30-04-2022, 11:39 AM
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे
CHAPTER-5
रुपाली - मेरी पड़ोसन
PART-15
सुपर संडे - ईशा
संडे का दिन था और मैंने पिताजी के कहे हुए काम सुबह सुबह ही करने का निश्चय किया और नहा कर मंदिर चला गया . महर्षि अमर मुनि गुरूजी ने बताया था गुरु आज्ञा अनुसार विधि पूर्वक पूजन करने से -मनुष्य -संतान ,धन ,धन्य ,विद्या ,ज्ञान ,सद्बुधी ,दीर्घायु ,और मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापो का नाश भी होता है | मंदिर में विधि पूर्वक पूजन कर दूध और दही चढ़ाया और पांचो यज्ञ जो गुरुदेव ने बताये थे - गऊ को रोटी दान दिया , चींटी को 10 ग्राम आटा वृक्षों की जड़ों के पास दाल , पक्षियों को भोजन और जल की व्यवस्था करवाई आटे की गोली बनाकर जलाशय में जल के जीवो के लिए डाली और रोटी के टुकड़े करके उसमें घी-चीनी मिलाकर अग्नि को भोग लगाया..
मुझे वहां जीतू भी नजर आया वो किसी लड़की के साथ हस हस कर बात कर रहा था और मुझे देख उस लड़की से अलग ही गया और हाथ जोड़ने लगा वहीं मुझे उसके पिताजी भी नजर आये तो वो मेरे पास आ गए और जीतू की नौकरी के बारे कुछ बात करने लगे .. फिर मुझे सामने ही जीतू भी नजर आया जो हाथ जोड़ रहा था की मैं उनसे कल ईशा के साथ जब मैंने उसे पकड़ा था उसके बारे में उन से कुछ न कहूँ.
11. बजे के आसपास पूजा होने के बाद मैं वापिस आया तो रास्ते में ईशा मेरा इंतजार कर रही थी और माफ़ी मांगने लगी तो मैंने कहा ऐसे सड़क पर मत शुरू हो जाओ .. तुम १५ मिनट के बाद अपने पुराने घर में चलो . आज वहां कोई नहीं है पीछे की तरफ एक दरवाजा खुला रखा होगा उसमे से अंदर चली जाओ ..
उस घर की मुरम्मत चल रही थी और रविवार के कारण लेबर की भी छुट्टी थी और वहां एक कमरे में वहां एक टेबल पर अपने डॉक्टरी के कुछ साजो सामान जो रोजी ले कर आयी थी उसे रखा हुआ था ..
कमरे में एक बड़ी एग्जामिनेशन टेबल थी. एक और टेबल में डॉक्टर के उपकरण जैसे स्टेथेस्कोप, चिमटे , वगैरह रखे हुए थे.
15 मिनट के बाद कांपते कदमों के साथ और भयभीत आँखों के साथ भयभीत ईशा पिछले दरवाजे पर आयी और दस्तक दी। मैंने दरवाजा खोला और ईशा को अंदर जाने का इशारा किया। वह मेरे सामने बिकुल पास आकर खड़ी हो गई।
उसे देखते हुए मैंने अपने मन को भविष्य के उन सुखों का अनुमान लगाया जो ऐसी आकर्षक कामुक स्वभाव लड़की के साथ अपने घर में एकांत में ले सकता था . मैं वहां एक लम्बी सीट परबैठ गया और मैंने उसका सिर से पांव तक सर्वेक्षण किया। उसने छोटी लाल रंग की स्कर्ट और बिना बाजू का सफ़ेद टॉप पहना हुआ था और गहरे गले में से उसकी स्तनों की दरार दिख रही थी .. वह मेरी टकटकी से बुरी तरह से घबरा और शरमा गयी,
