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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 20
लंड चुत चुदाई और चुदाई
जूनि पतली थी, और उसकी लगभग पारदर्शी पोशाक ने उसके दो नाजुक स्तनों की सही आकृति को मुश्किल से छुपाया था और इन दो आकर्षक मांस के टीले के नाजारेव ने मुझे उन्हें निचोड़ने के लिए लगभग आगे बढ़ा दिया था, लेकिन मैंने देखा वह पस्त है तो मैंने खुद को संयमित किया।
उसकी पोशाक या नाईटी जैसा कि मैंने कहा है, बहुत छोटी थी और जो की आजकल की सभी लड़कियों के साथ आम और काफी प्रचलित थी और जैसे कि वह-वह मेरे साथ चिपकी हुई थी तो उसकी टांग मेरे टांगो पर थी और उसकी सुंदर योनि की झलक मुझे दिखाई दी। उसके नंगे और चमकीले मांस की इस झलक पर, मुझे लगा कि मेरा लंड ऐसे उग्र हो गया जैसे कि उसे किसी बिजली का झटका लगा हो।
मैंने अपना हाथ उसके सिर के पीछे से गुजारा और उसकी कमर के चारों ओर ले गया तो मुझे कम से कम प्रतिरोध का सामना नहीं करना पड़ा, इसलिए साहसपूर्वक उसे अपने पास खींच कर मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसे होठों पर चूमने का प्रयास किया। फिर दूसरी तरफ ज़ीनत की पतली कमर के चारों ओर मेरी बाहों को पार करते हुए उसे कसकर गले से लगा लिया और उसने किसी भी प्रतिरोध के बिना मुझे अपने होठों को अपने ओंठो के पास रखने की अनुमति दी और गर्म चुंबन के साथ मैंने उसे कस कर पकड़ लिया क्योंकि अब ज़ीनत की बाहें मेरी गर्दन के चारों ओर घूम रही थीं।
अपना हाथ उसकी कमर के सामने से घुमाते हुए, मैंने उसके स्तनों को निचोड़ा और निप्पल्स को खींचा और दबाया, एक उंगली से निष्क्रिय निप्पल को सीधा होने की स्थिति में आने दिया और फिर, अपना हाथ उसकी टांगो पर रखकर, मैंने उसे उसके बीच खिसका दिया और पूरी तरह से उसकी नंगी और चिकनी जांघों को सहलाया।
एक बार वह थोड़ा पीछे हट गई और मानो मुझे रोकने के लिए हटी हो लेकिन अब, मेरा लंड अभी भी लोहे की छड़ की तरह खड़ा था, मैंने उसे वापस अपनी ओर खींच लिया और अपना हाथ उसकी जांघों के बीच में रखते हुए, मैंने उसकी योनि के नंगे होंठ महसूस किये जो उसकी चूत से निकले पानी के कारण गीले थे।
इस पर जीनत मेरी छाती पर चिपक गयी, मेरी गर्दन के चारों ओर उसकी बाहें आ गयी और वह मेरे ओंठ चूमने लगी और यह देखकर कि उसका जो भी हल्का-सा प्रतिरोध था वह समाप्त हो गया था, मैंने उसकी चूत की फांक के गर्म नम होंठों को विभाजित किया और उसके कलिट को मसल दिया।
मैंने अब एक पल के लिए अपना हाथ हटा दिया और अपने रोड की तरह कठोर लंड को आगे बढ़ा दिया। मैंने मह्सूस किया ाकि दूसरी तरफ से जूनि मेरे गाल चूम रही थी और उसका हाथ मेरे धड़कते हुए लंड पर आया और उसके लंड को कस कर पकड़ा और उसकी एक दृढ़ आलिंगन में उसकी पकड़ को महसूस करते हुए इसे धीरे-धीरे ज़ीनत की चुत के ऊपर और नीचे रगड़ना शुरू कर दिया।
जुनून में मैंने उसे अपनी ओर खींचा उसे चूमकर और सहलाकर, अपने हाथ को फिर से उसकी योनि को सहलाकर उसे मेरी गोद में खींच लिया और अपने खड़े हुए लंड के सिर को उसके चुत के होठों पर रखकर, मैंने उसे धीरे-धीरे उस पर दबाया और उसे अपनी बाहों में मजबूती से पकड़ लिया और मेरी कूल्हों ने आगे पीछे नृत्य शुरू किया।
'ओह, ओह, ओह, आह-हाय!' उसने सांस ली, 'ऐसे ही करो, ओह-ओह ओह।' वह धीरे-धीरे मेरे लंड पर आगे पीछे होने लगी। ओह, कितना मजा; ओह, ओह, ओह, आह, मैं ... ओह-ह—! ' और उसने फिर एक बार मेरे तूफानी डंडे के सिर पर अपने रसों की धारा बरसा दी।
मैंने महसूस किया की मेरा लंड भी लावा उगलने वाला है और मैंने उसे गहराई से चोदना चाहता था, मैंने उसे अपनी बाहों में उठा लिया और उसे उसकी पीठ पर लिटा कर, कुछ गहरे और रोमांचकारी और तेज धक्क्के लगाए और मैंने उसकी-उसकी कोमल और चिपकी हुई चुत के अंदर पिचकारियाँ मार दी!
हम कुछ देर के लिए इस तरह चिपक कर लेटे रहे और फिर मैंने अपने लंड को धीरे-धीरे बाहर निकाला।
मैंने उसे फिर से अपनी बाहों में लपेट लिया और उसके होठों पर चूमा।
वह पूरी तरह से कांप और हांफ रही थी, उसकी नब्ज बहुत तेज धड़क रही थी। तभी जूनि ने मेरा लंड एक बार फिर पकड़ लिया और उसे अपनी योनि के पास ले गयी और उसकी ऊपर रगड़ने लगी।
उसकी इस हरकत और छुअन से मेरा लंड जल्द ही फिर से सख्त हो गया और उसे पटक कर मैंने उसे फिर से उसके भीतर एक ही झटके में लड़ जड़ तक घुसा दिया और थोड़ी-सी गुर्राहट और फिर वह मजे से कराहने लगी।
जूनि की कमसिन चुत इस धक्के को नहीं झेल पेयी मैंने फिर अपना लंड टोपी तक जूनि की चूत से निकाला और फिर ऐक झटके से वापिस पूरा चूत में पेल दिया। जूनि के मुँह से फिर सिसकारी निकली और फिर मैं खूब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारने लगा। मुझे बोहत माज़ा आरहा था और जूनि बुरी तरहा से सिसकने लगी, और आईई ऊऊऊओ या आआआ आआह आपाआ सलमान भाई धीरे और लंड जूनि की चुत की धज्जिया उडाता हुआ मदहोश चुत की जम कर चुदाई करने लगा। मैंने उसे जी भर कर उसे चाटा और फिर चूमता हुआ चुदाई करने लगा।
आआआअहह आआआअहह उूउउफफफफफफफफफफफफ्फ़ प्यारे सलमान और ज़ोर लगाओ आआअहह ऊऊऊऊीीईईईईईईईईईईईई मुझे बोहत माज़ा आरहा है मेरी जान उउउउउउउउउउउफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्! फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ, 5 मिनिट बाद ही जूनि की चूत ने पानी छोड़ दिया और उसका जिस्म ढीला पड़ गया, लेकिन मैं अभी फारिग नहीं हुआ था और मैं झटके मारता रहा, मुझे मज़ा आरहा था और वह मज़े से सिसकारिया ले रही थी, 10 मिनिट बाद जूनिम की चूत ने फिर पानी छोड़ दिया और कुछ देर बाद मेरे लंड ने भी झटका खाया और मैंने उसकी चुत में धार मारी और उसकी चुत पूरी भर दी।
फिर उसके बाद इसी तरह से पोज बदल-बदल कर मैंने उस रात बेदर्दी से उसकी 4 बार चुदाई की और उस गुलबदन पर निढाल हो कर सो गया।
कहानी जारी रहेगी
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06-02-2022, 08:17 PM
(This post was last modified: 22-02-2022, 12:44 PM by aamirhydkhan1. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 21
कमसिन और अल्हड़ जूनि की चुदाई
अपने नाम के मतलब के अनुसार जूनि बहुत 'प्यारी' थी और कमसिन और अल्हड़ जूनि की चुदाई करके मुझे बहुत मजा आया था ।
जूनि, जीनत और मैं तीनो ऐसी मस्त चुदाई से बहुत खुश थे और अब मैंने हिसाब लगाया की एक महीना पूरा होने वाला है और निकाह के बाद मेरी पहली सुहागरात ज़ीनत के साथ मनाने का फैसला करते हुए मैंने ये भी फैसला किया था कि हर एक महीने के बाद सुहागरात मनाऊंगा।
तो अब मैंने अपना नया फैसला किया की अमीषा जैसी आरसी और रवीना जैसी रुखसार की चुदाई मुझे जल्द ही करनी है और फिर उनकी चुदाई का मन बनाकर उनको अपनी अम्मी को फ़ोन कर के बोला की आज कल खेत पर काम बहुत है और उन दोनों को ये कह कर वही पर बुलवा लिया की मौसम अच्छा है उनको यहाँ अच्छा लगेगा और साथ में जीनत आपा की भी काम में कुछ मदद हो जाएगी ।
तो अम्मी बोली तो रिजवान आरसी और रुखसार को छोड़ने आजायेगा और अब आगे खेतो पर अब काम और बढ़ जाएगा इसलिए रिजवान भी वहीँ रुक जाएगा और मेरी बहनो रुखसाना, सलमा और फातिमा को भी रुखसार और आरसी के साथ भेज देंगी । सब मिल कर काम करना और रहना ।
जबतक वह आती ज़ीनत और जूनि मुझसे रोज़ 2-2 राउंड लगवाती थी और ड्राई फ्रूट्स का हलवा और खूब खिला पीला कर मेरी ज़िन्दगी में बहार ला दी थी । जहाँ ज़ीनत का स्वाद मीठा था वहीँ जूनि का स्वाद खट्टा था और मैं रोज इन दोनों सुंदर और खट्टी मीठी बहनो का पूरा स्वाद लेता था ।
निकाह के बाद चाचा और खाला की एक-एक लड़की को में चोद चूका था, मेरे मामा की कोई औलाद नहीं थी और मौसी मेरी चची ही थी क्योंकि मेरे अब्बू और चाचा के निकाह अपनी सेज माँ की लड़कियों से ही हुआ था ।
रोज की लम्बी और जोरदार चुदाई से अल्हड़ और कमसिन जूनि की चुत सूज गयी थी और ज़ीनत उसकी सिकाई करती थी लेकिन रात होते ही उसको फिर लंड खाने की आदत लग गयी थी
एक रात मैंने जूनि की बहुत देर तक चुदाई की और सुबह मैं देर तक उन दोनों बाहों में सोया, जूनी और जीनत और जब मैं उठा तो वह जूनि बोली आज मत जाओ और मुझे दिन में भी चोदो लेकिन खेत में जाना जरूरी था तो मैंने उसे अपने साथ खेतों में ले जाने का फैसला किया ताकि मैं दोपहर में उसकी चुदाई कर सकूँ। जीनत ने एक नौकरानी को जूनी के साथ उसकी मदद के लिए भेजा।
लंच के समय जूनी खुले मैदान में खाना लेकर मेरे पास आयी। मैंने उससे कहा कि हम आउटहाउस में लंच करेंगे। खेतो के बीच में हमारा एक आउटहाउस था और मैं जूनी के साथ आउटहाउस चला गया जब मैंने दरवाज़ा खोला जूनी में आउटहाउस के बरामदे में कदम रखा तो एक पल में वह मेरी बाँहों में झूल गयी और कसकर गले से लग गई। मैंने देखा कि हवा का एक झोका आया और हाल में बड़ी अलमारी का दरवाजा थोड़ा हिल गया मैंने यह सोचकर अनदेखा कर दिया कि शायद इसे ठीक से बंद नहीं किया गया है और अब हवा के दबाव के कारण दरवाजा हिल गया है।
मेरा लंड खड़ा हो गया और सूज गया और कपड़ों पर जोर से जोर पड़ने लगा।
' जूनी मुझे चुप रहने के लिए फुसफुसा रही थी उसे अंदेशा था कि नौकरों और अन्य खेत श्रमिकों या लोग हमारी आवाजे सुन सकते हैं लेकिन मैं बिलकुल बोल्ड हो गया और जल्द ही सीधे उसके घाघरे के नीचे मेरा हाथ गया और मैंने उसे नीचे खींच दिया अगले ही पल में मेरी आंखों के सामने उसकी चिकनी लम्बी और बिना कपड़े वाली जांघें थी और मेरे हाथ ने उसके चुत को सहलाया और मैंने अपने पास खींचा उसके ओंठो को चूम उसे करीब से दबाया और अपने खड़े लंड को उसकी चुत के खिलाफ रगड़ा।
' तब मुझे एहसास हुआ कि भोली जूनी अब और अधिक बोल्ड हो गई है और उसका हाथ मेरी पैंट के सामने की ओर चला गया और उसने मेरी पैंट को खोल दिया और मेरा खड़ा और लंड ने बाहर छलांग लगा दी। मेरे विशाल लंड की छलांग का दृश्य देखकर वह चौंक गई, वह मेरे विशाल गर्म हथियार को देखकर लगभग विस्मय से कराह उठी उफ़, इतना बड़ा और कठोर! , लेकिन अब जूनी को इससे कोई डर नहीं लग रहा था, उसने अपनी हथेली में प्यार के जादू के साथ लंड को पकड़ा, सहलाया और-और दबा कर उसे खींचती हुई अपनी योनि के द्वार पर ले गयी और मुझे इशारा किया कि वह अब इसे अपने अंदर चाहती है।
' यह सब, निश्चित रूप से, मुझे यहाँ बताने और लिखने में जितना समय लगता है, उससे बहुत कम समय में हुआ और फिर उसकी ख़ुशी और मजे के लिए मैंने खुशी से जूनि को एक लंबे झूले पर बैठा दिया जो आंगन ने लगा हुआ और उसके कपड़े निकाल कर फेंक उसकी पूरी नंगी कर दिया और अब उसके सारे आकर्षक यौनांग मेरे सामने मुझे ललचा रहे थे मैंने उसके स्तनों को सहला कर चूमा और मैंने जल्दी से अपने सारे कपड़े निकाल दिए और उसने अपनी गुलाबी और उग्र चुत के प्रवेश द्वार पर मेरे खड़े हुए लंड के सुपारे को लगाया और उसने जल्द ही इसे अपने भीतर समा लिया और फिर लंड पर हुक पर फसी मछली की तरह थिरकने और तड़पने लगी!
मैंने धक्के मारने शुरू किये और जूनि के मुँह से ऐक सिसकारी निकली और उसने खुद साथ में अपने चूतड़ को उछाला और मेरा पूरा लंड अपनी चूत में ले लिया, जूनि के मुँह से सिसकारी निकली लेकिन उसका मुँह मेरे मुँह में था इसलिए आवाज बाहर नहीं गयी और फिर मैंने खूब ज़ोर-ज़ोर से झटके मारे, मुझे बोहत मज़ा आ रहा था और जून बुरी तरहा से सिसकने लगी, आआआअहह-आआआअहह उूउउफ आह्हः आआअहह ऊऊऊऊीीईईईईई मुझे बोहत माज़ा आरहा है उम्म्म!
' मेरे बड़े लंड के तेज झटको के साथ और कमर की नियमित पंपिंग स्पीड के कारण मैंने लंड को लगातार उसकी कोमल चुत में अंदर बाहर किया और हम दोनों एक साथ झड़ गए ।
फिर हमने दोपहर का भोजन किया और फिर एक दूसरे की बाहों में कुछ देर आराम किया। फिर मैंने जूनि को एक बार और चौदा और उसकी चुत बिलकुल सूज गयी थी मैंने उसको कपड़े पहनने में मदद की, अपनी पैंट को पहना और एक चुंबन दिया और खेत की तरफ चला गया।
रात की जीनत आपा ने जूनि की चूत का मुआयना किया और बोली इसकी चुत की तो बुरी हालत हो गयी है। तो मैंने पहले जीनत की चुदाई की , फिर जूनि जीनत आपा की चुदाई देखने के बाद चुदासी हो गयी थी,
इसलिए ज़ीनत आपा ने कहा की इसकी गांड मारो और में तुम्हे इसकी इज़ाज़त देती हु और फिर मैंने जूनि की गुलाबी नाज़ुक गांड बड़ी बेरहमी से मारी और उसकी चीखो से घबरा कर बीच में ही उसकी गांड छोड ज़ीनत की गांड मार दी जिससे दोनों की हालत ख़राब हो गयी और 7 दिन चुदने लायक नहीं रही ।
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भाग 22
तीसरी बेगम कमसिन अर्शी
2 दिन बाद रिजवान के साथ अर्शी और रुखसार आयी और मैंने उन दोनों की चुदाई करने का फैसला ले लिया । रिजवान के साथ मेरी बहने और उसके तीनो बीविया रुखसाना, सलमा और फातिमा भी आयी थी ।
अर्शी जिसका मतलब होता है जन्नत की रानी और अपने नाम की-की तरह एक 18 साल की लड़की है जो बेहद सुंदर है जिसके पास गर्म शरीर है, वह 5' 5 "लंबी है और लगभग 50Kg वजन, बड़ी और सुंदर आंखे, 34सी-21-33 का माप घने लम्बे काले बाल, गोल और बड़े स्तन और एक छोटी कमर, अविश्वसनीय लम्बी टाँगे और एक बिल्कुल सुडोल नितम्ब, वह पुरुष की परम कल्पना जैसी है। जब वह मुझ से मिली तो मेरे गले लगी और जैसे ही मैंने उसे अपने शरीर में खींचा, मेरे मजबूत हाथ उसके कंधों और उसकी पीठ के चारों ओर खिसक गए। उसके निप्पल कस गए और मैं चाहता था कि हमारे कपड़े जादुई रूप से गायब हो जाएँ और हमारे बीच गर्मी और त्वचा के अलावा कुछ न बचे।"
जब रुख्सार और अर्शी आयी और जब उन्हें मालूम हुआ की जूनि की सुहागरात हो चुकी है तो खूब दुखी होकर रोने लगी और अर्शी ने कहा की दूल्हे भाई ने अच्छा नहीं किया, कमसिन लड़की को ठोक दिया, बेचारी चल भी नहीं पा रही है । मैंने उन्हें बताया की ज़ीनत की सुहाग रात को महीना पूरा हो गया है अब मेरा इरादा है की अब मुझे जल्द ही तुम दोनी के साथ भी सुहागरात मनानी है। तो मसला हुआ की पहले किसकी सुहागरात होगी और फिर बात अम्मी तक गयी तो मेरी अम्मी ने अर्शी को मेरे कमरे में जाने को कहा और निश्चित हुआ की हर हफ्ते के हिसाब से मेरी चारो बीविया अब मुझसे चुदवायेगी ताकि कोई झगड़ा नहीं हो ।
मैंने भी अगले दो दिन ज़ीनत और जूनि के साथ कोई चुदाई नहीं की ताकि मैं तरोताजा रहूँ।
अर्शी अमीषा की तरह कमसिन और नाज़ुक थी, लेकिन वह फ्रैंक भी बहुत थी और दिन में ही पूछ लिया दूल्हे भाई आज रात कैसी डिश चाहिए, दुल्हन की तरह, या लाइट ब्लू निघ्त्य में खुले बालों वाली गोरी मेम । मैंने कहा मेरी जान तुम्हे याद योग तुमने कहा था नमकीन डिश मिलेगी अब गोरी मेम दुल्हन की तरह नमकीनडिश पेश करे तो क्या कहने और वह मुस्कराते हुए चली गयी, और में भी दिन भर अपने चहेरे भाई रिजवान के साथ अपनी ज़मीन और खेती को देखने चला गया और फिर दोस्तों रात में चुदाई और हवस का ऐसा नंगा नाच हुआ की अर्शी ने मेरा दम ही निकाल दिया।
कमरे में जाते ही वह आयी और वह दुल्हन की तरह सजी हुई थी और उसने नीले रंग की चोली और घाघरा पहना हुआ था जो की पूरी तरह से पारदर्शी था। वह मेरी आँखों में आंखे डाल कर बोली
"Mr. Salman your wife Arsi welcomes you to a tour of forbidden pleasure free of cost, where satisfaction is guarnteed and fee is rupturing the entrance to the sensational cave".
