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अंतरंग हमसफ़र
#48
अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय



लंदन जाने की तयारी



भाग -1



हुमा से जुदाई 






मैं बोला नाश्ता ख़त्म होने के बाद, फूफा जी का फ़ोन आया और उन्हें आज के युवाओं के गैर जिम्मेदाराना रवैये के बारे में कुछ अविश्वसनीय, विडंबनापूर्ण टिप्पणी की और कहा कि बॉब को कुछ महत्त्वपूर्ण कागजात देने जाना था लेकिन बॉब उन्हें देना भूल गया है और फिर कहा: " दीपक, क्या आप मुझे उपकृत करने के लिए कुछ दर्जन मील जा पाएंगे। आप कृपया मेरी अलमारी में रखे कुछ गोपनीय कागजात को श्रीमती लिली नामक महिला तक पहुँचा दे।

मैंने हामी भर दी, लेकिन मैंने देखा कि मेरे इस ब्यान से हुमा बहुत नाराज हो गयी थी। हुमा इस क़दर नाराज़ थी कि अब वह वापस जाना चाहती थी। मैंने उससे रुकने के लिए अनुरोध किया और जल्द ही वापस लौट आने का वादा किया, लेकिन वह इतनी नाराज थी कि उसने मुझे तुरंत उसके घर वापस जाने के लिए व्यवस्था करने के लिए कहा, मैंने उसे रोकने के लिए बहुत कोशिश की लेकिन सब कुछ व्यर्थ सिद्ध हुआ। उसने एक टैक्सी बुलाई और तुरंत निकल गईl

तब तक मेरी टैक्सी भी दरवाजे पर आ गई, मैं तुरंत टैक्सी में बैठकर निकल गया। सफ़र के दौरान मेरे विचार बहुत कामुक थे शायद इसलिए की मेरी योजना की अगले पूरे हफ्ते हुमा की चुदाई और चुदाई करूंगा पर पानी फिर गया था l इस बीच सफर में भी कुछ बहुत सुंदर लड़किया नजय आयी और उन्हें देख मैंने अपने लंड को मसला जब मैं श्रीमती लिए के घर के प्रवेश द्वार पर पहुँचा तो मैं बहुत ज़्यादा काम उत्तेजित था गेटकीपर जल्द ही मुझे घर के अंदर ले गया और मेरी दस्तक का तुरंत एक गोरी और सुंदर युवा कन्या ने दरवाज़ा खोला। उसे देख मैंने फिर अपने लंड को मसला l

श्रीमती लिली घर पर थी और उस सुंदर युवा कन्या ने मुझे मैं ड्राइंग-रूम में बैठ कर इंतज़ार के लिए आग्रह किया, क्योंकि श्रीमती लिली अभी भी अपने शौचालय में थी और वह जल्द ही अपने निजी कक्ष में मुझसे भेंट करेंगी। इस विनम्र संदेश ने मेरे सभी रोमांटिक प्रेमपूर्ण विचारों को पुनर्जीवित कर दिया, जो मैंने अपने सफ़र में महसूस किये थे।

जल्द ही वह कन्या आयी और मुझे श्रीमती लिली के निजी कक्ष में ले गयी। जैसे ही मैंने उनके कक्ष में प्रवेश किया, मैंने पाया कि श्रीमती लिली लगभग तेईस साल की एक सुंदर गोरी महिला थी, उसने चेहरे की सबसे आकर्षक अभिव्यक्ति के साथ मेरा स्वागत किया, उसकी बड़ी, भरी, गहरी आँखो ने मन की बात को जान लिया क्योंकि उसने अपना हाथ बढ़ाया मेरा हाथ पकड़ा और यह कहते हुए मुझे अपने पास एक सीट पर खींच बिठा लिया, "तो, तुम दीपक हो, अपने अंकल को बोलना कि मुझे आपको देखकर बहुत प्रसन्नता हुई और आप अपने आपके पिता, अंकल और कजिन और चचेरे भाइयों से भी आकर्षक हैं।"

फिर घंटी बजाते हुए, उसने जारी रखा, "आप सफ़र के बाद थक गए होंगे! क्या आप मेरे साथ एक कप चॉकलेट लेंगे? तब तक मैं आपके अंकल के कागजत को देखती हूँ" एक दराज खोलकर और कानूनी दस्तावेजों जैसे कागजों के कई बंडलों को मेज पर बिछाते हुए उन्हें देखने लगी। जैसे ही उस नौकरानी ने प्रवेश किया (वह वही बहुत सुंदर लड़की थी जिससे मैं श्रीमती लिली के यहाँ सबसे पहले मिला था। -" डेज़ी, दो कप चॉकलेट लाओ, कुछ बिस्कुट के साथ।

