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Adultery पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ नौजवान के कारनामे
#61




ईशा सिर्फ अठारह साल की एक सुंदर लड़की थी और यद्यपि इतनी उम्र में, उसकी कोमल छाती पूरी तरह से उन अनुपातों में विकसित हुई थी , जो पुरुषो को प्रसन्न करती है। उसका चेहरा सुंदर और आकर्षक था; अरब के इत्र के रूप में उसकी सांस मीठी और, जैसा कि मैंने उसके टकराने पर मह्सूस किया था उसकी त्वचा मखमल की तरह नरम थी ।

ईशा को उसके अच्छे रूप के बारे में अच्छी तरह से पता था, और वो अपने सिर को गर्व से रानी की तरह उठा कर मटक मटक कर चलती थी और उसका ये रूप युवाऔ और पुरुषों को लालसाओं को बढ़ाता था और वो अक्सर उस पर प्रशंसात्मक टिप्पनिया करते थे । सुंदर ईशा सभी दिलों की वांछित थी और उसको क़ाफी लड़के हासिल करना चाहते थे और मंदिर में भी उसे काफी लड़के उसकी तरफ आकर्षित नज़र आये थे .

जब ईशा की मौसी मंदिर के जूता घर से जूते वापिस लेने गयी तो ईशा ने एक कोने में खड़ी हो चुपके से उस कागज के टुकड़े को देखा, जिसे उस युवा लड़के ने उसे चुपके से उसके हाथ में दिया था। उसे पढ़ने के बाद कुछ देर तक कुछ सोचने की मुद्रा में कड़ी रही . तभी उसकी मौसी ने ईशा को बुलाया चलो ईशा चलें और ईशा अपनी चाची की ओर अनमने ढंग से दौड़ी और उसका वो कागज़ का टुकड़ा नीचे गिर गया या उसने जानभूझ कर फेंक दिया . मैं उसके पीछे ही था तो मैंने फट से उस कागज के टुकड़े को उठाया और खुला होने के कारण, मैंने उसे पढ़ने के लिए आज़ादी ले ली।

"मैं आज शाम चार बजे पुराने स्थान पर रहूंगा," केवल वही शब्द उस कागज में निहित थे, लेकिन वे ईशा के लिए कुछ विशेष रुचि और मतलब रखते थे जिसे वो गुप्त रखना चाहती थी और मुझे तुरंत समझ आ गया इसीलिए वो कुछ समय के लिए एक ही विचारशील मुद्रा में कड़ी हुई कुछ सोच रही थी ।

वो जब मंदिर से बाहर निकली तो कुछ मनचलो ने सीटिया मारी और फब्तियां भी कसी पर उसने इसे हर रोज़ होने वाली घटना के तौर पर लिया और उन पर ध्यान न देकर अपनी मॉडसि के साथ साथ मंदिर से बाहर निकल गयी ..

हालाँकि वो मेरे पास कुछ बार छोटी बीमारियों के लिए आयी थी अपर आज मेरी उत्सुकता जाग उठी की वो कहाँ जा रही थी, और मेरे मन में उस दिलचस्प युवा लड़की के बारे में और अधिक जानने की इच्छा थी, जिसके साथ मैं मंदिर में सुखदायक संपर्क में आया था, मैंने घड़ी पर नज़र डाली और पाया कि 4 बजने में ज्यादा समय नहीं था उसके बाद की घटनाओं की प्रगति चुपके से देखने के लिए मैंने उसका अनुसरण करने का फैसला किया ।

रास्ते में वह अपनी चाची से कुछ बहाने बनाकर अपनी चाची से अलग हो गई और मैं उसका पीछा करता रहा। ईशा ने अपने आप को बहुत सावधानी से तैयार किया था, और वह उस बगीचे की ओर बढ़ गई, जहाँ मैं मनवी भाभी के साथ टहलने जाया करता था

मैं उसके पीछे गया।

एक लंबे और छायादार रास्ते के अंत में पहुंचने पर युवा लड़की ईशा झाड़ियों के झुरमुट के बीच एक छुपी हुई बेंच पर बैठ गयी ये एक ऐसी जगह गुप्त थी जिसे मैंने पहले कभी नहीं देखा था, और मुझे अंदाजा भी नहीं था के इस झाड़ियों में ऐसी गुप्त जगह हो सकती है .. मैंने मन में सोचा अगली बार मानवी भाभी के साथ यहाँ पर जरूर आऊँगा

ईशा वहां उस व्यक्ति के आने का इंतजार कर रही थी और मैं उन झाड़ीयो के बीच इस तरह से छिपा गया की मैं किसी को नजर नहीं आओ और साथ ही साथ ईशा को स्पष्ट रूप से देख सको और उनकी बाते सुन सकू ।

सौम्य लड़की ईशा ने अपनी एक टांग को ऊपर उठाया और अपनी दूसरी टांग पर रख दिया , उसने मिनी स्कर्ट पहनी कोई थी और मैंने उसकी गदरायी हुई जंघे जो उसकी तंग फिटिंग मिनी स्कर्ट के ऊपर उठने से उजागर हो गयी थी उन पर ध्यान दिया , मेरे आँखे उसकी स्कर्ट के अंदर तक देख पा रही थी और उसकी जाँघे एक बिंदु पर एक साथ मिल गयी थी , उसे स्थान पर उसकी पतली और झीनी सी पैंटी से पतली और आड़ू की तरह तिरछी, उसकी योनि का आभास हो रहा था की उसकी योनि के ओंठ आपस में चिपके हुए थे और उन बंद होंठो के बीच में उसकी टाइट योनी छुपी हुई थी ।‘’

कुछ की मिनटों में वो युवक भी वहां आ गया और ौसे आते ही ईशा को वहाँ आने का धन्यवाद दिया और दोनों बाते करने लगे की मंदिर में क्या हो रहा था तभी थोड़ी हवा चली और अचानक चारों तरफ़ बादल छा गए और अंधेरा हो गया और हवा गर्म और तेज हो गई, और युवा जोड़ा बेंच पर एक दुसरे के करीब से बैठ गया, ।

"ईशा तुम नहीं जानती कि मैं तुम्हें कितना प्यार करता हूँ," लड़के ने फुसफुसाया। और उसने नम्रता से अपनी साथी के होंठ पर एक चुंबन कर दिया ।

"हाँ, मैं भी करती हूँ " लड़की ने भोलेपन से कहा, , "पर ये तो तुम हमेशा ही बोलते रहते हो ? मैं इसे सुनकर थक गयी हूँ।" और वो नीचे की और देखने लगी और विचारशील दिखी।

"आप मुझे उन सभी मज़ेदार चीज़ों के बारे में कब और समझाएंगे जो आपने मुझे बताई हैं?" उसने पूछा, एक तेज नज़र दे रही है, और फिर तेजी से उसने नीचे बजरी पर अपनी आँखें झुका ली ।

"अब," युवा ने उत्तर दिया। "अभी मेरी प्रिय ईशा, जबकि अब हम अकेले है और रुकावट से मुक्त है तो ये एक अच्छा मौका है। आप जानती हैं, ईशा, अब हम कोई बच्चे नहीं रहे ?"

ईशा ने सहमति में सिर हिलाया।

" ये ऐसी चीजें हैं जो बच्चों को नहीं पता हैं, और जो प्रेमियों के लिए हैं जिन्हे न केवल जानना आवश्यक है, बल्कि अभ्यास करना भी जरूरी है।"

"ओह डियर," लड़की ने गंभीरता से कहा।

"हाँ," उसके साथी ने जारी रखा, "ऐसे रहस्य हैं जो प्रेमियों को खुश करते हैं, जिनसे प्रेमी प्यार करते और प्यार करने का आनंद देते हैं।"

"भगवान!" ईशा ने कहा, "कैसे, अरे आप तो वैसे ही भावुक हो गए हैं, जीतू जैसे आप तब थे जब आपने मुझे पहली बार मेरे लिए अपना प्यार व्यक्त किया था ।"

"मैं सच कहता हूँ मैं हमेशा ही तुमसे प्यार करता रहूंगा ," युवा ने जवाब दिया।

"बकवास मैंने देखा है आप मंदिर में दूसरी लड़कियों को भी देख रहे थे ," ईशा को जारी रखा, "लेकिन जीतू, और मुझे बताएं कि आपने क्या वादा किया था।"

जीतू ने कहा, "मैं आपको कर के दिखा सकता हूँ ।" "ज्ञान केवल अनुभव द्वारा सीखा जा सकता है।"

"ओह, तब आओ और मुझे दिखाओ," लड़की बोली , जिसकी उज्ज्वल आँखों और चमकते गाल में मुझे लगा कि मैं जिस तरह का निर्देश दे सकता हूँ और जिस ज्ञान को येपाना चाहती हैं उसके बारे में बहुत सचेत ज्ञान का मैं पता लगा चूका हूँ और उसे भी सीखा सकता हूँ ।

मुझे लड़की बाहर अधीर लगी और लड़के ने इसका फायदा उठाया और लड़की के मुँह और ओंठो पर अपने ओंठ लगा कर उसने सुन्दर और अधीर ही चुकी ईशा के मुंह से चिपका कर उसे हर्षातिरेक से चूमा।

ईशा ने इसका कोई प्रतिरोध नहीं किया; उसने भी इसमें भाग लिया और अपने प्रेमी के दुलार को उसी हर्ष और उत्सुकता के के साथ चूमते हुए वापस कर दिया।

फिर जीतू थोड़ा हिला और थोड़ा वो ईशा के पास आया और उसने ईशा को अपने और खींचा और फिर बिना किसी विरोध के उसने सुंदर ईशा की स्कर्ट के नीचे से अपना हाथ घुसा दिया और दुसरे हाथ को ईशा के स्तनों पर ले गया चमचमाते रेशम स्टॉकिंग्स के भीतर जो आकर्षण उन्हें मिला, उससे वे संतुष्ट नहीं हुआ और अपने हाथ और आगे ले गया और उसकी भटकती उंगलियां अब ईशा की युवा जांघों के नरम और मांस को छू गईं। और दुसरे हाथ उसके टॉप केअंदर घुस गया l

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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#62

PART-7

ईशा- माफ़ी की प्राथना


मैंने गौर से देखा तो मैंने पहचान लिया जीतू मंदिर के सेवादार का पुत्र था और दसवीं क्लास में तीन साल लगातार फेल होने के बाद उसे स्कूल से निकाल दिया गया था और उसका पिता मेरे पास मंदिर के लिए चंदा लेने आता था और मैं उसके पिता की थोड़ी बहुत मदद कर दिया करता था . जीतू बेरोजगार था और सारा दिन आवारागर्दी करता हुआ इधर उधर घूमता रहता था और उसके पिता ने एक बार उसे कोई नौकरी दिलवाने को भी कहा था ..

मैं सोच रहा था की ईशा जैसी खूबसूरत और बढ़िया लड़की इस फुकरे किस्म के लड़के को कैसे मिल गयी फिर सोच रहा था और मुझे लग रहा था जीतू किसी भी हिसाब से ईशा के लिए योग्य नहीं था और अब मुझे इनका मक़सद पता लग हो गया था तो यहाँ रुकने का कोई ज्यादा औचित्य समझ नहीं आ रहा था साथ ही मुझे अपन समय याद आ गया जब मैंने अपनी फूफेरी बहन जेन को भी ऐसे ही पटाया था .. जिसे आप मेरे अंतरंग हमसफ़र कहानी में पढ़ सकते हैं

उधर बादल गहरे हो रहे थे और रौशनी भी काफी कम हो गयी थी और तेज हवा चलने लगी थी.

मैं असमंजस में था की मुझे अब क्या करना चाहिए पर मेरा ध्यान बार बार ईशा की ख़ूबसूरती पर जा रहा था और मुझे वो पका हुआ आम लग रहे थी जिसका रस जीतू चूसने जा रहा था .. ( वैसे आम मेरा सबसे पसन्ददीदा फल है ) और मैं इस आम को छोड़ना ही नहीं चाहता था .. उधर जीतू के हाथ ने ईशा के ड्रेस के टॉप के ऊपर के बटन खोल दिए और उसने उसके स्तनों और चुचकों को जोर से दबाया इससे ईशा हलके से कराह उठी अब मैं इस असमंजस में था की मैं आगे क्या करून और तभी वहां पर एक तेज हवा का झोंका आया और एक पका आम आकर पहले ईशा पर गिरा और फिर मेरे ऊपर आ गिरा

मैंने आसपास देखा तो मुझे दूर एक पेड़ नजर आया और हवा के झोंके ने आम के मौसम में एक पका हुआ आम मेरी झोली में डाल दिया था .. मैंने इसे अपने लिए कुदरत का इशारा समझा .. आम उसके ऊपर गिरने से ईशा एकदम घबरा गयी और उसकी हलकी सी चीख निकली और उसने जीतू को दूर झटक दिया और बोली लगता है कोई आ गया है

इस तरह से ये चीख और रुकावट मेरे लिए भी सन्देश था और मैं अप्रत्याशित रूप से अचानक उस बेच के आसपास की सीमावर्ती झाड़ियों से मैं उठकर उन किशोर प्रेमियों के सामने खड़ा हो गया।

मुझे यु अचानक देख डर के मारे दोनों के खून जम गया । कोमल ईशा के लिए ये बहुत बड़ा झटका था उसने मुझसे नज़र नहीं मिलाई, और अपंने चेहरे को अपने हाथों से ढँक दिया, वह उस सीट पर सिकुड़ कर बैठ गयी गई, जो उनके प्रेम संबंध की मूक गवाह थी

वो आम गिरने से अपनी चीख का तेज उच्चारण करने के बाद मुझे देख कर से बहुत डरी हुई थी, अब उसकी आवाज ही नहीं निकल रही थी और मेरा सामना करने के लिए बिलकुल भी त्यार नहीं थी और उसे डर लग रहा था की वो पकड़ी गयी है

मैंने भी उनके सस्पेंस को बहुत लंबे समय तक निलंबित नहीं रखा । जल्दी से उस दंपति की ओर बढ़ते हुए मैंने हाथ लड़के की बाजू सख्ती से पकड़ लिया, और मैंने उन्हें उसकी ड्रेस ठीक करने का निर्देश दिया। "असभ्य लड़का," मैंने गुस्से के साथ जीतू को कहा तुम दोनों यहाँ क्या कर रहे हो और किस हद तक जा चुके हो ? तुम्हारी वासना और जुनून में तुमने इस लड़की के साथ अभद्र व्यवहार किया है ? तुमने करने से पहले ये नहीं सोचा जब भी तुम्हारे पिता को तुम्हारे इस आचरण का पता चलेगा तो कैसे तुम अपने पिता के गुस्से का सामना करोगे?

और क्या तुम्हारे पिता की मंदिर की नौकरी तुम्हारे ऐसे आचरण से बची रहेगी .. उनका पुत्र अगर लड़कियों से ऐसा आचरण करेगा तो उन्हें कौन सेवा में रहने देगा ?" तुम तो कुछ कमाते नहीं हो और इसके बाद तुम्हारे परिवार का क्या होगा ये कभी सोचा है तुमने,

हम सब की जिम्मेदारी है लड़किया और स्त्रिया सुरक्षित रहे और जब मैं अपने इस कर्तव्य के पालन करते हुए प्रबंधंन को और तुम्हारे पिताजी को उनके इकलौते बेटे की इस करतूत के बारे में बताऊंगा तो तुमने सोचा है तुम कैसे उनका सामना करोगे , और वो तुम्हे जेल भी भिजवा सकते हैं

अपने इस कर्तव्य के पालनकरते हुए मैं तुम्हारे पिता को उसके इकलौते बेटे के हाथों से हुए कुकृत्यों से अवगत कराऊंगा। " ये बोलकर जीतू को कलाई से पकड़कर, मैं प्रकाश में आया और खुद को उनके सामने प्रकट किया, मेरा निश्चित रूप से सुंदर रौबदार चेहरा, आकर्षक शानदार काली आंखों में भयंकर जोशीला आक्रोश देखकर जीतू घबरा गया । मैंने एक सफ़ेद पोशाक पहनी हुई थी, जिसमें से साफ-सुथरापन केवल मेरी उल्लेखनीय मांसपेशिय और लम्बे शरीर को देख जीतू ने आज़ाद होने की असफल कोशिश की . वो अभी भी असमंजस में था क्योंकि मैंने उसकी कामवासना के भोग को भंग कर दिया था । "

और ईशा तुम्हारे लिए, मैं केवल अपने अत्यंत डरावने आक्रोश को व्यक्त कर सकता हूं। अपने परिवार और अपने स्वयं के सम्मान के लिए लापरवाह, तुमने इस दुष्ट और अनुमानी लड़के को निषिद्ध काम करने की अनुमति दी है? ट्युमने सोचा है अब तुम्हारे परिवार वाले तुम्हारे साथ अब क्या करेंगे? हो सकता तुम्हे घर से निकाल दे.. तुम्हारी पढाई छूट जाए तुम्हारे माता पिता पहले ही नहीं हैं तुम अपने चाचा और मौसी पर आश्रित हो सोचो अब तुम्हारे पास क्या है?

अब तुम्हारा भविष्य मुझे अंधकारमय नजर आ रहा है तुम्हारी पढाई छूट जायेगी और तुम्हारे इस दुष्कर्म का पता चलने के बाद कोई भी अच्छा युवा लड़का तुम्हे अपनी पत्नी के रूप में भी स्वीकार नहीं करेगा और तुम्हे भीख मांगनी पड़ सकती है और ये नालायक तो खुद ही अभी कुछ नहीं करता है तो तुम्हारा खर्चा और भार कैसे उठाएगा , अब तुम्हे भीख मांग कर ही गुजारा करना पडेगा और हो सकता है तुम किसी गलत हाथ में पड़ जाओ ... नहीं नहीं ये तुम्हारी जैसी सुन्दर अच्छे घर के लड़की के लिए ये सब बिलकुल उपयुक्त नहीं है .. दुर्भाग्यपूर्ण लड़की ये तुमने क्या किया करने से पहले कुछ तो सोचा होता

ये सुन कर ईशा उठी, और गंभीर रवैये के साथ उसने खुद को मेरे पैरों पर फेंक दिया, उसके साथ ही उसका किशोर प्रेमी भी मेरे पैरो में गिर पड़ा और ईशा अपने युवा प्रेमी के लिए माफी के लिए आंसू बहती हुई प्रार्थना करने लगी ... प्लीज हमे माफ़ कर दो हम से बहुत बड़ी गलती हो गयी है

"और न कहो," मैंने जारी रखा " इस बातो का अब कोई फायदा नहीं है, और इसमें आप अपमान करते हैं, और मुझे अपने अपराध में मत जोड़ो मेरा मन तुम्हारे इस दुख के चक्कर में मुझे अपने कर्तव्य में गुमराह करता है, मुझे तुरंत सीधे आपके प्राकृतिक अभिभावकों के पास जाना चाहिए और उन्हें मेरे आपके इस दुष्कर्म जो मुझे अचानक पता चला है उससे तुरंत परिचित करवाना चाहिए चाहिए।

" ओह, डॉक्टर साहब प्लीज हम पर दया कीजिये , मुझ पर दया करो," ईशा ने निवेदन किया, जिसके आँसू अब उसके सुंदर गालों पर बह रहे थे वो गिड़गिड़ा रही थी प्लीज "हमें छोड़ दो, डॉकटर अंकल हम दोनों को छोड़ दो।

तभी जीतू बोला हम प्रायश्चित करने के लिए सर आप जो भी कहेंगे वो करेंगे। मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ, मैं कुछ भी त्याग कर सकता हूँ, अगर आप इस प्रिय ईशा को छोड़ दोगे।" मैंने उसे रुकने को कहा।

तभी हलकी हलकी बारिश की बूंदे पड़नी शुरू हो गयी तब स्वाभाविक रूप से कठोर और दृढ़ तरीके और दया के लहजे में मैं बोला । "बहुत हो गया," मैंने कहा, " मुझे तुम्हारे लिए सजा निर्धारण करने के लिए समय चाहिए और इसके लिए मुझे धरम शास्त्रों को पढ़ना होगा ईशा तुम कल मेरे पास दोपहर २ बजे अपने पुराने घर के पास आ जाओ वहीँ मैं तुम्हारी सजा के बारे में कुछ भी कहूंगा। मैं आपसे उम्मीद करूंगा आप वहां समय पर आ जाएंगी ।

और जीतू आप के लिए, मैं अपने फैसले को आरक्षित रखूंगा और सभी कार्रवाई, अगले दिन शाम ६ बजे तक निलंबित रहेगी और उस समय मैं उम्मीद करता हूँ आप वह आ जाएंगे और उम्मीद है आप खुद के लिए भी तब तक कोई सजा सोच लेंगे । उस पर विचार करके आगे का फैसला लेंगे . उन्दोनो ने मेरा धन्यवाद दिया और मैंने उन्हें ना आने पर फिर चेतावनी दी।

फिर पहले मैंने ईशा को जाने को बोला और उसके बाद लगभग १५ मिनट के बाद मैंने जीतू को जाने दिया " और उनके कहा कल जब तक हम फिर से नहीं मिलते हैं तब तक के लिए आपका रहस्य मेरे साथ सुरक्षित है, ," और फिर घर लौट आया ।

जब मैं वापस घर पहुंचा तो रूपाली मेरा इंतजार कर रही थी और मेरे साथ ही उसने मेरे घर में चाय का कप लेकर प्रवेश किया और कहा, "काका क्या आप तैयार नहीं हैं? मैं पहले से ही तैयार हूं। मुझे बस अपनी साड़ी बदलनी है। आज हम दोनों को फिल्म देखने जाना है। आपको याद होगा पिछले हफ्ते हम फिल्म देखने नहीं जा पाए थे क्योंकि आप अपने दोस्त से मिलने गए थे। ” मुझे याद आया कि मैंने पिछले हफ्ते गोरा रूसी एना को कैसे चोदा था।

"ओह ... हाँ ... हाँ, 10 मिनट के भीतर, मैं तैयार कर आता हूँ तब तक आप भी त्यार हो जाओ ," मैंने कहा। मैंने सिनेमाघर जाने के लिए अपने चालक सोनू को गाडी त्यार करने को कहा।

जींस और टी-शर्ट में डालने के बाद, मैं बाहर आया, और रूपाली के दरवाजे पर दस्तक दी। रूपाली मेरा इंतजार कर रही थी और वह बाहर आ गई। उसे देखने के बाद, मेरी ... भगवान ... मेरी आँखें चकाचौंध हो गईं, आज तो मैं उसकी सुंदरता देखकर दंग रह गया।

उसने एक मैचिंग पारदर्शी ब्लाउज के साथ गुलाबी साड़ी पहनी थी जहाँ से उसकी ब्रा की पट्टियाँ और कप साफ़ दिखाई दे रहे थे। साडी का पल्लू उसके कंधे पर अलग रखा हुआ था, उसकी पतली कमर से पूरी तरह से उसकी नाभि उजागर थी पतली कमर के सुडौल शरीर के साथ आकर्षक त्वचा के साथ उसकी चमकदार गोरी त्वचा उसकी साड़ी के रंग के साथ अद्भुत रूप से मेल खा रही थी। उसकी गढ़ी हुई आकृति पतली थी। उसके पास एक गोरा रंग मेल खाते मेकअप और साडी के रंग के कारण गुलाबी रंग का लग रहा था।

उसके चेहरे पर मखमली पलकें, पतली सुन्दर नाक, और उसके प्यारे और मीठे होठों पर हल्के गुलाबी रंग के लिपस्टिक लगी हुई थी जहाँ से उसके सफ़ेद दाँत चमक रहे थे। उसके नाखूनों को लाल रंग से रंगा गया था। उसके खुले काले लंबे बाल उसकी कमर पर गिर रहे थे। माथे पर एक गहरी सिंदूर की लकीर के साथ, उसकी बड़ी, मछली जैसी बड़ी बड़ी आँखें बड़ी सुंदर थीं। कौन सा आदमी उन गहरी काली आँखों के सागर में खो जाना पसंद नहीं करेगा? उसकी आँखों में एक नज़र डालने से ही व्यक्ति को पता चल जाएगा कि वो ही उसके सपनो की रानी है । वो आँखें मेरे लिए कुछ ज्यादा ही बोल रही थीं। मेरे लिए उसकी सुंदरता उसकी बड़ी सुंदर आँखों की रहस्यमय अभिव्यक्ति में थी। मैं उसकी आँखों में खो गया ..



कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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#63
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे


CHAPTER- 5

रुपाली - मेरी पड़ोसन



PART-8



फिल्म


रुपाली भाभी का ऐसा कल्पना से भी परे अतुलनीय रूप देखकर मुझे पूर्णता की संभावना पर दृढ़ता से विश्वास हुआ और आश्चर्य भी हुआ की कैसे किसी की कम दूरी से देखना कितना अच्छा लग सकता है।

और एक चीज जिसने उसे इतना अकल्पनीय रूप से आकर्षक बना दिया था वह उसकी आँखों थी उसकी बड़ी बड़ी और अभिव्यंजक निगाहों ने मुझे गर्व महसूस कराया कि वह मेरी साथी थी । इस महिला की अध्भुत सुंदरता ने मुझे विश्वास दिलाया कि इस दुनिया में वास्तविक सुंदर महिलाएं मौजूद हैं। मैंने सोच में था कोई व्यक्ति सचमुच इतना सुंदर कैसे दिख सकता है?