कुछ सेकंड चुप्पी छायी रही और मैंने सबसे पहले इस छुपी के जादू को तोड़ा । इस सेक्सी कमसिन कन्या की अपनी आँखों से ताकते हुए मैंने मेरे हाथ जोड़कर उसे संबोधित किया: " तो "ईशा आपने ये बिलकुल सही किया है, मेरे पास इतनी जल्दी आना यह आपकी ईमानदारी और आपकी गलतियों के लिए पश्चाताप करने की आपकी इच्छा को दर्शाता है जिससे आपको जरूर क्षमा और शांति प्राप्त होगी ।"
मेरे इन शालीन शब्दों में ईशा को साहस किया, और उसे लगा उसके दिल से कुछ भार उतर गया है ।
"पहले," मैंने कहा, कुछ सख्ती से, "कुछ मामले हैं जिन पर हमें चर्चा करनी चाहिए।"
मैंने लंबी-गद्दी वाली सीट पर बैठे हुए बोला ईशा मैंने आपके बारे में बहुत सोचा है । कुछ समय के लिए ऐसा कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया जिसमें मैं अपने विवेक को छोड़ कर इस बात को छुपा लू बल्कि मुझे यही लगा मुझे आपके अंकल के पास जाकर उन्हें सब कुछ बता देना चाहिए या फिर मुझे उन्हें सच नहीं बताना चाहिए मैं इसे संशय में था ।
यहाँ मैं रुका और ईशा की और देखा, ईशा अपने चाचा के गुस्से को अच्छी तरह से जानती थी, वो अपने चाचा पर वह पूरी तरह से निर्भर थी, वो इसके बाद क्या होता ये सोच कर ही मेरे इन शब्दों पर कांप गई।
फिर मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए, और धीरे से ईशा को अपने तरफ खींचा, जिससे उसने मेरे सामने घुटने टेक दिए , फिर मैंने मेरे दाहिने हाथ ने उसके गोल कंधे को दबाया. उसके बाद मैं आगे बोला : "लेकिन मैं ऐसा करने पर इसके तुम्हारे साथ होने वाले भयानक परिणामों के बारे में सोचकर परेशान हो गया हूँ जो इस तरह के एक खुलासा होने पर हो सकते है और फिर मैंने कुछ पवित्र ग्रंथों का अध्यन्न किया और मंदिर में इसके बारे में पंसित जी से ज्ञान प्राप्त किया और आपके लिए प्रार्थना की उसके बाद अब मैं वहाी से आ रहा हूँ ..
मुझे आशा है कि हम आपके अपराध के बारे में आपके चाचा को बताने से बचना चाहिए और इससे हम आप पर आने वाले बुरे परिणामो को रोक सकेंगे । हालांकि, इस की लिए आपको एक प्रक्रिया से गुजरना होगा और उस प्रक्रिया को लागू करने के लिए पहली आवश्यकता, आज्ञाकारिता है। "
ईशा अपनी परेशानी से बाहर निकलने के तरीके के बारे में सुनकर बहुत खुश हुई, आसानी से मेरी आज्ञा का अंध पालन करने का उसने तुरंत वादा किया।
"थैंक्यू डॉक्टर अंकल," उसने जवाब दिया, उसकी आँखों से निकले आँसू बहते हुए गाल पर आ गए और उसने अपना सिर झुका लिया " मैं जानती हूँ कि आप हमारा अच्छा ही सोच रहे हैं क्योंकि आप बहुत अच्छे हैं और मैं आपको बताना चाहती हूँ कि आप ये जान ले की मैं और मेरा परिवार आपकी बहुत सराहना और इज्जत करते हैं ।"
"मुझे खुशी है, ईशा, कि तुम्हें इसका एहसास है," मैंने कहा। “मुझे डर था कि आप जिस स्थिति में हैं, उसकी पूरी तरह से समझने के लिए आप बहुत छोटे हो और इसी कारण से है मैं आज आपसे बात कर रहा हूं। आपका आचरण न केवल आपके भाग्य को बल्कि आपके परिवार के भविष्य को भी संचालित करेगा। ईशा, मुझे यकीन है कि मैं आप मुझे निराश नहीं करेंगी। ”
