05-01-2022, 04:14 PM
गुरुजी के आश्रम में सावित्री
CHAPTER 5- चौथा दिन
Medical चेकअप
Update 1
CHAPTER 5- चौथा दिन
Medical चेकअप
Update 1
नहाने के बाद मैंने नयी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट पहन लिए, अपनी दवा ली और फिर गुरुजी के कमरे में चली गयी.
गुरुजी – आओ सावित्री. दो दिन पूरे हो गये. अब कैसा महसूस कर रही हो ?
“अच्छा महसूस कर रही हूँ गुरुजी. ऐसा लग रहा है की आपके उपचार से मुझे फायदा हो रहा है. मैं शारीरिक और मानसिक रूप से तरोताजा और ज़्यादा ऊर्जावान महसूस कर रही हूँ.”
गुरुजी – बहुत अच्छा.
“गुरुजी , वो …वो मेरे …..मेरा मतलब……. मेरे पैड्स का क्या नतीजा आया ?”
गुरुजी – सावित्री, नतीजे खराब नहीं हैं पर बहुत अच्छे भी नहीं हैं. बाद के दो पैड्स में तुम्हें पहले से बेहतर स्खलन हुआ है पर अभी भी ये पर्याप्त नहीं है.
गुरुजी की बात सुनकर मुझे निराशा हुई. मुझे पूरी उम्मीद थी की पैड्स के नतीजे अच्छे आएँगे क्यूंकी पिछले दो दिनों में मुझे कई बार चरम कामोत्तेजना हुई थी और मेरे चूतरस से पैड्स पूरे भीग गये थे. पर यहाँ गुरुजी कह रहे थे की ये पर्याप्त नहीं है. शायद गुरुजी ने मेरी निराशा को भाँप लिया.
गुरुजी – सावित्री तुम्हें इस बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. मैं किसलिए हूँ यहाँ ? तुम बस पूरे मन से वो किए जाओ जो मैं तुम्हें करने को कहूँ. ठीक है ?
मैं निराश तो थी पर मैंने गुरुजी की बात पर हाँ में सर हिला दिया. मैं सोचने लगी पैड तो दो दिन के लिए थे , पता नहीं गुरुजी अब क्या उपचार करेंगे.
गुरुजी – अब मैं लिंगा महाराज की पूजा करूँगा . तुम भी मेरे साथ पूजा करना. उसके बाद मैं तुम्हारा चेकअप करूँगा. क्यूंकी मैं जानना चाहता हूँ की चरम उत्तेजना के बाद भी तुम्हें पर्याप्त स्खलन क्यूँ नहीं हो रहा है ?
गुरुजी थोड़ा रुके. वो सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे.
गुरुजी – सावित्री, ये बताओ तुम्हारे ये दोनों मंदिर वाले ओर्गास्म कैसे रहे ?
मुझे झूठ बोलना पड़ा क्यूंकी शाम को तो मैं मंदिर की बजाय विकास के साथ नाव में थी.
“ठीक ही रहे गुरुजी. लेकिन वो पांडेजी का व्यवहार थोड़ा ग़लत था.”
गुरुजी – वो मैं समझ सकता हूँ. पांडेजी को भी कसूरवार नहीं ठहरा सकते क्यूंकी तुम्हारा बदन है ही इतना आकर्षक.
गुरुजी के मुँह से ऐसी बात सुनकर मुझे झटका लगा पर गुरुजी ने जल्दी से बात सँभाल ली.
गुरुजी – मेरे कहने का मतलब है की पांडेज़ी और बाकी सभी लोग तुम्हारे उपचार का ही एक हिस्सा हैं. इसलिए अगर कोई बहक भी गये तो तुम्हें बुरा नहीं मानना चाहिए और उन्हें माफ़ कर दो. तुम अपना सारा ध्यान मेरे उपचार द्वारा अपने गर्भवती होने के लक्ष्य पर केंद्रित करो. ठीक है सावित्री ?
