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Adultery मजे - लूट लो जितने मिले
#47
मजे - लूट लो जितने मिले

चौथा अध्याय

मेरी पहली चुदाई की कहानी

भाग 18


अब जेन धीरे से बोली आमिर लूसी को स्तनों को हाथों से दबाओ। मैंने लूसी को स्तनों को पहले आराम से दबाया ... फिर थोड़ी देर बाद ज़ोर से दबाया ... कभी लेफ्ट कभी राइट वाला... ' फिर निप्पल को थोड़ा खींचा और थोड़ा सहलाया। फिर अपनी ज़बान को लूसी के निप्पल पर घुमाया ... फिर मुँह में लेकर चूसा। जितना अन्दर तक हो सके.। उतना मुँह में लिया और दूसरे स्तन को हाथों से दबाता रहा

लूसी के स्तन रुई की तरह की तरह नरम थे। लूसी के स्तनों से साथ खेलने में मज़ा आ रहा था।

वो बीच-बीच में चिल्ला रही थीं कि और ज़ोर से और ज़ोर से दबाओ.।

मेरे दूध चूसने से जल्द ही लूसी मदहोश होने लगीं... वे थोड़ी देर बाद अकड़ गईं। "

ओह, आमिर, "लूसी ने साँस ली, ," ओह, आमिर, तुमने मेरे साथ ऐसा क्या किया है जिसने मुझे इतना प्रभावित किया है? ओह, मैं सिर्फ़ तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ; तुम सबसे योग्य और सबसे प्यारे आदमी हो दुनिया! ओह, तुमने अभी मेरे लिए जो कुछ किया, वह मेरे जीवन में सबसे अधिक ख़ुशी के पल थे ओह, यह प्यारा था! अधिक, आमिर, कृपया? " और वह उसने मुझे चूमाl

तो जेन बोली आमिर अब जल्दी चुदाई शुरू करो l

जेन-आमिर अब तुम लूसी नाभि के साथ खेलो l

मैं लूसी की नाभि में अपनी उंगली डाल उसे किस करने लगा ... उसमें अपनी जीभ डाली । और फिर अपनी जीभ को नाभि में आगे-पीछे किया?


मैं अपनी उंगली लूसी की नाभि में डाल कर खेलने लगा। फिर उस पर हल्के से चाटने लगा... जैसे कुल्हड़ की कुल्फी चाट रहा होऊँ... मैं अपनी जीभ को नाभि में डाल कर आगे-पीछे करने लगा।

लूसी को भी इसमें मज़ा आ रहा था।

उधर मुझे डायना की आहे सुनाई दे रही थी क्योंकि यही काम जेन डायना के साथ कर रही थी और फिर डायना ने भी जेन को चूमना और चाटना शुरू कर दिया l

जेन बोली-आह्ह... डायना थोड़ा रुको । आमिर, लूसी और डायना अब तुम्हें असली काम सिखाने जा रही हूँ। उसे ध्यान से सुनो... आमिर तुम अपनी उंगली से लूसी की चूत के साथ खेलो... वैसे ही जैसे निप्पल के साथ किया था। फिर उसके दाने के साथ खेलो और मेरा हाथ लूसी के दाने पर रख दिया l

' तुम अपनी उंगली को धीरे-धीरे लूसी चूत में अन्दर तक डाल देना जैसी तुमने थोड़ी देर पहले किया था। और हाँ... लूसी कुंवारी है इसलिए सिर्फ़ एक उंगली ही डालना। नहीं तो उसे ज़्यादा दर्द होगा l

फिर मैंने उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उंगली से ज़ोर जोर से चोदने लगा। पांच मिनट तक तो ऐसे ही उंगली से चोदता रहा। फिर जब चूत ढीली हो गई, वह भी अब बहुत गर्म हो गई थी और बार-बार बोल रही थी-अब डाल दो... रहा नहीं जाता।

