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Adultery दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध
#16
दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध

UPDATE 13

परवेज़ की हार


इससे पहले कि सुलतान परवेज अपनी अगली सांस ले पाता, या रफीक से लड़ पाता, रफीक ने सुलतान परवेज को बार-बार मुक्के और लाते मारी। कई वार इतनी तेज थे कि सुलतान परवेज उन्हें देख पाता उससे पहले रफ़ीक के कई वार सुलतान परवेज के बदन को पीट देते थे।

सुलतान परवेज ने तब रीमा को चिल्लाते हुए सुना, "देखो, मल्लिका। सुल्ताना और गुलनाज रफीक अब वास्तव में सुल्तान परवेज को पीट कर उसका कोफ्ता बना रहा है!"

रफीक द्वारा कलारी पट्टू प्रहार के विशेषज्ञ प्रदर्शन पर औरतों के मुँह से "वाह, वाह" निकली। सुलतान परवेज ने विशेषज्ञ कलारी पट्टू के तेज प्रहारों की एक शृंखला को महसूस किया और फिर सुलतान परवेज फर्श पर गिर गया।

रफीक उसके ऊपर खड़ा हो गया और उसे ताना मार बोला कि वह एक आदमी की तरह उठकर लड़े। उसने उससे कहा कि वह अपने पैरों पर खड़ा हो कर उसका सामना करे।

जब सुलतान परबेज खड़ा नहीं हो पाया तब रफीक ने उसका चेहरा पकड़ा और अपना बड़ा काला लंड सुलतान परवेज के होठों से लगा लिया। "उल्लू सुलतान इसे चुसो!" उसने आदेश दिया। "चूसो मेरे लंड को!"

रीमा और गुलनाज़ भी सुलतान परवेज को लंड-चूस, लंड खोर और गांडू जैसे अपमानजनक नामों से पुकार रही थी। सुल्ताना उसकी बीबी भी बहुत खुश लग रही थी और अपने सामने हो रही घटनाओं का आनंद ले रही थी।

सुलतान परवेज ने सर हिलाते हुए लंड चूसने से मना कर दिया और अपना मुँह दूर किया और किसी तरह से अपने पैरों पर खड़ा हो गया।

जब सुलतान परवेज खड़ा हो गया तो रक़्क़ीनी वैरवी ने उसे उत्साहित किया और बोली शाबाश सुलतान अब वार करो।

सुलतान परवेज ने महसूस किया कि यह उसका आखिरी मौका था। यह भी जानते हुए कि वह हर तरह से रफ़ीक से कमजोर था, उसके लिए यह स्पष्ट था कि वह इस मिश्रित नस्ल के बेहतर काले योद्धा के लिए कोई मुकाबला नहीं था। फिर भी, इस खेल में दांव बहुत ऊंचे थे। काले योद्धा के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने में असमर्थ, सुलतान परवेज ने एकमात्र तरीका अपनाने का फैसला किया जहाँ एक नीच व्यक्ति एक श्रेष्ठ व्यक्ति के साथ धोखा देकर युद्ध करता है।

आगे कूदते हुए, सुलतान परवेज ने रफीक को उसकी कमर के नीचे लात मारी जो की मल्ल युद्धः में निषिद्ध होती है, जिससे उसके पैर ने काले लड़ाकू रफ़ीक के जननांगों को कुचल दिया। रफीक के गुप्तांगों में हुए इस अचानक हमले के कारण तेज दर्द हुआ जिससे रफ़ीक तुरंत पीछे हट गया। रीमा ने तुरंत घोषणा की ये धोखा है, सुलतान परवेज ने कहा कि नहीं, ये कोई धोखा नहीं है, इस दूसरी प्रतियोगिता के लिए कोई नियम नहीं बनाए गए थे और सुलतान परवेज ने रफीक के चेहरे पर कई तेज वार किए, जिससे पहली बार रफ़ीक जमीन पर गिर गया। जैसे ही रफीक अपने जननांगों को पकड़कर फर्श पर गिरा, सुलतान परवेज ने रफ़ीक के जननांगों को चोट पहुँचाने की उम्मीद में, रफ़ीक की कमर के नीचे कई लाते मारी और अपने हाथों से वॉर किये। इस समय तक, तीनों औरते दोनों लड़ाकों के पास आ चुकी थी और उन्होंने तुरंत सुलतान परवेज को रफीक़ से दूर खींच लिया।

"सुलतान! तुम्हें इसके लिए सजा मिलेगी" रीमा ने कहा और तीनों बेगमों ने सुलतान परवेज को घेर लिया। "तुम धोखेबाज हो!" गुलनाज चिल्लायी। इसी बीच सुल्ताना ने भी सुलतान परवेज से भी कहा, "तुम्हें इस तरह धोखा नहीं देना चाहिए था! मुझे तुम पर बहुत शर्म आ रही है!"