“हाँ गुरुजी, इसीलिए तो मैंने अपने को काबू में रखा और सब कुछ सहन किया.”
गुरुजी – हाँ , यही तो तुम्हें करना है. अपने दिमाग को अपने वश में करना है. माइंड कंट्रोल इसी को कहते हैं.
मेरे मन में गुरुजी की यही बात घूम रही थी की मुझे पर्याप्त स्खलन नहीं हुआ है. जबकि मुझे लगा था की अपने पति के साथ संभोग के दौरान भी मुझे इतना ज़्यादा स्खलन नहीं होता था जितना यहाँ हुआ था.
“लेकिन गुरुजी , सच में मुझे चरम उत्तेजना हुई थी और इतना ….”
गुरुजी ने मेरी बात बीच में ही काट दी.
गुरुजी – सावित्री , सिर्फ़ उत्तेजना की ही बात नहीं है, इसमें कुछ और चीज़ें भी शामिल रहती हैं. मुझे तुम्हारे पल्स रेट, प्रेशर , हार्ट रेट और ऐसी ही खास बातों को जानना पड़ेगा इसीलिए मैं तुम्हारा डॉक्टर के जैसे चेकअप करूँगा. समझ लो मैं भी एक डॉक्टर ही हूँ , बस मेरे उपचार का तरीका थोड़ा अलग है.
मैं बिना पलक झपकाए गुरुजी की बातें सुन रही थी.
गुरुजी – कभी कभी ऐसा होता है की किसी अंग में कोई खराबी आने से योनि में स्खलन की मात्रा पर्याप्त नहीं हो पाती. उदाहरण के लिए अगर योनि मार्ग में कोई बाधा है या किसी और अंग में कुछ समस्या है. इसलिए तुम्हारे आगे के उपचार से पहले तुम्हारा चेकअप करना ज़रूरी है. जब मुझे पता होगा की क्या कमी है उसी हिसाब से तो मैं तुम्हें दवा दूँगा.
“हाँ गुरुजी ये तो है.”
गुरुजी – लिंगा महाराज में भरोसा रखो. वो तुम्हारी नैय्या पार लगा देंगे. सावित्री तुम्हें फिकर करने की कोई ज़रूरत नहीं. आज से तुम्हारी दवाइयाँ शुरू होंगी और तुम्हारे शरीर से सारी नकारात्मक चीज़ों को हटाने के लिए कल ‘महायज्ञ’होगा , जिसके बाद तुम गर्भवती होने के अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर सकोगी.
गुरुजी थोड़ा रुके. मैं आगे सुनने को उत्सुक थी.
गुरुजी – महायज्ञ दो दिन में पूर्ण होगा. सावित्री ये बहुत कठिन और थका देने वाला यज्ञ है परंतु इसका फल अमृत के समान मीठा होगा. लेकिन सिर्फ़ यज्ञ से ही सब कुछ नहीं होगा, दवाइयाँ भी खानी होंगी तब असर होगा. और अगर तुम लिंगा महाराज को महायज्ञ के ज़रिए संतुष्ट कर दोगी तो वो तुम्हारी माँ बनने की इच्छा को अवश्य पूर्ण करेंगे , जिसके लिए तुम कबसे तरस रही हो. जय लिंगा महाराज.
“मैं अपना पूरा प्रयास करूँगी गुरुजी. जय लिंगा महाराज.”
गुरुजी – चलो अब पूजा करते हैं फिर मैं तुम्हारा चेकअप करूँगा.
“ठीक है गुरुजी.”
मैंने चेकअप के लिए हामी भर दी पर मुझे क्या पता था की चेकअप के नाम पर गुरुजी बड़ी चालाकी से और बड़ी सूक्ष्मता से मेरी जवानी का उलट पुलटकर हर तरह से भरपूर मज़ा लेंगे.