मैं खुद से यही सवाल करता हुआ पूछता रहा कि कोई कैसे सभी मुसीबतो के बीच में भी इतनी शानदार रूप से शानदार दिख सकता है। जाहिर है, वह इतनी सुंदर लग रही थी कि इसने मुझे इस सवाल का जवाब देने के लिए मजबूर किया। उसकी ऐसी सुंदरता को सराहना की जरूरत थी। उसकी सुंदरता इतनी अतुलनीय और आश्चर्यजनक थी कि मैं सन्न हुआ उसे देखता ही रह गया ।

अचानक, मैं उसकी आवाज़ से वास्तविकता की दुनिया में आया, "काका, कहाँ खो गए ? आप क्या सोच रहे हैं? हमें देर हो रही है।"

मैंने सोमू को अपनी कार लाने के लिए कहा और उसमे बैठ कर हम थिएटर पहुँच गए । दोनों ऐसे अभिनय कर रहे थे जैसे कि दोपहर में कुछ भी नहीं हुआ हो । हम थोड़ा देरी से पहुंचे थे बॉक्स ऑफिस बिकुल खाली था मुझे थोड़ा आश्चर्य हुआ की बॉक्स ऑफिस कहली कैसे है फिर भी मैं बॉक्स ऑफिस के टिकर काउंटर पर गया और मैंने दो टिकट मांगे।

"सर, आपको कौन सी मूवी का टिकट चाहिए?" बुकिंग क्लर्क से पूछा।

मैंने कैमरून की "अवतार" मूवी के लिए मुझसे अनुरोध किया।

क्लर्क ने विनम्रता से जवाब दिया, "सर, जिस फिल्म का आपने उल्लेख किया है, वह ऑडी 1 में शाम के शो में फुल हाउस चला रही है। अब शाम के शो के लिए," लवर्स " ( बदला हुआ नाम) नामक एक और हॉलीवुड फिल्म ऑडी 2 में दिखाई जाएगी।"

मैं निराश हुआ की रुपाली को बहुत बुरा लगेगा और मैंने तदनुसार रूपाली भाभी को सूचित किया। दोनों ने चर्चा की। वह फिल्म देखने के लिए बहुत उत्सुक थी और बोली अब आये हैं तो कोई और फिल्म देख लेते हैं और बोली काका हम अवतार फिल्म फिर कभी देख लेंगे आप अभी जो फिल्म की टिकट मिल रही है वो ले ले । जैसा कि वह शनिवार को थिएटर में एक फिल्म देखने का आनंद लेने के लिए रुपाली के दिमाग में एक पूर्व धारणा थी, मैंने बालकनी की अंतिम पंक्ति में दो कोने की सीटों के लिए बुकिंग क्लर्क से अनुरोध किया, और " लवर्स " के लिए शाम के शो के लिए टिकट मांगे।

बुकिंग क्लर्क ने हमें बताया कि हम हॉल में किसी भी स्थान पर बैठ सकते हैं क्योंकि हॉल पूरी तरह से खाली है क्योंकि लोगों की भीड़ केवल 3 डी अवतार देखने के लिए है और जनता दूसरी फिल्म देखने के लिए इच्छुक नहीं हैं। तब बुकिंग क्लर्क ने कहा कि स आप थोड़ी देर इंतजार कर ले फिर आपको बताते हैं की हम शो चलाएंगे या नहीं क्योंकि अभी क इस शो के लिए आप ही अकेले दर्शक हैं

मैंने कहा ठीक है . कुछ देर बाद हाल का एक कर्मचारी मुझे बुलाने आया और मुझे हॉल के मैनेजर के कक्ष में ले गया .. वहां मैनेजर ने मुझ से माफ़ी मांगते हुए कहाः महोदय आज चूँकि इस शो के केवल दो ही टिकट बाइक हैं इसलिए हम ये शो रद्द कर रहे है न .. मैनजर बोलै हम आपका पैसा वापिस कर रहे हैं

तो मुझे मालूम था ये जान कर रुपाली बहुत निराश होगी और आज वो इतनी खुश और सुंदर लग रही थी की मैं उसे आज निराश और दुखी नहीं देखना चाहता था तो मैंने उसका मूड देख कर मैनेजर से बोला कुछ कीजिये मैनेजर साहब हम तो अवतार देखने आये थे पर वो हाउस फुल थी तो हमने इस फिल्म के टिकट ले लिए , अब आप उसे भी रद्द कर रहे हैं हमे बहुत निराशा हो रही है .. हम आपके नियमित ग्राहक है अगर आप पहले बता देते तो हम अन्यत्र चले जाते उसका भी समय बीत गया है अब आप कृपया कुछ कीजिये के तो अवतार फिल्म के हाल में ही दो कुर्सियां डलवा दे हमे वो भी स्वीकार है तो मैनेजर बोला नहीं ये संभव नहीं है.

फ़ित्र मैंने पुछा प्रबंधक महोदय आप कम से कम कितने ग्राहक होने पर शो चालते हैं तो प्रबधक बोलै १० टिकट बिकने पर हमे शो चलाना ही पड़ता है ऐसा हमने नियम बना रखा है

फिर मैनेजर बोला आप शो के 10 टिकट खरीद ले और अपने मित्रो या परिवार के लोगो को बुला ले तो में सिर्फ आपके लिए एक विशेष शो चला सकता हूँ और आपको इसके साथ हम पॉप कॉर्न और कोल्ड ड्रिंक हम आपको फ्री में दे देंगे और उसमे मूवी हॉल में केवल आप ही संरक्षक होंगे। मैंने तुरंत एक विशेष शो के लिए सिर हिलाया और भुगतान किया। मुझे इस कामुक फिल्म लवर्स के कथानक का थोड़ा-सा अंदाजा था और मैं कामुक दृश्य देखते हुए रूपाली भाभी की प्रतिक्रिया देखना चाहता था।


फिर जब हमने थिएटर में प्रवेश किया। हालाँकि यह शनिवार का दिन था, लेकिन उस फ़िल्म को देखने वाले हमारे अतिरिक्त कोई नहीं थे क्योंकि यह एक हॉलीवुड फ़िल्म थी तो भीड़ कम ही होती थी , ज़्यादा भीड़ हिंदी और गुजराती फ़िल्मों में ही होती थी लेकिन इस फ़िल्म "अवतार" ने सभी भारतीय और विदेशी फ़िल्मों को पछाड़ दिया है। जब हमने प्रवेश किया तब थिएटर में कोई नहीं था। रुपाली को भी पता था की ये वयस्क फिल्म थी।

जल्द ही थिएटर के हॉल में अंधेरा हो गया मूवी हॉल के अंदर हम दोनों के अतिरिक्त कोई और नहीं थी। हम बालकनी के पिछले भाग के केंद्र में बैठे, मेरा हाथ उसके बगल में आराम से कुर्सी की बाजु पर रखा हुआ हमारी कोहनी भी हल्के से आपस में छू रही थी। रूपाली भाभी ने तब महसूस किया कि कुछ उनके पैर को छू रहा है, और महसूस किया कि मैंने अपने पैर फैला दिये थे और मेरा पैर उनके पैर को लापरवाही से छू रहा था। हमारे शरीर बारीकी से स्टे हुए थे और इससे हम दोनों के पूरे शरीर में विद्युत प्रवाह को महसूस किया। मुझे उसके शरीर की खुशबू से नशा हो रहा था।

मैंने रूपाली भाभी को एक पॉपकॉर्न का पैकेट दिया, और कहा, "भाभी ये कुछ पॉपकॉर्न हैं।"

और साथ में दो कोल्ड ड्रिंक भी थी। फिल्म स्क्रीन पर शत्रु हुई हो और रूपाली भाभी ने अपने रसभरे होंठों को पॉपकॉर्न का स्वाद चखाया।

"उम्म्म ... यह स्वादिष्ट है!" वह कराह उठी।

मैंने मुस्कुराते हुए कहा, "भाभी जब आपका मन करे तो आप कोक पी लेना ; मैंने हमारे लिए कोल्ड ड्रिंक खरीदी है। बहुत सारे पॉपकॉर्न खाने केबाद बहुत जोर से प्यास लगती है ।"


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
 
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रुपाली - मेरी पड़ोसन


PART-9


कामुक फिल्म




थोड़ी देर तक हम चुपचाप फिल्म देखते रहे। कुछ मिनटों के बाद मेरी दायी कोहनी उसकी बायीं कोहनी के साथ रगड़ खाने लगी । मैंने अपनी कोहनी ने उसकी कोहनी को हलके से दबा दिया और इससे पहले कि वह अपनी कोहनी को दूर ले जा सके, मैंने दबाव और बढ़ा दिया । फिर उसे लगा कि मेरा पैर जानबूझकर उसके पैर को छू रहा है। रूपाली भाभी को अब थोड़ा अजीब लगा।

रूपाली भाभी ने मेरे साथ सिनेमाघरों में काफी फिल्में देखी थीं, और इस दौरान हमारे शरीर आपस में कई बार छुए थे , लेकिन उन्होंने पहले कभी कुछ भी असामान्य महसूस नहीं किया था। हालाँकि वह मेरे सामने सामान्य लग रही थी पर दोपहर की घटना और हमारी यौन मुठभेड़ अभी भी उसके दिमाग में मँडरा रही थी । मैंने या उसने दोपहर की घटना का कभी अनुमान नहीं लगाया था, वह मानती थी कि यह एक दुर्घटना थी, और मामला वहीं समाप्त हो गया। लेकिन उसने मुझे अपनी उंगलियों को उसकी चूत के अंदर डालने अनुमति देकर और मेरे लंड को चूस कर उसने मुझे प्रोत्साहित किया था । वो सोच रही थी हो सकता है कि यह हमारे दोनों में सेक्स के आवेग के कारण हुआ हो , क्योंकि मैं युवा था, वह भी एक यौन रूप से भूखी महिला थी, और इसमें हम दोनों बराबर के दोषी थे।

उसने सोचा कि वह मुझे पूरी तरह से दोष नहीं दे सकती, लेकिन उसने अपने मन में खुद को सांत्वना दी कि भविष्य में वह मुझे अपने साथ किसी भी यौन क्रिया करनी के लिए कोई गुंजाइश नहीं देगी । वो मानती थी मैं सज्जन पुरुष था, और वो मेरी प्रसंसक थी और मेरे तरफ आकर्षित भी हुई थी लेकिन वह एक गुणी महिला, संबंधित गृहिणी और दो बच्चों की माँ भी थी। वह एक आसानी से बहक जाने वाली महिला नहीं थी। उसके मन में ये सारे विचार आ रहे थे।

लेकिन ? उसे मेरे स्पर्श से अजीब क्यों लग रहा था? क्या मेरा स्पर्श जानबूझकर था?

अतीत में, फिल्मों को देखते समय कई बार मेरा शरीर उसे बहुत करीब से छू गया था, तब उसे कभी भी ऐसा नहीं लगा था ?

वह अपने इन विचारो से में बहुत परेशान थी, फिर उसे अपने अंदर से जवाब मिला कि ये सभी नकारात्मक विचार केवल दोपहर में मेरे साथ बने यौन संबंध के कारण आ रहे थे, और जो अभी भी उसके दिमाग में ताजा थे ।

उसके मन में उलझन थी कि क्या वह एक गुणी गृहिणी थी, या वह गुप्त सेक्स की इच्छा रखने वाली एक पाखंडी स्त्री थी।

स्क्रीन पर चल रही फिल्म यह एक टीन एज रोमांस की फिल्म थी। प्रमुख अभिनेता और अभिनेत्री किशोर थे। नियमित रोमांस के दृश्यों के बाद, दोनों ने बेडरूम में प्रवेश किया। लड़के ने कसकर महिला को गले लगा लिया, और पूरी भावना के साथ , उसके होंठ पर अपने गर्म चुंबन शुरू कर दिए कि उसके बाद में उसने एक के बाद महिला से कपड़ो को हटाना शुरू कर दिया और उसे पूरी तरह से नग्न कर दिया। कैमरा उस समय नाइका के छोटे गोल बूब्स पर केंद्रित था उसके निप्पल चेरी। की तरह लाल रंग की थी फिर कैमरा उसके निचले गोल चूतड़ पर केंद्रित करते हुए, उसके निचले हिस्से पर चला गया, फिर उसकी निचली तरफ जांघो के बीच में छोटे और कम जघन बालों से घिरी हुई चूत के बाहरी होंठ दिखाई दिए। इस बीच, लड़की ने भी लड़के के पूरे कपड़े भी उतार दिए थे। लड़के के झूलते औसत आकार के लंड के साइड व्यू पर कैमरा केंद्रित हुआ ।

लड़की बिस्तर पर उसकी पीठ पर लेट गई; लड़का उसके ऊपर आया और अपने लंड को उसके मुँह में डाल दिया। कैमरे ने लड़की की पीठ पर ध्यान केंद्रित करते हुए दिखाया कि वह लंड को चूस रही थी, लेकिन लंड को के प्रत्यक्ष दृश्य में दिखाया नहि गया था । फिर लड़के ने लड़की के निपल्स को चूसना शुरू कर दिया ज और कैमरा इस तरह से केंद्रित था जो लड़के के होंठ और लड़की के निपल्स को साफ दिखा रहा था। कुछ सेकंड के बाद, लड़के ने लड़की को चोदना शुरू कर दिया।

चुदाई का दृश्य को स्पष्ट रूप से नहीं दिखाया गया था बल्कि स्क्रीन पर कैमरे ने दूर से दोनों के जघन बालों को केंद्रित किया, और लड़के को दोनों तरफ से जंगली आवाजों और कराहो के साथ जोर से धक्के लगाए जा रहे थे । थिएटर में केवल स्क्रीन पर दिखाए गए प्रेमियों की कराहती आवाजें ही गूंज रही थीं। तभी उसे छिरर्र की आवाज सुनाई दी जिस पर उसने ज्यादा ध्यान नहीं दिया क्योंकि स्क्रीन पर बहुत गरम दृश्य चल रहा था और भाभी उसे बहुत मस्त होकर देख रही थी

इस दृश्य को देखते हुए मैंने फिर से, उसकी कोहनी को अपनी कोहनी से दबाने और ढीला छोड़ने का क्रम 2-3 बार दोहराया और फिर उसने महसूस किया कि मेरी कोहनी एक प्रकार की लय में चल रही थी । यह कुछ मिनटों के लिए जारी रहा, और मैं अपने कोहनी उसकी कोहनी पर रगड़ रहा था, उसने सोचा कि मैं ये क्या कर रहा था, और मैंने मुस्कुराते हुए दाईं ओर उसे देखा। तो उसने भी अपनी बायीं और मुझे देखा

रूपाली भाभी ने आश्चर्य के साथ देखा कि मैंने अपनी जीन की ज़िप को खोल कर , (वह आवाज जो उसने सुनी थी-वह तब आयी थी जब मैंने अपनी जीन की ज़िप खोली थी ) अपना लंड निकाल लिया था। मैं अपने हाथ से लंड पकड़ कर धीरे से ऊपर और नीचे रगड़ रहा था जिस से मेरे कोहनी उसकी कोहनी से रगड़ खा रही थी ( और उसने उसे सिर्फ मेरी कोहनी की रगड़ समझा था )।

वह कुछ भी कहने से कतरा रही थी और पलट कर जल्दी से स्क्रीन पर देखने लगी । रूपाली भाभी बड़ी दुविधा में थीं कि अब क्या किया जाए। अपने शर्मीले स्वभाव के कारण भाभी बहुत घबराई हुई थी । उसने इसे अनदेखा करने का फैसला किया, और उसने सोचा कि मैं जो करना चाहू वो कर सकता हूं पर वो इसका हिस्सा नहीं बनेगी । कुछ मिनटों के बाद, वह फिर से अपने बायीं ओर मुड़ी और देखा , कि मैं क्या कर रहा हूँ तो उसने पाया मैंने अपनी पैंट उतार दी थी , और मेरे दाए हाथ से मेरा अकड़ा हुआ लंड था। यह बहुत कठोर , सीधा, लम्बा और यह वास्तव में काफी बड़ा दिखता था।

रूपाली भाभी ने देखा, और मेरी साँसें बहुत तेज चल रही थी । यह उसके लिए काफी आश्चर्यजनक था क्योंकि उसने पहले कभी किसी पुरुष को हस्त मैथुन करते हुए नहीं देखा था इस तरह का कोई अनुभव नहीं था। वह डर गई और घबरा गई। उसने धीरे से अपनी बांह हटाई, और फिर से अपनी दाईं ओर देखा, और मुझे अपने उभरे हुए और विशाल लंड के साथ खेलते हुए देखा।

मैंने रूपाली भाभी की तरफ देखा और देखा कि उसने भी मेरी तरफ देखा है, लेकिन हम चुप रहे।

मेरी इस हरकत से नाराज हो कर उसने जल्दी से गुस्से में दूसरी तरफ देखा और साथ ही वो शरमा गई क्योंकि मैंने उसे अपने लंड को देखते हुए पकड़ लिया था। वह अब इतनी उलझन में थी। स्क्रीन पर दृश्य प्रत्येक मिनट में गर्म से गर्मतर हो रहा था । मैंने अपनी बाए हाथ कि उंगलिया रूपाली भाभी के जांघो पर फिसलाने के लिए रुपाली भाभी की तरफ बढ़ा दी और इससे पहले हमारी नज़रें एक बार और मिलीं, मेरे दाए घुटने ने उनकी बायीं जाँघ को रगड़ का ब्रश किया। रूपाली भाभी कांप गई, और मेरे इस तरह छूने पर वैसे ही शरमा गई जैसे एक नयी दुल्हन अपनी सुहागरात में उसके पति के पहली बार छूने पर शर्माती है.

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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#65
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे


CHAPTER- 2


 
एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे


CHAPTER- 5

रुपाली - मेरी पड़ोसन



PART-10



हस्तमैथुन





मैंने अपनी बाए हाथ कि उंगलिया रूपाली भाभी के जांघो पर फिसलाने के लिए रुपाली भाभी की तरफ बढ़ा दी और इससे पहले हमारी नज़रें एक बार और मिलीं, मेरे दाए घुटने ने उनकी बायीं जाँघ को रगड़ का ब्रश किया। रूपाली भाभी कांप गई, और मेरे इस तरह छूने पर वैसे ही शरमा गई जैसे एक नयी दुल्हन अपनी सुहागरात में उसके पति के पहली बार छूने पर शर्माती है.

उसके बाद कुछ मिनटों के लिए कुछ नहीं हुआ, लेकिन रुपाली भाभी का दिल एक ड्रम की तरह तेजी से धड़क रहा था। रूपाली भाभी को एक झटका तब लगा जब उसे महसूस हुआ कि मैंने अपना कोई अंग उसकी जांघ पर रख दिया था तो उन्होंने अपने जांघ हटाने को कोशिश की तो उनकी जांघ उनकी दूसरी टांग से रगड़ गयी फिर रूपाली भाभी को अगला झटका जब उन्हें मह्सूस हुआ की वो मेरा हाथ था जो उसकी दाहिनी जाँघ पर ऊपर की और आ रहा है ,और जहाँ जाँघे मिलती है और उसकी चूत के प्रवेश द्वार था उसके पास आकर रुक गया।

उसने मेरे हाथ को पीछे धकेल दिया, मेरे हाथ को छूने से एक कंपकंपी उसकी रीढ़ के नीचे तक हुई।

उसके इस इनकार ने मुझे उकसा दिया और मेरी उँगलियाो ने उसकी जांघो को जोर से दबाया और उसकी साड़ी की तह के माध्यम से उसकी टांगो की और बढ़ गयी । मेरा हाथ धीरे-धीरे उसके पैर तक पहुँच गया । अब वह प्रतिक्रिया देने में भी डरने लग गयी और उसकी अब कोई तत्काल प्रतिक्रिया नहीं आयी ; मैंने उसकी साडी को उठाया और अपना हाथ अंदर लेजा कर धीरे से उसकी टांग पर रखा और उसे धीरे से उसे निचोड़ दिया।

उसकी टाँगे सच मे बहुत चिकनी और नरम थी और मेरा हाथ बार बार फिसल रहा था वह नहीं जानती थी कि उसे क्या करना है और यद्यपि उसने अपने पैर आगे बढ़ाए, लेकिन वह मेरा हाथ नहीं हिला पा रही थी।

मैं अपना हाथ वापिस उसकी जांघ पर ले आया और कुछ मिनटों तक मैं धीरे से उसकी जाँघ (अपने बाएँ हाथ से) सहला रहा था। रूपाली भाभी स्क्रीन पर बड़ी मुश्किल से घूर रही थी और अभिनय कर रही थी जैसे कि कुछ भी नहीं हो रहा हो, लेकिन वह गर्म महसूस कर रही थी और अपने होंठ अपने दांतो के नीचे दबा रही थी क्योंकि लड़का स्क्रीन पर लड़की को चोद रहा था और स्क्रीन पर लड़के के हाथ लड़की की जांघो को सहला रहे थे , जबकि उस समय मेरा हाथ भी रुपाली भाभी की चिकनी जांघ पर टिका हुआ था, और अब धीरे-धीरे इसे ऊपर-नीचे घुमाते हुए मैं उसकी जांघ को दबाते और सहलाते हुए निचोड़ रहा था, । वह नहीं जानती थी कि उसे क्या करना है और उसे घबराहट हो रही थी । उसने आँखों के कोने के माध्यम से, उसने फिर से अपनी बाईं ओर देखा, और देखा कि मैं भी स्क्रीन पर देख रहा था, लेकिन मेरा हाथ उसकी जांघ को सहला रहा था। मेरा लंड सख्त और सीधा खड़ा था, और मैं लंड को अपने दाहिने हाथ से सहला रहा था।

मैंने धीरे-धीरे अपने हाथ को उसकी जांघ पर ऊपर की ओर ले जा रहा था, और फिर उसने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और अपने पैर से मेरे पैर को धक्का दे दिया। मेरा हाथ उसे निष्चित ही बहुत गर्म लगा होगा । कुछ मिनटों के लिए मैं रुका तो उसने अपना हाथ मेरे हाथ से हटा लिया और र इस बीच वह स्क्रीन पर कड़ी मेहनत कर रहे युगल की यौन क्रियाये देख रही थी, उसका दिमाग सोच रहा था और मेरी अगली चाल का इंतजार कर रहा था। फिर उसने मेरा हाथ एक बार फिर से उसकी जाँघ पर हिलता हुआ महसूस किया और मैंने उसे एक बार फिर से सहलाना शुरू कर दिया और वो निश्चल बैठ गई।

मैंने अब अपना हाथ पूरी तरह से उसकी जाँघ पर रख दिया, और मैंने उसे और अधिक तात्कालिकता से सहलान शुरूकर दिया उसके बाद मैंने उसकी जंघा को कस कर दबा कर निचोड़ दिया और धीरे से उसके पैरों को फैलाने की कोशिश कर रहा था। उसने इसका विरोध किया, और फिर से उसे धक्का देने के लिए अपना बाया हाथ मेरे हाथ पर रख दिया। लेकिन इस बार मैं इसके लिए तैयार था, और इससे पहले कि वह मेरा हाथ हटा देती , मैंने दाए हाथ से उसका हाथ पकड़ लिया, उसने छूटने की कोशिश की तो मैंने हाथ और दृढ़ता से पकड़ लिया। वह भी इस बात से अचंभित थी, और मैं उसके हाथ को, मानो उसे आश्वस्त करने के लिए धीरे से सहलाने लगा तो उसने अपना हाथ दूर खींचने की कोशिश की, लेकिन मेरी पकड़ काफी मज़बूत थी और फिर मैंने उसका हाथ तेज़ी से अपनी और खींच लिया, और मज़बूती से पकड़ कर अपने सख्त लंड के ऊपर रख दिया।

रूपाली भाभी को इस साहसिक कदम से वास्तव में बहुत चकित हुई और मुझे रोकने में हुई उसे अपनी असफलता पर निराशा भी हुई । उसका हाथ मेरे लंड पर था, मेरे बड़े हाथ में मैंने उसका हाथ पकड़ा हुआ था और मैंने अब अपने हाथ से उसके हाथ को अपने लंड पर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। रूपाली भाभी दंग रह गई, उसे मेरा लंड बहुत बड़ा लग रहा था, और उसके हाथ कांप रहा था और मुझे लंड पर उसकी दिल की तेज धड़कन उसके हाथ के माध्यम से महसूस हुई । उसने हाथ छुड़ाने का असफल प्रयास फिर किया पर मेरी पकड़ दृढ़ थी, और वह अपना हाथ नहीं हटा पायी थी। वह आश्चर्यचकित थी कि उसने मेरे खड़े हुए कठोर लंड को पकड़ा हुआ था और मेरे हाथ की गति से अपने हाथ को मेरे लंड पर ऊपर-नीचे कर रही थी ।

मैंने फिर अपनी स्थिति को थोड़ा सा बदल दिया, मोड़ कर और थोड़ा झुक कर उसकी ओर बढ़ा, और अपने बाए हाथ को मैंने उसे धीरे से उसके कंधे पर रखा, फिर पेट पर, और धीरे से सहलाने लगा । जब उसने मेरे हाथ को हटाने के लिए के लिए अपना बायाँ हाथ आगे बढ़ाया, तो मैंने उसके हाथ को मजबूती से पकड़ लिया, लेकिन धीरे-धीरे उसके हाथ को सहलाने लगा। रूपाली भाभी तो उलझन में थी, लेकिन बहुत कोमलता के साथ उसका बायाँ हाथ मेरे सख्त और गर्म लंड को पकड़ रहा था।


उसने अपना बाय हाथ छुड़ाने की कोशिश की तो अपने बाए हाथ से उसके हाथ को छोड़ दिया, धीरे-धीरे उसके ऊपरी पेट को सहलाया, तेजी से अपना हाथ से उसके पल्लू के नीचे सरका दिया और अब मेरा हाथ उसके बाएँ स्तन पर था। मैंने धीरे से उसके स्तन को सहलाना और दबाना शुरू किया। रूपाली भाभी अब विरोध करने से कतरा रही थीं क्योंकि पहले बार जब उसने विरोध किया था तो मैंने उसे अपना लंड पकड़ा दिया था अब इस डर के मारे उसने विरोध ही नहीं किया की पता नहीं उसके विरोध की प्रतिक्रिया में मैं उससे क्या करवाने लगू , और मैंने उनके स्तन को दृढ़ता से दबाना जारी रखा, और फिर मैंने अपना हाथ उसके दूसरे स्तन पर स्थानांतरित कर दिया, और दृढ़ता से इसे दबाने लगा ।

उसकेबाए हाथ पर मेरी पकड़ उतनी ही दृढ़ थी, और मेरा कठोर लंड उसके हाथ में ही था। मैंने फिर अपना हाथ उसके स्तनों पर, उसकी गर्दन पर ऊपर की ओर बढ़ाया, और फिर अपना हाथ उसके ब्लाउज के अंदर सरका दिया, और मेरा हाथ अब उसकी ब्रा के अंदर जाने की कोशिश करने लगा ।

मेरा गर्म और मरदाना हाथ जल्द ही उसके स्तन की कोमल त्वचा पर पहुँचने ही वाला था और उसे समझ नहीं आ रहा था की वो अब क्या करे .. उसकी आँखे अभी भी स्क्रीन पर थी जिसमे नायक नायिका के स्तन अपने हाथो से दबा रहा था .इन घटनाओं के कारण वह बहुत अभिभूत थी। मैंने उसकी ब्रा के अंदर एक दो उंगलियाँ घुसा दी और उसके निप्पल को सहलाया। रूपाली भाभी के शरीर में अनैच्छिक कंपकंपी आयी क्योंकि यह बहुत अधिक हो गया था, वह नहीं जानती थी कि उसे अब आगे क्या करना है, मैंने बस अपने प्रयासों को जारी रखा है। मेरे मूवमेंट बोल्डर निडर और तेज हो गए।

उसने एक बार अपने बाए हाथ को जो मेरे लंड को पकड़े हुए था उसे छुड़ाने की कोशिस की तो मैंने उसके हाथ को जाने दिया और तुरंत अपने आज़ाद हाथ से उसके दूसरे स्तन को बहुत मजबूती से सहलाना शुरू कर दिया। मैंने फिर अपने हाथ को स्थानांतरित कर दिया, और एक हाथ फिर से उसकी जांघ पर लेजा कर उसे कस कर दबाया और जांघो के अंदरूनी भाग पर ले गया और टाँगे खोलने की कोशिश कर थोड़ा जगह बनाने की कोशिश करने लगा । उस बार मैं उसकी जांघो के बीच एक हाथ लाने में कामयाब रहा और दोनों जाँघि के बीच में मेंने अपने हाथ की एक उंगली दबा दी।

मैंने फिर अपना दूसरा हाथ उसकी साड़ी के ऊपर से, उसके पेट पर, और फिर उसके स्तनों पर टिका दिया और उसके ब्रा के कप में से एक स्तन को बाहर निकालने में कामयाब हो गया और उसे अपने हाथ में भर लिया और धीरे से सहलाने लगा फिर मैंने उसके निप्पल को सहला दिया जो पहले से ही उभरा हुआ था, और फिर मैंने धीरे से अपनी उंगलियों से उसके निप्पल पर थपकी दी । उसके बाद मैंने उसके दूसरे स्तन को भी बाहर निकाल लिया और अब उसे सहला रहा था .