जल्द ही वह कन्या आयी और मुझे श्रीमती लिली के निजी कक्ष में ले गयी। जैसे ही मैंने उनके कक्ष में प्रवेश किया, मैंने पाया कि श्रीमती लिली लगभग तेईस साल की एक सुंदर गोरी महिला थी, उसने चेहरे की सबसे आकर्षक अभिव्यक्ति के साथ मेरा स्वागत किया, उसकी बड़ी, भरी, गहरी आँखो ने मन की बात को जान लिया क्योंकि उसने अपना हाथ बढ़ाया मेरा हाथ पकड़ा और यह कहते हुए मुझे अपने पास एक सीट पर खींच बिठा लिया, "तो, तुम दीपक हो, अपने अंकल को बोलना कि मुझे आपको देखकर बहुत प्रसन्नता हुई और आप अपने आपके पिता, अंकल और कजिन और चचेरे भाइयों से भी आकर्षक हैं।"

फिर घंटी बजाते हुए, उसने जारी रखा, "आप सफ़र के बाद थक गए होंगे! क्या आप मेरे साथ एक कप चॉकलेट लेंगे? तब तक मैं आपके अंकल के कागजत को देखती हूँ" एक दराज खोलकर और कानूनी दस्तावेजों जैसे कागजों के कई बंडलों को मेज पर बिछाते हुए उन्हें देखने लगी। जैसे ही उस नौकरानी ने प्रवेश किया (वह वही बहुत सुंदर लड़की थी जिससे मैं श्रीमती लिली के यहाँ सबसे पहले मिला था। -"डेज़ी, दो कप चॉकलेट लाओ, कुछ बिस्कुट के साथ," जब वह चली गयी तो वह बोली "आपको क्या लगता है डेज़ी एक सुन्दर लड़की नहीं है? मेरे पति के यहाँ वह मेरी शादी से भी पहली से सेवारत है। जब उन्होंने मुझसे शादी की तो ये बहुत छोटी थी । अब मेरे पति मुझसे दूर है; क्या आपको नहीं लगता कि एक युवा पत्नी को शादी के बाद ऐसे अकेला छोड़ना शर्म की बात है?"

मुझे जवाब देने का मौका दिए बिना, वह काग़ज़ निकाल कर इधर उधर घूमती हुई जिज्ञासु तरीके से बोलते-बोलते चलती रही और वह ख़ुद को कागजात बिछाने और समझने में बहुत व्यस्त होने का ढोंग कर रही थी।

कुछ देर बाद जब डेज़ी चॉकलेट ले आयी तो उसे दुसरी नौकरानी माधवी को यह बताने के आदेश के साथ बहहर भेज दिया गया कि उसकी मालकिन कुछ समय के लिए बहुत व्यस्त होगी और जब तक वह उसे पुकारती नहीं है तब तक उसे परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

मेरी गोरी मेजबान की सबसे आकर्षक बात ये थी क्योंकि वह अपने पारदर्शी गाउन में घूम रही थी, जो ऊपर से खुला था, जिससे उसकी आकर्षक दूधिया छाती के ऊपरी भाग प्रदर्शित हो रहे थे वह केवल पेट के पास एक डोरी से बढ़ा हुआ था और उसकी गोरी लम्बी और चिकनी टाँगे जिनमे उसने खूबसूरत चप्पलो के अलावा कुछ भी नहीं पहना हुआ था।

फिर उसने थर्मस में से दो कप चॉकलेट उँडेली, उसमे कुछ ख़ास खुशबूदार पदार्थ डाला और मुझे उनमें से एक के साथ पेश करते हुए नरम लाउंज में मेरे साथ चिपक कर बैठ गयी। "इसे मेरी तरह एक घूँट में ख़त्म करो यह आपको एक-एक घूंट पीने और इसे ठंडा होने देने से कहीं अधिक अच्छा लगेगा।" उसने कहा ।

मैं उसे देख कर इतना प्रभावित था कि मैं उसके मश्वरे को ताल ही नहीं सका और हम दोनों ने एक घूँट में चॉक्लेट के अपने प्याले को पिया और मैंने लगभग तुरंत ही अपनेबदन में कामुक गर्माहट का रोमांच महसूस किया और जब मैंने मेरे प्यारे साथी को देखा तो उसकी आँखें में एक अजीब कामुक आग से चमक रही थी।

तो दोस्तों कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक


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RE: अंतरंग हमसफ़र - by aamirhydkhan1 - 01-04-2022, 09:10 AM



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