("मिस्टर सलमान, आपकी पत्नी अर्सी, निषिद्ध आनंद के मुफ्त दौरे में आपका स्वागत करती है, जहाँ संतुष्टि की गारंटी है और शुल्क होगा सनसनीखेज गुफा के प्रवेश द्वार को तोड़ना ।" )
और फिर उसने मुझे सबसे अंतरंग फ्रेंच चुंबन दिया और उसकी लार के स्वाद ने मुझे एक एस्फोरैडिक-कामोत्तेजक की तरह उत्साहित किया,
फिर वह बिस्तर पर घूंघट ओढ़ कर बैठ गयी । मेरे मुँह से निकला ओये होये-मजा आएगा आज तो गोरी मेम की जैसे दिखने वाली सजी धजी देशी दुल्हन नमकीन मजे देगी ।
मैं धीरे-धीरे बेड के करीब पहुँच जहाँ अर्शी घूंघट किए हुए बैठी गयी थी। अर्शी छई-मुई-सी बनी हुई ही नजरें झकाए बैठी हुई थी। शर्म में उसकी हालत खराब थी। सोचने और करने में वाकई फर्क होता है। वह सुहागरात मानने जा रही थी। आज उसकी चुदाई होने वाली थी। उसे ज़ीनत की चीखें याद आ रही थी।
अब बेड पर मैं अर्शी के बगल में जाकर बैठ गया ।मैंने एक हाथ उसके कंधे पर रखा और उसके माथे पर चूमा और तोहफे में लाया हार उसे पहना दिया। इस चुबन में उसके जिस्म को झकझोर दिया। फिर मैंने धीरे से घूंघट को उठाया और अपने हाथ उसे उसके चेहरे को उपर उठाया और फिर उसकी दोनों आँखों में बारी-बारी से किस किया ।
अर्शी की आँखें बंद हो गई थी अब। मेरे सामने उसके रसीले लब थे। मैंने अभी इन हसीन लबों का रस पीया था, और उसकी लार के स्वाद ने मुझे कामोत्तेजित किया था और, मेरी प्यास भड़क गयी थी। मैंने अर्शी को थोड़ा-सा अपनी ओर खींचा और अपने होंठ श्री के रसभरे लबो पर रख दिये और उनके रस को चूसते हुए अर्शी को बेड पर गिरा सिया। वह सीधी लेटी हुई थी और मैं उसकी बगल में आधा और आधा उसके ऊपर लेटा हुआ उसके अधरों को चूमने लगा और साथ ही साथ उसके पेट को भी सहलाने लगा था।
मैं अर्शी के पेंट को चूचियों से नीचे तक और लहँगे तक सहला रहा था। नीला पारदर्शी लहँगा और चोली के बीच में उसका गोरा चिकना पेट चमक रहा था। मैं उसके होठों को चूसता हुआ उसके पेट को सहला रहा था। अर्शी गरमा गयी। उसका पेंट अंदर होने लगा, मैंने अपनी जीभ को अर्शी के मुँह में डाल दी। वह भी अपनी जीभ बाहर करके मेरी जीभ से टकराने लगी। मैं उसकी जीभ को अपने होठों के बीच में पकड़ कर चूसने लगा। अर्शी अब पूरी तरह गरमा गई थी और उसकी चूचिया ऊपर नीचे होने लगी अब मैंने अपना हाथ आगे किया और अर्शी की चूचियों को उसकी पारदर्शी नीली चोली केअंदर घूरने लगा । अर्शी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी उसक निपल और गोरा जिस्म नीली चोली के अंदर से चमक रहा था। उसमें से अर्शी के हलके ब्राउन निप्पल जो गुलबी पण लिए हुए थे साफ-साफ दिखाई दे रहे थे।
मैंने अपना खाली हाथ उसके शरीर पर फिरा दिया, उसे सबसे अंतरंग स्थानों में छू लिया। जैसे ही मेरे हाथ उसके शरीर पर दौड़े, वह उत्साह में कराह उठी। जैसे ही मेरे हाथ उसके स्तनों के पास आए, उसने एक गर्म कराह दी। मैं चोली के ऊपर से ही उसके स्तन दबाने लगा।
चोली डीप कट की थी तो मैंने अपने हाथ को थोड़ा-सा तिरछा किया और मेरा हाथ अर्शी की चोली और बा के अंदर उसकी चूची पर पहुँच गया। मैंने अर्शी के स्तन के करारेपन को महसूस किया। चूची को हल्का-सा दबाया और अर्शी आह... करती हुई कमर को उठाकर बदन ऐंठने लगी। मैंने अपना हाथ उसकी ब्रा और नंगी त्वचा के बीच चिपकाते हुए उसके गोल स्तनों पर चलाया और उसके निप्पल को छेड़ा फड़फड़ाया, जिससे अर्शी जोर-जोर से कराहने लगी।
मैं चोली के डोरी को खोलने लगा। मैंने चोली के डोरी खोल कर चोली को किनारे कर दिया और एक चूची को चूमा और फिर कस के मसल डाला। उफफ्फ... अर्शी की हालत खराब होती जा रही थी। मैं उसकी एक चूची की चूमता हुआ दुसरे निपल को मसलने लगा और बीच-बीच में दोनों चूचियों को भी मसल देता था।
फिर मैं अर्शी की ज्वेलरी उतरने लगा। पहले उसने मांगटीका उतारा फिर गले से हार। फिर अर्शी को उठाया और उसके पीछे बैठते हुए उसके गर्दन पर किस किया और उसकी चिकनी पीठ को चूमकर पीठ को बगल को सहलाने लगा मैं उसकी चिकनी पीठ को अपने होठों से चूमता जा रहा था।
मैं उसकी नंगी पीठ को चूमने और सहलाने लगा। अब मैंने अर्शी को फिर से लिटा कर उसे करवट से कर उसके साथ उसके सामने उसके जिस्म से चिपकता हुआ लेट गया और फिर से अर्शी के होंठ चमने लगा और उसकी पीठ, पेट को सहलाने लगा।
अब मैंने अपने कपड़े भी निकाल दिए और-और पूरा नंगा हो गया
मैं उसके पेट को चूमने लगा । वह जोरो से सिसकारी लेते हुए गरम सांसे मेरे चेहरे पर निकाल रही थी और अपनी जीभ से मेरे पूरे बदन को चूमती और चाटती जा रही थी, मैं उसकी निपल्स अपने मुंह में लेकर चूसने लगा और अपने दूसरे हाथ से उसके नाज़ुक बदन को मसलता रहा और इस तरह पूरा कमरा हमारी मादक सिसकारियों और सांसो से भर गया ।
अब अर्शी ऊपर से बिकुल नंगी थी। और मैं उसकी चूचियों को चूस रहा था। मैं बारी-बारी एक एक निपल को मुँह में लेकर बच्चों की तरह चूस रहा था और दूसरे निपल को मसल रहा था। गोरी चूचियाँ लाल हो गयी थी। अर्शी आह्ह... उह्ह... कर रही थी। ओह, तुम्हें ये पसंद है, हुह? मैंने धीरे से अपना हाथ उस स्तन से जिसे मैं दबा रहा था, उसे उसके पेट पर फेरा जैसे ही मैं उसके पेट के पास गया, वह कांपने लगी, बेचैनी से हांफने लगी। फिर मैं अर्शी के पेंट और बगल को सहलाने लगा और पेंट सहलाते हए लहँगा के ऊपर से जांघों को सहला रहा था। मैं उसके पेट की चूमने लगा तो उसने पेट अंदर कर लिया जिससे मेरा हाथ आसानी से लहंगे के अंदर चला गया और मैंने अर्शी की चुत को सहलाया तो मुझे वह गीली लगी । '
मेरा हाथ नीचे पहुँच गया, जब तक कि वह उसके चूत के अधरों तक नहीं पहुँच गया। मैंने गीलापन महसूस किया और एक उंगली से जांच करने लगा। तो वह कसमसा उठी और उसका एक पैर सीधा था और उसने दूसरा पैर उसने मोड़ लिया। मैंने दुसरे हाथ से लहँगा ऊपर करना शुरू कर दिया और फिर लहँगे के अंदर हाथ डालकर अर्शी की नंगी जांघों को सहलाने लगा।
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भाग 23
तीसरी बेगम कमसिन अर्शी की चुदाई
अर्शी का जिस्म कांपने लगा था। मेरा हाथ पैंटी के ऊपर से चूत पर था और मैं चूत के आसपास के एरिया को सहला रहा था। मैंने लहँगा पूरा ऊपर कर दिया और अच्छे से पेंटी को देखता हुआ जाँघों और पैंटी को सहलाने लगा। अर्शी की चूत गीली थी और वह गीलापन पैटी पर भी आ चुका था।
मैंने अर्शी के लहंगे की डोर भी खोल थी और उसे नीचे की ओर खींचने लगा, अर्शी ने अपनी गांड हवा में उठाते हुए अपना लहंगा उतरवाने में मेरी मदद की। अब वह सिर्फ पेंटी में थी औरमैं उसकी बगल में आकर लेट गया और उसका चेहरा अपनी ओर कर उसके होठ चूसने लगता है और अपना एक हाथ नीचे लेकर जाकर अर्शी पेंटी के अंदर डाल दिया और उसकी चूत को सहलाने लगा और फिर धीरे से अपनी एक उंगली गरमाई अर्शी की गीली चूत के अंदर डाल दिया। उफफ्फ... चूत के अंदर का तापमान पूरा बढ़ा हुआ था। उंगली चूत में जाते ही अर्शी का बदन हिलने लगा और उसने मेरे को कस के पकड़ लीया और मेरे होठों को चमने लगी। मैंने चूत में उंगली अंदर-बाहर करने लगा और पैटी को नीचे करता गया। और उसकी पैंटी को उतार दिया।
अर्शी अब पूरी नंगी लेटी हुई थी मेरे आगे। अब उसके जिस्म में बस चूड़ी, कंगन, पायल, नथ और गले में एक हार था जो मैंने उसे पहनाया था। मैं उसकी खूबसूरत कमसिन नंगे बदन की निहारता रहा और अर्शी ने शर्म के मारे अपनी आँखे अब बंद कर ली थी । मैंने उसके पैर फैलाए तो गोली चूत के होंठ आपस में खुल गये। और अपने हाथों से चूत को फैलाता हुआ चूत पर किस किया और फिर चूसने लगा और साथ में अपनी उंगली भी चूत के अंदर-बाहर कर रहा था और चूत को चूस भी रहा था। हाथ से चूत के छेद को फैलाकर अपनी जीभ को चूत के अंदरूनी हिस्से में सटा रहा था मैं अपनी जीभ से ही अर्शी की चुदाई कर रहा था। जीभ को चूत के अंदर सटाकर चूसा और फिर चूत के दाने को मुँह में भरकर खींचने लगा।
मैंने उसकी चुत में उंगली डाली। अर्शी ने कराहते हुए विलाप किया, उवो अपने कूल्हों को हिलाकर कसमसाने लगी " ओह, आह कर उसका जिस्म काम्पा और अर्शी की चूत का रस उसकी जाँघों से नीचे बहने लगा। और सिसकारी लेती हुई सेक्सी आवाज में बोली प्लीज मेरा पिशाब निकलने वाला है क्या कर रहे हो, मैं समझ गया की उसका लैंड खाये बिना ही क्लाइमेक्स हो गया है
उसके मुँह से आऽ5 उड्... की आवाज निकलने लगी। मैं अर्शी की चूत को चूसता जा रहा था और बीच-बीच में उंगली भी करता जा रहा था। अर्शी हाँफ रही थी। मैं अर्शीकी बगल में सीधा लेट गया।
और वह करवट होकर मेरे से चिपक गई, उसकी चूचियाँ मेरी छाती पर दब रही थी।
और मैं उसको अपनी बाहो में लेकर प्यार से सहलाते हुए चूमने लगा । मैं इस तरह उसके जिस्म से करीब एक घंटे से भी ज्यादा खेला और फिर अर्शी ने पूछा मैं किसकी तरह लगती हु, तो मैंने जवाब दिया अमीषा जैसी, तो वह बोली अब तुम मुझे अमीषा ही कहा करो, आज से मेरा यही नाम है।
इस तरह करीब 2 घंटे चूमना चेतना चलता रहा, तभी जूनि की आवाज़ आयी चाटते ही रहोगे क्या अरे इसकी चुदाई तो करो और मैंने देखा वह मेरी तीनो बहनो और दोनों बेगमो के साथ रोशनदान से देख रही थी, मैंने उसे डांटा और बोलै भागो यहाँ से तो अमीषा उर्फ़ अर्शी बोली देखने दो इनसे क्या शर्म, फिर में रा लंड पकड़ कर बोली रुख्सार देख इसी शानदार बड़े लंड से तेरी भी चूत फटेगी और फिर उत्तेजना में भर बोली फाड़ दो मेरी चूत एक ही झटके में इस गुफा की झिल्ली अपने हथियार से चीयर कर रख दो और अपनी कजिन की चूत की धज्जिया उड़ा दो, छोड़ दो पटक कर मुझे और कसम है तुम्हे कोई भी रहम या दया मत करना
फिर मैंने उसकी चुत के रस की अपने खड़े लंड पर लगाया एक पतली, चिपचिपी फिल्म में ढके होने तक अपने लंड को मोटे तौर पर सहलाया। एक सेकंड बाद, लथपथ चुत के चारों ओर अपना बड़ा गर्म लंडमुंड रगड़ा।
फिर मैंने उसकी मुलायम झांटो पर अपना लंड टिकाया और फनफनाते हुए लुंड से उसकी चूत रगड़ने लगा और अमीषा उछल-उछल कर मज़े ले रही थी और सिसकारी लेती हुई सेक्सी आवाज में बोली प्लीज मेरा पिशाब निकलने वाला है क्या कर रहे हो, मैं समझ गया की उसका लैंड खाये बिना ही एक बार फिर क्लाइमेक्स हो गया है और फिर मैंने अपने लंड की रगड़े तेज़ की और जैसे ही वह झड़ी और उसने आनंद में आंखे बंद की मैंने उसकी चुत के छोटे से छेद पर लंड का सर टिका दिया। फिर मैं बोला। " अमीषा मेरी रानी, मेरी अर्शी तुम्हारी चूत पूरी तरह गीली है। उसे मेरे बड़े लंड की ज़रूरत है, लेकिन सावधान रहना। यह तुम्हारे लिए एक नया अनुभव होने जा रहा है। यह तुम्हारी अनुमान से कहीं अधिक बड़ा है और मैं यह सुनिश्चित करने जा रहा हूँ तुम पूरा अंदर ले लो। फिर मैंने अपने लंड का बड़ा सिर उसकी चूत पर केंद्रित किया।
मैंने अपना औज़ार एक ही झटके में उसकी चूत में दे मारा, मेरा बड़ा लंड जबरदस्ती उसके अंदर घुस गया, एक बार लंडमंफ पूरी तरह से उसकी योनि में फिसल गया, एक हलकी-सी रुकावट और फिर फचक की आवाज़ से लंड पूरा जड़ तक समां गया और अर्शी की चीख निकल गयी आईई आआहा आआआआआईईईई इस्सस मगर गजब की हिम्मत थी अर्शी में उसने अपने हांथो में मेरा चेहरा लेकर अपना मुँह मेरे मुँह के साथ लगा कर अपने चीखे मेरे मुँह में निकाली
उसे पसीना आ रहा था और वह हांफ रही है, चूत में भरा लंड उसके पेट में ऐंठन पैदा कर रहा था। पूर्ण, संपूर्ण होने की भावना, के साथ उसने मेरे लंड को अपने अंदर गहराई से समाहित कर लिया मैं वासना से भर गया। उसकी चूत रिसने लगी यह सिर्फ उसकी चूत से रिसने वाला सिर्फ गर्म रस नहीं था इसमें उसकी झिल्ली फटने से निकला खून भी शामिल था और उसके पैरों को नीचे गिराकर विस्तर पर टपक रहा था, जिससे कमरे में गंध आ रही थी है। मेरा चेहरा उसकी गर्दन में दब गया, मेरी सांसें मेरे लंड की तरह ही गर्म, सख्त, भारी हो गयी। अर्शी अपनी कानो में मेरी कम खतरनाक कराह सुन रही थी अर्शी ने अपने जीवन में कभी भी किसी आदमी से आदिम जानवरों की कराह नहीं सुनी थी। वह अपनी भारी, श्तेज सांसों के बीच फुसफुसा और कराह रही थी। ये उसके लिए बहुत कठिन और तकलीफ भरा था। मैं उसके शरीर को जमकर लूट रहा था, मैं बार-बार अपने लंड को उसके भीतर दबा रहा था।
और फिर मो मेरे नंगे कूल्हों पर पाने हाथ रख कर मुझे चूमते हुए बोली बहुत दर्द हुआ लेकिन मुझे गर्व है की इसको तुमने एक धक्के में ही फाड़ दिया अब 2 मिनट शांत रहो और मेरे बदन को चूमो और जब में अपने चूतड़ उछालूं तो राजधानी की स्पीड से चोदना।
और मैं पहले ही झड़ चुकी हु मेरी फ़िक्र न करते हुए मस्ती से अपना पूरा रस मेरी योनि में डाल देना, मुझे आज चौदवा दिन है और में तुम्हारे बचे की माँ आज ही की चुदाई में बनना चाहती हु ।
अर्शी की आँखों से आंसुओ की धारा बहने लगी और उसने उन्हें गिरने दिया। उसने परवाह नहीं की। उसने सिसकने के बीच जब दर्द थोड़ा कम हुआ तो उसने चूतड़ उछाल कर मुझसे चुदाई शुरू करने की गुहार लगाई, अब कोई परवाह नहीं थी।
फिर मेने ऐसे देखे मारे की उसकी नानी यद् आ गयी, वह अब चुप नहीं थी: वह जोर से कराह रही थी जोर से और लंबी, बिना शर्म के कराह रही थी और मुझे चूम रही थी, उसका शरीर मजे में डूबा, फिर भी एक लंबे समय तक नशे की लत की तरह वह बार-बार मुझसे और जोर से और जोर और तेज चोदने के लिए बोलती रही। मैं हर ज़ोरदार धक्के के साथ कराहने लगा, मैंने उसे जोर से जोर से धक्के मारे और मेरा लंड उसकी चूत के अंदर हर बार उसके गर्भाशय ग्रीवा से टकरा रहा था। हम कराह उठे और बार-बार कराह उठे, और 30 मिनट तक लगातार बड़े-बड़े धक्के मार कर छोड़ने के बाद मैं आनंद रस से भीग गया
मैंने मेरे लंड का सिर उसके गर्भाशय ग्रीवा के खिलाफ कसकर दबा दिया, और मैं हिंसक रूप से काँप रहा था क्योंकि लंड उसके भीतर सूज गया था। जैसे ही मैंने उसके भीतर विस्फोट किया, हमारी चीखें तेज हो गईं और वह भी कांपते हुए मेरे साथ ही झड़ गयी और मेरा रस पूरी तरह से उसके साथ घुलमिल गया, ताकि एक दिल की धड़कन के लिए, हम एक इकाई हों गए। उसकी चूत अभी भी ब्लास्ट फर्नेस की तरह गर्म थी, मैंने एक गहरी सांस ली।
कहानी जारी रहेगी
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 24
तीसरी बेगम की चुदाई
मैं झड़ने के बाद भी उसे किस करता रहा। करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ चुके थे। लेकिन हम दोनों साथ में चिपक कर लेटे रहे l कुछ ही देर में मैंने खुद को अर्शी के बदन से खुद को उठा लिया, उसका सिर पीछे की ओर लुढ़का हुआ था, उसकी आँखें बंद थीं, मुश्किल से साँस ले रही थी। हालाँकि, उसका दिल तेजी से धड़क रहा था पर वह उस चरमसुख को अनुभव कर रही थी जिससे वह अभी-अभी गुज़री थी। मैंने चादर को देखा, तो उस पर खून लगा हुआ थाl मैंने उसे फिर से चूमा तो वह मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गई.
अर्शी की ऐसी जबरदस्त चुदाई के बाद, अर्शी का भी सारा दम ही निकल गया और मैं हांफती हुयी तेज-तेज सांस लेती हुए, निढाल अर्शी की बगल में गिर गयाl भयंकर उत्तेजना के साथ चमकते हुए, मेरी आँखें अर्शी को ही निहार रही थीl वह भी तेज-तेज साँसे ले रही थे और उसके साथ ही उसके स्तन और निप्पल ऊपर नीचे हो रहे थेl जिन्हे देख कर मेरे लंड जो की अर्शी की चूत में ही था और झड़ने के बाद आधा ढीला हुआ था, फिर से खड़ा हो गया l मैंने उसकी चूत के गहरे और संकीर्ण मार्ग में अपना जो लंड घुसा कर रास्ता बनाया था, उसे मेरे रस ने चिकना कर दिया था।
वह धीरे-धीरे यही और लंगड़ाती हुई चुपचाप बाथरूम में चली गई मैं उसके साथ चला गया उसने शावर चला का खुद की धोया और धीरे से अपना हाथ मेरे शरीर के सामने घुमाया और हल्के से मेरे लंड को पकड़ लिया। मेरा लंड उसके हाथ में बड़ा और सख्त हो गया। वह मेरे से चिपक गयी और जैसे-जैसे वह अपना हाथ लंड पर आगे-पीछे करती रही और उसके सख्त निप्पल मेरी छाती पर दब गए हैं। उसने मेरी गर्दन के पिछले हिस्से को पकड़ा और मेरे मुंह को अपनी ओर खींच मुझे लंबा और जोर से चूमने लगी है। धीरे-धीरे अपनी जीभ को मेरे मुंह में डालने से पहले उसने मेरे ओंठो को चूसा। मैं अपने बालों में उसके हाथों को महसूस कर सकता था, वह हल्के से मेरे सिर को तब तक अपने पास खींच रही थी जब तक कि उसके ओंठ और जीभ लगभग पूरी तरह से मेरे मुँह में नहीं थे, उसने मेरे मुँह पर लगा अपने सह और रस का स्वाद चखा जो मेरे मुँह म तब लगा था जब मैंने उसकी चूत का रस चाटा था। उसने घुटनों पर बैठने से पहले मेरे नीचे के होंठ को हल्का-सा काटा। फिर उसने नीचे बैठ कर अपना गर्म, गीला मुँह खोला और मेरे लंड के सिरे को चाटा। मेरा एक हाथ उसके मुंह को आगे-पीछे करने में मदद कर रहा था और मैं वहा तब के किनारे पर बैठ गया और अपना दूसरा हाथ उसके पैरों के बीच घुमाया। । मैंने दो अंगुलियों को उसकी चूत में फिराया उसने नीचे झुककर मेरी उंगलियों से अपनी नमकीन मिठास चूस ली।
हमने तौलिया ले कर एक दुसरे को सुखाया और वापिस कमरे में आ गए हम बेडरूम में गए, अर्शी बिस्तर पर लेट गयी, उसने अपनी आँखें बंद कर लीं।
अर्शी लंगडाते हुए चल रही थी, मैंने अर्शी से पुछा । कैसी लगी तुम्हे पहली चुदाई? तो वह बोली बहुत दर्द हुआ लेकिन मुझे गर्व है कि इसको तुमने एक धक्के में ही फाड़ दिया फिर मजा भी बहुत आया । फिर वह बोली आपको नमकीन और कमसिन का मज़ा आया?
मैंने कहा तुमने सच कहा था की ज़ीनत तो मीठी है और जूनि के साथ कमसिन और खट्टी मीठी का मजा आया लेकिन दोनों चिल्लाती बहुत हैं । अर्शी तुम गजब हौसले वाली हो । नमकीन और कमसिन का मजा तो तुम्हारे साथ ही आया और तुम मेरे बड़े लंड की चुदाई को आधे घंटे तक झेल गयी और तुम्हारी पहली चुदाई ने मेरा भी दम निकाल दिया ।
ऐसे ही प्यार और मस्ती भरी बाते करते करते मैंने उसके बदन पर हाथ फेरा और उसे चूमा और अपने अंगूठे और तर्जनी से उसकी जांघों के अंदरूनी हिस्से पर चुटकी ली। इस विधि का उपयोग करके मैंने उसे अपने पैरों को चौड़ा खोलने के लिए मजबूर किया। मुस्कुराते हुए, मैंने अपनी उंगली को उसके बहुत संवेदनशील सूजी हुए चूत के होंठों पर थपथपाया और अंदर डालने की कोशिश की चूत जबरदस्त चुदाई के कारण सूज गयी थी और बड़ी मुश्किल से मेरी ऊँगली थोड़ी-सी चूत में घुसी और उसकी सिसकारी निकल गयी और जिस्म कांप गया मैंने काम जारी रखा एक दम से उसने मेरा लंड पाकर लिए और दबा लिए।
अर्शी मुझे चूमने लगी उसके चेहरे पर वहशहत थी आँखें सुर्ख अंगारा हो रही थी .।. एक दम वह आगे हुई और मेरे गले लग गयी और मुझे भींच लिया। मुझे अपने सीने पर उसके नरम-नरम रास मलाई जैसे बूब्स महसूस हुए, उसके बदन से आग निकल रही थी और जिस्म से मोगरे की हलकी-हलकी मस्त खुशबु आ रही थी जो मुझ पर नशा तारी किये जा रहा था । फिर मैंने भी उसके मखमली होंठों को अपने होंठों मैं दबा लिए और उसका शहद पीने लगा । वह भी भरपूर साथ देने लगी और जानवरों की तरह मेरे होंठ चूसने लगी। मैंने अपना हाथ उसकी चूत पर फेरा तो उसकी सिसकारी निकल गयी ।आह! उह!,
उसने एक हाथ से मेरा लंड पकड़ लिया और अपने सॉफ्ट हाथों से उसे सहलाने लगी। मेरा लंड फूल कर खीरा बन गया और उसके हाथ से बाहिर निकलने की कोशिश करने लगा। अब उसने दूसरा हाथ भी शामिल कर लिया और कभी मेरे लंड को और कभी मेरे अंडो को सहलाने लगी मैं भी उसकी फुद्दी पर ऊँगली चलने लगा जो की चुदाई के कारण बिलकुल सूज गयी थी और बिलकुल बंद थी।
मैं उसे लिए हुए बिस्तर पर लेट गया और हैवी किसिंग शुरू कर दी 15 मिनट किसिंग करने के बाद मैं दूर हुआ और आज स्पीड ब्रेकर को तोड़ने के बाद जो नयी-नयी सड़क बनी थी उस पर मुझे-मुझे अपनी बड़ी स्पोर्ट्स कार को फुल स्पीड से भागना था।
बिस्तर पर सीढ़ी लेटते हुए अर्शी ने अपनी बाँहें खोल दीं और मुझे अपने ऊपर आने का इशारा किआ उस का बदन काँप रहा था । मैं घुटनो के बल बैठ गया और उसकी चूत मैं ऊँगली डाली तो उसने मस्त कराह भरी उसकी सिसकीआं मुझे सब समझा रही थी ।.मैंने ऊँगली बाहर निकाली तो वह लैस दर पानी से भीगी हुई थी मैंने उसे चाटा तो नमकीन और स्ट्रांग टेस्ट महसूस हुआ । मैंने अपना मुँह उसकी रस भरी चूत पर रख दिया । मैंने पीछे दो तीन दिन चुदाई नहीं की थी इसलिए जब ऐसा नमकीन रसदार माल मिला तो मैं बोहोत अरसे बाद गोश्त खाने वाले की तरह हड्डी भी चूस के फेंकना चाह रहा था । मैंने उसे पकड़ लिया और दबा दिया और अपनी लम्बी ज़ुबान निकल कर उसकी चूत की लाइन पर फेरी तो वह मज़े से अपना सर इधर उधर करने लगी और अपने आप को मेरे रहमो करम पर छोड़ दिया...मैंने ज़ुबान को चूत के सुराख मैं घुसना शुरू कर दिया और फिर उसकी चूत के उभरे हुए और जूसी लिप्स को मुँह मैं दबा लिए और चूसना शुरू कर दिया.
उसके कुछ भी बोलने से पहले मैंने उसकी चूत पर जीभ फिरा दी । वो मीठे मजे के साथ कराह उठी । उत्सुकता से मैंने अपनी जीभ से, चूत के ओंठो को छेड़ते हुए चूत का मोटा दाना खोजा। उसके उसके सबसे संवेदनशील तंत्रिका के ऊपर मेरे स्पर्श ने उसके कंपा दिया।
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 25
तीसरी बेगम की तृप्ति वाली चुदाई
इस के साथ मैंने अपने मुँह को खोलते हुए अपनी लंबी ज़ुबान निकाल कर नीचे से अर्शी की सूजी हुई चूत की मोटी दरार को चाटना शुरू कर दिया।
"ओह" मेरी नुकीली ज़ुबान अपनी पिंक चूत के अंदर घूमते हुए महसूस कर के अर्शी कराह उठी।
मेरी चुसाई ये अर्शी की गरम सिसकियाँ उन के मुँह से निकल-निकल कर कमरे में गूँज रही थी। " ओह, अह्ह्ह्ह! हाईईई! उफफफ़! उम्म्म! ओह्ह्ह!
"अर्शी अब तुम मुझ पर चढ़ कर मेरा लंड अपनी फुद्दि में डालो" थोड़ी देर उसकी फुद्दि को चाटने के बाद मैंने अर्शी को अपने जिस्म के ऊपर चढ़ा लिया।
फिर मैंने नीचे से अर्शी की गीली और गरम चूत के साथ अपना लंड मिला कर अर्शी को उस की कमर से पकड़ा और उसे नीचे की तरफ खैंचते हुए खुद अपनी गान्ड को ऊपर की तरफ उठा दिया।
मेरे चूसने और उसके बाद लौडे की रगड़ से अर्शी की चूत दुबारा से बुरी तरह गरम हो गयी थी।
अचानक मैं बिस्तर से थोड़ा उपर उछला और गुप्प्प्प से अर्शी की चूत के अंदर आधा लंड घुस गया। जब मेरा लंड फिसलता हुआ तक़रीबन आधा अंदर चला गया था मुझे लंड पर कुछ बोहोत गरम चीज़ महसूस हुई और मेरा लंड भीग गया उसके चेहरे को देखा जो की तकलीफ की वजह से बिगड़ गया था और उसकी आँखों से आंसू बहने लगे । मुझे उस पर तरस आया के लंड से चुदने के चककर के कितनी तकलीफ बर्दाश्त कर रही है और अपना लंड बाहर निकल कर अंदर डाला तो उसके रस से तर लंड थोड़ा फ्रीली आ जा रहा था अब मैंने बहरपुर अंदाज़ मैं उसे चोदना शुरू कर दिए और बैठ गया तो अर्शी मेरी गोदी में आ गयी और मैंने अपने होंठ उसके होंठों मैं डाल दिए अब वह भी मज़े ले रही थी मेरे लंड डालने के बाद मुझ से और चिपकने के कोशिश करती जैसे मुझे भी अंदर घुसने की कोशिश कर रही हो । मैं मुससल धक्के मारने लगा अब उसके जिस्म ने भी कांपना शुरू कर दिए और उसकी चूत एक गरम पानी छोडने लगी जिस मैं मेरा लुंड भीग गया और फच-फच की आवाज़ आने लगी ।
अर्शी की कमर को मैंने अपने दोनों हाथों से कस के पकड़ रखा था। फिर मैंने अर्शी के बदन को नीचे की तरफ खैंचा। तो चूत पहले से गीली होने की वजह से नेमेरा खड़ा लंड फिसलता हुआ अर्शी की चूत की गहराई में चला गया।
मेरे लंड के पहले धक्के पर अर्शी के मुँह सिसकारी निकली " आईईईईई! ऊओीईएईई! उफफफफ्फ़!