मैं अब उसके बूब्स को बहुत ही जोश से सहला रहा था और सहला रहा था। आआ आह ओह्ह वो कराहने लग लगी

उसका दाहिना हाथ, जिसे मैंने छोड़ दिया था मेरे लंड पर था, वो भाबी ने ढीला छोड़ा और फिसल कर अब मेरी जांघो पर टिका हुआ था। मैंने उसका हाथ फिर से पकड़ा, एक बार फिर से अपने लंड पर रखा और उसे वहीं रहने दिया, इस बार जब मैंने उस हाथ को छोड़ा तो रुपाली भाभी ने उसे नहीं हटाया तो मैंने उसके दोनों स्तनों को फिर से मसलना शुरू कर दिया। उसका हाथ मेरे धड़कते हुए लंड पर आराम कर रहा था, और उसके शुरुआती डर और घबराहट के बावजूद, उसने अपना हाथ मेरे लंड पर ही रहने दिया, धीरे से सहलाने लगी और उसे महसूस करने लगी । वो वास्तव अब आनंद ले रही थी और उसने चारों ओर देखा तो पाया कि थिएटर में कोई और नहीं था और किसी को भी पीछे की पंक्ति में हमारे कामुक कार्यों के बारे में पता नहीं था।

मैंने फिर उसके ब्लाउज की डोरियों को खोलना शुरू किया और ब्लाउज को उतार दिया और इसकी पीठ को सहलाया उसके ब्रा के हुक खोले और ब्रा को भी उतार दिया,और उसके बड़े गोल सुडोल और शानदार स्तन अब पूरी तरह से खुल गए और फिर उसे ये महसूस होने से पहले कि मैं क्या कर रहा हूँ , मैं आगे झुक गया , और उसके स्तन को चाटने लगा । और फिर उसके निपल्स और स्तन को चूसना शुरू कर दिया ।

मैंने उसके बाए निप्पल को पूरी तरह से अपने मुँह में ले लिया और उनको चूसने लगा .. वह आनंद से कराह उठी । आआहह ओह्ह प्लीज रुक जाओ, लेकिन उसकी हरकतों ने बता दिया वो गर्म हो गयी है . उसका शरीर अब मेरे द्वारा की गई उत्तेजनाओं का जवाब देने लगा था। जल्द ही उसे एहसास हुआ कि अब मेरी हरकतों का विरोध करना बेकार है, इसलिए उसने आत्मसमर्पण कर दिया . रूपाली भाभी ने भी मेरे लंड को पकड़ कर अपना हाथ ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया शुरू कर दिया, और उसे अच्छी तरह से सहलाया, और उसे जोर से सहलाना शुरू कर दिया।

मैं अब उसके स्तनों को हॉल के शांत एयर कंडीशनिंग में उजागर करने में सफल हो गया था , और निप्पलों के बीच चूमते हुए करते हुए उसके दोनों स्तनों को बारी बारी से पर मज़बूती से और लालच भरी कामवासना के साथ चूस रहा था। फिर मैंने अपना हाथ उसके पेट पर ले गया , उसके साडी के अंदर ले जाकर, उसके पेटीकोट के नाड़े तक पहुँच गया और जल्दी से उसे ढीला कर दिया और अपना हाथ उसकी पैंटी के अंदर सीधा उसकी योनि पर सरका दिया। मैंने धीरे से उसे सहलाना शुरू किया, फिर उसे उँगलियों से दबाया, एक उंगली अंदर सरका दी और धीरे से उसे उसकी योनि के साथ हस्तमैथुन करने लगा । रूपाली भाभी ने स्वेच्छा से अपने पैर फैला दिए ताकि मैं उसकी योनि तक और बेहतर पहुँच पाऊँ और वो मेरे लंड को सहलाती रही (जबकि मैं अभी भी उसके स्तनों को चूस रहा था), वह भी मेरे खड़े हुए कठोर लंड को सहला रही थी।

यह कुछ मिनटों तक जारी रहा, मेरी हरकतें तेज़ हो गईं, और उसे पता था कि वह बहुत जल्द अपने कामोन्माद तक पहुँच जाएगी। जल्द ही मुझे उसकी शरीर की अनियंत्रित कंपकंपी महसूस हुई, जैसे कि उसके शरीर के माध्यम से भावनाएं एक मजबूत बिजली के झटके के माध्यम से चली गईं, उसके पूरे शरीर में लाखों झुनझुनी सनसनी फैल गईं, और उसके शरीर के प्रत्येक तंत्रिका को गहन संभोग के रूप में उत्कर्ष पर ले गयी । यह 2-3 मिनट तक चला, उसकी योनि काम रस से भर गयी और वो पूरी तरह से तृप्त हो गयी।

मैं जानता था कि उसे संभोग सुख मिल गया है, और मेरा हाथ उसकी योनी से हटा दिया, मेरा हाथ उसके एक स्तन पर वापस चला गया, और दूसरे स्तन को मैं मेरी जीभ और मुंह से चूस रहा था। मैंने अपना हाथ उसके उस हाथ पर रख दिया जो मेरे लंड को सहला रहा था, और उसे पकड़ लकर तेजी से हिला कर उसे तेज़ी से करने का इशारा किया और उसने मेरे लंड पर अपनी हरकत की रफ़्तार बढ़ा दी। रूपाली भाभी ने मेरे लंड को जोर से पकड़ लिया और तेजी से अपने हाथ को ऊपर-नीचे करने लगीं, जिससे जल्द ही उसने मेरे शरीर को तनावग्रस्त कर दिया, इससे पहले कि एक बार वह अपना हाथ हटा पाती , मेरा लंड उसके हाथ में अनियंत्रित रूप से मुड़ गया, और मेरा वीर्य बाहर आने लगा, क्योंकि वह मेरे लंड को सहलाती रही, और उसका पूरा हाथ मेरे वीर्य से भीग गया और वीर्य उसके पूरे हाथ से टपकने लगा।

रूपाली भाभी को उम्मीद नहीं थी की वीर्य बाहर निकल कर उसके हाथ पर टपक जाए। मैंने संतुष्ट आहें दीं, और रूपाली भाभी ने अपने हाथ को मेरे लंड से हटा दिया, और कहाँ से सारे वीर्य को पोंछ दिया। उसने फिर अपना पल्लू लिया और उसे पोंछा। उसने जल्दी से और चुपचाप अपने कपड़े समेट लिए और ब्लाउज और ब्रा पहन कर बंद कर ली मैंने भी उसकी बगल में बैठे हुए अपनी पेण्ट और अंडरवियर को ऊपर कर लिया ।

ये बिकुल सही समय पर निपट गया था क्योंकि इसके बाद मुश्किल से 5 -10 मिनट बाद रोशनी हो गयी फील में अंतराल हो गया । हमने इस बीच आपस में एक शब्द भी नहीं बोला था। मैं जल्दी से उठ गया, और उसकी तरफ देखे बिना भी टॉयलेट चल गया और मेरे पीछे पीछे वो भी लेडीज टॉयलेट में चली गयी ..

यह खत्म हो गया था, और यद्यपि उसका मन अभी भी भ्रमित था; उसे ये भी राहत मिली कि यह आखिकार खत्म हो गया था। वह वास्तव में पूरी तरह से घबरा गई थी । आखिरकार यह सब एक सार्वजनिक स्थान पर हुआ, और अगर किसी ने हमें देखा / पकड़ा तो क्या होता ये सोच कर उसे डर लग रहा था ।

वापिस आ कर रूपाली भाभी ने अपनी सीट पर खुद को जितना संभव हो सके, उतने इधर-उधर करने की कोशिश की, और देखा कि हॉल बिल्कुल खाली था। उसने पिछले 90 मिनट या उसके बाद की घटनाओं के बारे में सोचा, और जो कुछ हुआ, उस पर वह स्तब्ध थी की उसने मुझे ऐसा करने की अनुमति कैसे दी, उसने कैसे मुझे उसे उत्तेजित करने की , उसकी ब्रा खोलने, उसके स्तनों को छूने और उसके स्तनों को चूसने की अनुमति दी। कैसे यहाँ तक की उसने हस्तमैथुन के लिए मेरा लंड भी पकड़ लिया । रूपाली भाभी ने किस तरह अपनी स्वाभाविक शर्म और डर को दूर किया और जोश के साथ आखिरकार उसने मेरा साथ दिया। निश्चित तौर पे यह जंगली और पागलपन भरा उत्तेजक अनुभव था ,,

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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#66
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 2

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे


CHAPTER- 5

रुपाली - मेरी पड़ोसन



PART-11



अंतराल


किसी तरह से रूपाली भाभी की स्वाभाविक शर्म और डर को दूर हो गया था, और जोश के साथ आखिरकार उसने मेरा साथ दिया। इस पर कोई संदेह नहीं हो सकता कि उसके शरीर ने स्थिति अनुसार प्रतिक्रिया की थी और उसने तेज और और चूर-चूर करने वाला ऑर्गज़्म अनुभव किया था और और इस बीच मैं सीट पर लौट आया, और उसकी बगल में बैठ गया।

तभी हाल के मैनेजर ने कोक और पॉप कॉर्न भिजवा दिया मैंने पॉपकॉर्न का एक पैकेट उसे पेश किया, उसने कुछ लिया और हमने उसे आपस में साझा किया। फिर मैंने कोक का एक घूँट भर पीने के बाद भाभी को दे दिया और उसने भी उसी गिलास से एक घूँट भर कर मुझे वापिस दे दिया

तभी दूसरा वेटर आइसक्रीम का एक कोन दे गया जिसका आर्डर मैं दे कर आया था .. मुझे पता था रुपाली भाभी को फिल्म देखते हुए आइसक्रीम कोन में आइसक्रीम खाना बहुत पसंद था और वेटर जब चला गया और दरवाजा बंद हो गया तो

10 मिनट या उसके बाद, जब वह मेरे हाथो से कुछ पॉपकॉर्न ले रही थी, मैंने उसका हाथ पकड़ लिया, उसे जोर से पकड़ लिया। कुछ मिनटों के बाद, माने उसके हाथ को लिया और मेरे मुँह के पास ले गया और उसके हाथो को प्यार से चूमा।

फिर मैंने उसे आइसक्रीम दिखाई तो उसने हाथ आगे बढ़ाया यो मैंने आइसक्रीम को चाटा और मुँह उसके पास ले गया और उसके ओंठो पर किस कर के जैसेउसे सन्देश दिया आइसक्रीम चाहिए तो मेरे ओंठो से लेनी होगी और फिर आइसक्रीम चाट कर उसे पकड़ा दी और उसने भी चाट कर मुझे वापिस दी तो मै आइसक्रीम का कोन उसकी तरफ ले गया तो वो अपने ओंठो को आइसक्रीम के पास ले आयी और आइसक्रीम चाटने लगी .. फिर मैं भी दूसरी तरफ से आइसक्रीम चाटने लगा .. आइसक्रीम कोन मैंने ही पकड़ा हुआ था .. मैंने चाटते हुए आइसक्रीम कोन नीचे कर दिया और हमारी जीब एक दुसरे की जीभ को चाटने लगी

अब रूपाली भाभी पहले की तरह इसको लेकर इतनी डरी हुई नहीं थीं। उसने कोई विरोध नहीं किया। हम दोनों ने कुछ देर तक एक दुसरे की जीभ चाहते रहे फिर उसने मेरा हाथ पकड़ कर आइसक्रीम ओंठो के पास ले आयी और हम दोनों ने आइसक्रीम खत्म कर दी , इस बीच मैं लगातार उसका हाथ पकड़ कर उसे सहलाता रहा ।

मैं फिर से अपनी सीट पर थोड़ा टेढ़ा होकर बैठ गया और मैंने अपने ज़िप फिर खोल दी जिसे उसने देखा तो वह एक बार फिर अपने दिल की धड़कन को महसूस कर सकती थी। अपने दूसरे हाथ से मैंने अपना लंड एक बार फिर से बाहर निकाल लिया जो अब पूरी तरह से खड़ा नहीं हुआ था ।

अंतराल समाप्त होने के बाद, कुछ देर विज्ञापन चले हालांकि, वह पहले की तरह नर्वस नहीं थी, और पहले से शांत थी। शर्मीलेपन और हिचकिचाहट के कारण अभी भी आपस में कोई शब्द नहीं बोला गया था, लेकिन यह ऐसा था जैसे कोई मूक समझौता हो गया हो। रोशनी मंद हो गई, और फिल्म फिर से शुरू हो गयी।

मैंने फिर उसके दाहिने हाथ को एक बार फिर से अपने लंड पर रख दिया, इस बार रूपाली भाभी ने मर्जी से, और बिना ज़्यादा घबराहट के उसे अपने हाथ में लिया। जैसा कि इंटरवल से पहले हुआ था मुझे अपने लंड पर उसका हाथ ज़माने को मजबूर नहीं करना पड़ा । मेरा लंड जो अभी पूरा कड़क नहीं था, उसने धीरे से पकड़ कर सहलाना शुरू कर दिया। यह उसके छोटे से हाथ के छूने से बहुत अच्छा और अद्भुत लग रहा था, और इसबार उसे लंड के ऊपर नीचे हाथ करने में कोई संकोच नहीं था । रूपाली भाभी ने ऐसा करते हुए मंद रोशनी में नीचे देखा की लंड अब कड़क होता जा रहा था और वो अपना छोटे और गोरे हाथ से मेरे काले लंड को सहला रही थी।

मैं उसकी ओर झुक गया, फिर अपना बाया हाथ सीधे उसके स्तनों पर रख दिया और स्तनों को मसलने और उनकी मालिश करने लगा। मेरे हरकते "निश्चित" थी और उनमे कोई कम जल्दबाजी नहीं थी । उसने भी कोई विरोध नहीं किया और मुझे मेरी मनमर्जी करने दी । इससे मेरा जोश बढ़ता जा रहा था। मैं एक बार फिर से मजबूती से उसके स्तनों को मसल रहा था, और भाभी को यह अच्छा लग रहा था। मैंने फिर अपना हाथ आगे से थोड़ा नीचे किया और उसके ब्लाउज के अंदर खिसका दिया, मेरा हाथब उसके ब्लाउज के अंदर तक पहुँच गया, मैंने उसके स्तनों को ब्रा के ऊपर से ज़ोर से पकड़ कर दबा दिया ,

फिर मैंने उसकी ब्रा को ऊपर की ओर धकेलने की कोशिश की, ताकि स्तन मुक्त हो कर बाहर आ जाये । मुझे इसके लिए थोड़ा संघर्ष करना पड़ा और वह सोच रही थी कि वो इस काम में कैसे मेरी कैसे मदद कर सकती है उसने अपने ब्लाउज की डोरीया हाथ से खोल दी और अपनी बाजुए आगे कर दी मैंने फिर अपना हाथ पूरी तरह से बाहर निकाल लिया, और मैंने उसकी चोली को खींच कर उसके बदन से अलग कर दिया फिर अपने दाएं हाथ से, उसके कंधों को घेर लिया, उसे अपनी ओर खींचा और मैंने उसे कस के गले लगा लिया। यह एक गहरी, गर्म और भावुक आलिंगन था और मैं मेरे दाहिने हाथ से उसे अपनी छाती पर जोर से दबा रहा था।

मैंने उसे अपनी ओर थोड़ा सा हिलाया, ताकि मैं उसे बेहतर तरीके से गले लगा सकूँ। मैं उसे तंग और कस कर आलिंगन किया और हमारे चेहरे लगभग छू गए थे, तो मैंने उसे गाल पर चूमा, और इससे पहले कि वह कुछ प्रतिक्रिया देती , मेरा मुंह उस के मुँह पर था, और मैंने उसे पूरी भावना के साथ उसकेओंठो पर चुंबन किया और उसने महसूस किया कि मेरी जीभ उसके मुंह में अपना रास्ता ढूंढ रही थी ,,,,

इसका नतीजा ये हुआ ही हम दोनों बहुत जबरदस्त उत्तेजक चुम्बन करने लगे मेरी जीभ उसके मुँह में चली गयी और उसकी जीभ को छेड़ने और खेलना लगी कभी मेरी जीभ उसकी जीभ को दबती थी कभी उसकी जीभ धक्का देती और अपनी जीभ से मेरी जीभ को दबाती । मैंने अपनी जीभ उसके मुंह में गहरी घुसेड़ दी और उसे उसके मुंह में भर दिया उसकी जीभ भी जब मेरे ओंठो में प्रतिक्रिया के तौर पर आयी तो फिर मैं उसकी जीभ को चूसने लगा। (यह पागल हो गयी क्योंकि उसके पति ने भी पहले कभी उसे इस तरह से नहीं चूमा था, ये उसी ने मुझे बाद में बताया था )।

रुपाली भाभी भी मुझे उसी तरह से वापिस किस किया, उसने भी मेरे मुंह में उसकी जीभ डालने की कोशिश की, मैंने उसकी जीभ के अपने मुँह में प्रवेश करते ही उसकी जीभ को चूसा। हमने ये गहरा फ्रैंच चुंबन जारी रखा, और हम दोनों इसका कुछ समय के लिए पूरा आनंद लेते रहे. हमारी लार एक दुसरे के मुँह में बह रही थी ..

फिर मैं उसके कान में फुसफुसाया, "रूपाली भाभी, लव यू, आई लव यू डार्लिंग" और उसी तरह से जुनून की गर्मी में, रूपाली भाभी ने भी कहा "आई लव यू; आई लव यू, काका ।"

जब हम आपस में जीभ लड़ाते हुए गीला चुंबन कर रहे थे , तब मैं अपने दाहिने हाथ को उसकी चोली के अंदर लेजाकर एक बार फिर से ब्लाउज के अंदर उसके स्तनों को जोर से दबाने लगा । मैंने उसके एक स्तन को ब्रा के आंशिक रूप से बाहर निकालने में कामयाब हो गया और उसके निप्पल को सहलाने लगा . मुझे उसके नरम स्तन दबा कर बहुत अच्छा लगा रहा था तब मैं अपना हाथ उसकी बाजु उसके पेट को सहलाते हुए फिर अपनी साड़ी की गाँठ को सहलाने लगा ।

फिर मैं अपना हाथ उसकी पीठ पर ले गया, फिर उसकी ब्रा का पट्टा, फिर बहुत चतुराई से, मैंने उसे खोल दिया। फिर, मैं उसकी नंगी पीठ को सहला रहा था। हम अभी भी गहरी चुंबन कर रहे थे , मेरे हाथ उसके स्तन पर वापस चले गए,

मैंने उसके ढीले ब्हो चुके ब्रा को ऊपर की तरफ सरकाया , जिससे उसके दोनों स्तन आज़ाद हो गए और मं उन्हें पूरी गंभीरता से दबाने लगा . उसके मुक्त स्तनों के साथ अब मैं जो भी करना चाहता था वो कर सकता था । वह मेरी ओर झुकी हुई थी, मैं उसके पल्लू को उसके कंधों से खींचने लगा। वह भी थोड़ा शिफ्ट हो गई ताकि मैं उसके ब्लाउज और ब्रा को हटा सकूँ, और वह अपने नग्न स्तनों पर एयर-कंडीशनर की ठंडी हवा महसूस कर सके। उसके बाद उसका पालू और चोली और ब्रा हट गयी और सिनेमाहॉल की मद्धिम रोशनी मेंरुपाली भाभी के स्तन पूरी तरह से उजागर थे , और मेरा बड़ा हाथ उसे मजे से दबा रहा था.

मैं फिर नीचे झुका, और उसके स्तनों को चाटना शुरू किया, फिर अपनी जीभ से निप्पल को झटका दिया, और फिर उसे जैसे बच्चे चूसते हैं वैसे ही चूसने लगा ।

रूपाली भाभी ने अभी भी धीरे से मेरे लंड को पकडा हुआ था जो उसके कोमल स्पर्शों के कारण उसके पिछले वैभव को पुनः प्राप्त कर चुका था और वह अब पूरी तरह से खड़ा और कड़ा हो गया था । लंड उसके हाथ में धड़क रहा था और उसे मेरा लंड बहुत सख्त और शक्तिशाली लगा। मैं फिर अपनी सीट पर थोड़ा सा शिफ्ट हुआ और मैंने अपनी पतलून खोल कर उसे अंडरवियर के सहित मेरे चूतड़ों के नीचे तक धक्का दिया, और अपने पैर फैला दिए। रूपाली भाभी मेरी नागि जाँघे देख सकती थी, मैंने अब उसका हाथ थाम लिया, उसे अपने नंगे धड़ जांघो पर, और मेरी गेंद पर निर्देशित किया ..

अपनी जिज्ञासा से, उसने मेरी गेंदों पर अपना हाथ घुमाया, और उन्हें अपने हाथ में ले लिया। मेरी एक आह निकली और मेरे पैरों और चौड़े हो गए .. रूपाली भाभी अब शायद ही फ़िल्मी परदे पर देख रही थी.. मंद रोशनी में, वो मुझे अपने स्तनों को चूसते हुए देख रही थी, और वास्तव में मेरे मुँह को एक स्तन से दूसरे स्तन तक निर्देशित कर रही थी, फिर वह भी नीचे मेरे बड़े लंड की देखनते हुए अपना हाथ लंड पर ऊपर नीचे करने लगी । अब हम दोनों अपनी अलग दुनिया में थे। मैंने फिर से उसे गले लगाया, उसकी गर्दन और उसके कंधों के आसपास मेरी बांह को डाल दिया,, और मेरी तरफ उसके चेहरे को खींच लिया, और उसको पूरी शिद्दत से फिर से चूमने लगा वह भी मेरी गर्दन के चारों ओर उसकी बाहों डालमेरे जीभ से खेलने लगी ,और मेरा चुंबन का समान जुनून के साथ जवाब देने लगी ।

हमारे गहरी फ्रेंच चुंबन और आपस में उलझी हुई जीभ के बीच मैंने उसके पेट पर अपना हाथ लगा कर मैं उसकी कमर पर साड़ी की गाँठ को ढीला करने की कोशिश करने लगा ।

" हे भगवान! रूपाली भाभी, आप सभी महिलाएं वास्तव में जानती हैं कि कैसे एक आदमी को तंग और परेशान करना है ... इस साड़ी गाँठ को खोलने में कितना समय लगेगा? । " मैंने आगे बढ़ने के निश्चय के साथ बोला

रूपाली भाभी मुस्कुराई और मुझे उकसाया, "प्रयास से ही अच्छे नतीजे मिलते है ।"

फिर मैंने उसकी कमर पर साड़ी की गाँठ खोली, उसके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और उसकी पैंटी के अंदर हाथ फेरते हुए उसकी योनि को एक बार फिर से सहलाया। मेरी हरकतों में कोई जल्दबाज़ी नहीं थी, और मैंने उसकी चूत के होंठों को अलग किया, धीरे से उसके नम छूट में अपनी मध्यमा उंगली डाली। एक छोटी सी आह उसके होंठों से निकली उसे , यह अच्छा लग रहा था, और मैं अब धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर करने लगा ।

वह नहीं चाहती थी कि मैं रुक जाऊं, लेकिन मैंने अचानक अपना हाथ हटा लियाl


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
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#67
पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे




CHAPTER- 5
 

एक युवा के अपने पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ कारनामे

रुपाली - मेरी पड़ोसन



PART-12



अंतराल के बाद 


मैंने उसके सिर पर मेरे हाथ रखते हुए धीरे-धीरे उसका सर नीचे की ओर धकेलना शुरू कर दिया। एवो समझ गयी की मैं चाहता था कि वह मेरा लंड चूसे। उसने दोपहर में भी मेरा लंड पहले ही चूसा था, और मेरे वीर्य का स्वाद उसने चख लिया था, इसलिए वह कूद को इस मीठी लॉलीपॉप को चूसने से रोक नहीं पायी और जल्द ही उउसका चेहरा मेरे लंड से कुछ सेंटीमीटर दूर रह गया । उसे पास से यह अब बहुत बड़ा लग रहा था, मैंने उसे नीचे की ओर धक्का दिया, और उसके चेहरे ने मेरे मुर्गा के साथ संपर्क किया। वह अब भी अपने बाएं हाथ में मेरा लंड पकड़े हुए थी, फिर मैंने अपना लंड पकड़ कर, अपने लंड को उसकी चूचियों, नाक आदि पर रगड़ दिया (हालाँकि उसने अपना मुँह उत्सुकता से खोल रखा था)। मेरा लंड गर्म था और धड़क रहा था, फिर एक बार लंड उसके चेहरे पर टकराया फिर मैंने अपने लंड को उसके मुँह पर, उसके होंठों के खिलाफ, रगड़ा और इससे उसने उसका मुँह व्यापक रूप से खोल दिया, और फिर मैंने उसके सिर को नीचे कर दिया। अब मेरा लंडमुंड उसके मुँह के अंदर था । मैंने उसके सर को अपने लंड पर और नीचे सरकाया, और उसने मेरा लंड पूरी तरह से अपने मुँह में ले लिया। यह बड़ा था, लेकिन किसी तरह, वह पूरा लंड अपने मुंह में लेने में कामयाब रही।

इंटरवल से पहले निकले वीर्य की लंड पर लगी हुई चिकनाई से उसको मेरे लंड का स्वाद हल्का नमकीन लगा । मैंने अपना लंड उसके मुँह में दबाते हुए उसके मुँह में जितना हो सकता था उतना गहरा धक्का देना जारी रखा और फिर उसके मुँह को ऊपर और नीचे की लय में हिलाने लगा।

रूपाली भाभी ने भी अब अपना मुँह मेरे लंड पर ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया। यह फिर अपनी जीभ को मेरे लंड के ऊपर, ऊपर-नीचे करने लगी। सुबह के समय मुझे ऐसा करने के लिए बोलना पड़ा था परन्तु अब वो ऐसा स्वयं ही करने लगी और उसने जीभ फिराते हुए मेरे लंड को चूसना जारी रखा, फिर धीरे से उसे अपने मुँह से बाहर निकाला और फिर मेरे लंड के किनारे को चाटा। यह कोई बड़ी बात नहीं थी, और वास्तव में बहुत कामुक था । मैं इस बीच अपने दूसरे हाथ से उसकी जांघों को सहला रहा था; वास्तव में, मैंने उसके पेटीकोट को और उसकी पैंटी को उसके पैरों से नीचे कर दिया और वास्तव में उसे अपने घुटनों से धकेलने में कामयाब रहा। उसकी पैंटी और पेटीकोट धीरे-धीरे उसके पैरों पर गिरा। वो मेरा लंड चूसती रही। अब, बिना मेरे धक्के के, वह स्वेच्छा से मेरे लंड को चूस रही थी, जल्द लंड उसकी लार से ढक गया मैंने फिर उसे अपने शरीर पर थोड़ा और आगे किया ताकि उसके स्तन भी मेरे लंड पर रगड़ें।

कुछ देर बाद मैंने उसे वापस उसकी सीट पर धकेल दिया, मैंने फिर उसे उठा कर फर्श पर लेटा दिया, उसकी साड़ी को ए उसकी कमर से ऊपर उठाने के बाद उसके पैरों को फैला दिया और उसकी जाँघों तक चाटने लगा। । अब मैं उसकी योनी को चाटने जा रहा था ये सोच कर वो दंग रह गयी , मैं चुंबन करता हुआ था उसकी जाँघें चाटता हुआ मैं जल्द ही उसकी योनी को ओंठो को चूमने लगा फिर मेरी जीभ उसके योनी होंठो पर फिराते हुए मैं अपनी जीभ अंदर ले गया .. वो उछाल गयी । उसे ये वास्तव में बहुत अच्छा लगा और उसने अपने पैर और अधिक फैला दिए ताकि मैं बेहतर तरीके से चाट सकूं। मैंने चाटना जारी रखा, उसकी योनी के छेद को अच्छे से चाटता रहा, कुछ मिनटों के बाद, उसने महसूस किया की वो अब उत्कर्ष पर पहुँच रही है उसकी टाँगे अकड़ी .. शरीर थरथराया और मेरा मुँह योनिरस से भर गया । जिसे मैं चाट गया..

