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Adultery पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ नौजवान के कारनामे
#81
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5


रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-22

सुपर संडे - ईशा के साथ सम्भोग का आनंद




हम दोनों कुछ देर साथ में चिपक का लेटे रहे कुछ देर बाद हम दोनों के तेज चल रही साँसे नार्मल हो गयी मैंने ईशा की चूमा और लड़की से औरत बनने पर बधाई दीl

फिर मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो वह ईशा के चूतरस खून और वीर्य से भीगा हुआ थाl बेड शीट खून से सन्न चुकी थी मैंने फिर ईशा को लिप किश दी और उसके बदन को सहलाया। उनके चुचो को दबाया और चूत पर हाथ फेरा और पुछा ईशा कैसा लगा ? मजा आया ?

तो ईशा बोली शुरू में दर्द हुआ पर फिर बहुत मज़ा आया उसके बाद तो मन कह रहा था ये चलता जाए......अनंत तक रहे .

फिर मैंने रुमाल उठा कर उसकी योनि और अपने लंड को साफ़ किया और मैंने ईशा की चूत पर क्रीम लगाई औरउसे सहलाया उसने भी मेरे लंड को किश कर थैंक यू बोला ईशा के स्पर्श से मेरा लंड एक बार फिर जागने लगा। फिर हम बिस्तर पर वापिस आ गए मैंने किश किया और चाटने लगा और दोनों एक दुसरे के साथ चिपक गए और लिप किस करने में लग गएl

हम एक-दूसरे की बांहों में समा गए और कुछ मिनटों के लिए वहीं पड़े रहे। मैं उसे देखता रहा, वह बहुत सुंदर थी। उसके स्तन पूरे भरे हुए हैं पर उनमें जरा-सी भी शिथिलता और ढलकाव नहीं था ।

कुछ देर बाद मैंने उसके शरीर का फिर छेड़ना शुरू कर दिया हम दोनों ने अपने जीभ के सामंजस्य से एक साथ काम करने की पूरी भावना के साथ चूमा। जब तक हम चूमा चाटी कर रहे थे मेरे हाथ उसके स्तन और निपल्स को दबा और प्यार से सहला रहे थेl मैं किस करता हुआ उसके स्तन से उसकी गर्दन तक फिर उसके कानों तक और फिर उसके होंठों को चूमा चाटा और किश किया। फिर मैंने उसके स्तन और निप्पलों को चाटता और चूसने लगा । मैं बता सकता था, कि वह फिर से उत्तेजित हो रही थी।

जल्द ही वह पूरी तरह से उत्तेजित हो गयी थी कौमार्य भेदन के बाद ही सम्भोग का असली आनंद आता है। मतलब, जो खून खराबा दर्द होना था, वो हो चुका। अब वो इस क्षणिक दुःख दर्द को भूल कर उन्मुक्त भाव से सम्भोग के सुख को भोगना चाहती थी। वह बोली प्लीज मुझे फिर चोदो और मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी l उसका हाथ लगते ही लंड पूरी तरह तन गया.

धीरे-धीरे मैंने वापस उसके स्तन पर हाथ फेरना शुरू कर दिया। पहले मैंने उसके कान और गर्दन को चूमा, मैंने उसके कानो में कहा ईशा जानू आयी लव यू अब मैं रगड़-रगड़ कर प्यार करूंगा। मैंने उसके कानो को चूसा तो वह सिहरने लगी l

मेने उसको खड़ा किया ओर उसकी टांगो को खोला ओर नीचे बैठ कर उसकी लाजवाब चूत का नज़ारा करने लगा. उसकी उभरी हुई मोटी चूत जो लंड लेने के लिय बेकरार थी ओर गर्म होकर डबल रोटी हो रही थी. मेने अपनी ज़बान से उसकी चाटने लगा ओर अपनी ज़बान उसकी नर्म ओर गर्म चूत मे डाल दी ओर हाआआ.. म्म्म्म म ओर वो मेरे सर को अपने हाथो से अपनी चूत पर दबाने लगी ओर पागल होकर हाआआआआ चुऊवस मेरी चूत को इसका सारा रस पी लो हाअ उफफफफफ ओर उसकी चूत ने सारा पानी मेरी मुह मे निकाल दिया। जिसे मैंने मुँह में भर लिया फिर मे खड़ा हुआ ओर अपनी ज़बान उसके मुह मे डाल दी ओर वो भी अपनी चूत के पानी का मज़ा मेरी ज़बान चुस कर लेने लगी मेने उसकी ज़बान चूसी ओर खुब एक दुसरे को चुमा चाटा।

इस बीच वो मेरे लंड को सहलाती रही फिर मैं उसके स्तन के नीचे किस करते हुए उसके स्तनों की गोलिएयो को नीचे से चूमाl फिर मैं उसके स्तनों को चूमने और चूसने लगा और उसके निप्पलों को चूमा जो उत्तेजना से पूरे कड़े हो चुके थेl मैं उसकी चूची पर रुक कर चूसने लगा और वह उत्तेजना के मारे सर इधर उधर मारने लगी मैंने उसके पेट को चूमा और नाभि को चूसा और सहलाया। मैंने अपनी जीभ उसकी नाभि में डाल दी और ईशा गहरी-गहरी साँसे लेने लगी वह कराहने लगीl आआआहहह ओह्ह प्लीज!

मेरे हाथ उसकी जाँघों को रगड़ने लगे, उसके घुटनों तक मैं उसकी जाँघे सहलाने लगा, उसके घुटनों के पीछे उसे रगड़ा और फिर वापिस उसकी जाँघों पर हाथ फेरने लगाl फिर उसकी चूत को हल्के से सहलाने लगा। वह अब और ज़्यादा उत्तेजित हो गई थी क्योंकि वह कराहने लगी उह आह बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने उससे पूछा कि क्या वह त्यार है और गीली हो रही है और उसने हाँ का जवाब दिया। मैंने उससे पूछा कि क्या मैं अपनी उंगलियाँ उसकी चूत में डाल कर उसकी चूत को रगड़ दूँ। उसने कहा हाँ प्लीज जो भी करना है, जल्दी करो.

मैंने अपनी उंगलियाँ उसके चूत में घुसा दीं और वह पूरी भीगी हुई थी। मैंने ऊँगली निकाल कर उसके मुँह में डाली तो वह अपना रस चाट गयी और फिर मैं उसके मुँह से उसके थूक और चुतरस दोनों को चूसने लगाl मैंने अपने उंगलिया उसकी चूत में दुबारा घुसा दी वह और भी गीली हो गयी थीl मैं अपनी उंगलिया घुमाता हुआ उसकी चूत के दाने पर पहुँच गया जो की उसके बदन का सबसे सेंसिटिव हिस्सा थाl जिससे चूतड़ बेड से ऊपर उठ गए पर मैं उसके चूत के दाने को रगड़ता रहा

मै उसकी स्तनों को मसलने लगा, और वो मादक आवाजें निकालने लगी, आह उह आह की आवाजें पुरे कमरे में गूंज रही थी, फिर मैंने उनके स्तनों को चूसना शुरू कर दिया उनके स्तनों कड़क हो गए थे और चुच्चिया कह रही थी हमे जोर से चूसो .. मैंने निप्पलों को दांतो से काटा ईशा कराह उठी आह यह आह ईशा कह रही थी धीरे मेरे राजा धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा ही है उसके बूब्स अब लाल हो चुके थे फिर मैंने उसकी नाभि को चूमा अपनी जीभ उसकी नाभि में डाल दी

ईशा मस्त हो गयी और मेरे सर अपने पेट पर दबाने लगी ईशा का पेट एकदम सपाट था कमर पतली और नाजुक मैंने उनके एक एक अंग को चाट डाला और उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा उन्हें जैसे करंट सा लगा और उन्होंने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी,

अब वो सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वो अहाह, आहहह, आहहह कर रही थी। उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था. उसकी चूत गीली होने लगीl और वह आनद के गोते लगा रही थीl और ओह ओह्ह आह आह करने लगी । अब उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी।


अब मेरा लंड तनकर पूरा 90 डिग्री का हो गया था। और वो मेरे लंड पकड़कर सहलाने लगी. वो मेरे लंड पर अपने हाथ को ज़ोर से आगे पीछे करने लगी और ज़ोर से मौन करने लगी। उसकी चूत पूरी डबल रोटी की तरह फूली हुई थी। वो बोली अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है, जल्दी से चोद दो, मेरी चूत में आग लग रही है। अब वो ज़ोर-जोर से हाँफ रही थी और आहह, एम्म, ओह, आआआआआआअ, डालो ना अंदर जैसी आवाजे निकल रही थी।


फिर मैंने उसकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके दोनों पैरों को फैलाया, मैंने एक बार लंड पकड़ कर उसकी योनि के दाने पर रगड़ा और अपना लंड का सूपड़ा उसकी चूत में डाल दिया। अब जब मेरे लंड का सुपड़ा ही उसकी चूत में गया था तो वो ज़ोर से चिल्लाई। मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए अपने धक्के लगाता गया। अब वो झटपटा रही थी और अपने बदन को इधर से उधर करने लगी, लेकिन में नहीं एक जोर का झटका लगाया, एक ही झटके में पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया, उसकी आह निकल गयी,

फिर में कुछ देर के लिए उसके ऊपर ही पड़ा रहा तो कुछ देर के बाद वो शांत हुई अब में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया ।

फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो पहले तो वो चिल्लाई, लेकिन फिर कुछ देर के बाद मैंने पूछा कि मज़ा आ रहा है। फिर वो बोली कि हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है, तुम्हारी चुदाई जबरदस्त है ..हाईईईईई, म्‍म्म्मम और फिर वो जोर-जोर से चिल्लाने लगी। फिर कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वो पूरी मस्ती में थी और मस्ती में मौन कर रही थी अआह्ह्ह आाआइईई और करो, बहुत मजा आ रहा में अपनी स्पीड धीरे-धीरे बढ़ाता जा रहा था हाआअ, राआआआआजा, आईसीईई, चोदो और जोर से चोदो। आज मेरी चूत को फाड़ दो, आज कुछ भी हो जाए लेकिन मेरी चूत फाड़े बगैर मत झड़ना, आआआआ और ज़ोर से, उउउईईईई माँ, आहह हाँ, अब ऐसे ही वो मौन कर रही थी।

फिर कुछ देर के बाद मैंने महसूस किया कि मेरा लंड पानी से भीग रहा है। अब वो भी अपना पानी छोड़ने वाली थी, अब वो नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थी और बडबड़ा रही थी आहहहहहह और चोदो मेरी चूत को, और फिर कुछ देर के बाद वो बोली हाए मेरे राजा में झड़ने वाली हूँ। और फिर मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी उसका मुँह मेरे मुँह में था और में उसको ज़ोर-ज़ोर से किस करता गया और धक्के लगाते गया। ऐसे ही 15-20 मिनट तक उसको उसी पोज़िशन में चोदता गया। फिर अब उसे भी मज़ा आने लग रहा था, अब वो भी अपने कूल्हे उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। अब मैंने उसे और ज़ोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया था।

मैं उनको चूमता रहा और उनके बूब्स को सहलाता रहा फिर मैंने कहा इस बार ईशा आप ऊपर आ जाओ फिर में उनके नीचे और ईशा मेरे ऊपर थी। मेरे तनकर खड़े लंड पर धीरे धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अंदर घुसा रही थी। में उसकी चूत की चमड़ी को अपने लंड की चमड़ी पर रगड़ते हुए देख रहा था और मुझे उस समय कितना मज़ा आ रहा था। वो मेरे लंड पर धीरे से उठती और फिर नीचे बैठ जाती जिसकी वजह से लंड अंदर बाहर हो रहा था और वो खुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थी और बहुत मज़े कर रही थी । सच कहो ईशा बहुत मादक लग रही थे उनके रेशमी सुनहरी बाल चारो तरफ फ़ैल गए थे ईशा उन्हें पीछे करते हुए मेरी छाती पर अपने हाथ रख देती थी



मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर उनका साथ दिया.. मेरा लंड उसकी चूत के अंदर पूरा समां जाता था तो दोनों के आह निकलती थी .फिर मेरे हाथ उनके बूब्स को मसलने लगे फिर मैं उसकी चूचियों को खींचने लगता था तो ईशा सिहर जाती थी और सिसकने लगती थी .. उसके बाद ईशा मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए.. मैं ईशा को बेकरारी से चूमने लगा। और चूमते चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी फिर मैंने ईशा की जम कर चुदाई की .

फिर मैंने उसको घोड़ी बना दिया। और अब मैंने उसकी चूत में पीछे से लंड को डालकर चोदना शुरू किया ईशा भी मस्ती में गांड आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगी उनका चिलाना एकदम बंद हो गया. और फिर में उसे लगातार धक्के देकर चोदता रहा। बीच बीच में पीछे से उनके स्तनों पकड़ कर दबाता रहा जब मैं उनके मोमे दबाता था करीब 10-15 मिनट तक लगातार उसको उस पोज़िशन में चोदा उसकी हालत बुरी थी फिर दोनों लगभग एकसाथ झड़ गए

ईशा निढाल हो कर लेट गयी मैं उनको प्यार से सहलाने लगा और किस करने लगा. ईशा बोली बहुत मजा आया.


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार



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  1. मजे - लूट लो जितने मिले

  2. मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

  3. अंतरंग हमसफ़र

  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री

  6. मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया

  7. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम-completed 

  8. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
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#82
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#83
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-23

सुपर संडे - शाही हर्बल तेल से मालिश



कुछ देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई तो हम मुश्किल से अपने आप को ठीक कर पाए. ईशा बेड पर बिछी हुई चादर में घुस गयी और मैंने दरवाजे को तौलिया लपेट कर खोल दिया, दरवाजे पर और ब्यूटी पारलर वाली हेमा और रीती थी उनके हाथ में एक बैग था और दोनों अंदर आ गए। तो हेमा और रीती ने ईशा और मुझे बधाई दी मैंने उन दौड़ने का शुक्रिया अदा किया और पुछा अभी तो 3. ही बजे हैं आप दोनों थोड़ा जल्दी आ गयी हैं

तो हेमा बोली हम इसी उहोपोह में थे त्यार होकर कैसे जाए होटल में हमे देखकर लोग क्या सोचेंगे .. मैंने कहा वो तो अब भी सोच सकते हैं तो हेमा बोली अब तो हम ब्यूटिशियन के तौर पर आयी हैं अगर दुल्हन बन कर आती तो पक्का लोग शक करते ..

हम सामान ले आयी अब यही त्यार हो जाएंगी तो ईशा बोली उसका शरीर बहुत दर्द कर रहा है मैंने उसे बाहर रगड़ रगड़ कर छोड़ा है . उसका अंग अंग दर्द हो रहा है तो हेमा बोली ठीक है पहले आप दोनों की मालिश कर देते हैं

हालांकि मेरा लण्ड टॉवल में नीचे की ओर दबा हुआ था फिर भी लण्ड ने टॉवल को पूरा ऊपर उठाने की कोशिश कर रखी थी.

हेमा ने मेरे लण्ड के उभार को नोटिस कर लिया था. हेमा ने टॉवल की गांठ को तुरंत निकाल कर ढीला कर दिया.

मेरे लण्ड ने एकदम टॉवल को झटके से नीचे गिरा दिया और मेरा 9 इंच लम्बा-मोटा लण्ड लहरा कर बाहर निकल कर झटके खाने लगा.

हेमा ने लण्ड को देखा तो शर्म से अपनी बाजू से अपनी आंखें ढक लीं और एक हाथ से टॉवल को लण्ड पर डालते हुए बोली- कुमार सर, आपने अंडरवियर भी निकाल रखा है?

मैं कुछ नहीं बोला और लण्ड को टॉवल से ढकने की कोशिश करने लगा.

लेकिन टॉवल छोटा पड़ने लगा क्योंकि लण्ड ऊपर को तन चुका था.

फिर हेमा बोली ये अंग ढके रहने और नमी के कारण यहाँ की खाल बहुत नाजुक होती है जो ये तेज़ मालिश सहन नही कर सकती. यदि यहाँ की मालिश करनी हो तो नारियल का तेल काम में लेना चाहिए और नीचे जड़ से ऊपर की ओर इस तरह से मालिश करो ये कह कर उन्होंने अपनी मुट्ठी में मेरे लण्ड की जड़ से पकड़ कर हौले से ऊपर की ओर लाते हुए बताया इस तरह से मालिश करनी है और बहुत ज्यादा जोर से नही दबाना. लण्ड ब्लड के ज्यादा पम्पिंग होने से कठोर होता है, इस समय लण्ड से शरीर को जाने वाला ब्लड धीमे हो जाता है और पम्पिंग से आने वाला ब्लड बढ़ जाता है. बहुत जोर से दबा कर मालिश करने से लण्ड के ऊतकों को नुक्सान हो सकता है और लण्ड की कठोरता कम हो सकती है.

वो बोली- रुको ! मैं आती हूँ ऐसे ही रहना. मैं खड़ा रहा, हेमा जरा देर में वापस आई तो तीन चीजें उनके हाथ में थी – नारियल तेल की बोतल, एक हरे रंग के तेल की शीशी और एक पारदर्शी छोटी बोतल जिसमे सुनहरे रंग का कुछ तरल था.

मेरे पास आकर उन्होंने ये सारा सामान मेज़ पर रखा और हाथ पे नारियल का तेल अपनी ऊँगली पे लगाई और मेरे लण्ड के सुपाडे की खाल पीछे करके लण्ड के सुपाडे पर मलने लगी. मल मल कर दवा को उन्होंने पूरा सुखा दिया . अब बोली सर देखिये तेल की मालिश ऐसे करनी है।

मैं ने कहा कि आप मेरा नाम दीपक है आप दीपक ही बोलिए बहुत अच्छा लगेगा. वो बोली मैं आपका नाम नहीं ले सकती मैं आपको कुमार सर बोलूंगी .. मैं सोचने लगा इसे मेरा नाम लेने में क्या आपाती है .. इससे पहले उससे पूछता वो बोली आप मुझे हेमा बोलिए. उन्होंने अपने हाथ पे नारियल का तेल उंडेला और मेरे लण्ड पर अपने बताये तरीके से जड़ की तरफ़ से सुपाडे की तरफ़ लाते हुए मालिश करनी शुरू की।

वह मेरे ऊपर झुककर अपने हाथों से मालिश करने लगी.

हेमा के हाथ छूते ही मेरा लण्ड टाइट हो गया .

वह मेरे ऊपर झुक कर मेरी छाती, कंधों और बाजुओं पर अपने नर्म हाथों को फिराने लगी.

जब वो दूसरी साइड के कंधों पर हाथ बढाती थी तो उसके बड़े सुडोल और गोल मम्मे मेरी छाती से टच हो जाते थे.

हम दोनों की साँसें तेज होने लगीं, मेरी छाती पर थोड़ा हाथ मसलने के बाद हेमा मेरे पाँव की मसाज करने लगी.

उधर रीती ने सुगंधित तेल की बोतल खोलकर थोड़ा तेल अपनी हथेली में डाल लिया.

रीती: मैडम मैं आपके बालों से शुरू करूँगी आप अपना जूड़ा खोलकर बाल पीठ में फैला दो.

ईशा ने अपने लंबे बाल खोल दिए. रीती ने बालों वाला तेल बालों में लगाना शुरू किया और वास्तव में उस तेल की सुगंध मदहोश करने वाली थी. ईशा ने गहरी साँस ली और मुझे भी उस खुशबू से अच्छा महसूस हो रहा था.

रीती – मैडम , आपके बाल बहुत अच्छे हैं.

ईशा ने कोई जवाब नहीं दिया

पूरे कमरे में तेल की सुगंध फैल गयी थी. रीती ने सावधानी से ईशा के सर में तेल लगाया और फिर अपनी अंगुलियों से ईशा के लंबे बालों में लगाया.

तभी रीती के घुटने ईशा के गोल नितंबों से छू गये , ईशा के बदन में इससे कंपकपी सी दौड़ गयी.

कुछ ही देर में ईशा के सर की मालिश खत्म होने को आई थी,

और जैसे ही हेमा का हाथ मेरे पट पर मसाज करता हुआ मेरी जांघ की ओर बढ़ा उसी वक्त मैंने लण्ड को थोड़ा झटका दिया, मेरे दिल ने ज़ोर से धड़कना शुरू कर दिया.

मैंने पुछा ये कौन सा तेल है इस्सकी खुशबू बड़ी ही अच्छी है

हेमा बोली ये शाही हर्बल तेल हिमालय में हमारे गुरूजी जड़ी बूटियों से खुद बनाते हैं और ये आपकी सारी थकान कुछ ही क्षणों में मिटा देगा .. तो मैंने बोला फिर तो तुम कुछ शाही हर्बल तेल मंगवा देना तो वो बोली ये तो आपको मिल ही जाएगा

मुझे समझ नहीं आया कैसे मिल जाएगा मैं कुछ पूछता उससे पहले ही हेमा में अपना हाथ मेरे तपते लण्ड पर रख दिया.

हेमा ने एक हाथ की कोहनी से अपनी आंखें बंद किये किये मेरा लण्ड पकड़े रखा और उसे ऊपर नीचे करने लगी. मैं उसे देखता हुआ अपने लंड की मालिश करवा रहा था.

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार



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#84
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन


PART-24

सुपर संडे - कपल मालिश 




हेमा और रीती दोनों किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। हेमा की हाईट 5’5″ के लगभग होगी, दिखने में वह स्टाइलिश थी, चलती भी अदा के साथ थी, उसकी कमर की लचक मादक लगती थी। चंचलता, शोखी भरी अदा, छरहरा बदन, आँखें सुनहरी, बाल लालिमा लिये हुए बिखर कर खूबसूरती को और भी बढ़ा रहे थे। गर्दन सुराहीदार थी, गले में सोने की पतली सी चैन थी। मुझे सोने और हेमा के शरीर का सुनहरा रंग एक जैसा नजर आ रहा था।

मैंने अनुरोध के स्वर में कहा- हेमा, आंखे खोलकर करो न!

हेमा ने अपनी आंखें खोली और मेरी तरफ देख कर बोली- कुमार आपका तो ये बहुत बड़ा है, आप तो असली मर्द हो. उसके बाद हेमा का सब्र अब जवाब देने लगा। वो लण्ड को अब टिकटिकी लगाकर देख रही थी। अब काम वेग उसकी आँखों से झलक रहा था। मैंने हेमा के कंधे को पीछे से छूना सहलाना शुरू कर दिया. मैंने अपना एक हाथ उसके कंधे पर रहने दिया और दूसरे हाथ से उसके कमर को सहलाते हुए उसकी मांसल जांघों तक ले जाने लगा। मैंने उसकी जांघों को और भी मादक अंदाज में सहलाया, सच में उसकी त्वचा का स्पर्श अनोखा था, या हो सकता है मेरी वासना की वजह से मुझे ऐसा लगा हो।

मैं बैठ गया और हेमा को अपनी ओर खींच कर उसकी शर्ट के बटन खोलने लगा. हेमा ने कोई विरोध नहीं किया ।

मैंने हेमा की शर्ट के सारे बटन खोलकर उसे बाजुओं में से निकाल दिया. शर्ट निकलते ही हेमा की बड़ी बड़ी गोरी चूचियाँ उसकी ब्रा को फाड़कर बाहर उछलने को हो रही थीं. मैंने हेमा का हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया. हेमा मेरी बांहों में आ गई मैंने उसकी ब्रा के हुक खोलकर ब्रा को अलग कर दिया मैं हेमा के शरीर पर हाथ फिराने लगा . मैंने अपने एक हाथ को उसकी चूचियों पर ले जा कर उन्हें मसल दिया. हेमा कीआह निकली वो ईशा से थोड़ी ही कम गोरी रही होगी, पर होंठ उभरे हुए थे, ऐसा लग रहा था मानो भरपूर रस भरा है जो मेरी प्यास बढ़ा रही थी आँखें काली और नशीली थी, पेट सपाट था और बाल ऊपर से स्टाइलिश तरीके से बंधे हुए थे।

तो मैंने अपने होंठ हेमा के होठों पर रख दिये और एक लम्बा किस किया ।

हेमा के तपते होटों को मैंने चूसते हुए उसकी चूचियों को मसल दिया और दूसरा हाथ उसकी पीठ पर फिराने लगा ।

मैंने ईशा और रीती की तरफ देखा . ईशा की मालिश करते वक्त रीती के बाल बार-बार चेहरे पर आ रहे थे, उसके बिना लिपस्टिक के गुलाबी ओंठो को किसी श्रृंगार की जरूरत नहीं थी, आँखों पर काजल लगा हुआ था।

मोती जैसे दांत, गालों पर हंसते हुए डिंपल बनना और होठों के थोड़े ऊपर एक छोटा सा काला तिल, गर्दन हिरणी जैसी, कंधों में कोई ढीलापन नहीं था, मैं उसकी शर्ट के ऊपर से भी ब्रा की पट्टी के उभार देख पा रहा था, उन्नत उभारों की सुडौलता और कसावट, बड़े उभार को उसकी चौंतीस की ब्रा मुश्किल से संभल पा रही थी।

इन कपड़ों में वो कयामत लग रही थी, उसके बहुत बड़े, तने हुए उभार मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे।

उसके पेट का अंदर की ओर होना उसके फिट होने और सेक्स के लिए परफेक्ट होने का संकेत दे रहे थे। उसकी लेगी जांघों से चिपकी हुई थी और मुझे कुछ-कुछ पेंटी का भी आभास हो रहा था। उसके शरीर का हर एक अंग का कटाव अलग से दिख रहा था।

ईशा हेमा और रीती तीनो ही कामुकता और सुंदरता से परिपूर्ण थी।

उधर रीती में ईशा के बालो की मालिश खत्म कर दी थी और इधर हेमा ने मालिश का सुगंधित तेल अपनी दोनों हथेलियों में लगाया और मेरे माथे पर मलने लगी . मेरे चेहरे की मालिश के बाद हेमा मुझे बोली आप अब उल्टा लेट जाओ और मैं उल्टा लेट कर ईशा की मालिश देखने लगा ।

रीती ईशा से बोली मैं मालिश शरीर के ऊपरी हिस्से से शुरू करके धीरे धीरे नीचे को करुँगी इससे आपकी अच्छा लगेगा वैसे तो हर हिस्से के लिए अलग अलग तेल होते हैं. लेकिन ये शाही हर्बल तेल सब जगह लगा सकते हैं . ये बहुत ही खास हैं .

ईशा बोली सच में इससे बहुत अच्छा लग रहा है .

ईशा ने सहमति में सर हिलाया और मालिश का आनंद लेने लगी. उसको देख कर लग रहा था वो वास्तव में अच्छा महसूस कर रही थी.