"मुझे आशा है, डॉक्टर अंकल ," उसने जवाब दिया, "आपको मेरी रक्षा करने और मुझे अपनी देख्भाल के तहत मेरी गलतियों को पश्चाताप करने और मुझे सुधारने का मौका देने के आपके निर्णय पर कभी भी पछतावा नहीं होगा;" मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि मैं आपका सम्मान और आज्ञा पालन दोनों करूंगी और आपको हर संभव तरीके से खुश करने की पूरी कोशिश करूंगी । ”
"एक कंगाल और एक सार्वजनिक आरोप वास्तव में एक अप्रिय बात है, और एक दुखद बात है," मैंने कहा, जैसे कि खुद से बात कर रहा हूँ लेकिन मैं अपने आँखिो के निचले हिस्से के बीच ईशा के चरे पर चरम आतंक देख रहा था . मैं बोला ईशा प जो कह रही है उसका मतलब भी समझ्ती है ? क्या आपको यकीन है कि इस परोपकारी कार्य को करने में, आपकी मदद करने में, मैं सभी मामलों में आप मुझे सम्मान देंगी और मेरे हर आज्ञा का पूर्ण पालन करेंगी इस बारे में मैं कैसे सुनिश्चित हो सकता हूं? "
"ओह, अंकल ," वो व्यथित हो कर बोली "आप मुझ पर कैसे शक कर सकते हैं? आपने मुझे मेरी गलती का अहसास कराने में मदद की है और अब आप मुझे पछतावा करने का और गलतियों को सुधारने में नेरी मदद कर रहे हैं और ये काम आप अपनी अद्भुत देखरेख में करेंगे और निश्चित रूप से आपको यह नहीं कभी सोचना चाहिए कि मैं कभी भी इसके लिए आपकी कृतज्ञ नहीं रहूंगी । "
आप जो कहेंगे मैं वो सब करूंगी उसके बाद वो धन्यवाद कहते हुए मेरे पैरो में गिर पड़ी । मैंने अपना सिर उसके ऊपर झुका दिया। मेरे गाल उसके गर्म गालों को छुए, और उसे ऐसे मेरी आज्ञा मानने के लिए राजी होते देख मेरी आँखों में एक अजीब सी रौशनी चमकने लगी, मैंने अपना संयम बना कर रखा और उसके कंधों पर हाथ फेरा तो मेरे हाथ थरथरा उठे।
निस्संदेह मेरी मन विचलित था और मन में आ रहा था उसे अप्निबाहो में लकड़ कर चुम्बन कर दू अपर मैंने फिर खुद को रोका और संयमित किया और फिर मैंने आज्ञाकारिता के आधार पर लंबा व्याख्यान दिया और उसने कहा अंकल मैं आपके मार्गदर्शन में वो सब करूंगी जिसकी आप आज्ञा देंगे ।
ईशा ने पूरे धैर्य से मेरा लेक्चर सुना और म मेरे प्रति आज्ञाकारिता के अपने आश्वासन को दोहराया।
उसकी चमकती आँखों और गर्म जोशीले होंठों को देख मेरी वासना मेरे भीतर भड़क उठी।
मैंने सुंदर ईशा के कंधो और कमर पर हाथ रख कर ऊपर उठाया और अपने और नजदीक किया और उसे नजदीक से देखा, मेरे हाथ उसके गोरी बाहें पर टिक गए फिर मैंने उसका नीचे झुका हुआ चेहरा अपने हाथो में लेकर ऊपर उठाया । मैं अभी और पका करना चाहता था की वो मुझे समर्पित हो गयी है
"ईशा यह कहना काफी आसान है कि आप अपने आप को मेरे आज्ञाकारिता और सम्मान के लिए समर्पित करने की प्रतिज्ञा करती हैं, लेकिन अगर आपके विचार और मेरे विचार किसी मुद्दे पर अगर सहमत नहीं हुए तो और फिर ऐसे समय पर ईशा आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?"
