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Adultery दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध
#13
दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध

UPDATE 12


दुबारा कोशिश


सुल्तान परवेज अपमानित था और इसके कारण गुस्से में था और उसे इस काले योद्धा के लिए सुल्ताना की स्पष्ट वासना को देख कर जलन हुई।उसका अहंकार चूर चूर हो गया था।

रफ़ीक ने सुल्ताना की ओर मुड़ते हुए, गर्व से कहा, "तुम अपने इस बेकार शोहर के लिए नहीं बनी हो अब वक़्त आ गया है कि तुम्हे वह मिले जिसकी तुम हक़दार हो। अब मैं आपको दिखाता हूँ कि एक असली आदमी आपके लिए क्या कर सकता है।"

फिर अपमान और दर्द से तड़पते हुए सुल्तान परवेज ने रफ़ीक को अपनी बीबी सुल्ताना के पास जाते हुए देखा। उसकी आँखे ने रफ़ीक के बदसूरत चेहरे का पीछा किया।

सुल्ताना बोली "ओह! तुम एक सेक्स के देवता की तरह हो। मैं तुम्हें चाहती हूँ," और उसने हांफते हुए रफ़ीक के कंधे पकड़ लिए और उसे अपने पास खींच लिया और उसके ओंठ चूमने लगा। इस समय सुल्तान परवेज चारो रानिया, रफीक और रक़्क़ीनी वैरवी सभी बिलकुल नंगे थे । सुल्तान परवेज नंगे रफ़ीक को अपनी नंगी बीबी को चुंबन करते हुए नहीं देख सका और उसने चेहरा नीचे झुका लिया तो उसकी नजरे रफ़ीक के लंड पर चली गयी और उसके लिए सबसे ज्यादा डराने वाली बात यह थी कि रफ़ीक का बड़ा काला लंड सुल्ताना की तंग गुलाबी अवधी फुद्दी के ठीक पास था। सुल्तान परवेज जानता था कि एक बार सुल्ताना ने उस बड़े काला लंड का अनुभव कर लिया, तो वह फिर कभी सुल्तान परवेज के छोटे से उपकरण के लिए उसके पास वापस नहीं आएगी। अब वह सिर्फ लड़ाई नहीं हारा है बल्कि तीन रातों में तीन सुंदरियों के साथ चुदाई करने के मौके के इलावा वह अपनी बीबी को भी खो चूका है।

फिर सुल्तान परवेज ने ये सोचा की वह रक़्क़ीनी वैरवी की घोषणा के अनुसार रफ़ीक को फिर ललकार कर एक बार दुबारा कोशिश करे और उसने अपने बादशाह और उस्तादों को याद किया और यह महसूस करते हुए कि वह वास्तव में किसके लिए लड़ रहा था, उसने अपनी पूरी ताकत झोंक दी।

तभी रफीक ने सुल्ताना से कहा ओह! सुल्ताना तुम बहुत अच्छी हो। तुमने मुझे बहुत बढ़िया चुंबन किया है और इसके बदले मैं आपके उल्लू सुल्तान पति को अभी मुझसे लड़ने के लिए एक और मौका दे रहा हूँ। अगर वह जीतता है तो पहले वाले इनाम के अतिरिक्त मैं उसे अपने सभी 4 पत्नियों में से वह जिस एक के साथ चाहे एक रात गुजारने का मौका भी दूंगा और फिर से सुल्ताना को चूमने लगा ।

यह सुनकर सुल्तान परवेज ने अपना सिर उठाया और अपनी सारी ताकत इकट्ठी कर ली और रफीक को चुनौती दी "मेरी पत्नी को छोड़ दो और आओ मेरे साथ लड़ो, हरामजादे रफ़ीक!"सुल्तान परवेज ने रफ़ीक को गाली दी और उसने अपना फाइटिंग पोज़ ले लिया।

रफीक ने धीरे से सुल्ताना को चुंबन करना छोड़ दिया और फिर युद्ध के लिए नियत स्थान पर पहुँच गया। वह परवेज को बोला उल्लू सुलतान पहले तो तू पिटाई से बच गया था अब फिर से पिटने के लिए तूने मुझे ललकारा है ।