हेमा की अंगुलियों ने मेरे माथे की मालिश की और उधर रीती ईशा के फिर मेरे गालों की मालिश कर रही थी . जब वो अपनी अंगुलियों से ईशा गालों को किसी दबा रही था उसके बाद उसने ईशा के गालों में देर तक गोल गोल करके मालिश की , इससे ईशा के गोरे गाल लाल हो गये थे ।

चेहरे की मालिश के बाद रीती ने ईशा के कानों में तेल लगाया. और उसके कानो की हलकी मालिश करने लगी .. ईशा मजे ले रही थी ।

“आआअहह….” उसने संतुष्टि से आह भरी.उसे बहुत मज़ा आ रहा था. उसने एक दूसरी बोतल निकाली और अपने हाथों में तेल लगा लिया. अब वो ईशा की गर्दन गले और पीठ में तेल लगाने लगी ।

फिर उसने ईशा की हर एक नाज़ुक अंगुली में एक एक करके मालिश की और फिर ऐसा ही बायीं हथेली में भी किया. उसके बाद उसने ईशा के गोरे हाथों की मालिश शुरू की. और कभी कभी हाथों को दबा भी रही थी. फिर वो उसकी बाजुओं पर तेल लगा कर मालिश करने लगी .. जब रीती मालिश करती हुई झुकती थी, तब उसके टाप के गले से उसकी चूचियों के दर्शन हो जाते थे, उसके कटाव और घाटियों को देखकर मैं वहीं आह भर के रह जाता था ।

इधर हेमा तेल की शीशी लेकर मेरे पैरों की तरफ बैठ गयी और हथेली पे ढेर सारा तेल उड़ेलकर मेरे पीठ पर मलने लगी। मैं लेट कर ईशा की मालिश देखते हुए हेमा के नरम नरम हाथो की मालिश का मज़ा लेने लगा और उसके कोमल स्पर्श मात्र से मेरा लण्ड फड़फड़ाने लगा।

थोड़ी देर बाद मैं बोला,” हेमा तुम बहुत बढ़िया मालिश करती हो। तो उसके बाद हेमा मेरी टाँगो की मालिश करने लगी। करीब 10 मिनट बाद उसने मेरे नितम्बो की भी मालिश की फिर मैं पीठ के बल सीधा हो गया ।

और हेमा मेरे कंधों में मालिश करने लगी औरकंधो की मालिश करते करते मेरी छाती पर मालिश करने लगी ।

तभी रीती की आवाज सुनाई दी – मैडम, कैसा लग रहा है ? रिलैक्स फील हो रहा है ?

“हाँ, बहुत आराम मिल रहा है.” रीती ने ईशा को बिठा दिया था उसका मुँह मेरी और था ईशा के सामने रीती बैठी थी ।

ईशा ने तभी अपनी बाजुए उठायी और रीती की शर्ट उतार दी और फिर उसकी ब्रा भी उतार दी औरउसे बोली अब पीछे आकर थोड़ी सी पीठ की मालिश कर दो फिर रीती उठी पीछे गयी और उसकी नंगी पीठ पर मालिश करने लगी . उसने ईशा के मेरुदण्ड (स्पाइनल कॉर्ड) और उसके आस पास से मालिश शुरू की. ईशा की चिकनी पीठ पर उसकी अँगुलियाँ ऊपर नीचे फिसलने लगीं ।

मालिश करते करते उसकी अँगुलियाँ ईशा की हिलती डुलती चूचियों को भी सहला देती थी और इधर हेमा मेरे कंधो और मेरी छाती की मालिश कर रही थी ।



कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार



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  1. मजे - लूट लो जितने मिले

  2. मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ

  3. अंतरंग हमसफ़र

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  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री

  6. मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया

  7. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम-completed 

  8. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
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#85
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-25

सुपर संडे - क्लब सैंडविच मालिश




कुछ पल के लिए रीती के हाथ ईशा की पीठ में रुक गये.

मैडम, पीठ की मालिश पूरी हो गयी है. अगर आप अनुमति दें तो मैं आपकी ….वो …मेरा मतलब चूचियों की मालिश शुरू करूँ.

वो थोड़ा हकलायी . रीती ने बोतल से तेल निकालकर अपनी हथेलियों में लगा लिया. वो ईशा के सामने घुटनों के बल खड़ी हो गयी.

“रीती तुम ये पीछे से कर सकती हो ? मेरा मतलब पीछे बैठ कर”.

उसने ऐसा मुँह बनाया जैसे उसे कुछ समझ नहीं आया.

मेरा मतलब अगर तुम मेरी …..वो….. मेरी चूचियों की मालिश मेरे पीछे से करोगी तो मुझे कंफर्टेबल रहेगा.”

रीती ईशा के पीछे बैठ गयी और ईशा की नंगी चूचियों को अपनी हथेलियों में भर लिया, ये देख मेरे बदन में कंपकपी दौड़ गयी.

उत्तेजना से मेरा लंड भी ऐंठ गया जिसे देख हेमा ने मेरा लंड पकड़ लिया और इसे सहलाने लगी.

रीती ने ईशा के स्तन दबाये तो ईशा भी कराह उठी “ऊऊहह……उम्म्म्मममम…..” रीती ईशा की गोल चूचियों को धीरे से पकड़ और उनमें तेल लगा रही थी और तेल लगाने के बाद वो उन्हें ज़ोर से दबाने लगी फिर वो ईशा के तने हुए निपल्स को गोल गोल घुमाने लगी मरोड़ने लगी और मनमर्ज़ी से दबा रही थी.

आईने हेमा के होंठो से होंठ मिलाकर चूमना शुरू किया। हेमा बभी मेरा साथ देने लगी ।

उधर जब रीती ईशा के स्तनों के साथ कहने लगी तो ईशा उत्तेजना से पागल हो गयी. ईशा अपनी दोनों हथेलियों से ईशा की चूचियों की कभी हल्के से कभी ज़ोर से मालिश कर रही थी .

“उम्म्म्मममह………..…आआहह………………”

मैं हेमा के उरोज़ों पे हाथ फेरता हुआ बोला,” वाह ! भगवान् ने क्या फुर्सत के समय तुम्हारा शानदार बदन तराशा है और उसके उरोज़ों को मुंह में कर चूसने लगा।

फिर मैं बेड पे लेट गया और हेमा से बोला,” हेमा अब तुम ऊपर आओ और उसे प्यार से खुश करो।

हेमा तुरंत उठी और मेरी गो के बीच में आकर बैठ गयी और मेरे तेल से सने लण्ड को मुठी में भींच कर उसकी चमड़ी ऊपर नीचे करने लगी।
मैंने बोलै हेमा इसे थोडा होंठो से भी प्यार करो। जितना इसे खुश करोगी। उस से दोगुनी ख़ुशी तुम्हे ये देगा।

हेमा फिर लण्ड की चमड़ी निचे करके उसके गुलाबी सुपाड़े को अपनी जीभ से चाटने लगी। उसकी जीभ का स्पर्श से मैं इस सुनहरी पल का आनंद ले रहा था। इ अब 5-7 मिनट लण्ड चूसते रहने की वजह से हेमा का मुंह दुखने लगा, ऊपर से उसके लण्ड की नसे फूलने की वजह से सुपाड़ा भी फूल चूका था और उसके मुंह में घुसने में दिक्कत हो रही थी। औ उसके गोरे चिट्टे दूध से भरे उरोज़ हिल रहे थे। काफी समय हिलने जुलने ने अब सुनीता थक कर चूर हो गयी । मैं साथ साथ उसके स्तनों को भी दबा रहा था जिससे उसकी हालत खराब हो गयी कांपती हुई झड़ गयी.

उधर रीती ईशा की चूचियों को मसल रही थी . रीती ने अपने तेल लगे हाथों से ईशा के निपल्स को उछालना शुरू कर दिया और दो अंगुलियों के बीच में दबाकर ईशा के तने हुए निपल्स को मरोड़ने लगी . “अरे , ये तुम क्या कर रही हो ?”

रीती – मैडम , टोको मत. ये खास किस्म की मालिश है. रीती ईशा की चूचियों से मनमर्ज़ी से खेल रही थी, कभी उन्हें उछालती , कभी पकड़ लेती , कभी मसल देती . इससे ईशा मस्त हो रही थी और उसको देख मुझे उत्तेजना आ रही थी


ईशा हेमा और रीती तीनों का चेहरा लाल हो गया और उनकी साँस भी जोर-जोर से चल रही थी। उनकी साँसों के साथ-साथ उनकी चूचियाँ भी उठ-बैठ रही थी। एक साथ तीन जोड़ी चूचियाँ एक साथ उठ-बैठ रही थीं और साँसें गर्म हो रही थीं। क्या हसीन नज़ारा था।
कुछ देर के बाद ईशा अपना हाथ हेमा के बदन पर और चूची पर फेरने लगी।

तीखे नोकदार पतले-पतले होंठ देखकर लिंग महाराज भी उसके चुम्बन को लालायित हो उठे, नाजुक मुलायम हाथ, लंबी-लंबी उंगलियाँ मेरे बदन पर चलने लगी मैं लिंग पकड़ धीरे धीरे सहलाने लगा।

मुझे लिंग सहलाता देख ईशा ने मुस्कुराते हुए आँखों को छोटा किया, अपने होंठों को कामुक अंदाज में दांतों से काटा, और मुझे आँख मार दी ।

अब मेरा रुक पाना मुश्किल हो गया, मैं ईशा के पास गया और उसके स्तनों को काटना चाटना शुरू कर दिया. वो अचानक हुए हमले से थोड़ा कसमसाई पर बहुत जल्दी मेरा प्रतिउत्तर देने लगी, जिससे मुझे लगा कि शायद वो भी यही चाहती थी।

उसने मेरे बाल नोचने शुरू कर दिये. मेरी थकान गायब हो गयी थी और इस बीच ईशा के चेहरेसे पता लग रहा था वो भी अब तरोताजा हो गयी थी तो मैं सरक कर ईशा के पास चला गया मैंने उसके मुंह में अपनी जीभ घुसा दी, उसने भी ऐसा ही किया और हम बदहवास होकर चुम्बन करने लगे

हेमा थोड़ा डांटते हुए बोली आप दोनों थोड़ा इंतजार करो हमे मालिश पुरी कर लेने दो
वो भी हड़बडा कर आई और मेरे पीछे से लिपट गई.

हम तीनों ही मुस्कुरा उठे।

मैं दोनों तरफ से नाजुक बदन के बीच आनंद ले रहा था. मेरे आगे छाती पर ईशा के स्तन थे और में ईशा को किस कर रहा था और मेरी पीठ पर हेमा के स्तन मेरी पीठ को रगड़ रहे थे पी और हेमा का एक हाथ मेरे लंड पर था और दूसरा हाथ मेरे कंधो को सहला रहा था और मेरे हाथ रीती की पीठ को सहला रहे थे और रीती के स्तन ईशा की पीठ को सहला रहे थे इसी को सैंडविच मसाज कहते हैं।

चुकी ये सैंडविच थोड़ा मेगा साइज का है तो मैंने इसे क्लब सैंडविच मसाज नाम दिया है

मैं तीन अप्सराओं के बीच कामदेव बनकर स्वर्ग का सुख भोग रहा था। एक तरफ गद्देदार भरे हुए स्तन थे तो दूसरी तरफ नोकदार छोटी चूचियों का आनन्द…
मैंने पीछे पलटने जैसा होकर गर्दन मोड़ कर हेमा को चुम्बन दिया, और हेमा ने पीछे से ही रीती के लेगी को खींच दिया, मेरा तना हुआ लौ इंच लंबा और तीन इंच का मोटा लिंग ईशा के पेट के पास टकराया।

मैंने हाथ पकड़ कर रीती को सामने की ओर किया और कमर को पकड़ कर उसे किश किया, कुछ देर हम चारो एक दुसरे को ऐसे ही प्यार करते रहे और मई एक हाथ से कभी रीती कभी ईशा और कभी हेमा के स्तनों से खेलता रहा. और तीसरी को कस करता रहा तीनो ने मेरा पूरा साथ दिया.


मैं रीती और हेमा की की मखमली मुलायम टांगों को देखता ही रह गया, हेमा ने गुलाबी पारदर्शी पेंटी पहन रखी थी, पेंटी के ऊपर से ही हेमा की गीली योनि के आकार का आभास हो रहा था, वो ज्यादा फूली तो नहीं थी पर अपना खूबसूरत आकार लिये हुए थी। रीती ने लाल रंग की पैंटी पहन रखी थी और उसकी पैंटी के अंदर उसकी योनि गुलाब के फूल की पंखुड़ियों जैसी लग रही थी

मैंने रीती की नंगी टांगों पर अपना हाथ आहिस्ते से फिराया और योनि पर ले जाकर हल्के से दबाव डाला, रीती के मुंह से सिसकारी निकल गई- इस्स्स
और मेरे हाथों के ऊपर हाथ रखकर और दबाने लगी… पर मैंने हाथ हटा लिया और उसकी पेंटी की इलास्टिक पर हाथ फंसाया।

इधर हेमा नीचे बैठ गई और मेरे लिंग को निहारने लगी, उसने अपनी दोनों हाथों से मेरी जांघों को पकड़ा और सबसे पहले मेरी गोटियों को चूम लिया, फिर एक हाथ से लिंग को ऊपर की ओर करके पकड़ा और लिंग के जड़ से जीभ चलाना शुरू किया, फिर टोपे पर आकर एक चुम्बन किया और टोपे को मुंह के अंदर कर लिया।

कसम से उसकी इस अदा ने तो मेरी जान ही निकाल ली।

मेरा एक हाथ रीती की जांघो को सहला रहा था और ईशा को किस करता हुआ दुसरे हाथ से ईशा के स्तन दबा रहा था.

ये सारे उपक्रम लगभग एक साथ चल रहे थे.

फिर ईशा लेट गयी तो हेमा बोली आप दोनों सोफे पर कर लो तब तक हम आती है और हेमा और रीती उठ कर वहां से दुसरे कमरे में जाने के लिए खड़ी हो गयी .

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार




[*]मजे - लूट लो जितने मिले


[*]मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ


[*]अंतरंग हमसफ़र


[*]पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे


[*]गुरुजी के आश्रम में सावित्री


[*]मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया


[*]छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम-completed 


[*]दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
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#86
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-25

सुपर संडे - सुपर लेस्बियन शो



हेमा और रीती के कहे अनुसार मैं और ईशा पलंग से उठ कर कमरे में ही पड़े हुए सोफे पर जा कर बैठ गया और ईशा को अपनी साथ में बिठा लिया ईशा मुझे देखते हुए अपना निचे का होठ दायी और से दांत से दबा रही थी और फिर ईशा मेरे गले लग गयी. उसके बाद ईशा ने मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस किया . और मेरे सर को जकड़ के अपने मुंह से मुंह लगा दिया. और वह मेरा ऊपर का ओंठ चूसने लगी मैं चुपचाप अनाड़ी की तरह अपना जीभ चुसवा कर मजे ले रहा था तो बोली बिलकुल अनाड़ी हो तुम तो ठीक से किस करनी भी नहीं आती मैंने मजे लेने के लिए कहा तुम सीखा दो .

ईशा बोली प्लीज अनाड़ी बनने के एक्टिंग कर मजे मत लो और मुझे ठीक से किस करो . चूसो मेरे होंठ और मैं उसके निचले ओंठ को चूसने लगा थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगा फिर वह बोली अपना मुँह थोड़ा खोलो और किस का मजा लो मैंने अपना मुंह थोड़ा सा खोला और ईशा की जीभ मेरे मुंह में चली गयी.

माने कहा अब तुम जैसे कहोगे वही करूंगा और फिर हम किश करते रहे . ईशा बोली ठीक है ऐसा चाहते हो तो ऐसा ही सही अब मेरी जीब को चूसो तो मैं ईशा की जीभ चूसने लगा फिर ईशा बोली मेरी जीभ से अभी झीब दो और खेलो ईशा की जीभ मेरी झीब से खेलने लगी और मैं ईशा की झीभ से खेलने लगा जो ईशा करती थी मैं भी वही कर उसका जवाब देता था वह जीभ फिराती मैं जीभ फिराता वह ओंठ चूसती मैं ओंठ चूसता




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यह सब करते करते ईशा मुझे धीरे धीरे मेरे ऊपर झुक कर मेरी पीठ सोफे पर लगा दी और मेरे साथ लिपट गयी उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया उसके स्तन मेरी छाती में दब गए थे ईशा के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थे. और वह मेरी जीभ को चूसने लगी. फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा. ईशा मुझे बेकरारी से चूमने लगी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 5 मिनट तक वो मेरे लबों को चूमती चुस्ती रही फिर रुक कर सांस लेनी लगी और अपने होंठो को जीब पर फिरते हुए बोली सच मजा आ गया

ईशा बोली कैसी लगी किस मैंने कहा बहुत ज्यादा मजा आया .

फिर ईशा मेरे ऊपर चढ़ गयी और लंड पकड़ कर सर्र से लैंड के ऊपर बैठ गयी और लैंड उसकी चूत में एक झटके में ही पूरा समां गया . और उसकी आह्हः निकली . तो वो धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी पूरी 6-7 इंच ऊपर उठती सिर्फ 1-2 इंच सुपर अंदर रह जाता और फिर बैठ जाती और मैं भी चुतर उठा कर धक्का दे देता

. और वो आह करती थी . ऐसा उसने कई बार किया और वो मुझे चोद रही थी . .. फिर उसकी स्पीड बढ़ गयी और उसके गोल सुडोल चूचे उछलने लगे . मेरे हाथ उसके दूध दबाने खींचने लगा लगे तो वो बोली आराम से दबाओ . मैं उसके हर झटके का साथ चुतर उठा कर दे रहा था और मेरे हर झटके से हर बार उसके मुँह से आह निकलती थी . इस तरह ले में 5-6 मिनट धक्के लगाने के बाद वो मेरे ऊपर झुक गयी और मेरे ओंठो की लिपकिस करने लगी मैंने भी लिप किस का जवाब लिप किस से दिया और दोनों एक दुसरे के ओंठो में खो गए . उसके झटको की रफ़्तार कुछ मंद हुई तो बोली अपनी चूत 6-७ इंच ऊपर उठा कर बोली अब तुम झटके मारो तो मैं नीचे से कसt कस कर झटके मारने लगा तो 10-12 मिनट बाद दोनों झड़ गए .. वो मेरे ऊपर गिर गयी और मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा . .. वो बोली सच में बहुत मजा आया

अभी हम सम्भले भी नहीं थे की हेमा और रीती ने कमरे में प्रवेश किया. हेमा ने गुलाबी रंग की साड़ी और रीती ने हलके नीले रंग साडी पहनी हुई थी, जो उनके शरीर के किसी भी हिस्से को छिपाने के बजाय, केवल उनकी सुंदरता और हर आकर्षण को बढ़ा रही थी, बिलकुल ऐसे जैसे हम चित्रों में अप्सराये नज़र आती हैं।



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दोनो आते ही एक दूसरे से ऐसे लिपट गयी जैसे पुराने प्रेमी हो और बहुत दिनों के बाद मिल रहे हो. दोनों एक दूसरे को बेतहाशा गहरी और जीभ को चूसती हुई किस करने लगी और अपनी चूते एक दूसरे से मिलाने के लिए अपनी अपनी गांड आगे पीछे कर रही थी जैसे खड़े खड़े एक दूसरे को चोद रही हो. ऐसे ही थोड़ी देर एकदूसरे को किस करते करते एक दूसरे की साडी उतारने लगी.

पहले दोनो साडी का पल्लू उतरा तो दोनो की मस्तचुचियाँ नज़र आ रही थी. हेमा की चुचियाँ गोल गोल थी और रीती की आम के शेप की थी. एक के बाद एक दोनो एक दूसरे की चुचियाँ चूसने लगी और साडी के ऊपर र से ही एक दूसरे की चूतो का मसाज करने लगी. फिर दोनों अदा से चलती हुई हमारे पास आयी और और हेमा ने रीती की साडी का पल्लू मेरे हाथ में और रीती ने हेमा की साडी का पल्लू ईशा के हाथ में पकड़ा दिया हमने पल्लू खींचे तो देखते ही देखते दोनो की साडी की गाँठ खुल गयी और और दोनों गोल घूमी और उनकी साडी नीचे फ्लोर पर गिर पड़ी और दोनो नंगी हो गयी और ईशा ने मेरा लंड पकड़ लिया जो ये नज़ारा देख बहुत ज़ोरों से अकड़ गया था और और रीती ने ब्रा और पैंटी नही पहनी हुई थी.

फिर वो दोनों एक दूसरे को चूमने लगी और उनको देखकर कुछ देर बाद मेरे दिल में भी इच्छा जागने लगी और में जोश में आने लगा. में सोचने लगी कि में भी इनके बीच में जबरदस्ती घुस जाऊं, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया और में ईशा के साथ बैठा उसे सहलाता चूमता रहा और उन हम दोनों उन दोनों को देखते रहे . उन दोनों के बूब्स बहुत अच्छे आकार के एकदम गोलमटोल सुडोल और बहुत ही चिकने चिकने आकर्षक थे जिनको देखकर मेरे मुहं में पानी आ गया और मेरा तो लंड पूरी तरह से तनकर खड़ा हो चुका था.

वो दोनों कभी एक दूसरे को किस करती तो कभी एक दूसरे के बूब्स को चाटती तो कभी एक दूसरे से लिपटकर बाहों में आकर बूब्स को बूब्स से दबाती. फिर वो इतना सब कुछ मेरे सामने करने के बाद अब दोनों पूरी तरह से नंगी हो गई और फिर वो एक दूसरे की चूत पर हाथ फेरने लगी उसके साथ साथ अब दोनों ही सिसकियाँ भी लेने लगी और फिर वो बेड की तरफ चली गई और में भी उनका वो खेल, तमाशा देखने लगा.



हेमा ने रीती को बेड पर लेटा दिया और वो उसकी चिकनी, गीली, कामुक चूत को चाटने लगी, जिसकी वजह से रीती पूरी तरह से गरम होकर जोश में आकर छटपटा रही थी और वो अपने मुहं से सिसकियों की आवाज भी निकाल रही थी.

हेमा ने रीती को पकड़ लिया और उसके बाद वो दोनों शुरू हो गयी| हेमा रीती के पास गयी और उससे चिपकने लगी और इन्हे देख ईशा मेरे साथ चिपक गयी और वो दोनों और हम दोनों गरम हो गए| वो दोनों कभी एक दूसरे को किस करती तो कभी एक दूसरे के बूब्स को चाटती तो कभी एक दूसरे से लिपटकर बाहों में आकर बूब्स को बूब्स से दबाती.



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ईशा मुझे अपनी बांहों में ले कर मेरी बाजुए रगड़ने लगी और उधर हेमा भी रीती की बांहों में आ कर उसे सहलाने लगी |

अब हेमा और रीती फिर से जीभ चूसते हुए किस करने लगी और दोनो के हाथ एक दूसरे के चूतड़ों पर थे जिन्है वो ऐसे मसल रही थी और एक दूसरे से चिपकी हुई थी जिस से उनकी चुचियाँ भी एक दूसरे से रगड़ रही थी और दोनो एक दूसरे को ऐसे अपनी ओर खींच रही थी जैसे एक दूसरेको चोदना चाहती हो और उनकी चूते भी आपस मे रगड़ा खा रही थी. दोनो की चूते बिना बालो वाली मक्खन जैसी चिकनी थी.

उसके बाद हेमा ने अपने होंठ रीती के होंठ से लगा कर उसके होंठ को चूसने लगी तो वो भी हेमा का साथ देते हुए हेमा के होंठ को चूसने लगी | हेमा रीती के होंठ को चूसते हुए उसके दूध को दबा रही थी और वो उसके उधर ईशा मेरे होंठ को चूसते हुए मुझसे चिपकी हुई थी | हम दोनों ने एक दूसरे के होंठ को काफी देर तक चूसा | रीती और हेमा के मुंह से आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह की सिअक्रियाँ निकलने लगी |

थोड़ी ही देर मे हेमा ने रीती को बेड पर लिटा दिया जिस से रीती का आधा बदन बेड पर था और उसकी टाँगें नीचे फ्लोर पर थी. हेमा बैठ गई और और रीती की चूत पर अपनी जीभ फेरते हुए चाटने लगी.

तो वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए मचलने लगी | हेमा उसकी चूत को चाटते हुए उसके चूत के दाने को भी अपने होंठ में दबा कर चूस रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए मजे ले रही थी |


रीती ने हेमा का सर पकड़ के अपने चूत मे घुसेड़ना शुरू कर दिया और अपनी गांड उठा उठा के हेमा के मुँह को चोदने लगी और उसके मुँह से आआ ईययड्डि ई ईईई आईिससीईए शियीयी यियी आआआहह बोहोत मज़ा आआ रहाआआअहाई ईई ईईई दीददीईए उउफफफफ्फ़ खाआआअ जऊऊऊ जाआआ आआ आऐईई ईईहह निकल रहा था


रीती ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए हेमा के बालो को सहलाने लगी और हेमा थी के जोश मे रीती की पूरी चूत अपने मुँह मे डाल के काटने लगी जिस से उसकी क्लाइटॉरिस पर हेमा के दाँत लग रहे थे और रीती की मस्ती भरी चीखें निकल रही थी हेमा उसके दूध को जोर जोर से दबा दबा रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह रही थी | मैंने भी ईशा के स्तनों को को करीब दस मिनट तक चूसता रहा| रीती हेमा और ईशा तीनो कराह रही थी



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फिर हेमा ने रीती की टांग को चौड़ा कर के रीती की चूत पर अपनी जीभ फेरने लगी और रीती आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां लेने लगी | वो रीती की चूत को चाटते हुए चूत को अन्दर तक जीभ डाल कर चोद रही थी और वो आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह की सिस्कारियां लेते हुए उसके मुंह को अपनी चूत पर दबा रहi थी |

ऊ ऊऊहह ईई हीईई आआहह उसकी आँखे बंद हो गई थी और वो अपनी गांड ऊपर उठा उठा के अपनी चूत को हेमा के मुँह से रगड़ रही थी और फिर रीती का बदन ऐसे काँपने लगा जैसे किसी ने उसका गला दबा दिया हो उसके मुँह से आउउह्ह्ह जैसी आवाज़े निकलने लगी और उसने हेमा के सर को पकड़ के अपनी चूत मे बड़ी ज़ोर से घुसा दिया.

रीती ने उस की बगल मे हाथ डाल के अपने ऊपर खिंच लिया और रीती हेमा को किस करते करते उसके ऊपर चढ़ के आ गई और हेमा के बदन के दोनो तरफ अपने दोनो पैर घुटनो से मोड़ के हेमा की जांघो पर बैठ गई और झुक के हेमा की चुचिओ को अपने दोनो हाथो से मसल ने लगी ऐसी पोज़िशन मे दोनो की चूते आमने सामने थी. रीती जैसे जैसे आगे पीछे होती उसकी चूत हेमा की चूत से टच होती और रीती एक बार फिर से गरम होने लगी और थोड़ी देर ऐसे ही पोज़िशन मे हिलते हिलते वो मिशनरी पोज़िशन मे अपने पैर पीछे लंबे कर के हेमा के बदन पर लेट गयी और अपनी चूत को हेमा की चूत से रगड़ने लगी. हेमा ने अपनी टाँगे रीती के नीचे से निकाल के उसके गांड पर फोल्ड कर ली. अब पोज़िशन ऐसी थी जैसे रीती (लंड से ) हेमा की चूत मे घुसा के चुदाई कर रही हो.

