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अंतरंग हमसफ़र
#81
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 33

चकाचक माल की दावत.





मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 32 से उद्धृत :

इस आनंदमय यौन सम्बंध को लम्बा करने के लिए, मैं उसे जितना संभव हो सके उतना गतिहीन और कठोर हो कर उसके ऊपर लेटा रहा, मैंने उसे वास्तव में खुद को चुदवाने दिया, ताकि उसकी उग्र हरकतें उसे और उत्तेजित करें और उसे जल्दी से चरम उत्कर्ष की और बढ़ जाये और ऐसा ही हुआ, और वह जल्द ही तनाव में आ गई और खुद को उसने तेजी से ऊपर की ओर उछालते हुए ओह, माय डार्लिंग!... माय डार...लिंग बोलते हुए उसने उत्साहपूर्वक स्खलन किया ।


उसकी योनि के कामुक तरकश के संकुचन और तेज झटको ने मुझे भी बहुत उत्तेजित कर दिया । पर मैंने खुद को थोड़ा नियंत्रित किया और जब स्खलन के बाद उसके आनंद की ऐंठन कम हो गयी और उसमे रोमांच कम हो गया तो मैंने उसे मजे ले-ले कर धीरे-धीरे चोदने लगा। लेकिन यौन जुनून, कामुक उत्तेजना और वासना का एक और चक्रवात मिलि के शरीर में उठा और फिर से उसने मेरे नीचे हिलना और उछलना शुरू कर दिया। फिर उसने अपनी पीठ ऊपर उठा ली और फिर उसका सिर उसकी इच्छाओं के उत्साह में एक तरफ से दूसरी तरफ लुढ़क गया।

अब मैं अपने आप को नियंत्रित नहीं कर पा रहा था। मैंने उसकी जम कर तेजी से चुदाई की। मिलि ने खुद को पागलों की तरह ऊपर की ओर झटकते हुए मेरे हर धक्के का जवाब दिया। फिर दोनों के अंदर एक चक्रवात आया और फिर परमानंद में मैंने मिली के अंदर स्खलन किया और मिली ने आनंद के सबसे कामुक कम्पन के साथ उत्साही स्खलन करते हुए मेरे वीर्य की उबलती हुई श्रद्धांजलि प्राप्त की।

अब आगे:-

कुछ देर के लिए हम दुनिया भूल एक दुसरे की बाहो में खो गए, हम एक-दूसरे की बाँहों में कसकर बंधे थे-फिर धीरे-धीरे हमारे होंठ कोमल चुंबन में मिले और फिर मैंने धीरे-धीरे मेरे लंड को मिलि की योनी से बाहर निकाला। लिली और एमी।सपना और अन्य सभी लड़कियाँ उस पर गिर गईं और उसे जोश से चूमने लगी । फिर लिली ने मिली के कान में कुछ फुसफुसाया और तुरंत मिली उठ गई और मुझ पर एक प्यार भरी नज़र से देखते हुए वह लड़कियों के साथ टॉयलेट में चली गई। मैं भी अपने कमरे में चला गया और जल्दी से सबसे आवश्यक और स्वागत योग्य शेव की और्व फिर गर्म पानी से स्नान किया; फिर मैंने अपनी रात की पोशाक संकेत के रूप में पहन ली कि अब आज रात के लिएआराम का समय हो रहा है।

जब सब टॉयलेट से वापिस कमरे में लौट आयी तो मिली ने कोमलता से मुझे चूमा और बोली आपका बहुत धन्यवाद दीपक! ओह, तुम्हारे साथ हमने कितने मजे किये हैं और तुम भी हम सब के साथ कितने अच्छे रहे हो! और अब मेरे प्यारो याद रखना प्यार के इस खेल में आराम का पूरा महत्त्व है इसलिए अब सोने और आराम का समय हो गया है। सपना प्रिय! आप कृपया रुकें! सबको शुभ रात्रि ताकि हम सब कल फिर इस खेल को जारी रखें ।

मैं भी अपने कमरे में चला गया और अन्य सब लड़किया भी अपने कमरों में आराम करने चली गयी ।

लगभग पंद्रह मिनट बाद मिली ने चुपचाप मेरा दरवाजा खोला और धीरे से कहा, 'दीपक!' और मैं फौरन उसके कमरे में चला गया। वह अभी भी अपनी नाइटी में थी; मैंने उससे इसे उतारने के लिए विनती की और फिर से वह नग्न हो मेरे सामने खड़ी हो गई। मैंने उसके बिस्तर की ओर इशारा किया और जल्द ही हम उस पर कंधे से कंधा मिलाकर लेट गए, मेरा बायाँ हाथ उसके चारों ओर था जबकि मेरा दाहिना हाथ उसके स्तनों के साथ थोड़ा-सा खेलकर उसकी योनी के पास चला गया।

फिलहाल मैंने उसका हाथ थाम लिया और धीरे से उसे अपने लंड पर ले गया, जो अभी अर्ध जागृत था। एक प्यारी-सी मुस्कान के साथ वह उसके साथ खेलने लगी, कभी उसे सहलाने, कभी दुलार करने, मेरी गेंदों को महसूस करने लगी, जाहिर तौर पर वह ऐसा करके प्रसन्न थी। कहने की जरूरत नहीं है कि मेरे लंड में जीवन लौटने के लक्षण दिखने लगे थे और जल्द ही यह फिर से उचित तौर पर कड़ा और बड़ा और गया था।

'क्यों दीपक! तुम फिर से तैयार हो!'

'हाँ जान! आपका धन्यवाद!' मैं कृतज्ञता के चुंबन करते हुए बड़बड़ाया-'और तुम?'

मिली पहले शरमायी, फिर कामुकता से झुंझलायी क्योंकि मेरी उंगली उसकी योनी के गर्म और नम अंदरूनी हिस्से में फिसल गई थी अब कोई जवाब आवश्यक नहीं था क्योंकि उसकी आँखें उसकी उत्तेजना का वर्णन कर रही थी। मेरी लंड अब पूरा कठोर हो चूका था।

वो बोली धन्यवाद आप बाद में एक साथ दे देना अभी आपको एक कार्य पूरा करना है । आज हमारे मिलने के उपलक्ष्य में और इस मौके को ख़ास और यादगार बनाने के लिए आज आपको एक कुंवारी का कौमार्य भेदन करना है । और वह आपका इन्तजार मेरे साथ वाले कमरे में कर रही है ।

दुसरे कमरे में एक लड़की साडी लपेटे सर पर हल्का-सा घूंघट करके खड़ी थी मैं लपक कर उसके पास गया और अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए. मेरी भूखी नज़रें उस पर जमी हुई थीं। लगता था कि मैं उसे अपनी आँखों से ही खा जाना चाहता हो। वह उसे लम्पटता से घूरते हुए मिली से बोला, "मिली मेरी किस्मत खुल गई. ऐसा जबरदस्त कुंवारा माल तुमने अब तक कईं छुपा रखा था अब मैं इस चकाचक माल की दावत उड़ाऊंगा।"

मैंने उस लड़की के होंठों पर और गालो पर ऊँगली फिराते हुए कहा, "ओह, कितने नर्म हैं, फूल जैसे! और गाल भी इतने चिकने!" उसने मेरी आँखों को उसके मलाईदार पके दिखने वाले स्तनो के मांस पर महसूस किया। वह अपने निपल्स को सख्त होते हुए महसूस कर रही थी।

मेरा हाथ उनके पूरे चेहरे का जुगराफिया जानने की कोशिश कर रहा था। पूरे चेहरे का जायजा लेने के बाद मैंने उसका घूंघट उठा दिया तो देखा ये तो सपना है । मैंने उसे अपनी अंगूठी तोहफे के तौर पर दी और फिर मेरा हाथ उसके गले और कंधे पर फिसलता हुआ उनके सीने पर पहुँच गया। मैंने आगे झुक कर अपने होंठ उसके गाल से चिपका दिए और अपनी जीभ से पूरे गाल को चाटने लगा। साथ ही मेरी मुट्ठी सपना के उरोज पर भिंच गई. सपना डर रही थी कि मैं उसके स्तन को बेदर्दी से दबाऊंगा पर मेरी मुट्ठी का दबाव न बहुत ज्यादा था और न बहुत कम।

जारी रहेगी

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[*]मजे - लूट लो जितने मिले


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#82
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 34

सपना का कौमार्य भंग


मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 33 से उद्धृत :


दुसरे कमरे में एक लड़की साडी लपेटे सर पर हल्का-सा घूंघट करके खड़ी थी मैं लपक कर उसके पास गया और अपने दोनों हाथ उनकी कमर पर रख दिए. मेरी भूखी नज़रें उस पर जमी हुई थीं। लगता था कि मैं उसे अपनी आँखों से ही खा जाना चाहता हो। वह उसे लम्पटता से घूरते हुए मिली से बोला, "मिली मेरी किस्मत खुल गई. ऐसा जबरदस्त कुंवारा माल तुमने अब तक कईं छुपा रखा था अब मैं इस चकाचक माल की दावत उड़ाऊंगा।"

मैंने उस लड़की के होंठों पर और गालो पर ऊँगली फिराते हुए कहा, "ओह, कितने नर्म हैं, फूल जैसे! और गाल भी इतने चिकने!" उसने मेरी आँखों को उसके मलाईदार पके दिखने वाले स्तनो के मांस पर महसूस किया। वह अपने निपल्स को सख्त होते हुए महसूस कर रही थी।

मेरा हाथ उनके पूरे चेहरे का जुगराफिया जानने की कोशिश कर रहा था। पूरे चेहरे का जायजा लेने के बाद मैंने उसका घूंघट उठा दिया तो देखा ये तो सपना है । मैंने उसे अपनी अंगूठी तोहफे के तौर पर दी और फिर मेरा हाथ उसके गले और कंधे पर फिसलता हुआ उनके सीने पर पहुँच गया। मैंने आगे झुक कर अपने होंठ उसके गाल से चिपका दिए और अपनी जीभ से पूरे गाल को चाटने लगा। साथ ही मेरी मुट्ठी सपना के उरोज पर भिंच गई. सपना डर रही थी कि मैं उसके स्तन को बेदर्दी से दबाऊंगा पर मेरी मुट्ठी का दबाव न बहुत ज्यादा था और न बहुत कम।


अब आगे :

मैंने धीरे से सपना के होंठो को चूमा, मेरे चूमते ही सपना सिहरने लगी फिर मैंने धीरे से उसे अपनी बाहों में लिया और उनके होंठो पर चूमना और अपनी जीभ से गीली चटाई शुरू कर दी। सपना सिहरकर मुझसे लिपट गयी थी और उसकी चूचीयाँ मेरे सीने से दब गयी थी।

मैंने उसे होठों पर कोमलता से चूमा और मेरी जीभ उसके मुंह में घुस गई, मेरी जीभ ने उसे जितना सोचा था उससे कहीं अधिक उत्तेजित किया था-और मेरी जीभ ने उसे और अधिक उत्तेजित कर दिया। सपना अपने आप को इस कामुकता में खोना चाहती थी जो उसके शरीर के हर रोमकूप में फैल रहा था। वह मेरे साथ नग्न रहना चाहती थी और मुझसे अविश्वसनीय चीजें करना चाहती थी। वह मेरे साथ और मेरे साथ वह सब करना चाहती थी जो उसने कभी किसी पुरुष के साथ करने का सपना देखा था।

फिर मैंने उत्तेजना में उन्हें जकड़कर अपनी बाहों में मसल डाला। तो सपना ने कहा कि मास्टर धीरे करो बहुत दर्द होता है। फिर मैंने गालों पर अपनी जीभ फैरनी चालू कर दी और फिर उनके ऊपर के होठों को चूमता हुआ, उनके नाक पर अपनी जीभ से चाट लिया। अब सपना उत्तेजित हो चुकी थी और सिसकारियाँ भरती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी। अब में उनके चेहरे के मीठे स्वाद को चूसते हुए उनकी गर्दन को चूमने, चाटने लगा था और मेरे ऐसा करते ही वह सिसकारी लेती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी। मैंने उसकी साडी उसके स्तनों के ऊपर से हटा दी उसने चोली नहीं पहनी हुई थी। उसके मांसल बूब्स दबाने से वह सिहरने, सिकुड़ने और छटपटाने लगी थी। उफ़फ्फ़! अल्लाह ने उसे क्या खूबसूरती से बनाया था? अब मेरा लंड तनकर पूरा खड़ा हो गया था और उसका सुडोल, चिकना, गोरा बदन, मेरी बाहों में सिर्फ़ साड़ी में था। मैंने साडी खींची तो उसने चूतड़ ऊपर उठा दिए और फिर साडी भी मैंने निकाल दी मैंने आगे बढ़कर अपने एक हाथ को सपना के नंगे बदन पर फेरना शुरू किया।

मेरे दोनों हाथ उसकी पीठ पर थे। मैने सपना को इसी स्थिति में प्यार से भींच लिया और उसने भी दोनों बाहें मेरी पीठ पर लेजाकार मुझे ज़ोरों से कस लिया। ऐसा करने से उसकी उत्तेजना थोड़ी कम हुई और उसने अधखुली आँखो से मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा।

बूब्स के उभार से होते हुए उसका हाथ सपना की पतली कमर और नाभि पर होते हुए उसकी चूत तक गया। फिर आगे झुककर मैंने सपना के निपल्स को चूसना शुरू कर दिया।

एक निपल के बाद फिर मैं दूसरे निपल को चूस रहा था और उसके बूब्स को दबा भी रहा था। मैंने जल्दी ही उसके दोनों बूब्स को गीला कर दिया था। इस बीच एक हाथ से सपना की चूत को अपनी उंगलियो से रगड़ता भी जा रहा था। फिर मैंने अपना मूह सपना के होंठो की तरफ किया।

अब होंठो को किस करते हुए उनके मुँह का स्वाद और उनके थूक का मीठा और सॉल्टी टेस्ट मुझे मदधहोश कर रहा था। अब उनकी आहें भरने की सेक्सी आवाज़ मेरे लंड के लिए एक वियाग्रा की गोली का काम कर रही थी। फिर वह उत्तेजना से सिसकारी भरते हुए बोली मास्टर मुझे मसल दो, मुझ पर छा जाओ, में मदहोश हूँ, मुझे अब और मत तड़पाओ, आओ मेरे राजा मेरी प्यास बुझा दो। मैंने सोचा कि अब देर करना उचित नहीं है और उसके गले कंधो और डटनो और फिर पेट की अपनी जीभ से ही चुदाई कर डाली, सपाट पेट, लहराती हुई कमर, गहरी नाभि और बूब्स पर तनी हुई निपल्स, आँखे अधमुंदी चेहरा और गला मेरे चाटने के कारण गीला और शेव्ड हल्के ब्राउन कलर की चूत, केले के खंभे जैसी जांघे और गोरा बदन।

उस रात मेरे हाथ हर जगह थे, मैं उसे धीरे से छूने और उसे और अधिक उत्तेजित करने लगा और फिर मेरे होंठ और यहाँ तक कि मेरी जीभ भी वहीं चली गई।

वह मह्सूस कर सकती थी कि मैं अब और धैर्य नहीं रखूंगा। जब मैंने उसके बड़े, गोल स्तनों को अच्छी तरह से देखा सहलाया और मैंने उसके सख्त, गुलाबी निपल्स को देख अपने होंठ चाटते हुए देखा। उसे लगा मैं उसे खा जाऊंगा।

मैंने एक हाथ उसके जाँघे के बीच के क्षेत्र के त्रिकोण पर खिसका दिया। मेरी उंगलियाँ हिली और उसने तुरंत प्रतिक्रिया दी, अपना सिर पीछे फेंक दिया और हांफने लगी। मैंने अपना सिर झुका लिया और सपना के मुंह को अपने मुंह से ढक लिया। उसका शरीर तनावग्रस्त हो गया और उसके कूल्हे हिल गए।

फिर मैं सपना की टाँगो की तरफ आया और उसके दोनों पैर चौड़े कर उसकी चूत को खोला। फिर अपने होंठ उसकी चूत के होंठो पर रख दिए और अपने होंठो में सपना की चूत के होंठो को भर-भर कर चूसा। मैने अपनी झीभ उसकी चूत पर चलानी शुरू करदी और एक हाथ आगे लाकर अंगूठे से उसके भज्नासे (क्लाइटॉरिस) तो सहलाना शुरू कर दिया।

अपनी ज़ुबान को सपना की चूत की दरार में चला कर मज़े लिए. अपनी ज़ुबान को सपना की चूत के छेद में डाल कर अंदर बाहर करते हुए थोड़ी देर चोदता रहा। उसका शरीर ज़ोर से एक बार कांपा और उसके बाद काँपता चला गया। मेरा मुँह उसकी चूत पर चिपका हुआ था। फिर वह मेरी जीभ की मस्त चटाई में ही झड़ गई 2-3 झटकों के साथ उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया जिसे मैं चाट गया। सपना ने अपनी टाँगें ज़ोर से भींच लीं और मैं उसकी बगल में लेट गया। सपनां मुझसे लिपट गयी ओर मेरी छाती से शुरू होकर मेरे मुँह तक किस करती चली गयी।और मेरे बालों को कसकर पकड़कर मेरे होठों को चूसने लगी।

सिसकती हुई सपना को देख कर मेरा लंड और भी ज़्यादा फड़फड़ाने लगा। मेरे से और इंतेजार नहीं हुआ और वह चढ़ गया सपंना के उपर।

मेरा लंड सपना की ष्हुत से छू गया और लंड से चूत को और छाती से छाती। मिल गयी मैंने अपनी छाती पर उसके मुलायम से बूब्स को दबा दिया ।

फिर में उठकर उनकी जाँघो के बीच में आ गया और अपने मुँह में उनकी निपल्स लेते हुए अपनी एक उंगली उनकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा, लेकिन उनकी टाईट चूत बहुत सख्त और तंग थी और मेरी कोशिश पर वह चीखने लगती थी, लेकिन बड़ी मुश्किल से मेरी 1-2 उंगली उनकी चूत में अंदर जा पाई।

फिर मैने उसकी टाँगें उठा कर ऊपेर कर दी और उनके बीच में आ गया। मैने कहा के सपना अब तुम्हें हिम्मत से काम लेना होगा पहले पहल थोड़ा दर्द होगा जो तुम्हे सहना होगा और उसके बाद ही तुम्हे स्वर्ग का आनंद भी मिलेगा और मैं पूरी कोशिश करूँगा के दर्द कम से कम हो पर होगा ज़रूर, मेरी बात समझ रही हो ना।

फिर मैंने सपना से कहा कि एक बार दर्द होगा, आप बर्दाश्त कर लो फिर तो सारी जिंदगी मस्ती से चुदना। अपना ने अधखुली आँखों से मेरी तरफ देखते हुए सहमति में अपनी पलके बंद खोल कर अपनी सहमति दी मैने उसकी टाँगें चौड़ी करते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर टीका दिया और उस पर रगड़ने लगा। फिर मैंने उसे चूमते हुए और बूब्स दबाते हुए अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर सेट किया और उनको चूमता चाटता रहा। फिर थोड़ा-सा दबाव डाला और मेरे लंड का सुपरा उसकी चूत के मुँह पर अटक गया। मैने अपना एक हाथ पूरा खोल कर उसके पेट के नीचे ऐसे रखा के मेरा अंगूठा उसके भग्नासे को दबा रहा था।

मेरा लंड जो कि अब पूरा लंबा मोटा और कड़क हो गया था, फंनफना कर सपना की चूत में घुसने की कोशिश करने लगा था। फिर बड़ी मुश्किल से मेरा लंड 2 इंच अंदर घुसा ही था कि सपना की चीख निकल पड़ी, मास्टर आईईईईईईईई! दर्द उउउउइईईईईई! दर्द हो रहा है और उनकी चीख से में और मदहोश हो गया और उनकी हथेलियों को अपनी हथेली से दबाते हुए उनकी चूत पर एक ज़ोर का शॉट मारा और मेरा लंड 2 इंच अंदर घुस गया। अब दर्द से दोहरी सपना चीखने छटपटाने लगी थी। फिर मैंने उसकी चीखों की परवाह किए बिना एक ज़ोर का धक्का और मारा तो मेरा फनफनाता हुआ लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ 5 इंच अंदर घुस गया।

धीरे से उन्हें सहलाने लगा और चूमने लगा और अपना लंड 2 इंच बाहर निकालकर फिर से एक ज़ोर का शॉट मारा तो मेरा लंड उसकी चूत की झिल्ली को चीरता हुआ चूत की जड़ में समा गया। फिर में उसे चोदता रहा।

फिर 10 मिनट की बेरहम चुदाई के बाद जब उसकी चीखे कम हुई और सिसकारी में बदलने लगी तो मैंने अपना लंड आधा बाहर कर लिया और अंदर बाहर करने लगा। फिर सपना ने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और झड़ गयी और मुझे चूमने लगी। फिर मैंने उसकी जमकर धुनाई करते हुई चुदाई की और उसको 3 बार और झड़ाने के बाद अपना रस उसकी चूत में ही डाल दिया।

जारी रहेगी
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#83
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 35

पहली चुदाई के बाद का दुलार.



मेरे अंतरंग हमसफ़र -अब तक की कहानी का सार; मैं अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था

मेरी कहानिया "झट शादी पट सुहागरात-1-4" में पढ़ा कैसे मेरी सहयोगी प्रीती दुल्हन बन कर सुहागरात मनाने को तैयार हो गयीl उसके बाद मेरी और मेरे घर की देखभाल करने वाली रोज़ी और रूबी मिली और मेरी सभी प्रेमिकाओ और उनकी चुदाई के बारे में पूछने लगीl मैंने उसे बताया किस तरह मैं रोज़ी और रूबी से मिला और कैसे मेरी और रोज़ी की पहली चुदाई हुई l फिर उसके बाद रूबी को चोदाl हमारे गाँव के प्रवास के आखिरी दिन जंगल में हमने ग्रुप सेक्स और मेरे फूफेरे भाइयो बॉब और टॉम के साथ प्रेमिकाओ की अदला बदली का कार्यक्रम बनाया l वहाँ रोज़ी की सहेली टीना की पहली चुदाई की। फिर छोटे योनि के छेद वाली मोना को मैंने चोदा। रोज़ी मेरे साथ शहर आ गयी। उसके बाद मेरी बुआ और उनकी तीन बेटियों लंदन से दिल्ली हमारे घर आये।

मेरा दोनों बहनो रोज़ी और रूबी के साथ हमारा पहला थ्रीसम हुआl वहाँ मेरी बुआ भी अपनी तीनो बेटिया जेन लूसी और सिंडी के साथ छुट्टिया बिताने आयी थी। अगले दिन सुबह मेरी सबसे बड़ी फूफेरी बहन जेन ने जंगल में पेड़ो के नीचे हरी घास के मैदान पर अपना कुंवारापन मुझे समर्पित कर दिया l दूसरी बुआ के बेटी अलका और जेन का रात को मेरे साथ सोने का कार्यक्रम बन गया। मैंने बॉब और जेन के साथ मिल कर अपनी बाक़ी फूफेरी बहनो को भी प्यार मुहब्बत और मजो की हसीं दुनिया में ले जाने का प्लान बनाया l उसी रात में अलका मेरे पास आयी और मैं उसका कौमर्य भंग कर दिया l अगले दिन अलका की सहेलिया रुखसाना और हुमा एक हफ्ते के लिए रहने आयीl सब लड़किया तालाब पर नहाने गयी और हम तीनो वहाँ पेड़ पर छुपे हुए थे l लड़किया नग्न हो कर मस्तिया करने लगी और फिर हम वहाँ कूद पड़े और उनके सेक्स ने नए-नए खेल रचाये l सबने आशा अम्मा से मिल कर छोटी बुआ, बड़ी बुआ और फूफा का सारा माजरा जाने का प्लान बनाया l

जब हम वापिस आये तो वहाँ दोनों बुआ और फूफा जी वापिस आ गए थे और तीनो बहुत खुश थेl सबने आशा अम्मा से मिल कर छोटी बुआ, बड़ी बुआ और फूफा का सारा माजरा जाना l उसके बाद में बॉब रुखसाना के लिए बहुत बेकरार था तो उसको रुखसाना का नंबर दिलवाया और फिर रुखसाना को बॉब के साथ संसर्ग करने के लिए जेन की मदद से मना लिया


किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया और उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा। मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।

कुछ देर बाद पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा। मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया! मेरा लंड एक बार फिर झड़ने के बाद कठोर ही रहा और उसे देख लिली थोड़ा आश्चर्यचकित हुई और मैंने उसने अपने ऊपर आने के लिए उत्साहित किया। हुमा भी घण्टे की आवाज़ से जग गयी थी और मुझे ढूँढते हुए लिली के कमरे में पता नहीं कब आ गयी थी लिली की चुदाई देखने के बाद हुमा भी मेरे साथ चिपक गयी। फिर मैंने हुमा और लिली की रात भर चुदाई की। अगले दिन लिली बोली अब तुम्हे मेरी दोनों बहने भी चाहती हैं और तुम्हे उन्हें भी चोदना होगा। दीपक मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मेरी बहनें मिली सबसे बेहतरीन महिला हैं और एमी बहुत कमसिन है। मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उत्तर दिया मैं अपने आप को पूरी तरह से आपको समर्पित करता हूँ और आपकी सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ूंगा और हमने उसकी कार से हवाई अड्डे के लिए प्रस्थान किया।'

कार में मैं मिली की बगल में बैठा उसे निहार रहा था और यह वास्तव में बहुत सुंदर थी, मैंने उसकी पतली कमर ने अपनी बाहों डाल कर उसे कसकर गले से लगा लिया, उसे चूमा और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में धकेल दिया और मुझे उसकी झांटों के बीच योनि के नंगे होंठ महसूस किये। मैंने मिली को एयरपोर्ट से घर के रास्ते के बीच में ही चोद दिया।

घर में मिली मुझे खींच कर अपने कमरे में ले गयी।अगले कुछ ही पलो में हम दोनों चुंबन करते हुए नग्न हो गए और बिस्तर में एक दुसरे के साथ गुथम गुथा हो गए। उसके बाद तय हुआ एमी के कौमार्य भंग करने का कार्यक्रम कल रात के लिए रखा गया और आज रात मैं लिली और मिली को समर्पित की जायेगी।

अंत में जब तय समय हो गया तो मैं उठा और मिली के कमरे में गया और फिर मिली, लिली और एमी को चुंबन किया। फिर नंगी मिली को अपनी घुटनों पर बिठा कर उसके कांपते हुए ओंठो पर चुंबन किया। फिर मैंने सपना को अपने पास बुलाया और मैंने उसकी पीली नीली पोशाक की टॉप को उसकी कमर तक फाड़ दिया। इसके स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा।उसकी गर्म गुलाबी योनि को बहुत सहलाया और उसका सौंदर्य निरिक्षण किया और सपना को उसके स्थान की तरफ जाते हुए मैंने उसके नितम्बो के गालों को बारी-बारी से तनावग्रस्त और ढीले होते हुए देखा।

उसके बाद हुमा चुनी गयी और मैंने उसके पकडे निकाले और चुकी वो मुझ से झगड़ कर और नाराज होकर चली गयी तो मुझे लगा उसे दण्डित किया जानना चाहिए। मैंने हुमा को हलकी से सजा दी और उसे माफ़ कर दिया।मिली ने अपने सेक्स ज्ञान का मुझे थोड़ा सा नमूना दिया तो मैंने उसे तुरंत अपना सेक्स गुरु बना लिया।

मिली में मेरा प्रक्षिक्षण शुरू करते हुए अपने होठं मेरे होठ से लगा दिये और किस किया और बोली तुम तो बहुत ही अच्छी किस करते हो दीपक। मैं तो सोच रही थी तुमको किस करने की भी ट्रेनिग देनी पडेगी लेकिन ऐसा लगता इसकी कोई जरूरत नहीं है। फिर वो बोली अब तुम पहले लिली के साथ मजे ले लो फिर तुम्हारा प्रशिक्षण जारी रहेगा। मिली ने मेरे साथ एक लम्बा और गहरा गर्म चुंबन किया और फिर बोली तुम एक हीरे हो जिसे मैं ट्रैन करके पोलिश कर के चमका दूँगी ।फिर लिली ने मेरा लुंगी में से मेरा लंड निकाल लिया और उसे चूसा।

मैंने हुमा, लिली, सपना और मिली जो की पूरी तरह से नग्न थी उन चारो को अगले आदेश तक फिल्मफेयर अवार्ड ट्रॉफी की डांसिंग लेडी की मुद्रा में खड़े रहने के लिए कहा। "घट कंचुकी" मैंने लिली के सामने आकर उसके गुलाब के फूल जैसा मुँह और चेरी जैसे ओंठो को किस किया मानो मैं किसी बेहद खूबसूरत बुत को प्यार कर रहा हूँ। उसके बाद मैंने लिली को चोदा। एमी और बाकी तीनो कुंवारी लड़कियों ने पहली बार चुदाई साक्षात देखी थी। फिर मैंने लंड की साफ़ किया और कुछ खा पि कर ऊर्जा प्राप्त करअगले सत्र की तयारी की और मैं तरोताजा महसूस कर रहा था।


फिर मैंने हुमा को घोडी बना कर पीछे से चोदा और उसके बाद लंड बाहर निकाल कर लड़कियों को पुरुष का स्खलन कैसे होता है दिखाया।फिर मिली ने ऊँगली और मेरे लंड के जादू का अनुभव किया । फिर मिली ने मुझे सपना की पहली चुदाई के लिए अपने कमरे में बुलाया। उसके बाद मैंने सपना की पहली चुदाई करके उसका कौमार्य भंग किया ।

मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 34 से उद्धृत ::

मेरा लंड जो कि अब पूरा लंबा मोटा और कड़क हो गया था, फंनफना कर सपना की चूत में घुसने की कोशिश करने लगा था। फिर बड़ी मुश्किल से मेरा लंड 2 इंच अंदर घुसा ही था कि सपना की चीख निकल पड़ी, मास्टर आईईईईईईईई! दर्द उउउउइईईईईई! दर्द हो रहा है और उनकी चीख से में और मदहोश हो गया और उनकी हथेलियों को अपनी हथेली से दबाते हुए उनकी चूत पर एक ज़ोर का शॉट मारा और मेरा लंड 2 इंच अंदर घुस गया। अब दर्द से दोहरी सपना चीखने छटपटाने लगी थी। फिर मैंने उसकी चीखों की परवाह किए बिना एक ज़ोर का धक्का और मारा तो मेरा फनफनाता हुआ लंड उसकी चूत को फाड़ता हुआ 5 इंच अंदर घुस गया।

धीरे से उन्हें सहलाने लगा और चूमने लगा और अपना लंड 2 इंच बाहर निकालकर फिर से एक ज़ोर का शॉट मारा तो मेरा लंड उसकी चूत की झिल्ली को चीरता हुआ चूत की जड़ में समा गया। फिर में उसे चोदता रहा।

फिर 10 मिनट की बेरहम चुदाई के बाद जब उसकी चीखे कम हुई और सिसकारी में बदलने लगी तो मैंने अपना लंड आधा बाहर कर लिया और अंदर बाहर करने लगा। फिर सपना ने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और झड़ गयी और मुझे चूमने लगी। फिर मैंने उसकी जमकर धुनाई करते हुई चुदाई की और उसको 3 बार और झड़ाने के बाद अपना रस उसकी चूत में ही डाल दिया।


अब आगे :

मैंने सपना की पहली चुदाई करते हुए जो अंतिम कुछ धक्के मारे जिन के कारण मैं हांफने लगा और धीमे से कराहता हुआ चरमोत्कर्ष पर पहुँच गया-मेरी उत्तेजना सपना ने अनुभव की और लंड की धड़कन ने उनकी योनि को सूचित किया और सपना पीड़ा और दर्द के बावजूद, उसकी स्त्री प्रकृति ने खुद को मुखर किया और वह भी मेरे साथ ही अपने चरमोत्कर्ष तक पहुँच गई, फिर हम दो प्रेमियों ने कूल्हों और शरीरों की एक छोटी, ऐंठन के साथ एक दुसरे को दबाते हुए स्खलन किया जिसके बाद हम दोनों आपस में लिपट गए।

कुछ ही देर में मैंने खुद को सपना के शरीर से खुद को उठा लिया, उसका सिर पीछे की ओर लुढ़का हुआ था, उसकी आँखें बंद थीं, मुश्किल से साँस ले रही थी; हालाँकि, उसका दिल उस अत्यधिक परिश्रम से आक्षेप से धड़क रहा था और उस आंनद को वह अनुभव कर रही थी जिससे वह अभी-अभी गुज़री थी।

मैंने अपने आधे ढीले लंड को बाहर निकाला तो वह वीर्य, योनि रास और कौमार्य के भांग करने के कारण जो रक्तस्राव हुआ था उसे भीग हुआ था । मिली के हाथ बेडसाइड टेबल पर रखे एकरूमाल तक पहुँचे और उसने मेरे लंड को साफ किया और फिर उसे लड़की की जाँघों के बीच रख कर उसेभी धीरे-धीरे साफ़ कर दिया ताकियोनि से बहने वाला मिश्रित शुक्राणु और खून बिस्तर के कपड़ों पर दाग ना लगा दें। मैं उसकी बगल में लेट गया, उसे अपनी बाहों में पकड़कर, उसे कोमलता से चूमा। एक पल में उसने अपनी आधी आँखें खोलीं और मैंने उसे आश्वस्त करते हुए कहा कि वह जल्दी ही ठीक हो जाएगी।

"आपको कैसा लग रहा है?" मैंने पूछताछ की।

"ओह, ठीक है, मास्टर; मुझे दर्द हो रहा है, लेकिन मुझे लग रहा है कि मैं ठीक हूँ। हालांकि मुझे ऐसा लग रहा है कि मेरी योनि को चीर दिया गया है।"

"ओह, तुम ठीक हो जाओगी, मेरी प्यारी सपना," मैंने कहा। "कल तक तुम्हें कुछ भी महसूस नहीं होगा। आप पहले जैसे ही हो जाओगी। आपको मजा तो आया? मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ?"

"ओह, मास्टर, तुम बहुत प्यारे हो," उसने जवाब दिया, मेरे गले में अपना चेहरा दबाते हुए, उसकी युवा बाहें मेरे कंधों के चारों ओर घूम गयी और उसने अपने शरीर को मेरे शरीर के साथ कसकर दबा दिया था।

ऐसा कहा जाता है कि कोई भी लड़की अपने पहले पुरुष को जो उसके साथ संभोग करता है कभी नहीं भूलती है, हो सकता है उसे इस कौमार्य भंग होने की प्रक्रिया में जो दर्द हुआ है उसके कारण वह मुझे माफ नहीं कर पाए, लेकिन वह मुझे नहीं भूलेगी ये पक्का है।

मैंने पुछा सपना क्या मैंने आपको बहुत दर्द दिया?

