05-01-2022, 10:20 PM
मजे - लूट लो जितने मिले
पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई
भाग 5
मजो की दुनिया में मेरे अनुभव
सारा की गर्म चुदाई.
मेरा हाथ अभी भी सारा के स्तन पर रखा था और उसकी सांसों, धड़कन का स्पंदन मैं अपनी हथेली पर महसूस कर रहा था। मैंने दूसरी करवट ले ली सारा पर तो जैसे साक्षात् रति देवी सवार थी उस रात!
मेरे करवट लेते ही सारा मेरे ऊपर से लुढ़क कर मेरे सामने की तरफ आ गई।
'अच्छा ये लो, आज मुंह में लेकर चूसती चूमती हूँ इसे। बहुत दर्द हुआ न आपको अब मैं इसे आराम देती हूँ सारा बोली और मेरा लंड पकड़ कर उस पर झुक गई और अपनी जीभ की नोक से उसे छुआ, फिर फोरस्किन को नीचे खिसका के सुपारा अपने मुंह में ले लिया। मेरा लण्ड तो सारा के मुंह में प्रवेश करते ही फूल के कुप्पा हो गया।
सारा ने पूरा सुपारा अपने मुंह में भर लिया और एक बार चूसा जैसे पाइप से कोल्ड ड्रिंक चूसते हैं।
सारा ने फिर मेरे लंड की चमड़ी को चार छः बार ऊपर नीचे किया जैसे मुठ मारते हैं और फिर लंड को फिर से अपने मुंह में भर लिया, इस बार उसने पूरा सुपारा मुंह में ले लिया, मुंह को ऊपर नीचे करने लगी जिससे लगभग एक तिहाई लंड उसके मुंह में आने जाने लगा।
कुछ देर ऐसे ही करने में बाद सारा बेगम मेरे ऊपर आ गई और लंड को मेरे पेट पर लिटा दिया और अपनी चूत से लंड को दबा दबा के रगड़ा मारने लगी।
सारा के इस तरह रगड़ने से उसकी चूत के होंठ स्वतः ही खुल गये और मेरा लंड उसकी चूत के खांचे में फिट सा हो गया।
सारा जल्दी जल्दी अपनी चूत को मेरे लंड पे घिसने लगी, उसकी बुर से रस बहता हुआ मेरे पेट तक को भिगो रहा था।
अचानक उसकी रगड़ने की स्पीड बहुत तेज हो गई और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगीं 'आह, जानू, कितना अच्छा लग रहा है इस तरह! आपके लण्ड पर अपनी चुत ऐसे रगड़ने का मज़ा आज पहली बार मिल रहा है, आह! ओह!... उई माँ!... बस मैं आने ही वाली हूँ मेरे राजा!... जानू। इसे एक बार घुसा दो न प्लीज, उम्म्ह!... अहह!... हय!... याह!... फिर मैं अच्छे से आ जाऊँगी!
ऐसा कहते हुए सारा अपनी चूत को कुछ ऐसे एंगल से लंड पर रगड़ने लगी कि वो उसकी चूत में चला जाए।
लेकिन मैंने वैसा होने नहीं दिया इस पर सारा खिसिया कर पागलों की तरह अपनी चूत को मेरे लंड पर पटक पटक कर रगड़ते हुए मज़ा लेने लगी।
लंड पर मेरा कोई वश नहीं था, वो तो जवान कसी हुई नर्म गर्म चूत के लगातार हो रहे वार से आनन्दित होता हुआ मस्त था।
उधर सारा की चूत मेरे लंड पे रगड़ती हुई संघर्षरत थी और झड़ जाने की भरपूर कोशिश कर रही थी।
सारा के नाखून मेरे कन्धों में गड़ रहे थे और वो लगातार अपनी चूत मेरे बिछे हुए लंड पर रगड़ती हुई अपनी मंजिल की तरफ पहुँच रही थी।
मेरा बदन भी किसी रिफ्लेक्स एक्शन की तरह अनचाहे ही सारा का साथ देने लगा था और मैं अपनी कमर उठा उठा कर सहयोग दे रहा था।
अचानक अनचाहे ही मैंने सारा को अपनी बाहों में जोर से भींच लिया, उसके सुकोमल स्तन मेरे कठोर सीने से पिस गये। फिर मैंने पलटी मारी, अगले ही क्षण सारा मेरे नीचे थी, मैंने झुक कर उसके फूल से गालों को चूमा और उसका निचला होंठ अपने होंठों में कैद करके चूसने लगा।
सारा ने भी अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दीं और मुझे चुम्बन देने लगी।
सब कुछ जैसे अनायास ही हो रहा था, पता नहीं कब मेरी जीभ सारा के मुंह में चली गई और वो उसे चूसने लगी। फिर अपनी जीभ निकाल के मेरे मुख में धकेल दी।
नवयौवना के चुम्बन का आनन्द ही अलग होता है, अब मैं सारा की गर्दन चूम रहा था, कभी कान की लौ यूं ही चुभला देता और वो मेरे नीचे मचल रही थी चुदने के लियेl बार बार अपनी कमर उठा उठा कर, मुझे जैसे उलाहना दे रही थी,अब जल्दी से पेल दो लंड को!