रीती अपनी गांड उठा उठा के अपनी चूत को हेमा की चूत पर ऐसे मार रही थी जैसे एक को चोद्ता है और कमरे मे ठप्प ठप्प ठप्प कीआवाज़ें आ रही थी और हेमा ने अपने हाथ रीती की गर्दन मे डाल के उसको अपने ऊपर खेच लिया और दोनो फिर से जीभ चूसते हुए किस करने लगे. रीती के स्पीड बढ़गई थी और वो ज़ोर ज़ोर से हेमा की चूत को अपनी चूत से चोद रही थी और दोनोके मुँह से आआआआअहह और उउउ उउउ उउह्ह्ह्ह्ह् ससस्स्स्स्स् ऊऊहह जैसी आवाज़ें निकल रही थी दोनों फुल जोश मे थी.

कमरे मे दोनो की सिसकारिया के साथ में फच फच ठप फच की आवाज़ें बढ़ने लगी हेमा ने रीती को टाइट पकड़ा हुआ था अपने हाथो से और पैरो से और अपनी गांड उठा उठा के उसकी चूत से अपनी चूत को टकरा रहीथी दोनो के चुचियाँ बड़ी ज़ोर ज़ोर से हिल हिल रही थी. दोनोके मुँह से आआ ह्ह उउह्ह् की आवाज़ आई और मैं ने देखा के दोनो के बदन कापने लगे दोनो जैसे थक्क गयी हो और रीती का बदन हेमा के बदन के ऊपर गिर पड़ा दोनो ऐसी गहरी गहरी साँसें ले रही थी जैसे लम्बी रेस लगा के आई हो.

थोड़ी देर तक दोनो ऐसे ही लेटे लंबी लंबी साँसें लेती रही और फिर जब उनकी सांसे नॉर्मल हुई तो रीती ऐसे ही हेमा के बदन पर लेटे लेटे ही नीचे को सरकने लगी और हेमा की चुचिओ को अपने मुँह मे ले के चूसने लगी तो फॉरन ही हेमा ने रीती का सर पकड़ के अपने सीने मे घुसा लिया हेमा को बहुत मज़ा आने लगा था अपनी चुचिओ को चुसवाने का. !

रीती हेमा की चुचिओ को ऐसे चूस रही थी जैसे सच मे दूध पी रही हो. एक चुचि फिर दूसरी चुचि चुस्ती रही और रीती की चुचियाँ हेमा के जांघो से रगड़ने लगी. थोड़ी देर ऐसे हीचुचिओ को चूसने के बाद देखा के हेमा अब रीती के सर को नीचे की ओर धकेल रही है जैसे कोई सिग्नल दे रही हो और रीती ने भी उसके सिग्नल को फॉरन समझ लिया

वो 69 में आ कर हेमा क i चूत में जीभ डाल कर चोदने लगी और हेमा आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए उसकी चूत में ऊँगली डालने लगी | फिर उसने अपनी स्पीड बढ़ा दिया और जोर जोर से जीभ अन्दर बाहर करते हुए चोदने लगी और मैं आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह आहा ऊंह ऊम्ह करते हुए सिस्कारियां ले रही थी |

रीती और नीचे को स्लिप हो गई और हेमा की दोनो टाँगो के बीचे मे लेट गई और हेमा की चिकनी चूत को किस करने लगी.

रीती अपना मुँह ऊपर उठा के बोली दीदी तुम्हारी चूत मे से तो मस्त ख़्श्बू आ रही है और तुम्हारी चूत का रस भी तो बोहोत ही मीठा होगा तो हेमा मुस्कुराने लगी और बिना कुछ बोले के रीती के सर को अपनी चूत मे धकेल दिया और अपनी गांड उठा उठा के रीती के मुँह मे अपनी चूत घुसानेलगी. रीती भी फुल जोश मे आ गई और हेमा की पूरी चूत को अपने मुँह मे भर लिया और अपने दांतो से हेमा की चूत को काटने लगी जिस से हेमा मस्ती और जोश मे तड़पने लगी और अपनी गांड उठा के अपनी चूत से रीती के मुँह को चोदने लगी.

हेमा की गांड बेड से तकरीबन 6 – 8 इंच ऊपर र उठी हुई थी और उसकी आँखें फिर से बंद हो गई थी और उसके मुँह से मस्ती की सिसकारिया निकलने लगी

आआआ आआ आहहऱीत ईईईईई उउ आआअहह फिर देखा के हेमा की गांड जल्दी जल्दी ऊपर नीचे हो रही है और वो रीती का सर पकड़ के अपनी चूत को ज़ोर ज़ोर से रीती के मुँह मे रगड़ने लगी.

रीती का सर अभी भी हेमा ने अपने हाथो से पकड़ा हुआ था और हेमा ने रीती के सर को अपने दोनो जाँघो के बीच मे बड़ी ज़ोर से दबा लिया और हेमा का बदन काँपने लगा और एक लंबी सी आआआआ अग्ग्ग्ग्ग्ग्ग्ग् ऊऊऊऊऊओह सस्स्स्स्स् वो झड़ने लगी उसका बदन धीरे धीरे शांत होने लगा और फिर वो शांतहो गई उसका बदन ढीला पड़ गया दोनो हाथ और पैर बेजान हो के बेड पर गिर पड़े हेमा लंबी लंबी साँसें लेने लगी. कुछ देर के बाद रीती की चूत ने भी अपना रस छोड़ दी | उसके बाद वो दोनों निढाल हो कर लेट गई |

रीती थोड़ा ऊपर को खिसक आई और हेमा के साथ ही उसके साइड मे लेट गई और हेमा की चुचिओ से खेलने लगी. थोड़ी देरके बाद जब हेमा को ऑर्गॅज़म का नशा ख़तम हो गया तो वो दोनो एक दूसरे की तरफ मुँह कर के करवट से लेट गये और धीरे धीरे किस करने लगी. l. यह सब देखते हुए मेरा मूसल जैसा लंड तो पूरी तरह से खड़ा हो गया और लोहे जैसा सख़्त हो गयाl

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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#87
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-26

सुपर संडे - लेस्बियन त्रिकोण





मैंने अपने होंठ ईशा के होंठ पर रख दिये । फिर मैं अपने होंठों से ईशा के होंठ खोलते हुए ईशा का निचला होंठ चूसने लगा। ईशा ने अपने होंठ चुसाई से गर्म हो कर मेरे कन्धों पर अपना सर रख दिया। मैंने ईशा का रिएक्शन देख कर धीरे से अपना हाथ बढ़ा कर ईशा की एक चूची पकड़ ली। मैं एक हाथ से ईशा की एक चूची सहला रहा था और दुसरा हाथ उसके चूतड़ पर फेर रहा था।

ईशा मेरी इस हरकत पर पहले तो थोड़ा कसमसाई और हेमा और रीती की तरफ़ देखते हुए उसने भी मेरे को जोर से अपनी बाँहों में भींच लिया। मैंने अब ईशा की दोनों चूचियों पर अपने दोनों हाथ रख दिये और ईशा की दोनों चूचियों को पकड़ कर मसलने लगा। वो बहुत गर्म हो गयी और उसकी साँसें जोर-जोर से चलने लगी। मैं ईशा के चूची को मसलते हुए ईशा को होंठों को चूमने लगा। ईशा इस बीच हेमा और रीती की तरफ़ देखती रही .

तो मैंने भी देखा कि हेमा और रीती भी अपना- अपना बदन सहला रही हैं और दोनों बड़े गौर से मेरा और ईशा के बीच चल रही चूमा चाटी को देख रही थी ।

मैंने फिर से अपना ध्यान ईशा के शरीर पर डाला। मैं ईशा की निप्पल को लेकर मसल रहा था और ईशा मेरे कन्धो से लिपटी चुप चाप आँखें बंद करके अपनी चूची मलवा रही थी। मैं ईशा की एक चूची अपने मुँह में भर ली और मज़े ले ले कर चूसने लगा।

कुछ देर के बाद हेमा , जो कि इन तीनो में सबसे बड़ी थी, अपना हाथ अपने बदन पर और चूची पर फेरने लगी। और एक फूल उठा कर ईशा के छाती पर मारा और फिर जब ईशा ने उसकी और देखा तो मैंने भी उसकी और देखा तो हेमा ने बड़े ही मादक तरीके से हेमा ने ऊँगली से अपने पास आने का इशारा किया तो मैं उसकी तरफ़ लपका, उसने मुझे रोक दिया। हेमा बोली- राजाजी आप थोड़ा रुको और नज़ारे देखो , सब आपका ही है। मुझे राजाजी बुलाने पर मैं चौंक गया और मैंने सोचा इस बारे में पता लगाना चाहिए मैं ये सोच रहा था

इतने में मेरी ढीली हो चुकी पकड़ से निकल ईशा उठ कर उनके पास चली गयी दोनो नंगी लेटी हुई किस कर रही थी और दोनो के हाथ कभी एक दूसरे की चूतो को मसलने लगते तो कभी चुचिओ को दबाने लगते.

ईशा बेड के ऊपेर आ के रीती और हेमा के बीचे मे बैठ गई और अपने दोनो हाथो से दोनो की चुचिओ को मसल्ने लगी हेमा और रीती ने भी अपने अपने एक एक हाथ बढ़ा के ईशा की दोनो चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगी , चूसने लगी और उसके निपल्स को काटने लगी.

हेमा ने ईशा को लिटा दिया और ईशा की टाँगें खोल के उसकी टाँगो के बीच मे पेट के बल लेट गई और उसकी चूत को किस करने लगी. हेमा का मूह उसकी चूत पे लगते ही ईशा मस्ती मे पागल हो गई और हेमा का सर पकड़ के अपनी चूत मे घुसा लिया रीती अपनी जगह से उठ के ईशा के सर के दोनो तरफ अपने घुटनेमोड़ के उसके मूह पे अपनी चूत रख के बैठ गई और ईशा रीती की चूत को चूसने लगी और रीती टेडी होकर हेमा की टाँगें खोल के उसकी टाँगो के बीच मे लेट गई और उसकी चूत को चाटने करने लगी.

अब ईशा पीठ के बल लेटी हुई थी और उसकी दोनो खुली हुई टाँगो के बीच मे हेमा लेट के ईशा की चिकनी चूत को अपनी जीभ से चाट रही थी और रीती ईशा के मूह पे उल्टा लेटी अपनी गांड उठा उठा कर ईशा के मुँह को चोद रही थी और साथ साथ हेमा की चूत को भी चाट रही थी..

इस समय एक त्रिकोण बना कर तीनो लड़कियों मुखमैथुन कर रही थी और साथ में ईशा दाए हाथ से हेमा के एक स्तन के दबा रही थी और दुसरे हाथ से रीती के स्तन और निप्पल से खेल रही थी वही रीती भी एक हाथ से हेमा और दुसरे हाथ से ईशा की चूचिया दबा रही थी और यही काम हेमा भी कर रही थी . सच बड़ा ही मादक दृश्य था, तीन अति सुन्दर कामुक लड़किया आपस में मुख मैथिन करती हुई देख मेरा लंड बार बार तुनक रहा था.

आपस के इस तींन तरफा हमले से तीनो लड़कियों का जोश और उत्तेजना और बढ़ गयी .और उनके मुँह से के मूह से मस्ती की सिसकारिया निकलने लगी और तीनो बोल रही थी आहह डीईईई आआहह हाय्यय अह्ह्ह्ह

और फिर जल्द ही तीनो अपनी कमर हिला हिला कर और चूतड़ उठा के ज़ोर ज़ोर से जो भी मुँह उनकी चूत पर चल रहा था उसपे अपनी चूत को रगड़ने लगी ये नज़ारे मैं अपने लंड को धीरे धीरे सहला कर सांत्वना दे रहा था और इससे मेरे लंड को फौलादी हो गया था और मेरा मन कर रहा था बस तीनो को जल्दी से चोद डालूं .

मैं उठ कर ईशा के पास पलंग पर बैठ गया। मैंने पहले ईशा के सर पर हाथ रखा और एक हाथ से उसके कन्धों को पकड़ लिया। इससे ईशा का चेहरा मेरे सामने हो गया। मुझे देखते ही पहले ईशा ने हेमा और रीती की तरफ देखा और फिर अपना सर रीती की चूत से हटा कर मेरे हाथों में ढीला छोड़ दिया। मैंने फटाफट उसके ओंठो पर एक चुम्मा दे दिया .

मैंने अपने होंठ ईशा के ओंठो पर रख दिये । फिर अपने होंठों से ईशा के होंठ खोलते हुए उसका का निचला होंठ चूसने लगा। ईशा का मुँह रीती की चूत से हट्ते ही रीती तड़पो उठी और उसने ईशा की तरफ देखा और उसके कारण उसका मुँह भी हेमा की चूत से हट गया और हेमा भी तड़प उठी और बोली रीती रुक क्यों गयी और इसके कारण उसका मुँह भी ईशा की चूत से हट गया .

मैंने एक रस्सी ली और हेमा और रीती के हाथो को बाँध दिया

तीनो झड़ने की कगार पर थी और इस समय मेरे आ जाने के कारण से उनका ओर्गास्म भी रुक गया था और .. तीनो बिलकुल जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी और बोली प्लीज राजा जी हमे छोड़ो या चोद दो पर ऐसे मत तड़पाओ पर मेरा इरादा अभी कुछ और था

फिर ईशा ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और बोली मुझे चोदो और हेमा और रीती भी बोली मुझे चोदो, मुझे चोदो और ईशा मेरा लंड पकड़ कर अपनी योनि पर दबाने लगी और अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी जिससे लंड अंदर चला जाए । अब मैं समझ गया कि अब ईशा मेरा लंड अपनी चूत के अंदर लेना चाहती है।

उसने उसका मुँह चूम कर धीरे से उसके कान पर मुँह रख कर पूछा, “ ईशा कहो , क्या हो रहा है चूत क्यों उठा रही हो ?” ईशा बोली, “हाँ मेरे राजा अब तड़पाओ मत, मेरे राजा तुम सही कह रहे हो, मुझे कुछ हो रहा है .. मुझ से सहन नहीं हो रहा है मेरी चूत में चीटियाँ रेंग रही हैं। मेरा सारा बदन टूट रहा है, अब तुम लंड को जल्दी से अंदर डाल मुझे चोदो ।” मैंने फिर पूछा, “क्या तुम अपनी चूत मेरे लंड से चुदवाना चाहती हो?” ईशा बोली, “ मैं क्या? इस समय तो हम तीनो चुदाई के लिए तड़प रही है. क्यों तड़पा रहे हो राज... ?”

मैं बोला क्या हुआ? रुक क्यों गयी ? पूरा बोलो तभी अब मैं तुमको तभी चोदुँगा, जब तुम मुझे अपनी असलियत बता दोगी बताओ! तुम तीनो कौन हो और कहाँ से आयी हो तुम्हे किसने भेजा है ?

तुम तीनो जो दिख रही हो वो बिलकुल नहीं हो सच बताओ कौन हो तुम और उसके बाद उन तीनो को साडी ले कर उनके हाथ पैरो को बाँध दिया.


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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#88
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-27

सुपर संडे - सुरक्षा



तीनो तड़प रही थी और मैंने इनकी तड़प बढ़ाने के लिए धीरे धीरे तीनो को अपने हाथो से सहलाते हुए उत्तेजित करना जारी रखा पर बीच बीच में रुक जाता था ताकि वो चरम पर ना पहुंचे और झड़ न जाए .. और तीनो मेरी मिन्नत कर रही थी ,जोर से करो, जल्दी करो, रुको मत!, पर मैंने कहा पहले सच्चाई बताओ तुम कौन हो ?

तो हेमा बोली ये दोनों तो मर जाएंगी पर बोलेंगी नहीं क्योंकि इन्हे न बोलने के लिए प्रशिशिक्षिक किया गया है . हम तीनो आपके प्रति पूर्णतया वफ़ादार हैं .. हमे महर्षि अमर ने आपकी सुरक्षा और सहायता के लिए भेजा है .. मैं उनका नाम सुन कर चौंका तो हेमा बोली जब आप उन से मिल कर आये तो उन्होंने महाराज हरिमोहिंदर के सुरक्षा प्रमुख को बुलाया जो गुप्तचर विभाग के भी प्रमुख हैं और उन्होंने उन्हें आपकी सुरक्षा के लिए हमे नियुक्त किया था क्योंकि आप उनके छोटे भाई राजकुमार दीपक हैं ..

उन्हें ने मुझे सचिव नियुक्त किया है और ईशा आपकी सूरत ही सुरक्षा प्रमुख हैं और रीती आपकी सेविका हैं l

फिर उसने बोला महर्षि ने अभी हमे गुप्त रूप से आप का साथ देने की आज्ञा दी थी इसलिए हम आपके आस पास ही रहते हैं .. हमारे तीनो के पास आपके लिए महर्षि का एक पत्र है जो उन्होंने ऐसे ही किसी अवसर पर या जब हम पकड़ी जाए तो आपको देने के लिए दिया था .. और फिर हेमा ने एक विशेष मन्त्र बोला जो महाराज ने मुझे बताया था जो की हमारे लिए गुप्त कोड था .. और बताया वो पत्र कहाँ रखा है

मैंने वो पत्र निकाल कर पढ़ा जिसमे महर्षि ने इनका परिचय और यज्ञ प्रक्रिया पूरी होने तक गोपनीयंता बनाये रखने का आदेश दिया था जो मुझे बिलकुल उचित लगा और मैंने तीनो के हाथ पैर खोल दिए l

तो तीनो ने प्रणाम किया और ईशा बोली आप हमे क्षमा कर दे और जब आप इस होटल में आये और ब्यूटी पारलर वाली के लिए बोले तो मेरे पास कोई चारा नहीं बचा इन्हे बुलाने के सिवा .. और फिर हेमा बोली आप हमे क्षमा कर दे .. तो मैंने कहा आपसे मुझे कोई शिकायत नहीं है और महृषि के आदेश अनुसार अभी थोड़ी गोपनीयता बनाये रखना ही उचित है l

उसके बाद मैंने कहा थोड़ी देर में मुझे जीतू से भी मिलने जाना होगा .. तो हेमा बोली राजकुमार अब उसकी कोई आवश्यकता नहीं है .. वो भी आपका ही सेवक है शाम के 4 बज गए थे और मैं मानसिक तौर पर थका हुआ महसूस कर रहा था तो रीती ने फिर उस दिव्य हर्बल तेल से मेरी मालिश कर दी जिससे मैं फिर तरोताजा महसूस करने लगा और स्नान करने के बाद हम होटल से निकल आयेl

वापिस आ कर कुछ चाय नाश्ता करने के बाद मैं और मानवी भाभी सैर करने को पार्क में गए और भाभी ने उस दिन आसमानी रंग की साडी पहनी हुई थी और उसमे वो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी और फिर मैं भाभी को उसी जगह ले गया जहाँ मैंने ईशा को पकड़ा था और भाभी को उसी बेंच पर बिठा कर उसे किश करने लगा l


कहानी जारी रहेगी
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#89
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-28

सुपर संडे - मानवी




घर पर वापिस आ कर कुछ चाय नाश्ता करने के बाद मैं और मानवी भाभी सैर करने पार्क में गए और भाभी ने उस दिन आसमानी नीले रंग की साडी उसी रंग का पहनी हुई थी और उसमे वो बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थी और फिर मैं भाभी को उसी जगह ले गया जहाँ मैंने ईशा को पकड़ा था और भाभी को उसी बेंच पर बिठा कर उसे किश करने लगा.

जब मैंने मानवी भाभी को किश किया तो भाभी बोली ये तो आप मुझे आज किसी लग जगह पर ले आये हो .. क्या यहां करना सुरक्षित रहेगा .. तो मैंने बोलै हाँ ये सुरक्षित हैं मैंने इस जगह को कुछ दें पहले देखा था और यहाँ पर मैंने ना के बराबर लोगो को ही इधर आते हुए देखा है .. भाभी हम भी यहाँ पहले कहाँ आये है ?

तभी ठंडी हवा चलने लगी और काले बादल आने लगा और मौसम सुहाना होने लगा और रौशनी भी कम होने लग गयी मुझे कामायनी की कुछ पंक्तिया याद आयी

अरी आँधियों ओ बिजली की, दिवा-रात्रि तेरा नर्तन,
उसी वासना की उपासना, वह तेरा प्रत्यावर्तन।

कुसुमित कुंजों में वे पुलकित, प्रेमालिंगन हुए विलीनl



[Image: JM.jpg]

और हम बहुत देर तक आलिंगनबद्ध हुए किस करते रहे फिर मैंने कहा भाभी अब तो अँधेरा होने लगा है इसलिए अब यहाँ किसी के आने की संभावना बहुत कम है और भाभी को आयी लव यू कहते हुए उसे चूमा औरसाडी के ऊपर से उसके स्तनों को दबाने लगा

भाभी बोली काका! मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ पर ऐसे खुले में बहुत डर लगता है अगर किसी ने देख लिया तो कितनी बदनामी होगी क्या हम ये आराम से घर के बंद कमरे में नहीं कर सकते तो मैंने कहा भाभी घर में तो और लोग भी होते हैं इसलिए घर में करना बहुत मुश्किल है आप कहे तो होटल में चल सकते हैं .. तो भाभी बोली नहीं वहां भी किसी के देख लेने का खतरा रहेगा ..

तो मैंने भाभी का हाथ पकड़ कर लंड पर रखते हुए कहा भाभी खुले में चुदाई करने का अपना एक अलग मजा हैl भाभी आप इसके बारे में कुछ कीजिये कमरे का बाद में कुछ इंतजाम करते हैं

तो भाभी बोली आप मुझे पिछले पूरे महीने से ऐसे ही बहला रहे हो लेकिन काका आप मुझे बताओ कि आपने मुझसे क्या वादा किया था।"

मैंने भाभी का हाथ लंड पर दबाते हुए जवाब दिया, "आपका ये दीवाना आपके बिना नहीं रह सकता और ये मैं आपके दिखा सकता हूँ ।"

"ओह, तो फिर मुझे जल्दी से दिखाओ," भाभी की बड़ी बड़ी सुंदर उज्ज्वल आंखों में देखने से मुझे निर्देश दिया की अब भाभी मेरा लंड देखना चाहती है और साथ में उसने मेरी पंत के ऊपर से लंड पर हाथ फेरते हुए ज़िप खोल दी ।

मैंने उसे हाथ पेण्ट के अंदर ले जाने दिया और उसके सुंदर स्तनों को अपनी छाती पर दबाते हुए , मेरा मुँह उसके से चिपक गया और उसे हर्षातिरेक से चूमा।




[Image: JM3.jpg]
भाभी ने मेरे इस गहरे चुम्बन का कोई प्रतिरोध नहीं किया बल्कि मुझे प्यार से वापस चूमने लगी और उसके हाथ ने मेरे लंड को मेरे अंडरवियर के अंदर जा कर सहलाया ।

उधर मेरे हाथो ने भाभी की चोली की डोरिया खोल कर उसके स्तनों को आज़ाद कर दिया . उस दिन भाभी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी और उसके स्तनों को मैं सहलाने लगा और उसके निप्पल खींचने लगा ..