तो सपना बोली हाँ मास्टर शुरू में जब आपने प्रवेश किया तो दर्द तो बहुत हुआ था । परन्तु मुझे इस दर्द से कभी न कभी तो गुजरना ही था और फिर जब दर्द कम हो गया तो मुझे आपके साथ बहुत मजा आया ।

हालांकि सपना काफी दर्द भरे अनुभव से गुजरी थी, लेकिन आखिरी छोटे घंटे में उसका गुप्त नारीत्व पूरी तरह से जागृत हो गया था और अब वह काली से फूल बन गयी थी और पर्दा उठा दिया गया था और वह अब प्रकृति के कई रहस्यों के बारे में प्रबुद्ध थी; उसने अपने बगल लेते हुए मेरे अंदर के पुरुष के प्रति उस स्नेह को महसूस किया जो कई महिलाएँ उन पुरुषों के लिए महसूस करती हैं जिन्हे वह अपना सर्वस्व मानती हैं और अब मैं उसके साथ जैसा मैं चाहता था वैसा कर सकता था।

नग्न सपना मेरे साथ लिपटी हुई थी। मेरा बायाँ हाथ उसके चारों ओर था जबकि मेरा दाहिना हाथ उसके प्यारे स्तनों के साथ थोड़ा-सा खेलकर उसकी योनी के पास चला गया और मैं उसे चूमने लगा और वह भी मुझे चूमने लगी । सपना उठी तो मैंने उसे कहा सपना थोड़ी देर आराम कर लो । उसने फिर बभी उठने का प्रयास किया अपर उठ नहीं पायी और फिर आधी मूर्छा में चली गयी।

मिली का हाथ ने धीरे से मेरी लंड पर आ गया, जो अभी भी आधा खड़ा था। लंड उसके स्पर्श से निष्क्रियता से जाग गया। एक प्यारी-सी मुस्कान के साथ वह उसके साथ खेलने लगी, कभी उसे सहलाने, कभी दुलार करने और कभी मेरी गेंदों को महसूस करने लगी और जाहिर तौर पर वह ऐसा करते हुए प्रसन्न थी। कहने की जरूरत नहीं है कि मेरे लिंग में जीवन लौटने के लक्षण दिखने लगे थे और जल्द ही यह फिर से पूरा कठोर हो गया।

'क्यों दीपक! तुम तो फिर से तैयार हो!' मिली ने खेलना जारी रखा और साथ में वह प्रशंसा में फुसफुसा रही थी।

'हाँ जान! आपका धन्यवाद! आपके सहयोग से ही मुझे सपन की कुंवारी चूत चोदने का आनद मिला है' मैं कृतज्ञता के साथ बड़बड़ाया और उसे चुंबन किया।

सपना की आँखे बंद थी और आधी मूर्छा आधी नींद की हालत में वह मुझसे लिपट गई और मुझे अपनी बाँहों में खींच लिया। वह अभी भी पूरी तरह से नग्न थी, जैसे ही मैंने लड़की के होठों पर चुंबन किया और उसे अपनी बाहों में निचोड़ लिया, वह जाग गई और महसूस किया कि उसे ऐसे दबाने वाला उसका साथी उसका प्रेमी है जिसने उसका कौमार्य भनग किया है, वह मेरे करीब आ गई और एक बार फिर उसकी बाधित नींद में जाने के लिए तैयार हो गई।

मैंने उसकी पतली नग्न कमर के चारों ओर अपनी बाहों को धीरे से घुमाया, चिकने, लोचदार, नंगे मांस की अनुभूति में और उसके दिव्य रूप को अपनी जलती हुई नग्नता के करीब से दबाते हुए, मैंने उसके चेरी जैसे होठों पर जोश से चूमा। इन तूफानी दुलारों के कारण, सपना ने अपनेी आँखों को खोल दिया, और मेरी वासना को भांपते हुए, मेरे कुचलने वाले आलिंगन से बचने के लिए बिस्तर पर बेचैनी से पीछे होने की कमजोर कोशिश की। उसका पहली बार चुदाई करवाने का जुनून पहले ही तृप्त हो चुका था और इसके अलावा, उसे अपना कौमार्य खोने का दर्दनाक अनुभव याद था और अब भी उसकी योनि का घाव कुछ कच्चा था और हमारे पहले संभोग के दौरान प्राप्त खिंचाव और घर्षण से योनि दर्द से धड़क रही थी और फटे ऊतक अभी भी काफी दर्द कर रहे थे।

"नहीं, नहीं, अब आप सोना मत," मैं बोला। "मुझे अपनी प्यारी प्रेमिका को महसूस करने और दुलार करने की अनुमति दी जानी चाहिए। मैं जानना चाहता हूँ कि आप कितनी बुरी तरह घायल हुई हैं। जिस तरह से आपने पहले संभोग के दौरान दर्द महसूस किया था, तो मुझे उम्मीद थी आप काफी देर तक नींद में रहेंगी लेकिन आप खुशी से गर्म और गुलाबी-गाल के साथ बहुत प्यारी लग रही हैं। आओ, मैं देखता हूँ कि कितना नुकसान हुआ है!" मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर पर से हटाकर उसकी जाँघों के बीच में सरका दिया ।


जारी रहेगी
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#84
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 37

वीसा साक्षात्कार




आपने मेरी कहानी मेरे अंतरंग हमसफ़र में अब तक पढ़ा:

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया और उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा। मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।

कुछ देर बाद पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा। मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया! मेरा लंड एक बार फिर झड़ने के बाद कठोर ही रहा और उसे देख लिली थोड़ा आश्चर्यचकित हुई और मैंने उसने अपने ऊपर आने के लिए उत्साहित किया। हुमा भी घण्टे की आवाज़ से जग गयी थी और मुझे ढूँढते हुए लिली के कमरे में पता नहीं कब आ गयी थी लिली की चुदाई देखने के बाद हुमा भी मेरे साथ चिपक गयी। फिर मैंने हुमा और लिली की रात भर चुदाई की। अगले दिन लिली बोली अब तुम्हे मेरी दोनों बहने भी चाहती हैं और तुम्हे उन्हें भी चोदना होगा। दीपक मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मेरी बहनें मिली सबसे बेहतरीन महिला हैं और एमी बहुत कमसिन है। मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उत्तर दिया मैं अपने आप को पूरी तरह से आपको समर्पित करता हूँ और आपकी सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ूंगा और हमने उसकी कार से हवाई अड्डे के लिए प्रस्थान किया।'

कार में मैं मिली की बगल में बैठा उसे निहार रहा था और यह वास्तव में बहुत सुंदर थी, मैंने उसकी पतली कमर ने अपनी बाहों डाल कर उसे कसकर गले से लगा लिया, उसे चूमा और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में धकेल दिया और मुझे उसकी झांटों के बीच योनि के नंगे होंठ महसूस किये। मैंने मिली को एयरपोर्ट से घर के रास्ते के बीच में ही चोद दिया।

घर में मिली मुझे खींच कर अपने कमरे में ले गयी।अगले कुछ ही पलो में हम दोनों चुंबन करते हुए नग्न हो गए और बिस्तर में एक दुसरे के साथ गुथम गुथा हो गए। उसके बाद तय हुआ एमी के कौमार्य भंग करने का कार्यक्रम कल रात के लिए रखा गया और आज रात मैं लिली और मिली को समर्पित की जायेगी।

अंत में जब तय समय हो गया तो मैं उठा और मिली के कमरे में गया और फिर मिली, लिली और एमी को चुंबन किया। फिर नंगी मिली को अपनी घुटनों पर बिठा कर उसके कांपते हुए ओंठो पर चुंबन किया। फिर मैंने सपना को अपने पास बुलाया और मैंने उसकी पीली नीली पोशाक की टॉप को उसकी कमर तक फाड़ दिया। इसके स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें सहलाने लगा।उसकी गर्म गुलाबी योनि को बहुत सहलाया और उसका सौंदर्य निरिक्षण किया और सपना को उसके स्थान की तरफ जाते हुए मैंने उसके नितम्बो के गालों को बारी-बारी से तनावग्रस्त और ढीले होते हुए देखा।

उसके बाद हुमा चुनी गयी और मैंने उसके पकडे निकाले और चुकी वो मुझ से झगड़ कर और नाराज होकर चली गयी तो मुझे लगा उसे दण्डित किया जानना चाहिए। मैंने हुमा को हलकी से सजा दी और उसे माफ़ कर दिया।मिली ने अपने सेक्स ज्ञान का मुझे थोड़ा सा नमूना दिया तो मैंने उसे तुरंत अपना सेक्स गुरु बना लिया।

मिली में मेरा प्रक्षिक्षण शुरू करते हुए अपने होठं मेरे होठ से लगा दिये और किस किया और बोली तुम तो बहुत ही अच्छी किस करते हो दीपक। मैं तो सोच रही थी तुमको किस करने की भी ट्रेनिग देनी पडेगी लेकिन ऐसा लगता इसकी कोई जरूरत नहीं है। फिर वो बोली अब तुम पहले लिली के साथ मजे ले लो फिर तुम्हारा प्रशिक्षण जारी रहेगा। मिली ने मेरे साथ एक लम्बा और गहरा गर्म चुंबन किया और फिर बोली तुम एक हीरे हो जिसे मैं ट्रैन करके पोलिश कर के चमका दूँगी ।फिर लिली ने मेरा लुंगी में से मेरा लंड निकाल लिया और उसे चूसा।

मैंने हुमा, लिली, सपना और मिली जो की पूरी तरह से नग्न थी उन चारो को अगले आदेश तक फिल्मफेयर अवार्ड ट्रॉफी की डांसिंग लेडी की मुद्रा में खड़े रहने के लिए कहा। "घट कंचुकी" मैंने लिली के सामने आकर उसके गुलाब के फूल जैसा मुँह और चेरी जैसे ओंठो को किस किया मानो मैं किसी बेहद खूबसूरत बुत को प्यार कर रहा हूँ। उसके बाद मैंने लिली को चोदा। एमी और बाकी तीनो कुंवारी लड़कियों ने पहली बार चुदाई साक्षात देखी थी। फिर मैंने लंड की साफ़ किया और कुछ खा पि कर ऊर्जा प्राप्त करअगले सत्र की तयारी की और मैं तरोताजा महसूस कर रहा था।

फिर मैंने हुमा को घोडी बना कर पीछे से चोदा और उसके बाद लंड बाहर निकाल कर लड़कियों को पुरुष का स्खलन कैसे होता है दिखाया।फिर मिली ने ऊँगली और मेरे लंड के जादू का अनुभव किया । फिर मिली ने मुझे सपना की पहली चुदाई के लिए अपने कमरे में बुलाया। उसके बाद मैंने सपना की पहली चुदाई करके उसका कौमार्य भंग किया । उसके बाद जब सब सोने चले गए तो सपना चुपके से मेरेकमरे में मेरे पास आयी और मेरे से लिपट गयी और हमने एक बार फिर चुदाई की


मेरे अंतरंग हमसफ़र , चतुर्थ अध्याय भाग 36 से उद्धृत :


'ओह, कुमार! मैं खुद को रोक नहीं सकती वो लगभग बेहोशी में बड़बड़ाई, फिर अचानक उसकी सांस तेज चलने लगी, उसकी आँखें आधी बंद हो गईं और उसके अंदर एक कम्पन उठा जिससे वो कांपने लगी। वो स्वयं ही अपने चार्म पर पहुंची और जब मैंने उसके नितम्बो को कोमलता से थपथपाया। फिर उसने अपनी नम आँखें मेरी ओर उठाईं, और फुसफुसाते हुए मुझे उत्साह से चूमने लगी 'ओह, कुमार वह बहुत अच्छा था! अब मैं चुप रहूँगी, एक अच्छी लड़की बनूँगी औरआपकी बात मानूंगी!' और फिर से उसने स्वेच्छा से मेरे साथ चिपक गयी । मैंने अपने हाथों को उसके नीचे से उसके स्तनों पर स्थाले गया और उसके स्तनों को प्यार से सहलाया क्योंकि वे मेरे सेने पर टिके हुए थे, और फिर हम थोड़ी देर के लिए चुप हो गए।

कुछ देर बाद वह मेरे कान में फुसफुसायी, कुमार आपका आज क्या कार्यक्रम है? मुझे लगता है आज आपको एमी के पास जाना चाहिए!

क्या उसने तुमसे कुछ कहा है?

'नहीं,! 'सपना ने उत्तर दिया, 'लेकिन मुझे यकीन है कि वह चाहती है कि आप... उसे चोदें, प्रिय! पहले लिली औअर फिर मिली और फिर मुझे आपकी बाँहों में देखकर वो बहुत उत्तेजित हो गयी है -तुम्हें उसके सवाल सुनने चाहिए थे जब हम मेरे कमरे में थे.


अब आगे

मैंने कहा सपना तुम एमी के सवालों की चिंता मत करो. उसके हर सवाल का जवाब मैं हूँ. और फिर हमने काफी देर तक प्रेमपूर्ण चुंबन किये जिन्होंने उस आनंद की गवाही दी जिसे हमने पारस्परिक रूप से चखा था। 'अब मेरी जान, शुभ रात्रि!' उसने आखिरकार कुछ देर बाद कहा तो मैंने सपना को कोमलता से अपनी ओर खींचा। 'शुभ रात्रि, मेरे प्रिय, प्रिय कुमार!' वह बुदबुदाती हुई बोली और हमारे होठ फिर आपस में जुड़ गए और हमने एक-दूसरे को आलिंगन किया और मैंने उसे कहा -'ओह! सपना तुमने मुझे कितना मजा दिया है!' और उसने मुझे जोश से चूमा, फिर उठकर मेरे द्वार पर गई, और बोली कुमार आज अच्छे से सो जाओ आपको आराम की जरूरत है और यह मत भूलो कि कल तुम्हें एमी का कौमार्य भंग करना है!' मैं हँसा, उसे एक अंतिम चुंबन दिया और इस तरह हम अलग हो गए।

हम सब अगली सुबह नाश्ते पर मिले, लड़किया प्रसन्न दिख रही थीं; मिली और लिली के चेहरों पर प्रसन्नता का भाव था, जबकि एमी का चेहरा गुलाबी था और हुमा मेरी और ही देखे जा रही थी. रोज़ी शबनम, सपना और डेज़ी ने हमें नाश्ता परोसा ।नाश्ते के दौरान लिली ने घोषणा की एक खबर है जो की अच्छी और बुरी दोनों है ।दीपक का लन्दन जाने के लिए वीसा की अर्जी जमा कराने के लिए आज दोपहर 2 बजे का समय मिल गया है और मुझे वहां जाना होगा । हालाँकि मैं अब रोजी रूबी और मेरी इन सब महिला साथियो को छोड़ कर जाना नहीं चाहता था पर ये मेरे पिताजी का आदेश था और उन्होंने हो जल्दी वीसा साक्षात्कार की सारी व्यवस्था की थी इसलिए और कोई विकल्प नहीं था। मिली और लिली कुछ आवश्यक काम में व्यस्त थे। एमी ने स्वीकार किया कि वो आज खाली है लेकिन वो आज बाद में होनेवाले घटना कर्म के बारे में सोच कर थोड़ा घबराई हुई थी । मैं भी उत्सुक था ताकि मैं उसे समझ सकूं कि मैंने इस अवसर का लाभ उठाने के लिए मैंने सुझाव दिया कि मुझे इस साक्षात्कार के लिए एमी को अपने साथ ले जाना चाहिए । ताकि हम आपस में एक दुसरे से बाते कर सके और एक दुसरे को जान सके। साथ में हुमा और रोजी का जाना भी निश्चित हुआ ताकि वो हमारे सहायता कर सके । किसी को कोई आपत्ति नहीं थी और एमी मेरे साथ पहले डेट पर जाने के लिए त्यार होने चली गयी । वह हमारी पहली डेट थी।

हमने कार ली और वीसा साक्षात कार के लिए चल दिए । एमी मेरे साथ कार में थी और मैं उसके कान में धीरे से फुसफुसाया। थैंक यू एमी! मेरे साथ आने के लिए!

मेरे होंठ उसके कान को छू रहे थे और मैंने अपनी बाँह पीछे से डालकर उसे हल्के से आलिंगन में लिया हुआ था। इस रोमांटिक हरकत से एमी के बदन में कंपकपी दौड़ गयी और वो बहुत शरमा गयी। मुझे ऐसा लग रहा था कि जैसे वो एक कॉलेज की लड़की हो और मैं उसे उसकी पहली डेट पर ले जा रहा था ।

कार हुमा चला रही थी और रोजी उसके साथ आगे बैठी थी । हमारी टाँगें एक दूसरे से सटी हुई थीं । रास्ता काफी ख़राब था बीच बीच में सड़क टूटी हुई थी और झटके बहुत लग रहे थे और जब भी ऐसा कोई झटका लगता तो वो मेरी टाँगों को अपनी टांगो से छूने की कोशिश करती। उसका दिल जोरों से धड़क रहा था और मेरी भावनायें भी बिल्कुल वैसी ही थी जैसी अपनी गर्ल फ्रेंड को पहली डेट पर ले जाते समय होती हैं ।

वो मेरा हाथ पकड़े हुए थी और मैं उसकी पतली अंगुलियों से खेल रहा था। उसकी हथेली गरम महसूस हो रही थी और इससे मुझे और भी उत्तेजना आ रही थी। हम उस ऊबड़खाबड़ रोड में धीमे-धीमे आगे बढ़ रहे थे। एक सुनसान जगह देखकर मैंने एमी की ड्रेस के टॉप के अंदर हाथ डाल दिया और उसकी मुलायम चूचियों को सहलाने लगा।

मेरे दवरा प्यार से चूचियों को सहलाने से वो हलके से पहले चौंकी और फिर धीरे से मुस्कुरायी और धीरे से बोली प्लीज कुमार! रुको ये क्या कर रहे हो । कार में और लोग भी हैं. इतने में हम हाइवे पर आ गए और कार तेजी से भागने लगी ।

मैंने उसे धीरे से चूमा और बोला. इनकी चिंता मत करो ये हमारी सहायता के लिए हैं । कार की हर हलचल के साथ मैं धीरे से उसकी चूची को दबा रहा था और उसे इतना अच्छा लग रहा था कि उसने आँखें बंद कर ली और मेरी अँगुलियों को अपने टॉप के अंदर, अपने स्तनों के ऊपर घूमती हुई महसूस कर रही थी। मेरी अँगुलियाँ उसकी ब्रा के ऊपर से उसके निपल को ढूँढने की कोशिश कर रही थीं।

मैं - एमी तुमने अपने निपल्स कहाँ छुपा दिए? मैं उन्हें ढूँढ नहीं पा रहा।

उसने शरमाकर बनावटी गुस्से से मेरे हाथ पर प्यार से थप्पड़ मार दिया और मुझे किस करने लगी। अब उत्तेजना से मेरे कान गरम होने लगे थे। पर मैं कुछ और करता तब तक वीसा साक्षात्कार जहाँ होना था हम वहां पहुँच गए । मैं स्वागत कक्ष की तरफ गया और मालूम चला इसमें समय लगेगा तो साक्षात्कार कक्ष में सिर्फ प्रार्थी को ही प्रवेश की अनुमति थी मैंने रोजी, हुमा और एमी को रेस्टोरेंट में जाने को कहा और बोला मैं काम खत्म होने के बाद उनकी वहीँ मिलता हूँ और मैं वीसा साक्षात्कार कक्ष की तरफ़ बढ़ गया ।

मैं वहां बैठा अपनी बारी का इन्तजार कर रहा था और अपने कागज जांच रहा था तभी एक मीठी सी आवाज सुनाई दी. माफ़ कीजिये!

कहानी जारी रहेगी
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मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 38

पहली डेट





मैंने सर उठा कर देखा तो एक 35-40 साल की महिला जिन्होंने बुरका पहना हुआ था वह मुझे पुकार रही थी और बोली क्या में आपका पेन इस्तेमाल कर सकती हूँ।

मैं उनका चेहरा तो नहीं देख पाया क्योंकि उसने सर से पाँव तक बुरका पहना हुआ था और मुँह पर नक़ाब था परन्तु उनकी आवाज और हाथ से मुझे एहसास हुआ की वह बहुत ही खूबसूरत होगी । मैंने उन्हें पेन दिया तो मन में यही विचार आया की आप मेरा ये पेन नहीं दूसरा पेन भी इस्तेमाल कर सकती हैं।

फिर मोहतरमा ने मेरा पेन लिया और एक और मोहतरमा के पास चली गयी और वह भी बुर्क़े में थी । वह पेन ले कर गयी तो जिस के पास गयी उनसे पुछा की पेन कहा से ले कर आयी । तो पहले वाली मोहतरमा ने मेरी और इशारा किया । दूसरी मोहतरमा ने कुछ कागज साइन किये। इतने में उनका नंबर आ गया और वह मेरा पेन लेकर जल्दी से अंदर चली गयी।

खैर उनसे वहाँ फिर मुलाकात तो नहीं हुई क्योंकि फिर मेरा भी नंबर आ गया और उस दिन मेरा वीसा इंटरव्यू का काम जल्दी से निपट गया और मेरा पेन उन्ही मोहतरमा के पास रह गया।

मैं वापिस निकला तो वह दोनों भी कहीं नजर नहीं आयी और फिर मैं रेस्टोरेंट में गया और हमने लंच किया तो लगभग चार से ऊपर का समय हो गया। फिर हमने कुछ शॉपिंग की और इस बीच अचानक चारों तरफ़ बादल छा गए और अँधेरा जैसा हो गया और हवा तेज हो गई और आंधी आयी। तभी हलकी-हलकी बारिश की बूंदे पड़नी शुरू हो गयी और मौसम सुहाना हो गया।

तो हुमा बोली मौसम कितना सुहाना हो गया चलो कही घूमने चलते हैं।

मैंने कहा ठीक है नदी के किनारे चलते हैं और वहाँ नौका विहार करेंगे। तो एमी बोली मिली और लिली दीदी को भी बुलवा लीजिये। मैंने उन्हें भी फोन कर आमंत्रित किया तो उन्होंने खुशी से उस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और फिर जब बारिश रुकी तो हम नदी किनारे पर गए।

हम चारो के सिवा वहाँ कोई नहीं था। नदी किनारे काफ़ी घास उगी हुई थी और हरियाली थी और वहाँ ठंडी हवा चल रही थी। शाम हो गयी थी और सूर्य की रोशनी कम हो रही थी और हम नदी के किनारे घास पर चल रहे थे, बहुत ही रोमांटिक माहौल था।

वहाँ ठंडी हवा चल रही थी फिर हमने एक बड़ी नाव किराए पर ली। हमने वहा पर नाविक को बोला कुछ लोग और आएंगे। तो वह बोला हमउन्हें दुसरे नाव से आपके पास पहुँचा देंगे। जल्द ही हम नाव में थे और हम नदी में नौका विहार करने लगे।

मैंने पुछा-कैसा लग रहा है मैडम?

मैंने हुमा और एमी का हाथ पकड़ा हुया था। फिर मैंने हुमा को अपनी बाँहों में भर लिया। वह मेरी चौड़ी छाती और मज़बूत कंधों से मैं होश खोने लगी और मैंने भी उसे मजबूती से अपने आलिंगन में कस लिया। मैं उसके बदन पर अपने हाथ फिराने लगा और मेरे चेहरे को उसके चेहरे पर रगड़ने लगा। वह बहुत उत्तेजित हो गयी और मेरे होठों को चूमना चाहती थी।

मेरे चूमने से पहले ही अपनी सारी शरम छोड़कर मेरे होठों का चुंबन ले लिया। तुरंत ही मैं भी उसके होठों को चूमने लगा और लार से उसके होंठ गीले हो गये। मैं हुमा के होठों का रस अब निचोड़ लेना चाहता था। जब मेरे होंठ कुछ पल के लिए अलग हुए तो हुमा बुरी तरह हाँफने लगी।

मेरे चूमने से और बाद में बदन पर हाथ फिराते देख एमी भी उत्तेजित हो गयी थी और उधर हुमा भी सिसकारियों भरते हुए मेरा नाम ले रही थी। उसकी टाँगें काँपने लगी तो मैंने अपनी मज़बूत बाँहों ने उसे थामे रखा।

हुमा का टॉप काफी ढीला था इसलिए उसकी चूचियों का ऊपरी हिस्सा साफ़ दिख रहा था।

मैंने अपना मुँह उसकी स्तनों की दरार (क्लीवेज) पर लगा दिया और उसकी चूचियों के मुलायम ऊपरी हिस्से को चूमने और चाटने लगा। वह उत्तेजना से पागल-सी हो गयी। उसने भी मौका देखकर अपने दाएँ हाथ से मेरी पैंट में खड़े लंड को पकड़ लिया।

मेरे मोटे लंड को पैंट के बाहर से हाथ में पकड़कर हुमा ने ज़ोर से सिसकारी ली। मैंने पैंट की ज़िप खोलने में मदद की। लंड अंडरवेअर में खम्बे की तरह खड़ा था। वह अंडरवियर के बाहर से ही खड़े लंड को सहलाने लगी। फिर मैंने उसकी चूचियों से मुँह हटा लिया।

वो कुछ समझ नहीं पाई की क्या हुआ। उसकी बड़ी क्लीवेज दिख रही थी और एक हाथ में उसने मेरा लंड पकड़ा हुआ था। उसने मेरी तरफ देखा ऑटो पाया मैं नदी के किनारे की ओर देख रहा है और एक नाव हमारी तरफ़ आ रही थी।

अब मेरा ध्यान एमी की तरफ गया उसने एक छोटी-सी स्कर्ट पहनी हुई थी जिससे उसके सुंदर सुडौल टाँगे और सुंदर पतले टखने मुझे दिखाई दे रहे थे, उसने मुझे देखते हुए देखा तो उसने अपनी ड्रेस को पुन: समायोजन का प्रयास किया-लेकिन इससे उसकी कमर और नाभि दिखने लगी।

मैं खुलकर जोर से हंसा और कहा, 'ठीक है, एमी आज तुम अपनी खूबसूरती दिखाने के मामले में इतनी कंजूस क्यों हो गयी हो, जब तुम कल रात तुम मेरे पर महरबान थी और आज रात फिर से वैसी ही बनने जा रही हो!'

एमी का रंग लाल हुआ और गहरे लाल रंग में रंगी, फिर बहुत भ्रम में थोड़ा-सा मुस्कुरायी और बोली, 'हमे स्थान और परिवेश पर विचार कर ही आचरण करना चाहिए. प्रिय-मुझे पूरा यकीन है कि कल रात मैं जैसी थी उसे अब आप भी यहाँ इस समय वैसी मुझे पसंद नहीं करोगे । अभी ये नहीं होगा!' मैं फिर उसके पास गया और हम तीनो ने उसे घेरे में ले लिया और बोला जब हम नदी के बीच में पहुँचेगे तो आपको पोषक बदलने का अवसर मिलेगा जो पोशाक हमने आज आपके लिए खरीदी हैं आप उन्हें आजमा सकती हैं! '

मैंने नाविक से कहा हमारे मित्र दूसरी नाव से आ रहे है आप हमें घने पेड़ों के अंत तक ले जाओ। 'जल्द ही हमने खुद को एक शानदार जगह में पाया जहाँ घने पेड़ो का झुरमुट था और पूर्ण गोपनीयता थी। नाविक ने नाव में लंगर डाल दिया ताकि नाव बहाव में बह न जाए। फिर मैं एमी की तरफ हुआ और उसे अपनी बगल में निचोड़ लिया और मेरी बाईं बांह को उसकी कमर के चारों ओर खिसका दिया।' यह बहुत रोमांटिक है! '

तभी वहाँ दूसरी नाव आ गयी और उसमे मिली, लिली, बाल सखी शबनम, लिली की सहायिका डेज़ी आ गयी और नाविक उस नाव में वापिस लौट गया और मैंने सबका स्वागत किया । अब सूर्यास्त हो रहा था और सुनहरी घूप हलकी हो गयी थी और, हवा ठंडी थी और मैंने एमी को अपनी ओर आकर्षित करते हुए धीरे से कहा-'क्या ये अवसर, और माहौल आपको जलपरी बनने के लिए प्रेरित नहीं कर रहा'।

एमी उल्लासपूर्वक हँसी और अपना सिर हिला दिया। 'मैंने कभी नाटक नहीं किये हैं कुमार!,'

'मैं आपको अभी ऐसा करने के लिए नहीं कह रहा हूँ, प्रिय,' मैंने जवाब दिया-'नाटको का मतलब है तैयार होना, मेरे सुझाव का मतलब बिल्कुल विपरीत है!' वह खुशी से हँसी, फिर वह दिव्य रूप से शरमा गयी।

तभी मिली धीरे से मेरे कान में फुसफुसाई, कुमार आप अगले कुछ घंटो में आप जो चाहते हैं वह सब देखेंगे, क्या ऐसा नहीं होगा, प्रिय एमी? '

मैंने मिली लिली और एमी को कस कर पकड़ लिया और एमी को अपनी गोद में बिठा लिया और मिली और लिली मेरे साथ चिपक गयी फिर मैंने उन्हें बारी-बारी जोश से चूमा। 'मेरी जान!' मैं फुसफुसाया, ' मैं केवल आपको चिढ़ा रहा था!

जारी रहेगी

दीपक कुमार
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#86
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय


लंदन जाने की तयारी

भाग 39

सूर्यास्त



क्या तुम सच में आज रात मेरे ऊपर इतनी मेहरबान होने वाली हो एमी कि मुझे अपना सर्वस्व समर्पित करने वाली हो! ' एमी कोमलता से मुस्कुराई और धीरे से अपना सिर हिलाया, उसकी आँखें प्यार से मेरी ओर देख रही थीं। मैंने उसे प्यार से और कृतज्ञतापूर्वक चूमा और एक-दो पल के लिए प्रेम ने हमारी भावनाओं में मौन को लागू कर दिया था।

अब मिली मेरे सामने खड़ी थी, केवल सफेद बिकिनी पहने हुए। लंबी पतली टांगों, चौड़े कड़े कूल्हों, पतली कमर और पूरे गोल स्तनों वाली । बिकनी में वह लंबी दिख रही थी। उसके कंधे बालों से ढँके हुए, और सुंदर मॉडल जैसे चेहरे वाली मिली मेरे पास आयी और मुझे चूमने लगी।

लिली ने भी मेरे पास नाव की कमान पर लेट कर अपना टॉप और स्कर्ट भी उतार दिया और उसके लंबे पैर मेरी ओर थे। उसके कंधों की चिकनी त्वचा पर पसीना चमक रहा था, उसकी नीली बिकनी टॉप नम थी और उसके स्तनों से चिपकी हुई थी और उसके थोड़े उभरे हुए निप्पल दिख रहे थे। सूर्य की किरणें तिरछी हो चलीं थी ।

"तुम्हें कोई आपत्ति तो नहीं है, है ना?" ये कहते हुए उसने बिकनी टॉप को हटाने के लिए अपनी पीठ के पीछे एक हाथ तक पहुँचते हुए पूछा। "यह आराम के लिए बहुत टाइट है।" मैंने उसके खूबसूरत स्तन देखे थे और अब उनका खुलासा करते हुए उसका बिकनी टॉप नीचे गिर गया। मुझे उम्मीद थी कि जब बिकनी का सपोर्ट हट जाएगा तो उसके स्तन थोड़ा ढलकेंगे लेकिन वे दृढ़ और भरे हुए थे और मुझे आमंत्रित कर रहे थे। उसने मेरी पैंट में बढ़ते उभार को देखा और मुस्कुराई।

यह बहुत स्पष्ट था कि अब वह क्या चाहती थी। मैं आगे झुक गया और उसे चूमा। उसके होंठ चंचल रूप से कोमल और आमंत्रित कर रहे थे। उसकी जीभ मेरी जीभ और होठों पर फड़फड़ा रही थी। मैंने उसके ओंठो को कुतर दिया और उन्हें काटा और हमने लंबा चुंबन किया और फिर मैंने नरम और फिर सख्त, और गहरा चुंबन किया।

मैं उसके ऊपर हुआ और भरे और दृढ स्तनों को अपनी टी-शर्ट पर महसूस कर मैंने अपने छाती को उसके स्तनों पर दबाया। मेरा लंड, अब चट्टान की तरह सख्त था और मैंने उसकी बिकिनी के नीचे के हिस्से को धक्का दिया और मैं उसे उतारने के लिए हाथ नीचे ले गया।

"रुको," वह फुसफुसायी। "मैं कुछ करना चाहती हूँ।" उसने धीरे से मुझे पीछे धकेल दिया। "आराम करो, कुमार। वापस लेट जाओ," उसने कहा। उसने मेरी पेण्ट को मेरे खड़े हुए लंड के ऊपर से नीचे खींच लिया और फिर उन्हें खिसका कर निकाल दिया। "अपनी टी-शर्ट भी उतार दो," वह बड़बड़ायी।

इससे पहले की मैं टी शर्ट निकालता हुमा आगे हुए और मेरी टी शर्ट निकला दी । तभी सपना आगे हुई और उसने हुमा की साड़ी खोल दी और उसका टॉप निकाल कर उसके स्तन आजाद कर दिए।

सपना के कपड़े शबनम ने निकाले उसी समय शबनम के कपड़े डेजी ने निकाल दिए और डेजी को रोजी ने नंगी किया और रोजी को मिली ने निर्वस्त्र कर दिया । अब एमी को छोड़ सभी लड़किया नग्न हो गयी थी।

उधर सूरज की किरणे तिरछी ही रही थी और अस्त होते हुए सूर्य की धुप छनकर-शीतल होकर सोना--सा बिखेर रही थी। धीरे-धीरे और मीठी ठंडी हवा चल रही थी। नदी में पक्षी तैर रहे थे और बहुत सारी मछलिया थी। प्रकाश में जैसे सभी रंग विधमान होते हैं वैसे ही रंग बदल रहे थे ।

मिली ने मेरे को धकेलकर अपने से अलग किया । वहाँ जल का स्तर ज्यादा गहरा नहीं था केवल कमर तक ही था और तल साफ़ नजर आ रहा था और फिर मिली नदी के जल में उतर गई। लिली बोली पानी देख कर मिली दीदी रह ही नहीं पाती हैं । जरूर ये पिछले जन्म में जलपरी या मछली रही होगी फिर मैं जल में उतरा और बाकी लड़किया भी कूद गयी केवल एमी ही उस किश्ती पर रह गयी और हम नदी के शुद्ध ठन्डे जल में खेलने लगे। हमारे जल में उतरते ही उस नदी का जल जीवंत हो उठा और जल में तरंगे उठने लगी और तभी पक्षी उड़ने लगे और घोसलो की तरफ लौटने लगे।

मैंने जल की कुछ छींटे एमी पर डाले तो मिली ने जल की बौछार मार कर मुझे पानी से भिगो दिया। फिर मैं और मिली तैरते हुए थोड़ा दूर तक चले गए और उसके बाद दोनों एक साथ चिपक कर बहुत देर तक तैरते रहे। एक साथ तैरते हुए कभी हमारे वक्ष परस्पर टकराये तो कभी हमारे ओंठ आपस में चिपक जाते। फिर हम नाव के पास आये तो बाकी लड़कियों ने मेरे ऊपर पानी की बौछार की । एमी हमारे मस्तिया नाव पर से देख रही थी तभी लिली चुपके से पीछे गयी और एमी को लेकर जल में कूद गयी।

मैंने लिली के नग्न शरीर को बाहो में भर कर अपने साथ चिपका लिया और चुंबन किया। हम सब अब जल में ऐसे ही खेलते रहे और फिर सूर्य क्षितिज पर अस्त होने लगा। एमी ने मेरा हाथ थाम लिया और नदी के जल से बाहर निकली और मैंने उसे नाव पर वापिस चढ़ा दिया। पानी की बूंदे उसके भीगे हुए अंगों पर से फिसल-फिसल कर मोती की भांति इधर-उधर नाव पर बिखरने लगी।

