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अंतरंग हमसफ़र
#41
अंतरंग हमसफ़र

तृतीय अध्याय

खूबसूरत युवा सहेलिया

भाग -15


दुल्हन की लाल रंग की पोशाक में खूबसूरत हुमा


उसके बाद सब को तहखाने में छोड़ कर रोज़ी हुमा को लेने चली गयी और सब को बोला गया सब अपनी आँखे तब तक बंद रखेंगे जब तक रोज़ी उन्हें आँखे खोलने को न कहे। फिर सब की आँखों की पट्टी खोलने को कहा सब की आँखों की पट्टी जब खुली तो सब हाल देख कर हैरान रह गए।

वहाँ एक शानदार हाल था। जिसमे बहुत सुन्दर-सुन्दर लड़कियों की बहुत कामुक मुर्तिया और कामुक सम्भोग की अंतरंग चित्र और कलाकृतिया लगी हुई थी। कमरे के बीचो बिच एक शानदार बिस्तर जिसपर आठ से दस लोग आराम से सो सकते थे। जो की पर्दो से ढका हुआ था।

किनारो पर शानदार आरामदायक सोफे लगे हुए थे जिनको बिस्तर बड़े आराम से बनाया जा सकता था। हाल में एक बड़ा शानदार खुला हुआ बाथरूम भी था जसमे एक बहुत बड़ा टब भी था।

सबने उस हाल और कमरे के तारीफ की तो रोज़ी बोली इसके बारे में बाक़ी आपको बाद में बताएँगे अभी अपना-अपना जोड़ी दार चुन ले और साइड के सोफों पर अपनी सीट ले ले। टीना और मोना टॉम के साथ बैठ गयी l रूबी, रुखसाना के साथ बॉब । अलका और जेन तथा लूसी और सिंडी जोड़ी बना कर बैठ गए।

बहुत सुन्दर नज़ारा था। मैंने रोज़ी को बुला कर कहा उसने इतने कम समय में बहुत अच्छा इंतज़ाम कर दिया है। उसके बाद रुखसाना और रोज़ी बॉब के पास जा कर बैठ गयी।

उसके बाद रोज़ी ने कमरे की लाइट बुझा दी और केवल हॉल के मध्य वाले भाग पर रौशनी हो गयी और मुझे पकड़ कर अलका और रुखसाना बिस्तर के पास ले गयी और तभी रोज़ी मेरे पास सजी धजी हुई हुमा को ले आयी और फिर उसने बिस्तर के पास एक बटन दबाया और परदे ऊपर उठ गए।

सारा कमरा नरम गुलाबी रंग से दमक रहा था। अपने साथी के साथ प्यार करने के लिए कमरे का माहौल एकदम सही था और फूलो से सजे बिस्तर के पास में सुराही दार गर्दन, सुदृढ़ अनार जैसे उन्नत बड़े-बड़े गोल स्तन, पतली कमर और नाशपाती के जैसी सुन्दर काया। सपाट पेट, सुंदर लंबी टाँगे और लम्बे काले बालो वाली सुंदर हुमा लाल रंग की दुल्हन की पोशाक में घूंघट किये हुए मेरे साथ खड़ी थी। वह एक सेक्स देवी की तरह लग रही थी। मैं उसको सिर से पैर तक अच्छी तरह से देख रहा था। वह सुंदरता की चलती फिरती मूर्त थी। वह एक स्वर्ग में मिलने वाली हूर की तरह लग रही थी, इतनी सुंदर, इतनी भव्य था।

मैंने हुमा को अपनी बाहों में उठा लिया और बिस्तर की तरफ़ चला गया। मैंने उसे बिस्तर पर बिठा दिया। मैंने उसके पास बैठते हुए उसे एक तोहफा दिया और धीरे से उसका घूंघट उठा दिया और फिर उसका चंद्रमा की तरह आकर्षक मासूम और गौरा रंग, चमकती चिकनी त्वचा, सुन्दर चेहरे वाली, हिरणी जैसी चंचल सुन्दर आँखे, काली भौहें और पलकें, जिसके रसभरे, नरम गुलाब की पंखुड़ियों जैसे होंठ, सफेद मोतियों जैसे दांत, गुलाबी गाल और आगे क्या होने वाला है ये सोच कर थोड़ा घबराई हुई और उत्सकता से भरा उसका शर्म से झुका हुआ सुन्दर चेहरा मेरे सामने उजागर हो गया।

मुझसे रहा नहीं गया और मैंने कहा तुम तो आफ़ताब का टुकड़ा हो मेरी जान। मेरा लंड उत्तेजना से कठोर हो गया, मैंने कहा मैं कितना भाग्य शाली हूँ के तुम मुझे मिली और मैंने उसका चेहरा ऊपर किया और उसके ओंठो पर एक नरम चुंबन कर दिया। उसकी आँखे बंद थी तो मैंने कहा अपनी आँखे खोलो तो उसने धीरे सेआँखे खोली। मुझे देख कर मुस्कुरायी तो उसकी मनमोहक मुस्कान ने मेरा जो कुछ बाक़ी था वह भी लूट लिया और मैंने उसे अपने गले से लगा लिया।

मुझे कुछ ज़्यादा ही नशा हो चला था कुछ शराब का असर और कुछ हुमा के लाजव्वाब हुस्न, जो मेरा हो गया था उसका नशा। उसे गले लगा कर मेरा मन किया वह मेरे गले ऐसे ही लगे रहे और उसकी चिकने पीठ पर हाथ फेरा और महसूस किया उसने जो ब्लाउज पहना हुआ था वह केवल दो डोरियों से बंधा हुआ था। फिर मेरा हाथ फिसल कर उसकी कमर से हॉट हुए उसकी चूतड़ों की दरार को महसूस किया और उसके नितम्बो को सहलाया पर फिर चंचल मन उसका चाँद-सा चेहरा दुबारा देखने और चूमने को हुआ तो मैंने उसे अलग करने के बाद एक बार फिर उसके चेहरा देख कर मुस्कुराते हुआ बोला । आप सच में बहुत सुंदर हो। आई लव यु।

वो भी मुस्कुरायी और बोली मैं भी आपको बहुत प्यार करती हूँ। और हुमा की 'हाँ' मिलते ही मैंने हुमा के माथे पर किस की और हुमा की चुनरी को उतार दिया। मेरे होंठों को मैं उसके होंठों की तरफ़ ले गया। हमारे होंठ इतने पास थे। हमने एक-दूसरे की गर्म सांसों को महसूस किया। मैंने धीरे-धीरे उसके होंठ को चूम लिया। मैं जल्दी में नहीं था। मैं हुमा के साथ हर सेकंड को संजोना चाहता था। मैं अपनी जीभ के साथ उसके होंठ चाट रहा था और उसके होठों पर बहुत धीरे से चुंबन करता रहा। लेकिन मैं स्मूच या डिप लिप लॉक के लिए नहीं गया।

आगे क्या हुआ...... ये अगले भाग में पढ़िए।

ये कहानी जारी रहेगी


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#42
 अंतरंग हमसफ़र

तृतीय अध्याय

खूबसूरत युवा सहेलिया

भाग -16


हुमा की चुदाई से पहले की चूमा चाटी.
 


उसके बाद हुमा मुझे एक लम्बी गहरी किस करना चाहती थी लेकिन मैंने अनुमति नहीं दी। वह अपना मुँह मेरी ओर घुमा रही थी और होंठों को बंद कर रही थी, लेकिन मैंने उसे तंग करते हुए अपना मुँह थोड़ा पीछे ले जाता था। 4 से 5 मिनट के बाद, वह थोड़ी-सी हताश हो गई और अपने हाथ से मेरा सिर अपने चेहरे की ओर खींचा और अपने होंठ मेरे ऊपर दबा दिए। हम दो भूखे भेड़ियों की तरह एक दूसरे के होंठों को अपने मुँह में ले रहे थे और उन्हें पूरी तीव्रता से चूस रहे थे। हमारी जीभें आपस में लड़ रही थीं। कभी उसके मुँह में, कभी मेरे में। मैंने उसकी जीभ को लिया और चूस रहा था। उसकी लार बहुत स्वादिष्ट थी। उसने भी मेरी जीभ को चूसा।

फिर मैंने भर कर हुमा के होंठों पर किस की और पीछे हो गया। तो हुमा ने मुझे नज़दीक खींच कर मेरे सर से पकड़ा और कहा-दीपक क्यों तड़फा रहे हो मुझे।

उन्होंने इतना कह कर मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया, मेरे होंठों पर अपने होंठ धर दिए और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं।

आप बेहद खूबसूरत हो। आपका जिस्म बहुत ही प्यारा है। आज एक अजीब-सी कशिश है आप में। जो मुझे आपका दीवाना बना रही है। आज मैं आपके जिस्म में समा जाना चाहता हूँ। हुमा आपको आज मैं जी भर के चोदूँगा और जी भर के प्यार करूँगा।

ने कहा-मुझे आज अपना बना लो दीपक।

उन्होंने इतना कह कर मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया, मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं। मैंने हुमा को अपनी बांहों में भर लिया, मैं उसे पूरे जोश से किस करने लगा। हुमा ने लिपस्टिक लगाई हुई थी जिससे किस करने में बहुत ज़्यादा मज़ा आ रहा था।

मैंने उसके हर जगह गाल, आंख, ठोड़ी और नाक चुंबन किया। उसका चेहरा मेरी लार से दमक रहा था। मैं फिर थोड़ा निचे को गया मैंने उसकी गर्दन और सीने के ऊपरी हिस्से जो क्षेत्र उसके ब्लाउज के साथ कवर नहीं किया गया चुंबन किया। मैंने उसके ऊपरी क्लीवेज को भी चाटा। वह मेरे कोमल स्पर्श का आनंद ले रही थी। और उसके कंधे चूमा और उसके रस भरे यौवन कलशो पर हाथ लेजा कर उन्हें सहला कर महसूस किया। उसके उरोज नरम पर सुदृढ़, गोल, उन्नत और आकर्षक थे। मेरी नज़र उसके पारदर्शी ब्लाउज के पार जाकर उसके चुचकों के देखा तो हाथो से महसूस किया वह उत्तेजना से कठोर हो गए थे उसका झीना ब्लाउज उसके रसदार खरबूजों को ठीक से पकड़ नहीं सका था।

मैं उसके बूब्स को पूरी मस्ती से दबा रहा था। उसके स्तन पिंजरे में बंद कबूतरों की तरह आज़ाद होने हो तड़प रहे थे। मैंने उनकी तड़प को समझा और हाथ उसकी कमर पर ले जाकर मैंने उसके ब्लाउज की डोरियों को खींच कर खोला तो उसने अपनी बाजुए ऊपर उठा दी तो मैंने ब्लाउज खींच कर उसके शरीर से हटा दी। वह मुझे रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी बल्कि सहयोग कर रही थी अब मेरी संगनी ऊपर से निर्वस्त्र हो गयी थी। मैंने ब्लाउज के पिंजरे से हुमा की गर्वित पहाड़ियों को बाहर निकाल लिया था। वे सीधे हवा में खड़े थे। उसके स्तन कोमल हैं। शीर्ष पर गुलाबी निपल्स ने उन्हें और अधिक सुंदर बना दिया। मैं अपने दोनों हाथों से उसके दोनों स्तन मसल रहा था।

मैं उसके स्तनों को घूरने लगा तो उसने अपने हाथों से अपने सीने को ढँक लिया। मैंने उसको सिर से पैर तक एक बार फिर अच्छी तरह से देख रहा था। वह एक वास्तव में बहुत सुंदर थी। फिर से मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर दबा दिए। वह मेरे होंठों को अपने अंदर लेने के लिए तैयार थी। हम फिर से एक दूसरे को चुंबन और एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। हम दुनिया के बाक़ी हिस्सों के बारे में भूल गए।

अब मेरे हाथ उसके स्तनों पर पहुँच गए और उन्हें पहले तो सहलाया फिर हाथ फिरा कर अनारो की गोलाईयों को सराहा फिर स्तनो के नीचे हाथ लेजाकर स्तनों को ऊपर उठाकर कर उनकी दृढ़ता को जांचा । फिर दबा कर उनको नरम और दृढ पाकर एक बार फिर प्यार से सहलाया। । फिर निप्पल पर हाथ फेरा तो उन्हें कठोर पा कर उन्हें मसला तो वह कराह दी. तो उन्हें सहला दिया। और फिर चुम्बन तोड़ कर हुमा की आँखों में झाँका तो हुमा भी मुस्कुरा दी।

अब उसके दो शानदार बूब्स मेरी आँखों के सामने दो मस्त निप्पल थे। उसके निप्पल कम से कम 1 इंच लंबे और सख्त खड़े थे। उसके रसीले खरबूजे बहुत सुंदर और आकर्षक थे। मैं झुक और चूमा और उसके दोनों दूध के कटोरो को चूसा। लेकिन मैंने उसके निप्पलों को नहीं छुआ।

मैंने उसकी दरार के बीच के पसीने को चखा। मैंने अपनी लार को वासना की घाटियों के बीच गिरा दिया। मैं ध्यान से उसके पूरे स्तन को चाट और चूस रहा था लेकिन कभी उसके निप्पलों को नहीं छुआ। वह अपने निप्पल मेरे मुँह में देने की कोशिश कर रही थी। मैं उसे और सताना चाहता था।

लगभग 20 मिनट मैं उसके पूरे शरीर के ऊपरी हिस्से, उसके स्तन, पेट, बगल को चूस और चाट रहा था लेकिन कभी उसके निपल्स को नहीं छुआ। मेरे हाथ में उसके खरबूजे ले लिए, उन्हें सहलाया, लेकिन उसके निपल्स को नहीं छुआ। उसका शरीर मेरी लार से दमक रहा था। वह उत्तेजना के साथ दाएं-बाएँ घूम रही थी।

वो बहुत ज़ोर से कराह रही थी। उसने मेरे बालों को कस कर पकड़ रखा था और मेरे मुँह को अपने निप्पलों पर घसीट रही थी। मैंने उसकी तरफ देखा। वह मुझे देखकर मुस्कुराई और मेरे चेहरे को निपल्स की तरफ खींचती रही।

मैंने चुचकों के आस-पास के क्षेत्र को चाट लिया, उसके दाहिने निपल्स को अपने मुंह में ले लिया और पूरी तीव्रता से चूसा । मैंने बेरहमी से उसके निप्पलों को चूसा और चूसा। उसने अपने शरीर को हवा में झटका दिया और अपने पहले सम्भोग चरमोत्कर्ष पर पहुंच गई। मैंने लगातार उसके दोनों निप्पलों को एक एक करके बारी-बारी से चूसा और चाटा।

मैंने उसके बूब्स को बहुत जोर से निचोड़ा और उनको चूसा। मैं एक छोटे बच्चे की तरह चूस रहा था। उसके निप्पलों को चबाया। मैंने दोनों तरबूज पकड़े और दो तरफ से दबाया। उसके निप्पल करीब आ गए। मैंने उसी समय दोनों निप्पलों को अपने मुँह में ले लिया और बहुत मेहनत से चूसा। वह दर्द और खुशी से चिल्लाई।

आगे क्या हुआ...ये अगले भाग में पढ़िए ।

ये कहानी जारी रहेगी

आपका दीपक


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#43
अंतरंग हमसफ़र

तृतीय अध्याय

खूबसूरत युवा सहेलिया

भाग -17


चिकनी संकरी और छोटी चूत वाली हुमा की पहली चुदाई.


इस तरह से मेरे द्वारा तड़पाने और फिर उसके बाद हुमा के स्तनों को चूसने के कारण हुमा बहुत तेजी से झड़ गयी और मैं उसे स्तन चूसता रहा जिससे वह जल्द ही फिर गर्म हो गयी।

जब तक मैं पूरी तरह से संतुष्ट नहीं हो गया, मैंने उसके स्तन नहीं छोड़े। उसके नरम स्तनों पर मेरे निरंतर आक्रमण के कारण उसके स्तन लाल हो गए। उसके मुलायम खरबूजे पर कई काटने के निशान दिखाई दे रहे हैं। मैं उन्हें प्यार करता रहा। लगभग 1 घंटा हो गया था।

मेरा लंड फनफना रहा था। दृश्य बहुत कामुक था। मैं हुमा के इतने सुंदर स्तन को देखकर सब कुछ भूल गया था। मैं चुंबन करते हुए उसके शरीर के ऊपरी हिस्से के हर इंच चाट रहा था। मैं उसके खूबसूरत बदन को सूँघ रहा था और उसकी मादक ख़ुशबू का आनंद ले रहा था।

मैंने अपना सर नीचे किया और उसके बाएँ निप्पल को अपने मुँह में ले लिया। मैं एक बच्चे की तरह उसके निप्पल को चूस रहा था जिसे अपनी माँ के दूध की बहुत ज़रूरत थी। साथ ही मैं उसके दूसरे स्तन को दबाए और सहला रहा था। लगभग 10 मिनट मैं उसके नुकीले निप्पलों को बारी-बारी से चूसा।

मेरे चूसने से उसके स्तन लाल हो गए और वह दुबारा से उत्तेजित हो कराहने लगी। आह चूसो और ज़ोर से चूसो तो मैंने नीपल्ले को दांत से कुतर दिया तो वह मचल गयी और बोली प्लीज काटो मत दर्द होता है।

फिर उसने कहा प्लीज दीपक आप भी तो अपने कपडे निकालो। तो मुझे ध्यान आया तो उसने मेरे कुर्ते को ऊपर किया और मैंने बाजू ऊपर कर दिए और उसने मेरा कुरता निकाल दिया। तो मैंने उसे अपने छाती से चिपका लिया। वाह क्या एहसास था। कोमल नरम और दृढ वक्ष मेरी छाती से लग रहे थे और वही उत्तेजित कठोर हो चुके निप्पल भी अपनी उपस्थिति मेरी छाती में चुभते हुए गढ़ कर दर्ज करा रहे थे। मेरे हाथ उसकी नरम चिकने पीठ को अपनी छाती में दबा रहे थे। उसके हाथ मेरे गले के चारो और डले हुए, हम दोनों आलिंगनबद्ध हो कर एक दुसरे में समाने का प्रयास कर रहे थे।

उसने मुझे कहा। "आयी लव यू दीपक!"

तो मुझे भी कुछ शेर याद आ गए

इश्क ने हमसे कुछ ऐसी साजिशें रची हैं,

मुझमें मैं नहीं हूँ अब बस तू ही तू बसी है।

मेरी ज़िन्दगी मेरी जान हो तुम और क्या कहूँ

मेरे लिए सकून का दूसरा नाम हो तुम।

जिनसे सुन वह मेरे साथ एक बेल को तरह लिपट गयी।

पहले तो मैंने उसे गले लगाया और फिर उसकी गर्दन और कंधो को चूमा फिर उसे उल्टा लिटा दिया और मैं अपनी कोहनियो के बल उसके ऊपर आ गया।

उसकी गोरी चिकनी पीठ एकदम कमाल की थी। मैंने अपना सर नीचे किया और उसकी पीठ को सहलाने लगा। मैंने उसे पलटा कर उसकी पीठ पर चूमा चूसा और प्यार से काटा। वह जोर-जोर से कराह रही थी। मैंने अपनी जीभ को उसकी रीढ़ पर गर्दन से लेकर गांड और गांड तक चला दिया। कई बार मैंने ऐसा किया। वह प्रेम रस से सराबोर थी।

मैंने उसे फिर पलटा और फिर से उसके ओंठो को चूमा फिर उसकी जीभ को चूसा और फिर मैंने देखा इसकी त्वचा इतनी कोमल थी की मैंने जहाँ-जहाँ पहले उसके बदन को चूसा था वहाँ उसके बदन पर निशाँ पद गए थे। नीचे आते हुए उसकी सारी नंगी त्वचा पर चूमा और जहाँ निशाँ पड़ गए थे सहलाया फिर चूमा, चाटा और दुबारा चूसा। मैंने उसकी बाल रहित कांख को चाट लिया। मैंने कई मिनट तक उसके स्तनों के बीच के स्थल को चाटा। वह मजे से कराह रही थी। फिर स्तनों को भी चूमते हुए उसके निप्पलों को चूसा।

मैं और नीचे गया और उसका पेट चाट लिया। मैंने अपनी जीभ उसके नाभि में घुसाई और उसे थपथपाया। वह मजे से चिल्ला रही थी। मैंने उसका लहंगा खोला और हाथ उसके पैरो पर फेरते हुए उसकी टांगो पर फेरते हुए उसकी जांघो पर ले गया हुए और फिर उसकी गीली पेंटी को स्पर्श किया तो हुमा अब ये समझ गयी मेरा अगला निशाना उसकी योनि होगी। उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी।

मेरे दूसरा हाथ जो इस बीच उसके स्तनों को दबाते हुए उसके चुचकों को मसलते हुए खेल रहा था। वह हाथ भी नीचे लाया और उसके लहंगे का नाडा खोल कर उसका लेहंगा ढीला कर दिया और उसे थोड़ा नीचे सरकाया तो जहाँ लहंगा था वहाँ पर भी लाल निशाँ पड़ गए थे तो मैंने उन निशानों को पहले तो सहलाया। तो उसकी कराह निकली आआह! फिर किश किया और जीभ से चाट लिया। उसकी नाज़ुक पतली कमसिन कमर बल खाने लगी और उसके चूतड़ ऊपर को उठ गए तो मैने लेहंगा थोड़ा और नीचे किया, तो उसने चूतड़ और उठा कर सहयोग किया तो मैंने उसका लहंगा निकाल दिया। वह बोली ये गहने चुभ रहे हैं।

अब मैंने उसके सारे गहने भी उतार दिए। वह मेरे सामने सिर्फ़ पेंटी में थी और पूरे बदन को पागलो की तरह चूमने लग गया। उसने मेरी पैंट की ज़िप खोली और मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया। यह सीधे हवा में खड़ा हो गया। उसने धीरे से अपना एक हाथ मेरे लंड के आस पास घुमाया और दूसरे हाथ से मेरे सर को अपने स्तन पर दबाया।

उसकी मुलायम उंगलियाँ मेरे लंड के चारों ओर लिपटी हुई थी। मेरा लंड उसकी उंगलियों के नीचे धड़क रहा था। मुझे बहुत अच्छा लगा। दृश्य बहुत कामुक था। मैं हुमा के इतने सुंदर स्तन को देखकर सब कुछ भूल गया। मैं चुंबन और उसके शरीर के ऊपरी हिस्से के हर इंच चाट रहा था। मैं उसके खूबसूरत बदन को सूँघ रहा था और उसकी मादक ख़ुशबू का आनंद ले रहा था।

अब मैंने उसके-उसके माथे से उसके पैर की उंगलियों तक उसके पूरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया। मैं तब उसके स्तनों पर चुम्बन कर रहा था। जब मैंने उसकी पेंटी को भी उतार डाला और चुम्बन तोड़ कर देखा की उसकी कुंवारी चूत पर अभी बाल आये ही नहीं थे। । मेरे हाथ उसकी बुर के ऊपर गए । एक अलग ही कोमलता का एहसास था। उसकी बुर के आस पास के क्षेत्र को मखमल जैसा था।

मैंने उसकी नाभि को चूमा उसकी जांघों पर, चुंबन और उन पर चूमते और चूसते हुए हलके से दन्त लगा कर काटा भी लिया और बोलै तुझे खा जाऊँगा।

तो वह बोली प्लीज काटो मत दर्द होता है। तो मैंने पुछा कहाँ दर्द हो रहा है तो उसने मैंने जहाँ कटा था वहाँ पर मेरा सर दबा दिया तो मैंने हलके से चुम कर चाट लिया।

उसकी चूत बहुत खूबसूरत थी। बिना बालो वाली चकनी जिस पर हलके-हलके नरम रूए थे। मैं नीचे गया और उसके पैरों को फैला दिया। मैं उसकी जांघों चूमने शुरू कर दिया। उसकी जाँघ का अंदरूनी हिस्सा बहुत संवेदनशील था। मैंने उसके पैर खोल दिया। मैं उनके बीच में आया और पहली बार उसकी चूत पर अपने होंठ रख दिए। वह चरम सुख में थी और बहुत खुश थी। सबसे पहले मैं उसकी योनि के होंठों पर चूमा और फिर उन्हें थोड़ी देर के लिए मेरी जीभ के साथ मला। फिर मैंने उनको बड़ी मुश्किल से खोला उसकी योनि काफ़ी ज़्यादा होइ टाइट थी।

ये मालूम होने पर की उसकी योनि बहुत टाइट है तो मेरे मन में विचार आया इसमें लंड घुसाने के लिए काफ़ी ज़ोर लगाना पड़ेगा और संकरी चूत बहुत मज़ा देगी और अपनी जीभ हुमा की चूत में घुसा दी।

मैं उसकी चूत को चाटने लगा। तब तक उसकी चूत का बहुत सारा रस उसकी गांड तक जा चुका था। तो अब मैंने अपना एक हाथ उसकी गांड के नीचे रखा और उसकी चूत को बहुत गहरे तक चाटते हुए उसकी भगनासा को ऊँगली से ढूँढा और उंगली करने लगा। इस दो तरफ़ा हमले को संभालना हुमा के लिए बहुत ज़्यादा था। वह बहुत जल्दी चार्म पर पहुँची और कांपते हुए उसने अपना कॉमर्स मेरे मुँह में भर दिया।

वह अब एक सच्चे पोर्न-स्टार की तरह कराह रही थी। उसकी चूत पूरी गीली थी, सच में उसकी चूत का रस उसकी गांड तक गीला था। हम काफ़ी समय से इसका आनंद ले रहे थे और मेरा लंड पूरा सख्त हो गया था।

मैं उस दृश्य प्यार करता था और धीरे-धीरे मैं उसे योनि के ओंठो को चूमा। उसने कहा, "दीपक, अब मुझे तंग मत करो, अपना लंड अंदर डाल दो।" मैंने उसकी बातों को अनसुना कर दिया। मैं उसकी चूत को चाटते हुए मैं उसके निप्पलों को मसल रहा था और अपनी उंगलियों को उसके निप्पलों पर घुमा रहा था और उसके बूब्स से खेल रहा था। वह और भी ज़्यादा कराह रही थी। उसके हाथ मेरे बालों पर थे और वह लगातार मज़े से कराह रही थी।