सुलतान परवेज को सजा की परवाह नहीं थी। उसने सोचा कि ये तीन औरतें उसे चोट पहुँचाने के लिए क्या कर सकती हैं। लेकिन हाँ, उसने रफ़ीक की कमर और चेहरे पर कुछ वार किए थे जो निश्चित रूप से उस काले हरामजादे रफ़ीक को लंबे समय तक फर्श पर रखेंगे।

फिर रीमा और गुलनाज दौड़ कर रफीक के पास यह देखने गयी कि कहीं उसे चोट तो नहीं लगी है। लेकिन सुलतान परवेज को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ जब रफीक अपने आप तेजी से उठ खड़ा हुआ।

रीमा ने रफीक से कहा, "चिंता मत करो रफ़ीक, मैं इसे बाद में इसकी सजा जरूर दूंगी और वह इस दिन को कभी नहीं भूलेगा।"

उसके बाद लड़ाई फिर से शुरू हुई। अब सुलतान परवेज वास्तव में डर गया था, क्योंकि वह जानता था कि लड़ाकू रफीक अब कोई दया नहीं दिखाएगा।

रफीक ने कहा, "हरामजादे! धोखेबाज! सुल्तान अब मैं तुम्हें हराने जा रहा हूँ।"

इसके साथ ही, रफीका ने कलारी-पट्टू योद्धा के दिमाग में हर चाल का इस्तेमाल करते हुए उन्नत मार्शल आर्ट की सभी चालों का उपयोग सुलतान परवेज के खिलाफ करना शुरू कर दिया।

फिर रफीका ने अपने हाथों पर छलांग लगा दी और अपने बदन को एक हाथ की मुद्रा में ले आया, जिसे बिच्छू मुद्रा कहा जाता है और उस मुश्किल पोजीशन से वह बार-बार सुलतान परवेज को चेहरे और छाती पर लात मारने लगा। चारों बेगमों ने रफीक के कौशल और उसकी कलारी-पट्टू की चालो की सराहना की।

इस पिटाई के अंत तक, सुलतान परवेज फर्श पर गिर गया और अब वह हिल भी नहीं सकता था। वह पूरी तरह से बिखरा हुआ और टूटा हुआ आदमी था जो बमुश्किल सांस ले रहा था, उसके पेट, पीठ और पूरे शरीर में छोटे लग गई थी उसके मुँह और नाक से खून निकल रहा था। उसे एक कोफ्ते की तरह पीटा गया था। मामले को बदतर बनाने के लिए, उसकी अपनी बीबी और उसकी सुंदर प्यारी सहेलिया उसके अपमान का आनंद ले रही थी।

वह तगड़ा फाइटर परवेज के चेहरे के पास खड़ा हो गया। उसने अपना एक पैर पराजित परवेज के सिर के पास रखा और कहा, "परवेज चुसो, मेरा पैर चूसो तो मैं तुम्हें और नहीं मारूंगा।"

परवेज सदमे में था। उसके पूरे शरीर में चोट लगी और उसकी आंते फट गई। उसे लग रहा था वह मर जाएगा। अब वह और अधिक पिटाई सहन नहीं कर सकता था है, उसने किसी तरह नरमी से उसके चेहरे के पास रखे रफ़ीक के काले बदबूदार पैर को चूमा।

"मैंने चुंबन के लिए नहीं कहा था इसे चूसो" रफ़ीक बोला "मेरे गुलाम हो तुम अब। अपने मालिक को खुश करने के लिए मेरे पैर की उंगलियों को चूसो।"

इसके साथ ही परवेज ने अपनी ज़बान और होठों का उपयोग करके रफीक के खुरदुरे काले पैर की उंगलियों को और उसका पैर चूसा। परवेज की इस बदहाली पर चारों बेगम हंस पड़ीं।

अब अपनी बीबी और उसकी सहेलियों को खुश करने के लिए उनके पैर की उंगलियों को चूसो।

फिर चारो बेगमो ने अपना पैर हल्के से परवेज के चेहरे पर रखा। परवेज ने अपनी ज़बान और होठों का उपयोग करके बेगमो के सुंदर पैर की उंगलियों को और उनके पैर को चूसा।

"मुर्ख गुलाम परवेज अब मुझे अपने बड़े काला लंड के साथ अपनी बीबी की चुदाई करने के लिए कहो!" रफीक ने मांग की और वह परवेज के चेहरे पर अपना पैर पीसने लगा।

परवेज ने रफ़ीक के आदेश का पालन किया। रफीक ने जो कुछ भी कहने को कहा, वह परवेज जोर से चिल्लाया।

"मालिक! मेरी बीबी की चुदाई अपने बड़े काले मोठे लंड से करो।"

परवेज बुरी तरह से पिटा था और अब वह और जिल्लत और पिटाई नहीं सहन कर सकता था तो उसने हार मान ली और रीमा से विनती की कि वह रफीक को विजेता घोषित करे। रीमा द्वारा विजेता घोषित किए जाने के बाद रफीक ने परवेज के चेहरे से अपना पैर हटा लिया।

जारी रहेगी


 
आमिर

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RE: दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध - by aamirhydkhan1 - 05-11-2021, 07:32 PM



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