उसे गीला महसूस हो रहा था और तभी रोजी, सपना, डेज़ी और शबनम भी नाव पर चढ़ गयी और साडी का उन्होंने मेरे सामने पर्दा कर दिया और एमी उस परदे के पीछे कपडे उतारने लगी ।

जब साडी हटी और वह नग्न मूर्ति की तरह खड़ी हो गयी और जब मेरे सामने आयी तो वह इस समय अस्त होते हुए सूर्य की सुनहरी किरणों में उसका बदन ऐसा लगा रहा था मानो सुनहरी परी हो! मैं मैंने उसके नग्न शरीर की परिपूर्णता की मन ही मन तारीफ की। उसकी चिकनी सुनहरी त्वचा से मेरा लिंग कड़ा हो गया था।

मैंने उसे किस किया और फिर हम सूर्यास्त देखते रहे कोई कोहरा और बादल नहीं था और आसमान बिलकुल साफ़ था और नदी में सूर्यास्त की सुंदरता अध्भुत थी। हम क्षितिज के ऊपर से आग की लपटों के गोले को शांत होते हुए नदी के जल में उतरते हुए देखते रहे ।

यह एक रोमांटिक पल था मैंने एमी और हुमा को अपनी बाहों में लिया। मिली ने रोजी और सपना के साथ भी ऐसा किया, शबनम डेज़ी और लिली को आगोश में लेकर सूर्यास्त देख रही थी। मिली ने चुप्पी तोड़ते हुए बोली, कुमार, सूर्यास्त देखना वाकई अच्छा है'। एमी ने मुझसे पुछा कि कुमार सूर्यास्त का सही समय क्या है? वह समय जब सूर्य पहली बार क्षितिज को छूता है, या वह समय जब वह पूरी तरह से चला जाता है, या बीच का कोई समय? "

लड़कियों ने आपस बहस करना शुरू कर दिया और मैंने कहा कि लड़कियों मुझे लगता है कि इससे कोई विशेष फर्क नहीं पड़ता। इस पल का आनंद लो।

जैसे ही सूरज ढल गया, वह झुक गई और मेरे होठों पर प्यार से मुझे चूमा। "धन्यवाद," उसने बस इतना कहा।

मैंने उसकी आँखों में देखा और मुस्कुराया, एक अजीब तरह की मुस्कान और बस जवाब दिया "नहीं आपका धन्यवाद।"

वह किश्ती पर चित्त लेट गई। सूर्यास्त की सुनहरी धूप उसके सम्पूर्ण निर्वस्त्र शरीर पर फैल गई। मैं भी उसके पीछे-पीछे किश्ती पर चढ़ गया और उसे किस की ।

एमी ने मेरे पूरे शरीर को भरपूर दृष्टि से देखा और उसकी निगाहें मेरे खड़े हुए लंड पर जम गयी और उसने बाहें फैला कर कहा-कुमार आप बहुत प्यारे हो। आप मुझे बहुत प्रिय हो। मेरे प्रियतम आ आओ और मुझे प्यार करो।

हम कंधे से कंधा मिलाकर वापस नाव पर लेट गए, और बस हाथ पकड़कर और आसमान के जीवंत गुलाबी फिर सुनहरे. फिर नारंगी और मुरझाते बैंगनी रंग को देख रहे थे। मैंने उसकी आँखों में करीब से देखा, मुझे उसकी आँखों में आँसू दिखाई दे रहे थे, जो उसने वापस झपकाए, हालाँकि उसकी एक बूंद उसकी आँख के कोने से निकलकरउसके गाल पर गिर गई जिसे मैं चाट गया । यह हममे से प्रत्येक के लिए उदात्त संतोष का क्षण था। जीवन की कठोर वास्तविकताएं बहुत दूर थीं, और इन कुछ चुराए गए पलों के लिए जो कुछ भी मौजूद था वह हम और सूर्यास्त की सुंदरता थे।

यह उस तरह की रोमांटिक आउटिंग थी, जिसके लिए वह अंदर से तरस रही थी। उसने कभी किसी को नहीं बताया कि उसे कुछ ऐसा चाहिए। वह मुझे बहुत सी बातें बताना चाहती थी जो उसने कभी हीं की किसी और को नहीं बतायी थी । और हर बार जब उसने बताने की कोशिश की, तो उसने सोचा कि क्या मैं उस पर हंसूंगा। तो उसने मुझे कुछ नहीं बताया । लेकिन यह उसके लिए बेहद आश्चर्यजनक था कि मुझे वास्तव में यह समझ में आ गया था कि वो क्या चाहती है। वो आँसू उसी ख़ुशी भरे पल के प्यार के एहसास का था ।

जारी रहेगी

दीपक कुमार
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#87
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 40

चाँद की धीमी रोशनी, नदी में नाव में हम




बहुत ही रोमांटिक माहौल था। कुछ देर ऐसे ही हम रहे और चाँद निकल आया । चाँद की धीमी रोशनी, नदी में नाव में हम । मेरी बाँहों में वो, हाथ स्तनों को सहला रहा था और दूसरा हाथ उसकी योनि पर था और उसकी पैंटी गीली होने लगी थी अब मैं और सहन नहीं कर पा रहा था ।

अब माहौल बहुत गरमा गया था और सच कहूँ तो वो भी अब उस रोमांटिक माहौल में मेरी बाँहों में समाने को उत्सुक थी। मैंने उसे अपनी बाँहों में लिया और उसकी चिकनी पीठ में हाथ ले जाकर पीठ को सहला कर उसकी गांड को सहलाने लगा ।

वो उस हालत में उत्तेजना में काँप रही थी और ठंडी हवा उसकी उत्तेजना को और भी बढ़ा दे रही थी। उसने अपनी चूचियों को बाहो से धक् लिया तो मैंने जबरदस्ती उसकी बाहो को उसकी छाती से हटाया और फिर एक हाथ उसके तने हुए निपल्स को मरोड़ रहा था। और उसके ओंठ चूमने लगा देर तक चुंबन लेकर मैंने उसके होंठ छोड़ दिए और उसे घुमाया और पीछे से अपने हाथ आगे लाकर उसकी चूचियों को दबोचना और मसलना शुरू कर दिया।

पानी में हवा और लहरों से हिलती हुई नाव में मुझे स्वर्ग-सा आनंद आ रहा था। वो अपनी चूचियों को मेरा हाथो से दबवा कर बहुत मज़ा ले रही थी और कराह रही थी "आआआह...उहह!!"। उसके ऐसा करने से उसकी चूचियाँ और निपल्स तनकर बड़े हो गये और चूत पूरी गीली हो गयी। वो धीमे-धीमे अपने मुलायम नितंबों को मेरे खड़े लंड पर दबाने लगी।

"आआआह...उहह!!" हाय ओह्ह!

मैं अपना दायाँ हाथ चूचियों से हटा कर नीचे को उसके नंगे पेट की तरफ़ ले गया औअर उसकी नाभि के चारो ओर हाथ को घुमाया फिर नाभि में अंगुली डालकर गोल घुमाने लगा।

वो धीमे-धीमे सिसकारियाँ ले रही थी मैं उसकी नंगी कमरसे लेकर नितम्बो पर हाथ फिराने लगा फिर अपना हाथ उसकी जांघो के बीच डाल दिया। मेरी उंगलिया उसकी योनि के ओंठो को छूने लगीं और धीरे से सहलाने लगीं। अपनेआप एमी की टाँगें आपस में चिपक गयी लेकिन मैंने उसकी जांघो को दबाया और उसे जताया की टाँगों को चिपकाना मुझे पसंद नहीं आया। मैंने घुटनो के पीछे थोड़ी गुदगुदी की तो उसने फिर से टाँगों को ढीला कर दिया।

मैं उसके ऊपर आ गया और उसने शरम से आँखें बंद कर ली और उसे अपनी तरफ़ खींचा और मैंने उसके बदनको मेरे नंगे बदन को ढकने की कोशिश की। उसने मेरी बाँहों से अपने को छुड़ाया और फुसफुसाई। "मैं आपके लिए कुछ खास करना चाहती हूं।" उसने धीरे से मुझे पीछे धकेल दिया। "आराम करो, कुमार । लेट जाओ," उसने कहा।

मेरे चेहरे और गर्दन और कंधों से शुरू होकर उसने अपने स्तनों को मेरे शरीर पर घुमाया, धीरे-धीरे उसके निप्पल सूज गए और सख्त हो गए, उसका पसीना मेरे पसीने के साथ मिल रहा था। उसने धीरे-धीरे मेरे निप्पलों को अपने हाथों से सहलाया। मुझे वास्तव में इससे पहले नहीं पता था कि महिला के निप्पल कितने संवेदनशील होते हैं। मैं अपने लंड में एक झुनझुनी महसूस कर रहा था क्योंकि एमी अपने निपल्स मेरे निप्पलो के ऊपर वो रगड़ रही थी ।

फिर वो मेरे पूरे शरीर को धीरे से सहलाते हुए ऊपर और नीचे चली गयी,, उसने मेरी टांगो को सहलाते हुए मेरे पैर की उंगलियों के पार, और फिर से मेरे लंड पर अपने स्तनों से मालिश की । उसने मेरे पैर फैलाए और मेरी गांड को अपने हाथों से ऊपर कर लिया। उसके दृढ़ स्तनों ने धीरे से मेरी गेंदों को सहलाया, मेरी गांड में और मेरे लंड की पूरी लंबाई स्तनों के बीच में लेकर लंड की मालिश की ।

फिर उसने अपनी जीभ का इस्तेमाल किया, मेरे अंडकोश के आधार से शुरू होकर और मेरी गेंदों के ऊपर और चारों ओर कोमलता से फड़फड़ाते हुए। मैं महसूस कर रहा था कि मेरे सीधे लिंग में दबाव बढ़ रहा है, मेरी सूजी हुई गेंदों में विस्फोट होने वाला है । एमी ने अपना गर्म, गीला मुंह खोला और धीरे से मेरी एक गेंद को चूसा। आनंद की तीव्र अनुभूति हुई क्योंकि उसकी जीभ धीमी गति से घेरे बना रही थी।

फिर उसने मेरी गेंदों को छोड़ दिया और उसकी जीभ ने मेरे लंड की लंबाई को चाट लिया। धीरे-धीरे एक लॉलीपॉप के साथ एक छोटे बच्चे की तरह, पूरे ऊपर और फिर सूजे हुए, धड़कते सिर के चारों ओर चक्कर लगाना। फिर, बिना किसी चेतावनी के और थोड़ी सी हंसी के साथ, उसने मेरे लंड को अपने मुँह में डाल लिया, और धीरे धीरे पूरा मुँह में ले गयी । मुझे लगा कि मैं उस एक जोरदार झटके के साथ स्खलित होने वाल हूँ क्योंकि एमी ने अपनी उंगलियों को मेरी गेंदों के चारों ओर लपेटा और गेंदों को धीरे से निचोड़ा। उसने मेरे लंड को लंबे समय तक अपने मुँह में कैद में रखा और चूसा, मेरा लंड उसके गले के पिछले हिस्से से टकराया। वो धीरे से अपने हाथों से मेरी गेंदे दबा रही थी ।

धीरे-धीरे, वह अपने कोमल होंठों और गर्म जीभ को सहलाते हुए अपना मुंह मेरे लंड के सिर तक ले आई। उसकी जीभ अति-संवेदनशील सिर के चारों ओर चक्कर लगा रही थी। और फिर उसने धीरे-धीरे और पूरी तरह से इसे फिर से निगल लिया। बार-बार, पहले धीरे-धीरे, फिर तेज। अंदर, फिर बाहर, मेरे कठोर लिंग की पूरी लंबाई को धीरे-धीरे बनाने वाली लय के साथ अंदर और बाहरकरती रहिए और साथ में चूसती रही ।

कई लड़कियों केसाथ मैंने चुदाई की थी और कुछ ने मेरा लंड भी चूसा था, लेकिन ऐसा किसी ने नहीं किया । यह हमेशा चुदाई का एक तरह का फटाफट वाला विकल्प था, ागत जल्दी में कुछ करना है तो लड़किया चूस देती थी पर मैं अब एमी से सीख रहा था कि वास्तव में अच्छी तरह लंड चुसवाने की अनुभूति कितनी मजेदार हो सकती है।

हर बार जब मैं स्खलित होने वाला था तो एमी ने इसे महसूस किया और अपनी गति और लय को धीमा कर दिया। उसके बाद मुझे लगा की मेरा लंड पहले से कहीं ज्यादा बड़ा, बिशाल, मोटा और सख्त होता जा रहा है। मेरी गेंदें धड़क रही थीं क्योंकि उसने उन्हें अपने नाखूनों से सहलाया। मैंने धक्क्क मार कर लंड उसके गले में डाला और फिर उसने मेरे अंडकोश की तनी हुई त्वचा पर अपने नाखूनों को सहलाते हुए एक झुनझुनी के साथ अपना मुँह पीछे कर लिया, ।

मुझे पता था कि मेरा स्खलन शानदार होगा, लेकिन एमी मुझे सिखा रही थी कि जुनून और दबाव की यह धीमी, आराम से, आलसी इमारत भी कितनी आनंददायक थी। संभोग बहुत अच्छा होने वाला था, लेकिन वहां पहुंचने में बहुत मजा आया और कई बार आया ।

उसने अंदर और बाहर लय को तेज और गहरी कर दिया । जब मैं स्खलित हुआ तो उसने मेरे लंड कोअपने गले में गहराई से घुसा दिया। फिर, मुंह में सिर्फ सिर के साथ, उसने अंतिम बूंदों तक को चूसा, और अंदर निगल गयी । वह वापस बैठ गई और क्रीम निगलने वाली बिल्ली की तरह मुस्कुराई।

मैंने पहले कभी सेक्स में इतना आराम महसूस नहीं किया था। मैं लेटा हुआ था, नदी के ठंडे पानी में अपने हाथ पीछे कर रहा था। एमी का सिर मेरी जाँघ पर टिका हुआ था, उसके रेशमी सुनहरे बाल मेरे लंड और गेंदों पर फैले हुए थे।

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#88
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 41

मुखमैथुन के नए पाठ



मैं ये सोच रहा था कि ऐसा क्या हुआ की एमी जैसी शर्मीली लड़की अचानक कैसे इतना सब करने लगी और मुझे सेक्स के नए पाठ पढ़ाने लगी थी। मुझे बहुत अच्छा लग रहा था और फिर हम दोनों किस करने लगे । मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे अपने आलिंगन में ले लिया। हम फुसफुसाते हुए आपस में आयी लव यू बोल रहे थे।

एमी के बदन कोमल और उसकी चिकनी त्वचा देखने में बड़ी आकर्षक थी। उसके शरीर का हर अंग ना तो बहुत पतला था और ना ही मोटा। हर कोने से वह पूरी तरह शेप में थी। उसके स्तन मध्यम थे कमर पतली और उसकी गाँड़ की गोलाई और घुमाव खूबसूरत थी।

मुझे उसके होँठ बड़े ही रसीले लगे। जब मैं उन्हें चूस रहा था तो ऐसा लगा जैसे उन में से हरदम रस बहता रहता हो और सबसे ज्यादा आकर्षक थी उसकी की नशीली और आमंत्रित करती हुई आँखें। कुलमिला कर एमी थी रसीली और नशीली नवयुवती ।

मैं आगे झुक कर उसके प्यारे स्तनों को अपने हाथों में लेने लगा।

"नहीं, कुमार," मिली ने कहा, "हाथ नहीं। देखें कि आप कितने कल्पनाशील हो सकते हैं!" उसकी आवाज़ में चुनौती का कोई संकेत नहीं था, केवल एक चंचलपण था।

मुझे कुछ समझ नहीं आया तो लिली फुसफुसाई । कुमार हाथ नहीं मुँह का उपयोग करो । मुझे तुरंत समझ आ गया की यहाँ असली गुरु कौन था ।

मैंने एमी पास हुआ और उसे आलिंगन में लिया जिससे उसके स्तन मेरी छाती पर दब गए और मैंने उसके होंठ पर गर्म चुंबन की वर्षा तब तक की तक वह सांस के लिए हाफने नहीं लगी और उसकी मीठी साँसों की खुशबू को में तब तक चूसता रहा, जब तक कि वह उत्तेजित हो कर कांपने नहीं लगी।

फिर नाव के किनारों पर अपने हाथों का वजन डालते हुए मैं उसकी गर्दन, उसके कानों के पीछे नरम नम स्थान, उसके कंधों को चूमने के लिए झुक गया। मेरे मुंह-होंठ, दांत, जीभ-मेरे शरीर के एकमात्र हिस्से थे जो उसे छू रहा था, मैं उसे कुतर रहा था, चूम रहा था, मैं अपने होंठों और जीभ को उसकी बाहों से नीचे बगलो में ले गया तो वह आनद से कांप गयी। मैंने उसकी एक-एक उँगली एक-एक करके अपने मुँह में डाली, चूसती, कुतरी और फिर वापस उसके कंधों पर, उसकी कॉलर बोन के ठीक नीचे की चिकनी खोखली, उसके स्तनों के दृढ़ टीले जो इतने मधुर रूप से खड़े हुए थे।

जैसे ही मेरा मुँह बेर जैसे उसके उभरे हुए निप्पल तक पहुँचा, वह कराह उठी। धीरे-धीरे मैंने एक निप्पल को अपने मुंह में चूसा, उसे अपने दांतों से धीरे से पकड़ लिया और फिर मेरी जीभ उसके चारों ओर चक्कर लगा रही थी। एमी की महक मीठी थी, उसका पसीना नमकीन था। उसके प्रत्येक निप्पल के पीछे केवल माध्यम आकार के स्तन थे, पर उसके गुलाबी चूचक आश्चर्यजनक रूप से संवेदनशील थे ।

मेरे मुंह ने उसके निप्पल के साथ एक छोटा-सा खेल खेला, धीरे-धीरे उसे चूसते हुए, फिर उसे बाहर धकेलते हुए, कुतरते हुए फिर उसे फिर से अंदर, फिर बाहर, फिर अंदर करता रहा। फिर पेट को चूमा और फिर नाभि और फिर उनके योनि क्षेत्र पर गया और उसकी चूत का मांस पूरी तरह से नग्न था। कोई बाल का नामो निशाँ नहीं था ।

"ओह, हाँ," वह कराह उठी । "वहाँ वहाँ!" मेरी जीभ ने एमी के भगशेफ, दृढ़ और गीला, और छोटे रसीले फल की तरह पाया। उसके भगशेफ के चारों ओर, नीचे उसकी गर्म और रसीली योनि में, उसके भगशेफ के सिर पर आगे-पीछे। एमी की चूतके रस का स्वाद स्वादिष्ट था, एक साथ मीठा और मसालेदार।

एमी की पीठ झुकी हुई थी और वह मेरे चेहरे पर अपनी गर्म योनी को दबा रही थी। मैंने अपने हाथों में उसकी गांड को सहारा दिया क्योंकि उसके पैर मेरे शरीर के दोनों ओर लटके हुए थे। मैंने अपना चेहरा उसकी मीठी, रेशमी, मसालेदार योनी में दफ़न कर दिया, जैसे कि मैंने अपने हाथों में एक रसदार खरबूजा रखा हो, अपने चेहरे, अपने मुंह को उसके केंद्र में ले जाकर उसे खाने के लिए अपनी जीभ उसके अंदर उसकी गहरी मांसपेशीयो पर चलाने लगा और मेरी जीभ उसके कौमार्य की झिल्ली तक पहुँच गयी थी । एमी की भगशेफ सख्त और खून से लबालब भर गयी थी और उसी तरह मेरा अपना लिंग भी कठोर हो कर सीधा हो गया था और लाल खून से भर गया था। मेरी जीभ और होठों एमी की योनि की संवेदनशील हिस्सों के छेड रही थी जिससे एमी का पूरा शरीर मेरी जीभ की लय में कांप रहा था।

जब वह स्खलन के पास पहुँची उसने अपने पैरों को मेरे सिर पर कस दिया, उसे अपनी योनि के सूजे हुए होंठों के खिलाफ कसकर दबा लिया-जैसे कि अब मैं कहीं भी जाऊँ! यह मेरे लिए बिल्कुल नया आउट बढ़िया अनुभव था। कामुक प्रसन्नता और उत्साह को प्रकट करने के लिए एक नया द्वार खुला, जिसके बारे में मुझे पता नहीं था। वह बार-बार झड़ रही थी और लहरों में स्खलित हो रही थी, उसके शरीर को तानते हुए, घुमाते हुए, उसे गर्म करते हुए, योनि को चेहरे से थपथपाते हुए, मैं उसकी योनि को चूम, चोस और चाट रहा था और वह मुझे पैरो से कसते हुए और फिर अपने पैरों को ढीला करते हुए और फिर एक, जंगली, तेजी से नितम्बो को ऊपर उठाया और तेजी से उसका बदन ऐंठा और वह स्खलित हो गयी।

इस सत्र में मैंने एमी और मिली से धीमा होना, सेक्स में सहज होना, अपना समय लेना और भावनाओं को बढ़ने देना, जुनून का निर्माण और खुद पर नियंत्रण कर सम्भोग को लम्बा करना सीखा।

अन्य लड़कियों के साथ मैं हमेशा तेजी से सेक्स करता था। निश्चित तौर पर सम्भोग की परिकाष्ठा स्खलन है जो अब तक मेरे लिए सुखद था अच्छा था, और सम्भोग का लक्ष भी स्खलन ही रहता था कि चलो इसे प्राप्त करें और अपने साथी को भी स्खलित होने तक उसे प्यार करे और अब मुझे समझ आया की स्खलन तक का सफ़र भी स्खलन जितना ही मजेदार होता है। एमी और मिली मुझे स्खलन के रास्ते के सभी कोमल, सूक्ष्म क़दम सिखा रही थी और जो ख़ुद उन्हें और मुझे भी बहुत अच्छे लगे।

फिर मिली बोली "मेरी प्यारी बहन एमी अब आप कुमार की हो और अपने शरीर और आत्मा के साथ ईमानदारी से इसकी सेवा करो।"

एमी ने धीरे से कहा, "मैं अपने शरीर, मन और आत्मा के साथ अपने कुमार की आजीवन सेवा करने का वादा करती हूँ।"

उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया, और मेरी गेंदों को अपने नाखूनों की युक्तियों से सहलाया, वह मुझे बस छू रही थी, उसकी छुअन में बस सनसनी की फुसफुसाहट थी और फिर एमी ने मुझे ओरल सेक्स का अंतिम अनुभव दिया।

वह पलटी उसके हल्के से हिलने डुलने से भी उसकी चूचियाँ उछल पड़ी और उसने अपने पैरों को मेरे ऊपर घुमाया ताकि उसकी गुलाबी चूत मेरे चेहरे से कुछ इंच ऊपर हो। जैसे ही उसने अपना सिर धीरे-धीरे आगे-पीछे किया, उसके लंबे रेशमी बाल मेरे धड़कते हुए लंड को छू रहे थे, मेरी सूजी हुई गेंदों को छेड़ रहे थे। उसकी गीली, गर्म योनि को मेरे इंतज़ार कर रहे चेहरे में उतारते हुए उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया।

मैंने अपनी बाँहों को उसकी गांड के चारों ओर लपेट लिया, मैंने उसकी योनि को अपने चेहरे पर कस कर खींच लिया। मेरी जीभ जोर-जोर से उसकी चिकनी गर्म और रसीली चूत में गयी। मैं अपनी जीभ के साथ जितना हो सके, उसकी योनि में अंदर और बाहर कर रहा था और उसकी सूजी हुई भगशेफ को, गहरे-कोमल और गहरे से चूस रहा था। एमी अपने लंबी टांगो के साथ, उसकी चूत बहने लगी और चुतरस गर्म, मसालेदार और चिकना था और मैं अपने लंड को उसके मुंह में धकेल रहा था।

उसके गले के अंदर गहरे में उसकी जीभ और होंठो को दबाता हुआ लंड अंदर था और वह लंड पर मुँह आगे पीछे कर रही थी और जीभ से लंडमुंड को छेड़ और सहलाए जा रही थी।

एमी बार-बार झड़ी, उसका पहला स्खलन एक छोटा-सा रास का विस्फोट था, अगला और अगला और अधिक तीव्र और फिर मेरे मुँह में उसके रस की बाढ़ आ गयी। वह धीरे-धीरे मेरे लंड को उसके मुँह से निकलने देने के बजाय उसने नरम ओंठो से लंड को पकड़ रखा था उसने अपना वज़न मेरे शरीर पर टिका दिया और उसकी चूत अभी भी गर्म और मेरे चेहरे पर गीली थी।

हम एक-दूसरे को बहुत देर तक एक-दूसरे के स्वाद, रस और गंध का आनंद लेते हुए ऐसे ही पकड़े रह। मैं अब अपने हाथों ने एमी के स्तनोंपर ले गया और वह पूरी तरह से दृढ़ थे और मजबूती से लटके हुए थे। उसके निप्पल धीरे-धीरे सख्त हो गए और अधिक खड़े हो गए ।

मैंने उन्हें धीरे से निचोड़ा, धीरे-धीरे सूजे हुए नीपल्लो को अपनी उंगलियों के बीच में थपथपाया। मैंने अपने नाखूनों को उसके स्तनों के किनारों पर और उसकी पीठ के पार, धीरे-धीरे अपनी जीभ और दांतों के साथ उसके निपल्स तक नीचे की ओर, चाटा और धीरे से अपने होठों से उसकी योनि को सहलाया।

उसका मुंह अब मेरे धड़कते लंड के सिर को हल्का और ढीला कर रहा था, उसकी जीभ सख्त गोलाकार रिज के चारों ओर घुम रही थी और उसे सूजे हुए सिरे पर फड़फड़ा रही थी, फिर वह मेरी गेंदों को सहलाने लगी। उसने उन्हें अपने हाथ में पकड़ लिया और धीरे से निचोड़ा, उन्हें नीचे खींच कर मेरे लंड की त्वचा को कस दिया और फिर उसने मेरे पूरे लंड को फिर से अपने मुँह में ले लिया और अपने गले के पिछले हिस्से के अंदर तक ले गयी बार-बार, तेज़ और तेज़ चूसने लगी। मेरा बड़ा लंड पूरा उसके मुँह के अंदर था यहाँ तक की गले तक था। से सांस लेने में तकलीफ होने लगी मैंने एमी की खांसी की आवाज़ सुनी और महसूस किया कि उसने मेरे विशाल लंड के मुँह में फसे होने की वज़ह से सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

मैंने अपने लंड को उसके मुँह से वापस पीछे किया ताकि उसे साँस आये लेकिन उसने लंड पर ओंठ कास कर पूरा बाहर नहीं निकलने दिया। उसका मुँह लार और मेरे परिकम से भरा था, जिसकी बूँदें उसके मुँह से टपक रही थीं और मेरा बड़ा और काला लंड उसकी लार से भीगा हुआ दमक रहा था। मैंने जीभ फिर से उसकी योनि के अंदर घुसा दी।

"ओह्ह!" वह कराह उठी, और-और मैंने उसके योनि के होंठों को और उसकी भगनासा को रगड़ना जारी रखा मैंने अपने कूल्हों को उसके चेहरे की तरफ़ ज़ोर से दबाया जिससे मेरा मोटा लंड पूरा नादर गया और मेरे अंडकोष उसके होठों से टकरा गए और मैं अपने लंड को उसके मुँह के अंदर बाहर करता रहा।

थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद, मैंने रफ़्तार पकड़नी शुरू कर दी और अपने लंड को उसके मुंह में ज़्यादा से ज़्यादा घुसेड़ दिया। इससे उसे इस बात का अहसास हुआ कि इस दर पर, मैं बहुत जल्द उसके मुंह में पिचकारियाँ मारूंगा। जैसे ही मेरा स्पस्मोडिक, परमानंद विस्फोट स्पंदित हुआ, उस समय मेरा लंड का मुँह उस समय उसके गले के ठीक सामने था और मैंने उसके मुँह में पिचकारी मार दी।

वीर्य की बड़ी धार उसके गले में लगी और चिपचिपाहट के कारण, वही चिपक गयी और वह तुरंत उस गाड़े और मोटी गोली को-को निगलने की कोशिश करने लगी।

मैं साथ ही लंड को आगे पीछे भी कर रहा था जिससे मेरे अंडकोष उसकी नाक और ओंठो से टकरा कर नाक और ओंठो को भी दबा रहे थे, उसके मुँह में लंड ठूसा हुआ था इसलिए वह केवल नाक से ही या जब लंड बाहर निकलता था तब ही साँस ले सकती थी। मैं उसकी सांस लेने की नली तक पिचकारी मार रहा था।

जब उसे सांस लेने में दिक्कत हुए तो वह खाँसने लगी, तो उसकी नाक से मेरे वीर्य निकल आया, मैंने उसके मुँह के अंदर पम्पिंग करनी और पिचकारियाँ मारनी जारी रखि। वीर्य से उसका नाक मुँह और गला भर गया जिससे खांसी हो रही थी और निगलना कठिन हो गया था। उसने कातर निगाहो से देखा तो मैंने लंड बाहर निकाल लिया और आखरी कुछ पिचकारियाँ उसके मुँह पर मार दी जिससे मेरा वीर्य उसके मुँह आँखो गालो माथे और बालो तक फ़ैल गया ।

कुछ देर तक हम आपस में लिपटे रहे।

कहानी जारी रहेगी
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#89
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 42

कुंवारी योनि का दुर्लभ अवलोकन.




उसका मुँह नाक सब कुछ मेरे वीर्य से सना हुआ था । उसने मुँह पर हाथ लगाया तो उसका मुँह हाथ भी वीर्य से सन गया तभी मिली आगे हुए और मिली के मुँह पर लगा हुआ वीर्य चाटने लगी और पूरा चाटने के बाद उसने अपना मुँह पहले एमी के मुँह के साथ लगा दिया और अपने मुँह में भरा हुआ वीर्य गोला बना कर उसके मुँह में डाल दिया । फिर धीरे-धीरे एमी और मिली अपने मुँह गले में भरा हुआ मेरा गाढ़ा वीर्य निगल गयी।

एमी ने मेरा लंड एक हाथ से पकड़ा हुआ था जो अभी भी तना हुआ था और मैं एमी को अपने लंड को हाथ में पकडे देख, मैं सोचने लगा कि ये भी हमेशा चूत मागता रहता है ऑर सोचते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई । मेरी पूरी बॉडी पर पानी की बूदे चमक रही थी । मेरे लिंग के ऊपरी भाग में मुझे हल्का दर्द का अनुभव हुआ. उसके हाथों का स्पर्श पाकर आज जैसी अनुभूति शायद पहले कभी नहीं हुई थी. वह बार-बार मेरे लिंग की तारीफ करती और हल्के हल्के सहलाती जा रही थी।

उसने मेरे लिंग को सहलाना जारी रखा। जब वह लिंग की चमड़ी को पीछे की तरफ खींचती थी तो लंडमुंड में बहुत सनसनाहट होती और हल्का दर्द भी होता। चमड़ी को पीछे करके उसने जब सुपाड़े को छुआ तो मेरी जान ही निकल गयी. अग्रभाग इतना संवेदनशील था की उसे सीधा सहलाना मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैंने एमी का हाथ पकड़ लिया. वो यह जान चुकी थी की मेरे सुपाड़े कितना संवेदनशील था वो अपने हथेली में मेरे कोमल पर अत्यंत सख्त हो चुके लिंग को पकड़कर आगे पीछे करने लगी. मैं आनंद की पराकाष्ठा में था।

मैने देखा कि मिली और लिली की आँखे मेरे लंड पर अटक गई है और सपना मूह खोले खड़ी हुई थी। शबनम मेरा लंड देखने के लिए हिली तो उसके बूब्स हिल और फड़फड़ा रहे थे।

हुमा धीरे-2 मेरे पास आई ऑर घुटनो के बल बैठकर मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगी ऑर मेरे बॉल्स को अपनी जीब से चाटने लगी।

मैं-आअहह! ऐसे ही चुमो, आअहह! चूसो!

हुमा-स्ररुउउप्प्प! उूउउंम्म! ।सस्स्ररुउउप्प्प! आआअहह!

मैं-क्या जादू है तेरी जीभ में हुमा जान! मजा आ गया

हुमा-स्ररुउप्प्प! स्ररुउउप्प्प! सस्स्ररुउप्प्प! उउउम्म्मह!

हुमा बिना कुछ बोले मेरे अंडकोष को चाटती रही।

उस समय, हालांकि, मुझे अपने लंड को एमी की गर्म छूट में मजबूती से घुसा देने में अधिक दिलचस्पी थी लेकिन थोड़ी देर बाद एमी में मेरे लंड को 1 ही झटके में पूरा का पूरा अपने मूह में भर लिया ओर वीर्य चाट कर साफ़ किया और जोरदार चुस्साई करने लगी।

एमी-सस्स्सल्ल्ल्ल्ल्लूउउप्प्प! सस्रररुउपप! ऊऊऊ! आह्हः गुप्ग्ग्गहू!

