14-11-2021, 12:10 PM
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गुरुजी के आश्रम में सावित्री
CHAPTER 3 दूसरा दिन
दरजी (टेलर) की दूकान
Update 3
CHAPTER 3 दूसरा दिन
दरजी (टेलर) की दूकान
Update 3
सांपो को दूध
“अब और क्या करू मैं ?”
गोपालजी – मैडम, आप बहुत कुछ कर सकती हो. अभी आप एक मूर्ति के जैसे चुपचाप खड़ी हो. अगर आप थोड़ा सहयोग करो……… मेरा मतलब अगर आप अपनी कमर थोड़ा हिलाओ तो मंगल को आसानी होगी.
“क्या मतलब है आपका , गोपालजी ?”
गोपालजी – मैडम, आप दीवार पर हाथ रखो और एक डांसर के जैसे अपनी कमर हिलाओ. मैडम थोड़ा मंगल के बारे में भी सोचो. दरवाज़े पर साँप मुंडी हिला रहे हैं और हम मंगल से मुठ मारने को कह रहे हैं.
“ठीक है. मैं समझ गयी.”
क्या समझी मैं ? यही की मुझे पेटीकोट में अपने नितंब गोल गोल घुमाने पड़ेंगे जिससे ये कमीना मंगल एक्साइटेड हो जाए और इसका लंड खड़ा हो जाए. हे ईश्वर ! कहाँ फँस गयी थी मैं . पर कोई चारा भी तो नही था. मैंने समय बर्बाद नही किया और जैसा गोपालजी ने बताया वैसा ही करने लगी.
मैंने अपने दोनों हाथ आँखों के लेवल पर दीवार पर रख दिए. ऐसा करने से मेरे बड़े सुडौल नितंब पेटीकोट में पीछे को उभर गये. अब मैं अपनी कमर मटकाते हुए नितंबों को गोल गोल घुमाने लगी. मुझे अपने कॉलेज के दिनों में डांस क्लास की याद आई जब हमारी टीचर एक लय में नितंबों को घुमाने को कहती थी.
गोपालजी और मंगल दोनों मेरे इस भद्दे और अश्लील नृत्य की तारीफ करने लगे. मैंने उन्हें बताया की कॉलेज के दिनों में मैंने डांस सीखा था. मैंने एक नज़र पीछे घुमा कर देखा मंगल मेरे नज़दीक़ आ गया था और उसकी आँखें मेरे हिलते हुए नितंबों पर गड़ी हुई थीं. इस अश्लील नृत्य को करते हुए मैं अब गरम होने लगी थी.
मैंने अपने नितंबों को घुमाना जारी रखा , पीछे से मंगल की गहरी साँसें लेने की आवाज़ सुनाई दे रही थी. एक जाहिल गँवार को मुठ मारने में मदद करने के लिए अश्लील नृत्य करते हुए अब मैं खुद भी उत्तेजना महसूस कर रही थी. मेरी चूचियाँ तन गयी थी और चूत से रस बहने लगा था. ये बड़ी अजीब लेकिन कामुक सिचुएशन थी.
फिर कुछ देर तक पीछे से कोई आवाज़ नही आई तो मुझे बेचैनी होने लगी. मैंने पीछे मुड़कर गोपालजी और मंगल को देखा. मंगल के अंडरवियर में उसका लंड एक रॉड के जैसे तना हुआ था और वो अपने अंडरवियर में हाथ डालकर तेज तेज मुठ मार रहा था. मैं शरमा गयी , लेकिन उस उत्तेजना की हालत में मेरा मन उस तने हुए लंड को देखकर ललचा गया.
मेरे पीछे मुड़कर देखने से मंगल का ध्यान भंग हुआ.
मंगल – अभी नही हुआ मैडम.
अब उस सिचुयेशन में मैं रोमांचित होने लगी थी और मैं खुद को नटखट लड़की जैसा महसूस कर रही थी. मुझे हैरानी हुई की मैं ऐसा क्यूँ महसूस कर रही हूँ ? मैं तो बहुत ही शर्मीली हाउसवाइफ थी, हमेशा बदन ढकने वाले कपड़े पहनती थी. मर्दों के साथ चुहलबाज़ी , अपने बदन की नुमाइश, ये सब तो मेरे स्वभाव में ही नही था.
फिर मैं इन दो अनजाने मर्दों के सामने ऐसे अश्लील नृत्य करते हुए रोमांच क्यूँ महसूस कर रही थी ? ये सब गुरुजी की दी हुई उस दवाई का असर था जो उन्होने मुझसे आश्रम से बाहर जाते हुए खाने को कहा था. मेरे शर्मीलेपन पर वो जड़ी बूटी हावी हो रही थी.