लेकिन मैं अपने अनुभव से जानता था कि खुद पर काबू कैसे रखना है और अपनी संगिनी को कैसे चुदाई का स्वर्गिक आनन्द देना है।
मैं सारा रानी को चूमता हुआ नीचे की तरफ उतर चला और उसका दायां मम्मा अपने मुंह में भर के पीने लगा, साथ ही बाएं मम्मे को मुट्ठी में ले के धीरे धीरे खेलने लगा उससे!
मेरी हरकतें सारा रानी को कामोन्माद से भर रहीं थीं और अब वो मुझे अपने से लिपटाने लगी थी।
मैं भी अत्यंत उत्तेजित हो चुका था, बढ़ती उत्तेजना में मैंने सारा के दोनों स्तन मुट्ठियों में जकड़ कर उसके गाल काटना शुरू कर दिया।
'राजा .... जानू, गाल मत काटो ना जोर से! निशान पड़ जायेंगे तो सवेरे मैं डॉक्टर को कैसे मुंह दिखा पाऊँगी?' सारा बहुत भोलेपन से बोली।
फिर मैंने सारा के गाल काटना छोड़ के उसके स्तनों को ताकत से गूंथते हुए पीना शुरू कर दिया।
'जानू, अब सब्र नहीं होता! समा जाओ मुझमें! अब और मत सताओ राजा!' सारा की शहद सी मीठी कामुक थरथराती हुई आवाज मेरे कानों में गूंजी।
पर मैं तो अपनी ही धुन में मग्न था, मैं उसे पेट पर से चूमते हुए उसकी नाभि में जीभ से हलचल मचाते हुए उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में ले लिया।
सारा की पाव रोटी सी फूली गुदाज, नर्म चूत पर हल्की हल्की झांटें थीं और चूत से जैसे रस का झरना सा धीरे धीरे बह रहा था।
मुझसे भी सब्र नहीं हुआ और मैं चोदने की मुद्रा में उसकी टांगों के बीच बैठ गया।
सारा ने तुरन्त अपनी टाँगें उठा कर अपने हाथों में पकड़ लीं, उस अँधेरे में दिख तो कुछ रहा नहीं था, मैंने अंदाज से अपने लंड को उसकी चूत से भिड़ाया और उसकी रसीली दरार में ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा।
'अब घुसा भी दो जल्दी से, क्यों पागल बना रहे हो मुझे?' सारा मिसमिसाती हुई सी बोली।
मैंने उस अँधेरे में सारा की चूत का छेद अपनी उंगली से तलाशा और फिर सुपाड़े को की चूत के छेद पर टिकाया और फिर धकेल दिया आगे की तरफ!
चूत की चिकनाई की वजह से सुपारा गप्प से समा गया उसकी चूत में!
'उई माँ! धीरे से डालो, कितना मोटा लग रहा है यह आपका आज!' सारा थोड़े दर्द भरे स्वर में विचलित होकर बोली।
लेकिन मैंने उसके दर्द की परवाह किये बगैर लंड को थोड़ा और आगे हांक दिया।
'उफ्फ जानू, आपका यह लण्ड कितना मोटा लग रहा है आज! मेरी चुत की नसें खिंच गईं पूरी!' सारा बोली और फिर अपने हाथ चूत पे ले जाकर टटोलने लगी।
अभी मेरा सिर्फ सुपारा तीन इंच ही घुसा था उसकी चूत में, अभी भी कोई सात आठ अंगुल बाहर था चूत से!
मैं इसी स्थिति में कुछ देर रुका रहा, फिर जब सारा की चूत ने मेरा लंड ठीक से एडजस्ट कर लिया तो मैंने लंड को जरा सा पीछे खींच कर एक करारा शॉट लगा दिया।
पूरा लंड फचाक से उसकी चूत में समा गया और मेरी झांटें सारा की झांटों से जा मिलीं।
'हाय! लगता है फट गई! उफ्फ! आज पहली बार इतनी चौड़ी कर दी आपने! भीतर की नसें टूट सी गईं हैं।' सारा कराहते हुए बोली।
मैं चुप रहा और शांत लेटा रहा उसके ऊपर!
मेरा लंड सारा की चूत में फंस सा गया था, जैसे किसी ने ताकत से मुट्ठी में जकड़ रखा हो।
मैंने एक बार लंड को पीछे खींचना चाहा तो लंड के साथ चूत भी खिंचती सी लगी मुझे!
