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Adultery दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध
#19
दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध
UPDATE 16

विजेता को पुरस्कार-सुल्ताना



अब रफीक के लिए अपनी जीत का आनंद लेने का समय आ गया था। तुरंत गद्दों को मंगवाया और कमरे में गाड़े लगा दिए गए। मल्लिका और गुलनाज़ ने परवेज को एक तरफ खींच लिया क्योंकि वह अकेले कहल भी नहीं सकता था।

रानी रक़्क़ीनी भैरवी ने कहा अब विजेता को पुरूस्कार दिया जाये । उसका पहला पुरूस्कार है सुल्ताना ।

रफ़ीक बोला उल्लू सुलतान तुम्हे मालूम नहीं है कि तुम्हे इस हार के साथ क्या खो दिया है । तुम्हे अब मालूम चलेगा की तुमने क्या खोया है ।

अब मैं तुम्हारी हसींन बेगम की वह चुदाई करूंगा जो तुम न तो कभी कर पाए हो और न ही कभी कर सकोगे ।

अब मैं इस बेहतरीन औरत जिसका पूरा बदन पूरी तरह से आनुपातिक है और त्वचा गुलाबी है और जिसके निपल्स बड़े और उभरे हुए हैं, स्तन दूधिया, दृढ़ और गोल और नितंबों का मोटा जोड़ा, सुडौल और चिकना है और पेट सपाट है। तुम इस अवधि सुंदरी जो हमेशा पुरुषों के आकर्षण का केंद्र रही है और जिसे सभी पुरुष उसे देखना पसंद करते है और जिसकी खूबसूरती के बारे में सोच सोच कर , अकेले में अक्सर अपना लंड हिलाते है की चुदाई का आंनद तुम्हारे और सबके सामने लूँगा। तुम्हारी बीवी जिसे देखना तक नसीब नहीं होता उसे अब मैं सबके सामने चोदूंगा. सुल्ताना की चुदाई के इस नज़ारे का मजा अब सब लोग लेंगे. और इसके किस्से उनको सुनाएंगे जो यहाँ मौजूद नहीं है .

रफीक ने कहा, "सुल्तान मैं तुम्हारी बेगम को तुमसे बेहतर चोदूंगा।" और सुलतान जानता था कि रफ़ीक सच कह रहा है । जिस लंड को चूसने के लिए वह अपना मुँह पूरा खोलने के बाद भी उसे बड़े मुश्किल से अपने मुँह में ले पाया था. वह लंड जब सुल्ताना की फुद्दी में जाएगा तो क्या कोहराम मचाएगा ।

सुलतान की नजरे फिर रफ़ीक पर गयी तो रफ़ीक का बड़ा लंड एक क़दम (फुट) लंबा और अत्यधिक मोटा था। कस्तूरी पसीने ने रफ़ीक के पूरे लंड को ढक लिया था , जिससे उसका अबनुसी हथियार और भी खतरनाक लग रहा था। रफ़ीक का विशाल प्रजनन अंग इतना असामान्य रूप से बड़ा था कि आदमी के लंड की जगह एक मोटे बैल या एक विशाल हाथी या एक बड़े घोड़े के लंड जैसा प्रतीत हो रहा था ।

अपने आकार पर जोर देने के लिए, रफीक के बड़े काले लिंग की टोपी में छिद्रित एक बड़े छेद के माध्यम से एक मोटी चांदी की अंगूठी लटकी हुई थी। यह एक अपद्रव्य था, एक उपकरण था जो आमतौर पर दक्षिण भारतीय भूमि में पुरुषों द्वारा अपनी महिलाओं को अधिक उत्तेजना प्रदान करने के लिए उपयोग किया जाता था। चमकदार चांदी के रंग की अंगूठी रफीक के लंड के बहुत काले रंग के ठीक विपरीत थी।

परवेज ने रफ़ीक की काली टोपी में बड़े छेद का अध्ययन किया और देखा कि उसमें लटकी चांदी की अंगूठी उसकी खुद की लूली की तरह से भी मोटी थी! तब उसे डर का एहसास हुआ कि उसका अपना पतला गोरा अवधी उपकरण आसानी से उस छेद काली टोपी में बड़े छेद में ही खिसक जाएगा।