मैंने धीरे-धीरे डाल कर आगे-पीछे किया। तब तक करता रहा जब तक मेरी उंगली गीली नहीं हो गयी । उधर जेन धीरे-धीरे लूसी के स्तन सहला रही थी और दुसरे हाथ से मेरे लैंड को भी सहला रही थी और डायना लूसी को किश कर रही थी l

इसके बाद तुम मैंने लूसी की चूत पर हल्के-हल्के चुम्मी करना शुरू दिया और उसके दाने को होंठों से पकड़ कर खेला, फिर अपनी जीभ से मेरी चूत को साफ़ कर दिया और जिस तरह नाभि में जीभ डाल कर आगे-पीछे किया... बिल्कुल उसी तरह चूत में डाल कर किया ... और पानी निकलने के पास आकर रुक गया, इससे लूसी मुझसे चुदाई की भीख मांगने लगी और बोली आमिर प्लीज फ़क में ।

... जेन बोली आमिर अब ये त्यार है तुम अब लूसी की चुदाई कर दो।

अब मैं एक उग्र अवस्था में था-कुछ राहत पाना मेरे लिए नितांत आवश्यक था। मैंने जेन को पकड़ लिया और फुसफुसाया, 'क्या लूसी त्यार है या अभी थोड़ा टाइम लगेगा?'

'अब समय आ गया है कि बेहतर है कि अब कोई इंतज़ार न किया जाए,' उसने कहा।

मैं जेन पर मुस्कुराया और उसे और भी अधिक उग्रता से चूमा। 'तुम बहुत अच्छी हो,' मैंने हुंकार भरी।

'अब,' मैंने कहा ' मैं बहुत उत्तेजित हूँ और मैं भी अब और इंतज़ार नहीं कर सकता " और अब मैं लूसी को उसके कौमार्य से वंचित करने का उत्तम आनंद लेने वाला था।

'अब मुझे लगता है कि आप लूसी को चोदना चाहेंगे!' जेन ने उत्सुकता से कहा। मैंने सिर हिलाया। 'फिर मैं उसके लिए सब कुछ तैयार कर देती हूँ,' उसने कहा कि एक मुस्कान के साथ उसने तौलियेा उठाया और बिस्तर की चदर पर दाग न पड़े इसलिए बिछाने लगी मैंने कहा लेकिन मैं एक संस्मरण के रूप में बिस्तर की चादर को रखना चाहूंगा।

डायना ने लूसी को अपनी बाहो में ले कर सहलाती रही और उसे पीठ पर बिस्तर पर लेटा दिया था-जेन ने एक अंगूठे और तर्जनी के साथ चला बना कर उसने मेरी लंड की उत्तेजना बढ़ा दी और दूसरे हाथ डायना ने मेरी गेंदों पर धीरे से कब्जा कर लिया था।

जेन बोली लूसी अपनी टाँगे खोले और आमिर तुम अब अपना लंड चूत के पास ले आओ फिर जेन ने मेरा लण्ड पकड़ कर पहले लूसी की मेरी चूत पर रगड़ा ... फिर लंड ज़े दाने को दबाया तो लूसी की कराह निकल गयी फिर लण्ड के लाल भाग को लूसी की चूत के ऊपर रख कर मुझे आगे धक्का मारने का इशारा किया पर लंड अंदर नहीं गया क्योंकि हम दोनों इस खेल में उस समय अनाड़ी थे और लूसी की चूत बहुत टाइट थी l

मैंने एक बार फिर कोशिश की लेकिन कोई ज़्यादा फायदा नहीं हुआ l

तो जेन ने इस बार अपनी उंगलिया इस्तेमाल करते हुए चूत की फांको को अलग किया तो लूसी की एक आह निकली और लंड को पकड़ कर लण्ड का जो लाल भाग योनि द्वार पर लगा कर उसे अंदर डालने का इशारा किया और उषा डायना ने मेरे नितम्बो पर हल्का-सा दबाब दिया तो जेन बोली बस थोड़ा-सा बर्दाश्त कर लो पहली बार थोड़ा दर्द होगा, लूसी!

