17-01-2022, 05:21 AM
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CHAPTER- 4
नियम
PART-3
प्रायश्चित
नियम
PART-3
प्रायश्चित
दादा गुरु महर्षि अमर मुनि जी बोले मनुष्य बहुधा अनेक भूल और त्रुटियाँ जान एवं अनजान में करता ही रहता है। अनेक बार उससे भयंकर पाप भी बन पड़ते हैं। पापों के फल स्वरूप निश्चित रूप से मनुष्य को नाना प्रकार की नारकीय पीड़ायें चिरकाल तक सहनी पड़ती हैं। पातकी मनुष्य की भूलों का सुधार और प्रायश्चित भी उसी प्रकार सम्भव है, जिस प्रकार स्वास्थ्य सम्बन्धी नियमों के तोड़ने पर रोग हो जाता है, और उससे दुःख होता है, तो थोड़ी चिकित्सा आदि से उस रोग का निवारण भी किया जा सकता है। पाप का प्रायश्चित्त करने पर उसके दुष्परिणामों के भार में कमी हो जाती है और कई बार तो पूर्णतः निवृत्ति भी हो जाती है।
उसे बाद गुरुदेव ने पूरी विधि विस्तार से समझायी
इसके बाद महर्षि कुछ कहते तो हमारे कुलगुरु मृदुल मुनि अंदर अनुमति ले कर अंदर आ गए l
नियम
कुलगुरु मृदुल ने महर्षि को प्रणाम किया और बोला गुरुदेव महारानी ने प्राथना की है की सबसे पहले गर्भदान का अवसर उन्हें मिलना चाहिए क्योंकि महाराज ने उनसे वाद किया है की महारानी की ही संतान युवराज होगी तो मैंने उन्हें बोला महर्षि ने आप को बताया था की गर्भदान के क्या नियम है महारानी विवाहित है और कुमार अविवाहित हैं इसलिए ये संभव नहीं है .
महर्षि गुरुदेव बोले इसीलिए हमने महाराज को एक कुंवारी कन्या से विवाह करने का निर्देश दिया है जिसका गर्भदान कुमार के साथ होगा अन्यथा ये गर्भदान निष्फल रहता , अच्छा हुआ तुम ये प्रश्न किया .. इसका दूसरा हिस्सा ये है की कुमार को भी पहले गर्भदान के बाद विवाह करना होगा और अपनी पत्नी के साथ मिलन के बाद ही बाकी रानियों के साथ कुमार गर्भदान कर सकेंगे
महर्षि गुरुदेव बोले प्रिय मृदुल बिलकुल ठीक समय पर आये हो अब मैं कुमार को साधना की नियम बताने वाला था इन्ही नियमो का पालन महाराज को उनकी रानियों को और राजकुमारी को भी करना होगा जिससे महाराज का विवाह होना हैं .
किसी भी साधना मैं सबसे महत्वपुर्ण भाग उसके नियम हैं. सामान्यता सभी साधना में एक जैसे नियम होते हैं.
उसे बाद गुरुदेव ने पूरी विधि और नियम विस्तार से समझायी
महाराज को एक कुंवारी कन्या से विवाह करने का निर्देश दिया है जिसका गर्भदान कुमार के साथ होगा अन्यथा ये गर्भदान निष्फल रहता है .कुमार को भी पहले गर्भदान के बाद विवाह करना होगा और अपनी पत्नी के साथ मिलन के बाद ही बाकी रानियों के साथ कुमार गर्भदान कर सकेंगे
इस प्रकार कार्य को पूजा समझ कर आरम्भ करे और शुद्ध ह्रदय से अपने कर्तव्य का निर्वाहन करे तो ये कार्य पवित्र रहेगा और उत्तम फल प्रदान करेगा
इसके बाद कुलगुरु मृदुल जी बोले धन्यवाद गुरु जी, महाराज हिमालय की रियासत के महाराज वीरसेन दर्शनों के लिए आये है और आज्ञा प्रदान करे
तो महृषि बोले मुझे उनका ही इंतजार था उन्हें सादर ले आओ
कामरूप क्षेत्र की राजकुमारी से भेंट
हिमालय की रियासत के महाराज वीरसेन की राज्य की सीमा ही महर्षि अमर गुरुदेव जी का स्थान था . महाराज वीरसेन महर्षि अमर गुरुदेव जी के शिष्य थे .. उनके साथ उनकी महारानी और उनका परम मित्र और उनका परिवार था
महाराज वीरसेन ने पहले गुरुदेव के चरणों में प्रणाम किया और फिर बारे बारी से उनके साथ आये हुए लोगो ने भी गुरुदेव को प्रणाम किया फिर गुरुदेव ने मुझे सम्भोदित करते हुए कहाः कुमार आप महाराज वीरसेन को प्रणाम करिये.