"ओह, अंकल ," उसने उत्तर दिया, "मुझे यकीन है कि जब मैं ये कहती हूं कि हम आपकी थोड़ी सी इच्छा के अनुसार सब कुछ करूंगी तो आप मेरा विश्वास कर सकते हैं ।"
“ठीक है, इस मामले का फायदा उठाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मैं आपको उसी आधार पर मदद करने के लिए सहमत हूं, जैसे कि आप मेरे दिवंगत मित्र की बेटी हैं और मैं आपको अपनी शिष्य स्वीकार करता हूँ लेकिन आप मेरी इच्छा या योजना से बाहर जाकर कुछ भी कभी भी नहीं करेंगी .. मैं ही आपके आचरण का अंतिम निर्णायक रहूंगा कि आप क्या करेंगी या क्या नहीं करेंगी ; आपकी हर योजना में मुझ से सलाह ली जानी चाहिए और आप कभी भी मेरी अवज्ञा नहीं करेंगी; आपको मेरी हर इच्छा के अनुरूप सहमत होना होगा।
इधर मैं सदा आपसे विनम्र व्यवहार करूंगा और आपकी सबसे अच्छी देखभाल करूंगा और आपको पश्चाताप करने में मदद करूंगा, अपने आचरण को सही करूंगा और आपके इस रहस्य को मेरे पास सुरक्षित रखूंगा।
अन्यथा आपका रास्ता आपके लिए खुला है; आप उन शर्तों के तहत मेरे साथ बनी रह सकती हैं, या आप जो भी अन्य व्यवस्थाएं फिट देखते हैं, अपने लिए कर सकती हैं। और मैं भी तब आज़ाद रहूँगा आपके आचरण के बारे में आपके परिवार को साथ बात करने के लिए ,,
“ओह, अंकल । निश्चित रूप से मैं आपके पास आपकी शिष्या की तरह रहूंगी और आपकी हर बात मानूंगी और मुझे यकीन है कि आप हमे प्यार करेंगे और मैं आपकी अच्छी और सबसे प्रिय शिष्या बनूंगी। ”
"तो ठीक है, यह तय हो गया है," मैंने कहा। अब मुझे तुम्हारी प्रतिबद्धता की जांच करने दो "ईशा इधर आओ और मेरे घुटने पर बैठो," मैंने उसे आज्ञा दी। वह जाहिरा तौर पर उलझन में थी और उसे शर्म आ रही थी, लेकिन मेरे साथ अनुबंध करने के बाद और मेरे सभी आदेशों और इच्छाहो का पालन करने के लिए सहमत होने के बाद मेरे द्वारा किए गए पहले अनुरोध को वो मना नहीं कर सकती थी, उसके पास अब कोई दूसरा विकल्प नहीं था, वह तुरंत उठी और बड़ी नाजुक अदा से मेरे घुटने पर बैठ गयी । ।
"और प्यारी ईशा" मैंने जारी रखा, " अब आप मुझे बताइये कि आप किस तरह से उस आवारा लड़के जीतू के साथ उस पार्क में चली गयी और वहां आपने क्या किया ताकि मुझे आपके अपराध की गंभीरता का पता चल सके और मैं आपकी उचित मदद कर सकूं।
उसने मुझे बताया वो रोज मंदिर जाती थी तो वहां जीतू प्रसाद बांटता था और जब लाइन में मेरी बारी आती थी तो उसे औरो से अधिक प्रसाद दे देता था .. फिर धीरे धीरे वो दर्शनों में भी मेरी मदद कर देता था जिससे मुझे लाइन में नहीं लगना पड़ता था और मेरा समय बच जाता था . फिर एक दिन उसने मुझे उस पार्क मेंएकांत में मिलने को बोला तो मैं भी जिज्ञासा के कारण वहां चली गयी जहाँ उसने मुझे मंदिर से मिले फल और फूल दिए और बोला उसने मेरे लिए ख़ास पूजा की है इससे मेरे परीक्षा अच्छी होंगी .. उस बार मेरी परीक्षा अच्छी हुई और मेरे अच्छे नंबर आये ..
तो वो हर बार मुहे वहां बुला कर कुछ न कुछ फल फूल देने लगा फिर एक दिन उसने मुझे कहा वो मुझे बहुत पसंद करता है और मुझ से दोस्ती करना चाहता है .. तो मैंने इसकी दोस्ती कबूल कर ली . फिर एक दिन उसने मुझे आई लव यू बोल दिया और मैंने भी उसे आयी लव यू बोल दिया
फिर वो मुझ से रोज किस मांगने लगा और एक दिन मैंने उसे किश करने दी तो अगले दिन उसने किश करते हुए मेरे स्तन भी दबा दिए फिर कल उसने मुझे मंदिर में यहाँ बुलाया और मुझे किश किया और उसने मेरे स्तनों को दबाया और फिर मेरी टांगो के बीच हाथ ले गया था . और तभी आप मेरी चीख सुन कर वहां आ गए थे .. इससे ज्यादा उसने कुछ नहीं किया था ..
