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Adultery मजे - लूट लो जितने मिले
#41
(18-11-2021, 05:29 PM)Eswar P Wrote: Jabardasth kahani bhai

THANKS
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#42
मजे - लूट लो जितने मिले

चौथा अध्याय

मेरी पहली चुदाई की कहानी

भाग 13


पहला मिलन

सुबह जब वह अपने कमरे से बाहर निकली और इंद्रधनुष के सातरंगो के अप्रत्याशित नज़ारे ने उसका स्वागत किया। उसके कमरे के बाहर लॉबी के फ़र्श पर रंगबिरंगे फूल बिछे हुए थे और वह गलियारे में इस तरह के पुष्प प्रदर्शन पर आश्चर्यचकित हो रंग बिरंगे फूलो के बीच में चली गयी।

'लुसी रुको तुम जहाँ हो वही रुको!' मैंने उसे पुकारा, तो वह अपने आस पास देखने लगीl

' फर्श पर बिखरे इन फूलो को देख कर बोली बैंगनी गहरा नीला हरा पीले लाल गुलाबी, संत्री और सफ़ेद वह रंगो को पहचान कर बोल रही थी। ओह ये फूल कितने सुन्दर हैl

मेरे पैरों के नीचे कुचल गए फूलों की परवाह किए बिना मैं पहले से ही उसकी ओर बढ़ रहा था और इस सुन्दर दृश्य की सुंदरता से स्पष्ट रूप से अछूता था। मैंने आगे हो कर उसे अपनी बाहों में जकड़ लिया, तुम अपने पैरों में क्या पहन रही हो? ' मैंने पुछा।

'मैं अपने सैंडल की तलाश कर रही हूँ!' वह बोली और मैं बोला लेकिन आप तो फूलों पर खड़ी हो। '

'ओह।' लुसी ने सिर हिलाया, जब उसने अपने पैरो की तरफ़ देखा। 'मुझे नहीं पता था lll लेकिन फूल बहुत सुंदर हैं।'

'यह आपका दिन है और मुझे इसे फूलों से शुरू करने से बेहतर कोई और तरीक़ा नहीं समझ आया।' आपको बहुत-बहुत बधाई इस दिन कीl
वो बोली मेरा नहीं ये हमारा दिन है और आपको भी बधाई आमिर आज आपकी प्रेमिका सदा के लिए आपकी होने वाली हैl

उसने वहाँ शर्माते हुए और साथ ही बहुत भावुक हो कर सीधे-सीधे बोली, आमिर सच में आप मुझे इतना प्यार करते हो। मैंने ऐसा कभी सपने में भी नहीं सोचा था मैं भी आपसे बहुत प्यार करती हूँ और मुझ से लिपट गयी मैंने उसे धीरे से किस कियाl मैंने उसे अपने दोनों हाथो में उठा लिया मेरा एक हाथ उसकी कमर पर था और दूसरा उसकी टांगो परl

मैं उसे अपने कमरे में ले गया, उसके खूबसूरत लंबे बाल उसकी कमर तक गिर रहे थे और सूरज की रोशनी में बेहद पॉलिश की हुई प्लैटिनम जैसी चमक रहे थे और उसकी बड़ी-बड़ी आँखें पलकें झपक रही थीं। जैसे ही मैंने उसे उठाया, सदमे और प्यार से भरा मैं यही सोच रहा था कि फूलों के उस समुद्र में उसकी उस दिन की पहली झलक मैं कभी नहीं भूलूंगा। मैं सुंदर फूलों पर थोड़ी-सी सावधानी के साथ धीरे-धीरे चला। वह संवेदनशील थीl यह मेरा कर्तव्य था कि मैं उसकी देखभाल करूँ, उसकी देख-रेख करूँ, वह अब मेरी सुरक्षा में थी। इस तरह की ज़िम्मेदारी की भार मेरे कंधों पर एक पड़ गया था मुझ पर इससे पहले कोई ख़ास जिम्मेदारी कभी नहीं रही थी।

मैंने ख़ुद को बताया मैं लूसी ले लिए ज़िम्मेदार होना चाहता था। मैं चाहता था ये पल उसे हमेशा याद रहे क्योंकि वह मेरा पहला प्रेमीका थी और मैं सोच रहा था लूसी जैसी कोई नहीं होगी, क्योंकि वह फूलों के बीच मनमोहक लग रही थी। मैं सोच रहा था वह कितनी मासूम और प्यारी है। मैंने निश्चय किया कि मैं आज का दिन उसके लिए विशेष बनाना चाहता हूँ।

जेन और डायना वही पर थी और बोली आमिर और लूसी आज तुम दोनों अपने यौन जीवन की शुरुआत कर रहे हो मैंने तुम्हे आज तक जो भी सेक्स के बारे में बताया है ये मेरी राय में उससे भी जरूरी है इसे ध्यान से सुनो

मन (दिमाग़) का सेक्स पर प्रभाव

सेक्स का दिमाग़ से सीधा कनेक्शन है, सेक्स जितना टांगो के बीच में है उससे कई ज्यादा दो कानो के बीच में है यानी हमारा दिमाग सेक्स का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है.

जब हम सेक्स के बारे में सोचते हैं तब हमारा दिमाग़ मूड बनाने वाले हार्मोन सेरोटोनिन का स्राव करता है. इस हार्मोन के स्राव से हमारे यौन अंगों में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ जाता है, लेकिन जब कोई मानसिक तौर पर अस्वस्थ या परेशान होता है या फिर दवाइयों का सेवन कर रहा है तो इसका सीधा असर उसकी सेक्स लाइफ पर दिखाई देता है. ऐसे में व्यक्ति को सेक्सुअल डिसफंक्शन या कामेच्छा में कमी जैसी समस्याएं हो सकती हैं. इसलिए हेल्दी सेक्स लाइफ के लिए स़िर्फ शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक तौर पर भी स्वस्थ रहना बेहद आवश्यक है.

