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Thriller आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07
#19
गुरुजी के आश्रम में सावित्री


CHAPTER 4 तीसरा दिन

नौका विहार
Update 2

झंडा लगा कर नौका विहार

विकास ने नाव की तरफ हाथ हिलाया और नदी की तरफ दौड़ा. मैं भी उसके पीछे जाने लगी. उसने नाववाले से बात की और उसको 50 रुपये का नोट दिया. नाववाला लड़का ही लग रहा था, 18 बरस का रहा होगा.

विकास – मैडम , इसका नाम बाबूलाल है. मैं इसको जानता हूँ ,बहुत अच्छा लड़का है. इसलिए कोई डर नही , हम सेफ हैं यहाँ. ये हमको आधा घंटा नाव में घुमाएगा.

“विकास , तुम तो एकदम जीनियस हो.”

बाबूलाल – विकास भैय्या, जल्दी बैठो. यहाँ पर ऐसे खड़े रहना ठीक नही .

मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा, बहुत ही रोमांटिक माहौल था. चाँद की धीमी रोशनी , नदी में छोटी सी नाव में हम दोनों. मेरी पैंटी गीली होने लगी थी अब मैं और सहन नही कर पा रही थी.

“विकास , बाबूलाल से दूसरी तरफ मुँह करने को बोलो. वो हमें देख लेगा.”

विकास – मैडम, उधर को मुँह करके बाबूलाल नाव कैसे चलाएगा ? ऐसा करते हैं, हम ही उसकी तरफ पीठ कर लेते हैं.

“लेकिन विकास , वो तो हमारे इतना नज़दीक़ है. मुझसे नही होगा.”

विकास – मैं मदद करूँगा मैडम.

“अपने कपड़े उतारो” विकास मेरे कान में फुसफुसाया.

मैंने बनावटी गुस्से से विकास को एक मुक्का मारा.

विकास – मैडम, देखो कितना सुहावना दृश्य है. बाबूलाल की तरफ ध्यान मत दो , वो तो छोटा लड़का है. ये समझो यहाँ सिर्फ़ मैं और तुम हैं और कोई नही.

सुबह मंदिर में उस छोटे लड़के छोटू ने मेरे साथ जो किया उसके बाद अब मैं इस छोटे लड़के को पूरी तरह से इग्नोर भी नही कर सकती थी . सुबह छोटू को मैंने नहाते हुए देखा था , उसका लंड देखा और फिर मेरे पूरे बदन में उसने हाथ फिराया था.

नाव बहुत छोटी थी और बाबूलाल मुश्किल से 7 – 8 फीट की दूरी पर बैठा था. अगर मैं या विकास कुछ भी करते तो उसको सब दिख जाता. किसी दूसरे मर्द के सामने विकास के साथ कुछ करना तो बहुत ही शर्मिंदगी भरा होता . पर सच्चाई ये थी की मैं अब और देर भी बर्दाश्त नही कर पा रही थी. पिछले दो दिनों से मेरे ब्लाउज और ब्रा के ऊपर से मेरी चूचियों को बहुत दबाया और निचोड़ा गया था , पर ऐसे आधे अधूरे स्पर्श से मैं उकता चुकी थी.

अब मैं चाहती थी की विकास की अँगुलियाँ मेरे ब्लाउज और ब्रा को उतार दें, मैं अपनी चूचियों पर उसकी अंगुलियों का स्पर्श चाहती थी. लेकिन ये नाववाला मेरे अरमानो पर पानी फेर रहा था. फिर से एक अजनबी आदमी के सामने अपने बदन से छेड़छाड़ को मैं राज़ी नही हो पा रही थी.मेरी उलझन देखकर विकास मेरे कान में फुसफुसाया.

विकास – मैडम , तुम इस बाबूलाल के ऊपर क्यूँ समय बर्बाद कर रही हो. ये तो छोटा लड़का है.

छोटा लड़का है , इसका मतलब ये नही की मैं इसके सामने कपड़े उतार दूं. सिर्फ़ 7 – 8 फीट दूर बैठा है. लेकिन मैं विकास से कुछ और बहस करती इससे पहले ही उसने मुझे पकड़ा और बैठे हुए ही घुमा दिया और मेरी पीठ बाबूलाल की तरफ कर दी.