तो मैंने बोलै ठीक हैं मुझे इसकी जांच करने दो टेबल में लेट जाओ. मैं चेकअप के लिए उपकरणों को लाता हूँ.
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार
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संडे का दिन था और मैंने पिताजी के कहे हुए काम सुबह सुबह ही करने का निश्चय किया और नहा कर मंदिर चला गया . महर्षि अमर मुनि गुरूजी ने बताया था गुरु आज्ञा अनुसार विधि पूर्वक पूजन करने से -मनुष्य -संतान ,धन ,धन्य ,विद्या ,ज्ञान ,सद्बुधी ,दीर्घायु ,और मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापो का नाश भी होता है | मंदिर में विधि पूर्वक पूजन कर दूध और दही चढ़ाया और पांचो यज्ञ जो गुरुदेव ने बताये थे - गऊ को रोटी दान दिया , चींटी को 10 ग्राम आटा वृक्षों की जड़ों के पास दाल , पक्षियों को भोजन और जल की व्यवस्था करवाई आटे की गोली बनाकर जलाशय में जल के जीवो के लिए डाली और रोटी के टुकड़े करके उसमें घी-चीनी मिलाकर अग्नि को भोग लगाया..
मुझे वहां जीतू भी नजर आया वो किसी लड़की के साथ हस हस कर बात कर रहा था और मुझे देख उस लड़की से अलग ही गया और हाथ जोड़ने लगा वहीं मुझे उसके पिताजी भी नजर आये तो वो मेरे पास आ गए और जीतू की नौकरी के बारे कुछ बात करने लगे .. फिर मुझे सामने ही जीतू भी नजर आया जो हाथ जोड़ रहा था की मैं उनसे कल ईशा के साथ जब मैंने उसे पकड़ा था उसके बारे में उन से कुछ न कहूँ.
11. बजे के आसपास पूजा होने के बाद मैं वापिस आया तो रास्ते में ईशा मेरा इंतजार कर रही थी और माफ़ी मांगने लगी तो मैंने कहा ऐसे सड़क पर मत शुरू हो जाओ .. तुम १५ मिनट के बाद अपने पुराने घर में चलो . आज वहां कोई नहीं है पीछे की तरफ एक दरवाजा खुला रखा होगा उसमे से अंदर चली जाओ ..
उस घर की मुरम्मत चल रही थी और रविवार के कारण लेबर की भी छुट्टी थी और वहां एक कमरे में वहां एक टेबल पर अपने डॉक्टरी के कुछ साजो सामान जो रोजी ले कर आयी थी उसे रखा हुआ था ..
कमरे में एक बड़ी एग्जामिनेशन टेबल थी. एक और टेबल में डॉक्टर के उपकरण जैसे स्टेथेस्कोप, चिमटे , वगैरह रखे हुए थे.
15 मिनट के बाद कांपते कदमों के साथ और भयभीत आँखों के साथ भयभीत ईशा पिछले दरवाजे पर आयी और दस्तक दी। मैंने दरवाजा खोला और ईशा को अंदर जाने का इशारा किया। वह मेरे सामने बिकुल पास आकर खड़ी हो गई।
उसे देखते हुए मैंने अपने मन को भविष्य के उन सुखों का अनुमान लगाया जो ऐसी आकर्षक कामुक स्वभाव लड़की के साथ अपने घर में एकांत में ले सकता था . मैं वहां एक लम्बी सीट परबैठ गया और मैंने उसका सिर से पांव तक सर्वेक्षण किया। उसने छोटी लाल रंग की स्कर्ट और बिना बाजू का सफ़ेद टॉप पहना हुआ था और गहरे गले में से उसकी स्तनों की दरार दिख रही थी .. वह मेरी टकटकी से बुरी तरह से घबरा और शरमा गयी,