हुमा और एमी के मूह से बस ऐसी ही आवाज़े आ रही थी...एक बार फिर एमी ने अपना मुँह मेरे लंड पर लगा कर उसे चाट कर साफ़ किया और उसके मुँह में मेरे लंड की अनुभूति ने उसे भी उत्तेजित कर दिया था। इतना कह कर हुमा एमी के होंठो पर ऑर गले पर लगा हुआ मेरा लंड रस चाटने लगी।

फिर मैंने एमी को बिस्तर की ओर धकेला, तो एमी उत्सुकता से उस पर गिर पड़ी और अपनी टांगों को चौड़ा कर लिया।

मैंने अपनी कमर को थोड़ा और नीचे किया अब मेरी लंड उसकी नंगी जांघों के स्पर्श से उछलने लगा. उसकी धड़कन मुझे अपने जांघो पर महसूस हो रही थी. मैंने एमी को अपनी तरफ खींचा और तेजी से चिपका लिया था. धीरे-धीरे मेरा लंड और उसकी योनि के बीच लगभग थोड़ी जगह ही बची होगी।

एमी धीरे से मुस्कुरायी और जैसे ही मेरा हाथ उसकी जांघो के पास से सकी योनी के पास जाने के लिए गुजरा, मानो मेरे हाथ का रास्ता आसान बनाने के लिए, उसने मुझे प्यार से भरी आँखों से देखा। खुशी से मेरा हाथ उसकी सुस्वादु जाँघों के ऊपर से उसकी चिकनी जांघो के सहलाता हुआ तब तक ऊपर को गया, जब तक कि वह कोमल जंक्शन तक नहीं पहुँच गया और फिर हाथ फिसलकर अपने गंतव्य पर पहुँच गया।

मेरा बायां हाथ उसके दाहिने स्तन को धीरे-धीरे सहला रहा था तथा दाहिना हाथ योनि को तलाश करते हुए उसकी उंगलियां से टकरा गया. मैंने उनकी उँगलियों को योनि के सिर पर रखा उसे धीरे धीरे सहलाया।

एमी ने गहरी सांस ली, अपनी योनी पर मेरी उंगलियों को महसूस करते हुए स्वादिष्ट रूप से फुसफुसाते हुए वह बोली 'ओह प्रिय!' और मैं दुसरे हाथ से उसके रेशमी बालों के साथ खेला और जो हाथ उसकी योनि पर था उससे उसके उत्कृष्ट रसदार मांस को सहलाया ।

उसने अपनी बाहों को मेरी गर्दन के चारों ओर फेंक दिया और मेरे ओंठो पर अपने होंठ दबाते हुए, आकर्षक रूप से खुद को उत्तेजित करते हुए बोली-दीपक अब कंट्रोल नहीं होता...ओर इतना कह कर एमी मुझे चूमने लगी और उसने मुझे जोश से चूमा। जल्द ही मेरी उंगली ने धीरे से उसकी योनी के होठों के बीच और गर्म धड़कते हुए नम इंटीरियर में अपना रास्ता बना लिया, जहाँ उसने जिज्ञासु रूप से उसकी जालीदार कुंवारेपन की झिल्ली को पाया जिसे मैं अगले कुछ समय में तोड़ने वाला था और वह अब जोर-जोर से झूमने लगी । मैंने उसकी उत्तेजित भगशेफ को छेड़ा।

'ओह, दीपक! प्रिय!' जब उसने मेरी उंगली से मिलने के लिए खुद को आगे किया, और कुछ ही क्षणों में वह बेतहाशा उन्मादपूर्ण और तेजी से बेकाबू झटके के तूफान में घिर गयी और उसने मेरी उंगली को अपने कुंवारी योनि के प्यारभरे रस से भर दिया-रस। एमी ने इस बीच अपने होठों को पूरे समय मेरे ओंठो के ऊपर दबाए रखा था और हमारे मुँह के रसो का आदान प्रदान हो रहा था।

जब आनंद की आखिरी ऐंठन आयी तो उसने मुझे एक लंबा, जलता हुआ चुंबन दिया और नम आँखों से मुझे कृतज्ञतापूर्वक देखते हुए, वह उत्साह से बड़बड़ायी, 'ओह, दीपक! यह स्वर्गीय था!' 'पिछली बार से बेहतर, प्रिय!' मैंने ए पूछा। 'ओह! हाँ हाँ!' उसने गहरे दृढ़ विश्वास के स्वर में उत्तर दिया 'पिछली रात मैं बहुत घबरायी हुई थी और मैंने जो कुछ भी देखा उससे मुझे बहुत आश्चर्य हुआ और साथ में उत्साहित भी हुई और अब जब आपने मुझे इतना सुंदर सूर्यास्त के समय मुझे इतना प्यार किया की अब मैं खुद कोरोक नहीं स्की और फिर जो आपने अभी किया उसमे मैं खुद को रोक नहीं पायी था!'। 'तो फिर तुम अब त्यार हो, प्रिये!' मैं फुसफुसाया।

वह एकबुरी तरह से शरमा गई और मेरी तरफ कोमलता से देखा और एक प्यार भरी मुस्कान के साथ उसने अपना सिर हाँ में हिलाया। 'अब हमारे लिए शुरू करने का समय आ गया है-प्रिय अब तुम्हारे कुछ अंतिम कुंवारे चुंबन!' मैंने भाव से कहा। 'हम दोनों अब बहुत मजे करने वाले हैं, प्यार करने वाले हैं, आओ मेरी प्यारी...!' और हमने प्यार से एक दूसरे को कुछ देर तक चूमा।

मेरा हाथ उसकी जांघो के बीच रेंगता रहा और वह जाँघे खुली और उनके द्वारा दिए गए उसकी कुंवारी योनि के दुर्लभ अंतिम दृश्य के अवलोकन और प्रशंसा करने के लिए रुक गया। उसकी चूत, जोश से भरी आग से लदी हुई, गर्मजोशी से चमक रही थी। जब वह अपनी जाँघें फैला रही थी, तब बाहरी होंठ फैल गए, भीतरी होंठ, बड़े और उत्तेजना के साथ कड़े, पके, गहरे लाल रंग के फलों के स्लाइस की तरह नीचे लटके हुए थे। अद्भुत नजारा था।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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#90
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 43

कौमार्य भंग



मैने नज़रें उठा कर उसकी तरफ देखा और बोला केएमी आज मैं तुमको इतना और ऐसा मज़ा दूँगा के तुमने कभी स्वप्न में भी नहीं सोचा होगा और एमी को अपनी गोद में खींच लिया। उसकी पीठ मेरी छाती से चिपक गयी और मैने उसकी बगलों से हाथ डालकर उसके दोनों मम्मे अपनी हाथों में ले लिए. जैसे मेरे हाथों में दो टेन्निस बॉल्स आ गयी हों। बड़े-बड़े और टाइट स्तनो को मैने प्यार से उन्हे दबाया और फिर उन्हें अपने हाथों में ऐसे भरा के मेरी उंगलियाँ उनके नीचे, हथेलिया दोनों साइड्स में और दोनों अंगूठे उसके चूचको के थोड़ा ऊपेर थे। उसके दोनों निपल्स संकुचित हो कर अंदर को धन्से हुए थे। मैने अपने दोनों अंगूठे नीचे किए उसके चूचकों पर तो मुझे ऐसा लगा के जैसे दो रूई के फाहे मेरे अंगूठों के नीचे आ गये हों। इतने मुलायम और नरम थे उसके चूचक। मैने अपने अंगूठों और उंगलियों से दोनों मम्मों पर हल्का-सा दबाव बढ़ाया तो उसके दोनों निपल्स तेज़ी से उभर कर बाहर को आ गये और मैने बड़े प्यार से उनको सहलाना शुरू किया। एमी के मुँह से ओह आह्हः आहाये अयाया, ऊउउउउह की आवाज़ें आनी शुरू हो गयीं।

उसने भी दोनों बाहें मेरी पीठ पर लेजाकार मुझे ज़ोरों से कस लिया। ऐसा करने से उसकी उत्तेजना थोड़ी कम हुई और उसने अधखुली आँखो से मेरी तरफ बड़े प्यार से देखा। मेरा लंड उत्तेजना के मारे ऊपेर नीचे होने लगा।

मैं धीरे से उठा और एक तकिया उसके ऊसर एक टॉवल उसकी गांड के नीचे रख दिया और साइड में राखी क्रीम की बॉटल उठा कर थोड़ी-सी क्रीम उसकी चूत में और थोड़ी-सी अपने लंड पर लगा दी। फिर मैने उसकी टाँगें उठा कर ऊपेर कर दी और उनके बीच में आ गया।

कुछ ही देर में योनि के प्रेम रस में लंड पूरी तरह डूब चुका था। उसकी योनि का रस उसकी जांघों पर बहने लगा था जिससे जांघो पर चिपचिपपा-सा महसूस हो रहा था। मैंने लंड को थोड़ा आगे किया और उसकी योनि के पास बैठ गया । मैंने अपने दोनों पैर आपस में सटा लिए थे ताकि एमी को अपने पैर ज्यादा न फैलाने पड़े। मेरे हाथ वापस उसके स्तनों तक आ चुके थे। उसकी उंगलियाँ मेरे लंड को छू रही थी। लंड उसकी योनि और जांघो के बीच की इसी तंग गली में उछल कूद कर रहा था। वह इस गली की चौड़ाई कम ज्यादा करती और लंड खुद उछलने लगता। बीच-बीच में लंड योनि के पास जाता और चुंबन कर फिर उछलने लगता मिलन के बाद लंड का उछलना तेजी से बढ़ जाता।

मिली ने कहा के एमी अब तुम्हें हिम्मत से काम लेना होगा पहले पहल थोड़ा दर्द होगा जो तुम्हे सहना होगा और उसके बाद ही तुम्हे स्वर्ग का आनंद भी मिलेगा और अमीने उसे चूमा और कहा मैं पूरी कोशिश करूँगा के दर्द कम से कम हो ।

एमी ने अधखुली आँखों से मेरी तरफ देखते हुए सहमति में अपनी गर्दन हिला दी। मेरा नाभि प्रदेश बिल्कुल सपाट था। मेरा लंड फिर से कठोर होकर छत की तरफ देख रहा था। उसके अपनी पीठ टिका कर अपना एक पैर उठाकर मुझे अपने दोनों पैरों के बीच ले लिया। अब मेरा लंड उसकी योनि के ओंठो कोचुने वाला था मैंने अपने आप को संतुलित करते हुए अपनी कमर को नीचे करना शुरू किया। जैसे-जैसे मैं नीचे आ रहा था उसकी धड़कन तेज हो रही थी और नीचे आने पर लंड ने उसकी योनि को छू लिया। योनि अब पूरी तरह प्रेम रस में डूबी हुई थी। लंड के भी मुँह पर प्रेम रस लिपटा हुआ था। मैंने लंड का मुँह योनि के मुंह के पास जाने दिया। दोनों ने एक दूसरे का स्पर्श किया। मैंने हाथ से उसके नितम्बो को सहलान शुरू किया ।

मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था मैंने लंड कोयोनि के मुख पर रगड़ना शुरु कर दिया। वह भी अपनी हथेली से लंड को सहारा देकर अपनी योनि को आगे पीछे करने लगी। थोड़ी देर में उसका कंपन भी अतिरेक तक पहुँच गया। उसके पैर तनने लगे थे। मेरी पकड़ स्तनों पर और ज्यादा हो गई थी। कुछ ही पलों में योनि से खुशी के आंसू झर-झर बह रहे थे। मेरा हाथ भी प्रेम रस से सराबोर हो चुका था। योनि और लंड दोनों बहुत संवेदनशील हो गए थे ।

कुछ ही देर में योनि के प्रेम रस में लंड पूरी तरह डूब चुका था। उसकी योनि का रस उसकी जांघों पर बहने लगा था जिससे जांघो पर चिपचिपपा-सा महसूस हो रहा था। मैंने लंड को थोड़ा आगे किया और उसकी योनि के पास बैठ गया । मैंने अपने दोनों पैर आपस में सटा लिए थे ताकि एमी को अपने पैर ज्यादा न फैलाने पड़े। मेरे हाथ वापस उसके स्तनों तक आ चुके थे। उसकी उंगलियाँ मेरे लंड को छू रही थी।

मैने उसकी टाँगें चौड़ी करते हुए अपने लंड को उसकी चूत पर टीका दिया और उस पर रगड़ने लगा और एक दो बार लंड से उसकी भगनासा को छेड़ा। फिर थोड़ा-सा दबाव डाला और मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत के मुँह पर लगा दिया मैं अपने एक हाथ के अंगूठे से उसके भग्नासे को दबा रहा था। उसने अपनी टाँगों को मेरी जाँघों के चारों और लपेट दिया, फिर मेरे लंड के लिए एक बेताब, कामुक भूखी ज़रूरत के साथ अपनी कमर उठा दी।

मैं आगे झुक गया और अपने लंड के सिर को उस अत्यधिक उत्तेजित योनि के मांस के संपर्क में लाया। एमी कराह उठी जब उसने महसूस किया कि मेरा लंड अब उसकी चूत के होठों से टकरा रहा है तो वह जोर से कांपने लगी। नेरा लंड कामुकता विकीर्ण कर रहा था और वह पहले से ही उत्तेजित होती, तो भी मेरे लंड के स्पर्श ने उसके होश उड़ा दिए। एमी ने भी किसी भी कुंवारी तरह अपने कौमार्य भंग होने को इतनी आसानी से स्वीकार नहीं किया।

मेरे उभरे हुआ लंडमुंड ने उसकी योनि के गर्म छोटे होंठों को अलग कर दिया पहले से ही उसकी योनी अच्छी तरह से चिकनी थी और लंड उसकी योनी के मुंह में फिसल गया। मिली लिली, सपना शबनम और डेज़ी ने तुरंत हमारे पास एक पोजीशन ले ली ताकि वह सब अपनी बहन और सखी की पहली चुदाई के हर विवरण को स्पष्ट देख सके।

जब शबनम ने मेरी जाँघों के बीच देखा और जवान योनी के मुँह में बड़ा-सा औजार घुसते हुए देखा, तो उसे अपनी चूत से एक धधकते झटके का आभास हुआ। पहले मिली फिर हुमा और फिर लिली और सपना की एक-एक बाद एक चुदाई का नजारा देखने के बाद उसने पाया की, उसकी सखियों और बहनों को उसी उत्तम आनंद प्राप्त करते हुए देखना कितना रोमांचक और उत्तेजक था और इसने उसे और भी अधिक दृढ़ कर दिया कि जैसे ही मेरा एमी के साथ प्रथम मिलान पूर्ण होगा उसके बाद जल्द ही उसकी योनी में भी यही लंड वह लेगी।

उधर डेज़ी की उत्तेजना भी बढ़ने लगी थी और उसका हाथ उसके स्तनों पर चला गया था जिसे देख कर हुमा उसकी योनी को छेड़ने लगी थी और उससे बोली डेज़ी बस कुछ देर बाद तुम्हे भी मौका मिलेगा।

मैंने शुरू किया, उस अविश्वसनीय रूप से तंग, गर्म उद्घाटन में लंडमुंड को डुबो दिया और फिर एक छोटे, तेज धक्के के साथ अपने लंड के सिर को उसकी योनी में धकेल दिया मेरे लंड का सुपरा उसकी चूत में घुस गया और वह तड़प उठी।

मैने पूछा के दर्द बहुत ज़्यादा हो रहा है क्या। तो वह बोली के नहीं ज़्यादा तो नहीं पर हो रहा है। और फिर थोड़ा पीछे हटकर मैने एक छोटा पर ज़ोरदार धक्का लगाया तो मैने महसूस किया कि मेरा लंड उसकी कुमारी झिल्ली को टच कर रहा है । अगले हलके धक्के में मेरे लंड के सिर में एमी के हाइमन को चूमा और मैंने अपने लंड के ऊपर उसकी पतली झिल्ली को महसूस किया, मैने देर ना करते हुए एक और धक्का ज़ोर से लगाया। पतली कौमार्य की झिल्ली ण मेरे लंड को रोक नहीं सकी और उसके कुंवारी ऊतक झिल्ली को फाड़ता हुआ मेरा लंड तीन-चौथाई उसकी चूत में समा गया। उईईई!

एमी अचानक दर्द में चिल्लायी और मेरा लंड उसकी योनी में गहराई से फिसल गया; अविश्वसनीय रूप से पूर्ण सनसनी प्रदान करने से पहले उसके हाइमन के विभाजन ने उसके शरीर में तेज दर्द हुआ ।। मेरे बड़े लंड ने उसकी योनि की भीतरी दीवारों को कसकर फैला दिया। चौड़ा सिर उन कोमल दीवारों मेंअपनी लम्बाई के कारण गहरा घुस गया था, जिससे उसके सिस्टम में यौन उत्तेजना के बड़े झटके आए।

माआआ एमी की ज़ोरदार चीख निकली, हवा में उठी हुई उसकी टाँगें काँपने लगीं और उसकी आँखों से आँसू बहने लगे। मेरा लंड अभी भी एक चौथाई बाहर था मैं वहीँ रुक गया और एमी को रट हुए देख मिली ने उसे प्यार से समझाया और कहा के बस थोड़ी देर का ही दर्द और है उसके बाद तो बस मज़ा ही मज़ा और तुम्हे फिर कभी भी दर्द नहीं होगा।

वो रोते हुए बोली दीदी यह क्या कम दर्द है मेरी तो जान ही निकलने वाली थी । मैने प्यार से उसे समझाया के हर लड़की को पहली बार चुदवाने में दर्द सहना ही पड़ता है और मैने तो बहुत प्यार से किया है, पूरा ख्याल रखा है और रुक भी गया हूँ। बहुत ही कम समय में एमी ने महसूस किया कि उसकी कमर के अंदर एक जानी-पहचानी जकड़न बन रही है। कराहती और हांफती हुई एमी ने महसूस किया कि यह उसके पहले के यौन अनुभवों जैसा नहीं था।

उसने महसूस किया कि उसके अंदरूनी हिस्से खिच गए थे और उन्हें जितना संभव हो सके उससे कहीं अधिक कसकर खींचा गया था और उसमे मेरा कड़ा और बड़ा लंड घुसा हुआ था ।

जिसके द्वारा प्रदान की गई संवेदनाएँ बहुत बेहतरऔर अलग महसूस हो रही थी और ऐसी संवेदनाये उसने कभी हस्तमैथुन करते समय, या मेरे साथ चुंबन में संलग्न होने पर महसूस नहीं की थीं। संक्षेप में, एमी ने पाया कि चुदाई का बनुभव बहुत अधिक रोमांचक अनुभव और अलग था। उसे निश्चित रूप से ये अच्छा लगा, लेकिन जिस तरह से मेरे लंड ने उसके पूरे शरीर पर कब्जा कर लिया और उसकी योनी को इतनी शक्तिशाली भावनाओं से भर दिया, उसके लिए वह तैयार नहीं थी।

डेज़ी उसके दुसरे स्तन को चूसने लगी और मिली उसे चूमने लगी इस बीच मेरे हाथ का अंगूठा लगातार उसके भग्नासा से खेल रहा था और दुसरे हाथ से मैं उसका एक स्तन दबाने लगा जिसके कारण उसकी उत्तेजना फिर बढ़ने लगी और धीरे-धीरे । मैने देखा के एमी के चेहरे पर दर्द के भाव नहीं हैं और उनकी जगह उत्तेजना ने ले ली है।

उसने अपनी टांगो को-को मेरी जाँघों के चारों ओर दबाया और संवेदनाओं को बढ़ाने के प्रयास में ऊपर-नीचे नितम्बो को झटके दिए तो मैं धीरे-धीरे अपना लंड अंदर बाहर करने लगा और हर 2-3 धक्कों के बाद अपना लंड थोड़ा-सा और अंदर सरकाने लगा। हाय! "वह चिल्लायी और अपना सिर वापस पीछे फेंक दिया और अपने स्तनों को ऊपर उठा दिया ताकि मैं उसके एक निप्पल को अपने मुंह में ले सकूं।" ओह कुमार! ओह, मुझे चोदो, मुझे चोदो! "

उसके दर्द का स्थान आनंद ने लेना शुरू कर दिया था। उसके चेहरे पर अब एक अर्ध मुस्कान खिल रही थी और आँसुओ में भीगा उसका मुस्कुराता चेहरा, अधकुली मदहोश आँखें मुझे पागल किए दे रहीं थी। पर मैं अपने पर काबू रखेउसे चूमता हुआ प्यार से धक्के लगाता रहा और फिर मेरा लंड पूरा जड़ तक उसकी चूत में समा गया और उसकी बच्चेदानी के मुँह से जा टकराया। ओह्ह्ह एमी कराह उठी और हैरानी से मुझे देखने लगी।

एमी के लिए यह एक नया अहसास था। मैने प्यार से उसे बताया कि क्या हुआ है। उसने अपना सिर हिलाया जैसे वह समझ रही हो। अब मैने अपने दोनों हाथ उसके मम्मों पर रख दिए और उन्हे प्यार से मसलने लगा। कभी पूरे मम्मे को मुट्ठी में भर के हौले से दबाता कभी प्यार से सहलाता कभी निपल को चुटकी में लेकर प्यार से मस्सल देता। एमी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। उसने अब नीचे कोमेरे धक्को की ले में हिलाना भी शुरू कर दिया था।

एमी की चूत टाइट थी और उसकी मांसपेशियों का कसाव मेरे लंड पर ऐसा था जैसे किसी मखमली और फिसलन भी गुफा में मेरा लंड फँसा हुआ हो। उसकी चूत ने मेरे लंड को पूरी तरह से जकड़ा हुआ था।

चूत की पहली चुदाई में ऐसे ही कसाव का मज़ा आता है जो मुझे बहुत पसंद है। मेरा लंड इस समय तक एमी की टाइट फिटिंग योनी में पूरी तरह से लिपटा हुआ था। मैंने इसे और भी अधिक डुबाने का प्रयास किया, मिली की उंगलियों ने मेरी गेंदों को धीरे से सहलाया, जो मेरे आनंद को बढ़ा रही थी।

मैने धीरे से अपने लंड को बाहर खींचा और फिर प्यार से उसकी टाइट चूत के अंदर कर दिया और धीरे-धीरे अपनी गति बढ़ाते हुए यही रिपीट करने लगा। एमी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। मेरे मजे की तो कोई सीमा ही नहीं थी। मुझे अपना लंड एमी की टाइट चूत के अंदर बाहर करने में जो मजा आ रहा था वह शब्दों में नहीं बताया जा सकता। एमी की टाइट चूत का घर्षण ज्यादा तनी देर तक बर्दाश्त करन कठिन था लेकिन मैं कुछ ही देर पहले स्खलित हुआ था इसलिए मैं जल्दी झड़ने वाला नहीं था इसलिए मैंने चुदाई की गति बढ़ानी शुरू कर दी । उसने पिछले दो दिनों में अपनी बहनो की चुदाई साक्षात देखि थी और उसे अब एहसास हो रहा था कि वास्तविक चुदाई में देखने से बहुत ज्यादा मजा आता है ।

मैंने अपने शरीर को सख्त किया और लड़की को तेजी से चोदने लगा जिसने उसके होठों पर और भी तेज कराह ला दी। मेरा बड़ा लंड उसकी योनी में अंदर बाहर फिसलने लगा और उसने महसूस किया कि मेरी गेंदे उसकी योनि के कोमल होंठों के खिलाफ टकरा रही थी।

एमी अब पूरी तरह से चुदाई का आनंद ले रही थी। उसके चेहरे पर अब दर्द की जगह पूरी तरह मस्ती के भाव थे। अब मैने अपने धक्कों की लंबाई बढ़ा दी और पूरा लंड बाहर निकाल कर अंदर कर रहा था। केवल लंड का सुपरा ही अंदर रह जाता और में लंड को वापिस अंदर धकेल देता। में जब लंड को अंदर डालता तो एमी भी नीचे से गांड उठा कर लंड को अंदर लेने में जल्दी दिखा रही थी। एमी की साँसे भी तेज़ गति से चल रही थी। उसका मुँह आधा खुला हुआ था और वह ओह आह हाय आईईईईई ईईई उउउउइई ईईईई! उउउईईईई माँ, आहहहाँ! की आवाज़ें निकाल रही थी।

मैं उस पर चढ़ कर उसे चूमने लगा। चूमते वक्त हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। मैं कम से कम 15 मिनट तक उनके होंठों का किस लेता रहा। साथ में मेरे हाथ उनके मम्मों को दबाने में लगे हुए थे, मैं उसकी चुचियों को बेरहमी से मसलने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगीं-उम्म्ह! अहह! हय! याह!

अपने एक हाथ से उनके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था। फिर कुछ ही देर के बाद मैंने उनके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया। मादक आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं फिर मैंने मम्मों को चूसना शुरू कर दिया। वह ज़ोर-जोर से हाँफ रही थीं आहह! एम्म! ओह! आआअ!

मैंने धक्के तेज किएऔर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। वह पूरी मस्ती में थीं, मस्ती में सिसकारियाँ ले रही थीं-अआहह आआइईई! और करो! बहुत मजा आ रहा है। आअ! ओह्ह्ह आह्हः! आईसीईई! चोदो और जोर से चोदो! आआह और ज़ोर से! उउईईई! आहह! " वह ऐसे ही गर्म आहें और कराहें निकाल रही थीं। वह नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थीं और बड़बड़ा रही थीं-आहहह! और चोदो मेरी चूत को! मैंने उनकी गांड पकड़कर अपनी स्पीड बढ़ा दी, तो वह भी कुछ देर के बाद झड़ गईं। मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से किस करता गया और धक्के लगाते गया। एमी ने आखिरी बार मेरे लंड पर अपनी योनि की मांसपेशिया कस ली और वह और भी अधिक जोर से झड़ने लगी। उसका चरमोत्कर्ष एक नए स्तर तक बढ़ गया और इस नए कसाव ने मेरी बड़ी गेंदों में जमा हुए शुक्राणुओं को स्खलन की और बढ़ा दिया।

मैं एक सुंदर युवा लड़की की चुदाई कर रहा था जो अपनी बहनो से भी अधिक उत्साह से मुझसे छुड़वा रही थी। मेरी गेंदों पर मिली की उँगलियाँ स्खलन के लिए आवश्यक टॉनिक साबित हुईं। एमी की योनि के नादर मेरी पिचकारी के पहले विस्फोट ने एमी को आश्चर्यचकित कर दिया। भले ही उसकी युवा योनी जोर से धड़क रही थी, क्योंकि ऑर्गैस्टिक आनंद की लहरें बाहर की ओर उठ रही थीं, उसने स्पष्ट रूप से महसूस किया कि मेरा लंड बड़ा और मोटा हो गया था और फिर एक मोटी, गर्म तेज वीर्य की धार बाहर निकली और उसके योनि के संवेदनशील मांस और बच्चे दानी से टकरा गयी।

साथ ही हुए उसके एक और संभोग ने उसे एक पल के लिए पंगु बना दिया और फिर उसकी योनि संकुचन करने लगी और मेरे लंड से निकले वीर्य की के प्रचुर मात्रा और भीषण जीवन ने उसे कामोन्माद आश्चर्य की ऊंचाइयों तक पहुँचाया और उसके शरीर को यौन प्रतिक्रिया के चमत्कार अनुभव करने के लिए प्रेरित किया। बेतहाशा कराहते हुए, एमी ने नई ऊर्जा के साथ खुद की योनि को मेरी कमर के खिलाफ तब तक चिपका दिया जब तक मेरे लंड ने उसकी योनी में वीर्य की आखिरी बूंद फेंकी और फिर मैं उसके कांपते शरीर पर पड़ा रहा, तो उसने स्वादिष्ट संतुष्टि की एक धीमी, फुसफुसाती आह दी। "वाह, दीदी सही थी!" ये अध्भुत था और हमारे ओंठ जुड़ गए!

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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#91
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 44

दोबारा करेंगे तो बेहतर लगेगा





एमी, " मैं उसे भरते ही गया और फिर हांफने लगा। उसने मेरा सिर फिर से नीचे किया और मुझे चूमा, तो मेरी सांस उसके मुंह में प्रवेश कर रही थी और मेरा लंड उसके अंदर ही रहा।

मैं उसके ऊपर गिर गया। वह मेरे वजन के नीचे असहज रूप से फुदकने लगी तो मैं साइड में लुढ़क गया। मेरा बड़ा नरम लंड जब मैंने उसके तंग छेद से एक ज़ोर खींचा तो "पोप" की आवाज आयी और यह अर्ध-कठोर अवस्था में मेरे पेट पर टिक गया। जब मैं अपनी पीठ के बल लेट गया, तो मैंने अपने लिंग की ओर देखा, तो पाया कि वह खून और वीर्य के मिश्रण से ढका हुआ था और उस दर्द को याद किया जो मैंने उसे दिया था।

"मेरी प्यारी एमी!, मुझे क्षमा करें मैंने आपको दर्द दिया," इससे पहले कि वह कुछ कहती मैंने अपना हाथ उसकी योनि पर रखा और उसे ठीक करने की इच्छा से उसे सहलाया।

"आआह्ह्ह!," वह आश्चर्य से चिल्लाई, मेरे सहलाने से उसकी योनि में जैसे आग जी जली और उसकी कोमल योनि के दर्द को ठीक कर दिया। जब मैंने अपना हाथ हटाया, तो और उसका दर्द दूर हो गया था।

उसने मुझे प्यार से देखा। "धन्यवाद, लेकिन अब मुझे कोई दर्द नहीं है" उसने कहा। "मुझे एक दी इस दर्द से गुजरना ही था और मुझे ख़ुशी है मैं ये आपके साथ कर पायी और मुझे इससे अब उतना बुरा नहीं लग रहा।"

मैंने उसके होठों पर प्यार से चूमा। "हाँ, लेकिन मुझे लगा कि जब हम इसे दोबारा करेंगे तो आपको बेहतर लगेगा," मैंने जवाब दिया।

एमी ने नीचे मेरे लिंग की ओर देखा और देखा कि यह वास्तव में अपनी पूर्व शक्ति और जोश को पुनः प्राप्त कर रहा है। उसने उसे अपने हाथ में लिया और उसका वजन महसूस किया। वह भारी और धड़क रहा था फिर वह अपना हाथ उसकी लंबाई के साथ ले गयी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके अंदर इतनी बड़ी चीज फिट हो गई है और जैसे ही मैंने उसे अंदर और बाहर किया, वह अच्छा महसूस कर रही थी। वह इसे फिर से करने के लिए इंतजार नहीं कर सकती थी।

"मैंने कभी नहीं सोचा था कि लिंग इतने बड़े होते हैं," उसने कहा।

"अधिकांश नहीं होते," मैंने उत्तर दिया। "मैंने अपने जितना बड़ा दूसरा कभी नहीं देखा।" मैं डींग नहीं मार रहा था, बस उसे सच बता रहा था।

"मैंने हमेशा सोचा था कि वे काफी समान होते हैं," उसने कहा और उसने मेरे लंड को सहलाना जारी रखा। वह विशेष रूप से बड़े बल्बनुमा सिर से मोहित थी जिसे वह लगातार अपने हाथ तक पहुँचने पर निचोड़ती थी।

"नहीं, वे विभिन्न आकारों, मोटाई और लम्बाई में होते हैं," मैंने कहा।

यह जानकर वह थोड़ी उत्साहित हुई कि उसके प्रेमी का लिंग बड़ा था और उसे थोड़ा गर्व हुआ। वह मेरे ऊपर लुढ़क गई और मेरे मुंह पर जोश से चूमा। मेरे हाथों ने उसकी चिकनी, निर्दोष पीठ को सहलाया।

"ठीक है, मुझे लगता है कि मुझे तुम्हारा आकार पसंद है," उसने चुंबन को तोड़ते हुए कहा और मेरे पास बैठ गई। मेरा लिंग मेरे पेट पर पड़ा था, उसकी लंबाई उसकी चूत के होठों के बीच में थी। वह अपने स्लीक स्लिट को लंबे शाफ्ट के ऊपर और नीचे खिसकाते हुए, उस पर नीचे की ओर झुकी। वह कराह रही थी क्योंकि उसकी नरम और गर्म क्लिट मेरी कठोर रॉड से रगड़ी गई थी।

मैं हाथ ऊपर ले गया और उसके बड़े स्तनों को अपने हाथों में ले लिया। मैंने उसके निप्पल को अपनी उँगलियों के बीच घुमाया, जिससे वह कुछ और कराह उठी। मुझे पता था कि उसके पास किसी भी जीवित महिला के सबसे शानदार स्तन हैं। वह मेरे सपनों की रानी के जैसी थी और यह विश्वास करना कठिन था कि मुझे वास्तव में उससे सम्भोग करने का मौका मिला था।

"मैं तुमसे प्यार करता हूँ," मैंने जोश से कहा, क्योंकि मेरा लिंग उसके रगड़ने वाले छेद के खिलाफ तनावपूर्ण था।

"मैं भी तुमसे प्यार करती हूँ," उसने उतने ही जोश के साथ जवाब दिया। जब मैं अपनी बड़ी उँगलियों से उनके साथ खेल रहा था थी तो उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसके निप्पल कितने संवेदनशील महसूस कर रहे हैं। जहाँ भी मैंने उसके शरीर को छुआ, ऐसा लग रहा था कि वह एक जुनून से जल रहा है जिसे उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया था। वह अपने होठों को लगातार कराहने से नहीं रोक सकी। उसका एक बार फिर स्खलन होने वाला था और वह मेरे साथ फिर से मेरे लंड की अंदर ले कर झड़ना चाहती थी।

एमी ने खुद को ऊपर उठाया और फिर उसे मेरे लंड के सिर को उसके गीले, उत्तेजित योनि द्वार पर इंगित करने के लिए थोड़ा और उठना पड़ा। मैंने जोर से हांफते हुए लंड के सिर को अपने म्यान में रखा और फिर धीरे-धीरे अपने आप को मेरे लिंग की पूरी लंबाई को तब तक वापस नीचे गिरा दिया जब तक कि उसका पूरा नितम्ब तल मेरी जाँघों पर टिक नहीं गया।

इस बार कोई दर्द नहीं था, बस उसके पेट में एक भरा हुआ एहसास था एक आनद और मजे का स्वादिष्ट एहसास।

वह मुझ पर बैठ गई, गतिहीन, मेरे पूरे लिंग को उसकी योनी में फंसाए जाने की अनुभूति का आनंद ले रही थी। मेरे लिंग का आधार उसकी क्लीट को दबा रहा था और फिर स्खलन करने की आवश्यकता उस पर भारी पड़ना शुरू हो गयी और उसने अपने कूल्हों को आगे-पीछे करना शुरू कर दिया जिससे मेरे लंड के शाफ्ट के उसके क्लिट को स्पर्श करना और उत्साहित कर दिया।

मैंने उसके स्तनों को सहलाना और दबाना जारी रखा और वह मेरे ऊपर से हिल रही थी। मैं इस खूबसूरत महिला से प्यार कर रहा था, सम्भोग कर रहा था और उसे छोड़ रहा था। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि मैं उसके अंदर पूरी तरह से था, लेकिन बास्तविक्ता यही थी की मेरे लंड की पूरी लंबाई उसके शानदार भट्ठे में दबी हुई थी, वह विश्वास से परे उत्तेजित हो रही थी और वह अब मेरे ऊपर बैठी हुई चुदवा रही थी।

एमी तेजी से और तेजी से आगे-पीछे और ऊपर नीचे हिलती रही। मैंने उसके स्तनों को पकड़ रखा था वह आगे-पीछे कर रही थी।

मैं इस बात से चकित था कि वह हमारी पहली बार ही कितनी कामुक थी। यह ऐसा था जैसे उसकी वृत्ति सभी यौन सुख देने और प्राप्त करने के लिए तैयार थी। शायद ये इस बात का प्रभाव है कि उसने आपने आमने अपनी बहनो और सखियों को मुझसे बार-बार सम्भोग करते हुए देखा था और उन्हें यौन सुख लेते और देते हुए देखा था और वह पूरी तरह से न केवल सम्भोग के लिए त्यार थी बल्कि उत्सुक थी ।

आगे पीछे और ऊपर नीचे करते-करते उसे बहुत पसीना आ रहा था और वह जोर-जोर से साँस ले रही थी, लेकिन वह रुक नहीं रही थी। यह अच्छा लगा! उसके पूरे शरीर को ऐसा लगा जैसे उसमें आग लगी हो और उसके पैरों के बीच की छोटी-सी नोक को ऐसा लगा जैसे उसका पूरा शरीर किसी भी क्षण फट जाएगा।

फिर उसका पूरा शरीर तनावग्रस्त हो गया, उसके कूल्हे आगे की ओर झुक गए, उसका सिर पीछे की ओर गया और उसने अपने प्रेमी यानी मेरे ऊपर संभोग सुख में फूटते हुए शुद्ध खुशी और मजे से कराहने लगी। जब वह मेरी जाँघों पर टिकी हुई थी, तो उसका निचला भाग अकड़ गया और उसने मेरे लंड को जकड़ा और छोड़ा और उसकी योनि संकुचन करने लगी और उसकी उंगलियाँ मेरे सीने में चली गईं क्योंकि उसने अपने शरीर पर से अपना नियंत्रण खो दिया था।

मेरे लंड के चारों ओर उसकी योनि में ऐंठन और संकुचन महसूस करना मेरे लिए बहुत अधिक था और मैं उसके गर्भ में अपने वीर्य के एक और भार से भरते हुए, उसके कुछ सेकंड बाद स्खलित हो गया। जैसे ही मैं उसके तंग मार्ग में स्खलन करने लगा, मैंने अपने नितम्बो को ऊपर उठा लिया और उसे बिस्तर से उठाकर अपने कूल्हों को ऊपर उठा लिया।