मैं रुक गया, फिर मुझे लगा कि सारा अपनी चूत को ढीला और शिथिल करने का प्रयास कर रही थी।
कुछ ही देर बाद सारा ने गहरी सुख की सांस ली और मेरी पीठ को सहलाते हुए अपनी कमर को हल्के से उचकाया जैसे उलाहना दे रही थी कि अब चोदो भी या ऐसे ही पड़े रहोगे?
सारा का संकेत पाकर मैंने लंड को पीछे लिया और फिर से धकेल दिया गहराई तक!
बदले में सारा के नाखून मेरी पीठ में गड़ गये और उसने अपनी चूत को उछाल कर जवाबी कार्यवाही की।
फिर तो यह सिलसिला चल पड़ा, तेज और तेज! मैं लंड को खींच खींच कर फिर फिर उसकी चूत में पेलता और सारा रानी पूरी लय ताल के साथ साथ निभाती हुई अपनी कमर उठा उठा के अपनी चूत देती जाती!
जब मैंने अपनी झांटों से सारा रानी के भागंकुर को रगड़ना शुरू किया तो जैसे वो उत्तेजना के मारे पगला सी गई और किलकारी मार कर मेरे कंधे में
अपने दांत जोर से गड़ा दिए और मेरे बाल अपनी मुट्ठियों में कस लिए और किसी हिस्टीरिया के मरीज की तरह पगला के अपनी चूत उछाल उछाल के
मेरा लंड सटासट लीलने लगी अपनी चूत में, और उसकी चूत से रस का झरना सा बहते हुए मेरी झांटों को भिगोने लगा।
मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी, अब चुदाई की फचफच और सारा की कामुक कराहें और किलकारियां गूँज रही थी-'राजा, बहुत मज़ा आ रहा आज तो और जोर से करो न,फाड़ डालो इसे आज!
सारा सटासट चलते लंड का मज़ा लेती हुई मुग्ध स्वर में बोली।
मेरी उत्तेजना भी अब चरम पर थी, मैं झड़ने की कगार पर था, मैंने बहूरानी के दोनों मम्मे कस के अपनी मुट्ठियों में जकड़ लिए और पूरी बेरहमी से उसकी चूत चुदाई करने लगा।
सारा भी तरह तरह की सेक्सी आवाजें निकालती हुई अपनी चूत मुझे परोसने लगी।
मेरी भोली भाली सौम्य सी लगने वाली सारा कितनी कामुक और चुदाई में सिद्धहस्त थी मुझे उस रात साक्षात अनुभव हुआ।अपनी चूत को सिकोड़
सिकोड़ के कैसे लंड लेना है उसे बहुत अच्छे से पता था, वो मज़ा लेना जानती थी और मज़ा देना भी जानती थी।
'जानू, निहाल हो गई आज मैं, ऐसा मज़ा पहले क्यों नहीं दिया आपने? बस चार छः करारे करारे शॉट और लगा दो, मैं आने ही वाली हूँ।' सारा मेरा गाल चूमते हुए बोली।
मैं भी झड़ जाने को बेचैन था, मैंने कुछ आखिरी धक्के सारा के मनमाफिक लगा कर उसे अपने सीने से लिपटा लिया और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल निकल के चूत में भरने लगीं।
मेरे झड़ते ही सारा ने मुझे कस के पूरी ताकत से भींच लिया और अपनी टाँगें मेरी कमर में लॉक कर दीं। वो भी झड रही थी लगातार और उसका बदन धीरे धीरे कंप कंपा रहा था।
जब सारा की चूत से स्पंदन आने शुरू हुए तो उस जैसा अलौकिक सुख मुझे शायद ही कभी किसी चूत ने दिया हो।
सारा रानी की चूत सिकुड़ सिकुड़ कर मेरे लंड को जकड़ती छोड़ती हुई सी वीर्य की एक एक बूँद निचोड़ रही थी।
बहुत देर तक हम दोनों इसी स्थिति में पड़े रहे, फिर सारा रानी ने अपनी टाँगें फैला दीं, मेरा लंड भी झडा तो फिर चूत ने उसे बाहर धकेल दिया।
झड़ने के बाद भी लंड बदस्तूर खड़ा था।
उधर सारा रानी गहरी गहरी साँसें भरती हुई खुद को संभाल रही थी, वो मुझसे एक बार फिर से लिपटी और मुझे होंठों पर चूम लिया। मैंने उसके मुंह से अपने वीर्य की गंध महसूस की जो संभोग के उपरान्त कुछ ही स्त्रियों के मुंह से आती है।
जल्दी ही सारा रानी का बाहुपाश शिथिल होने लगा और वो जम्हाई लेने लगी।
मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी तो देखा डॉक्टर जूली हमारा पूरा कार्यकर्म मुस्कुरा कर देख रही थीl
कहानी अगले भाग में जारी रहेगीl
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