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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#36
गुरुजी के आश्रम में सावित्री

CHAPTER 5 - चौथा दिन -कुंवारी लड़की

Update-1




मैं अपने कमरे में वापस चली आई और गुप्ताजी के घर जाने की तैयारी करने लगी. मैंने सोचा अगर यज्ञ पूरा होने में देर रात हो भी जाती है तो मुझे परेशानी नहीं होगी क्यूंकी मैं दोपहर बाद गहरी नींद ले चुकी थी. मैंने अपने बैग में एक साड़ी, ब्लाउज , पेटीकोट और एक सेट ब्रा पैंटी रख लिए. और फिर बाथरूम जाकर फ्रेश होकर आ गयी. 6:30 बजे परिमल मुझे देखने आया की मैं तैयार हो रही हूँ या नहीं. मैं तैयार होकर बैठी थी तो उसके साथ ही गुरुजी के कमरे में चली गयी. गुरुजी भी तैयार थे. समीर और विकास यज्ञ के लिए ज़रूरी सामग्री को एकत्रित कर रहे थे. गुप्ताजी ने हमारे लिए कार भेज दी थी. 15 मिनट बाद हम तीनो आश्रम से कार में निकल पड़े.

कार में ज़्यादा बातें नहीं हुई . गुरुजी और समीर ने मुझसे कहा की यज्ञ के लिए चिंता करने की ज़रूरत नहीं , जो भी करना होगा हम बता देंगे. करीब एक घंटे बाद हम गुप्ताजी के घर पहुँच गये. तब तक 8 बज गये थे और अंधेरा हो चुका था. वो दो मंज़िला मकान था और हम सीढ़ियों से होते हुए सीधे दूसरी मंज़िल में गये. वहाँ श्रीमती गुप्ता ने गुरुजी का स्वागत किया. मैंने देखा श्रीमती गुप्ता करीब 40 बरस की भरे बदन वाली औरत थी. वो हमें ड्राइंग रूम में ले गयी वहाँ सोफे में उसका पति गुप्ताी बैठा हुआ था. गुप्ताजी की उम्र ज़्यादा लग रही थी , 50 बरस से ऊपर का ही होगा. उसने चश्मा लगा रखा था और चेहरे पर दाढ़ी भी घनी थी. वो सफेद कुर्ता पैजामा पहने हुआ था और उसके बायें पैर में लकड़ी का ढाँचा बँधा हुआ था. सहारे के लिए उसके पास एक छड़ी थी. जब वो खड़ा हुआ तो उसकी पत्नी ने उसे सहारा दिया. साफ दिख रहा था की वो आदमी विकलांग था.

गुप्ताजी ने भी गुरुजी का स्वागत किया. लेकिन जिस लड़की के लिए गुरुजी यज्ञ करने आए थे वो मुझे नहीं दिखी. गुरुजी गुप्ताजी को कुमार और उनकी पत्नी को नंदिनी नाम से संबोधित कर रहे थे. फिर गुरुजी ने उन दोनों पति पत्नी से मेरा परिचय करवाया और बताया की मंजू बीमार है इसलिए नहीं आ सकी.

गुरुजी – नंदिनी , काजल कहाँ है ? दिख नहीं रही.

नंदिनी – गुरुजी वो अभी नहा रही है. मैंने उससे कहा यज्ञ से पहले नहा लो.

गुरुजी – बढ़िया.

नंदिनी – गुरुजी हम तो उसकी पढ़ाई को लेकर परेशान हैं. पिछले साल वो फेल हो गयी थी और इस बार भी ……

गुरुजी ने बीच में ही बात काट दी.

गुरुजी – नंदिनी, लिंगा महाराज में भरोसा रखो. यज्ञ से तुम्हारी बेटी की सब बाधायें दूर हो जाएँगी. चिंता मत करो.

नंदिनी गुप्ताजी को सहारा दिए खड़ी थी और मुझे लग रहा था की वो अपने पति का बहुत ख्याल रखती है. तभी एक सुंदर सी चुलबुली लड़की कमरे में आई. मैं समझ गयी की ये लड़की ही काजल है. उसने हरे रंग का टॉप और काले रंग की लंबी स्कर्ट पहनी हुई थी. वो 18 बरस की थी . उसके चेहरे पर मुस्कान थी और वो बहुत आकर्षक लग रही थी.