उसे ये बहुत अच्छा लगा और वह इसके बाद उसने मुझे अपने ऊपर खींचलीया और मुझे किश करके आयी लव यू बोला ।

फिर मैं उठा, अपनी सीट पर फिर से बैठा, उसके हाथ पकड़े, उन्हें जोर से दबाया तो उसने भी मेरा हाथ कस कर पकड़ लिया फिर मैं आगे की और झुका और उसका फिर से चुम्बन ले लिया, और ये चुंबन लम्बा चला और फिर कहा, "मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।" कुछ मिनट तक हम ऐसे ही बैठे रहे, फिर मैंने उसका हाथ फिर से अपने लंड पर रखा, जो फूला हुआ था वो फिर से सहलाने लगी, उसके कहलाने से जल्द ही लंड कड़ा हो गया । रूपाली भाभी ने लंड के अपने हाथ में बढ़ने और कड़ा ओने का आनंद लिया इससे संतुष्टि और शक्ति मिली। वह मुझमें फिर से जुनून पैदा कर सकती है।

रूपाली भाभी ने मेरे लंड को ऊपर-नीचे करना शुरू कर दिया, यह जल्द ही कठोर और फिर से खड़ा हो गया। उसने लंडमुंड को चूमा अपने ओंठ खोले और धीरे धीरे जीभ फेरते हुए एक एक इंच अंदर करते हुए ऊर्जा लंड अपने मुँह में ले गयी .. फिर मुँह में से लंड निकाला मेरे मुँह पर चूमा और और मैं फुसफुसाया , "मैं प्यार करता हूँ , मैं तुम्हें प्यार करता हूँ।" रूपाली भाभी ने, "आई लव यू," कहते हुए अपनी जीभ मेरे मुंह में धकेल दी। मैंने उसे किस किया और फिर उसे आगे की ओर झुकाते हुए इशारा किया कि मैं चाहता था कि वह मेरा लंड फिर से चूसे।

रुपाली भाभी मेरा लिंग की नोक को चूमने के साथ एक बार मेरे पहले निकले वीर्य जो मेरे लंड से लग गया था उसके नमकीन स्वाद महसूस को किया उसने उसके चेहरे पर मेरे लंड को मला, उसके नाक, होंठ, गाल, कान परसब जगह उसने लंड को मला । उसने फिर अपनी जीभ बाहर निकाली, मेरे लंड की लंबाई को ऊपर से नीचे तक चाटना शुरू कर दिया। उसने अनुमान लगाया कि यह कम से कम 8 -9 इंच लंबा होगा, यह चट्टान की तरह कठोर था।

मेरा लंड अब उसकी लार से झनझना रहा था, फिर उसने अपना मुँह चौड़ा किया, धीरे-धीरे मेरे धड़कते हुए लंड को थोड़ा सा अन्दर ले लिया, जल्दी ही उसके मुँह में पूरा अंदर चला , वो उसे ऊपर-नीचे करके चूसने लगी।


मैं उसके स्तनों को सहलाने लगा रूपाली भाभी ने मेरे लंड को चूसने, चाटने में अपना समय लिया, धीरे-धीरे गति का निर्माण किया, वह जानती थी कि मैं उससे प्यार करता था, और वह भी इसका आनंद ले रही थी। वो भी मेरे लंड को चूसते हुए अपने हाथ से मेरे लंड और अंडकोषों को सहला रही थी, फिर अचानक बिना किसी चेतावनी के, मेरा शरीर अकड़ गया और इससे पहले कि वो कुछ प्रतिक्रिया दे पाती, मैंने अपने वीर्य को गर्म धार उसके मुँह में छोड़ दी जिससे उसका मुँह उसके नमकीन स्वाद से भर गया।

रूपाली भाभी ने पीछे खींचने की कोशिश की, लेकिन उसने मेरा हाथ अपने सिर पर महसूस किया । मेरे गर्म वीर्य ने उसके मुंह को भर दिया, वह आधे से अधिक निगलने के लिए मजबूर हो गई, जबकि कुछ मुंह और नाक से बाह्रर निकल आया फिर वो ऊँगली से सारा वीर्य चाट गयी । मैं बहुत ही संतुष्ट दिख रहा था ।

फिल्म अभी भी चल रही थी। दोनों ने हमारी पोषक को पोशाक को व्यवस्थित किया।

लेकिन मुझे ऐसा लगा कि मैं अभी भी अतृप्त था। चुदाई का एक लंबा दृश्य था जो स्क्रीन पर चल रहा था। हम दोनों इसे एक-दूसरे से लिपटे हुए देख रहे थे। स्क्रीन में चुदाई का लम्बा दृश्य देखने के बाद, मेरा विशालकाय लंड फिर से उछल गया।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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  7.  मेरे निकाह मेरी कजिन के 
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#68
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-13


थिएटर में चुदाई 





जब मेरा लंड एक बार फिर से कठोर हो गया तो मैंने कुछ विचार किया और मैंने उसके हाथ को पकड़ फिर से अपने लंड पर रख दिया । रुपाली भाभी सिर्फ इतना ही बोली ओह्ह ... भगवान ... यह तो फिर तैयार हो गया है और बोली काका आपमें तो किसी भी जवान आदमी की तुलना में 100% अधिक ऊर्जा है । आपका ये तो इतनी जल्दी फिर खड़ा हो गया मेरा लंड उसके छूने से धीरे धीरे फिर से खड़ा हो गया और एक बड़ी सख्त रोड में बदल गया।

मैंने रूपाली भाभी से कहा, “रूपाली भाभी, मुझे नहीं पता कि भविष्य में इस प्रकार के मौके हमे फिर मिलेंगे या नहीं, इसलिए हमें भगवान द्वारा दिए गए प्रत्येक पल का पूरा आनंद लेने में चूकना नहीं चाहिए ।“ रूपाली भाभी ने मेरी बातों से सहमति जताते हुए सिर हिलाया।

मैं उसके कानों में फुसफुसाया, “रूपाली भाभी, अब मैं आपको यहाँ चोदना चाहता हूँ।“ ये प्रस्ताव सुनते ही रूपाली भाभी ने अपना हाथ हटा लिया और पीछे हो गयी । वह अपनी अविश्वसनीय आश्चर्यचकित आँखों से मुहे देख रही थी और उसकी आँखे मानो ये कह रही थी कि यह सबके सामने सार्वजनिक स्थान पर कैसे संभव होगा।

उधर स्क्रीन पर भी नायक और नायिका का अगला सत्र शुरू होने वाला था। स्क्रीन पर नायक ने नायिका को चूमना शुरू कर दिया था .. मैंने भी भाभी के जवाब का इंतजार करे बिना धीरे-धीरे उसके हाथ को सहलान शुरू कर दिया फिर वो घूम कर मेरी तरफ चेहरा कर बैठ गयी तो मेरी मूंछें उसके ऊपरी होंठ पर चुभने लगी और मेरे बाएं हाथ उसके ब्लाउज मेरे हाथ उसके ब्लॉउज के नरम कपड़े के ऊपर से उसके स्तन दबाने लगे

“क्या, अगर किसी ने हमें इस तरह ये यहां देख लिया है तो क्या होगा?” उसने फुसफुसाते हुए, मेरे कॉलर को पकड़ा।

एक भी शब्द बोले बिना, मैंने उसके ब्लाउज और ब्रा को उतार दिया, और उसके स्तनों के निचले हिस्से को दबाया, मेरी जीभ उसके उभरे हुए निपल्स के ऊपर फिरने लगी और मेरे ओंठ उसके निप्पल धीरे-धीरे चूसने लगे , मेरी हथेली स्तनों को दबा रही थी। उसने अपने पल्लू को अपने नग्न स्तनों के ऊपर खींच लिया ताकि उसके स्तन दूसरों को दिखाई न दें।

मैं भाभी से बोला यहाँ इस हाल में हम दोनों के सिवा कोई नहीं है मैंने चेक कर लिया है .. आप निश्चित रहो हमे कोई नहीं देखेगा मैंने उसे अर्द्सत्य बोलै और ये नहीं बताया की ये हमारे लिए प्राइवेट शो है इसमें कोई अन्य दर्शक होने की अनुमति नहीं है और कोई स्टाफ भी अंदर नहीं था

मैंने उसे स्वतंत्रता के साथ उसके स्तन की दबाना शुरू करते हुए किश करने लगा , मैंने उसकी साड़ी के पल्लू को हटा कर नीचे की ओर फेंक दिया और उसे कड़ी करके उसकी साडी को खींच कर खोल दिया . वो एक दो बार घूमी और साडी उसके बदन से अलग हो गयी फिर उसके पेटीकोट की डोरी खींच कर उसे ढीला कर जमीन पर गिरने दिया और उसकी पैंटी को उसके घुटने से नीचे खींच दिया, अब वो मेरे सामने बिलकुल वैसी थी जब वो पैदा हुई थी .. बिलकुल नग्न वाह क्या नज़ारा था

मेरे हाथों उसके चिकने और नरम बदन पर चल कर जा उसके शरीर की जांच करने लगे और मेरी जीभ उसके मुँह जीभ और स्तनों की जांच कर रही थी और वो धीरे धीरे मजे लेती हुई कराह रही थी ।

रूपाली भाभी की गीली हो चुकी चुत अब टपक रही थी, उसके अंदर से नमी बाहर निकलने लगी थी, जिस तरह से गर्म मखन में पॉपकॉर्न नीचे जाता है उसी तरह मेरी उँगलियाँ नीचे योनि में धंस रही थी । मैंने अपना बायाँ अंगूठा उसकी कोमलता से धड़कती हुए चूत के अंदर धकेल दिया, । रूपाली भाभी ने अपना सर पीछे की ओर किया, अपनी आँखें खोली, और बंद कीं.

उसकी पैंटी उसके टखनों पर टिक गई थी। मैंने पहले ही अपनी पैंट को उतार दिया था, और वह ऊपर के और खड़े हुए बम्बू की ओर देख रही थी, और जोर जोर से सांस ले रही थी उसका दिल भी तेज धड़क रहा था । मैं फुसफुसाया, “रूपाली भाभी, मेरी गोद में बैठो।“

उसकी चूत इतनी गीली, नम और फिसलन भरी थी कि जिस पल वो मेरी गोद में बैठी, मैंने अपनी कमर घुमाई तो मेरा लंड आसानी से फिसल गया, और उसकी चूत के छेद में पक्क की आवाज के साथ घुस गया। फिर मैंने मेरे कूल्हों को ऊपर-नीचे किया गया, और गति बढ़ाते हुए ... फिर से धीमा करने से पहले; मेरे हथेलियों ने उसके स्तन सहला दिए । “ओह रुपाली भाभी .. ...” और वो भी ऊपर नीचे होते हुए चुदाई की ताल मिलाने लगी .. हमारे होंठ जुड़े हुए थे मेरा एक हाथ उसके स्तन दबा रहा था और दूसरा हाथ उसके पीठ को सहला रहा था और चुत के अंदर लंड हलचल मचा रहा था .. उधर रुपाली के दोनों हाथ मेरी गर्दन के हार बने हुए मेरे कंधो पर थे ,, ऐसे ही कुछ देर चला

फिर मैंने अपनी सैंडल की लात मारते हुए निकाल दिया, और मैंने उसे खड़ा कर दिया और मेरा दाहिना पैर उसकी तरफ बढ़ा, उसके पैरों को अलग कर दिया। रूपाली भाभी ने उत्तेजना के कारण अपने होंठों को काटते हुए मेरे पैर की उंगलियों को दबाया। और मैंने ऐसे ही कुछ धक्के और लगाए

"आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह" उसने जोर से कराहते हुए कहा, मेरी ठुड्डी को ऊपर खींच, हमारी जीभ में आग लग गई।

मेरी उंगलियों ने उसके कूल्हे मसल दिए।

"धीरे प्लीज धीरे करो ... 'रूपाली भाभी ने अपना मुँह मेरे मुँह अपना मुँह रखते हुए पहले फुसफुसायी , और उसी समय मैंने अपने लंड को उसकी योनि से बाहर निकाल दिया ।

"ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह ... नूओऊओओ," कोई नीचे वाले हाल की पहली वाली पंक्ति से कराहते हुए बोला, क्योंकिस्क्रीन पर लड़का लड़की को कुत्ते की शैली में चोद रहा था।

हो सकता है कि यह कुछ कर्मचारी हो "हम यहाँ बिना किसी डर के कर सकते हैं, हॉल पूरा खाली है, और बॉलकने में तो कोई भी और नहीं है ," मैंने कहा।

रूपाली भाभी के शरीरअब और माँगने लगा और वो मेरे साथ चिपक गयी और बोली तुम रुक क्यों गए काका । उसने मेरे लंड को छूने से बाद अपने टाँगे फैला दी और मुझे आमंत्रण दिया मैंने धीरे से उसकी जाँघों पर किस किया। और अपने गॉड में वापिस खींच लिया

हाल में रोशनी कम थी उधर मेरा लंड उसकी चूत के छेद के अंदर गहराई तक समा गया था। वो लगातार मेरी गोद में उछल रही थी और बड़े लंड को अपनी चूत के अंदर दबा रही थी। जब वह अपने बट को ऊपर उठा रही थी, विशाल डिक उसकी चूत में प्रवेश करने के लिए नीचे चला गया, तो भीतरी छेद के ठीक नीचे, चूत की दीवार के क्षेत्र के पास एक वैक्यूम बना रहा था, फिर जब वह फिर से अपने नितंब को नीचे धकेल रही थी, तो मैंने अपने लंड को ऊपर की ओर पूरी ताकत से धक्का दे रहा था जिसके परिणामस्वरूप हवा चूत के रस के साथ मिश्रित होकर फच फच की मधुर ध्वनि पैदा कर रही थी ।

मैं उसके दोनों स्तनों को सहला रहा था, और साथ ही साथ उसके कठोर निप्पलों को मसल रहा था। कभी-कभी, मैं अपने दांतों से निपल्स को कुतर देता तो उसकी कराह निकल जाती थी । जब मैं उसके ओंठो को किस की तो मैं उसके होठों की कोमल पंखुड़ियों को कभी-कभी काट रहा था, और फिर मैंने उसके मुँह के छिद्र के अंदर अपनी जीभ को गहराई से दबाया। मैंने दांतों के नीचे उसके पूरे मुँह को गहराई तक चूसा और उसकी जीभ को भी चूसा। उसने भी मेरी जीभ को चूस कर पूरा साथ दिया । हमारी दोनों गर्म जीभों ने एक बड़ी मात्रा में लार का उत्सर्जन किया, जिसे हमने अपने मुंह में ले लिया। मिश्रित लार दोनों के लिए स्वादिष्ट था, और हमारे दोनों के मुंह इस लार से भरे हुए थे, जो धीरे-धीरे हमारे मुंह के कोने से बाहर टपक रहा था, और हमने समय को बर्बाद किए बिना, दोनों ने तुरंत लार को निगल दिया।

रूपाली भाभी अपनी कमर और नितंब ऊपर-नीचे करते हुए, तेज आवाज के साथ चोद रही थी, मैं उसकी चूत के अंदर के बड़े लंड को एक लय के साथ ध्वनि के साथ लय मिला कर चोद रहा था मनो दोनों मधुर संगीत पर पानी ताल मिला रहे थे ।

उसने मेरे बड़े लंड को ढकने के लिए अपने पल्लू का इस्तेमाल किया तो मैंने उसे उतार फेंका । फिर वह कराहने लगी, "काकाआआआ ... मैं आ रही हूँ।"

वो अपने कामोन्माद के चरमोत्कर्ष पर पहुंची और कांपने लगी । उसका शरीर अकड़ा और वो मेऋ गार्डन से और मेरे बदन से लिपट गयी और उसका ऊपर नीचे होना रुक गया मैंने महसूस किया कि मेरे बड़े डिक को उसकी योनि की मखमली मांसपेशियों द्वारा अंदर खींचा गया और फिर मांसपेशियों की लंड पर पकड़ ढीली हो गई और गर्म लावे के प्रवाह से मेरा लंड पूरा भीग गया। यह एक मिनट से अधिक समय तक चलता रहा। मुझे पता था कि रूपाली भाभी को एक भारी ओर्गास्म हुआ था और वो भी कई साल बाद उसकी योनि के अंदर लंड ने प्रवेश किया था , और मुझे लगा कि मेरा लंड योनि के अंदर योनि रास से भीगने के बाद और चिकना हो गया है उसकी योनि झड़ते हुए संकुचन कर रही थी जिससे मुझे लग रहा था की योनि लंड को चूस कर निचोड़ देगी

मैं भी लंड पर हो रहे इस संकुचन के कारण खुद पर काबू नहीं रख पाया। उसके स्तनों को जोर से सहलाते हुए फिर मसलते हुए और उसके होंठों को जोर से काटते हुए, मैंने कराहते हुए कहा, "रुप्प्पाआआ , मैं तुम्हें बहुत प्यार.... कर .... हूं ... ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्हह।" और ....

रूपाली भाभी ने महसूस किया कि गरम गाढ़ा तरल पदार्थ जो उसकी योनि से होते हुए उसकी गर्भाशय तक पहुँच गया और उसकी गाण्ड के छेद के अंदर गरम गाढ़ा तरल पदार्थ घुस गया मेरा चिपचिपा वीर्य उसकी योनि और गांड के बाहर भी फ़ैल गया ..


रुपाली की चुदाई का ये अनुभव दिमाग चकरा देने वाला निकला था। फिल्म खत्म हो गई, और हम दोनों ने अपने सीट छोड दी और उठ गए, । रूपाली भाभी को लगा जैसे उसे नया ज्ञान मिला है । यह ऐसा था जैसे इससे पहले वो सेक्स से मिलने वाले सुख के बारे में अनजान थी और अब फिल्म थिएटर की पिछली पंक्ति में मैंने उसे "प्रकाश" के लिए प्रेरित किया था ।

उसे यह बहुत ज्यादा प्रतीकात्मक लग रहा था, उसने थिएटर में एक शर्मीली, अंतर्मुखी गृहिणी के रूप में प्रवेश किया था, जो सेक्स के लिए तड़प रही थी और , वह अब बाहर निकल रही थी, सेक्स के सुख के बारे में अधिक "निश्चित और आश्वस्त" और "प्रबुद्ध" थी।

हम हमारी कार लेकर घर आ गए । हम घर वापस आने के रास्ते में शांत थे। रूपाली भाभी ली के अंदर अभी भी हमारे मिश्रित रसो की नमी भरी हुई थी । मैं और वह सोचते रहे कि क्या हुआ था। वह आज से पहले एक शर्मीली और अंतर्मुखी गृहिणी थी।

रूपाली भाभी ने इस बारे में हमारे घर तक वापस आते हुए रास्ते में कार में सोचा कि जो हुआ वह याद रखने लायक अनुभव था। वास्तव में, यह चार भागों में एक अनुभव था।

१ शनिवार की रात में कुत्तों के सम्भोग का अवलोकन
2, सुबह सुबह मेरे खड़े हुए लंड का नजारा
३ सुबह में हमने आकस्मिक मौखिक सेक्स किया था और
4. थिएटर में तीन राउंड सम्भोग

उधर मेरे लिए इस सब के इलावा इसमें एक भाग ईशा से मुलाकात का भी था जिसकी कमसिन जवानी ने मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था और फिर रुपाली उस दिन उस गुलाबी साडी में बहुत सुन्दर लग रही थी और फिल्म देखने का ऐसा संयोग हुआ की थिएटर में सिर्फ हम दोनों ही एक कामुक फिल्म देख रहे थे जिसमे सेक्स दृश्यों की भरमार थी और फिर हमने तीन घंटो तक निर्विघ्न सेक्स किया.


कहानी जारी रहेगी



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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम
  7.  मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
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#69
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER- 5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-14


सुपर संडे



इस पूरे सिनेमा हाल प्रकरण में फिल्म देखते हुए पूर्व-अंतराल चरण में वह बहुत डरी हुई थी, घबराई हुई थी, और उसमे विरोध करने की भी हिम्मत नहीं थी। जब मैंने उसके साथ उसके अंगो के कहना शुरू किया और मैं आगे बढ़ने लगा तो वह लोगो का उनकी तरफ ध्यान आकर्षित होने और फिर उसके बाद हंगमा खड़ा होने की सम्भावना से वो बहुत डर गई थी । मैंने हमारे अकेलेपण का फायदा उठाया, और उसने मुझे ऐसा करने की अनुमति दी, हालांकि उसके पास हमेशा इससे बचने के या मुझे रोकने का विकल्प था । हालाँकि वह डरी हुई थी, और यह नहीं चाहती थी कि ऐसा हो, इसे जारी रखने की अनुमति देकर, उसने अपनी मौन स्वीकृति दे दी थी।

उसने शुरू में मेरी हरकतों को "सहन" किया था जब मैंने उसके स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया। उसके बाद जब मैंने उसका हाथ अपने लंड पर रख दिया था तो उसकी प्रतिक्रिया "अनिच्छुक जिज्ञासा" से अधिक थी .. यह बेहतर होने लगा, जब मैंने उसके स्तनों को प्यार करना शुरू किया, फिर ये उसके लिए "अनिच्छुक खुशी" थी।

मैं हमेशा उसे कोमलता से सहला रहा था और इससे उसे आसानी हुई और मेरे बिन बुलाए यौन आग्रहों में उससे मदद मिली। निष्क्रियता और भय को जीतकर उसने मुझे अपनी साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज और ब्रा उतारने और अपने स्तनों को बाहर निकालने की अनुमति दी, अपने स्तनों को चूसने के लिए अपनी ब्रा को ऊपर खींच कर मेरे मदद की , लेकिन जो बाद में " अनिच्छुक खुशी वांछित खुशी" में बदल गयी । बेशक, मेरे साथ सार्वजनिक थिएटर में संभोग सुख प्राप्त करना एक अंतिम अनुभव था।
पर अंतराल से पहले पूरा समय वो हिचकिचाती रही थी .