वह थकावट के कारण मेरे ऊपर गिर गई मैंने उसके स्तनों को पकड़ लिया, मैंने अपनी बाहों को सीधा रखने में कामयाबी हासिल कर ली। शांत होने के बाद मैंने धीरे-धीरे उसे अपनी छाती पर उतारा, मेरा लिंग अभी भी उसके अंदर फंसा हुआ था। जैसे-जैसे हमारी नग्न त्वचा कई बिंदुओं पर मिलती थी, उसकी योनि अविश्वसनीय रूप से अंदर फड़फड़ाती थी, वह नए जीवन के लिए, बसंत के लिए तैयार थी। वह अभी भी आनद में थी । मैंने उनके माथे को चूमा और उनके आगे बढ़ने से पहले उन्हें थोड़ी देर आराम करने का फैसला किया।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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#92
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग 45


पूरी कोशिश करूँगा




एमी को आराम करते हुए देखकर मिली मेरे पास आयी और मैंने मिली को अपनी बाँहों में उठाया । मिली मुझे पागलो की तरह चूमने लगी मैं उसे धीरे धीरे उन्हें भींचने लगा। मिली की सिसकरियाँ तेज हो रही थी। मैं उसके निप्पलों को अपने दाँतों से दबाने लगा। कभी जोर से उसके स्तन दबा लेता तो वो उछल पड़ती।

मिली के होंठो को अपने होंठो में काबू करते ही उसे अपने लंड के ऊपर बिठाया और उसे गोद में उठा कर धीरे धीरे नीचे जाने दिया मेरा तनकर खड़ा लंड धीरे धीरे अपनी चूत के नादर घुस गया । उसके पूरे बदन का बहार अब मेरे लंड पर था और मैं उसकी संकरी चूत की चमड़ी को अपने लंड की चमड़ी पर रगड़ते आंध्र जाने पर आनंद का अनुभव कर रहा था ।

उसकी बाँहें मेरइ गले में थी ' जैसे ही मैंने उसे थोड़ा नीचे किया और एक ही झटके में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में चला और उसकी योनि के तह में टकराया । 'ओहहहहह म म म मर गई।

कुछ देर में वो अपने कुल्हे उछाल-उछाल कर खुद को मेरे लंड पर ऊपर नीचे कर रही थी ।

अचानक उसका जिस्म थोड़ा थर्राया और उसने मुझे जोर से भींच लिया। 'ऊऊऊऊऊ मेरी चूऊऊत गई...कहकर मिली निढाल हो गई और उसने मेरे लंड की अपनी चुतरस से भिगो दिया । मैंने मिली को उतारा और हुमा को उठा लिया ।

मैंने अब हुमा के अंदर लंड घुसाया और धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिएl फिर कुछ देर के बाद मैंने महसूस किया कि मेरा लंड पानी से भीग रहा है। अब हुमा भी अपना पानी छोड़ने वाली थी, अब वो ऊपर नीचे अपनी कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थी और तेज करो जल्दी करो। जोर से करो आह हाय1 आहहहहहह!और चोदो। मैंने उसके कमर से उसे जकड़ा हुआ था और उसके हाथ मेरी गर्दन पर थे । मैं आपने हाथ उसके चूतड़ों के नीचे ले गया और उसे तेजी से ऊपर नीचे करने लगा। कुछ ही देर बाद हुमा भी झड़ गई और निढाल हो गयी। हुमा मेरी छाती से चिपक गयी ।अब सपना को मैंने उठाया और उसे भी ऐसे ही चौदा तो लिली मेरी पीठ से चिपक गयी और मेरी गर्दन पर किस करने लगी । मेरी पीठ पर उसके बूब्स अपना नर्म प्यारा सा अहसास करवाने लगी। और मेरे छाती पर अपने हाथ फेरने लगी, सपना झड़ी तो लिली ने मेरा लंड पकड़ लिया । दुनिया में ऐसा कुछ भी नहीं था जिसमें उसे कठोर लंड को सहलाने और चूसने से ज्यादा मज़ा आता हो । चुदाई होते देख वो बहुत गर्म थी अपनी चुदाई के लिए ।

मैंने लिली की और देखा लिली मेरी बाहों में में आ गयी और मुझे नीचे लेटाया। जैसे ही मैं अपनी पीठ के बल लेटा , उसने मेरे ऊपर झुककर मेरे लंड को कोमलता से सहलाया। वो मेरे कठोर लंड की कोमल त्वचा की अनुभूति से रोमांचित थी। अपना सिर नीचे करते हुए, सुंदर लिली ने अपनी जीभ बाहर निकाली और हल्के से मेरे लंड के चमकदार सिर पर स्वाइप कर दी। मेरे लंड में कुछ ऐसा था जो उसे चूसने के बारे में सोचकर ही मदहोश थी ।


"ओह !" मैंने हांफते हुए कहा और मेरे संवेदनशील लंडमुंड मांस पर उसकी छोटी गर्म गीली जीभ के बिजली के झटके ने मेरे अंदर की कामवासना भड़का दी ।

लिली पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी, और उसके पैरों के बीच से उसकी गर्म योनी के रस रिसने के साथ, उसने अपने गीले होठों से मेरे लंडमुंड को अंदर ले लिया । लड़किया मुझे मेरे लंड के सिर पर उसके मुंह के कामुक खिंचाव से धीरे से कराहते हुए सुन सकती थी। उसका गर्म थूक मेरे लंड के नग्न मांस को तर कर रहा था, मोटी शाफ्ट से उसका थूक रिस कर को मेरी गेंदों पर गिर रहा था। अपने मुंह में और अधिक रसदार लम्बे और कड़े लंड की चाहत में, लिली ने मेरे लंड के सर के नीचे एक और दो या तीन इंच को अपने होठों के बीच चूसा। मेरा आधे से अधिक शानदार लंड उसके मुंह में होने के कारण, वह इसे अपने गालों के खिलाफ महसूस कर सकती थी। ान ये लंड उसके गले में जा रहा था उसके भूखे होंठों ने मेरे लंड को जोर से चूसा और सूजी हुई घुंडी को जोर से खींचा - वह अपनी उंगलियों को मेरी गेंदों पर ले गयी और उन्हें ऊपर और नीचे हल्के से छेड़ने लगी।

"मम्मम्म!" मैं कामुक परमानंद से कराह उठा।

अपने होठों को और भी चौड़ा खोलते हुए, गुड़िया जैसा सुंदर प्राणी मेरे बढ़ते हुए लंड को और भी अपने मुँह में ले गया। जल्द ही मेरे बड़े लिंग का सिर उसके गले के पिछले हिस्से से टकरा रहा था, मैं अपने हाथ को उसकी योनि पर ले गया तो मैंने पाया की उसकी टांगो के बीच से उसकी चुत का रस बह रहा था।

मैं उसके पंखुड़ी जैसे होठों को थूक से भीगे हुए लंड के चारों ओर प्यार से अंडाकार होते देख रहा ता था। उसने मुझे अपनी तरफ देखते हुए देखा और वह मुझ पर मुस्कुराई, उसकी कोमल काली आँखें जोश से भर गयी थी । उसके ख़ूबसूरत रूप से दमकते चेहरे पर वासना के भाव थे. वह मेरे बड़े रसीले लंड को चूसने का भरपूर आनंद ले और दे रही थी।

उसके कोमल युवा होंठ तेजी से मेरे लंड पर चल रहे थे, मेरा कडा लंड उसके मुंह में दबाव डाल रहा था । उसकी प्रतिभावान जीभ के प्रत्येक चूसे ने मुझे परमानंद की नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। मैं जल्द ही अपने कूल्हों को उस नाव के ताल से ऊपर उठा रहा था, मैं अपने बड़े लंड को उसके गले में गहरा और गहरा घकेल रहा था।

अपने नरम होठों से मेरे लंड को चूसते हुए, लिली ने मेरे लंड को तब तक अधिक से अधिक अंदर लिया और चूसा और फिर उसकी नाक मेरे लंड के आधार के चारों ओर झुर्रीदार बालों की झाड़ी में दब गई और उसके ओंठो ने मेरी गेंदों को चूमा । मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि इस छोटी लड़की ने मेरा पूरा लंड निगल लिया है।

लिली अब मेरे रसदार लंड की बनावट और स्वाद से पूरी तरह से उत्तेजित हो गई थी। उसकी टांगो के बीच से गर्म रस निकल रहा था, जिससे किश्ती पर बिछी हुई चादर पर एक चिपचिपा पूल बन गया। उसे यह महसूस करना रोमांचकारी लगा कि मैं उसके चूसने वाले होठों पर कामुक प्रतिक्रिया दे रहा था । उसके ओंठो के अंदर और चूसे जाने के कारण मेरे कराहने और विलाप करने से उसे अपनी कामुक शक्ति का एहसास हुआ।

अंत में लिली ने मेरे लंड को उसके गले की गहराई से मुक्त कर दिया, और गति के साथ अपना मुंह लंड के ऊपर और नीचे पंप करना शुरू कर दिया। उसके सिर की प्रत्येक हरकत से मेरे लंड का सिर उसके गले के पिछले हिस्से पर लगा। अब लंड उसके मुंह में भर गया था , अब उतना पूरा का पूरा वह अपनी योनी में लेना चाहती थी। मैंने उसकी योनि को सहलाया तो वो गीली और गर्म थी .

"ओह, कुमार," वह मुस्कुराई, अंत में उसने लंड को मुँह से निकाला और पुछा क्या आप लिली की गर्म और रसभरी चुत की चुदाई करोगे ?"

" बिलकुल करूंगा!" उसकी कोमल भूरी आँखों में जोश देखकर मैं तड़प उठा। "मैं तुम्हारी गर्म गर्म चुदाई करूंगा।"

"अच्छा," वह हँसी, जल्दी से अपने घुटो को मेरे कमर पर लाद दिया। "लिली की योनी निश्चित रूप से एक अच्छी चुदाई की जरूरत है।"

लिली उछली और मेरी बाहों में में आ गयी और मेरे गले में बाहे डाल कर,, गोल-गोल घुमाती हुई, और मुझे नीचे लेटाया और वो मेरे लंड के ऊपर आ गयी . फिर सहारे के लिए अपने हाथों को मेरी छाती पर टिकाते हुए, लिली ने अपनी रसीली चूत मेरे लंड की बड़ी घुंडी के ठीक ऊपर टिका दी । मैं उसके सुंदर चेहरे पर वासना को देख रहा था। खूबसूरत लड़की के होंठ और यो नई का छेद सब कुछ छोटा था लेकिन मेरे लंड को लेने के लिए बिलकुल त्यार था ।

लिली थोड़ा नीचे बैठी और प्यार से मेरे लंड के मोटे आधार को पकड़ लिया और लंड के संवेदनशील सिरे को अपनी खुली योनि की गर्म चिकनाई के खिलाफ हल्के से ऊपर और नीचे रगड़ दिया। जब लंडमुंड उसके लीक हुए रस से पूरी तरह से भीग गया उसके उसे उसकी उजागर हुई भगशेफ के खिलाफ रगड़ दिया। उसकी काली आँखें जोश से चमक रही थीं।

आह ," वह चिल्लायी । अब आप मेरी गर्म छोटी योनी को चोदने के लिए तैयार हो ?" वह हंस पड़ी, लंड का सर उसकी भाप से भरी बिल्ली के छेद पर टिका हुआ था।

प्रत्याशा के साथ कराहते हुए उसने धीरे-धीरे खुद को नीचे किया, महसूस किया कि मेरा बड़ा लौड़ा उसके रसदार योनी-होंठों को अलग कर रहा है। और फिर मेरा कड़ा लंड उसके अंदर गहरा और गहरा डूबा . उसने मेरे लंड की घुंडी की मोटाई को महसूस करते हुए अपनी तंग छोटी योनी के गर्म मांस के बीच में लंड को लिया और खुद को नीचे किया ।

फिर में नीचे और लिली मेरे ऊपर थी। मेरे तनकर खड़े लंड पर धीरे धीरे अपनी चूत में घुसा लिया । वो मेरे लंड पर धीरे से उठती और फिर नीचे बैठ जाती जिसकी वजह से लंड अंदर बाहर हो रहा था और वो खुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थी। लिली बहुत गर्म हो गयी थी। मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर उसका साथ दिया। मेरा लंड उनकी चूत के अंदर पूरा समां जाता था तो दोनों के आह निकलती थी। फिर मेरे हाथ उनके बूब्स को मसलने लगे फिर मैं उसकी चूचियों को खींचने लगता था तो लिली सिहर जाती थी और सिसकने लगती थी । इस बीच मैंने लिली की चुदाई जारी थी ।

उसके बाद लिली मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए। फिर थोड़ी देर के बाद वो भी झड़ गयी और मेरे ऊपर लेट गयी ।

तब तक एमी भी उठ गयी थी और हमारी चुदाई देखते हुए उत्तेजित हो गयी वो मेरे ऊपर लेट गयी तो मैंने कहा एमी अब तुम भी मेरे ऊपर आ जाओ मैं आगे हुए और एमी को चूमने लगा ।वो मेरे से चिपक गयी अपनी बायीं बाजू उसकी कमर में डाल कर अपने ओंठो से उसके ओंठो को भावुक और लम्बे चुंबन में दबाया. मेरी गर्म सांस उसके गालो को छू रही थी और और अपने दोनों हाथो से एमी के स्तनों को एक साथ लाकर दबाने लगा जिससे वो कामुक आनंद में कराहने लगी .. आह!

मैंने दाए हाथ से लंड को पकड़ा और योनि के द्वार पर लगाया और दबाया और ज्योत्स्ना की नाजुक योनि में प्रवेश करने के लिए के लिए धक्का दिया । पर लंड अंदर नहीं गया. फिर मैंने ढेर सारा थूक अपने हाथ में लेकर पहले अपने लंड पर लगाया फिर उसकी गीली चूत पर लगाया। थूक से सना अपना खड़ा लंड चूत के मुँह पर रखा और धीरे से कमर को ऊपर उठा कर अपना सुपाड़ा चूत में घुसा दिया । ओह, यस्स्स्स!" वह खुशी से चिल्लाई जब मेरे मोटे लंड की पूरी लंबाई उसके पैरों के बीच के छेद में समा गई।

अपनी योनि के अंदर गहरे दबे हुए लंड पर वो पूरी तरह से बैठी, और उस नन्ही सुंदरी ने अपनी गर्म गीली योनि को मेरे लंड के आधार के चारों ओर घुमाना शुरू कर दिया।

"अब," "बस मेरी शरारती छोटी योनी का रस बाहर निकालो।"

" मैं भी ठीक यही करने का इरादा रखता हूं," मैंने हांफते हुए कहा।

मैंने उसके कूल्हों को मजबूती से पकड़ लिया, और लयबद्ध रूप से उसके गर्म, फूल वाले छेद में लंड को ऊपर-नीचे करने लगा। वासना के साथ आगे बढ़ते हुए, मैंने अपने धड़कते हुए लंड को लड़की की चुभती चूत में और ऊपर (गहरा) कर दिया। मेरी बड़ी अंदर घुसते हुए लंड के कामुक अनुभव में आनंदित, एमी जुनून से मेरे लंड के आधार के चारों ओर उसकी योनि को घुमा रही थी। जितना अधिक मैं अपने लंड को उसके अंदर दबाता और ऊपर को धक्का मारता , वह उतनी ही गर्म होती जा रही थी, जैसे उसके पैरों के बीच मेरा लंड पूरा नादर था और उनकी योनि में बिजली की तरह झुनझुनी निकल रही थी। एमी अपने गर्म, तंग छोटे छेद के अंदर और बाहर मेरे बड़े लंड के घुसने से उत्तेजना से पगला गयी थी ।

"ओह, हाँ, बेबी!" वह चिल्ला रही थी जब मैंने अपने गर्म मांस को बेरहमी से उसकी योनि के अंदर पूरी ताकत से पटक दिया, उसके छोटे गुड़िया के आकार के शरीर को मेरे हर धक्के के साथ मेरे पेट से ऊपर उछाल दिया। मेरा मोटा लंड उसकी वासना से लदी योनी में जोर से अंदर बाहर हो रही थी वह हिस्टीरिक रूप से मेरे लंड पर सवार हो गई थी।

"ओह, बेबी!" एमी चिल्लाई और उसने अपने पैरों के बीच नीचे देखा। "देखो क्या तुम्हारा बड़ा सख्त मुर्गा मेरी रसदार छोटी योनी को कर रहा है!"

नीचे की ओर देखने पर, मैं देख सकता था कि मेरा बड़ा नीला नुकीला शाफ्ट उसकी फिसलन भरी छोटी सी दरार में और बाहर गिर रहा है। मैं उसके नरम गुलाबी योनी-होंठों के हल्के से मोहित हो गया था, जैसे कि मैंने उसे तीखा बकवास किया था।

"तेज़, और तेज़!" वो कराही आयीई। "बस मुझे चौदो !"


मैंने लड़की के कंधों को पकड़ा और उसे उसकी पीठ पर घुमाया, मेरा लंड अभी भी उसके योनि के अंदर था। मेरे नीचे एमी के प्यारे नन्हे शरीर को देखते हुए, मैंने अपने लंड को उसकी नन्ही योनी की दलदली गर्माहट में चोदना शुरू कर दिया।

"यसएसएसएसएस!" उसने मेरी कमर के चारों ओर अपनी सुडौल छोटी टांगों को कसकर बंद कर लिया । "यह योनी को चोदने का असली तरीका है! मुझे ये पसंद है! मैं आपको प्यार करती हूँ! ... मुझे चौदो! ... ऊउउउह! ... आह्ह्ह्ह्ह्ह! ... ऐसे ही करते रहो! ... बहुत अच्छा! ... बहुत अच्छा!"

नितम्बो और अपनी चूत को थोड़ा ऊपर उठाते हुए वो उम्मीद कर रही थी कि मेरा बड़ा लंड और भी गहरा अंदर जाएगा । एमी ने अपनी बचचेदानी के खिलाफलंड की ठोकरों को महसूस किया और उसने उत्साह से मेरे मोटे लंड को अपने लालची छोटे छेद में अधिक से अधिक खींचने की कोशिश की।

मैंने महसूस किया कि एमी पूरी मेहनत से मुझे चोद रही थी, उसकी उत्तेजित योनी मेरे लंड की लंबाई के ऊपर और नीचे कस रही थी। खुशी से कराहते हुए चीखते हुए वो जोर से ऊपर और नीचे करते हुए चुद रही थी।

"ओह!, तुम बहुत अच्छे हो मेरे बड़े लंड वाले चोदू! ओह माई स्वीट डार्लिंग!" एमी ने हांफते हुए कहा उसने उत्साह से अपना चेहरा नीचे किया मेरे ओंठ चूमे और अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी। अपने बड़े औजार से अपनी छोटी सी चूत के छेद को टाइट करके और टाँगे मिला कर अपनी योनि के होठों को आपस में जोड़ कर, और साथ में मुझे चूमते हुए एमी अपनी कामुक जीभ से मेरे मुंह में मेरी जीभ को बहुत ही स्वादिष्ट तरीके से चूस रही थी।

तभी मिली एमी के पास गयीऔर उसकी दायी चूची को सहलाना शुरू कर दिया और लिली उसकी बायीं चूची को दबाने लगी . वो कराह रही थी उसकी कराहो से प्रेरित होकर, मैंने तेजी से गति और अपने धक्को की शक्ति दोनों को बढ़ा दिया, और मेरे हर धक्के पर उसने अपनी छोटी गांड को बिस्तर से उठा कर मेरा साथ दिया । मेरा मोटा भावपूर्ण लंड उसकी योनि को पूरा भर रहा था, एमी मेरे साथ पूरी लगन से चिपकी हुई थी, बेतहाशा मंथन कर रही थी और अपने कूल्हों को मेरे साथ चिपका कर मेरी उग्र आदिम यौन इच्छा का जवाब दे रही थी।

"ओउओह, बेबी!" वह चिल्लाई। "बस मुझे चौदो और जोर से चोदते रहो !"

"मैं पूरी कोशिश करूँगा," मैं चिल्लाया। " तुम अब तक की सबसे तंग योनि वाली लड़की ही ।"

" पता है!" मुझे पता है वह चिल्लाई। "तो बस तुम मुझे चोदो ! मैं इसे प्यार ...... हूँ... बहुत मजा .... रहा है! करते रहो !"

चोदने के लिए एमी के उत्साह से मैं पूरी तरह मोहित हो गया। मैंने अपनी गति बढ़ा दी, मेरा मोटा लंड उसकी गर्म योनी में और जोर से और गहरा घुसा दिया । मैं महसूस कर रहा था कि उसकी गर्म फिसलन वाली दीवारें मेरे लंड की मांसल मोटाई के चारों ओर फैलती और सिकुड़ती रही थी और उसकी योनि संकुचन करने लगी थी । मेरे प्रत्येक शक्तिशाली धक्के को पूरा करने के लिए वो अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर, उसकी उत्तेजित छोटी योनी मेरे धड़कते हुए लंड को निगल रही थी।

"बहुत खूब!" एमी उन्माद में चिल्लायी । "यह बहुत अच्छा है, बेबी ... और जोर से करो और तेज !" "मैंने अपने जीवन में कभी भी इतना अच्छा कुछ भी महसूस नहीं किया है करो और करो !"

इसके बाद मैंने बार-बार लंड को योनि के अंदर पहले धीरे धीरे आगे पीछे किया और फिर तेजी के साथ चुदाई शुरू कर दी । मैंने 8-10 काफ़ी जोरदार धक्के लगाये एमी अपने शानदार संभोग के बीच में चिल्ला रही थी, और उत्सुकता से मेरे स्खलन करने के लिए मेरा इंतजार कर रही थी। एमी ने अपने सुडौल टांगो को मेरे शरीर के चारों ओर लपेटा, जबकि उसकी योनी ने मेरे लंड को चूसा एमी ने अचानक महसूस किया कि फिर मेरे वीर्य की एक धार निकली और मेरे लंड से मेरा वीर्य एमी की चूत में गिरा और समा गया। मेरे झड़ने के साथ ही साथ एमी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और उसने अपने बाँहों और टाँगों से मेरे को जकड़ लिया। मैं हाँफते हुए एमी के ऊपर गिर गया और हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहे।

आपका दीपक
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#93
अंतरंग हमसफ़र

पांचवा अध्याय

लंदन की यात्रा

भाग 01


लंदन की हवाई यात्रा



मैंने उस रात एक बार फिर एमी की चुदाई की और फिर हम रात में उसी नाव में सो गए। सुबह-सुबह मुझे एक संदेश मिला कि मेरा वीज़ा स्वीकृत हो गया है और पिता ने इसे ब्रिटिश दूतावास से लेने की व्यवस्था कर दी है और मुझे लंदन में कॉलेज में प्रवेश लेने के लिए आज ही लंदन के लिए अगली उड़ान पकड़नी है।

मैं जाना नहीं चाहता था क्योंकि मैं अपनी लड़कियों को छोड़ कर जाना नहीं चाहता था । इसलिए सन्देश पढ़ कर दुखी था। लेकिन मुझे अपने माता-पिता से लंदन जाने का आदेश मिला तो इसे टालना मुश्किल था । सन्देश ये भी था की हवाई अड्डे के टिकट काउंटर पर मेरे पासपोर्ट, वीजा और टिकट उपलब्ध होंगे। जब मैंने जाने में अनिच्छा जताई तो रोजी ने मुझ से कारण पूछा?

मैंने उसे बताया मैं आप लोगो से दूर नहीं जाना चाहता।

रोजी ने मुझसे वादा किया कि वह जल्द से जल्द मेरे पास आएगी। मैंने उसे छुट्टियों में मेरे पास आने और अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए कहा और मिली से अनुरोध किया कि वह रोजी, रूबी, मोना और टीना को उनकी आगे की पढ़ाई के लिए प्रवेश दिलाने में मदद करे। मैंने रोजी के खाते में एक उचित राशि हस्तांतरित की जो उनके काम आएगी और उन्हें बोलै उनहे कभी भी कोई भी जरूरत हो तो मुझ से निस्संकोच मांग ले । मैंने मिली लिली और मई से भी वादा लिया की वो मुझ से मिलने आएँगी . सपना . शबनम और लूसी ने मेरा इन्तजार करने का वादा किया।

मैंने जेन और अलका से बात की और उन्होंने मुझसे कहा कि वे भारत और एशिया में एक महीने की लंबी छुट्टी बिताने के बाद कुछ हफ्तों में लंदन लौट आएंगे, और बॉब ने मुझे लंदन में अपने प्रवास के लिए शुभ कामनाये दी । हुमा बोली वो हमेशा मेरा इन्तजार करेगी।


वो दिन गर्म था और लड़कियों ने मुझे जल्दी से दिल्ली हवाई अड्डे पर पहुंचा दिया और मैं लन्दन की की लंबी यात्रा के लिए उनसे अलग हो गया . यह मेरे कॉलेज के लड़के के जीवन का अंत था और अब मुझे अपनी कॉलेज की पधाह्यी की ओर बढ़ना था। और मुझे अपनी कॉलेज की शिक्षा प्राप्त करने के लिए अगले 3 वर्षों तक लंदन में रहना था । l अब मैं दुखी था, कि मुझे अपनी गर्ल फ्रेंड से बिछड़ना पद रहा था ।

मैं हवाई आड़े पर जल्दी पहुँच नीली जींस के ऊपर बुरका पहने एक आकर्षक लड़की में प्रवेश किया,उसने नकाब पहना हुआ था जिससे उसका चेहरा ढंका हुआ था। वह 18 साल के आसापास लग रही थी । उसने मेरे बगल में सीट ले ली , उसने मुझे अपना परिचय आइजा-खान के रूप में दिया, (आइजा जिसका अर्थ है शाश्वत सौंदर्य)।

"आप मुझे आइज़ा कह सकते हैं" वह लगभग पाँच फुट छे की थी, मैं उसका चेहरा तो नहीं देख पाया क्योंकि उसने सर से पाँव तक बुरका पहना हुआ था और मुँह पर नक़ाब था परन्तु उनकी आवाज और हाथ से मुझे एहसास हुआ की वह बहुत ही खूबसूरत होगी । उसके सुनहरे लंबे बाल थे , गोल दृढ़ और उच्च नितम्ब थे , और उस ढीले टॉप में भी उसके स्तन बड़े होने का एहसास दे रहे थे . उस मोहतरमा ने मेरा वही पेन निकाला जो मैंने कल महिलाओं के पास रह गया था और मुझे लौटा दिया और बहुत-बहुत धन्यवाद कहा। उसने कहा जब वह मेरी कलम वापस करने के लिए मुड़ी तो मैं वहां नहीं थी। लेकिन ये वो लड़की नहीं थी जिसने मुझ से मेरा पेन माँगा था . तो वो बोली वो कल अपनी मौसी के साथ वीजा कार्यालय में गई थी।

जल्द ही हम बाते करने लगे और हम पुराने दोस्तों की तरह बात कर रहे थे। उसने मुझे कुछ देर रुकने के लिए कहा क्योंकि वह शौचालय का उपयोग करने जा रही है। जब वह लौटी तो उसने अपना नकाब उतार दिया और बहुत छोटी पोशाक पहनी हुई थी। और बहुत सुंदर लग रही थी। मैं बस उसे देखता रहा। मेरी आँखों में देखते हुए, उसने स्वीकार किया कि वह "अब स्वतंत्र है और कुछ नया करने के लिए उत्साहित है ।" फिर हम चेक -इन काउंटर पर गए।

हमारा परिवार अंतरराष्ट्रीय यात्रियों का परिवार है इसलिए मेरे पास कुछ प्रथम श्रेणी के अपग्रेड कूपन थे, लेकिन चेक-इन के समय बताया गया कि केवल दो आसन्न सीट ही उपलब्ध हैं। मैंने आइजा से पूछा कि क्या वह मेरे साथ फर्स्ट क्लास में बैठना पसंद करेगी। उसने तुरंत हामी भर दी और हमें 3ए और 3बी सीट मिली . यह एमिरेट्स एयरलाइन की फ्लाइट थी।


हमने कुछ नाश्ता और पेय के गिलास साझा किये . यह मुझे बातचीत के दौरान पता लगा की वो वह आगे की पढ़ाई और फिर वहीँ बसने के लिए लंदन जा रही थी। जब हम फ्लाइट में पहुंचे तो ये २-२ की सीट थी और मैंने ैज़ा को खिड़की पर बैठने के लिए आमंत्रित किया जैसे ही फिल्म शुरू हुई, फ्लाइट अटेंडेंट सभी रंगों को कम करने के लिए केबिन में घूमे , और आइज़ा ने कहा, " अगर यह आपके साथ ठीक है तो मैं बात करना चाहूंगी क्योंकि यह फिल्म बकवास है।" मैंने भी फिल्म देखी हुई थी और हामी भर दी थी। हमने अगले 10-15 मिनट एक-दूसरे को बेहतर तरीके से जानने में बिताए। आइज़ा ने एक बिंदु पर कहा, "तुम्हारी आँखें बहुत अच्छी हैं।" मैंने भी उसे कहा एआइएजा तुम बहुत सुंदर हो !

आइज़ा ने कुछ मिनटों के लिए वाहरूम जाने के लिए उठी अपने कैरी-ऑन के लिए ओवरहेड बिन में पहुँच गई (मेरी आँखे उसकी अद्भुत तंग शॉर्ट स्कर्ट के अंदर उसके कूल्हों और टांगो पर केंद्रित थी . मैं उठा और उसकी बैग निकालने में मदद की तो उसके नाजुक गोर बदन से मेरा बदन अपारष कर गया और वो उसके बाद शौचालय की ओर बढ़ गई। जब वह लौटी, तो उसने ढीली-ढाली स्कर्ट और टॉप पहना हुआ था, और जब उसने पूछा कि क्या मुझे कोई आपत्ति तो नहीं है अगर वो सीटों को बांटने वाले हाथ को ऊपर उठा दे?


तो मैंने जवाब दिया "बिल्कुल नहीं!" अब तक मुझे पता चल गया था कि उसके मन में क्या है, क्योंकि उसने फिल्म के एक दृश्य को देखते हुए बोलै था कि सेक्स करते समय देखे जाने का जोखिम उसे उत्तेजित करता है । मैंने उससे पुछा क्या उसका बोई बॉय फ्रेंड है?

वो बोली वो मेरा कजिन है लेकिन वो एक महान प्रेमी नहीं था, वह चुंबन से आगे कभी नहीं जा सका था। ओर जब उसने मेरे साथ यह साझा किया, वह पहले से ही अधिक तेजी से सांस ले रही थी। अब मुझे ये आभास था की वो अभी भी एक कोरी कुंवारी चूत थी।


आइज़ा और मैंने एक कंबल की व्यवस्था की, हम अब अलग नहीं थे, और प्रथम श्रेणी की सीटों पर कंबल में घुस कर चम्मच की तरह चिपक गए । मैंने उसकी पीठ को सहलाना शुरू कर दिया, उड़ान के पहले घंटे में मैं धीरे-धीरे उसकी मांसपेशियों पर काम करता रहा । उसने चुपचाप मुझे चूमा और कराहने लगी, और थोड़ी देर बाद सीट पर मैंने उसकी सुडौल गांड को सहलाया, उसने अपने गांड को वापस मेरे बढ़ते इरेक्शन पर धकेल दिया। मेरे दोनों हाथों उसके ढीले टॉप के नीचे पहुँच गए और मैंने उसके ग्लोब को सहलाया, उसके निप्पल मेरे कोमल के स्पर्श को पाकर नीचे से कड़े हो रहे थे। मैं उसके कोमल होंठों को चूमने लगा।

हमें गले लग कर चूमते देख परिचारिका ने पर्दे नीचे कर दिए और अब हम दोनों पूरी गोपनीयता के साथ एक केबिन में थे ।

जारी रहेगी
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#94
मेरे अंतरंग हमसफ़र

पांचवा अध्याय

लंदन की हवाई यात्रा

भाग 02


हवाई यात्रा में मनोरंजन 




आइज़ा ने एक हाथ से मेरी बेल्ट को खोला , फिर मेरी पैंट खोली और मेरी पैंट की ज़िप की खोल दिया। जैसे ही उसने मेरे अंडरवेअर को नीचे किया मेरे कैसे हुए अंडरवेअर से मेरा कठोर लंड बाहर आ गया ।
,
आइज़ा ने पहले मेरे लंड को महसूस किया और बोली ये तो बहुत बड़ा है । उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया । उसने अपनी उंगलियों को सिर के चारों ओर धीरे से घुमाने में मदद करने के लिए लंड से रिस रहे प्री-कम का इस्तेमाल किया, और लंड को सहलाया। मैंने अपनी पैंट को और नीचे धकेलने के लिए उसके टॉप के नीचे से अपने हाथ वापस ले लिए, जिससे मुझे मेरी सूजी हुई गेंदों के नीचे अपना अंडरवेअर खिसकने में मदद मिली, जिन्हे उसने अब उसके हाथो से खोजा और सहलाया ।


अपनी लार से अपनी उँगलियों को और भी अधिक चिकनाई देते हुए, उसने बारी-बारी से मेरी गेंदों को रगड़ा और मेरे लंड के सिर की मालिश की।

मेरे हाथ अब खाली हो गए थे, और मैं भूख से उसके उभरे हुए निपल्स को दबाने लगा और , कुछ ही देर बाद अपना दाहिना हाथ नीचे खिसका दिया। उसकी स्कर्ट उसके पेट, नितम्बो के नीचे फिसल गयी । उसने नीचे पैंटी नहीं पहनी हुई थी, और स्कर्ट के अंदर उसका योनि क्ष्रेत्र उसके रस से पहले से ही गीला था।

जैसे ही मैंने उसके टीले को सहलाया, उसकी स्नेहन ने मेरी उँगलियों को उसकी गर्म गीली योनी में मिला दिया। अपनी उंगलियों पर रस मलते हुए, मैंने उसके भगशेफ को घेरना शुरू किया और फिर अपनी उँगलियों का इस्तेमाल उसकी चूत के अंदर और बाहर करने के लिए किया, मैंने मेरा अंगूठा उसकी सूजी हुई भगशेफ के खिलाफ धकेल दिया। वह अब और जोर से सांस ले रही थी, और सीट पर अपनी गांड को घुमाना बंद नहीं कर सकती थी, पहले अपनी भीगी हुई योनी पर मेरे दाहिने हाथ को दबा रही थी, फिर उसकी गांड को मेरे लंड पर धकेल रही थी।

तभी, परिचारिका हमारे गलियारे में आई, हमारी पंक्ति में आते ही रुक गई, मेरी ओर देखा (मुझे थोड़ा ध्यान से ? नुझे ही क्यों? यहां हम दो थे !), कुछ बङबड़ाई , फिर जाहिर तौर पर फैसला किया कि हम किसी और को परेशान नहीं कर रहे थे, तो उसने पर्दे ठीक किये और वो आगे चलती रही , भगवान का शुक्र है! हालंकि हम दोनों उस समय पूरी तरह से कपड़े पहने हुए थेऔर कंबल के अंदर थे , इस बात की बहुत कम संभावना थी कि वह कानूनी रूप से विनाशकारी कुछ भी कर सकती है, लेकिन उस मामले के लिए शर्मिंदगी, या एयरलाइन या सह-यात्रियों के ध्यान को आकर्षित करने की जरूरत किसे थी । कम से कम मुझे तो बिलकुल नहीं थी !

जैसे ही परिचारिका चली गई, आइजा फुसफुसायी । "वह जानती है कि हम क्या कर रहे हैं, और उसे जलन हो रही है! अब मैं तुम्हारी लंड को चूसना चाहती हूँ . वैसे तो मैं चाहती हूँ की मैं आप को अपने अंदर लेना चाहती हूं।

लेकिन ये बहुत रिस्की रहेगा!