मंगल की आँखों में देखते हुए शायद मैं पहली बार मुस्करायी.
“कितना समय और लगेगा मंगल ?”
गोपालजी – मैडम , मेरे ख्याल से मंगल को आपकी थोड़ी और मदद की ज़रूरत है.
“क्या बात है ? मुझे बताओ गोपालजी . मैं कोई ज्योतिषी नही हूँ. मैं उसके मन की बात थोड़ी पढ़ सकती हूँ.”
मंगल के खड़े लंड से मैं आँखें नही हटा पा रही थी. अंडरवियर के अंदर तने हुए उस रॉड को देखकर मेरा बदन कसमसाने लगा था और मेरी साँसें भारी हो चली थीं.
गोपालजी – मैडम , आप अपना डांस जारी रखो और प्लीज़ मंगल को छूने दो अपने…….
गोपालजी ने जानबूझकर अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया. वो देखना चाहता था मैं उसकी बात पर कैसे रियेक्ट करती हूँ. गोपालजी अनुभवी आदमी था , उसने देख लिया था की अब मैं पूरी गरम हो चुकी हूँ और शायद उसकी बात का विरोध नही करूँगी.
गोपालजी – मैडम , मैं वादा करता हूँ , मंगल आपको कहीं और नही छुएगा. मेरे ख्याल से , आपको छूने से मंगल का पानी जल्दी निकल जाएगा.
आश्रम में आने से पहले , अगर किसी आदमी ने मुझसे ये बात कही होती की वो मेरे नितंबों को छूना चाहता है तो मैं उसे एक थप्पड़ मार देती. वैसे ऐसा नही था की किसी अनजाने आदमी ने मुझे वहाँ पर छुआ ना हो. भीड़भाड़ वाली जगहों में, ट्रेन , बस में कई बार साड़ी या सलवार के ऊपर से , मेरे नितंबों और चूचियों पर , मर्दों को हाथ फेरते हुए मैंने महसूस किया था.
पर वैसा तो सभी औरतों के साथ होता है. भीड़ भरी जगहों पर औरतों के नितंबों और चूचियों को दबाने का मौका मर्द छोड़ते कहाँ हैं , वो तो इसी ताक में रहते हैं. लेकिन जो अभी मेरे साथ हो रहा था वैसा तो किसी औरत के साथ नही हुआ होगा.
लेकिन सच्चाई ये थी की मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी. उस छोटे कमरे की गर्मी और खुद मेरे बदन की गर्मी से मेरा मन कर रहा था की मैं ब्लाउज और ब्रा भी उतार दूं. वो अश्लील नृत्य करते हुए पसीने से मेरी ब्रा गीली हो चुकी थी और मेरी आगे पीछे हिलती हुई बड़ी चूचियाँ ब्रा को फाड़कर बाहर आने को आतुर थीं.
उत्तेजना के उन पलों में मैं गोपालजी की बात पर राज़ी हो गयी , लेकिन मैंने ऐसा दिखाया की मुझे संकोच हो रहा है.
“ठीक है गोपालजी , जैसा आप कहो.”
मैं फिर से दीवार पर हाथ टिकाकर अपने नितंबों को गोल गोल घुमाने लगी. इस बार मैं कुछ ज़्यादा ही कमर लचका रही थी. मैं वास्तव में ऐसा करते हुए बहुत ही अश्लील लग रही हूँगी , एक 28 साल की औरत सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में अपने नितंबों को ऐसे गोल गोल घुमा रही है. ये दृश्य देखकर मंगल की लार टपक रही होगी क्यूंकी मेरे राज़ी होते ही वो तुरंत मेरे पीछे आ गया और मेरे हिलते हुए नितंबों पर उसने अपना बायां हाथ रख दिया.
मंगल – मैडम , क्या मस्त गांड है आपकी. बहुत ही चिकनी और मुलायम है.
गोपालजी – जब दिखने में इतनी अच्छी है तो सोचो टेस्ट करने में कितनी बढ़िया होगी.
मंगल और गोपालजी की दबी हुई हँसी मैंने सुनी. रास्ते में चलते हुए मैंने कई बार अपने लिए ये कमेंट सुना था ‘ क्या मस्त गांड है ‘ , पर ये तो मेरे सामने ऐसा बोल रहा था.
मंगल एक हाथ से मेरे नितंब को ज़ोर से दबा रहा था और दूसरे हाथ से मुठ मार रहा था. मेरी पैंटी पीछे से सिकुड गयी थी इसलिए मंगल की अंगुलियों और मेरे नितंब के बीच सिर्फ़ पेटीकोट का पतला कपड़ा था.
