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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#28
गुरुजी के आश्रम में सावित्री


CHAPTER 5- चौथा दिन

मालिश

Update 1


अब 11:30 बज गये थे और मैं नहाने की सोच रही थी . तभी किसी ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया.

“कौन है ?”

जवाब देने वाले को मैं पहचान नहीं पाई. मैं सोचने लगी ये किसकी आवाज़ है , सुनी हुई तो लग रही है. मैंने दरवाजा खोला तो बाहर राजकमल खड़ा था.

राजकमल – मैडम , मैं मालिश के लिए आया हूँ. गुरुजी ने आपको इसके बारे में जरूर बताया होगा.

मैंने कुछ पल के लिए सोचा फिर मुझे याद आया की उस दिन गुरुजी ने तेल देते समय कहा था की राजकमल मालिश का तरीका बताएगा.

“अरे हाँ हाँ. अंदर आ जाओ.”

राजकमल – थैंक्स , मैडम.

राजकमल गुरुजी के शिष्यों में सबसे छोटा था , करीब 21 – 22 बरस का होगा. वो दुबला पतला था और इस वजह से और भी कम उम्र का दिखता था. वो आश्रम के भगवा वस्त्र पहने हुआ था. उसके हाथ में एक बैग था जिसमें से चटाई का एक कोना बाहर निकला हुआ था.

राजकमल – मैडम , आप अभी मालिश के लिए तैयार हो ?

मुझे थोड़ी उलझन हुई. क्या ये मेरी मालिश करेगा ? गुरुजी की बातों से तो मुझे लगा था की ये मुझे बताएगा की कैसे करनी है और मालिश मुझे खुद करनी होगी.

“तुम मुझे बताओगे नहीं की मालिश कैसे करनी है ?”

राजकमल – मैडम , ये तो जड़ी बूटी वाले तेलों से पूरे बदन की खास किस्म की मालिश है. आप अपनेआप नहीं कर पाओगी. मैं आपको तरीका सीखा दूँगा लेकिन फिर भी आपको मेरी मदद की ज़रूरत तो पड़ेगी ही.

लेकिन उस जवान लड़के से मालिश के लिए मेरा मन राज़ी नहीं हो पा रहा था.

“अच्छा ये बताओ की तुम्हारी उम्र क्या है ? और तुम कब से इस आश्रम में हो ?”

राजकमल – मैं 21 साल का हूँ मैडम. जब मैं बहुत छोटा था तबसे गुरुजी के आश्रम में हूँ.

हे भगवान ! मैंने बिल्कुल सही अनुमान लगाया था. वो सिर्फ़ 21 बरस का था और मैं 28 बरस की शादीशुदा औरत. मैं सोचने लगी इस लड़के से मैं कैसे मालिश करवा सकती हूँ ?

राजकमल – मैडम , मुझे गुरुजी ने प्रशिक्षित किया है. आप चिंता मत करो. मेरी मालिश से आपको पूर्ण संतुष्टि मिलेगी.

ये लड़का मेरे जवान बदन की मालिश करेगा, सोचकर मेरी नज़रें औरत की स्वाभाविक शरम से झुक गयीं. मैंने कोई और तरीका सोचने की कोशिश की.

“अगर तुम मंजू को मालिश का तरीका बता दो तो मंजू मेरी मालिश कर देगी. ऐसा हो सकता है ?”

राजकमल – मैडम, मंजू दीदी भी कर सकती है और आप खुद भी कर सकती हो. लेकिन मैडम ये तो महज खानापूर्ति वाली बात होगी. मालिश का असली फायदा तो तभी होगा जब वो मेरे प्रशिक्षित हाथों से होगी.

“हाँ ये तो है.”

राजकमल – जड़ी बूटी वाले तेलों का भी मालिश में अहम रोल है और मेरे प्रशिक्षित हाथों का भी.

“हम्म्म …..मैं समझ रही हूँ.”

राजकमल की बातों से मैं मालिश के लिए राज़ी हो गयी.

“इसमें कितना समय लगेगा ?”

राजकमल – मैडम, आधा घंटा लगेगा, अगर आप सहयोग करोगी तो.

मेरी भौंहे तन गयीं.

“सहयोग ? क्या मतलब है तुम्हारा ?”

राजकमल – मैडम, मैं पिछले एक साल से ये मालिश कर रहा हूँ. मैंने आश्रम में बहुत सी औरतों की मालिश की है लेकिन उनमें से कुछ औरतों ने मालिश के तरीके पर ऐतराज किया और बेवजह मालिश में देर कर दी.

“मैं समझी नहीं ….”

राजकमल – मैडम , अगर आप उन क़िस्सों को सुनोगी तो हंस पड़ोगी. एक औरत आई थी आश्रम में, मुझसे कहने लगी पीठ की मालिश ब्लाउज के ऊपर से करो. ज़रा कल्पना करो , सोच के भी हँसी आती है.

वो थोड़ा रुका और मेरे रिएक्शन को भाँपने की कोशिश की.