मैंने उसकी क्लिट को थोड़ा-सा दबाया और उसकी क्लिट को चूसता रहा जबकि मैंने अपनी बीच की उंगली उसकी चूत में घुसा दी। जैसे-जैसे मैं उसकी चूत में ऊँगली कर रहा था वह उत्तेजना से अपनी पीठ को उठा रही थी। मैंने उसका सारा जूस छाता और अपनी जीभ से उसे साफ़ किया। उसने कहा, "हे भगवान, तुम एक विशेषज्ञ हो। आपने अभी भी लंड अंदर नहीं घुसाया है-है और मैं दूसरी बार अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँच चुकी हूँ। दीपक तुम बहुत अच्छे हो।"

मैंने फिर उसे घुमाया। अब वह बिस्तर का सामना कर रही थी। मैंने उसके दोनों नितम्ब पकड़ कर फैला दिए। फिर मैं उसकी गांड के छेद को चाट रहा था और उसकी गांड के छेद और चूत के बीच का क्षेत्र। वह ज़ोर से कराह रही थी और अपार ख़ुशी से चिल्ला रही थी। हाल उसके चीखने और कराहने से भर गया था।

मैंने उसको फिर पलटा और मैं ऊपर की ओर चला गया और उसके होंठ और उसके स्तन दबाने पर चूमा। वह अपने होठों से अपनी चूत का रस चख रही थी। उसके शरीर को बिस्तर से उठने की ज़रा भी शक्ति नहीं थी। मैंने अपनी पेण्ट और अंडरवियर निकाल दिया और मेरा 8 इंच लंबा मोटा सख्त लंड बाहर निकल आया। यह हवा में अपनी पूरी शान के साथ नाच रहा था।

हुमा में मेरे लंड को पकड़ कर सहलाया वह मेरे लंड को पाकर बहुत खुश थी। मैंने कहा, "हुमा जानेमन! अब आप सम्भोग की असली क्रिया के लिए तैयार है। इस रात को आप अपने जीवन में कभी नहीं भूलोगी।" मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रखा और उसकी चुत को अपने लंड के सर से रगड़ दिया। उसके हाथ मेरे नितम्बो पर गए और वह मेरे लंड को अपने अंदर ले जाने के लिए उसे नीचे धकेल रही थी लेकिन वह असफल रही।

उसने मेरी तरफ़ देखा और उसने मेरा लंड पकड़ कर अपनी गदराई नरम और टाइट चुत के द्वार पर रख दिया। "प्लीज, अब मुझे चोदो। मैं इसके लिए तड़प रही हूँ।" मैं उसे देखकर मुस्कुराया। "लेकिन प्लीज बहुत धीरे से करना क्योंकि तुम्हारा लंड बहुत बड़ा है। बहुत धीरे-धीरे मेरे अंदर प्रवेश करो।"

मैंने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को थोड़ा-सा खोला और लंड तो ऊके ऊपर रखा। मैंने थोड़ा-सा धक्का दिया लेकिन लंड फिसल गया। मैंने हुमा से कहा तुम अपनी चूत को अपनी पतली उंगलियों से खोलो और जब उसने ऑन दोनों हाथो के मदद से चूत की टाइट होंठो को थोड़ा ज़ोर लगाकर खोला। तो मैंने लंड पकड़ कर उसके छोटे से छेद पर लगाया और फिर हल्का-सा धक्का दिया। मेरा लंडमुंड का अग्रभाग उसकी चुत में घुस गया। वह दर्द से रो रही थी। मैंने अपने डिक को बहुत हल्का-सा पीछे किया और फिर से थोड़ा और जो से धक्का दिया। मेरे लंड का आधा, मशरूम सिर उसके योनी में घुस गया। वह दर्द से रो रही थी, "कृपया मुझे छोड़ दो मैं इसे नहीं ले सकती, यह बहुत बड़ा है।"

मैंने अपना मूवमेंट रोक दिया और उसके निप्पलों को एक-एक करके चूसा ताकि उसे आराम महसूस हो। कुछ मिनट बाद उसका रोना सिसकने थम गया। मैं समझ गया और उसके बिना कोई संकेत दिए मैंने अपने डिक को फिर थोड़ा-सा बाहर निकाल लिया और उसे पहले से तेज ताकतवार धक्का दिया। इस बार लंड और आगे जजाकर उसकी झिल्ली से टकराया।और उसकी कुंवारे पण की झिल्लि का पहला चुम्बन मेरे लंड ने किया वह फिर से चिल्लाई आह्हः मैं मर गयी रुखसाना आपा अलका बाजी प्लीज मुझे बचा लो मुझे बहुत दर्द हो रहा है। ये मेरे अंदर क्या लोहे की गर्म सख्त रोड घुसा दी है दीपक जी ने बहुत दर्द हो रहा है, बताया भी नहीं और एक दम से घुसा डाला बड़े ज़ालिम हो आप दीपक जी। मुझे भी लगा मेरा लंड बहुत फस कर जा रहा था। उसकी योनि सच में बहुत टाइट थी और मुझे भी लंड पर ऐसा कसाव महसूस हो रहा था जैसा मैंने पहले कभी भी महसूस नहीं किया था, , पर बहुत अच्छा लग रहा था। ।

मैंने उसका चिलाना सुन फिर से अपना मूवमेंट रोक दिया और उसके निप्पलों को एक-एक करके चूसना जारी रखा ताकि उसे आराम महसूस हो। कुछ मिनट बाद उसका चिलाना कम हुआ। मुझे पता था अब अगले धक्के को झेल पान इसके लिए बहुत मुश्किल होगा। वह मिन्नत करने लगी प्लीज मुझ से नहीं होगा आप इसे बहार निकाल लो प्लीज बहुत दर्द हो रहा है। मैं मर जाऊँगी फिर बोली एक बार बाहर निकाल लो फिर दुबारा थोड़ी देर बाद डाल लेना तब मैं नहीं रोकूंगी। क्या आप मुझे मरते हुए देख सकोगे? मुझे पता था कि ग़र अब बाहर निकल लिया तो ये फिर दर्द के डर के मारे कभी किस से नहीं चुद पाएगी क्योंकि अब उसे जिस दर्द का थोड़ा-सा अनुभव हुआ है, उससे वह कभी दुबारा नहीं गुजरना चाहेगी।

मैंने कहा अच्छा अब नहीं धक्का मरूंगा अभी इसक यही पड़ा रहने दो अगर बाहर निकलूंगा तो फिर इतना ही दर्द होगा जब तुम्हारा दर्द कम हो जाएगा तो तब निकाल लूँगा और उसे किस करते हुए उसका बदन सहलाने लगा। उसकी ऐसी चिल्लाहट सुन रोज़ी रूबी और रुखसाना बिस्तर के पास आ गयी और उसे सान्तवना देते हुए रुखसाना बोली। मेरी प्यारी बहना अभी थोड़ी देर में तेरा दर्द कम हो जाएगा ।। फिर रूबी बोली याद करो दीपक ने क्या बताया था पहले मिलन पर चूत की मांसपेशिया लंड के प्रवेश पर थोड़ा एडजस्ट होती हैं और लंड के लिए चूत में जगह बनाती हैं। । इसी कारण आपको दर्द हो रहा है। रोज़ी ने उसकी चूत को सहलाया और उसके दाने को छेड़ने लगी । जिससे उसकी उत्तेजना उसके दर्द पर हावी हो गयी और उसका रोना चिलाना काफ़ी कम हो गया पर उसकी आँखों से आंसू निकल आये।

मैंने उसके आंसुओ को पी कर कहा मेरी रानी बहुत दर्द हुआ क्या वह धीरे से बोली हाँ बहुत दर्द हो रहा है। आपका बहुत बड़ा है और मेरी चूत बहुत छोटी से है मुझे लगता है फट गयी है हैं। रुखसाना बोली अच्छा अब दीपक और नहीं फाड़ेंगे। रूबी बोली हैं दीपक आप प्लीज इसको बाहर निकल लो। और मुझे मेरे हिप्स को दबा कर इशारा किया की अब काम पूरा कर दो। उधर रोज़ी में मेरा लंड पकड़ा और मैंने उसके ओंठो पर अपने ओंठ लगाए और अब की बार लंड को पीछे ले जाकर पूरा ज़ोर लगा कर धक्का दे दिया और मेरा पूरा लंड उसकी योनी में चला गया और मेरे होंठों ने उसके ओंठो को अपने अंदर दबा लिया।

वह दर्द को बर्दाश्त नहीं कर सकती थी और साथ ही चिल्ला भी नहीं सकती थी क्योंकि मैंने उसके होंठ दबाए थे। वह मेरे होंठों को बड़ी मुश्किल से काटता है। मेरे होठों से खून आ रहा था। जैसे ही मैंने उसके ओंठो को छोड़ा वह ज़ोर से चिल्ला पड़ी अल्लाह फाड़ डाली हाय बेदर्दी ने मेरी चूत फाड् डाली।

अब तो मैं मर ही जाऊँगी। अम्मी! हाय! मेरी अम्मी! मुझे इन्होने मिल कर मार डाला। इस लम्बे बड़े लंड के चककर में मैं फ़स गयी। इससे तो अच्छा था टॉम के छोटे पतले लंड से चुद लेती। अलका बाजी तुमने मुझे फसा दिया लम्बे मोटे लंड के लालच में। यही बोली थी दीपक के मोटे लम्बे लंड से सील तुड़वा कर और चुदाई का बहुत मज़ा आया। ये क्यों नहीं बताया की इतना दर्द भी होता है। मैं मर गयी । आह मर गयी। ।

तो दोस्तों चिकनी संकरी और छोटी से चूत वाली हुमा की पहली चुदाई की कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक


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  7.  मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
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#44
hhhhhhhhhhhhhhhhoooooooooooooooooottttttttttttttttttttttttttt
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#45
अंतरंग हमसफ़र

तृतीय अध्याय

खूबसूरत युवा सहेलिया


भाग -18

हुमा की पहली चुदाई. 



मैंने हुमा की संकरी बाल रहित कुंवारी योनि में अपने कठोर लंड को पूरा का पूरा जड़ तक घुसा दिया। वह दर्द के मारे रोनी लगी तो फिर मैंने कहा कि अच्छा में 2 मिनट में बाहर खींच लूँगा। अब और नहीं फाड़ूँगा और धीरे से उन्हें सहलाने लगा और चूमने लगा। जब उसका दर्द थोड़ा कम हुआ और उसकी योनि मेरे लंड के हिसाब से एडजस्ट हो गयी। कुछ देर के बाद वह शांत हुई अब में उसके बूब्स को चूसने लगा था। अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था। फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया तो कुछ देर के बाद वह फिर से गर्म हो गई। मैंने उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके दोनों पैरों को फैलाया और अपना लंड 2 इंच बाहर निकालकर फिर से एक ज़ोर का शॉट मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ चूत की जड़ में समा गया।


मैंने अपने लंड को धीरे-धीरे से हुमा की चूत से बाहर करने की कोशिश चालू कर दी और वह भी अह्ह्ह-अह्ह्ह और आझ्ह् अह्। करने लगी। हुमा की चूत संकुचन करने लगी और हुमा की चूत मेरे लणड को कसने लगी और लण्ड को जकड लिया सच में बता नहीं सकता कितना मज़ा आ रहा था।


[Image: 6prbza.gif]

वो ज़ोर से चिल्लाने लगी कि नहीं मुझे छोड़ दो, नहीं में मर जाउंगी, अपना लंड बाहर निकाल लो, लेकिन मैंने उसे अनसुना करते हुए एक ज़ोर का धक्का और लगाया तो वह और ज़ोर से चिल्लाई। लंड उसकी कसी हुई संकरी चूत की दीवारों रगड़ते हुए जस तक चूत में समा गया। फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए उसके मुँह को बंद किया और अपने धक्के लगाता गया। लंड चूत के कसी और संकरी होने के कारण फस-फस कर जा रहा था। उसकी कसी संकरी चूत में लंड आगे पीछे करने में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। उसकी चूत में स्राव होने लगा जिससे चिकनी हो गयी और लंड को अंदर बाहर करना थोड़ा आसान हो गया। अब वह झटपटा रही थी और अपने बदन को इधर से उधर करने लगी, लेकिन में नहीं माना। एक ज़ोर का झटका लगाया, पूरा लंड बाहर खींचा और फिर एक ही जोरदार झटके में पूरा लंड उसकी चूत के अंदर चला गया। उसकी आह निकल गयी, अब में धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था और अब उसकी आँखों से आसूँ निकल रहे थे।


मैंने पूरी ताकत से धक्के लगाना जारी रखा। हर बार मैंने अपने डिक को पूरी तरह से बाहर निकाल लिया और पूरी तरह से उसकी योनी में ज़ोर से धक्का दिया। हर बार मेरा लंड उसकी चूत में पूरा समां रहा था। धीरे-धीरे उसका दर्द गायब हो गया और उसे भी मज़ा आने लगा। कमरा हमारी घुरघुराहट और कराहने की आवाज़ से भर गया।

जैसे ही मैंने अपने लंड को उसके अंदर धकेलना शुरू किया उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए बिस्तर पर सिर रख दिया और कराहने लगी क्योंकि उसे लगने लगा था कि मेरा सख्त मांस उसके अंदर गहराई तक जा रहा है। मैंने हुमा की गोल गांड को पकड़ लिया।

मैंने अपने कूल्हे से एक जोरदार धक्का दिया और मेरा पूरा लंड हुमा के अंदर चला गया। वह रोइ और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं और अपने हाथ से बेडशीट पकड़ ली। मैंने फिर से अपने लंड को सर तक खींचा और वापस हुमा की चूत में धकेल दिया।

फिर 10 मिनट की और बेरहम चुदाई के बाद जब उसकी चीखे कम हुई और सिसकारी में बदलने लगी तो मैंने अपना लंड आधा बाहर कर लिया और अंदर बाहर करने लगा। फिर अचानक से हुमा ने मुझे कसकर अपनी बाहों में जकड़ लिया और झड़ गयी और मुझे चूमने लगी। फिर मैंने कहा कि अब कैसे हो? तो हुमा बोली मज़ा आ रहा है। बहुत मज़ा आ रहा है। आप का लंड बड़ा ज़ालिम लेकिन प्यारा और मस्त है। अलका सच कह रही थी आप बहुत अच्छा चोदते हो। चोदो मुझे और चोदो और फिर मैंने उसकी जमकर धुनाई करते हुई चुदाई की और अपना रस उसकी चूत में ही डाल दिया।


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मैंने उसको चूमा और कुछ देर के लिए उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसको किश करता रहा और वह भी मेरा साथ देती रही। फिर में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कंधो और गर्दन पर चूमा तो उसने मुझे कस का पकड़ लिया। वह फिर से गर्म हो गई थी। फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो इस बार वह बिलकुल नहीं चिल्लाई। कुछ देर के बाद मैंने पूछा कि मज़ा आ रहा है। फिर वह बोली कि हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है,। हाईईईईई, म्म्म्मम करने लगी।

थोड़ी देर के बाद वह अपनी कसी हुई चूत के अंदर मेरे धक्को से अपने अंदर हो रहे घर्षण का आनंद लेना शुरू कर रही थी। खासकर मेरे प्रेम रस के पहले चिकनाई भरे इंजेक्शन के बाद। उसके नितंब मेरे से मिलने के लिए तड़प उठे थे और उसकी बाहें मेरे शरीर के चारो और घिर गयी और अब दोनों चाहते थे ये घर्षण का सिलसिला कभी न रुके।

मैं उसको चूमता रहा और उनके बूब्स को सहलाता रहा। मैंने विशेष कोशिश की के मेरा लण्ड चूत से बहार न निकले। मैं अपना लण्ड हल्का से पीछे करता था फिर कस कर धक्का लगा कर अंदर करता रहा। उसकी कसी हुई संकरी चूत में जैसे घिस-घिस कर रगड़ते हुए मेरा लंड अंदर बाहर जा रहा था। आपको बता नहीं सकता कि हम दोनों को उस समय कितना मज़ा आ रहा था। जब भी मैंने लंड को आगे धक्का लगाता था तो वह भी अपने चूतड़ उठा कर मेरा साथ देती थी। मेरा लंड उसकी कसी हुई संकरी चूत के अंदर पूरा समां जाता था तो दोनों के आह निकलती थी। फिर मेरे हाथ उसके बूब्स को मसलने लगे फिर मैं उसकी चूचियों को खींचने लगता था तो हुमा सिहर जाती थी और सिसकने लगती थी। उसके बाद हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए। मैं हुमा को बेकरारी से चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे। जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी फिर मैंने हुमा की जम कर चुदाई की और दोनों ने इस बार काफ़ी देर तक बिना रुके चुदाई की।

और जब तक कि इस तरह दोनों एक साथ चुदाई करते हुए साथ में है झड़ गए। उसके बाद भी हम दोनों ही अलग होने के लिए अनिच्छुक लग रहे थे और झड़ने के बाद भी चिपके हुए चुम्बन लेते रहे।


[img]https://i.ibb.co/KDMxv14/'.a-br.webp[/img]

मेरा लंड अभी भी उसकी योनि के अंदर ही था और चुमबन और उत्तेजना से बहुत जल्द ही पुनः कठोर हो गया था। मैंने धीरे से पुछा अब कैसा लग रहा है वह बोली

मेरी ज़िन्दगी मेरी जान हो तुम और क्या कहूँ.

मेरे लिए सकून का दूसरा नाम हो तुम।

तुम्हारी चुदाई से ही मुझे आराम मिलेगा। मैंने उसकी चूत पर हाथ लगाया तो मैंने देखा वह सूज गयी थी। मैंने उसको सहलाया तो वह कराह उठी। तो मैंने सोचा अभी इसे थोड़ा आराम करने देना चाहिए।

मैंने धीरे ले उसकी टूटी हुई कौमार्य के खून से सने हथियार को बाहर निकाला तो मेरा लंड अभी भी कठोर था। सब ने हमे घेर लिया और मुबारकबाद दी। रुखसाना ने भी अपने बहन को उसकी कौमार्य की रुकावट की परेशानी से छुटकारा मिलने पर उसके बधाई दी। बॉब के स्थान पर मेरे लंड की प्रचंड स्थिति देखते हुए. मेरे लंड पर अपना हाथ रख मेरे ऊपर अपना दावा किया। मैं देख सकता था की जैसे ही उसने मेरे कठोर लंड पर हाथ रखा, उसकी आँखें मेरे साथ सम्भोग की इच्छा से भरी थीं। वह अब मेरे साथ उस आनंद की पुनरावृत्ति के लिए उत्सुक थी जो उसने अभी-अभी चखना शुरू किया था।

रुखसाना उस समय वस्त्रहीन हो चुकी थी और वह बिस्तर पर पेट के बल लेट गयी और अपने सर को और कंधो को नीचे टिकाते हुए उसने अपने नितम्ब और कूल्हे इस तरह से ऊपर उठा दिए के मेरे आगे उसकी कोमल योनि उजागर हो गयी। मेरे लिए रुकना कठिन हो गया। मैंने उसकी योनि को चूमा और फिर उसके अपर लेट गया। और इसके नितम्ब मेरे नीचे थे और क्या सुखद एहसास था। उसके नरम और गोल नितम्बो की दरार के बीच उसकी योनि से स्पर्श कर रहा था। मैंने पीछे से उसके स्तनों को पकड़ कर दबा दिया। फिर उसकी पीठ को चूमा और उसकी सारी पीठ की गीली चटाई कर दी और उसके नितम्बो को चूमा। फिर उसको पलटा और धीरे-धीरे मैंने अपना लंड उसकी कोमल योनी में डाला।

फिर मैंने धीरे-धीरे उसकी चुदाई शुरू की। उसकी योनी ने मेरा लंड उसमे तेजी से अंदर बाहर होते हुए धड़कने लगा और उसे तब तक चोदता रहा जब तक वह झड़ नहीं गयी तो उसके बाद उसके साथ ही लेटी हुई हुमा ने मेरा लंड बाहर निकाल लिया और उसे अपनी चूत पर खींच कर रगड़ने लगी और फिर उसने चूतड़ उठा कर लंड को अंदर फसाया और मेरे नितम्बो को दबा कर मुझे इशारा किया। मैंने भी एक जोरदार धक्का लगा कर लंड और लंड उसकी संकरी चूत जो की मेरी और उसकी चिकनाई से तर थी, उसमे पूरा अंदर कर दिया। मैंने उसके बूब्स को दबाये और उसके निपल्स को अपनी जीभ से हिलाने लगा।

यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदमय चुदाई थी। हमने बार-बार ऐसा किया और जब हम थक गए, तो रुखसाना ने मेरे लंड को नए सिरे से चूसा। सारी रात कमरा हमारे मजे भरी कराहो और आवाजों से गूंजता रहा। यह सब इसी तरह अगले दिन की सुबह तक चला और सब थक कर वही सो गए।

दोस्तों कहानी जारी रहेगी।

आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक



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#46
अंतरंग हमसफ़र


तृतीय अध्याय



खूबसूरत युवा सहेलिया



भाग -19



हुमा की आनंदभरी चुदाई. 




संकरी बाल रहित कुंवारी योनि वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया। उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और फिर सुबह थक कर उसके साथ चिपक कर सो गया। 

फिर इस बीच बाक़ी सब लोगों ने क्या किया ?

मैं तो सारी रात हुमा के हुस्न और ख़ूबसूरती में इतना खोया हुआ था के मुझे कुछ होश नहीं की बाक़ी लोग क्या कर रहे थे। बाद में मेरे यही पूछने पर रोज़ी जो की मेरे बिस्तर के पास ही सब देख रही थी ने बताया की सब के सब हमारी चूमने चाटने और कराहे ओह आह सुन कर गर्म हो गए और पहले तो उनके हाथ उनके सीनो पर चल रहे थे फिर उनके हाथ अपने-अपने गुतंगो पर पहुँचे और अपने-अपने गुप्तांगो को सहला रहे थे। किसी ने अपने कपडे ख़ुद उतारे और किसी ने दुसरे के कपडे चूमते हुए उतारे। कुछ देर बाद सब से सब नंगे हो कर एक दुसरे के अंगो पर पहुँच कर उन्हें छेड़ रहे थे और उसके बाद एक दुसरे को चूमने लग गए।

बॉब ने इस बीच रुखसाना और रूबी को चोदा और टॉम ने मोना और टीना दोनों को चोदा। जहाँ एक तरफ़ जेन और अलका वही दुसरे तरफ़ लूसी और सिंडी एक दुसरे के अंगो को पहले सहलाती रही। फिर एक दूसरी की चूत को चूसती रही फिर सब ने अपनी जगह बदली और एक दुसरे तो चूमने और सहलाने के बाद सब थक कर सिर्फ़ आपकी और हुमा की चुदाई सांस रोके, रात भर देखते रहे।

आपको तो पता नहीं हुमा के साथ क्या हो गया था? । आप हुमा को बिना रुके बार-बार चोदते रहे और जब रुखसाना आपके पास गयी तो जब आप झड़कर रुकते थे तो रुखसाना लंड बाहर निकालती थी तो वह अर्ध कठोर ही होता था। रुखसाना उसे चूस कर दुबारा कड़ा कर देती थी और हुमा की चूत से लगा के आपकी पीठ दबा कर इशारा कर देती थी और आप फिर शुरू हो जाते थे। हुमा भी बड़े मजे ले-ले कर सारी रात चुदती रही।

तो मैंने पुछा और तुमने क्या रात भर किया तो रोज़ी बोली आपकी नॉन स्टॉप चुदाई देखती रही और अपनी चूत में ऊँगली करती रही और पता नहीं कितनी बार झड़ी। और फिर आप दोनों को वही छोड़ कर वही सो गए और सुबह मैंने सब को रूबी की मदद से उनके कमरों में पहुँचा दिया

देर तक सोने के कारण अगली सुबह मैं लगभग नाश्ते के समय उठा और देर से नाश्ते पर पहुँचा, तो जेन और उनकी बहनों ने ब्रेकफास्ट टेबल पर हमारी देर से उपस्थिति पर मुझे टोकते हुए कहा, " आपने हमारे लिए बिस्तर का इंतज़ाम करके और पिक्चर चलाने के बाद आपने हमे अपने हाल पर छोड़ दिया था और अपने साथियो को भूल कर आप पता नहीं कहाँ खो गए थे। हुमा की हालत भी मेरे जितनी ही बुरी थी, क्योंकि वह वास्तव में अभी भी जो रात में हुआ था उसी की यादो में खोई हुई थी। उसने अपना नाश्ता भी अपने कमरे में ही किया। मेरा मन ही नहीं था हुमा को छोड़ कर कही जाने का।

नाश्ते पर फूफा जी ने मुझ से पुछा की यहाँ आस पास कौन जी जगह है जहाँ घूमने जा सकते हैं। तो मैंने प्रस्ताव किया के वह ताज महल आगरा ज़रूर देखने जाए और चुकी जेन और उसकी बहने ने ताजमहल देखा भी नहीं था तो सब बहने उत्साहित हो गयी। तो अलका ने प्रस्तावित किया की सब लोग मथुरा भी जा सकते हैं। उसके बाद भारतपुर जा कर वहाँ झील पर पक्षियों को देख सकते हैं। वहाँ काफ़ी दुर्लभ पक्षी दूर देशो से आते हैं और आजकल मार्च में काफ़ी मज़ा आएगा। उसके बाद वहाँ से जयपुर भी जा सकते हैं।

जिस पर फूफा जी और सब ने कहा ठीक है देखो क्या इंतज़ाम हो सकता है। तो मैंने मेरा एक दोस्त के पिताजी जिनका टूर और ट्रेवल का काम था उनसे बोल कर एक मिनी एयर कंडिशन्ड बस और रहने घूमने और खाने पीने का सब बंदोबस्त करवा दिया और पूरा एक हफ्ते का कार्यक्रम बन गया। और फिर फूफा जी ने कहा सब लोग एक घंटे में त्यार हो जाओ। अभी निकलते हैं। तो फिर फूफा जी बुआ जी छोटी बुआ जी बुआ के सब बच्चे, रुखसाना और रूबी, मोना और टीना तीनो सहायता के लिए।

मेरा मन था कि इस समय का फायदा उठाया जाए और हुमा के पास ही रहा जाए तो मैंने कहा मुझे यहाँ कुछ काम हैं उन्हें मैं आप लोगों की अनुपस्थिति में निपटा लूँगा। चुकी हुमा की भी तबीयत ठीक नहीं है और वह भी जाना नहीं चाहती। तो ये सुन कर सब बहने और रुखसाना मुस्कुरा दी और रुखसाना बोली हाँ उसे तो बस में उलटी भी आती है वह नहीं जायेगी। मैंने रुखसाना का हाथ पकड़ कर उसे दबा कर मेरी मनोस्तिथि समझने के लिए थैंक यू कहा। तो तय हो गया चुकी मैं नहीं जा रहा तो रोज़ी भी नहीं जायेगी।

फिर जब सब त्यार हो कर सामन बाँधने चले गए तो मैं हुमा को सबके घूमने की और हमारे रुकने की बात बताई तो वह खुश हो कर मुझ से लिपट गयी। मुझे चूमते हुए बोली ये आपने-आपने बहुत अच्छा किया अब मैं बिना किसी हिचक के आप के साथ रह कर प्यार कर सकुंगी। मैं उसके साथ रुखसाना के पास धन्यवाद करने गया तो वह बोली जैसे कल रात को आप हुमा के साथ दीवाने हो कर नॉन स्टॉप सम्भोग कर रहे थे तो मैंने वही देख कर सोचा आप दोनों को एक साथ रहने का मौका दिया जाए।

दीपक मेरी बहन के साथ एक हफ्ते का चुदाई करके हनीमून मना लीजिये। फिर बता दीजिये मेरा नंबर कब आएगा तो मैंने कहा "आप भी रुक जाओ।" तो वह हसते हुए बोली मैं तो बस देखती ही रह जाऊँगी। आप दोनों एक दुसरे को छोड़ने वाले नहीं हो और इसका नमूना मैं कल रात देख ही चुकी हूँ। तो मैं क्यों बनु कबाब में हड्डी। इसलिए अभी आप दोनों मजे कीजिये और फिर बाद में मैं अपना हिस्सा आप से ज़रूर वसूल लूंगी।

फिर रुखसाना हुमा से गले लगते हुई बोली हुमा! इतने मजे मत लूटना की हमारे लिए कुछ भी न बचे।

एक घंटे बाद सब त्यार हो कर बस में बैठ कर मथुरा के लिए निकल गए और घर में केवल मैं हुमा और रोज़ी रह गए। उनके जाते ही उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा और मैं खींचता हुआ उसके पास पहुँचा और हमारे होंठ जुड़ गए। मैंने एक ही झटके में हुमा को बिस्तर पर पटक कर उसके कपडे लगभग फाड़ते हुए उतार दिए और एक ही झटके में जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा का पूरा लंड उसकी चुत में जड़ तक घुसा दिया और तब तक तेज-तेज धक्के मारता रहा जब तक दोनों झड़ नहीं गए। फिर उस दिन दोपहर के भोजन तक हमने घर के हर कोने में एक दुसरे को चूमते रहे।

तो दोस्तों कहानी जारी रहेगी। आगे मैंने हुमा के साथ एक हफ्ते तक हनीमून कैसे मनाया और हमने क्या-क्या किया आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक


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#47
अंतरंग हमसफ़र

तृतीय अध्याय


खूबसूरत युवा सहेलिया


भाग -20


हुमा के साथ मस्तिया जारी हैं. .