तभी मैंने लूसी की कमर पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा। वह उछल पड़ी। तब तक मगर मेरे लण्ड का टोपा चूत में फंस चुका था। मैंने और एक जोरदार धक्का मारा। पूरा कमरा लूसी की चीख से भर गया हाय माँ री ... मर गयी मैं ... जेन बचा ले मुझे!

और मैंने लूसी की चुची को दबाना चालू कर दिया।

फिर जेन ने मुझे रुकने का इशारा किया और देखा की लंड का लाल सूपड़ा अंदर चला गया तो वह लूसी के स्तनों को सहलाने लगी जिससे लूसी थोड़ा शांत हुई ... मुझे भी लंड के सुपाड़ी पर लूसी की टाइट चूत का कसाव मह्सूस हो रहा था मेरा मन हुआ लूसी को चूमने का तो मैं आगे झुक कर उसके ओंठ चूमने लगा, फिर जेन से कुछ देर बाद दुबारा मेरा लंड पकड़ा और मेरे नितम्बो पर थाप दी जो फिर झटका मारने का इशारा था मैंने दूसरा झटका दिया और अपना दो इंच लंड चूत में घुसेड़ दिया। इस बार लूसी पहले से ज़्यादा तेज़ चिल्लाई, लूसी के आंसू निकल आये थे l मैंने फिर एक और ज़ोर से धक्का मारा। इस बार करीब 3 इंच लंड अन्दर घुस गया था। जैसे ही लंड घुसा ... वह बहुत ज़ोर से चिल्लाने लगी-आह ... फट गई ... आहह आआअहह ... प्लीज़ इसे बाहर निकालो ... मैं मर जाऊँगी ... उफ़फ्फ़ आहह आआहह!

उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे लेकिन मैं नहीं रुका। मुझे लगा मेरा लंड उसकी झिल्ली के टकराया था और मैंने अवरोध महसूस किया। मैंने हल्का ज़ोर लगाया लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था।

लूसी चीखने चिल्लाने लगी-हाअ ... निकालो ... मर गयी मैं!

लेकिन मैं लूसी के अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित था। वह मेरे लिंग को अपनी योनि के दीवारों पर महसूस कर रही थी। मैं अपने लंड को उसकी योनि में भिंचा हुआ महसूस कर रहा था।

अब लूसी पहले से भी ज़ोर से चिल्लाई पर आवाज़ मेरे गले में गयी क्योंकि मेरा मुँह उसके मुँह पर था ओंठ पर ओंठ थे और चीख दब गयी ... पर लूसी ने अपनी टाँगे थोड़ी भींच ली तो जेन ने फिर देखा और बोली शाबाश लूसी और आमिर ... लूसी अब अपनी योनि और टांगो को-को थोड़ा ढीला करो और मन में आमिर के लंड का अपने अंदर स्वागत करो और कुछ देर मैं लूसी को चूमता रहा और उसके स्तनों से खेलता रहा

मैं बिस्तर लुसी के ऊपर लेट कर और फुसफुसाया 'मुझे हम्मरे कौमर्य का आखरी चुंबन करने दो प्रिय लूसी!' ये सुन कर लूसी ने मुझे किस की और उसके साथ ही जेन और डायना ने भी किश की ... ये मेरी और लूसी की आखरी कुंवारी किस थी

फिर जेन ने फिर मेरे नितम्बो पर थाप दे कर इशारा किया तो मैंने हल्का-सा लंड पीछे खींचा और एक जोरदार झटका मारा जिससे मेरा लंड इस बार झिली को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा लण्ड लूसी की चूत में चला गया ...लूसी की चीख निकल पड़ी, आमिर आईईईईईईईई दर्द उउउउइईईईईई हो रहा है अब दर्द से दोहरी लूसी ओह्ह्ह्हह अह्ह्ह्ह ओह जेन कहकर चीखने लगी और छटपटाने लगी थी। मैंने फिर उसे किस करना शुरू करना और साथ में हाथों से उसके स्तन भी दबाने लगा बोली बहुत दर्द हो रहा है मुझे भी अपनी लंड पर गर्म-गर्म कुछ महसूस हुआ ।