गोपालजी – मैडम , आप पीछे से बहुत सेक्सी लग रही हो. मंगल तू बड़ी किस्मत वाला है.
मंगल – गोपालजी , अब इस उमर में इन चीज़ों को मत देखो . बेहतर होगा साँपों पर नज़र रखो.
उसकी बात पर हम सब हंस पड़े. मैं बेशर्मी से हंसते हुए अपने नितंबों को हिला रही थी. और वो कमीना मंगल मेरे नितंबों पर हाथ फेरते हुए चिकोटी काट रहा था. अगर कोई मेरा पेटीकोट कमर तक उठाकर देखता तो उसे मेरे नितंब चिकोटी काटने से लाल हो गये दिखते. अब तक मेरी चूत रस बहने से पूरी गीली हो चुकी थी.
फिर मुझे अपने दोनों नितंबों पर मंगल के हाथ महसूस हुए. अब वो अपना लंड हिलाना छोड़कर मेरे दोनों नितंबों को अपने हाथों से हॉर्न के जैसे दबा रहा था. अपने नितंबों के ऐसे मसले जाने से मैं और भी उत्तेजित होकर नितंबों को ज़ोर से हिलाने लगी.
गोपालजी – मंगल जल्दी करो. साँप अंदर को आ रहे हैं.
गोपालजी ने मंगल को सावधान किया पर मंगल ने उसकी बात सुनी भी की नही. क्यूंकी वो तो दोनों हाथों से मेरी गांड को मसलने में लगा हुआ था. एक अनजान आदमी के अपने संवेदनशील अंग को ऐसे मसलने से मैं कामोन्माद में अपने बदन को हिला रही थी. मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थी.
तभी मंगल ने मेरी गांड से अपने हाथ हटा लिए. मैंने सोचा उसने गोपालजी की बात सुन ली होगी , इसलिए डर गया होगा.
लेकिन नही, ऐसा कुछ नही था. उस कमीने को मुझसे और ज़्यादा मज़ा चाहिए था. अभी तक तो वो पेटीकोट के बाहर से मेरी गांड को मसल रहा था और फिर बिना मेरी इजाजत लिए ही मंगल मेरा पेटीकोट ऊपर को उठाने लगा.
ये तुम क्या कर रहे हो ? रूको . रूको. …….गोपालजी !! “
पेटीकोट के बाहर से अपने नितंबों पर मंगल के हाथों के स्पर्श से मुझे बहुत मज़ा मिल रहा था , इसमे कोई दो राय नही थी. लेकिन अब वो मेरा पेटीकोट ऊपर उठाने की कोशिश कर रहा था. अब मुझे डर होने लगा था की ये बदमाश कहीं मेरी इस हालत का फायदा ना उठा ले.
मेरे मना करने पर भी मंगल ने मेरे घुटनों तक पेटीकोट उठा दिया और दोनों हाथों से मेरी मांसल जांघें दबोच ली. उसके खुरदुरे हाथ मेरी मुलायम जांघों को दबा रहे थे और फिर उसने अपने चेहरे को पेटीकोट के बाहर से मेरी गांड में दबा दिया. ये मेरे लिए बड़ी कामुक सिचुयेशन थी. एक अनजाने गँवार मर्द ने मुझे पीछे से पकड़ रखा है.
मेरी पेटीकोट को घुटनों तक उठा दिया , मेरी मांसल जांघों को दबोच रहा है और साथ ही साथ मेरी गांड में अपने चेहरे को भी रगड़ रहा है.
गोपालजी ने मंगल को नही रोका , जबकि उसने वादा किया था की मंगल मुझे कहीं और नही छुएगा. मुझे हल्का विरोध करते हुए कुछ देर तक ऐसी कम्प्रोमाइज़िंग पोजीशन में रहना पड़ा.
फिर उस कमीने ने पेटीकोट के बाहर से मेरे नितंब पर दाँत गड़ा दिए और मेरी गांड की दरार में अपनी नाक घुसा दी. मेरे मुँह से ज़ोर से चीख निकल गयी…………..ऊईईईईईईईईई……………..
एक तो मेरी पैंटी सिकुड़कर बीच की दरार में आ गयी थी और अब ये गँवार उस दरार में अपनी नाक घुसा रहा था. वैसे सच कहूँ तो मुझे भी इससे बहुत मज़ा आ रहा था. दिमाग़ कह रहा था की ये ग़लत हो रहा है पर जड़ी बूटी का असर था की मैं बहुत ही उत्तेजित महसूस कर रही थी.
मंगल के हाथ पेटीकोट के अंदर मेरी जांघों को मसल रहे थे. अब मैं और बर्दाश्त नही कर पाई और चूत से रस बहाते हुए मुझे बहुत तेज ओर्गास्म आ गया.