उसकी गरम फुद्दि में लंड डालते ही मैंने अपने हाथ नीचे ले जा कर अर्शी की चूत के सूजे हुए लिप्स को अपने हाथ में ले कर दबाया। तो उसकी चूत ने मेरे बड़े लंड को मुकम्मल तौर पर अपनी ग्रिफ्त में ले लिया था।
मेरे तनकर खड़े लंड पर अर्शी धीरे-धीरे अपनी चूत दबाकर लंड को अन्दर घुसा रही थीं। मुझे उस समय बहुत मज़ा आ रहा था। वह मेरे लंड पर धीरे से उठतीं और फिर नीचे बैठ जातीं, जिसकी वजह से लंड अन्दर बाहर हो रहा था। वह खुद अपनी चुदाई मेरे लंड से कर रही थीं और बहुत मज़े कर रही थीं। सच में नंगी अर्शी मेरे लंड पर उछलते हुए मुझे बहुत मादक लग रही थीं। उनके रेशमी काले बाल चारों तरफ फ़ैल गए थे।
चूत के लिप्स को अपने लंड कर इर्द गिर्द ज़ोर से दबाते ज़ाहिद नीचे से अपनी बहन की फुद्दि में हल्के-हल्के धक्के लगाने लगा। अर्शी के मुँह से सिसकारियो का एक सैलाब उमड़ आया। "हाईईई! ओह!" और अब अर्शी खुद लंड के उपर नीचे होती हुई अपनी गरम चूत चुदवाने लगी। मैंने नीचे से एक ज़ोर दार झटका दिया। तो उस का पूरा लंड अर्शी की चूत के अंदर घुस गया और सीधा अर्शी की बच्चादानी से टकराया। "आअहह, मार डाला!" मैं अब अर्शी की कमर पकड़ के नीचे से लंबे-लंबे धक्के लगाने लगा।
मेरे जोश से अर्शी की चूत मेरे लंड पर ही वह झड़ने लगी। "ऊओ चोदो मुझे, आज फाड़ दो कीईईई! । चूऊऊओत, आ! उउफफफफ्फ़! हाइईइ!"।
मेरा लंड फ़च फ़चफ़ की आवाज़ के साथ अर्शी की फुद्दि में अंदर बाहर हो रहा था और अर्शी की चूत मेरे मोटे लंड को अपने अंदर ज़ोर से जकड रही थी। अर्शी को चोदते-चोदते मैं उसको अपनी बाहों में उठाए हुए बिस्तर से उतर कर फर्श पर खड़ा हो गया।
बिस्तर से उठ कर कमरे के फर्श पर खड़े होने के बावजूद मेरा मोटा और बड़ा लंड अभी तक उस की फूली हुई तंग चूत में जड़ तक ठूँसा हुआ था। मैंने बड़े आहतीमाद से अर्शी को अपने मज़बूत बाजुओं के ऊपर उछालते हुए अपना तना हुआ लंबा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। ये अंदाज मेरे लिए भी बिल्कुल नया और मज़ेदार था।
अर्शी ने अपने बाज़ू मेरी गर्दन के गिर्द लपेट लिये और मेरे साथ चिपट गयी और अब उसका पूरा भार मेरे ऊपर था । मुझे बहुत मजा आ रहा था ।
इसीलिए उस ने मज़ीद जोश में आते हुए अपने दोनों हाथों से अर्शी के रानों को थाम कर अर्शी के जिस्म को हवा में उछाल-उछाल कर तेज़ी के साथ उस की फुद्दिको लंड के ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया।
इस चुदाई से अर्शी को भी मज़ा आने लगा। और वह भी अपने मोटे-मोटे चूतड़ उछाल कर और हिला कर मेरा मोटा लंड अपनी चूत के अंदर बाहर लेने लगी। उसकी चूत ने पहले जो पानी छोड़ा था उसके कारण उसकी चूत तर थी और इसीलिए उस की चूत मेरे हर धक्के पर फचाक-फचाक की आवाज़ निकल रही थी।
"ऊऊओिईई! मेरे राजा, अह्ह्ह्ह! मैं गयी अह्ह्ह्ह!" कहते हुए अर्शी ने अपना पानी छोड़ दिया और उसकी गीली चूत से पानी बह-बह कर मेरे लंड के साथ-साथ कमरे के फर्श को भी गीला कर दिया।
कोई 15, 20 सेकेंड्स तक अर्शी के जिस्म को झटके लगते रहे और फिर वह निढाल हो कर मेरी बाजुओं में ही झूल गई।
मैंने आहिस्ता से अर्शी को दुबारा बिस्तर पर लिटा दिया और खुद भी उस के ऊपर ही लेट गया। मैं अभी तक फारिग नहीं हुआ था। इसीलिए मेरा लंड अभी भी लोहे की रोड की तरहा अर्शी की चूत में घुस कर खड़ा था। अर्शी मेरे नीचे लेटी हुई गहरे-गहरे साँस ले रही थी।
मैं अर्शी को बेकरारी से चूमने लगा। चूमते हुए हमारे मुँह खुले हुए थे, जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीं। फिर मैंने अर्शी की जम कर चुदाई की और उनको जन्नत की सैर कराई. फिर थोड़ी देर के बाद वह फिर झड़ गईं। अर्शी कई बार झड़ने के बाद निढाल हो रही थीं। मैं उनकी चूत में धक्के लगाने चालू रखता तो अर्शी फिर गर्म हो जाती थीं। आखिरी बार हम दोनों एक साथ झड़ गए. हम दोनों जन्नत में थे ... सच में बहुत मज़ा आ गया। मुझे अर्शी के चेहरे पर संतुष्टि साफ-साफ नजर आ रही थी।
उसके बाद मैं अपना लंड उसकी चूत में डाले हुए ही सो गया, सुबह 8 बजे जब मेरी नींद खुली तो अपना लंड उसकी झांटो पर पाया और पूरा बिस्तर उसके खून से लाल था, मैंने अर्शी को उठाया और उसे चूमा, ज़ीनत और जूनि तो चिल्ला-चिल्ला कर दिमाग ख़राब कर दी थी, पर तुमने मुझे बहुत मजा दिया है उसने कहा तुमसे महीने में 1 हफ्ते चुदना ही ठीक है नहीं तो चूत भोसड़ी बन जाएगी और तुम मुझे नहीं चोदोगे ।
इस तरह 7 दिनों तक मैंने अर्शी की जम कर चुदाई की और उसे तृप्त कर दिया ।
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भाग 26
तीन सौत कजिन
मैंने इस तरह अपनी नमकीन जानेमन बेगम अर्शी की दिल खोल कर चुदाई की और फिर सातवे दिन ज़ीनत आपा मेरे पास आयी और शिकायत करते हुए बोली सलमान वही हुआ न जिसका मुझे डर था कि ऐसी कमसिन अल्हड जिस्म की मल्लिका को छोड़ सलमान तुम मेरे पास तो बड़ी मुश्किल से ही आओगे और तुम्हे नयी कमसिन दुल्हन क्या मिली तो मुझे भूल गए। कहाँ तो तुम कहते नहीं थकते थे की आपा आपके देखते ही मेरा दिल बेकाबू हो जाता है और अब 10 दिनों से भी ज्यादा दिनों से मेरे पास भी नहीं आये हो।
मैं ज़ीनत आपा से कान पकड़ कर बोला मुझे माफ़ कर दो मेरी जान मेरी आपा । ये सब अम्मी ने जो रूल मेरे लिए बनाया है उसके कारण हुआ और इसी कारण मैं पिछले हफ्ते से सिर्फ अर्शी की ही चुदाई कर रहा था और उससे पहले आपकी चुदाई आपकी गांड और चूत सूजने के कारण बंद हो गयी थी । उस दौरान मैं आपकी चुदाई के लिए बहुत तड़पा था ।
कुछ दिन की जुदाई के बाद मिलने का मजा अलग ही है चलो अब मेरे पास आ जाओ मैंने उन्हें अपने पास खींचा और उनको चूमने लगा और फिर मैंने उन्हें नंगी किया और चोदना शुरू कर दिया।
इसी समय अर्शी ने भी कमरे में प्रवेश किया और मुझे और ज़ीनत को नग्न अवस्था में लेटे और एक-दूसरे से चिपट कर चुदाई करते देख चौंक गईं। अभी अर्शी की चुदाई का हफ्ता चालु था इसलिए ज़ीनत और अर्शी के बीच तीखी नोकझोंक हुई और फिर लड़ाई हुई और जूनी इस में शामिल हो गई। मेरी तरफ से बहुत बीच बचाव करने के बाद भी वह सभी लड़ती रही तो मैंने धमकी दी जो अब आगे लड़ेगी और उसे तलाक दे दूंगा।
मैंने उन्हें सम्बोधित किया, "सुनो मेरी प्यारी जीनत, जूनी और अर्शी तुम सब मेरी कजिन बहनें हो और अब मेरी बेगमे हो। मैं तुम सभी के साथ समान व्यवहार करूंगा। मुझसे वादा करो कि अब आगे तुम आपस में कभी नहीं लड़ोगी, अन्यथा तुम सब मुझे ता उम्र के लिए खो दोगी।"
उन्होंने एक स्वर में मुझसे वादा किया की अब आप मेरे मालिक और शौहर और खाबिन्द हैं। हम आपको वादा करती हैं अब हम सब बहने वापिस में एक दुसरे के पहले जैसे करीब हैं। हम एक-दूसरी के साथ सब कुछ साझा करेंगी। अब हमारे बीच कोई ईर्ष्या, प्रतिद्वंद्विता और झगड़ा नहीं होगा। आप हमें एक बार में एक ही बिस्तर पर चोद सकते है या आप अपनी इच्छा से हमें अलग से जब चाहे जैसे चाहे चोद सकते हैं। "
और फिर लड़ाई शुरू करने वाली अर्शी ने ज़ीनत आपा से माफ़ी मांगी और जूनी ने ज़ीनत और अर्शी दोनों से माफ़ी भी मांगी और साथ में अर्शी और जूनि ने हमेशा ज़ीनत आपा की बात मानने का वादा किया तो उनमे समझौता हो गया और मामला समाप्त हो गया।
मैंने उस तीनो को गले लगाया और तीनो को प्यार से माथे पर चूमा। फिर मैंने ज़ीनत का चेहरा अपने हाथों में लिया, उसके गाल, उसके कान, ठुड्डी और उसके चेहरे के किनारे को अपनी उंगलियों से गालो पर सहलाया। जूनि मेरे पास हुई और मेरे ओंठ चूमने लगी तो मैंने अपने दूसरे हाथ से अर्शी के सिर के पिछले हिस्से को सहलाया और धीरे-धीरे उसकी सर को सहलाया, उसके घने बालों के बीच में से उँगलियाँ चलाईं, आँख से संपर्क करते हुई उसकी आँखों से बालों की लटे दूर कीं। मुझे उसके लंबे, घने आलीशान, चमकदार, चमकदार, रेशमी जेट-ग्रे बालों को सहलाने का अनुभव पसंद आया। मैंने उसके कानों को एक अतिरिक्त दुलार देने के लिए उसके दोनों कानों के पीछे उसके बालों की कुछ लटे टक दीं।
ज़ीनत आपा ने महसूस किया कि मेरे सुडौल हाथ उसके चौड़े कंधों तक चले गए थे। जब ज़ीनत आपा ने मेरे पसीने की प्राकृतिक महक को साँस में लिया, तो उसके शरीर से अधिक गर्मी निकलने लगी।
मैंने प्यार, के साथ उसके चेहरे को धीरे से अपने हाथों में सहलाया। मैं अब इन तीनों को प्यार करना चाहता था। मैं जूनी की चौड़ी अभिव्यंजक आँखों में देखा तो मैंने उनमे कामुक इच्छा को पाया। यह एक अनियंत्रित और तेज कामुक इच्छा थी जो उसके चूमने के तरीके से मुझे महसूस हुए। मेरे ओंठ चूमते हुए उसकी खुली हुई बड़ी-बड़ी आँखें मेरी आँखों में देख मुझे आमंत्रित और कामुक कर रही थीं।
ज़ीनत आपा ने आवेगपूर्ण ढंग से, उसने मेरे माथे, आँखों, पलकों और गालों पर चूमा। ज़ीनत आपा मेरे से लिपट गयी और अपने चेहरे को आसानी से मेरे कानो पर ले गयी और जैसे कि उसने मेरे कान को चूमा, चाटा और प्यार से, धीरे से, धीरे-धीरे और पूरी तरह से मेरे कानों को चाटा और कुतर दिया, जबकि उसकी उँगलियाँ ईयरलोब के पीछे सहलाती रही। उसने मेरे कान के लोब, कान के किनारों और कानों के पीछे के क्षेत्र को धीरे से चूमा।
मैं जूनि को चूमता रहा और उसके कानों पर हाथ फेरा और उसके कानों के पीछे अपने होठों से भी सहलाया और उसके कानों के लोबों को अपने मुंह में ले लिया और जूनि ने मेरी ठुड्डी और नाक को चूमा।
मेरा दूसरा हाथ अर्शी के बूब्स पर चला गया था और मैं उसके बूब्स दबा कर उसके निप्पलों से खेलने लगा। ये महसूस कर के की मैं उसके बूब्स से खेलना चाहता हूँ तो जीनत ने मुझे छोड़ कर अर्शी के कपडे निकालने शुरू कर दिए और अर्शी जुनि को चूमते हुए उसके कपडे निकालने लगी और उसे ऐसा करते चूमते समय ज़ीनत ने प्यार से अर्शी की गर्दन को सहलाया, वह उत्सुकता से जीनत के चुंबन स्वीकार कर रही थी और कामुकता से भर कर अर्शी प्यार से जूनि नंगी करती जा रही थी
और उसे चाट रही थी और जूनि प्यार से मेरी छाती को चूम रही थी और मेरे ओंठो की और आगे बढ़ रही थी और उसने मेरे चेहरे को बारीकी से और मेरे माथे, पलकें, आँखे फिर गाल फिर नाक गाल, ठोड़ी, गर्दन, कंधे और सभी को चूमा और फिर हमारे ओंठ जुड़े उससे पहले उसने मेरे रसदार मोटे होंठों पर एक उंगली चलाई और निचले होंठ को पकड़कर एक नरम चुंबन दिया, कुछ सेकंड के लिए चुंबन को पकड़कर मेरे होंठों को सहलाने के लिए रुक गयी। उसने अपनी जीभ की नोक को मेरे मोटे, गीले, रसीले ऊपर और नीचे के होठों पर चलाया। अंत में, उसने अपनी जीभ को मेरे गीले रसीले मोटे होंठों को आमंत्रित करते हुए मुझे मेरे मुंह को खोलने के लिए मजबूर किया।
कुछ देर बाद मैंने जीनत को चोदना शुरू कर दिया और बाकी दोनों अर्शी और जूनि आपस में चूमने चाटने लग गयी ।
मेरा लंड बड़ी आपा जीनत की-की चूत की दीवारों को चौड़ा करता हुआ अंदर जाने लगा। जीनत आपा सब कुछ भूल कर मेरे सीने से लग गई। जैसे ही लंड जीनत आप की चूत को चीरता हुआ आगे बढ़ा जीनत मुँह से "आहहऽ" की आवाज निकली और मेरा लंड पूरा का पूरा आप की चूत में धंस गया और जूनि जीनत के एक निप्पल को सहलाने लगी और माथे पर प्यार से हाथ फिराने लगी और अर्शी जीनत के दुसरे निप्पल को सहलाने लगी और मैं जीनत को चूमते हुए उसे चोदने लगा l
फिर मैं इस पोजीशन में अर्शी उसके बाद जूनि के होंठों को चूमने लगा। तो जीनत आपा अपने नितम्ब ऊपर उठा कर मेरे लंड को और अंदर लेने लगी l
मैं बोला अब पता चला कि मुझसे मिलने के लिये आपा आप कितनी बेसब्र हो ... कहकर मैंने एक जोर का शॉट मारा और मेरा लंड आपा की चूत को रगड़ता हुआ बाहर की ओर निकला और फिर वापस पूरे जोर से आपा की चूत में अंदर तक धंस गया।
" ऊऊऊहह दर्द कर रहा है। आपा ने अब मेरी चुदाई में आगे-पीछे होने की गति से अपनी ताल भी मिलाई। मेरे जोर-जोर के धक्को से बिस्तर हिलने लगता और जीनत आपा जल्द ही झड़ गयी।
उसके बाद जीनत ने मेरा लंड जूनि के चूत में घुसाया और मैंने उसकी चुदाई की और फिर उसे झाड़ने के बाद जीनत आप ने मेरा लंड अर्शी की चूत में घुसाया और फिर मैंने अर्शी की चुदाई की और इस बार हम दोनों एक साथ झड़ गए इस बीच जो चुद रही होती थी उसे बाकी बेगमे छूती, सहलाती और चूमती रही और उन्हें ऐसा करते देख कोई सोच भी नहीं सकता था कि ये तीनो कुछ देर पहले जंगली बिल्लिओ की तरह लड़ी थी ।
कहानी जारी रहेगी
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01-04-2022, 09:05 AM
(This post was last modified: 01-04-2022, 09:06 AM by aamirhydkhan1. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 27
मीठा, नमकीन, खट्टा
उस चुदाई के बाद रातभर हम चारो अलग-अलग पोज़ में चुदाई करते रहे और मेरा तीनो ने मिल कर दम निकाल दिया और सुबह ज़ीनत आपा बोली क्यों सलमान मजा आया? अच्छा बाताओ तुम्हे तीनो बेगमे कैसी लगी?
मैंने कहा आपा आप सभी कजिन बहने कमाल की हो और हरेक का रस और उसकी चुदाई का मजा अलग ही है जैसे खाने के रस होते हैं मीठा, नमकीन, खट्टा वैसे ही आप तीनो के रस है ।
संसार में जितने भी खाने की चीजे है उस सभी में कुछ न कुछ स्वाद है। स्वाद, रंग व आकार-प्रकार के आधार पर ही खाद्य पदार्थों की पहचान होती है। इन रसों से ही भोजन में स्वाद आता है और ऐसे ही आप तीनो की चुदाई का मजा है, और आप तीनो के सामूहिक और अलग-अलग चुदाई बहुत मजेदार और स्वादिष्ट थी और स्वादिष्ट खाना तो सबको अच्छा लगता है। विभिन्न खाद्य पदार्थों व फलों में ऐसा स्वाद होता है, जो याद रहता है, उसे याद करते ही मुँह में पानी भर आता है और उसे खाने का, उसका स्वाद फिर से लेने का मन करता है। उसी तरह मेरा मन आप तीनो को बार बारे चोदने का करता है और सोचता हूँ मैं आप के बिना कैसे रह पाऊँगा ।
जीनत बोली कैसे अच्छा बताओ मेरा स्वाद तुम्हे कैसा लगा?
जीनत आपा आप का स्वाभाव मीठा है आप मेरी सबसे बड़ी कजिन स्वाभाव से मीठी और सीधी है इसलिए जब मैंने आपको चौदा और उस दौरान उसे चूमा चाटा और आपकी चूत के रस को चूसा तो मुझे मुख्यता मीठा ही ज्यादा महसूस हुआ और मीठा हमे ऊर्जा देता है बड़ी आपा जीनत आपकी धुआंदार चुदाई करने के बाद ही मेरे लिए अपने बाकी कजिन बहनो की चुदाई का रास्ता खुला और मुझे आपको देख कर अलग ही मस्ती और नशा होता है ।
अच्छा उन्होंने मुझे किश किया और पुछा जूनि कैसी लगी?
जूनि का स्वाद थोड़ा खट्टा जैसे खाने में खटाई का स्वाद मुँह में पानी ले आता है और खट्टा खाना भूख बढ़ाता है और पाचक रसों का स्राव बढ़ाकर पेट को ठीक रखता है। उसी तरह मेरी सबसे छोटी बेगम जूनि सबसे चंचल और भोली है और कमसिन और सेक्स के बारे में उसे ज्यादा पता नहीं था और मेरी और जीनत आपा आपकी की चुदाई देख उसे कुछ-कुछ समझ आ गया था की शौहर और बीबी के सम्बन्धो में शारीरिक मिलन से क्या मजा मिलता है और फिर उस मासूम कली की चुदाई कर मैंने खट्टे का मजा लिया जिससे मेरी सेक्स की भूख और बढ़ गयी और फिर जब आपके साथ उसे चौदा तो एक साथ खट्टे और मीठे का मजा आया । फिर जब एक साथ ज्यादा मीठा और खट्टा खाने से मेरे मुँह का स्वाद थोड़ा बिगड़ गया तो मैंने नमकीन अर्शी की चुदाई का मन बनाया जिससे मेरी स्वाद-कोशिकाओं और लंड में नई जान आ गयी।
हूँ तो अर्शी? तुम्हे नमकीन लगी ज़ीनत आपा ने पुछा?
नमकीन स्वाद नमक हमारे भोजन का सबसे महत्त्वपूर्ण घटक है। इसके बिना न खाने में स्वाद आता है और न ही शरीर ढंग से काम कर पाता है। चिकनाई बनाए रखने और पाचन तंत्र को सुचारु रखने के लिए और तंत्रिका तंत्र, माँसपेशियों की गति और कोशिकाओं में पोषक तत्वों के परिवहन के लिए भी नमक जरूरी है। और मेरी तीसरी बेगम कमसिन अर्शी बहुत फ्रैंक और नमकीन है और उसकी चुदाई ने मुझे बहुत मजे दिए और मैं उस चुदाई में सब कुछ भूल-सा गया था । और अब जो आप तीनो की एक साथ चुदाई की तो मुझे एक साथ नमकीन खाते और मीठे का मजा आया और सच कहूँ आप तीनो ने मेरा दम हो निकाल दिया । अब मेरा मन आप तीनो को बार बारे चोदने का करता है और सोचता हूँ मैं चुदाई के बिना कैसे रह पाऊँगा ।
फिर ज़ीनत आपा बोली सलमान ये मत सोचना तुम्हे मुझे जो तड़पाया है चुदाई के लिए तरसाया है उसकी तुम्हे सजा नहीं मिलेगी मैं तुम्हारी बड़ी बेगम हूँ और में सब से बड़ी हूँ अब तुम चुपचाप देखो मैं तुम्हे क्या सजा देती हूँ । तुम्हे मुझे तड़पाया है अब तुम भी चुदाई के लिए तड़पोगे और तुम्हारी कोई बेगम अब तुम्हे चुदाई नहीं करने देगी अब तुम्हे पता चलेगा की तीखा कैसा होता है?