कुलमिला कर ये हम दोनों के लिए अनूठा अनुभव था और दोनों को बहुत सुखद लगा था , वह अभी भी असमंजस की स्थिति में थी, और उसी मानसिक स्थिति में, उसने हाल ने मेरा हस्तमैथुन भी किया था, उस अवस्था में उसके दिमाग के पीछे मुझे स्खलित होते हुए देखने की उत्सुकता भी थी।

अंतराल के समय पर, वह इसे जीवन की दुर्भाग्यपूर्ण शोषणकारी स्थितियों में से एक के रूप में स्वीकार करने और खुद को दोष देने के लिए तैयार थी।

अंतराल के बाद, स्थिति एक बार फिर से विकसित हुई। वह अब और अधिक आश्वस्त हो गई थी, और पहले की हिचकिचाहट गायब हो गई थी। हमने इस बार जो किया वह वास्तव में आश्चर्यजनक था। इस बार उसने कोई हिचकिचाहट महसूस नहीं की कि उसका फायदा उठाया जा रहा है, बल्कि इस बार हमारी यौन क्रिया कहीं अधिक भागीदारी और आपसी थी । यह ऐसा था जैसे उसने आनंद की खोज की की थी और अब कोई रुकावट भी नहीं थी । इस बार खुशी और जुनून दोनों के लिए सर्वोपरि था।

उसने इसके हर पल का आनंद लिया। वो विवाहित थी और उसका पति भी था, उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था। जब मैंने कहा, "मैं तुमसे प्यार करता हूँ," तो उसे मेरे समान कहने में कोई संकोच नहीं था, और उसने भी कहा, "मैं तुमसे प्यार करती हूँ" एक या दो बार नहीं कई बार उसने ऐसा कहा ।

यह एक सार्वजनिक स्थान पर एक जोखिम भरा कार्य था जो उसे परेशान करने के लिए नहीं था, और वह उसके पास जो जुनून था उसके कारण वह दोपहर में मेरे साथ अपने फ्लैट और थियेटर में सेक्स के हर पल का आनंद ले पायी थी। उसने मुझे अपनी चूत को उँगलियों से सहलाने की इजाजत दे दी थी और दोपहर में मेरे लंड को अपने मुँह में डाल उसने चुसा था , थिएटर में मैंने उसके स्तनों को सहलाया और दबाया और यहाँ तक कि उसकी पैंटी को खोलने के लिए, उसकी ब्रा को खोल दिया और मुझे उन्हें चाटने दिया और मैं उसके निप्पलों को चूसने लगा।

मैंने उसका हस्तमैथुन करने के लिए उसका पेटीकोट और पैंटी खोल दी थी, एक बार नहीं बल्कि तीन बार, जो बहुत ही आनंददायक था। मैंने उसकी योनी को भी चाट लिया था, जो कि स्वर्गीय थी। उस बात के लिए, उसने मेरेर लंड को स्वेच्छा से सहलाया था, मेरा हस्तमैथुन किया था, ओरल सेक्स किया था, स्वेच्छा से मेरे लंड को न केवल दोपहर में एक बार चूसा था, बल्कि दो बार थिएटर में भी चखा और मेरा वीर्य निगल लिया। लेकिन जब मैंने उसे अंत में चोदा तो ये सर्कल पूरा हो गया। वह अब पूरी, आजाद और आत्मविश्वासी महसूस कर रही थी।

वह सालों तक अपनी किस्मत को कोसने के लिए इसे "नकारात्मक" तरीके से भी ले सकती थी। इसने अपने जीवन में एक नया अध्याय खोला था। हम अपार्टमेंट से कुछ गज की दूरी पर कार से बाहर निकले, वहां अंधेरा था और कुछ देर साथ चलने का फैसला किया।

उसने मेरी आँखों में गहराई से देखा और कहा, "जब तक आप हमारे साथ हैं, मैं एक पति होने के बावजूद आपकी प्रेमीका और पत्नी बनना चाहूंगाी क्या आप मुझे स्वीकार करेंगे?"

"हाँ, मेरे प्रिय, इस पल से, तुम मेरी प्यार पत्नी ही हो ।" मैंने कहा और उसके होठों पर एक गर्म चुम्बन किया और उसे आई लव यू कहा

उसके बाद हम घर आये और उसके बाद सो गए

अगले दिन रविवार था वो चाय देने आयी तो मैं गहरी नींद में था और बाकी सब भी गहरी नींद में सो रहे थे मेरा लंड लुंगी से बाहर निकला हुआ था .. मेरे बड़े खड़े हुए लंड को देखकर रुपाली को अपनी चूत के अंदर एक सनसनी सी महसूस हुई। उसने लंबे समय तक मेरा विशाल लंड की मन्त्रमुुग्ध हो कर देखा, उसे जल्द ही होश आ गयाऔर उसने खुद को नियंत्रित किया दरवाज बंद किया ।

वह जल्दी से मेरे बिस्तर के पास पहुंची और लुंगी को हटाया और अपने हाथ से मेरे लंड और अंडकोषों को छूने लगी । उसने अपना हाथ ऊपर नीचे किया और उसने हाथ ऊपर नीचे करना शुरू किया, रुपाली ने अपनी हाथों को मेरे लौड़े पर चलाना शुरू कर दीया । वो सोच ही रही थी की वो इसे चूसे या सीधे योनि के अंदर ले ले थोड़ी देर तक मेरे लंड को रगड़ने के बाद उसने फैला कर लिया अब वो ज्यादा समय नहीं लेगी

उसने अपनी रात की ड्रेस जो वो पहन कर सोती थी उसे ऊपर किया और हाथ से लंड को पकड़ा और मेरे ऊपर बैठी और लंड को छूट के ऊपर लगाया और लंड सीधा अनादर चला गया और वो मेरे ओंठो पर झुकी मुझे किस कर के बोली गुड मॉर्निंग जानू ..तो मैंने आँखे खोली तो रूपलाई मेरे ऊपर छड़ी हुई थी मेरा लंड उसकी योनि के अंदर था और उसका मुँह मेरे मुँह पर था ..

मैं उसे किस करने लगा .. अब वह मेरे उपर बैठ कर अपनी चुत में मेरा लण्ड लेने लगी, पूरा 9 ईन्च का लण्ड को सुपारे से टट्टो तक को दबा दबा कर चुदवा रही थी, रुपाली भाभी की हालत इस तरह हो रही थी जैसे किसी मछ्ली को गरम रेत पर छोड दिया गया हो। वह साथ साथ अपने मुंह से अजीब अजीब आवाजें आआआह… ऊऊउउउम्म्म्मम म्म्मम… आईईईईई -सीईईईईसीई….. आआआ…. निकाले जा रही थी। आज तो बहुत खुजली हो रही है इस में ! और जोर से करो जोर से और जोर से

उसे देख कर मेरी रफ़्तार में बेतहाशा तेजी आ गई, चुदाई के मारे रुपाली भाभी का बुरा हाल था, अब उससे रुका नहीं जा रहा था- मेरा तो बस होने वाला है, मैं गई, मैं गई ! आह्ह्हह्ह …. फ़ा…. ड़……..दो…. पूरा डाल डाल कर पेलो !

तुम अब घोड़ी बन जाओ !

ठीक है,

घोड़ी बनाने के बाद मैंने घुटने के बल हो कर उसकी बुर में एक बार फ़िर से अपना लण्ड घुसेड़ दिया, उसने कभी घोड़ी बन कर चुदाई नहीं करवाई थी इसलिए इस अवस्था में उसकी बुर थोड़ी कस गई थी, लण्ड अटक अटक कर जा रहा था, मुझे अब ज्यादा ताकत लगा कर उसकी बुर में डालना पड रहा था, हर धक्के पर उसकी मुँह से हल्की हल्की चीख निकल रही थी- आईईईईईई सीईईईसीई ….. आआआआ….
चोद डालो काका ! आज पूरी तरह से फ़ाड दो कल अगर कोई कमी रह गया हो तो आज पूरी कर दो ! .. और वो झड़ गयी

करीब दस-पन्द्रह मिनट के बाद मेरा भी लन्ड झड़ने को हो गया, मैंने रुपाली भाभी से कहा- बस अब मेरा भी काम होने वाला है !

आठ-दस धक्कों के बाद लन्ड की पिचकारी छुट पड़ी और मैं अपना सार वीर्य उसकी योनि में भरता चला गया। थोड़ी देर हम उसी पोजिशन में रहे, लन्ड अपने आप सुकड़ कर बाहर आ गया। वह उठी और बाथरुम में जा कर अपनी चुत को साफ़ करने लगी। पाँच मिनट बाद वो बाहर निकली तो उसके चेहरे पर सन्तुष्टि के भाव थे- काका मेरी तो चुत बुरी तरह से सूज गई है ! बाप रे आपका लंड बहुत बड़ा है मेरे बुरी हालत कर देता है .. मेरे पति का तो इससे आधा भी नहीं है .. और मैंने 7-८ साल से सेक्स किया भी नहीं है और अपने कल मेरे साथ सब कुछ कर दिया .. और आज इसे खड़ा देख कर मुझ से रुका नहीं गया ..


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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-15

सुपर संडे
 - ईशा 





संडे का दिन था और मैंने पिताजी के कहे हुए काम सुबह सुबह ही करने का निश्चय किया और नहा कर मंदिर चला गया . महर्षि अमर मुनि गुरूजी ने बताया था गुरु आज्ञा अनुसार विधि पूर्वक पूजन करने से -मनुष्य -संतान ,धन ,धन्य ,विद्या ,ज्ञान ,सद्बुधी ,दीर्घायु ,और मोक्ष की प्राप्ति होती है और पापो का नाश भी होता है | मंदिर में विधि पूर्वक पूजन कर दूध और दही चढ़ाया और पांचो यज्ञ जो गुरुदेव ने बताये थे - गऊ को रोटी दान दिया , चींटी को 10 ग्राम आटा वृक्षों की जड़ों के पास दाल , पक्षियों को भोजन और जल की व्यवस्था करवाई आटे की गोली बनाकर जलाशय में जल के जीवो के लिए डाली और रोटी के टुकड़े करके उसमें घी-चीनी मिलाकर अग्नि को भोग लगाया..

मुझे वहां जीतू भी नजर आया वो किसी लड़की के साथ हस हस कर बात कर रहा था और मुझे देख उस लड़की से अलग ही गया और हाथ जोड़ने लगा वहीं मुझे उसके पिताजी भी नजर आये तो वो मेरे पास आ गए और जीतू की नौकरी के बारे कुछ बात करने लगे .. फिर मुझे सामने ही जीतू भी नजर आया जो हाथ जोड़ रहा था की मैं उनसे कल ईशा के साथ जब मैंने उसे पकड़ा था उसके बारे में उन से कुछ न कहूँ.

11. बजे के आसपास पूजा होने के बाद मैं वापिस आया तो रास्ते में ईशा मेरा इंतजार कर रही थी और माफ़ी मांगने लगी तो मैंने कहा ऐसे सड़क पर मत शुरू हो जाओ .. तुम १५ मिनट के बाद अपने पुराने घर में चलो . आज वहां कोई नहीं है पीछे की तरफ एक दरवाजा खुला रखा होगा उसमे से अंदर चली जाओ ..

उस घर की मुरम्मत चल रही थी और रविवार के कारण लेबर की भी छुट्टी थी और वहां एक कमरे में वहां एक टेबल पर अपने डॉक्टरी के कुछ साजो सामान जो रोजी ले कर आयी थी उसे रखा हुआ था ..

कमरे में एक बड़ी एग्जामिनेशन टेबल थी. एक और टेबल में डॉक्टर के उपकरण जैसे स्टेथेस्कोप, चिमटे , वगैरह रखे हुए थे.

15 मिनट के बाद कांपते कदमों के साथ और भयभीत आँखों के साथ भयभीत ईशा पिछले दरवाजे पर आयी और दस्तक दी। मैंने दरवाजा खोला और ईशा को अंदर जाने का इशारा किया। वह मेरे सामने बिकुल पास आकर खड़ी हो गई।

उसे देखते हुए मैंने अपने मन को भविष्य के उन सुखों का अनुमान लगाया जो ऐसी आकर्षक कामुक स्वभाव लड़की के साथ अपने घर में एकांत में ले सकता था . मैं वहां एक लम्बी सीट परबैठ गया और मैंने उसका सिर से पांव तक सर्वेक्षण किया। उसने छोटी लाल रंग की स्कर्ट और बिना बाजू का सफ़ेद टॉप पहना हुआ था और गहरे गले में से उसकी स्तनों की दरार दिख रही थी .. वह मेरी टकटकी से बुरी तरह से घबरा और शरमा गयी,

कुछ सेकंड चुप्पी छायी रही और मैंने सबसे पहले इस छुपी के जादू को तोड़ा । इस सेक्सी कमसिन कन्या की अपनी आँखों से ताकते हुए मैंने मेरे हाथ जोड़कर उसे संबोधित किया: " तो "ईशा आपने ये बिलकुल सही किया है, मेरे पास इतनी जल्दी आना यह आपकी ईमानदारी और आपकी गलतियों के लिए पश्चाताप करने की आपकी इच्छा को दर्शाता है जिससे आपको जरूर क्षमा और शांति प्राप्त होगी ।"

मेरे इन शालीन शब्दों में ईशा को साहस किया, और उसे लगा उसके दिल से कुछ भार उतर गया है ।

"पहले," मैंने कहा, कुछ सख्ती से, "कुछ मामले हैं जिन पर हमें चर्चा करनी चाहिए।"

मैंने लंबी-गद्दी वाली सीट पर बैठे हुए बोला ईशा मैंने आपके बारे में बहुत सोचा है । कुछ समय के लिए ऐसा कोई रास्ता नहीं दिखाई दिया जिसमें मैं अपने विवेक को छोड़ कर इस बात को छुपा लू बल्कि मुझे यही लगा मुझे आपके अंकल के पास जाकर उन्हें सब कुछ बता देना चाहिए या फिर मुझे उन्हें सच नहीं बताना चाहिए मैं इसे संशय में था ।

यहाँ मैं रुका और ईशा की और देखा, ईशा अपने चाचा के गुस्से को अच्छी तरह से जानती थी, वो अपने चाचा पर वह पूरी तरह से निर्भर थी, वो इसके बाद क्या होता ये सोच कर ही मेरे इन शब्दों पर कांप गई।

फिर मैंने उसके हाथ को अपने हाथ में लेते हुए, और धीरे से ईशा को अपने तरफ खींचा, जिससे उसने मेरे सामने घुटने टेक दिए , फिर मैंने मेरे दाहिने हाथ ने उसके गोल कंधे को दबाया. उसके बाद मैं आगे बोला : "लेकिन मैं ऐसा करने पर इसके तुम्हारे साथ होने वाले भयानक परिणामों के बारे में सोचकर परेशान हो गया हूँ जो इस तरह के एक खुलासा होने पर हो सकते है और फिर मैंने कुछ पवित्र ग्रंथों का अध्यन्न किया और मंदिर में इसके बारे में पंसित जी से ज्ञान प्राप्त किया और आपके लिए प्रार्थना की उसके बाद अब मैं वहाी से आ रहा हूँ ..

मुझे आशा है कि हम आपके अपराध के बारे में आपके चाचा को बताने से बचना चाहिए और इससे हम आप पर आने वाले बुरे परिणामो को रोक सकेंगे । हालांकि, इस की लिए आपको एक प्रक्रिया से गुजरना होगा और उस प्रक्रिया को लागू करने के लिए पहली आवश्यकता, आज्ञाकारिता है। "

ईशा अपनी परेशानी से बाहर निकलने के तरीके के बारे में सुनकर बहुत खुश हुई, आसानी से मेरी आज्ञा का अंध पालन करने का उसने तुरंत वादा किया।

"थैंक्यू डॉक्टर अंकल," उसने जवाब दिया, उसकी आँखों से निकले आँसू बहते हुए गाल पर आ गए और उसने अपना सिर झुका लिया " मैं जानती हूँ कि आप हमारा अच्छा ही सोच रहे हैं क्योंकि आप बहुत अच्छे हैं और मैं आपको बताना चाहती हूँ कि आप ये जान ले की मैं और मेरा परिवार आपकी बहुत सराहना और इज्जत करते हैं ।"

"मुझे खुशी है, ईशा, कि तुम्हें इसका एहसास है," मैंने कहा। “मुझे डर था कि आप जिस स्थिति में हैं, उसकी पूरी तरह से समझने के लिए आप बहुत छोटे हो और इसी कारण से है मैं आज आपसे बात कर रहा हूं। आपका आचरण न केवल आपके भाग्य को बल्कि आपके परिवार के भविष्य को भी संचालित करेगा। ईशा, मुझे यकीन है कि मैं आप मुझे निराश नहीं करेंगी। ”

"मुझे आशा है, डॉक्टर अंकल ," उसने जवाब दिया, "आपको मेरी रक्षा करने और मुझे अपनी देख्भाल के तहत मेरी गलतियों को पश्चाताप करने और मुझे सुधारने का मौका देने के आपके निर्णय पर कभी भी पछतावा नहीं होगा;" मैं आपको विश्वास दिलाती हूं कि मैं आपका सम्मान और आज्ञा पालन दोनों करूंगी और आपको हर संभव तरीके से खुश करने की पूरी कोशिश करूंगी । ”

"एक कंगाल और एक सार्वजनिक आरोप वास्तव में एक अप्रिय बात है, और एक दुखद बात है," मैंने कहा, जैसे कि खुद से बात कर रहा हूँ लेकिन मैं अपने आँखिो के निचले हिस्से के बीच ईशा के चरे पर चरम आतंक देख रहा था . मैं बोला ईशा प जो कह रही है उसका मतलब भी समझ्ती है ? क्या आपको यकीन है कि इस परोपकारी कार्य को करने में, आपकी मदद करने में, मैं सभी मामलों में आप मुझे सम्मान देंगी और मेरे हर आज्ञा का पूर्ण पालन करेंगी इस बारे में मैं कैसे सुनिश्चित हो सकता हूं? "

"ओह, अंकल ," वो व्यथित हो कर बोली "आप मुझ पर कैसे शक कर सकते हैं? आपने मुझे मेरी गलती का अहसास कराने में मदद की है और अब आप मुझे पछतावा करने का और गलतियों को सुधारने में नेरी मदद कर रहे हैं और ये काम आप अपनी अद्भुत देखरेख में करेंगे और निश्चित रूप से आपको यह नहीं कभी सोचना चाहिए कि मैं कभी भी इसके लिए आपकी कृतज्ञ नहीं रहूंगी । "

आप जो कहेंगे मैं वो सब करूंगी उसके बाद वो धन्यवाद कहते हुए मेरे पैरो में गिर पड़ी । मैंने अपना सिर उसके ऊपर झुका दिया। मेरे गाल उसके गर्म गालों को छुए, और उसे ऐसे मेरी आज्ञा मानने के लिए राजी होते देख मेरी आँखों में एक अजीब सी रौशनी चमकने लगी, मैंने अपना संयम बना कर रखा और उसके कंधों पर हाथ फेरा तो मेरे हाथ थरथरा उठे।

निस्संदेह मेरी मन विचलित था और मन में आ रहा था उसे अप्निबाहो में लकड़ कर चुम्बन कर दू अपर मैंने फिर खुद को रोका और संयमित किया और फिर मैंने आज्ञाकारिता के आधार पर लंबा व्याख्यान दिया और उसने कहा अंकल मैं आपके मार्गदर्शन में वो सब करूंगी जिसकी आप आज्ञा देंगे ।

ईशा ने पूरे धैर्य से मेरा लेक्चर सुना और म मेरे प्रति आज्ञाकारिता के अपने आश्वासन को दोहराया।
उसकी चमकती आँखों और गर्म जोशीले होंठों को देख मेरी वासना मेरे भीतर भड़क उठी।

मैंने सुंदर ईशा के कंधो और कमर पर हाथ रख कर ऊपर उठाया और अपने और नजदीक किया और उसे नजदीक से देखा, मेरे हाथ उसके गोरी बाहें पर टिक गए फिर मैंने उसका नीचे झुका हुआ चेहरा अपने हाथो में लेकर ऊपर उठाया । मैं अभी और पका करना चाहता था की वो मुझे समर्पित हो गयी है

"ईशा यह कहना काफी आसान है कि आप अपने आप को मेरे आज्ञाकारिता और सम्मान के लिए समर्पित करने की प्रतिज्ञा करती हैं, लेकिन अगर आपके विचार और मेरे विचार किसी मुद्दे पर अगर सहमत नहीं हुए तो और फिर ऐसे समय पर ईशा आपकी क्या प्रतिक्रिया होगी?"

"ओह, अंकल ," उसने उत्तर दिया, "मुझे यकीन है कि जब मैं ये कहती हूं कि हम आपकी थोड़ी सी इच्छा के अनुसार सब कुछ करूंगी तो आप मेरा विश्वास कर सकते हैं ।"

“ठीक है, इस मामले का फायदा उठाने का मेरा कोई इरादा नहीं है। मैं आपको उसी आधार पर मदद करने के लिए सहमत हूं, जैसे कि आप मेरे दिवंगत मित्र की बेटी हैं और मैं आपको अपनी शिष्य स्वीकार करता हूँ लेकिन आप मेरी इच्छा या योजना से बाहर जाकर कुछ भी कभी भी नहीं करेंगी .. मैं ही आपके आचरण का अंतिम निर्णायक रहूंगा कि आप क्या करेंगी या क्या नहीं करेंगी ; आपकी हर योजना में मुझ से सलाह ली जानी चाहिए और आप कभी भी मेरी अवज्ञा नहीं करेंगी; आपको मेरी हर इच्छा के अनुरूप सहमत होना होगा।

इधर मैं सदा आपसे विनम्र व्यवहार करूंगा और आपकी सबसे अच्छी देखभाल करूंगा और आपको पश्चाताप करने में मदद करूंगा, अपने आचरण को सही करूंगा और आपके इस रहस्य को मेरे पास सुरक्षित रखूंगा।

अन्यथा आपका रास्ता आपके लिए खुला है; आप उन शर्तों के तहत मेरे साथ बनी रह सकती हैं, या आप जो भी अन्य व्यवस्थाएं फिट देखते हैं, अपने लिए कर सकती हैं। और मैं भी तब आज़ाद रहूँगा आपके आचरण के बारे में आपके परिवार को साथ बात करने के लिए ,,

“ओह, अंकल । निश्चित रूप से मैं आपके पास आपकी शिष्या की तरह रहूंगी और आपकी हर बात मानूंगी और मुझे यकीन है कि आप हमे प्यार करेंगे और मैं आपकी अच्छी और सबसे प्रिय शिष्या बनूंगी। ”

"तो ठीक है, यह तय हो गया है," मैंने कहा। अब मुझे तुम्हारी प्रतिबद्धता की जांच करने दो "ईशा इधर आओ और मेरे घुटने पर बैठो," मैंने उसे आज्ञा दी। वह जाहिरा तौर पर उलझन में थी और उसे शर्म आ रही थी, लेकिन मेरे साथ अनुबंध करने के बाद और मेरे सभी आदेशों और इच्छाहो का पालन करने के लिए सहमत होने के बाद मेरे द्वारा किए गए पहले अनुरोध को वो मना नहीं कर सकती थी, उसके पास अब कोई दूसरा विकल्प नहीं था, वह तुरंत उठी और बड़ी नाजुक अदा से मेरे घुटने पर बैठ गयी । ।

"और प्यारी ईशा" मैंने जारी रखा, " अब आप मुझे बताइये कि आप किस तरह से उस आवारा लड़के जीतू के साथ उस पार्क में चली गयी और वहां आपने क्या किया ताकि मुझे आपके अपराध की गंभीरता का पता चल सके और मैं आपकी उचित मदद कर सकूं।

उसने मुझे बताया वो रोज मंदिर जाती थी तो वहां जीतू प्रसाद बांटता था और जब लाइन में मेरी बारी आती थी तो उसे औरो से अधिक प्रसाद दे देता था .. फिर धीरे धीरे वो दर्शनों में भी मेरी मदद कर देता था जिससे मुझे लाइन में नहीं लगना पड़ता था और मेरा समय बच जाता था . फिर एक दिन उसने मुझे उस पार्क मेंएकांत में मिलने को बोला तो मैं भी जिज्ञासा के कारण वहां चली गयी जहाँ उसने मुझे मंदिर से मिले फल और फूल दिए और बोला उसने मेरे लिए ख़ास पूजा की है इससे मेरे परीक्षा अच्छी होंगी .. उस बार मेरी परीक्षा अच्छी हुई और मेरे अच्छे नंबर आये ..

तो वो हर बार मुहे वहां बुला कर कुछ न कुछ फल फूल देने लगा फिर एक दिन उसने मुझे कहा वो मुझे बहुत पसंद करता है और मुझ से दोस्ती करना चाहता है .. तो मैंने इसकी दोस्ती कबूल कर ली . फिर एक दिन उसने मुझे आई लव यू बोल दिया और मैंने भी उसे आयी लव यू बोल दिया

फिर वो मुझ से रोज किस मांगने लगा और एक दिन मैंने उसे किश करने दी तो अगले दिन उसने किश करते हुए मेरे स्तन भी दबा दिए फिर कल उसने मुझे मंदिर में यहाँ बुलाया और मुझे किश किया और उसने मेरे स्तनों को दबाया और फिर मेरी टांगो के बीच हाथ ले गया था . और तभी आप मेरी चीख सुन कर वहां आ गए थे .. इससे ज्यादा उसने कुछ नहीं किया था ..

तो मैंने बोलै ठीक हैं मुझे इसकी जांच करने दो टेबल में लेट जाओ. मैं चेकअप के लिए उपकरणों को लाता हूँ.


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार





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पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-16

सुपर संडे - ईशा की परख 




ईशा टेबल के पास गयी पर वो थोड़ी ऊँची थी. चेकअप करने की सुविधा के लिए वो टेबल ऊँची बनाई गयी थी , पर ईशा के लिए तंग और छोटी स्कर्ट में उसपर चढ़ना मुश्किल था. उसने दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा , फिर अपना दायां पैर टेबल पर चढ़ने के लिए ऊपर उठाया. लेकिन मैंने देखा ऐसा करने से उसकी स्कर्ट बहुत ऊपर उठ जा रही है और उसकी गोरी टाँगें नंगी हो गयी थी और उसे डर था कही ये स्कर्ट फट ही ना जाए तो ईशा ने टेबल में चढ़ने की कोशिश बंद कर दी. फिर ईशा कमरे में इधर उधर देखने लगी शायद कोई स्टूल मिल जाए पर वहां कुछ नहीं था.

मैंने कहा ईशा रूको पहले मुझे तुम्हारा माप लेने दो और मैंने एक मापने का फीता (इंचीटेप) उठाया और उसके पास गया और बोला अब मुझे तुम्हरा माप पता होना चाहिए मेरे अनुमान से तुम्हारे छाती का साइज 34 होना चाहिए .. तो ईशा शर्माते हुए बोली जी डॉक्टर साहिब 34C. है

मैंने कहाः ठीक है इसे पक्का कर लेते हैं मैंने नाप लेते समय उसकी गोरी रसीली चूचियों का ऊपरी हिस्सा टॉप के कट से दिखने लगा था.मेरी नजरें ईशा की रसीली चूचियों पर ही थी और मैंने अपनी अंगुलियों से उसके टॉप के बाहर से उसकी चूचियों को छुआ और टॉप की फिटिंग देखने के बहाने चूचियों को दबा भी दिया. उसकी चूचियाँ बड़ी सुदृढ़ और कसी हुई थी.. मैंने नाप लेने के बहाने दायीं चूची के निप्पल और फिर बाए निप्पल को अंगूठे से दबाया.