…………..आआहह………………. ओह्ह ………………..ऊईईईईईईईईई……………….आआहह………….
मेरा पूरा बदन कामोन्माद से कंपकपाने लगा और मेरी पैंटी के अंदर पैड चूत रस से पूरा भीग गया. अब मेरा विरोध बिल्कुल कमजोर पड़ गया था.
मंगल ने मेरी हालत का फायदा उठाने में बिल्कुल देर नही लगाई. मेरी जांघों पर उसके हाथ ऊपर को बढ़ते गये और उसने अपनी अंगुलियों से मेरे उस अंग को छू लिया जिसे मेरे पति के सिवा किसी ने नही छुआ था. हालाँकि मेरा पेटीकोट घुटनों तक था पर मंगल ने अंदर हाथ डालकर पैंटी के बाहर से ही मेरी चूत को मसल दिया.
बहुत ही अजीब परिस्थिति थी, एक तरफ साँपों का डर और दूसरी तरफ एक अनजाने मर्द से काम सुख का आनंद. मुझे याद नही इतना तेज ओर्गास्म मुझे इससे पहले कब आया था. एक नयी तरह की सेक्सुअल फीलिंग आ रही थी.
मंगल भी मेरे साथ ही झड़ गया और इस बार मुझे उसका ‘लंड दर्शन ‘ भी हुआ , जब उसने कटोरे में अपना वीर्य निकाला. ये पहली बार था की मैं अपने पति के सिवा किसी पराए मर्द का लंड देख रही थी. उसका काला तना हुआ लंड कटोरे में वीर्य की धार छोड़ रहा था. मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी . क्या नज़ारा था . सभी औरतें लंड को ऐसे वीर्य छोड़ते हुए पसंद करती हैं पर ऐसे बर्बाद होते नही बल्कि अपनी चूत में.
अब मैं अपने दिमाग़ पर काबू पाने की कोशिश करने लगी, जैसा की सुबह गुरुजी ने बताया था की ‘माइंड कंट्रोल’ करना है. गुरुजी ने कहा था, कहाँ हो , किसके साथ हो, इसकी चिंता नही करनी है, जो हो रहा है उसे होने देना. गुरुजी के बताए अनुसार मुझे दो दिन में चार ओर्गास्म लाने थे जिसमे पहला अभी अभी आ चुका था.
ओर्गास्म आने से बदन की गर्मी निकल चुकी थी और अब मैं पूरे होशो हवास में थी. मैंने जल्दी से अपने कपड़े ठीक किए.
मंगल अधनंगा खड़ा था , झड़ जाने के बाद उसका काला लंड केले के जैसे लटक गया था. मेरी हालत भी उसके लंड जैसी ही थी , बिल्कुल थकी हुई, शक्तिहीन.
गोपालजी ने मंगल से कटोरा लिया और साँपों से कुछ दूरी पर रख दिया. मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ , साँप उस कटोरे में सर डालकर पीने लगे. कुछ ही समय बाद वो दोनों साँप दरवाज़े से बाहर चले गये.
साँपों के जाने से हम सबने राहत की साँस ली.
कहानी जारी रहेगी
NOTE
1. अगर कहानी किसी को पसंद नही आये तो मैं उसके लिए माफी चाहता हूँ. ये कहानी पूरी तरह काल्पनिक है इसका किसी से कोई लेना देना नही है . मेरे धर्म या मजहब अलग होने का ये अर्थ नहीं लगाए की इसमें किसी धर्म विशेष के गुरुओ पर या धर्म पर कोई आक्षेप करने का प्रयास किया है , ऐसे स्वयंभू गुरु या बाबा कही पर भी संभव है .
2. वैसे तो हर धर्म हर मज़हब मे इस तरह के स्वयंभू देवता बहुत मिल जाएँगे. हर गुरु जी, बाबा जी स्वामी या महात्मा एक जैसा नही होते . मैं तो कहता हूँ कि 90% स्वामी या गुरु या प्रीस्ट अच्छे होते हैं मगर 10% खराब भी होते हैं. इन 10% खराब आदमियों के लिए हम पूरे 100% के बारे मे वैसी ही धारणा बना लेते हैं. और अच्छे लोगो के बारे में हम ज्यादा नहीं सुनते हैं पर बुरे लोगो की बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है तो लगता है सब बुरे ही होंगे .. पर ऐसा वास्तव में बिलकुल नहीं है.
3. इस कहानी से स्त्री मन को जितनी अच्छी विवेचना की गयी है वैसी विवेचना और व्याख्या मैंने अन्यत्र नहीं पढ़ी है .
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