इसलिए जो मन में आये और जो आपके साथी को अच्छा अलगे आपकी अच्छा लगे पसंद हो वो कर सकते हैं ... जैसे प्यार में लेने से ज्यादा देना महत्वपूर्ण है उसी तरह से सेक्स में भी अगर इसका ध्यान दोनों लो रखे के उनके साथी को क्या पसंद है और उसे किस्मे ज्यादा मजा आता है और वो किस से ज्यादा मूड में आता है या उत्तेजित हो जाता है तो आपकी सेक्स लाइफ हमेशा मजेदार रहेगी और यदि आप सेक्स बिना किसी बंधन के आजादी और पूर्वाग्रह के करोगे तो इस आनद के क्या कहनेl

पहले मिलन की रात- सुहागरात

हमारे देश में दुल्हा-दुल्हन की पहली रात के मिलन को अधिकतर एकांत में करवाया जाता है, इसको ही सुहागरात कहते हैं।

सुहागरात स्त्री-पुरुष के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण दिन होता है। यह वह रात है जब कोई अपने दांपत्य जीवन की सुन्दर इमारत खड़ी कर सकता है
सेक्स से सम्बन्धित किताबों को कोई भी पुरुष या स्त्री पढ़़ते हैं तो उनका भी शरीर गुदगुदाने लगता है। किताब पढ़़ने के बाद ख्याल आता है कि सुहागरात क्या होता है? इस दिन क्या करना चाहिए? कैसे करना चाहिए? सुहागरात के बारे में सोचते ही शरीर में कामवासना की उत्तेजना भी बढ़ने लगती है। इस प्रकार की किताबें पढ़़कर या फिल्मे देखकर स्त्री-पुरुष के मन में सुहागरात के रंगीन सपने आने लगते हैं। और लड़किया ख़ास तौर पर सुहागरात के रंगीन सपनो वाली रात के सपने बुनने लगती है और इस रात का इंतज़ार करती हैं उनके सपनो का राज कुमार उन्हें ले जाएगा और उन प्यार करेगा ।

विवाह के बाद जब दुल्हन को अपने घर लाते हैं तो वह उस समय अपने घर परिवार को छोड़कर आती है और आम तौर पर पति के घर पर उसके लिए सभी व्यक्ति अपरिचित होते हैं, यहाँ तक के खुद पति-पत्नी भी अधिकतर अपरिचित होते हैं।

हालाँकि आजकल भारत में भी लव मैरिज का चलन बढ़ गया है और आज कल लड़का लड़की शादी से पहले थोड़ा बहुत एक दुसरे को मिल कर घूम फिर लेते है रोमांस भी कर लेते है फिर भी ज्यादातर एक दुसरे के लिए अपरिचित ही होते हैं. दुल्हन पति को अपना समझती है क्योंकि उसके साथ उसका निकाह हुआ है। जब उन्हें पहली बार एक दूसरे के करीब आने का मौका मिलता है तो वे एक-दूसरे को न केवल समझ परख लेते हैं बल्कि एक-दूसरे के प्रति मन से समर्पित भी हो जाते हैं।

पति-पत्नी की यह पहली रात उनके दाम्पत्य और विवाहिक जीवन के भविष्य का निर्माण करता है। सुहागरात में पति-पत्नी का यह पहला मिलन शारीरिक ही न होकर मानसिक और आत्मिक भी होता है। इस अवसर पर दो अनजान व्यक्तियों के शरीरों का ही नहीं बल्कि आत्माओं भी मिलन होता है। जो दो आत्माएँ अब तक अलग थीं, इस रात को पहली बार एक हो जाती हैं।

सुहागरात में पुरुष को चाहिए कि वह इस बात गुरुमंत्र की तरह याद रखें कि शादी की रात कभी भी महत्वहीन नहीं होती, छोटी से छोटी बात सम्पूर्ण जीवन को प्रभावित कर सकती है। शादी की रात को पुरुष किस प्रकार व्यवहार करे, यह अधिकार उसी के निर्णय पर छोड़ देना चाहिए क्योंकि प्रत्येक के लिए इस अवसर की परिस्थितियाँअलग अलग होती हैं।

विवाह के दिन नजदीक आते ही कुछ युवा स्त्री-पुरुष परेशान होने लगते हैं। बहुत से पुरुष तो अपने मन में यह सोचते हैं कि सुहागरात को मैं अपनी पत्नी को संतुष्ट कर पाऊँगा या नहीं? मैं अपनी पत्नी को अच्छा लगूंगा या नहीं? क्या वह मुझे पूरी तरह से अपना पायेगी या नहीं? वे यह भी सोचकर परेशान होते हैं कि यदि मैं सुहागरात को अपनी पत्नी को संतुष्ट नहीं कर पाया तो उसे जिंदगी भर पत्नी के ताने सुनने पड़ सकते हैं। यदि इस रात को मेरे लिंग में उत्थान नहीं आया या मैं जल्दी ही स्खलित हो गया तो पत्नी से सिर उठाकर बात नहीं कर पाऊँगा।