“आउच…”

विकास ने मुझे कुछ और नही बोलने दिया और बैठे हुए ही अपने आलिंगन में कसकर मुझे चूमने लगा. पहले तो मैंने विरोध करना चाहा क्यूंकी नाववाले के सामने वो खुलेआम मुझे अपने आलिंगन में बांधकर चूम रहा था पर कुछ ही पलों बाद मैं भी सब कुछ भूलकर विकास का साथ देने लगी.

विकास – मैडम, तुमने शुरू तो किया पर अधूरा छोड़ दिया.

“क्या…?”

विकास – तुमने मेरी ज़िप खोली , अब अंडरवियर नीचे कौन करेगा ?

“क्यूँ ? अपनी गर्लफ्रेंड को बोलो, जिससे तुम मेरे लिए ये साड़ी लाए हो.”

हम दोनों खी खी करके हँसने लगे और एक दूसरे को आलिंगन में कस लिया. मैंने विकास को निचले होंठ पर चूमा और उसने मेरे निचले होंठ को देर तक चूसा. उसने मेरे हाथ को अपने पैंट की ज़िप में डाल दिया. फिर विकास ने मेरा पल्लू हटाया और मेरे ब्लाउज के बटन खोलने लगा. वो दोनों हाथों से मेरे ब्लाउज के हुक एक एक करके खोलने लगा और मेरे होंठ उसके होठों से चिपके हुए थे.

मुझे पीछे बैठे लड़के का ख्याल आया और मैंने विरोध करने की कोशिश की पर उसके चुंबन ने मुझे बहुत कमज़ोर बना दिया. मैं फिर से उसकी ज़िप में हाथ डालकर खड़े लंड को सहलाने लगी.

“ऊऊहह…..”

विकास का लंड हाथ में पकड़ना बहुत अच्छा लग रहा था. अपने पति का खड़ा लंड मैंने कई बार हाथों में पकड़ा था पर विकास का लंड पकड़ने में बहुत मज़ा आ रहा था , सच कहूं तो मेरे पति से भी ज्यादा. मैंने उसके अंडरवियर की साइड में से लंड को बाहर निकाल लिया. उसका लंड लंबा और तना हुआ था. मैं उसके सुपाड़े की खाल को सहलाने लगी और मेरी पैंटी हर गुज़रते पल के साथ और भी गीली होती जा रही थी.

मैं विकास के गरम लंड को सहला रही थी और अपने होठों पर उसके चुंबन का आनंद ले रही थी तभी मेरी चूचियों पर ठंडी हवा का झोंका महसूस हुआ. मैंने देखा विकास ने मेरे ब्लाउज के सारे हुक खोल दिए थे और अब मेरी सफेद ब्रा उसे दिख रही थी.

“उम्म्म्मम…..उम्म्म्म….”

मैं नही नही कहना चाह रही थी पर मेरे होंठ उसके होठों से चिपके हुए थे इसलिए मेरे मुँह से यही निकला. विकास मेरे बदन से ब्लाउज को निकालने की कोशिश कर रहा था.

विकास ने ज़बरदस्ती मेरे ब्लाउज को खींचकर निकाल दिया , वो ब्लाउज ढीला था इसलिए उसे खींचने में ज़्यादा परेशानी भी नही हुई. जब तक उसने मेरा पूरा ब्लाउज नही उतार दिया तब तक उसने मुझे चूमना नही छोड़ा.

ब्लाउज उतरने के बाद मेरी पीठ में कंपकपी दौड़ गयी. मैंने ब्लाउज को विकास से छीनने की कोशिश की पर उसने ब्लाउज को पीछे फेंक दिया और अब मेरी साड़ी उतारने लगा. उसने मुझे खड़ा कर दिया और कमर से साड़ी उतारने लगा. देखते ही देखते अब मैं विकास की बाँहों में सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी. मैंने पीछे मुड़कर देखा और मैं तो जैसी जड़वत हो गयी क्यूंकी बाबूलाल मेरी साड़ी और ब्लाउज को नाव से उठा रहा था और मेरी तरफ कामुकता से देख रहा था. औरत होने की स्वाभाविक शरम से मेरी बाँहें मेरी ब्रा के ऊपर आ गयीं .

विकास – मैडम , अपने कपड़ों की चिंता मत करो. बाबूलाल उनको सम्हाल कर रखेगा.

उस बदमाश बाबूलाल को देखकर मैं बहुत शरम महसूस कर रही थी , वो मेरी साड़ी और ब्लाउज को अपनी गोद में लिए हुए बैठा था और मुस्कुरा रहा था.