अब वह ज़ोर से चिल्लाने लगी थी और चीखने लगी थी, मुझे नहीं चुदना मुझे मार डाला फि मैं उसे चूमने लगा और जेन और डायना उसे सहलाने लगी और जेन बोली मेरी जान थोड़ा-सा दर्द तो होगा तुम्हे पता ही था अब ऐसे क्यों कर रही हो तो लूसी सुबकते हुए बोली थोड़ा तो मैं सह लेती पर ये तो बहुत ज़्यादा है मुझे लगता है मेरी फट गयी है अपनी मुझ पर रहम करो, आमिर ने ये लोहे की रोड घुसा दी है मेरे अंदर जहाँ आज से पहले कभी मैंने ऊँगली भी नहीं डाली थी,

मैंने उसके गर्दन और कानो पर किस करते हुए उसके होंठ चूसने चालू कर दिए और उषर जेन उसका एक स्तन सहला रही थी तो डायना उसका दूसरा स्तन चूसने और चूमने लग गयी और जेन लूसी के माथे को सहलाने लगी और मैं अपने हाथो से उसके स्तन दबाने लगा

जब वह थोड़ी नॉर्मल हो गयी ... तो मैंने एक झटका और मारा और पूरा अन्दर डाल दिया इस बार उसे थोड़ा-सा ही दर्द हुआ ... मैंने उसके दूध को दबाना चालू रखा ...लूसी की आँखों से पानी आ गया और बोली प्लीज निकाल लो आमिर बहुत दर्द हो रहा है। तो जेन ने नेरी और देखा और मुझे इशारा किया के निकालना मत और दूध को दबाते रहना।

और अपना लंड 2 इंच बाहर निकालकर फिर से एक ज़ोर का शॉट मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ चूत की जड़ में समा गया। वह फिर चीखी, फिर 10 मिनट के बाद जब उसकी चीखे कम हुई और सिसकारी में बदलने लगी तो मैंने अपना लंड आधा बाहर कर लिया और अंदर बाहर करने लगा l

लूसी ने अपने होंठ दातों में दबाकर रखे हुए थे।

मैंने लूसी को किस करना चालू किया... साथ ही दूध भी दबाना चालू किए।

लूसी के नॉर्मल होते ही एक करारा झटका और मारा कि मेरा पूरा लण्ड चूत में चला गया।

लूसी मुझे बाहर निकालने को कह रही थीं... पर मैं उनके दूध को चूसने लगा।

करीब 5 मिनट के बाद लूसी नॉर्मल हो गईं।

फिर मैंने धक्का लगाना शुरू किए।

लूसी-और ज़ोर से । और ज़ोर से... फाड़ दे मेरी चूत... आहईई... ऊम्मम्म... ऊऊऊआ आआहह...

लूसी भी कमर उठा-उठा कर चुदा रही थीं 'आहअम्म म्मम्म... ऊऊऊऊह...'

कुछ देर बाद मैंने भी अपना पानी लूसी की चूत में छोड़ दिया।

मेरी पहली चुदाई 20-25 मिनट तक चलीl

लेकिन मैं लूसी के अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित था। वह मेरे लिंग को अपनी योनि के दीवारों पर महसूस कर रही थी। मैं अपने लंड को उसकी योनि में भिंचा हुआ महसूस कर रहा था।

एक बार फिर मैं थोड़ा-सा पीछे हटा और फिर अन्दर की ओर दबाव दिया। मैंने लंड थोड़ा-सा पीछे किया, उठा और फिर से धक्का दिया, ज़्यादा गहरायी तक नहीं पर लगभग आधा अंदर चला गया था। मुझे महसूस हुआ कि मेरे लिंग को लूसी ने अपनी योनि रस ने भिगो दिया था जिसकी वज़ह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था।