वह यह भी सोच-सोचकर भयभीत रहता है कि यदि पत्नी इस कारण से मुझे छोड़कर चली गई तो मैं घर वालों तथा समाज के सामने क्या मुँह दिखाऊँगा। इस प्रकार के लक्षण सिर्फ अनपढ़़ों में ही नहीं, पढ़़े-लिखे पुरुषों में भी दिखाई देते हैं। इस रात को लेकर केवल पुरुष ही नहीं परेशान रहते बल्कि स्त्री भी इससे भयभीत रहती है।

सुहागरात से पहले पुरुषों के मन में भी कई प्रकार की बातें चलती रहती हैं लेकिन उसके मन में स्त्री की अपेक्षा कुछ कम संकोच तथा भावनाएँ होती हैं क्योंकि उसके लिए सभी परिवार वाले जाने पहचाने होते हैं जबकि स्त्री सभी से अनजान होती है।

बहुत से पुरुष तो यह भी सोचते हैं कि हमारे द्वारा की गई सेक्स क्रिया से हमें शारीरिक संतुष्टि तो हो जाती है, इसलिए स्त्री को भी अवश्य ही संतुष्टि मिल जाती होगी। मैं आपको यह बताना चाहटी हूँ कि इस प्रकार के विचार बिल्कुल गलत होते हैं, क्योंकि बहुत से पुरुष सेक्स के मामले में अज्ञानी होते हैं, जिसका परिणाम यह होता है कि वे इस रात को अपनी पत्नी को सम्भोग करने के लिए पूरी तरह से तैयार नहीं कर पाते हैं। जब स्त्री में स्वयं को आनन्द देने वाला उन्माद नहीं उत्पन्न होता तब तक वह सेक्स के लिए तैयार नहीं हो सकती। उसमें सेक्स उत्तेजना जगाने के लिए पुरुष फॉर प्ले की क्रिया उसके साथ कर सकता है।

बहुत से पुरुष तो यह सोचते हैं कि यदि स्त्री सेक्स की दृष्टि से ठंडी तथा स्वभाव से ही उत्साहहीन है अथवा उसमें पुरुष के प्रति प्रेम का अभाव है तो वह उसमें उत्तेजना उत्पन्न नहीं हो सकती है। कुछ मूर्ख पति तो यह भी कल्पना कर लेते हैं कि विवाह से पहले इसका किसी के साथ सम्बन्ध बन चुका है तभी यह मुझसे सम्भोग क्रिया ठीक से नहीं कर पा रही है। ऐसा सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि जब आप ही उन्हें ठीक प्रकार से सेक्स करने के लिए तैयार नहीं कर पा रहे हैं तो उसमें उनका क्या दोष।

बहुत से पुरुष अपनी सेक्स अज्ञानता के कारण से सुहागरात में जब वह बलपूर्वक वैवाहिक अधिकार प्राप्त करना चाहता है तो स्त्री उसके इस व्यवहार से मन ही मन दुःखी हो जाती है, बल्कि सम्भोग करते हुए भी सम्भोग का वास्तविक आनन्द नहीं उठा पाती।
सम्भोग क्रिया में स्त्री की दशा, सोच तथा भावना

लोग प्रत्यक्ष रूप से कहें या न कहें लेकिन यह सत्य है कि कम से कम 50 प्रतिशत लड़कियों को शादी से पहले ही सेक्स क्रिया के बारे में पता नहीं रहता है। लेकिन हम आपको यह बताना चाहते हैं कि माना कुछ लड़कियों को सेक्स क्रिया के बारे में अपने सहेलियों से, किताबों से, फिल्मों से तथा कई प्रकार के संचार माध्यमों से इसके बारे में पता अवश्य लग जाता है। लेकिन इसके बारे में उसे पूर्ण रूप से तभी जानकारी मिल पाती है जब वह खुद सेक्स करके देखती है। जब विवाह हो जाने के बाद स्त्री के साथ पति सम्भोग क्रिया करने की कोशिश करता है तभी स्त्री इसके बारे में ठीक प्रकार से जान पाती है कि यह क्या चीज होती है।

जब पति अपनी पत्नी से छेड़छाड़ करता है तो उसे अस्वाभाविक प्रतीत होता है क्योंकि चाहे उसकी कामवासना तेज भी हो जाए तभी वह इस रात को अपनी उत्तेजना को रोकने की पूरी कोशिश करती है, वह सोचती है कि मैं जिसे अब तक सुरक्षित रख पाई हूँ उसे मैं पहली रात ही किसी को कैसे सौंप सकती हूँ। इसलिए वह अपने पति को दो-चार बार मना करती है लेकिन जब पति पूरी कोशिश करता है तो वह उत्तेजित इसलिए हो जाती है कि यह भूख ही ऐसी है जो कुछ देर तो बर्दाश्त किया जा सकता है लेकिन ज्यादा देर तक नहीं।

सेक्स क्रिया का मजा तो तभी आता है, जब आग दोनों तरफ से लगी हो। यदि स्त्री सेक्स के लिए तैयार न हो तो उसके शरीर के अंदर सेक्स की उत्तेजना भरने की पूरी कोशिश करो और जब वह उत्तेजित हो जाए तभी उसके साथ सेक्स सम्बन्ध बनाएँ। जब आप उसे पूरी तरह से सेक्स के लिए तैयार कर लेंगे तो वह खुद ही अपने जिस्म को आपके हवाले कर देगी कि जो करना है मेरे साथ कर लो, मैं तो आपके लिए ही बनी हूँ।

जब पहली बार सेक्स क्रिया के दौरान पुरुष स्त्री की योनि में अपने लिंग को प्रवेश करता है तो उसे कुछ दर्द होता है लेकिन यह दर्द कुछ देर बाद उसी तरह से गायब हो जाता है जिस तरह से फूल को प्राप्त कर लेने पर कांटे का दर्द दूर हो जाता है। इसके बाद वह प्यार के साथ सहवास का सुख प्राप्त करने लगती है।