कहाँ तो मैं सोच रहा था कि अब अगला नंबर रुखसार की चुदाई का होगा मुझसे चुदने का और कहाँ आपा ने चुदाई पर बैन लगा दिया था । आपको रुखसार के बारे में बताता हूँ ।
रुखसार मेरी चारो कजिन्स में सबसे सुंदर है और मस्त-मस्त रवीना की जैसी स्लीम बॉडी वाली, एनर्जी लेवल और चेहरे पर दिखनेवाला ग्लो दम खिली-खिली और एनर्जी से भरपूर नज़र आती हैं। लेकिन रुखसार रवीना की तरह तेज तरार भी है और सबको खरी-खरी सुना देतीं है । वह गोल और भरी हुई है लेकिन उसे आप मोटी नहीं कह सकते उसका पूरा बदन बिलकुल अनुपातिक है। उसके बड़े और गोल और अनार जैसे स्तन स्पष्ट रूप से अपने मौजूदगी दर्ज कराते है और उसकी गोल गांड कुछ ऐसी है जो मुझे बहुत पसंद है। उसका रंग दूधिया सफेद, स्किन ऐसे जिसपे कोई दाग नहीं है गहरी भूऋ, बड़ी आंखें, तेज नाक और नाजुक लाल होंठ हैं जो पूरी तरह मेल खाते हैं। उसके काले, लहराते बाल और गोरा रंग उसे एक सुंदरता का पूरा रूप देता है। वह वजन बनाए रखने के लिए अक्सर कसरत करती है और अपना बहुत अच्छा ख्याल रखती है।
खैर मुझे सजा देने के लिए मेरी तीनो कजिन्स बिल्लिया म्याऊँ-म्याऊँ करने लगी थी और मुझे सताने लगी । वह तीनो मुझे अलग-अलग तरीकों से रिझा कर मेरा लंड खड़ा करके चली जाती थी और मैं लंड को सहलाता रह जाता था ।
जूनि जो बहुत ही शरारती और चंचल है मेरे साथ कुछ ना कुछ शरारत करने लगी पर जब मैं उसे पकड़ कर चूमने लगता तो दूर भाग जाती । वह आते जाते मुझे सहला जाती और कभी मेरा लंड दबा जाती कभी फ्लाइंग किश दे कर भाग जाती,
जीनत जो घर में ज्यादातर लेहंगा या साडी ही पहनती थी। मेरे सामने से वह जब जाती तो अपना लेहंगा या साड़ी और पेटीकोट पूरा उठाकर अपनी गांड मुझे दिखाती और हिलाती हुई दूर चली जाती ।
सुबह उठता तो अर्शी आती और आकर अपने नाइटी खोल कर अपना नीचे का नंगा बदन मुझे दिखाती और फिर अपने मम्मी दबा कर अपनी चूत सहलाती और रात की आकर जब मैं खाना खाने के बाद बिस्तर पर लेटा तो अपने ममे बाहर निकालकर निप्पल मुझे दिखा कर निप्पल मेरे मुँह के पास ले आती और मेरे ओंठो पर रगड़ती और जब मैं मुँह खोल कर उन्हें चूसने की कोशिस करता तो दूर हो जाती ।
फिर सामने आकर ज़ीनत अपनी मोटी गांड रखकर लेट जाती और दोनों पैर उठाकर चुत खोलकर मुझे बुलाती और अपनी उंगलियों से अपनी नाजुक कोमल गुलाबी चुत को मसलने लगती और जब मैं आगे बढ़ता तो जूनि मुझे रोक देती और मेरे सामने सेक्सी ड्रेस पहन कर डांस करने लगती और स्ट्रिप करती हुई अपने कपडे उतारती ।
जब मैं किसी एक की तरफ बढ़ता तो दूसरी आकर मुझे रोक देती और मैं मन मासोसता हुआ जाता
और कसमसा कर रह जाता और मेरा लंड खड़ा का खड़ा रह जाता ।
तीनो अब एक होकर मुझे सत्ता रही थी । और मैं तड़प रहा था पर इस तड़प में मुझे मजा आ रहा था और महसूस होने लगा की अब जल्द ही कुछ धमाकेदार होने वाला है क्योंकि मुझे मालूम था जितना
मैं तड़प रहा हूँ उतना ही ये तीनो भी तड़प रही है क्योंकि इन तीनो को भी तो लंड से चुदने की लत लग गयी थी ।
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 28
दुल्हन बनी चौथी कजिन रुखसार
मैं दो दिन तो बर्दार्श्त करता रहा फिर मैंने-मैंने अर्शी और जूनि से बात की तो उन्होंने भी मुझे ज़ीनत से बात करने को बोला । मैंने जीनता आपा से बात कर माफ़ी मांगने को कोशिश की लेकिन वह नहीं पसीजी । इस दौरान रुखसार भी मुझसे दूर ही रहती थी । मैंने सोचा अम्मी से बात की जाए पर फिर मिया बीबी की हर बात में बड़ो को डालना ठीक नहीं है ये सोच कर फिर मैंने अपनी बहन रुखसाना से बात की तो उसने जीनत को धमकी दी की अगर वह अपनी कजिन के साथ मुझे तरसाना बंद नहीं करेगी तो रुखसाना, सलमा और फातिमा भी उनके भाई रिजवान को हाथ नहीं लगाने देगी । फिर ज़ीनत थोड़ा पसीजी और बोली ये मिया बीबी का मामला है । वह इसमें न पड़े वह जल्द ही अपने हिसाब से मेरे से निपट लेगी।
जब, मैं खेतो से लौट कर वापिस आया तो उस दिन मेरी कजिन भाई, रिजवान कुछ काम के लिए लखनऊ लौट गया था और रुखसाना ने मुझे अंदर आने के लिए मुख्य प्रवेश द्वार खोला। मेरी हवेली में प्रवेश करने के बाद, मेरी बहनें रुखसाना और सलमा ने मुझे रात का खाना परोसा जबकि मैं रात का खाना खा रहा था मैं रात के खाने के दौरान रुखसार को नहीं देख सका। जब मैंने पूछा रुखसार कहाँ है। रुखसाना आपा ने मुझे बताया कि वह नहा रही है। आप रात के खाने का आनंद लें। डिनर खास था। रात का खाना खत्म करने के बाद मैं अपने कमरे में जाना चाहता था और मैं अनुमान लगा सकता था कि हवेली के गलियारे में माहौल में भारी बदलाव आया है। जैसे ही मैं अपने शयन कक्ष की ओर बढ़ रहा था। लेकिन मेरी छोटी बहन फातिमा ने मुझे मेरे कमरे में जाने से मना किया।
"भाई, कृपया रुको ... रुको, अपने बैडरूम में मत जाओ। मेरी बड़ी बहन रुखसाना ने मुझसे कहा, भाई तुम अपने आप को बाहरी स्नानघर में ताज़ा कर लो, ठीक से स्नान करो, अपने आप को साफ करो और दूल्हे की इस पोशाक को पहन लो जो हमारे पास है और हमने आपके लिए खरीदी है, आपकी तीन पत्नियाँ आपको तैयार करेंगी और हम आपकी तीन बहनें आपकी चौथी पत्नी को आपकी चौथी दुल्हन के साथ आपकी पहली रात के लिए तैयार कर रही हैं," रुखसाना ने मुस्कुराते हुए कहा।
रात के करीब 8.30 बजे थे। मेरी तीन पत्नियाँ वॉशरूम में मेरा इंतजार कर रही थीं। पहले मैंने शेव की और सब अनछए बाल साफ़ किये और फिर मैंने स्नान किया, उन तीनो ने मुझे नहलाया और मेरे बदन पर तेल और इत्र लगाया और फिर मैंने अपनी नई दूल्हे की पोशाक पहनी। इस बीच मेरी बहनो ने रुखसार के साथ अपने बेडरूम के अंदर डिनर किया। मैं रुखसार को देखने के लिए बहुत उत्सुक था लेकिन मुझे किसी ने भी उसे देखने की अनुमति नहीं दी क्योंकि सब कुछ सस्पेंस और आश्चर्य से भरा था।
इन दो दिनों में ज़ीनत खरीदारी के लिए रुखसार को शहर ले गई थी और उन्होंने रुखसार के लिए सबसे अच्छी दुल्हन की पोशाक और मेरे लिए दूल्हे की पोशाक खरीदी थी। उन्होंने बहुत सारे ताजे सुगंधित फूल भी मंगा लिए। तीन दिनों के-के बाद जूनी, अर्शी और जीनत ने मेरे बेडरूम को फूलों से सजाया। साफ-सुथरे तकियों के साथ ताजी बेडशीट किंग साइज बेड में रखी गई। बेडरूम के अंदर मीठे और सुगंधित इत्र का छिड़काव किया। उस शाम तक मेरे खेत से मेरे आने से ठीक पहले, रुखसार के पूरे शरीर को हल्दी और चंदन का उबटन लगाकर स्नान करवाया। मेरी अन्य तीन कजिन जो मेरी बेगमे भी हैं और मेरे बहनो ने मिल कर उसे दूध से नहलाया और उसकी नई दुल्हन की पोशाक पहनने में उसकी मदद की। ज़ीनत आपा ने उनके चेहरे के मेकअप के लिए उनकी मदद की और उसके पूरे बदन पर सुगन्धित फूलों का इत्र मला और पहले से ही सुंदर और भव्य रुखसार एक शानदार नई दुल्हन रानी लग रही थी। रुखसार बेडरूम के अंदर गई और मेरा इंतजार कर रही थी।
लगभग 9.30 बजे सलमा ने कहा, "भाई अब, आप अपनी नई दुल्हन से मिलने के लिए अपने बेडरूम में प्रवेश कर सकते हैं। हम कल सुबह मिलेंगे। शुभ रात्रि...आप को शुभकामनाएँ कि आज रात अपनी कुंवारी दुल्हन का आनंद लें," सलमा ने शरारत से कहा और अपने कमरे में प्रवेश किया।
मैंने अपने अंदर दिल की धड़कन महसूस की जो थोड़ा तेज धड़क रहा था और फिर मैंने अपने शयनकक्ष में प्रवेश किया और तुरंत पूरे कमरे में फैली हुई इत्र और फूलो की खुशबू को सूंघ सकता था।
फिर मैंने अपने बिस्तर को देखा जो सुगंधित फूलों से लदा हुआ था, इसी बीच रुखसार बैठी हुई थी। जैसे ही मैंने उसने देखा मैं उसके पास बैठा और उसे अपने पास खींच लिया और उसके हाथो पर एक चुंबन किया।
मैंने दुल्हन बनी रुखसार को-को बहुत गौर से देखा, वह बहुत-बहुत गोरी है और मेरी बाकी तीनो बेगमो से और मेरी बहनो से भी बहुत ज्यादा खूबसूरत थी। वह मेरे से दो साल छोटी थी और उसकी उम्र लगभग 20 की थी। मस्त-मस्त रवीना की जैसी स्लीम बॉडी वाली, एनर्जी लेवल और चेहरे पर दिखनेवाला ग्लो दम खिली-खिली और एनर्जी से भरपूर नज़र आ रही थी लेकिन अब थोड़ा शर्मा रही थी। वैसे रुखसार रवीना की तरह तेज तरार भी है और सबको खरी-खरी सुना देतीं है पर आज थोड़ा शांत थी और श्रमती हुई बहुत सुंदर लग रही थी। वह गोल और भरी हुई है लेकिन उसे आप मोटी नहीं कह सकते उसका पूरा बदन बिलकुल अनुपातिक है। उसके बड़े और गोल और अनार जैसे स्तन स्पष्ट रूप से अपने मौजूदगी दर्ज कराते है और उसकी गोल गांड कुछ ऐसी है जो मुझे बहुत पसंद है।
उसका, सुंदर मासूम चेहरा, बड़ी अभिव्यंजक, मासूम, चिंतित आँखें, चौड़ा मुँह, पूर्ण कामुक रसदार मोटे होंठ, जेट-काले, लंबे लहराते, बहुत मोटे और विशाल चिकने कूल्हे की लंबाई के बालों को एक मोटी-मोटी चोटी में व्यवस्थित किया गया था चमेली के फूलों से सजी-धजी खिलखिलाती हुई रुखसार को देख मेरा उत्तेजित लंड अकड़ने लगा था। उसके बदन पर उसकी चोटी भारी और मोटी लग रही थी। उसके बड़े गोल सख्त स्तन, पतली मिड्रिफ, तंग कमर, लंबी टांगें और नाशपाती के जैसी आकृति थी। वह पतली, दुबली, नाजुक और नाजुक दिख रही थी, फिर भी बहुत सुन्दर सुडौल थी। उसके कॉलरबोन स्पष्ट रूप से प्रमुख थे जो उसे और अधिक वांछनीय बना रहे थे। उसके गालों के दोनों किनारों पर डिंपल बनाते हुए सुंदर मुस्कान थी। उसके बाएँ कॉलरबोन के ठीक नीचे सुंदर तिल था जो उसे कामुक बना रहा था।
आज आश्चर्य की सबसे बड़ी बात ये थी की वह आज अपनी शर्म से चुप थी जो उसकी गिरती आँखों से स्पष्ट थी, फिर वह उठी कर उसने दूध का गिलास उठाया, हाथ में दूध का गिलास लेकर वहाँ खड़ी रही, पवन कुमार के उसकी ओर बढ़ने की प्रतीक्षा कर रही थी। (नवविवाहित दुल्हन की भारतीय परंपरा के अनुसार अपने शौहर का पहली रात में मिलने की प्रतीक्षा और स्वागत करती है)
मैं उसे बिस्तर पर ले आया। उसने दूध का गिलास मुझे सौंप दिया। मैंने आधा गिलास पिया और उसे गिलास को उसके होठों से छुआ दिया। उसने अपना मुँह खोला और दूध पी लिया। मैंने अपनी उंगली से उसके होठों से दूध के निशान मिटाए और उसका स्वाद चखा। मैंने रुखसार की ओर देखा, जो युवा, दुबली और सुडौल, सुंदर और सेक्सी थी। मैंने उसके होठों पर अपनी उंगली फिराई और कहा, "" क्या आप अपने नाम रुखसार का अर्थ जानतेी हो? इसका अर्थ है सुंदर चेहरा और। आप सच में बहुत सुंदर हैं। "मैंने कहा। रुखसार, तुम मेरी सबसे खूबसूरत बेगम और कजिन हो और मैं चाहता हूँ कि तुम्हें पता चले कि मैं तुम्हें बहुत पसंद करता हूँ।"
एक रानी की तरह। उसने रिच प्योर सिल्क गोल्ड जरी बॉर्डर सिल्क लो हिप साड़ी पहनी हुई थी। वह सिर से पैर तक भारी सोने और हीरे के गहनों से सजी हुई थी, जो उसके सुंदर सुडौल, सेक्सी जलती हुई कामुक शरीर को दिखा रही थी। उसकी चौड़ी अभिव्यंजक बड़ी आँखें काजल के साथ सजी हुई थीं, भारी अतिरिक्त-बड़े, बड़े उछलते हुए, अनार के जैसे विशाल फर्म स्तन उत्तेजक रूप से झूल रहे थे, दुबले फ्रेम और पारदर्शी ब्लॉउज से बाहर निकले हुए फर्म बड़े खड़े निपल्स के साथ इन पहाड़ी जैसे स्तन उजाग थे। चमेली के फूलों के धागों ने उसकी मोटी रेशमी जांघ की लंबाई की लंबी चोटी को सजाया गया था। वह बेशक एक सुंदर और सेक्सी कामुक लड़की थी जो स्त्री रूप और कामुकता का प्रतीक थी।
रुखसार ने भी एक शुद्ध रेशमी लाल और मलाईदार सफेद मिश्रित कढ़ाई वाली साड़ी पहनी हुई थी, जिसमें भारी सोने की ज़री का बार्डर था जो उसके पारदर्शी ब्लाउज को कवर करती थी, लेकिन उसकी गहरी और बड़ी दरार दिखा रही थी।
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 29
दुल्हन बनी कजिन रुखसार
जैसे-जैसे मैं करीब आया रुखसार ने अपनी आंखें बंद कर लीं, मेरे होंठ उसके गालो से जुड़े मैंने उसका पूरा फायदा उठाया और पीछे की ओर मैंने उसकी गर्दन और उसके कंधो को चूम लिया। मैं फिर से ऊपर गया और धीरे से अपनी जीभ से उसके गालो को चाट लिया। वह काँप उठी। जैसे ही मैं उसके कान के पास पहुँचा और धीरे से उसके कान के लोब को चूसा, उसकी साँस धीमी हो गई।
"मैं तुम्हें चोट नहीं पहुँचाने जा रहा हूँ, सिर्फ एक चुंबन," मैंने एक हाथ से उ उसका हाथ पकड़े हुए उसके कान में फुसफुसाया।
मैंने उसे धीरे से उसका चेहरा अपनी ओर खींच लिया। वह थोड़ा फुसफुसाई मैंने कुशलता से उसके होठों को चूम लिया और उसके ओंठो को चूसने लगा । वह क्या कर रही थी, इसके बारे में एक बार भी विचार किए बिना, उसने अपने शरीर को मेरी ओर झुका लिया और मुझे वापस चूमा।
मैंने अपने निचले होंठ के साथ अपनी जीभ उनके मुँह में डाल कर उसे मजबूर किया और उसने अपना मुँह खोला और मेरी जीभ उसकी जीभ से मिल गयी। मैंने उसके हाथों को छोड़ दिया और अपने हाथों को नीचे लाया, उन्हें रुखसार की छाती और कंधों पर घुमाया और अंत में उन्हें उसके गले में डाल कर उसे करीब खींच लिया।
अब मेरी बारी थी, उसकी खुशबू, उसके स्वाद से भस्म हो जाने की। मैं अब उसे चखा तो मन किया उसकी मासूमियत लूट लू और उसकी उत्तेजना को जगा कर खुद को उसमे समेट दू।
रुखसार मेरे मुंह के खिलाफ कराह रही थी मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी पीठ के चारों ओर घूमते रहे, अपना रास्ता बनाते हुए, धीरे से उसके तंग नितंबो को सहलाते रहे। जैसे ही मैंने खुद को उसके खिलाफ दबाया, वह कराह उठी, धीरे से चुंबन से वह दूर हुई और उसने मेरी ओर देखा, उसके गाल फूल गए थे और चूमने से उसके होंठ सूज गए थे और तीव्र जुनून के साथ चमक उठे थे।
वह उसे बिस्तर से खड़ा किया, और गर्दन और कंधों को चूमा, चमेली की सुगंध की सुगंध ली और कहा, "तुम सेक्सी और रोमांचक हो।" मैंने उसे खड़ा किया और उसे घुमा दिया
उसकी साड़ी ने उसकी नाभि से नीचे बंधी हुई थी और उसके पेट और कमर की पूरी त्वचा दिखाई दे रही थी। वह बहुत मोहक लग रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी काजल से सजी अभिव्यंजक सुंदर आमंत्रित करती हुई बड़ी सुंदर आँखें हर जगह घूम रही थीं।
उसके अतिरिक्त बड़े, गोल और लटके हुए भारी स्तन गर्व से खड़े हुए थे और स्पष्ट रूप से ब्लाउज और साड़ी से बाहर निकले हुए थे। उसके सुंदर लंबे मोटे जेट-काले चमकदार रेशमी चिकने, चमकदार रेशमी बाल बड़े करीने से बीच में बंटे हुए थे, जो एक जांघ की लंबाई की चोटी में बंधे थे और सोने के हेयरपिन सजी थी। साफ-सुथरी छोरों के साथ उसकी चौड़ी मोहक मोटी चोटी उसके उभरे हुए बड़े नितंबों के ठीक नीचे बालों के बैंड के साथ जकड़ी हुई थी और उसकी नितम्बो के नीचे जांघों तक पहुँचती थी और खूबसूरती से बंधे हुए लंबे चमेली के फूलों के धागों से सजी हुई थी और मोहक रूप से जैसे वह चली तो उसके विशाल और बड़े चूतड़ों के साथ झूल रही थी॥
उसने साडी सेक्सी और बोल्ड तरह से पहनी हुई थी। गहने उसकी प्राकृतिक सुंदरता को बढ़ा रहे थे । वह एक समृद्ध सुंदर सेक्सी लंबे बालों वाली हूर थी जो मेरे बिस्तर पर मुझे मजे देने के लिए जन्नत से आयी थी। वह आकर्षण, सौंदर्य और कामुकता से भरपूर थी। जब उसकी पीठ मेरी और हुई तो मैंने देखा उसका ब्लाउज लगभग बैकलेस था। पतले धागों की सिर्फ दो डोरियों से उसके बदन पर टिका हुआ था और मैं उसकी पीठ को पूरी तरह से तब तक देखता रहा जब तक मेरी आँखे उसकी चूतड़ों की दरार पर जा कर नहीं टिक गयी।
मैंने संगीत रिकॉर्ड बजाया और हलके संगीत की धुन पर मैं रुखसार के साथ नाचने लगा। मैंने अपना एक हाथ उसकी कमर के चारों ओर डाला, उसके नितंबों तक ले गया; दूसरा हाथ उसकी कांख के नीचे रखकर उसे गले से लगा लेिया। फिर हम नाचने लगे। नाचते-नाचते मैं उसके चूतड़ों को दबाने लगा और उसके होठों पर अपने होंठ रख दिए। फिर मैंने रुखसार के मुंह के अंदर उसकी जीभ की जांच की और उसकी जीभ चूसने लगा।
जैसा कि मैंने बताया कि रुखसार बहुत तेज थी और इस तरह के मूड में थी कि उसने मेरे पाजामा के ऊपर मेरे कठोर लंड को छुआ और मालिश की और फिर दबाना शुरू कर दिया और फिर संगीत बदला तो वह मोरनी की तरह संगीत पर झूमने लगी। जब संगीत की धुन फिर बदली तो मैंने उसकी प्रशंसा की आपके डांस मूव्स बहुत ही आकर्षक और मस्त थे। वह अद्भुत था। फिर हमने दुबारा संगीत की धुन में युगल नृत्य करना शुरू कर दिया, मैंने अपना बायाँ हाथ उसकी दाहिनी बगल के नीचे रख दिया और उसे जबरदस्ती अपनी ओर खींच लिया। अपनी दाहिनी हथेली से, मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू किया और उसके चेहरे और होंठों को चूमने लगा। वह मेरे पायजामा के अंदर मेरे खड़े हुए लंड को छू रही थी और हमने 5 मिनट तक डांस किया।
वह बहुत मोहक थी। उसने डांस के दौरान अपनी पीठ दिखाई, और फिर मोहक दृष्टि से अपना सिर आगे की ओर कर लिया। उसके स्तन, पतला पेट, संकरी कमर और उसका पिछला भाग उसकी पीठ और उसके नितम्ब दिखाई दे रहे थे और उसके चेहरे और आँखों के भाव इतने मोहक थे और इसने मुझे बहुत मुश्किल में डाल दिया। मेरा लंड कठोर हो गया था और मेरे पायजामा में उभार ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।
मेरा दाहिना कंधा उसके बाएँ कंधे से रगड़ रहा था और मैं उसके करीब झुक कर कहने लगा, "तुम इस पोशाक में कमाल की लग रही हो तुम कमाल हो। तुम कितनी अच्छी और हॉट लग रही हो।"
मुझे उससे हंसी या शर्माने की प्रतिक्रिया की उम्मीद थी, लेकिन मैंने सपने में भी यह उम्मीद नहीं की थी कि वह-वह वाक्य कहेगी जो मैंने सुना था।
उसने कहा, "हाँ, मैं हूँ।"
यह सुनते ही मैं उसके करीब गया और उसके होठों को चूम लिया। उसने बदले में मुझे चूमा।
मैं उसके करीब हुआ और उसे अपनी बाहों में ले लिया और उसके होठों को बहुत जोश से चूमने लगा। उसके होंठ मेरे मुँह में जेली की तरह लग रहे थे; नरम, और स्वादिष्ट। मैंने उसके होठों को चूमा और मेरे शरीर के अंदर आग जल रही थी। मैं आगे हुआ और अपना दाहिना हाथ उसकी पीठ, गांड और स्तन पर ले गया। मैंने उसके स्तन पकड़ लिए और उसके होठों को चूमते हुए उन्हें दबाने लगा। ऐसा लगा जैसे मैं एक फुटबॉल पकड़ रहा था क्योंकि उसके बड़े स्तन अब और भी बड़े हो गए थे।
मैंने उसके पूरे चेहरे को चूमा और उसकी गर्दन को चूमने लगा। मैंने उसके कान को चाटा और धीरे से उन्हें चूमा। मैं उसके स्तनों को चूमने के लिए और नीचे चला गया।
मैंने उसका ब्लाउज खोल दिया और ब्रा को ढीला कर दिया और उसके स्तनों को उसके कपड़े से चूसा और फिर नीचे उसके पेट पर चला गया। मैंने उसके पेट में नाभि को चूमा और मैं उसकी सांसों को जोर से कराहते हुए सुन सकता था। मुझे उसकी वह आवाज बहुत पसंद आयी। मैंने उसकी नाभि को चाटा और उसी समय मेरे हाथ उसके स्तन दबा रहे थे और मैं फिर उसके होठों को चूमने लगा।
इस बार उसने मेरी पीठ के चारों ओर मंडराने के लिए मेरे शर्ट के अंदर हाथ डाला, और फिर मेरे चेहरे पर चुंबन करना शुरू कर दिया। उसने मेरी छाती को चूमा और फिर मेरी गर्दन और फिर मेरे कानों को चूमने के लिए ऊपर चली गई। वह शरारती हो रही थी, और मैंने इसे अगले स्तर पर ले जाने का फैसला किया।
कहानी जारी रहेगी
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 30
दुल्हन रुखसार
मैंने उसे ऐसे कस कर गले लगाया जैसे दो प्रेमी लम्बे बिछोह के बाद मिले हो। मैं बहुत बेताब था क्योंकि मैंने पिछले कुछ दिनों में चुदाई नहीं की थी और मेरी अन्य तीन पत्नियों ने मुझे बहुत उकसाया , लेकिन वह मुझे उन्हें छूने की भी इजाजत नहीं दे रही थीं, फिर एक पल के लिए भी बिना सोचे-समझे, मैंने मेरे दोनों हाथ रुखसार की कांख के नीचे रख दिए और उसे गोदी में उठा लिया। फिर धीरे-धीरे, मैंने उसकी फिसल कर के कमर के बीचों-बीच आ गए और मैंने उसे कसकर जकड़ लिया। जब से हम व्यस्क हुए थे उसके बाद यह पहली बार था, जब हमारे शरीर इस तरह के आलिंगन में एक साथ जुड़ गए थे। रुखसार ने अपनी टांगों को मेरी कमर के चारों ओर लपेट लिया और उसके हाथ मेरे कंधे के चारों और लिपट गए रुखसार के बड़े स्तनो ने मेरे चेहरे को दबा दिया।
जैसे ही रुखसार के पैर जमीन से छूटे और उसके हाथ मेरी गर्दन पर टेके और फिर मैंने अपने गिरफ्त नीचे की तो उसका शरीर नीचे की ओर खिसकने लगा और हम दोनों के योनि क्षेत्र आपस में रगड़ने लगे। जल्द ही वह नीचे खिसक गई और मुझे अपने सीने में रुखसार के स्तनों का कोमल स्पर्श और दबाव महसूस हो रहा था, जो एक नरम तकिए की तरह थे और मैं अपने चेहरे पर रुखसार की गर्म सांसों को महसूस कर रहा था। मैंने उसके चेहरे और बालों की मीठी सुगंध को सूंघा।
मेरा चेहरा उसके चेहरे से सिर्फ एक इंच की दूरी पर था। तुरंत, मेरा लंड पूरा कठोर हो गया। उसी समय, रुखसार ने भी अपने क्रॉच क्षेत्र में मेरे उभरे हुए कड़े लंड को महसूस किया और बोल्ड रुखसार ने मेरे लंड पर अपना योनि क्षेत्र दबा दिया
रूखसार शरारती होने के कारण अचानक मुझे छेड़ना चाहती थी इसलिए उसने अपने कुछ बाल मेरे नाक में डाल दिए और मुझे छींक आ गई, जिससे मेरा संतुलन बिगड़ गया। हम दोनों घूमते हुए बिस्तर पर गिर पड़े। मैं रुखसार के नीचे था।
इस अप्रत्याशित रूप से गिरने के कारण, मेरे दोनों हाथ रुखसार के स्तनों को पकड़े हुए थे क्योंकि उसके ऊपर के शरीर का सारा भार मेरे हाथों पर था और मेरे होंठ रुखसार के होठों से दब गए थे। इस क्षण भर की घटना से सब कुछ बदल गया, एक सनसनी और करंट हमारे दोनों शरीरों में बह गया।
मैंने अपना हाथ हिलाया और स्तनों से हटाया तो वह मेरी छाती से चिपक गयी और मैंने उसे गले से लगा लिया और कस कर भींच लिया और उसके गालों में चूमा और अंत में अपने गर्म होंठों को उसके होठों पर रख दिया। मैंने रुखसार के होठों को अलग किया और अपनी जीभ उसके मुंह के अंदर दाल दी। मेरी जीभ ने उसकी जीभ को छुआ और हम चुंबन करने लगे ।
मेरे हाथ धीरे-धीरे उसकी पीठ पर घूमते रहे, अपना रास्ता बनाते हुए, धीरे से उसके तंग नितंबो को सहलाते रहे और उसने खुद को मेरे लंड के खिलाफ दबाया, और फिर मुझे अब उसके स्तन थोड़े कठोर महसूस हुए और उसके निप्पल अब मुझे चुभ रहे थे क्योंकि उसका ब्लाउज अस्त व्यस्त हो गया था। मैंने उसकी दुल्हन की पोशाक की बनारसी रेशमी साड़ी का पल्लू हटा दिया, और उसके स्तनों को सहलाया और फिर टॉप को निकाल दिया और दोनों स्तनों को दबाने से खुद को रोक सका। मैंने उसे पलटा, चित्त लिटाया और उसके ऊपर झुक गया और उसके निप्पल उसके खड़े स्तन के ऊपर पहाड़ की चोटियों पर सैनिक तैनात हो। दोनों स्तन गोल आकार में थे और उस पर निप्पल थोड़ा गुलाबी था और छोटे हल्के भूरे रंग के घेरे से घिरा हुआ था। वे चबाने और चखने के लिए बिलकुल त्यार पकी हुई छोटी चेरी के समान लग रहे थे। मैंने उन्हें चूमा, फिर अपनी जीभ को छोटे गुलाबी निप्पल के चारों ओर लपेटा और दूसरे को अपनी उंगली से घुमाया। वे सख्त हो गए थे और थोड़े और बड़े हो गए। मैं एक से दूसरे पर गया। और अपने दोनों स्तनों के बीच मेरे सिर को आगे-पीछे किया।
वो अपने हाथ मेरी पीठ पर पीछे ले गयी, वह कराह रही थी, "ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, सलमान ओह मेरे दूल्हे।"
मैंने अपनी जीभ उसके पेट को नीचे ले गया, मैंने उसके पेट पर नाभि में अपनी जीभ को घुमाया और फिर मैंने उसकी साड़ी की गाँठ खोल दी और उसे निकाल दिया। अब रुखसार केवल पेटीकोट में थी और ऊपरी हिस्से पर उसने गहने पहने हुए थे ।
रुखसार ने भी मेरा कुरते की डोरियों को खोल दिया और साथ में मेरा पायजामा भी निकाल दिया और फिर मेरा अंडरवियर नीचे किया और मेरा बड़ा लंड एक दम उछाल कर निकल आया। अपने जीवन में, वह पहली बार एक असली लंड को इतने नजदीक से देख रही थी। उसने अर्शी की चुदाई के समय मेरा लंड पहले दूर से देखा था । जब अर्शी लंड को दिखाते हुए बोली थी रुखसार देख रुखसार तेरी चूत भी इसी लंड से फटेगी!!! पर अपने सामने 8" आकार का बड़ा काले रंग का मोटा सांप जैसा लंड देखना एक अलग ही अनुभव था जिसके नीचे दो बड़ी गेंदें लटक रही थीं। मेरी जांघो के बालो को मेरी तीनो बेगमो ने आज ही मुझे नहलाते समय साफ़ किया था और लंड टुनक कर ऊपर और नीचे धड़क रहा था। जिज्ञासा के साथ, वह लंड को करीब से देखने के लिए नीचे झुक गई।
वो गौर से लंड को देख रही थी पर उसने लंड को छुआ नहीं मैंने उसका एक हाथ लिया और अपने लंड के पास ले गया और कहा, "इसे महसूस करो।" फिर मैंने रुखसार के कोमल स्पर्श को लंड पर महसूस किया और मैं मजे से चिल्लाया, "ओह्ह्ह।"
मेरी बगल में होना, चूमना, अपने स्तनों को सहलावाना, रगड़वाना उसे बहुत अच्छा लगा था और मेरे से लिपटना चिपटना बेशक सुखद था लेकिन मेरे लंड को छूना एक अलग ही एहसास था और उसने लंड को छोड़ा तो वह वैसे ही खड़ा रहा तो उसे लंड के कड़ेपन का एहसास हुआ और उसने उसे फिर से पकड़ लिया और एक बार पूरे लंड पर हाथ फिराया। रुखसार लंड को छू कर से सोच कर नर्वस हो गयी की इतना बड़ा उसकी चूत के छेद में जब जाएगा जो उसका क्या हाल करेगा, उसने दुसरे हाथ से अपनी कुंवारी चूत को छुआ तो चूत को उतनी ही गीली और गर्म महसूस किया। उसने उत्साह में भर कर मुझे वापस चूमा। मैंने उठकर अपनी ड्रेस उतार दी और पूरा नंगा हो गया और मेरा लंड पहले से ही खम्भे की तरह खड़ा था और उसे रुखसार पकडे हुई थी।
रुखसार ने लंड को सहलाते हुए कामुक संवेदनाये महसूस की और उसे मेरा लंड अपने के हाथ में होना रोमांचक लगा। रुखसार उस रात पहली बार के सेक्स को लेकर काफी नर्वस थीं। वह न केवल एक कुंवारी थी बल्कि बहुत सुंदर, नाजुक और कमसिन भी थी। मेरे विशाल मोटे लंड की को पास से देख और छु कर और महसूस कर वह हैरान और उत्तेजित थी उसने अर्शी की चुदाई देखि थी और दूर से जितना उसे लगा था वास्तव में मेरा लंड उसकी तुलना में उसे बहुत बड़ा लगा और इस विशाल लंड के अपने शरीर में प्रवेश करने के विचार ने उसके शरीर को झकझोर कर रख दिया।
फिर रुखसार ने मेरे बड़े और विशाल लंड को देखा उसे अर्शी का पहली चुदाई का किस्सा याद आया की कैसे अर्शी मेरा पूरा लंड लेते हुए चिल्लाई थी और फिर वह मेरे लंड को अपनी छोटी से चूत में जाने की कल्पना करते हुए वह घबरा गई। फिर उसने सोचा की अगर उससे छोटी उसकी कजिन अर्शी कितनी खुशी से मेरा बड़ा लंड पूरा ले पा रही थी और चुदाई का भरपूर आनंद ले रही थी और उससे पहले सबसे छोटी जूनि भी इस लंड का स्वाद ले चुकी थी और उसने उसे कई बार मेरे साथ अपनी चुदाई के किस्से सुनाये थे की उसने मेरे साथ चुदाई में कितने मजे लिए है तो वह भी इसे ले लेगी। वह इस लंड और मेरे साथ चुदाई का अनुभव करना चाहती थी। वह चाहती थी कि अब हमारे शरीर मिलें। लेकिन वह किसी अज्ञात चीज से डरती थी। वह जानती थी कि मैं उसे चोट नहीं पहुँचाउंगा। वह जानती थी कि पहली चुदाई में बड़े लंड में दर्द थोड़ा ज्यादा होगा लेकिन वह मेरे साथ अपना कौमार्य खोने के लिए तैयार थी क्योंकि एक तो उसका निकाह मेरे साथ हुआ था मैं ही उसका शौहर था और ये तय तह की एक न एक दिन उसे मेरे से ही चुदना था दूसरा उसने अपनी कजिन और बहनो को जिनका निकाह भी मेरे ही साथ हुआ था उन्हें मेरे साथ चुदाई के दौरान मजे लेते हुए देखा सुना था।
मेरे पास पहले से ही उसे मूड में लाने के लिए एक प्लान था जिसे मैं अपने तीनो बेगमो के साथ कामयाबी से आजमा चुका था। फिर अपने प्लान के हिसाब से मैंने उसे चूमा और उसे प्यार किया। उसके कान और गर्दन पर चूमा कर जीभ को घुमाया। मैंने उसके-उसके कान के लोब चूसा और उसके कानों के किनारों को चाटा और उसकी गर्दन को चूमा तो वह उत्तेजित हो कर कराहने लगी और मजे से कांप गयी मैं थोड़ा और नीचे चला गया और उसके गहने उतारे और प्यारे स्तनों को चूमा और उसके निप्पलों को चूसा और चाट लिया। वह धीरे से कराह रही थी और मेरी अपनी पीठ और नितम्बो पर अपने नाखूनों का इस्तेमाल कर रही थी। इस बीच मैं उसके खड़े निप्पल को चाटता रहा।
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 31
कुंवारी रुखसार
इस बीच मैं उसके खड़े निप्पल को चाटता रहा।
मैं जानता था कि वह कैसा महसूस कर रही है। फिर भी मैंने बहुत धीरे-धीरे शुरू किया जिससे उसने महसूस करना शुरू कर दिया कि उसकी चुदने की इच्छा बढ़ रही थी क्योंकि मैंने उसके स्तनों को चाटा और निप्पलों को दांतो से हलके से कुतर दिया और उसके शरीर के ऊपरी हिस्से में उसे चूमा। मैं उसके नग्न शरीर पर अपने गर्म होंठों से प्यार कर रहा था। रुखसार कराह रही थी।
ओह्ह आह, हाय । मुझे कुछ हो रहा है ... हाय!
