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Adultery मजे - लूट लो जितने मिले
#53
मजे - लूट लो जितने मिले

पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

भाग 4

मजो की दुनिया में मेरे अनुभव
जुली को पहली बार नग्न देखा


सुबह उठ कर मैंने दोनों दिलिया, सारा और लूसी को अपनी कसम दी कि वह मेरे लंड के सूजने, और न बैठने की बात खास कर परिवार में किसी को नहीं बताएंगी, क्योंकि खानदान के लोग बेकार में फ़िक्र करेंगेl मैंने उनको कह दिया कि पहले जांच करवा कर देख लेते हैं फिर आगे सोचेंगेl अगर जरूरत समझूंगा तो खानदान में मैं खुद बता दूंगाl

अगले दिन पूरा परिवार वापस आ गया और सब बीवियां व सालियां मिल कर मेरे पास बैठ गयींl मैंने उन सबको दिलिया की घमासान चुदाई की कहानी सुनाईl कहानी सुनाते हुए मैं डॉक्टर के पास जाने की और सूजे हुए लंड की बात गोल कर गयाl

कुछ दिन आराम करने से लंड में दर्द तो कम हो गया था लेकिन लंड बैठ नहीं रहा थाl

लेडी डॉक्टर, जो मेरी स्कूल की क्लासमेट थी, से बात की तो वो बोली- चूंकि लंड की नसें खड़े रहते समय दबी लगती हैं इसलिए ये बैठ नहीं रहा है बाकी तो पूरी गहन जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता हैl

इस दौरान मैं अपनी तीनों बीवियों को रात में एक- एक करके चोदता रहाl चुदाई जारी रहीl मेरा लंड झड़ता भी रहा लेकिन झड़ने के बाद बैठा नहींl

कुछ दिन बाद मैंने दिल्ली में कुछ जरूरी काम का बहाना बना कर दिल्ली का प्रोग्राम बना लिया और सारा भी मेरे साथ हो लीl

अम्मी ने बोला- दिल्ली में अपना घर हैl वहीं चले जानाl लूसी को साथ ले जाओl तुम्हारे रहने व खाने-पीने के लिए आराम रहेगाl

अम्मी के कहने पर लूसी की भी टिकट हो गयीl मैंने अपनी, सारा और डॉक्टर जूली की फ्लाइट की टिकट बुक कर दीl फ्लाइट में जूली मेरे एक तरफ बैठी थी और सारा दूसरी तरफl जूली और मैं दोनों अपने स्कूल के ज़माने की बातें करते रहेl

हमने अपने सभी पुराने दोस्तों को याद कियाl सारा मेरा हाथ पकड़े रही और बीच-बीच में मेरे लण्ड को सहला देती थीl एक बार जब सारा मेरे लण्ड को सहला रही थी तो डॉक्टर जूली से उसकी नज़रें मिलीं और दोनों मुस्कुरा दींl

एयरपोर्ट से जूली हमें दिल्ली के सबसे बड़े मशहूर हॉस्पिटल ले गयीl उसने अपनी जान-पहचान से मेरे टेस्ट जल्दी से करवा दिएl टेस्ट करने वाली नर्स भी मेरे लण्ड को यूँ खड़ा देख कर हैरान थीl वो सब आपस में फुसफुसा कर मेरी ही बात कर रही थीl

टेस्ट करने वाली लड़की ने अपने गोरे-गोरे नर्म हाथों को मेरे लण्ड पर कई बार फेर कर देखा तो उसके स्पर्श से मेरा लण्ड और तन गयाl

फिर उसने मुझसे पूछा- क्या आप हॉस्पिटल में एडमिट हैं?

मैंने कहा- नहींl

मुझे ऐसा लगा कि शायद वह मुझसे मिलना चाहती थीl यह सब डॉक्टर जूली की निगरानी में हो रहा था इसलिए वह भी नर्स की हरकतें देख कर मुस्कुरा रही थीl टेस्ट की रिपोर्ट के लिए हमें हस्पताल में अगले दिन का टाइम मिलाl

मैंने सबसे कहा- चलो अपना घर हैl वहीं रुकते हैंl

जूली बोली- हमारा भी दिल्ली में एक घर हैl मैं वहीं रुकूंगीl घर दिल्ली के सबसे बड़े और मशहूर हॉस्पिटल के पास ही है इसलिए आसानी रहेगीl

लिहाज़ा जूली अपने घर चली गयीl घर में सिर्फ हम 3 थे और कोई नहीं थाl घर काफी बड़ा और आलिशान थाl घर का सब काम-काज लूसी ने संभाल लियाl