वैसे देखा जाए तो सुहागरात के दिन स्त्री के मन में भावनाओं का काफी ज्वर उठाता रहता है। वह अपने मन में होश संभालने से लेकर कोमल मृदुल भावनाओं को संजोती रहती है।

सुहागरात में सभी स्त्रियों में लज्जा की भावाना अधिक होती है। जिस कारण सेक्स क्रिया की बात तो दूर की बात है, आलिंगन, चुम्बन तथा स्तन आदि के स्पर्श में भी वह बाधक बनकर खड़ी हो जाती है।

उदाहारण के लिए कुछ स्त्रियाँ तो ऐसी होती हैं कि पति को प्रसन्नता से चुम्बन देती हैं तथा चुम्बन लेती हैं और खुशी से राजी-राजी पुरुष को अपने शरीर का स्पर्श ही नहीं करने देती बल्कि सारे शरीर को टटोलने की अनुमति भी दे देती हैं। कुछ स्त्रियाँ तो यह सोचकर अधिक भयभीत रहती हैं कि उसे अपने पति के सामने बिल्कुल नंगी होना पड़ेगा। स्त्री को कभी ऐसा नहीं करना चाहिए कि शुरू में ही अपने पति के सामने नंगी हो जाए क्योंकि ऐसा करने से पति के सामने ऐसी स्थिति हो जाएगी कि वह समझेगा कि यह तो बेशर्म औरत है।

कुछ स्त्रियाँ इस बात को भी पसन्द नहीं करती हैं कि पति उसके सामने एकदम से नंगा हो जाए। यदि किसी पुरुष के मन में यह चल रहा हो कि मैं एकदम से नंगा होकर पत्नी के योनि में लिंग डालकर घर्षण करूं तो ऐसा न करें क्योंकि ऐसा करने से हो सकता है कि आपके पत्नी को यह सब बुरा लगे। वह ऐसा इसलिए कर सकती है क्योंकि स्त्री कभी भी एकाएक उत्तेजित नहीं होती, उसे उत्तेजित करना पड़ता है।

बहुत से तो ऐसे भी पुरुष देखे गए हैं जिनको शादी करने से पहले यह भय लगा रहता है कि मैं विधिपूर्वक शारीरिक सम्बन्ध स्थापित कर पाऊँगा या नहीं? देखा जाए तो यह होना स्वाभावविक ही है क्योंकि बहुत ही कम लोग जानते हैं कि सम्भोग से अद्वितीय और पूर्ण आनन्द प्राप्त करने के लिए क्या करना चाहिए।

सुखमय वैवाहिक जीवन धन से, यौनांग की पुष्टता से या स्वास्थ्य से कभी भी प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यह वह अनमोल आनन्द होता है, जो केवल ज्ञान से ही प्राप्त किया जा सकता है।

भारत में बहुत जगह पर रात में ही विवाह कराया जाता है जिसके कारण से पति-पत्नी दोनों ही पहली रात को बहुत ज्यादा थक जाते हैं। इसके साथ ही वधू को अपने मां-बाप तथा परिवार वालों से बिछुड़ने का दुःख भी होता है। पति के घर पर उसे सभी लोग अन्जान लगते हैं क्योंकि वह अपना घर छोड़कर एक अजनबी परिवार में आई होती है। इस प्रकार के मानसिक विचारों से केवल ससुराल वाले ही मुक्ति दिला सकते हैं।

इसलिए अभिभावकों को चाहिए कि मेहमानों की भीड़-भाड़ के कारण अन्य कार्यक्रम चाहे सारी रात चलते रहे, लेकिन परिवार वालों को यह ख्याल रखना चाहिए कि वर-वधू को अधिक से अधिक दस से ग्यारह बजे रात तक एकांत कमरे में भेज देना चाहिए।

परिवार वाले को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि जिस कमरे में वर-वधू की सुहागरात हो, उस कमरे का चुनाव ठीक से करना चाहिए तथा उस कमरे को ठीक प्रकार से साफ-सुथरा रखना चाहिए। उनके कमरे को अधिकतर फूलों तथा रोमांटिक चित्रों से सजाना चाहिए।

सुहागरात के कमरे में अधिक सामान नहीं होना चाहिए। पलंग पर मुलायम बिस्तर बिछा होना चाहिए। उनके बिस्तर का चादर साफ सुथरी, बिना सिलवटों की बिछी हो, कम से कम दो तकिये हों तथा बिस्तर पर ताजे फूल बिखेर देना चाहिए। पलंग के पास ही छोटी टेबल पर ट्रे में मिठाई, इलायची तथा मेवा आदि सजाकर रख दें। इसके अतिरिक्त पानी और गिलास की व्यवस्था भी कर दें। कमरे में तेज रोशनी के साथ ही साथ हल्की रोशनी का प्रबंध करना चाहिए। वर तथा वधू के सभी प्रकार की जरूरत के समान तथा कपड़े उसी कमरे में रख देने चाहिए। यदि विवाह गर्मी के दिनों में हो तो कमरे में हवा तथा रोशनदान की व्यवस्था कर देनी चाहिए।

दुल्हन की सजावट

सुहागरात के कमरे की सजावट के अतिरिक्त दुल्हन तथा दूल्हे का भी इस दिन विशेष श्रृंगार करना चाहिए ताकि उनके मिलन में यौन सम्बन्ध ठीक प्रकार से हो। कभी-कभी तो बहुत से वर-वधू स्वयं की सजावट या तैयारी करने में लज्जा अनुभव करते हैं। हालांकि बाद में यह सम्बन्ध कार्य पति-पत्नी अपने आप करते हैं लेकिन पहली मिलन के रात को इन दोनों को एक तरह से जबर्दस्ती सुहागकक्ष में धकेलना पड़ता है।

