23-12-2021, 08:22 PM
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
CHAPTER- 3
रुसी युवती ऐना
CHAPTER- 3
रुसी युवती ऐना
PART-10
परिवार की वंशावली
परिवार की वंशावली
जूही बोली दीपक जी गुजरात से समुद्री तट के पास एक राजघराना है हालांकि रजवाड़े तो आज़ादी के बाद खत्म कर दिए गए परन्तु अभी भी राजघराने तो हैं ही और अब उनमे से ज्यादातर राजनीति और व्यापार करते हैं l
उसी छोटी सी रियासत के राजा हैं राजा हरमोहिंदर जिनकी उम्र है लगभग 40 साल और उनकी राजघराना परम्परा के अनुसार आज के जमाने भी कई रानिया हैं . वरिष्ठ रानी और चार अन्य रानिया कुल मिला कर राजा की 4 रानिया हैं जब उनकी सबसे पहली शादी हुई थी जब उनकी उम्र थी २१ साल पर अभी तक उनकी कोई संतान नहीं है l
वो चाहते तो अन्य वह कई राजाओं की तरह एक बच्चा गोद ले सकते थे । लेकिन उनके शासन की राजनीतिक नाजुकता ने उन्हें इस सभी मानव असफलताओ का प्रचार करने की और फिर कोई बच्चा गोद लेने की अनुमति नहीं दी।
परिवार की परम्परा रही है वरिष्ठ रानी का पुत्र ही युवराज होगा और जब कई साल तक वरिष्ठ रानी की गोद हरी नहीं हुई तो पहले सोचा गया कि वरिष्ठ रानी बांझ हो सकती है। इसके बाद यह निर्णय लिया गया कि अन्य रानियों के साथ कोशिश की जाए। ऐसा करने से पहले, राजा को पट्टरानी के पिता को एक सन्देश भेजना आवश्यक था जो एक पड़ोस की रियासत का शक्तिशाली राजा था और आज की राजनीति में सांसद और केंद्रीय और राज्य सरकार मे अच्छी पकड़ रखता था । महत्वपूर्ण राजनीतिक गठजोड़ ऐसे मुद्दों की लापरवाही से खराब हो सकते हैं, जिनके मुकुट राजा और राजकुमार को धारण करने होते हैं ।
पट्ट रानी एक तो सबसे वरिष्ठ थी दूसरा उसके पिता अन्य रानियों के मायके से ज्यादा प्रभावशाली थे और स्वयं राजा हरमहेन्दर भी पट्टरानी की हर बात मानते थे .. और अन्य रानियों के साथ पुत्र पैदा करने की कोशिस की व्यवस्था भी पट्टरानी के सुझाव पर ही की जा रही थी l
इसलिए जब इस विषय पर संदेश पटरानी के पिता के पास गया, तो महारानी ने अपने पिता को इस प्रस्ताव पर अपनी सहमति दे दी है का सन्देश साथ में गया की राजा अपनी दूसरी रानियों के साथ संतान पैदा कर ले क्योंकि अन्य सभी रानिया और खुद राजा साहब उसका बहुत सम्म्मान करते थे और रानी को सबने ये आश्वासन दिया था इससे पटरानी की प्रधानता पर कोई आंच नहीं आएगी बल्कि जो भी पहला पुत्र होगा उसे अन्य रानी पटरानी को ही सौंप देगी और पटरानी ही उस पुत्र को पालेगी और अन्य रानी का उस पुत्र पर कोई अधिकार नहीं होगा इस व्ववस्था में पट्टरानी की प्रधानता के लिए कोई खतरा नहीं था।
जब महाराज अपनी हरम या रानिवास में अन्य रानियों की चुदाई कर रहे होते थे, यह जानते हुए कि महाराज एक अन्य रानी को चुदाई करने में व्यस्त हैं पटरानी बगल के कमरे में बैठीं हुई उनकी आहे कराहे सुनती रहती . बल्कि कई बार तो वो खुद चुदाई वाले कमरे में उपस्थित रह कर लेकिन यह सुनिश्चित करती थी राजा जी खूब अच्छे से रानियों की चुदाई करें ।
कई महीनों की चुदाई के बाद भी जब कोई नतीजा नहीं निकला तो पहले रानीयो के टेस्ट करवाए गए और उसके बाद राजा जी का टेस्ट करवाया गया तो पता चला राजा साहिब पिता नहीं बन सकते ।