और अगली बार के धक्के में मैंने थोड़ा दबाव बढ़ा दिया। मेरी साँसें जल्दी-जल्दी आ रही थीं। लूसी ने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों से और बांहें मेरे कंधे पर लपेट दी थीं और अपने नितम्बों को ऊपर की ओर उठा दिया। अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था। मेरा लंड झिल्ली तक पहुँच चुका था मेरा लण्ड हायमन से टकरा रहा था और जब उसने उसे भेदकर आगे बढ़ना चाहा तो लूसी चिल्लाने लगी-दर्द हो रहा है ... मैं मर जाऊँगी।

मैंने पूरी ताकत के एक धक्का लगा दिया। लूसी की टांगों ने भी मेरे चूतड़ों की नीचे की और कस लिया।

"अम्माह ओह ... मर गयी मैं!" लूसी के मुंह से निकला। लूसी के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गई जैसे ही मेरा 8 इंची गर्म लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया। अन्दर ... और अन्दर वह चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा 8 इंच अन्दर तक चला गया था। लूसी की योनि मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी।

उधर मेरे हिप्स भी कड़े होकर दबाव दे रहे थे और लिंग अन्दर जा चुका था। लूसी भी दर्द के मारे चिल्लाने लगी-आहहह उम्म्ह... अहह... हय... याह... आई उउउइइई ओह्ह बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज इसे बाहर निकाल लो ... मुझे नहीं चुदना तुमसे! तुम बहुत ज़ालिम हो! यह क्या लोहे की गर्म रॉड घुसा डाली है तुमने मुझ में! निकालो इसे ... प्लीज बहुत दर्द हो रहा है ... मैं दर्द से मर जाऊँगी ... प्लीज निकालो इसे!

और लूसी की से आँखों से आंसू की धारा बह निकली। मैं उन आंसुओं को पी गया, बोला-मेरी रानी, बस इस बार बर्दाश्त कर लो, आगे मज़ा ही मज़ा है।

लूसी की चूत बहुत टाइट थी, मुझे लगा मेरा लंड उसमें जैसे फंस गया और छिल गया है। मेरी भी चीखें निकल गयी। हम दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे-ऊह्ह्हह्ह मर गया ...

मगर मैं उस पर लेट गया और उसको किस करने लगा। मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटा कर एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लंबा और मोटा लंड पूरा अन्दर चला गया था। इस बार के झटके से उसकी चीख उसके गले में ही रह गई और उसकी आँखों से तेजी से आँसू बहने लगे। उसने चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा है। मैंने सलमा को धीरे-धीरे चूमना सहलाना और पुचकारना शुरू कर दिया, मैं बोला मेरी रानी डर मत कुछ नहीं होगा थोड़ा देर में सब ठीक हो जाएगा। मैंने उसे लिप किश किया मैं उसे लिप किश करता ही रहाl वह मुश्किल से शांत हो पाई थीl

मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर अपने दूसरी ऊँगली से-से उसके क्लाइटोरिस तो सहलाना शुरू कर दिया लूसी गर्म होने लगी l इक मिनट रुकने के बाद मैंने धक्का लगाना शुरू किया... फिर कुछ देर में ही वह भी मेरा साथ देने लगी। मुझे जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैं लिप्स किस करता रहा । करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ गए। दो-तीन झटकों बाद मैंने लण्ड निकाल लिया।

कुछ देर बाद जब हम लोग उठे और चादर को देखा तो उस पर खून लगा हुआ था।

जेन और डायना ने हम दोनों के गले लग कर दोनों को बधाई दी ।

लूसी मुझे बोली मरे पिया मेरे राजा आयी लव यू मैंने भी कहा मेरी रानी आयी लोव यू 2

फिर हम दोनों एक दूसरे को ताबड़तोड़ चूमने लगे, मैंने लूसी के निचले होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा, लूसी ने भी मस्ती में आँखें बंद कर ली और अपने राजा के होंठों का आनंद लेने लगी, कभी मैं नीचे वाले होंठों को चूसता तो कभी ऊपर वाले होंठों को चूसता, लूसी भी बेताहाशा सिसकने लगी और आआ ....आहहहह.........उफ्फ्फ .ओओओफ़फ़फ़फ़...हायययय ....करने लगी,