इस दिन दिन दुल्हन की ननदों तथा जेठानियों को प्रथम मिलन के लिए सुहागकक्ष में पहुँचाने से पूर्व दुल्हन को स्नान कराएँ। श्रृंगार के बाद वधू को अवसर दें कि वह मेकअप में अपने विचारों के अनुसार थोड़ा बहुत संशोधन कर सके और अपनी सुन्दरता में चार चांद लगाएँ।

वधू को अपने वस्त्र खुद चुनने का मौका दें। आमतौर पर नववधुएँ शादी का जोड़ा पहनना ही अधिक पसन्द करती हैं तथा आवश्यक समझती हैं। उसे अपने मनपसन्द आभूषणों का प्रयोग भी करना चाहिए।

इस दिन पत्नी को चाहिए कि पति का आकर्षण प्राप्त करने के लिए कृत्रिम सुगंध का प्रयोग करें। सौन्दर्य प्रसाधनों के आभूषणों के बाद जो सबसे कीमती वस्तु होती है, वह इत्र है। रुई के छोटे से फोहे को इत्र में जरा सा भिगोकर शरीर के उन अंगों पर अवश्य लगा देना चाहिए, जैसे- जहाँ पति होठों से स्पर्श करता है, दोनों स्तनों का मध्यस्थल, ठोडी, नाभि, हथेलियों के आगे के भाग, गला, गाल, नाक के ऊपर का भाग, कमर तथा योनि के बाहरी भगोष्ठों तथा उसके आस-पास का भाग आदि।

दुल्हन को अपना श्रृंगार करते समय एक बात पर विशेष ध्यान देना चाहिए। वह यह है कि अपने भगोष्ठों और उसके आस-पास के बाल तथा बगल के बालों को साफ कर देना चाहिए ताकि पति को कोई भी परेशानी न हो। वैसे तो लड़कियों को चाहिए कि यह काम शादी के एक दो दिन पहले ही मायके में कर लें।

जब वधू का श्रृंगार हो जाए तो उसका सारा सामान सुहागरात के कमरे में रख देना चाहिए और इसके बाद दुल्हन की ननद और जेठानी को नई दुल्हन से मजाक करते हुए उसे सुहागरात के कमरे में ले जाना चाहिए तथा उसे सुहाग की सेज पर बैठा दें और खुद भी तब तक वहाँ पर रुककर बातें करते रहें जब तक वर उस कमरे में न आ जाए।

वर का श्रृंगार

विवाह में दुल्हन का श्रृंगार जिस तरह से महत्वपूर्ण होता है ठीक उसी प्रकार से दूल्हे का भी श्रृंगार करना जरूरी होता है। दूल्हे को सजाने का यह कार्य अधिकतर दूल्हे का जीजा या दोस्त आदि करते हैं। वर को स्नान करके तथा भोजन कराने के बाद ही उसे सजाना चाहिए।

दूल्हे को सजाने से पहले उसके चेहरे को साफ सुथरा बनाने वाला क्रीम पाउडर आदि का प्रयोग करना चाहिए। इसके बाद बालों को अच्छे तरीके से संवारना चाहिए। दूल्हे को सजाने से पहले उसके दाढ़ी को साफ करना चाहिए। यदि दुल्हा मूँछ न रखना चाहता हो तो उसके मूँछ साफ कर देना चाहिए।

वर को सुहागरात के सेज पर ले जाने से पहले अच्छा सा कुर्ता या नाईट सूट पहन लेना चाहिए क्योंकि वधू की तरह शादी का जोड़ा इस समय आवश्यक नहीं होता, दूल्हे को सुहागरात के कमरे में ले जाते समय उसमें आत्मविश्वास जगाने वाली बातें करनी चाहिए जैसे कि वह बहुत सुन्दर और आकर्षक युवक लग रहा है।

दूल्हे के शरीर के भी कई भागों पर सुगंधित इत्र लगा देना चाहिए ताकि नई वधू उसके शरीर की महक से मंत्र-मुग्ध हो जाए। हो सके तो दूल्हे को माउथ फ्रेशनर का उपयोग कर लेना चाहिए। दूल्हे को सुहाग के कमरे में पहुँचाने की जिम्मेदारी भाभियों की होती है।

बहुत से दूल्हे को तो यह भी देखा गया है कि वह लज्जा के कारण से पहली मिलन के लिए आसानी से तैयार नहीं होता लेकिन उसके मन में दुल्हन से मिलने के लिए उत्सुक रहती है। कभी-कभी तो दूल्हे को अपने दोस्तों से बचकर भी सुहाग कमरे में जाते हुए देखा गया है।

इस समय में दुल्हन के साथ बैठी हुई स्त्रियों को जल्द ही कमरे से निकल जाना चाहिए क्योंकि दूल्हे को कमरे में प्रवेश करने के बाद भाभियों को दरवाजा बन्द करके बाहर से कुंडी लगा देनी चाहिए। ध्यान रहे कि कुंडी को कुछ देर बाद खोल देना चाहिए।

सुहागरात में पति-पत्नी की प्रतिक्रिया

आप स्त्री हो या पुरुष सुहागरात की पहली मुलाकात के समय एकांत कमरे में एक-दूसरे के सामने प्रस्तुत होते समय परेशानी होती है। इस समय में दुल्हा-दुल्हन को क्या करना होता है, इसके लिए उन्हें इसके बारे में अच्छी तरह से जानकारी ले लेना चाहिए ताकि अपने को एक-दूसरे के सामने प्रस्तुत होने पर परेशानी न हो।