मैंने महाराज वीरसेन और पत्नी महारानी को प्रणाम किया तो महाराज वीरसेन मुझे देख कर बोल पड़े आप तो हमारे होने वाले जमाता महाराज हरमोहिंदर जी हैं अच्छा हुआ आप भी यहीं मिल गए .. इनसे मिलिए ये हैं मेरे अभिन्न मित्र बिलकुल छोटे भाई जैसे कामरूप क्षेत्र के (आसाम ) के महाराज उमानाथ उनकी पत्नी महारानी चित्रां देवी और इनके साथ इनके पुत्र हैं राजकुमार महीपनाथ और इनकी पुत्री है राजकुमारी ज्योत्सना .
तो महर्षि ने कहा महाराज वीरसेन ये कुमार दीपक है महाराज हरमोहिंदर जी का चचेरा भाई .. फिर गुरुदेव महर्षि मुझ से बोले कुमार दीपक महाराज वीरसेन की पुत्री से ही महाराज हरमोहिंदर का विवाह होना तय हुआ है ..
तो महाराज वीरसेन बोले क्षमा कीजिये कुमार आप दोनों भाई देखने में एक जैसे लगते हैं और ये हमारे पहली भेट है इसीलिए मुझ से ये भूल हुई .. कृपया इसके लिए मुझे क्षमा कर दीजिये
तो मैंने कहा नहीं महाराज ये भूल तो किसी से भी हो सकती है इसके लिए आप बिलकुल दोषी नहीं हैं . यहाँ तक की मैं भी अपने पिताजी जैसा ही दीखता हूँ और अगर हम तीनो( पिताजी , महाराज और मैं ) एक साथ खड़े हो तो आपको लगेगा एक ही व्यक्ति के आप अधेड़ आयुष्मान और युवा रूप एक साथ देख रहे हैं .. इसके लिए आप मन में कोई अपराध भाव न रखें ..
उसके बाद और इनके साथ इनके पुत्र राजकुमार महीपनाथ और इनकी पुत्री राजकुमारी ज्योत्सना का अभिवादन किया .
फिर मैंने उन्हें सादर आसन ग्रहण करने को कहा इसके बाद मेरी नजरे राजकुमारी ज्योत्सना पर टिक गयी .... गोरा रंग लम्बी पतली सुन्दर मांसल शारीर, उन्नत एवं सुडौल वक्ष: स्थल, काले घने और लंबे बाल, सजीव एवं माधुर्य पूर्ण आँखों का जादू मन को मुग्ध कर देने वाली मुस्कान दिल को गुदगुदा देने वाला अंदाज यौवन भर से लदी हुई ज्योत्सना ने मेरे मन को विचिलित कर दिया मैं ज्योत्सना की देह यष्टि से प्रवाहित दिव्य गंध से आकर्षित उसे अपलक देखता रहा .
महाराज उमा नाथ की पुत्री राजकुमारी , ज्योत्सना बहुत शिष्ट और मर्यादित मणि के जैसी अनुपम सौंदर्य कि स्वामिनी सम्पूर्ण प्रकृति सौंदर्य को समेत कर यदि साकार रूप दिया तो उसका नाम ज्योत्सना होगा |
ज्योत्सना ने भी मुझे देखा और अपनी आँखे शर्मा कर नीचे झुका ली .
राजकुमारी - सपनो की रानी
राजकुमारी ज्योत्सना बहुत सुन्दर लग रही थी उसका सुन्दर अण्डाकार गुलाबी रंग का चेहरा, मन-मोहिनी, मुख पर साल की जो आभूषण धारण किए हुए, उन्नत गुलाब जैसी रंगत वाले स्तन धारण करने वाली कमसिन कन्या , जिसके स्तन चुमने और पीने योग्य थे । जिसका कमर और नितम्बों का आकार सुराई की भांति थी । जिसकी आखें सम्मोहन युक्त, खंजर के समान, कमल नयन और जिसकी तरफ वो एक नजर देख लें वो उसके मोहपाश में बन्ध जाए। गुलाबी वस्त्रों को धारण करने साक्षात अप्सरा जैसी राजकुमारी ज्योत्सना को मैं देखता ही रह गया ?