लूसी और सारा जरूरी सामान लेने बाजार चली गयीl मैं थका हुआ था तो सोचा कि नहा कर फ्रेश हो जाता हूँl

मैं सारे कपड़े निकाल कर नहाने जा ही रहा था कि घर के बाहर वाले दरवाजे की बेल बजीl मैंने तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला तो देखा गेट पर गोरी-चिट्टी जूली एक लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज में खड़ी हुई थीl उसके होंठों पर साड़ी के रंग वाली ही गहरी लाल लिपस्टिक रंगी हुई थीl उसने बालों में लाल गुलाब लगाया हुआ थाl

उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि आसमान से कोई परी ज़मीन पर आकर उतरी होl

उसको लाल रंग की साड़ी में देख कर मेरा लंड एकदम कड़ा हो गया और तौलिया बुरी तरह से तन गयाl मैं जूली को देखता ही रह गयाl

मेरे मुँह से बेसाख्ता निकला- वो आये घर में हमारे, खुदा की कुदरत हैl कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं!

जूली शरमाते हुए बोली- अंदर आने के लिए नहीं बोलोगे?

मैंने कहा- सॉरी ... अंदर आ जाओ! आज तक तुम इतनी सुन्दर नहीं लगीl मैं तो तुम्हें देखता ही रह गयाl

मैं जूली के साथ कमरे में चला गया और हम बाते करने लगे

मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं?

उसने बोला- पढाई से फुर्सत नहीं मिली तो बॉयफ्रेंड कहां से पालूँ?

मैंने कहा डॉक्टरी में कोई डॉक्टर नहीं मिला तो वह बोली उसका लड़कियों का मेडिकल कॉलेज था किसी लड़के से दोस्ती नहीं हुई

धीरे-धीरे मैं उससे खुल कर बात करने लगा, वो भी मुझे वैसा ही जवाब देने लगी,

मैं कुछ देर बाद वाशरूम में घुसा और फ्रेश होने लगा।

इसलिये फारिग होने पर मैंने अपने पूरे कपड़े उसी वाशरूम में उतारे और बाहर नंगा ही आ गया।

जैसे ही मैंने वाशरूम का दरवाजा खोला, जूली सामने थी, मुझे नंगा देखकर बोली- तुम नंगे क्यों हो?

आम तौर पर कोई भी लड़की किसी को नंगा देखे तो तुरन्त अपनी आँख बन्द कर लेती, पर जूली मुझे एकटक देख रही थी, मुझ उसकी इस बात से थोड़ा हौंसला मिला। तभी वो मुझसे बोली- जल्दी से अपने कपड़े पहनो सारा कभी भी आ सकती है ।

'यह तो कोई बात नहीं हुई कि तुम मुझे नंगा देखो।'

मैंने अपने कपड़े उठाये और गुसलखाने में घुस गया और वहीं से जूली को आवाज लगाई, मेरी आवाज सुनकर जूली गुसलखाने के पास आई और मुझे हल्के से झड़पते हुए बोली- अभी तक तुमने अपने कपड़े नहीं पहने, जल्दी करो, सारा आती ही होगी ।

मैंने उसकी इसी बात को पकड़ते हुए अपनी कपड़े को पानी से भरे हुए टब की तरफ करते हुए बोला- तुमने मुझे नंगा देखा है, मुझे भी तुम्हें नंगी देखना है।

'यह नहीं हो सकता, तुम अपने कपड़े पहनो। नहीं तो अब बुरा हो जायेगा।'

मैं थोड़ा डर गया, लेकिन मन ने कहा कि 'एक अन्तिम कोशिश कर लो, शायद नजर को सकून मिल जाये।'

यह ख्याल आते ही मैंने चड्डी को टब में डाल दिया और बोला- अगर तुम नंगी नहीं होगी तो मैं अपने सब कपड़े पानी में डाल दूंगा और इसी तरह नंगा रहूँगा, फिर तुम जानो और तुम्हारा काम!

बनियान डालने वाला ही था कि जूली मुझे रोकते हुए बोली- रूको!