जब सुहागरात के दिन दुल्हन कमरे में बैठी होती है उस समय जब दूल्हे को कमरे में भेजकर भाभियाँ बाहर से कुंडी लगा देती हैं तो दूल्हे को चाहिए कि कुंडी खुलवाने के लिए थोड़ा सा निवेदन करने के बाद स्वयं अंदर से दरवाजे का कुंडी अंदर से लगा दें।

अब दूल्हे को चाहिए कि वह अपने सुहागसेज की तरफ आगे बढ़े। इसके बाद दुल्हन का कर्तव्य बनता है कि वह अपने पति का अभिवादन करने के लिए सेज से उतरने की कोशिश करे। इसके बाद दूल्हे को चाहिए कि वह अपनी पत्नी को बैठे रहने के लिए सहमति दें तथा इसके साथ ही थोड़े से फासले पर बैठ जाए।

इस समय में दुल्हन को चाहिए कि वह अपने मुखड़े को छिपाये लज्जा की प्रतिमूर्ति के सामान बैठी रहे क्योंकि लज्जा ही तो स्त्री की मान मर्यादा होती है। इस समय में दुल्हन के अंदर यह गुण होने आवश्यक है, जैसे- अदा, नखरे, भाव खाना तथा शर्मोहया आदि। हम आपको यह भी बताना चाहते हैं कि स्त्री के नाज तथा नखरे पर पुरुष दीवाना हो जाता है।

लेकिन स्त्रियों को इस समय यह ध्यान रखना चाहिए कि पुरुष नखरों से निराश होकर उदास हो, उससे पूर्व ही समर्थन और सहमति स्वीकार कर लेना चाहिए अन्यथा नाज नखरों का आनन्द दुःख में बदल जाएगा। जब कोई स्त्री स्थायी रूप से नाज तथा नखरे करती है तो उसका पति उससे सेक्स करने के लिए कुछ हद तक विमुख हो जाता है।

अब दूल्हे को चाहिए कि वह दुल्हन का घूंघट धीरे-धीरे उठाए तथा मुँह दिखाई की रस्म को पूरा करते हुए कोई उपहार जैसे अंगूठी, चेन, हार आदि दुल्हन को देना चाहिए। इसके बाद पति को चाहिए कि वह पत्नी के साथ कुछ मीठी-मीठी बातें करते हुए परिचय बढ़ाए।

इसके बाद पति को चाहिए कि वह मेज पर पड़ी हुई जलपान सामग्री पलंग के पास ले आये। वैसे देखा जाए दाम्पत्य जीवन में खाना बनाना, खिलाना या परोसने का कर्तव्य पत्नी का बनता है लेकिन पहली रात के समय में पति को ही यह कर्तव्य करना चाहिए क्योंकि उस समय पत्नी बिल्कुल अनजान रहती है। इसलिए पति ही मिष्ठान आदि परोसता है।

पति को एक बात का ध्यान रखना चहिए कि पत्नी को मिष्ठान आदि का भोग कराते समय पत्नी को अपना परिचय दें तथा बढ़ाने की चेष्ठा बराबर करते रहनी चाहिए। पति को अपने परिवार के सदस्यों, रस्मों तथा रिवाजों को बताना चाहिए।

इसके बाद पति को चाहिए कि यदि अपना परिचय दुल्हन देने लगे तो उसकी बात को ध्यान से सुने या वह ऐसा न करें तो खुद ही उसे पूछना शुरू करना चाहिए और यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यदि वह अपने बारे में कुछ न बताना चाहे तो उसे मजबूर न करें और प्यार से बातें करें। इस समय में पत्नी का कर्तव्य यह बनता है कि वह लज्जा अनुभव न करके बराबर हिस्सा ले।

इस समय में पति को चाहिए कि पहली रात में अपनी पत्नी के हाथों को स्पर्श करे, इसके बाद उसके रूप की प्रशंसा करे, उसे अपने हंसमुख चेहरे तथा बातों से हंसाने की कोशिश करे। इसके बाद धीरे-धीरे जब पत्नी की शर्म कम होती जाये तो उसे आलिंगन तथा चुम्बन करे। यदि स्त्री प्रकाश के कारण संकोच कर रही है तो प्रकाश बन्द कर दे या बहुत हल्का प्रकाश कर दे।

वैसे देखा जाए तो विवाह के बाद पुरुष की लालसा रहती है कि जल्दी ही अपने जीवन साथी से मिलने का अवसर मिल जाए तो सेक्स क्रिया का आनन्द उठाये, यह उतावलापन तथा कल्पना हर पुरुष के मन में होता है।

जेन आखिर में बोली -बाकी मैं आपके पास ही हूँ और आज आप दोनों से बहुत कुछ सीखूंगीl

दिन के दौरान कागजात तैयार किये गये और मेरे, सुश्री जेन, लूसी और डायना द्वारा उन पर विधिवत हस्ताक्षर किए गएl जहाँ तीनो ने ख़ुद को मेरे सामने आत्मसमर्पण करने के लिए सहमति व्यक्त की और अपने पूरे जीवन के लिए मेरे साथ बनी रहने का वादा किया और बदले मे मैंने उन तीनो की देखभाल करने का वादा किया।

आगे कहानी जारी रहेगी.