अपने स्तनों पर कई मिनट ध्यान देने के दौरान मैंने उसका पेटीकोट ढीला किया और उसे खींचा तो रुखसार ने अपने नितम्ब उठा कर सहयोग दिया और मैंने फिर उसका पेटीकोट निकाल दिया और फिर उसके पेट से नीचे किश किया।
"ओह!" उसने सोचा। मैंने जब उसके बाल रहित योनि प्रदेश को छुआ। यह बहुत नरम था और मखमल जैसा महसूस होता था। वह लंड को सहला रही थी। उसकी आँखें मजे में बंद हो गईं।
मैंने उसकी गुलाबी पैंटी को नीचे सरका दिया और वह उसकी गांड पर लटक गई। उसने अपनी गांड उठाई और उसकी पैंटी आसानी से नीचे फिसल गई। मुझे उसकी मांसल सुगंध का आभास हुआ। ओह्ह! खुशियों का खजाना!
मैंने उसकी टांगें खोल दीं और पहली बार उसकी चूत को देखा। यह नजारा बहुत खूबसूरत था। उसकी चूत के होंठ आपस में चिपके हुए, कड़े और सूजे हुए थे। उसके भीतर के होंठ अभी बाहर भी नहीं निकले थे, एक दम युवा, नाजुक और कुंवारी सील पैक चूत।
और मैंने एक ऊँगली अंदर सरकायी तो मेरी उंगली गीली और फिसलन महसूस कर रही थी। मैंने अपना सिर नीचे किया और साँस ली। मुझे वहाँ से बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी। मैंने ऊँगली निकाली और चाट ली ।
अब मैंने दो उंगलियों की सहायता से धीरे से चूत के होठों को अलग किया...ओह! ... ... यह अंदर से लाल थी और मैंने ऊँगली उसकी भगशेफ के ऊपर सरका दी। वह उछल गई और हांफने लगी। इसने उसे थोड़ा डरा दिया था। मैंने जो देखा उसने मुझे और भी उत्तेजित कर दिया। वह बस मुझे देख रही थी, लेकिन रुखसार ने देखा कि अब मैंने जीब निकाली और होंठ उसके स्तनों से नीचे की ओर उसकी योनि की ओर बढ़ा दिए। उसने मुझे अर्शी के साथ मुख मैथुन करते हुए देखा था लेकिन इससे उसे क्या महसूस होगा और उसके अंदर जो भावनाओ का तूफ़ान उठने वाला था उसके बारे में वह बिलकुल अनजान थी पर सोच रही थी कि आगे क्या होगा। वह एक बार फिर उछली जब मेरी जीभ पहली बार उसके सबसे निजी अंगों के गर्म मांस से जुड़ी और मैंने उसकी योनि को बाहर चूमा।
मैंने योनि के ओंठो को चूमा और चाटा फिर उसके दाने पर लपका। फिर से, वह हांफते हुए उछल गयी लेकिन इस बार मैंने उसे चूसा और चाटा और उसे छेड़ा तो वह ओह्ह अह्ह्ह करके कराहने लगी और फिर उंगलियों की सहायता से चूत के ओंठो को थोड़ा खोला और जीब सरकाने से पहले
"आपको अच्छा लग रहा है?" मैंने पूछा।
"मुझे भी ऐसा ही लगता है?" उसने आश्चर्य से उत्तर दिया।
"आप चाहती हो कि मैं रुक जाऊँ?" मैंने पूछा।
"मुझे ऐसा नहीं लगता," उसने अपने होठों पर एक प्यारी-सी मुस्कान के साथ जवाब दिया।
"क्या यह अच्छा लगता है?" मैंने पूछा।
"मुझे ऐसा ही लगता है," उसने जवाब दिया,
चलो अब और भी बेहतर तरीके से करते हैं, " मैंने कहा।
रुखसार थोड़ी हैरान हुई उसे मजा आरहा था अब इससे बेहतर क्या हो सकता है। उसने मुझे अर्शी की चूत चाटते हुए देखा था परन्तु दूर से केवल ये ही देखा था की मैं चाट रहा हूँ । क्या कहाँ और कैसे ये वह दूर से नहीं देख सकी थी । उसे मुंझ पर भरोसा था इसलिए उसने कोई विरोध नहीं किया
और मुझे चाटना जारी रखने दिया। मैंने उसे फिर से कोमलता से चाटा और उसे कुछ ऐसा शक्तिशाली लगने लगा जो उसने कभी महसूस नहीं किया था।
मैंने ने धीरे-धीरे जारी रखा, उसकी योनि के ओंठो को उंगलियों से खोला और अपनी जीभ से उसकी चूत की सिलवटों की खोज की, और वह इन तेज संवेदनाओं का पूरा मजा ले रही थी। उसने अंततः दोनों हाथों को नीचे लेजाकर मेरा सिर पकड़कर, अंदर खींचकर, औरयोनि खेत्र को मेरे मुँह पर दबा कर और सही स्थानों पर मार्गदर्शन करके मुझे बता दिया की उसे अच्छा लग रहा है और वह कराहने लगी। है चाटो, चूमे चूसो जोर से चाटो अच्छा लग रहा है ... वाह आपकी जीभ कमाल कर रही है भाई उसकी कराहे मेरे कानों के लिए संगीत था और मेरी जीभ को उसका स्वाद स्वादिष्ट लगा।
मैंने उसे चाटा, चूमा, चूसा, कुतर दिया और फिर से चूमा। उसकी प्यारी, गीली चूत में आग लगी हुई थी और उसका रस बह रहा था। उसकी महक नशीली थी। ये तब तक जारी रहा जब तक कि उसका बदन कांपने नहीं लगा और उसने मेरा मुँह जोर से अपणु चूत पर दबा दिया और फिर वह आह ओह्ह उज्ज्ज करके कराहती हुई झड़ गयीऔर उसने मेरा मुँह अपने रस से भर दिया ।
रुखसार ने महसूस किया कि जैसे-जैसे मैं चाटता रहा, उसका मजा तेज होता गया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि यह कितना जबरदस्त और मजेदार था और उसने ऐसा पहले कभी नहीं महसूस किया था। वह खुद पर और भी ज्यादा हैरान थी। main उसकी चूत चाटता था और उसकी चूत का रस चूसा। यह बहुत ही अद्भुत था।
उसके झड़ने के-के बाद, मुझे पता था कि यह बड़े कमाल का मौका है। मैं धीरे-धीरे अपने शरीर को ऊपर ले गया, रास्ते में उसके शरीर को चूमा और चाटा, फिर से उसके स्वादिष्ट स्तनों पर थोड़ा अतिरिक्त समय बिताया।
मैं उसके ऊपर चला गया जिससे अब हम आमने-सामने थे और मैंने उसके ओंठो को चूमा। उसके चेहरे पर पूर्ण संतुष्टि के भाव थे। मेरा लंड अब पूरा उग्र कठोर और धड़क रहा था और तैयार था। मैंने उसे चूमा और महसूस किया की वह मेरे चंबणो का जवाब दे रही है और मुझे वापिस चूम रही है ।
"आप तैयार हैं?" मैंने पूछा।
"मुझे नहीं पता," उसने जवाब दिया। अब ये सुन कर मेरा दिल थोड़ा डूब गया।
"ठीक है, चलो इसे एक कोशित करते है," मैंने कहा। "मैं धीरे-धीरे आगे बढ़ूंगा। अगर दर्द होता है, तो आप मुझे बतान और मैं तब तक रुकूंगा जब तक आप ठीक नहीं हो जाती और फिर मैं थोड़ी और कोशिश करूंगा।"
"ठीक है," उसने आशंकित उत्तर दिया।
"वाह!" मैंने सोचा।
उसने मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया, मुझे अपने पास खींच लिया, मेरी आँखों में देखा, फिर वर्णन से परे जुनून के साथ चूमा और जीभ के साथ जीब मिली और उसने मेरी जीभ को चूसा और आँखों में नमि के साथ, धीरे से कहा, "भाई कृपया, आराम से कोमलता से करना। मुझे डर लग रहा है।"
मैंने उसकी आँखों में देखा मुस्कुराया। और उसे उसी जोश के साथ चूमा और कहा, "मैं करूंगा, मेरी जान। मैं करूंगा।"
मैंने अपनेलंड का सिर उसके चूत पर रखा और लंडमुंड अंदर धकेला लंड बड़ा था और चूत टाइट थी और उसका छेद छोटा था लंड अंदर नहीं गया। उसने हांफते हुए, मेरे कूल्हों पर पीछे धकेला और उसे रुकने के लिए कहा। मैं रुका और लंड को योनि और उसकी क्लीट पर रगड़ा वह कराह उठी और मैंने छेद पर थोड़ा दबाब दाल कर थोड़ा अंदर धकेल दिया। उसने फिर से दर्द में हांफते हुए अपने कूल्हों पर पीछे धकेल दिया। लेकिन मैंने लंड छेद पर लगा कर रखा और रुक गया और इंतजार करने लगा। जब लगा अब रुखसार ठीक है, तो थोड़ा और अंदर धकेल दिया। जैसे ही मैं उसके अंदर और बाहर फिसलता था, वह मुझ पर अपनी गर्म सांसें छोड़ती थी।
अब रुखसार का शरीर कस गया। मुझे अपने से दूर धकेलने की उसने जोरदार कोशिश की। दर्द उसे चौंकाने वाला था। उसे लगा योनि का छेद चौड़ा हो गया है और लंड अंदर फस गया। उसकी आँखों से गर्म आँसू आ गए। उसने आँखो से पुछा पूरा अंदर गया मैंने हलके से गर्दन न में हिलायी और इसके साथ ही फिर जोर लगा दिया अब लंड अंदर गया और जाकर उसकी झिल्ली से टकराया ।
रुखसार की आँखों नम हो गयी और लगा वह मुश्किल से सांस ले रही है, लेकिन अब तक तीन कुंवारी बेगमो की चुदाई के बाद मैं अच्छी तरह जानता था कि दर्द जल्द ही बंद हो जाएगा बस कुछ पल इंतजार करना था। उसने अपनी उँगलियों को मोड़ बिस्तर की चार को पकड़ा और धीरे से अपनी आँखें खोलीं मैंने उसके होंठ चाटे। जैसे ही उसने एक और गहरी साँस ली और सिर हिलाया, उसका सीना ऊपर उठा। फिर कई बार सहलाने और चूमने के बाद मैंने केवल कुछ सेकंड के लिए अपना कठोर लंड थोड़ा-सा पीछे किया और मैंने धक्का लगाया और रुखसार की चूत ने अब लंड का स्वागत किया। उसका दिमाग अब इस बात पर केंद्रित नहीं था कि क्या हुआ था, बल्कि क्या हो रहा था।
प्रत्येक धक्के के साथ, वह दर्द में हांफती, मेरे कूल्हों को पीछे धकेलती और मैं कुछ पल के लिए रुक जाता, जिससे वह आराम कर सके ताकि जब वह थोड़ा ठीक हो जाए तो मैं आगे बढ़ सकूँ। प्रत्येक ढ़ाके और फिर दर्द की लहर के साथ, वह अपने पैरों को भी कसती थी जो उसकी चूत को मेरे लंड पर कस देती थी और धक्का देने के लिए अवरोध पैदा कर रही थी। लेकिन फिर भी वह मेरा लंड लेने को उत्सुक थी ।
जैसे-जैसे मेरा लंड अंदर गया, रुखसार की उंगलियाँ मेरी पीठ पर चली गईं। वह मेरे लंड की कठोरता को अपने अंदर महसूस कर रही थी और उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठा लिया।
जब मैं नीचे झुका और लंड फिर से अंदर धकेला तो लंड और गहरा गया और-और मुझे लगा लंड उसकी कुंवारेपन की झिल्ली से टकराया है। मैंने एक ऐसे बिंदु पर धक्का दिया था जो उसके लिए बहुत दर्दनाक था। वह दर्द से चिल्लाई और बोली प्लीज रुको। मैंने उसके निप्पल को अपने दांतों से पकड़ लिया। ओह्ह! भाई! वह कराह उठी। उसके नाखून मेरी पीठ में गढ़ गए मेरी भी कराह निकली
मैंने अपनी स्थिति संभाली और इन्तजार किया। जब दर्द कम हो गया, और उसने पलके झपका कर आगे बढ़ने का इशारा किया । तो मैंने फिर से धीरे से धक्का देने की कोशिश की लेकिन मैं आगे नहीं बढ़ सका। वह फिर दर्द से कराह उठी और मुझे रुकने को कहा। फिर से, मैंने अपनी स्थिति संभाली और फिर मैंने तीन बार हलके धक्के के साथ कोशिश की और तीन बार वह दर्द से चिल्लाई और मुझे रुकने को कहा। तीन बार मैंने उसके दर्द के कम होने का इंतजार किया और फिर इस जगह को पीछे धकेलने की कोशिश की। तीन बार, उसके दर्द ने लंड को चूत में आगे जाने से रोक दिया।
मुझे नहीं पता कि क्या मैं यह कर सकती हूँ भाई, "उसने दर्द से कहा।" प्लीज रुक जाओ । इसे बाहर निकालो। "
कहानी जारी रहेगी
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 32
तीखा
रुखसार मुझे धक्का देकर अपने से दूर करने की कोशिश करने लगी। उसके आंसू मुझे बहुत बुरे लग रहे थे मैंने उसके आँसू चाटे । मैं उसे चोट नहीं पहुँचाना चाहता था, लेकिन जानता था कि यह किसी दिन जरूर होगा और निश्चय किया की अब ही होगा।
मुझे मालूम था की अगर अब बहार निकाल लिया तो रुखसार इस दर्द भरे अनुभव से दुबारा नहीं गुजरना चाहेगी और फिर कभी नहीं चुदवायेगी।
"रुखसार, बेबी, मेरी जान" मैंने उसके अंदर अपने लंड को जमा कर उसे हाथ पकड़ कर कहा, "तुम्हें पता था कि यह दर्दनाक होगा। हम लगभग वहाँ हैं, बेबी। मेरा विश्वास करो। मैं जितना हो सकता है उतना आराम से कर रहा हूँ। क्या आप मुझ पर भरोसा करती हो?"