जब सब चले गए तो उनके जाते ही मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे। फिर रोज़ी मेरे पास आयी और मुझे बताया कि हुमा ने अपना नाश्ता नहीं किया है क्योंकि वह नाश्ते के समय खाने की इच्छुक नहीं थी। मैं उसके साथ गया और हमारे दोपहर के भोजन के लिए कुछ चीजों का चयन किया॥ इसमें बहुत सारे फल हैं, कटे हुए पके हुए आम, अंगूर केले और स्ट्रॉबेरी के साथ अन्य विदेशी फल, चॉकलेट, केक, दूध के शेक और शहद, भारतीय मिठाईया, और साथ में रोज़ी ने हमारे लिए विशेष रूप से जो हलवा बनाया था ले लिया।

मैंने हुमा को अपने दोपहर के भोजन का आनंद लेने के लिए कहा, लेकिन उसने कहा कि वह भूखी नहीं है। तो मैंने उसे खाने के लिए फल दिए, लेकिन उसने वह भी नहीं खाया, इसलिए मैंने कहा कि मुझे तुम्हें खिलाने दो। मैंने उससे आँखें बंद करने के लिए कहा और अगर वह आंखों को खोलेगी तो उसे दंडित किया जाएगा। उसे फिर उसे वह बस्तु प्लेट भर के खानी व पड़ेगी, जिसको खाने की वह पहली बार में अनिच्छुक थी। हुमा ने इस योजना पर कुछ ज़्यादा उत्साह नहीं दिखाया और बोली मैं बहुत कम ही खाती हूँ। मैंने कहा अच्छा दोनों मिल कर खाते हैं और मुझ पर भरोसा करो। वह बोली मैंने तो आपको आपने सब कुछ सौंप दिया है आप पर भरोसा नहीं करूंगी तो कहाँ जाऊँगी। तो मैंने उसे ठोस मिल्क शेक पीने को दिया जो उसने बहुत थोड़ा-सा पिया और बोली बस। मैं ज़्यादा दूध नहीं पीती।

इस बात पर मैंने उसके ओंठ को चूमा और उसके मुंह में मेरे मुंह से एक अंगूर पारित कर दिया। और उसने उसे पकड़ा एक दंश खाने के बाद बाक़ी हिस्सा वापस मेरे मुंह में धकेल दिया और बोली अच्छा जैसा आप कहो। तो यह अनुमान लगाते हुए कि मैं उसे खाने पिलाने की योजना को कैसे पूरा करने जा रहा हूँ, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।

मैंने एक आम का टुकड़ा अपने होंठों में लिया और उसके मुँह में धकेल दिया। उसने थोड़ी मात्रा में खा लिया और वापस मेरे मुँह में आधा घुसाने की कोशिश की लेकिन मैंने उसे वापस कर दिया। उसने उसे पूरा खा लिया और मैंने एक और टुकड़ा दिया तो उसने वह पूरा मेरे मुँह में धकेल दिया जिसे मैंने भी खा लिया और उसने फिर मुझसे कहा। तुम ऐसे मेरी आदत खराब कर दोगे।

मैंने उससे कहा कि मेरे प्यार तुम हो ही बिगाड़ने लायक और आप इस सप्ताह में बिगड़ जाने के लिए तैयार रहें। इसके बाद मैंने उसे बहुत सारे स्ट्रॉबेरी, अंगूर और फिर तरबूज और अन्य फल दिए।

मैं उसे खिलाने के लिए एक चम्मच का उपयोग कर सकता था, लेकिन मैंने उसको ऐसे ही आने हाथ और मुँह से खिलाने का फ़ैसला किया। उसके और भी करीब चला गया। वह सचमुच मेरे हाथ और मुँह से खा रही थी। मैं उसे खिलाते हुए हर बार खाने और फलो के कुछ टुकड़े उसके स्तनों के बीच की जगह गिरा देता था।

उसने मेरे होंठो पर एक गहरा चुंबन दे दिया। मैं उसे मेरे हाथ और मेरे मुंह के साथ खिला रहा था, मैंने मुँह भर के एक ग्रास ले लिया और उसके मुंह में गहरे चुंबन में धक्का दे दिया। हमारे लार और भोजन का संयोजन हमें एक उन्माद में मिला, मैं उसे खिला और सान रहा था। उसके बड़े-बड़े गोल स्तन खाने से सान गए थे, और निप्पल उत्तेजना से उभर गए थे, जिन्हें मैंने मुँह में लेकर ख़ूब चूसा।

मैंने एक चाकलेट का पैकेट फाड़ा, चाकलेट को अपने मुँह में रखा और अपने मुंह को हुमा के मुंह के पास लाया! चाकलेट देख हुमा के मुंह में पानी आ गया और हुमा भी आगे बढ़ कर मेरे मुंह से चाकलेट खाने लगी। अब मैंने मुंह से सारी चाकलेट अपने और हुमा के मुंह पर लगा दी, मैं हुमा के मुंह पर लगी चाकलेट खाने लगा, हुमा भी मेरे मुंह पर लगी चाकलेट चाटने लगी, हमने चाट-चाट कर एक दूसरे का मुंह साफ़ किया।

मैंने उसे पीने के लिए कुछ मिल्क शेक दिया लेकिन उसने बहुत कम मात्रा में पिया और मुँह बनाते हुए बोली कि उसे दूध पसंद नहीं है। फिर मैंने केक के शहद ऊपर डाला और उसे अपने मुँह से खिलाया। जिसे हमने आधा-आधा खाया।

फिर मैंने एक छोटी-सी हरी मिर्च ली और हुमा के ओंठो को मिर्च से छुआ और फिर उसके मुँह में डाल दी। मुँह में मिर्ची के जाते ही वह ज़ोर से चिल्लाई! लेकिन उसने आँखें नहीं खोलीं। वह रोती चिलाती हुई बोल रही थी है जल गयी, मेरा मुँह जल गया मेरी जीभ जल गयी। उह! आह! मर गयी, उसने हरी मिर्च को इस डर से थूक नहीं दिया कि उसे ज़्यादा मिर्ची खानी पड़ सकती है और उसने मुझसे कुछ मीठा माँगा। मैंने उसे दूध का शेक दिया। जिसे उसने ख़ूब पीया और बोली मेरा मुँह और जीभ जल गयी और फिर मैंने उसे अपनी जीभ बाहर निकालने के लिए कहा। उसकी जीभ पर बहुत सारा शहद डाल। उसने कुछ राहत महसूस की। लेकिन शहद उसके चेहरे, स्तन और जाँघों पर फैल गया।

मैंने उसे गले लगाया और मेरे शरीर के खिलाफ उसे दबाया और परिणामस्वरूप कुछ शह्द मेरी छाती और जांघो पर लग गई।

मैंने उसके ओंठो को चूमना शुरू किया और फिर उसके चेहरे और स्तन पर लगे शहद को चाटा और फिर उसकी जांघों को भी चाटा और बोला अब आँखे खोल कर मुझे देखो उसने आँखे खोली और मुस्कुरायी उसकी मुस्कराहट बहुत भोली, मनमोहन और सुंदर थी।

हम फिर किस करने लग गए। बता नहीं, ये सब कितना कामुक था। मैं अपने आप को रोक नहीं पा रहा था, मैं उसे देखता रहा।

मैंने शैम्पेन के दो गिलास बनाये और हम दोनों ने अपने सुखद और मजे के नाम पर एक जाम उठाया।

उसके बाद हुमा को मैं अपने हाथ से खाना खिला रहै था और हमने शैम्पेन के जाम उठाये।

मैंने शैम्पेन की बोतल को उठाया और उसके बूब्स पर दो बार उड़ेल दिए। उसने मुझे आश्चर्य से देखने लगी ये क्या कर रहे हो? वह मेरी हर हरकत देख रही थी।

मैं बस मुस्कुरा दिया और झुक कर चाटने लगा और उसके बाद मैं बस उसके स्तन और निप्पलों को चाटता और चूसता रहा। मैं बता सकता था कि वह उत्तेजित हो रही थी।

मैंने अपना सिर बग़ल में घुमाया और नीचे की ओर उसकी चूत की तरफ़ बढ़ा। मैं उसकी चूत के होठों को नमी और शैंपेन की बूंदों जो उसकी चूत और जाँघों तक छिटक गई थी से चमकती हुई देख रहा था। मैं उसको चूमते हुए नीचे उसकी नाभि और यनि के आस पास चूमते हुए उसकी योनि को चूमा और फिर चाटने लगा। उसकी योनि के रस और शैम्पेन के मिले जुले रस का स्वाद अध्भुत था।

मैं उसकी गंध सूंघ का महसूस कर सकता हूँ उसका शरीर सम्भोग के लिए त्यार था क्योंकि ऐसे समय में दोनों के शरीर से एक ख़ास गंध निकलती है।

मेरे लिए यह गंध थी जारी रखने के लिए एक निमंत्रण थी और मैंने वही किया। मैंने उसकी योनि की गहराई में अपनी जीभ उतार दी और उसे चाटा। उसकी योनि की उंगलियों से खोलते हुए अपनी जीभ से योनि की गहराई की तहों को महसूस करते हुए उसकी कामुकता का नमकीन और शराब मिला तीखा स्वाद चखा।

मेरा हाथ उसके स्तन और उसके नितम्बो तक चला गया। मेरा हाथ और नीचे गया, दाएँ और बाएँ नितम्बो के बीच की दरार में होती हुई मेरी उंगलियाँ उसके गीलेपन की ओर बढ़ रही थीं। मैंने उसकी योनि में आगे से एक उंगली डाली, और उसकी योनि की संकरी दीवारी की दृढ़ता को महसूस किया। और उसके मुँह से मेरे लंड को निकालने से पहले उसे उत्तेजित करने के लिए उसकी योनि के दाने को सहलाना शुरू कर दिया।

मैं फिर उसकी चूत को चाटने लगा। मैंने हुमा को पीछे होने और मेरे लिए अपनी टाँगे फैलाने के लिए कहा। जो उसने किया, उसके अपने हाथो ने उसकी योनि के होंठों तक पहुँच कर, उन्हें अलग किया ताकि मैं अपने चेहरे को उसके अंदर और गहराई से डुबो सकूँ।

फिर वह बोली प्लीज दीपक! अब और मत तड़पाओ अब मेरे अंदर अपना लंड घुसा डालो और मुझे चोदो! कस कर ज़ोर से चोदो। प्लीज अब जल्दी करो। मुझ से बर्दाश्त नहीं हो रहा। अब आ जाओ मेरे अंदर। वह गिड़गिड़ाने लगी।

मुझेलगा अब इसे और तड़पाना ठीक नहीं है और मेरा लंड भी फटने को हो रहा था। मैंने अपने लंड पर शैम्पेन की बोतल से थोड़ी-सी शराब में भिगोया और उसके छेद पर रख कर एक धक्का लगा दिया। । उसकी योनि अब कौमार्य के प्रतिरोध के बिना मेरे लंड का स्वागत किया और मेरा लंड उस ज़ोर दार धक्के के कारण उसकी योनि दीवारों से रगड़ खाता हुआ जड़ में समा गया।

हाय! उई माँ मर गई। । आह्ह्ह! उईईई! आह्ह! ऊओऊऊच! ऊउई! इम्म्मां! उम्म्ह्ह्ह!

वो बोली फाड़ ही डालोगे क्या। आराम से करो। वह बोली आराम से घुसाया करो फिर धीरे-धीरे स्पीड बढ़ा कर ज़ोर से किया करो। मैंने कहा अच्छा अब आराम से करूंगा और उसे किश किया। जिसका उसने गर्मजोशी से जवाब दिया। और फिर मेरी कमर चलने लगी और वह भी लये से लये मिला कर साथ देने लगी।

मेरे धक्को के गति और ताकत बढ़ती गयी और जल्द ही हम दोनों एक साथ चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए। मैंने योनि में ढेर सारी पिचकारियाँ मारी, और उसकी चूत ने भी संकुचन करते हुए मेरे लंड से मेरे वीर्य की एक-एक बूँद निचोड़ ली और मैं उसकी बाहो में समा कर उसके ऊपर ही लेट गया।

तो दोस्तों कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक





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#48
अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय



लंदन जाने की तयारी



भाग -1



हुमा से जुदाई 






मैं बोला नाश्ता ख़त्म होने के बाद, फूफा जी का फ़ोन आया और उन्हें आज के युवाओं के गैर जिम्मेदाराना रवैये के बारे में कुछ अविश्वसनीय, विडंबनापूर्ण टिप्पणी की और कहा कि बॉब को कुछ महत्त्वपूर्ण कागजात देने जाना था लेकिन बॉब उन्हें देना भूल गया है और फिर कहा: " दीपक, क्या आप मुझे उपकृत करने के लिए कुछ दर्जन मील जा पाएंगे। आप कृपया मेरी अलमारी में रखे कुछ गोपनीय कागजात को श्रीमती लिली नामक महिला तक पहुँचा दे।

मैंने हामी भर दी, लेकिन मैंने देखा कि मेरे इस ब्यान से हुमा बहुत नाराज हो गयी थी। हुमा इस क़दर नाराज़ थी कि अब वह वापस जाना चाहती थी। मैंने उससे रुकने के लिए अनुरोध किया और जल्द ही वापस लौट आने का वादा किया, लेकिन वह इतनी नाराज थी कि उसने मुझे तुरंत उसके घर वापस जाने के लिए व्यवस्था करने के लिए कहा, मैंने उसे रोकने के लिए बहुत कोशिश की लेकिन सब कुछ व्यर्थ सिद्ध हुआ। उसने एक टैक्सी बुलाई और तुरंत निकल गईl

तब तक मेरी टैक्सी भी दरवाजे पर आ गई, मैं तुरंत टैक्सी में बैठकर निकल गया। सफ़र के दौरान मेरे विचार बहुत कामुक थे शायद इसलिए की मेरी योजना की अगले पूरे हफ्ते हुमा की चुदाई और चुदाई करूंगा पर पानी फिर गया था l इस बीच सफर में भी कुछ बहुत सुंदर लड़किया नजय आयी और उन्हें देख मैंने अपने लंड को मसला जब मैं श्रीमती लिए के घर के प्रवेश द्वार पर पहुँचा तो मैं बहुत ज़्यादा काम उत्तेजित था गेटकीपर जल्द ही मुझे घर के अंदर ले गया और मेरी दस्तक का तुरंत एक गोरी और सुंदर युवा कन्या ने दरवाज़ा खोला। उसे देख मैंने फिर अपने लंड को मसला l

श्रीमती लिली घर पर थी और उस सुंदर युवा कन्या ने मुझे मैं ड्राइंग-रूम में बैठ कर इंतज़ार के लिए आग्रह किया, क्योंकि श्रीमती लिली अभी भी अपने शौचालय में थी और वह जल्द ही अपने निजी कक्ष में मुझसे भेंट करेंगी। इस विनम्र संदेश ने मेरे सभी रोमांटिक प्रेमपूर्ण विचारों को पुनर्जीवित कर दिया, जो मैंने अपने सफ़र में महसूस किये थे।

जल्द ही वह कन्या आयी और मुझे श्रीमती लिली के निजी कक्ष में ले गयी। जैसे ही मैंने उनके कक्ष में प्रवेश किया, मैंने पाया कि श्रीमती लिली लगभग तेईस साल की एक सुंदर गोरी महिला थी, उसने चेहरे की सबसे आकर्षक अभिव्यक्ति के साथ मेरा स्वागत किया, उसकी बड़ी, भरी, गहरी आँखो ने मन की बात को जान लिया क्योंकि उसने अपना हाथ बढ़ाया मेरा हाथ पकड़ा और यह कहते हुए मुझे अपने पास एक सीट पर खींच बिठा लिया, "तो, तुम दीपक हो, अपने अंकल को बोलना कि मुझे आपको देखकर बहुत प्रसन्नता हुई और आप अपने आपके पिता, अंकल और कजिन और चचेरे भाइयों से भी आकर्षक हैं।"

फिर घंटी बजाते हुए, उसने जारी रखा, "आप सफ़र के बाद थक गए होंगे! क्या आप मेरे साथ एक कप चॉकलेट लेंगे? तब तक मैं आपके अंकल के कागजत को देखती हूँ" एक दराज खोलकर और कानूनी दस्तावेजों जैसे कागजों के कई बंडलों को मेज पर बिछाते हुए उन्हें देखने लगी। जैसे ही उस नौकरानी ने प्रवेश किया (वह वही बहुत सुंदर लड़की थी जिससे मैं श्रीमती लिली के यहाँ सबसे पहले मिला था। -" डेज़ी, दो कप चॉकलेट लाओ, कुछ बिस्कुट के साथ।

जल्द ही वह कन्या आयी और मुझे श्रीमती लिली के निजी कक्ष में ले गयी। जैसे ही मैंने उनके कक्ष में प्रवेश किया, मैंने पाया कि श्रीमती लिली लगभग तेईस साल की एक सुंदर गोरी महिला थी, उसने चेहरे की सबसे आकर्षक अभिव्यक्ति के साथ मेरा स्वागत किया, उसकी बड़ी, भरी, गहरी आँखो ने मन की बात को जान लिया क्योंकि उसने अपना हाथ बढ़ाया मेरा हाथ पकड़ा और यह कहते हुए मुझे अपने पास एक सीट पर खींच बिठा लिया, "तो, तुम दीपक हो, अपने अंकल को बोलना कि मुझे आपको देखकर बहुत प्रसन्नता हुई और आप अपने आपके पिता, अंकल और कजिन और चचेरे भाइयों से भी आकर्षक हैं।"

फिर घंटी बजाते हुए, उसने जारी रखा, "आप सफ़र के बाद थक गए होंगे! क्या आप मेरे साथ एक कप चॉकलेट लेंगे? तब तक मैं आपके अंकल के कागजत को देखती हूँ" एक दराज खोलकर और कानूनी दस्तावेजों जैसे कागजों के कई बंडलों को मेज पर बिछाते हुए उन्हें देखने लगी। जैसे ही उस नौकरानी ने प्रवेश किया (वह वही बहुत सुंदर लड़की थी जिससे मैं श्रीमती लिली के यहाँ सबसे पहले मिला था। -"डेज़ी, दो कप चॉकलेट लाओ, कुछ बिस्कुट के साथ," जब वह चली गयी तो वह बोली "आपको क्या लगता है डेज़ी एक सुन्दर लड़की नहीं है? मेरे पति के यहाँ वह मेरी शादी से भी पहली से सेवारत है। जब उन्होंने मुझसे शादी की तो ये बहुत छोटी थी । अब मेरे पति मुझसे दूर है; क्या आपको नहीं लगता कि एक युवा पत्नी को शादी के बाद ऐसे अकेला छोड़ना शर्म की बात है?"

मुझे जवाब देने का मौका दिए बिना, वह काग़ज़ निकाल कर इधर उधर घूमती हुई जिज्ञासु तरीके से बोलते-बोलते चलती रही और वह ख़ुद को कागजात बिछाने और समझने में बहुत व्यस्त होने का ढोंग कर रही थी।

कुछ देर बाद जब डेज़ी चॉकलेट ले आयी तो उसे दुसरी नौकरानी माधवी को यह बताने के आदेश के साथ बहहर भेज दिया गया कि उसकी मालकिन कुछ समय के लिए बहुत व्यस्त होगी और जब तक वह उसे पुकारती नहीं है तब तक उसे परेशान नहीं किया जाना चाहिए।

मेरी गोरी मेजबान की सबसे आकर्षक बात ये थी क्योंकि वह अपने पारदर्शी गाउन में घूम रही थी, जो ऊपर से खुला था, जिससे उसकी आकर्षक दूधिया छाती के ऊपरी भाग प्रदर्शित हो रहे थे वह केवल पेट के पास एक डोरी से बढ़ा हुआ था और उसकी गोरी लम्बी और चिकनी टाँगे जिनमे उसने खूबसूरत चप्पलो के अलावा कुछ भी नहीं पहना हुआ था।

फिर उसने थर्मस में से दो कप चॉकलेट उँडेली, उसमे कुछ ख़ास खुशबूदार पदार्थ डाला और मुझे उनमें से एक के साथ पेश करते हुए नरम लाउंज में मेरे साथ चिपक कर बैठ गयी। "इसे मेरी तरह एक घूँट में ख़त्म करो यह आपको एक-एक घूंट पीने और इसे ठंडा होने देने से कहीं अधिक अच्छा लगेगा।" उसने कहा ।

मैं उसे देख कर इतना प्रभावित था कि मैं उसके मश्वरे को ताल ही नहीं सका और हम दोनों ने एक घूँट में चॉक्लेट के अपने प्याले को पिया और मैंने लगभग तुरंत ही अपनेबदन में कामुक गर्माहट का रोमांच महसूस किया और जब मैंने मेरे प्यारे साथी को देखा तो उसकी आँखें में एक अजीब कामुक आग से चमक रही थी।

तो दोस्तों कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक


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#49
 अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -2


सेक्सी मेजबान की टांग में क्रैम्प. 




लिली ने मुझे कप पकड़ाने के लिए हाथ थोड़ा ऊपर किया तो उसकी गाउन उसकी छाती से थोड़ी दूर एक तरफ गिर गई और अब वो ऊपर से लगभग पूरी तरह से नंगी थी, और मैंने न केवल हाथीदांत के दो सबसे उत्कृष्ट गोल, पूर्ण और पॉलिश किए हुए सफ़ेद संगेमरमर के गोल स्तन देखे, बल्कि उस संगेमरमर के ऊपर सजा हुआ गुलाबी मूंगा भी देखा, जो उनमें से प्रत्येक को सुशोभित कर रहा था। मैंने देखा उसने मेरी नज़र की दिशा को पकड़ लिया था, लेकिन उसने अपना हाथ नीचे करने की कोई जल्दी नहीं थी, और मैंने ठीक अंदाजा लगाया कि उसके आकर्षणो का यह उदार प्रदर्शन किसी भी तरह से अनजाने में नहीं था।

वह पूर्ण अंडाकार सुंदर चेहरे के साथ स्त्री सौंदर्य की एक आदर्श आकृति थी! गुलाब के फूल जैसा मुँह और चेरी जैसे होंठ, छोटे-छोटे कान, उत्तम गोल चमकदार कंधे, पूर्ण और सुंदर भुजाएँ, लहराती हुई उत्तम छाती, गोल सुदृढ़ और मोठे स्तन जिन्हे मैं सहलाना और धीरे से दबाने का सौभाग्य प्राप्त करना चाहता था।

यह वास्तव में बहुत सुंदर थी और उस समय मेरे सामने अर्ध-नग्न थी और थोड़ा शर्मा रही थी। उसके गोरे गाल शर्म से लाल हो चमक रहे थे, उसके प्यारे चमकदार कंधे और उसकी उत्तम छाती लगभग पूरी तरह से नग्न थी! मैं अपनी आँखों को त्वचा के करीब ले गया तो मुझे दिखा की उसकी त्वचा की बनावट कितनी अच्छी थी। उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था।

उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे।

इसके साथ हर पल और अधिक साहसी होते हुए और श्रीमती लिलि के जोशपूर्ण स्वभाव का लाभ उठाते हुए मैं अपने हाथ से सुकि टांगो को सहलाते हुए उसकी जांघो तक ले गया तो मैंने पाया कि मेरे हाथ और उसके शरीर की चिकनी त्वचा के बीच बहुत हल्के मलमल के उस गाउन के अलावा और कुछ नहीं था। उसका चिकना बदन मुझे बहुत अच्छा लगा!