एक बार फिर दोनों योद्धा आमने-सामने हो गए। इस बार भी दोनों बिल्कुल नंगू थे। पिछली बार की तुलना में उनके शरीर के बीच का अंतर और भी अधिक स्पष्ट था। बड़ा काला और मांसल रफीक छोटे गोरे और अवधी साहिब सुल्तान के लगभग विपरीत दिख रहा था और फिर जो सबसे शानदार था, वह उनके लिंगों के बीच का अंतर था। रफीका का बड़ा काला औरत को सुख देने वाला डरावना, काला और विशाल था। इसकी तुलना में सुल्तान परवेज का छोटा गुलाबी अंग एक छोटे लड़के की लुल्ली जैसा लग रहा था।

जहाँ रफीका का शानदार लंड एक विशाल शक्तिशाली सांप जैसा दिखता था, वहीं सुल्तान परवेज का बौना गोरा लिंग, और अंगूर के आकार का सिकुड़ा हुआ खिलौना, बारिश में निकलने वाले कमजोर केंचए जैसा दिखता था।

सुल्तान परवेज ने खुद को समझाया की अब उसे पता लग चूका है कि उसका प्रतिद्वंद्वी मल-युध या कुश्ती में पारंगत था और सुल्तान परवेज के लिए सबसे अच्छा दांव अब वार से लड़ना और कुश्ती से बचना होगा। इस प्रकार तर्क करते हुए, सुल्तान परवेज ने रफीक पर हमला किया और अपने सीखे हुए कुछ वार रफ़ीक पर किये, जिससे उसे कुछ लाभ हासिल हो और वह इस मुक़ाबले को जल्दी से समाप्त कर जीत जाए। दुर्भाग्य से सुल्तान परवेज के लिए यह एक बहुत बड़ी गलती थी क्योंकि रफीक यही चाहता था। रफीक का मजबूत काला कसरती ढांचा, जन्मजात कठोरता के साथ, जो उसे उसके श्रमिक पूर्वजों से हजारों वर्षों के विकास के माध्यम से विरासत में मिला था और फिर उसने अपने स्वयं के वर्षों के कठिन अभ्यास से उसने खुद को मजबूत किया था। रफ़ीक ने आसानी से सुल्तान परवेज के कमजोर वारो को अवशोषित कर लिया और ऐसा लगा जैसे सुल्तान परवेज ने उसके बदन से मिटटी झाडी हो ।

रफ़ीक जोर से हसा और बोला सुलतान एक बार फिर कोशिश करो ... मुझे अच्छा लगा की तुममे अब भी लड़ाई का जज्बा बाकी है । अब थोड़ी ताकत ज्यादा लगाना । और अपने छाती पर हाथ मार कर कुछ बची हुई मिटटी भी झाड़ दी । रफ़ीक के ऐसा करने से जो आवाज हुई वह सुल्तान परवेज द्वारा जब वार किये गए थे उससे भी तेज थी ।

फिर से सुल्तान परवेज ने रफ़ीक पर हाथ चलाये, एक बार जब सुल्तान परवेज ने अपनी ताकत समाप्त कर ली, तो रफीक ने जवाब दिया, पहले सुल्तान परवेज के आखिरी कुछ हमलों को अपने हाथो से रोक दिया।

रफीक हंसा और बोला बहुत बढ़िया आओ मुझ पर वार करो, सुल्तान।

रफीक ने फिर गुर्राते हुए कहा, "उल्लू सुलतान आज मैं तुम्हें पेशाब-खोर बनाने जा रहा हूँ।"

फिर रफ़ीक ने सुल्तान परवेज पर दक्षिण भारतीय मार्शल आर्ट कलारी पट्टू के तेज वार किए जिससे सुल्तान परवेज़ को पता चला कि उसका विरोधी केवल कुश्ती ही नहीं, बल्कि कलारी पट्टू की मार्शल आर्ट में भी अच्छी तरह प्रशिक्षित और पारंगत था!

जारी रहेगी



आमिर

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RE: दिल्ली में सुलतान और रफीक के बीच युद्ध - by aamirhydkhan1 - 05-11-2021, 05:35 AM



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