तो पहले राजा जी का इलाज करवाया गया लेकिन कोई लाभ नहीं हुआ और फिर राजमाता से आदेश आया कि राज्य को एक युवराज की जरूरत है।
दीपक अब इस कहानी और आपका सम्बन्ध यही से है l
लगभग 150. वर्षो पहले आपके परदादा के पिता ( दादा के दादा ) जी इस उपरोक्त राजघराने के राजा के छोटे भाई थे और किसी पर अनबन होने पर घर छोड़ कर कुछ धन ले कर विदेश चले गए थे और वहां पर उन्हों ने व्यापार कर लिया और फिर पंजाब में जाकर जमींदारी भी कर ली l
आपके पूर्वज के अलग होने की लेकिन इस घटना के बाद से सभी राजाओ के यहां कई रानियों होने के बाद भी केवल एक ही संतान का जन्म हुआ और आप के पूर्वजो के यहाँ भी क्रम अनुसार केवल एक ही पुत्र उतपन्न हुआ हालांकि आपके परिवार में अन्य सन्तानो के रूप में लड़किया पैदा होती रही l
आपके पूर्वज और फिर उनके वंशजो ने भी राजघराने से कभी कोई संपर्क नहीं रखा था .. इसलिए आपके बारे में परिवार के किसी भी बड़े बूढ़े को भी मालूम नहीं था l
अब जब ये समस्या उतपन्न हुई तो सबसे पहले राजगुरु मृदुल मुनि जी को परामर्श के लिए बुलाया गया लेकिन राजा का कोई दूसरा भाई नहीं था जिसे ताज पहनाया जा सके तो उन्हों ने इसके लिए नियोग का रास्ता सुझाया ।
फिर राजगुरु अपने गुरु महर्षि अमर मुनि के पास ले गए तो दादागुरु महर्षि अमर मुनि जी ने समस्या सुनी और ध्यान में चले गए और फिर बोले आपके पूर्वजो की पूरी कहानी सुनाईl दादा गुरु बोले ये राज दादा गुरु के दादा गुरु द्वारा बनाई गयी आपके परिवार वंशवली मे भी दर्ज है और प्रमाण के लिए परिवार के इतिहास और वंशावली की जांच के लिए राजगुरु को कनखल हरिद्वार भेजा जहाँ से पुरोहित से परिवार की पूरी वंशवली मिल गयी l
फिर महर्षि अमर मुनि जी बोले आपके परिवार का एक अन्य कुमार है दीपक सपुत्र मोहन कृष्ण जो आजकल लंदन में पढ़ायी पूरी करने के बाद किसी कंपनी के काम से सूरत आ रहा है l
तो राजा बोले जब हमारा दीपक या उनके पिता मोहन कृष्ण जी से कोई सम्पर्क ही नहीं है तो कैसे हमारी बात मान लेंगे तो महर्षि ने राजा जी और राजमाता तो इसका उपाय बताया जिसके तहत मुझे आपके पास भेजा गया है और ऐना मृदुल मुनि जी की शिष्या है और उन्ही की आज्ञा से आपको लेने आयी है l
दादागुरु महर्षि अमर मुनि जी बोले कुमार दीपक सपुत्र मोहन कृष्ण ही इस काम को अंजाम दे सकता है यदि किसी अन्य के साथ नियोग किया गया तो संतान नहीं होगी और आपको कुमार दीपक को मेरे पास लाना होगा मैं उन्हें पूरी प्रक्रिया और नियोग कैसे करना है सब समझा दूंगा l
जब जूही ने मेरे पिता जी का नाम लिया तो मैं चौंका पर फिर सोचा की शयद उसे मेरे पिताजी का नाम तब पता लगा होगा जब मैंने पूल के सदस्यता का फ़ार्म भरा था l
लेकिन तभी ऐना बोली मैं दादा गुरुजी के निर्देश के अनुसार आपके पूरे परिवार की वंशावली बता रही हूँ इससे आपको विश्वास हो जाएगा की मैं ठीक कह रही हूँ l
फिर उसने मुझे मेरी पूरी वंशवाली और राजा हरमोहिंदर की वंशावली बतायी तो मुझे केवल अपनी वंशवाली के बारे में पता था पर उसे सुन मुझे इस कहानी पर थोड़ा विश्वास होने लगा l
फिर उसने दादा गुरु के हाथ के बनी हुई वंशावली दिखाई और साथ ही में मुझे दादा गुरु का लिखा हुआ एक पत्र भी दिया l
कहानी जारी रहेगी
दीपक कुमार
आगे क्या हुआ पढ़िए अगले भाग 11 में।
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