फिर बिना किसी विरोध के मैंने अपना हाथ सुंदर मानवी भाभी के पैरो के पास से पेटीकोट के अंदर डाल कर उसकी टांगो को सहलाते हुए मेंरी भटकती उंगलियाँ अब उसकी जवान जाँघों के कोमल और गुदगुदे मांस को छू गईं। मानवी भाभी की साँसें तेज़ और तेज़ हो गईं, हालाँकि उन्हें लगा कि मैंने ये थोड़ा जल्दी ही उनके आकर्षण पर हमला कर दिया है परन्तु वो विरोध करने के स्थान पर इसका स्पष्ट रूप से रोमांचक आनंद ले रही थी ।

मैं अपनी उंगलिया उसकी योनि के पास ले गया .उस दिन भाभी ने पैंटी भी नहीं पहनी हुई थी .. जब मैंने हाथ योनि के आस पास लगाया तो उसकी योनि बिलकुल चिकनी थी और बी अभी बोली आज ही साफ़ की है तुम्हारे लिए ,

"काका ! मनवी भाभी फुसफुसायी , "आप इसे छु सकते हैं।"

मुझे अब और निमंत्रण की आवश्यकता नहीं थी, वास्तव में मैं पहले से ही आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा था और तुरंत अनुमति को ध्यान में रखते हुए, मैंने अपनी उंगलियों को आगे बढ़ाया।

मैंने जैसे ही भाभी की जांघें खोलीं, और अगले ही पल मेरे हाथ ने उनके सुंदर चिकनी योनि के नाजुक गुलाबी होंठों को ढक दिया।

अगले दस मिनट तक हम लगभग स्थिर बने रहे, हमारे होंठ जुड़े रहे और हमने सांस लेते हुए उन संवेदनाओं को महसूस किया जिनका हम पर नशा का नशा चढ़ा हुआ था। मुझे एक नाजुक अंग महसूस हुआ जो मेरे द्वारा छेड़े जाने पर कड़ा हो गया ।

मानवी भाभी ने आनंद में अपनी आँखें बंद कर लीं, वो थोडा थरथरायी और अपना सिर पीछे की और फेंकते हुए मेरी बाँह पर टिका दिया. "ओह, काका," वह बड़बड़ायी , "यह आप क्या कर रहे हैं? ऐसे करने से आपको कौन सी रमणीय संवेदनाएं मिलती हैं।"

इस बीच वो निष्क्रिय नहीं थी , लेकिन मैंने उसे जिस विवश स्थिति में कर दिया था उसमे भी वो मेरे अंडरवियर के अंदर पूरी तरह से खोजबीन कर रही थी, उसकी हाथ पहले मेरी जांघो फिर अंडकोषों पर गए और उसके नरम मुलायम हाथ के संपर्क में आने के कारण मेरा लंड उठ खड़ा हुआ था l

उसके कोमल स्पर्श ने मेरे जोशीले जुनून को बढ़ा दिया और उधर भाभी ने अपना शरीर मेरे सुपुर्द कर दिया था क्योंकि वो जानती थी की मेरी उंगलियों उसे बहुत अधिक खुशी देने में सक्षम है।

मैं उसके स्तनों को एक हाथ से पकड़ कर उसकी चोली से आजाद करते हुए बाहर निकाल लिया और उसे दबा कर सहलाने लगा अगले ही पल मेरे लंड का कड़ापण महसूस करते हुए भाभी ने मेरा अनुकरण किया और लंड को पेण्ट से बाहर निकाल प्रकाश में ला कर सहलाने लगी ।

मेरा लंड उस समय पूरा अकड़ा हुआ जिसके शिश्न के ऊपर से त्वचा भाभी के सहलाने से पीछे हो गयी

और लाल लंडमुंड बाहर आ गया था और फिर उसने इसे दबाया, और ज्यादा करीब से देखने के लिए अपनी तरफ झुका लिया।

उत्तेजना से मेरी आँखें चमक उठीं और मेरे हाथ भाभी के खजाने पर मंडराता रहा, जिसे मैंने अपने अपने कब्जे में ले लिया था।

इस बीच भाभी के द्वारा मेरे लंड की दबाने सहलाने और संपर्क के कारण मेरा लंड बिलकुल लोहे की रोड जैसा गर्म और कठोर हो गया और उधर भाभी भी पूरी गर्म हो गयी थी ।

भाभी ने मेरे लंड को मुग्ध हो देखती रही फिर उसे पकड़ कर कोमल दबावों के साथ सहलाया तो लंडमुंड के ऊपर की चमड़ी वापिस आ गयी और उसने लाल लंडमुंड को अपने अंदर छुपा लिया तो फिर बड़े ही कलात्मक तरीके से जैसे विशाल अखरोट को छीलते हैं वैसे ही भाभी ने लंड के ऊपर की सिलवटों को वापस खींच लिया और लंडमुंड को बाहर निकल लिया

कामोतेजना से रक्त प्रवाह बढ़ने और भाभी के हाथ के दबाब से इकठा हुए रक्त के कारण लंडमुंड अब बैंगनी रंग का हो चूका था और लंडमुंड का छोटा छिद्र अब बड़ा दिखने लगा था जिसमे से थोड़ा से चिकना पदार्थ निकला जिससे मेरी वासना में वृद्धि हुई, और उधर भाभी ने मेरे लंड को धीरे धीरे सहलाते हुए हाथ को लंड के ऊपर नीचे करना जारी रखा, इससे मेरी संवेदनाओं में नए और अजीब परन्तु उत्तेजक और उत्साहपूर्ण बवंडर आ रहे थे ।

उसकी सुंदर आँखें आधी बंद होने के साथ, उसके रस भरे होंठ जुदा हो गए, और उसकी त्वचा गर्म हो गयी और अनियंत्रित आवेग के साथ चमक रही थी, ये मेरे लिए उचित अवसर था . मुझे पता था मेरे रखा में नियुक्त ईशा और हेमा आस पास ही थे और इस तरफ आने वाले किसी भी आगंतुक को वो रोक देंगे इसलिए बेफिक्र होकर मैंने पहले भाभी की साडी उतारी फिर उसके पेटीकोट का नाडा खोल कर उसे मैंने लेटा दिया

नंगी होने से वह अब शरमा रही थी और अपना चेहरा मेरी छाती में छुपा लिया। इसी दौरान मैंने मानवी भाभी की चूची को चूसना फिर से चालू कर दिया। भाभी की चूचियाँ अब पत्थर के समान कड़ी हो गयी थीं।

मैंने अपनी उंगलियों के नीचे उसकी जांघो के मध्य उसकी गीली योनि को धड़कती हुई महसूस किया, उत्तेजना से भाभी लेटी हुई भारी भारी साँसे लेने लगी जिससे उसके शानदार स्तन ऊपर नीचे होने लगे और उसका ऐसा कामुक भावनाआओ को भड़काने वाल रूप मेरे सामंने था उसके भरे, मुलायम और चिकनी टाँगे मुझे ललचा रही थी ।



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फिर मेरा ध्यान भाभी के मनमोहक आकर्षण के केंद्र स्थान उसकी नरम और गुलाबी योनि पर गया जिसने मेरी उत्तेजना को भड़का दिया भाभी की योनि मेरे द्वारा छेड़छाड़ करने के कारण उसकी योनि से निकले सबसे अच्छे और प्राकृतिक मधुर स्नेहक रस के लबालब चिकनी और रसभरी लग रही थी ।

मैंने अपना मौका देखा। धीरे से अपने लंड को उसके हाथ की पकड़ से छुड़ाने के लिए, मैं भाभी के ऊपर लेट गया ।

मेरी बायीं बाजू भाभी की कमर में डाल कर अपने ओंठो से भाभी के ओंठो को भावुक और लम्बे चुंबन में दबाया. मेरी गर्म सांस उसके गालो को छू रही थी और और अपने दोनों हाथो से भाभी के सतहों के एक साथ लाकर दबाने लगा जिससे भाभी कामुक आनंद में कराहने लगी .. आह

इस बीच मेरा लंड मानवी भाभी की योनि के द्वार पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए दस्तक देना लगा , भाभी को उम्मीद नहीं थी ये सब आज इतनी जल्दी हो जाएगा इसलिए वो उत्तेजना से स्पष्ट रूप से थरथरा रही थी और साथ साथ ये सब खुले में होने कारण घबरा भी रही थी

मैं निश्चित तौर पर भाभी के इस रूप पर मुग्ध था, और अपने इस मौके का पूरा आनंद लेने के लिए अभी काफी कुछ पूरा करना बाकी था और मैं उत्सुकता से इसे जल्द ही पूरा करना का भरपूर प्रयास कर रहा था।

भाभी के अंग और स्तन पूर्णता और ताजगी लिए हुए पूरी तरह से तैयार थे उसकी छोटी योनि रस के लबालब चिकनी और रसभरी थी और मैंने दाए हाथ से लंड को पकड़ा और योनि के द्वार पर लगाया और दबाया और भाभी के नाजुक योनि पे प्रवेश करने के लिए के लिए धक्का दिया । पर लंड अंदर नहीं गया

फिर मैंने ढेर सारा थूक अपने हाथ में लेकर पहले अपने लंड पर लगाया फिर भाभी की चूत पर लगाया। थूक से सना अपना खड़ा लंड चूत के मुँह पर रखा और धीरे से कमर को आगे बढ़ा कर अपना सुपाड़ा मानवी भाभी की चूत में घुसा दिया और उस के ऊपर चुपचाप पड़ा रहा। थोड़ी देर के बाद जब भाभी नीचे से अपनी कमर हिलाने लगी तो मैंने धीरे-धीरे अपना लंड नीता की चूत में डालना शुरु किया। भाबी का बदन दर्द से कांपने लगा

मेरा लंड भाभी की योनि की गुलाबी सिलवटों और छोटे छिद्र में दो इंच अंदर चला गया और भाभी उत्तेजना के रोष में पागल हो गयी मैंने दुबारा जोर लगाया और लंड आगे बढ़ गया मैंने उसके कंधों को पकड़ कर नीचे को दबाया और एक जोरदार शॉट मारा और लंड जड़ तक भाभी की योनि के अंदर चला गया।

आह ! भाभी की हलकी सी आन्नद भरी कराह निकली क्योंकि उसने अपने अंदर मेरे लंड को महसूस किया। मैंने भाभी की एक चूची को अपने मुँह में लेकर जीभ से सहलाना शुरु कर दिया और दूसरी चूची को हाथ से सहलाना शुरु कर दिया। थोड़ी देर बाद भाभी ने नीचे से अपनी कमर को ऊपर नीचे करना शुरु किया।

इसके बाद मैंने बार-बार लंड को योनि के अंदर पहले धीरे धीरे आगे पीछे किया और फिर तेजी के साथ चुदाई शुरू कर दी ।

भाभी ने भी अब जोरदार धक्के देना शुरु किया और जब मेरा लंड उसकी चूत में होता तो भाभी उसे कस कर जकड़ लेती और अपनी चूत को सिकोड़ लेती थी। अब मैं समझ गया कि भाभी को अब मज़ा आने लगा है तो मैं अपनी कमर को ऊपर खींच कर अपना लंड पूरा का पूरा भाभी की चूत से बाहर निकाल लेता, सिर्फ़ अपना सुपाड़ा अन्दर छोड़ देता और फिर जोर दार झटके के साथ अपना लंड उसकी चूत में पेल दे रहा था। मानवी भाभी बुरी तरह मुझ से लिपटी हुई थी और उसने मेरे को अपने हाथ और टाँगों से जकड़ रखा था ।

पार्क के उस कोने में भाभी की सिसकारी और उनकी चुदाई की ‘फच’ ‘फच’ की आवाज गूँज रही थी। भाभी के मुँह से “आह! आह! ओह! ओह! हाँ! हाँ! और जोर से, और जोर से… हाँ हाँ ऐसे ही अपना लंड मेरी चूत में पेलते रहो,” बोल रही थी। मैं फ़ुल स्पीड से भाभी की चूत में अपना लंड अन्दर-बाहर करके उसको चोद रहा था और वो बुरी तरह से मुझ से चिपकी हुई थी। इतनी देर से में मानवी भाभी की चूत चोद रहा मैं झड़ने वाला था और मैंने 8-10 काफ़ी जोरदार धक्के लगाये और मेरे लंड से मेरा वीर्य भाभी की चूत में गिरा और समा गया। मेरे झड़ने के साथ ही साथ भाभी की चूत ने भी पानी छोड़ दिया और उसने अपने बाँहों और टाँगों से मेरे को जकड़ लिया। मैं हाँफते हुए मानवी भाभी के ऊपर गिर गया और थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे से चिपके रहे।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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#90
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-29

सुपर संडे - रूपाली के साथ सुहागरात



पार्क में चुदाई का सत्र खत्म करने के बाद मैंने और मानवी भाभी ने अपने कपड़े ठीक किए और घर वापस आ गए। रास्ते में मानवी ने मुझ से कहा कि आज उसे बहुत अच्छा लगा क्योंकि मैंने आज उसकी खुल कर अच्छी तरह से चुदाई की है और वो चाहती है ये सिलसिला चलता रहे .

दूसरी तरफ घर में रूपाली भी मेरे बारे में सोच में ही रही थी कि कल मेरे साथ थिएटर में और आज सुबह क्या हुआ । उसने मेरे साथ चुदाई के हर पल का आनंद लिया। अब उसे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि उसका पति भी था । रात के खाने से पहले वह मेरे कमरे में आई उस समय घर में अकेला था और उसने मेरी आँखों में आँखे दाल कर बड़े प्यार से देखा और कहा, “जब तक तुम हमारे साथ हमारी मंजिल में हो, मैं शादी शुदा औरत होने के बावजूद तुम्हारी प्रेमीका और पत्नी बनना चाहूंगी क्या तुम मुझे अपनी प्रेमिका और पत्नी के तौर पर स्वीकार करोगे? "



[Image: k4.png]

"हाँ, मेरी प्यारी रुपाली, इसi पल से, तुम मेरी प्यारी पत्नी हो।" मैंने कहा और उसे गले लगा कर उसके होठों पर एक गर्म चुम्बन किया । और मैंने उससे कहा चुकी अब हम दोनों पति पत्नी बन गए हैं तो मैं आज रात तुम्हारे साथ बिताना चाहता हूं। कल सोमवार है और मैं छुट्टी ले रहा हूँ और ऑफिस नहीं जाऊँगा इसलिए मैं आज रात तुम्हारे साथ सुहागरात मनाना चाहता हूँ ।

मैंने रूपाली से कहा कि मैं आपको अपने पसंदीदा सुहाग -जोड़े में सुहागरात के कमरे में सबसे अच्छा मेकअप किये हुए और और गहने पहने हुए दुल्हन के रूप में देखना चाहता हूं, इसलिए कृपया आप दुल्हन की तरह से त्यार हो जाए और सुहागरात के कमरे में वैसे ही बैठें जैसे कि फिल्मों और धारावाहिकों में दिखाया जाता है।

10 बजे तक उसने सुनिश्चित किया की सब सो जाए . जब सब सो गए तो मेरे पास आ गयी और उसने सुहागरात की तैयारी शुरू की और पूरा श्रृंगार करने के बाद और सभी दुल्हन के गहने पहन कर दूध का गिलास पकड़ कर उसने विशेष रूप से सजे सुहागरात के कमरे में प्रवेश किया। कमरे की सजावट देख कर उसका मन प्रसन्न हो गया .



[Image: PP1.jpg]


बिस्तर पर गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाँ बिछी हुई थी । पूरे कमरे में फूलों की ही महक थी ! बिस्तर सुंगधित फूलों के साथ सजा हुआ था कमरे में फूलों के बूके, और बिस्तर पर फूलों की झालरे लगी हुयी थी , साटन की नयी बेडशीट और कुशन बिछे हुए थे . कमरे में ड्रिंक, स्नैक्स फल और कुछ स्पैशल खाने-पीने की चीजें रखी हुई थी कमरे में लाइटिंग के लिए अरोमा कैंडल्स लगा कर गुलाबी रंग की रौशनी की हुई थी कमरे में सुंगधित परफ्यूम की मनमोहक खूशबू आ रही थी ( ये सब सजावट मैंने होटल में जिसने आज मेरा कमरा सजाया था उसे गुप्त तौर पर बुला कर करवा ली थी ) कमरे में बहुत धीमा रोमांटिक संगीत बज रहा था l

रूपाली ने साइड टेबल पर दूध का गिलास रखा और लेहेंगा और सेक्सी ब्लाउज चमकदार लाल चमक वाले सिल्की जरी कपड़े के थे और ओधनी (चुनरी) सभी पारदर्शी कपड़े पहने हुए थे। रुपाली ने अपनी ओढ़नी को एक घूँघट के तौर पर प्रयोग किया और बीस्ट की एक साइड में बैठ गयी कुछ समय बाद मैंने कमरे में प्रवेश किया मुझे देख रुपाली खड़ी हो गयी तो मैंने वहां रखा एक फूलो का बड़ा हार उठा कर उसके गले में दाल दिया और उसने भी दूसरा हार मेरे गले में दाल दिया और मेरे पैर छूने के लिए रुपाली नीचे झुक गयी तो मैंने उसे उठाया और अपने गले लगा कर कहा तुम्हे जगह मेरे दिल में है और दोनों कुछ देर ऐसे ही लिपटे रहे .

रुपाली लाल लेहेंगा चोली और गहने पहने हुए बिलकुल स्वर्ग से उत्तरी अप्सरा लग रही थी , उसके बालों में फूले का गजरा था मेरा लंड बिलकुल कड़ा हो गया था. उसने कहा काका मैं इस समय एक कुंवारी की तरह महसूस कर रही हूं।

फिर मैंने उसे बिठा दिया तो डबल बेड पर बैठकर अपने चारों ओर के सबसे बड़े घेरे में अपना बहुत बड़ा लहंगा फैला दिया। फिर मैंने रूपाली से कहा “मैं आपको अपने भविष्य के जीवन के लिए कुछ विशेष और आवश्यक बताना चाहता हूं। लेकिन मैं अपने सर को आपकी गोद में रख कर आप से बात करना चाहता हूँ । फिर मैंने अपना सिर उसकी गोद में रख दिया। तब मैंने कहा कि “सुनो रुपाली तुम्हारा रूप म देख कर मेरी सेक्स की भूख बहुत बढ़ गयी है । और जब मैंने तुम्हे पहले दिन देखा था तभी से मैं तुम्हे बहुत पसंद करता हूँ और तुम्हे चाहने लग गया था .

रुपाली ने मुझे वो गिलास दिया मैंने खुद कुछ दूध पी लिया और बाकी दूध का गिलास रूपाली को दे दिया। जो उसने खुशी से पी लिया। मैंने पहले से ही चुपके से दूध के गिलास में एक विशेष दवा की कुछ बूंदें मिला दी थी, जिससे मेरी कामुकता भड़क गई थी,

मैं फिर मैंने उसके साथ बात करना जारी रखा। दवा का असर होने लगा।



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जैसा कि अब आप मेरी बहुत प्यारी प्रिय प्रेमिका हैं और मैं आपका दीवाना हो गया हूँ और मुझे कल और आज आपके साथ सेक्स करके बहुत मजा आया है . आपको कैसा लगा .. वो शर्मा गयी तो मैंने कहाः शर्माओ मत मेरी जान अब हम गुप्त रूप से पति पत्नी हैं स्पष्ट रूप से बोलो तभी हम खुल कर मजे कर पाएंगे तो वो धीरे से बोली मुझे भी बहुत अच्छा लगा

तो मैंने कहा आप भी चाहती हैं हम ये फिर करे बार बार करे तो उसने शर्मा कर सर हाँ में हिलाया, तो ठीक है रूपाली फिर ये तय रहा आप कभी भी मेरे साथ सेक्स के लिए मना नहीं करेंगी । इसके अलावा मैं आपके साथ चुदाई में हर संभव बदलाव लाने की कोशिश कर इसे मजेदार बनाए की कोशिश करूंगा ताकि हम सेक्स का पूरा मजा ले सके और आप मुझे इस उद्देश्य के लिए हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ सहयोग देने के लिए तैयार रहेंगी । इस तरह हम दोनों एक दुसरे को हमेशा यौन क्रिया में पूरी तरह से संतुष्ट रखे आज की इस विशेष रात में मैं आपसे यही चाहता हूं

.. ”रूपाली ने कहा“ मैं आपकी प्रिय जीवनसाथी बन आपको हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ सहयोग दूंगी और आपको हमेशा संतुष्ट रखूंगी और आपकी सभी सेक्स कल्पनाओ को साकार करने में सहायक बनूँगी और आपके साथ सेक्स करने के लिए सदा त्यार और ततपर रहूंगी । अब आप कृपया बताएं कि मुझे अब क्या करना है। ”

मैंने कहा "मैं आपको दुल्हन के रूप देखकर बहुत उत्तेजित हूं कि सबसे पहले मैं आपको चोदना चाहता हूं, उसके बाद हम आगे बात करेंगे।"

लाल लहंगे चोली पहने हुई , फूलो और गहने से सजी और स्तनों की दरार और चूत केओंठो के अंदर शहद लगाए हुए रुपाली ने कहा काका मैं आज कुंवारी की तरह महसूस कर रही हूं।

मैंने ललचाई हुई नज़रो से उसके स्तनों को दरार के माध्यम से झाँका और मैंने अपने होंठो पर अपनी जीभ फेरी

उसने मेरी आँखों में देखा और मुस्कुराते हुए बोली , " अब हम दोनों को किस चीज़ के लिए इंतज़ार कर रहे हैं ? कही आप इसके लिए तो चिंतित नहीं हैं की मैं कुंवारी नहीं हूँ ?"



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मैं बोला "मैं तुम्हे अपने नीचे लिटा कर तुम्हारे खूबसूरत नंगे बदन को सहलाते हुए तुम्हें चोदना चाहता हूँ और इस बिस्तर पर तुम्हारी चूत के अंदर जड़ तक अपना लंड घुसा कर तुम्हारी खुजली को भड़का दू ताकि तुम हर समय मुझ से चुदाने के लिए तड़पती रहो और मैं तुम्हे आज पूरी रात बार बार चोदता रहूँ । "

" शर्माते हुए उसने सुझाया प्लीज आराम से करना ।" मैंने एक गुलाब का फूल दिया बातें करते करते मैने अपना हाथ रुपाली पर रख दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया, फिर घूंघट उठा कर मैंने उसे तोहफा दिया और बिस्तर से एक गुलाब उठाया और उसको मसल कर उसके ओंठो पर अपने ऊँगली फेरने लगा ..

मैंने उसके ऊपरी होंठ पर अपनी ऊँगली फेरी और अब मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा उठाया और उसके गालों पर चूम लिया। उसने अपनी आँखे बन्द कर लीं। अब मैंने उसके होंठों पर चूमा। उसके होंठो को अपने होंठ रख कर चूमने लगा.
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#91
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-30

सुपर संडे - रूपाली के साथ सुहागरात 



फिर मैंने बोला भाभी मुझे भी चूमो नहीं तो मैं ये मानूंगा आपको मेरा प्रताव स्वीकार नहीं है और आपने उसे उसे नापसंद किया है मैंने इस प्रकार से भाभी को प्रोत्साहित किया कि वह मुझे चुंबन करने लगी. फिर मैंने पहले भाभी के माथे पर और फिर आँखों और फिर होठों पर चूमा।

रुपाली ने कहाः " काका मुझे कुछ हो रहा है मैं अपने को कंट्रोल नही कर पा रही हू तो मैं बोला भाभी मैं मदद करू तुम्हारी इतना कहते ही मैं उस से लिपट गया और उनके गालो का चुम्बन किया थोड़ी देर मैं उनसे लिपटा रहा फिर मैने उनके होंटो को चूसना शुरू किया पता नही कितनी देर मैं किस करता रहा फिर उन्होने किस को तोड़ा और मेरी ओर देखने लगी. अब मेरा मन तो कर रहा था कि बस चूमता, चाटता रहूँ और अपनी बाहों में जकड़ कर मसल डालूँ और जिंदगी भर ऐसे ही पड़ा रहूँ और उफ क्या-क्या नहीं करूँ!



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मैंने चुंबन लेने प्रारंभ किए। मैं उसकी जीभ और उपर नीचे के होठों को चूसने लगा। मैं उसके होठों को पूरी तरह से जकड़ उसका पूरा साँस अपने फेफड़ो में ले लेता जिससे वह बिना साँस के व्याकुल हो छटपटाने लगती और जब उसे छोड़ता तो ज़ोर-ज़ोर से साँस भरने लगती। यह क्रिया काफ़ी देर तक चली l

मैने दुबारा किस करना शुरू किया और धीरे से अपने हाथ उनकी पीठ पर फेरता रहा अब भाभी की साँसे उखड़ने लगी थी मेरे हाथ उनकी गोलमटोल सुडोल छातियों पे पहुँच गये थे जैसे ही मैने उनकी चूचियो को हल्का सा दबाया और मेरे हाथ रुपाली भाभी की चूचियो पर कस गये उनके मूह से एक हल्की सी सिसकारी निकल गयी जिस से मैं और उत्तेजित हो गया l मैं अपनी जीभ से चूची को चाट चाट कर मजा लेना शुरू कर दिया. शहद में डूबी चूचियों को मैं खींच खींच कर चूसने लगा.

मैने भाभी की चोली की डोरियों को खोल कर उतार दिया और एक चूची को अपने मूह मे भर कर चूसने लगा और दूसरी को अपने हाथ से मसल्ने लगा जैसे जैसे भाभी की निप्पल को चूस्ता गया उनके मूह से उफ हाय आह ईईई जैसी आवाज़े निकालने लगी फिर मै रुपाली भाभी के स्तनों पर आ गया। मैने पहले धीरे-धीरे स्तन मर्दन करना प्रारंभ किया। फिर चूचुक पर धीरे-धीरे जीभ फेरनी शुरू की। इससे रुपाली भाभी की काम ज्वाला भड़क के सातवें आस' मान पर जा पाहूंची। वह व्याकुल हो उठी।

मैं बारी बारी से रुपाली भाभी की दोनो चुचियो को चूसता रहा फिर मैंने रुपाली भाभी को खड़ा किया और उनके लहंगे का नाडा खींच दिया जैसे ही वो नीचे गिरा तो अब भाभी ने बड़ी स्टाइलिश पैंटी पहनी हुई थी . जिसकी डोरिया खोल कर मैंने भाभी को वस्त्रहीन कर दिया

फिर भाभी ने स्त्री सुलभ शर्म के कारण अपने हाथों से अपना चेहरा ढंक लिया लेकिन मैंने भाभी को धीरे धीरे सहलाना और उसकी अलग अलग अंगो को चूमना जारी रखा जिससे वो अपनी इस स्थिति की आदी हो गयी मैंने अपना कुरता और लुंगी उतार फेंकी और उसके हाथ उसके चेहरे से दूर करने के लिए खड़े होकर उसके हाथ पकड़ कर उसके ओंठो पर एक आवेशपूर्ण चुंबन किया जब मैंने ऐसा किया तो मेरा लंड जाकर भाभी को जांघों के बीच जा लगा। मेरे लंड ने भाभी की योनि के नग्न होंठों का चुंबन लिया । इससे भाभी का चेहरा शर्म से गर्म हो लाल हो गया है और वो मुझसे लिपट गयी और उसकी बाहे मेरी पीठ पर चली गयी.


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मैंने भाभी को अपनी गोदी मे बिठा लिया और उनको किस करने लगा मेरे हाथ उनकी चुतडो पर पहुच गये और मैं उन्हे सहलाने लगा मेरा लंड उनके चुतडो की दरार पर महसूस हो रहा था अब मैने भाभी को लिटा दिया और उनके बदन को चूमना शुरू कर दिया भाभी की पप्पी लेते लेते मैने एक हाथ उनकी चूत पे रख दिया और उसको सहलाने लगा. भाभी ने अपनी चूत बिलकुल साफ़ की हुई थी ..

मैंने भाभी को मसलना शुरू ककिया तो भाभी बोली प्लीज अब गहने उतार दो ये चुभ रहे हैं .. तो मैंने एक एक करके सब गहने उतार दिए और जिस गहने को उतारता गया वह वह किस करता गया l

साथ साथ मै रुपाली भाभी के स्तनों के दबाता और उसके चुचकों को मसलने लगा रुपाली भाबी इससे चूत मैं लंड लेने के लिए व्याकुल हो उठी। पर मुझे तो कोई जल्दी थी ही नहीं . तब मैं भाभी की नाभी के इर्द गिर्द जीभ फेरने लगा। कभी-कभी बीच मैं उसकी झांटों मैं हल्के से अंगुली फिरा देता। साथ मैं वह उस के नितंबों के नीचे अपनी हथैली ले जा उन्हे सहलाए भी जा रहा था और उस के गोल नितम्बो पर कभी-कभी हलके से नाख़ून भी गाढ रहा था। इन क्रियाओं के फल स्वरूप भाभी ज़ोर-ज़ोर से साँस लेने लगी और मुझ से चोदने के लिए विनती करने लगी।

मैने भाभी की मांसल केले के पेड़ जैसे तनी चिकनी जाँघो को चूमना शुरू किया और मैने अपने होंठ भाभी की चूत पे रख दिए और ऐसा करते ही भाभी का पूरा बदन कांप उठा

मेरा मन कर रहा था अब एक ही झटके मे लंड पूरा घुसा दूं पर मैं इस रात को यादगार बनाना चाहता था मैने अपनी जीभ अंदर घुसा दी और भाभी की चूत को अपने मूह मे भर लिया और भाभी की सिसकारियो से कमरा गूँज उठा तो मैंने अपना हाथ उसके मुँह पर रख दिया ताकि उसकी कराहे सुन कोई जाग न जाए . तो भाभी बोली आप चिंता मत करो कोई नहीं आएगा ,, आज खाने में मैंने आपकी दी हुई थोड़ी सी नींद की दवाई मिला दी थी .. सब आराम से सुबह तक सोयेंगे आप बस मजे लो

तब मैंने रुपाली भाभी की चूत मैं एक अंगुली डाली। मैं धीरे-धीरे उसके चूत के दाने पर अंगुली के अग्रभाग से छेड़ रहा था। फिर मैंने दो अंगुल डाली और अंत मैं तीन अंगुल उसकी चूत मैं डाल दी। मैं ऐसे ही काफ़ी देर तक उस' की अंगुल से चुदाई करने लगा तो वो उछल पड़ी और मेरे बालों को अपने हाथ में लेकर सिसकारी भरने लगी और बड़बडाने लगी कि काका 10 साल से मेरे पति ने मुझे चोदा नहीं है मेरी प्यास तुमने आज और भड़का दी है.