 
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#43
मजे - लूट लो जितने मिले

चौथा अध्याय

मेरी पहली चुदाई की कहानी


भाग 14


लूसी हमारे पहले मिलन के लिए त्यार हुई 

सुहागरात
कक्ष में पहुँचाने से पूर्व जेन ने लूसी के पूरे बदन की वैक्सिंग करवाई और सब अनचाहे बाल हटवा दिए और उसे स्नान करवाया।

बाद में जेन और डायना और मेरी विश्वासपत्र सेविका ईवा की सहायता से इस विशेष अवसर के लिए लुसी पर सभी प्रकार के सौंदर्य उपचार किए। सौंदर्य उपचार प्रदान करने वाली और डायना से घिरे हुए, इस तयारी की निगरानी एक खूबसूरत रेड गाउन पहने कोने में बैठी सुश्री जेन ने की थी और सबने उनके निर्देशों को पूरा पालन करते हुए उसका शृंगार किया।

हालाँकि सुश्री जेन के साथ चर्चा के बाद मैंने उससे शादी नहीं की थी, लेकिन ये व्यवस्था एक शादी से अधिक थी, इसलिए मैंने फ़ैसला किया कि लूसी को आज रात दुल्हन के परिधान में तैयार किया जाएl इस अवसर को एक विशेष बनाने के लिए मेरे द्वारा दिए गए हमारे पारंपरिक पारिवारिक दुल्हन की पोशाक में तैयार होने के दौरान, लुसी ने लंबे दर्पण में अपने स्वयं के प्रतिबिंब का पूरा अध्ययन किया। उसे परतों में इतना भारी कपड़ा पहनाया गया था और इतने सारे गहने पहननाये गए कि वह चकित थी कि वह फिर भी हिल सकती थी। एक घूंघट और एक सोने की हेडड्रेस ने उसके माथे को ढँक लिया था, जो उसके अधिकांश बालों को कवर कर रहा थाl

उसके कानों से लटकने वाले वजनदार सोने के झुमके, एक धागे से लटकी हुई एक बड़ी नाक की नथ।

जब लुसी ने नाक की नथ पहनी, तो ईवा ने उसे फुसफुसाते हुए कहा ये कौमार्य का प्रतीक है। आज आमिर इसी को उतारेंगे।

नथ पहनते हुए लुसी को कान की बालिया न चुभ जाए इसके लिए पास ईवा ने चतुराई से धागे का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया तो लूसी ने उसे धन्यवाद दिया। सोने के हार उसकी गर्दन के चारों ओर पहनाये गएl विस्तृत मेंहदी वाले उसके हाथों और उसके पैरों को गहने के साथ सुशोभित किया गया। उसके पास जो कुछ भी था, वह सुनहरे कपड़ो से ढका हुआ था, जो बड़े पैमाने पर मनके और रंगीन कढ़ाई से भरा गया था। नीचे कई महीन रेशम की परतें थीं, जिनमें से सभी पीछे की बटनों और डोरिया से बंद की गयी थी।

उसने अपना मेकअप करने पर ज़ोर दिया था, हालांकि, अपने साथियों पर अपनी नजरें दौड़ाए हुए थी, पहले से ही उनके सुन्दर कपडे और इस मौके के लिए सबसे अच्छे गहने, उनके चेहरे पर सुंदर मेकअप, उनकी पलकें चमकीली नीली थी। लुसी ने सामान्य रूप से जितना मेकअप किया करती थी, आज उससे अधिक सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग किया था और ऐसा पलको पर करने पर पलके भी भारी हो गई थीl लेकिन इस सब मेकअप-मेकअप से लूसी की सुन्दरता में चार चांद लग गए। पहले से सुन्दर लूसी इस मेकअप ड्रेस और गहनों में बिलकुल परी लग रही थी॥

ईवा ने लुसी से कहा 'यह यह एक बहुत छोटा और शांत और गुप्त कार्यक्रम है फिर भी सब कुछ इतनी जल्दी व्यवस्थित किया गया है l'

ये गहने? ' लुसी फुसफुसाई।

'आप जो कुछ भी पहन रहे हैं वह सब, परंपरागत रूप से, ये ड्रेस और गहने आपको आमिर से मिलने वाले उपहार है।' ईवा ने जवाब दिया।

जब लूसी त्यार हो गयी तो सुश्री जेन ने सावधानी से उसका हाथ पकड़ा और उसके माथे पर चूमा और कहा आप बहुत सुन्दर लग रही हो और उसके रूप के प्रकाश से अँधेरा कमरे से परे हो गया था और अब शांत हो गया था।

अब आप त्यार हैं और आपको आमिर के शयन कक्ष में चलना चाहिए, ' डायना ने सुश्री जेन से मिले एक संकेत पर प्रतिक्रिया करते हुए लूसी को बताया।

'यह प्रतीकात्मक है,' सुश्री जेन आपको अपने आमिर के पास ले जा रही हैं।

वह छोटे दीपक द्वारा रोशन कमरे जो उसका इंतज़ार कर रहा था में धीरे-धीरे चलती हुई पहुँची तो लड़खड़ायी और अचंभे में पड़ गयी। वह उस कमरे को देखती रह गयी जिसमे एक बड़े बिस्तर था जो फूले से सजा हुआ थाl यह उसकी कौमार्य खोने की रात थी, जिसे वह अपने प्रेमी के साथ निकटता से बिताने की उम्मीद कर रही थी। वह आज रात को अपने कमरे में नहीं जा रही थी या अपने बिस्तर पर भी नहीं जा रही थी क्योंकि वह मेरे बिस्तर साझा करने वाली थी। उसने शर्म के मारे अपना चेहरा छुपा लिया क्योंकि उसे इससे अधिक अनुमान नहीं था, हालांकि वह जानती थी कि उसे आज क्या करना है।