यह स्वाभाविक ही था एक सुंदर महिला के गर्म, धड़कते शरीर को अपनी बाहों में महसूस करने में कुछ ऐसा रोमांचकारी है कि न केवल मेरा खून अधिक तेजी से चला, बल्कि मुझे यह महसूस होने लगा कि मेरा लिंग जो हुमा के छोड़ जाने के कारण उदास और निराश था, वह मेरे हाथो के लिली की जांघो के संपर्क में आने के बाद जगने लगा।

उसके सुंदर स्तन गोल, मोटे और मज़बूत दिखने वाले थे। मैं उन प्यारे, प्यारे चुलबुले स्तनों को अपने कब्जे में लेना चाहता था ताकि मैं उन्हें अपने हाथ में के कर दबाने के बाद, उन्हें और उनके गुलाबी चुचकों को मेरे मुंह से चूसूं! उसकी जाँघों थोड़ी अलग हो गयी और उसकी गाउन उनके बीच गिर गई और उसने अपने स्तनों की गोलाई और सुंदर रूप को मुझे पूरी तरह से दिखाया, जिससे मेरी कामोतेजना और उसे पाने की इच्छा और अधिक भड़क गयी। वह जानती थी वह मुझे उत्तेजित कर रही है, क्योंकि वह मेरे उत्तेजित हृदय की धड़कन को मेरे तेज साँसों से महसूस कर सकती थी।

"आप मेरे पास सोफे पर बैठ जाइये," उसने इतनी मीठी आवाज़ में हँसते हुए कहा, " लेकिन अगर आप बुरा न मानें तो हम बिस्तर पर एक साथ बैठ सकते हैं!

"मुझे ख़ुशी होगी," मैंने कहा, "अगर आप बिना पीठ के सहारे बैठे रहेंगे तो आप थक तो नहीं जाओगी?"

"ओह!" उसने सबसे मासूम तरीके से कहा, "तुम बस मेरी कमर के चारों ओर अपना हाथ रखो, इससे फिर मुझे थकान महसूस नहीं होगी।"

हालाँकि, मैं बैठ गया, जैसे उसने मुझे करने के लिए कहा था वैसा करते हुए और मैंने अपना बायाँ हाथ उसकी पतली कमर के चारों ओर खिसका दिया और उसे अपनी ओर थोड़ा-सा आलिंगन दिया।

"आह!" उसने कहा, "यह सही है! मुझे कसकर पकड़ें! मुझे कसकर पकड़े रहना पसंद है!"

उसकी बातो से मुझे अंदाजा हो गया की उसका पति काफ़ी दिनों से यहाँ नहीं है और उसे अपने पति से दूर रहना अच्छा नहीं लग रहा है। उसकी पोशाक से दीखता हुआ उसका खूबसूरत अर्धनग्न बदन मुझे लुभा रहा था और वह मटक-मटक कर चल मुझे आकर्षित कर रही थी । फिर उसने नौकरो को भी बाहर भेज दिया था। अब हम दोनों बिलकुल अकेले थे, और उसकी आँखों में देखने के बाद काम देव मुझ में जाग गया थाl मैंने फटाफट खाली प्याला मेज पर रख दिया और अपनी बाजू उसके गले में डाल दी उसने मेरा चेहरा अपनी और किया तो मैंने उसके होंठ और गालों पर कई चुंबन जड़ते हुए अपने दूसरे हाथ से उसकी आमंत्रित करती हुई छाती को कब्जे में ले लियाl

वह शरमा गई और बोली, "ओह ओह! सर! आप मेरे साथ ऐसा कैसे कर सकते हैं उसके हाथो में उसका चॉक्लेट का प्याला था?"

"प्रिय आप मेरी इस धृष्टता को क्षमा करें और आप परेशान न हो, वास्तव में इस कप के कारण ही मैं ये हिम्मत कर पाया हूँ और इस सहायता के लिए मैं आपका और इस कप का बहुत आभारी हूँl मैं आपकी सुंदरता के आकर्षण से कैसे बच सकता हूँ और आपको चुने और चूमने के लालच से ख़ुद को मैं बचा नहीं पाया हूँl मुझे पूरा विश्वास हैं आप मुझे इसके लिए क्षमा कर देंगी।"

मैं खिसका और उसके सामने अपने घुटनों पर बैठ गया दिया और अपना चेहरा उसकी गोद में छुपा लिया, मैंने अपनी बाहों को उसकी कमर के चारों और लपेट दिया और उसके पूरे बदन को उत्तेजना के कारण से कांपता हुआ महसूस किया।

अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, "आह! हाय! ओह! ओह! ओह! मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। ओह! ओह!" और हाथ से प्याला नीचे फेंक दिया। "ओह, दीपक प्लीज मुझे छोड़ दो! हाय मर गयी हाय ओह! अब इसकी मालिश करनी होगी!"

अब ये मेरे लिए एक शानदार मौका और आगे बढ़ने का भाग्यशाली अवसर था। "आप इतने भयानक दर्द में हैं और मैं मेडिकल का छात्र हूँ, कृपया आप मुझे अनुमति दे l" मैंने इस अवसर आका फायदा उठाने के लिए हिम्मत करते हुए उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया। अब तक मैंने कितनी ही लड़कियों की सुन्दर और प्यारी टाँगें देखीं है, लेकिन श्रीमती लिली की टाँगे अध्भुत थी और उन पर न कोई बाल न कोई दाग या चोट का निशाँ, कुछ भी नहीं था। गोरी चिकनी बेदाग़ और सुन्दर टाँगे देख मेरे बदन में आग लग गई थी।

अपनी उंगलियों को धीरे-धीरे फिराते हुए मैं अपने हाथ धीरे-धीरे ऊपर और ऊपर उनकी जांघो तक ले गया और ख़ुद को उनकी नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन करने से नहीं रोक सका। श्रीमती लिली ने एक गहरी कराह भरी और बोली, " ओह! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद, मुझे बहुत नाज़ुक जगह पर दर्द हुआ था और वह ऐंठन अब दूर हो गई है और दर्द चला गया है। अगर आप नहीं होते तो पता नहीं मुझे कितनी देर ये कष्ट और सहना पड़ता ।

"नहीं, नहीं, मैडम, आपकी खूबसूरत जांघों का तंत्रिका संकुचन मुझे विश्वास दिलाता है कि दर्द का केंद्र ऊपर है और वह दर्द कुछ ही क्षणों में फिर से वापस आ जाएगा, और आप कृपया मुझे पूरा मुआयाना करने दीजिये ताकि मैं इसका स्थायी इलाज़ कर सकूँ और आपको पूरी राहत मिले वास्तव में आपको इसके लिए मुझ से शर्म नहीं करनी चाहिए, क्योंकि मैं एक मेडिकल छात्र हूँ ।" हर पल और अधिक साहसी होते हुए और उसके जोशपूर्ण स्वभाव का लाभ उठाते हुए मैंने झट से जवाब दिया।

तो दोस्तों कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।


कहानी जारी रहेगी





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#50
अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -3


सेक्सी मेजबान के साथ पहली बार संसर्ग



वह बोली "ओह दीपक! तुम वास्तव में एक बदमाश जवान हो, तुम्हारे छुअन ने और चुंबन ने मुझे बेकरार कर दिया है, मैं एक सुन्दर छात्र का विरोध नहीं कर पा रही हूँ? ओह, दीपक, मैं तो केवल तुम्हारी हिम्मत देखने के लिए और तुम्हे आकर्षित करने के लिए कोशिश कर रही थी लेकिन अब मैं और अब मैं अपने ही जाल में फँस गयी हूँ!"

उसके स्पर्श और उसकी सुंदरता ने मुझ पर अपना प्रभाव दिखाएँ शुरू कर दिया था, उसकी बाते सुन और उसके स्पर्श से और खूबसूरती के कारण मेरी पैंट में मेरा लंड खड़ा हो गया था और टेंट नज़र आने लगा था और उसके आँखों तुरंत निचली दिशा में गयी । उसने अपने परी जैसे सफेद और परिपूर्ण सुंदर टांगो को एक दूसरे पर मेरी उत्सुक आँखों में प्रदर्शित करने के लिए रखा ।

कोमल और स्वादिष्ट सुगंध जो केवल युवावस्था में महिला से निकलती है वह मुझे महसूस हुई और उसके प्रचुर लहराते सुनहरे बाल मेरे गालो से टकराये जो रेशम की तरह लग रहे थे। मेरे हाथ उसके चमकते हुए आकर्षणो को छूने के लिए तरस रहे थे! फिर कुछ क्षण हम मौन में बैठे रहे।

उसके सुन्दर टांगो और छोटे-छोटे पैर, इतने प्यारे, सुंदर पैर और ऐसी उत्कृष्ट रूप से मुड़े हुए नंगे टखने, उसने अपनी चप्पलें की जोड़ी उतार फेंकी थीं। उसके छोटे से खुले हुए गाउन ने उसके कंधों और छाती के कुछ हिस्से को ढँका हुआ था, लेकिन वह गाउन उसके पूरे आकार को, सफेद भुजाओं, उसकी पतली कमर या उसके शानदार और चौड़े कूल्हों को छिपाने के लिए नाकाफी था। उसके इस रूप और इन नंगे पैरों और टांगो ने मेरी कामिच्छा को भड़का दिया और मैंने उसे पकड़ कर उसकी टांगो में सर घुसा कर उसकी जांघो पर एक चुंबन कर दिया।

"आह! दीपक! इतनी जल्दी यह सब! आप तो दुःसाहसी होते जा रहे हैं।"

फिर मैंने महसूस किया कि उसका हाथ मेरी सफेद पैंट के नीचे रेंगा और उसने मेरे पेण्ट के ज़िप को खोल दिया । और अपना हाथ धीरे से मेरी जाँघ के ऊपर रख दिया। और धीरे से अपनी विस्तारित उंगलियों को मेरी जांघ के अंदर की ओर खिसकाते हुए: वह मेरे लंड को छुआ जो-जो अब उग्र रूप से खड़ा और कठोर था!

"प्लीज दीपक!" उसने मुझे थोड़ा मुझे दूर धकेलने की कोशिश की क्योंकि मैं उसकी प्यारी जांघों के बीच जाने की कोशिश कर रहा था। " श्रीमान, पहले सारे वस्त्र निकालिये मुझे औजार को देखना है, क्योंकि आपकी खुशियों के खजाने की गुफा अब बेपर्दा हो, अब आपके सामने ख़ुद को प्रकट कर रही है और उसने अपने गाउन को उतार कर नीचे फेंक दिया जो उसके द्वारा पहना गया एकमात्र कपडा था।

फिर एक छोटे से विराम के बाद वह आगे बढ़ी उसने गर्व से अपने सूजे हुए स्तन पर नज़र डाली, "तो क्या आपको लगता है कि मैं खूबसूरत हूँ?"

ओह! "मैंने उसकी तारीफ करते हुए कहा," श्रीमती लिली! मुझे लगता है कि मैंने दुनिया में इतना प्यारा चेहरा और फिगर पहले कभी नहीं देखा था! "

"क्या सच में! क्या आप जानते हैं कि मैंने क्या सोचा था, जब मैंने आपको टैक्सी में देखा था?" और आप मुझे लिली कहें!

"नहीं लिली!"

"मैंने सोचा था कि अगर मैं इतने अच्छे दिखने वाले, सुंदर युवक के साथ यात्रा कर रहा होती तो मुझे कोई आपत्ति नहीं होती!" और मैंने उसे अपने पास खींचा और उसके स्तन सहलाने लगा।

मैंने कहा, "लिली! अब मैं अपने आप को संयमित करने में असमर्थ हूँ। मुझे नहीं याद कि मैंने कभी पहले इस तरह की प्यारी छाती और इस तरह के मोहक, सुस्वादु चुलबुले स्तन कब देखे हैं!" और इसके साथ ही उसकी छाती में मेरा हाथ फिसल गया और उसके एक स्तन को मेरे हाथ ने जब्त कर लिया और मैं उसे धीरे से दबाने लगा है और अपनी उंगलियों के बीच उसके कड़े हो चुके निपल्स को निचोड़ा और उसके बाद मेरे सामने प्रस्तुत चूचक के सुंदर उभरे हुए मुंह को चूमा और फिर चूसा।

"आह!" वह कराही, "दीपक तुम्हें ऐसा करने की अनुमति किसने दी है? ठीक है अब इसके बदले में मेरे पास आपको अच्छा महसूस कराने के कुछ है!"

उसकी फुर्तीले उँगलियों में मेरी खुली हुई पतलून में से अपने हाथ की एक फुसफुसाहट से मेरी कमीज़ निकाल दी थी और इसके साथ ही मेरे गर्म सख्त और उग्र, पागल घोड़े पर उसने तुरंत अपना कब्जा कर लिया ।

मैंने उसका स्पर्श अपने लंड पर महूस करते हुए उसके निप्पल को हल्का-सा कुतर दिया "आह!" वह फिर कराही, " आह! ओह! वाह ये कितना सुंदर है! कितना सुन्दर!! और इतना बड़ा! और ये सिर्फ़ कठोर ही नहीं है बल्कि लोहे की रोड की तरह इसका सर गर्म और लाल भी है! और तुम्हारे पास कितने अच्छे बड़े अंडकोष हैं जिनमे मेरे लिए ढेर सारा रस है! ये बहुत सुंदर है! ओह! मैं उन्हें खाली करना चाहूंगी! ओह! अब तुम मुझे पाओगे!

और मेरे चेहरे को अपने पास खींचकर, मेरे ओंठो को चूम कर उसने अपनी जीभ मेरे मुंह में डाल दी, सबसे कामुक और स्वादिष्ट शैली में मेरी जीभ चूसते हुए वह मेरे खड़े हुए लंड पर हाथ चलाती और साथ में मेरे अंडकोषों को संभाल रही थी। जबकि मैं एक हाथ से उसके स्तनों को दबाते हुए दुसरे हाथ से उसकी योनि के दाने को छेड़ रहा था। यह मेरे अधीर लंड के लिए बहुत अधिक था, और जल्द ही उसके हाथों और शरीर पर मैंने पिचकारियाँ मार दी।

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  7.  मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
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#51
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -4

मेजबान के साथ संसर्ग
 





लिली एक पल में ही खड़ी हो गई, बिलकुल नग्न और उसकी त्वचा चमक रही थी और सुंदरता से दीप्तिमान, मेरे सामने वास्तविक उत्तेजक और कामुक सुंदरता सभी से परिपूर्ण।

वह मेरे सामने, मध्यम कद की एक प्यारी महिला मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ नग्न, चेहरे और आकृति की ऐसी अद्भुत सुंदरता के साथ खड़ी थी, उसके जैसा मैंने कभी देखा या सोचा था।

लिली न तो बिलकुल पतली थी न ही उसे मोटी कहा जा सकता है अपने आकार के लिए, वह पतली से थोड़ी बेहतर है और उसके शरीर के सभी अंग अनुपातिक थे । एक महिला के रूप में उसकी त्वचा अच्छी तरह से भरी हुई थी, उसका मांस लगभग पके आड़ू के गूदे की तरह सख्त और दृढ़ था। उसकी और लाली लिए हुए गोरी त्वचा निचला होंठ थोड़ा मोटा, ऊपरी ओंठ पतला जलीय हास्य के समुद्र में तैरती हुई हरी आँखे की पुतलीया, अच्छी तरह गोल लम्बी सुराही दार गर्दन पतली कलाई, लम्बी बाजुए लम्बी उंगलिये वाले हाथ, चौड़े कंधे, गर्दन का पिछला भाग बालो के नीचे से ढका हुआ था दो गोलार्द्धों की तरह अपने गोल फर्म स्तनों को बहादुरी से प्रदर्शित करती हुई, जो एकजुट होने पर आदर्श ग्लोब बन जाएंगे, स्पॉट पेट, पतली कमर, सांप की तरह चलने वाली चाल, कूल्हे पूरे गोल दृढ़ और लचीले, उत्कृष्ट रूप से ढाली हुई टाँगे और छोटे-छोटे पाँव, स्पार्कलिंग मुस्कान लिए हुए युवा, अति सुंदर, काव्यात्मक ईश्वर की उत्कृष्ट कृति मेरे सामने थी ।

लिली का रूप इतना विशुद्ध रूप से परिपूर्ण था, उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित, वे अतुलनीय अंग! दूधिया सफेदी और चिकनाई लिए हुए उसकी गोल और दृढ छाती की पहाड़ियों के ऊपर सजे हुए गुलाबी अंगूर उसके कामुक होने के कारण मोटे हो आमंत्रित कर रहे थे । इन सबसे अधिक उसका रोये के जैसे हल्के घुंघराले सुनहरी बालों से ढका हुआ त्रिकोणीय योनि क्षेत्र जिसमे मुड़ी हुई चिकनी जांघो ने उसकी गहरी कोमल दिखने वाली और अंदर की पतली रेखा बनाती हुई उस काम की देवी की पूर्णता की घोषणा की। केवल एक चीज जिसने सुंदरता से परिपूर्ण इस आकाशगंगा को थोड़ा प्रभावित किया, वह थी उसके पेट की हल्की से झुर्रि जो महीन रेखा की तरह उसके निष्पक्ष पेट की गहरी नाभि को पार कर गईं थी

मुझे बहुत लम्बी या बौनी लड़की पसंद नहीं है। वह मेरे लम्बाई के हिसाब से बिलकुल सही थी ताकि वह अपने पंजो पर-पर खड़े हो मेरे ओंठो पर मुझे चुंबन कर सके और उसने मुझे चुंबन किया और अपनी जीभ की मेरे मुँह में धकेल दिया। उसके आलिंगन और चुंबन के कारण मेरा लंड एक दम से कठोर हो गया

ओह! तुम तो बड़े नटखट और अधीर हो, इतनी जल्दी! सच बताओ क्या तुम ये पहली बार कर रहे हो? कितनी शर्म की बात है! "

मैं सोच ही रहा था की इससे पहले मैं कब इतनी जल्दी से उत्कर्ष पर पहुँच कर झड़ गया था? जहाँ तक मुझे याद है मैं पहले कभी भी इस प्रकार नहीं झडा था!

मैं मन में बोला ना!

मैं कुछ बोलता इससे पहले ही लिली मेरे लंड को पकड़ कर बोल पड़ी । नटखट लड़के, क्या तुमने सब ख़र्च कर दिया? तुम्हारे पास अब मेरे लिए बहुत कुछ नहीं बचा है? लेकिन ये तो अभी भी कठोर है! "उसने मेरे लिंग को अपने हाथ में पकड़ कर दबाया और लंडमुंड को ऊपरी चमड़ी से बाहर निकाल दिया। उसने आह भरी।" अपने कपड़े उतारो, श्रीमान और अब हम इसे आराम से करते हैं।

मेरे पति मुझे इस प्रकार छोड़ के जाने केलिए इस सजा के पात्र हैं, भला क्या कोई अपनी नवविवाहिता पत्नी को इस प्रकार से छोड़ कर जाता है। प्रिय! कैसे मैं बताऊँ तुम मुझे कितने अच्छे लगे, तुम्हारे पास कितन बड़ा और शानदार पुरुष का अंग है और इसलिए-वे इसे क्या कहते हैं?- (अपने शब्दों पर शरमाते हुए वह बोली) लंड! ओह ये कितना अभद्र है! मेरे पति अपने युवा साथियों के बारे में यही कहते है। क्या यह अशिष्ट शब्द नहीं है? ओह दीपक! लेकिन ये इतना अर्थ से भरा हुआ है। जब भी मेरे पति ने किसी के लिए ऐसा कहा, मैं एक सुंदर, बड़े लंड वाले युवा की कामना करने से ख़ुद को रोक नहीं सकी। आज मेरी ये इच्छा पूरी हो गयी है और आपके अंकल ने आपको आज मेरे पास भेजा है।

लिली ऐसे ही बोलती हुई मेरे लंड को पकडे हुए मुझे खींच कर दुसरे कमरे में ले गयी और मैंने रास्ते में अपने सब कपडे अपनी जूते जुराबे पेण्ट, जैकेट, कमीज और अंडरवियर सब रास्ते में उतार कर फेंक दिए जैसे अब मुझे कभी इनकी ज़रूरत नहीं पड़ने वाली। वह दौड़ती रही और मैं त्रिशंकु के समान नंगा हो गया था। फिर मैं उसकी और लपका और हम दोनों लिपट गए और चुंबन करने लगे हमारे होंठ जुड़ गए और उसकी जीभ मेरे खुले हुए मुँह में चली गयी और मैं उसकी जीभ को चूसने लगा । फिर गले, स्तनों और पेट को चूमने, और हर संभव तरीके से एक-दूसरे के आकर्षण को सहलाते और चूमते हुए, हमने धीरे-धीरे अन्य कमरे में बिस्तर की तरफ़ बढे । मैं रास्ते में एक दो बार रुका और खड़े-खड़े ही लंड ुकि योनि प्रदेश से टकरा कर अंदर घुसाने की कोशिश की लेकिन असफल रहा।

आखिरकार जब लिली बिस्तर पर पहुँच गयी तो मैंने उसे बिस्तर के कोने पर बैठा दिया और उसने मुझे घुटने पर बैठने का और अपनी योनि को चूमने के लिए इशारा किया।

मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, जो उसकी योनि के होठों से काफ़ी इंच-डेढ़ इंच दूर था। मैंने उसे परमानंद में चूसा और उसके संवेदनशील अंगों को इस तरह से सहलाया कि उसने एक या दो मिनट में मेरे सिर को अपने हाथों से पकड़कर योनि पर दबाया और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया यह सबसे स्वादिष्ट आनंददायक था; मेरी जीभ उसके मलाईदार उत्सर्जन में आनंदित हुई।

फिर लिली ने मुझ से बिस्तर पर आने और मुझ से चोदने का बार-बार अनुरोध किया और चुदाई का आनंद लेने के लिए भीख मांगी। तब मैंने उसके उत्तेजित भगशेफ को दांतो से कुतरते हुए उसकी जांघो और उसकी नाभि को चूमा और नाभि में अपनी जीभ घुसा दी और फिर एक दुसरे पर झपटते हुए, हम बिस्तर पर लुढ़क गए, उसके हाथ ने मेरे लंड को पकड़ लिया।

एक और क्षण में मैं लिली के ऊपर, उसकी चौड़ी-खुली जाँघों के बीच और उसकी सुंदर छाती पर आराम कर रहा था। मेरे सीने के खिलाफ उसके खूबसूरत बूब्स को नरम और लोचदार महसूस किया! और उसके सख्त हो चुके गुलाबी चूचक मेरे सीने में गड़ गए।

कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक




कहानी जारी रहेगी



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  8. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
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#52
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -5


लिली की योनि में मेरे लंड का प्रथम प्रवेश.


जब मैं उसकी योनि को चाट रहा था और अपनी ऊँगली से उसकीयोनि ने घुसाने का प्रयास कर रहा था तो मैंने मह्सूस किया उसकी योनी बहुत टाइट थी। मैंने उससे पुछा की क्या वह कुंवारी है?