विकास – मैडम , तुम इतना क्यूँ शरमा रही हो ? वो छोटा सा लड़का है.

“कुछ तो शरम करो विकास. मैं उसके सामने अपने कपड़े नही उतार सकती, छोटा लड़का है तो क्या हुआ.”

विकास ने बहस करने में कोई रूचि नही दिखाई और मुझे फिर से आलिंगन करके चूमना शुरू कर दिया. अब वो खुलेआम मेरे अंगों को छूने लगा था. एक हाथ से वो मेरी चूचियों को दबा रहा था और दूसरे हाथ से मेरे नितंबों को सहला रहा था , साथ ही साथ मेरे होठों को चूम रहा था. मैं उसकी हरकतों से उत्तेजित होकर कसमसाने लगी. मैंने उसके मजबूत बदन को आलिंगन में कस लिया और उसकी पीठ और नितंबों पर नाखून गड़ाने लगी.

विकास – मैडम , एक बार मुझे छोड़ो.

“क्यूँ….?”

मेरे सवाल का जवाब दिए बिना , विकास अपने कपड़े उतारने लगा. मैं मुस्कुराते हुए उसे कपड़े उतारते हुए देखने लगी. कुछ ही पलों बाद अब वो सिर्फ अंडरवियर में था और बहुत सेक्सी लग रहा था. नाव अब बीच नदी में थी और चाँद की रोशनी में पानी चमक रहा था. अंधेरे की वजह से नदी के किनारे अब साफ नही दिखाई दे रहे थे. विकास कुछ कदम चला और बाबूलाल को अपने कपड़े दे आया क्यूंकी हवा चल रही थी और सम्हाल कर ना रखने पर कपड़ों के पानी में गिरने का ख़तरा था.

अब माहौल बहुत गरमा गया था और सच कहूँ तो मैं भी अब उस रोमांटिक माहौल में विकास की बाँहों में नंगी होने को उत्सुक थी. सिर्फ़ बाबूलाल की वजह से मैं दुविधा में थी. कपड़े उतरने के बाद विकास ने मुझे अपनी बाँहों में लिया और मेरी ब्रा को चूचियों के ऊपर उठाने की कोशिश करने लगा. मैंने उसे वैसा करने नही दिया तो उसने मेरी चिकनी पीठ में हाथ ले जाकर मेरी ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की. मुझे मालूम था की बाबूलाल मेरी नंगी गोरी पीठ देखने का मज़ा ले रहा होगा क्यूंकी सिर्फ 1 इंच का ब्रा का स्ट्रैप पीठ पर था.

“विकास प्लीज़ , मत खोलो.”

मैंने अपनी आँखें बंद कर ली क्यूंकी विकास ने मेरी ब्रा का हुक खोल दिया था और अब मेरी पीठ पूरी नंगी हो गयी थी और मेरी चूचियां ढीली ब्रा में उछल गयीं. मैं उस हालत में उत्तेजना में काँपते हुए खड़ी थी और ठंडी हवा मेरी उत्तेजना को और भी बढ़ा दे रही थी. विकास ने जबरदस्ती मेरी बाँहों को मेरी छाती से हटाया और मेरी ब्रा को खींचकर निकाल दिया.

अब मैं ऊपर से पूरी नंगी थी , शरम से मैंने अपनी आँखें बंद कर रखी थी. मैं अब बीच नदी में एक खुली नाव में एक ऐसे आदमी की बाँहों में अधनंगी खड़ी थी जो मेरा पति नही था और वो भी उस नाववाले की आँखों के सामने.

विकास – बाबूलाल यहाँ आओ , ये भी रखो.

बाबूलाल – ठीक है विकास भैय्या.

मैंने थोड़ी सी आँखें खोली और देखा उस हिलती हुई नाव में बाबूलाल मेरी ब्रा लेने आ रहा था. मुझे शरम महसूस हो रही थी पर मैं जानती थी की अगर सम्हाल के नही रखी तो तेज हवा से पानी में गिर सकती है. मैंने अपना सर विकास की छाती में टिकाया हुआ था और मेरी नंगी चूचियों को भी उसकी छाती से छुपा रखा था. मैं बाबूलाल के वापस अपनी जगह में जाने का इंतज़ार करने लगी.

बाबूलाल – विकास भैय्या , मैडम की ब्रा तो पसीने से भीगी हुई है. इसको पहनकर तो उसे ठंड लग जाएगी.