काजल – प्रणाम गुरुजी.

काजल गुरुजी के पास आई और उनके पैर छूकर आशीर्वाद लिया. मैंने देखा झुकते समय टॉप के अंदर उसकी चूचियाँ थोड़ा हिली डुली. ज़रूर उसने ढीली ब्रा पहनी हुई थी, जैसा की हम औरतें कभी कभी घर में पहनती हैं. मैंने ख्याल किया समीर की नज़रें भी काजल की हिलती चूचियों पर थीं.

गुरुजी – काजल बेटा, तुम्हारी पढ़ाई के क्या हाल हैं ?

काजल – गुरुजी , मैं पूरी कोशिश कर रही हूँ. लेकिन जो मैं घर में पढ़ती हूँ वैसा एग्जाम्स में नहीं लिख पाती.

गुरुजी – हम्म्म ……….ध्यान लगाने की समस्या है. चिंता मत करो बेटी , अब मैं आ गया हूँ, सब ठीक हो जाएगा.

काजल – गुरुजी मुझे बहुत फिकर हो रही है. इस बार भी मेरे मार्क्स बहुत कम आ रहे हैं.

गुरुजी – काजल बेटी, यज्ञ से तुम्हारा दिमाग़ ऐसा खुलेगा की तुम्हें पढ़ाई में ध्यान लगाने में कोई दिक्कत नहीं होगी.

गुरुजी के शब्दों से काजल और उसके मम्मी पापा बहुत खुश लग रहे थे. मैंने देखा काजल और गुरुजी की बातचीत के दौरान कुमार (गुप्ताजी) मुझे घूर रहा था. नंदिनी अभी भी उसके साथ ही खड़ी थी. पहले तो मैंने ध्यान नहीं दिया लेकिन अब मुझे लगा की वास्तव में वो मुझे घूर रहा था. औरत होने की शरम से मैंने अपनी छाती के ऊपर साड़ी के पल्लू को ठीक किया जबकि वो पहले से ही ठीक था. मैंने नंदिनी को देखा की उसे अपने पति की नज़रें कहाँ पर हैं , मालूम है क्या, पर ऐसा लग रहा था की उसका ध्यान गुरुजी की बातों पर है.

गुरुजी – ठीक है फिर. नंदिनी पूजा घर में चलो.

गुरुजी और समीर नंदिनी के साथ जाने लगे और मैं भी उनके पीछे चल दी. कुमार की नज़रों से पीछा छूटने से मुझे खुशी हुई. फिर नंदिनी सीढ़ियों से ऊपर जाने लगी उसके पीछे गुरुजी थे फिर मैं और अंत में समीर था. मेरी नज़र सीढ़ियां चढ़ती नंदिनी की मटकती हुई गांड पर पड़ी. साड़ी में उसकी हिलती हुई गांड गुरुजी के चेहरे के बिल्कुल सामने थी. तभी मुझे ध्यान आया की ऐसा ही दृश्य तो मेरे पीछे सीढ़ियां चढ़ते समीर को भी मेरी मटकती गांड का दिख रहा होगा. वो तो अच्छा था की कुछ ही सीढ़ियां थी फिर दूसरी मंज़िल की छत पर पूजा घर था.

गुरुजी – नंदिनी तुम तो थोड़ी सी सीढ़ियां चढ़ने पर भी हाँफने लगी हो.

नंदिनी – जी गुरुजी. ये समस्या मुझे कुछ ही समय पहले शुरू हुई है.

गुरुजी – समीर ज़रा नंदिनी की नाड़ी देखो.

समीर – जी गुरुजी.

उन दोनों को वहीं पर छोड़करगुरुजी और मैं पूजा घर की तरफ बढ़ गये. मैंने एक नज़र पीछे डाली तो देखा समीर नंदिनी से सट के खड़ा था , उन्हें ऐसे देखकर मेरे दिमाग़ में उत्सुकता हुई. पूजा घर एक छोटा सा कमरा था जिसमें देवी देवताओं के चित्र लगे हुए थे. गुरुजी आश्रम से लाई हुई यज्ञ की सामग्री निकाल कर रखने लगे और मुझसे फूल और मालायें अलग अलग रखने को कहा. लेकिन मुझे ये देखने की उत्सुकता हो रही थी की समीर नंदिनी के साथ क्या कर रहा है ? इसलिए मैं अपनी जगह से खिसककर दरवाज़े के पास बैठ गयी.