"मेरे प्रिय दीपक! आपके लिए कुंवारी तो मुझे होना ही चाहिए, क्योंकि मेरे पति का लिंग मुझे खुश करने के लिए बहुत छोटा है और मेरी योनि जितनी तंग है। मैं उसके लिंग को अपनी सुहागरात में भी महसूस नहीं कर पायी थी और मुझे लगता है अब आपकी ख़ुशी का गहना मुझे भर देगा!" मुझे चूमते हुए उत्तर दिया ।

हम बिस्तर पर लुढ़क गए, उसके तैयार हाथ ने मेरे लंड को पकड़ लिया और मैं उसके प्यारे शरीर पर चढ़ गया। मैं अब लिली के ऊपर, उसकी चौड़ी-खुली जाँघों के बीच और उसकी सुंदर छाती को अपने छाती से दबा कर मैंने अपने सीने के खिलाफ उसके खूबसूरत बूब्स को नरम और लोचदार महसूस किया! और उसके सख्त हो चुके गुलाबी चूचक मेरे सीने में गड़ गए। मैं उसके ओंठ चूसने लगा।

मेरा लंड जाकर उसकी योनि और भगनासा से टकराया उसकी हरकतें उसके शब्दों की तरह कामुक थीं। उसने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया अब मेरा लंड लिली की कुंवारी चूत के बिल्कुल सामने था। लिली ने हाथ बढ़ा के मेरे अंडकोशो को सहलाया और फिर लंड पकड़ा और अपनी चूत के लबो पर फैरने लगी। लिली की चूत केहल्का-सा अंदर मेरा गरम-गरम लंडमुंड जैसे ही लगा उस ने एक झरजरी-सी ली। मुझे भी इस में बहुत मज़ा आ रहा था। मैं थोड़ा और झुक गया अब लिली ने मेरा लंड चूत की फांको के बीच ऊपर से नीचे फेरने लगी।इससे लिली की गीली-गीली चूत में गुदगुदी होने लगी।

अयाहआअहह! आह्म्म्म्मम।" लिली के मुँह से बाक़ायदा सिसकियाँ निकलने लगी।

और उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया, जबकि उस समय मैं भी उसकी स्वादिष्ट योनी में घुसने के लिए उतना ही उत्सुक तेज़ था। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया। लिली ने बड़ी ही मुश्किल से अपनी चीख अपने होंठो में दबाई लेकिन फिर भी ज़रा-सी निकल ही ग!. अया! आह! अह्ह्ह्ह! " लिली के मुँह से निकला वह दर्द से मरी जा रही थी।

मेरे साथ ये पहली बार हो रहा था जब किसी लड़की ने ख़ुद से अपनि योनि में मेरा लंड घुसा लिया हो । मैंने भी लंड को थोड़ा नीचे को दबा कर अपने कूल्हे नीचे धकेल दिए। मेरे बदन में लहरे-सी उठने लगीं और एक नया-सा सरूर आने लगा मेरी किस्सिंग में जोश-सा आ गया और मैंने लिली के पूरे चहरे को चूमना शुरू कर दिया। फिर उस के कानो पर आया और गर्दन पर और फिर दोनों हाथ में लिली के मम्मे पकड़ लीं और उस के लेफ्ट निपल को मुँह में ले कर चूसने लगा और ज़ुबान उस पर फैरने लगा। लिली के दोनों निपल्स हार्ड हो कर खड़े हो गये थे। मेरी ज़ुबान उस के निपल के गिर्द गोल-गोल घूम रही थी और वह मज़े की दुनियाँ में आँखे बंद किए उड़ रही थी। मैं दीवानो की तरह अब उस की मम्मों को चूस रहा था, काट रहा था और दोनों हाथो से ज़ोर-ज़ोर से सहला भी रहा था।

अब मैं आहिस्ता-आहिस्ता अपने मोटे लंबे लंड को लिली की चूत में अंदर करने लगा। लिली अपना सिर इधेर उधेर मारने लगी। उस ने आँखे ज़ोर से बंद कर लीं थीं और टाँगो को बंद केरने की कोशिश कर रही थी लेकिन उसकी टाँगों के बीच में था।

बास्स्स! अया आह अह्ह्ह्ह! "लिली बोली" रूको।" मुझे बहुत दर्द हो रहा है तुम्हारा बहुत बड़ा है ।

मे लिली की बात सुन वहीं रुक गया। उसकी तेज़-तेज़ साँसे ले रही थीं। उस के मम्मे उस के सीने पर पूरी तरहा फूल और पिचक रहे थे।

यह तुम्हारा पहला मौका है इसलिए दर्द दे रहा है। अभी मज़ा आएगा। अब कुछ नहीं होगा। पहली बार होता है । ये बर्दाश्त कर लो तो समझो बहुत मज़ा आए गा, ज़रा-सी देर और।" मैंने लिली के बालो में हाथ फेरते हुए उस बोला तो लिली बोली मुझे मालूम है और लिली मेरे होंठो को चूमने लगी।

इतने में उसका दर्द कुछ कम हो गया। उसे किस्सिंग का मज़ा आने लगा उसकी योनि कितनी नरम थी और उस पकड़ मज़बूत महसूस हुई, इंच दर इंच मैंने अपने लंड की धीरे-धीरे उसमें दफनाया, जब तक कि मेरा लंड उसकी योनि के खिलाफ जाम नहीं हो गया, पहले मेरे अंडे लटक गए फिर जैसे-जैसे लंडअंदर गया उसके प्यारे सफेद नितम्बो के साथ चिपक गए। मैं आगे नहीं जा सका।

और अपनी चूत में फँसे हुए मेरे लंड का भी मज़ा लेते उसने ज़रा-सा अपनी गाँड को उठाया। मैं समझ गया कि यही टाइम है और मैंने ज़ोर का झटका दिया कि मेरा पूरा लंड लिली की चूत में घुस गया और मेरी हल्की-हल्की झांटें सिमरन की रोयें जैसी जनता वाले साफ़ सुथरे प्यूबिक एरिया से जा लगीं और मैं वहीं रुक गया। मुझे महसूस हो रहा था कि मेरा लंड किसी टाइट से शिकंजे में फँस गया है। लिली के मुँह से निकली हुई चीख मेरे मुँह में ही रह गई. वह अपना सर ज़ोर से दाई बाईं करने लगी। उस की आँखों से आँसू निकलने लगे। उसे महसूस हो रहा था कि जैसे उस की चूत में आग लग गई हो कोई दहकता हुआ लोहे का रोड उसकी चूत के अंदर घुसा दिया गया हो। मैं उस को चूमते हुए हाथो से लिली के मम्मों को दबा रहा था ।

कुछ देर में लिली का दर्द कम हुआ और वह कुछ संभल गई. उस ने एक ज़ोर की साँस ली और बोली, "आअहह तुम ने मुझे मार ही डाला था आराम से करो मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ ।"

और एक महिला के पास क्या है! मेरी हर हरकत से उसकी ख़ुशी का इज़हार हो गया! उसे सुनने के लिए आपने कल्पना की होगी कि यह पहली बार था जब उसकी इंद्रियाँ अपनी नींव से ही शक्तिशाली रूप से उत्तेजित हुई थीं! उसके हाथ कभी भी स्थिर नहीं थे, वे मेरे सिर के पीछे से मेरे शरीर की अंतरंग सीमा तक, जहाँ तक वे पहुँच सकते थे, मेरे ऊपर चल पड़े। वह आनंद देने और प्राप्त करने की कला में बिल्कुल पारंगत थी।

हम एक दूसरे की बाँहों में लेट गए; एक दूसरे की आँखों में कोमलता से टकटकी लगाए। हम पहले बोलने के लिए बहुत बेदम थे। मैं महसूस कर रहा था कि उसका पेट मेरे खिलाफ दब रहा है और उसकी धड़कती हुई योनि ने मेरे लंड को पकड़ लिया था, जैसे कि वह उसका हाथ हो और फिर उसकी योनि संकुचन करते हुए लंड को चूसने लगी!

मुझे पता था कि मेरे लंड ने कितनी टाइट योनि में प्रवेश कर कितनी डिग्री का आनंद लिया था! मुझे लगा कि वह फिट है! वह गले से लग गई! उसने मुझे अपनी बाहों में लगभग कुचल दिया और अपने पैरों को मेरी पीठ पर रख दिया, उसने मुझे अपने मोटे तौर पर दबाया।

मैंने उसके प्यारे से चेहरे को देखा और उसके सुंदर चेहरे को चूमने लगा और उसके ओंठो को पिया, उसके बदन जिसे मैंने अपनी बाहों में जकड़ा हुआ था को सहलाया और दबाया और जिसकी कोमल और कामुक जांघों को मैंने घेर लिया मेरा! मैं कामना कर रहा था कि वह शांत हो जाए । वह मेरी लगातार, लालसा वीनस थी और मैंने लंबे समय की उसकी कामुक इच्छाओं के कारण उसे पा लिया था और उसकी बांहो में स्वर्ग का आनद महसूस कर रहा था इससे पहले कि मैं उसकी अतुलनीय फांक की चुदाई शुरू करता, मुझे अपने बारे में कोई धारणा नहीं थी। लेकिन मेरी हवादार कल्पनाएँ उसके यह कहने से दूर हो गईं।

"आप एक शान दार लंड के मालिक औ और एक अच्छे चोदू हो और इसमें आपकी कोई गलती नहीं है! ओह! आप जानते हो कि यह कैसे करना है! कोई भी व्यक्ति उस तरह से चुदाई नहीं करता, जब तक उसे सिखाया न गया हो!"

"नहीं" मैंने कहा, मेरी बाहों में उसे दबाकर और उसके गहरे लाल रंग का होंठो को चूमा, "मैंने इस तरह का कोई प्रशिक्षण नहीं लिया है और न ही इसमें अच्छी तरह से प्रशिक्षित किया गया हूँ । हाँ जहाँ तक बात है चुंबन की! मैंने कुछ अच्छे चुम्बन पीछे कुछ दिनों में देखे हैं और मैंने हमेशा उनका यथासंभव अभ्यास करने की कोशिश की है!"

कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

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#53
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -6

लिली ने सम्भोग का नया तरीका सिखाया.




मैंने लिली की चुत में लंड धीरे-धीरे अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और फिर धीरे-धीरे गति बढ़ाता गया । इससे मुझे और लिली को मज़ा आने लगा। मेरे हर शॉट के साथ लिली की आह-आह की सिसकियाँ गूंजने लगी। उस ने आँखे बंद कर लीं। लिली की कुंवारी चुत मुझे मिलेगी ये तो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था और फिर उसकी चुत बहुत ही कसी गरम और करारी थी। जाने कब मेरे धक्को में तेज़ी आ गई. हम दोनों को ही पता ना चला लेकिन अब लिली को दर्द नहीं केवल मज़ा और सरूर आ रहा था।

"आह!" उसने कहा। " मुझे ऐसा लगा! आप किसी भी पुरुष की तुलना में पैर का अंगूठा और एड़ी वाली चुदाई बेहतर कर पाएंगे और मैं ये कहने की हिम्मत इसलिए कर सकती हूँ क्योंकि मैंने अपनी बहन को बहुत सारे पुरुषो के साथ देखा है और मेरा दावा है आपके पास अभी तक इतनी महिलाओं नहीं रही होंगी जितने पुरुषो के साथ मैंने अपनी बहन को देखा है!

मैं- पैर की अंगुली-एड़ी से आपका क्या मतलब है, लिली!

लिली: ओह! क्या आप ये नहीं जानते? आप इसे किसी भी गति से कर सकते हैं! और शानदार! एड़ी और पैर की अंगुली वाली चुदाई में प्रत्येक स्ट्रोक को बहुत शुरुआत में शुरू करना होता है और इसे बहुत अंत में समाप्त करना है।

मैं: वह कैसे लिली?

लिली: अभी मुझे एक लंबा स्ट्रोक दो! "

मैनें यही किया। मैं तब तक पीछे हुआ और लंड को बाहर निकाल लिया जब तक कि मेरे लंड उसकी चूत के छिद्र से बाहर नहीं आ गया और फिर धीरे से लेकिन मजबूती से उसे अंदर जितना दूर और जितना गहरा हो सकता था ले गया और फिर मैंने उसके पेट पर आराम किया।

"आअह्ह्ह," वह कराही,

लिली: बस! इसी तरह आप इसमें लगभग लंड बाहर निकालते हैं, लेकिन पूरा नहीं निकालते और उस समय आप अपने पंजो पर हो जाते हैं और एड़ी बिस्तर से उठ जाती है और फिर पूरे ज़ोर से लंड को आगे धकेल देते हैं और तब तक नहीं रुकते हैं जब तक पूरा लंड अंदर जा कर लंडमुड योनि की आखरी दीवार से नहीं जा टकराता और आपके कूल्हे योनि और अंडकोष नितम्बो से तेजी नहीं टकरा जाते हैं और आपकी एड़ी अब सतह के समान्तर स्पाट हो जाती है!

उसके बाद मैंने-मैंने वैसे ही एक शॉट लगाया ऑटो वह बोली ये बेहतर है और फिर मैं दुबारा शुरू हो गया।

हाँ. हाँ. हाअँ. और. तेज़-तेज़. हा. हा-हा. आ. आ, हहाायी. ऊओ. आह. प्रिय. आह. ओह्ह. चोदो. हहान. और तेज़।" हर झटके के साथ लिली के मुँह से एक लफ्ज़ निकल रहा था।

मैं लिली पर गिर गया और हाथ उसके स्तनों पर ले गया, उसके होंठ चूसने लगा। अब धक्कों में काफ़ी तेज़ी आ गयी थी। मेरा लंड लिली की गीली चूत में आराम से आ जा रहा था। मेरे हर झटके में मेरे बाल लिली की चूत को छू जाते थे। मेरे अंडकोषलिली के कूल्हों को छू जाते। दोनों पसीने में नहा गये थे जिस से कमरे में फूच-फूच की आवाज़े आ रही थीं। लिली अभी मजे में अपने कूल्हे अब ऊपर उठा-उठा कर मेरे स्ट्रोक से लय मिला कर चुदवा रही थी। दोनों मस्ती में चूर एक दूसरे को ख़ूब जोश से चोद रहे थे।

मेरा हर धक्का वह ब्याज के साथ लौटा रही थी, मेरे हर ताकतवर धक्के के साथ वह उतना ही जोश के साथ अपने कुल्हे और नितम्भ आगे पीछे करने लगी जीसे मेरा इंजन को उसकी चरम जड़ में समा जाता था! और उसकी योनि साथ-साथ संकुचन भी कर रही थी ।

जल्द ही अब वह बारी-बारी उत्कर्ष पर पहुँच कर झड़ रही थी! मैंने एक सत्र के दौरान एक महिला के तेरह या चौदह बार झड़ने के बारे में सुना था, लेकिन यह लिली तो शुरू से अंत तक और कुछ नहीं कर रही थी लेकिन, यह तब तक नहीं हुआ था जब तक मैं अति रोमांचित, उग्र, उत्साही हो कर लगभग हिंसक छोटे-छोटे शॉट नहीं लगाने लगा था। हम दोनों ने अद्भुत मजे का अनुभव किया । वह लगभग चीख पड़ी! मुझे गले से लगा लिया! और उसने मेरे लंड को जलमग्न कर दिया, उसने मेरे मुँह को अपने हाथ से पकड़ लिया और जहाँ तक वह कर सकती थी, अपनी जीभ उसमें मारी, मेरे तालू को छूकर और अपनी गर्म साँस को मेरे मुँह में डाल दिया, इस बीच उसका पूरा शरीर सिर से एड़ी तक सचमुच उस जबरदस्त उत्तेजना से कांप गया!

मैं भी चरम के काफ़ी नज़दीक ही था और लगभग तैयार था और फिर उसने महसूस किया कि मेरे वीर्य की बहुत तेज़ गर्म धाराएँ उसकी योनि के सबसे गहरे हिस्से के खिलाफ बहुत तेज प्रहार कर रही हैं जैसे मैंने कभी इससे पहले उत्सर्जन न किया हो!

और हम लगभग तुरंत एक पारस्परिक उत्सर्जन में तैर गए, हम दोनों लगभग ख़ुशी से झूम उठे; यह केवल कुछ मिनट तक चला; मेरे उत्तेजित लंड पर उसकी योनि की सिलवटों की धड़कन और सिकुड़न ने मुझे नए सिरे से प्रयास करने के लिए जगाया और मैंने पूछा उसे ऐसा लगा? तो लिली ने कहा कि अरे आप बड़े ज़ालिम हो, लेकिन प्यारे और-और मस्त हो, चोदो मुझे और चोदो और वह कामुकता से भरी अपने होठों को दांतो से सहलाती हुई दिखाई दी।

मैं पीछे हट गया और मैंने लंड को बाहर निकाला लंड उसके रस खून और मेरे वीर्य से सना हुआ था मैंने बिस्तर के पास पड़े हुए रुमाल से लंड और योनि के अंदर बाहर और जांघो पर लगे खून को साफ़ किया।

अब मेरी इस प्यारी अप्सरा ने तुरंत मेरे उस हिस्से और उसके उपांगों की सबसे सूक्ष्म परीक्षा शुरू कर दी, जिसने उसे बहुत मजे दिए थे। उसके अनुसार, मेरा सब कुछ बिल्कुल सही था और उसने आज तक बहुत सारे पुरुषो को अपनेी बहन के साथ नग्न देखा था और उसके निरीक्षण में इतना शानदार और सुंदर लंड नहीं आया था और इतने सुंदर, संतुलित पत्थर जैसे मेरे अंडकोषों थे ने उसे विशेष रूप से प्रसन्न किया! और अब वह इनकी मालकिन थी! मेरे अंडकोषों के बारे में उसने कहा कि वे इतने बड़े हैं और उसे यक़ीन था कि वे वीर्य से भरे हुए हैं और उसने मुझसे कहा, उसका इरादा था, इससे पहले कि वह मुझे यहाँ से प्रस्थान करने के लिए अनुमति दे वह इन्हे खाली कर देना चाहती थी ।

इस पहले अभियान ने-ने बस हमारी भूख को बढ़ा दिया था और एक दूसरे के आकर्षण की सूक्ष्म परीक्षा के साथ और भी अधिक उत्तेजित होकर, हम फिर से गिर गए और एक और कामुक लड़ाई की स्वादिष्ट पीड़ा में डूब गए! मेरे उसे पहली बार चोदने में लगभग दो बज गए थे । अब मुझे की कोई जल्दी नहीं थी क्योंकि हुमा तो चली गयी थी और लिली भी अकेली थी और अब लिली जैसी शानदार स्त्री मेरे पास थी और हम दोनों अब और की लालसा रखते थे। मैं ताजा, युवा, मजबूत, जोरदार था और अभी कुछ दिन से ही मैं इस सुखों से अवगत हुआ था और इनका आनंद लेना शुरू किया था। मुझे कोई आश्चर्य नहीं कि मेरा भाग्य बहुत अच्छा था और लिली जैसी प्रेमीका मुझ से प्रसन्न थी और उसने मेरे प्रदर्शन को एक शानदार दावत कहा था।

ऐसी कहावत है कि प्रेम भोजन की भूख को नष्ट कर देता है। शायद यह तब होता है जब किसी का प्यार नहीं मिलता है, लेकिन पाठको मेरा अनुभव है, कि मैं हुमा के साथं अपने सुबह के नाश्ते के बाद अपने टिफिन के लिए लालायित था। और लिली की योनि की मलाई चाटने और मुँह का रस पीने के लिए पाकर मैं वास्तव में बहुत खुश था, हालाँकि मैंने उस दिन महिला के साथ संसर्ग करते हुए ख़ुद को इतना फिट पहले कभी महसूस नहीं किया था और शारीरिक बल के इतने कम नुक़सान के साथ शायद मुझे इतना आनंद कभी नहीं मिला, परन्तु, मैं जिन गर्म कामकु लड़ाइयों से गुज़रा था और गर्म कामुक हवा के झोंके के प्रभाव से मेरा मुँह फिर सूखने लगा था ।

निःसंदेह मेरे नियमित छात्र जीवन के सयमित जीवन, नियमित व्यायाम, नियमित भोजन और इससे पहले बहुत कम सेक्स करने के कारण मेरी शक्ति संवर्धित थी जिससे से मैंने अपने को अंदर से बहुत मज़बूत महसूस किया था।

फिर लिली ने मेरे को कस के बाहों में ले लिया और मेरे फेस पर किस पर किस किए जा रही थी। अब हम दोनों लेट गये थे और मैं लिली के ऊपर था। दोनों एक दूसरे के होंठो को कस-कस के चूमने लगे।

लिली के होंठो पर अपनी जीभ चलाने लगा और लिली ने भी मुंह खोल दिया और अपनी जीभ निकाल के मेरी जीभ को चाटने लगी। ।मैंने अपनी पूरी जीभ लिली के मुंह में डाल दी। लिली मेरे दातों पर जीभ चलाने लगी।

मैं: ओह! लिली! ।मेरी जान! ।तेरी जीभ! और मुँह का रस बहुत मीठा है।

लिली: दीपक, एयेए! आपके होंठ बड़े रसीलें हैं। आपकी जीभ शरबत है। आआहह!

मैं: अह्ह्ह्ह! लिली! मैं तुम्हे खा जाऊँगा।

फिर मैं उसके होंठो को चूमने लगा और वह भी मेरा साथ देने लगी फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दी और वह मेरी जीभ को चूसने लगी।

फिर मैंने उसकी जीभ को चूसा। मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली और अपने हाथ से उसकी योनि को सहलाने लगा, तो उसका शरीर सिहरने लगा और वह झड़ने लगी और मेरे हाथो को उनके चुत गीली-गीली लगने लगी। उसके बाद मैंने अपने हाथो के उसके मोमे दबाने लगा और तभी उनका निप्पल मुझे कड़ा-सा महसूस हुआ तो मैंने अपनी उंगलियों से निप्पल को खींचा और बोला "आप सबसे सुन्दर, गोरी और मस्त माल हो। आपको देखकर तो कोई भी पागल हो जाये जैसे की मैं हूँ आपको मालूम नहीं है मेरी क्या हालत है। मेरे मन आपको देख बेकाबू हो गया है लिली की गोल-गोल बूब्स से भरी उसकी छाती और भरे-भरे गालों के साथ उसकी नशीली आंखें मुझे नशे में कर रही थी। मैं बोला आपके होठों की बनावट तो ऐसी थी, अगर कोई एक बार उनका रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले।"

मैं लिली पर चढ़ कर बेकरारी से चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट तक उसका लिप्स किस लेता रहा मैंने अपना हाथ उठाया और उनके बूब्स दबाने लगा, वह भी मेरा साथ देने लगी।

मै उसकी चुचियों को मसलने लगा और वह मादक आवाजें निकालने लगी, आह उह आह की आवाजें पूरे कमरे में गूंज रही थी, फिर मैंने उनके मोमो को चूसना शुरू कर दिया उनके मोमो कड़क हो गए थे और चुच्चिया कह रही थी हमे ज़ोर से चूसो! मैंने चूचियों को दांतो से काटा लिली कराह उठी आह यह आह लिली कह रही थी धीरे-धीरे प्यार से चूसो सब तुम्हारा ही है उसके बूब्स अब लाल हो चुके थे फिर मैंने उनकी नाभि को चूमा अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी लिली मस्त हो गयी और मेरे सर अपने पेट पर दबाने लगी मैंने लिली के एक-एक अंग को चाट डाला और उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा तो उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उनका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया था। उनकी चूत गीली होने लगी मैंने छूट को सहलाया तो लिली बोली बहुत अच्छा लग रहा है बहुत आराम मिल रहा है । सस्स्सस्स हहा करती हुई मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी। अब वह सिसकारियाँ मारने लग गई थी। अब वह अहाह, आहहह, आहहह कर रही थी। अब उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी सनसनी होने लगी थी। फिर उसने मेरा लंड पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।

फिर मैंने उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उसके दोनों पैरों को फैलाया और अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया। अब जब मेरे लंड का सुपड़ा ही उसकी चूत में गया तो वह ज़ोर से चिल्लाई। फिर मैंने उसके लिप्स पर किस करते हुए उसके मुँह को बंद किया और अपने धक्के लगाता गया। अब वह झटपटा रही थी और अपने बदन को इधर से उधर करने लगी। में धक्के पर धक्के लगाए जा रहा था।

फिर में उसके बूब्स को चूसने लगा था और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगा था और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया तो कुछ देर के बाद वह फिर से गर्म हो गई। फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया और मैंने पूछा कि मज़ा आ रहा है। फिर वह बोली कि हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है! हाईईईईई! म्‍म्म्मम! फिर कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वह पूरी मस्ती में थी और मस्ती में कराह रही थी अआह्ह्ह! आाइईई! और करो, बहुत मज़ा आ रहा है। और अपने कूल्हे मेरे चोदने के ताल से ताल मिला कर ऊपर नीचे हिला रही थी और नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थी और बडबड़ा रही थी। आहहहहहह! और चोदो मेरी चूत को, आज मत छोड़ना, और फिर कुछ देर के बाद वह बोली हाए मेरे राजा में झड़ने वाली हूँ और फिर मैंने उसकी गांड पकड़कर अपनी स्पीड बढ़ा दी, तो वह भी कुछ देर के बाद झड़ गई और शांत पड़ गयी।

मैं उसे चोदता रहा और तेजी सेअपने उत्कर्ष की ओर बढ़ रहा था, उसने कहा, "हम इसे ज़्यादा देर तक कर इसका और अधिक आनंद ले सकते हैं आप अब मेरे शरीर पर बैठो, दीपक और मेरी छाती पर स्तनों के बीच अपनी सुंदर कड़े और लम्बे लंड को रखो।"

मैंने लंड बाहर निकाला और लंड को उसके निप्पलों से टकराया और स्तनों केर बीच की दरार में रख दिया । वह पहले तो लंड अपने हाथ से सहलाती रही और अपने दो स्तनों को उसके पास ला कर लंड को स्तनों के बीच में दबा दिया तो मैं भी लंड स्तनों के बीच आगे पीछे करने लगा ताकि मैं उनके बीच काम कर सकूं। यह एक और स्वादिष्ट विचार था, लेकिन उसने मुझे उत्साहित करने के अपने सभी तरीकों को समाप्त नहीं किया था।

उसका दूसरा हाथ उसकी जाँघ के बीच में गया और मुझे लगा कि वह अपने आप को सहलाएगी लेकिन यह केवल उसकी उंगली को गीला करने के लिए था, उसने मेरे नीचे के छेद को उसके साथ सहलाया।

उसने कहा, "अब मैं आपके ऊपर आना चाहती हूँ मेरा मतलब मुझे आप पर सवारी करना है और इसे यथासंभव लंबे समय तक चलाना है, तो आइए हम अपनी स्थिति को उलट देते हैं।"

मैं उनको चूमता रहा और उनके बूब्स को सहलाता रहा फिर में उनके नीचे और अब लिलि मेरे ऊपर थी। मेरे तनकर खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अंदर घुसा रही थी। में उसकी चूत की चमड़ी को अपने लंड की चमड़ी पर रगड़ते हुए देख रहा था और में आपको बता नहीं सकता कि मुझे उस समय कितना मज़ा आ रहा था। वह मेरे लंड पर धीरे से उठती और फिर नीचे बैठ जाती जिसकी वज़ह से लंड अंदर बाहर हो रहा था और वह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थी और बहुत मज़े कर रही थी। सच में लिली बहुत मादक लग रही थे उनके रेशमी सुनहरी बाल चारो तरफ़ फ़ैल गए थे ।

मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर लिली का पूरा साथ दिया l मेरा लंड उनकी चूत के अंदर पूरा समां जाता था तो दोनों के आह निकलती थी ।फिर मेरे हाथ उनके बूब्स को मसलने लगे फिर मैं उनकी चूचियों को खींचने लगता था तो लिली सिहर कर सिसकने लगती थीl उसके बाद वह मेरे ऊपर झुक गयी और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए। लिली मुझे बेकरारी से चूमने लगी और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी फिर वह तेजी से ऊपर नीचे होकर जम कर चुदाई करने लगी तो वह लगभग पच्चीस मिनट के लिए मेरे ऊपर सवार हुई और बीच-बीच में किश करने के लिए रुकी। और फिर हमारे शुक्राणु के एक शानदार प्रवाह में मिले।

लेकिन इस
के अलावा, यह तथ्य था मेरी नई महिला साथी असाधारण रूप से सुंदर और कामोत्तेजक थी और इससे मुझमें जो कामुक उत्तेजना पैदा हुई है, वह निश्चित रूप से उस कारण के अनुपात में बहुत ज़्यादा थी जिसने इसे जन्म दिया था। भोजन के लिए अपनी भूख के बावजूद, मैं निश्चित रूप से बिस्तर पर उसके साथ रहा होता और उसकी हर्षित भुजाओं में आनंदित होता और उसे अपने मर्दाना जोश से भर देता, लेकिन उसने मुझे बताया कि वह हमेशा दोपहर में सोती थी और ख़ुद भूखी थी और मेरी शक्ति पर संदेह करते हुए, उसने चाहा कि मैं उस रात को उसकी प्यारी जांघों के बीच ख़र्च करने के लिए अपने बल के कुछ अच्छे हिस्से को बचा लू और आराम कर लू।


कहानी जारी रहेगी। आगे क्या हुआ? ये अगले भाग में पढ़िए।

आपका दीपक



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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
  3. अंतरंग हमसफ़र
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  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया
  7. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम-completed 
  8. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
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#54
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -7


सोई हुई परम् सुंदरी 




मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 6 में पढ़ा:

अंत में, मेरी रगों में खून इतनी तेजी से बह रहा था कि असहनीय हो गया, हुमा चुप थी लेकिन प्यार और अपनी आँखों में लालसा के साथ, उसने मुझे कुर्सी में दबा कर बिठा दिया और ख़ुद मेरी टांग पर बैठकर, अपना हाथ मेरे सिर के पीछे से गुज़ारा और मेरी आँखों में भरा हुआ उसके लिए ढेर सारा प्यार देखा, मेरा नाम ऐसे लहजे में फुसफुसाया और बोली ओह दीपक मैं आपके बिना नहीं रह सकती।


मैंने हुमा के खुले मुंह को बार-बार चूमा मैंने उसके खुले मुंह को बार-बार चूमा और मैंने उसे पूरा नंगा कर दिया और उसने मेरे कपडे उतार दिए. वह उठी और मुझे अपने लिप्स और जीभ से चाटने लगी । उसके ऐसा करने से मैं जोश में भर कर अपने लंड को एक झटके में ही को उसकी चुत में घुसेड़ दिया और जैसे माखन की टिकिआ में चाकू जाता है उसी सरलता से वह अंदर चला गया और मेने उसकी बेरहमी से उछाल-उछाल कर चुदाई की और उसने भी चूतड़ उठा-उठा कर चुदाई का मज़ा लिया और अचानक हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा ।

आपने मेरी कहानी " मेरे अंतरंग हमसफ़र" में अब तक पढ़ा:

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया अब मेरा लंड लिली की कुंवारी चूत के बिल्कुल सामने था। उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया, जबकि उस समय मैं भी उसकी स्वादिष्ट योनी में घुसने के लिए उतना ही उत्सुक तेज़ था। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा । मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।

अब आगे:-

कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी लिली को देखा। उसने बस एक छोटा-सा गाउन पहना हुआ था जो आगे से खुला हुआ था और इकठ्ठा हो गया था। वह अपनी पीठ के बल लेटी हुई थी, उसके हाथ उसके सुडौल सिर के नीचे थे, उसकी बाहें, एक आकर्षक स्थिति में मुड़ी हुई थीं, जो उसकी बगल के गड्ढे के नीचे बालों की हलकी-सी वृद्धि दिखा रही थी.