भाभी गान्ड उपर उठा-उठा के झटके देने लगी मानो उसका पूरा हाथ ही अपनी चूत मैं समा लेना चाहती हो। आधी से अधिक रात्री बीत चुकी थी। और भाभी ने अपने दोनो हाथ मेरे सिर पे रख दिए और मेरे सर को अपनी चूत पे दबाते हुए बोली " काका मेरा सारा रस निचोड़ लो, अब तो मैं तुम्हारी ही हूँ आह ओह्ह ओह! भाभी की साँसे उखड़ने लगी थी

भाभी मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पे रगड़ने लगी थोड़ी देर रगड़ने के बाद वो मेरे कान मे बोली अब देर मत करो घुसा दो अंदर तो मेने हल्का सा धक्का मारा तो सुपाडा चूत मे चला गया भाभी ने अपनी टांगो और गांड को टाइट कर लिया था जिससे उनकी गर्म चूत काफ़ी टाइट ही गयी थी और उनके मूह से आह की आवाज़ निकल गयी.

तब मैंने बहुत ही शान्ती के साथ उसकी योनि मैं अपने लंड पर बहुत सारा शहद लगाकर जोर का धक्का दे मारा और अपना लिंग घुसा दिया और लंड को थोड़ा थोड़ा आगे पीछे घूमा फिरा कर उसकी चूतके अंदर की हर जगह को छूने लगा .

मैने एक झटका और मारा और आधा लंड अंदर डाल दिया वो बोली थोड़ा धीरे से डालो आपका लंड बहुत बड़ा है फेयर मैंने एक धक्का और मारा और मेरा लंड पूरा उनकी मस्त चूत मे घुस गया भाभी की सिसकी निकल गयी उन्होने अपनी आँखे बंद करली मैने हल्के हल्के धक्के लगाने शुरू कर दिए

जब भी भाभी अपनी चूत से लंड को कस के निचोड़ना चाहती। मैं अपना आधे से ज्यादा लंड बाहर निकाल लेता . भाभी ने ज्यादा मजा लेने के लिए अपनी टांगो और गांड को टाइट कर लिया था जिससे मुझे लंड घीउसते हुए एकदम टाइट नयी कुंवारी चूत के जैसे मजे आ रहे थे .


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। थोड़ी देर मे वो भी सहज होने लगी और उन पलो का आनंद लेने लगी हमारे होंठ एक दूसरे के होंठो से जुड़ गये और हम एक दूसरे मे समाते चले गये उन्होने अपनी जाँघो को फैला दिये ताकि मैं खुल के धक्के मार सकु 15 मिनिट तक ऐसे ही धक्के लगाने के बाद मेरा लंड उसकी चूत की हर दीवार का घर्षण कर रहा था। रुपाली भाभी अब मेरी चुदाई से अब तक आत्मसमर्पण कर चुकी थी। मैं अब आराम से उसके मम्मे दबाते हुए उसको चोद रहा था। फिर भाभी खुद अपनी गांड को आगे पीछे कर चुदने का मजा लेने लगी थी।

भाभी ने अपनी जांघे मेरी कमर के पे लिपटा दी और बोली शाबाश काका ऐसे ही जोर से करो लगे रहो तभी उनका बदन ऐंठ गया और चूत की चिकनाई बढ़ गयी और कि वो चर्म सुख की ओर बढ़ गयी. फिर अचानक से भाभी ने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और झड़ गयी और मुझे चूमने लगी.

चोदो काका मुझे चोदो, और जोर से और फिर मैंने उसकी जमकर धुनाई करते हुई चुदाई की और उसको 2 बार और झड़ाने के बाद अपना रस उसकी चूत में ही डाल दिया.

कुछ देर वो मजा आ गया कर ऐसा कहते हुए वह उठी और मुझे अपने लिप्स और जीभ से चाटने लगी . उसके ऐसा करने से मैं जोश में भर कर अपना लंड उसकी चुत में घुसेड़ दिया , और जैसे माखन की टिकिआ में चाकू जाता है उसी सरलता से वह अंदर चला गया . और मेने उसकी बेरहमी से उछाल उछाल कर चुदाई की और उसने भी चूतड़ उठा उठा कर अलग अलग आसान में चुदाई का मज़ा लिया और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा

कहानी जारी रहेगी
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#92
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-31


सुपर संडे - रूपाली के साथ



रुपाली भाभी की बेरहमी से उछाल उछाल कर चुदाई करने के बाद हम ऐसे ही लिपट कर सो गए

सुबह चार बजे मेरी आँख खुली तो रुपाली भाभी मुझसे से चिपट कर सो रही थीं. वे मेरे सीने से लिपटी हुई सोते हुए बड़ी प्यारी और मासूम लग रही थीं, उसे देख मुझे उन पर प्यार आ गया और धीरे से मैंने उसके होंठो को चूमा . मेरे स्पर्श से वह जग गईं और बड़े प्यार से बोलीं- मेरी आँख लग गयी थी.

मैंने प्यार से उनके गुलाबी होंठों को चूमते हुए पूछा- क्या आपको अच्छा लगा? मजा आया ?

वे धीरे से बोलीं- अच्छा भी लगा ... मजा भी बहुत आया ... और मैंने कितने साल से सब्र किया हुआ था मेरे पति के साथ तो चुदाई करने का मौका ही नहीं मिलता था पर तुमने मेरी ऐसी चुदाई की है की मैं सोच रही हूँ तुमसे रोज चुदे बिना अब कैसे रह पाऊँगी

मैंने कहा- भाभी आप बहुत सुन्दर, गोरी और मेरे से बड़ी होने के बावजूद मस्त माल हो. दो बच्चो की माँ होकर भी कॉलेज जाने वाली लड़की जैसी दिखती हो और आपकी चूत भी अभी तक टाइट है और आपके स्तन भी गोल मटोल और बिलकुल ढलके हुए नहीं हैं आपको देखकर तो मैं पहली नज़र में ही आपका दीवाना हो गया था अब तो मेरा मन अब बेकाबू हो गया है

भाभी बोली काका अब आप मेरी जान हो आओl मुझे ऐसे ही प्यार करते रहना.



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मैंने भाभी की बात सुन कर मस्ती में उनकी चूची मसल दी तो कराहते हुए उन्होंने मेरे होंठों को चूम लिया- आराम से करो मैं अब तुम्हारी ही हूँ.

मैंने फिर से चूची मसली तो शरमाते हुए उन्होंने कहा- आपने मुझे बड़ी बेरहमी से चोदा है, देखो मेरी कैसे सूज गयी है.

रुपाली भाभी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी चुत पर रख दिया. सच में भाभी की चुत एकदम सूजी हुई थी. मैंने प्यार से चुत को ऊपर से ही को सहलाया ... फिर मैं उनके होंठों को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगीं. मैंने अपनी जीभ उनके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगीं. मैंने भी उनकी जीभ को चूसा. मेरी जीभ जब उनकी जीभ से मिली, तो उनका शरीर सिहरने लगा और वे रिसने लगीं क्योंकि मेरे हाथों को उनकी चुत गीली गीली लगने लगी थी. उसके बाद मैं अपने हाथों से उनके मस्त मोमे दबाने लगा. एक पल बाद ही मुझे उनका निप्पल कड़ा होता सा महसूस हुआ.

अपनी उंगलियों से मैंने निप्पल को खींचा तो वो कराह उठीं- आआह धीरे मेरे राजा धीरे ... देखे कैसे सूज गए हैं और बहुत दुख रहे हैं.

मैंने निप्पल को किस किया और फिर उनके होंठों को चूमा. फिर मैंने उन्हें दबोच लिया और उनके रसीले होंठों को किस करने लगा.

जिसका उन्होंने बड़ी कामुक और मादक अंदाज में जवाब दिया. वह बोलीं- काका धीरे से करो घर में बच्चे और मानवी भाभी भी हैं और सुबह भी होने वाली हैं .

रुपाली भाभी की गोल गोल चूचियों से भरी उनकी छाती और भरे भरे गालों के साथ उनकी नशीली आंखें, मुझे नशे में कर रही थीं.

मैं उन पर चढ़ कर बेकरारी से उनको चूमने लगा. चूमते वक्त हमारे मुँह खुले हुए थे ... जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं ... और हमारे मुँह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था. मैं कम से कम 15 मिनट तक उनके होंठों का किस लेता रहा. साथ मेरे हाथ उनके मम्मों को दबाने में लगे हुए थे, वो भी मेरा साथ देने लगी थीं.

मैं उनकी चुचियों को बेरहमी से मसलने लगा और वो मादक आवाजें निकालने लगीं- उम्म्ह... अहह... हय... याह...

मादक आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थीं फिर मैंने उनके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया. उनके मम्मे कड़क हो गए थे और चूचियां कह रही थीं कि हमें जोर से चूसो.

कुछ देर तक अपनी होने वाली भाभी के स्तनों को चूस कर मजा लेने के बाद मैंने उनके स्तनों पर कमरे में रखी बोत्तल उठा कर बहुत सारा शहद डाल दिया. भाभी खुद अपने स्तनों पर शहद टपकते देख और ज्यादा उत्साहित हो गई थीं. फिर मैंने भाभी की आंखों में झांका, भाभी भी वासना से मेरी आंखों में झाँक रही थीं.



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मैं अपनी जीभ से रुपाली भाभी की चूची को चाट चाट कर मजा लेना शुरू कर दिया. मैंने उन्हें देखते हुए ही उनकी एक चूची को मुँह में ले लिया और भूखे जानवर की तरह भाभी के स्तन चूसने लगा. शहद में डूबी चूचियों को मैं खींच खींच कर चूसने लगा. भाभी जोर जोर से कामुक सिसकारियां ले रही थीं. मैं बोला भाभी ज्यादा आवाज मत करो कोई आ सकता है .

रुपाली भाभी कह रही थीं- आह चूसो न . मैंने फिर से उनके स्तन चाटने लगा. अब भाभी दबी हुई आवाज में गर्म सिसकारियां ले रही थीं.

मैंने अपना बांया हाथ उसके शरीर पर घुमाते हुए उसकी चूत के छेद पर रख दीया और उसे मसलने लगा । रुपाली भाभी और बुरी तरह से छट्पटाने लगी। सालो से उसके अंदर दबी पड़ी कामवासना अब भड़क गयी थी। थोड़ी देर में अपना मुंह रुपाली भाभी के कान के पास ले गया और धीरे से उसके कान में बोला " अब तुम्हे जीवनभर अपनी बना कर रखूंगा। मैं पिछले कई महिनों से तरस रहा था रुपाली भाभी तुम्हारी चूत के लिये। आआआह्ह्ह्ह्ह तुम कितनी खूबसूरत हो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह तुम्हारा गदराया बदन तो कयामत है मेंरी रानी ।

चूचियों के बाद मैंने भाभी की गहरी नाभि. और चूत में शहद डाला और नाभि में जीभ घुसा कर चूसने लगा.

आआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह फिर मैंने अपना मुँह रुपाली भाभी की चिकनी चूत पर रख दिया. अब वो उसकी चिकनी चूत की फ़ांको पर अपनी जीभ रगड़ने लगता है और उसके चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अपनी जीभ से सहलाने लगता है । रुपाली भाभी मारे उत्तेजना के पागल हो जाती है और अपनी चूत जोर जोर से हिलाने लगती है। अब मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के छेद में ड़ाल कर उसे अंदर बाहर करने लगता है।

इस तरह जीभ के अंदर बाहर होने से रुपाली भाभी थरथराने लगी और वो बुरी तरह से उत्तेजित हो गयी । वो आंखे बंद किये अपना सर तेजी से इधर उधर पटकने लगी , जिसने मुझे और भी ज्यादा उत्तेजित कर दिया और मैं और भी अधिक जोश से रुपाली भाभी की चूत को चूसने लग गया ।

चूत इस बुरी तरह से चूसे जाने के कारण रुपाली भाभी का खुद से नियंत्रण पूरी तरह से खतम हो गया था और उसकी चूत से उत्तेजना के मारे चिकना पानी निकलने लगा । मेरा लंड़ अब बुरी तरह से झटके मार रहा था और बुरी तरह से दुखने लगा था, और यदि इसे जल्दी से रुपाली भाभी की चूत में ना ड़ाला तो ये फट जायेगा।

फिर मैंने अपने लंड पर बहुत सारा शहद लगाकर जोर का धक्का दे मारा. मैं लंड पेलने के बाद कुछ देर के लिए उनके ऊपर ही पड़ा रहा. और मैं उनके स्तनों को चूसने लगा. अपने एक हाथ से उनके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था. फिर कुछ ही देर के बाद मैंने उनके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया. अब कुछ पल बाद वो फिर से गर्म हो गईं और उनकी कमर ने हिल कर मेरे लंड को इशारा दिया.

मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया ... तो पहले पहल वो चिल्लाईं, लेकिन फिर कुछ देर के बाद चुप होकर लंड को जज्ब करने लगीं. मैंने 10-15 जोर से धक्के मारे और साथ साथ भाभी को किस करने लगा. मैं लंड को पूरा अंदर जड़ तक घुसा कर भाभी की चूत चुदाई करने लगा. वो पूरी मस्ती में थीं ... मस्ती में सिसकारियां ले रही थीं- अआहह आआइईई ... काका और करो ... आह काका बहुत मजा आ रहा है.

फिर मैंने भाभी की चूत चुदाई करने की स्पीड और तेज कर दी. सच में भाभी की चूत टाईट थी मुझे चुदाई करने में मजा आ रहा था. कुछ देर तक चुदवाने के बाद भाभी बोलीं- काका और तेज करो आह आह.. काका मुझे कुछ हो रहा है और अपने चुतर ऊपर को उठा कर मेरे धक्को से ताल मिलाने लगी …. मैंने और जोर से धक्के लगाने शुरू कर दिए. मैंने कमर उठा आकार लम्बे लम्बे धक्के देना चालू कर दिए. मैं भाभी की चूत में जोर जोर से धक्के लगाता रहा करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद रुपाली भाभी आह… आह…. अहहहहह करते हुए झड़ गईं.

इसके बाद मैंने उनको घोड़ी बना दिया. अब मैंने उनकी चूत में पीछे से लंड को डालकर चोदना शुरू किया. .

रुपाली भाभी भी मस्ती में गांड आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगीं. मैं उन्हें लगातार धक्के देकर चोदता रहा. बीच बीच में पीछे से उनके मम्मों को पकड़ कर दबाता भी रहा. जब मैं उनके मोमे दबाता था, मैंने करीब दस मिनट तक लगातार उनको उसी पोज़िशन में चोदा, उनकी हालत बुरी हो गई थी ... वह झड़ चुकी थीं. और निढाल हो कर पेट के बल लेट गयी



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मैं भी नीचे लेटा उन्हें सीधा किया को बेकरारी से चूमने लगा. चूमते हुए हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं. मैंने रुपाली भाभी की फिर जम कर चुदाई की भाभी कई बार झड़ने के बाद निढाल हो रही थीं. आखिरी बार हम दोनों एक साथ झड़ गए.

सुबह हुई तो भाभी का चेहरा ख़ुशी से चमक रहा था. मैंने उसके गाल पर एक प्यार भरा चुम्बन दिया, तो उसने मुस्कुराते हुए मुझे किस किया और मुझे प्यार से अपनी बांहों में भर लिया. और हमने एक दुसरे के साथ ऐसे ही प्यार करते रहने का वादा किया .

उसके बाद वो मुझे बोली काका आप दुसरे कमरे में चले जाओ मैं कमरा साफ़ करके ठीक कर देती हूँ .. उसके बाद सुबह मैं पहले मंदिर गया और महर्षि द्वारा बातये गए पांच दाएं और पूजा पाठ किये वहां मुझे हेमा . ईशा और रीती मिली और मैंने उससे आगे के कार्यक्रम के बारे में चर्चा की .. चुकी अब मैं कुछ दिन छुट्टी पर जाने वाला था इसलिए फिर दिन में मैं थोड़ी देर ऑफिस गया और स्टाफ को जरूरी हिदायते दे आया और फिर मेरी माँ और पिताजी दिल्ली से आ गए और एयरपोर्ट पर हेमा ने उन्हें भाई महाराज हरमोहिंदर जी के पास ले जाने की सारी व्यवस्था की हुई थी ..

उस गर्म दोपहर में तीन घंटे में सड़क के मार्ग से हम हमारे पैतृक निवास स्थान में पहुंचे।

ये हम सबका अपने पैतृक स्थान का पहला दौरा था अपने पैतृक निवास स्थान के प्रवेश द्वार पर ही मेरे चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ हमारा स्वागत करने के लिए उपस्थित थे।


उन्होंने हमे दरवाजे पर गर्मजोशी से गले लगाया और उसकी सभी रानिया जो बेहद खूबसूरत थी जिनकी आयु 25-35 के बीच थी और सुन्दर साड़ी और आभूषण पहने हुई थी सबने हस्ते हुए हम सबका स्वागत किया और हम पर इत्र और फूल छिड़कते हुए शाही स्वागत किया ।

कुछ देर आराम और चाय नाश्ता करने के बाद मैं अपने चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी के साथ हमारा पूरा निवास स्थान देखने गया था। यह एक बड़ा और भव्य महल नुमा घर था। जिसे काफी अच्छी तरह से बनाए रखा गया था और पंजाब में हमारी हवेली, दिल्ली और लंदन में हमारे घर भी इसी तरह के डिजाइनों पर बनाए गए थे।

महाराज हरमोहिंदर जी ने मुझे सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एक विशेष और भव्य कमरा रहने के लिए सौंपा।


अध्याय 5 समाप्त

कहानी जारी रहेगी
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#93
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


CHAPTER- 6

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन


PART 01- पैतृक स्थान

मेरे चहेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी का और हिमालय की रियासत के महाराज वीरसेन की सुपत्री का विवाह महाराज वीरसेन के महल में हिमालय नगरी में होना था और फिर गुरुदेव ने इसके लिए परिवार के कुछ लोगो को विवाह से दो दिन पहले उनके आश्रम में आने की आज्ञा दी थी ताकि यज्ञ और शुद्धिकरन की प्रक्रिया पूरी की जाए.

इस विवाह में शामिल होने के लिए भाई महाराज हरमोहिंदर जी के निमंत्रण पर मेरे पिताजी और माँ दिल्ली से सूरत आ गए थे और फिर मैं उनके साथ महाराज की गुजरात , राजस्थान और मध्यप्रदेश तीनो राज्यों के सीमान्त पर स्तिथ हमारी पुश्तैनी रियासत में हमारे पुश्तैनी निवास स्थान में चले गए .

तीन घंटो के सफर में रास्ते भर में मैं शनिवार और रविवार के बारे में सोचता रहा जिसमे ये रविवार सुपर संडे की तरह गुजरा जिसमे सुबह सुबह मैंने और रुपाली भाभी ने सम्भोग किया फिर ईशा हे के साथ दोपहर में , मानवी भाभी के साथ शाम को पार्क में और रुपाली भाभी के साथ पूरी रात सेक्स किया.

दोपहर में तीन घंटे में सड़क के मार्ग से हम हमारे पैतृक निवास स्थान में पहुंचे जहाँ प्रवेश द्वार पर ही मेरे चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी अपने परिवार के सभी सदस्यों के साथ हम पर इत्र और फूल छिड़कते हुए हमारा शाही स्वागत किया ।

मैं अपने चचेरे भाई महाराज हरमोहिंदर जी के साथ भव्य महल नुमा निवास स्थान देखने गया और पंजाब में हमारी हवेली, दिल्ली और लंदन में हमारे घर भी इसी तरह के डिजाइनों पर बनाए गए थे।

महाराज हरमोहिंदर जी ने मुझे सभी आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित एक विशेष और भव्य कमरा रहने के लिए सौंपा।

कमरे में ईशा और रीती उपस्थित थी और हेमा ने बोला कुमार आप सफर करने के बाद थक गए होंगे अब रीती आपकी मालिश कर देगी तो मैंने अपने सब कपडे निकाल दिए और रीती ने हरे रंग के तेल की शीशी से तेल लेकर वह मेरे ऊपर झुककर अपने हाथों से मालिश करने लगी.

वह मेरे कंधों और बाजुओं पर अपने नर्म हाथों को फिराने लगी. मेरी छाती पर थोड़ा हाथ मसलने के बाद रीती मेरे पाँव की मसाज करने लगी. दादा गुरूजी द्वारा प्रदान किये गए जड़ी बूटियों वाले इस तेल की सुगंध से बहुत अच्छा महसूस हो रहा था और जल्द ही थकान मिट गयी.

फिर मैंने स्नान किया तो स्नान घर में बाल्टी में भी जड़ी बूटी वाला पानी था और उसमे से भी बड़ी मनमोहक खुशबू आ रही थी. उससे स्नान करने के बाद मैं एकदम तरोताज हो गया और साड़ी थकान मिट गयी

फिर थोड़ी देर में हमे बैठक में बुलाने हेमा आयी वहां पिताजी मेरी माँ, भाई महाराज और राजमाता के साथ हमारे कुलगुरु आये और उन्होंने बताया की महाराज के विवाह से पहले परिवार के रीती रिवाज के अनुसार छोटे से यज्ञ का अनुष्ठान किया जाएगा और इसमें मेरे पिताजी जो परिवार के अग्रज हैं उन्हें भाई महाराज के विवाह अनुष्ठान को पूरा कर्म का संकल्प लेना होगा .. उसके बाद परिवार की महिलाये कुछ जरूरी रस्मो को करेंगी .. और इस संकल्प लेने के बाद सबसे पहले यही कार्य पूरा किया जाएगा.

फिर भाई महाराज ने पिताजी से मेरे बारे में बात करते हुए पुछा आपने राजकुमारी ज्योत्स्ना से मेरे विवाह के बारे में क्या सोचा है .. महर्षि ने बोलै है अब दीपक का विवाह भी शीघ्र करना होगा. तो पिताजी ने बोलै हम पहले एक बार राजकुमारी ज्योत्स्ना से मिलना चाहेंगे ..

तो भाई महाराज ने हिमालय राज महाराज वीरसेन से पता किया तो मालूम चला कामरूप क्षेत्र के महाराज उमा नाथ परिवार सहित वापिस कामरूप चले गये हैं तो फिर कुछ देर बाद हिमालय राज महाराज वीरसेन ने ज्योत्स्ना के पिता महाराज उमा नाथ से बात कर हमे शीघ्र कामरूप आने के लिए आमत्रित किया ..

तो भाई महाराज ने अगले ही दिन कामरूप जाने का कार्यक्रम बना दिया .

फिर रात के खाने के बाद नाच गाने का एक कार्यक्रम हुआ जिसमे कलाकारों और नर्तक मण्डली ने सुन्दर लोक नृत्य और लोक संगीत का कार्यक्रम पेश किया .


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार
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#94
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे


CHAPTER- 6

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

PART 02- गुप्त राज


भोजन हुए नाच गाने के कार्यक्रम के बाद पिता जी आराम करने चले गए मैं और भाई महाराज के साथ महल में चहल कदमी करने लगे. घुमते घुमते हम भवनों के पीछे एक बहुत बड़ा सुन्दर बगीचा तक चले गए जिसके बीचो बीच एक मंदिर था और भाई महाराज ने बताया ये हमारे कुल देवता नागराज का मंदिर है जिनके दर्शन हम कल प्रातः काल में करेंगे l जिसके पीछे कुछ खेत और चरागाह भूमि थी और उसके पीछे काफी बड़ा जंगल है l मुझे महाराज ने वह सब कुछ दूर से दिखाया l

भाई महाराज लौटते हुए ने एक बार फिर मुझे महल दिखाया जिसमे मुख्यता तीन बड़े बड़े भवन हैं l

एक हिस्से में रानिवास था l ये हिस्सा घर मुख्या हिस्से से थोड़ा अलग है l राज माता जी (मेरी ताई जी) और भाई महाराज की रानिया सभी इस हिस्से में रहती थी l ये हिस्सा मुख्य भवन से थोड़ा सा बड़ा हैl जिसमे एक बहुत बड़ा हाल और काफी सारे कमरे हैं l इसी में एक तरणताल भी था और महारानी और अन्य रानियों के सभी सेविकाएं इसी भाग में रहती थी घर के इस हिस्से की प्रमुख राजमाता थी और इसके इलावा इसमें कुछ अन्य स्त्रिया भी रहती थी ( हमारे यहाँ पुरुषो के द्वारा एक से अधिक स्त्रियाँ रखने की प्रथा रही है) l

और फिर इसके इलावा तीसरे हिस्से में कुछ सेवक सेविकाओं के कमरे थे जिनमे सेवक सेविकाएं और उनके परिवार रहते थे l

सबसे आगे का एक भवन जिसमे बैठक वहां रियासत की जनता उनसे मिलने आती थी .. चुकी अब वे विधायक भी चुने गए थे तो वहां दिन में काफी भोड़ लगी ही रहती थी और महाराज का दफ्तर था जो काफी बड़ा और भव्य था जिसे काफी अच्छे से मेन्टेन किया गया था और उसके पिछले एक हिस्से में भाई महाराज का निवास कक्ष था l इसी में महमानो का भी कक्ष था और मेरे लिए भी कक्ष इसी भवन में था. महाराज और राजकुमार इसी पहले मुख्य भवन में रहते हैंl इसमें काफी सारे कमरे थे.

फिर महाराज मुझे अपने कक्ष में ले गए और वहां मुझे कमरे में दाहिने हिस्से में रखे एक मूर्ति नजर आयी हमारी दिल्ली और पंजाब के घर में भी बिलकुल ऐसी ही मूर्ति थी मैंने मूर्ति को घुमाया तो मूर्ति घूम गयी और महाराज के बिस्तर के साथ साइड में एक गुप्त दरवाजा खुल गया बिलकुल वैसे ही जैसे गुप्त दरवाजे का जिक्र मेरे दादाजी की डायरी में था और ऐसा ही दरवाजा हमारे घर में भी था.

मैंने भाई महाराज से पुछा क्या आपको ये राज मालूम था , भाई महाराज तो हैंरानी से मुँह खोले हुए देख रहे थे और उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था .. उन्हें देख मैं समझ गया उन्हें इसके बारे में कुछ मालूम नहीं है

अब इसमें आगे क्या था l ये जानने के लिए हमारा उसके अंदर जाना जरूरी था पर दरवाजे के अंदर अँधेरा था तो मैंने कहा महाराज आप रुकिए यहां पर जरूर रौशनी की व्यवस्था होगी मैंने मोबाइल में टोर्च चालु की और हमने मूर्ति को वापिस घुमाया तो दरवाजा बंद हो गया और फिर उसे दूसरी दिशा में घुमाया तो दरवाजा फिर खुल गया l पर मुझे यहाँ दोनों का एक साथ अंदर जाना ठीक नहीं लगा तो मैं बोला महाराज ऐसी ही मूर्ति और दरवाजा हमारे पंजाब , दिल्ली और लंदन वाले घर में भी है और उनका भी नक्शा इसी निवास स्थान जैसा ही है आप रुकिए मैं अंदर जाता हूँ अगर मुझे अंदर से अंदर दरवाजा खोलने का रास्ता नहीं मिला तो आप 5 मिनट बाद दुबारा मूर्ति हिला कर दरवाजा खोल देना l

अंदर जा कर मैंने मोबाइल से टोर्च जला कर अंदर देखा तो वहां लाइट के स्विच नज़र आये उन्हें दबाया तो वहां रौशनी हो गयी और नीचे उतरने की सीढिया नज़र आयी मैं नीचे उतर गया आगे दीवार थी ।

वहां एक हैंडल भी था मैंने उसे घुमाया तो कमरे वाला दरवाजा बंद हो गया और सीढ़ियों के अंत में एक दरवाजा खुल गया मैंने उस हैंडल को उल्टा घुमाया तो कमरे का दरवाजा खुल गया और सीढ़ियों के अंत में खुला दरवाजा बंद हो गया । वहीँ मूर्ति के पास एक डायरी और एक चाबी रखी हुई थी

मैंने देखा आगे सब सुरक्षित है तो महाराज को बुला लिया उस डायरी में जो राइटिंग थी उसे भाई महाराज ने पहचान लिया वो लिपि मेरी समझ में नहीं आयी ये डायरी भाई महाराज के दादाजी के दादा जी की थी जिसे भाई महाराज में पढ़ लिया और उसमे सबसे पहले हम दोनों भाइयो का स्वागत किया था और लिखा था यहाँ तक तब पहुंचा जाएगा जब उनके भाई जो उनसे अलग हो विदेश चले गए हैं उनका वंशज इस द्वार को खोल कर अंदर आएगा .