अब गुरुजी ने आँखें बंद कर ली और मंत्र पढ़ने शुरू कर दिए. मैंने भी हाथ जोड़ लिए और लिंगा महाराज की पूजा करने लगी. 15 मिनट तक पूजा चली. उसके बाद गुरुजी उठ खड़े हुए और हाथ धोने के लिए बाथरूम चले गये. वो भगवा वस्त्रा पहने हुए थे. जब वो उठ के बाथरूम जाने लगे तो लाइट उनके शरीर के पिछले हिस्से में पड़ी. मैं ये देखकर शॉक्ड रह गयी की गुरुजी अपनी धोती के अंदर चड्डी नहीं पहने हैं. जब वो थोड़ा साइड में मुड़े तो लाइट उनकी धोती में ऐसे पड़ी की मुझे उनका केले जैसे लटका हुआ लंड दिख गया. मैंने तुरंत अपनी नज़रें मोड़ ली पर उस एक पल में जो कुछ मैंने देखा उससे मेरे निप्पल तन गये.
पूजा के बाद गुरुजी कमरे से बाहर चले गये और मुझे भी आने को कहा. हम बगल वाले कमरे में आ गये, यहाँ मैं पहले कभी नहीं आई थी. आज वहाँ गुरुजी का कोई शिष्य भी नहीं दिख रहा था शायद सब आश्रम के कार्यों में व्यस्त थे. उस कमरे में एक बड़ी टेबल थी जो शायद एग्जामिनेशन टेबल थी. एक और टेबल में डॉक्टर के उपकरण जैसे स्टेथेस्कोप, चिमटे , वगैरह रखे हुए थे.
गुरुजी – सावित्री टेबल में लेट जाओ. मैं चेकअप के लिए उपकरणों को लाता हूँ.
मैं टेबल के पास गयी पर वो थोड़ी ऊँची थी. चेकअप करने वेल की सुविधा के लिए वो टेबल ऊँची बनाई गयी होगी , क्यूंकी गुरुजी काफ़ी लंबे थे पर मेरे लिए उसमें चढ़ना मुश्किल था. मैंने एक दो बार चढ़ने की कोशिश की. मैंने अपनी साड़ी का पल्लू कमर में खोसा और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा , फिर अपना दायां पैर टेबल पर चढ़ने के लिए ऊपर उठाया. लेकिन मैंने देखा ऐसा करने से मेरी साड़ी बहुत ऊपर उठ जा रही है और मेरी गोरी टाँगें नंगी हो जा रही हैं. तो मैंने टेबल में चढ़ने की कोशिश बंद कर दी. फिर मैं कमरे में इधर उधर देखने लगी शायद कोई स्टूल मिल जाए पर कुछ नहीं था.
“गुरुजी , ये टेबल तो बहुत ऊँची है और यहाँ पर कोई स्टूल भी नहीं है.”
गुरुजी – ओह…..तुम ऊपर चढ़ नहीं पा रही हो. असल में ये एग्जामिनेशन टेबल है इसलिए इसकी ऊँचाई थोड़ी ज़्यादा है. ….सावित्री , एक मिनट रूको.
मैं टेबल के पास खड़ी रही और कुछ पल बाद गुरुजी मेरे पास आ गये.
गुरुजी – सावित्री तुम चढ़ने की कोशिश करो, मैं तुम्हें टेबल तक पहुँचने में मदद करूँगा.
“ठीक है गुरुजी.”
मैंने दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा और अपने पंजो के बल ऊपर उठने की कोशिश की. मैंने अपनी जांघों के पिछले हिस्से पर गुरुजी के हाथों को महसूस किया. उन्होंने वहाँ पर पकड़ा और मुझे ऊपर को उठाया . मुझे उस पोज़िशन में बहुत अटपटा लग रहा था क्यूंकी मेरी बड़ी गांड ठीक उनके चेहरे के सामने थी. इसलिए मैंने जल्दी से टेबल पर चढ़ने की कोशिश की पर आश्चर्यजनक रूप से गुरुजी ने मुझे और ऊपर उठाना बंद कर दिया और मैं उसी पोज़िशन में रह गयी. अगर मैं अपना पैर टेबल पर रखती तो मेरी साड़ी बहुत ऊपर उठ जाती इसलिए मुझे गुरुजी से ही मदद के लिए कहना पड़ा.