कुछ सेकंड चुप्पी छायी रही और मैंने सबसे पहले इस छुपी के जादू को तोड़ा । इस सेक्सी कमसिन कन्या की अपनी आँखों से ताकते हुए मैंने मेरे हाथ जोड़कर उसे संबोधित किया: " तो "ईशा आपने ये बिलकुल सही किया है, मेरे पास इतनी जल्दी आना यह आपकी ईमानदारी और आपकी गलतियों के लिए पश्चाताप करने की आपकी इच्छा को दर्शाता है जिससे आपको जरूर क्षमा और शांति प्राप्त होगी ।"
मेरे इन शालीन शब्दों में ईशा को साहस किया, और उसे लगा उसके दिल से कुछ भार उतर गया है ।
"पहले," मैंने कहा, कुछ सख्ती से, "कुछ मामले हैं जिन पर हमें चर्चा करनी चाहिए।"
मैंने लंबी-गद्दी वाली सीट पर बैठे हुए बोला ईशा मैंने आपके बारे में बहुत सोचा है । कुछ समय के लिए ऐसा कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया जिसमें मैं अपने विवेक को छोड़ कर इस बात को छुपा लू बल्कि मुझे यही लगा मुझे आपके अंकल के पास जाकर उन्हें सब कुछ बता देना चाहिए या फिर मुझे उन्हें सच नहीं बताना चाहिए मैं इसे संशय में था ।
यहाँ मैं रुका और ईशा की और देखा, ईशा अपने चाचा के गुस्से को अच्छी तरह से जानती थी, वो अपने चाचा पर वह पूरी तरह से निर्भर थी, वो इसके बाद क्या होता ये सोच कर ही मेरे इन शब्दों पर कांप गई।
फिर मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए, और धीरे से ईशा को अपने तरफ खींचा, जिससे उसने मेरे सामने घुटने टेक दिए , फिर मैंने मेरे दाहिने हाथ ने उसके गोल कंधे को दबाया. उसके बाद मैं आगे बोला : "लेकिन मैं ऐसा करने पर इसके तुम्हारे साथ होने वाले भयानक परिणामों के बारे में सोचकर परेशान हो गया हूँ जो इस तरह के एक खुलासा होने पर हो सकते है और फिर मैंने कुछ पवित्र ग्रंथों का अध्यन्न किया और मंदिर में इसके बारे में पंसित जी से ज्ञान प्राप्त किया और आपके लिए प्रार्थना की उसके बाद अब मैं वहाी से आ रहा हूँ ..
मुझे आशा है कि हम आपके अपराध के बारे में आपके चाचा को बताने से बचना चाहिए और इससे हम आप पर आने वाले बुरे परिणामो को रोक सकेंगे । हालांकि, इस की लिए आपको एक प्रक्रिया से गुजरना होगा और उस प्रक्रिया को लागू करने के लिए पहली आवश्यकता, आज्ञाकारिता है। "
ईशा अपनी परेशानी से बाहर निकलने के तरीके के बारे में सुनकर बहुत खुश हुई, आसानी से मेरी आज्ञा का अंध पालन करने का उसने तुरंत वादा किया।
"थैंक्यू डॉक्टर अंकल," उसने जवाब दिया, उसकी आँखों से निकले आँसू बहते हुए गाल पर आ गए और उसने अपना सिर झुका लिया " मैं जानती हूँ कि आप हमारा अच्छा ही सोच रहे हैं क्योंकि आप बहुत अच्छे हैं और मैं आपको बताना चाहती हूँ कि आप ये जान ले की मैं और मेरा परिवार आपकी बहुत सराहना और इज्जत करते हैं ।"
"मुझे खुशी है, ईशा, कि तुम्हें इसका एहसास है," मैंने कहा। “मुझे डर था कि आप जिस स्थिति में हैं, उसकी पूरी तरह से समझने के लिए आप बहुत छोटे हो और इसी कारण से है मैं आज आपसे बात कर रहा हूं। आपका आचरण न केवल आपके भाग्य को बल्कि आपके परिवार के भविष्य को भी संचालित करेगा। ईशा, मुझे यकीन है कि मैं आप मुझे निराश नहीं करेंगी। ”