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रुखसार बोली आप मेरे सरताज हो मेरे दूल्हे! और वह शांत हो गई, मुझे दूर धकेलना बंद कर दिया, मेरी ओर देखा, मुस्कुराई और कहा, "ठीक है, दूल्हे भाई! मुझे आप पर पूरा भरोसा है," उसने जवाब दिया।
मैंने महसूस किया की उसकी झिल्ली मजबूत है और थोड़ा ज्यादा जोर लगाना होगा और फिर मैंने लंड पीछे किया और चौथे तेज धक्के के साथ ही मुझे एक छोटा "पॉप" महसूस हुआ जिससे मुझे लगा की रुखसार का हाइमन टूट गया है। जब उसकी "चेरी पॉप" हुई, तो मैंने राहत और आनंद की एक बड़ी सांस ली। लेकिन रुखसार की आँखें बंद हो गईं और उसका सिर पीछे की ओर झुक गया उसको दर्द हुआ लेकिन तरल रस उसकी चूत से निकला और मरे लंड को गर्म शहद से ढक दिया। फिर जैसे उसकी योनि से आनंद की लहर बह उठी, उसके पूरे शरीर को बहा ले गयी। उसके हाथ मेरे कूल्हों के चारों ओर गए और वह मुझे अपने अंदर खींचने लगी।
मैंने महसूस किया कि रुखसार के टूटे हुए हाइमन का खून मेरे लिंग पर फैल गया है। यह एक अद्भुत अनुभूति थी जिसे मैं कभी नहीं भूल सकता। मेरी प्यारी, सबसे सुंदर दुल्हन ने मुहे अभी-अभी अपना सबसे कीमती उपहार दिया था। और फिर साथ में रस उसकी चूत से मेरे लंड पर बरसा और मेरे लंड को अपने गर्म रस से भिगो दिया।
रुखसार को लगा कि इससे उसे बहुत दर्द हुआ, लेकिन अब यह केवल दबाव की भावना थी, और थोड़ा डंक दबाव ने उसे इतना विचलित कर दिया कि उसका इसके आनंद को महसूस करना मुश्किल था। जब वह दर्दनाक हिस्से को पार कर गयी, तो उसे लगा वह इसे कभी नहीं भूलेगी कि उसे अपने अंदर कैसा महसूस हुआ था। यह हमारे बीच एक ऐसा कनेक्शन था जिसके बारे में उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था। वह मुझे अपने ऊपर महसूस करना पसंद कर रही थी, वह मुझ पर अपनी गर्म सांसें छोड़ रही थी। पहली बार इसका अनुभव करना सबसे कीमती चीज थी और मेरे साथ ऐसा करना उसके लिए बहुत ख़ास था।
कुछ ही क्षण पहले दर्द के साथ, मैंने उसे अपने करीब खींच लिया, मैं अपनी मर्दानगी को रुखसार के मधुर, कुंवारी गीलेपन में और आगे धकेलने में सक्षम था। उसने अपने पैरों को चौड़ा किया और पूरा लंड अंदर डालने की अनुमति दी। उसकी चूत बिलकुल टाइट थी, रस से भरी थी फिर भी लंड बाहर खींचना आश्चर्यजनक रूप से कठिन था और फिर से वापस धकेलना भी मुश्किल था। लेकिन मैं धीरे-धीरे पीछे करने में कामयाब रहा और फिर खुद को उसके सबसे गहरी गहराई में धकेल दिया और पूरा का पूरा लंड अंदर पैबस्त कर दिया। फिर उसने कुइछ देर बाद अपने चूतड़ उठा कर इशारा किया और फिर प्रत्येक स्ट्रोक के साथ, मैंने महसूस किया कि लंड का सिर उसके गर्भाशय से टकरा रहा है को छू रहा है। वह पूरी तरह से भरी हुई थी हम दोनों "एक तन" होते जा रहे थे। प्रत्येक पीछे की ओर निकालने और फिर आगे धकेलने के साथ, मैं उस आनंद और तृप्ति को देख सकता था जो वह अनुभव कर रही थी।
मैंने धीमी और स्थिर शुरुआत की। जैसे ही रुखसार संवेदनाओं का आनंद लेने लगी, मैंने गति बढ़ा दी और जल्द ही हम दोनों अपने कूल्हे हिलाने लगे जिससे दीवार के खिलाफ बिस्तर को हिला रहे थे। फिर मुझे एक संभोग सुख का अनुभव हुआ जिसने मुझे पिचकारियाँ मारने पर मजबूर कर दिया और मैंने अपना बीज उसकी योनि में भर दिया और उसने साथ में झड़ते हुए मेरी हर बूंद को स्वीकार कर लिया।
रुखसार मेरी मर्दानगी में खो गई थी। मेरा लंड उसके अंदर पूरा कठोर था, इतना मर्दाना और इतना बड़ा था। जैसे ही मैंने अपनी मर्दानगी को लंबे, कामुक, प्यार भरे स्ट्रोक में उसके अंदर और बाहर गिराया, वह कांप गई और हांफने लगी। फिर मैंने चुदाई की गति को धीमा कर दिया, अपने नए बंधन में आनंद लेते हुए, उसे गहराई से और जोश से चूमा। वे। हालाँकि मुझे अभी-अभी एक अविश्वसनीय सुख मिला था, लेकिन मेरा लंड कठोर बना रहा और जारी रखने में सक्षम था। हमारे पास एक-दूसरे के लिए प्यार के अलावा कुछ नहीं था। हमे कोई चिंता नहीं थी, कोई परवाह नहीं थी, मजे के लिए नग्न शरीर के अलावा कुछ भी नहीं था। हमने लंबे समय तक प्यार किया। वह सबसे खूबसूरत कुंवारी दुल्हन थी जिसे कोई पुरुष चाहता है
रुखसार ने मेरा हर चुंबन में साथ दिया मेरी जीभ और ओंठो को चूसा, अपने पैरों को जितना संभव हो उतना फैलाया और मुझे अपने ऊपर खींचकर लंड को गहरे ले जाने की कोशिश कर रही थी। उ हरेक ढ़ाके के साथ मेरी बड़ी गेंदे जोर के साथ उसके भगशेफ के खिलाफ टकरा रही थी। हम दोनों शुद्ध कामोत्तेजक मजे लूट रहे थे और कराह रहे थे। मैंने उससे पुछा उसे कैसा लगा वह बोली उसे बहुत अच्छा लगा। रुखसार बहुत खुश थी कि वह अब कुंवारी नहीं रही। उसने अपना सिर मेरी छाती पर रख दिया
रुखसार के सपनों का नवाब उसके अंदर था, उसे वह खुशी दे रहा था जिसकी उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी। मैंने उसके साटन दबाबाये तो महसूस किया कि रुखसार की चूत की मांसपेशियों मेरे लंड पर को कस गयी है गया है और फिर उसके सह के गर्म प्रवाह को महसूस किया क्योंकि उसकी कुंवारी छूट जो अब कुंवारी नहीं रही थी वह मेरे लंड से भर गई थी।
रुखसार रोमांच में थी। वह काँप रही थी और अपने अंदर मेरे सख्त लिंग के स्पंदन से काँप रही थी। क्योंकि मैं बहुत दिनों बाद चुदाई कर रहा था इसलिए बहुत उत्तेजित था और मैं अपने संभोग के बाद नहीं रुका। मैं उसकी अतृप्त चूत से अंदर और बाहर फिसलता रहा। वह महसूस कर सकती थी कि हमारा मिला जुला रस बाहर निकल रहा है और उसके नितंब की दरार से नीचे बह रहा है।
मैं रुखसार पर गिर पड़ा, हांफने और कांपने लगा। मुझे पसीना आ रहा था और रुखसार पर टपक रहा था, मेरे धड़कता हुआ लिंग कठोर था और हमारा मीठा मिला जुला रस उसके अंदर था।
कई मिनट रुखसार की सांसों को पकड़ने, चूमने और टटोलने के बाद, मैं उससे लिपट गया। उसने मेरे पूरे शरीर को रगड़ा और मैंने उसके स्तनों को सहलाया।
मैंने रुखसार की कोमल कराहती आवाज़ों के बीच और उसके नितंबों को रगड़ा वह मेरे ऊपर चढ़ गई और मेरा लंड अपनी छूट के प्रवेश द्वार पर रख दिया और मेरे कठोर लिंग को अपने अंदर खिसका लिया और अपने पूरे लम्बाई को निगलने के लिए खुद को नीचे कर लिया। फिर से हमने प्यार किया। उसे मुझ पर बैठकर अच्छा लगा। मैंने उसके कूल्हों को पकड़कर उसे जोर से नीचे खींच दिया, उसकी चूत के ओंठो ने मेरी अंडो को रगड़ा और अपने संपूर्ण स्तनों तक पहुँच प्रदान करने के लिए मेरे लंड पर बैठ गई। वह मेरे कठोर लंड पर धीरे-धीरे, ऊपर और नीचे, आगे और पीछे घुमाती थी, अपनी चूत को उत्तेजित करने के लिए मेरे लंड और गेंदों पर पीस रही थी।
मैं अपने मुंह से निकली कराहो को निकलने हीं रोक सका क्योंकि रुखसार की तंग चूत ने मेरे लंड को अपने अंदर मजबूती से जकड़ रखा था। ऐसा लगा जैसे मेरा लंड रेशम के अंदर कैद था और मेरा लंड उसकी मांसपेशियों में दबाब महसूस कर रहा था। अपनी आँखें बंद करके उसने एक नरम कराह भरी और वह मेरे अंडो पर टिक गयी वह पूरी तरह से भरी हुई थी। मैं स्वर्ग में था! जैसे ही उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं, उसने मेरे हाथों को नीचे से ऊपर उठाया और अपने स्तनों पर रख दिया। वे दृढ़ थे और छोटे निप्पल मेरे हाथों की हथेलियों में छोटे स्पाइक्स की तरह थे। मैंने धीरे से दबाया और फिर निचोड़ा और अपने जीवन का आश्चर्य प्राप्त किया। जैसे ही मैं उसके स्तनों को निचोड़ता, रुखसार की चूत की आंतरिक मांसपेशियों सुकड़ने लगी उसकी चूत संकुचन करने लगी और उसकी मांपेशिया मेरे लंड को निचोड़ कर मेरे लंड पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेती थी और मेरी चीखे निकल गयी । वह आगे झुकी और मुझे किश करने लगी मुझे बिलकुल वैसा लगा जैसे तीखा खाने के बाद लगता है । लेकिन मैं उसके स्तन पकड़े हुए चीख रहा था ।मैं इतना जोर से और देर तक चीखता रहा जितना मेरी चारो बेगमे भी अपनी सील टूटने पर नहीं चीखी थी ।
लेकिन यह सबसे शानदार अनुभब था और रुखसार को संकुचन के दौरान एक इंच भी हिलना नहीं पड़ा। वह फिर सीधी हुई और जब मैंने फिर से उसे स्तनों को दबाया और फिर हरेक बार स्तनों को दबाने के साथ, रुखसार की चुत मेरे लंड को निचोड़ती और छोड़ती, मेरे बदन में शानदार आनंद की लहरें भेजती। मैं लगातार चिल्ला रहा था आह ओह्ह उफ़ हाय मर गया लेकिन रुखसार आगे झुक गई और अपने मीठे होंठों से मेरे मुंह को ढँकते हुए मुझे गहरा चूमा। मैंने अपने हाथों को उसके स्तनों को दबा लिया और उसने मुझे दबाया और मेरी पीठ के चारों ओर अपने हाथो को फेंक दिया और कसकर मुझे गले लगा लिया, हमने जोश से चूमा। रुखसार की चूत ने प्रतिक्रिया में मेरे लंड को एक उग्र गति से निचोड़ना और छोड़ना शुरू कर। ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड दूध निकालने वाली मशीन में है। यह शानदार था! उसकी मांसपेशियाँ नीचे से ऊपर तक सिकुड़ रही थी, जो एक लहरदार प्रभाव की तरह लगता है। संवेदनाएँ मेरे लिए बहुत अधिक थीं और मेरे लंड में ऐंठन होने लगी, मेरे सालो से सहेजे गए रस को उसने निचोड़ लिया और फिर शूटिंग हुई। पहली नाड़ी के साथ, रुखसार ने मेरे लंड को अपनी मांसपेशियों के साथ दबा दिया और अपने क्रॉच को नीचे तक ले गयी, मेरे जांघों के किनारों के नीचे अपने पैरों को झुकाकर मेरे लंड को उसने अपनी चुत में बंद कर लिया। वह फिर बस अपनी जगह पर जम गई और उसने वह सब स्वीकार कर लिया जो मुझे उसे देना था, और मैंने जोर से कराहते हुए अपने अंडकोष खाली कर दिए।
जैसे ही मेरे लंड में धड़कन कम होने लगी, रुखसार की चुत ने मेरे लंड को एक बार फिर से निचोड़ना और छोड़ना शुरू कर दिया, जिससे मेरे कामोन्माद की संवेदनाएँ लंबी हो गईं। कई मिनटों के बाद मेरा लंड अपनी कठोरता खोने लगा। एक और अत्यंत कठिन निचोड़ के साथ रुखसार अपने आप को मेरे लंड से उठ गयी और मेरी बगल में लेट गई।
"बहुत खूब , रुखसार !" मैंने अपने बगल में बैठी अपनी प्यारी बेगम को देखते चूमते हुए कहा, "यह अविश्वसनीय था!"
"धन्यवाद," रुखसार ने चूमते हुए जवाब दिया, "अब आप आराम करें।"
रुखसार मेरे ऊपर लेट गई और मैंने उसे अपनी बाहों में पकड़ लिया। वह बहुत खुश थी कि वह अब कुंवारी नहीं रही और उसे एक मजबूत लंड मिला था चुदाई करने के लिए और मैं भी बहुत खुश था की मुझे ऐसे शानदार चुत चोदने को मिली थी जो संकुचन करती थी। उसने अपना सिर उसकी छाती पर रख दिया और वे फिर हम दोनों गहरी नींद में सो गए। जब हम भोर में उठे, तो हमने एक बार फिर प्यार किया और फिर से चुदाई की। सफेद चादर पर खून लगा था। हम फिर तड़के तक चुदाई करते रहे और सो गए।
तीखा बहुत गरम होता हैं, ये शरीर के ताप को बढ़ा देता हैं, और इसका अलग ही मजा है और रुखसार की चूत के तीखे चूत संकुचन के साथ मुझे बहुत मजा आया ।
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 33
लंड चुसाई
सुबह उठे तो मैंने रुखसार को चूमा और पुछा " आपको यह पसंद आया रुखसार। ?
रुखसार बोली ओह मुझे यह बहुत अच्छा लगा उसने जवाब दिया और मैं यह मानने के लिए तैयार था कि उसकी बहनों की ही तरह उसे चुदाई का मजा आया था। । और आप?
सच रुखसार मुझे सबसे ज्यादा मजा तुम्हारे ही साथ आया मैं उसे चूमते हुए बोला
" अरे, दूल्हे भाई आप इतना क्यों चिल्ला रहे थे । रखसार बोली?
मैंने कहा तुम मेरे लंड तो निचोड़ रही थी तुम्हारी छूट मेरे लंड को चूस रही थी और तुम मुझे धोये जा रही थी। पर सच मजा आ गया मेरी जान और इसे याद करके कमबख्त भी चट्टान की तरह सख्त हो गया है! मेरा लंड बिकुल कठोर हो गया था ।
मम्म, ज़ीनत आपा सही कह रही थी-आपका बहुत बड़ा है! मुझे लगा आपका लंड मेरे गले तक आ गया था! और जल्द ही मैं उसे वहाँ महसूस करने वाली हूँ"रुखसार ने वादा किया और हमारे शरीर के बीच पहुँचकर उसके हाथ मेरे बड़ी गेंदों को सहलाने लगे।" और इस बार ये दूसरी दिशा में पहली बार अंदर जायेगा! "
रुखसार ने इशारा किया की उसे लंड को मुँह में लेने का भी कोई अनुभव नहीं था। मेरे अनुभव से मुझे अंदाजा था को कि महिलाओं को पहले चुदाई के बाद कम से कम एक साल तक उनके मुंह में लंड लेना पसंद नहीं होता है या यह कि उनकी पहली चुदाई के बाद लंड उनमे चूसने की इच्छा पैदा करने में आम तौर पर और भी अधिक समय लगता है। हाँ जो लड़किये चुदने से पहले लंड चूसने लगती हैं वह लंड चूसने के लिए हमेशा त्यार रहती हैं। लेकिन रुक्सार इतनी जल्दी लंड चूसने की बात कर रही थी जिसे सुन कर मुझे काफी हैरानी हुई।
हालाँकि, युवा रुखसार ने न तो कभी चुदाई करवाई थी न ही लंड चूसा था फिर भी वह मेरे रस के हर निशान को साफ करने के लिए मेरे लंड को चाटने पर पूरी तरह से आमादा थी। मैं एक पल के लिए उसके दृढ़ स्तनों को पुचकारने लगा और मेरा लंड रुखसार की गर्म योनी के अंदर था। मेरी हथेलियों और रुखसार के निपल्स के बीच के संपर्क ने स्वाभाविक रूप से लड़की की चूत को पहले से कहीं ज्यादा गर्म कर दिया और वह मुझे उतनी ही शिद्द्त से चाहती थी, जितनी उसने अपने पूरे जीवन में कभी चाहा था। रुखसार ने अपनी टांगो अपनी जाँघों को पूरी लंबाई में फैला दिया और मैंने उसके लंड को उसकी योनी से बाहर निकालना शुरू कर दिया, जैसे ही मैंने ऐसा किया, मैं सीधे घुटने टेक कर की बैठने की स्थिति में आ गया। रुखसार में मेरी बगल में घुटने टिका दिए और देखने के लिए नीचे झुकी और जैसे ही मेरा लंड अपनी बेगम की चूत से बाहर निकला वह आगे झुकी और लंड को मुँह से चूमने के लिए ओंठो को खोल कर देखने लगी लंड ऊपर उठा हुआ था जिससे वह अपना मुँह लंड के गीले, और हमारे रस में सने सिर पर नीचे सरका सकती थी।
रुखसार को लमेरे लंड पर कामुक आनंद के लक्षण दिखाई दे रहे थे; लंड के सिर से नीचे टपक रहे रस की धार और गाड़ी क्रीम की मोटी बूँदो से लंड के चमड़ी चमक रही थी। वह उपकरण से केवल इंच की दूरी पर अपने होठों के साथ एक पल के लिए झिझक गई। कामुकता की गंध तेज थी-उसकी अपने रस की बूंदों के साथ, कच्ची, अनर्गल वासना की एक प्रबल सुगंध आ रही थी-और उसने महसूस किया कि उस पर एक बार फिर चुदाई का नशा छा रहा था। उसने मुँह आगे कर उन टपकती हुई बूंदी को अपने ओंठो पर लिया और जीभ से उन्हें ओंठो से चाटा और मैं रुखसार की चूत पर हाथ फेरने के लिए नीचे गया और उसे सहलाने लगा। मेरा रसा जो उसकी अंधेरे, युवा भट्ठा के होंठ पर लगा हुआ था और मेरी उंगलियों से चिपक गया। मैंने उस गर्म, चिपचिपी क्रीम को बाहरी सतहों पर फैलाया और
-और अपनी एक उंगली की नोक को उसकी योनी में खिसका दिया और अतिरिक्त दबाव पर रुखसार ने धीरे से आह भरी-
मैंने निश्चित रूप से उसकी चूत की सभी कोमल संवेदनशीलता को भड़का दिया था। रुखसार अब और इंतजार नहीं कर सकती थी। कामुक वासनाओं से भर कर उसने मेरे लंड को देख और गंध से उत्तेजित होकर, उसने अपना ओढ़ से मेरे लंड के सर को चुमाऔर मुँह खोल कर मोटे लंड के सिर के ऊपर से नीचे गिरा दिया और तुरंत अपने शरीर में जानवरों की कामुकता का एक शक्तिशाली झटका महसूस किया। कर्कश खुशी ने मुझे चीर दिया, जैसे कि बिजली की एक बोल्ट ने उसे मारा हो और उसकी जीभ ने एक ही बार में अपने आप को चौड़े सिरे के चारों ओर लपेटा और सिर को शाफ्ट से अलग करने वाले खांचे में गहरी खुदाई की। उसने अपना मुंह को जितना हो सके तब तक मेरे लंड को नीचे की ओर धकेला, जब तक कि टिप उसके गले में नहीं चली गयी। हालाँकि उसी लंड चूसने का बिल्कुल भी अनुभव नहीं था, लेकिन उसके पास लंड के बड़े हिस्से को अपने गले में लेने की अद्भुत क्षमता थी।
रुखसार ने अपनी गर्म योनी का स्वाद, साथ में प्रचुर मात्रा में मेरे रस के मजबूत स्वाद के साथ, उसके होश उड़ गए। उसने उमेरे सूजे हुए लंड के चारों ओर अपना चेहरा घुमाया और जितना हो सके उतना जोर से चूसा। मैंने उसके सिर को पकड़ लिया और उसे स्थिर रखते हुए, उसके गर्म छोटे मुंह में लंड आगे पीछे करना शुरू किया और वह लंड को चूस रही थी, जैसे ही मैंने लंड आगे पीछे किया, मैं मजे से चिल्ला पड़ा । वह मुझे इस तरीके से अपना मुंह चोदते हुए महसूस कर रोमांचित हो गयी थी। अनुभवहीन होने के बावजूद, वह अंदाजा लगा सकती कि मैं इसका आनंद ले रहा था और वह वास्तव में मेरी अच्छी तरह से सेवा कर रही थी।
मैंने लंड को बार खींच लिया अब केवल लंड मुंड उसके मुँह में था जिस पर रुखसार जीभ घुमा रहा थाई और मैं अपनी उँगलियों को उसकी रसीली चूत के होठों में लगा उसे गौर से देखता रहा। बेशक, रुखसार जानती थी कि मेरा दिमाग बहुत कामोत्तेजक था और लड़की के साथ लंबे समय तक सेक्स करने में मेरी गहरी दिलचस्पी थी। मुझे विश्वास नहीं था कि रुखसार इतनी आसानी से लंड चूसने के लिए त्यार हो जायेगी।
इतनी उत्सुकता के साथ मेरे लंड की चूसने वाली मेरी इस बेगम का नजारा मेरे लिए बेहद रोमांचक साबित हुआ और अब मेरी उंगलियों के छेड़छाड़ के कारण रुखसार की कमर भी हिलने लगी थी जो इस बात का स्पष्ट संकेत था को वह अब चाहती है की मैं फिर से अपना लंड उसकी योनी में घुसा दू।
जब तक मैं कर सकता था मैं लंड चुसवाता रहा। रुखसार खुशी-खुशी मुझे एक बार फिर झड़ने की कगार पर ला रही थी क्योंकि वह यह महसूस कर काफी खुश थी कि उसका शौहर आज उसकी पहली छूट चुदाई के बाद अब पहली बार उसके मुंह में आने वाला है लेकिन मैं अब दूसरे तरीके से झड़ना चाहता था।
"लेट जाओ रुखसार पीठ के बल लेट जाओ!" मैं उस पर झुक गया। "अपने पैरों को फैलाओ और मेरे लंड को तुम्हारी उस गर्म छोटी योनी में जाने दो!" मुझे इसमें कोई संदेह नहीं था मैं उस युवा योनी के अंदर लंड घुसा कर उसकी सील तोड़ने वाला उसका शौहर था। । रुखसार खुद ऐसा होने के लिए काफी तैयार थी और वह तेजी से लेट गयी और अपने पैरों को अलग कर लिया, ऐसा करते हुए अपने घुटनों को ऊंचा कर दिया। मैंने उस युवा योनी की ओर देखा जो उसने मुझे कल रात भेंट की थी; इसके कोमल रूप ने मुझे गर्म कर दिया।
जिस तरह से रुखसार ने मेरा लंड चूसा था, उसने उससे मुझे अपने लंड को उसके गर्म छोटे छेद में घुसाने का अतिरिक्त कारण दिया था मैं अब महसूस करना चाहता था कि उसके मुँह से लंड चुसवाने के बाद जब उसकी चूत संकुचन करते हुए मेरे लंड को चूसेगी तो कितना ज्यादा मजा आएगा। मैंने लंड से उसकी भगनासा की छुआ और वह कारह उठी और अब मैंने उसकी चूत के छोटे से छेद को मेरे लंड से फैलाने का इरादा किया।
रुखसार ने जोर से कराह उठी जा उसे लगा कि मेरा लंड उसकी चूत के होठों से टकरा रहा है। सेक्स की शक्ति का एक बढ़ता हुआ झोंका उसमे आया और उसकी कमर से स्पंदित हुआ और उसने अनजाने में अपने घुटनों को मेरे धड़ के चारों ओर ले आई। मैंने मेरे लंड के सिर को एक पल के लिए उसके भट्ठे के ऊपर और नीचे किया, उसे समृद्ध, गीले तेलों और लंड पर लगी उसके लार में नहलाया, लार उसकी योनी में बह गयी और धीरे-धीरे उसे उस तनी हुई छोटी दरार के बीच में अपने लंड को लाया।
रुखसार जानती थी कि एक बार फिर मैं उसकी योनी को चौड़ी करूँगा । वह लंड को अपनी योनी के अंदर और अधिक उत्साह के साथ चाहती थी, और इस इच्छा से उसने अपनी एड़ी को मेरी गांड के नितम्बो पर एक साथ बंद कर दिया। मैंने उसके दुबले-पतले, सुडौल शरीर को प्यार किया और वह मुझे देखकर मुस्कुराई, मुझे उसकी मुस्कान में चुदने के इच्छा साफ नजर आयी। जब वह नहीं हिली, तो मैंने अपने कूल्हों को एकहल्का-सा झटका दिया, जिससे उसकी योनी का मुंह मेरे लंड के सिर के चारों ओर कस गया।
इस रगड़ और डबास ने उसकी चूत के बीच से सेक्स और चुदाई की इच्छा का एक और चौंकाने वाला झटका भेजा और उसके होठों पर आश्चर्यजनक खुशी भाई कराह निकली। "अहह! यह करो! अभी करो!" वह कराह रही थी, वह चिल्ला उठी ।मुझे चौदो! और उसने अपनी योनी को ऊपर उठा दी ताकि मुझे इसे चौदने में बेहतर कोण मिल सके। "ऊह, मुझे चोदो, मुझे जोर से चोदो! मैं तुम्हारा लंड हर तरह से महसूस करना चाहती हूँ ।" मैंने उसे-उसे वही करने की मिन्नतें करते हुए सुना जो मैं करना चाहता था। वह मेरा लंड लेने को बेकरार और त्यार थी
मैंने थोड़ा दबाव डाला। उसकी योनी पहले से ही उसकी लार से और साथ ही साथ उसकी तंग छोटी सुरंग के भीतर से निकलने वाले फिसलन वाले तेलों से भीगी हुई चूत ने अब लंड का स्वागत किया। लंड आसानी से थोड़ा अंदर फिसल गया। खिंचाव की अनुभूति से वह कराह उठी। उसने धीरे से अपनी आँखें खोलीं मैंने उसे चूमा और उसके होंठ चाटे। उसने गहरी साँस ली उसका सीना ऊपर उठा। फिर कई बार चूमने के बाद मैंने केवल कुछ सेकंड के लिए अपना कठोर लंड थोड़ा-सा पीछे किया तो उसने अपने एड़ी को मेरे नितम्बो पर दबा दिया और साथ में अपने कूल्हे ऊपर उठा दिए और मैंने भी ठीक उसे समय धक्का लगाया। उसकी चूत की मासपेशिया फैली और मेरे लंड पर कस गयी और लंड रगड़ कर आगे सरक गया।
जैसे-जैसे मेरा लंड और अंदर गया, रुखसार की उंगलियाँ मेरी पीठ पर चली गईं। वह मेरे लंड की कठोरता और अपनी चूत के नादर हो रहे खिचाव को अपने अंदर महसूस कर रही थी और उसने अपने कूल्हों को ऊपर उठा लिया। मैं थोड़ा झुका और उसके निप्पल को अपने दांतों से पकड़ लिया। ओह्ह! वह कराह उठी।
रुखसार की आँखें बंद हो गईं और उसका सिर पीछे की ओर झुक गया पहली बार की ही तरह उसकी योनि से आनंद की लहर उसके पूरे शरीर को बहा ले गयी। उसके हाथ मेरे कूल्हों के चारों ओर गए और वह मुझे अपने अंदर खींचने लगी। वह मुझे अपने ऊपर और अंदर महसूस कर रही थी, वह मुझ पर अपनी गर्म सांसें छोड़ रही थी।
उसकी चूत बिलकुल टाइट थी, फिर मैंने धीरे-धीरे लंड को पीछे किया और एक तेज और फिर खुद को उसके सबसे गहरी गहराई में धकेल दिया और पूरा का पूरा लंड अंदर पैबस्त कर दिया। वह पूरी तरह से मेरे लंड से भर गई। मेरा पूरा लंड पूरा नादर जाते ही मजे से वह कराह उठी । मैंने बेरहमी से उसके मांस में अपना लंड एक दो बार आगे पीछे किया। प्रत्येक स्ट्रोक के साथ, मैंने महसूस किया कि लंड का सिर उसके गर्भाशय से टकरा रहा था। । फिर मैंने धीमी चुदाई की गतिशुरू की और साथ में उसे-उसे गहराई से और जोश से चूमा।
कई मिनट रुखसार को चूमने और सहलाने और टटोलने के बाद वह मेरे से लिपट गयी। उसने मेरे पूरे शरीर को रगड़ा और मैंने उसके स्तनों को सहलाया। मैंने उसके स्तन दबाये तो महसूस किया कि रुखसार की चूत की मांसपेशियों मेरे लंड पर को कस गयी ।
खसार की तंग चूत ने मेरे लंड को अपने अंदर मजबूती से जकड़ रखा था। ऐसा लगा जैसे मेरा लंड रेशम के अंदर कैद था और मेरा लंड उसकी मांसपेशियों का दबाब महसूस कर रहा था। मैं स्वर्ग में था! मैंने अपने हाथ उसके स्तनों पर रख उन्हें धीरे से दबाया तो चूत के मांपेशिया कसने लगी और फिर निचोड़ा और। जैसे ही मैं उसके स्तनों को निचोड़ता उसकी मांसपेशिया तेजी से कस कर लंड को निचोड़ने लगी रुखसार की चूत की आंतरिक मांसपेशियों सुकड़ने लगी उसकी चूत संकुचन करने लगी और उसकी मांपेशिया मेरे लंड को निचोड़ कर मेरे लंड पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेती थी। वह आगे झुकी और मुझे किश करने लगी अब लगा चूत भी लंड को चूसने लगी थी।
अब मुझे मसोस हुआ जब मेरा लंड उसके मुँह में था तो लंड चूसा जा रहा था अब चूत लंड को चूस भी रही थी और उसका मुँह मेरे मुँह पर था और मैं उसके मुँह जीभ और ओंठो को चूस रहा था और
साथ में उसके स्तन दबा और निचोड़ रहा था-था तो उसके कसी हुई चूत मेरे लंड को दबा और निचोड़ रही थी । मैं धीरे-धीरे लंड आगे पीछे करता रहा और फिर स्पीड बढ़ती गयी ।
कितना मजा आ रहा था की इस मजे के आगे सब मजे बेकार है । मैंने उसके मीठे होंठों को मेरे मुंह को ढँकते हुए चूमा। मैंने अपने हाथों को उसके स्तनों को दबा लिया और उसने मुझे दबाया और मेरी पीठ के चारों ओर अपने हाथो को फेंक दिया और कसकर मुझे गले लगा लिया, हमने जोश से चूमना जारी रखा और मैं लंड आगे पीछे करता रहा। रुखसार की चूत ने प्रतिक्रिया में मेरे लंड को मेरे स्तन दबाने के गति से निचोड़ना और छोड़ना शुरू कर दिया। जल्द ही वह कांपने लगी और उसका बदन ऐंठने लगा और मेरे लंड में भी ऐंठन होने लगी, और फिर मेरा भी बदन काम्पा और मैंने पिचकारियाँ मार दी साथ ही में वह भी झड़ी । मैंने जोर से कराहते हुए अपने अंडकोष खाली कर दिए और उसके बाद भी लंड अंदर बाहर करना जारी रखा और कराहते हुए हांफते हुए उस पर लेट गया।
कहानी जारी रहेगी
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 34
बुलंद चीखे
मैं अपने लंड को बड़ा नहीं मानता था, लेकिन वह एक सामान्य पुरुष की तुलना में अतिरिक्त बड़ा था, मेरा लंड पूरी तरह से सीधा होने पर 11 इंच बड़ा हो जाता था लेकिन सोने की स्थिति में, यह 7 इंच से कम नहीं होता था जो की साधारण पुरुष के खड़े लंड से भी लम्बा रहता था। लेकिन चुदाई के बाद जैसे रुखसार ने मुझे निचोड़ दिया था और मेरा लंड बैठ गया और वह थोड़ा हिली और लंड बाहर निकल आया पर लंड जिसे रुखसार की चूत ने निचोड़ा था अभी भी मोटा लग रहा था क्योंकि घमासान चुदाई के कारण थोड़ा सूज गया था।
तभी वहाँ पर हमारी कराहे सुन कर मेरी अन्य तीनि बेगमे ज़ीनत, जूनि और अर्शी और मेरी तीनो बहने रुखसाना, सलमा और फातिमा भी कमरे में दरवाजा खोल कर आ गयी। उन्होंने देखा की चादर गीली और लाल थी और फिर पहले जीनत ने रुखसार को गले लगा कर कामयाब सुहागरात की बधाई दी, रखसाना, सलमा और फातिमा की आँखे मेरे लंड पैट टिकी हुई थी और मेरे सोते हुए लंड का आकार देखकर उनकी आंखें नम हो गईं। हाय अम्मी! इस हालत में भी लंड का आकार इतना बड़ा है, खड़ा होने बाद क्या होगा! यह एक विशाल, एक राक्षस होगा और एक पूर्ण विकसित महिला की योनी को आसानी से नुकसान पहुँचा सकता है। यहाँ तक कि उनके शौहर रिजवान के पास भी बड़े आकार का लंड था लेकिन मेरा लंड उससे भी बड़ा था। ये सोचते ही रखसाना के पूरे शरीर में एक कंपकंपी दौड़ गई।
मेरी आपा रुखसाना ने मुझे बधाई दी और फिर सब में हम दोनों को मुबारकबाद दी । रुखसाना आपा मेरे सबसे करीब थी और दोस्त जैसे मुझसे सब बात कर लेती थी उसने पुछा सलमान भाई इसमें कोई हैरानी की बात नहीं की सुहागरात में लड़किया चुदाई होने पर आम तौर पर चिल्लाती है। उसी तरह से कल रात में जब रुखसार चिल्ला रही थी तो हमे कोई हैरानी नहीं हुई क्योंकि जब तुम ज़ीनत और अर्शी की सील फाड़ रहे थे तो हमने उनके भी बुलंद चीखे सुनी हैं लेकिन बाद में हमने तुम्हारी भी बुलंद चीखे सुनी। क्यों री रुखसार तुमने भी काट तो नहीं लिया। तुम्हे है आदत सबको काट खाने की।
इस पर ज़ीनत आपा मेरी सबसे बड़ी बेगम बोली बाज़ी आप ठीक कह रही हो जब उसकी चूत इन्होने फाड़ी थी तो मैंने कमसिन और अल्हड़ जूनि की बुरी हालत देखि है तो वह मेरे से भी तेज चिल्ला रही थी लेकिन कल रात तो हमने इनकी भी चिलाने के आवाजे सुनी।
क्यों री रुक्सार! क्या किया तुमने हमारे मिया के साथ? और ज़ीनत आपा ने मेरा लंड पकड़ लिया और घुमाया और उसका मुयायना करने लगी । वह लंड के बड़े लाल मोठे और मांसल सर जो एक जो बेड लैंप के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले छोटे बिजली के बल्ब के जैसा लग रहा था उसे देखकर हैरान रह गई. उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। उसने बोलै देखे बाजी ये कैसे सूज गया है और लाल हो गया है इस शैतान रुखसार! ने जरूर इसे काट लिया है तभी दूल्हे भाई भी चिल्ला पड़े थे।
मैंने कहा नहीं आपा इसने कुछ नहीं किया है वह मेरी दर्द भरी चीखे नहीं तेज मजे की कराहे थी। आप बिलकुल बेफिक्र रहो मैं बिलकुल ठीक हूँ और मैंने फिर अपनी बेगमो अर्शी और जूनि को चूमा और बोला आपा सच बोलूं तो रात जैसा मजा पहले कभी नहीं आया और फिर सबके सामने रुखसार को एक लम्बी लिप किश की और चारो बीबियो को गले लगा कर बोला मैंने चारो बिबिया बहुत शानदार, खूबसूरत और मुहब्बत से भरी हुई हैं और जीनत को चूमा।
रुखसार तो नंगी थी ही और उसके इलावा सब लड़कियों ने पारदर्शी और पतली डोरी वाली नाइटी पहनी हुई थी जो कल्पना के लिए कुछ भी नहीं छोड़ती और किसी ने भी ब्रा नहीं पहनी हुई थी जिससे उनके स्तन पूरी तरह से उपस्थिति दर्ज कर रहे थे और साथ में मैं उनके नितम्ब के गाल भी आसानी से देख सकता था।
शर्म थी नहीं क्योंकि मुझे मालूम था सबने छुप कर रात में चुदाई का पूरा नजारा देखा है और मेरे से मजे ले रही हैं । रुखसार वैसे ही सबसे बहुत नटखट, तीखी तेज और फ्रैंक थी । अब सामने इतना सारा दूध हो तो बिल्ला कैसे सो सकता है और यही हुआ अपनी बेगमे के शानदार अर्ध नग्न बूब्स और हुस्न को देख मेरा लंड आधा खड़ा हो गया था और थोड़ा बड़ा होने लगा था जिसे देख मेरी तीनो बहनें शर्मिंदगी महसूस कर रही थीं और मुझे इसे नीचे रखने में समस्या हो रही थी।
सभी लड़किया चुपचाप मुस्कुराईं और उन सभी की आँखे मेरे लंड पर टिक गयी और ये जान कर की लंड पर नजरे जमी हुई है मैंने अपने बदन में एक कंपकंपी महसूस की और लड़किया शायद पहली बार लंड को उठते हुए देख रही थी और हैरान लग रही थी।
"ओह! जीनत आपा भाई का आपके भाई से बहुत बड़ा है," सबने रुखसाना की बड़बड़ाहट सुनी मैं रुखसाना का सब कुछ देख सकता था। उसके निप्पल बड़े और सख्त थे, जो उसकी छाती पर तने हुए थे। मैं देख सकता था कि उसके स्तन जीनत आपा से थोड़े छोटे थे पर उससे भी मजबूत और गोल लग रहे थे, फिर भी बहुत दृढ मजबूत और बढ़िया लग रहे थे!