राजकमल – पिछले महीने की बात है ये. ऐसा कैसे संभव है ? एक औरत आई थी , उसने मालिश के लिए मुझे अपनी टाँगें छूने से मना कर दिया. एक औरत ने अपने बालों में जड़ी बूटी वाला तेल लगाने से इनकार कर दिया. मैडम , ऐसी औरतों को समझाने में बहुत वक़्त बर्बाद हो जाता है और मालिश में बेवजह देर हो जाती है. इसलिए मैंने सहयोग के लिए कहा.

मैं थोड़ा हँसी, जैसे की ये बता रही हूँ की मैं उन औरतों जैसी नहीं हूँ. राजकमल ने मुझे देखा और वो भी मुस्कुराया , जैसे की वो समझ गया हो की मैं उससे इस तरह के ऐतराज नहीं करूँगी.

उसने फर्श में चटाई बिछा दी. फिर वो मुड़ा और दरवाज़े को बंद करके अंदर से कुण्डी लगा दी. उसके अंदर से दरवाज़ा बंद करने से मैं थोड़ा घबरा गयी और बेवक़ूफी भरा सवाल कर बैठी.

“तुमने दरवाज़े में कुण्डी क्यूँ लगा दी ?”

शायद राजकमल को मेरे सवाल से और भी ज़्यादा आश्चर्य हुआ और कुछ पलों के लिए उसे जवाब नहीं सूझा.

राजकमल – वो….वो….मेरा मतलब आपके लिए बंद किया मैडम. आपको कपड़े उतारने होंगे ना …..इसलिए.

“ओह्ह ……ठीक है. असल में मैंने कभी ऐसे मालिश नहीं करवाई है ना इसलिए मुझे अंदाज़ा नहीं है.”

राजकमल – आश्रम में आने वाली सभी औरतें ऐसा ही कहती हैं मैडम. लेकिन मालिश के बाद वो कहती हैं की ऐसी संतुष्टि उन्हें कभी नहीं मिली.

वो अर्थपूर्ण तरीके से मुस्कुराया.

“हम्म्म …..”

मैंने सोचा इसकी मालिश से मुझे कुछ आराम मिल जाएगा . विकास और गुरुजी ने जो संभोग की इच्छा जगा दी थी , मालिश से मुझे थोड़ी मानसिक शांति मिल जाएगी. वैसे गहरी नींद आ जाने से बेचैनी अब काफ़ी हद तक कम हो गयी थी.

राजकमल – मैडम , गुरुजी के जड़ी बूटी वाले तेल जादुई असर करते हैं. आप देख लेना.

मैंने सर हिला कर हामी भर दी और उम्मीद की ऐसा ही हो.

राजकमल – आप इस चटाई में बैठो , मैं तेलों को तैयार करता हूँ.

एक अच्छी बात ये थी की राजकमल बाकी मर्दों की तरह मेरे बदन को लालच भरी निगाहों से नहीं घूर रहा था और इससे मुझे सहज महसूस हो रहा था. लेकिन ये लड़का मेरे बदन की मालिश करेगा , इस ख्याल से ही मेरे निप्पल ब्रा के अंदर तन गये थे. राजकमल अब और वक़्त बर्बाद करने के मूड में नहीं था और उसने एक सुगंधित तेल की बोतल खोलकर थोड़ा तेल अपनी हथेली में डाल लिया.

राजकमल – मैडम , मैं आपके बालों से शुरू करूँगा. आप अपना जूड़ा खोलकर बाल पीठ में फैला दो.

मैं भगवा रंग की सूती साड़ी और ब्लाउज में चटाई में बैठी हुई थी. राजकमल मेरे पीछे बैठा था. मैंने अपने लंबे बाल खोल दिए. उसने बालों वाला तेल मेरे बालों में लगाना शुरू किया और वास्तव में उस तेल की सुगंध मदहोश करने वाली थी. मैंने गहरी साँस ली और मुझे अच्छा महसूस हो रहा था.

राजकमल – मैडम , आपके बाल बहुत अच्छे हैं.

मुझे उसकी तारीफ का जवाब देने का मन नहीं हुआ. पूरे कमरे में तेल की सुगंध फैल गयी थी. उसने सावधानी से मेरे सर में तेल लगाया और फिर अपनी अंगुलियों से मेरे लंबे बालों में लगाया.

मैं अभी भी थोड़ी नर्वस हो रखी थी क्यूंकी एक मर्द के हाथों से अपने बदन की मालिश करवाने में मैं कंफर्टेबल फील नहीं कर रही थी , वो भी अपने से छोटे लड़के से. . जब वो मेरे सर में तेल लगा रहा था तो मैं कल्पना कर रही थी की वो मेरी पीठ की मालिश कैसे करेगा ? मुझे अपना ब्लाउज खोलना पड़ेगा और बदन ढकने के लिए कमरे में कुछ नहीं था. टॉवेल भी बाथरूम में छोड़ आई थी. मुझे ध्यान रखना चाहिए था. तभी राजकमल के घुटने मेरे गोल नितंबों से छू गये , मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी.