नंदिनी – समीर मैं एलोपैथिक दवाइयों पर भरोसा नहीं करती. डॉक्टर ने मुझे कुछ दवाइयां दी हैं लेकिन मैंने नहीं खायी.

समीर – लेकिन मैडम, अगर आप दवाई नहीं लोगी तो आपकी समस्या और बढ़ जाएगी ना.

नंदिनी – समीर अब और क्या समस्यायें बढ़नी बची हैं ? कुमार को तो तुम जानते ही हो. वो पक्का शराबी है. ऊपर से 5 साल से विकलांग भी हो गया है. काजल पिछले साल फेल हो गयी. समीर क्या करूँ मैं ?

मैं उन दोनों को देख नहीं पा रही थी लेकिन उनकी बातें साफ सुन पा रही थी. उनकी बातें छुप कर सुनने में मुझे अजीब सा रोमांच हो रहा था. मुझे ये महसूस हो रहा था की समीर के नंदिनी से अच्छे संबंध हैं क्यूंकी वो उससे खुल कर अपने घर की बातें कर रही थी.

समीर – लेकिन नंदिनी मैडम, आप अपनी किस्मत तो नहीं बदल सकती ना. जो भी मुझसे बन पड़ता है मैं करता हूँ.

अब मैं थोड़ा और दरवाज़े की तरफ खिसकी. मैंने अपनी आँखों के कोनों से गुरुजी की तरफ देखा, वो यज्ञ की सामग्री को ठीक से रखने में व्यस्त थे. अब मैं नंदिनी और समीर को साफ देख पा रही थी. पति के सामने और अब पति की अनुपस्थिति में , नंदिनी के व्यवहार में मुझे साफ अंतर दिख रहा था. मुझे तो झटका सा लगा जब मैंने देखा की समीर ने नंदिनी को करीब करीब आलिंगन में लिया हुआ है.

मुझे विश्वास ही नहीं हुआ और ये दृश्य देखकर मेरी आँखें फैलकर बड़ी हो गयीं. समीर का एक हाथ नंदिनी की कमर और नितंबों पर घूम रहा था और वो भी उसके ऊपर ऐसे झुकी हुई थी की उसके नितंब बाहर को उभरे हुए थे और उसकी चूचियाँ समीर की तरफ बाहर को तनी हुई थी. एक औरत होने की वजह से मैं नंदिनी का वो पोज़ देखते ही उसकी नियत समझ गयी.

नंदिनी – मैं तुम पर दोष नहीं लगा रही समीर. ये तो मेरी किस्मत है जिसे मैं 5 साल से भुगत रही हूँ.

समीर चुप रहा. मैं अच्छी तरह से समझ रही थी की इन दोनों का कुछ तो नज़दीकी रिश्ता है , शायद जिस्मानी रिश्ता होगा क्यूंकी कोई भी शादीशुदा औरत किसी दूसरे मर्द को वैसे नहीं छूने देगी जैसे समीर ने उसे पकड़ा हुआ था. पति भी विकलांग था तो मुझे समझ आ रहा था की नंदिनी की कामेच्छायें अधूरी रह जाती होंगी.

अब मुझे साफ दिख रहा था की समीर का दायां हाथ नंदिनी के चौड़े नितंबों को साड़ी के ऊपर से दबा रहा है और नंदिनी भी उसके ऊपर और ज़्यादा झुके जा रही थी. समीर का बायां हाथ मुझे नहीं दिख पा रहा था. क्या वो नंदिनी की चूचियों पर था ? मेरे ख्याल से वहीं पर होगा क्यूंकी जिस तरह खड़े खड़े नंदिनी अपनी भारी गांड हिला रही थी उससे तो ऐसा ही लग रहा था. उन दोनों को उस कामुक पोज़ में देखकर ना जाने क्यूँ मुझे बहुत मज़ा आ रहा था.

समीर – नंदिनी मैडम, चलो अंदर चलते हैं नहीं तो गुरुजी…….

नंदिनी – हाँ हाँ चलो. कुमार भी हॉल से चुपचाप यहाँ आ सकता है.