मैं - लूसी, अपनी जीभ निकालो ।

लूसी ने अपनी जीभ बाहर निकाल कर नुकीली बना ली।

मैं ने भी अपनी जीभ नुकीली बनाई और अपनी जीभ के नोक को अपनी लूसी की जीभ के नोक से छुआने लगा. दोनों के जीभ के नोक आपस में छूने से मेरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी, लूसी ने अपनी जीभ और कस के बाहर निकाल ली, मैं अपनी जीभ को लूसी की जीभ के किनारे गोल गोल घुमाने लगा, लूसी का पूरा बदन मस्ती में झनझना रहा था, वो भी अपनी जीभ कोमेरी जीभ से लड़ाने लगी, कभी मैं अपनी लूसी की जीभ को मुँह में भरकर चूसने लगता और फिर अपनी जीभ निकाल लेता और फिर लूसी मेरी जीभ को मुँह में भरकर चूसती, कभी दोनों जीभ लड़ाने लगते, माहौल बहुत गर्म होता जा रहा था, लूसी वासना से सराबोर होकर मस्ती में बहते हुए बेकाबू होती जा रही थी, उसकी सिसकियां और कामुक सिसकारियां काफी तेज हो चुकी थी।

काफी देर ऐसे ही जीभ मिलन का खेल खेलने के बाद मैंने अपनी पूरी जीभ लूसी के मुँह में डाल दी और पूरे मुँह में हर तरफ गुमाते हुए अपनी लूसी के मुँह का चप्पा चप्पा जीभ से छूकर चूमने से लगा, लूसी मस्ती में आँखें बंद कर वो तड़पते हुए अपने बदन को ऐंठकर से लिपट गयी, जीभ चुसाई का खेल भी इतना मादक होगा इसका उसे आज से पहले आभास नही था, न ही ऐसा मजा पहले कभी आया था, उसे नहीं पता था कि शरीर के हर अंग के खेल का संभोग में अलग ही मजा है, और, समझ गयी कि उसे मर्द मिला है जिसने उसे अच्छे से चोदकर लड़की से औरत बना दिया है, और अभी आगे पता नहीं क्या क्या होने वाला है.

काफी देर तक मैं लूसी के मुँह में अपनी जीभ डाले मस्ती करता रहा और लूसी मेरी जीभ को मुँह में भरकर पीती रही फिर मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल ली तो लूसी ने अब अपनी जीभ मेरे मुँह में भरकर मस्ती करनी शुरू कर दी, अपनी लूसी की अत्यंत नरम नरम रसमलाई के समान लूसी की नरम मुलायम जीभ को मुँह में भरकर मैं बड़ी तन्मयता से चूसने लगा, काफी देर तक चूसता रहा। अद्भुत आनंद में दोनों खो गए। ये हमारे कुंवारापण खोने के बाद पहली किस थी वह मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गईl

फिर उसके बाद हम दोनों ऐसे ही बार-बार चुदाई करते रहे " मैंने पूरी रात लुसी के साथ बिताईl हम दोनों ने पूरी रात मस्ती करके अपनी वर्जिनिटी भंग करने का जश्न मनाया। हम लगातार आसन बदल-बदल कर चुदाई करते रहे, कभी मैं चुदाई करता तो कभी वह करती रही।

सुबह मैंने उसे चूम कर बोला-लूसी ये मेरा पहला अनुभव बहुत ख़ास था और मैं इसे कभी भूल नहीं पाऊँगा l मुझे जीवन में अब तक ऐसा कुछ नहीं मिला था। और मैं चाहता हूँ तुम हमेशा मेरे से ऐसे ही प्यार करती रहो l

लूसी बोली मैं भी सदा सिर्फ़ आपकी ही रहूंगी l


लूसी के साथ मेरी पहली चुदाई की कहानी को यही विराम देता हूँl


चौथा अध्याय - समाप्त

आगे पढ़िए पांचवा अध्याय
 

कहानी जारी रहेगी

आपका आमिर खान l


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RE: मजे - लूट लो जितने मिले - by aamirhydkhan1 - 26-11-2021, 09:36 PM



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