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Adultery मजे - लूट लो जितने मिले
#17
मजे - लूट लो जितने मिले


तीसरा अध्याय

तीसरा अध्याय - आपा और दूसरी बीबी के साथ सुहागरात



भाग 2



मैं अपनी दो बीवियों के साथ सुहागरात मना रहा था. बड़ी वाली पिछली रात अपनी सील तुडवा चुकी थी, अब छोटी बीवी ने भी अपनी नाथ उतरवा ली थी ! अब पढ़िए उसके बाद कैसे मैंने दोनों को एक साथ चोदा l


तभी सारा बोली "आमिर किसका इंतज़ार कर रहे हो, ज़रीना को फिर से चोदो।"

ज़रीना ने धीरे से कहा "हाँ आमिर... मुझे चोदो ना... अब रहा नहीं जाता।"

मैंने ज़रीना को अपनी बांहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। मैं ज़रीना को पागलों की तरह चूमने लगा और बोला "मेरी ज़रीना, मैं पहली झलक में ही तुम्हारा तो दीवाना हो गया था।"

मैं उसके ऊपर लेट कर उसके बूब्स से खेलने लगा और धीरे-धीरे उन्हें भींचने लगा। ज़रीना कि सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। मैं उसके निप्पलों को अपने दांतों से दबाने लगा। कभी ज़ोर से भींच लेता, तो वह उछल पड़ती।

उसकी बांहें मेरी पीठ को सहला रही थीं और वह मुझे भींच रही थी। मैं थोड़ा नीचे खिसका और उसकी जांघों के बीच आकर उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल देता और जोर-जोर से चूसता।

जैसे ही मैं और ज़ोर से उसकी चूत को चाटने लगा, ज़रीना पागल हो गई "ओह आमिर! ... ये क्या कर रहे हो, आज तक ऐसा मज़ा नहीं आया, हाय अल्ला मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। हाँ जोर-जोर से चाटो।"

वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।

मैंने ज़रीना के घुटनों को मोड़ कर उसकी छाती पर कर दिया, जिससे उसकी चूत का मुँह ऊपर को उठ गया और अच्छी तरह दिखायी देने लगा। उसकी चूत का मुँह छोटा-सा था। मैं अपनी जीभ जोर-जोर से उसकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा।

"ओह आमिर" इतना कहते हुए ज़रीना दूसरी बार झड़ गई। मैं रस पीने लगा।

कुछ ही पलों में जरीना फिर से गरम हो गई, ज़रीना गिड़गिड़ाने लगी "ओह आमिर, अब और मत तड़पाओ, अब सहा नहीं जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो प्लीज़।"

जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा तो वह डरते हुए बोली "आमिर... धीरे-धीरे डालना, मुझे तुम्हारे लंबे लंड से डर लगता है।"

सारा कि तरफ़ हँस कर देखते हुए मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। मैंने जानवर बनते हुए कहा "तुम्हारा मतलब ऐसे?"

"ओह मर गई, तुम बड़े बदमाश हो। जब मैंने धीरे से डालने को कहा, तो तुमने इतनी ज़ोर से क्यों डाला, दर्द हो रहा है" उसने तड़पते हुए कह दिया एक ही सांस में।

"सॉरी डार्लिंग, तुम चुदाई में नयी-नयी हो, तो मैं समझा तुम मज़ाक कर रही हो, क्या ज़्यादा दर्द हो रहा है?" यह कहकर मैं अपने लंड को अन्दर बाहर करने लगा।

"ओह आमिर... बहुत मज़ा आ रहा है, अब और मत तड़पाओ, जोर-जोर से करो, आह आमिर आज मुझे पता चला कि असली चुदाई क्या होती है, हाँ राजा ज़ोर से चोदते जाओ, ओह मेरा पानी निकालने वाला है, हाँ ऐसे ही।" ज़रीना उत्तेजना में चिल्ला रही थी और अपने कूल्हे उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी।

सारा ने सच कहा था, ज़रीना कि चूत वाकयी में कसी-कसी थी। ऐसा लग रहा था कि मैं उसकी गांड ही मार रहा हूँ। मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था और अब मेरा भी पानी छूटने वाला था।

अचानक उसका जिस्म थोड़ा थर्राया और उसने मुझे ज़ोर से भींच लिया। "आमिर मेरी चूत गई..."।

ये कहकर वह निढाल हो गई। मैंने भी दो तीन धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत निकलना चाहा, पर तभी सारा बोली "पहली बार तुम्हारा पहला मिलन था, इसलिए मैंने नहीं रोका, अब इस माल पर मेरा और सिर्फ़ मेरा हक़ है।"

उसने मेरे लंड को लगभग खींचते हुए अपनी चूत में घुसेड़ लिया और लगी धक्के लगाने। मैंने भी उसे दबोचा और कस कर धक्के लगते रहे और फिर सारा के अन्दर अपना माल छोड़ दिया।