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 35
चारो बेगमो के साथ प्यार मोहब्बत
मेरी तीन बेगमो ज़ीनत अर्शी और जूनि ने पारदर्शी और पतली डोरी वाली नाइटी पहनी हुई थी जो कल्पना के लिए कुछ भी नहीं छोड़ती और जिससे उनके स्तन पूरी तरह से उपस्थिति दर्ज कर रहे थे।
मैंने जीनत को अपनी बाहों में ले लिया और उसे अपने पास खेंच कर कस कर आगोश में लिया और उसकी पतली डोरी वाली नाइटी निकाल दी जिससे उसके नंगे स्तन मेरी छाती से छुए और दब गए और मैंने उसके होंठ पर तब तक चुंबन किये जब तक वह सांस के लिए हाफने नहीं लगी, अब रुखसार की तीखी चुदाई के तीखे स्वाद को चखने के बाद ज़ीनत की मीठी साँसे बहुत सकूंन दे रही थी । और उसकी मीठी साँसों की खुशबू को में तब तक चूसता रहा, जब तक कि वह उत्तेजित हो कर कांपने नहीं लगी। फिर जब मैंने अपनी पकड़ को ढीला किया तो वह शर्माती हुई जूनि की बगल में चली गयी।
रुखसार बिस्तर के एक तरफ थक कर लेटी हुई हमारी प्यार मुहबबत देख रही थी।
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जूनी ने पूरी तरह से नाइटी की डोरियों के अवरोधों से मुक्त होकर और मेरे करीब चली गई, मैंने उसकी नाइटी को हटाकर उसे दूर कर दिया। मैंने, ज़ीनत अर्शी और रुखसार ने उसके नग्न और कमसिन बदन को निहारा और उसकी प्रशंसा करने के लिए देखते रहे । लेकिन जूनी ने जारी रखा, उसने अपने आस-पास हम लोगों की तरफ देखा और अपने स्तन सहलाते हुए अपनी बाजू ऐसे नीचे की और ले गयी जैसे कि एक स्ट्रिप शो में प्रदर्शन कर रही हो। अपने हाथों को अपनी कमर पर लाते हुए, उसने धीरे-धीरे अपने हाथों को अपनी कमर से नीचे कर लिया और अपनी उंगलियों को अपनी पैंटी के अंदर खिसका दिया, क्योंकि वह अकेली थी जिसने पैंटी पहन रखी थी और फिर उसने धीरे-धीरे पेंटी को अपने घुटनों तक खिसका दिया फिर वह झुकी उसके स्तन मेरे सिर के इंच के भीतर थे। अपनी पैंटी को हटाने के लिए अपने पैरों को ऊपर उठाया और उसे भी नाइटी की ही दिशा में फेंक देिया।
मैंने जूनि के चेहरे को देखा और जैसे ही मैंने उसके शरीर को देखा, मेरा लंड फूल गया। हम एक-दूसरे को देखकर मुस्कुराए। वह बड़ी कोमल और कमसिन बदन वाली थी। जब मेरी निगाहें उसके कंधों, बाहों और स्तनों को घूर रही थीं, तो जूनी अविश्वसनीय रूप से सेक्सी महसूस करने लगी। जूनी आगे झुकी और मुझे पहले धीरे से होठों पर चूमा। फिर बिना किसी प्रतिरोध के, उसने मुझे फिर से खुले मुंह और जोर से चूमा जब तक कि मैं सांस के लिए हांफने नहीं लगा। जूनि का स्वाद थोड़ा खट्टा-खट्टा था।
जूनी ने अपने स्तनों को सहलाते हुए एक नरम हाथ को महसूस किया। जूनी ने अपनी आँखें खोलीं और देखा कि अर्शी का हाथ उसे प्यार से सहला रहा था। यह पहली बार था जब जूनी ने अपने स्तनों पर अर्शी के हाथ का कोमल तो जूनी ने अर्शी को मुस्कान के साथ देखा। मैंने उसके एक स्तन को एक हाथ से सहलाया और फिर निचोड़ा और दूसरे हाथ से उसके नितंबों को निचोड़ा, जूनी अब मुझ पर वापस मुस्कुराई, ज़ीनत और रुखसार, प्रशंसा के साथ जूनी के शरीर को देख रहे थे। मैं उसे चूमने के लिए झुक गया। हम नीचे और नीचे तब तक डूबे जब तक हम एक दूसरे के सामने घुटने नहीं टेके।
हमारे हाथ एक-दूसरे के शरीर पर लगभग भूखे-प्यासे घूमते रहे। मेरे हाथ ने उसकी चूत को स्पर्श किया। जैसे ही मैं आगे हुआ, वह कराह उठी, उसकी योनी मेरी उंगलियों को महसूस करने के लिए तड़प रही थी। मैंने अपना मुँह नीचे किया, मेरी जीभ उसके प्रत्येक निप्पल पर चक्कर लगा रही थी फिर मेरा हाथ उसकी जांघों के बीच फिसल गया था और मेरी एक उंगली उसकी गर्म टपकती सिलवटों के बीच में फिसल गई। मैंने ुक दो बार योनि को सहलाया ओर फिर जूनि पीछे हो गयी ।
अब मैंने अर्शी को अपने पास खींचा और मैंने धीरे-धीरे अर्शी की नाइटी की डोरियों को खींचा और खोलना शुरू किया। मेरे हाथों ने उसकी कोमल चिकनी त्वचा को सहलाया और मैंने उसकी पतली डोरी वाली नाइटी को धीरे-धीरे सरका कर इंच दर इंच उसके बदन को उजागर किया और साथ-साथ उजागर होने वाले अंगो को चूमता रहा। जल्द ही वह मेरे सामने पूरी नग्न बैठी थी। मैं थोड़ा पीछे झुक गया और उसके शरीर को देखने लगा। उसके स्तन गोल और रस से भरे हुए, निप्पल सख्त और धूल भरे गुलाब के रंग के थे, उसका पेट चिकना था, उसके कूल्हे गोल और भरे हुए थे, उसकी चूत बालरहित थी और उसकी मलाईदार जांघें कांप रही थीं। मैं उसके ऊपर झुक गया और मैंने उसे अपनी बाहों में ले लिया। ;
ज़ीनत ने अपने हाथों को अर्शी के कूल्हों पर रखा और उसके कान में फुसफुसायी की वह मुझे उसे महसूस करने और तलाशने की अनुमति दे। फिर उसने शर्म से झुक कर मुझे चूमा। अर्शी ने अपना मुँह थोड़ा खोला और उसने धीरे से अपनी जीभ मेरे गर्म, गीले मुँह के अंदर सरका दी। मैं धीरे से कराह रहा था क्योंकि मैं एक बार फिर उसका नमकीन स्वाद चख रहा था जीनत के मीठे स्वाद और अर्शी के मुँह के नमकीन स्वाद का संतर मुझे साफ़ महसूस हुआ। यह वास्तव में मुझे एक बार फिर यह एहसास हुआ कि मैं एक अकेला आदमी हूँ जिसने कभी उसका स्वाद चखा। वह कराह रही थी क्योंकि हमारी जीभ पहले धीरे-धीरे मिल रही थी, फिर और अधिक उत्साह से उसने खुद को मेरे में खो जाने दिया।
मैंने उसके गर्म कोमल शरीर को अपनी ओर खींच लिया, उसके स्तन मेरी छाती पर दब गए, उसके निप्पल सख्त थे, मेरी छाती में चुभ रहे थे। अर्शी ने चुंबन तोड़ दिया और वह थोड़ा पीछे हुई, हम दोनों के चेहरे थोड़े से लाल हो गए थे क्योंकि एक दूसरे के लिए हमारी इच्छा धीरे-धीरे मजबूत और मजबूत होती जा रही थी। उसने अपनी आँखों को मेरे शरीर पर घूमने दिया, वह मुस्कुराई क्योंकि उसकी आँखें मेरे बड़े लंड पर जो कि ज़ीनत के हाथों में था टिक गयी थी और जीनत आपा अभी भी मेरा लंड पकड़ कर उसे धीरे-धीरे उसे सहला रही थी । मैं कराह उठा क्योंकि अर्शी ने अपना हाथ नीचे किया और मेरा खड़ा लंड को सहलाते हुए मेरी गेंदों को पकड़ा और सहलाया।
जैसे ही मैंने उसकी आँखों में भूख देखी, मैं मुस्कुराया। मैंने उसे अपने पास खींच लिया, अपने कूल्हों को उसके खिलाफ दबाते हुए, मैंने अपने हाथों को उसके कूल्हों पर सरका दिया। हमारे कूल्हे आपस में दब रहे थे, धीरे-धीरे पीसते हुए मैं उसके कोमल जांघो के ट्रिम किये हुए बालो को अपनी जांघो के क्षेत्र में गुदगुदी करते हुए महसूस किया। मैं उसके ऊपर झुक गया और धीरे से उसकी गर्दन की नमकीन त्वचा को कुतर दिया। वह मेरे खिलाफ चिपकी हुई कांप उठी। अब वह एक भूखे जानवर की तरह थी। उसने अपनी बाहें मेरे चारों ओर सरका दीं, मुझे अपने पास खींच लिया, उसने मुझे जोर से और जोश से चूमा और मैंने भी उसे उसी जुनून से चूमा। मेरे हाथ उसके कूल्हों पर, उसके पेट के ऊपर, उसकी भुजाओं पर और फिर धीरे से उसके पूरे स्तन को सहलाते हुए, धीरे से उन्हें निचोड़ते और सहला रहे थे। अर्शी कराह रही थी क्योंकि मेरी उंगलियों ने उसके सख्त निपल्स को घुमाया और मजबूती से निचोड़ा। उसने मेरे कूल्हों को जोर से दबाया। अर्शी के हाथ मेरी गांड पर फिसल गए, उन्हें मजबूती से पकड़ लिया और निचोड़ते हुए और भी करीब से दबाने की कोशिश की।
अर्शी ने मुझे बिस्तर के किनारे पर बिठाया और मुझे आमने-सामने लेटा दिया। उसने अपनी नंगी चूत को उभार पर रगड़ा जबकि ज़ीनत मुझे किस करने लगी। ज़ीनत ने मेरा चेहरा दोनों हाथों से पकड़ लिया और मेरे होठों पर एक बड़ा-सा किस कर दिया। अर्शी ने अपनी बाहों को मेरी कमर के चारों ओर घुमाया और जब उसने अपने स्तनों को मेरी नंगी छाती से दबाया और अर्शी मेरी गोद में इधर-उधर हो गई। जूनी ने अपने स्तन मेरी पीठ पर दबाए। फिर ज़ीनत मेरी पीठ के पास चली गई और अर्शी ने मुझे किस किया।
एक-एक मिनट के बाद, अर्शी मुझसे दूर हो गई और जूनी ने उसकी जगह ले ली। ज़ीनत की तरह, अर्शी मुझे बगल से चूमती रही और जूनी ने उसके स्तनों को उसकी नंगी छाती से रगड़ा। ज़ीनत ने अपने स्तन मेरी पीठ पर दबाए लेकिन वह भी मेरे बट के पीछे पहुँच गई और मेरी गेंदों की मालिश की।
जब ज़ीनत की बारी आई, तो उसने मुझे पटक दिया ताकि वह अपने नंगे स्तनों को मेरे चेहरे पर दबा सके। उसने एक निप्पल को मेरे मुंह में धकेला और स्विच करने से पहले मुझे थोड़ी देर चूसने दिया और दूसरा मुझे दे दिया। मैंने अपना सिर आगे झुकाया और चूसना जारी रखा क्योंकि वह नीचे पहुँची और मेरे लंड को पकड़ लिया। उसने कुछ मिनटों के लिए मेरी गेंदों को खींचा और निचोड़ा और रगड़ा। अंत में, वह मेरी गोद में बैठ गई, मेरे कठोर लंड के सिर के खिलाफ अपनी चूत लगा दी। वह आगे-पीछे हिलती-डुलती, मुझे अपनी भगशेफ के खिलाफ रगड़ती हुई आगे झुकी और मुझे चूमा और मेरे कान में फुसफुसाया। मैंने अपने कूल्हों को उठाना शुरू कर दिया, उसके खिलाफ जोर देने की कोशिश कर रहा था, लेकिन मैं बहुत कुछ करने में सक्षम नहीं था क्योंकि वह मुझे वास्तव में उसे चोदने की अनुमति देने से ज्यादा सता रही थी।
जूनी ने मुझे होठों पर किस किया और अर्शी ने मेरी पीठ पर अपने स्तन दबाए.। कुछ देर बाद, ज़ीनत मेरी जांघों पर, लगभग मेरे घुटनों तक सरक गई। जूनी और अर्शी भी मेरे दोनों तरफ जमा हो गईं।
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ज़ीनत ने मेरे लंड को पकड़ा और उसकी जाँच की यह सबसे सुन्दर, सीधा और लम्बा और मोटा था।
ज़ीनत ने लंड कई बार स्ट्रोक किया। फिर अर्शी झुकी और लंड चूसने लगी। मेरी कराहो से महिलाएँ भी प्रभावित हुईं।
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 36
बेगमो के साथ प्यार मोहब्बत
मेरा लंड अर्शी के मुँह में था। अर्शी ने अपने नाजुक होंठों को मेरे टोपे पर लगाएl आह! मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था। अर्शी ने थोड़ी देर ही मेरा लंड चूसा था तभी जूनि ने भी अपना मुझ मेरी गेंदों पर लगा दिया और मेरी गेंदे चाट कर चूसने लगी ।
उधर अर्शी मस्ती से लंड चूसे जा रही थीl उसने तो कुछ ही दिनों में जैसे लंड चूसने में महारत हासिल कर ली थी वह मेरे लंड को मस्ती से चूस रही थी और मेरे लंड को अब तक किसी ने ऐसे नहीं चूसा थाl वह जीभ फिर-फिर कर मेरा लंड चूस रही थी और उसकी लंड चूसने की अदा और कला से मुझे बहुत मजा आ रहा थाl
उसने कभी लंड धीरे से चूसा और कभी तेज चूसा और अपने हाथों को मेरी भीतरी जांघों पर सरका दिया। इस बीच जूनि ने मेरी गेंदों को चूसते हुए उन्हें अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया। एक पल के अर्शी ने लिए मेरे लंड को अपने मुँह से बाहर निकलने दिया और मेरी गेंदे सहलाते हुए बड़बड़ाते हुए बोली, "मम्म...बड़ी गेंदें...बहुत भारी और बड़ी गेंदे इन्हे हमारे लिए मणि और रस से भरा हुआ?"
मैं केवल एक घुरघुरा और सिर हिला सकता था क्योंकि उन दोनों मेरी गेंदों को निचोड़ा और फिर अर्शी मेरी गेंदे चूसने लगी और जूनि अब मेरा लंड चूसने लगी।
जूनि ने कुछ देर बाद मुझे चूसना बंद कर दिया और मेरे लंड पर अपने हाथ ऊपर नीचे करने लगी । मैंने जूनि को अपने पैरों पर किया और अपने ऊपर खींच लिया। वह फिर से उठी और फुसफुसायी, "तुम बहुत मेहनत कर रहे हो! अब मैं तुम्हारी सवारी करना चाहती हूँ।"
उसने मुझे बिस्तर के खिलाफ पीछे धकेल दिया। मैं अपनी पीठ के बल लेट गया और वह मेरे ऊपर चढ़ गई, मेरे लंड के ऊपर बैठ गई और लंड को एक झटके में ही पूरा अंदर ले गई। उनकी चूत बिलकुल गीली थी और वह मुझे ऊपर चढ़ कर उछल-उछल कर चोद रही थी और बीच-बीच में मैं भी अपने चूतड़ ऊपर कर के धक्क्का लगा देता था और वह कराह उठती थी। उधर अर्शी मेरे गेंदे चूसे जा रही थी ।
फिर जूनि ऊपर नीचे उछलती रही और उसने मणि छोड़ी और फिर वह नीचे खिसकी, मेरे लंड को उसके रस ने चिकना कर दिया था। फिर वह मुझ पर से उतारी और मेरे ऊपर सीने के बल लेट गई।
"देखा मेरी चूत कितनी गीली है?" देखो, मैंने तुमसे कहा था कि मैं तुम्हारे लिए गर्म हूँ। "
मैंने अपनी बाँहों को उसके चारों ओर लपेट लिया और उसे चूम लिया।
तभी बिस्तर हिल गया और अचानक नग्न अर्शी उसकी पीठ पर मेरी बगल में लेट गयी और दूसरी तरफ जीनत लेटी हुई थी ज़ीनत के हाथ अर्शी की जांघों के बीच थे। वह अर्शी मेरी बग़ल में तब तक हिलती रही जब तक उसका सिर मेरे बगल में नहीं आ गया और बायीं कावट हो गयी और उसने फुसफुसाते हुए कहा, "ज़ीनत आपा कह रही थी कि रुखसार के साथ आपको बहुत मजा आया है। मैंने रुखसार की ओर देखा, वह अभी भी गहरे सांस ले रही थी, जूनी ने कहा, उसकी चिंता मत करो। वह ठीक है।" \
"क्या वह आप तीनों के साथ शामिल नहीं होगी?"