उसकी बगलो के बाल उसके बालो के रंग में समान के थे, लेकिन रंग में उस शानदार झाड़ी के समान समृद्ध नहीं थे जिसे मैंने आज सुबह इतनी उदारता से उसी की सहायता से प्राप्त हुए अपनी वीर्य से गीला किया था। उसकी छाती नग्न थी और उसके दो अनमोल नग्न स्तन, गोल, पॉलिश और दृढ़, इतनी खूबसूरती से रखे हुए थे जैसे दो प्याले उलटे रखा गया हो और उनपर दो बड़े अंगूर लगा कर उन्हें सजाया गया हो और उसका पूरा शरीर उसकी पतली कमर तक, लगभग नग्न था।

लीली का एक घुटना, जो मेरे समीप था, मुड़ा हुआ था, बिस्तर के कपड़ों पर रखा हुआ उसका छोटा-सा सुंदर पैर, पैर के प्रत्येक अंगूठे का रत्न सीधा और अपने पड़ोसी से अलग, एक ऐसी सुंदर चिकनी टांग जो अब तक के सबसे तेजतर्रार मूर्तिकार को मंत्रमुग्ध कर देता, जबकि दूसराी टांग, लगभग कमर से नीचे की ओर, पूरी लंबाई में बढ़ाया गया और जो उसके प्यारे पैर पर जाकर समाप्त हो गयी और बिस्तर के किनारे के खिलाफ टिकी हुई थी ताकि उसकी जांघें, वे सुंदर कामुक और पागल करने वाली जांघें अलग हो जाएँ! क्या मैं ऐसी सुंदरता से दूर रह सकता था जबकि इतनी सुंदरता स्वतंत्र रूप से मेरे सामने प्रदर्शित थी, जबकि इस सुंदरता की प्यारी स्वामिनी सो रही थी और जिसे देख मेरा लिंग अंगड़ाईयाँ ले रहा था और जिस पर मैं अपनी जलती हुई आँखों को दावत दे सकता था?

मैं धीरे-धीरे और चुपचाप अंदर गया और बिस्तर के दूसरी तरफ़ गया, ताकि मेरी छाया उस सुंदर रूप पर न पड़े और उस प्रकाश को न रोके जो पहले हो पर्दे से छन्न का आ रहा था और माध्यम हो गया था, मैं उस परम् सुंदरी को चुपचाप निहारता रहा जिसने पूर्वाह्न में स्वर्ग का आनंद अपने कामुक आलिंगन में दिया था।
वो नींद में बहुत प्यारी लग रही थी! मैं उस प्यारे चेहरे को उसकी सभी शुद्ध रेखाओ और उसके सभी भावों में इतना निर्दोष देखकर कल्पना कर सकता था कि वह एक अविनाशी कामुक भट्टी की गर्म आग में जल रही थी। उन अतुलनीय स्तनों को देखकर कौन कल्पना कर सकता था कि असंख्य प्रेमियों ने अपनी कल्पना में उन्हें कामुक हाथ या होंठ से दबाया था और उन्हें पाने के बाद मैंने ख़ुशी में उनको चखा था और वे पीड़ा में कांपते थे?

उसके पेट का साफ़ चौड़ा मैदान अभी भी उसके छोटी-सी गाउन के ऊपरी हिस्से से छिपा हुआ था, इतने सुंदर सांचे में ढले हुए मैं, जो, लिली के सुदृढ़ स्तनों को देख रहा था, तो ऐसा लग रहा था कि वे कभी भी दूध से नहीं भरे थे और जिनके गुलाब की कली और अंगूर जैसे निप्पल बच्चों के चेरी होंठों से कभी नहीं चूसे गए थे । वह बिकुल किसी अप्सरा की तरह लग रही थी मैंने सोचा मुझे उसके सुंदर अंगो की और बारीकी से जांच करनी चाहिए। मुझे लगा यदि वह पूरी नग्न हों तो ये करना आसान होगा, कमर के पास एक छोटे से हिस्से को छोड़कर वह लगभग नग्न ही थी मैंने धीरे से, ये ध्यान रखते हुए की उसकी नींद में खलल न पड़े, उसके छोटे से गाउन का वह हिस्सा जो उसकी पेट और कमर के नीचे के हिस्से को छुपाये हुए था उसे हटाना होगा इसलिए मैंने उसकी कमर के ऊपर पड़े गाउन का हिस्सा जो अभी भी उसकी कमर पर था उसे धीरे से हटा दिया।

उत्साह से कांपते हुए हाथ से मैंने ऐसा किया! लो! मेरी अप्सरा लगभग उतनी ही नग्न हो गयी जितनी वह पैदा होते समय थी!

जारी रहेगी


आपका दीपक


  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया
  7. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम-completed 
  8. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
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#55
मेरे अंतरंग हमसफ़र


चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -8

परम् सुंदरी का प्रभाव



मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 7 में पढ़ा:

उसके पेट का साफ़ चौड़ा मैदान अभी भी उसके छोटी-सी गाउन के ऊपरी हिस्से से छिपा हुआ था, इतने सुंदर सांचे में ढले हुए मैं, जो, लिली के सुदृढ़ स्तनों को देख रहा था, तो ऐसा लग रहा था कि वे कभी भी दूध से नहीं भरे थे और जिनके गुलाब की कली और अंगूर जैसे निप्पल बच्चों के चेरी होंठों से कभी नहीं चूसे गए थे । वह बिकुल किसी अप्सरा की तरह लग रही थी मैंने सोचा मुझे उसके सुंदर अंगो की और बारीकी से जांच करनी चाहिए। मुझे लगा यदि वह पूरी नग्न हों तो ये करना आसान होगा, कमर के पास एक छोटे से हिस्से को छोड़कर वह लगभग नग्न ही थी मैंने धीरे से, ये ध्यान रखते हुए की उसकी नींद में खलल न पड़े, उसके छोटे से गाउन का वह हिस्सा जो उसकी पेट और कमर के नीचे के हिस्से को छुपाये हुए था उसे हटाना होगा इसलिए मैंने उसकी कमर के ऊपर पड़े गाउन का हिस्सा जो अभी भी उसकी कमर पर था उसे धीरे से हटा दिया।

उत्साह से कांपते हुए हाथ से मैंने ऐसा किया! लो! मेरी अप्सरा लगभग उतनी ही नग्न हो गयी जितनी वह पैदा होते समय थी!

आपने मेरी कहानी " मेरे अंतरंग हमसफ़र" में अब तक पढ़ा: :

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया अब मेरा लंड लिली की कुंवारी चूत के बिल्कुल सामने था। उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया, जबकि उस समय मैं भी उसकी स्वादिष्ट योनी में घुसने के लिए उतना ही उत्सुक तेज़ था। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा । मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।

कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा।

अब आगे:-

सुंदरता का रोमांच और उत्तेजना से ग़ज़ब का मेल है और नग्न सुंदरता तो जैसे आग में घी डालने का काम करती है । मैंने उसे नग्न देखने के लिए उसके गाउन को खोल कर पेट से हटा दिया था, लेकिन इससे पहले कि मेरी नज़र ऊँची हो, जिस प्रकार चिड़िया उसके सामने खुले हुए सुहावने चारे के जाल में फँस जाती है, उसी प्रकार मेरी आँखें उस शानदार हलके सुनहरी बालों की जाली में उलझी गयी, झाडी में उगते हुए नयी उगी हुई घास की कोपलों जैसे नरम रोये जो ताजगी, सुंदरता और जो काम इच्छा को उत्तेजित करने लगे, वह उस समय प्रेम की देवी लग रही थी। मुझे आनंद के इस सुंदर क्षेत्र को देख आनंद आया। उसके कितने बड़े भरे होंठ थे जिन्हे उसने कितनी मधुरता से संभाला है। कितने सुंदर सुनहरे रोये जो इसे चूमते हुए प्यार करते थे और त्वचा की सफेदी को सुनहरी बना रहे थे, जिनकी तह ने उस गहरी और परिपूर्ण रेखा का निर्माण किया कुदरत द्वारा किया गया था। और उस शानदार पहाड़ी की ढलान कितनी दिव्य थी, बिलकुल छोटी से पठार की तरह जो उसकी जांघों के बीच गहरी घाटी तक गयी और उस चमकते हुए प्रेम कुटी में समाप्त हो गयी जिसमें प्रेम छिपा हुआ था और जिसमे प्रसन्नता, आनद और मजो का खजाना भरा हुआ था जिसे वह हर्ष के अतिरेक के साथ अपने प्रेमी पर खुले मन से लुटाती है और उसके हर्षित आनंद को गर्म लावे के रूप में अपने प्रेमी को प्रदान करती है।


[Image: SLEEP-BEAUTY1.jpg]
लेकिन तभी मैंने देखा एक छोटी-सी रूबी टिप उन अति सुंदर होंठों की ऊपरी बैठक के पास बाहर निकल रही है? वह रूबी टिप हिली फिर छुप गयी फिर निकली और फिर धड़कने लगी। ओह लगता है कि वह सपना देख रही है! लिली अपने मुड़े हुए पैर को उस फैलाए हुए पैर की ओर थोड़ा बंद कर लेती है! यह उसकी सबसे संवेदनशील भगशेफ है! तीव्र काम इच्छा के विचारों से उत्तेजित हो यह भगशेफ कठोर हुई और अधिक से अधिक बढ़ी और एक उत्तेजित तने की तरह छोटे झटके में हिलने लगी । अध्भुत दृश्य था ये । मेरी काम उत्तेजना ये दृश्य देख बढ़ने लगी और मेरा लिंग कठोर हो गया

मैंने सोई हुई सुंदरता की मूर्ति लिली के शांत मुस्कुराते और प्यारे चेहरे को देखा, उसके होंठ हिल गए और उसका मुंह मोती के दांतों को दिखाते हुए थोड़ा खुल गया! उसकी छाती फैलती दिख रही थी, उसके स्तन सूज गए थे, वे ऊपर उठे और उससे कहीं अधिक तेजी से गिरे और वैसे हो गए जैसे वे प्यार के इस सपने के पूरा होने या होने से पहले थे। आह! उसके बूब्स हिल रहे थे! उसकी गुलाब की कलियाँ सूज गयी और प्यार करने बाले की निगरानी करते हुए उसके प्रत्येक चूचक अपने ही पहाड़ के बर्फीले सिरे पर बैठे एक उत्सुक प्रहरी की तरह उसके चूचक खड़े हो गए और उसकी बाट जोहने लगे जो इस सपने देखने वाली लिली के ऊपर नरम, तेज और गर्म आक्रमण करेगा। पर ये प्रहरी रक्षा करने के लिए नहीं खड़े हुए थे ये आमंत्रण दे रहे थे। निश्चित तौर पर ये उस आक्रमण करता से पहले मिले हुए थे । और उसकी आहट मिलने से सजग हो गए थे ।

फिर से उसकी जाँघें एक दूसरे पर सट गयी। स्वर्ग! फिर से वे उत्साहित, हिलती-डुलती, उछलती-कूदती और वास्तव में छलांग लगाती हुई प्यार के उस गर्म आश्रय को दिखाने के लिए खुली। उसकी चमकदार रूबी क्लिट स्पष्ट रूप से उस मर्दाना साथी को महसूस करने का प्रयास कर रही है जिसका लिली आकर्षक सपने देख रही थी। मैंने सोचा क्यों न इस सपने को एक मीठी वास्तविकता में बदल दिया जाए?




[Image: SLEEPY1.jpg]
उसके चमकते छिद्र में खोजने के लिए, मैंने संकोच नहीं किया और इससे पहले कि वह जाग जाए, तेजी से कपड़े उतार एक पल में मैं उस सुबह की तरह नग्न हो गया, और सोचने लगा कि क्या मैं वास्तव में इस सो रही लड़की में अंदर प्रवेश कर पाऊँगा, तो मैं धीरे से उसके बगल से उसकी जांघ पर चढ़ गया और उसके बीच घुटनों के बीच मैंने अपने हाथों पर अपने आप को सहारा दिया, उसके प्रत्येक तरफ़ एक और अपने पैरों को पीछे की ओर खींचकर, मेरी नज़र उस प्यारी और जलती हुई योनि पर टिकी हुई थी जिस पर आक्रमण करना चाहता था। मैंने अपने शरीर को तब तक नीचे किया जब तक कि मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने नहीं ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया!

मैं ख़ुद को उस पल में उसकी मासूमियत के साथ प्यार और विलासिता के उस आसन में प्रवेश करते हुए देख सकता था! मैंने महसूस किया उसकी योनि गीली थी और इतनी टाइट थी की लंड की चमड़ी और योनि की दीवारों के घर्षण के कारण मेरे लंडमुंड के ऊपर की चमड़ी मेरे लंड के झुनझुनी वाले सिर से पीछे हट रही है और लंड के चौड़े बैंगनी कंधो जैसी जगह के पीछे मुड़ कर इकठी हो गयी और लाल लंडमुंड उसकी योनि को चुंबन करते हुए उसकी योनि की पूरी गहराईयो में समा गया । एक पल के लिए मैंने उसके चेहरे की ओर देखा कि क्या उसे मेरे द्वारा की गयी इस घुसपैठ का कुछ आभास हुआ है? वह अभी भी एक कामुक सपने के उत्साह में सो रही थी। मैं धीरे-धीरे उसे और अधिक आनंद देने के लिए, थोड़ा-सा पीछे हटते हुए, आगे और आगे दबाव डाला।


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अब लगभग पूरा लंड अंदर चला गया था, उसकी योनि प्रदेश के रोये मेरी आँखों से मेरे औजार के आखिरी इंच या इतने से भी कम को छुपा रही थी, हमारेयोनि प्रदेश के बाल आपस में मिले, मेरे अंडे उसके नितम्बो से छुए और वह हिली और जगने लगती है और उसकी आँखे थोड़ी-सी खुली!

एक पल में उसकी लगभग जंगली उत्सुक आँखे मेरी नज़रो से मिलीं, और मुझे देख उसकी आँखे ख़ुशी और स्नेही दुलार से चमक उठी और उसने अपने बाहे मेरे गले में डाल मेरे मुँह को अपने ओंठो के पास खींचा।

"आह! तो यह आप है?" वह कराही, "मैं तुम्हारा ही सपना देख रही थी! और तुमने मुझे इतने प्यार से जगा दिया!"


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उसके बाद हमने कुछ देर गहरे और गर्म और लम्बे चुंबन किये, ओंठो से ओंठ और जीभ से जीभ मिले और लार का आदान प्रदान किया।

फिर दोनों ख़ुशी और थोड़े विस्मय के साथ तंग आलिंगन में लिपटे गले से गले फिर स्तन से स्तन, पेट, से पेट, मुँह के साथ मुँह मिले, जांघो से जाँघे, टांगो से टाँगे और पारो ने पैरो को दबाया और रगड़ा और हम ऐसे ही एक दुसरे के साथ खेलते रहे। शरीर के हर-हर हिस्से में हलचलें हुई और फिर पैर की अंगुली और एड़ी जैसा कि उसने कहा:, गर्म, तेज, रोमांचकारी चुदाई शुरू हुई जो पता नहीं कब तेज छोटी खुदाई में बदली और दोनों के कराहो के बीच में फिर प्यार के दो ज्वालामुखियों की धाराएँ एक साथ फूटी और उनका लावा बाढ़ की तरह पहाड़ी के ढलानों से नीचे बह गया।

तभी घडी में छे बजे का घंटा बजा। हमने लगभग पूरे एक घंटे गहन कार्यवाही की थी और मेरी आकर्षक सुंदरता लिली ने मेरे खड़े हुए लंड की एक बार फिर जांच की और उसने कहा, अध्भुत तुम्हारा लिंग और अंडकोष सच में अध्भुत हैं। अद्भुत, अद्भुत इसलिए क्योंकि तुम्हारे लिंग में थकान के कोई लक्षण नहीं थे और दूसरे में भी कोई कमी के कोई लक्षण नहीं थे।
उसने लंड को पकड़ा, सहलाया और फिर उत्तेजना से लाल लंडमुंड को चूमा फिर घुमा का एक तरफ़ और फिर घुमा कर दूसरी तरफ़ देखा "मुझे विश्वास नहीं है कि पुरुष का लिंग ऐसा भी हो सकता है!"

"क्यों आपको ऐसा क्यों लगता है?" मैंने हंसते हुए पूछा।

"क्योंकि यह तो हमेशा कठोर ही रहता है--क्या तुम्हारा लिंग हमेशा खड़ा रहता है?"

"ऐसा इसलिए है क्योंकि मैं आपका दीवाना हूँ और ये आपकी योनि का आशिक हो गया है, मेरी प्रिय लिली, इसे बाहर निकालने के बाद हमेशा इसमें वापस आने की बहुत ज़्यादा जल्दी रहती है!"


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" लेकिन मैंने ऐसा पहले कभी नहीं देखा है! मैंने अपनी बहन को कई मर्दो के साथ सम्भोग करते हुए देखा है अन्य सभी पुरुष के लिंग एक बार सम्भोग के बाद और उनमे से ज्यादातर के दूसरी बार के बाद हमेशा नरम हो जाते हैं और आम तौर पर फिर से खड़े होने के लिए काफ़ी प्रयास करना पड़ता है, और वह भी तब जब उन्हें बहुत समय दिया जाए! लेकिन तुम्हारा तो बैठता ही नहीं है! मैंने कभी ऐसा देखा नहीं है मैं ऐसे किसी से कभी नहीं मिली! मैं देख सकती हूँ, इसमें से सारा रस निकालने के लिए मुझे बहुत मेहनत करनी होगी! इससे मुझे बहुत परेशानी होगी ।

"ओह! लेकिन मैं अपनी सबसे प्यारी और परम सुंदर प्रेमिका को आश्वस्त कर सकता हूँ कि सामान्य महिलाओं के साथ मैं वैसा ही हूँ जैसा आप उन पुरुषों का वर्णन कर रही हैं या जिन्हें आप ने देखा या जाना है। मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ कि यह आपकी असाधारण सुंदरता ही है जिसने मुझ पर इतना शक्तिशाली प्रभाव डाला है!" मैं उसे चूमते हुए बोला "आइए!" मैंने अपनी बाँहों और जाँघों को खोलते हुए कहा। "आओ और मेरे ऊपर लेटो और मुझे एक लम्बा गहरा चुंबन करो!"

उसकी सुंदरता की प्रशंसा मैंने की, उसकी प्रसंसा जो मैंने की थी वह उसके योग्य थी, अपनी प्रशन्सा से उत्साहित, उसने ख़ुद को ख़ुशी के कराहते हुए मेरे ऊपर फेंक दिया और मेरी मर्दानगी उसकी योनि से टकराई और उसने टाँगे खोल कर उसका स्वागत किया और वह अपने पसंददीदा विश्राम स्थान में फिर से प्रवेश कर गयी ।

प्यार सेऔर बिल्ली की तरह चाटते हुए जोश से थोड़ा शब्दों को बड़बड़ाते हुए वह मुझे मधुर चुंबन करती रह, फिर मैंने उसे प्रस्ताव दिया कि वह अपनी जांघो को मेरी जांघो पर थोड़ा फैला कर मेरे ऊपर बैठ जाए।

"लिली मेरी जान! आ जाओ मेरे ऊपर बैठो" मैं कराहा! और मैं ने अपना हाथ उसके पेट के नीचे और उसकी जाँघों के बीच और अपनी लंड को उसकी धधकती हुई गुफा में खिसका दिया। मेरा लंड कुछ समय के लिए एक दम कड़ा, सुजा हुआ और जोश से धड़क रहा था, और राहत पाने के लिए दर्द हो रहा था। लिली में अपनी जाँघे मिलाई।

"इसे दबाओ निचोड़ेो, लिली! इसे निचोड़ो, प्रिये; आह! अच्छा! ऐसा करो! और करो, इससे मुझे बहुत मदद मिलेगी; तुम नहीं जानते कि मैं कैसे तड़प रहा हूँ, मेरी प्रिय इसे कस कर निचोड़ो, थोड़ा सा ऊपर-नीचे करो -ओह, बेबी, यह बहुत बढ़िया है!"

उसे बार बार चूमते हुए,अपने हाथो से उसके नितम्बों और स्तन को दबाते हुए धीरे-धीरे लिली के नीचे मेरी कमर ने अपना काम जारी रखा और इस रमणीय अनुभूति के कुछ क्षण लंबे मेरे लिए पर्याप्त थे। अचानक ऐंठन के साथ, अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए उसे अपने और खींचा और उसे अपने स्तन से चिपका कर उस सुंदर लड़की को पागलों की तरह चूमने लगा।

जारी रहेगी

आपका दीपक

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#56
मेरे अंतरंग हमसफ़र


चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग - 9

वूमेन ऑन टॉप



मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 8 में  पढ़ा:

"इसे दबाओ निचोड़ेो, लिली! इसे निचोड़ो, प्रिये; आह! अच्छा! ऐसा करो! और करो, इससे मुझे बहुत मदद मिलेगी; तुम नहीं जानते कि मैं कैसे तड़प रहा हूँ, मेरी प्रिय इसे कस कर निचोड़ो, थोड़ा-सा ऊपर-नीचे करो-ओह, बेबी, यह बहुत बढ़िया है!"