हम दोनों की सांसें तेज चल रही थीं। हम तीनों थक कर लेटे हुए थे।

सारा बोली "तुम ज़रीना से मज़े लेते रहो।"

मैं एक हाथ से ज़रीना और दूसरे से सारा के चूचे सहलाने लगा और सारा को किस करने लगा।

कुछ देर में ज़रीना बोली "ये अच्छी बात है, आमिर मुझे फिर से चोदो।"

ज़रीना ने ये कहकर एक बार फिर मुझे अपने ऊपर घसीट लिया।

उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए अपना चेहरा मेरी तरफ़ बढ़ाया। मैं भी उसकी ओर बढ़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये। उसने मेरे चेहरे को कस कर पकड़ते हुए अपने होंठों का दबाव मेरे होंठों पर कर दिया और चूसने लगी। हम दोनों के मुँह खुले और दोनों की जीभ आपस में खेलने लगी। हम दोनों की सांसें उखड़ रही थी।

वो सिसकी "ओह आमिर!"

मैं भी सिसका "ओह ज़रीना!"

वो नशीली आवाज़ में बोली "आमिर मुझे एक बार और किस करो ना!"

मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूसने लगा। अब हम लोग धीरे से खिसकते हुए सोफ़े पर, फिर ज़मीन पर लेट गए थे। मैं उसके ऊपर अधलेटा हुआ था। अपने हाथ से उसके मम्मे सहला रहा था और ज़ोर से भींच रहा था।

वो मादकता में बोली "ओह आमिर, कितना अच्छा लग रहा है।"

"ओह ज़रीना... तुम कितनी सुंदर हो, तुम्हारा बदन कितना प्यारा है!" यह कहकर मैं उसके मम्मे चूसने लगा और बीच-बीच में उसके निप्पल को दांतों से काट रहा था।

उसके मुँह से सिसकरी निकल रही थी, "आमिर ये क्या कर डाला तुमने, बहुत अच्छा लग रहा है, हाँ किये जाओ।"

मैं उसे चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ रहा था। उसकी प्यारी चूत बहुत ही अच्छी लग रही थी। उसकी चूत बिल्कुल साफ़ थी। मैं उसकी चूत को चाटने लगा। मैंने ज़ोर लगाया, तो वह और ज़ोर से सिसकने लगी।

जैसे ही मैं अपनी जीभ उसकी चूत के छेद पर रगड़ने लगा, उसने मेरे सर को ज़ोर से अपनी चूत पर दबा दिया। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा। ज़रीना ने ज़ोर से सिसकारी भरी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।

ज़रीना ने मेरे बाल पकड़ कर मुझे उसके ऊपर कर लिया और बोली "आमिर मुझे चोदो, आज मेरी चूत को फाड़ दो, मुझे अपना बना लो।"

मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर पूछा "ज़रीना, तुम वाकयी और चुदवाना चाहती हो?"

वो उत्तेजना में चिल्लायी "हाँ ... अब देर मत करो और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, फाड़ दो मेरी चूत को!"

मैं अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा। उसकी चूत बहुत ही टाइट थी। फिर थोड़ा-सा खींच कर एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी-उसकी चूत में जड़ तक समा गया।

"ओह ... बहुत दर्द हो रहा है आमिर।" वह दर्द से चिल्ला उठी और उसकी आंखों में आंसू आ गए।

उसकी आंखों के आंसू पौंछते हुए मैंने कहा "डार्लिंग, अब चिंता मत करो, जो दर्द होना था, वह हो गया, अब सिर्फ़ मज़ा आएगा।"

इतना कहकर मैं उसे चोदने लगा। मेरा लंड उसकी चूत के अन्दर बाहर हो रहा था।

करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा। वह भी अपनी कमर उछाल कर मेरे धक्के का साथ देने लगी। उसकी सिसकरियाँ बढ़ रही थीं "हाँ आमिर... ज़ोर जोर से करो, ऐसे ही करते जाओ, बहुत अच्छा लग रहा है, प्लीज़ रुकना नहीं, आह और ज़ोर से, लगता है मेरा छूटने वाला है।" और वह झड़ गयी।

मुझे अभी अपने लंड में तनाव लग रहा था। मुझे सारा याद आ गयी इसलिये मैं अपने लंड को ज़रीना कि चूत से निकालने जा रहा था कि वह बोली "क्या कर रहे हो? निकालो मत, बस मुझे चोदते जाओ।"

उधर से सारा कि आवाज़ आयी "हिम्मत ना करना उसके अन्दर निकालने की, अपना लंड निकालो और मेरी चूत में डाल दो और मुझे चोदो और बस चोदते जाओ और अपना सारा पानी मेरी चूत में डाल दो। अपनी सारा कि प्यासी चूत की साऱी प्यास बुझा दो।"

यह कहकर उसने लंड फिर निकाला और मैं नीचे लेट गया और वह मेरे ऊपर चढ़ गयी। वह उछल-उछल कर चुदवाने लगी। मैंने भी अपनी गांड उठा कर उसका साथ दिया और सारा ने अपनी स्पीड बढ़ा दी।