उससे पहले उसके अतिरिक्त इस द्वार को कोई नहीं खोल पायेगा जिसके लिए हमारे कुल गुरु महर्षि बड़े अमर मुनि जी दो दादा गुरु महारिषि अमर मुनि जी की पिताजी और गुरु थे उन्होंने इसे मंत्रो द्वारा अभिरक्षित कर दिया है .. और उन्होंने भविष्यवाणी की थी मैं जब मैं आऊँगा तो परिवार को मिला हुआ शाप समाप्त हो जाएगा और फिर मैं हिमालय में महर्षि से मिलने के बाद यहाँ आऊंगा तो बड़े ही आराम से इस स्थान पर आ जाऊँगा .

उसमे लिखा था इस कमरे में ऊपर के कमरे जैसी तीन मूतिया रखी हैं जिनको घूमाने से तीन अलग अलग रास्ते खुलेंगे l उनमे से एक से वो दरवाजा खुलेगा जिससे हम कमरे से इस तहखाने वाले हाल में आये थे l दुसरे से रास्ता पहले मुख्या भवन के हाल में खुलता है तीसरे से रास्ता से तीसरे भवन के पास खुलता है और उसी से आगे एक रास्ता मैदान के पास बड़े बरगद का पास पेड़ो के झुण्ड में खुलता है और चाबी ऊपर रखी अलमारी की थी ।

मेरे पास मेरे फ़ोन में जो डायरी मुझे अपने दिल्ली वाले घर में मिली थी उसके उस पन्नो की फोटो थी जो मैं लिपि नहीं जानने के कारण से नहीं पढ़ पाया था मैंने वो भी महाराज को पढ़वाई .. और जो लिपि इस डायरी और मेरे दादा की डायरी में थी दोनों बिलकुल एक थी . और दोनों में यही बात लिखी हुई थी.

मुझे लगा चुकी ये एक गुप्त रास्ता है और इसका जिक्र दादाजी की डायरी में है तो सुरक्षित ही होगा मैंने हैंडल घुमा कर कमरे का दरवाजा बंद किया और आगे का दरवाजा खुल गया l हम उस दरवाजे के अंदर गए तो वहां एक शानदार हाल था l जिसमे बहुत सुन्दर सुन्दर लड़कियों की बहुत कामुक मुर्तिया और कामुक अंतरंग चित्र कलाकृतिया लगी हुई थी l और कमरे के अंदर एक शानदार बिस्तर जिसपर आठ से दस लोग आराम से सो सकते थे ।

किनारो पर शानदार आरामदायक सोफे लगे हुए थे l और हाल में एक बड़ा शानदार बाथरूम भी था ।

मेरे मुँह से अनायास निकला?बहुत शानदार" हमारे पूर्वज पूरे रसिक थे ।

पूरा हॉल साउंड प्रूफ था और सुविधाओं से लैस था l उस डायरी में ये भी लिखा था के किस प्रकार से सब दरवाजो को लॉक किया जा सकता था, जिससे कोई भी दरवाजा खोल न सके और साथ ही ये हिदायत भी थी के सुरक्षा की दृष्टि से ये राज गुप्त ही रखा जाए।

हम दोनों हाल की सब लाइट इत्यादि बंद करते हुए और डायरी में बताये गए तरीके से दरवाजे लॉक करके वापिस मेरे कमरे में आ गए ।

हमने वापिस आ कर महाराज के कक्ष में देखा तो वहां ऐसी ही दो मूर्तिया और थी l एक मुख्या भवन की और एक बायीं और थी जो की एक गुप्त रास्ता था जो घर के बाहर ले जाता था मैंने दोनों को घुमाया तो जैसा डायरी में बताया था वैसे दो दरवाजे खुले ।

फिर महराज बोले अब तुम आराम करो बाकी खोज बीन कल करेंगे

मैं अपने कक्ष में आ गया और मुझे एक संदूक दिखा मैंने संदूक को हाथ लगाया तो संदूक खुद ही खुल गया और उसमे एक दूसरी डायरी और एक चाबी रखी हुई थी उसमे ऐसी ही दो मूर्तिया की पेंटिंग बनी हुई थी और एक तीसरे पेज पर चाबी बनी हुई थी चौथे पेज पर नागदेवता का चित्र था जिसमे उनके आगे दूध का कटोरा रखा था और अन्य पूजा सामग्री रखी हुई थी .

चाबी उसकी के साथ रखी अलमारी की थी ।

ये VOLUME 1 यही समाप्त कर रहा हूँ

इसके आगे क्या हुआ अलमारी खोलने के बाद क्या मैंने देखा और आगे क्या हुआ ये पढ़िए VOLUME 2 में 
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#95
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

दावत


PART 01 




मैं अपने कक्ष में आ गया और मुझे एक संदूक दिखा मैंने संदूक को हाथ लगाया तो संदूक खुद ही खुल गया और उसमे एक दूसरी डायरी और एक चाबी रखी हुई थी उसमे ऐसी ही दो मूर्तिया की पेंटिंग बनी हुई थी और एक तीसरे पेज पर चाबी बनी हुई थी चौथे पेज पर नागदेवता का चित्र था जिसमे उनके आगे दूध का कटोरा रखा था और अन्य पूजा सामग्री रखी हुई थी .

दस बज गए थे और मैंने सोचा अब आराम किया जाए मुझे आये हुए १० मिनट से ज्यादा नहीं हुए थे, तभी भाई महाराज ने तीन सुंदर लड़कियों के साथ मेरे कमरे में प्रवेश किया लड़कियों के हाथी में शराब, कुछ अन्य पेय, चॉकलेट फल और मिठाईया थी । उन्हें एक गोल मेज पर व्यवस्थित करने के बाद, महाराजा ने सुंदरियो का मुझसे परिचय कराया. महाराज बोले मेरा भाई मेरे पास पहली बार आया है ख़ास दावत तो होनी चाहिए .


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फिर तीनो सुंदरियों ने बड़ी ही सुन्दर और कामुक तरीके से साडी बाँधी हुई थी और ऊपर बहुत ही छोटी और झीनी चोली पहनी हुई थी और गहने और फूलो से उन्होंने श्रृंगार किया हुआ था . तीनो ने कुछ देर कामुक नृत्य प्रस्तुत किया .

उसके बाद तीनो मुझे घेर कर बैठ गयी और पीने खाने और इन सुंदरियों के साथ बातचीत करने में आधा घंटे बीत गया फिर मैंने उन सुंदरियों के चुंबन किये और उनके स्तनों को महसूस करने लगा . मैं इस मौहौल में कामुक और उत्तेजित हो गया पर मैं इन से संतुष्ट नहीं हुआ और जब मैंने इन सुंदरियों के साथ इससे आगे बढ़ने की कोशिश की, और अपने बल का थोड़ा सा कोमल उपयोग कर अधिक स्वतंत्रता लेने का प्रयास करने पर तीनो सुन्दरिया उठकर कमरे से बाहर चली गईं।

जैसे ही वे चली गयी तो महराज भी उठ खड़े हुए और महाराजा ने जाने से पहले मुझसे कहा कि कुमार चिंता मत करो वे जल्दी ही लौट आएँगी आप इनमे से रात के लिए अपना साथी चुन ले,

मैंने उनसे पूछा कि मैं कितने चुन सकता हूं फिर महराज मुस्कुराते हुए बोले आप चाहे तो तीनो को भी अपने पास रख सकते हैं और फिर कमरे से निकल अपने कक्ष में चले गए .

भाई महराज के जाने के बाद मैं अपने सारे वस्त्र निकाल नग्न हो गया फिर जल्द ही दरवाजा खुला, और लड़कियो ने एक के बाद एक प्रवेश किया और उन्होंने हरे, गुलाबी और नीले रंग को झीनी गाउन पहनी हुई थी जो केवल एक डोरी से उनके बदन ले लिपटी हुई थी झीनी गाउन से उनका सुन्दर नग्न अवस्था का आभास हो रहा था । मेरे विचार से ये ड्रेस उनके शरीर के किसी भी हिस्से को छिपाने के बजाय, उनके आकर्षण को बढ़ा कर दिखा रही थी । उनके लंबे बाल जो उनके कंधों के नीचे गिर रहे थे ने उस गाउन के साथ संयोजन में उनकी सुंदरता को बढ़ाया, इतना कि मैं पूरी तरह से उत्तेजित हो गया, जब तक मैं एक को चुनने के बारे में सोचता तीनो मेरा पास आ गयी । लेकिन चेरी जिसने हरे रंग ही गाउन पहनी हुई थी वो अठारह बर्ष आयु की बेहतरीन सुंदरी थी जिसकी बड़े बड़े गोल सुडोल स्तन थे, पतली कमर विस्तृत कूल्हे, बड़ी सुदृढ़ नितंब थे और सुंदर चेहरा और होंठ थे ने मेरे को अपनी चमकती हुई सबसे गहरी कालेी -नीली आँख मार कर इशारा किया और आकर मेरी गोदी में बैठ गयी और मुझे चुम्बन करने लगी।

जैसे ही वो मेरी गोदी में बैठी बाकी दोनों भी मेरे पास दौड़ी, चली आयी और उसके गाउन को खोलते हुए निकाल कर उसे मेरे साथ लिपट गयी ।

मैंने अन्य सुंदरियों को भी न जाने का संकेत किया ।



[Image: 151.jpg][img=710x0]https://i.ibb.co/BNtLXfD/151.jpg[/img]


मैंने चेरी से कहा कि वह अपने सिर को थोड़ा सा दाईं ओर झुकाए और बस थोड़ा सा मुंह खोले। जैसे ही हम अपने होंठों के मिलन के करीब आए, उसका पूरा शरीर हिल गया। उसी के साथ उसके संपर्क में मेरे होंठ आये , मेरे होंठ उसके होंठ की मालिश करने लगेl वह धीमी गति से और बहुत नरम चुंबन, महसूस कर रही इस सुंदरी के साथ होंठो का मिलन बहुत रोमांचक था। मुझे उसके होंठ करके बहुत अच्छा लगा। मैं अपनी जीभ बाहर लाया और उसके साथ उसके नरम गुलाब की पंखुरियों जैसे होंठों को छुआ और जब मैंने उन्हें बाहर को सहलाया, तो उसने अपने होंठ खुले रखे। जल्द ही उसने अपनी जीभ को वापस वही काम किया। हम एक दूसरे के मुंह, बाहर चुंबन, जीभ को चूमते रहे.

मैं सोफे पर बैठा हुआ था और मेरी बाजू चेरी के स्तनों को दबा रही थी और फिर दूसरी सुंदरी जिसने गुलाबी रंग का गाउन पहना था उसका नाम डेज़ी था उसने अपना गाउन निकाल दिया था और वो भी अपने शरीर को मेरे साथ लता की तरह लिपट गई। तो दूसरी तरफ चेरी भी मुझ से लिपट गयी मैं दो नग्न शरीर के बीच नग्न और सैंडविच की तरह था ।

इस बीच लिली तीसरी सुंदरी जिसने हलके नीले रंग की पोशाक पहनी थी उसने भी अपना गाउन निकाल दिया था और मेरे लंड को पकड़ कर सहला रही थी

मैंने कहा आप तीनो ने आज मुझे एक बहुत बड़ा सरप्राइज दिया है मेरा लंड तब तक पूरा उग्र हो चूका था और पूरे ९० डिग्री पर तन गया था.

कहानी जारी रहेगी
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#96
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

दावत

PART 02




चेरी ने चुम्बन तोडा तो डेज़ी मेरे ऊपर झुकी और मुझे एक बहुत गरमा गर्म लिप किस करि। कुछ देर बाद हमने चुंबन तोड़ दिया फिर चेरी बोली अब लिली की बारी है

उस टिप्पणी के बाद, एक सेकंड के अंदर ही लिली के होठों ने मेरा एक जबरदस्त चुंबन किया ।

फिर मैंने बोलै एक धन्यवाद मेरी तरफ से तुम तीनो का भी होना चाहिए और बारी बारी से तीनो को किश करने लगा । इस बीच चेरी को लिली भी उसी शिद्दत से चूमने लगी । उन चुम्बन करती हुई सुंदरियों के चुम्बन में मैं भी शामिल हो गया।

इस तरह हम चारो ने एक ग्रुप में चुम्बन किया जिसमे हम चारो एक दुसरे के ओंठो को चूस रहे थे।. मैं चेरी और लिली का ऊपर का आधा ओंठ चूस रहा था तो डेज़ी मेरा आधा नीचे का ओंठ चूस रही थी और साथ में लड़किया भी एक दुसरे के ओंठ चूस रही थी और हम चारो की जीभे आपस में मिल रही थी। कुछ पता नहीं किसकी जीभ किसके साथ पेच लड़ा रही थी। हम चारो की आँखे आनंद में बंद थी।

ये बहुत शानदार और अध्भुत अनुभव था।


[Image: 151.jpg]

पता नहीं हम कितनी देर किस करते रहे। मेरे हाथ उनकी पीठ पर फिरते रहे और पीठ से होकर उनके एक स्तन पर पहुँच कर चेरी के दाए स्तन और लीली के बाए स्तन से खेलने लग गए।

मेरे लिए ये जबरदस्त सेक्स की सबसे शानदार शुरुआत है जो एक गर्म किश से शुरू होती है। जिसमे पहले चूमना किश करना, सहलाना, प्यार करना,. मीठी बाते करना एक अच्छे सेक्स का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा हैl इससे सेक्स का पूरा मजा मिलता है।

जब हम सांस लेने के लिए रुके और उन तीनो ने एक दुसरे को देखा और हमने दुबारा एक दुसरे को चूमना शुरू कर दिया और चेरी ने मेरी जांघों को रगड़ते हुए मेरे लंड को पकड़ लिया उसी समय लिली के भी हाथ मेरे अंडकोषों पर चले गए और डेज़ी मेरी छाती पर हाथ फिराने लगी ।

फिर डेजी का हाथ भी नीचे पहुँच गया और मेरी कठोर लंड को सहलाते हुए उसने उसे कस कर पकड़ कर दबोच लिया ।

फिर चेरी ने अपना चुम्बन तोडा और गर्म चुम्बन करते हुए मेरी छाती को अपने हाथो से सहलाते हुए उसने मेरे लंड की अग्रभाग पर चुम्बन किया । उसकी जांघो ने मेरी जांघ को रगड़ा और फिर डेज़ी ने भी चुम्बन छोड़ कर नीचे जा कर मेरे लंड को सहलाते हुए मेरे लंड को चुम्बन किया ।

10 सेकंड के अंदर ही लिली में झुक कर मेरी गर्दन को चूमने और चाटने लगी और मेरे सारे बदन पर तीनो का एक हाथ चल रहा था फिर जब लिली मेरी छाती को चूम और चाट रही थी तो चेरी मुझे लिप किश करने लगी । फिर जहाँ चेरी ने छाती को चूमना रोका वही से लिली मेरी छाती को चूमना और चाटना शुरू कर देती थी और डेज़ी मुझे लिप कस करने लगी इस तरह बारी बारी से वैकल्पिक चुंबन और मुझे चूमना और चाटना चलता रहा और वह तीनो मेरे निप्पलों और मेरे ओंठो को बारी बारी चूमने और चूसने लगी। .ये एक अभूतपूर्व अनुभव था पूरा शरीर कुछ नया अनुभव कर रहा था । एक साथ ओंठो का चुम्बन और छाती के दोनों निप्पल को चुसवाना अलग ही अनुभव था और मेर लंड फुफकार रहा था ।

इसके बाद पता नहीं कब मेरा हाथ एक अलग चूत पर पहुँच गया था और तभी मैंने महसूस किआ कि तीन हाथ मेरे बहुत खड़े हुए लंड और अंडकोषों से खेल रहे थे ।

मैंने शुरू में प्रत्येक चूत को अपने हाथ से सहलाया और फिर उन्हें रगड़ना शुरू कर दिया । जबकि मेरी उंगलियों ने हर एक के अंदर अपना रास्ता ढूंढ लिया। चेरी की चूत के अंदर मेरे एक हाथ की उंगलियाँ थीं, जबकि मेरे दूसरे हाथ की एक उंगलि डेज़ी की चूत के अंदर थीं। इस दौरान हमारी किस चलती रही ।

उनकी चूत पर हाथ फेरने के कुछ ही मिनटों के बाद लिली और डेज़ी ने ने अपनी स्थिति बदल ली और अपने सिर को मेरे पैर की ओर करके बिस्तर पर लेट गईं। और होंठों की एक जोड़ी ने मेरे लंड अपने अंदर ले लिया और नीचे की ओर से उँगलियों से लंड को पकड़ लिया था, जिससे लंड सीधा खड़ा रहे ।

मैंने नीचे देखा और देखा कि लिली मेरा लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी जबकि चेरी ने मेरा लंड और अंडकोषों को पकड़ रखा था। कुछ देर बाद इसी का अनुसरण करते हुए डेज़ी ने मेरा लंड चूसा और चेरी ने मेरा लंड उसके लिए पकड़ा और अंडकोषों को चूसना शुरू कर दिया । इसी तरह लिली और डेज़ी ने कई बार बारी बारी से मेरा लंड चूसा और बीच बीच में चेरी भी मेरा लंड चूसने लगती मैं उन्हें मेरा लंड चूसते हुए देखता रहा ।

फिर उन तीनो ने मेरा लंड अब एकसाथ चूसना शुरू कर दिया । लिली मेरे लंडमुंड को मुँह में दाल कर चूसने लगी और देसी बाकी के खड़े हुए कठोर लंड की पूरी लम्बाई को चूसने लगी और चेरी मेरे अंड़कोश चूसने लगी ।

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फिर उन तीनो ने जगह बदल बदल कर मेरा लंड चूसा . उनका सामंजस्य अद्भुत था । फिर दो ने आधा आधा लंड चूसना शुरू कर दिया । लिली ने दायी और से चूसना शुरू किया और डेज़ी ने बायीं और से चूसना शुरू कर दिया । दोनों ऊपर से शुरू करती फिर लंड पर झीभ फेरते हुए नीचे तक जाती फिर जड़ से वापिस ऊपर तक आती। मैं तो बस जन्नत में था। वही तीसरी लंडमुंड चूस रही थी . उस तरह तीनो लंड चूस रही थी ,, कभी लंडमुंग कभी लंबाई और कभी अंडकोष तीनो जीभ गोल गोल घूमा घूमा कर चूस रही थी .. सच बहुत मजा आ रहा था .

फिर मेरा ध्यान मेरे सर के दोनों और उनकी चूत पर गया जो मेरे मुँह के पास थी । दोनों लड़किया इस तरह से लेटी हुई थी के उनकी चुत मेरे मुँह के बिलकुल पास थी । लिली की चुत बायीं और और डेज़ी की चूत सिर के बाईं ओर थीl मुझे केवल अपना सिर एक तरफ से दूसरी तरफ मोड़ना था और मेरा मुंह लिली और डेज़ी की चूत पर टिका कर उन्हें बारी बारी चूसने लगा । मैं पहले एक चूत को चूसता और चाटता था फिर सर घुमा कर दूसरी को चूसने और चाटने लगता ।

मैं कई बार आगे पीछे होकर लिली और डेज़ी की चुत को बारी बारी चूमता चूसता रहा । मैं उनकी चुत की पूरी लम्बाई और गहराई में अपनी जीभ चला रहा था । मैंने जीभ से उनकी चुत की गहराई की जांच करि ।

बीच मैं कभी-कभी उनकी चूत के दाने को भी चूसना शुरू कर देता और फिर उनकी योनि के बाहरी होठों की पूरी लंबाई को अपने मुँह में लेकर चूसता और फिर अचानक अपनी जीभ को जितना हो सके उनकी योनि की गहराइयों में घुसा देता था ।

उधर चेरी मेरा लंड चूस रही थी और लंड चूसते चूसते चेरी मेरे ऊपर चढ़ गयी ...और मेरे गले में बाहें डालकर , अपनी गांड को मेरी जाँघों पर मसलने लगी ..

चेरी का शरीर गोरा चिकना और भरा हुआ था मैंने अपने हाथ आगे करके चेरी के स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें बेदर्दी से दबाने लगा और दुसरे हाथ से उसकी गांड को मसलने लगा .
मैंने अपने हाथों की उँगलियों में चेरी के निप्पल भर लिए , वो इतने बड़े और मुलायम थे मानो अंगूर , उनमे से रस निकल कर जैसे बाहर बह रहा था ..

हम फिर से बैठ गए, चेरी मेरी गोद में बैठी गयी। वह मेरे नग्न शरीर के साथ चिपक गयी . मैंने चेरी को अपने गले से लगा कर उसके मुम्मो को अपनी छाती से दबा कर पीस दिया ...वो भी सिसक कर अपनी छातियों को मेरे सीने से लगकर मसलने लगी .. उसके फर्म स्तन मेरे स्तन से चिपक गए , उसने अपना हाथ मेरी गर्दन में डाल दिया और उसने अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठो से चिपका कर गर्म चुंबन करने लगी .


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मैंने टेबल पर से गिलास उठाया और शैम्पेन का घूँट मुँह में भरा और चेरी को अपनी तरफ खींचकर उसके होंठों से होंठ लगा कर वो भी उसके मुंह में डाल दी ..चेरी उस को पी गयी, और मेरे होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी. वो गहरी साँसे लेती हुईमेरे ओंठो और चेहरे को नशे की वजह से चूमे जा रही थी,

उधर मेरे छोटे शैतान ने पूरा उग्र रूप धारण कर लिया था और चेर्री ने अपनी जांघों को अलग कर दिया, और उसने अपना हाथ डाल कर मेरा लंड पकड़ लीया और अपने योनि पर रगते हुए अपना छेद को खोजा और उसमे लंडमुंड को फसाया और उचक कर ऊपर हुई और अपनी योनी के मोटे रसदार होंठों के बीच डाल दिया.

चेरी ने अपनी लम्बी जीभ निकाली और मेरे गले से लेकर ऊपर की तरफ चाटना करनी शुरू कर दीया ..उसकी गीली जीभ अपना गीलापन छोडती हुई जा रही थी . चेरी की नंगी छातियाँ मेरे सीने चिपकी हुई थी मैंने भी अपनी जीभ निकाली और चेरी के कंधो पर रगड़ने लगा और फिर चाटने लगा और चेरी के जिस्म का नमक चखने लगा .

अपने ऊपर हो रहे तींतरफा हमले से चेरी छटपटाने लगी ..वैसे ही उसकी चूत अपना रस छोड़ कर मेरे लंड को गीला कर रही थी और वो सिस्कारिया मारने लगी

उह आह उफ्फफ्फ्फ़ उसके मुंह से बाहर निकलने लगे .. आगे का काम चेरी ने लिया ..अपने शरीर को नीचे की तरफ एक जोरदार झटका दिया ..और मेरा लंड पूरा का पूरा अपने अन्दर घुसेड लिया ...

"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म .....ओघ्ह्ह्ह्ह .... ...अह्ह्ह ..चोदो मुझे ....अह्ह्ह ....जोर से ....हां ..."

में फिर तेजी से अपने काम में लग गया ..और उसकी चूत के अन्दर अपने लंड के झटके दे देकर उसे बुरी तरह से चोदने लगा ..


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इस बीच लीलय और डेज़ी खाली नहीं थी .. पहले तो वो दोनों एक दुसरे को चूमने और छटने लगी रही फिर कुछ दे बाद लिली मेरी पीठ की तरफ आ गयी और मेरी पीठ की अपर से नीचे तक चाटने और चूमने लगी और यही काम डेज़ी चेर्री के साथ करने लगी और साथ साथ उसके स्तनों को दबाने लगी

चेरी अह्ह्ह अह्ह्ह उफ्फ्फ उफ्फ्फ उम्म्म ....उम्म्म अह्ह्ह्ह्ह ...उफ्फ्फ्फ़ उफ्फ्फ ..... " कर रही थी

अह्ह्ह्ह्ह्ह ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मर्र्र गयी ....अह्ह्ह्ह .....बहुत मजा आ रहा है ....हाँ ....ऐसे ही ...ओह्ह्ह जोर से करो तेज करो ... ओह्ह्ह्हह्हह .....मैं तो गयी ....अह्ह्ह्ह ...."

और वो झड़ने के बाद मेरे ऊपर गिर गयी ...