फिर मैंने टेप लिया और झुककर ईशा क पेट की नाप लेने लगा. मैंने उसे टॉप के आधार पर नाप लीया और बोला तुम्हारी कमर 24. इंच है

मुझे उसके स्कर्ट में कुछ वास्तु मह्सूस हुई तो मैंने कहा ईशा अपने स्कर्ट की जेब खाली कर दो इससे तुम्हारा सही माप लेने में सुविधा होगी उसने जेब में से अपना पर्स निकाल कर मुझे दे दिया मैंने देखा उसमे उसके स्कूल का आइडेंटिटी कार्ड था जिससे मुझे ये पक्का हो गया वो 18 साल की कुछ दिन पहले ही हो गयी है फिर उसकी गोल नितम्बो पर अपने हाथ फिराते हुए उसके नितम्बो का साइज माप कर मैं बोला ये 36. है और उसके नितम्बो को दबा दीया और बोलै ईशा अब तुम टेबल पर चढ़ जाओ

“ईशा: डॉक्टर , ये टेबल तो बहुत ऊँची है और यहाँ पर कोई स्टूल भी नहीं है.”

मैं – ओह…..तुम ऊपर चढ़ नहीं पा रही हो. असल में ये एग्जामिनेशन टेबल है इसलिए इसकी ऊँचाई थोड़ी ज़्यादा है. ….ईशा , एक मिनट रूको.

ईशा टेबल के पास खड़ी रही और कुछ पल बाद मैं उसके पास आ गया .

मैं – ईशा तुम चढ़ने की कोशिश करो, में मदद करूँगा.

ईशा “ठीक है डॉक्टर अंकल .”

ईशा ने दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा और अपने पंजो के बल ऊपर उठने की कोशिश की. मैंने उसकी जांघों के पिछले हिस्से पर अपने हाथ रख कर वहाँ पर पकड़ा और ईशा को ऊपर को उठाया . इस समय उसकी सुंदर गांड ठीक मेरे चेहरे के सामने थी. इसके बाद मैंने ईशा को और ऊपर उठाना बंद कर दिया और ईशा उसी पोज़िशन में रह गयी. अगर ईशा अपना पैर टेबल पर रखती तो उसकी स्कर्ट बहुत ऊपर उठ जाती इसलिए वो बोली डॉक्टर अंकल मुझे थोड़ा और ऊपर उठाइए, मैं ऊपर नहीं चढ़ पा रही हूँ.”

मैंने उसके दोनों नितंबों को पकड़कर उसके सुन्दर मांसल नितंबों को दोनों हाथों में पकड़कर ज़ोर से दबा दिया.

फिर मैंने उसे पीछे से धक्का दिया और ईशा टेबल तक पहुँच गयी. जब तक ईशा पूरी तरह से टेबल पर नहीं चढ़ गयी तब तक मैं ने उसके नितंबों से अपने हाथ नहीं हटाए और मेरे हाथ स्कर्ट से ढके हुए उसके निचले बदन को महसूस करते रहे.

मैं नितंबों को धक्का देकर ईशा को ऊपर चढ़ा रहा था. शरम से उसके कान लाल हो गये और उसकी साँसें भारी हो गयी थीं.

अब ईशा टेबल में बैठ गयी और मैंने उसे लेटने को बोला

ईशा की चूचियाँ दो बड़े पहाड़ों की तरह ,उसकी साँसों के साथ ऊपर नीचे हिल रही हैं.

मैं – ईशा तुम तैयार हो ?

“हाँ जी .”

मैं – अब तुम्हारी नाड़ी देखता हूँ.

ऐसा कहते हुए मैंने उसकी बायीं कलाई पकड़ ली. मेरे गरम हाथों का स्पर्श उसकी कलाई पर हुआ , तो ईशा का दिल जोरों से धड़कने लगा .शायद कल जीतू ने उसे कल गरम करके अधूरा छोड़ दिया था उस वजह से ऐसा हुआ हो.

मैं – अरे ….. ईशा , तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज चल रही है , जैसे की तुम बहुत एक्साइटेड हो . लेकिन तुम तो अभी अभी मंदिर से पूजा करके आई हो , ऐसा होना तो नहीं चाहिए था…...फिर से देखता हूँ. अब तो तुम को कोई डर नहीं लगना चाहिए .. अगर तुम्हे कोई डर है तो उसे मन से निकाल दो

मैं ने उसकी कलाई को अपनी दो अंगुलियों से दबाया.

मैं – क्या बात है ईशा ? तुम शांत दिख रही हो पर तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज भाग रही है.

“मुझे नहीं मालूम मैं .”

ईशा झूठ बोलने की कोशिश की पर मैं सीधे उसकी आँखों में देख रहा था .

मैं – तुम्हारी हृदयगति देखता हूँ.


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार





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  8. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध- completed
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#72
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-17

सुपर संडे - ईशा का विर्जिनिटी टेस्ट
 



मैं – ईशा तुम्हारी हृदयगति देखता हूँ. कहते हुए मैंने उसकी कलाई छोड़ दी. फिर स्टेथेस्कोप को अपने कानों में लगाकर उसका नॉब ईशा की छाती में लगा दिया. मेरा हाथ उसकी चूचियों को छू गया. उसे थोड़ा असहज महसूस हो रहा था. . मैं उसकी छाती के ऊपर झुके हुए उसकी आँखों में देख रहेा था उसक दिल और भी ज़ोर से धड़कने लगा. अब मैंने नॉब को थोड़ा सा नीचे खिसकाया , उसके बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी. मैं टॉप के ऊपर से बायीं चूची के ऊपर नॉब को दबा रहा था . उसकी साँसें भारी हो गयीं.

मैं – ईशा तुम्हारी हृदयगति भी तेज है. कुछ तो बात है.

उसने मासूम बनने की कोशिश की.

पता नहीं ऐसा क्यूँ हो रहा है ?”

मैं ने अभी भी नॉब कोउसकी बायीं चूची के ऊपर दबाया हुआ था. मेरे दबाने से अब चूचियाँ टाइट होने लगीं. फिर मैंने छाती से स्टेथेस्कोप हटा लिया लेकिन मेरी नज़रें उसकी चूचियों पर ही थीं.

मैं –ईशा तुम कोई छोटी बच्ची नहीं हो की तुम्हें मालूम ही ना हो की तुम्हारी नाड़ी और हृदयगति तेज क्यूँ हैं. तुम्हें मुझसे कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए.

अब ईशा दुविधा में थी की क्या कहूँ और कैसे कहूँ ? उसे कुछ तो कहना ही था . .

“ मैं वो …मेरा मतलब……मुझे रात भर डर लगता रहा और नींद भी ठीक से नहीं आयी हो सकता है ये उसका ही प्रभाव हो …”

ईशा ठीक से जवाब नहीं दे पा रही थी. इस सब के दौरान ईशा टेबल पर लेटी हुई थी और मैं उसकी छाती के पास खड़े हुआ था

मैं – ईशा जिस तरह से तुम्हारी चूचियाँ ऊपर नीचे उठ रही हैं , मुझे लगता है कुछ और बात है.

अपनी चूचियों के ऊपर मैं के डाइरेक्ट कमेंट करने से ईशा शरमा गयी . मैंने उनका ध्यान मोड़ने की भरसक कोशिश की.

“नहीं नहीं मैं . ये तो आपके …”

उसने जानबूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी और अपने दाएं हाथ से इशारा करके बताया की मेरे उसकी चूची पर स्टेथेस्कोप लगाने से ये हुआ है. उसके इशारों को देखकर मैं ज़ोर से हंस पड़ा .

मैं – अगर इस बेजान स्टेथेस्कोप के छूने से तुम्हारी हृदयगति इतनी बढ़ गयी तो किसी मर्द के छूने से तो तुम बेहोश ही हो जाओगी. और फिर कल तुमने जीतू को वो सब कैसे करने दिया

मैं हसा . ईशा भी मुस्कुरा दी.

मैं – ठीक है ईशा . ईशा तुम्हारी बात मान लेता हूँ की तुम्हें रात में ठीक से नींद नहीं आयी और तुम कल की घटनाओ के कारण डरी हुई थी . और अब चेकअप करने से तुम थोड़ी एक्साइटेड हो गयी.

ये सुनकर ईशा ने राहत की साँस ली.

मैं –लेकिन ईशा तुम्हें बता दूं की ये अच्छे लक्षण नहीं हैं. तुम्हारी नाड़ी और हृदयगति इतनी तेज चल रही हैं की अगर तुम संभोग कर रही होती तब भी इतनी नहीं होनी चाहिए थी.

मैं – ईशा अब तुम लेट जाओ. मुझे तुम्हारे पेट की जाँच करनी है.

ईशा फिर से टेबल में लेट गयी. मैंने बिना पूछे उसके पेट के ऊपर से स्कर्ट को हटा दिया

मैंने उसके पेट को अपनी अंगुलियों से महसूस किया और हथेली से पेट को दबाकर देखा. उसने पेट की मुलायम त्वचा पर मेरे गरम हाथ महसूस किए. मेरे छूने से उसके बदन में कंपकपी सी हो रही थी. उसके पेट को दबाकर लिवर आदि अंदरूनी अंगों को टटोला. फिर अचानक उसकी नाभि में उंगली घुमाने लगा उससे ईशा को गुदगुदी होने लगी . गुदगुदी होने से ईशा अपने नितंबों को हिलाने लगी और हसने लगी

मैं – ठीक है. हो गया. ईशा अब पेट के बल लेट जाओ

ईशा टेबल में अपने पेट के बल लेट गयी. अब उसके बड़े नितंब मैं की आँखों के सामने ऊपर को थे और मेरी चूचियाँ उसके बदन से दबकर साइड को फैल गयी थीं. अब मैं ने स्टेथेस्कोप लगाकर मेरी पीठ में जाँच की. उन्होंने एक हाथ से स्टेथो के नॉब को उसके टॉप के ऊपर दबाया हुआ था और दूसरा हाथ मेरी पीठ के ऊपर रखा हुआ था.

मैं – ईशा एक गहरी साँस लो.

मैंने उनके निर्देशानुसार लंबी साँस ली. लेकिन मेरी अँगुलियाँ उसकी ब्रा के हुक के ऊपर चली गयी मेरी इस हरकत से ईशा साँस रोक नहीं पाई और उसकी साँस टूट गयी. फिर ईशा हसने के कारण थोड़ा नार्मल हो गयी और मैंने ब्रा के ऊपर से अपनी अँगुलियाँ हटा ली .

स्टेथो से जाँच पूरी होने के बाद , मैंने मैं के हाथ टॉप के अंदर नंगी कमर ले जा कर उसकी चिकनी कमर को महसूस किया . उसकी कमर की नंगी त्वचा पर और टॉप के अंदर मेरे हाथ के स्पर्श से उसके बदन की गर्मी बढ़ने लगी.

अब मैंने उसके नितम्बो की एक बार दबाया और फिर उसे दुबारा पीठ के बल होने को कहाः और उसे बोला ईशा तुम्हारे श्रोणि प्रदेश (पेल्विक रीजन) की जाँच करेंगे और ईशा . अगर तुमने पैंटी पहनी है तो उसे उतार दो क्यूंकी मुझे तुम्हारी योनि की जाँच करनी है.

ईशा ने पैंटी उतारने के लिए अपनी स्कर्ट को ऊपर उठाया, शरम से उसका मुँह लाल हो गया था. फिर उसने स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर अपनी पैंटी को नितंबों से नीचे खींचने की कोशिश की. मैं नीचे से उसकी स्कर्ट के अंदर पैंटी उतारने का नज़ारा देखने लगा . लेकिन ईशा असहाय थी और उसे मेरे सामने ही पैंटी उतारनी पड़ी.

मैं – ईशा , अपनी पैंटी मुझे दो. ईशा मैं इसे यहाँ रख देता हूँ.

ऐसा कहकर मैंने उसके कुछ कहने का इंतज़ार किए बिना उसके हाथों से पैंटी छीनकर दूसरी टेबल के पास रख दी. ईशा फिर से टेबल में लेट गयी. अब मैंने उससे कुछ भी कहने की बजाय सीधे खुद ही उसकी स्कर्ट को कमर तक ऊपर खींच दिया और उसकी टाँगों को फैला दिया. उसके बाद मैंने उसकी टाँगों को उठाकर टेबल में बने हुए खाँचो में रख दिया. अब ईशा लेटी हुई थी और उसकी दोनों टाँगें ऊपर उठी हुई थी. मेरी गोरी चिकनी जाँघें और चूत मेरी आँखों के सामने बिल्कुल नंगी थी. शरम और घबराहट से उसके दाँत भींच गये. उसकी चूत पर बालो का झुरमुट था

ईशा लेटे लेटे मुझे देख रही थी. अब मैंने उसकी चूत के होठों को अपनी अंगुलियों से अलग किया. और चूत के होठों पर अपनी अंगुली फिराई और फिर उन्हें फैलाकर खोल दिया. उसके बाद मैंने अपनी तर्जनी अंगुली (दूसरी वाली) में ल्यूब लगाकर धीरे से उसकी चूत के अंदर घुसायी. उसकी चूत पहले से ही गीली हो रखी थी, चेकअप के नाम पर मेरे द्वारा उसके बदन को छूने से . उसकी चूत के होंठ गीले हो रखे थे और मेरी अंगुली बड़ी मुश्किल से उसकी चूत में घुसी .

“ओओओऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…..”

ईशा की सिसकारी निकल गयी.

मैं – ईशा रिलैक्स ,ये सिर्फ़ जाँच हो रही है. मुझे अब तुम्हारे कौमार्य की जाँच करनी है. ( विर्जिनिटीटेस्ट )

ईशा चौंकते हुए बोली डॉक्टर साहब वो क्या होता है

ईशा कौमार्य परीक्षण यह निर्धारित करने की प्रक्रिया है कि क्या एक लड़की या महिला कुंवारी है या नहीं .. ईशा को कोई उम्मीद नहीं थी की मैं ऐसा टेस्ट भी करूंगा

तो ईशा बोली डॉक्टर अंकल मुझे आपको कुछ बताना है कल जीतू ने मेरे साथ छेड़ खानी करते करते अपनी पेण्ट उतार दी थी और मैंने शर्म के मारे अपने आँखे बंद कर ली थी उसके बाद उसने अपनी एक ऊँगली मेरी टांगो के बीच में डाल दी थी मुझे बहुत जोर से दर्द हुआ था और मैं चिलायी थी तभी आप आ गए थे और उसके बाद मैंने महसूस किया था मेरी योनि के बाहर सफ़ेद और चिपचिपा पदार्थ लगा हुआ था

मैंने कहा ईशा अभी फैसला हो जाएगा कल तुमने और जीतू ने क्या क्या किया था ये टेस्ट यही निर्धारित करने के लिए है कि तुमने कभी संभोग किया है या नहीं किया है।

परीक्षण में तुम्हारी योनि के अंदर अक्षुण्ण हाइमन की उपस्थिति की जांच भी शामिल है और दो उंगलिया डाल कर जांच करना भी शामिल है जिसमे अगर अक्षुण्ण हाइमन नहीं भी उपस्थित है तो भी दो उंगलिया डालने से यह निर्धारित किया जाता है कि लड़की ने कभी संभोग किया है, या संभोग नहीं किया है। इसी जांच के परिणाम के आधार पर, डॉक्टर यौन आदतों पर एक निष्कर्ष निकालता है।

मैंने अपनी अंगुली उसकी चूत से बाहर निकाल ली , मैंने देखा वो उसक चूतरस से सनी हुई थी. मैंने फिर से दो अंगुलीया बड़ी मुश्किल से चूत में डाली और बड़ी मुश्किल से हिलायी .. उसकी छूट वास्तवमे बहुत टाइट थी चूत में अंगुली हिलाने से ईशा उत्तेजना से टेबल में लेटे हुए कसमसाने लगी.

“ओओओओऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…... ….”

उसे चूत के अंदर मेरी अँगुलियाँ हिलती महसूस हो रही थीं. मैंने एक हाथ की अँगुलियाँ चूत में डाली हुई थीं और दूसरे हाथ से मे में स्पैचुला को पकड़ा और दूसरे हाथ से चूत के होठों को फैलाकर स्पैचुला को ईशा की चूत में डाल दिया.

“आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह……… प्लीज़ रुकिये . मैं इसे नहीं ले पाऊँगी.”

ईशा बेशर्मी से चिल्लाई. उसके निप्पल तन गये और ब्रा के अंदर चूचियाँ टाइट हो गयीं. ठंडे स्पैचुला के उसकी चूत में घुसने से ईशा कसमसाने लगी. उत्तेजना से ईशा तड़पने लगी. स्पैचुला ने उसकी चूत के छेद को फैला रखा था . इससे मुझे चूत के अंदर गहराई तक दिख रहा था और मुझे उसका कौमार्य सुरक्षित नज़र आया कुछ देर तक जाँच करने के बाद मैंने स्पैचुला को बाहर निकाल लिया.

मैं – ठीक है ईशा . इसकी जाँच हो गयी. अब तुम अपनी टाँगें मिला सकती हो.

लेकिन ईशा ऐसा करने की हालत में नहीं थी. ईशा मेरे सामने अपनी टाँगें, जांघों और चूत को बिल्कुल नंगी किए हुए थोड़ी देर तक उसी पोजीशन में पड़ी रही. फिर कुछ पलों बाद उसने अपने को संयत किया और अपनी स्कर्ट को नीचे करके चूत को ढक लिया ..

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार

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#73
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-18

सुपर संडे - जाल में ईशा




अब मुझे सब समझ आ गया था की जीतू और ईशा के बीच उस दिन क्या हुआ था

पहले जीतू ने ईशा को चुंबन किये थे फिर उसके स्तन दबाये थे और अपनी पेण्ट खोल कर जब उसने अपना लंड बाहर निकाला था तो ईशा ने लंड देख कर शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी और जीतू ने जल्दबाजी में लंड ईशा की योनि में अंदर डालना चाहा था पहली बार लंड इतनी आसानी से अंदर नहीं जाता इस बीच लंड अंदर डालने के चक्कर में उसका उत्तेजित लंड बाहर ही स्खलित हो गया था और जब जीतू अपना लंड ईशा की योनि के अंदर डालने के कोशिश कर रहा था तो ईशा क बहुत दर्द हुआ और साथ ही उसी समय हवा के कारण वो पका हुआ आम उसी समय ईशा के ऊपर गिरा और ईशा जोर से किल्ला पड़ी थी .. और मैं वहां झाड़ियों से निकला आया था ..

मैंने उसे कहा ईशा अब टेबल से नीचे उतर कर इधर आओ और मेरे घुटने पर बैठो," मैंने उसे एक बार फिर आज्ञा दी। अब वो इस उलझन में थी की उसकी जांच के क्या नतीजे आये हैं लेकिन अब उसे शर्म नहीं आ रही थी क्योंकि मैं उसके गुप्तांगो को देख चूका था , उसके पास अब कोई दूसरा विकल्प बिलकुल नहीं था, वह तुरंत उठी और बड़ी नाजुक अदा से मेरे घुटने पर बैठ गयी । और उसने पेंटी पहनने में कोई रूचि नहीं दिखाई .

मैं उसे अपनी बाहो में ले कर उसे अपने पास खिंचा और उसे प्यार के साथ चूमा वो पहले तो निष्क्रिय रही और मुझे आलिंगन करने दिया लेकिन उसने चुम्बन का गर्मजोशी से जबाब नहीं दिया ।

मेरा हाथ उसके घुटने पर आ गया और वो अपने पैर को ऊपर-नीचे करने लगी। उसका चेहरा लाल हो गया, उसकी आँखें बंद हो गईं और वह धीरे से बोली , "ओह, डॉक्टर अंकल, मुझे नहीं लगता कि आपको ऐसा करना चाहिए; कॉन्वेंट में सिस्टर्स ने हमें सिखाया कि किसी लड़की को किसी पुरुष को अपना शरीर छूने की अनुमति नहीं देनी चाहिए । ”

ईशा, "मैंने एक हंसी के साथ कहा," आप पहले से ही उस बदमाश जीतू को आपको छूने की अनुमति दे चुके हैं। इसलिए इस दलील को आप अब छोड़ दे और अब हम जो पहला काम करने जा रहे हैं, वह यह है कि आपकी कान्वेंट की सिस्टर्स के द्वारा आपको सिखाई गई कुछ महान चीजों को आप अपने दिमाग से निकाल दीजिये । मैं आपका डॉक्टर और गुरु हूं और जैसा की आपने अभि थोडी देर पहले ही मुझ से वादा किया है आप मेरी हर बात मानने के लिए बाध्य हैं और इसलिए मुझे आप पर पूर्ण अधिकार है और मैंने उसकी चिकनी और खूबसूरत जांघ पर चुटकी ली

उसका कोमल शरीर मेरी बाहों में समा गया और मैंने उसके नितंबों का नरम दबाब अपने पैर पर महसूस किया क्योंकि वह घुटने के बल मेरी टैंगो पर बैठी थी। मैं उसे बार-बार गर्म, भावुक, कामुक चुंबन करने लगा जिससे उसकी कामुक भावनाये भड़क जाए और वो मेरा साथ देने लगे.

मैंने उसका चेहरा पकड़ कर उसकी माथे फिर उसकी आँखों फिर पलके फिर उसकी नाक और , उसके गुलाबी गालो मुँह ओंठो को चूम लिया, उसके बाद मैं उसे बेतहाशा चूमने लगा । अंत में, उसकी गर्दन से मेरी बांह को ढीला करते हुए, मैंने उसके सिर को उठाया, और उसकी आँखे में दख कर मुस्कुराया और ईशा को आराम करने दिया ।

“ओह, डॉक्टर आपकी चुम्बन से मुझे कुछ होता है ।" उसकी कामुक भावनाये भी जगने लगी थी मैंने कोमल और कमसिन ईशा के टॉप पर अपना हाथ रख दिया और उसके विकसित स्तनों पर ले गया जो उसके शानदार जिस्म के सबसे आकर्षक आभूषण थे और उन्हें हलके से सहलाया

फिर मेरे हाथों ने उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें उसकी सिल्की टॉप के कपडे के ऊपर से दबाया. ईशा ने इस घुसपैठिये को उसके नारीत्व की शान से दूर धकेलने के लिए अपने कमजोर हाथ से कोशिश की , लेकिन उसकी छोटी उंगलियाो वाले सुन्दर हाथ को मेरे बड़े और मजबूत हाथ ने पकड़ लिया ।

“नहीं, डॉक्टर अंकल ! नहीं न! नहीं न! मैं आपसे विनती करती हूं, '' वह धीमी आवाज में बड़बड़ायी क्योंकि उसने मेरी पकड़ से छूटने का असफल प्रयास किया । “ प्लीज नहीं-आप मुझे वहाँ नहीं छुओ ओह, कृपया वहां नहीं! ”

“ईशा! क्या तुम मेरा संरक्षण और मेरी देखभाल से दूर जाने का बहाना ढूंढ रही हो? तुम मुझे अपने चाचा को आपने जीतू के साथ क्या किया है बताने के लिए बाध्य तो नहीं कर रही हो ? ” मैंने साँस ली, मेरी आवाज़ गूंज उठी और उसका प्रतिरोध ये सुनते ही दब गया और मैंने उसके स्तनों को कस के पकड़ किया और दबा दिया ।

"नहीं न! नहीं न!" प्लीज आप ऐसा मत करना ईशा गिड़गिड़ाई आप प्लीज मेरे अंकल को कुछ मत बताना, उसे फिर अपने चाचा के गुस्से और अंजाम याद आ गया जिसके भय के कारण वो सिहरने लगी . " मैं चाहती हूं कि आप ऐसा न करें और कृपया मेरे चाचा को कुछ भी न बताये लेकिन डॉक्टर, आप जानते हैं कि इस तरह से मेरे अंगो को महसूस करना आपके लिए सही नहीं है। कृपया मुझे जाने दीजिये।"

" ईशा देखो मैं तुम्हारे साथ बहुत ही सौम्य रहूँगा और वादा करता हूँ कि मैं तुम्हें कोई चोट नहीं पहुँचाऊँगा। मैं केवल यह देखना चाहता हूँ कि तुम्हारे अंगो का विकास कैसा हुआ है और तुम कितनी सुन्दर हो ।"

"लेकिन, डॉक्टर -" और इस बीच मैंने उसके टोप की डोरियों को खोल दिया और उसे नीचे गिरने दिया जिससे अब उसके ऊपरी बदन पर सिर्फ लाल रेशमी ब्रा रह गयी और मैंने उसकी ब्रा के अंदर अपना हाथ डालकर, उसकी कोमलता को कोमलता से सहलाते हुए गर्म करने लगा । । "ओह प्लीज, डॉक्टर, मैं आपसे भीख माँगती हूँ," वह रो पड़ी, और अपना हाथ बढ़ाते हुए, उसने अपनी ड्रेस को वापस ऊपर करने का प्रयास किया, और मैंने उसके स्तनों को अपने हाथ से पकड़ लिया और दबाया ।

मैंने उस संघर्षरत लड़की की एक स्तन को पकड़ कर ब्रा के कप से बाहर निकाल दिया और उसके सुंदर चेहरे पर झुकते हुए उसे बार-बार चूमा। उसके होठों पर मेरे ध्यान को स्थानांतरित करते हुए, फिर अमिन उसके ओंठ चूसने लगा और मैंने हाथो से उसके स्तनों को बार-बार सहलाया; अपनी उँगलियों से मसलते हुए, मैंने मजबूती से उसके उरोजों के पास उसके हाथ को पकड़ लिया।

फिर मैंने उसकी छाती पर मेरे सिर को दफ़न कर उसके स्तनों के बीच की दरार को चूमा

उस युवा लड़की ईशा ने मुझ से बचने के लिए संघर्ष किया और अपनी आंनद लेने की उभरती हुए इच्छा को लात मारी और उसके गर्म शरीर में दबे हुए मेरे सिर को उसके छोटे हाथों से हटाने की कोशिश की.. उस समय मेरे होंठ, उसके खड़े होकर बाहर को निकल रहे निप्पल की स्ट्रॉबेरी रंग की टिप को कोमलता से चूस रहे थे । मैंने एक पल के लिए उसे मेरे आलिंगन से निकलने दिया और वह उछली और मुझ से दूर छिटकी और सोफे पर लेट गयी और सुबकते हुए बेतहाशा आंसू बहाने लगी जिसे देखकर किसी का भी दिल पिघल जाता ।