उसे बार-बार चूमते हुए, अपने हाथो से उसके नितम्बों और स्तन को दबाते हुए धीरे-धीरे लिली के नीचे मेरी कमर ने अपना काम जारी रखा और इस रमणीय अनुभूति के कुछ क्षण लंबे मेरे लिए पर्याप्त थे। अचानक ऐंठन के साथ, अपने कूल्हों को ऊपर उठाते हुए उसे अपने और खींचा और उसे अपने स्तन से चिपका कर उस सुंदर लड़की को पागलों की तरह चूमने लगा।

आपने मेरी कहानी " मेरे अंतरंग हमसफ़र" में अब तक पढ़ा: 

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया अब मेरा लंड लिली की कुंवारी चूत के बिल्कुल सामने था। उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया, जबकि उस समय मैं भी उसकी स्वादिष्ट योनी में घुसने के लिए उतना ही उत्सुक तेज़ था। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा । मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।


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कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा। मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने नहीं ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया! मेरा लंड एक बार फिर झड़ने के बाद कठोर ही रहा और उसे देख लिली थोड़ा आश्चर्यचकित हुई और मैंने उसने अपने ऊपर आने के लिए उत्साहित किया।

अब आगे:-

मैंने एक दो बार अपने नितम्बो को हिलाया तो लंड बाहर आ गया अब एक मुस्कान के साथ लिली मेरे ऊपर बैठ गई। अपने हाथ मेरे गले में डाल जैसे ही वह मेरी छाती से नीचे गई, मैंने महसूस किया कि उसका वज़न मेरे बदन पर आ गया था। वह आगे झुकी हुई थी, जिससे उसके स्तन मेरे चेहरे के सामने आ गए। जैसे ही वह रुकी और स्थिर हुई, मैंने अपने होठों ऊपर किये और उसके एक गुलाबी, छोटे, सख्त निप्पल को अपने मुँह में ले लिया। मैंने निप्पल को अपने होठों के बीच धीरे से चूसा, हल्के से कुतरते हुए। वह ख़ुद को सीधा करने से पहले, थोड़ा आगे झुकी और उसके निपल्स पर मेरी चुंबन को स्वीकार करते हुए रीता ने अपने शरीर को तब तक नीचे किया जब तक वह मेरे कूल्हों पर बैठी गयी और मेरा लंड उसके नीचे टिक गया। मैं उसकी झांघो का स्पर्ष उसकी लंबाई के साथ अपने जांघो पर महसूस कर रहा था क्योंकि उसने अपनी चूत को मेरे जांघो के साथ लगस्ते हुए लंड की और सरकाया। उसकी नमी ने इस क्रिया को आसान और उत्तेजक बना दिया। वह जानती थी कि मुझे क्या चाहिए क्योंकि उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठाया और उसके हाथ ने मेरे लंड को मजबूती से पकड़ लिया और सीधा पकड़ लिया। उसने अपने कूल्हों को हिलाया ताकि उसका योनि का द्वार मेरे लंड के सामने आ जाए फिर उसने ख़ुद को लंड के ऊपर हो और धीरे-धीरे ख़ुद को लंड पर नीचे कर लिया। एक बार जब मेरा लंड पूरी तरह से उसके अंदर था, तो वह स्थिर और सीधी बैठ गयी। '

लिली मेरे तनकर खड़े लंड पर धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अंदर घुसा रही थी। मेरे सामने ख़ूबसूरती का नज़ारा था, उसका बदन मेरे सामने नुमाइश पर था। वह मेरी जंघाओं पर बैठी हुई थी, उसके कूल्हे मेरी जंघाओं पर दब रहे थे। उसके छोटे मेरे सामने तने हुए थे, उसके निप्पल खड़े थे। मैं अपने हाथों में उन्हें लेने के लिए हाथ ऊपर किये और उनकी मालिश करने लगा और उसने अपना सिर पीछे किया और आँखें बंद कर लीं।


मुझे लगा कि उसके कूल्हे ऊपर उठ रहे हैं और वह धीरे-धीरे मेरे लंड से ऊपर होने लगी। उसने मुझे पूरी तरह से मुक्त कर दिया, फिर तुरंत अपने आप को फिर से मुझ पर पूरी तरह से नीचे कर लिया। उसकी गति जानबूझकर धीमी थी। हर रिलीज के साथ, वह अपना वज़न कम करती ऊपर उठती और लंड को एक बार फिर से अंदर ले जाती तो उसके होंठ हर बार नए सिरे से प्रवेश करते हुए छोटा "ओ" बना रहे थे। वह मेरे लंड पर धीरे से उठती और फिर नीचे बैठ जाती जिसकी वज़ह से लंड अंदर बाहर हो रहा था और वह ख़ुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थी और बहुत मज़े कर रही थी। अब वह पूरी मस्ती में थी और मस्ती में मौन कर रही थी अआह्ह्ह आाइईई और बोली, बहुत मज़ा आ रहा है।

मेरे हाथ उसके कूल्हों तक पहुँच गए, और मैंने उसकी गति बढ़ाने में सहयोग किया और वह मेरे लंड की सवारी करती रही। मेरे कूल्हे हर बार जब वह नीचे की आती थी तो मिलने के लिए ऊपर उठ रहे हैं।



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फिर अब उसे भी मज़ा आने लग रहा था, अब वह भी अपने कूल्हे उछाल-उछालकर मुझसे चुदवा रही थी। अब मैंने उसे और ज़ोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया था। रीता मेरे ऊपर बैठी बहुत मादक लग रही थे उनके रेशमी सुनहरी बाल उसके स्तनों पर फ़ैल गए थे और रीता ने उन्हें पीछे करते हुए मेरी छाती पर अपने हाथ रख दिया और एक हाथ मेरे नितम्ब के नीचे ले जाकर बोली और ज़ोर से और ज़ोर से चोदो मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर लिली का साथ दिया... मेरा लंड उनकी चूत के अंदर पूरा समां जाता था तो दोनों के आह निकलती थी ।फिर मेरे हाथ लिली के बूब्स को मसलने लगे फिर मैं उनकी चूचियों को खींचने लगता था तो वह सिहर जाती और सिसकने लगती । उसके बाद मैं लिली के ऊपर झुक गया और हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गए।

मैं लिली को बेकरारी से चूमने लगा और चूमते-चूमते हमारें मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी वह अपनी कमर उठा-उठाकर चिल्ला रही थी और बडबड़ा रही थी आहहहहहह और चोदो मेरी चूत को, आज मत छोड़ना, इसे भोसड़ा बना देना और फिर कुछ देर के बाद वह बोली हाए मेरे राजा में झड़ने वाली हूँ और फिर हम दोनों ने धक्को की स्पीड बढ़ा दी उसने मेरी आँखों में देखा क्योंकि उसका शरीर तनावग्रस्त था। मैं महसूस कर सकता था कि उसकी मांसपेशियाँ मेरे चारों ओर कस रही हैं और उसका रस मेरे लंड पर बह रहा है। मेरे कूल्हे लंड को उसके अंदर रखने के लिए उठे हुए थे मैं भी चरमोत्कर्ष पर पहुँचा मेरे लंड स्खलन के लिए त्यार था मैंने तुरंत लीला को अपनी लंड से ऊपर दबा दिया और गर्म पानी की एक धारा योनि में भर दी। मैंने अपने मोटे गर्म शुक्राणु की अगली धाराओं को छोड़ा और लिली ने मेरे सह को उसकी चूत के अंदर महसूस किया।

हुमा भी घण्टे की आवाज़ से जग गयी थी और मुझे ढूँढते हुए लिली के कमरे में पता नहीं कब आ गयी थी लिली की चुदाई देखने के बाद हुमा भी मेरे साथ चिपक गयी।

यूं ही शाम हुयी और फिर रात का समय हो गया और मेरा आकर्षण बढ़ता ही जा रहा था और शायद आग उधर भी लगी थी, क्योंकि लिली और हुमा भी मेरे आस पास ही मंडरा रही थी।

कुछ देर बाद लिली ने मुझ से पूछा-अब आगे का क्या इरादा है?

मैं उसे किश करते हुए नाक से नाक रगड़ते हुए बोला-बस मेरी जान! चुदाई और सिर्फ़ चुदाई! लिली मेरी जान, मैं अपने लंड को अब अगले पांच दिन तक तुम्हारी और हुमा की चूत के अन्दर घिसना चाहता हूँ। लेकिन उसके अलावा और कोई ख़्वाहिश हो तो बताओ!

और मैंने उसके मम्मे दबा दिए और उसने मेरे लंड को दबा कर मेरे चुंबन का चुंबन से उत्तर दिया और बोली रुको अच्छा बताओ दीपक जी, मैं आज आपके द्वारा दी गयी सेवा के ऐवज में आपको क्या दूँ?

मैं-जो मर्जी आपकी।


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मैंने थोड़ा सभ्यता दिखाते हुए कहा।

लिली । नहीं आप बताईये आपको क्या पसंद है

मैं बोला लिली जी मुझे तो आप ही मिल जाए तो मज़ा आ जाए मैं उसके विषय में सोचते हुए कि अगर मुझे उसका साथ मिले, तो मैं उसके साथ क्या-क्या करूँगा, के सपने में खो गया। तभी मेरे कमर में हल्की से चिकोटी काटने का अहसास हुआ, तो मैं सकपका कर देखने लगा।

लिली-ठीक है! फिर मैं आपको जल्द ही और अपने हिसाब से बहुत बढ़िया गिफ्ट दूँगी ।

हुमा ने मुझे चिकोटी काटी थी, मेरे इस तरह सकपका कर देखने से वह बोली-जनाब कहाँ खो गए थे आप?

मैं-सच कहूँ तो आप दोनों की चूत चुदाई की याद में खो गया था।

वो दोनों मुस्कुरा दी।

जारी रहेगी

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#57
मेरे अंतरंग हमसफ़र

चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -10


नकली गुस्सा असली प्यार.





मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 9 में पढ़ा:

कुछ देर बाद लिली ने मुझ से पूछा-अब आगे का क्या इरादा है?

मैं उसे किश करते हुए नाक से नाक रगड़ते हुए बोला-बस मेरी जान! चुदाई और सिर्फ़ चुदाई! लिली मेरी जान, मैं अपने लंड को अब अगले पांच दिन तक तुम्हारी और हुमा की चूत के अन्दर घिसना चाहता हूँ। लेकिन उसके अलावा और कोई ख़्वाहिश हो तो बताओ!

आपने मेरी कहानी " मेरे अंतरंग हमसफ़र" में अब तक पढ़ा:

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।

उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया अब मेरा लंड लिली की कुंवारी चूत के बिल्कुल सामने था। उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया, जबकि उस समय मैं भी उसकी स्वादिष्ट योनी में घुसने के लिए उतना ही उत्सुक तेज़ था। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा । मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।

कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा। मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने नहीं ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया! मेरा लंड एक बार फिर झड़ने के बाद कठोर ही रहा और उसे देख लिली थोड़ा आश्चर्यचकित हुई और मैंने उसने अपने ऊपर आने के लिए उत्साहित किया। हुमा भी घण्टे की आवाज़ से जग गयी थी और मुझे ढूँढते हुए लिली के कमरे में पता नहीं कब आ गयी थी लिली की चुदाई देखने के बाद हुमा भी मेरे साथ चिपक गयी।

अब आगे:-

हुमा मेरे साथ चिपकी हुई मुझे किश करने लगी और रुआंसे से स्वर में कहने लगी-दीपक आई मिस यू! आई लव यू!

वो प्यार की भाषा बोले जा रही थीl मैं भी उसे किश करता रहाl

उसने मुझे बहुत देर तक हग किया और फिर अलग हुएl

ये सब ख़त्म करने के बाद मैं और हुमा चिपक कर बात कर ही रहे थे कि तभी दरवाजे पर दस्तक हुईl हुमा ने उठ कर दरवाज़ा खोला, तो लिली किचन में चाय पानी और कुछ नाश्ता ले कर आ गईl

नाश्ता करने के बाद लिली बर्तन इत्यादि ले कर चली गयी l

तो मैंने उससे पुछा हुमा तुम यहाँ कैसे पहुँची?

तो बो बोली जब आपको आपके फूफा जी में फ़ोन पर सन्देश भेजा था और यहाँ का पता बताया था तो मैंने पढ़ लिया था और जब आप बोलो मुझे जाना होगा तो मैंने सोचा क्यों न इसमें थोड़ा रोमांचा जोड़ा जाए इसलिए मैंने आपसे नाराज होने का नाटक किया और टैक्सी बुला कर यहाँ चली आयी और मैंने लिली को पूरी बात बतायी तो उसने आगे का सब प्लान ख़ुद बना लिया ।

मैं भी नकली गुस्सा करते हुए बोलै तुम्हे पता नहीं है और मुझे कितना बुरा लगा था मैंने अपने कपड़े पहने और जाने के लिए तैयार हो गया।

हुमा ने मुझे अपने और खींचा और मुझ पर टूट पड़ीl वह मेरे गाल, नाक, मुँह, सब जगह चूमने लगी और रोने लगीl

मैं थोड़ा नाटक करते हुए बाहर निकला और भी वही थोड़ी दूर बगीचे में थोड़ी सैर करने चला गया और कुछ देर घूमने के बाद सिगरेट पी कर वापस आ गयाl तब तक हुमा ने फ़ोन पर मुझे देर सारे सॉरी के SMS.भेज डाले

जब मैं वापिस आया तो वहाँ हुमा अकेली बैठी थी

हुमा ऐसे ही नंगी उठकर उसके करीब आई और मुझसे लिपट कर बोली-" आई एम सॉरी...तुम गुस्सा मत मानो बस... मैंने तो बीएस मजे के लिए किया था... आई ऍम सॉरी प्रोमिस, आज के बाद तुम्हे कभी ऐसे नहीं सताऊँगी पर तुम नाराज़ मत होना... कहते हुए हुमा ने मेरे लंड को पेंट के उपर से पकड़ कर ज़ोर से दबा दिया।

हुमा ने-ने इशारा किया और लिली भी दौड़कर मेरे से आकर लिपट गयी...अपनी दोनों बाहों में 2 गरमा गरम लड़कियों को-को दबोचकर मेरा सारा नकली गुस्सा फुर्र हो गया...

मैंने एक के बाद एक दोनों को अच्छी तरह से स्मूच किया।

उसने एक के बाद एक दोनों को अच्छी तरह से स्मूच किया।

जैसे ही मैंने हुमा की गांड पर हाथ रखकर उसे अपनी तरफ़ उचकाया, वो किसी बंदरिया की तरह उछलकर मेरे से लिपट गयी...उन दोने में से हुमा छोटी थी और छोटी होने के साथ वह काफ़ी हल्की

भी थी...शायद उसका वज़न 50 के भी कम था...

उसने अपनी नंगी बॉडी को मेरे जिस्म से बुरी तरह से मसल दिया और उपर उछलकर अपने आतुर होंठों को मेरे गर्म होंठों पर रखकर एक गहरे चुंबन में डूब गयी।

मेरे लिए ये स्मूच एक यादगार लम्हा बनकर रह गया, और उसे किस्स करके पता चला हॉटनेस में वह अच्छे-अच्छों को पीछे छोड़ सकती थीl उसके किस्स करने का तरीक़ा ही ऐसा था, सबसे निराला, अपनी जीभ और होंठों को पूरी तरह से गीला करके वह मेरे होंठों को नहला रही थीl

मेरे दूसरे हाथ में लिली थी, वरना मैं उस समय हुमा के स्तनों को नींबू की तरह निचोड़ चुका होता अब तकl

हम दोनों को ऐसे स्मूच करता देखकर लिली ने हुमा को टोका-"अब बस करो हुमा! खा जाएगी क्या दीपक को!"

हुमा मेरी गोद में चढ़कर वह मेरी कमर पर अपनी चूत भी रगड़ रही थी...

कुछ देर के बाद हुमा उठी और मेरी पेण्ट को खोल दिया और मेरे लंड को खड़ा देख कर उसके ऊपर बैठने की कोशिश करने लगी।

मैंने भी उसको घोड़ी बनाया और अपना खड़ा लंड उसकी चूत में पीछे से डाल दिया। उसकी चूत बहुत ही टाइट लगी मुझको और लंड बड़ी मुश्किल से अंदर जा रहा था।

लंड के घुसते ही चूत में बहुत गीलापन आना शुरू हो गया और फिर मैंने कभी तेज़ और कभी आहिस्ता धक्के मार कर हुमा का पानी जल्दी ही छूटा दिया और वह कई क्षण मुझ से लिपटी रही।

फिर मैंने लिली को उठा कर अपने सीने से लगाया। उसकी काफ़ी तारीफ की, उसके सैक्सी जिस्म की काफ़ी तारीफ की। फिर मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे। वाकय उसके होंठ बहुत ही नरम और गुलाब की तरह थे। मैंने उसके होंठ चूसना शुरू किया। उसके बाद उसके होंठों को एक प्यासे बच्चे की तरह चूसने लगा।

लिली भी किसिंग में बहुत एक्सपर्ट लगती थी। उसने इस तरीके से मेरे होंठ चूसना शुरू किया कि मैं बहुत इंजॉय कर रहा था। उसके बाद हमारी ज़ुबानें एक दूसरे के मुँह में थीं। मैं उसके मुँह का ज़ायका चख रहा था और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। साथ-साथ मेरा हाथ उसके बूब्स पर गया।

मैंने उसके मम्मे दबाना शुरू किया और लिली को भी मज़ा आने लगा। उसके बाद मैंने उसके एक मम्मे को मुँह में लिया और उसको चूसने लगा। मेरी हालत एक भूखे बच्चे की तरह थी। मैंने एक मम्मे को मुँह में लिया था और दूसरे को हाथ से मल रहा था। वह बहुत ही गरम हो रही थी और मैं लगातार उसके मम्मे एक के बाद दूसरे को चूस रहा था। उसने मेरे सिर को अपनी चूचियों के साथ लगा कर रखा था और आँखें बंद की थीं। उसने मेरे जिस्म पर हाथ फेरना शुरू किया और जब उस का हाथ मेरे लंड पर पहुँचा और उसने मेरा लंबा कठोर लंड अपने मुलायम और नाज़ुक हाथों में काबू किया और मैं अभी तक कभी उसके मम्मे चूस रहा था और कभी उसके लिप्स को चूसता।

उसके साथ ही मैं अपना हाथ उसकी चूत पर ले कर गया और वह मुकम्मल गीली हो गयी थी। मैंने उसके जिस्म को किस करना शुरू किया।

मैंने उसके एक-एक हिस्से को किसिंग करना और चाटना शुरू किया। उसकी गर्दन से होता हुआ उसके प्यारे से पेट पर गया, फिर उसकी चूत की ऊपरी जगह को किस करने और चाटने लगा। बेशक वह बहुत साफ़ सुथरी लड़की थी। उसने ताज़ा-ताज़ा पहले बार चुदी हुई चूत पिंकिश थी। फिर मैंने उसकी चूत पर किस की और आहिस्ता-आहिस्ता उसकी चूत पर ज़ुबान फेरने लगा। लिली को भी काफ़ी मज़ा आ रहा था।

मुझे बहुत ही मज़ा आया क्योंकि उसकी चूत बहुत साफ़-सुथरी और सुंदर थी सो मैंने काफ़ी देर उसकी चूत चाटने में लगायी। वह बहुत गरम हो गयी थी और टाँगें मार रही थी मगर मैं उसको पूरा मज़ा देना चाहता था। चूत चाटते-चाटते वह डिसचार्ज हो गयी और मैं उसको पूरा चाट गया मगर जब उसकी चूत की हालत देखी तो उस वक़्त वह गुलाबी हो रही थी, इसलिये मैंने मुकम्मल तरीके से उसकी चूत को चाटा।

इस दौरान वह मेरे लंड के साथ खेल रही थी सो मैंने उसको चूसने के लिये कहा। वह अब एक एक्सपर्ट की तरह मेरे लंड को सोफ्टी तो तरह चाटते हुए चूसने लगी। मेरा लंड पूरा तन चुका था तो कुछ देर बाद मैंने लंड उसके मुँह से निकाला और उसकी टाँगों के बीच में रखा। फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रखा और आहिस्ता-आहिस्ता अंदर डालने लगा। उसकी चूत अभी भी काफ़ी टाइट थी।

मैंने धीरे-धीरे एक एक इंच करते हुए पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और आगे पीछे करने लगा। मैंने उसकी टाँगें उठायी हुई थीं और अपना लंड उसकी चूत में डाला हुआ था। लिली की आँखें बंद थीं और वह भरपूर मज़ा ले रही थी। कुछ देर बाद मैं डिसचार्ज होने लगा और मुझे ये डर था कि अगर मैं अंदर डिसचार्ज हो जाऊँगा तो ये प्रेगनेंट हो जायेगी। सो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी पेट पर डिसचार्ज हो गया।

जब उसने मुझे बाहर डिसचार्ज होते देखा तो मुझसे पूछा कि लंड बाहर क्यों निकाला है? मैंने यही जवाब दिया कि मैं उसको प्रेगनेंट नहीं करना चाहता। इस पर उसने मुझे सीने से लगा कर बहुत किस किया और मेरी इस बात पर खुश हुई और कहा कि अब आगे कभी बाहर नहीं डिसचार्ज होना मैं दवाई ले लूंगी ।

फिर हम तीनों ने रात का खाना खाया मैंने उस रात हुमा और लिली को आठ बार अलग-अलग स्टाईल से चोदा। मुझे उनके साथ हर बार एक नया ही मज़ा आया।

जारी रहेगी


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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
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  8. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
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#58
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#59
मेरे अंतरंग हमसफ़र


चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -11

भाग्यशाली. 

आपने "मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 10:  में पढ़ा:

मैंने धीरे-धीरे एक एक इंच करते हुए पूरा का पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया और आगे पीछे करने लगा। मैंने उसकी टाँगें उठायी हुई थीं और अपना लंड उसकी चूत में डाला हुआ था। लिली की आँखें बंद थीं और वह भरपूर मज़ा ले रही थी। कुछ देर बाद मैं डिसचार्ज होने लगा और मुझे ये डर था कि अगर मैं अंदर डिसचार्ज हो जाऊँगा तो ये प्रेगनेंट हो जायेगी। सो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी पेट पर डिसचार्ज हो गया।

जब उसने मुझे बाहर डिसचार्ज होते देखा तो मुझसे पूछा कि लंड बाहर क्यों निकाला है? मैंने यही जवाब दिया कि मैं उसको प्रेगनेंट नहीं करना चाहता। इस पर उसने मुझे सीने से लगा कर बहुत किस किया और मेरी इस बात पर खुश हुई और कहा कि अब आगे कभी बाहर नहीं डिसचार्ज होना मैं दवाई ले लूंगी ।

फिर हम तीनों ने रात का खाना खाया मैंने उस रात हुमा और लिली को आठ बार अलग-अलग स्टाईल से चोदा। मुझे उनके साथ हर बार एक नया ही मज़ा आया।

आपने मेरी कहानी " मेरे अंतरंग हमसफ़र  में अब तक पढ़ा:

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।


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उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया और उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा। मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।

कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा। मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने नहीं ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया! मेरा लंड एक बार फिर झड़ने के बाद कठोर ही रहा और उसे देख लिली थोड़ा आश्चर्यचकित हुई और मैंने उसने अपने ऊपर आने के लिए उत्साहित किया। हुमा भी घण्टे की आवाज़ से जग गयी थी और मुझे ढूँढते हुए लिली के कमरे में पता नहीं कब आ गयी थी लिली की चुदाई देखने के बाद हुमा भी मेरे साथ चिपक गयी। फिर मैंने हुमा और लिली की रात भर चुदाई की।

अब आगे:-

रात भर चुदाई करने के बाद तीनो थककर चिपक कर सो गए और दोपहर के आसपास लिली ने मुझे जगाया और जब मैं उठा तो मैंने देखा लिली पिछली रात को उसने मेरी बाँहों में जो मजे चखे थे वह उसके आनंद से भरी हुई थी। लिली ने मुझे चूमा और बोली 'दीपक! तुमने कल मुझे लड़की से औरत बना दिया है!' उसने हर्षित मुस्कान लिए हुए उत्साह के साथ कहा, और फिर उसने मेरे खड़े लंड की तरफ़ देखा और उसे सहलाने लगी और फिर बोली मुझे नहीं पता था कि मैं इसे इतनी बुरी तरह से चाहती थी! '' लंड उसका स्पर्श पाकर फिर कठोर हो रहा था। हुमा अब भी नंगी मेरे साथ चिपकी हुई सो रही थी और बहुत प्यारी लग रही थी।

तो फिर मैंने लिली को दबोच लिया और उसे चूमने लगा, कुछ देर बाद वह बोली दीपक, मेरी बहन मिली आ रही है और हमें उसका स्वागत करने हवाई अड्डे तक जाना होगा फिर उसने मुझे तैयार होने के लिए कहा। मैं तरोताजा हो गया, थोड़ा चाय नाश्ता किया और हमने उसकी कार से हवाई अड्डे के लिए प्रस्थान किया।

रास्ते में उसने बताया कि उसने अपनी बहन मिली को मेरे बारे में सब बता दिया है और वह आपके बारे में सुनने के बाद बहुत उत्साहित है।

एक बार जब हमने राजमार्ग को छुआ और एयरपोर्ट की तरफ़ बढे तो लिली ने मुझसे कहा: 'अब, दीपक, मैं आपसे कुछ गंभीर बात करना चाहती हूँ।'

'अरे वाह! अब मैंने क्या कर दिया! ' मैं होैरान होकर बोला। लिली हंस पड़ी। उसने जवाब दिया, 'आपने जो किया है, ये उसके बारे में नहीं है, बल्कि आपको जो करना है, उसके बारे में मैं बात करना चाहती हूँ। अब दीपक, अच्छे लड़के की तरह वादा करो कि जैसा हम चाहते हैं वैसा ही तुम करोगेl'

लिली बोली हाँ! हम सब!

मैं फिर हैरान होते हुए बोला हम! 'बेशक अगर मैं कर सकता हूँ तो ज़रूर!' मुझे क्या करना है?-कुछ बहुत गंभीर या बहुत मुश्किल है क्या? '

लिली हँसी। 'दीपक, तुम बहुत मजाकिया हो! हाँ, यह बहुत गंभीर है और यह मुश्किल भी हो सकता है! मैं इसे बहुत स्पष्ट रूप से कहने जा रही हूँ क्योंकि यह सबसे आसान और तेज़ तरीक़ा होगा आपको बताने का! दीपक, हम सब, ध्यान देना! मेरे बहन मिलि के सहित, आपको चाहते हैं । आप हमे भरपूर प्यार कीजिये l यहीं मेरे घर पर!'

'क्या!' मैंने आश्चर्य से उसे घूरते हुए कहा?