वो ये सोच कर सिहर गया की उसकी बेगम इस महा लंड को कैसे अपनी योनि में ले पाएगी. रफ़ीक के महा लंड के घुसने से उसकी बेगम की टाइट फुद्दी पूरी छोड़ी हो जायेगी और वह फुद्दी से चौड़ी हो कर भोसड़ा बन जाएगी ।

"अच्छा हुआ सुलतान तेरा निकाह सुल्ताना से हुआ था तो तुझे हरा कर ये हसीना मुझे आसानी से चुदाई के लिए मिल गयी। नहीं तो ऐसा पका हुआ आम तो देखने के लिए भी बड़ी मुश्किल से मिलता है ।" रफ़ीक ने सुलतान को जलील करना जारी रखा .

परवेज कोई भी प्रतिक्रिया या जवाब देने की स्थिति में नहीं था । उसने बेज्जती मह्सूस करते हुए सर नीचे झुका लिया तो रफ़ीक बोला रीमा उसका सर ऊपर करो और परवेज अब अगर तुमने सर नीचे किया तो रीमा फिर तुम्हे लात मारेगी । अब मैं तुम्हारा आका हूँ और तुम मेरे गुलाम हो । इसलिए हुक्म की तामील हो! सर उठाओ और देखो । परवेज जो खुद एक हारा हुआ सुलतान था जानता था हुक्म की तामील हो का क्या मतलब है । हुक्म अदूली की क्या सजा होती है। इसलिए, इस से पहले रीमा उसे फिर से बेदर्दी से पीटे, उसने चुपचाप सर उठा लिया और रफ़ीक क्या कर रहा है वह देखने लगा ।

सल्ताना का पूरा शरीर पहले से ही नंगा था और सब लोग जो वहाँ जमा थे उसके नंगे हुस्न का लुत्फ़ उठा रहा थे । फिर रफ़ीक ने कहा गांडू परवेज अपने चारो और देखो सब लोग क्या कर रहे हैं?

परवेज ने नजरे घुमाई तो पाया जितने भी मर्द वहाँ थे वह सुलताना को घूर-घूर कर देख रहे थे। कोई अपने जीभ ओंठो पर फिरा रहा था तो किसी का मुँह हैरानी से खुला हुआ था। सबके निचले हिस्से में लुंगी, धोती या पायजामे में टेंट बना हुआ था, जो बता रहा था की सबके लंड खड़े हो गए थे । कई तो बेशर्मी से अपने लंड पर हाथ भी फेर रहे थे ।

रानी रक़्क़ीनी बोली नालायक सुलतान तूने अपनी हवस में सुल्ताना के इस शानदार हुस्न को दाव पर लगा दिया । जिस हुस्न का दीदार भी लोगों को नहीं मिल सकता था, उस हुस्न को तुमने सरे बाज़ार में नुमाया करवा दिया है ।

फिर रफ़ीक सुल्ताना के पास गया और उसे अपने पास खींच कर उसके बदन पर रफ़ीक ने अपने काले खुरदरे हाथ फिराए तो सुल्ताना आह कर कराह उठी ।

फिर सुल्ताना की नंगी छाती नग्न थी पर हाथ फेरते हुए उसने उसके दो शानदार और नंगे स्तन नीचे से पकडे । ऊपर को तौलते हुए उछाले और उसकी, गोलाईयों पर हाथ फिरा कर बोला वाह सुल्ताना के तो स्तनों का तो आकार भी नहीं बिगड़ा है। पेशाब खोर परवेज तुम तो सुलतान को ढंग से भोगा भी नहीं पाए हो, सुल्ताना के स्तन अभी भी दृढ़ है और दो उलटे रखे प्यालो जैसे खूबसूरत है जिनपर दो बड़े अंगूर लगा कर उन्हें सजाया गया है । सुलतान क्या तुमने कभी इन्हे दबाया या चूसा भी है । तुम्हारी लुल्ली तो सिर्फ इन्हे देख कर ही पानी छोड़ देती होगी ।

जारी रहेगी
आमिर

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RE: दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध - by aamirhydkhan1 - 08-11-2021, 11:07 PM



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