ज्योत्सना से भी ज्यादा सुंदर, ज्योत्सना से भी ज्यादा कोमल और ज्योत्सना से ज्यादा योवनवति न कमसिन और प्यारी कन्या या युवती है ही नही, उसका सौन्दर्य है ही इतना अद्वितीय और सच में इतनी सुंदर साक्षात अप्सरा जैसी कन्या मैंने पहले कभी नहीं देखी थी.
उसकी कमर इतनी नाजुक है कि एक बार उसको जो भी देख ले वह उसको जिंदगी भर नही भुला सकता. सच में तो मिस यूनिवर्स भी राजकुमारी ज्योत्सना के सामने पानी भरती नजर आती वह 18 वर्ष की उम्र की अन्नहड़ मदमस्ति और यौवन रस से परिपूर्ण संसार के द्वितीय सौन्दर्य की सम्राजञी राजकुमारी ज्योत्सना को देखते ही मेरे होश गुम हो गए.
ऐसा लग रहा था काम देव ने अपनेसारे बाण मेरे ऊपर छोड़ दिए थे
गोरा अण्डाकार चेहरा, गौरा रंग ऐसा, कि जैसे स्वच्छ दुध में केसर मिला दी हो, लम्बे और एडियों को छूते हुए घने सुनहरे केश, बड़ी-बड़ी खजन पक्षी की तरह आखें जो हर क्षण गहन जिज्ञासा लिए हुए इधर उधर देखती है, छोटी चुम्बक, सुंदर और गुलाबी होठ, आकर्षक चेहरा और अद्वितीय आाभा मे युक्त शरीर राजकुमारी ज्योत्सना आकर्षक सुन्दरतम वस्त्र, अलंकार और पुष्प धारण किये हुए , सौंदर्य प्रसाधनों से युक्त-सुसज्जित दर और बेहद आकर्षक...थी
सब मिल कर एक ऐसा सौन्दर्य जो उंगली लगने पर मैला हो जाए ।उसका फिगर 34 28 34 होगा, जवानी टूट कर उस पर आई थी उसकी कमसिन काया गोल गोल भरे बूब्स, गोरा रंग, उसकी नाज़ुक सी पतली कमर उस पर उभरे गुंदाज़ कूल्हे और भरी गांड देखकर मेरा मन और लंड दोनों मचलने लगे
मेरे मन राजकुमारी ज्योत्स्ना को देख बेकाबू हो रहा था. उनकी गोल गोल बूब्स से भरी उसकी छाती और भरे भरे गालों के साथ उसकी नशीली आंखें मुझे नशे में कर रही थी। उसके होठों की बनावट तो ऐसी थी, अगर कोई एक बार उनका रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले।
सपाट पेट, लहराती हुई कमर, गहरी नाभि और बूब्स पर तनी हुई निपल्स, आँखे अधमुंदी चेहरा अब मेरा मन तो कर रहा था कि बस उसके रस भरे ओंठो और स्तनों को को चूमता और चूसता और चूमता, चाटता रहूँ और अपनी बाहों में जकड़ कर मसल डालूँ और जिंदगी भर ऐसे ही पड़ा रहूँ और उफ क्या-क्या नहीं करूँ?
मैं ऐसे ही कामुक खयालो में खो गया था और मैंने देखा राजकुमारी भी झुकी हुई आँखों से मुझे चोरी चोरी देखती थी और जब मुझे उन्हें ही देखते हुए पा कर फिर आँखे झुका लेती थी ऐसे में महाराज ने मुझसे मेरे चचेरे बहाई के बारे में कुछ पुछा जो मुझे सुनाई नहीं दिया क्योंकि मेरा पूरा ध्यान तो राजकुमारी पर था .
मेरी ये हालत छुपी नहीं रही और जब गुरु जी को ये कहते हुए सुना की भाई महाराज हरमोहिंदर और महाराज वीरसेन की सुपत्री का विवाह आज से 15 दिन के बाद महाराज वीरसेन के महल में हिमालय नगरी में होगा और फिर गुरुदेव ने मुझे विवाह से दो दिन पहले उनके आश्रम में आने की आज्ञा दी ताकि शुद्धिकरन की प्रक्रिया पूरी की जाए .
जूही और ऐना वही रुक गए और मैं अगले दिन सुबह तक वापिस अपने घर सूरत लौट आया .. पर मेरे दिल और दिमाग में राजकुमारी ज्योत्सना ही घूम रही थी और मैं सोच रहा था किस प्रकार उससे मुलाकात की जाये .
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार
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