11-11-2021, 09:41 PM
दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध
UPDATE 19
रात भर लंड अंदर
पहली रात की तरह ही रफ़ीक ने दूसरी रात भी ने वही प्रदर्शन दोहराया और बारी-बारी से सभी औरतों को चोद को खुश किया। और प्रत्येक ओरत में कई बार चरमोत्कर्ष पर पहुँची, पहले रफीक ने सुल्ताना को चोदा फिर रीमा और फिर मल्लिका को और आखिरी ने गुलनाज को और जब यह रफ़ीक गुलनाज को चोद रहा था, तो परवेज का लंड भी खड़ा हो गया, तो रफ़ीक ने कहा कि गांडू परवेज तुम उत्तेजित हो रहे हो, ठीक है, मैं तुम्हें इन हसीन बेगमों और बीवियों की चूतरस का स्वाद चखने का मौका देता हूँ। तुम इनकी चूत को चाट कर साफ़ करो और फिर उसने परवेज को सुल्ताना को छोड़कर सभी औरतों को इसी तरह साफ करने के लिए मजबूर किया। उसने जब भी स्खलन किया वो सुलतान की शानदार फुद्दी में ही किया जिसे ये स्पष्ट था कि वह केवल सुल्ताना को गर्भवती करना चाहता था, सभी औरतों को नहीं।
रफीक बोला गांडू परवेज याद रखो अब ये वैसे भी मेरे पास ही वापस आएंगी इन्हे अब अपने शौहर के साथ चुदाई में कुछ भी मजा नहीं आएगा और मैं नहीं चाहता कि ये सब एक साथ गर्भवती हो जाए और इन सबका पेट एक ही साथ में फूल जाए, जिससे मैं एक ही समय में चार कुलीन फुद्दीयो का आनद लेने से लम्बे समय तक वंचित हो जाऊँ।
जब परवेज़ ने गुलनाज़ की चूत चाट कर सफाई पूरी कर ली, तो उसने गुलनाज़ की ढीली चूत में अपना बड़ा और बेहतर लंड फिर से डाल दीया और बड़े लंड को पूरी रात उसकी योनि के अंदर ही रहने दिया। रफ़ीक ने पूरी रात अपने शरीर के चारों ओर लिपटी गोरी पंजाबी सुंदरी के लंबे मांसल पैरों और टांगो को महसूस करते हुए वास्तव में आनंद लिया। वह उसे उसके शौहर के लिए चौड़ी कर देना चाहता था लेकिन उसे गर्भवती नहीं करना चाहता था इसलिए उसने गुलनाज में स्खलन नहीं किया।
तीसरी रात, रफ़ीक ने एक बार फिर तीनों सुंदरियों की फुदियों को प्रसन्न किया और बारी-बारी से प्रत्येक ओरत के भीतर चरमोत्कर्ष पर पहुँचा। उनका चौथी और अंतिम चरमोत्कर्ष उन्होंने रीमा की रसीली बंगाली फुड्डी के अंदर बनाया। हर बार, उसने सुल्ताना को छोड़कर, परवेज को बाकी सभी औरतों की फुद्दी को चाट-चाट कर साफ करने के लिए मजबूर किया। सुल्ताना को वह गर्भवती करना चाहता था। परवेज ने फुड्डी में से रफ़ीक के वीर्य को चूस कर साफ़ कर दिया, उसके बाद रफ़ीक ने अपना बड़ा काला लण्ड उसके अंदर घुसा कर रात भर वही रखा। जबकि रीमा ने पहले रफीक की मर्दानगी और प्रतिभा का स्वाद चखा था। उसने पहले कभी भी रात भर लंड अंदर घुसा कर रखने से योनि में होने वाले खिंचाव का अनुभव नहीं किया था। इसलिए, जब वह अगली सुबह रफीक के नीचे जागी, तो वह भी बदली हुई औरत थी-अपरिवर्तनीय रूप से वह अब रफ़ीक के काले लंड की मुरीद बन गयी थी और उसकी भी योनि चौड़ी हो कर भोसड़ा बन गयी थी।
अगली रात रफीक ने फिर वही रदर्शन दोहराया, लेकिन मल्लिका को सबसे ज्यादा प्रसन्न किया और पूरी रात अपने लंड को उसके अंदर रखा। इस प्रकार, हर रात, रफीक ने अपने बड़े काले लंड को चारो में से एक रानी या बेगम या बीबी में से एक के अंदर रखा और परवेज को सुल्ताना को छोड़कर सभी औरतो की फुड्डी में से रफ़ीक के वीर्य को चूस कर साफ़ करने के लिए मजबूर किया।
पांचवें दिन जाने से पहले उसने दिन में चारो को एक बार चौदा और फिर वे अपने घरों को लौट गए। रात भर रफ़ीक का मोटा और बड़ा लंड योनि के अंदर रहने के कारण चारो औरतों की योनि अब स्थायी रूप से परिवर्तित हो गयी थी ।
परवेज को अपने पैरों पर ठीक से खड़े होने के लिए एक दिन लगा और उसके अंडकोष में सूजन कम होने से एक पखवाड़े एक समय लगा।
इस युद्ध का सभी प्रतिभागियों पर गहरा दीर्घकालिक प्रभाव पड़ा।
बेशक इस मुक़ाबले से पहले भी रीमा रफ़ीक का स्वाद चख चुकी थी, इसलिए उसने अपने शौहर
में रुचि खो दो और उसे अपने शौहर के साथ चुदाई कण्वाने में बिलकुल मजा नहीं आता था। लेकिन तीन-रात के सत्र के बाद, उसने पाया कि रफीक के लंड ने उसकी बंगाली फुद्दी को इतनी बुरी तरह से खींच कर चौड़ी कर दिया था । उस रात के बाद से यह और भी अधिक चौड़ी हो गयी थी जब रफीक ने अपना बड़ा काला लिंग पूरी रात उसके अंदर रखा था, जिससे वह अपने बंगाली बाबू के छोटे तीन-अंगुलि के बंगाली लिंग को महसूस भी न कर सकी।
इसलिए, रीमा ने अपने घुटने का इस्तेमाल अपने बाबू को दंडित करने के लिए किया जैसे उसने परवेज को दंडित किया था, उसका पति हर रात उसे संतुष्ट करने में विफल रहा, उसने परेशान होकर, उसके शोहर ने शिकायत की कि वह खिंच गई थी और यह उसकी गलती नहीं थी।
फिर उसने उसे बताया कि वह एक दक्षिण भारतीय अश्वेत व्यक्ति के साथ थी, तो उसका पति फूट-फूट कर रोने लगा और उससे अपने साथ रहने की भीख माँगी। उसने उसे संतुष्ट करने के लिए एक बड़े काले रबर के डिल्डो का उपयोग करने की भी पेशकश की, लेकिन रीमा ने उससे कहा कि वह भी सम्भोग के दौरान उन बड़े काला अंडो को उसके नितंबों के खिलाफ टकराना पसंद करती है और उसे असली चीज़ की ज़रूरत है । फिर उसने अपने बंगाली बाबू शोहर को उसके बिस्तर और महल से बाहर निकाल दिया और उसकी जगह रफीक को महल में ले आयी। फिर जब रफीक को एक साल बाद मालाबार में अपने घर जाना पड़ा, तो उसे दिल्ली में दक्षिण भारतीय अश्वेत लोगों को सम्भोग के लिए ढूँढना मुश्किल हो गया तो वह-वह अपने मूलनिवास बंगाल लौट आई और वहाँ से एक जहाज लेकर तमिलनाडु चली गई।
कहानी अगले भाग 20 में समाप्य
आमिर
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