उसका शरीर कंपकंपाया "ओह आमिर! चोदो, लगता है मेरा छूटने वाला है।"

वो ज़ोर से चिल्लायी और वैसे ही मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।

हम दोनों काफ़ी थक चुके थे। जब मेरा मुरझाया लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया, तो मैंने उसकी बगल में लेट कर सिगरेट जला ली।

ज़रीना ने कहा "आमिर बहुत मज़ा आया, आज मैं लड़की से औरत बन गयी।"

मैंने जवाब दिया "हाँ ज़रीना! काफ़ी मज़ा आया।"

मैं उसके मम्मे और चूत दोनों सहला रहा था, जिससे मेरे लंड में फिर गरमी आ गयी थी।

जैसे ही उसका हाथ मेरे खड़े लंड पर पड़ा वह चिहुँक उठी "आमिर ये तो फिर तन कर खड़ा हो गया है, इसे फिर से मेरी चूत में डाल दो।"

"हाँ रानी! मैं भी मरा ज़रा जा रहा हूँ, तुम्हारी चूत है ही इतनी प्यारी" यह कह कर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कस कर चोदने लगा। थोड़ी देर में सारा भी आ कर मुझे चूमने लगी और मेरे निप्पल पर दांत मारने लगी।

मैं कराहने लगा, वह बोली "हमें एक साथ चोदो।"

मैं एक हाथ से ज़रीना और एक हाथ से सारा के निप्पल दबाने लगा। वह दोनों मेरे नीचे थीं। फिर मैं नीचे पीठ के बल लेट गया और सारा कि चूत को अपने मुँह पर खींच लिया। वह मेरे मुँह पर बैठ गयी। मैंने उसकी चूत चूसनी शुरू कर दी। मेरे हाथ उसके चूचे खींच रहे थे। फिर ज़रीना भी उठी और मेरे लंड के ऊपर बैठ गयी, धीरे-धीरे मेरा लम्बा लंड उसकी चूत में समां गया। वह कराहने लगी और फिर धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी।

जैसे सारा थोड़ी देर पहले उछल-उछल कर मेरे लंड को चोद रही थी, वैसे ही जरीना भी चुदने लगी।

दस मिनट तक यह दौर चला। तब तक ज़रीना एक बार झड़ चुकी थी, पर मेरा लंड तो जैसे मानने को तैयार ही ना था। सच में मैं जन्नत में था और मेरी दोनों दुल्हनें मस्त मजे ले रही थीं।

थोड़ी देर बाद सारा उलटी घूम गयी और ज़रीना को किस करने लगी और उसकी चुचि सहलाने लगी। ज़रीना भी उसकी चूचियों को चूसने लगी।

कुछ देर तक यह दौर चला, फिर दोनों झड़ गईं और मेरा लंड और मुँह उनके पानी से भीग गया। दोनों निढाल हो गयी थीं। मेरा लंड अभी भी ज़रीना के अन्दर ही था।

फिर सारा मुझसे बोली "अब इसे घोड़ी बना कर चोदो। तुम पीछे से अपना लंड डालना।"

मैंने वैसा ही किया। मैंने उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से पकड़ रखा था और दे दनादन... अपना लंड उसकी चूत में दिए जा रहा था। इस दौरान मैंने महसूस किया कि ज़रीना भी अपनी कमर आगे पीछे कर मेरा सहयोग कर रही थी और पूरे मजे ले रही थी।

दस मिनट तक ऐसे ही चला। तब तक ज़रीना फिर एक बार झड़ चुकी थी, पर मेरा लंड तो जैसे मानने को तैयार ही ना था।

मैंने ज़रीना से लंड निकाल कर सारा को घोड़ी बना कर उसकी चूत में लंड घुसा डाला। पांच मिनट दे दनदना दन करने के बाद जैसे मेरी आंखों में नींद-सी भर आई और मेरे लंड ने वीर्य की एक जोरदार पिचकारी सारा कि चूत में छोड़ दी और मैं निढाल होकर बिस्तर पर लेट गया।

सुबह होने लगी थी। मैं दोनों के बीच में लेट गया, मैं जन्नत में था। मेरे बगल में दो-दो हूरें थीं।

मेरे मुँह से सिर्फ इतना ही निकला:

गर फिरदौस बर रूये ज़मी अस्त l
हमी अस्तो हमी अस्तो हमी अस्त ll
(धरती पर अगर कहीं जन्नत है, तो यहीं है, यहीं है, यही हैं)

वे दोनों मुझसे सांप के जैसी लिपट गईं. मैं दोनों को चूमता रहा और उनका बदन सहलाता रहा. फिर हम तीनों चिपक कर देर तक सोते रहे।



कहानी जारी है।

 



आमिर


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RE: मजे - लूट लो जितने मिले - by aamirhydkhan1 - 05-11-2021, 05:57 AM



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