कहकर वो अपने एक-एक कपड़े उतारने लगी और पूरी तरह से नंगी हो गई।

क्या उजला शरीर था जूली का! उम्म्ह... अहह... हय... याह!... मैं टकटकी लगा कर देखता ही रह गया!, क्या छोटे-छोटे संतरे जैसी उसकी चुची थी? उन संतरों जैसी चुची पर काली छोटी मोटी सी निप्पल थी। उसकी योनि पर घने-घने गुच्छे रूपी बालों को पहरा था। वह अपने दोनों हाथों से अपनी बुर को छुपाने का अथक प्रयास कर रही थी। उसकी कांखों और टाँगों पर भी बाल थे, जैसे एक अनछुई नवयौवना के होते हों।

तभी वो मुझे झकझोरते हुए मुझसे बोली- आमिर, अब तुमने मुझे नंगी देख लिया है, अब तुम जाओ प्लीज कपडे पहनो!

मैं तुरन्त अपने घुटने के बल पर उसके समीप बैठ गया और उसकी नाभि को चूमते हुए उसे थैंक्स बोला।

वो मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोली- जाओ प्लीज, सारा कभी भी आ सकती है ।

मैंने उसकी बात को सुना और खड़े होकर उसको अपने से चिपका लिया, वो भी मुझसे कस कर चिपक गई, वो बड़ी गहरी-गहरी सांसें ले रही थी और उसकी गर्म सांसें मुझसे टकरा रही थी।

फिर वो मुझसे अलग होते हुए बोली- अब जल्दी से जाओ, मैंने तुम्हारी बात मान ली, अब तुम भी मेरी बात मानो।

मैंने कहा ठीक है पर अब तुम यही रुक जाओ, वो मेरी बात मान गयीl मैं उसे अपने साथ वाले कमरे ले गया और उसके कपडे दे कर बोला, तुम यही रुको मुझे तुम्हारे पास रहने से सकून रहता है, की अगर कोई जरूरत होगी तो तुम पास ही होl

मैंने तुरन्त ही अपने कपड़े पहने और वहां से चला गया। वो मुझे नंगी ही दरवाजे तक छोड़ने आई।

मैं खुद भी नहीं समझ पाया, मेरे मन में जूली की बुर की चुदाई का ख्याल आ रहा था, पर हिम्मत नहीं पड़ रही थी।

मैं चुपचाप अपने कमरे में चला आया, लेकिन मैं आराम नहीं कर पाया कि कहीं मैंने जूली को हर्ट तो नहीं कर दिया, मुझे लगा कि जूली की बुर की चुदाई के बारे में मेरी सोच अनुचित है। लेकिन जूली की चुप्पी ने भी तो मेरा हौंसला बढ़ाया था और वो खुद भी मुझसे लिपटी हुई थी, उसकी बातों में कहीं भी सख्ती नहीं थी।

तभी मेरी नजर एक छोटी सी पर्ची पर पड़ी, जो मॉनीटर से दबी हुई थी। उसमें लिखा था कि क्या आज तुम रात को मेरे कमरे में आ सकते हो?

मेरी तो खुशी का ठिकाना न रहा।

जब सारा और लूसी वापिस आये तो अमीने उन्हें बताया की डॉ जुली भी आ गयी है और मेरे कहने पर अब यही रुकेगी तो दोनों बहुत खुश हो गयीl

मैं अब समय को किसी तरह से बिता रहा था और बार-बार मेरी नजर घड़ी पर जा रही थी।

रात को खाना खाने के बाद अपने कमरे में आ कर मैं सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गयाl सारा नीचे जूली के पास बैठी रहीl

ऐसे करते करते कुछ ही मिनट हुए होंगे, कि तभी दरवाजा धीरे से खुलने की चरमराहट जैसी आवाज आई, और साथ में खुशबू का एक झोंका सा अन्दर घुसा।

मैं सन्न रह गया दरवाजे पर सारा थी ।

तभी सारा ने भीतर कदम रखा और अपने पीछे दरवाजा वापिस भिड़ा दिया और मेरे पहलू में आ के लेट गयी । उसके बदन से उठती भीनी भीनी महक से पूरे कमरे में रच बस गई।

अचानक उस ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे अपने बाहुपाश में जकड़ लिया।

'सॉरी जानू, देर हो गई आने में! गुस्सा तो नहीं हो ना?' कहते हुए वो मेरे नंगे बदन पर चूम चूम के हाथ फिराने लगी।

सारा के उरोज मुझसे चिपके हुए थे और वो मुझसे चूमा चाटी करने लगी थी।

सारा लगातार मुझे अपने अंक में समेट रही थी और मेरे सीने पर फिरतीं उसकी हथेलियाँ मुझे जहाँ तहाँ जकड़ने लगीं थीं।

फिर उसने अपना एक पैर उठा के मेरे ऊपर रखा, उसकी मांसल जांघ का उष्ण स्पर्श मुझे अपने सीने पर महसूस हुआ और फिर उसने मेरी कमर के पास अपनी एड़ी अड़ा कर मुझे और कस लिया।