"मुझे आशा है, डॉक्टर अंकल ," उसने जवाब दिया, "आपको मेरी रक्षा करने और मुझे अपनी देख्भाल के तहत मेरी गलतियों को पश्चाताप करने और मुझे सुधारने का मौका देने के आपके निर्णय पर कभी भी पछतावा नहीं होगा;" मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि मैं आपका सम्मान और आज्ञा पालन दोनों करूंगी और आपको हर संभव तरीके से खुश करने की पूरी कोशिश करूंगी । ”
"एक कंगाल और एक सार्वजनिक आरोप वास्तव में एक अप्रिय बात है, और एक दुखद बात है," मैंने कहा, जैसे कि खुद से बात कर रहा हूँ लेकिन मैं अपने आँखिो के निचले हिस्से के बीच ईशा के चरे पर चरम आतंक देख रहा था . मैं बोला ईशा प जो कह रही है उसका मतलब भी समझ्ती है ? क्या आपको यकीन है कि इस परोपकारी कार्य को करने में, आपकी मदद करने में, मैं सभी मामलों में आप मुझे सम्मान देंगी और मेरे हर आज्ञा का पूर्ण पालन करेंगी इस बारे में मैं कैसे सुनिश्चित हो सकता हूं? "
"ओह, अंकल ," वो व्यथित हो कर बोली "आप मुझ पर कैसे शक कर सकते हैं? आपने मुझे मेरी गलती का अहसास कराने में मदद की है और अब आप मुझे पछतावा करने का और गलतियों को सुधारने में नेरी मदद कर रहे हैं और ये काम आप अपनी अद्भुत देखरेख में करेंगे और निश्चित रूप से आपको यह नहीं कभी सोचना चाहिए कि मैं कभी भी इसके लिए आपकी कृतज्ञ नहीं रहूंगी । "
आप जो कहेंगे मैं वो सब करूंगी उसके बाद वो धन्यवाद कहते हुए मेरे पैरो में गिर पड़ी । मैंने अपना सिर उसके ऊपर झुका दिया। मेरे गाल उसके गर्म गालों को छुए, और उसे ऐसे मेरी आज्ञा मानने के लिए राजी होते देख मेरी आँखों में एक अजीब सी रौशनी चमकने लगी, मैंने अपना संयम बना कर रखा और उसके कंधों पर हाथ फेरा तो मेरे हाथ थरथरा उठे।
निस्संदेह मेरी मन विचलित था और मन में आ रहा था उसे अप्निबाहो में लकड़ कर चुम्बन कर दू अपर मैंने फिर खुद को रोका और संयमित किया और फिर मैंने आज्ञाकारिता के आधार पर लंबा व्याख्यान दिया और उसने कहा अंकल मैं आपके मार्गदर्शन में वो सब करूंगी जिसकी आप आज्ञा देंगे ।
ईशा ने पूरे धैर्य से मेरा लेक्चर सुना और म मेरे प्रति आज्ञाकारिता के अपने आश्वासन को दोहराया।
उसकी चमकती आँखों और गर्म जोशीले होंठों को देख मेरी वासना मेरे भीतर भड़क उठी।
मैंने सुंदर ईशा के कंधो और कमर पर हाथ रख कर ऊपर उठाया और अपने और नजदीक किया और उसे नजदीक से देखा, मेरे हाथ उसके गोरी बाहें पर टिक गए फिर मैंने उसका नीचे झुका हुआ चेहरा अपने हाथो में लेकर ऊपर उठाया । मैं अभी और पका करना चाहता था की वो मुझे समर्पित हो गयी है
"ईशा यह कहना काफी आसान है कि आप अपने आप को मेरे आज्ञाकारिता और सम्मान के लिए समर्पित करने की प्रतिज्ञा करती हैं, लेकिन अगर आपके विचार और मेरे विचार किसी मुद्दे पर अगर सहमत नहीं हुए तो और फिर ऐसे समय पर ईशा आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?"