बाबूलाल अब मेरी ब्रा को उलट पुलट कर देख रहा था और मेरी ब्रा के कप्स के अंदर देख रहा था. विकास ने मुझे अपने आलिंगन में लिया हुआ था और बाबूलाल से बात करते हुए उसका एक हाथ मेरे तने हुए निपल्स को मरोड़ रहा था.

विकास – इसको खुले में रखो ये ….

बाबूलाल ने विकास की बात काट दी.

बाबूलाल – विकास भैय्या , मैं इसको पोल में बाँध देता हूँ. तेज हवा से मैडम की ब्रा जल्दी ही सूख जाएगी.

“क्या…???”

ऐसी बेतुकी बात सुनकर मैं चुप नही रह सकी. बाबूलाल मेरी ब्रा को एक पोल से हवा में लटका कर लहराने के लिए छोड़ देगा. मैं सीधे बाबूलाल से बात करने के लिए सामने नही आ सकती थी क्यूंकी मेरे बदन के ऊपरी हिसे में कपड़े का एक धागा भी नही बचा था इसलिए मैं विकास के बदन से छुपी हुई थी.

“विकास प्लीज़ इस लड़के को रोको.”

विकास – मैडम , यहाँ कौन देख रहा है. अगर कोई दूर से देख भी लेगा तो समझेगा की पोल में कोई सफेद कपड़ा लटका हुआ है. कोई ये नही समझ पाएगा की हवा में ये तुम्हारी ब्रा लहरा रही है.

ऐसा कहते हुए विकास मुझे बाबूलाल के सामने चूमने लगा. उसके ऐसा करने से मेरी नंगी चूचियां बाबूलाल को दिखने लगी. वो एक निक्कर पहने हुआ था और उसमें बना तंबू बता रहा था की इस लाइव शो को देखकर उसे बहुत मज़ा आ रहा है. मैं विकास के चुंबन का आनंद ले रही थी पर मुझे उस लड़के को देखकर शरम भी आ रही थी. देर तक चुंबन लेकर विकास ने मेरे होंठ छोड़ दिए. तब तक बाबूलाल ने एक पोल में मेरी ब्रा लटका दी थी और उस तेज हवा में मेरी ब्रा सफेद झंडे की तरह लहरा रही थी.

बाबूलाल ने एक पोल में मेरी ब्रा लटका दी थी और उस तेज हवा में मेरी ब्रा सफेद झंडे की तरह लहरा रही थी.

विकास ने बाबूलाल की इस हरकत पर रिएक्ट करने का मुझे मौका नही दिया. उसने बाबूलाल की तरफ पीठ कर ली और मुझे भी दूसरी तरफ घुमा दिया. अब मैं बाबूलाल की तरफ पीठ करके खड़ी थी और मेरे पीछे विकास खड़ा था. विकास का लंड उसके अंडरवियर से बाहर निकला हुआ था और पेटीकोट के बाहर से मेरे गोल नितंबों पर चुभ रहा था. शरम से मेरी बाँहें अपनेआप मेरी नंगी चूचियों पर चली गयी और मैंने हथेलियों से तने हुए निपल्स और ऐरोला को ढकने की कोशिश की. मेरे हल्के से हिलने डुलने से भी मेरी बड़ी चूचियाँ उछल जा रही थीं , विकास ने पीछे से अपने हाथ आगे लाकर मेरी चूचियों को दबोचना और मसलना शुरू कर दिया.

मैं अपनी जिंदगी में कभी भी ऐसे खुले में टॉपलेस नही हुई थी , सिर्फ़ अपने पति के साथ बेडरूम में होती थी. लेकिन पानी के बीच उस हिलती हुई नाव में मुझे स्वर्ग सा आनंद आ रहा था. विकास के हाथों से मेरी चूचियों के दबने का मैं बहुत मज़ा ले रही थी . उसके ऐसा करने से मेरी चूचियाँ और निपल्स तनकर बड़े हो गये और मेरी चूत पूरी गीली हो गयी. मैं धीमे धीमे अपने मुलायम नितंबों को उसके खड़े लंड पर दबाने लगी.

विकास ने अब अपना दायां चूचियों से हटा लिया और नीचे को मेरे नंगे पेट की तरफ ले जाने लगा. मेरी नाभि के चारो ओर हाथ को घुमाया फिर नाभि में अंगुली डालकर गोल घुमाने लगा.