मैं कुंवारी हूँ और चुप रहूंगी।

मैंने कहा नहीं ये यहाँ करना उचित नहीं होगा। मुझे पता था जब मेरा बड़ा लंड उसकी चूत की सील फाड़ेगा ये बहुत जोर से चिल्लायेगी और फ्लाइट में हम ये खतरा नहीं उठा सकते थे ।

वो बोली लेकिन मुझे अब आपसे चुदवाने की जरूरत है।"

इसके साथ ही उसने अपनी गांड को सीट से उठा लिया और अपने घुटनों को नीचे खिसका दिया, फिर अपने पैरों को थोड़ा अलग किया और वापस पीछे हो गई ताकि मैं पीछे से उसकी टपकती चूत में जा सकूँ। मैं धीरे-धीरे उसकी योनि पर लंड को दबाने लगा तो वो कराहने लगी और चुपचाप मेरे लंड को पीछे धकेल दिया । मैंने भी लंड नीचे दबा दिया ताकि लंडमुंड उसकी योनि के द्वार से दूर हो जाए और आवाजे और कराहे हमारे पड़ोसियों को न जगाएं।


उसी समय, मेरा हाथ उसके भगशेफ को सहलाने के लिए वापस पहुंच गया। परिचारिका की उपस्थिति ने मुझे चौंका दिया था, और रिहाई की अधिकांश तात्कालिकता जो उसके द्वारा मेरी हार्ड-ऑन को सहलाने से बनी थी, कम हो गई थी, इसलिए हम केवल अपने अंगो के स्पर्श की महसूस करते रहे। यह एक अच्छी,आसान चुदाई से पहले की लम्बी फोरप्ले थी, लगातार सहलाने से उसे एक के बाद एक तीन स्खलन हुए और उसके बदन में उसके ऐंठन द्वारा हमारा फोरप्ले विरामित हुआ ।

मेरे लंड पर पड़े उसकी हाथो द्वारा हस्तमैथुन और उसकी गांड के दबाब से मेरे लंड पर उसने दबाब बनाया। मैं अपने जीवन में महसूस किए गए सबसे कष्टदायी आनंद के साथ आया था (वास्तव में पिछले कुछ समय से ही मेरे सेक्स जीवन का आगाज हुआ था , लेकिन आप जानते हैं कि इस समय परिप्रेक्ष्य खोना कितना आसान है।)। मैंने आह भरी, और फुसफुसाया 'आइज़ा, पक्का तुम्हारी योनि में प्रवेश पर स्वर्ग का अनुभव आएगा और ये निश्चित ही मुझ पर कुछ कृपा हुई है जिसने तुम्हें इस फ्लाइट में मेरे पास भेजा होगा। आप नहीं जानती है कि मुझे इसकी कितनी जरूरत थी।"

फिर वह सामान्य रूप से बैठने के लिए सीट पर मुड़ी, और मुझे चुंबन किया । "मुझे भी इसकी उतनी ही जरूरत थी जितनी आप को थी; , लेकिन इसके ऊपर पकडे जाने का ये खतरा मुझे बहुत उत्तेजित करता है । मेरे साथ यहाँ होने के लिए धन्यवाद, मैंने सपना देखा कि मैं इस यात्रा पर मूर्खतापूर्ण तरीके से चुदाई करूँगी । हमने किस किया, फिर उसने मुझ से मेरे टर्न ऑन के बारे में पुछा ?

मैंने उसे अपने पसंदीदा टर्न-ऑन के बारे में बताया। "मुझे जो सबसे अच्छा लगता है वह है चूत चाटना, लेकिन उसके लिए यहाँ कोई जगह नहीं है। क्या आप मेरे साथ विमान के पिछले हिस्से में चलोगी, चले ?"

"आपका क्या मतलब है? शौचालय में?" उसने पूछा।

"हां। अगर हम उचित रूप से सतर्क रहे तो हम वहां बिना हंगामे के पहुंच सकते हैं," मैंने जवाब दिया।

"मैंनेऐसा पहले कभी ऐसा नहीं किया है," आइज़ा ने समझाया।

" मैंने भी इसे पहले नहीं किया है, और हर चीज के लिए पहली बार होता है," मैंने कहा, और अपनी पैंट ऊपर खींची और अपनी बेल्ट बांधी । उसने एक मिनट के लिए इसके बारे में सोचा, और फिर कहा, "क्यों नहीं, चलो कोशिश करते हैं!" उसने स्कर्ट ऊपर खींची और उसे बांध दिया । फिर वह उठी और विमान के पिछले हिस्से की ओर चल पड़ी, मेरे साथ मेरे पीछे पीछे ।

उसने पहले शौचालय में प्रवेश किया, जो खाली था अच्छी बात है कि उड़ान लंबी थी, और सभी यात्री और अभी भी सो रहे थे। और परिचारिकायें ऊंघ रही थी ) मैं उसके ठीक पीछे शौचालय में फिसल गया इससे पहले कि फ्लाइट अटेंडेंट हमे देखटी हम वहां थे। जैसे ही मैंने दरवाजा बंद किया, वह मुड़ी और हम जोश से चूमने लगे। उसने एक त्वरित प्रश्न पुछा , " हम इस छोटी सी जगह में कुछ भी कैसे कर सकते हैं?" जैसे ही मैंने उसकी स्कर्ट की डोरी खोली, मैंने कहा, "बस उठो और सिंक पर बैठो, और मुझे तुम्हारी योनी का स्वाद लेने दो।"

आइज़ा ने स्कर्ट को ऊपर उठा लिया, अपने पैर फैला दिए, और मैं देख सकता था कि उसके योनी होंठ अभी भी उसके अंतिम संभोग से सूजे हुए थे। मैंने धीरे से उसके बाहरी होंठों को जीभ लगाई, कभी-कभी अपने सिर को उसकी जांघों के अंदरूनी हिस्से को चूमने के लिए घुमाया, लेकिन फिर उसकी भगशेफ को घेरने के लिए वापस आ गया, और जैसे ही भगशेफ सूज गया, उसे धीरे से चूसा । गीलेपन का कोई अंत नहीं था; उसने अपना स्नेहन स्टील के सिंक की सतह पर टपकाया और जांघों को नीचे की ओर खींचा।

उसे कुछ और जीभ लगाने के बाद, हमने बेहद गीले लेकिन स्वादिष्ट चुंबन का आदान-प्रदान किया, उसके रस के स्वाद का आस्वादन किया का। मुझे एहसास हुआ कि अब मेरा लंड कितना हो रहा था, और अंत में खड़ा हो गया, उसकी गांड को सतह से थोड़ा खिसका दिया, और अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया, वो मुझ तेजी से आगे पीछे करने लगी. मैं उसकी योनि में ऊँगली करता रहा । यह कम से कम बीस मिनट तक चला, हम दोनों ने आहें भरते हुए और अपने शरीर से गुजरने वाली भारी संवेदनाओं का स्वाद चखा। अंत में, एक धीमी गति से निर्माण के बाद जिसे मैं कभी समाप्त नहीं करना चाहता था, मैं स्खलित हुआ। उसने इसे महसूस किया और वो भी स्खलित हो गयी । उसका आनंद तीव्र और लगभग दर्दनाक था। और हम दोनों झटके खाते हुए बहुत तेजी से हिल रहे थे ।

केबिन में प्रकाश हो गया था और टॉयलेट में सीट बेल्ट का सिग्न जगमगा गया और कुछ देर बाद हमने खुद को कुछ हद तक समायोजित कर लिया।

हम हमारी सीटों पर लौटने को त्यार थे जैसे ही हमने दरवाजा खोला वही परिचारिका मेरी आँखों में देख रही थी। उसने गुस्से में कहा, "कृपया अपनी सीटों पर लौट आएं और वहीं रहें। वायु मार्ग में कुछ अशांति है और कप्तान ने सीट बेल्ट का संकेत चालू कर दिया है।" मैं सोचने लगा क्या इस अशांति का कारण हम थे, लेकिन फिर यह सिर्फ मेरी कल्पना थी ।


जैसे ही हम सीटों पर बैठे, आइज़ा ने सीट डिवाइडर को नीचे धकेलते हुए कहा, "मुझे लगता है कि अब हर कोई जाग रहा है, अब हमे किसी को हमे शर्मिंदा करने का अवसर नहीं देना चाहिए ।"
नाश्ता सेवा शुरू हो रही थी, केबिन की रोशनी चालू थी, और हम फिर से दो अजनबी थे जो विमान में एक दूसरे के बगल में बैठे थे। हमारे 35k मील-ऊंचे प्रेम-प्रसंग का राज सुरक्षित था। तभी आइज़ा मुझसे बोली कुमार अब मुझे जल्द ही पूरी चुदाई चाहिए।


कुछ देर बाद कप्तान दुबई एयरपोर्ट के पास पहुँचने की घोषणा कर रहे थे। इस सफर के पांच घंटे कैसे बीत गए पता ही नहीं चला ।

अब यहाँ पर था एक छोटा सा ब्रेक और उसके बाद हमारे यात्रा जारी रहेगी ।
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#95
मेरे अंतरंग हमसफ़र

पांचवा अध्याय

लंदन की हवाई यात्रा

भाग 03


हवाई यात्रा में छोटा ब्रेक




प्लेन के पायलट ने घोषणा की कि 5 मिनट में वे दुबई हवाई अड्डे पर उतरना शुरू कर देंगे। एयरहोस्टेस ने घोषणा की कि आगे लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे के लिए उड़ान भरने वाले यात्रियों को काउंटर 1 पर एयरलाइंस के ग्राउंड स्टाफ से संपर्क करना चाहिए। दुबई में हमारा 2 घंटे का छोटा ब्रेक था फिर हीथ्रो लंदन के लिए हमारी अगली उड़ान थी ।

हवाई जहाज से निकलने के बाद हमने ग्राउंड स्टाफ से संपर्क किया जिन्होंने बताया कि हीथ्रो के लिए उड़ानें खराब मौसम के कारण 6 घंटे से अधिक देरी से चल रही हैं। हमें इस दौरान विश्राम के लिए एयरपोर्ट होटल में एक कमरा अलॉट किया गया था। लेकिन आइज़ा ने लंदन पहुँचने के लिए अपनी अत्यावश्यकता दिखाई। और गत्विक एयरपोर्ट के बारे में पूछताछ की। वहां भी मौसम खराब था, लेकिन जल्दी साफ होने की उम्मीद थी। उसने अपने विश्वविद्यालय समन्वयक से संपर्क किया और अपनी स्थिति स्पष्ट की। लेकिन उन्होंने उसे जल्द से जल्द विश्वविद्यालय रिपोर्ट करने की सलाह दी।


उसने दूसरी उड़ान में गत्विक एयरपोर्ट के लिए दो सीटें मांगीं। एयरलाइंस के कर्मचारियों ने कहा कि उनके पास केवल एक सीट उपलब्ध है। मेरे पास रिपोर्ट करने के लिए कुछ अतिरिक्त घंटे थे। इसलिए मैंने आइज़ा को सलाह दी की वो वहां जल्दी जाए और वो एक सीट आइज़ा को आवंटित करवा ली , इसलिए अब हमारे पास दुबई में केवल 4 घंटे थे।

ग्राउंड स्टाफ ने हमें होटल में चेक इन करने की सलाह दी क्योंकि लंदन के लिए उड़ानें देरी से चल रही हैं। होटल जल्द ही पूरी तरह से भर जाएगा। "अभी नहीं तो कभी नहीं, या तो अंदर जाओ या हवाई अड्डे पर प्रतीक्षा करो . इसलिए आइज़ा ने उड़ान और सामान आदि बदलने की औपचारिकताएँ पूरी करने के लिए रुकने का फैसला किया और मैं चेक इन करने के लिए होटल के कमरे में चला गया।।" मैंनेउसे फ़ोन पर कमरा नंबर भेज दिया।

अंत में वह होटल के रिसेप्शन पर पहुंची और खुद को आईने में अपने बालों के माध्यम से ब्रश चलाते हुए देख रही थी और सोच रही थी कि क्या वो ये अब करना चाहती है। उसने कमरे में फोन किया, मैं वहीं उसका इंतजार कर रहा था.. लॉबी में चलते हुए उसके पैर कमजोर थे और उसका पूरा शरीर कांप रहा था।

लिफ्ट में सवारी में वो घबरा रही थी उत्तेजना से उसके निप्पल ऊपर से कंकड़ की तरह सख्त थे और वह अपनी कमर के नीचे गीलेपन को महसूस कर सकती थी। वह अब कामुक रोमांच का अनुभव कर रही थी.. दरवाजा उसके सामने था.. क्या वह ऐसा कर सकती थी? उसने कमरे पर दस्तक दी। तुरंत दरवाज़ा खुला और मैं वहाँ उसे देखकर मुस्कुरा रहा था.. उसने वापस मुस्कुराने और कमरे में प्रवेश करने की पूरी ताकत लगा दी।

मैं आते हुए कमरे में शैंपेन की एक बोतल के साथ उसकी पसंदीदा शराब की एक बोतल भी ले आया था । जैसे ही उसने कमरे को देखा, वह बहुत अच्छा था, खिड़की से एक सुंदर दृश्य दिख रहा था, उसका ध्यानबड़े आकार के बिस्तर की ओर गया जो कमरे का मध्य भाग में सजा हुआ था। उसका मन पूछ रहा था कि वह यहाँ क्या कर रही है, लेकिन उसका शरीर पहले से ही अपने आप को तैयार कर रहा था ..।


मैंने उसे लंबी उड़ान के बाद फ्रेश होने के लिए कहा। गर्म टब में पानी भरा हुआ था उसने अपनी टांगो को पानी में भिगोया और छूट की शेव की और यह सुनिश्चित करने के लिए की उसकी टाँगे चिकनेी थी उसने टांगो और चूत की त्वचा को नरम करने के लिए लोशन लगाया । उसके शरीर पर कोई अनचाहा बालों नहीं था . उसे लगा आज उसका बड़ा दिन आ गया है। वह शौचालय की दीवार पर घूमती हुई घड़ी देख रही थी लेकिन वह बहुत चिंतित नहीं दिखना चाहती थी लेकिन वह जितनी जल्दी हो सके मेरे पास आना चाहती थी। अंत में ... उसने अपना सबसे अच्छा परफ्यूम लगाया औरमेरे डरा लायी गयी न्य लाल लेहंगा, लाल टॉप और कुछ आभूषण पहने जो मैंने हवाई अड्डे पर मॉल पर ही खरीदे थे । वह जानती थी कि उसका टॉप का हिस्सा उसके बिना ब्रा पहने हुए उसके स्तनों से चिपक गया है और वो उसकी निपल्स पर रगड़ खा रहे थे उसने उन्हें दो छोटी उंगलियों में ऊपर की ओर उठाया तो पाया वो सख्त हो गए थे । वह एक बार फिर घबरा गई, "मैं ये क्या कर रही हूं?" वह खुद से पूछती रही कि अगर उसके परिवार को पता चल गया तो क्या होगा..?


शौचालय से बिस्तर पर जाना उसे बहुत लंबा लग रहा था फिर वो आगे बढ़ी और वह मेरे पास आ गयी । मैं उठा और शराब के साथ लौटा और बिस्तर के किनारे पर बैठ गया और दो गिलास भर लिए और खुशियों के नाम पर गिलास खली किये . हम थोड़ी देर बातें करते रहे वह अभी भी घबराई हुई थी लेकिन शांत होने लगी थी, मैं दिल्ली हवाई अड्डे से पिछले 7 घंटे से उसके साथ था। उसने महसूस किया कि उसके निपल्स सख्त और लंबे हो गए हैं क्योंकि उसे यादआया कि हमने उड़ान में क्या किया था। हमने किस किया, स्मूच किया, एक दुसरे के अंगो को छाता और चूसा और । जब हम बात कर रहे थे तो मैंने उसके हाथों को चूमा, मैंउसके निप्पल को देखता रहा और फिर मैंने उसके निपल्स के बारे में एक रमणीय टिप्पणी की और वो हंसने लगी, उसका तनाव कम हो गया था। मैं आगे झुक गया और उसे उसकी गर्दन पर एक छोटा सा कामुक चुंबन दिया और वह पिघल गई। मैंने उसे ओंठो पर चूमा और उसकी ब्लाउज की डोरिया खोल दी ।

उसके ऊपर की डोरियन ढीली करके मैंने उसका ब्लाउज निकला दिया और उसने मेरी कमीज के बटन खोल दिए। मेरी जीभ ने उसकी त्वचा को ऐसा महसूस कराया जैसे कि उसमें आग लगी हो। मैं बहुत धीमी और कोमल और रोमांटिक था और जब मैंने उसके निपल्स को चूमा तो वह एक छोटे से झटके के साथ स्खलित हो गयी ।

हमारे बाकी कपड़े कब और कैसे उतरे हमे पता ही नहीं चला । हम बिस्तर पर थे और मेरी जीभ उसके बालों की रेखा से लेकर उसके घुटनों तक, उसके पूरे शरीर पर गयी और जब उसकी योनि से गुजरती थी, तो सबसे हल्का स्पर्श कर निकल जाती थी , वह इतनी कामुक थी कि वो चाहती थी की मैं उसकी योनि चूमू और इसके लिए वो कराह रही थी .. मैं अपना चेहरा नीचे किया और उसकी पीठ की मालिश की, उसे चूम लिया। फिर मैं उसके नितम्बो के गालों से खेला और मेरी जीभ उसकी गांड को धीरे से सहला रही थी, उसकी चूत की ओर बढ़ रही । वह उसी का इंतजार कर रही थी, उसकी चूत भीग रही थी और मैंने योनि के होठों को कुतर दिया, जिससे उसका शरीर हवा में उठ गया और मेरी जीभ उसके अंदरलेने की कोशिश कर रहा था। जब मेरी जीभ अंत में घुसी तो वह जोर से हांफने लगी और उसके तरल पदार्थ बाहर निकल आए ।

उसने अपने घुटनों को फर्श पर झुका दिया और मेरे लंबे बिना खतना के लंड के साथ खेलने लगी । यह अहसास कि उसने कभी इतना बड़ा नहीं देखा था, उसकी कल्पना को हवा दे रहा था.. भगवान क्या होगा जब ये नादर जाएगा . अगर वह इसे नहीं ले पायी तो क्या होगा ? उसने अपना मुंह नीचे किया और मुझे धीरे से चूसा जब तक कि मेरा लंड बिलकुल कड़ा नहीं हो गया । उसने पूरा लंड देखा . हाथ लगा कर लम्बाई और आकार का अंदाजा लगाया ।

मेरा इरेक्शन देखकर आइजा ने हांफते हुए कहा, 'ओह माय गॉड। इतना बड़ा ! उसकी दहशत भरी निगाहें इधर-उधर भटकती रहीं ।

मुझे बताओ," मैंने उसकी चूत के बाल रहित होठों के बीच अपनी उंगलियाँ चलाते हुए कहा।

“आप आज मेरी चूत फाड़ देंगे और फिर मुझे चौदेंगे, "उसने कहा।

"तो चलिए शुरू करते हैं," मैंने उसे चूमते हुए कहा।

मैंने उसे कमर से पकड़ लिया और अपने अंदर खींच लिया। जैसे ही मेरा लंड उसकी गांड की दरार में घुसा, वह हांफने लगी। मैंने उसे फर्श से ऊपर खींच लिया, उसे बग़ल में घुमाया। मेरा लंड चूसने के बाद अभी भी उसकी सांस फूल रही है। वह मेरी ओर मुड़ी, तो जब वह ऊपर आई तो हम आमने-सामने थे, पेट से पेट, चूत से चुभन। मेरी बाहें उसके चारों ओर आ गईं और मैंने उसे अपने अंदर दबा लिया।

थोड़े से प्रयास से मैंने लंड को उसकी जाँघों के बीच में रखा और अपना पूरा वजन उसके पेट पर गिरने दिया, जिससे उसने अपनी सांस को बाहर निकाला। मैंने मेरा लंड उसके योनि के ओंठो पर कसकर जाम कर दिया , यह उसकी चूत के होठों के खिलाफ दब गया ।

एक पल के लिए वह वहीं लेट गई, वो भारी साँसे लेनी लगी और उसका सीना भारी हो गया, हर सांस के लिए एक कराह निकल रही थी । मैंने देखा उसे दिखात हो रही है तो मैं उसकी बगल में फिसल गया, अपने शरीर को उसके पास दबा दिया और कहा, आईज़ा . जब तुम ऐसे साँसे लेती हो तो तुम मुझे इतना गर्म कर रही हो और मैं भी तुम्हारी तरह उत्तेजित हो गया हूँ ।"



"आह-नाही -," उसने जोर से कहा। उसने अचानक अपना सिर और कंधों को ऊपर उठा लिया, वो मेरे से दूर जाने की कोशिश कर रही थी लेकिन वह जल्दी से वापस बिस्तर पर गिर पड़ी।

मैंने कहा लेकिन आप ये चाहती थी ।

उसने मुझे धक्का देने की कोशिश की नो प्लीज। यह बहुत बड़ा है । मेरा इतना छोटा हूँ कि मैं इसे नहीं ले पाऊँगी । यह मुझे फाड़ देगा।


मैं उसके ऊपर लुढ़क गया और उसके पैरों को अलग कर दिया। जैसे ही मैंने खुद को उस पर स्थापित किया, मैंने कहा, "हाँ, हाँ, मुझे पता है कि आप इसे अपने अंदर चाहती हो ।" मैंने अपने कूल्हों को उठा लिया और अपने लंड की लंबाई को उसकेयोनि पर सहलाया, उसे सिलवटों के बीच दबा दिया। "अब ये वहाँ है, आइज़ा।"

ना! ना !!" जैसे ही उसके फेफड़े हवा से भर गए, वो रूआंसी हो गयी । "नहीं !! नहीं! रुको !! मत करो !! नहीं !!"

मैंने लंड उसकी योनी के खिलाफ रगड़ दिया और अपने लंडमुंड को उसके क्लिट के खिलाफ रगड़ा । "हाँ, हाँ, आप इसे चाहती हो इसलिए मैं इसे आपको दे रहा हूँ और देखना आपको कितना मजा आयेगा और आप इसे कैसे पसंद करेंगी । मैंने उसके स्तनों को सहलाया देखो आपके स्तन तंग हैं और निप्पल कठोर हो गए हैं !" आपकी योनि गीली और तैयार है। अपने कूल्हों को ऊपर उठाकर, मैंने नीचे दबाया और मेरे लंड का सिर उसकी चूत के होठों के बीच प्रवेश द्वार पर फंस गया।

"आह! नहीं !! इसे मत डालो !!, कृपया !! मत करो !!" उसके संघर्षशील शरीर ने मुझे ऊपर धक्का दिया, और उसके कोमल मांस में अचानक मेरा लंड घुसा तो वो रो पड़ी और मैं एक तंग चुदाई की प्रत्याशा में कराह रहा था।

मैंने उसके पैरों को अपने घुटनों से अलग किया और उन्हें अपने कंधों पर रखकर मेरे लंड को उसकी योनि के होंठों के बीच की दरार में ऊपर-नीचे रगड़ना शुरू कर दिया। यह कितना अद्भुत लगा इस आनद का वर्णन करने में शब्द विफल हैं । इस नई सनसनी का आनंद लेने के लिए उसने भी अपनी आंखें बंद कर ली थी।

उसने मुझे अपने से दूर धकेलने की कोशिश करना बंद कर दिया और इसके बजाय खुद को मेरे नीचे से बाहर खींचने की कोशिश की, । "उह-उह, 'आइज़ा'," मैंने उसे कंधों से पकड़ लिया और धीरे-धीरे लेकिन मजबूती से उसे उसे अपने नीचे धकेल कर पकड़ लिया ।

"ओह, गॉड, नहीं !! अभी नहीं ! मुझ में नहीं !! अंदर नहीं - आघ्ह!", जैसे ही मैंने उसके योनी होठों के बीच पानी लंड का सिर रखा और आगे धक्का दिया, जैसे ही मैंने उसे अंदर धकेला वह चिल्लायी । वह तब सचमुच चीखने लगी। "आह !! आह !!" धीरे-धीरे, मैंने उसे अंदर धकेल दिया, क्योंकि वह प्रवेश पर पीड़ा में चिल्लाई उसका सूजा हुआ मांस मुझे बाहर रखने की असफल कोशिश कर रहा था। "नहीं !! !!" उसकी जांघों ने मुझे रोकने के लिए एक साथ जकड़ने की कोशिश की।

मैंने उसे चूमा और उसकी जाँघों को अपनी जांघो से नीचे को दबाया और घुरघुराया। "मेरा लंड तुम्हारे अंदर जा रहा है। मैं तुम्हारी योनी को अपने लंड से भरने जा रहा हूँ, इसे तुम्हारे योनि में गहराई से घुसाने जा रहा हूँ।" मैंने उसकी चीखों के बीच उसके कान में बोला । "वहाँ। क्या आप इसे महसूस कर सकती हैं?आईजा अब मैं आपकी कुंवारी योनि में गहराई से खुदाई करने वाला हूँ। जल्द ही मेरा पूरा लिंग तुम्हारे अंदर चला जाऊंगा।"

आइजा अब केवल चीख सकती थी। लेकिन वो भी नहीं कर पायी क्योंकि उसका मुँह मेरे ओंठो में था और उसकी ताकत कम होने लगी थी, और वह केवल इतना कर सकती थी कि उसका सिर तड़प-तड़प के पीछे गिर गया , यहाँ तक कि मेरी टाँगों पर उसकी जाँघों के विरोध का दबाव भी कम होने लगा। अब एकमात्र लड़ाई बची थी उसकी सिकुड़ी हुई चूत मेरी पैठ को रोकने की कोशिश कर रही थी।

मैंने महसूस किया कि मेरालंड उसके हाइमन के खिलाफ दबा रहा है। "क्या आप इसे महसूस कर सकती हैं, आइज़ा? मेरा लिंग आपकी चेरी पर है। अब ये आगे जा रहा है, आइज़ा, मैं धक्का दे रहा हूँ। मैंने अपने कूल्हों को नीचे किया और जैसे ही वह दर्द में चिल्लाई, मेरे लंड ने झिल्ली को फाड़ा और पूरी तरह से अंदर चला गया । उसकी ऐंठन वाली सुरंग की चिपकी हुई मासपेशिया लंड के स्वागत मेंअलग हो गयी । "आह," मैंने आह भरी, "वहाँ है। बस हो गया !"

ऑफ आह्ह्ह! हाय मार डाला !!" बहुत दर्द हो रहा है !

लैंड को उसकी मांसपेशियों ने उसके अंदर जोर से पकड़ रखा था, अमिन उसकी योनी की मेरे लंड पर कसावट का आनंद ले रहा था। "कैसा लग रहा है, आइज़ा," मैंने पूछा, "अब तुम्हारी चूत पूरी तरह से फैली हुई है और मेरे धड़कते हुए लंड के साथ गहरे अंदर तक फैल गयी है


अंत में मैंने उसमें प्रवेश कर लिया थाऔर उसका कौमार्य भंग कर दिया था .. ओह, आइज़ा," मैं लंड के चारो और कसावट के कारण मजे से कराह रहा था, "तुम्हारी योनि सच में बहुत टाइट है ।" मैंने थोड़ा बाहर निकाला और थोड़ा गहरा धकेल दिया । वह चिल्लायी क्योंकि शाफ्ट उसके योनि में आगे बढ़ गयी थी औरउसकी मांसपेशिया लंड के लिए समायोजित हो रही थी।

वो बोली प्लीज बाहर निकाल लो . बहुत दर्द हो रहा है तुमने मुझे चीर दिया है . मुझे मालूम था अगर बाहर निकाला लिया तो ये फिर कभी अंदर नहीं ले पाएगी . इसे अभी और चुदना है . कुछ देर बाद उसने रोना बंद किया तो मैंने थोड़ा लंड बाहर निकाला और फिर लंड का सिर उसके योनी के होंठों के बीच दब गया तो मैंने एक धक्के के साथ फिर उसे और भी गहरा जाम कर दिया, जिससे वह फिर से गरजने लगी। मेरा लंड उसके अंदर गहराई तक चला गया और उसके बच्चेदानी को चूम रहा था ।

आप मुझे चोट पहुँचा रहे हैं,, कृपया रोको ... अब बस करो !!"

तुम्हारी चूत बहुत कसी हुई है, मैं उसकी सूजी हुई योनी में लंड तेजी से अंदर-बाहर करने लगा और वह हर जोर से कराहने लगी। ओह्ह आह्हः . अब उसकी कराहो में दर्द कम मजा ज्यादा था।


"क्या आप मेरी गेंदों को अपनी गांड पर महसूस कर रही हो , बेबी? क्या आप उन्हें बड़ी होते हुए महसूस कर रही हो ?

ओह आह !

"बेबी मेरी गेंदें शुक्राणुयो से फूल रही हैं, ओह आइज़ा मेरी गेंदे अब तेजी से भर रही है! ओह, आइज़ा! अब इसे रोकना मुश्किल हो रहा है!"

चोदो, जोर से चोदो . तेज करो . पहली बार वो ये शब्द बोली जो इस बात का स्पष्ट संकेत था की अब उसे पूरा मजा आ रहा था .

"मैं आप में अपने वीर्य डालने जा रहा हूँ, बेबी ! "

"हां प्लीज हां ,, ..!!" तेज करो !

"हाँ, बेबी , हाँ," मैंने हांफते हुए कहा। "मैं तुम्हें वीर्य से भरने वाला हूँ। मैं तुम्हें भरने जा रहा हूँ, हां ।

"फट फट फट अब योनि और मेरी जनघो के टकराने पर आवाज आ रही थी !"

"तुम तैयार हो, है ना, बेबी? उसके नितम्ब भी अब मेरे धक्को की लए में हिलने लगे थे ।

जैसे-जैसे मेरे धक्के तेज होते गए, मेरी सांसें तेज और तेज होती गईं। लंड अब उसके अंदर और बाहर तेजी से तेज़ हो रहा था।

" ,,, कृपया ,,, मैं भीख माँगती हूँ ,मुझे भर दो ," वह चिल्लाई ..

"उह्ह्ह " मैंने बेरहमी से अपने लंड को उसकी तंग योनी में दबा दिया और लंडमुंड फूल गया और मेरे बीज का पहला मोटा झोंका उसके गर्भ में फैल गया।

"ओह्ह्ह !!" वह भी साथ ही चीखी, उसकी आँखें डरावनी थीं, क्योंकि उसने अपने उभार के भीतर उल्लंघन करने वाली उपस्थिति को महसूस किया वह छोटी लहरों के साथ कम्पनी लगी . फिर उसका कम्पना तेज हुआ वो कराह रही थी क्योंकि उसका शरीर अकड़ कर मेरे पास झुक गया वो स्खलित हो रही थी ।

ओह्ह! के साथ मैंने शुक्राणु के एक दूसरे उग्र विस्फोट को उसके अंदर डाला मैंने फिर से लंड आगे पीछे किया औअर फिर से घुरघुराने लगा।

वह एक झटके के साथ नीचे लेटी क्योंकि लंड फिर से उसके अंदर घुस गया था ।

बार-बार मैं घुरघुराया और ऐंठन वाले लंड ने उसे भरपूर सफेद क्रीम से भर दिया। बार-बार वह कराहती रही क्योंकि हिंसक रूप से धड़कता हुआ लंड उसके गर्भाशय ग्रीवा के बीच से और उसके उपजाऊ गर्भ में शक्तिशाली वीर्य के झोंके के जबरन स्पर्ट के अंदर कसकर जाम हो गया। वह जानती थी कि मैं उसमें अपना बीज बो रहा हूं।

फिर कुछ देर बाद जब मेरी साँसे सम्भली मैं उसे चूमने लगा और उसके स्तन और निपलो से खेलने लगा मेरा लंड उसकी चूत के अंदर था और मेरी जीभ उसके मुँह में फिसलती हुई उसे लगभग पागल कर रही थी.. ।

उसने मुझे नीचे लिटाया उसने मेरा बड़ा लंड अपनी गहराई में खिसका लिया और मेरी सवारी करने लगी .मेरे हाथ लगातार उसके स्तनों और निप्पलों के साथ खेल रहे थे जिससे वे सूज गए थे। जब मैं अगली बार उसके कांपते शरीर के अंदर स्खलित हुआ मैंने अपने नितम्ब ऊपर उठा लिए और वो भी साथ में बिस्तर से उठ गयी .. वो भी साथ ही स्खलित हुई और मुझे गले लगाते हुए मेरी छाती पर गिर गई।


हम एक लंबे समय के लिए, उसी तरह रहे, एक दूसरे को सहलाते हुए, आखिकार हमे एहसास हुआ कि कितनी देर हो चुकी है ..हमने एक साथ स्नान किया औरउसने मेरे लंबे लंड को फिर से उसकी योनि पर रगड़ना शुरू कर दिया क्योंकि यह फिर से सख्त होने लगा था, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी, तीन घंटे से ज्यादा समय हो गया था .वह और चाहती थी लेकिन अब उसकी फ्लाइट का समय था। हमें अलग होना पड़ा। हम त्यार हुए मैंने वो पोशाक उसे तोहफे में दी और फिर मिलने का वादा किया और उसे एयरपोर्ट पर चेक-इन काउंटर पर विदा किया और वापस अपने कमरे की तरफ चल दिया ।

अब यहाँ पर था एक और छोटा सा ब्रेक और उसके बाद यात्रा जारी रहेगी ।
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#96
अंतरंग हमसफ़र

पांचवा अध्याय

लंदन की हवाई यात्रा

भाग 04

एयरलाइंस की वो परिचारिका




क्रिस्टी एयरलाइंस की परिचारिका थीं और हर हिस्से से सुंदर दिखती थीं। क्रिस्टी ही वो परिचारिका थी जिसने हमें फ्लाइट में कंबल दिया था और पर्दे खींचे जब मैं ैज़ा को चूम रहा था और उसके स्तन सहला रहा था , क्रिस्टी लंबी, पतली, सफेद-सुनहरे बालों के साथ, बड़ी, दांतेदार मुस्कान, लम्बी नाक, और उज्ज्वल, चमकदार भूरी आँखो वाली परिचारिका थी । हालांकि उसके बहुत बड़े स्तन नहीं थे, लेकिन वे उसकी लाल और बेज रंग की पोशाक में उसे अलग दिखाने के लिए पर्याप्त थे।

क्रिस्टी की नज़र में, दुबई ,., देश का हिस्सा होने के बावजूद एक बहुत ही आधुनिक शहर जैसा दिखता था। सब कुछ व्यवस्थित लग रहा था, और दुबई की रात के आसमान में पूरी दुनिया शांतिपूर्ण दिखाई दे रही थी। एयरपोर्ट मॉल की बालकनी से चांद और सितारे स्पष्ट दिख रहे थे । '

वह भारत से दोपहर में उसी उड़ान से आई थी जिसमें मैं और आइज़ा दुबई पहुंचे थे, और उसकी अगली उड़ान हीथ्रो लंदन के लिए निर्धारित थी, पहले से ही वो उड़ान छह घंटे की देरी से उसने वाली थी और अभी आगे की उड़ान 4 घंटे के बाद प्रस्थान के लिए निर्धारित थी, जिस पर वह फिर से परिचारिका के रूप में काम करने वाली थी, मौसन खराब होने से उड़ान में देरी हो रही थी । उसके पास यह विश्वास करने का कोई कारण नहीं था कि वह उस समय उस पर नहीं होगी।

उसके बाल उसके कंधों के चारों ओर नीचे थे, लहराते थे लेकिन घुंघराले नहीं थे, और उसके माथे पर बिखरे हुए थे।

उसने रात की हवा में गहरी सांस ली क्योंकि वह होटल के उस कमरे में फ्लाइट कैप्टन एलेक्स का इन्तजार कर रही थी जो उसे लेने के लिए आने वाला था । यह किसी भी विदेशी देश में उसकी पहली रात थी, और युवा, बीस वर्षीय लड़की ने अभी कुछ दिन पहले ही परिचारिका के तौर पर काम शुरू किया था और हवाई दुनिया की चमक दमक से चकित थी । उसने उन विभिन्न बाज़ारों को देखा था जहाँ से उसकी टैक्सी होटल के रास्ते में गुज़री थी, और अगले दिन दोपहर में विमान में लौटने से पहले वह कुछ खरीदारी करना चाहती थी। एलेक्स, वो उस फ्लाइट में केवल कप्तान को ही जानती थी और कप्तान ने उसे एक शानदार शाम का वादा किया था, और फिर शपथ ली थी कि वह अगली सुबह भी उसे खरीदारी करने के लिए ले जाएगा।

'क्रिस्टी , एक बीस वर्षीय कुंवारी यहां तक कि संयुक्त राज्य अमेरिका में भी दुर्लभ थी । वह चौड़ी आंखों वाली और मासूम थी, और उसने परिचारिका प्रशिक्षण कॉलेज से प्रशिखन पूरा किया था, उसे बिल्कुल पता नहीं था कि परिचारिकाओं और यात्रियों, और परिचारिकाओं और एक एयरलाइन के चालक दल के बीच क्या चल रहा था या चलता है । उसके लिए, बस इतनी ही होने वाला था की वो एक नाइट क्लब में जाते शो देखते भोजन करते और या तो कार में या उनके होटल के किसी कमरे में फिर थोड़ा गले मिलते। उसे इस बात का अंदाजा नहीं था कि इसके विपरीत कप्तान एलेक्स का मानना है कि वह जानती है की इसके बाद क्या होता है और परिणामस्वरूप अपने प्यारे, पतले शरीर का पूरा, लाभ उठाने का इरादा रखती है।

दरवाजे पर एक दस्तक से उसकी वृत्ति ने उसे बताया कि एलेक्स उसे लेने आ गया था । वह इतनी गर्म रात थी, उसे स्वेटर की जरूरत नहीं थी। इस देश में ठंडा नहीं लगता क्योंकि सब जगह एयर कंडीशनर चल रहा था और बालकनी में उसे गर्म महसूस हुआ था । उसने पतला टॉप पहना हुआ था उसने अलेक्स का इंतजार किया लेकिन एलेक्स नहीं आया . रूम सर्विस स्टाफ बर्तन लेने आया था । वह ऊब गई थी इसलिए वह अपने कमरे को बंद कर होटल की लॉबी में चली गई और उसने दूर से देखा कि एलेक्स एक काले बालो वाली लड़की के साथ होटल से बाहर जा रहा था । उसका दिल टूट गया। वह एयरपोर्ट मॉल में चली गई और उसने वहां कुछ खरीदारी कर समय बिताया और फिर उसने मुझे चेक-इन काउंटर से मेरी पैंट में एक बड़ा उभार लेकर अकेले बाहर आते हुए देखा। उसने मुझे एक्सक्यूज मी मिस्टर कुमार कह कर बुलाया ।

हमने कुछ देर बात की। हमने एक-दूसरे का परिचय प्राप्त किया कुछ समय बाद हमने यह जानने का फैसला किया कि हमारे पास उपलब्ध समय में हम क्या कर सकते हैं। होटल की यात्रा हेल्पडेस्क मददगार थी और हमें बताया कि हमें एक वीज़ा चाहिए होगा जो बहुत आसानी से उपलब्ध हो जाएगा । हम अपना पासपोर्ट लेने के लिए अपने कमरे में लौट आए और यह तय हो गया कि रास्ते में मैं क्रिस्टी को के लूंगा।

जब उसने दरवाजा खोला, तो वह मुस्कुराई, उसने मुझे, लंबा, सुंदर, काले बालों से भी सिर वाला पाया, हालांकि मेरे ऊंचे माथे को देखकर उसने कहा कि मैं एक दिन मैंआपने बाल खो दूंगा तो मैंने कहा हमारे परिवार में कोई भी तकला नहीं है और सब ऊँचे माथे वाले हैं । जब मैंने बात की तो मेरी आवाज गहरी थी, लगभग सुरीली थी, और उसे यह स्पष्ट था कि 'क्रिस्टी को मैं अपने साथ घुमाने ले जा रहा था । हालाँकि मैं एक छात्र था लेकिन उसने मुझे सुंदर और आकर्षक पाया और उसने मेरे गालो पर एक मीठा चुंबन दिया । .