“गुरुजी थोड़ा और ऊपर उठाइए, मैं ऊपर नहीं चढ़ पा रही हूँ.”
गुरुजी – ओह….मुझे लगा अब तुम चढ़ जाओगी.
मेरी बड़ी गांड गुरुजी के चेहरे के सामने थी और अब उन्होंने मेरे दोनों नितंबों को पकड़कर मुझे टेबल पर चढ़ाने की कोशिश की. मुझे उनकी इस हरकत पर हैरानी हुई क्यूंकी वो ऊपर को धक्का नहीं दे रहे थे बल्कि उन्होंने मेरे मांसल नितंबों को दोनों हाथों में पकड़कर ज़ोर से दबा दिया.
“आउच….”
मेरे मुँह से अपनेआप ही निकल गया क्यूंकी मुझे गुरुजी से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी.
गुरुजी – ओह…..सॉरी सावित्री , वो क्या है की मैं थोड़ा फिसल गया था.
“ओह…..कोई बात नहीं गुरुजी….”
मुझे ऐसा कहना पड़ा पर मैं श्योर थी की गुरुजी ने जानबूझकर मेरे नितंबों को दबाया था. फिर उन्होंने मुझे पीछे से धक्का दिया और मैं टेबल तक पहुँच गयी. मुझे ऐसा लगा की जब तक मैं पूरी तरह से टेबल पर नहीं चढ़ गयी तब तक गुरुजी ने मेरे नितंबों से अपने हाथ नहीं हटाए और वो साड़ी से ढके हुए मेरे निचले बदन को महसूस करते रहे.
विकास ने सुबह सवेरे मुझे उत्तेजित कर दिया था पर नहाने के बाद मैं थोड़ी शांत हो गयी थी. अब फिर से गुरुजी ने मेरे नितंबों को दबाकर मुझे गरम कर दिया था. मुझे एहसास हुआ की मेरी पैंटी गीली होने लगी थी. इस तरह से टेबल पर चढ़ने में मुझे बहुत अटपटा लगा था की मेरी गांड एक मर्द के चेहरे के सामने थी और फिर वो मेरे नितंबों को धक्का देकर मुझे ऊपर चढ़ा रहा था.
शरम से मेरे कान लाल हो गये और मेरी साँसें भारी हो गयी थीं. गुरुजी के ऐसे व्यवहार से मैं थोड़ा अनकंफर्टेबल फील कर रही थी पर मुझे अभी भी पूरा भरोसा नहीं था की उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया होगा. मैं सोच रही थी की कहीं गुरुजी सचमुच तो नहीं फिसल गये थे. या फिर जानबूझकर उन्होंने मेरी गांड दबाई थी ? वो मुझे टाँगों को पकड़कर भी तो उठा सकते थे जैसा की उन्होंने शुरू में किया था . मैं कन्फ्यूज़ सी थी .
अब मैं टेबल में बैठ गयी और गुरुजी फिर से दूसरी टेबल के पास चले गये.
अब मैं टेबल में बैठ गयी और गुरुजी फिर से दूसरी टेबल के पास चले गये. मैंने अपनी कमर से साड़ी का पल्लू निकाला और साड़ी ठीक ठाक करके पीठ के बल लेट गयी. लेटने से पल्लू मेरी छाती के ऊपर खिंच गया , मैंने देखा मेरी चूचियाँ दो बड़े पहाड़ों की तरह , मेरी साँसों के साथ ऊपर नीचे हिल रही हैं. मैंने पल्लू को ब्लाउज के ऊपर फैलाकर उन्हें ढकने की कोशिश की.