उसकी झड़ते ही लिली ने उसको हटाया और मेरे ऊपर आ गयी और तेजी से ऊपर नीचे होने लगी और जल्द ही झङ् गयी .. और उसके झड़ने के बाद डेज़ी ने मुझे लित्य दिया

मैं अभी भी अपनी पीठ पर था और मेरे लंड की पूरी लंबाई डेज़ी के मुँह में थी। उसके बाद डेज़ी ने मेरे लंड को अपने मुंह से निकाला, मेरे कूल्हों के दोनों ओर एक एक पैर करते हुए खुद को खड़ा किया और और फिर नीचे बैठते हुए उसने मेरा लंड अपनी चूत के द्वार पर लगा दिया। जब उसने खुद को मेरे लंड पर उतारा तो उसकी चुत मेरे लंड को पूरा निगल गयी। डेज़ी की चूत अब पूरी तरह से मेरे लंड के चारों ओर लिपटी हुई थी।

मैंने महसूस किया डेज़ी की चूत बहुत टाइट थी वो भी मेरे लंड को अपने अंदर लेने के एहसास को महसूस कर मजे ले रही थी वो कुछ देर तक वो ऊपर नीचे होती रहीl इस तरह चोदने का आनंद लेने के बाद मैं भी उससे मिलने के लिए नीचे से अपने चूतड़ उठा कर जोर लगाने लगाl जब भी उसकी चूत नीचे आती थी. मैं भी धक्का ऊपर को लगा देता था. जिससे उसकी आह निकल जाती थी । फिर तो हम रिदम में ताल से ताल मिला कर चुदाई करने लगे जब मैं इस तरह डेज़ी को चोद रहा था. तो चेरी उठ कर मेरे अंडकोष चूसने लगी और लिली मेरे ओंठ चूसने लगी . इस तरह से मैंने डेज़ी को काफी देर तक चोदा।

फिर चेरी उठी और मेरे लैंड को नीचे आकर मेरे अंडकोषों को चूमने लगी, और साथ के साथ जब डेज़ी ऊपर होती तो वो मेरे लंड को भी चूमने लगी और बीच बीच में चेरी की चूत को भी चूम लेती थीl इस तरह से डेज़ी की चुदाई का मजा दोगुना हो गया और इस बीच मैं उसके स्तनों से खेलता रहा और लिली आगे से डेज़ी के स्तनों को चूसने लगी

उसके बाद मैंने और डेज़ी ने कस कस कर लम्बे लम्बे शॉट लगाए जिससे हमारा पूरा बदन हिल जाता था और हर शॉट के साथ उसकी एक जोरदार आह निकलती थीl

इस जबरदस्त चुदाई से हम दोनों एक साथ ही चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए। मैं इस जबरदस्त चुदाई के कारण हो रही डेज़ी के शरीर की प्रतिक्रिया को महसूस कर रहा था क्योंकि उसका शरीर कांपने लगा वह एक जबरदस्त ओर्गास्म अनुभव कर रही थीl उसने मेरे लंड को अपने अमृत से पूरा नहला दिया। लगभग उसी के साथ डेज़ी ने जोर से चिल्लाना शुरू किया उस कम्पन भरी चिल्लाहट से दो घंटे से ज्यादा देर से उत्तेजित मैंनेी डेज़ी की चूत से लंड बाहर निकाल लिया और में बड़ी भारी मात्रा में लावे का विस्फोट कर दिया और मेरे लावे को चेरी चाट गयी और फिर उसने उसे मेरा वीर्य डेज़ी और लिली को भी चटाया . उसकी कसी हुई चूत के कारण डेज़ी ने मुझे चुदाई का भरपुर मजा दिया ।

हम दोनों कुछ देर तक हम चाओ बिस्तर पर लेट कर चूमते सहलाते रहे , तीनो मुझे पकड़ कर आलिंगन करती रही और हम चुंबन का आदान-प्रदान करते रही फिर चारो साथ में चिपक कर सो गए। ।


कहानी जारी रहेगी
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#97
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 03


प्रातः काल भ्रमण




सुबह हुई और मैं सुबह तड़के ही उठ गया तो देखा मैं नंगा ही अकेला सो रहा था और तीनो लड़किया लिली चेरी और डेज़ी पता नहीं कब उठ कर चली गयी थी मैंने दरवाजा खोला तो अभी भोर नहीं हुई थी और बहुत मीठी और ठंडी हवा चल रही थी .. मेरा मन इस मौसम में घूमने का हुआ . अंदर से लगा जंगल में जा कर घूम कर आना चाहिए और मंदिर में पूजन दर्शन भी कर लेता हूँ फिर मुझे ध्यान आया की महर्षि अमर मुनि गुरूजी ने जो पांच कार्य सुबह सुबह करने को कहे थे वो भी तो करने होंगे ..

वहां देखा तो वहां एक मेज पर एक थैला पड़ा था मैंने उसे खोला तो उसमे महर्षि अमर मुनि गुरूजी की आज्ञा अनुसार विधि पूर्वक पूजन करने के लिए दूध और दही गऊ के लिए रोटी, चींटी के लिए आटा और अनाज दाल , पक्षियों के लिए अनाज और आटे की गोली और कुछ रोटी घी और -चीनी रखी हुई थी और साथ ही में एक टोर्च , एक बोतल पानी भी रखा हुआ था .


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मुझे बहुत अच्छा लगा की महर्षि अमर मुनि गुरूजी के आदेश अनुसार सभी चीजों को प्राप्त व्यवस्था की गयी है और मैंने मंदिर जाने का निश्चय कर लिया फिर मैं हाथ मुंह धोकर कपडे पहने और जेब में पर्स मोबाइल इत्यादि रखा और सैर करने जंगल की तरफ निकला तो बाहर दो सुरक्षा कर्मी थी जिन्हे मेरी सुरक्षा के लिए नियुक्त किया गया था . वो मेरे पीछे आने लगे तो मैंने उन्हें कहा जब तब मुझे कोई खतरा न हो वो वो मुझसे दूरी बना कर रखे ..

जब में अपने कक्ष से निकला तो सबसे पहले उद्यान के पास से निकला तो वहां बड़े सुन्दर फूल घास पर बिखरे हुए थे ,, मैंने फूल चुने और उन्हें थैले में रख लिया की इन्हे पूजा करते हुए मंदिर में अर्पण करूंगा .

आगे मेरी उसकी नजर आम और जामुन के पेड़ो पर पड़ी वहां आम और जामुन के बहुत बड़े पेड़ थे जिसपे फल लगे हुए थे उसपे चढ़ना तो मेरे बस का नहीं था जब मैं मैं उन पेड़ो के करीब गया वहां मैंने देखा कि पेड़ के नीचे कुछ पके हुए मीठे फल गिरे हुए हैं। मैंने एक फल चखा तो उसका स्वाद बहुत मीठा और अनोखा सा था उन फलो को मैं जल्दी-जल्दी चुन कर रुमाल में बाँध कर थैले में डाल लिया और वहां से आगे बढ़ गया ।

मंदिर के पाद पहुंचा तो मंदिर अभी खुला नहीं था .. मैंने बाहर से ही प्रणाम किया और मैंने सोचा थोड़ी सैर कर लेता हूँ फिर वापसी पर पूजा कर लूँगा .. और आगे बढ़ गया ..

आगे रास्ते में एक बहेलिया ( शिकारी ) मिला उसने कुछ तोते पकड़ कर पिंजरे में बंद कर रखे थे .. मैंने उसे बोला इन पक्षियों का क्या करोगे तो उसने बोला इन्हे बेचूंगा .... मैंने उसे बोला ये पक्षी मुझे दे दो .. तो उसने बोलै इनका दाम दो तभी दूंगा .. तो मैंने अपना पर्स निकाल कर उसने जितने पैसे कहे उतने उसे दे दिए और उसे बोला वो पक्षियों को पकड़ना और मारना छोड़ दे मैं उसे कोई काम दिला दूंगा .. पक्षी आज़ाद उसदे हुए ही ज्यादा अच्छे लगते हैं .. और मैंने उन पक्षियों को आज़ाद कर दिया . और मैंने उस बहेलिये को दिन में हमारे महाराज के ऑफिस आने को बोला जहाँ उसे काम मैं दिलवा दूंगा और उसे निशानी के तौर पर अपना कार्ड दे दिया .. मैंने कहा वहां ऑफिस में ये कार्ड दिखा देना तुम्हे काम मिल जाएगा .

आगे गया तो वहां एक कुटिया नज़र आयी जिसके बाहर पेड़ के नीचे बैठने की जगह बनी हुई थी और उसपे एक साधु बाबा अकेले बैठे आँखे बंद किए साधना कर रहे थे।

मैं जाते जाते रुक गया और थोड़ी देर खड़ा रहकर बाबा को देखने लगा। फिर बाबा उठे और अपनी कुटिया में चले गए मैं वहां गया तो देखा की साधू बाबा जिस जगह बैठे हैं वो जगह काफी गंदी है और वहा कीड़े मकोड़े भी थे । मैंने वहां पड़ी कुछ पत्तिया उठायी और साधु बाबा के बैठने की जगह पर झाड़ू मार कर उसे साफ़ किया और वहां पर कुछ नर्म और आरामदायक पत्तिया बिछा दी ताकि वहाँ बाबा आराम से बैठ सके।

मैंने देखा साधू बाबा तब तक बाहर आ गए थे और थोड़ी ही दूर पर खड़े मेरी सारी हरकतें देख रहे थे।

उनके होठों पर एक मुस्कुराहट आ गई सफाई करने के बाद मैंने कुछ हरी पत्तियों पर जो मैं फल चुन कर लाया था सजा दिए और साधु बाबा को बोला बाबा लीजिए बाबा मुझे रास्ते से आते आते ये फल मिले हैं अब आप यहाँ आ जाईये और ये मीठे फल खा लीजिये ये बहुत मीठे फल हैं बाबा ।

बाबा बोले तुम्हे पहले कभी नहीं देखा . कौन हो तुम ?

बाबा मैं महाराज हरमोहिंदर का चचेरा भाई हूँ कल ही यहाँ आया हूँ बाबा

बाबा मैं जानता हूँ तुम्हारा नाम दीपक हैं यहां जंगल में क्या करने आये हो ?

मैं अपना नाम सुन कर चौंका मैंने बोला बाबा आप तो सब जानते हो फिर भी मुझ से सुनना चाहते हो इसलिए मैंने उनको सारी बात बता दी..



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बाबा मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखते हुए बोले क्या तुमने कुछ खाया है?

मैंने ना मे सिर हिला दिया और बोलै बस बाबा ये फल चखा था बहुत मीठा है आ आप भी खा लीजिये

बाबा ने एक फल मेरे हाथ से लिया और खा कर बोले सच में बहुत मीठा है !

और जूठा फल मुझे दे दिया मैं हिचका तो बाबा बोले तुम इसे प्रसाद समझ कर खाओ ..

मैंने वो फल खाया उसके बाद बाबा ने मेरा दाहिना हाथ पकड़ लिया और अपनी आंखें बंद करके ध्यान करने लगे .. तो मुझे अपने अंदर एक अजीब सी ताकत और तरंगे महसूस हुई मुझे लग रहा था जैसे बाबा से कुछ तरंगे मेरे अंदर आ रही थी और उनके मन में चल रहा जाप मुझे स्पष्ट सुनाई दे रहा था । ये बहुत ही दिव्य और अनोखा एहसास था मुझे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है???

मेरी आंखें खुल नहीं पा रही थी और ताकत और बेचैनी महसूस हो रही थी और बहुत विचित्र समझ में ना आने वाली दिव्य ज्ञान की बाते बहुत तेजी से मेरे दिल और दिमाग में समा रही थी ।



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इस कुछ देर बाद मेरी बंद आँखों में ऐसा लग रहा था जैसे मैं बहुत तेजी से एक अनजान गुफा में जिसमे मुझे हल्का सा प्रकाश नजर आ रहा था उसकी तरफ मैं तेजी से जा रहा था .. या यु कहीये मैं उड़ कर उस प्रकाश ही तरफ जा रहा था .. और बाबा की आवाज गूंज रही थी और प्रकाश ही प्रकाश दिख रहा था . जिसमे में भी उसी प्रकाश में खो गया और मेरा दिमाग और मन जैसे रोशन हो गया था ।

मेरा मन एक दम शांत हो गया और मैंने मन में ही बाबा से पुछा बाबा ये क्या है बाबा ये मुझे क्या हो रहा है मुझे बंद आँखो से ये क्या क्या नजर आ रहा है। मुझे इतना भारी क्यों लग रहा है?

बाबा बोले बेटा तुम जन्म से ही दिव्य शक्तियों के मालिक हो यहाँ मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा था मेरे गुरु दादा गुरु महर्षि अमर मुनि ने मुझे यहाँ तुम्हारे लिए ही भेजा है तुम्हारे अंदर की दिव्य शक्तिया अभी तक सोई हुई थी उनके जागने का समय आ गया है और जो शक्तियों मैंने तुम्हे दी हैं वो तुम्हारे अंदर की उन दिव्य शकितयों को जगा देंगी और तुम्हे जो और शकितया शीघ्र ही मिलने वाली हैं तुम उन्हें भी संभाल पाओगे . और भी कई दिव्य शक्तिया तुम्हारे अंदर हैं पुत्र जो समय और साधना के साथ साथ बढ़ती, निखरती और सवरती जाएंगी। अब तुम योगासन , प्रणाम और ध्यान किया करो और उन्होंने मुझे योगासन , प्रणाम और ध्यान का ज्ञान दिया और उसी अवस्था में सब सीखा भी दिया

इन शक्तियों के कारण तुम्हारी शरीरिक और दिव्य आत्मिक ताकतों में भी बढ़ोतरी होगी ।



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हर ताकत मिलने से पहले वो दिव्य शक्तिया तुम्हारी परीक्षा लेंगी जिनमे तुम्हे उत्तीर्ण होना होगा और उसमे सहायक होगा तुम्हारा सरल स्वाभाव और तुम्हारे अंदर दूसरो की मदद करने का भाव . इनकी ही सहायता से तुम हर परीक्षा में उत्तीर्ण हो अपनी सभी पूर्व जन्मो में अर्जित दिव्य शक्तियों को पुनः प्राप्त कर लोगो .

आज भी तुम्हारी उस बहेलिये के रूप में एक देव ने तुम्हारी परीक्षा ली थी जिसमे तुम अपनी सात्विक शक्तियों और स्वभाव के कारण उत्तीर्ण हुए हो . और आगे उनसे तुम्हे उनसे शीघ्र ही दिव्या शक्ति प्राप्त होगी .

तुम्हारे शरीर से एक ऐसी दिव्य सुगंध निकलती है जिसकी वजह से बहुत सारे लोग तुमसे आकर्षित होते हैं और इसी आकर्षण के कारण तुम ने अभी तक महसूस किया होगा जो तुमसे मिलता है वो तुम्हारा ही हो जाता है . और तुम्हे ये बाते गुप्त ही रखनी होंगी

गुरुदेव समय समय पर तुम्हारी सहायता करते रहेंगे .. जय गुरुदेव . जय महादेव ॐ शांति कह कर ग साधु बाबा ने आँखे खोल di. मैंने उनके चरणों में गिर कर उन्हें प्रणाम किया ..
उन्हें ने मुझे आशीर्वाद दिया और बोलै इन दिव्य शक्तियों का प्रयोग सोच समझकर और किसी की मदद करने के लिए ही करना। पुत्र इनका गलत प्रयोग से हमेशा परहेज करना ...

और इन शक्तियों से घबराना मत ये तुझे कभी कोई हानि नहीं पहुंचाएंगी पर इनके प्रदर्शन करने से भी हमेशा बचना लोगों के सामने अपनी इन शक्तियों का दिखावा मत करना ।
कुछ दिन तुझे अपनी इन शक्तियों की वजह से थोड़ा अजीब जरूर लगेगा लेकिन बाद मे तुम्हे इन की आदत पड़ जाएगी।

और वो बोले अब जाओ कुमार अपनी प्रातः काल की भ्रमण पूरा करो .

कहानी जारी रहेगी
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#98
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 04


घायल वृद्ध 



उसके बाद मैं भ्रमण के लिए आगे निकल गया तो कुछ दूर जाने पर काली चींटिया नज़र आयी तो मैंने देखा एक जगह से बहुत सारी चींटिया निकल रही थी तो मैंने उधर आटा डाला .. थोड़ा आगे गया तो देखा वहां पानी की एक छोटी सी धारा बह रही थी . जो दूसरी तरफ जा रही थी अचानक उसमे पानी बढ़ने लगा और लगा तो ये धारा अब बह कर उसी चींटियों के घर की तरफ जायेगी जिससे उन चींटोयो को खतरा हो सकता है तो मैंने वहां पर थोड़ी सी मिटटी और पत्थर के टुकड़े इकठे करके बाँध सा बना दिया जिससे पानी उधर न जा पाए और चींटियों का घर सुरक्षित रहे . मैंने फिर पानी में हाथ धोये और एक अंजुली भर कर पानी पिया तो पानी साफ़ था और काफी ठंडा और मीठा था .

मैंने थोड़ा आगे ए मुझे वहां एक छोटा सा तालाब नज़र आया और उसने तैरती हुई मछलिया नज़र आयी तो मैंने तालाब में अपने साथ लायी हुई आटे की गोलिया उस तालाब में में डाल दी .

फिर आगे गया तो वहां जंगल काफी घना हो गया जिसके कारण अँधेरा भी घना हो गया और बादलों ने चाँद को ढक लिया । कभी-कभी बादलों और पेड़ो के बीच से छन्न कर चाँद की चांदनी में सब कुछ रोशन हो जाता था । कच्चेी पगडण्डी काफी लम्बी लग रही थी और वहां जानवरों की आवाज़ के आ रही थी मैंने टोर्च जला ली थी

चाँद की रौशनी में पगडण्डी के किनारे मुझे एक ढेर के जैसा कुछ नज़र आया दूर से यह किसी प्रकार के घायल जानवर की तरह लग रहा था लेकिन चांदनी में मुझे लगा किसी शिकारी या जानवर ने किसी अन्य जानवर को पकड़ लिया था और शिकार हो गया था और मैंने वहां पर टार्च की रोशनी फेंकी जिससे वो ढेर हिलने लगा ।


मैंने टोर्च के प्रकाश को चारों ओर फेंक कर ये सुनिश्चित किया की आसपास कोई जानवर या मानव हमलावर तो छिपा हुआ नहीं है जब मुझे सब सुरक्धित लगा तो मैं आगे बढ़ा और उस ढेर के पास पहुंचा, साथ ही साथ अपनी आंखों को तेजी से बाईं और दाईं ओर घुमाते हुए, सभी दिशाओं को स्कैन करते हुए मामूली संकेतों की तलाश की की कोई और तो वहां नहीं है । ढेर में मुझे धूल से ढका किसी इंसान का चेहरा दिखाई दिया जो खून से लथपथ था . सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि वह जीवित था और उसके होठों से कराह निकल रही थी।



[img=475x0]https://i.ibb.co/QPgmKsP/ACCID1.jpg[/img]

मैंने अपनी टोर्च से प्रकाशित क्षेत्र की परिधि यह सोचकर को स्कैन किया कि क्या यह एक जाल हो सकता है, दोस्तों से कहानियाँ सुनी थीं और उसे कई मौकों पर सिक्युरिटी बल के द्वारा भी चेतावनी दी गई थी, इस तरह की स्थिति में रुकें नहीं क्योंकि ये एक जाल हो सकता है जिसमे बदमाश लोग जो इसके साथी हो सकते हैं झपट्टा मारने के लिए झाड़ी में छिपे हमला कर सकते हैं। मुझे कुछ भी संदिग्ध नहीं लगा तो मैंने फैसला किया कि मैं इस जंगल में एक घायल इंसान को ऐसे नहीं छोड़ सकता। मैं सहज रूप से जानता था कि अगर मैं चला गया, तो पगडण्डी के किनारे वह इंसान मर सकता है और यह मेरे विवेक पर हमेशा के लिए एक भार होगा और फिर डॉक्टर होने के नाते मेरा कर्तव्य था इस इंसान की मदद करना और उसे इलाज देना ।

मैंने अपनी पानी की बोतल निकाल ली, और पगडण्डी के किनारे निष्क्रिय पड़े हुए घायल के पास गया, उसका सिर एक कोहनी पर टिका हुआ था मैं घायल व्यक्ति को अर्ध-बैठने की स्थिति में सहारा देने के लिए उसके नीचे अपना हाथ ले गया और उसके फटे और सूखे होंठों पर अपनी बोतल से थोड़ा सा पानी डाला।

करीब से देखने पर मुझे पता चला कि उस घायल के पैर स्पष्ट रूप से टूटे गए थे और उसका कई अलग-अलग जगहों से बुरी तरह से खून बह रहा था, मैंने अपने मन में आकलन किया ये इंसान बुरी तरह घायल और बहुत गंभीर स्थिति में था। मैंने तुरंत फैसला किया कि उसे जल्द से जल्द अस्पताल ले जाना चाहिए और उस समय मुझे इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि उस आदमी को और कौन सी चोटें लगी हुई है जो मैं देख नहीं पाया था और यदि मैं उसे उठाता तो उसे और नुकसान होने का भी डर था



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मुझे याद आया कि मैंने अपने टॉर्च बैग में कुछ जीवन रक्षक होम्योपैथिक दवाएं और आयुर्वेदिक जीवन रक्षक दवाएं रखी थीं जो मैंने एक डॉक्टर होने के नाते उनके मुँह में उनकी जान बचाने ले लिए डाल दी मैंने तुरंत मेरे पीछे आ रहे मेरे सुरक्षा दोनों गार्डों को बुलाया और दो लकड़ी के टुकड़े लाने के लिए जिससे स्ट्रेचर बनाया जा सके और मैंने फुर्ती से अपना कुर्ता और पायजामा निकाल दिया।

मैंने इस बीच उस बूढ़े आदमी से बात की और पूछा कि उसे और कहाँ दर्द है, चोट लगने से घायल और खून बहने से कमजोर हो चुके उस वृद्ध व्यक्ति ने मेरी आँखों में देखा और बोलने की व्यर्थ कोशिश की, फिर अचानक गहरी सांस लेते हुए वो घायल व्यक्ति कराह उठा और बेहोश हो गया।

मैंने चारों ओर देखा और गार्ड से चाकू ले कर पास के पेड़ की मोटी छाल की निकाला और उसे टूटे हुए अंगों के साथ रखा, उन्हें स्थिर करते हुए जंगल से लताये काट कर उनसे उस छाल की बाँध दिया और वृद्ध के घायल पैरों को स्थिर किया ।

इस बीच वो दोनों सुरक्षा कर्मी दो लकड़ी के टुकड़े ले लाए और मैंने मेरे कपड़ों का उपयोग करके जल्दी से एक स्ट्रेचर बनाया और बूढ़े को स्ट्रेचर पर लिटा दिया, उसे उठाया और वापस महल की ओर दौड़ पड़े। इसी बीच मैंने अपनी सचिव हेमा को फोन किया और उन्हें जल्दी से जंगल की ओर एम्बुलेंस भेजने के लिए कहा। अगले कुछ मिनटों में एम्बुलेंस आ गई और अस्पताल पहुंच कर उस घायल को आपातकाल हताहत विभाग में ले गया ।

मुझे ये स्पष्ट था कि बूढ़ा बहुत बुरी तरह से घायल हो गया था और मैंने अस्पताल में मरीज के इलाज के लिए स्वेच्छा से भुगतान किया और अपना परिचय दिया ताकि बूढ़े व्यक्ति को जल्दी से इलाज मिल सके। मैंने तुरंत अपना सारा विवरण अस्पताल को दिया और उन्हें बताया कि मैं एक डॉक्टर हूं फिर मैंने रोगी की जांच की और पाया कि वह बुरी तरह से घायल था .




[img=710x0]https://i.ibb.co/g3Z4fPK/INJ2.jpg[/img]

जब अस्प्ताल के कर्मचारियों ने पूछा "क्या हम आपका पता जान सकते हैं? हमें सिक्युरिटी के लिए इसकी आवश्यकता पड़ेगी । ये घायल आपको कहां और कब मिले, इसके बारे में सिक्युरिटी आपसे जानना चाहेगी मुझे पता था इस प्रकार के विवरण सभी अस्पताल लेते हैं ताकि अस्पताल में मरीज के इलाज के लिए भुगतान होने के बारे में पता चले । उस समय ड्यूटी पर कोई डॉक्टर नहीं था और ड्यूटी पर मौजूद कर्मचारियों ने अपनी चिंता व्यक्त की "रोगी एक गंभीर स्थिति में लग रहा है और यह कि आपके दवरा किये गए उन सभी प्रयासों और सहायता के बावजूद मामले की वास्तविकता यह है कि मरीज का बचना काफी कठिन है ।"

मैंने नर्स से कहा मैं एक होमेओपेथिक ही सही पर एक डॉक्टर हूँ कि मैंने उसे कुछ जीवन रक्षक दवाएं दी हैं और उससे कहा कि मैं महाराजा का रिश्तेदार हूं। यह सुनकर चीजें बहुत तेजी से आगे बढ़ने लगीं और जल्दी ही भाई महाराजा भी डॉक्टरों की एक टीम के साथ अस्पताल पहुंचे और अस्पताल के ड्यूटी डॉक्टर भी आ गए और वो लोग मरीज को तुरत ऑपरेशन थिएटर में ले गए ।

महाराज मुझे घर वापिस ले आये और घर पहुँचकर उन्हों में मुझे जंगल में इस तरह जाने के लिए डांटा और मैं उन्हें ये नहीं समझा सका कि मैं ऐसे समय एक अनजान जगह में जंगल में क्यों गया । उन्हों में मुझे बोला तुमने ऐसी मूर्खता क्यों की क्या तुम्हे नहीं मालूम ऐसे समय में मेरी हत्या आसानी से की जा सकती थी। पर मुझे खुशी थी मैं इस समय साधू बाबा से मिल पाया और एक घायल आदमी की मदद कर पाया जो वह पता नहीं कितनी देर से घायल पड़ा था और मुझेे उसकी सहायता करने के लिए चुना था .

कुछ घंटों के बाद मैंने अस्पताल को फोन किया और बूढ़े आदमी के स्वास्थ्य के बारे में पूछताछ की, जिसके लिए मेरी अपनी जान जोखिम में पड़ सकती थी और मैंने बोलै वो बजुर्ग जो बुरी तरह से घायल थे और जिन्हे मैं आज सुबह ही अस्पताल लाया था, तब अस्पताल ने मुझे बताया कि रोगी जीवित था लेकिन उसकी हालत बहुत अच्छी नहीं है वो बार बार बेहोश हो रहा है और होश में, आने पर वह मरीज मेरे बारे में पूछ रहा था।

अस्पताल के कर्मचारियों ने कहा, "हमें पता है, आपने पहले ही बूढ़े व्यक्ति की सहायता करने के लिए बहुत कुछ किया है लेकिन हम चाहते हैं कि आप अस्पताल में आएं और उस मरते हुए व्यक्ति को आपके आने से शान्ति मिलेगी ।" अनिच्छा से मैं अस्पताल जाने के लिए सहमत हो गया उस बूढ़े व्यक्ति से मिलने के लिए अस्पताल चला गया।

अस्पताल पहुंचकर मैंने तुरंत ड्यूटी रिसेप्शनिस्ट को बताया कि मैं कौन हूँ तो मुझे तुरंत गहन चिकित्सा इकाई (ICU. ) में ले जाया गया । बूढ़ा आदमी पैरो पर प्लास्टर के साथ बिस्तर पर लेटा हुआ था अभी बेहोश था और उसकी सांस उथली थी और एक ऑक्सीजन मास्क उसे लगा हुआ था । उसके सिर पर पट्टी बंधी हुई थी, उसके चेहरे और शरीर के अन्य घावों को सिल दिया गया था, लेकिन उसका रंग पीला हो गया था और ऐसा लग रहा था को वह ज्यादा देर जीवित नहीं रहेगा।

उसके माथे और बाजुओं पर नाग बना हुआ था मैंने नर्सिंग स्टाफ पुछा "इनके ठीक होने की क्या संभावना है?" उन्होंने गंभीरता से नक्कारात्मक सिर हिलाया।

ड्यूटी पर तैनात नर्स ने मुझे बताया की ये काफी समय ऑपरेशन थिएटर में रहे है और डॉक्टरों ने जितना संभव हो सका कर दिया है, लेकिन इन्हे काफी चोटे लगी हैं जिनका इलाज अभी भी किया जाना है, इलाज उनकी खराब स्थिति के कारण स्थगित करना पड़ा था क्योंकि उसके लिए इन्हे मूर्छित करना होगा और इनकी हालत ऐसी लग रही है की फिर इन्हे होश में लाना काफी मुश्किल हो जाएगा .

इतने में वहां डॉक्टर आ गए और बोले हम इनकी चोटे देख आश्चर्यचकित हैं कि ये अब तक जीवित हैं. इनकी चोटें इतनी खराब और गहरी हैं जिनसे लंबी अवधि के लिए रक्त स्राव होने के कारण इनका काफ़ी रक्त बह चूका है और ऐसी चोटों से तो अब तक एक मजबूत स्वस्थ आदमी की भी मौत हो चुकी होती ।" हमारे राय से किसी जानवर ने इनपे हमला किया था.