मैंने हल्का सूट पहना हुआ था और इसने मेरी मर्दानगी को कम करने के लिए कुछ नहीं किया। निश्चित रूप से मैं सूट में अधिक दबंग लग रहा था, लेकिन इस तरह मैं सुंदर दिखने के साथ-साथ अधिक मानवीय लग रहा था।

मैंने उसे अपना हाथ दिया, और जब वह अपने कमरे का दरवाजा बंद कर चुकी थी, तब हम चले गए। मैं उसे नीचे ले गया हमने पासपोर्ट पर वीसा लगवाया और मैंने एक रेनॉल्ट कार सामने की सीटों के साथ किराए पर ली थी , जो एक लीवर के दबाए जाने पर कार में एक बिस्तर बन सकती थी ।

हम एक स्थानीय नाइट क्लब में गए और वहाँ 'क्रिस्टी ने बेली डांसिंग, बाजीगरी , आग खाने वाले, और कई अलग-अलग कृत्यों को देखा, जब हमने एक स्वादिष्ट डिनर किया ।

बाद में, मैं उसे कार तक ले गया और शहर के ठीक बाहर कुछ प्राचीन खंडहरों से गुज़रे तो 'क्रिस्टी ने हर चीज का आनंद लेते हुए थोड़ा गुनगुनाने लगी ।

"हमें तुरंत वापस जाने की ज़रूरत नहीं है," मैंने उससे कहा, और खंडहरों की छाया में कार पार्क किया । "हम यहीं थोड़ी देर रुक कर आराम कर सकते हैं।"

"ठीक है," 'क्रिस्टी ने सिर हिलाया।

मैंने अपनी तरफ के लीवर को दबाया, और मेरी आधी सीट पीछे गिर गई। 'क्रिस्टी ने सोचा कि यह एक अद्भुत विचार था, और इसलिए उसने अपनी तरफ के लीवर को छुआ, और उसकी सीट भी पीछे वापस गिर गई, जिससे वह मेरे बगल में लेट गई।

जारी रहेगी ।
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#97
अंतरंग हमसफ़र

पांचवा अध्याय

लंदन की हवाई यात्रा

भाग 05

एयरलाइंस परिचारिका के साथ कार में 





वह वहाँ मेरे साथ कार में लेटी हुई कार के शीशे से चाँद और तारों को देख रही थी, मैं उसकी तरफ झुक गया, उसके चारों ओर एक हाथ लपेटा, और उसे चूमा। मेरा मुँह और जीभ उसकी चारों ओर घूम रही थी और उसे मैं चूम रहा था और जिस तरह से मैंने उसे चूमा, उसने उसका आनंद लिया। मैंने उसे लिप किस कियाl मैं उसे लिप किस करता रहाl मैंने उसके लिप्स पर चूमा , तो उसने मेरे लिप्स को काट कर जवाब दियाl तो मैंने अपने ओंठ उसके ओंठो से जोड़ कर उसे लिप किश करने लगा, और मेरे हाथ उसके बूब्स के साथ खेलने लगेl एक हाथ उसके निप्पल मसलने लगाl फिर मैंने उसकी चूची सहलानी और दबानी शुरू कर दीl वह सिसकारियाँ लेती हुए मजे लेने लगीl

एक चुंबन के बाद दूसरा, फिर दूसरा, और फिर भी एक और मेरे हाथ हल्के से उसके स्तनों में घूमते रहे, उन्हें धीरे से गूंधते और निचोड़तेरहे दूसरी तरफ मैं उसे चूमता रहा । 'क्रिस्टी ने हाई कॉलेज और कॉलेज में थोड़ी हल्की पेटिंग की थी, और जब तक उसके स्तन उसकी पोशाक के अंदर रहे, उसके हिसाब से तब तक आदमी को उसके स्तनों से खेलने देने में कोई बुराई नहीं थी। जब मेरा एक हाथ उसके पेट पर घूमा औरमैंने उसे उसकी जाँघों के बीच दबाने की कोशिश की, तो उसने उन्हें बंद कर दिया, ये मुझे यह बताने के लिए बस इतना ही काफी था कि वह नहीं चाहती कि मैं उसे वहाँ छूऊँ।

फिर मेरी जीभ ने उसके कोमल मुंह को चाटना शुरू किया, उसने आह भरी। मैं फिर मैं उनके ओंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी. फिर मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. फिर मैंने भी उनकी जीभ को चूसा. मेरी जीभ जब उनकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा. फिर मैंने अपने होंठ उसके ओंठों से अलग किये और हम दोनों मुस्कराये और फिर बेकरारी से किस करने लगे और चूमते चूमते हमारे मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। जीभ तेजी के साथ अंदर और बाहर होने लगी .

विदेशी (अमेरिकन) 'क्रिस्टी, एक विदेशी शहर और देश में और एक विदेशी आकाश के नीचे, एक अन्य विदेशी (मेरे ) साथ एक बहुत बड़े दिखने वाली चंद्रमा के नीचे रोमांटिक हो रही थीऔर एयरपोर्ट से दूर आ कर मुझे चूम रही थी . उसने हंसते हुए ओंठो को भूख से चूसा, इसे चबाया जितनी भूख से उसने पहले डिनर किया था जैसी उसने चूसा उससे ये साफ़ था की उसकी ये भूख भोजन की भूख से कम नहीं थी । उसकी क्षमताओं ने मेरी जीभ की निरंतर जांच के साथ-साथ मुझे कराहने पर मजबूर किया, और फिर मेरे हाथ उसकी पोशाक के सामने के नाजुक कांच के बटनों को थपथपा कर खोलने का यत्न कर रहे थे। 'क्रिस्टी जानती थी कि उसे इस बिंदु पर मुझे रोकना चाहिए, लेकिन जिस तरह से मेरा हाथ उसके बटनों से लड़खड़ा रहा था, उस कारण से वह खुश थी इसलिए उसने मुझे तब तक जारी रखने की अनुमति दी, जब तक कि उसके विस्मय के लिए , मैंने वास्तव में उन्हें खोल नहीं दिया।

शायद वह दो पेय थे जो उसने डिनर खाते समय पिए थे उसका भी कुछ असर था ( वैसे मैंने वहउपके से उसके पेय में वो ख़ास कामुक दवा मिला दी थी जो रूबी ने मुझे रोजी की पहली चुदाई करते समय दी थी ( इसके बारे में आप मेरे अंतरंग हमसफर भाग १-४ में पढ़ सकते हैं ) , लेकिन मुझे रोकने के बजाय, वह वहीं लेट गई और मुझे उसके बटन खोलना जारी रखने की अनुमति दी। मैंने अंत में उसकी पोशाक के पूरे ऊपरी भाग को खोल दिया और उसके कंधों से नीचे सरका दिया, और इससे पहले कि वह कुछ प्रतिक्रिया दे हो, मेरे हाथ उसके पीछे फिसल गए थे और उसकी ब्रा भी खोल दी थी।

तभी उसके हैरान दिमाग में चिंगारियां उड़ने लगीं क्योंकि मेरी भूखी-सी उँगलियों ने उसकी चोली को अलग कर दिया, और उसके कंधों से निकाल कर मेरे सिर के पास पीछे की ओर उछाल दिया। मेरे हाथ उसके स्तनों पर पहुँचे और उसके जोश से भरे स्तनों को सहलाने के बाद दबाने लगे। मेरी उँगलियाँ उसके कोमल गुलाबीपन से भरे कोमल निपल्स को घुमाने लगीं, धीरे से उन्हें चुटकी बजाते हुए, उन्हें सूजने और बढ़ने के लिए मजबूर कर रही थीं।

"तुम्हें पता है," मैंने उससे कहा, "एक अरब शेख आपके जैसे स्तनों पर अपना हाथ रखने के लिए दस-हज़ार डॉलर तक का भुगतान खुश हो कर करेगा।'

"वास्तव में ," उसने शरमाते हुए कहा, "मेरा मतलब है कि वे तो बहुत छोटे हैं।"

"वे बड़े हैं और प्रयाप्त रूप से आकर्षक है आप जानती हैं न आपके स्तन गोल सुदृढ़ और बिलकुल भी ढीले नहीं है ," मैंने उससे कहा। "लेकिन जो चीज उन्हें वास्तव में उन्हें उत्तेजित करेगी वह है आपके निपल्स का गुलाबी रंग। यहां से, सभी महिलाओं के एरोला का रंग भूरा या यहां तक कि कुछ महिलाओं के काले निपल्स भी होते हैं। हरम में गुलाबी-निप्पल वाली महिला को शेख बहुत मान देता है और ऐसी महिलए उन्हें बहुत प्रिय होती हैं ।"

"क्या यहाँ अभी भी हरम होते हैं?"

" बेशक !" मेरा सिर हिला।

जहां मेरी उंगलियां थीं वह मेरे मेरे होंठ पहुँच गए, और उसके स्तनों को मेरे मुंह से चूमा और चूसा । मैंने बारी-बारी से प्रत्येक निप्पल को चाटा, और 'क्रिस्टी, यह सब पहली बार महसूस कर रही थी, वो कांप गई मैंने और जोर से चूसा तो वो और जोर से कांप गई। सुंदर गोरी खुशी से कराह रही थी और अपनी उँगलियों से मेरे लंबे, सीधे काले बालों में सहलाने लगी मैं पहले एक स्तन को चूसा , और फिर दूसरे को भूख से निगल लिया और चबाया।

मेरे हाथ खली हो गए थे सो मैंने उसकी पोशाक को लगभग उसके कूल्हों तक टटोला और अब मेरे होंठ उसके सूजे हुए नारंगी आकार के स्तनों को चूस रहे थे, धीरे-धीरे उसके जुनून से -कठोर हुए , उसे सफेद स्तन गुलाबी हो गए और मैं अपना मुँह उसे पेट पर उसकी नाभि तक चूमते हुए ले गया और उसके पेट पर मेरी लार का निशान धधक रहा था, उसके माध्यम से कांपने वाली इच्छा का रोमांच उसके पूरे बदन में भेज रहा था।

उम्म्म! हां! वो बहुत खुशी से, कराह रही थी और उसे ये बहुत अच्छा लगा था । यदि यह दुष्टता थी, तो भी 'क्रिस्टी को गर्म आहे भर कर ये स्वीकार करना पड़ा कि वह इसका आनंद ले रही थी।

उसकी आँखें इतने समय से बंद थीं, लेकिन अचानक वे खुल गईं। मेरे मुँह ने उसका पेट छोड़ दिया था। ? उसने मेरे सिर को पकड़ने की कोशिश की और उसे वापस अपने पास खींच लिया क्योंकि उसने कार की छत पर चमकती आँखों से देखा, लेकिन मैंने विरोध किया। मेरे सिर ने लौटने से इनकार कर दिया। जब उसने महसूस किया कि मेरे हाथ उसकी पोशाक के निचले हिस्से पर अटके हुए हैं, तो वह चकित रह गई, और इससे पहले कि वह कुछ समझ पाती , मैंने उसके पोषक के निचले हिस्से को खोल दिया और उसके कूल्हों के नीचे की पोशाक नीचे खींची, उसने माने मेरे वाश हो उसके नितंबों को एक पल के लिए उठाया, फिर मैंने उसकी पोशाक को उसके पैरों से नीचे खिसका दिया,

और फिर उसकी ड्रेस को उसके जूते और चोली के साथ कार के पिछले हिस्से में फेंक दिया । जब उसने अपनी कोहनी के सहारे ऊपर उठाने की कोशिश की, तो मैंने उसे सपाट लेटने के लिए मजबूर किया, और फिर मेरा सिर डूबा और तेजी से आगे की हुआ और कोबरा की तरह हो कर मैं उसके ऊपर आ गया और उसके ओंठ चूमने लगा . फिर अपने मुंह ने उसकी जांघ को ऊपर ले गया ओर रास्ते को चूमते , चाटते और कूटरटरे हुए , उसकी पेंटीहोज की अवहेलना करते हुए, 'क्रिस्टी की चिकनी जांघों' के बीच परम रोमांच के उस क्षेत्र को चुंबन किया। उसे पता था कि मेरे होंठ उसकी आंतरिक जांघ को चूम रहे हैं।

'क्रिस्टी ने अक्सर औपनि सहेलियों से ऐसी चीजों की कहानियां सुनी थीं, वो कई लड़कियों को जानती थी जिनकी योनि को वास्तव में चूमा गया था, जिनमें से सभी ने दावा किया था कि वे उसके बाद उत्साह में पागल हो गयी थी । वह जानती थी कि उसे सब कुछ यहीं और अभी बंद कर देना चाहिए। लेकिन उसने चीजों को हाथ से जाने दिया था क्योंकि वो ख़ास पेय उसके दिमाग को थोड़ा धुंधला कर रहा था.

वो सोच रही थी कि जब तक मैंने वास्तव में उसकी कौमार्य भंग करने की कोशिश नहीं की, तब तक ये ठीक है ... वह अब एक बड़ी लड़की थी, और हल्के पेटिंग से थोड़ा अधिक आनंद लेने का उसका भी अधिकार है । वह पहले से ही जानती थी कि उसकी योनि अब त्यार है वो अनुमान लगा रही थी कि अब आगे क्या होने वाला है। वह वास्तव में यह देखने के लिए उत्सुक थी कि क्या मेरा इरादा उसे नीचे चूमने का है ... और उसके बाद मैं क्या करूँगा।

आम तौर पर वह पैंटी के साथ-साथ पेंटीहोज भी पहनती थी, लेकिन यह इतनी गर्म रात थी कि उसने अकेले पेंटीहोज का विकल्प चुना था, खासकर जब से इसमें एक झीने पैंटी बनी हुई थी। मेरे चूमने से बिजली की तरंगे उसके अंदर चटकने लगी। उसके पूरे शरीर की लंबाई के बीचो बीच मैंने उसके योनि क्षेत्र के प्यारे सुनहरे बालों को लगभग अंत तक खड़ा कर दिया था , उसकी झीने कपड़े के बीच में से, मैंने उसकी योनि को छुआ। 'क्रिस्टी ने अपने पतले कूल्हों को आगे बढ़ाते हुए, जहाँ तक संभव हो अपना सिर पीछे की ओर फेंका। उसके हाथ मुझे अपने अंदर खींचने की कोशिश में अपने आप नीचे पहुँच गए, ठीक पेंटीहोज के बीच में मेरा उसकी योनि पर मौखिक स्पर्श बहुत शानदार था।

"ह्ह्ह्ह्ह आआ उउउउ न्नन्नन गग्गगघ्ह-ह्ह्ह!" वह हांफने लगी, जैसे ही मेरे ओंठ सरासर नायलॉन की पतली, बीच वाली बिट के माध्यम से उसकी उभरती हुई चूत के होठों पर लगीं।
"ओहहह कुमार ! रुक जाओ! ये तुम क्या कर रहे हो! उसने भीख मांगी। "तुम मुझे मार डालोगे , तुम मुझे मार डालोगे। मेरा दिल थाम लो . मेरी धड़कने बहुत तेज हो गयी है .. उउन्नन्ह्ह ..." वह तब तक कराहती रही जब तक कि मेरा मुंह दूर नहीं हो गया। लेकिन एक क्षण बाद उसने महसूस किया कि मैंने केवल कुछ दूर तक ही मुँह पीछे खींचा था, इसलिए मेरे हाथ उसके पेंटीहोज के लोचदार कमरबंद को पकड़ने और उन्हें भी निकाल देने में सक्षम थे। इसे महसूस किए बिना, 'क्रिस्टी ने अपने नितंबों को सीट से उठा लिया, महसूस किया कि लोचदार कमरबंद उसके पीछे के गालों के नीचे से गुजरता है। फिर मैंने पेंटीहोज को बाकी रास्ते से नीचे खींच लिया, उन्हें उसकी पोशाक और अन्य चीजों के साथ पीछे की और उछाल दिया। अब वह नग्न थी। वह एक अजनबी जिसे वो कुछ देर पहले ही मिली थी , उसके सामने पूरी तरह से नंगी थी। इससे पहले कि उसे सोचने का मौका मिलता, मेरे होंठ उसके पेट के निचले हिस्से में थे और मेरी जीभ वहाँ बसे सुनहरे रेशमी कर्ल में थी, जिससे वह पल भर के लिए सब कुछ भूल गई। उसके पैरों ने मुझे घेर लिया, जैसे ही मैंने चाटा वो हवा में लाते मार रही थी . उसके नितंब मुलायम कपड़े की सीट पर ऊपर और नीचे उछल रहे थे, जिससे उसे अपने नंगे नितम्ब के मांस के खिलाफ सीट की सामग्री की खुरदरापन महसूस हो रहा था ।

जारी रहेगी ।
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#98
अंतरंग हमसफ़र

पांचवा अध्याय

लंदन की हवाई यात्रा

भाग 06

एयरलाइंस परिचारिका का पहला अनुभव 





क्रिस्टी कभी भी रूढवादी महिला नहीं रही थी । उसके लिए परम्पराओ का मतलब था बहुत कुछ न करने में विश्वास करना। लेकिन फिर भी 'क्रिस्टी हमेशा अपने कौमार्य बचाये बनाए रखने के बारे में सावधान रहती थी, लेकिन उसे दूसरों को यह सुनना पसंद नहीं था कि वह क्या करे या न करे। अगर उसने उन सभी की बात सुनी होती, तो मुझे कभी भी वो सब करने की और खास तौर पर उसके नंगे योनि मांस को चूमने की अनुमति कभी नहीं देती जैसा कि मैं अभी कर रहा था .

'क्रिस्टी को ऐसा महसूस हो रहा था कि उसकी योनि उस समय आग उगल रही थी, एक ही समय में कई अलग-अलग दिशाओं में विस्फोट कर रही थी। मेरे होठों का स्पर्श उससे कह रहा था, ज्यादा करो, ज्यादा करो, ज्यादा करो! उसने कार की पूरी सीट पर हाथ-पैर मारते हुए वो अपने गर्म धड़ को स्थिर रखने में असमर्थ हो गई।

उस समय मेरी जीभ उसकी योनि के होठों के बीच एक सांप की तरह से जुड़ी और उसके भगशेफ को मेरी जीभ ने पहली बार छुआ यो उसे ऐसा लगा जैसे पूरी दुनिया अचानक उसके ऊपर गिर गई थी क्योंकि उसका दिल बेतहाशा तेज़ होने लगा था और उसके थरथराते हुए फेफड़ों में से हवा उसके कांपते भगशेफ की ऊर्जावान रूप से तड़क-भड़क वाली प्रतिक्रिया के साथ आननद भरी कराहो के रूप में बाहर निकल गई थी।

मैं अब तक अपनी महिला भागीदारों के साथ व्यभिचारी कलाओं में विशेषज्ञ मौखिक शिल्पकार बन गया था, और मैं बहुत देर तक जोर से चाटता रहा, जिससे असहाय महिला बेकाबू हो गई। 'क्रिस्टी ने महसूस किया कि उसके साथ कुछ अलग होने वाला है, और भले ही मैंने चाटना बंद कर दिया, लेकिन मैं बहुत जल्दी नहीं रुकी। उसने सम्भतः अपने स्खलन का अनुभव करना शुरू कर दिया उसका बदन कांप रहा था और वह अपने चरमोत्कर्ष पर थी। मैंने फैसला किया कि मैं अपने धड़कते हुए कांपते अंग के हर आखिरी इंच को उसकी प्यारी स्त्री की चंचलता की जकड़न में डुबोने जा रहा हूं। मैं उसे उतने ही उत्साह के साथ चोदने जा रहा था.

प्यारी महिला की जाँघों के बीच से अपना सिर निकालते हुए, मैं उठ बैठा, फिर अपनी बेल्ट खोली, ऊपर के हुक को खोल दिया, और अपनी पैंट को खोलना शुरू कर दिया। अपने जूते उतारकर, मैंने एक ही समय में अपनी पैंट और अंडर-शॉर्ट्स को निकाल दिया, जिससे मेरा विशाल लिंग आगे खड़ा हो बाहर निकल आया, जहां यह दृढ़ता से कांप रहा था, दुबई में पुरे चाँद की उस रात में कार की खिड़की से आते हुए, मेरा लंड साफ़ दिख रहा था क्योंकि यह नहाया हुआ था चंद्रमाँ की चांदनी किरण के साथ।

क्रिस्टी मेरे पास आयी वह हांफ रही थी, अब भावुक महसूस नहीं कर रही थी, । उसने अपने पूरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं देखा था। उसने इससे पूर्व कभी भी एक पुरुष अंग को उसके पूरे इरेक्शन में नहीं देखा। निश्चित रूप से उसने संग्रहालय की मूर्तियों को देखा था, लेकिन यह कुछ अलग ही था ? यह किसी प्रकार के विशाल खंभे की तरह लग रहा था ... जिस तरह से यह धड़कता है कूदता है और आगे बढ़ता है, उसे देख क्रिस्टी को डर लग रहा था । उसने सुना था की पहली बार में दर्द होता है और बड़े लंड के आकार, लम्बाई और मोटाई उसे उस दर्द से भयभीत करने के लिए पर्याप्त थी।

अचानक से सभी न करने के विचार एक झटके में उसके दिमाग के एक कोने में आकर उस पर हावी होने लगे ।

"नहीं!" वह हांफ गई। "मैं, नहीं! मैं यह नहीं कर सकती ! मुझे यह नहीं करना चाहिए। मैं एक कुंवारी हूँ!"

"नहीं?" मैंने आश्चर्य से उसकी ओर देखते हुए पूछा "हनी, इस रेगिस्तान में अब इस समय इस साहबद के लिए कोई जगह नहीं है । इस समय यतः केवल हम दोनों हैं आप और मैं हैं जिससे भयभीत 'क्रिस्टी डरकर सिकुड़ गई।

" बस मैं नहीं कर सकती , मुझे नहीं करना ," उसने हांफते हुए कहा। "तुम समझते क्यों नहीं , मैंने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं किया है।"

"हर चीज के लिए पहली बार होती है, 'क्रिस्टी," मैंने उससे कहा, मेरी आवाज और व्यवहार से सारी याचना अचानक चली गई। "मुझे मत बताओ कि अगर तुम नहीं करोगे, प्रिये, या अगर मैं तुम्हें यहीं छोड़ दूँ इस खंडहर में ऐसे ही नग्न तो तुम्हारा क्या होगा . तुम्हे कोई दास व्यापारी उठा ले जाएगा और किसी शेख के हरम में पहुंचा देगा या फिर तुम किसी वैश्यालय में बेच दी जाओगी . फिर तुम किस से और कितनी बार चुड़ोगी ये तुम्हे भी याद नहीं रहेगा । आप जैसा चाहती हो वैसा ही हम करेंगे, मेरी तरफ से कोई जबरदस्ती नहीं है । मुझे लगता है में प्रेग्नेंट हो जाऊँगी और मेरी ये नौकरी चली जायेगी . मेरे अपपाइंटमेंट लेटर में शर्त है की मैं गर्भवती नहीं हो सकती और मुझे बहुत दर्द होगा .

होटल में और एयरपोर्ट में एक छोटी सी फार्मेसी है जहाँ आप सोडा की एक गर्म बोतल के सकती हो और शुक्राणु को बाहर निकाल सकती हो , और फिर गर्भ निरोधक और दर्द निवारक गोलिया किस काम आएँगी । इसलिए डरो मत और इस समय के लिए आप बस लेट जाओ और पहली चुदाई के अनुभव का मजा लो और मैं आप को इस रुकावट से निजात दिला दूंगा फिर आप बेफिक्र होकर सेक्स के मजे ले सकती हैं . मैं आपको संक्षेप में अपना अनुभव बता देता हूँ . मैंने कुछ दिन पहली ही अपनी पहली चुदाई की हैऔर अपना कौमार्य खोया है और उसके बाद से बहुत मजे किये हैं . और मुझे ये अफ़सोस है की मैंने अपना कौमार्य पहले क्यों नहीं खोया और इन मजो से वंचित रहा . और अब मैं उस समय की भरपाई खूब साड़ी लड़कियों की चुदाई करके पूरी करना चाहता हूँ । और अब मैं तुम्हे चौदने वाला हूँ .

हम तब तक चुदाई करते रहेंगे जब तक मुझे इस तथ्य के बारे में पता नहीं चल जाता है कि आप इसका आनंद ले रही है । हमारी फ्लाइट में अभी समय है , अभी सन्देश आया है की हमारी फ्लाइट दो घण्टे और पीछे हो गयी है और हमारे पास अभी भी पर्याप्त समय है ! हर कोई चुदाई कुंआरे या कुंवारी के रूप में शुरू करता है । कुछ लोगों को कौमार्य के रूप में जानी जाने वाली अवांछित वस्तु को खोने में बस थोड़ा समय लगता है। मैंने कुछ दिन पहले ही अपना खोया है। तब से मैंने अपनी साथिनों के साथ बहुत आनंद लिया है।

उसने अपनी एक बाँह उसके प्यारे स्तनों के छोटे उभारों को ढँकने के लिए उसके पूरे शरीर पर फेर दी, जैसे ही मैं संकरी कार में उसकी ओर लपका। उसका दूसरा हाथ उसके योनि क्षेत्र को ढकने के लिए गिरा, उसकी उँगलियाँ ने मुझे अपने लिंग के साथ वहाँ घुसने से रोकने का प्रयास किया । मैं उसकी ओर देखकर मुस्कुराया, नीचे पहुँचा, और बस उसकी बीच की उँगली पकड़ ली और धीरे से उसे अपना हाथ हटाने के लिए मजबूर किया। अब मेरे सामने उसकी योनि खुली हुई थी, और 'क्रिस्टी को एहसास हुआ कि वह अब अपना कौमार्य खोने वाली है। वह अक्सर शादी और शादी की रात का सपना देखती थी की वायलिन बजाते हुए उसके पति ने उसे कोमल, अद्भुत प्यार दिया, लेकिन मेरा लिंग राक्षसी था। मेरा उसके साथ जो करने का इरादा था, उससे बचने का उसके पास अब कोई तरीका नहीं था, और वह यह जानती थी। मैंने अपनी शक्ति को उसके आगे पहली बार प्रकट किया और मैंने आसानी से उसके स्तनों को ढकने वाला उसका हाथ हटा दिया । मैंने समय निकालकर अपनी कमीज भी उतार दी, सब कुछ एक तरफ कर दिया, उसे मेरी बालों वाली छाती देखने दी।

ओह अच्छा भगवान! 'क्रिस्टी ने सोचा। क्या होगा! उसने सोच अब जब बचने का कोई उपाय नहीं है तो वो बोली मैं आपको कैसे समझाऊं कि मैं आपके इस काले बड़े लिंग से कितना डरती हूं अगर मैंने ऐसा किया तो कोई मुझसे कभी शादी नहीं करना चाहेगा। मैंने इस समय तक खुद को वर्जिन रखा है क्योंकि मैं जानती हूं कि पुरुष कुंवारी पत्नियां चाहते हैं।

मैंने कहा क्रिस्टी तुम क्या भेजकर की बाते सोचने लगी हो , आज ये सब कोई नहीं सोचता है बस अब ये सब बाते दिमाग से निकाल दो और इस पल में जिओ और इसका आनद लो . मैं तुम्हे विश्वास दिलाता हूँ तुम इस पल को साड़ी जिंदगी याद रखोगी और मुझसे मिलने को तड़पोगी .