“आआआह………उहह……”

मैं धीमे धीमे सिसकारियाँ ले रही थी और मेरे रस से गुरुजी के दिए पैड को भिगो रही थी. विकास मेरी नंगी कमर पर हाथ फिराने लगा फिर उसने अपना हाथ मेरे पेटीकोट के अंदर डाल दिया. उसकी अँगुलियाँ मेरी प्यूबिक बुश (झांट के बालों) को छूने लगीं और धीरे से वहाँ के बालों को सहलाने लगीं. अपनेआप मेरी टाँगें आपस में चिपक गयी लेकिन विकास ने पीछे से मेरे नितंबों पर एक धक्का लगाकर जताया की मेरा टाँगों को चिपकाना उसे पसंद नही आया. मैंने खड़े खड़े ही फिर से टाँगों को ढीला कर दिया. विकास ने फ़ौरन मेरे पेटीकोट के नाड़े को खोल दिया , जैसे ही पेटीकोट नीचे गिरने को हुआ मुझे घबराहट होने लगी. मैंने तुरंत हाथों से पेटीकोट पकड़ लिया और अपने बदन में बचे आख़िरी कपड़े को निकालने नही दिया.

“विकास , प्लीज़ इसे मत उतारो. मैं पूरी …..” (नंगी हो जाऊँगी)

विकास – मैडम , मैं तुम्हारा नंगा बदन देखना चाहता हूँ.

वो मेरे कान में फुसफुसाया और मेरे पेटीकोट को कमर से नीचे खींचने की कोशिश करने लगा.

“विकास , प्लीज़ समझो ना. वो हमें देख रहा होगा.”

विकास – मैडम , बाबूलाल की तरफ ध्यान मत दो. वो छोटा लड़का है. वैसे भी जब मैं तुम्हें चूम रहा था तब उसने तुम्हारी चूचियाँ देख ली थीं , है ना ? अब अगर वो तुम्हारी टाँगें देख लेता है तो क्या फर्क पड़ता है ? बोलो .”

विकास ने मेरे जवाब का इंतज़ार नही किया और मेरे हाथों को पेटीकोट से हटाने की कोशिश करने लगा. उसने पेटीकोट को मेरी जांघों तक खींच दिया और फिर मेरे हाथों से पेटीकोट छुड़ा दिया. पेटीकोट मेरे पैरों में गिर गया और अब मैं पूरी नंगी खड़ी थी सिवाय एक छोटी सी पैंटी के , जो इतनी छोटी थी की मेरे बड़े नितंबों को भी ठीक से नही ढक रही थी. मुझे ऐसा लगा जैसे मैं अपने बाथरूम में खड़ी हूँ क्यूंकी खुले में ऐसे नंगी तो मैं कभी नही हुई.

विकास – मैडम , तुम बिना कपड़ों के बहुत खूबसूरत लग रही हो. शादी के बाद भी तुम्हारा बदन इतना सेक्सी है …..उम्म्म्म……

विकास मेरे होठों को चूमने लगा और मेरे नंगे बदन पर हर जगह हाथ फिराने लगा. विकास ने मुझे नंगी कर दिया था पर फिर भी हैरानी की बात थी की इतनी कामोत्तेजित होते हुए भी मुझे चुदाई की तीव्र इच्छा नही हो रही थी. सचमुच गुरुजी की दवा अपना असर दिखा रही थी. मुझे ऐसा लगा की शायद विकास इस बात को जानता है. अब उसने धीरे से मुझे नाव के फर्श में लिटा दिया . अभी तक मैं विकास के बदन से ढकी हुई थी पर नीचे लिटाते समय बाबूलाल की आँखें बड़ी और फैलकर मुझे ही देख रही थी. फिर मैं शरम से जड़वत हो गयी जब मैंने देखा वो हमारी ही तरफ आ रहा था.

“विकास…..”