"नहीं, मुझे ऐसा नहीं लगता।" अर्शी एक पल के लिए रुक गयी जैसे कि कुछ तय करने की कोशिश कर रहा हो। फिर उसने जारी रखा, "मुझे लगता है कि आज वह अकेली ही चुदेगी। यह उसकी सुहागरात है।"
मैंने एक गहरी सांस ली और जूनि को नीचे उतार कर लिटा दिया और अर्शी को उसकी पीठ पर लिटा दिया। मैं खड़ा हुआ और बिना बताए अर्शी की चुत में लंड डाल दियाl
अर्शी भी लंड के अहसास से मस्त हो गई और लंड लेने में कमर उठा कर सहयोग करने लगीl उसकी कराहें मेरा जोश बढ़ा रही थींl
उधर जूनि मेरे अंडकोष चूसने लगीl ताबड़तोड़ चुदाई होने लगीl अर्शी अपनी पूरी टांगें हवा में उठा आकर मेरे लंड का मजा ले रही थीl
मैंने अर्शी की जाँघों के बीच घुटने टेके, उसके स्तनों को निचोड़ा और उसके निपल्स को चूसने लगा।
मैंने अपने घुटनों पर बैठ कर जीनत के होठों पर चूमा। फिर मैंने उसकी गर्दन से एक निप्पल तक और फिर दूसरे को चूमा। मैंने उसकी छाती और पेट के बीच से उसकी चूत तक उसे चूमना जारी रखा।
मैंने उसकी चूत की फिसलन भरी सिलवटों को चाटा और अपनी जीभ से उसकी चूत की जाँच की। जब मैंने अपनी जीभ को उसके अंदर धकेला, तो उसने एक गहरी सांस ली और क्षण भर के लिए मेरे सिर को अपनी जाँघों के बीच दबा लिया। मैंने उसके क्लिट को अपने होठों से चूसा और अपनी जीभ से उसे थपथपाया। और देर किये बिना और उसकी गर्म चुत पर जीभ फेरना चालू कर दियाl वह मस्ती से गांड हिलाते हुए अपनी चूत चटवाने लगी। मैंने भी बहुत जोर-जोर से जीभ से चाट-चाट कर और उंगली डाल-डाल कर उसकी चुत का पानी निकाल दियाl वह झड़ गई तो मैं उसकी चुत का मीठा पानी पूरा पी गया।
ये बिलकुल ऐसा था जैसे तीखा कहने के बाद मीठा बहुत अच्छा लगता है वैसे ही ये ज़ीनत का ये मीठे जैसा रस भी रुखसार की तीखी चुदाई के बाद बहुत सुहाना और मजेदार लगा ।
ज़ीनत अपने शरीर को थोड़ा मोड़ती नजर आईं। मैंने नज़र उठाकर देखा कि वह क्या कर रही है। अब अर्शी के एक स्तन पर उसकी पकड़ थी और वह उसके दूसरे निप्पल को चूस रही थी। ज़ीनत थोड़ा और मुड़ गयी ताकि वह दूसरे निप्पल तक पहुँच सके।
अगले कुछ मिनटों के लिए, मैंने ज़ीनत की क्लिट को चूसा जबकि अर्शी ने जूनि के निपल्स को चूसा। अंत में, ज़ीनत ने मेरे कानों को थपथपाया और कहा, "चलो। अब मुझे चौदो।"
ज़ीनत ने अर्शी के स्तन चूसे। मैंने जीनत पर चढ़कर अपना लंड उस में डाल दिया। उसने अपने घुटनों को ऊपर उठाया और चौड़ा फैला दिया मैंने लंड और गेंदों तक ज़ीनत में घुसा दिया और उस पर लेट गया।
" उसने मुझे गले लगाया और चूमा। फिर वह मुड़ी और अर्शी के कान में फुसफुसायी। अर्शी ने ज़ोर से सिर हिलाया और अपने पेट पर लुढ़क गई। जूनी ने मुझे घुमाया और मेरा लंड खींच कर रुखसार की चुत के होठों पर रख दिया और मैंने उसे एक तेज़ झटके में घुसा दिया।
ज़ीनत मेरी ओर मुड़ी और मुझे किस किया। "अगली बार, हम धीमी गति से करेंगे और अब तुम रुखसार के साथ सारी रात प्यार करो। लेकिन आज रात, रुखसार के साथ मजे करो।"
मैं काफी समय से विस्फोट के कगार पर था, इसलिए इसे ज्यादा समझाने की जरूरत नहीं पड़ी। मैंने रुखसार को कंधों से पकड़ लिया और तेज गाड़ी चलाने लगा। उसके प्राकृतिक स्तन प्रत्येक स्ट्रोक के साथ उसकी छाती के ऊपर और नीचे तैरने लगे और अर्शी ने मेरे होठों को चूमा और दूसरी तरफ जूनी ने मेरे निप्पल और शरीर को चाटा और जीनत रुखसार के ओंठो चूचियों को चूमने लगी और बहुत जल्द मैंने रुखसार में अपनी मणि का एक बड़ा भार डाल दिया।
मैंने अपनी गेंदों को रुखसार की गांड के खिलाफ दबाया और मेरा लंड उसके अंदर धड़कता रहा और पिचकारियाँ मारता रहा । हरेक धक्के के साथ उसके अंदर थोड़ा और वीर्य डाला। रुखसार का शरीर एकदम अकड़ा और उसने ज़ीनत का मुंह अपने ओंठो में जकड़ लिया और वो ज़ोर ज़ोर से काम्पने लगी और चूसते हुए झड़ने लगी ।फिर मैंने उसके होठों पर किस किया और उसके ऊपर ही लेट गया।
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 37
बेगमो के साथ कहानी अभी बाकी है
इस तरह मेरी मौसी की दोनों लड़कियाँ ज़ीनत और आरसी और मेरे चाचा की दोनों लडकियाँ रुक्सार और ज़ूनी के साथ मेरे निकाह और सुहागरात हो गयी थी। लेकिन अभी कहानी अभी बाकी है दोस्तों!
फिर मैंने अर्शी के कहते हुए सुना की वह हमेशा मेरी टांगो के बीच के बड़े पैकेज को देखकर अंदाजा लगाती थी की मेरा हथियार काफी बड़ा है और-और सोचती थी कि जब ये अंदर जाएगा तो कैसा मजा और आनंद मिलेगा। " ये कहते हुए अर्शी ने मेरी गेंदों को पकड़ लिया और उन्हें दबा दिया।
मैं जोर-जोर से सांस लेते हुए लेट गया और पीछे झुक गया। अर्शी ने तेजी से एक बार फिर कड़ा होते हुए लंड को रुखसार की चूत से बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत की और आखिरकार वह सफल हुई। उसका हाथ लंड के चारों ओर लिपटा हुआ था लेकिन फिर भी उसका छोटा-सा हाथ और उसकी उंगलिया लंड से उसके चारों ओर नहीं पहुँच रही थी। यह आधा कड़ा होकर भी लगभग नो इंच से लम्बा और बड़ा मोटा था। वह झुकी और उसके होठों ने उस पर काबू करने का प्रयास किया। उसके फैले हुए ओंठ और बल्बनुमा सिर के ऊपर सरक गए। जैसे ही उसकी जीभ सिर के चारों ओर चाट रही थी, उसका हाथ काले शाफ्ट की लंबाई से ऊपर और नीचे खिसक रहे थे। उसने लंड पर लिपटे मेरे वीर्य और रुखसार के सह की बूंदो का स्वाद चखा। मैंने अपना सिर पीछे झुका लिया और अपनी आंखें बंद कर लीं और अर्शी के मुंह और हाथ से मेरे काले लम्बे और बड़े लंड को चूसने का आनंद लिया।
जूनि ने अपना हाथ उसके सिर के पीछे रखा और धीरे से उसे और अधिक लेने के लिए प्रोत्साहित किया। अर्शी का जबड़ा पूरा खींच गया क्योंकि लंड नौ इंच की लम्बी चट्टान की तरह पूरा फैला हुआ था और उसके चूसने से और बड़ा हो गया लेकिन धीरे-धीरे वह आधे से ज्यादा हिस्से को अपने मुंह में लेने में कामयाब हो गई। अब उसका हाथ मेरी गेंदों को निचोड़ रहा था और उसका सिर तेजी से ऊपर-नीचे हो रहा था और उसने बढ़िया चुसाई की।
मैंने दोनों हाथों का इस्तेमाल करकेअर्शी का सिर मजबूती से उसकी ओर खींचा। जैसे ही मेरा लंड उसके गले में घुसा, उसकी नाक मेरी झांटो में चली गई और मेरी प्यूबिक बोन से मजबूती से दब गई। उसने महसूस किया कि उसके गले की दीवारें मेरे लंड के सर के किनारों को कसकर रगड़ रही हैं और उसे लगा कि उसके गले की मांसपेशियाँ सिकुड़ रही हैं और वह मेरे लंड को निगलने की कोशिश कर रही थी । अर्शी ने मुझे धक्का दिया और अपना सिर पीछे खींच लिया। वह ठिठक गई और खांसने लगी और अपनी सांस रोक ली। मैंने उसका सर पकड़ लिया और उसे अपने लंड की पूरी लंबाई के नीचे खींच लिया।
अर्शी ने अपनी सांसें रोक लीं और तेजी से मुँह को लंड के ऊपर और नीचे किया और मैं उसके मुँह को चोदने लगा। मैंने अर्शी के स्तन दबाये और उसके निपल्स को जोर से दबा दिया। अर्शी मेरे लंड के आसपास दर्द और खुशी से कराह उठी। अर्शी के जबड़े में दर्द होने लगा और गले में दर्द होने लगा। वह सोचने लगी कि क्या ये कभी रुकने वाला है। उसने दूर होने और हार मानने के बारे में सोचा और अंत में अपने मुंह में सिर्फ लंडमुंड को पकड़ लिया और फिर जब लंड गले में गया तो मैंने उसके मुंह में एक बार फिर विस्फोट कर दिया,। वह निगल गई, लेकिन वह जितना नियंत्रित कर सकती थी, उससे कहीं अधिक वीर्य था और कुछ उसके ओंठो से लीक हो लंड के चारो तफ फ़ैल गया और नीचे बह कर मेरी गेंदों पर पहुँच गया।
मेरी मणि की बड़ी धार उसके गले के ठीक अंदर जा कर लगी और वही चिपक गयी और अर्शी उस गाढ़ी मणि की निगलने की कोशिश करने लगी। चिपचिपाहट के कारण, वह मणि को निगल नहीं पायी।
साथ ही मैं लंड को आगे पीछे भी कर रहा था जिससे मेरे अंडकोष उसकी नाक से टकरा कर नाक को भी दबा रहे थे, उसके मुँह में मेरा लंड ठूसा हुआ था इसलिए जब लंड बाहर निकलता था तब वह केवल नाक से ही साँस ले पा रही थी और इस बीच मैं पिचकारियाँ मार रहा था।
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उसे सांस लेने में दिक्कत हुई और वह खाँसने लगी और उसकी नाक से मेरे वीर्य निकल आया, मैंने उसके मुँह के अंदर पम्पिंग करनी और पिचकारियाँ मारनी जारी रखी हुई थी। गाढ़ी मणि से उसका नाक मुँह और गला भर गया जिससे खांसी हुई और अब मणि निगलना और भी मुश्किल हो गया। उसने मेरी और देखा तो उसे तकलीफ में देख कर मैंने लंड बाहर निकाल लिया और आखरी कुछ पिचकारियाँ उसके मुँह पर मार दी जिससे मेरी मणि उसके मुँह आँखो गालो माथे और बालो तक फ़ैल गया lऔर कुछ उसके गले में गया और कुछ उसकी नाक से बह रहा था, मैंने अर्शी को रिहा कर दिया और जूनि और ज़ीनत से कहा कि वह हमे चाट कर साफ करे, जो उन्होंने तुरंत किया।
अर्शी ने अपने होठों को चाटा और मुझे देखकर मुस्कुराई, "वाह, मैंने ऐसा कभी पहले अनुभव नहीं किया।"
" मुझे खुशी है कि आपको यह पसंद आया, इसलिए मैंने भी किया।
फिर अर्शी ने बताया कि वह और उसकी तीनों बहने अब आगे से मेरे साथ एकसाथ सेक्स करना चाहती है। यह सुनकर मेरा लंड फिर से कड़ा होने लगा और मैं अपनी चार प्यारी बेगमो को एकसाथ चोदने और के बारे में सोचने लगा था। इससे पहले कि मैं एक बार फिर रुखसार को छोड़ना शुरू करता अर्शी ने मेरे लंड को एक बार फिर से निचोड़ दिया।
मैंने उसके बाद एक बार फिर रुखसार को अपने पर चढ़ा लिया वह मेरे से लिपट गयी। मैंने कई मिनट रुखसार को चूमने और सहलाने और टटोलने के बाद उसके पूरे शरीर को रगड़ा और मैंने उसके स्तनों को सहलाया। मैंने उसके स्तन दबाये तो महसूस किया कि रुखसार की चूत की मांसपेशियों मेरे लंड पर को कस गयी।
रुखसार की तंग चूत ने मेरे लंड को अपने अंदर मजबूती से जकड़ रखा था। मेरा लंड उसकी मांसपेशियों का दबाब महसूस कर रहा था। अपने पहले के अनुभव को याद करते हुए मैंने अपने हाथ उसके स्तनों पर रख उन्हें धीरे से दबाया तो चूत के मांपेशिया कसने लगी और फिर निचोड़ा और। जैसे ही मैं उसके स्तनों को निचोड़ता उसकी मांसपेशिया तेजी से कस कर लंड को निचोड़ने लगी रुखसार की चूत की आंतरिक मांसपेशियों सुकड़ने लगी उसकी चूत संकुचन करने लगी और उसकी मांपेशिया मेरे लंड को निचोड़ कर मेरे लंड पर अपनी पकड़ मजबूत कर लेती थी। वह आगे झुकी और मुझे किश करने लगी अब लगा चूत भी लंड को चूसने लगी थी।
मैं साथ में उसके स्तन दबा और निचोड़ रहा था-था तो उसके कसी हुई चूत मेरे लंड को दबा और निचोड़ रही थी। मैं धीरे-धीरे लंड आगे पीछे करता रहा और फिर स्पीड बढ़ती गयी। उसके कसकर मुझे गले लगा लिया, हमने जोश से चूमना जारी रखा और मैं लंड आगे पीछे करता रहा। रुखसार की चूत ने प्रतिक्रिया में मेरे लंड को मेरे स्तन दबाने के गति से निचोड़ना और छोड़ना शुरू कर दिया। जल्द ही वह कांपने लगी और उसका बदन ऐंठने लगा और मेरे लंड में भी ऐंठन होने लगी और फिर मेरा भी बदन काम्पा और मैंने पिचकारियाँ मार दी साथ ही में वह भी झड़ी। मैंने जोर से कराहते हुए अपने अंडकोष खाली कर दिए और उसके बाद भी लंड अंदर बाहर करना जारी रखा और कराहते हुए हांफते हुए उस पर लेट गया।
शाम को जीनत ने मुझे बताया कि अर्शी को मेरा लंड चूसने में कितना मज़ा आया और बताया कि मेरी चारों बेगमो ने आज रात ही से मेरे साथ एकसाथ रहने और चुदाई करवाने का फैसला किया है। "
मैंने बोला ठीक है आप मुझे लगता है कि यह मजेदार होगा। मुझे ये मंजूर है लेकिन याद रखना कि जब हम एक बार जब हम शुरू कर देंगे तो मैं पूरी तरह से नियंत्रण करूँगा और आप सब वही करेंगी जो मैं कहूंगा। "
" ठीक है, बढ़िया, मैं सब लड़कियों को बता दूँगी।
रात में मैंने दरवाज़ा खटखटाया और जीनत आपा ने दरवाजा खोल कर मुझे अंदर आने के लिए कहा। जैसे ही मैं बड़े बैडरूम में गया, मैंने देखा कि चार पत्नियाँ मेरे सामने छोटी-छोटी ड्रेस पहने हुई खड़ी थीं। मैंने एक मिनट सोचा और फिर कहा। "मैं आप आपकी ड्रेस को उपहार की तरह से खोलना पसंद करूंगा और जब तक मैं ये करूंगा, तब तक आप सब चुपचाप खड़ी रहें।" कुछ ड्रेस बहुत महंगी थी लेकिन मैं धीरे-धीरे उन्हें खोलना शुरू किया और उनमे-सी कुछ को नहीं खोल पाया तो मैंने उन ड्रेसों को फाड़ दिया, लेकिन जब तक मैं आखिर तक पहुँचा और तीनों महिलाएँ नग्न हो चुकी थीं, तब तक प्रत्येक महिला चुपचाप खड़ी रही और अमीने उनके कपड़े को चीर फाड़ कर तार-तार दिया। वे सभी उत्तेजित थी और उनके निप्पल सख्त हो गए थे। मैंने देखा कि उन सभी ने झांटो के बाल नए सिरे से मुंडाए हुए थे। मेरा लंड इस बीच कड़ा होने लगा ।
"मैंने ज़ीनत की ओर इशारा किया," आपा आप आओ और मेरे कपडे उतारो। "मैंने जैसा कहा जीनत आपा ने मुझे किस किया और किस करते हुए बड़े ही मादक अंदाज में मेरा कोट उतार दिया।" अब वापस लाइन में लग जाओ। "फिर मैंने अर्शी की ओर इशारा किया," तुम आओ और मेरी शर्ट उतारो। " अर्शी ने ऐसा किया और मुझे चूमते हुए मेरी शर्त उतारी और-और फिर वापस लाइन में आ गई। सभी ने मेरी मांसपेशियों वाली कसरती छाती और सपाट पेट की प्रशंसा की। फिर जूनी ने भी मुझे मेरे ओंठो से चूमते हुए मेरी छाती को चूमा और फिर मेरी पैंट उतार दी और मेरे लंड के कठोर उभार साफ़ दिखने लगे और अंत में रुखसार ने मेरे ओंठो से चूमते हुए मेरी छाती को चूमा और फिर टांगो को चूमते हुए नीचे के शॉर्ट्स को हटा दिया, जिससे मेरी खड़ी मर्दानगी बाहर निकल गई और चार उत्तेजित महिलाओं के सामने सीखा खड़ा होकर उसने तुनक कर सलाम ठोका।
"वाह।" "ओह" और "क्या बात है बहुत बड़ा और शानदार है" चारो तरफ से ये ही सुनाई दीया।
कहानी जारी रहेगी
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मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
भाग 38
ज़ीनत आपा की मदहोश अदा
कुछ न पहने होने की वज़ह से ज़ीनत आपा की मोटी मुलायम और गुदाज रान अपनी पूरी आबो ताब के साथ मेरी भूखी और प्यासी आंखों के सामने नीम नंगी हो रही थी। उसी कमरे में लगे शीशे में ज़ीनत आपा को अपना अक्स नजर आया और उन्होंने अपनी मुलायम रानों पर एक नज़र दौड़ाई, तो उन्हें अपनी सुहागरात का वाक़्या याद आ गया। जब मैंने पहली बार उनकी गान्ड और चूतड़ों पर बड़े ज़ोर और जोश से काटा था।
एक अरसा गुज़र जाने के बावजूद जीनत आपा को अपने दूल्हे के दांतों की चुभन अपनी गान्ड की पहाड़ी पर महसूस हो रही थी।
जीनत आपा ने अपना एक हाथ पीछे लेजा कर अपनी गान्ड घुमा कर और थोड़ी तिरछी हो कर शीशे में अपनी गान्ड को देखने लगी। कि कहीं मेरे "काटने" का निशान अब भी उनकी गान्ड की पहाड़ी पर बाक़ी तो नही।
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मैं उनकी जांघो और चूत को घूरने लगा तो ज़ीनत आपा ने शर्मा कर अपनी जांघो को सिकोड़ कर जोड़ लिया और तक टांग मोड़ कर अपनी चूत छुपाने लगी इनकी इस अदा ने मेरा दिल और लंड को घायल कर दिया। अपनी आपा को यूं अपनी गान्ड का जायज़ा लेता देख कर कमरे से बाहर खड़े खड़े मेरे होश की उड़ गये और मेरा लंड पहले से ज़्यादा रफ़्तार से फ़न फनाने लगा।
फिरजीनत आपा ने ड्रेसिंग टेबल से स्किन माय्स्चर क्रीम उठाई.और एक-एक कर के अपनी दोनों गुदाज रानों और लंबी-लंबी टांगों पर क्रीम लगाने लगी।
मैं अपनी बड़ी बेगम जो की शानदार और मस्त मचलती जवानी को देख कर मस्ती से बेक़रार हो रहा था।
आज ज़ीनत आपा की रसभरी जवानी एक अनोखा ही रस दे रही थी।
"हाये! मेरी जीनत मेरी जान! आपा अगर आप मुझे इजाज़त दो, तो में अपने लंड की टोपी पर क्रीम लगा कर तुम्हारी मोटी रानो पर अपने लंड से मालिश कर दू" कमरे में अपनी ज़ीनत आपा को अपनी गरम और मोटी रानों पर क्रीम से भरे हाथ फेरते देख कर गरम होते हुए मैंने मन में कहा।
फिर मेरे देखते ही देखते जीनत आपा ने एक बहुत ही मदहोश अंगड़ाई ली और मेरी तीनो छोटी बेगमे अर्शी जूनि और रुखसार उनकी और देखने लगी।
ज़ीनत की-की इस अंगड़ाई से उस के मोटे और बड़े मम्मे ऊपर की तरफ़ छलक उठे। तो मैं ज़ीनत आपा बहन की इस मदहोश अदा से मज़ीद गरम और बेचैन हो गया।
मदहोश करने वाली इस अंगड़ाई को देख कर किसी भी मर्द के लिए ख़ुद पर काबू रखना एक ना मुमकिन बात होती। बिल्कुल ये ही हॉल मेरा भी ज़ीनत आपा के जवान बदन को देख कर उस वक़्त हो रहा था। फिर मैंने अपनी चारो कजिन्स के बदन पर नजर डाली और मेरा लंड अपनी कजिन्स के बदन के खूबसूरत नज़ारे से फुल मस्ती में आया हुआ था। और उनके बारे में सोच-सोच कर मैं बहुत गरम हो रहा था। और मेरे हाथ मेरे खड़े लंड पर आहिस्ता-आहिस्ता फिसल रहे थे।
" ओह क्या मस्त मम्मे हैं मेरी कजिन्स के और क्या शानदार टाइट चूते है, हाय!
"चलो अब चारो अपने घुटनों के बल बैठो" , मैंने दृढ़ता से कहा। जब उन्होंने ऐसा किया तो मैं उनके सामने खड़ा हो गया।
अर्शी ने उत्साह से कहा, " मैं, मैं। मैं। पहले मैं! और वह सबको धकेल कर आगे बढ़ी और जीनत गिरते-गिरते बची और अर्शी ने मेरे लंड के चारों ओर अपना हाथ लपेट लिया और अपने होंठ मेरे लंड के सर पर रख कर लंड को लगभग तीन इंच अंदर ले गई। तभी जूनि भी आगे हो गयी और उसने मेरे लंड को कसकर पकड़ लिया और उसे सहलाया। । तभी रुखसार आगे आयी और उसने अर्शी और जूनि के सर और हाथो को पीछे किया और लंड को चूमने लगी । और फिर अर्शी बोली जूनि और रुखसार पहले मैं आयी थी तुम्हे मुझे क्यों हटाया और तीनो में छोटा-सा युद्ध शुरू हो गया ।
मैंने कहा तीनो रुक जाओ और ज़ीनत आपा आप पहले आओ और अर्शी जूनि और रुखसार हालांकि तुम तीनो मुझे बराबर अजीज हो और मैंने तुम तीनो को अपने प्यार का बरारबर हिस्सा दूंगा लेकिन तुम तीनो ने फिर से झगड़ा किया है । मैंने तुम्हे पहले भी झगड़ा करने से मना किया था और तुमने जीनत आपा को भी धकेला है इसलिए अब तुम तीनो को पहले सजा मिलेगी तुम तीनो आपस में भी लड़ती हो इसलिए अब तुम्हारी चुदाई नहीं होगी l
तो तीनो एकदम तड़प उठी और मुझसे माफी मांगने लगी और बोली अब कभी नहीं लड़ेंगी और तुम जो कहोगे वही करेंगी l
यह सुनकर मेरे होंठ मुस्कुरा उठे l
तो मैंने कहा ज़ीनत आपा तुम सब से बड़ी हैं तुम्हे उनसे माफ़ी मांगनी चाहिए और उनका हुक्म मानना होगा ।
तो तीनो ज़ीनत आपा से माफ़ी मांगने लगी
तो मैंने कहा की ज़ीनत आपा के पैर चुम कर उनसे माफ़ी मांगो तो तीनो ने ज़ीनत आपा के पैर चूमने चाहे तो उन्होंने तीनो को रोक दिया और उन्हें गला लगा लिया । मैंने कहा सीखो तुम आपा से और अब वादा करो को उनकी सब बात मानोगी ।
ज़ीनत आपा बोली तो तुम तीनो को वादा करना होगा l
पहला कभी आपस में नहीं लड़ोगी और मिल कर रहोगी l
तीनो बोली हमें कबूल है अब आपस में कभी नहीं लड़ेंगी कभी ज़ीनत आपा से भी नहीं लड़ेंगी l
ज़ीनत फिर बोली दूसरा तुम सलमान की भी सभी बातें मानोगी l
तीनो बोली हमें कबूल है सलमान भाई की सब बाते मानेंगी और सलमान भाई की ख़ुशी में ही हमारी ख़ुशी होगी l
तीनो आगे बोली हमें कबूल है सलमान की सब बाते मानेंगी पर एक शर्त है सलमान भाई कभी भी हमें चोदना बंद नहीं करेंगे।
तो मैंने कहा तुम चारो बहुत प्यारी हो । मैं भी वादा करता हूं अब तुम सब को कभी मेरी चुदाई के लिए तरसना नहीं पड़ेगा l बस तुम ज़ीनत आपा की सब बाते मानना और उन तीनो को अपने गले लगा लियाl ज़ीनत आपा भी हमारे साथ में चिपक गयी l मैंने चारो को बारी-बारी किश किया ।
फिर अर्शी की टांगो
के बीच मेरा लंड घुस गया था उसने मेरे लंड को कसकर पकड़ लिया और उसे सहलाया।
मैंने जल्द ही लंड उससे दूर खींच लिया। "आपको अपनी बहनो के साथ साझा करना होगा। चिंता न करो मेरा वादा है आपको अपना हिस्सा मिलेगा।"
अगले कई मिनटों तक, मैं चार आकर्षक और बहुत उत्साही में सबसे पहले अपना लंड चूसवाने के लिए जीनत आपा के पास गया । वह मेरे विशाल लंड को अपने गले में पूरा ले गयी।
ज़ीनत आपा ने मेरे लंड पकड़कर मुहं में ले लिया और कसे ओठो के साथ पूरा अन्दर लेती चली गयी।
एक दो बार सुपाडा चाटने के बाद जीनत आपा ने थोड़े और ओठ चौड़े किये और मुहं खोला। धीरे से मेरे लंड के सुपाडे के चारो ओर ओठो का घेरा बना लिया। लार से सनी लसलसी जीभ अब सुपाडे के चारो ओर घूम रही थी।
मेरी कामुक कराहे उसकी उत्तेजना के साथ बढ़ रही थी, उसके नितम्ब बढ़ती उत्तेजना के कारन ऐठ रहे थे। जीनत अपने हाथ को फिर से लंड की जड़ में ले गयी और लंड के सुपाडे के थोड़ा-सा और मुहं के अन्दर ठेल दिया, देखते ही देखते, लाल सुपाडा ज़ीनत के गीले और गरम मुहं में समा गया। जैसे ही ज़ीनत ने लार से भरा मुहं से मेरी कमर के झटके से हिलते लंड के सुपाडे को पहली बार चूसा, मेरे मुहं से हल्की-सी मादक आह निकल गयी।
ज़ीनत की लार से सनी गुनगुनी जीभ मेरे फूले हुए टमाटर की तरह लाल हो चुके सुपाडे के चारो तरफ नाच रही थी बीच-बीच में मुहं खोलकर ज़ीनत अपनी लम्बी जीभ लंड पर फिराती हुई नीचे की तरह ले जाती और फिर शरारतपूर्ण तरीके से वापस मुहं में ले आती।
ज़ीनत मेरे लंड के सुपाडे पर जीभ फिर रही थीऔर सुपाडे को जीभ से चाट रही थी जैसे कोई लोलीपोप चूसता है।
उसके बाद ज़ीनत ने मेरे सुपाडे को कसकर ओठो से जकड लिया। ओठ बंद करके सुपाडा चूसने लगती, जैसे बच्चे टॉफी चूसते है और धीरे-धीरे अपना सर हिलाने लगी, मैं कामुक लम्बी कराहे भर रहा था।
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