फिर मैंने उससे कहा कि मैंने इन्हे जंगल में कुछ प्रारंभिक उपचार दिया है और कुछ जीवन रक्षक दवाएं दी हैं जो मैं हमेशा अपने साथ रखता हूं। यह सुनकर नर्स ने कहा कि शायद यही कारण है कि मरीज अब तक जीवित है ।

मैं सोच ही रहा था की क्या ये बूढ़ा आदमी अब होश में आएगा, उससे बात करने की बात तो दूर, मैं बैठ कर उन्हें देख रहा था डॉक्टर ने मुझे मरीज को प्राथमिक चिकित्सा और कुछ जीवन रक्षक दवाएं देने के लिए धन्यवाद दिया और उसने डॉक्टर को मुझे धन्यवाद देते सुना मैंने डॉक्टर से पुछा क्या मैं इन्हे अपनी दवाये और दे सकता हूँ तो डॉक्टर बोले इसमें कोई बुराई नहीं है

मैंने भी कहा डॉक्टर साहब आपने जो किया है उसके लिए आपका बहूत धन्यवाद पर शायद मेरी दवाओं से इन्हे कुछ फायदा हो जाए तो डॉक्टर बोले इसमें कोई बुराई नहीं है . मेडिकल साइंस में अभी बहुत से पहेलियाँ अनसुलझी हुई हैं और डॉक्टर फिर चले गए ।

उनके जाते ही मरीज ने आँखे खोल दी ,मैंने अपने बैग से निकाल कर उस मरीज को कुछ और दवाये दी फिर उसने धीरे-धीरे अपना हाथ उठाया और अपनी उंगली का उपयोग करते हुए उसने मुझे आगे आने के लिए संकेत किया और उसने मेरा हाथ पकड़ लिया, उस घायल बजुर्ग ने अपनी बाँहें हिलायीं और एक हाथ से एक पुरानी अँगूठी जिसपे सांप बना हुआ था उसे अपनी उंगली से खींच कर मुझे लेने का इशारा किया। मैंने अपने हाथों से वापस इशारा किया और नाकारत्मक सिर हिलाया और धीरे से बोला।

मैंने कहा "नहीं, नहीं, मुझे इनाम के तौर पर आपसे कुछ नहीं चाहिए मैं आपको जंगल में उस हालत में नहीं छोड़ सकता था ।"

कहानी जारी रहेगी
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#99
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह, यज्ञ और शुद्धिकरन

CHAPTER-1

PART 05


घायल वृद्ध की अंगूठी




मैंने देखा बूढ़े के होंठ हिल रहे थे पर मुझे कुछ भी समझ नहीं आया . मेरे इंकार के देख वो मरणासन्न घायल बूढ़ा व्यथित हो गया और उसने मुझे फिर से अंगूठी लेने का इशारा किया, इस डर से कि मेरे इंकार के कारण से घायल आदमी को तकलीफ होगी, मैंने उसे ले लिया।

आश्चर्यजनक रूप से जैसे ही मैंने अंगूठी को अपने हाथ में लिया वो मुझे ऊर्जावान लगी और साथ ही उन घायल वृद्ध के हाथो से मेरे अंदर ऊर्जा का संचार होने लगा बिलकुल वैसे ही जैसे प्रातः काल में साधु बाबा के साथ हुआ था और वो पीतल जैसी लगने वाली अंगूठी से ऊर्जा निकलने लगी और सोने की फीकी चमक देने लगी। बूढ़े ने मेरी तर्जनी (index.) उंगली की ओर इशारा किया और धीरे से अपना सिर हिला कर मुझे अंगूठी तर्जनी मे पहनने का इशारा किया ।

उसे खुश करने के लिए और उसे फिर सेअशांत होने से रोकने के लिए, मैंने धीरे-धीरे उस घायल वृद्ध आदमी के अनुरोध का पालन किया, यह सोचकर कि इस सरल इशारे से क्या नुकसान हो सकता है और उस अंगूठी को अपनी तर्जनी ऊँगली में पहनने का प्रयास किया, मुझे पूरा विश्वास था कि ये अंगूठी मेरी उंगली पर बहुत छोटी रहेगी । .

यह अंगूठी मेरी उंगली पर फिसलती चली गयी और उसकी फीकी चमक से निकलती हुई ऊर्जा से अंगूठी एक नई सोने की अंगूठी की तरह चमक उठी। और मेरी ऊँगली पर समायोजित होते हुए आरामदायक फिट हो रही थी . अंगूठी मेरी ऊँगली के पोर से आराम से पार हो गयी और पूरी तरह उंगली में फिट हो गयी । मैंने देखा वो बिलकुल आराम से ऐसे फिट हो गयी थी जैसे वो मेरे लिए ही बनायीं गयी हो .

उस वृद्ध की अपरिचित भाषा जिसे मैं समझ नहीं पा रहा था उसके शब्दों का अर्थ मुझे समझ आने लगा गया,और मैं उसकी भाषा से पूरी तरह परिचित हो गया। अचानक ही मुझे एक ऐसी भाषा समझने आने लगी जिसे मैंने पहले कभी नहीं सुना था। मैंने आँखे बंद कर उसकी तरफ ध्यान लगाया तो मुझे अव्वज सुनाई दी जी निश्चित रूप से उस वृद्ध की ही थी .



[Image: SR1.webp]

मेरी सहायता के लिए आने के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद,लोगों ने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया था ।" फिर उसने जारी रखते हुए कहा " ये दुर्घटना आपके मिलने से कुछ घंटे पहले हुई थी, मैं जंगल में लकडिया इकट्ठा कर रहा था जब मेरा पैर जानवरों के लिए शिकारियों द्वारा बिछाए गए शिकंजे में फंस गया और मैं एक बड़े खड़े में गिर गया जिससे मेरी टांग टूट गयी और तभी एक बड़े जानवर ने मुझ पर हमला किया जिससे मैं घायल हो गया और खड़े में ही बहुत देर तक लेटा मदद के लिए चिल्लाता रहा लेकिन कोई भी मदद करने के लिए नहीं आया ।"

फिर मैं किसी तरह से उस गड्डे से बाहर निकला पर चल पाने में बिलकुल असमर्थ था और मुझे लगा अब मेरा अंतिम समय आ गया है .

तभी नर्स वह आयी और उसने उस बोली में घायल वृद्ध से पुछा अब आप कैसे हैं
वृद्ध ने तो कोई जवाब नहीं दिया पर मैं उसी बोली में बोला ,

"इन्होने अपनी आँखें खोली थीं और ओंठ हिलाये थे लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आया इन्होने कोई बात नहीं की।"

नर्स को अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ, अभी तक मेरी बातचीत से उसे ऐसा नहीं लगा था मैं उसकी भाषा और बोली समझ और बोल सकता हूँ, खासकर जब उत्तर उसकी मातृभाषा में इतनी अच्छी तरह से मेरे द्वारा दिया गया था। नर्स ने फिर उसी भाषा में जवाब दिया. "

मैं शीघ्र ही इन्हे देखने के लिए डॉक्टर को बुलवाती हूँ;

फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया, और डॉक्टर को ढूंढने चली गयी ।


फिर उसने मुझे मरीज के साथ अकेला छोड़ दिया, और डॉक्टर को ढूंढने चली गयी ।

नर्स के चले जाने के बाद फिर मेरे को आवाज आयी, मैंने बूढ़े की ओर देखा लेकिन यह स्पष्ट था कि वह होश में नहीं था और सीधे किसी से बात करने में असमर्थ था। मुझे लगा रहा था कि आवाज उस बूढ़े आदमी की है


वो बजुर्ग फिर बोलने लगा , "मैं बहुत बूढ़ा हो गया हूं, मैं अब थक गया हूं और मेरे गुरु ने मुझे यह अंगूठी एक योग्य व्यक्ति को सौंपने का निर्देश दिया था और बताया था जो आदमी जो आपकी जीवन या मृत्यु की आपात स्थिति में आपकी मदद करेगा वही इसका अगला उत्तराधिकारी होगा । मुझे लगता है कि आप इस अंगूठी को पहनने के लिए बिलकुल सही उत्तराधिकारी हैं क्योंकि आप दयालु और मददगार हैं ।"

"मुझे आपको सूचित करना है कि अंगूठी की शक्तियां लगभग असीमित हैं; यह अपने मालिक को अपने और दूसरों के भाग्य को नियंत्रित करने की शक्ति देता है, जैसे आप मेरी बात समझ रहे हैं वैसे ही आप दुनिया की हर भाषा और बिजली समझ सकेंगे . इसके अतिरिक्त भी आपको इसकी विशेषताएं और दिव्य शक्तिया धीरे धीरे पता चलती जाएंगी .

ये अंगूठी अपने मालिक को शारीरिक और मानसिक सभी चीजों पर नियंत्रण करने में सक्षम बनाती है और पहनने वाले को अपने जीवन के समाप्त होने से पहले इस अंगूठी के उत्तराधिकारी की तलाश करनी होगी।" आपको इसके बल को नियंत्रित करना सीखना होगा और इस काम में आपके गुरु आपके सहायक होंगे और जैसे वो आपको निर्देशित करे आप वैसे ही करे अन्यथा इस अंगूठी की दिव्य बल आप पर नियंत्रण कर लेगा . इस से आपका शारीरिक और मानसिक बल बढ़ जाएगा .

इस अंगूठी की दिव्य बल कमजोर दिमाग पर कब्जा कर लेगा और आपको पूरी तरह से नियंत्रित करे उस से पहले आप इसे नियंत्रित करना सीख ले . इस नियंत्रण को सीखने में भी ये अंगूठी भी आपकी मदद कर सकती है . यदि इसने आपके दिमाग पर नियंत्रण करे लिया तो परिणाम न केवल आपके लिए बल्कि सामान्य रूप से दुनिया के लिए क्या होगा ये कोई नहीं जानता ।" आवाज जारी रही "जैसा कि मैंने कहा है कि मैं अब जीवन से थक गया हूं और मैंने दुर्घटना के बाद खुद को ठीक करने के लिए अंगूठी की शक्ति का उपयोग नहीं किया बल्कि प्रकृति को अपना काम करने दिया है,

आधुनिक दुनिया मेरे लिए नहीं है, इसके मूल्य अब वे नहीं हैं जिनका मैं हिस्सा बनना चाहता हूं, लेकिन मैं अपने इस नश्वर शरीर को तब तक नहीं त्याग कर सकता जब तक कि मुझे एक योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता है और यदि आप मेरे बचावकर्ता के रूप में अंगूठी के उपहार को स्वीकार नहीं करते हैं तो मुझे नया उत्तराधिकारी खोजना होगा । यदि आप अंगूठी और उसकी सभी शक्तियों को स्वीकार करते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि जब तक आपको इसका योग्य उत्तराधिकारी नहीं मिल जाता तब तक आपको जीवित रहना होगा

अंगूठी को स्वीकार करने से अंगूठी की असीमित शक्तियां केवल आपकी अपनी कल्पना से चलेंगी और मैं आपको कुछ समय तक इस अंगूठी के साथ देखता रहूंगा जब मुझे ये भरोसा हो जाएगा की आप इसके योग्य हैं तभी मैं चैन से मर सकता हूं। आपको निर्णय यहां और अभी करना होगा या आपको इसे स्वीकार करना होगा अन्यथा इस अंगूठी को मुझे वापस करना होगा, चुनाव केवल आपका है और आपको अकेले करना है। अंगूठी की शकतोयो को नियंत्रण करने के लिए आप आपने गुरुदेव की मदद ले सकते हैं और जहाँ तक मैं देख रहा हूँ उन्होंने आपको इसके लिए कुछ शक्तिया प्रदान कर दी हैं .. "

आप महसूस कर ही रहे हैं इसी अंगूठी के कारण आप मेरी बात समझ पा रहे हैं और ये अंगूठी दुनिया की हर भाषा और हर बोली को समझने की क्षमता प्रदान करती है और किसी को भी संबोधित करते समय वे आपके द्वारा बोले गए हर शब्द को तुरंत समझ जाएंगे।

उस बजुर्ग की आवाज की इस बात से मेरा दिमाग घूम गया और मैंने यह आकलन करने की कोशिश की कि अंगूठी मेरे लिए क्या कर सकती है और मुझ पर कौन सी जिम्मेदारियां आ जाएंगी । मेरी कल्पनाके घोड़े भागने लगे और अधिकांश मनुष्यों की तरह इस तरह की शक्ति के विचार ने मेरे अंगूठी न स्वीकार करने के किसी भी प्रतिरोध पर काबू पा लिया और मुझे इस शक्ति को स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। जैसे ही मेरे मन में निर्णय हो गया, मैंने उसके अंग जहां जहां चोट लगी थी वहां अपना हाथ फेरा और महर्षि का ध्यान किया और महादेव से उस घायल बूढ़े के स्वस्थ्य लाभ की प्राथना की और देखा वो घायल बूढ़े के चेहरे पर दर्द गायब हो गया और वो सो गया .. तभी डॉक्टर आ गया और उसने उसे चेक किया और बोलै अब ये पहले से बेहतर लग रहा है .. हम इनके कुछ टेस्ट और कर लेते हैं ..

मैंने डॉक्टर से बोला आपकी नर्स शायद इन घायल बूढ़े के समूह को या इनके कबीले को जानती है आप उन्हें इनके बारे में सूचना दे . मैंने इन्हे अपनी थोड़ी दवाये दे दी हैं और उन्हें कुछ कांच की छोटी शीशीया देता हुए कहा ये दवाये आप इन्हे २ -२ घंटो बाद दे दे .. मुझे लगता है ये शीघ्र ही स्वस्थ हो जायेगे.. ,मैं इन्हे जल्द ही दुबारा देखने आऊँगा ..

उसके बाद मैं वहां से चला आया और जड़ी बूटियों वाले जल से स्नान कर तरो ताजा हो गया और उसके बाद मैं भाई महाराज के साथ पूजा अर्चना की और दूध और दही फल फूल और अन्य पूजा सामग्री को अर्पण किया . वही दादा गुरुदेव् महर्षि के आदेश अनुसार गाय को रोटी खिलाई और हवन में अग्नि को निर्देशित सामग्री अपर्ण की .

फिर मैं पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के अनुसार महाराज माताजी और पिताजी के साथ स्पेशल फ्लाइट द्वारा कामरूप (आसाम) के लिए रवाना हो गया .

कहानी जारी रहेगी
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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

VOLUME II

विवाह

CHAPTER-1

PART 06




मैं भाई महाराज, कुलगुरु मृदुल, पिताजी और माताजी के साथ कामरूप चले गए . फ्लाइट में हमारे साथ मेरी नवनियुक्त सचिव हेमा भी थी. आसाम जा कर हम पहले एक होटल में जा कर रुके और उसके बाद कामरूप क्षेत्र के (आसाम ) के महाराज उमानाथ के घर में राजकुमारी ज्योत्स्ना से मिलने चले गए

प्रवेश द्वार पर कामरूप रियासत के महाराज उमानाथ ने माल्यार्पण के साथ हमारा स्वागत किया और मैंने महाराज वीरसेन और पत्नी महारानी को प्रणाम किया फिर हमने महाराज उमानाथ के महल में प्रवेश किया

महल के अंदरूनी हिस्से को शानदार ढंग से सजाया गया था और मुझे रेशमी तकिये के साथ एक एक सिंहासन पर बिठया गया पास की खिड़की से एक बड़ा स्विमिंग पूल और उसके साथ ही सुन्दर फूलों और फलों के पेड़ों वाला एक प्यारा बगीचा था । वहाँ मीठी मीठी ठंडी हवा चल रही थी और अपनी उपस्थिति महसूस कराने के लिए वो जगह बिलकुल उपयुक्त थी,,

मेरे पिता और भाई महाराज का आसन महाराज उमानाथ की बगल में था और मेरी माता जी महाराज उमानाथ की महारानी के साथ बैठी हुई थी और महाराज उमानाथ का पुत्र राजकुमार महीपनाथ मेरे पास ही एक दुसरे आसन पर बैठा हुआ था . मेरे साथ की सीट राजकुमारी के लिए खाली थी .. हमारे कुलगुरु मृदुल जी महराज उमानाथ के राजपुरोहित और कुलगुरु के साथ बैठे हुए थे . फिर महराज उमानाथ का सचिव उपस्थित हुआ और सबको प्रणाम करने के बाद बोला हमारे अनुरोध को स्वीकार करने के लिए और यहाँ पधारने के लिए आपका दिल की गहराइयों से धन्यवाद, मुझे आशा है कि आप हमारे आतिथ्य का आनंद लेंगे और हम आपके ठहरने को सार्थक और आरामदायक बनाने की पूरी कोशिश करेंगे। और फिर सबको जल पान करने के लिए आग्रह किया

फिर सचिव ने कहा " राजकुमारी ज्योत्स्ना जल्दी ही पधारेंगी और आप उनके साथ चर्चा कर सकते हैं, । ” मुझे प्रणाम किया और चला गया।

जल्द ही दरवाजों के पास चहल-पहल हुई और हेमा ने धीमी आवाज में मुझ से कहा, " कुमार राजकुमारी आ रही हैं ।" मैंने सिर हिलाया और अपने सुंदर आगंतुकों या मेजबानों का स्वागत करने के लिए खुद उठ गया !

जब राजकुमारी ज्योत्स्ना आई तो मेरे दिल की धड़कन ही रुक गयी उसकी उम्र लगभग 18 बर्ष थी बहूत ही सुंदर चेहरा था बहूत ही भोली-भाली थी नैन नकश बहूत ही तीखे थे. मेरी नजरे राजकुमारी ज्योत्सना पर टिक गयी .... . . गोरा रंग लम्बी पतली सुन्दर मांसल शारीर, उन्नत एवं सुडौल वक्ष: स्थल, काले घने और लंबे बाल, सजीव एवं माधुर्य पूर्ण आँखे , होंठो पे लिपस्टिक मनमोहक मुस्कान दिल को गुदगुदा देने वाला अंदाज और यौवन से लदी हुई राजकुमारी ज्योत्सना ने मेरे मन को आज फिर विचिलित कर दिया.




मैं ज्योत्सना को अपलक देखता रहा. सुंदर और गुलाबी होठ, आकर्षक चेहरा और अद्वितीय आाभा मे युक्त शरीर राजकुमारी ज्योत्सना आकर्षक साडी और गहने अलंकार और पुष्प धारण किये हुए , सौंदर्य प्रसाधनों से युक्त-सुसज्जित दर और बेहद आकर्षक.थी

उसकी कमसिन काया गोल गोल भरे बूब्स, गोरा रंग, उसकी नाज़ुक सी पतली कमर उस पर उभरे गुंदाज़ कूल्हे और भरी गांड देखकर मेरा मन और लंड दोनों मचलने लगे.

ज्योत्सना ने भी मुझे देखा और अपनी आँखे शर्मा कर नीचे झुका ली .

18 वर्ष की उम्र की अन्नहड़ मदमस्ति और यौवन रस से परिपूर्ण संसार के द्वितीय सौन्दर्य की सम्राजञी राजकुमारी ज्योत्सना को देखते ही मेरे होश गुम हो गए.

ऐसा लग रहा था काम देव ने अपनेसारे बाण मेरे ऊपर छोड़ दिए थे

सब मिल कर एक ऐसा सौन्दर्य जो उंगली लगने पर मैला हो जाए ।उसकी कमसिन काया गोल गोल भरे बूब्स, गोरा रंग, उसकी नाज़ुक सी पतली कमर उस पर उभरे गुंदाज़ कूल्हे और भरी गांड देखकर मेरा मन और लंड दोनों मचलने लगे

मेरे मन राजकुमारी ज्योत्स्ना को देख बेकाबू हो रहा था. उनकी गोल गोल बूब्स से भरी उसकी छाती और भरे भरे गालों के साथ उसकी नशीली आंखें मुझे नशे में कर रही थी। उसके होठों की बनावट तो ऐसी थी, अगर कोई एक बार उनका रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले। मेरा मन कर रहा था कि बस उसके रस भरे ओंठो और स्तनों को को चूमता और चूसता और चूमता, चाटता रहूँ और अपनी बाहों में जकड़ कर मसल डालूँ और जिंदगी भर ऐसे ही पड़ा रहूँ और उफ क्या-क्या नहीं करूँ?





[Image: jy2.jpg]

मैं ऐसे ही कामुक खयालो में खो गया था और मैंने देखा राजकुमारी भी झुकी हुई आँखों से मुझे चोरी चोरी देखती थी और जब मुझे उन्हें ही देखते हुए पा कर फिर आँखे झुका लेती थी

राजकुमारी के साथ उनकी दो सखिया भी थी जो बेहद सुन्दर थी और वो राजकुमारी को मेरे पोआस ले आयी और मेरे पास बिठा दिया .. मैं बस उसे ही देखे जा रहा था .. तब मेरे माता जी ने उससे कुछ पुछा जिसका ज्योत्स्ना ने हाजी या सर हिला कर जवाब दे दिए ..

तब महाराज ने मुझ से कहाः कुमार आप भी कुछ राज कुमारी से पूछ लीजिये पर मुझे तो होश ही नहीं था . मैं तो राजकुमारी के चेहरे और सौंदर्य को निहारने में खोया हुआ था ..

तब मेरी माता जी ने बॉल आप दोनों एक साथ खड़े हो जाए हमे आपकी जोड़ी को एक साथ देखना है

हम दोनों साथ खड़े हुए तो माता जी बोली जोड़ी बहुत सुन्दर लग रही है और जच रही है

फिर मेरे पिताजी ने बोला दीपक तुम को राजकुमारी से कुछ पूछना है तो पूछ लो .. मैं कुछ बोलता इस से पहले ही मुझे लगा राज कुमारी मुझ से कुछ कहना चाहती है पर सब बड़ो के बीच में कहने से सकुचा रही थी .

मैंने बस इतना ही कहा पिताजी . और मन से सोचा .और मैंने महाराज उमानाथ और पिताजी की और देखा और सोचा महाराज हम दोनों को कुछ देर अकेला छोड़ दीजिये .. और इतने में पिताजी ने महाराज और भाई महाराज से बोला हमे कुमार और राजकुमारी को अकेले छोड़ना चाहिए ताकि ये आपस में बात कर सके ..

तो महाराज ने इशारा किया और मेरी सचिव और राजकुमारी की सखियों के साथ हम दोनों बगीचे में चले गए .. तो मैंने राज कुमारी से पुछा .. कहिए आप मुझ से क्या कहना चाहती हैं

क्या मैं आपको पसंद आया .. तो राजकुमारी बोली . जी मुझे आपसे ये कहना था मैं अभी अपने पढाई जातरी रखना चाहती हूँ .. पर मुझे लगता है जैसे अपने अभी मेरे मन में क्या है ये जान लिया आप मेरे मन की बात अभी से जान लेते हो , इसलिए अब मुझे और कुछ नहीं कहना है .

तो मैंने कहा आप मुझे पसंद तो करती हो तो राजकुमारी ने शर्मा कर हाँ में सर झुका दिया .. मेरी हाँ तो सब मेरी नजरो से भांप ही चुके थे .. तो राजकुमारी की दोनों सखियों ने हमारी बाते सुन ली और जोर से बधाई हो बोलती हुई एक अंदर भाग गयी और दूसरी राजकुमारी के पास आकर हम दोनों को बधाई देने लगी


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उसके बाद सबने एक दुसरे को बधाई दी और मिठाई खिलाई और परंपरा के अनुसार अँगूठिया और शगुन इत्यादि दिए गए . फिर कुलगुरु मृदुल जी ने महाराज के कुलगुरु और पुरोहित के साथ मिल कर १५ दिन बाद विवाह का शुभ महूरत निकाल दिया .. उसके बाद दोपहर का भोज महाराज उमानाथ ने दिया .. और चुकी अब आगे हमे भाई महाराज के विवाह की तयारी करनी थी और फिर महाऋषि के पास हिमालय जाना था तो महाराज उमानाथ से आज्ञा लेकर वापिस आ होटल आ गये

होटल में भाई महाराज मेरे पास आये और बोले कुमार मैं अपनी मरीना नाम की सबसे भरोसेमंद और सक्षम महिला अंगरक्षक को आपकी सुरक्षा के लिए हमेशा आपके साथ रहने के लिए तैनात कर रहा हूँ "

उन्होंने कहा, " वो आपके सबसे निजी क्षणों के दौरान भी हमेशा आपके साथ रहेगी मुझे आशा है कि आप इस व्यवस्था को स्वीकार करेंगे क्योंकि मुझे लगता है आज सुबह हुई घटना के कारन मैंने पूरी तरह से सोच समझ कर और गुरुदेव और आपके पिता जी के साथ परामर्श के बाद ही ये निर्णय लिया है और मुझे पूरा विश्वास है आप इस निर्णय को बड़े भाई के आदेश की तरह से मानेगे.

फिर महाराज ने "मरीना" कह कर पुकारा तो वह पर्दे के दरवाजे से बाहर आयी ।

मुझे कहना होगा कि मैं कई महिलाओं को देखकर उनकी सुंदरता को सराहा है लेकिन मरीना की पहली झलक ने ही मेरी सांसें रोक लीं।

मरीना तेजस्वी गोरी सुनहरे बालो वाली, (blonde.) लगभग इकीस साल की जर्मन थी जिसने आकर्षक ग्रीष्मकालीन पोशाक पहनी हुई थी जो उसके सुन्दर स्तनों के आकार को दर्शा रही थी जिसमे से उसकी आकर्षक और लम्बी टाँगे प्रकट हो रही थी । मैं उसकी काय की कामुकता से प्रभावित हो गया था , वह एक आकर्षक महिला थी, उसे देख मैं अपनी प्रतिक्रिया पर हैरान था और मैं उसे अपनी बाहो में लेकर भोगना चाहता था उसकी आँखे भूरे रंग की थी और वो शारीरिक रूप से शक्तिशाली दिख रही थी। उसका व्यवहार सौम्य था और उसका रूप लुभावना और आकर्षक था .

उसका चेहरा आत्मविश्वास से बेहद शांत था औरउसकी निगाहें स्वाभाविक रूप से चौकस थीं। उसके नितंब अच्छी तरह से गोल थे और उसकी जांघों की मांसपेशियां शानदार ढंग से मजबूत थी और उसके पैर लंबे थे। वो मेरे पास आयी वह झुकी अपनी कमर को तेजी से मोड़ा और मेरे हाथों को अपनी हथेलियों में मजबूती से पकड़ कर उसने मेरे हाथो को धीरे से चूम मेरा अभिवादन किया और दृढ़ आवाज में बोली महामहिम! मरीना आपकी सेवा मे रात और दिन उपस्थित है ।

मैं रोमांचित था। मुझे लगा मुझे नहीं मरीना के शरीर को रखवाली की ज़रूरत थी "मैं भी हूँ," मैंने कहा जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया और मुस्करा कर उसके हाथ को मैंने प्यार से सहला दिया l

कहानी जारी रहेगी



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