सारा कामातुरा होकर मुझे अपने से चिपटाए हुए मुझे चूम रही थी।

अचानक उसका हाथ मुझे सहलाते हुए नीचे की तरफ फिसल गया और मेरा तना हुआ कठोर लिंग उसके हाथ से छू गया।

दर्द के कारण मेरा मन तो बुझा हुआ था और छटपटा रहा था कि इस विवशता से कैसे मुक्ति मिले, लेकिन मेरा लिंग अविचल खड़ा था उस पर मेरा कोई वश नहीं रह गया था।

'अच्छा जी, आप तो बोल नहीं रहे लेकिन आपके ये तो कुछ और ही कह रहे हैं। देखो, मेरे आते ही ये कैसे तन खड़े होकर सैल्यूट मार रहा है मुझे! आखिर पहचानता है न मुझे!' कहते हुए सारा ने मेरा लिंग अपनी मुटठी में जकड़ लिया और चमड़ी को ऊपर नीचे करते हुए उसे सहलाने लगी, कभी मेरे अन्डकोषों को सहलाती, कभी लिंग के ऊपर उगे हुए बालों में अपनी उंगलियाँ फिराती। उसके कोमल हाथों का स्पर्श और महकते हुए जवान जिस्म की तपिश मुझे बेचैन किये दे रही थी, मैं बस जैसे तैसे खुद पर कंट्रोल रख पा रहा था।

'सुनो जी, आपका ये आज कुछ बदला बदला सा क्यों लग रहा है मुझे? जैसे खूब मोटा और लम्बा हो गया हो पहले से?' वो मुझे चिकोटी काटते हुए बोली।

अचानक वह मुझसे अलग हुई और उसके कपड़ों की सरसराहट मुझे सुनाई दी, मैं समझ गया कि उसने अपने कपड़े उतार दिये हैं और फिर उसका नंगा बदन मुझसे लिपट गया।

'अब आ भी जाओ राजा, और मत तरसाओ मुझे, समा जाओ मुझमें! देखो आपकी ये बुर कैसे रसीली हो हो के बह रही है।' वो बोली और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी योनि पर रख कर दबा दिया।

उसकी गुदगुदी पाव रोटी जैसी फूली और योनि रस से भीगे केशों का स्पर्श मुझे भीतर तक हिला गया।

फिर सारा मेरा हाथ दबाते हुए अपनी गीली योनि पर फिराने लगी, मक्खन सी मुलायम उष्ण योनि ने मेरा स्पर्श पाते ही अपनी फांकें स्वतः ही खोल दीं और मेरी उंगलियाँ बह रहे रस से गीलीं हो गई।

मैं अभी भी क्रियाहीन और अविचल पड़ा था। मेरे दर्द पर वासना हावी होने लगी थी, रूपसी कामिनी सम्पूर्ण नग्न हो कर मुझसे लिपटी हुई मुझे सम्भोग करने के लिये उकसा रही थी, मचल रही थी, आमंत्रित कर रही थी, झिंझोड़ रही थी।

उसकी गर्म साँसें और परफ्यूम से महकता हुआ बदन मेरे भीतर आग भरने लगा था, मेरी कनपटियाँ तपने लगीं और मेरा बदन भी जैसे विद्रोह करने पर उतारू हो गया।

उधर सारा अभी भी मेरा हाथ पकड़े हुए अपनी योनि पर फिरा रही थी और मेरी उंगलियाँ योनि रस से भीगी हुईं केशों को ऊपर तक गीला किये दे रहीं थीं।

मैंने सोचा इसे थोड़ा और तड़पना चाहिए और नाटक करते हुए अपना हाथ उससे छुड़ाते हुए अलग कर लिया।

लेकिन सारा तो बुरी तरह से जैसे कामाग्नि में जल रही थी, उसने मेरा हाथ पुनः पकड़ लिया और अपने बाएं नग्न स्तन पर रख दिया।

मेरी हथेली में उसकी कड़क घुंडी और मुलायम रुई के फाहे जैसे मृदु कोमल उरोज का मादक स्पर्श हुआ। एक बार तो मन किया कि दबोच लूं उसे और चूस लूं।

लेकिन फिर रुक गया।

कहानी अगले भाग में जारी रहेगीl

आगे पढ़िए पांचवा अध्याय- वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई  भाग 5 में


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RE: मजे - लूट लो जितने मिले - by aamirhydkhan1 - 02-01-2022, 06:37 AM



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