मुझे मालूम चल गया था की अब ये दोनों पूजा घर में आ रहे हैं तो मैंने फूलों के काम में व्यस्त होने का दिखावा किया. पहले समीर अंदर आया उसके बाद नंदिनी आई.

गुरुजी – समीर नंदिनी की नाड़ी तेज चल रही है क्या ?

समीर – नहीं गुरुजी. नॉर्मल है.

नंदिनी – गुरुजी , काजल को यहाँ कब बुलाना है ?

गुरुजी – शुरू में तुम तीनो की यहाँ ज़रूरत पड़ेगी. जब बुलाना होगा तो मैं समीर को भेज दूँगा. अभी यहाँ सब ठीक करने में कम से कम आधा घंटा और लगेगा.

नंदिनी – ठीक है गुरुजी.

गुरुजी – तुम्हें तो मालूम है , यज्ञ के लिए तुम लोगों को साफ सुथरे सफेद कपड़ों में बैठना होगा.

नंदिनी – हाँ गुरुजी , मुझे याद है.

उसके बाद आधे घंटे में यज्ञ के लिए सब तैयारी हो गयी. कमरे के बीच में अग्नि कुंड में आग जलाई गयी. उसके पीछे लिंगा महाराज का चित्र रखा हुआ था. यज्ञ के लिए बहुत सी सामग्री वहाँ पर बड़े करीने से रखी हुई थी. मैंने मन ही मन उस सारे अरेंजमेंट की तारीफ की. फिर समीर ने पूजा घर का दरवाज़ा बंद कर दिया और गुरुजी ने यज्ञ शुरू कर दिया. उस समय रात के 9 बजे थे. यज्ञ के लिए चंदन की अगरबत्तियाँ जलाई गयी थीं. गुरुजी अग्नि कुंड के सामने बैठे थे , समीर उनके बाएं तरफ और मैं दायीं तरफ बैठी थी. गुरुजी के ज़ोर ज़ोर से मंत्र पढ़ने से कमरे का माहौल बदल गया.

समीर ने गुप्ता परिवार को पहले ही बुला लिया था. कुमार ने सफेद कुर्ता पैजामा पहना हुआ था. वो अपनी पत्नी के ऊपर झुका हुआ था और थोड़ा कांप रहा था. नंदिनी में एकदम से बदलाव आ गया था. अपने पति को पूजा घर लाते हुए वो अपने पति का बड़ा ख्याल रखने वाली पत्नी लग रही थी. उसने अपने कपड़े बदल लिए थे और अब वो सफेद सूती साड़ी और सफेद ब्लाउज पहने हुए थी जो बिल्कुल पारदर्शी था. उस पारदर्शी कपड़े के अंदर कोई भी उसकी सफेद ब्रा और गोरे बदन को देख सकता था. काजल ने कढ़ाई वाला सफेद सलवार सूट पहना हुआ था. उसने चुनरी नहीं डाली हुई थी और उस टाइट सूट में वो आकर्षक लग रही थी. वो तीनो हमारे सामने अग्नि कुंड की दूसरी तरफ बैठे हुए थे.

कहानी जारी रहेगी




NOTE


1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब  अलग  होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर  कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा  कही पर भी संभव है  .



2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा  जी  स्वामी, पंडित,  पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन   खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.



3.  इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने  अन्यत्र नहीं पढ़ी है  .



जब मैंने ये कहानी यहाँ डालनी शुरू की थी तो मैंने भी इसका अधूरा भाग पढ़ा था और मैंने कुछ आगे लिखने का प्रयास किया और बाद में मालूम चला यह कहानी अंग्रेजी में "समितभाई" द्वारा "गुरु जी का (सेक्स) ट्रीटमेंट" शीर्षक से लिखी गई थी और अधूरी छोड़ दी गई थी। बाद में 2017 में समीर द्वारा हिंदी अनुवाद शुरू किया गया, जिसका शीर्षक था "एक खूबसूरत हाउस वाइफ, गुरुजी के आश्रम में" और लगभग 33% अनुवाद "Xossip" पर किया गया था। अभी तक की कहानी मुलता उन्ही की कहानी पर आधारित है या उसका अनुवाद है और अब कुछ हिस्सों का अनुवाद मैंने किया है ।

कहानी काफी लम्बी है और मेरा प्रयास जारी है इसको पूरा करने का ।






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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 09-04-2022, 05:12 PM



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