मुझे उस पर दया आयी और साथ ही उसे देख कर मेरी आवेशपूर्ण इच्छाओंने मुझे मजबूर किया और मैंने उसकी अश्रुपूर्ण सुंदरता का सर्वेक्षण किया जैसे वह वहाँ लेटी हुई थी उसने मेरे कामुक दिमाग में उसकी प्यारी सी कामुक तस्वीर पेश की क्योंकि उसके कपड़े अस्त व्यस्त थे, उसका टॉप उतरा हुआ था और उसके स्तन उसकी ब्रा से बाहर झाँक रहे थे उसकी छोटी स्कर्ट उसकी जंघाओं से ऊपर उठी हुई थी और उसकी सुंदर और केले के तने जैसी चिकनी जांघों का विस्तार प्रदर्शित कर रही थी और एक-दो पल इस दृश्य को देखने के बाद मैंने उस रोती हुए सुंदर कमसिन युवती से धीरे से बात की।

“ ईशा ! मुझे देखो, मैं तुमसे बात करना चाहता हूं। ”
"ओह, डॉक्टर अंकल," उसने सर हिलाया। "मैंने कभी नहीं सोचा था कि आप मेरे साथ इस तरह का व्यवहार करेंगे।"

उसकी बात सुन कर मैंने एक बार फिर कड़क आवाज में कहा। “मूर्ख लड़की की तरह की बात मत करो; ईशा ! क्या तुम चाहती हो कि मैं तुरंत आपके चाचा के पास जाऊं और उन्हें कल शाम की घटना की सूचना दू ताकि वो आपको घर से निकाल कर इस निर्दयी दुनिया में अकेला छोड़ दे और उसके बाद आप अगर मेरे पास आएँगी तो भी मैं आपकी कोई मदद नहीं कर पाऊँगा ? या आप अभी मेरी इच्छानुसार चलना पसंद करोगी ? मुझे जवाब दो। क्या आप मेरा साथ चाहती हो या जाना चाहती हो ? "

"हाँ, डॉक्टर अंकल ," वह कुछ लम्बे अंतराल के बाद सोच कर बोली । " हाँ , मैं आपका साथ चाहती हूं, लेकिन ओह, मैं ये भी चाहती हूं कि आप मुझे ऐसे शर्मिंदा न करें ताकि मैं वो सब करूं जो आप मेरे साथ अब करना चाहते हैं-आप जानते हैं कि मैं यहां से नहीं जा सकती क्योंकि , अगर आप मेरे चाचा को कुछ बताते हैं तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी और वास्तव में आपको इस तरह से मेरा फायदा नहीं उठाना चाहिए।



कहानी जारी रहेगी

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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
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  3. अंतरंग हमसफ़र
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  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. मेरे अंतरंग हमसफ़र - मेरे दोस्त रजनी के साथ रंगरलिया
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#74
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

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रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-18

सुपर संडे - जाल में ईशा



अब मुझे सब समझ आ गया था की जीतू और ईशा के बीच उस दिन क्या हुआ था

पहले जीतू ने ईशा को चुंबन किये थे फिर उसके स्तन दबाये थे और अपनी पेण्ट खोल कर जब उसने अपना लंड बाहर निकाला था तो ईशा ने लंड देख कर शर्म के मारे अपनी आँखें बंद कर ली थी और जीतू ने जल्दबाजी में लंड ईशा की योनि में अंदर डालना चाहा था पहली बार लंड इतनी आसानी से अंदर नहीं जाता इस बीच लंड अंदर डालने के चक्कर में उसका उत्तेजित लंड बाहर ही स्खलित हो गया था और जब जीतू अपना लंड ईशा की योनि के अंदर डालने के कोशिश कर रहा था तो ईशा क बहुत दर्द हुआ और साथ ही उसी समय हवा के कारण वो पका हुआ आम उसी समय ईशा के ऊपर गिरा और ईशा जोर से किल्ला पड़ी थी .. और मैं वहां झाड़ियों से निकला आया था ..

मैंने उसे कहा ईशा अब टेबल से नीचे उतर कर इधर आओ और मेरे घुटने पर बैठो," मैंने उसे एक बार फिर आज्ञा दी। अब वो इस उलझन में थी की उसकी जांच के क्या नतीजे आये हैं लेकिन अब उसे शर्म नहीं आ रही थी क्योंकि मैं उसके गुप्तांगो को देख चूका था , उसके पास अब कोई दूसरा विकल्प बिलकुल नहीं था, वह तुरंत उठी और बड़ी नाजुक अदा से मेरे घुटने पर बैठ गयी । और उसने पेंटी पहनने में कोई रूचि नहीं दिखाई .

मैं उसे अपनी बाहो में ले कर उसे अपने पास खिंचा और उसे प्यार के साथ चूमा वो पहले तो निष्क्रिय रही और मुझे आलिंगन करने दिया लेकिन उसने चुम्बन का गर्मजोशी से जबाब नहीं दिया ।

मेरा हाथ उसके घुटने पर आ गया और वो अपने पैर को ऊपर-नीचे करने लगी। उसका चेहरा लाल हो गया, उसकी आँखें बंद हो गईं और वह धीरे से बोली , "ओह, डॉक्टर अंकल, मुझे नहीं लगता कि आपको ऐसा करना चाहिए; कॉन्वेंट में सिस्टर्स ने हमें सिखाया कि किसी लड़की को किसी पुरुष को अपना शरीर छूने की अनुमति नहीं देनी चाहिए । ”

ईशा, "मैंने एक हंसी के साथ कहा," आप पहले से ही उस बदमाश जीतू को आपको छूने की अनुमति दे चुके हैं। इसलिए इस दलील को आप अब छोड़ दे और अब हम जो पहला काम करने जा रहे हैं, वह यह है कि आपकी कान्वेंट की सिस्टर्स के द्वारा आपको सिखाई गई कुछ महान चीजों को आप अपने दिमाग से निकाल दीजिये । मैं आपका डॉक्टर और गुरु हूं और जैसा की आपने अभि थोडी देर पहले ही मुझ से वादा किया है आप मेरी हर बात मानने के लिए बाध्य हैं और इसलिए मुझे आप पर पूर्ण अधिकार है और मैंने उसकी चिकनी और खूबसूरत जांघ पर चुटकी ली

उसका कोमल शरीर मेरी बाहों में समा गया और मैंने उसके नितंबों का नरम दबाब अपने पैर पर महसूस किया क्योंकि वह घुटने के बल मेरी टैंगो पर बैठी थी। मैं उसे बार-बार गर्म, भावुक, कामुक चुंबन करने लगा जिससे उसकी कामुक भावनाये भड़क जाए और वो मेरा साथ देने लगे.

मैंने उसका चेहरा पकड़ कर उसकी माथे फिर उसकी आँखों फिर पलके फिर उसकी नाक और , उसके गुलाबी गालो मुँह ओंठो को चूम लिया, उसके बाद मैं उसे बेतहाशा चूमने लगा । अंत में, उसकी गर्दन से मेरी बांह को ढीला करते हुए, मैंने उसके सिर को उठाया, और उसकी आँखे में दख कर मुस्कुराया और ईशा को आराम करने दिया ।

“ओह, डॉक्टर आपकी चुम्बन से मुझे कुछ होता है ।" उसकी कामुक भावनाये भी जगने लगी थी मैंने कोमल और कमसिन ईशा के टॉप पर अपना हाथ रख दिया और उसके विकसित स्तनों पर ले गया जो उसके शानदार जिस्म के सबसे आकर्षक आभूषण थे और उन्हें हलके से सहलाया

फिर मेरे हाथों ने उसके दोनों स्तनों को पकड़ लिया और उन्हें उसकी सिल्की टॉप के कपडे के ऊपर से दबाया. ईशा ने इस घुसपैठिये को उसके नारीत्व की शान से दूर धकेलने के लिए अपने कमजोर हाथ से कोशिश की , लेकिन उसकी छोटी उंगलियाो वाले सुन्दर हाथ को मेरे बड़े और मजबूत हाथ ने पकड़ लिया ।

“नहीं, डॉक्टर अंकल ! नहीं न! नहीं न! मैं आपसे विनती करती हूं, '' वह धीमी आवाज में बड़बड़ायी क्योंकि उसने मेरी पकड़ से छूटने का असफल प्रयास किया । “ प्लीज नहीं-आप मुझे वहाँ नहीं छुओ ओह, कृपया वहां नहीं! ”

“ईशा! क्या तुम मेरा संरक्षण और मेरी देखभाल से दूर जाने का बहाना ढूंढ रही हो? तुम मुझे अपने चाचा को आपने जीतू के साथ क्या किया है बताने के लिए बाध्य तो नहीं कर रही हो ? ” मैंने साँस ली, मेरी आवाज़ गूंज उठी और उसका प्रतिरोध ये सुनते ही दब गया और मैंने उसके स्तनों को कस के पकड़ किया और दबा दिया ।

"नहीं न! नहीं न!" प्लीज आप ऐसा मत करना ईशा गिड़गिड़ाई आप प्लीज मेरे अंकल को कुछ मत बताना, उसे फिर अपने चाचा के गुस्से और अंजाम याद आ गया जिसके भय के कारण वो सिहरने लगी . " मैं चाहती हूं कि आप ऐसा न करें और कृपया मेरे चाचा को कुछ भी न बताये लेकिन डॉक्टर, आप जानते हैं कि इस तरह से मेरे अंगो को महसूस करना आपके लिए सही नहीं है। कृपया मुझे जाने दीजिये।"

" ईशा देखो मैं तुम्हारे साथ बहुत ही सौम्य रहूँगा और वादा करता हूँ कि मैं तुम्हें कोई चोट नहीं पहुँचाऊँगा। मैं केवल यह देखना चाहता हूँ कि तुम्हारे अंगो का विकास कैसा हुआ है और तुम कितनी सुन्दर हो ।"

"लेकिन, डॉक्टर -" और इस बीच मैंने उसके टोप की डोरियों को खोल दिया और उसे नीचे गिरने दिया जिससे अब उसके ऊपरी बदन पर सिर्फ लाल रेशमी ब्रा रह गयी और मैंने उसकी ब्रा के अंदर अपना हाथ डालकर, उसकी कोमलता को कोमलता से सहलाते हुए गर्म करने लगा । । "ओह प्लीज, डॉक्टर, मैं आपसे भीख माँगती हूँ," वह रो पड़ी, और अपना हाथ बढ़ाते हुए, उसने अपनी ड्रेस को वापस ऊपर करने का प्रयास किया, और मैंने उसके स्तनों को अपने हाथ से पकड़ लिया और दबाया ।

मैंने उस संघर्षरत लड़की की एक स्तन को पकड़ कर ब्रा के कप से बाहर निकाल दिया और उसके सुंदर चेहरे पर झुकते हुए उसे बार-बार चूमा। उसके होठों पर मेरे ध्यान को स्थानांतरित करते हुए, फिर अमिन उसके ओंठ चूसने लगा और मैंने हाथो से उसके स्तनों को बार-बार सहलाया; अपनी उँगलियों से मसलते हुए, मैंने मजबूती से उसके उरोजों के पास उसके हाथ को पकड़ लिया।

फिर मैंने उसकी छाती पर मेरे सिर को दफ़न कर उसके स्तनों के बीच की दरार को चूमा

उस युवा लड़की ईशा ने मुझ से बचने के लिए संघर्ष किया और अपनी आंनद लेने की उभरती हुए इच्छा को लात मारी और उसके गर्म शरीर में दबे हुए मेरे सिर को उसके छोटे हाथों से हटाने की कोशिश की.. उस समय मेरे होंठ, उसके खड़े होकर बाहर को निकल रहे निप्पल की स्ट्रॉबेरी रंग की टिप को कोमलता से चूस रहे थे । मैंने एक पल के लिए उसे मेरे आलिंगन से निकलने दिया और वह उछली और मुझ से दूर छिटकी और सोफे पर लेट गयी और सुबकते हुए बेतहाशा आंसू बहाने लगी जिसे देखकर किसी का भी दिल पिघल जाता ।

मुझे उस पर दया आयी और साथ ही उसे देख कर मेरी आवेशपूर्ण इच्छाओंने मुझे मजबूर किया और मैंने उसकी अश्रुपूर्ण सुंदरता का सर्वेक्षण किया जैसे वह वहाँ लेटी हुई थी उसने मेरे कामुक दिमाग में उसकी प्यारी सी कामुक तस्वीर पेश की क्योंकि उसके कपड़े अस्त व्यस्त थे, उसका टॉप उतरा हुआ था और उसके स्तन उसकी ब्रा से बाहर झाँक रहे थे उसकी छोटी स्कर्ट उसकी जंघाओं से ऊपर उठी हुई थी और उसकी सुंदर और केले के तने जैसी चिकनी जांघों का विस्तार प्रदर्शित कर रही थी और एक-दो पल इस दृश्य को देखने के बाद मैंने उस रोती हुए सुंदर कमसिन युवती से धीरे से बात की।

“ ईशा ! मुझे देखो, मैं तुमसे बात करना चाहता हूं। ”
"ओह, डॉक्टर अंकल," उसने सर हिलाया। "मैंने कभी नहीं सोचा था कि आप मेरे साथ इस तरह का व्यवहार करेंगे।"

उसकी बात सुन कर मैंने एक बार फिर कड़क आवाज में कहा। “मूर्ख लड़की की तरह की बात मत करो; ईशा ! क्या तुम चाहती हो कि मैं तुरंत आपके चाचा के पास जाऊं और उन्हें कल शाम की घटना की सूचना दू ताकि वो आपको घर से निकाल कर इस निर्दयी दुनिया में अकेला छोड़ दे और उसके बाद आप अगर मेरे पास आएँगी तो भी मैं आपकी कोई मदद नहीं कर पाऊँगा ? या आप अभी मेरी इच्छानुसार चलना पसंद करोगी ? मुझे जवाब दो। क्या आप मेरा साथ चाहती हो या जाना चाहती हो ? "

"हाँ, डॉक्टर अंकल ," वह कुछ लम्बे अंतराल के बाद सोच कर बोली । " हाँ , मैं आपका साथ चाहती हूं, लेकिन ओह, मैं ये भी चाहती हूं कि आप मुझे ऐसे शर्मिंदा न करें ताकि मैं वो सब करूं जो आप मेरे साथ अब करना चाहते हैं-आप जानते हैं कि मैं यहां से नहीं जा सकती क्योंकि , अगर आप मेरे चाचा को कुछ बताते हैं तो मैं कहीं की नहीं रहूंगी और वास्तव में आपको इस तरह से मेरा फायदा नहीं उठाना चाहिए।


कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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#75
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-19

सुपर संडे - इजहार 





"अच्छा बहुत अच्छा," मैं बोला , "अब तुम एक समझदार लड़की की तरह वर्ताव कर रही हो ।अब रोना बंद करो आँसुओं को पूछो और मेरे पास यहाँ आओ।

ईशा धीरे-धीरे कड़ी हुई और मेरे पास आयी उसके आँसू अभी भी उसकी लाल हो चुकी आँखों से छलक रहे थे। मैंने उसे ऊपर से नीचे तक देखा और मैंने हाथ बढ़ा कर उसके आंसू पूंछे

"यहाँ खड़ी रहो," मैंने आदेश दिया, "सीधे मेरे सामने।" मैंने अपने पैर फैलाए और उसे अपने पास खींच लिया। मेरे हाथ उसके स्तनों पर चले गए और मैंने फिर से सुंदर गोल स्तनों को खींचा, जिससे वे अपनी खुली पोशाक से पूरे बाहर निकल आये । शर्म के मारे ईशा ने अपनी आँखें बंद करके अपना सिर घुमा लिया, और धीरे से मुझ से दूर हो गई । उसे अपने सौंदर्य के इस प्रदर्शन पर उसे बहुत शर्म आ रही थी.

मैं बोलै ईशा तुम क्या कर रही हो और मैंने फिर उसकी पतली कमर में एक हाथ डालते हुआ अपने पास मौजूद उस अनमोल सौंदर्य के खजाने वाली लड़की को अपने पास खींचा इस बार उसने कोई विरोध नहीं किया । उसने अपनी भुजाओं से अपने स्तनों को ढकने की कोशिश की और अपने हाथो से अपने स्तनों के कस कर ढक लिया और उसके स्तन उसकी मुट्ठियाँ में दब गए लेकिन जब मेरा गर्म हाथ उसके जांघो को सहलाने लगा तो उसके पैर अकड़ने लगे, तो उसने वापिस पीछे हटने का प्रयास किया।

"नहीं, ईशा," मैंने कहा, "मेरा सब्र अब खत्म हो रहा है । अब, ध्यान में रखना अगर मेरा धैर्य समाप्त हो गया है, तो इसका कुछ गंभीर परिणाम होगा; मेरे करीब खड़ी रहो और मुझे इस खूबसूरती का आनंद लेने दो । ” वो पीछे तो नहीं हटी पर फिर कुछ सोच कर ईशा विरोध करते हुए बोली लेकिन कल आप ही कह रहे थे मैंने जीतु के साथ जो भी किया वो उचित नहीं किया है ऐसे काम से मुझे और मेरे परिवार को बदनामी और दुखो से सिवा कुछ नहीं मिलेगा और अब आप मेरे साथ वही करना चाहते हैं ..

मैंने कहा उस समय में और आज बहुत अंतर है एक तो तुम ये सब उस आवारा जीतू के साथ कर रही थी जो किसी भी तरह से तुम्हारे जैसी खूबसूरत लड़की का साथ पाने योग्य नहीं है, और तुम्हारी जांच करने के बाद मुझे ज्ञात हो गया है तुम इस आनद का कुछ मजा ले चुकी हो.

और फिर मैंने तुम्हारे स्कूल के आइडेंटिटी कार्ड में पढ़ा है की तुम जीव विज्ञानं की छात्रा हो और निश्चित रूप से डॉक्टर बनना चाहती हो पर शायद तुम्हारे चाचा इसके लिए तुम्हारा खर्चा न उठा पाए तो तुम डॉक्टर नहीं बन पाओगी और इसमें मैं तुम्हारी मदद करूंगा .. तुम्हे कॉलेज में एडमिशन दिलवाने और तुम्हारी पढाई का पूरा खर्च उठाने में मैं तुम्हारी मदद करूंगा और इस दुनिया में मुफ्त में कुछ भी नहीं मिलता है इसके बदले में तुम मुझे अपना प्यार दो मैंने उसे एक नया प्रस्ताव दिया मैं तुम तब से प्यार करता हूँ जब मैंने तुम्हे पहली बार देखा था और तुम्हे पाना चाहता था

मैंने उसे कहा " ईशा आपने एक बार पहले ही जीतू के साथ इस आनंद का थोड़ा सा स्वाद चख लिया है अब मैं आपको उन अध्भुत उल्लासपूर्ण प्रसन्नताओ, मजो और आनद का का पूरा स्वाद चखाउंगा जिनके बारे में शायद आपने सुना भी नहीं होगा और मेरी बाहों में इस क्रिया में उत्साहपूर्ण आनंद की वो संवेदनाओं आपको शीग्र ही मिलेंगी, जिसके बाद आप मेरेइनके बिना रह नहीं पाओगी । आप मेरे साथ कामुक आनंद के समुद्र में तैरोगी । आप अपने मधुर शरीर को मेरे सान्निध्य में ले जाने के हर समय उत्सुक रहोगी और हम दोनों अपनी तीव्र भावनाओं को साझा करते हुए इस स्वादिष्ट आनंद का लाभ लेते रहेंगे । "

ईशा अब तुम ध्यान से मेरी तरफ देखो और ध्यान से सुनो ये मैं तुम्हे आखिरी बार बोल रहा हूँ अब या तो तुम मेरा प्रताव स्वीकार कर मेरे पास आओगी या फिर अपनी पैंटी उठा कर बाहर चली जाओगी पर उस से पहले ये देख लो ताकि तुम्हे ये नदाजा लग जाए की मेरा प्रस्ताव ठुकरा कर तुम किन मजो और आंनद के अनुभवों से वंचित रह जाओगी जो तुम्हे मेरे साथ मिल सकते हैं और जिनके बारे में तुम ने श्याद ना तो सुना हो न ही देखा हो और ना ही पढ़ा हो वैसे भी तुम्हे किसी की तो होना ही है .. तो वो कोई मैं होना चाहता हूँ

ये बोल कर मैंने अपनी टांगो को थोड़ा खोला और अपनी ज़िप को नीचे कर उसे अपने अंडरवियर के नीचे अपने लंड के उभार की एक झलक दिखाई और उसे बोला तुमने जीतू के लंड का उभार कल देखा था और जिसके बाद तुमने अपनी आँखे बंद कर ली थी अब इस उभार कर देख कर अंदाजा कर लो तुम क्या खो रही हो .. और अगर मुझे स्वीकार करोगी तो तुम्हे क्या मिलेगा और मैं तुम्हे किसी भी हाल में खोना नहीं चाहता था और मुझे लग रहा था इस तरह तुम मुझे मिल सकती हो इसलिए ही मैंने ये सब किया था और तुम्हे कोई तकलीफ हो ये तो बिलकुल भी नहीं देख सकूंगा इसलिए कल क्या हुआ ये किसी से भी नहीं कहूंगा पर ये तुम्हारे लिए बेहतर होगा अगर तुम उस आवारा जीतू से दूर रहो क्योंकिउसके साथ तुम्हे दुःख के सिवा कुछ नहीं मिलेगा और वो किसी भी तरह से तुम्हारे लायक नहीं है

मेरी वजह से जो तुम्हे दुःख हुआ है .. आशा है तुम मुझे उसके लिए माफ़ कर दोगी .. ये सिर्फ मेरे मन में जो तुम्हारे प्रति प्यार है जो मैं ये सब कह रहा हूँ

ईशा ने आश्चर्य और खुशी की भावनाओं के साथ मेरे इस प्रस्ताव को सुना। मेरे लंड के उभार के नज़ारे और मेरी बातो ने उसकी गर्म कामुक भावनाओ को जगा दिया .. उसका डर गायब हो गया उसने मेरे साथ मिलने वाले आंनद की कल्पना की और उसे वो कहानिया याद आयी जो उसने अपने साहेर्लियो से उनके यौन अनुभवों के बारे में सुना था .. उसे मेरे उभार के देख कर अंदाजा हुआ की मेरा लंड निश्चित रूप से उसकी सभी सहेलियों के साथियो के लंड से लम्बा मजबूत और बड़ा था और फिर मैं उसका भार उठाने में सक्षम तह और उसे बहुत प्यार भी करता था .. ये सब सोच कर वो मुस्कुरायी और अब उसने मेरे साथ खेल खेलना का निर्णय लिया वो कुछ नहीं बोली

वो मुड़ी और मुस्कुराती हुई दूसरी मेज जहाँ पर उसकी पेंटी पड़ी थी उस तरफ बढ़ गयी .. मेरा दिल मेरे मुँह तक आ गया की मेरी पूरी मेहनत के बाद भी ये मछली मेरे जाल से निकल गयी थी और अब कभी भी मैं इस से नहीं मिल पाऊँगा .. वो मेज के पास पहुँच कर पीछे की और मुड़ी और मुझे देखने लगी और गंभीरता से कुछ सोचने लगी तो मैंने अपनी बाहे फैला कर उसे मेरे पास आने का निमंत्रण दिया पर वो फिर वापिस अपनी पैंटी की तरफ मुड़ गयी और नीचे झुकी तो मुझे लगा अब ये पैंटी उठा कर बाहर चली जायेगी . और मैंने सर नीचे झुका लिया .. तभी उसके चलने की आवाज आयी तो मैंने देखा उसने पैंटी अपने मुँह में पकड़ी हुए थी और उसका मुँह मेरी तरफ था और वो बड़े शरारती तरीके से मुस्कुरा रही .. मैं उछला और उसकी तरफ लपका और उसे बाहों में भर लिया और फिर उसकी पैंटी को अपने मुँह में लिया और उसे बाहो मिलकर गोल घूमने लगा और .. फिर पता नहीं पैंटी कब नीचे कहाँ गिर गयी फिर उसके गुलाबी होंठो पर एक लम्बा गर्म चुम्बन किया

कहानी जारी रहेगी

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#76
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-20

सुपर संडे ईशा की तयारी 




अब ईशा ने होले से अपने कांपते हुए अधरों को मेरे होंठों पर रख दिया। मिन्ट की मीठी और ठंडी खुशबू मेरे अन्दर तक समा गई। संतरे की फांकों और गुलाब की पत्तियों जैसे नर्म नाज़ुक रसीले होंठ मेरे होंठों से ऐसे चिपक गए जैसे कि कोई चुम्बक हों। फिर उन्होंने अपनी जीभ मेरे होंठों पर फिराई। पता नहीं कितनी देर मैं तो मंत्रमुग्ध सा अपने होश-ओ-हवास खोये खड़ा रहा।
मेरा मुंह अपने आप खुलता गया और ईशा की जीभ तो मानो इसका इन्तजार ही कर रही थी। उन्होंने गप्प से अपनी लपलपाती जीभ मेरे मुंह में डाल दी। मैंने भी मिश्री और शहद की डली की तरह उनकी जीभ को अपने मुंह में भर लिया और किसी कुल्फी की तरह चूसने लगा। फिर उन्होंने अपनी जीभ बाहर निकाल ली और मेरा ऊपर का होंठ अपने मुंह में भर लिया। ऐसा करने से उनका निचला होंठ मेरे मुंह में समा गया। जैसे किसी ने शहद की कुप्पी ही मेरे मुंह में दे दी हो। मैं तो चटखारे लेकर उन्हें चूसता ही चला गया। ऐसा लग रहा था जैसे हमारा यह चुम्बन कभी ख़त्म ही नहीं होगा।

एक दूसरे की बाहों में हम ऐसे लिपटे थे जैसे कोई नाग नागिन आपस में गुंथे हों। उनकी चून्चियों के चुचूकों की चुभन मेरी छाती पर महसूस करके मेरा रोमांच तो जैसे सातवें आसमान पर ही था। फिर उन्होंने मेरे गालों, नाक, ठोड़ी, पलकों, गले और माथे पर चुम्बनों की जैसे झड़ी ही लगा दी। अब मेरी बारी थी मैं भला पीछे क्यों रहता मैं भी उनके होंठ, गाल, माथे, थोड़ी, नाक, कान की लोब, पलकों और गले को चूमता चला गया। उनके गुलाबी गाल तो जैसे रुई के फोहे थे। सबसे नाज़ुक तो उनके होंठ थे बिल्कुल लाल सुर्ख।

मैंने ईशा की चूसने लग और ईशा मेरी जीब चूसने लगी फिर ईशा मेरी झीब से खेलने लगी और मैं ईशा की झीभ से खेलने लगा जो ईशा करती थी मैं भी वही कर उसका जवाब देता था वह जीभ फिराती मैं जीभ फिराता वह ओंठ चूसती मैं ओंठ चूसता वह मेरे साथ लिपट गयी उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया उसके दूध मेरी छाती में दब गए थे ईशा के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थे. हम दोनों एक दुसरे को बेकरारी से चूमने लगी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट हम एक दुसरे के लबों को चूमते रहे मैं तो इतना उत्तेजित हो गया था कि मुझे तो लगने लगा था मैं पैन्ट में ही झड़ जाऊँगा। फिर ईशा रुक कर सांस लेती हुई बोली सच मजा आ गया l

उसने मेरे गालो पर एक किश कर दी .मेरा लंड सलामी देने लगा पर मैंने उसे दबा दिया पर मुझे लगा ईशा ने मेरा खड़ा लंड महसूस कर लिया था और वह मुझे देख कर मुस्कुरा दी तो मैं भी मुस्कुरा दिया

उसने मेरे लंड पर हाथ रख कर बोली चलो टेबल पर चलते हैं तो मैंने कहा ईशा रुको मेरी बात सुनो

ईशा तुम कुंवारी हो और मेरा मानना है पहला मिलन हर लड़की के लिए ख़ास होना चाहिए ताकि वो से हमेशा याद रहे और उसकी मीठी यादें उसके जहाँ में हमेशा बनी रहें तो मैं चाहता हूँ इस मौके को ख़ास बनाया जाए

तो ईशा बोली फिर आप क्या करना चाहते हैं मैंने कुछ सोचा और सोफे पर बैठ गया और ईशा को अपनी टांगो पर बिठा कर चूमा और अपना मोबाइल फ़ोन उठा कर कुछ फ़ोन मिलाये और .. फिर मैंने ईशा के माप के कपड़ो के लिए एक दूकानदार को बोला और उसने ईशा और मेरे कपडे होटल में पहुंचा दिए फिर फिर ईशा से बोला मैंने होटल में कमरा बुक करवा दिया है और उसको सजाने को भी बोल दिया वही चलते हैं उसके बाद मैंने ईशा से पुछा तुम किसी पारलर वाली को जानती हो

तो ईशा बोली मैं अपनी पहचान वाले ब्यूटी पारलर वाली को वहीँ बुला लेती हूँ

फिर मैंने टैक्सी बुलाई और दोनों चुपके से उसमे बैठ कर होटल में चले गए वह ब्यूटी पारलर वाली भी आगयी थी और होटल वालो ने उसे उस कमरे में जाने दिया था और वहां उसने अपना सब सामन सजा कर त्यार कर लिया था .. उस समय घड़ी में १२ बजे थे

वो वहां ईशा की त्यार करने ले गयी . ये हनीमून सूट के नाम का स्पेशल कमरा था जिसमे एक बैडरूम .. एक त्यार होने का कमरा और बाकी बहुत सारी अन्य सुविधाएं थी ..