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'यह बिल्कुल सच है, प्रिय दीपक!' लिली ने हल्के से फुसफुसाते हुए उत्तर दिया, ' यही तो हम चाहते हैं कि आप हमे चोदे। अब सुनो! आपको पता ही होगा आप अपने परिवार की परम्परा के अनुसार अगले कुछ दिनों में पढ़ाई के लिए लंदन जा रहे हैं। मिलि आपकी वीज़ा औपचारिकताओं और कागजो को पूरा करने में आपकी सहायता करेगी। मिली मेरी बड़ी बहन है और वह तलाकशुदा है और मेरी माँ और तुम्हारी माँ बचपन की गहरी सहेलिया हैं। आर आप उसी के लिए मेरे पास आये थे, और आपकी वीसा के लिए के लिए दूतावास में अगले हफ्ते का समय मिला है।

फिर लिली ने कहा, 'मेरे प्रेमी! मैं तुम्हें बुरी तरह से चाहती थी,! लेकिन मेरा विवाह अन्यत्र हो गया और जब मेरे पति से मेरे को सम्भोग सुख नहीं मिला तो मैं उसे छोड़ना चाहती थी. ओह, इतनी बुरी तरह से उसके बाद तुम्हे चाहने लगी थी की मैं चाहती थी की या तो तुम मेरे पास आ जाओ या फिर मैं तुम्हारे पास जा कर अपना प्रेम निवेदन करू। और फिर जिस क्षण मैंने हुमा से तुम्हारे बारे में सुना कि तुम यहाँ कागजात लेकर आ रहे हो, अचानक एक विचार मेरे मन में आया।'

लिली आगे बोली 'जैसा कि आप जानते हैं, दीपक, मेरी बहन मिलि हालांकि मुझसे बड़ी है फिर भी वह युवा है और उसका आपने विवाह के कुछ दिन बाद ही तलाक हो गया था और मेरा स्वभाव उसके जैसा ही गर्म है और मुझे पता है कि वह रात को बिस्तर पर अकेले सोने से कितनी नफ़रत करती है! और वह भी तुमसे प्यार करती है।'

तो मैंने उसे तुरंत फ़ोन मिलाया और फुसफुसाते हुए उसे बताया "मिलि देखो, दीपक यहाँ आने वाला है-है और हम उसे साझा कर लेते हैं!"

लिली की ये बात सुन कर मैंने लिली की ओर देखा और वह एक कॉलेजी छात्रा की तरह शरमा गई। लिली ने मेरी और देखते हुए कहा कि मैं फिर से अपनी बहन मिली से फुसफुसाई-"मिली, तुम्हें पता है कि तुम उसे बहुत चाहती होl"

मैं लिली की तरफ़ ही देख रहा था उसने मेरी तरफ़ देखा और वह फिर से गहराई से शरमा गई-"आओ, मिली डार्लिंग, मेरे साथ दीपक को मेरे साथ साझा करो!" और मैंने उसे फ़ोन पर चुंबन किया और मिली भी फुसफुसाते हुए मुझ से बोली " लिली तुम बहुत अच्छी हो मेरी जान-मेरा कितना ख़्याल रखती हो! अगर दीपक इसके लिए त्यार है तो ऐसा ही करेंगे ।"

तो लिली बोली मैं मिली से बोली मिली आप चिंता मत करो ऐसा ही होगा और आप जल्दी से मेरे पास आ जाओ! " तो दीपक अब आप क्या कहते हैं? '

'लिली, मैं क्या कह सकता हूँ मैं विस्मय में खो गया हूँ!' मैं ठिठक गया और कार को मैंने ब्रेक लगा दी।

'मैं आपको सच बता रही हूँ, दीपक,' उसने जवाब दिया, वह अब काफ़ी गंभीरता से बोल रही थी और मुझे सीधे मेरी आंखों में देख रही थी। 'दीपक क्या आप मिली को नहीं कहेंगे, आप क्या करेंगे?'

लिली की ये बात सुन कर मेरा लंड उत्तेजना से बिलकुल तन गया।

'बिल्कुल नहीं, मेरी प्रिय लिली!' मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उत्तर दिया-'मैं अपने आप को पूरी तरह से आपको समर्पित करता हूँ और आपकी सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ूंगा!'

लिली ने मुझे प्यार से देखा और मैंने देखा कि उसकी आँखें भीगी हुई थीं। फ़िलहाल उसने धीरे से कहा, 'तुमने जो कहा उसके लिए शुक्रिया, मेरे सच्चे प्रेमी। मुझे यह सोचकर गर्व और ख़ुशी हो रही है कि आप मेरे अनुरोध पर मिली के साथ वही करेंगे जो आपने मेरे साथ इतनी मधुरता से किया है!' फिर एक विराम के बाद उसने हल्के स्वर में कहा, ' दीपक! आप तो जानते ही हो हर कर्म अपना प्रतिफल देता है तो एक प्यारी महिला के साथ ये विशेष कर्म आपको विशेष प्रतिफल अवश्य देगा क्योंकि जनाब मेरे बहन मिली बहुत ख़ास है।

लेकिन आप मुझे कैसे चाहती हैं आप मुझ से कब मिली थी? मैं पहले आप से या आपकी बहन से कभी मिला, ऐसा मुझे तो याद नहीं पड़ता।

लिली बोली जैसा की आप जानते ही हो आपकी माँ और हमारी माँ आपस में बचपन की सहेलिया है और ये भी सच है हम कभी आपस में नहीं मिले परन्तु आपको याद होगा आप आपने ननिहाल में एक शादी में आये थे अपनी मा के साथ वहीँ हमने आपको देखा और आपको चाहने लग गयी थी।

लेकिन मेरे उस इनाम का क्या हुआ जिसका आपने कल वादा किया था!' मैंने पूछ लिया। लिली आप मुझे ललचाने के लिए मुझे कुछ और संकेत भी दें सकती है!

ऐसा है तो यक़ीन रखिये कि इसके अतिरिक्त जब हम घर वापस पहुँचेंगे तो वहाँ आपको आपका इनाम भी मिल जाएगा। चलिए आपको बता ही देती हूँ आपका ख़ास इनाम हैं मेरी छोटी बहन एमी।

क्या आपकी छोटी बहन एमी भी!

'ओह! उसे तो हम बिना किसी कठिनाई के मनाने में कामयाब रहे!' लिली ने याद करते हुए मुस्कुराते हुए जवाब दिया। दीपक आप जानते नहीं हो कि अगर मिली चाहती है तो एमी उसके कहने पर कुछ भी कर सकती है। मैंने कल सुबह एमी को गुमसुम देख उसे पकड़ लिया और उससे कहा कि हम दोनों बहने उसके बारे में बहुत चिंतित हो रही हैं क्योंकि उसकी प्राकृतिक इच्छाएँ उसके स्वास्थ्य और रूप को प्रभावित करने लगी थीं। मेरी ये बात सुन कर एमी बुरी तरह सहम गई थी। तो फिर मैंने उसे अपनी गोद में खींचा और उसकी बाहों में लिया और उसे नम्रता से चूमा और प्यार से कहा: "मेरी प्रिय, बहन मेरी प्यारी छोटी-सी लड़की, दुनिया में एक आदमी जिससे तुम बेहद प्यार करती हो वह कुछ देर में यहीं आ रहा है!" मेरी बात सुन कर एमी शरमा गई और उसके दूध के जैसे गोरे गाल शर्म के मारे लाल हो गए।

"यदि आप उसके साथ अपना पहला सम्भोग करने के लिए सहमत हैं, तो दीदी और मैं आपके साथ रहेंगी और उसे हमें यहीं रोक लेंगी ताकि हम एक कमरे में एक साथ रह सकें जहाँ हम आपकी आपके पहले सम्भोग के समय देखभाल कर सकें! क्या आप सहमत हैं मेरी प्रिये?" बेचारी एमी को समझ नहीं आ रहा था कि क्या कहूँ-वह बुरी तरह हतप्रभ रह गई! मैंने मिली को फ़ोन मिला कर एमी की बात उससे करवाई तो मिली ने एमी के कानो में प्यार से फुसफुसाते हुए कहा। "हाँ कहो, प्रिय एमी!"

'धीरे-धीरेी एमी का जवाब आया: "यदि आप भी यही चाहती हैं, दी, हाँ!"' और हम दोनों ने एक दुसरे को चूमा और दोनों बहने गले मिली और मैंने भी लिली को चूमा।

लिली बोली अब तुम्हे हम तीनो बहने मिलेंगी। दीपक मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मेरी बहनें मिली सबसे बेहतरीन महिला हैं और एमी बहुत कमसिन है और दोनों मुझसे ज़्यादा खूबसूरत हैं। दीपक! तुम बहुत भाग्यशाली हो! '



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अब मेरा बायाँ हाथ उसकी गोद में सरक गया और मैंने उसके प्रेम क्षेत्र को प्यार से दबा दिया तो उसने मुझे कोमलता से देखा। 'हाँ, मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ। तुम देखो मेरे पास पहले से ये खुशियों का खजाना है!' और फिर से मेरा हाथ सरक कर उसके योनि पर टिक गया। और जैसे कि यह किसी भी पुरुष के लिए पर्याप्त न हो आप मुझे दुनिया को सबसे बेहतरीन और सुंदर महिला में से एक और एक सबसे सुंदर और कमसिन लड़की से सम्भोग करने का मौका दे रही है! लिली डार्लिंग, मुझे समझ नहीं आ रहा की मैं आपको कैसे धन्यवाद दूं? '

मेरे लंड पर हाथ रखकर उसने कहा दीपक मुझे धन्यवाद देने के लिए तुम्हें पता होना चाहिए कि तुम्हें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।

जारी रहेगी

 
  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम
  7. मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
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मेरे अंतरंग हमसफ़र


चतुर्थ अध्याय

लंदन जाने की तयारी

भाग -12

लिली की बहन मिली से पहली मुलाकात और आलिंगन.



आपने "मेरे अंतरंग हमसफ़र चतुर्थ अध्याय भाग 11: में पढ़ा:

लिली बोली अब तुम्हे हम तीनो बहने मिलेंगी। दीपक मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मेरी बहनें मिली सबसे बेहतरीन महिला हैं और एमी बहुत कमसिन है और दोनों मुझसे ज़्यादा खूबसूरत हैं। दीपक! तुम बहुत भाग्यशाली हो! '

अब मेरा बायाँ हाथ उसकी गोद में सरक गया और मैंने उसके प्रेम क्षेत्र को प्यार से दबा दिया तो उसने मुझे कोमलता से देखा। 'हाँ, मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ। तुम देखो मेरे पास पहले से ये खुशियों का खजाना है!' और फिर से मेरा हाथ सरक कर उसके योनि पर टिक गया। और जैसे कि यह किसी भी पुरुष के लिए पर्याप्त न हो आप मुझे दुनिया को सबसे बेहतरीन और सुंदर महिला में से एक और एक सबसे सुंदर और कमसिन लड़की से सम्भोग करने का मौका दे रही है! लिली डार्लिंग, मुझे समझ नहीं आ रहा की मैं आपको कैसे धन्यवाद दूं? '

मेरे लंड पर हाथ रखकर उसने कहा दीपक मुझे धन्यवाद देने के लिए तुम्हें पता होना चाहिए कि तुम्हें बहुत मेहनत करनी पड़ेगी।

आपने मेरी कहानी " मेरे अंतरंग हमसफ़र में अब तक पढ़ा:

मैं अपनी पत्नी प्रीती को अपनी अभी तक की अंतरंग हमसफर लड़कियों के साथ मैंने कैसे और कब सम्भोग किया। ये कहानी सुनाते हुए बता रहा था की, किस तरह मेरी फूफरी बहन की पक्की सहेली हुमा की पहली चुदाई जो की मेरे फूफेरे भाई टॉम के साथ होने वाली थी। टॉम को बुखार होने के बाद मेरे साथ तय हो गयी। फिर सब फूफेरे भाई, बहनो और हुमा की बहन रुखसाना तथा मेरी पुरानी चुदाई की साथिनों रूबी, मोना और टीना की मेरी और हुमा की पहली चुदाई को देखने की इच्छा पूरी करने के लिए सब लोग गुप्त तहखाने में बने हाल में ले जाए गए। मैं दुल्हन बनी खूबसूरत और कोमल मखमली जिस्म और संकरी चूत वाली हुमा ने अपना कौमर्य मुझे समर्पित कर दिया उसके बाद मैंने उसे सारी रात चोदा और यह मेरे द्वारा की गई सबसे आनंदभरी चुदाई थी। उसके बाद सब लोग घूमने मथुरा आगरा, भरतपुर और जयपुर चले गए और घर में एक हफ्ते के लिए केवल मैं, हुमा और रोज़ी रह गए। जाते हुए रुखसाना बोली दोनों भरपूर मजे करना। उसके बाद मैं और हुमा एक दूसर के ऊपर भूखे शेरो की तरह टूट पड़े और हुमा को मैंने पहले चोदा और फिर उसके बाद बहुत देर तक चूमते रहे।



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उसके बाद मैं फूफा जी के कुछ जरूरी कागज़ लेकर श्रीमती लिली से मिलने गया पर इस कारण से हुमा नाराज हो कर चली गयी । लिली वास्तव में बहुत सुंदर थी और उसका यौवन उसके बदन और उसके गाउन से छलक रहा था। उसके दिव्य रूप, अनिन्द्य सौन्दर्य, विकसित यौवन, तेज। कमरे की साज सज्जा, और उसके वस्त्र सब मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग भर रहे थे। अचानक वह दर्द से चिल्लाने लगी और बोली, मेरे पैरों में ऐंठन आ गयी है। मैंने उसके गाउन को ऊपर उठाते हुए और उसकी प्यारी पिंडलियों को अपने हाथों से सहलाया, और नरम और गुलाबी त्वचा पर चुंबन कर दिया। उसके अतुलनीय अंग अनुपम रूप से सुशोभित थे। मैंने लिली की जांघो और उसकी टांगो को चूमा और सहलाया फिर उसकी योनि के ओंठो को चूमा, चूसा और फिर मेरी जीभ ने उसके महीन कड़े भगशेफ की खोज की, मैंने उसे परमानंद में चूसा, और उसने मेरा मुँह अपने चुतरस से भर दिया।

लिली ने लंड को पकड़ लंडमुड से भगनासा को दबाया और योनि के ओंठो पर रगड़ा और अपनी जांघो की फैलाते हुए योनि के प्रवेश द्वार पर लंड को लगाया और उसने अपने नितंबों को असाधारण तेज़ी और ऊर्जा के साथ ऊपर फेंक दिया। मेरा कठोर खड़ा हुआ लंड लिली की टाइट और कुंवारी चूत के छेद में घुस गया और मैंने लिली को आसन बदल कर भी चोदा। मैं पास के कमरे में गया वहां हुमा थीं। हम दोनों एक दूसरे की बांहो जकड़ कर जन्नत के आनंद का मज़ा लिए और मैंने ढेर सारा वीर्य उसकी योनि में छोड़ा।

कुछ देर बाद मैं उठा तो मैंने देखा हुमा भी नींद की आगोश में थी और पर्दा हटा कर मैंने लिली के कक्ष में झाँका और मैंने वहाँ बिस्तर पर गहरी नींद में सोई हुई प्यारी परम् सुंदरी लिली को देखा। मैं अपने उत्तेजित और झटकेदार उपकरण के सिर और बिंदु को उसके निचले आधे हिस्से के बिल्कुल सामने नहीं ले आया और फिर मैंने एक झटके में ही लंड मुंड को अंदर कर दिया! मेरा लंड एक बार फिर झड़ने के बाद कठोर ही रहा और उसे देख लिली थोड़ा आश्चर्यचकित हुई और मैंने उसने अपने ऊपर आने के लिए उत्साहित किया। हुमा भी घण्टे की आवाज़ से जग गयी थी और मुझे ढूँढते हुए लिली के कमरे में पता नहीं कब आ गयी थी लिली की चुदाई देखने के बाद हुमा भी मेरे साथ चिपक गयी। फिर मैंने हुमा और लिली की रात भर चुदाई की। अगले दिन लिली बोली अब तुम्हे मेरी दोनों बहने भी चाहती हैं और तुम्हे उन्हें भी चोदना होगा। दीपक मैं आपको विश्वास दिलाती हूँ कि मेरी बहनें मिली सबसे बेहतरीन महिला हैं और एमी बहुत कमसिन है। मैंने उसके हाथ पर अपना हाथ रखते हुए उत्तर दिया मैं अपने आप को पूरी तरह से आपको समर्पित करता हूँ और आपकी सेवा में कोई कोर कसर नहीं छोड़ूंगा और हमने उसकी कार से हवाई अड्डे के लिए प्रस्थान किया।'

अब आगे:-

मैंने उसे चूमा और कार फिर चलने लगी और ऐसे ही बाते करते हुए हम एयरपोर्ट पर पहुँच गए थे और फ्लाइट भी आ चुकी थी और मिली से मेरी पहली मुलाकात एयरपोर्ट पर हुई। उसके साथ ही उसकी बालसखी और सहायिका सपना भी थी । लिली मिली के गले लगी और दोनों ने एक दुसरे के गालो और ओंठो पर किश की और उसने मिली और सपना से मेरा परिचय करवाया और हमने हाथ मिलाया । मिली का हाथ बाहर नरम और मुलायम था । मिली ने घुटनो तक काले रंग की जैकेट पहनी हुई थी।

जैसा की लिली ने मिली के बारे में कहा था की वह बेहतरीन महिला है बल्कि मिली उससे भी थोड़ा बढ़ कर ही थी, सुंदर लड़किया की सरताज थी। जितनी सुंदर उससे बढ़कर तेजस्वी, बिल्लौरी आँखों में काजल की धार और बातों में प्रबुद्ध तर्क की धार, गोरापन लिये हुए थोड़ा-सा भरा हुआ शरीर, ऊँची पतली नासिका में चमकती हीरे की लौंग, चेहरे पर आत्मविश्वारस की चमक, बुध्दिमान और बेशर्म, न चेहरे, न चाल में संकोच या लाज की छाया, छातियाँ जैसे मांसलता की अपेक्षा गर्व से ही उठी रहतीं, उच्चवर्गीय खुले माहौल से आई तितली जो मॉडलिंग करती थी। मिली लिली से लगभग 3-4 साल बड़ी लग रही थी ।

मिली भी लिली की तरह पूर्ण अंडाकार सुंदर चेहरे के साथ स्त्री सौंदर्य की एक आदर्श आकृति थी! गुलाब के फूल जैसा मुँह और चेरी जैसे होंठ, छोटे-छोटे कान, उत्तम गोल चमकदार कंधे, पूर्ण और सुंदर भुजाएँ, लहराती हुई उत्तम छाती, गोल सुदृढ़ और मोठे स्तन जिन्हे मैं सहलाना और धीरे से दबाने का सौभाग्य प्राप्त करना चाहता था। चुकी मिली मॉडलिंग करती थी और उसने शृंगार भी किया हुआ था तो वह लिली के मुक़ाबले बहुत सुंदर लग रही थी। ऐसी सुंदर लड़की जिसे पाने का ख़्वाब हर लड़के के मन में पलता है ।

मिली को उसे देख मैं सोचने लगा इसका आपने पति से तलाक क्यों हुआ होगा या तो वह भी मिली को लिली के पति की तरह इसे भोग नहीं पाया था या मिली के खुले विचारो से उसका मेल नहीं बैठा होगा । खैर अब तक मैंने रोज़ी रूबी, टीना, मोना, अलका, जेन, रुखसाना और हुमा को ही भोगा था जो मेरी हम उम्र थी मेरे लिए ये पहला मौका था जब मैं अपने से बड़ी किसी लड़की या महिला को भोगने वाला था ।


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फिर मैंने अपनी नज़र मिली की सहायिका सपना पर गढा दी। उसका भी रंग गोरा था लेकिन मिली जितना नहीं। वह मिली की हम उम्र थी पर अपनी-अपनी उमर से करीब चार पांच साल छोटी दिखती थी। उसकी आँखे बडी-बडी थी। जिन में वासना भरी हुयी थी। उसके होठ बडे-बडे थे। उसपर उसने गहरे लाल रंग की लिपस्टिक लगा रखी थी। जो उसकी सुन्दरता को और बढ़ा रही थी। उसके चहरे पर एक आमत्रंण का भाव था जैसे कह रही हो आओ और चुम लो मेरे होठों को।

फिर मेरी नज़र उसके बदन पर गयी बडा ही भरपूर बदन था उसका। उसका गदराया बदन देख कर मेरा लंड पैन्ट के अन्दर ही उछलने लगा था। उसने हल्के आसमानी रंग की ड्रेस पहन रखी थी। उसका टॉप स्लीव लेस था और उसमे कफ़ी गहरा कट था, जिसकी वजह-सी उसके बडे-बडे मम्मे आधे से ज़्यादा ब्लाउस से बाहर झाँक रहे थे। सपना ने बहुत ही टाईट टॉप पहन रखा था क्योकी उसके मम्मो की दोनों बडी-बडी गोलाईयाँ आपस मैं चिपक गयी थी और एक गहरा कट बना रही थी। जो कि बडा ही सेक्सी लग रहा था।

उन दोनों का सामान हमने जल्द ही कार में डाल दिया। लिली ड्राइवर की सीट पर आ गयी और उसने मुझे पिछली सीट पर जाने का इशारा किया और मैंने अपनी जगह पीछे की तरफ़ ले ली और मिलि मेरे बगल में बैठ गई और सपना लिली के साथ आगे बैठ गयी और हम लिली के घर के लिए निकल पड़ेl

कार में उसके बगल में बैठा मैं उसे निहार रहा था और यह वास्तव में बहुत सुंदर थी उसका यौवन उसके बदन और उसके घुटनो तक के जैकेट से छलक रहा था। उसका साथ मुझ में आशा, आनन्द, उत्साह और उमंग से भर रहा था।

मिली और उसकी बहने मुलता ब्रिटिश माँ और हिन्दुस्तानी बाप की संतान थी। मिली के बाल सुनहरे और लम्बे थे और वह एक घुटनो तक काली पोशाक में थी जो उसके अच्छी तरह से गठित टांगो को दर्शाती थी। मिली की गोरी चुकनी लम्बी टाँगे पर कोई बाल कोई दाग नहीं था। गोरी चिकनी बेदाग़ और सुन्दर टाँगे देख मेरे बदन में आग लग गई थी।
उसकी आँखें गहरे बिल्लोरी थीं, लंबी रेशमी पलकों के साथ और उसकी एक प्यारी-सी नन्ही नाक और एक मनमोहक मुँह था।


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कार में बैठते ही उसने अपनी जैकेट को उतार दिया। अब उसकी पतली, लगभग पारदर्शी पोशाक उसके दो नाज़ुक छेनी वाले स्तनों की सही आकृति को छुपाने का असफल प्रयास कर रही थी । एक पतली चोली द्वारा कसकर पकड़े हुए उसके स्तन जो लिली के स्तनों से बड़े लग रहे थे। मैं मिली के सुदृढ़ स्तनों को देख रहा था। उसके स्तनों के इन दो मोहक टीले को देखते ही मेरा मन उसने पकड़ कर दबाने के लिए ललचाया और उस लालच ने निचोड़ने के लिए मुझे लगभग आगे बढ़ा दिया, लेकिन यह जानते हुए की अभी एक दम से बहुत आगे बढ़ना उचित नहीं होगा, मैंने ख़ुद को संयमित किया और उसके आकर्षक आकर्षण का एक गुप्त सर्वेक्षण कर ख़ुद को संतुष्ट किया।

उसकी पोशाक, जैसा कि मैंने पहले कहा था, बहुत छोटी थी और जैसा कि सभी खुले विचाओ की आधुनिक लड़कियों के साथ आम था और जैसे ही वह कार में बैठी उसका थोड़ा-सा पैर स्टॉकिंग टॉप के ऊपर दिखा। उसके नंगे और चमकीले मांस की इस झलक पर, मुझे लगा कि मेरा सदस्य धड़क रहा है जैसे उसे किसी बिजली की नंगी तार से छुआ हो।

मैंने मिली से बात करनी शुरु की और जल्द ही हम ऐसे बाते करने लगी जैसे बहुत पुराने दोस्त बहुत दिनों बाद मिले हो और मैंने अपना दाया हाथ मिली के दाए हाथ पर रख दिया।
मैंने अपना बायाँ हाथ मिली के सिर के पीछे से गुज़ारा और उसकी कमर के चारों ओर गिरने दिया और उसने इसका कोई प्रतिरोध भी नहीं किया इसलिए साहसपूर्वक उसे अपने पास खींच कर मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसे होठों के पास अपने ओंठ ले जाने का प्रयास किया।

उसने लिली और सपना की ओर ध्यान से देखा, जिनकी पीठ हमारी ओर थी (हालाँकि लिली हमें अपने सामने आईने में देख सकती थी पर उसकी नजरे सामने सड़क पर थी।), उसने मुझ पर अपनी उंगली ना का इशारा करते हुए हिलाई और मुझे हसते हुए मना किया।

मैंने उसे कहा हम ठीक से नहीं मिले हैं और अब चाहता हूँ जैसे आप पानी बहन से एयरपोर्ट पहुँच कर मिली थी वैसे ही आप मुझसे भी मिले ।


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मैंने फिर से उसकी पतली कमर अपनी बाहों को पार करते हुए उसे कसकर गले से लगा लिया, अब उसकी ओर से इस आलिंगन का कोई प्रतिरोध नहीं था और उसने मुझे उसके होंठो पर अपने होंठ प्रेस करने की अनुमति दी और फिर ये मीठी किश गर्म चुंबन में बदली और वह मेरे साथ एक टाइट आलिंगन में आ गयी और उसकी बाहों मेरी गर्दन के चारों ओर चली गयी।

मैंने किश करते हुए फिर अपने दाए हाथ को उसकी कमर के सामने की ओर घुमाते हुए, मैंने साहसपूर्वक उसके स्तनों को सहलाया, फिर दबाया और एक उंगली को उसके निप्पल को छेड़ा और फिर, अपना हाथ उसकी टांगो पर ले जाकर उसकी छोटी स्कर्ट और ऑफर उसकी नंगी और चिकनी जांघों को सहलाया। अब, मेरा लंड लोहे की छड़ की तरह हो गया था, एक बार वह थोड़ा पीछे हट गई और मानो मुझे रोकने के लिए प्रयासरत हुई लेकिन मैंने उसे वापस अपनी ओर खींच लिया और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में धकेल दिया और मुझे उसकी झांटों के बीच योनि के नंगे होंठ महसूस हुए।


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इस पर वह मेरी छाती पर चिपक गई, मेरी गर्दन में उसने उसकी बाहें डाल दी और यह देखकर कि उसका प्रतिरोध समाप्त हो गया था, मैंने उसके फांक के गर्म नम होंठों को विभाजित किया और उसके भगशेफ की तलाश की और कोमल और लगातार रगड़ से जल्द ही उसका भगशेफ मिल गया जो आक्रमणकारी से लड़ने के लिए खड़ा और कठोर था।

जारी रहेगी
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