"ओह, अंकल ," उसने उत्तर दिया, "मुझे यकीन है कि जब मैं ये कहती हूं कि हम आपकी थोड़ी सी इच्छा के अनुसार सब कुछ करूंगी तो आप मेरा विश्वास कर सकते हैं ।"
“ठीक है, इस मामले का फायदा उठाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मैं आपको उसी आधार पर मदद करने के लिए सहमत हूं, जैसे कि आप मेरे दिवंगत मित्र की बेटी हैं और मैं आपको अपनी शिष्य स्वीकार करता हूँ लेकिन आप मेरी इच्छा या योजना से बाहर जाकर कुछ भी कभी भी नहीं करेंगी .. मैं ही आपके आचरण का अंतिम निर्णायक रहूंगा कि आप क्या करेंगी या क्या नहीं करेंगी ; आपकी हर योजना में मुझ से सलाह ली जानी चाहिए और आप कभी भी मेरी अवज्ञा नहीं करेंगी; आपको मेरी हर इच्छा के अनुरूप सहमत होना होगा।
इधर मैं सदा आपसे विनम्र व्यवहार करूंगा और आपकी सबसे अच्छी देखभाल करूंगा और आपको पश्चाताप करने में मदद करूंगा, अपने आचरण को सही करूंगा और आपके इस रहस्य को मेरे पास सुरक्षित रखूंगा।
अन्यथा आपका रास्ता आपके लिए खुला है; आप उन शर्तों के तहत मेरे साथ बनी रह सकती हैं, या आप जो भी अन्य व्यवस्थाएं फिट देखते हैं, अपने लिए कर सकती हैं। और मैं भी तब आज़ाद रहूँगा आपके आचरण के बारे में आपके परिवार को साथ बात करने के लिए ,,
“ओह, अंकल । निश्चित रूप से मैं आपके पास आपकी शिष्या की तरह रहूंगी और आपकी हर बात मानूंगी और मुझे यकीन है कि आप हमे प्यार करेंगे और मैं आपकी अच्छी और सबसे प्रिय शिष्या बनूंगी। ”
"तो ठीक है, यह तय हो गया है," मैंने कहा। अब मुझे तुम्हारी प्रतिबद्धता की जांच करने दो "ईशा इधर आओ और मेरे घुटने पर बैठो," मैंने उसे आज्ञा दी। वह जाहिरा तौर पर उलझन में थी और उसे शर्म आ रही थी, लेकिन मेरे साथ अनुबंध करने के बाद और मेरे सभी आदेशों और इच्छाहो का पालन करने के लिए सहमत होने के बाद मेरे द्वारा किए गए पहले अनुरोध को वो मना नहीं कर सकती थी, उसके पास अब कोई दूसरा विकल्प नहीं था, वह तुरंत उठी और बड़ी नाजुक अदा से मेरे घुटने पर बैठ गयी । ।
"और प्यारी ईशा" मैंने जारी रखा, " अब आप मुझे बताइये कि आप किस तरह से उस आवारा लड़के जीतू के साथ उस पार्क में चली गयी और वहां आपने क्या किया ताकि मुझे आपके अपराध की गंभीरता का पता चल सके और मैं आपकी उचित मदद कर सकूं।
उसने मुझे बताया वो रोज मंदिर जाती थी तो वहां जीतू प्रसाद बांटता था और जब लाइन में मेरी बारी आती थी तो उसे औरो से अधिक प्रसाद दे देता था .. फिर धीरे धीरे वो दर्शनों में भी मेरी मदद कर देता था जिससे मुझे लाइन में नहीं लगना पड़ता था और मेरा समय बच जाता था . फिर एक दिन उसने मुझे उस पार्क मेंएकांत में मिलने को बोला तो मैं भी जिज्ञासा के कारण वहां चली गयी जहाँ उसने मुझे मंदिर से मिले फल और फूल दिए और बोला उसने मेरे लिए ख़ास पूजा की है इससे मेरे परीक्षा अच्छी होंगी .. उस बार मेरी परीक्षा अच्छी हुई और मेरे अच्छे नंबर आये ..
तो वो हर बार मुहे वहां बुला कर कुछ न कुछ फल फूल देने लगा फिर एक दिन उसने मुझे कहा वो मुझे बहुत पसंद करता है और मुझ से दोस्ती करना चाहता है .. तो मैंने इसकी दोस्ती कबूल कर ली . फिर एक दिन उसने मुझे आई लव यू बोल दिया और मैंने भी उसे आयी लव यू बोल दिया
फिर वो मुझ से रोज किस मांगने लगा और एक दिन मैंने उसे किश करने दी तो अगले दिन उसने किश करते हुए मेरे स्तन भी दबा दिए फिर कल उसने मुझे मंदिर में यहाँ बुलाया और मुझे किश किया और उसने मेरे स्तनों को दबाया और फिर मेरी टांगो के बीच हाथ ले गया था . और तभी आप मेरी चीख सुन कर वहां आ गए थे .. इससे ज्यादा उसने कुछ नहीं किया था ..
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