पिछले कुछ दिनों में दिखाई बेशर्मी के बावजूद , इस मालिश को लेकर मेरे मन में शरम, घबराहट और असहजता के मिले जुले भाव आ रहे थे. अब मेरे सर की मालिश खत्म होने को आई थी, मेरे दिल ने ज़ोर से धड़कना शुरू कर दिया.

राजकमल – मैडम , आपने ख्याल किया होगा की मैं कैसे आपके बालों को फैला रहा था और आपके सर की मालिश कर रहा था. आपको भी ऐसे ही करना होगा , जब आप खुद करोगी या किसी और से करवाओगी.

ठीक है.

राजकमल ने अब मालिश का तेल अपनी दोनों हथेलियों में लगाया और मेरे माथे पर मलने लगा.

राजकमल – मैडम , एक अच्छी मालिश हमेशा बदन के ऊपरी हिस्से से शुरू होनी चाहिए और धीरे धीरे नीचे को जानी चाहिए. और हर हिस्से के लिए अलग अलग तेल होते हैं. ये तेल चेहरे के लिए है.

मैंने सहमति में सर हिलाया और मालिश का आनंद लेने लगी. वास्तव में अच्छा महसूस कर रही थी. राजकमल की अंगुलियों ने मेरे माथे की मालिश की और फिर मेरे नरम गालों की. जब वो अपनी अंगुलियों से मेरे गालों को किसी छोटी लड़की के जैसे दबा रहा था तो मुझे बहुत शरम आ रही थी. उसने मेरे गालों में देर तक गोल गोल करके मालिश की , इससे मेरे गाल लाल हो गये थे. पर मुझे नहीं मालूम वो कितना मेरे शरमाने से लाल हुए थे और कितना उसके मलने से.

चेहरे की मालिश के बाद उसके हाथ मेरे कानो के पास आए. उसने अपने बैग में से रुई लगी हुई कान साफ करने वाली तिल्ली निकाली और मेरे कानों को सावधानी से साफ किया. उसके बाद मेरे कानों में तेल लगाया.

“आआअहह….”

मैंने संतुष्टि से आह भरी. मुझे बहुत रिलैक्स फील हो रहा था और बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने मन ही मन गुरुजी को मालिश के लिए धन्यवाद दिया. मैं चाह रही थी की कुछ देर और मेरे चेहरे की मालिश होती रहे पर राजकमल को और जगह भी मालिश करनी थी. उसने एक दूसरी बोतल निकाली और अपने हाथों में तेल लगा लिया. अब वो मेरी गर्दन में और गले में तेल लगाने लगा. उसने ध्यान रखा की तेल से मेरा ब्लाउज खराब ना हो.

राजकमल – मैडम, ये तेल गर्दन और पीठ के लिए है. वैसे बोतल में ये लिखा हुआ है.

फिर उसने मेरी दायीं हथेली को पकड़ा और उसमें मालिश करने लगा. एक मर्द के ऐसे मेरी हथेली को मलने से मुझे फिर से शरम आने लगी. राजकमल ने मेरी हर एक नाज़ुक अंगुली में एक एक करके मालिश की और फिर ऐसा ही बायीं हथेली में भी किया. वो बीच बीच में बातें भी कर रहा था जिससे माहौल थोड़ा सहज हो जा रहा था. मेरे नाखूनों में गुलाबी नेलपॉलिश लगी हुई थी . तेल लगने से मेरे नाख़ून चमकने लगे .

उसके बाद राजकमल ने मेरे गोरे हाथों की मालिश शुरू की. वो ज़ोर से मालिश कर रहा था और कभी कभी हाथों को दबा भी रहा था. मेरे खून का दौरा बढ़ने लगा और मुझे गर्मी महसूस होने लगी. मेरा ब्लाउज कोहनी से थोड़ा ऊपर तक था , वहाँ तक राजकमल मेरी मालिश कर रहा था. फिर उसकी अंगुलियां मेरे ब्लाउज तक पहुँच गयी. उसने धीरे से मेरे कान में कहा ….

राजकमल – मैडम , आपका ब्लाउज ….

मैंने अंदाज़ा लगाया की शिष्टतावश उसने अपना वाक्य पूरा नहीं किया पर मैं समझ गयी थी की अब मुझे अपने बदन से ब्लाउज अलग करना पड़ेगा. मालिश शुरू होने से पहले मुझे इसी बात की फिकर थी , लेकिन मैं उस लड़के की मालिश में इतनी तल्लीन थी की ब्लाउज उतारने में मुझे ज़्यादा झिझक नहीं हुई. मैंने आगे से ब्लाउज के हुक खोले और राजकमल ने मेरी बाँहों से ब्लाउज उतारने में मदद की. पहली बार कोई लड़का ऐसे मेरा ब्लाउज उतार रहा था. मैं रोज़ ही बेशर्मी की नयी ऊँचाइयों को छू रही थी.

कहानी जारी रहेगी


NOTE



1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब  अलग  होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर  कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा  कही पर भी संभव है  .


2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा  जी  स्वामी, पंडित,  पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन   खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.

3.  इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने  अन्यत्र नहीं पढ़ी है  .

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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 16-01-2022, 04:25 AM



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