुझे नयी जिंदगी मिली हो.
नौकर – मैडम , अगर तुमने मेरे बारे में किसी से कुछ कहा तो मैं भी कह दूँगा की ये ऐसी ही औरत है. समझ लो.
मैंने अपनी आँखों से उसे इशारा किया की मेरे मुँह से रुमाल निकाल दे. उसने मेरे मुँह से रुमाल निकाल दिया. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं कितने समय बाद ठीक से सांस ले पा रही हूँ. फिर उसने मेरे हाथ भी छोड़ दिए और मेरे ऊपर से उठ गया.
चटा$$$$$$$$$$$कक………
उसकी पकड़ से छूटकर खड़े होते ही पहला काम मैंने यही किया. जो की उस नौकर के लिए मेरे मन में घृणा , गुस्से और नफ़रत का नतीज़ा था. उसने अपने गाल पर पड़ा मेरा जोरदार तमाचा सहन कर लिया और अपने दाँत भींच लिए. मैंने बेड से साड़ी उठाकर अपने नंगे बदन में लपेट ली. ऐसा लग रहा था की मैं ना जाने कब से नंगी हूँ और साड़ी से बदन ढककर सुकून मिला.
नौकर – मैडम, तुम टॉयलेट में चली जाओ. मैं कह दूँगा की तुम टॉयलेट गयी हो और मैं कमरा साफ कर रहा हूँ.
“तुझे जो कहना है कह देना. कमीना कहीं का.”
वो बहुत फ्रस्टरेट दिख रहा था. मुझे ना चोद पाने की निराशा से उसका चेहरा लटक गया था. मैंने जल्दी से पैंटी पहनी और फिर ब्रा पहन ली.
खट …खट……
अभी तक मुझसे ज़ोर ज़बरदस्ती करने वाला वो आदमी , काजल की आवाज़ सुनकर, अब फिर से नौकर बन गया था और चुपचाप खड़ा था. मैंने उसे दरवाज़े की तरफ धकेला और ब्लाउज और पेटीकोट लेकर टॉयलेट में भाग गयी.
नौकर – काजल दीदी, एक सेकेंड रूको. अभी खोलता हूँ.
नौकर ने दरवाज़ा खोल दिया. काजल ने उससे ज़्यादा पूछताछ नहीं करी की दरवाज़ा क्यूँ बंद था वगैरह. कुछ देर बाद कपड़े पहनकर मैं टॉयलेट से बाहर आ गयी. अब वहाँ काजल अकेली कमरे में थी और उस कमीने का कोई अता पता नहीं था.
काजल – आंटी, मम्मी को कितना वक़्त और लगेगा ?
“ अब तो पूरा होने वाला ही होगा. फिर तुम्हें बुलाएँगे.”
वो कुछ मैगजीन्स ले आई थी , जो उसने मुझे दे दी. फिर उसने टीवी ऑन करके फिल्मी गानों का चैनल लगा दिया. मैगजीन्स और टीवी देखने में मेरा बिल्कुल मन नहीं लग रहा था. इनके नौकर ने मेरे साथ जो बेहूदा बर्ताव किया था बार बार मेरे मन में वही घूम रहा था. मैंने सोचा भी ना था की गुरुजी की सहायता करने गुप्ताजी के घर आना मेरे लिए इतना डरावना और बेइज्जत करने वाला अनुभव साबित होगा.
ऐसा ही लज्जित करने वाला अनुभव तब भी हुआ था जब मैं कॉलेज पढ़ती थी. उन दिनों हमारे घर के नौकर के मेरे बदन से छेड़छाड़ करने पर भी मैं चुप रही थी और आज जब इनके नौकर ने मेरे रेप की कोशिश की थी तब भी मुझे चुप रहना पड़ रहा था.
काजल मेरी हालत से बेख़बर होकर टीवी देख रही थी और मैं यूँ ही बिना पढ़े मैगज़ीन के पन्ने पलट रही थी . जो कुछ मेरे साथ अभी हुआ था उससे मेरा मन कॉलेज के उन दिनों में चला गया.
कहानी जारी रहेगी
NOTE
1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब अलग होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .
2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा जी स्वामी, पंडित, पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
3. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
4 जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी। बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था। अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।
कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।
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