.वह पारलर वाली की शक्ल जीतू से बिलकुल मिलती थी तो मैंने उससे पुछा तुम क्या जीतू को जानती हो तो वो मुस्कुरा दी . इस मुस्कराहट की कहानी ईशा की कहानी के बाद ...

पारलर वाली ने एक लड़की को मेरे पास भेजा .. बोली मैंने इसे सब समझा दिया है ये जो तुम चाहोगे वह सब करेगी .. वो मेरे पास आयी और मुझे दुसरे कमरे में ले गयी जहाँ से मैं ईशा को त्यार देख सकता था पर ईशा को नहीं मालूम था मैं उसे देख रहा हूँ .. वह लड़की जिसका नाम रीती था बहुत सुन्दर थी .. पर अभी मेरे दिल दिमाग में ईशा ही घूम रही थी .. तो मैंने अपने सब बाल साफ़ करने को कहा .. तो मेरा लंड देख कर वह बोली सर मैडम ने आपका ख़ास ख्याल रखने को कहा है म

तो मैंने कहा रीती अभी सिर्फ बाल साफ़ कर दो .. बाकी काम जल्द ही करेंगे . सफाई करवाने के बाद रीती ईशा के पास चली गयी . और ईशा और अपने सब कपडे उतार कर उसके पूरे शरीर की मालिश की ,, रीती और ईशा का गोरा नंगा बदन देख मेरा लंड खड़ा हो गया तो तभी पारलर वाली लड़की जिसका नाम हेमा था मेरा लंड सहलाने लगी तो मैंने उसे आँख मारी और तौलिए लपेट कर जहाँ ईशा के मालिश हो रही थी वही चला गया और फिर हेमा ने रीती को मेरे पास भेज दिया और उसने मेरी भी मालिश कर दी ,, उसके बाद हम चारो नेमिल कर हल्का सा भोजन किया

फिर हेमा बोली अब आप बाहर जाओ और नहा कर त्यार हो जाओ और बोली रीती आपको त्यार कर देगी और उसके बाद मैं बाहर आ या तो हेमा बाहर छोड़ने आयी और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी तो मैंने उसे रोक दिया अभी नहीं चार बजे आना और रीती को भी सजा कर त्यार कर ले कर आना ..उसके बाद हेमा ने ईशा को नहलाया और रीती ने मुझे नहलाया और त्यार कर दिया और मेरा खड़ा लंड फुफकारता रहा ..

इतने में ईशा त्यार हो कर आयी तो वह लहंगा चोली , गहने नाक में नथ, माथे पर टीका पट्टी बालो में गजरा, मेकअप में गजब की लग रही थी.

ईशा मेरे गले लग गयी और बोली आपने मेरा सपना पूरा कर दिया है अगर आप न होते तो मैं कभी भी इतनी सुन्दर दुल्हन न बन पाती तो मैंने कहा ईशा तुम हो ही इतनी सूंदर के कुछ भी पहन लो सुन्दर हो लगती हो और बिना कपड़ो के और भी सुन्दर लगती हो . तो वो शर्मा गयी तो ईशा ने मुझे एक कातिल स्माइल दी और मेरे को एक मुक्का मारा और बोली बहुत मस्ती सूझ रही है आपको फिर पारलर वाली हेमा ने ईशा को एक फूलो हार दिया जो उसने मेरे गले में डाल दिया और मेरे चरण छु कर बोली मैंने आज से आपको आपने सब कुछ मन लिया है तो मैंने उसे उठाया वो हार उतार कर उसके गले में डाला और उसे अपने गले से लगा कर बोलै तुम्हारी जगह पैरो में नहीं मेरे दिल में है

फिर हेमा ईशा को ले गयी और बोली आप थोड़ी देर यही रुको .. फिर वो मेरे पास आयी तो मैंने उसे उसकी फीस अदा की और इनाम भी दिया और हेमा बोली आप ईशा के पास जा सकते हो.. फिर वो दोनों चार बजे आने का वादा कर चली गयी ..

ईशा १८ साल की थी पर लगती थी जैसे १६ साल की कमसिन कली हो , लेकिन वो बला की खूबसूरत थी, हाईट 5 फुट 9 इंच, गोरी, भूरे बाल, पतली पर सही जगहों पर भरा हुआ मजबूत मांसल बदन, वो एकदम पोर्नस्टार जैसी लगती थी. मेरी उससे बहुत कम बात हुई थी, लेकिन मुझे मालूम था कि आज इस जन्नत की सैर करने का मौका भगवान् ने दे ही दिया है. में आज लंबी नाजुक ईशा को जी भर कर प्यार कर्रूँगा ऐसी लड़की नसीब वाले को ही मिलती है कमरा गुलाब के फूलों से सज़ा था और सेज़ पर दुल्हन बानी ईशा बैठी थी.

उसके जाने के बाद मैं उस कमरे में चला गया जहाँ ईशा दुल्हन बनी मेरा इंतज़ार कर रही थी
वो कमरा जिसे सुहागरात का कमरा आप कह सकते हैं उसे को बहुत शानदार तरीके से सजाया था - पूरे कमरे में फूल ही फूल। बिस्तर पर गुलाब के फूलों की पंखुड़ियाँ। पूरे कमरे में फूलों की ही महक! टी-स्टैंड पर स्पार्कलिंग शैम्पेन की बोतल एक कूलिंग बकेट में रखी थी, और उसके साथ दो शंपाइओं ग्लास रखे हुए थे। दूसरे टी-स्टैंड पर चॉकलेट का डब्बा रखा हुआ था। कमरे में मूड लाइट्स थीं, और कमरे में पहले से ही एक धीमा, रोमांटिक संगीत बज रहा था। स्टाफ की शरारत थी या कि दूर की सोच, लेकिन वहाँ पर कंडोम का एक पैकेट भी रखा हुआ था। उस बितर पर एक कोने में ईशा बैठी हुई थी उस समय दोपहर के लगभग 1 बज रहे थे कमरे के फल मिठाईया खाने पीने का सामान और केक भी रखा हुआ था .

मुझे आया देख ईशा खड़ी हो गयी और फिर अचानक ही ईशा मेरे पैरों में गिर पड़ी। एक पल को मुझे लगा कि ईशा को शायद चक्कर आ गया। लेकिन जब उसके बाद ईशा को मैंने अपने पैर छूते महसूस किया, तो मैंने ईशा को कंधों से पकड़ कर उठा लिया और कहा,

“अरे! आप यह क्यों कर रही हैं?”

“इसलिए कि मैंने मन से आपको अपना पति और सब कुछ माना है!”

“अरे पगली, तो फिर उसके लिए पैर पड़ने की क्या ज़रुरत है? मैंने आपसे पहले भी कहाः था आप तो मेरे दिल की रानी हैं! आपकी जगह मेरे दिल में है! पैर में नहीं!

इतना सुनते ही ईशा मेरे से लिपट गई। सुहाग के सेज सजी हुई थी ..तो ईशा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे किश किया और बोली आप बहुत अच्छे हो आपने कितना अच्छा इंतजाम किया है वो भी सिर्फ मेरे लिए .. मुझे लगता है मैं कोई सपना देख रही हूँ ..

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार


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#80
पड़ोसियों के साथ एक नौजवान के कारनामे

CHAPTER-5

रुपाली - मेरी पड़ोसन

PART-21

सुपर संडे - ईशा का कौमार्य भेदन 




ईशा धीरे से बोली अपने बहुत देर लगा दी मैंने आपकी आँखो में मेरे लिए बहुत प्यार देखा है . .आप बहुत अच्छे इंसान हो आपको पाकर मैं बहुत खुश हूँ के मुझे आप जैसा चाहने वाला मिला है .. ईशा बोली अब मैं आपकी हूँ अब मैं आपको पूरा पाना चाहती हूँ .. आप मुझे जी भर कर प्यार करो ..

मैं ईशा को सुहाग के सेज़ पर ले गया और उसे बिठा दिया ..ईशा ने भी चुनरी को ओढ़ कर घूंघट कर लिया मैं बैड के पास आया और ईशा के पास बैठ गया। और उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उनसे बातें करने लगा और बोला मेरी जान मैं तो तुम्हे पहली बार देख कर ही तुम्हारा दीवाना हो गया था

तो ईशा बोली हाँ मैंने भी देखा था आप मुझे मंदिर में ही घूरे जा रहे थे ..आपकी आँखे मेरे एक एक अंग को बहुत गौर से देख रही थी ऐसा लग रहा था आप मुझे जैसा नंगी कर देख रही थे ..

वो बोली जब आप पार्क में मेरी मदद को त्यार आये गए तभी आप मुझे पसंद आ गए थे इसीलिए मैं आप से लिपट गयी थी .. और सोच रही थी काश आप मुझे मिल जाओ तो मजा आ जाए . उसकी बाते सुन मेरा लंड कड़ा हो गया मैंने उससे पुछा तुम तो मान नहीं रही थी फिर मान गयी ?


तो वह बोली उसके बाद जब आपने अपना लंड का उभार दिखाया तो मैंने कहाः अब तड़पना ठीक नहीं है

तो मैंने कहा जब आप मेरा आखिरी प्रस्ताव सुन कर और मुस्कुराती हुई मुड़ कर दूसरी मेज जहाँ पर उसकी पेंटी पड़ी थी उस तरफ बढ़ गयी थी तो . मेरा दिल मेरे मुँह तक आ गया की मेरी पूरी मेहनत के बेकार हो गयी और मैं यही सोच रहा था की अब कभी भी मैं आप से नहीं मिल पाऊँगा .. मैं बहुत निराश हो गया था

फिर जब तुम मेज के पास पहुँच कर पीछे की और मुड़ी थी और मुझे देखने लगी तो मुझे फिर उम्मीद बंधी थी तो मैंने अपनी बाहे फैला कर उसे मेरे पास आने का निमंत्रण दिया था लेकिन जब तुम फिर मुड गयी और फिर वापिस अपनी पैंटी उठाने के नीचे झुकी तो मुझे लगा और ये किस्सा यही ख़त्म हो गया अब तुम पैंटी उठा कर बाहर चली जायेगी . और निराश होकर अपना सर नीचे झुका लिया था ..





फिर जब मैंने तुम्हारे चलने की आवाज सुनी तो मैंने सर उठाया और देखा तुमने बड़े सेक्सी अंदाज में अपनी पैंटी अपने मुँह में पकड़ी हुए मेरी तरफ देख रही थी कर बड़े शरारती तरीके से मुस्कुरा रही थी

तुमने मुझ से पूरा बदला लिया है तो ईशा बोली इसके लिए मैं आपसे माफ़ी चाहती हूँ और प्यार में थोड़ी छेड़छाड़ और सतां तडपाना तो चलता है इसीसे प्यार का पता भी चलता है और प्यार का मजा बढ़ जाता है .. आपने भी तो मुझे कैसे कैसे डराया था ..

..और फिर आप ही बताइये जब आपको पता चाला मैं राजी हूँ तो आपको कितना अच्छा लगा था और आप कैसे उछल गए थे और मुझे अपनी बाहों में भर लिया था ..

मैं बोला बिलकुल अंत भला तो सब भला अब तुम यह बताओ कि मुझे आपके साथ करना क्या है? तो उन्होंने शरमाते हुए मुझे अपनी बाहों में लिया और कहने लगी कि मेरे दीवाने आपको सब मालूम है




मैंने पुछा तुम त्यार हो .. तो वो बोली आप ही देर लगा रहे हो मैं तो कब से त्यार हूँ .. उसकी बात सुन कर मेरा लंड पूरा तन गया .

. ईशा लाल रंग के लहंगे चोली चुनरी और पूरी गहनों से लदी हुई थी. मैंने एक गुलाब का फूल दिया और कहा तुम्हारी खिदमत में पेशे खिदमत है गुलाब

बातें करते करते मैने अपना हाथ ईशा की जाँघ पर रख दिया। उसने कोई विरोध नहीं किया, फिर ईशा का घूंघट उठा कर मैंने बिस्तर से एक गजरा उठाया और उसको मसल कर उसके ओंठो पर अपने ऊँगली फेरने लगा ईशा मदहोश होने लगी .. अब मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा उठाया और उसके गालों पर चूम लिया। उसने अपनी आँखे बन्द कर लीं। अब मैंने उसके होंठों पर चूमा।

उफ़ऽऽ !!

क्या गुलाब की पंखुड़ी जैसे मलाईदार होंठ थे। मैंने उसके होंठो को चूसना शुरु किया
फिर मैंने धीरे से उसके होंठो को चूमा, उफ उनकी खुशबू ही क्या सेक्सी थी? और मेरे चूमते ही उसकी सिहरन और उनके सोने के कंगनो की टकराहट से छन की आवाज़ मेरे लंड को फौलादी बना गयी थी. और धीरे धीरे अपने हाथ उसके शरीर पर चलाने लगा। उसकी साँसें तेज होने लगी। मैंने उसके उरोजों पर हाथ रखा और उनको दबाने लगा उसके मुँह से सी...। सी...॥ की अवाजें निकलने लगी।
फिर मैंने धीरे से उन्हें अपनी बाहों में लिया और उनके होंठो पर चूमना और अपनी जीभ से गीली चटाई शुरू कर दी. अब ईशा सिहरकर मुझसे लिपट गयी थी और उसकी 34D साईज की चूचीयां मेरे सीने से दब गयी थी.

फिर मैंने उत्तेजना में उन्हें जकड़कर अपनी बाहों में मसल डाला. तो ईशा ने कहा कि मेरी जान धीरे करो बहुत दर्द होता है. आज तक मुझे ऐसे किसी ने नहीं छुआ है .. भगवान् ने मेरा ये सब तुम्हारे लिए ही बचा कर रखा था फिर मैंने उनके गालों पर अपनी जीभ फैरनी चालू कर दी और फिर उसके ऊपर के होठों को चूमता हुआ, उनके नाक पर अपनी जीभ से चाट लिया. अब ईशा उत्तेजित हो चुकी थी और सिसकारियां भरती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी. अब में उनके चेहरे के मीठे स्वाद को चूसते हुए उनकी गर्दन को चूमने, चाटने लगा था और मेरे ऐसा करते ही वो सिसकारी लेती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी.




[Image: HYMN.jpg]

 कौमार्य 


अब में ईशा के चोली के ऊपर से ही उसके बूब्स को दबाने लगा था. अब उनके मांसल बूब्स दबाने से वो सिहरने, सिकुड़ने और छटपटाने लगी थी

जिससे मैंने जोश में आकर उसकी चुनरी और चोली को उतार दिया उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी भगवान् ने उसे क्या खूबसूरती से बनाया था? अब मेरा लंड तनकर पूरा खड़ा हो गया था और उसका सुडोल, चिकना, गोरा बदन, मेरी बाहों में सिर्फ़ लहंगे में था.

अब उनके होंठो को किस करते हुए उनके मुँह का स्वाद और उनके थूक का मीठा और सॉल्टी टेस्ट मुझे मदधहोश कर रहा था. अब उनकी आहें भरने की सेक्सी आवाज़ और नंगे जिस्म पर आभूषण मेरे लंड के लिए एक वियाग्रा की गोली से कम नहीं थे. फिर वो उत्तेजना से सिसकारी भरते हुए बोली कि ओह मेरे राजा मुझ पर ये क्या हुआ? मुझे मसल दो, मुझ पर छा जाओ, मुझे अब और मत तड़पाओ, आओ मेरे राजा मेरी प्यास बुझा दो.

अब उनकी हालत देखकर मैंने भी सोचा कि देर करना उचित नहीं है और उसके कपडे उतार दिए , क्या मस्त माल था? थैंक यू गॉड , शुक्रिया. फिर मैंने सिर्फ़ गहनों में लदी ईशा के पेट की अपनी जीभ से ही चुदाई कर डाली, सपाट पेट, लहराती हुई कमर, गहरी नाभि और बूब्स पर तनी हुई निपल्स, आँखे अधमुंदी चेहरा और गला मेरे चाटने के कारण गीला और शेव्ड हल्के गुलाबी रंग की चूत, केले के खंभे जैसी जांघे और गोरा बदन.

फिर ०वो बोली ये गहने तो मैंने चूमते चूमते सारे गहने भी उतार दिए अब वो बिलकुल नग्न थे मेरे सामने और स्तनों की गोलाइयाँ, चूचकों का गुलाबी रंग, शरीर का कटाव, कमर का लोच, नितंब का आकार - कुछ भी नहीं छुप रहा था

अब मेरा मन तो कर रहा था कि बस चूमता, चाटता रहूँ और अपनी बाहों में जकड़ कर मसल डालूँ और जिंदगी भर ऐसे ही पड़ा रहूँ और उफ क्या-क्या नहीं करूँ? और फिर अपनी जीभ उनकी चूत पर लगाकर उनकी चूत को चाटने लगा. तो वो उछल पड़ी और मेरे बालों को अपने हाथ में लेकर सिसकारी भरने लगी और बड़बडाने लगी मेरी 18 साल की कुँवारी चूत की प्यास तूने आज और भड़का दी है.

फिर वो मेरी जीभ की मस्त चटाई में ही झड़ गई और मेरे बालों को कसकर पकड़कर मेरे होठों को चूसने लगी. फिर में उठकर उनकी जाँघो के बीच में आ गया और अपने मुँह में उनकी निपल्स लेते हुए अपनी एक उंगली उनकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा, लेकिन उनकी टाईट चूत बहुत सख्त और तंग थी और मेरी कोशिश पर ईशा चीखने लगती थी, लेकिन बड़ी मुश्किल से मेरी 1-2 उंगली उनकी चूत में अंदर जा पाई.

मैंने अपने कपडे उतार डाले और ईशा मेरा बड़ा लंड देख कर बोली अरे ये तो बहुत बड़ा है ये तो मेरी दुर्गति कर देगा .. तो मैंने कहा दुर्गति नहीं ईशा बहुत मजे देगा .

फिर मैंने ईशा से कहा कि बस एक बार दर्द होगा, मैं भी आराम से करूंगा और तुम जो दर्द हो उसको बर्दाश्त कर लेना फिर सारी जिंदगी मस्ती ले पाओगी. फिर मैंने उनको चूमते हुए और बूब्स दबाते हुए अपना लंड उनकी चूत के मुँह पर सेट किया और उसकी चूमता चाटता रहा. अब उसकी सुगंध से मेरा लंड जो कि अब पूरा 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा हो गया था, फंनफना कर ईशा की चूत में घुसने की कोशिश करने लगा था.

फिर बड़ी मुश्किल से धक्का लगाने पर मेरा लंड 2 इंच अंदर घुसा तो ईशा की चीख निकल पड़ी, रज्जज्ज आईईईईईईईई दर्द उउउउइईईईईई हो रहा है और और उसकी हथेलियों को अपनी हथेली से दबाते हुए उनकी चूत पर एक ज़ोर का शॉट मारा और मेरा लंड 2 इंच अंदर घुस गया. अब दर्द से दोहरी ईशा ओह ओह कहकर चीखने लगी और छटपटाने लगी थी. फिर मैंने उसकी चीखों की परवाह किए बिना एक ज़ोर का धक्का और मारा तो मेरा फनफनाता हुआ लंड उसकी चूत की झिल्ली को फाड़ता हुआ 5 इंच अंदर घुस गया.

अब वो ओह ओह कहकर ज़ोर से चिल्लाने लगी थी और चीखने लगी थी, आआईईईईई रे , मैं धीरे से उसे सहलाने लगा और चूमने लगा और अपना लंड 2 इंच बाहर निकालकर फिर से एक ज़ोर का शॉट मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ चूत की जड़ में समा गया. कौमार्य भेदन हो गया था कुछ देर ऐसे ही उसके ऊपर लेटा हुआ उसे चूमता और उसके स्तनों के सहलाता रहा

कौमार्य भेदन के बाद ही सम्भोग का असली आनंद आता है। मतलब, जो बुरा होना था, वो हो चुका। अब वो इस क्षणिक दुःख दर्द को भूल कर उन्मुक्त भाव से सम्भोग के सुख को भोगना चाहती थी। उसको चूमते सहलाते हुए मैं कह रहा था,

“बस बस… हो गया… हो गया… अब और दर्द नहीं होगा।”



[Image: VIR1.jpg]


यह कह कर मैंने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए। हर धक्के के साथ ईशा की जाँघें और खुलती जातीं और अंततः उतनी खुल गईं, जितना कि वो खोल सकती थी। कुछ देर के बाद, मैंने धक्कों की गति कुछ और बढ़ा दी। ईशा का दर्द पूरी तरह ख़त्म तो नहीं हुआ, लेकिन कम ज़रूर हो गया था। मैं ईशा को पूरी तरह भोग रहा था - उसके स्तनों को अपने हाथों से; उसके होंठों को अपने होंठों से; और उसकी योनि को अपने लिंग से। ईशा पुनः रति-निष्पत्ति के चरम पर पहुँच गई थी और उसकी देह कांपने लगी।

“आह….”

उधर मैं लयबद्ध तरीके से धक्के लगाए जा रहा था। साथ ही साथ ईशा को चूमता भी जा रहा था। उसने महसूस किया कि ईशा की साँसे उखड़ने लगी और देह थिरकने लगी। ईशा ने महसूस किया कि पहले जैसा ही, लेकिन अधिक तीव्रता से उसकी योनि में उबाल आने लगा। कामोद्दीपन के शिखर पर पहुँच कर कैसा महसूस होता है, आज उसको पहली बार महसूस हुआ था। वो छटपटाने लगी और उसकी योनि से कामरस छूट गया। ईशा ने मैं के होंठों को अपने मुँह में ले लिया, और उसकी कमर को अपनी टांगों में कस लिया। स्खलन के साथ ही ईशा की आहें निकलने लगी - आज अपने जीवन में पहली बार वो इस निर्लज्जता से आनंद ले रही थी। ईशा ने महसूस किया कि सम्भोग में वाकई पर्याप्त और अलौकिक सुख है। वो मुझ से बोली मुझे हमेशा ऐसे ही प्यार करते रहना अब मैं हमेशा के लिए तुम्हारी ही रहूंगी !

उधर मैं भी कमोवेश इसी हालत में था। मैं जल्दी जल्दी धक्के लगा रहा था। उसकी साँसें और दिल की धड़कन भी बढ़ने लगी थी। आवेश के कारण मेरे चेहरे पर लालिमा आ गई थी और महसूस कर लिया था कि मेरा स्खलन होने वाला है; और मैं अब ईशा को जोर जोर से चूम रहा था और उसके स्तनों को कुचल मसल रहा था। उसी समय मेरा लिंग ने भी अपना वीर्य ईशा की योनि में छोड़ना शुरू कर दिया। आश्चर्य है कि ईशा की योनि स्वतः संकुचन करने लगी कि जैसे मैं के लिंग से निकलने वाले प्रेम-रस का हर बूँद निचोड़ लेगी। मैं ने सात आठ आखिरी धक्के और लगाए, और ईशा के ऊपर ही गिर गया। मैंने ईशा को अपने आलिंगन में कस कर भर लिया, और कुछ देर उस पर ही लेटा रहा।

कहानी जारी रहेगी

दीपक कुमार



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