मैंने शरम से आँखें बंद कर ली और विकास को अपनी तरफ खींचा और उसके बदन से अपने नंगे बदन को ढकने की कोशिश की. लेकिन विकास ने मेरी बाँहों से अपने को छुड़ाया और मेरा पेटीकोट उठाकर बाबूलाल को दे दिया. और मुझे बेशरमी सी एक्सपोज़ कर दिया. मैं एक 28 बरस की हाउसवाइफ , बीच नदी में एक नाव में नाववाले के सामने पूरी नंगी थी सिवाय एक छोटी सी पैंटी के. मेरी भारी साँसों से मेरी गोल चूचियाँ गिर उठ रही थी और उनके ऊपर तने हुए गुलाबी निपल्स , उस दृश्य को बाबूलाल और विकास के लिए और भी आकर्षक बना रहे थे. मेरे पेटीकोट को विकास से लेते समय बाबूलाल ने अपनी जिंदगी का सबसे मस्त सीन देखा होगा. उस छोटे लड़के के सामने मैं नंगी पड़ी हुई थी और वो मेरे पूरे नंगे बदन को घूर रहा था , मुझे बहुत शरम आ रही थी पर उसके ऐसे देखने से मेरी चूत से छलक छलक कर रस बहने लगा.

बाबूलाल – विकास भैय्या, तेज हवा चल रही है , इसलिए मुझे बार बार उठकर यहाँ आने में परेशानी हो रही है. अगर मैडम पैंटी उतार दें तो मैं साथ ही ले जाऊँ.

उसकी बात सुनकर मैं अवाक रह गयी. अब यही सुनना बाकी रह गया था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की मैं कैसे रिएक्ट करूँ इसलिए मैं चुपचाप पड़ी रही.

विकास – बाबूलाल , अपनी हद में रहो. अगर तुम्हारी मदद की ज़रूरत होगी तो मैं तुमसे कहूँगा.

विकास ने उस लड़के को डांट दिया . मुझे बड़ी खुशी हुई. पर मेरी खुशी कुछ ही पल रही.

विकास – तुम क्या सोचते हो ? मैडम क्या इतनी बेशरम है की वो तुम्हारे सामने पूरी नंगी हो जाएगी ?

बाबूलाल – सॉरी विकास भैय्या.

विकास – क्या तुम नही जानते की अगर कोई औरत सब कुछ उतार भी दे तब भी उसकी पैंटी उसकी इज़्ज़त बचाए रखती है ? अगर पैंटी सही सलामत है तो समझो औरत सुरक्षित है. है ना मैडम ?

विकास ने मेरी पैंटी से ढकी चूत की तरफ अंगुली से इशारा करते हुए मुझसे ये सवाल पूछा. मुझे समझ नही आया क्या बोलूँ और उन दोनों मर्दों के सामने वैसी नंगी हालत में लेटे हुए मैंने बेवक़ूफ़ की तरह हाँ में सर हिला दिया. पता नही बाबूलाल को कुछ समझ में आया भी या नही पर वो मुड़ा और नाव के दूसरे कोने में अपनी सीट में जाकर बैठ गया. विकास ने अब और वक़्त बर्बाद नही किया. वो मेरे बदन के ऊपर लेट गया और मुझे अपने आलिंगन में ले लिया. हम फुसफुसाते हुए आपस में बोल रहे थे.

विकास – मैडम, तुम्हारा बदन इतना खूबसूरत है. तुम्हारा पति तुम्हें अपने से अलग कैसे रहने देता है ?

मैंने उसे देखा और अपने बदन पर उसके हाथों के स्पर्श का आनंद लेते हुए बोली…..

“अगर वो मुझे अलग नही रहने देता तो तुम मुझे कैसे मिलते ?”

विकास ने मेरे चेहरे और बालों को सहलाया और मेरे होठों के करीब अपने होंठ ले आया. मैंने अपने होंठ खोल दिए. उसके हाथ मेरे पूरे बदन को सहला रहे थे और ख़ासकर की मेरी तनी हुई रसीली चूचियों को. फिर विकास मेरी गर्दन और कानों को अपनी जीभ से चाटने लगा , मैंने आँखें बंद कर ली और धीमे से सिसकारियाँ लेने लगी. और फिर वो पहली बार मेरे निपल्स को चूसने लगा , एक निप्पल को चूस रहा था और दूसरे को अंगुलियों और अंगूठे के बीच मरोड़ रहा था. इससे मैं बहुत कामोत्तेजित हो गयी.

कहानी जारी रहेगी

NOTE




1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब  अलग  होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर  कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा  कही पर भी संभव है  .


2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा  जी  स्वामी, पंडित,  पुजारी, मौलवी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90-99% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर कुछ खराब भी होते हैं. इन   खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.


3.  इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने  अन्यत्र नहीं पढ़ी है  .


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RE: आश्रम के गुरुजी मैं सावित्री – 07 - by aamirhydkhan1 - 26-11-2021, 09:21 PM



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