मैंने ये बोलते हुए सुंदर गोरी की जांघों को अपनी ओर खींच लिया, उसके पतले अंगों को मजबूर कर दिया और उसके पैरों को स्टीयरिंग व्हील के गोल तल के नीचे फंसा दिया, मैं उनके बीच आया । आधा घुटने टेककर, उसके ऊपर आधा झुककर, मैंने वास्तव में अपने मोज़े भी निकला दिए । फिर मैंने अपने बेहद धड़कते हुए लंड को सहलाना शुरू कर दिया, लंड का सिर, गहरे बैंगनी रंग का हो गया था।

"मैं, नहीं ... नहीं ... कृपया मत करो ... ऐसा मत करो ... कृपया ... कृपया ... मुझे डर लग रहा है ..." वह हांफती हुई, उसे भूकंप आने का डर लग रहा था और कंपकंपी हुई जैसा उसने पहले कभी अनुभव नहीं किया था।

"बस कुछ देर की बात है ," मैंने उसे सांत्वना दी उसकी जांघो पर अपने हाथ चलाए, सफेद मांस को चिकना किया, उसकी आंतरिक जांघों को और भी व्यापक रूप से विभाजित करने के लिए मजबूर किया, हालांकि उसके पैर अभी भी स्टीयरिंग व्हील के नीचे थे मैं उसकी जांघों को बाहर धकेल दिया । मैंने नीचे देखा, नंगी, असहाय योनि को घूरते हुए मैंने लंड उसकी योनि पर रख कर ओंठो पर ऊपर नीचे किया मेरी आँखें चमकीली वासना से चमक रही थीं जैसे कि मेरी आँखों में उसके इंटीरियर की समृद्ध गुलाबीपन नजर आया । मैंने उस पर एक क्रूर दुखदायी मुस्कान के साथ मुस्कुराते हुए कहा, "हनी, यदि आप वास्तव में कुंवारी हैं, तो मेरी क्षमायाचना पहले से स्वीकार करें।अब आप सबसे अच्छे लंड के द्वारा चुदने वाली है ।"

'क्रिस्टी ने महसूस किया कि मेरे फूले हुए लिंग के ऊपर रबर जैसी ग्रंथियों का विशाल, मोटा सिर उसकी अभी भी नम लेबिया के खिलाफ उसकी योनि के छेद पर टिक गया है, और कुछ ही क्षणों के लिए लंड से रिसने वाले तेल उसकी अपनी योनी से कुछ रिसाव के साथ मिल गए। फिर, अनंत देखभाल और धैर्य के साथ, मेरे धड़कते अंग की नोक ने उसकी योनि को ढकने वाले बालों को अलग कर दिया, साथ ही भीतर के होंठों को भी थोड़ा सा लग कर दबा दिया।

"सर..." उसने हांफते हुए कहा। "मेरे साथ ऐसा मत करो। कृपया ... कृपया ... मेरे साथ ऐसा मत करो। ! ओह ! मुझे डर लग रहा है! मेरे साथ ऐसा मत करो, मैं।"

"तुम क्या चाहती हो मुझे समझ में नहीं आता," मैंने उससे कहा। "अगरमैंने तुम्हे इस हालत में छोड़ा तो तुम किसी एक शेख के हरम में वास्तव में यातना सह रही होगी ।सोचो क्या होगा अगर आप कभी भी इन अरबों में से किसी एक द्वारा पकड़ी गयी , आप समझती क्यों नहीं मैं आप पर दुनिया में सबसे बड़ा उपकार कर रहा हूं ।"

"लानत है तुम पर!" उसने कहा, "तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते।"

"अरे नहीं? तुम बस मुझे देखो, बेबी घबराओ मत ," मैं हँसा, कार के म्यूजिक सिस्टम पर रोमांटिक गण लगा कर उसका वॉल्यूम थोड़ा बढ़ा दिया और मेरे अपने लिंग की नोक से रिसने वाली नमी को उसकी योनि से लार के साथ मिलाते हुए, उसके उद्घाटन में लगाते हुए, मुझे वह चिकनाई मिल रही थी जो मुझे लगा कि प्रवेश करने की आवश्यक है । "अब चलो मैं प्रवेश करने जा रहा हूँ ," मैंने उससे कहा, और अपने नितंबों में मांसपेशियों को कसकर बांधते हुए, मैंने अपने लिंग को अपने कूल्हों में पूरी ताकत के साथ आगे बढ़ाया, मेरे शिश्न के सिर को 'क्रिस्टी की संकीर्ण योनी' में घुसा दिया।

"ओह्ह्ह...मम्मीय्य्य्य्य्य्य...गोड्डा!" वह शुद्ध पीड़ा के साथ चिलायी मैंने झट से अपने होंठ उसके ओंठो पर रख दिए ताकि उसकी आवाज बाहर ना जाये ,मेरा लंडमुंड उसकी पीड़ादायक योनि की कोमल गहराई में आरोपित हो गया था है,मैंने सीधे उसके कंपकंपी वाले अंदरूनी हिस्से में धकेला उसका गला और उसके मुंह से आवाज बाहर निकालने की धमकी दे रही थी । उसको लगा उसकी योनि फट गयी हो और वह निश्चित थी कि मेरे विशाल लिंग के प्रवेश ने उसके श्रोणि में हड्डियों को तोड़ दिया था, इसलिए वह फिर कभी नहीं चल पाएगी। मेरा धड़कता हुआ लिंग उसकी योनि के अंदर सांस ले रहा था और वह अपने अंदर लिंग की विशालता के बारे में अधिक से अधिक जागरूक हो गई थी, जो स्पष्ट रूप से उसके हाइमन से टकराया था । मुझे रुकावट महसूस हुई थी और मैंने उसे चूमते हुएअपने नितम्ब ऊपर किये और एक और धक्का आगे दे दिया और उसे लगा अब उसका कोमल, संकीर्ण योनि मार्ग "कभी भी पहले जैसा नहीं होगा।

मैंने शुरुआती जोर पर केवल तीन इंच प्रवेश किया था, और अब मेरा लिंग उसकी कौमार्य की झिल्ली को दबाता हुआ ाउसे फाड़ कर उसके कौमार्य के खून में लिपटा हुआ अंदर था मैंने अब थोड़ा आराम किया और मेरे लंड को उस छोटे से हिस्से को सुंदर विमान परिचारिका की कुंवारी योनि योनी की रोमांचकारी शानदार जकड़न में आनन्दित होने दिया । वह कुंवारी ही है , ठीक है। वह कसी हुई थी ... किसी भी महिला से ज्यादा टाइट और कसी हुई योनि जिसे मैंने अभी तक चौदा है । उसकी योनि आइज़ा से भी टाइट थी जिसकी मैंने कुछ घंटे पहले चुदाई की थी ! वह इतनी तंग थी कि उसकी योनी ने एक ही धमाकेदार विस्फोट में मेरे शरीर से सभी शुक्राणुओं को चूसने की कोशिह की ।

'क्रिस्टी वहीं लेट गई, उसके ओंठ मेरे ओंठो में थे और वो भीतर से रो रही थी, वो अपने खोए हुए कौमार्य के लिए रो रही थी। उसे दर्द हुआ! और अफ़सोस हुआ की उसने खुद को इस चरम सीमा पर क्यों जाने दिया?

मैं उसकी धड़कती चूत की अनुभूति से रोमांचित था। मेरा दिमाग इस बात से बहुत उत्साहित था की वह एक कुंवारी थी। मेरी मांसपेशियों को फिर से तानते हुए,मैंने आगे धकक दिया, मेरे लिंग को उसके अंदर थोड़ा और गहरा डुबो दिया, इसे 'क्रिस्टी के बलिदान किए गए हाइमन' के तड़कने के कारण होने वाली अतिरिक्त चिकनाई पर सवारी करने दिया। मैंने अपने लिंग को उसकी कुंवारी चूत में गहराई तक पहुँचाया।

इस तीसरे हमले की पीड़ा हांफते हुए 'क्रिस्टी' के लिए कम दर्दनाक नहीं थी, लेकिन ये दर्द एक अलग तरह का था। यह शुद्ध शारीरिक पीड़ा थी और अब मानसिक पीड़ा नहीं थी क्योंकि उसके हाइमन का भंग हो जाना उसके दिमाग में पहले से ही दर्ज था और वह जानती थी कि उसके लिए एक और कौमार्य को खोना असंभव है। दर्द ने उसके सके तड़पते दिमाग को वापस लाने के लिए उसकी मदद की । उसने खुद को अपने अंदर की कोमलता में गहरे दबे लिंग के मजबूत क्रूर तेज़ के साथ पकड़ने के लिए मजबूर पाया, और अब वह ठीक वही कर रही थी जो उसे करना चाहिए था न वो अपने अंदर की गहराई में धधकती मांसपेशियों के फैलाव को अनुभव कर रही थी ।

थ, मेरा धड़कता हुआ लंड बस थोड़ा और गहराई से उसके अंदर घुस गया, उसकी कंपकंपी से बंद गुफा में पीड़ा और आनद के नए शिखरो को जागृत कर रहा था ।

वह निश्चित रूप से, उसका कौमार्य भंग हो गया था गई थी, वो सोच रही थी हाय उसके साथ यह सब कैसे हो गया। उसने इतने वर्षों तक उत्साह से अपने कौमार्य की रक्षा की थी, उसे इतनी जल्दी खो दिया, वो जोर से, वह रोई और रोई, "मैं बर्बाद हो गई, बर्बाद हो गई, बर्बाद हो गई, बर्बाद हो गई," समय के साथ जिस तरह से उसका दिल धड़क रहा था, उसके अंदर थरथरा रहा था।

"बर्बाद,तो तुम तब होता अगर किसी शेख याऔरतो के दलाल के हाथ लग जाती !" मैंने उस पर जोर से छींटाकशी की, मेरा मुंह अब उसके कान को चूम रहा था लोब को सूंघ रहा था। "अब आप एक लड़की से एक महिला में बदल गयी हैं। जितना दर्द होना था वो हो गया है अब चीजें वास्तव में अच्छी होने वाली हैं, प्रिय।"

उसने हालत का फिर से जायजा लिया उसकी योनि, जैसा कि उसने शुरू में माना था, फटी नहीं थी लंड उसके अंदर था लेकिन उसकी गांड सुरक्षित थी उसे लगा था ये बड़ा लंड उसके आर पार हो जाएगा । लेकिन ऐसा नहीं हुआ था बस उसकी योनि को बुरी तरह से कुचला गया था। दर्द भी अब मिटने लगा था, और भीतर की कंपकंपी वाली नसें, जो उसके गर्भ के द्वार की ओर दौड़ रही थीं, कुछ भावुक भावनाओं अनचाहे अंदाज में जगाने लगी थीं। नहीं, उसकी श्रोणि निश्चित रूप से बिखरी नहीं थी, क्योंकि योनि की मांसपेशिया मेहमान के जगह बनती हुई लापरवाही से खुद को समायोजित कर रही थी ।

जारी रहेगी ।
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#99
मेरे अंतरंग हमसफ़र

पांचवा अध्याय

लंदन की हवाई यात्रा

भाग 07


नायाब एयरलाइंस परिचारिका 






अपनी प्रारंभिक प्रतिक्रिया के बावजूद, जब दर्द कम हुआ तो क्रिस्टी ने अब महसूस किया कि मेरे लिंग के उसकी योनि में प्रवेश से उसकी गांड और योनि फ़टी नहीं है । उसने महसूस किया, उसकी हाड़िया अभी भी, बरकरार है, उसे वो अपने नितम्ब हिलाने में सक्षम है . मेरे अंडकोष में जुड़वां ग्लोब उसकी योनि और उसके नितम्बो से रगड़ रहे हैं।

कुल मिलाकर, खुद को ध्यान से देखने के बाद, 'क्रिस्टी ने फैसला किया कि वह बच गयी है और अब अगर मैं अपना लंड निकाल लू तो ये उसके लिए बहुत मददगार होगा।

लेकिन मेरे कुछ अलग ही विचार थे। उसकी योनी इतनी कसी हुई थी जिसकी रगड़ से मेरे लंडमुंड का बाहरी एपिडर्मिस बहुत संवेदनशील हो गया था हालाँकि अब मेरा लंड इस प्यारी महिला की संकीर्ण योनी में समाया हुआ था और अब मुझे वही आनंद मिलने वाला था जो मैंने उसकी चूत की तंग गहराइयों से पाने के लिए शुरू किया था। जब तक मुझे पूरा ननाद नहीं मिल जाता, तब तक मेरा लंड उसकी सुरंग से हिलाने का कोई इरादा नहीं था। एक बार फिर से मेरी गांड की मांसपेशियों को सिकोड़ते हुए, मैंने मेरे लिंग को वास्तव में आगे बढ़ाए बिना उसकी योनि में रगड़ दिया ।

"ऊऊऊ ननननहहहह उउउउउउनंनंन्न ह्ह्ह्हह्ह !" गोरी क्रिस्टी हांफती हुई कराह उठी यह महसूस करते हुए कि उसकी कोमल योनि की गहरी गहराई मेंमेरा बड़ा लंड बार-बार हिल रहा है और उसके आंतरिक नसों ने स्वचालित रूप से प्रतिक्रिया दी है । उसके कांपते योनि मार्ग की पूरी दीवार लंड की धड़कन की प्रतिक्रियाशील मांसपेशियों के साथ स्पंदित हो रही थी।

"ओह प्रिय, प्यारी, क्रिस्टी मुझे विश्वास नहीं हो रहा है कि तुम्हारी योनि कितनी टाइट है। " मैंने प्रसन्न अविश्वास में हांफते हुए कहा। "आपके पास एक ऐसी तंग योनी जैसी मैंने पहले कभी महसूस नहीं की है।" आप सच में एक नायाब लड़की हो जिसके पास ऐसी दुर्लभ योनि योनि है ।

मैं इस महिला को मुझसे दूर जाने नहीं देना चाहता था, मैं दोनों हाथों को कांपती हुई गोरी के नितबो नीचे ले गया, उसके दोनों गालों को कसकर पीछे से दबाते हुए, और फिर निचोड़ते हुए, जैसे कि मेरी हांफते हुए, "आप की योनि बहुत शानदार है ... उउउउनंनह .. मेरे लंड ऐसे ही दबाओ ... आन्नन्ह्ह्ह्ह्ह ... आओ बेबी, चुदाई करो चोदो ... मैं तुम्हे चोदना चाहता हूँ आओ बेबी आओ! ..."

उसके शरीर में दर्द अब कम हो गया था लेकिन उसकी परीक्षा अभी खत्म नहीं हुई थी। मैंने उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया और कमर ऊपर-नीचे करने लगा। मेरा लंड अब उसकी तंग गर्म योनी के अंदर और बाहर खिसक रहा था । क्रिस्टी कराह उठी और महसूस करने लगी की बार-बार लंड आगे पीछे होने से उसे अच्छा लग रहा था ।

मैं बोल उठा ओह्ह! क्रिस्टी "आयी लव यू" आप अगर मेरी हमेशा के लिए हो जाओ तो मैं खुद को खुशकिस्मत समझूंगा ।

सहायद इन शब्दों ने जादू किया और उसकी नो नो जल्द ही "धीमी गति से पीएल धीरे-धीरे और जल्द ही हाँ हाँ हाँ ..." हो गयी । 'क्रिस्टी हांफ रही थी, उसकी आवाज जोर-जोर से विरोध करने के बजाय अब मेरे को स्वीकार कर रही थी। वह चौंक गई, वो दोनों के लिए , मेरे और खुद के लिए घृणा से भरी हुई थी । उसने ये क्यों किया और मुझे क्यों नहीं रोका ! जबकि उसने महसूस किया कि उसकी इच्छा के विरुद्ध उसका विश्वासघाती शरीर कह रहा था, "हाँ! हाँ! हाँ!" यह मेरे लंड की हरकतो का जवाब दे रहा था, और हर बार जब मेरा आगे को धक्का लगा , तो उसने मेरे धक्के का जवाब अपने नितम्ब उठा कर दिया और मेरे जोर से अपना एक जोर मिला दिया।

उसके नितम्ब मेरे धक्को के साथ कोमलता के विरुद्ध एक आदर्श लय में धड़क रहे थे , और उसकी संकीर्ण योनि की पापी दीवारें मेरे लिंग को हमारे दो दिलों की संयुक्त धड़कन की सही लय में स्पंदित हो रही थीं।

अपने आप को थोड़ा ऊपर उठाते हुए, मैंने अपना सिर नीचे किया और 'क्रिस्टी' के पूरे बाएँ स्तन को चूसने के लिए अपना मुँह खोला, जिससे उसका निप्पल मेरे गले तक पहुँच गया। उसी क्षण, मेरे बाएं हाथ की तर्जनी उसके नितंबों के बीच की दरार में पहुँच गई और उसके नितंबों और गनद की दरार को सहलाया।

इस स्पर्श ने उसकी योनि को रोमांचक रूप से शारीरिक प्रयासों के लिए प्रेरित किया और साथ में मैंने उसे और अधिक तेजी से चोदा ।

"ऐउवा उउउउ !" वो जोर से कराह उठी अचानक उसने यह महसूस किया कि वह इस सब का भरपूर आनंद ले रही थी है। और उसने कहा, "ठीक है, ठीक है, अब तुम मुझ में हो, और अब मेरे पास तुम्हारे से दूर जाने का कोई रास्ता नहीं है, तो कम से कम मुझे भी इसका आनंद लेने दो। अब मुझे चोदो और ठीक से मुझे चोदो !" उसने भीख मांगी।

"तुम समझ गए, जानू ," क्रिस्टी हांफने लगी।

"हाँ, हाँ, और मैंने पूरा बाहर निकला कर तेजी से अंदर धक्का मार दिया ।

हा ऐसे ही चोदो . बबाबार बार चोदो . मुझे जोर से चोदो ... मुझे गहरा चोदो ... तेज करो ... और तेज करो ... चोदो करो ... चोदो तेज चोदो... और तेज । .." वह इस शब्द का इस्तेमाल करते हुए दोहराती रही। और मैं धक्के मारता रहा ।




उसकी लम्बी लाल नाखूनों वाली उंगलिया मेरी पीठ के नीचे खोज रही थी, मेरे मांस को काट रही थी, मेरी पसलियों को मेरी गर्दन के पीछे से मेरी गांड के गालों तक रगड़ रही थी। क्रिस्टी ने अपनी गर्दन को हंस की तरह मेरी गर्दन पर झुका लिया, अपने दांतों से मेरे कान के लोब पर अच्छी पकड़ बना ली। मैंने अपने विलक्षण रूप से धड़कते हुए लिंग को उसकी चूत में डाला, और उसकी सघन टाइट योनि में गहरा और गहरा खोदा, उसके निप्पल पर मेरी छाती दब गयी , जबकि 'क्रिस्टी मेरे दाहिने कान को चूस रही थी ।

उसकी योनी मेरे लिए बहुत कसी हुई थी, और परिणामस्वरूप, मैं कामोन्माद के कगार पर पहुंचा और तब मुझे एहसास हुआ कि मैं प्यारी क्रिस्टी को भी उसकी संतुष्टि के चरम पर ले आया हूँ।

क्रिस्टी के लिए यह एहसास इतना नया था, वह चिल्ला रही थी, "आआआ आह हाय - !" और उसके चरमोत्कर्ष ने उसके शरीर को मथना और घुमाना शुरू कर दिया। उसके चक्करदार मस्तिष्क के अंदर एक जबरदस्त दबाव बन गया था जिससे 'क्रिस्टी को लगा कि उसके बदन में कोई विस्फोट होने वाला है । दबाव उसके गले से होते हुए फिर उसके सूजे हुए स्तनों में चला गया, जिससे उसके स्तन थोड़ा औरबड़े और कड़े हो गए और उसे लगा कि उसके निपल्स फट जाएंगे। वहां से, रोमांच तरंगित हो गया और कंपकंपी उसके पेट से नीचे आ गई, उसकी योनि में कांपने लगी और साथ ही उसके टंगे अकड़ने लगी , उसकी योनि की चिकनाई के निष्कासन के साथ दबाब उसकी योनी गुफा से बाहर निकल गया । उसे समझ नहीं आरहा था अब अब उसे क्या करना है या क्या हो रहा था, 'क्रिस्टी खुद कराह रही थी और आश्चर्यजनक रोमांच धीरे-धीरे उसके शरीर में बसने लगा था ।



वो बोली ये क्या था ? पर बहुत मजा आया ! और मुझे चूमने लगी ।

मेरी धक्को की गति तेज हो गयी थी और मैं एक तड़पते हुए उन्माद में ऊपर और नीचे हो रहा था ।

मैं उसके ऊपर लेट गया, और थोड़ी देर के लिए उसने खुद को मेरे वजन को सहने में पूरी तरह से सक्षम पाया। मेरे लंड ने अब अपना स्खलन शुरू कर दिया, वीर्य का उबाल मेरी गेंदों में उठा और लंड की पूरी ल्मायी से होते हुए बाहर एक तेज धारा में निकला वीर्य की जबरदस्त मात्रा उसकी तंग योनि की गहराई तक गयी , और मैंने कराहते हुए "आह ओह्ह्ह करते हुए स्खलन किया -!" जैसे ही मैंने उसमें विस्फोट किया, अचानकमेरा शरीर कड़ा हो गया और उसके ऊपर की ओर झुक गया। मैंने उसकी उभरती हुई योनि की सुरंग में लंड आगे पीछे करना जारी रखा और उसे वीर्य के रोमांचकारी फ्लश से भर दिया जिसने उसे दूसरी और तीसरी बार कगार पर भेज दिया। क्रिस्टी ने महसूस किया कि मेरा रस राहत के साथ उसमें बह रहा है। कुछ देर बाद लंड का आगे पीछे होना बंद हो गया और वह आराम से मेरे सीने पर सिसक रही थी। फिर जैसे-जैसे प्रवाह कम होता गया मैं सीधा हो गया और उसकी योनि ने मेरे इरेक्शन कम होने से पहले मुझ से आखिरी कुछ बूंदों को भी निचोड़ लिया।

अंत में मैं उसके बगल में लेट गया ।

मैंने नीचे लाल रंग के निशान देखे और कहा, "तो आप कुंवारी थीं, ठीक है। और उसे चूमा . आपके लिए भाग्यशाली है कि मैंने आपको उस अभिशाप से छुटकारा दिलाया। अब आप पुरुषों के साथ अधिक आसानी से आनंद ले पाओगी , मैं संतुष्ट था मैं उठा और वह कार की सीट पर लेटी हुई थी। मैंने उसके पसीने से सने चेहरे से धीरे से उसके बालों को ब्रश किया। उसकी सिसकना बंद हो गया लेकिन उसकी आँखों ने दर्द था ।

"वह बहुत अच्छा था!" मैं बड़बड़ाया, मैंने उसके शरीर के बाकी हिस्सों को सहलाया। उसकी युवा योनी लाल और सूजी हुई थी और मुझे पता था कि यहाँ कुछ घंटों के लिए दर्द होगा।

लेकिन मैं अभी आपको फिर से बता रहा हूं, बेबी "आयी लव यू" आप अगर मेरी हो जाओ तो मैं खुद को खुशकिस्मत समझूंगा । ।" हमने कपड़े पहने और युवा, भोली , अभी भी मूल रूप से निर्दोष, प्यारी क्रिस्टी खुश थी लेकिन फिर भी वो होटल के पूरे रास्ते में दर्द के साथ कराह रही थी । शाम की इस घटना ने उसे इतना बेचैन कर दिया था, उसने पाया कि कुछ नींद लेना मुश्किल होगा क्योंकि कुछ देर में उसकी आगे की फ्लाइट थी । शायद एक गर्म स्नान उसे तारो तजा करने में मदद कर सकता है। उसे याद आया कि वह काले बालों वाली परिचारिका जीना के साथ कमरा साझा कर रही थी। वह क्रिस्टी की तरह पतली नहीं थी , थोड़ी कम सुंदर, थोड़े बड़े स्तनों वाली थी । और क्रिस्टी जानती थी कि वह एयरलाइन ग्राउंड स्टाफ में से एक के साथ प्यार में थी।

होटल की लॉबी में हमने एक दुसरे को गले लगाया और फिर जब वो कमरे पर पहुंची तो हैंडल को घुमाते हुए, उसने पाया कि जीना दरवाजा बंद करना भूल गई थी, और इसलिए उसने धीरे से दरवाजा खोला और शॉवर में देखा, उसने देखा कि शावर में उसके साथ एक काले बालों वाला आदमी था, जिसके श्रोणि के ढ़ाको और कराहो से लग रहा था वे दोनों पूरी शाम प्यार करते रहे थे, और एक दूसरे का भरपूर आनंद ले रहे थे।

क्रिस्टी में महसूस किया वे निश्चित रूप से ऐसे लग रहे थे जैसे वे मज़े कर रहे हों, और जीना के चेहरे पर अपराधबोध की छाया भी नहीं थी। वो जीना जैसी महिला की प्रशंसा कर रही थी , जो सेक्स का आनंद लेने और उसे आगे बढ़ाने में सक्षम थी। वो दोनों सेक्स में इतने तनलाग्न थे की उन्हें उसके आने और दरवाजा खोलने का पता ही नहीं चला . वो कुछ देर उन्हें सेक्स करते हुए देखती रही और दोनों बहुत सुंदर और उत्तेजक लग रहे थे.


उसने जैसे चुपके से दरवाजा खोला, उसने वैसे ही चुपचाप दरवाजा बंद कर लिया और जीना की पुकारा । जीना ने उसे प्रतीक्षा करने के लिए कहा की वो स्नान कर रही है और वो इसमें समय लेगी। तब क्रिस्टी ने उससे कहा कि वह कॉमन रूम में जा रही है ताकि वह त्यार हो कर समय पर रिपोर्ट कर सके। उसने अपना बैग पैक किया और फिर मेरे दरवाजे पर दस्तक दी। उड़ान के लिए रिपोर्ट करने में अभी भी 30 मिनट का समय था। हम दोनों एक साथ चुंबन करते हुए गर्म पानी से नहाये और वो अपनी ड्यूटी पर रिपोर्ट करने चली गयी ।

जारी रहेगी ।



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मेरे अंतरंग हमसफ़र

पांचवा अध्याय

लंदन की हवाई यात्रा

भाग 08


आगे का सफर नए साथी के साथ 





क्रिस्टी छोड़ने के बाद मैं बैगेज ड्रॉप काउंटरों की ओर बढ़ा। मैंने अपनी बारी का इंतजार किया, मैंने कॉलेज में अगले कुछ दिनों के बारे में सोचना शुरूकिया और महसूस किया कि अब मैं कॉलेज जाने के लिए कितना उत्साहित था। जब मैंने लंदन की अपनी यात्रा शुरू की तो मुझे डर था कि मैं अपनी महिला मित्रो के बिना कैसे रह पाऊँगा लेकिन मैंने सफर में ही मुझे दो कुंवारी लड़कियों मिली और उनकी पहली चुदाई करने का सौभाग्य भी मुझे मिला . बेशक मुझे मजा आया था और ये नई आजादी मुझे अछि लग रही थी मैं सोच ही रहा था की आगे अब क्या ? और जैसे ही मैं काउंटर पर पहुंचा

"सर, अब मैं आपकी कैसे मदद कर सकती हूँ।" आकर्षक महिला एयरलाइन प्रतिनिधि ने मुस्कुराते हुए पुछा ।

मेरे चेक-इन बैग काफी बजनी था , लेकिन मैंने उन्हें तेजी से लगेज बेल्ट पर रख दिया।

"वाह," उसने कहा, "आप वास्तव में काफी फिट और मजबूत हैं।"

मैं समझ नहीं पा रहा था कि क्या यह सच्ची तारीफ, शिष्टता या छेड़खानी थी। मैं दिखने में लंबा और सांवला और अप्रिय नहीं था। छोटी बात करनी मुझे आसानी से नहीं आती थी।लड़कियों से छेड़खानी करना मेरे लिए और भी कठिन था ।

अंत में, मैं उसे केवल एक मुस्कान दे सका, और अपने रास्ते पर चला गया। मैंने सुरक्षा जांच पार की और प्रस्थान द्वार पर पहुंच गया। मैं अपनी सीट पर बैठने लगा। तभी मैंने उसे पहली बार देखा ।

मैं उसे केवल पीछे से देख पाया था। उसने हाई-वेस्ट स्नग-फिटिंग जींस पहनी हुई थी जो उसके सुडौल नितम्बो को हाईलाइट कर रही थी। वो काफी लम्बी लग रही थी और अपना बैग ऊपर रख रही थी उसका टॉप थोड़ा ऊपर हो गया , जिससे उसकी नंगी कमर के कुछ इंच को उजागर हो गए थे दिया। उसके टॉप ने उसकी पीठ के वक्र का केवल एक मामूली संकेत दिया था । उसने बैग रखा और अपने हाथों से अपने लम्बे बालों में कंघी की और उन्हें अपने कानों के पीछे सटक दिया, जिससे उसका सुंदर गोल चेहरा दिख रहा था। उसकी त्वचा गोरी और चिकनी थी।

मैं उसे तब तक देखता रहा जब तक उसने मुझे देखते हुए पकड़ नहीं लिया। उसने शांत नज़र से जवाब दिया। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं कैसे प्रतिक्रिया दूं, इसलिए लापरवाही से काम लिया।
मैंने देखा कि वह गेट के करीब सीटों की एक पंक्ति से मेरी दिशा में आ रही है। वो पास आयी तो मैंने देखा वो एक आकर्षक युवा लड़की थी, जिसकी उम्र शायद 18 या 19 साल के आसपास थी। उसने गोल, पतली रिम वाला चश्मा पहना था जिसमें से मैंने सुंदर, चमकदार कामली आंखें देखीं। लड़की की त्वचा चिकनी थी और उसके चेहरे पर थोड़ी चंचल, मिलनसार अभिव्यक्ति थी। वह एक युवा लाइब्रेरियन की तरह लग रही थी, लेकिन उसके मुस्कुराते चेहरे में एक जीवंतता थी । मुझे लगा कि वह पूरी तरह से मुझे बहका रही है। मैं खिड़की से बाहर की तरफ देखने लगा .

जब मुझे अचानक एहसास हुआ कि कोई मेरे बगल में खड़ा है। यह वही खूबसूरत लड़की थी जिस पर मैं पहले नज़र गड़ाए हुए था। वह मुझे देख रही थी।

पहले तो मुझे लगा कि वह उस पर बहुत देर तक घूरने का आरोप लगाने के लिए थी, जिसके लिए मैं दोषी था। लेकिन वह एक विनम्र मुस्कान लिए हुए खड़ी थी , इसलिए मैंने जल्दी ही इसे खारिज कर दिया। मुझे आश्चर्य हुआ कि वह यहाँ क्यों थी और मुझसे क्या बात करना चाह रही रही थी। मैं अपनी उलझन भरी अभिव्यक्ति को जाने नहीं दे सका। उसने सीट नंबर जांचा और अंदर की सरक कर

"क्या आप भी लंदन जा रहे हैं?" उसने पूछा और थोड़ा मुस्कुराती रही।

मेरे भाव जल्दी से हैरान से शांतहुए और अंत में एक विनम्र मुस्कान में बदल गए। 'लंदन भी' शब्दों ने मुझे चौंका दिया था।

"जी ," मैंने उसकी तरफ हाथ बढ़ाया और अपना परिचय दिया "दीपक कुमार।"

"गुरमीता।" उसने अपना हाथ मिलाते हुए कहा। . मेरे दोस्त मुझे मीता कहते हैं। आप मुझे मीता कह सकते हैं

"अच्छा। बहुत अच्छा, मीता आपसे मिल कर ख़ुशी हुई "
"धन्यवाद, ," लड़की ने हंसते हुए उत्तर दिया।


उसने मेरा सामना किया और उसने अपनी खूबसूरत, लाल जैकेट का ज़िप नीचे खींच लिया, मैं उसे देखकर मुस्कुराया और कहा, आपसे मिलकर अच्छा लगा, आप पंजाब से हैं।

हाँ ! चंडीगढ़

ओह! मैं पटियाला से हूँ।


मैंने अपने बगल की सीट पर रखा अपना आईपैड उठा कर सीट खाली कर दी। जैसे ही वह मेरे बगल में बैठी, उसने उसके शरीर का मूल्यांकन उसकी छाती पर करीब से ध्यान देकर किया, जो कि काफ़ी उन्नंत लग रही थी।

अच्छा हुआ आप मिले . नहीं तो मैं सोच रही थी की पता नहीं कौन मिलेगा सफर में और बोर होना पड़ेगा .

मैंने जवाब में उसे एक चुटीली मुस्कान दी, वास्तव में निश्चित नहीं था कि हमारी सीमित बातचीत के साथ हमे कितना आगे जाना है। हालाँकि, मेरे साथ जुड़ने पर उसकी बात सुन कर मैं उसकी बोल्डनेस से काफी प्रभावित था।

उसी समय मैंने फैसला किया कि उसके साथ समान रूप बोल्ड रहूंगा क्योंकि ऐसा लग रहा था कि वो नौजवान अजनबियों के पास जाने से नहीं डरती . शायद इसीलिए कहते हैं की पश्चिम का माहौळ काफी खुला हुआ है ।

"तो," मैंने जारी रखा "क्या आप लंदन में रहते हैं या आप जा रही हैं?"

"मैं वहाँ पढ़ रही हूँ। और मेरा परिवार UK में बसा हुआ है। मैं अपने दादा-दादी से मिलने आयी थी " मीता ने कहा "और आप ?"

"मैं वहाँ पढ़ने जा रहा हूँ।" मैंने प्रतिक्रिया दी ।

एक बार जब हर कोई उड़ान के लिए तैयार हो गया, तो कुछ कहा नहीं गया . रात की उड़ान होने के कारण कंबल और तकिए दिए गए थे और उड़ान भरने के कुछ ही समय बाद केबिन की रोशनी बंद कर दी गई थी।

अगला घंटा मेरे लिए जल्दी बीत गया क्योंकि मैंने मीता के साथ बातचीत की। मुझे काफी आत्मविश्वास महसूस हुआ और मैंने उससे पुछा क्या वो खिड़की की सीट पर बैठने की इच्छुक है । जिस पर वह राजी हो गई। फिर हमने अपनी सीटों का आदान-प्रदान किया और फिर हमने अपनी बातचीत जारी रखी। परिवार पढ़ाई, कॉलेज को लेकर बातचीत शुरू हुई। उसने अभी-अभी अपना कॉलेज समाप्त किया था और अब वो कॉलेज जाने वाली थी और धीरे-धीरे बातचीत निजी जीवन के बारे में परिवर्तित हो गई। अपने निजी जीवन के बारे में अंतहीन चर्चा करने के बाद भी, मीता ने अभी तक अपने प्रेमी या पति का उल्लेख नहीं किया था। इससे मुझे उम्मीद हुई कि वह अकेली थी।

टीवी शो पर चर्चा करते हुए, मुझे एहसास हुआ कि हमे एक कॉमेडी शो बहुत पसंद था ।

"मेरे पास अपने iPad पर ऑफ़लाइन देखने के लिए उसका नवीनतम एपिसोड हैं। क्या आप मेरे साथ देखना चाहेंगी ?" मैंने कहा और मैंने एक इयरफोन उसे पेश कीया ।

"जरूर ।" उसने जवाब दिया और जल्दी से ईयरबड लगा लिया ।

हमने कुछ एपिसोड को शारीरिक रूप से करीब होकर साथ में देखे । हम दोनों के हाथ आर्मरेस्ट पर रगड़ रहे थे और हम एक दूसरे के खिलाफ झुक गए थे ।

मैंने उसकी तरफ देखा तो मीता ने मुझ पर एक चमकदार मुस्कान बिखेरी।

"आप बहुत हैंडसम और अच्छे है दीपक ," मीता ने चुपचाप मेरी ओर देखते हुए कहा।

मुझे नीचे कुछ गर्माहट महसूस होने लगी। मैं इस बात से हैरान था कि युवा मीता कितनी बोल्ड थी शायद उसके माता-पिता बहुत उदार थे जिन्होंने उसे हर अवसर पर बेफिक्री से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया था ।


फिर एक घंटे के अंदर , मैंने मीता का सिर अपने कंधे पर टिका हुआ पाया जैसे कि यह दुनिया की सबसे स्वाभाविक चीज थी। मैंने मंद रोशनी वाले विमान के चारों ओर देखा, हर कोई गहरी नींद में था, वास्तव में, हमारे आस-पास कोई भी सचेत नहीं लग रहा था।

परिचारिका ने कंबलों से हमें हमारे कंधों तक ढँक दिया था और हम बहुत आराम से थे। मुझे उसका सिर मेरे कंधे पर आराम करने का अनुभव पसंद आया। मैंने उसकी महक में सांस ली, एक सुखद परफ्यूम का संकेत था, यह ध्यान देने योग्य होने के लिए पर्याप्त था। युवा लड़की से ताजा लेकिन थोड़ी विदेशी इत्र की गंध आ रही थी । मैंने मीता की ओर देखा, उसी क्षण उसकी आँखें खुल गईं और वह मुस्कुराती हुई मेरी ओर देखने लगी।

मुझे यकीन नहीं था कि यहाँ से कैसे आगे बढ़ना है इसलिए ,

"तुम बहुत सुंदर हो, मीता ।"

"अगर मैं आर्मरेस्ट उठाऊं तो क्या आप बुरा मानेंगे?" उसने पूछा

"मैंने एक मुस्कान के साथ आर्मरेस्ट उठा दिया ।

जैसे ही मैंने आर्मरेस्ट को हटाया , मुझे लगा कि मीता मेरे करीब आ रही है। हमारे कंधे, हाथ और जांघ छू गए। उसने अपने हाथों को मेरी जाँघों पर टिका दिया, और मैंने उन्हें धीरे से पकड़कर जवाब दिया। वह उत्तेजना से पसीने से तर थी, और उसकी हृदय गतिबढ़ गयी थी। बिना किसी चेतावनी के, मैं अपना चेहरा उसके करीब ले गया , मेरे ओंठ लगभग उसकी ओंठो को बगल में, उसके जवाब की प्रतीक्षा कर रहे थे। उसने एक पल के लिए मेरी तरफ देखा, और फिर अपनी आँखें बंद कर लीं। मैंने उसके ओंठो के खिलाफ अपने होंठ दबाए, फिर उनमें से प्रत्येक को अलग-अलग चूसा। मैं अभी भी उसके होठों पर लाल-शराब का स्वाद अनुभव कर रहा था, और इसने केवल हमारे इस चुंबन को और अधिक कामुक बना दिया। हालांकि मैं विमान-सीट पर असुविधाजनक, चुंबन करते समय अपनी एक भुजा उसकी पीठ पर और दूसरी उसके सिर के पीछे लपेटने में कामयाब रहिए । चुंबन धीरे-धीरे उग्र हो रहा था।


जारी रहेगी


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