अब गुरुजी मेरी टेबल के पास आ गये थे. दूसरी टेबल से वो बीपी नापने वाला मीटर, स्टेथेस्कोप और कुछ अन्य उपकरण ले आए थे.
गुरुजी – सावित्री तुम तैयार हो ?
“हाँ गुरुजी.”
गुरुजी – सबसे पहले मैं तुम्हारा बीपी चेक करूँगा. तुम्हें अपने बीपी की रेंज मालूम है ?
“नहीं गुरुजी.”
गुरुजी – ठीक है. अपनी बाई बाँह को थोड़ा ऊपर उठाओ.
मैंने अपनी बायीं बाँह थोड़ी ऊपर उठाई. गुरुजी ने मेरी बाँह में बीपी नापने के लिए मीटर का काला कपड़ा कस के बाँध दिया और पंप करने लगे. मेरा बीपी 130/80 आया , गुरुजी ने कहा नॉर्मल ही है . वैसे ऊपर की रीडिंग थोड़ी ज्यादा है . फिर वो मेरी बाँह से मीटर का कपड़ा खोलने लगे. मैंने देखा बीच बीच में उनकी नज़रें मेरी ऊपर नीचे हिलती हुई चूचियों पर पड़ रही थी.
गुरुजी – अब तुम्हारी नाड़ी देखता हूँ.
ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरी बायीं कलाई पकड़ ली. उनके गरम हाथों का स्पर्श मेरी कलाई पर हुआ , पता नहीं क्यूँ पर मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. शायद कुछ ही देर पहले विकास ने जो मुझे अधूरा गरम करके छोड़ दिया था उस वजह से ऐसा हुआ हो.
गुरुजी – अरे …..
“क्या हुआ गुरुजी ..?”
गुरुजी – सावित्री , तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज चल रही है , जैसे की तुम बहुत एक्साइटेड हो . लेकिन तुम तो अभी अभी पूजा करके आई हो , ऐसा होना तो नहीं चाहिए था……फिर से देखता हूँ.
गुरुजी ने मेरी कलाई को अपनी दो अंगुलियों से दबाया. मुझे मालूम था की मेरी नाड़ी तेज क्यूँ चल रही है. मैं उनके नाड़ी नापने का इंतज़ार करने लगी, पर मुझे फिकर होने लगी की कहीं कुछ और ना पूछ दें की इतनी तेज क्यूँ चल रही है .
गुरुजी – क्या बात है सावित्री ? तुम शांत दिख रही हो पर तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज भाग रही है.
“मुझे नहीं मालूम गुरुजी.”
मैंने झूठ बोलने की कोशिश की पर गुरुजी सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे .
गुरुजी – तुम्हारी हृदयगति देखता हूँ.
कहते हुए उन्होंने मेरी कलाई छोड़ दी. फिर स्टेथेस्कोप को अपने कानों में लगाकर उसका नॉब मेरी छाती में लगा दिया. उनका हाथ पल्लू के ऊपर से मेरी चूचियों को छू गया. मुझे थोड़ा असहज महसूस हो रहा था. . गुरुजी मेरी छाती के ऊपर झुके हुए थे पर मेरी आँखों में देख रहे थे. मेरा गला सूखने लगा और मेरा दिल और भी ज़ोर से धड़कने लगा. अब गुरुजी ने नॉब को थोड़ा सा नीचे खिसकाया , मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी. वो पल्लू के ऊपर से मेरी बायीं चूची के ऊपर नॉब को दबा रहे थे. मेरी साँसें भारी हो गयीं.
गुरुजी – सावित्री तुम्हारी हृदयगति भी तेज है. कुछ तो बात है.
मैंने मासूम बनने की कोशिश की.
“गुरुजी , पता नहीं ऐसा क्यूँ हो रहा है ?”
कहानी जारी रहेगी
NOTE
1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब अलग होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .
2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा जी स्वामी, पंडित, पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
3. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
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