यह कमरा फूलों और मिठाइयों से सजाया गया था, मदिरा और पेय को एक मेज पर बिस्तर के किनारे रखा गया था। पहली वेडिंग नाइट में सुहागरात जैसी सभी परफेक्ट सेटिंग में, जैसा कि भारत में कहा जाता है। दूल्हा और दुल्हन के पहले संभोग की रात इसी कमरे में बीतने वाली थी l

तब जेन ने लूसी को बिस्तर पर बैठने के लिए कहा और सब मेरा इंतज़ार करने लगे लेकिन वह बिस्तर के किनारे सोफे पर बैठ गयी और गहरी सांस ली, उसे मेरे आने का इंतज़ार था। वह रात में होने वाले कामुक घटनाक्रम के बारे ने सोच कर गर्म हो रही थी।

लुसी ने ख़ुद को इसके लिए तैयार किया, पर कौमार्य खोने पर होने वाले दर्द के बारे में सोच कर थोड़ा घबरा भी रही थीl घबराई हुई लड़की ने ख़ुद को परस्पर विरोधी भावनाओं के चक्रव्यूह में पाया। पिछली शाम की घटनाएँ काफ़ी परेशान करने वाली थीं; सभी लड़कियों की तरह, वह पुरुष और महिला के सम्बंधों के बारे में रोमांटिक विचार रखती थी। वह सेक्स सम्बंधों की एक पूर्व धारणा बिल्कुल धारणा के साथ मेरे घर आयी थीl वह शायद ही जो होने वाला था उसके स्वागत के लिए तैयार थीl वह एक युवा लड़की थी जो अपने प्रेमी के साथ पहली रात बिताने वाली थीl उसे उम्मीद भी थी कि वह अपने प्रेमी को प्यारी लगेगी और सेक्स सम्बन्धो में मिलने वाले आनंद को लेकर उत्साहित भी थी और पहली बार क्या होगा ये सोच कर थोड़ा डर रही भी। उसे मालूम था कि मैं उसके साथ स्वतंत्रता ले सकता हूँ, जो उसके उन अंगो को छेड़ सकता हूँ जिन्हे उसने कभी ख़ुद भी नहीं छेड़ा हैl प्रवेश करना तो दूर की बात है और कॉन्वेंट में उसके आश्रयहीन जीवन के कारण, उसके पास केवल अस्पष्ट विचार थे।

वह सीधी खड़ी हुई और अपने आराम के लिए शानदार बाथरूम में चली गई।

'क्या आप जानते हैं कि मेरे कपड़े कहाँ हैं? जिस कमरे में हम ठहरे थे, क्या मेरे कपडे वहाँ से आ गए हैं?' उसने असहज होकर पूछा। "मैं सुबह इसके बारे में पूछताछ कर आपकी बता दूँगी" जेन ने सहजता से बड़बड़ाया।

'मेरे टूथब्रश भी नहीं है!' लुसी ने धीमा-सा विरोध किया, वह उस स्थिति पर अपनी असुरक्षा से निपटने के बजाय छोटी-छोटी बातो पर ध्यान दे रही थी।

आमिर आपको एक दे देंगे, 'जेन और डायना ने उसे एक सुर में कहा।' अब आगे से वह आपकी सभी ज़रूरतों का ध्यान रखेगा। '

लूसी ने अपने गुस्से को काबू में रखने का प्यास किया। क्या वह अपने सभी मेकअप के साथ नग्न बिस्तर पर जाने वाली थी? यह उसकी गलती नहीं थी कि वह अपने सामान से अलग हो गई थी, उसने ख़ुद को तुरंत बताया और उसे अपने आपे से बाहर नहीं होना चाहिए। इससे निपटें, उसने ख़ुद को निर्देश दिया और वह बाथरूम में वापस चली गई और नीचे के परतों के बटन को खोलना शुरू करने से पहले गहने, अलंकृत कफ्तान को निकालना चाहती थी। AC चल रहा था पर उसे गर्मी लग रही थीl

तभी जेन आयी और लूसी को सहलाते हुए बोली लूसी तुम घबराओ मत आमिर तुम्हारा अच्छा ख़्याल रखेगाl फिर जेन ने उसे निर्देश दिया कि उसे अपने किसी भी गहने या कपड़े को नहीं निकाले, क्योंकि आमिर उसे गहने और कपड़ों में देखना चाहता है। उसने उस को आलिंगन कर कुछ राहत देने के बाद उसे वापस आने का निर्देश दिया।

क्या हुआ था और इससे भी महत्त्वपूर्ण, क्या होना था ये सोच कर वह घबराई हुई थी। उसने मेरे आगमन पर सोचा मैं क्या करूँगी और उम्मीद कि यह मेरे लिए सुखद होगा। वह एक तरह की जिज्ञासु प्रत्याशा से भरी हुई थी कि उसके लिए अब आगे क्या है।

उसने स्पष्ट रूप से महसूस किया कि मैं उसके योनि में अपना उपकरण घुसा दूंगा और उसके कोमल ऊतकों को फाड़कर, उसे पूरी तरह से घायल कर दूंगा l उसे यक़ीन है कि यह घटनाक्रम उसे तुरंत मार डालेगाl उसे ये भी डर था, अगर उसने इसका ज़रा भी विरोध किया तो फिर और भी अधिक क्रूर और कठोर दुनिया में वह अकेली रह जायेगीl उसे इस विचार का डर भी था, जिसके साथ वह पूरी तरह से अपरिचित थी और जहाँ उसका शिकार कौन करेगा वह बिलकुल नहीं जानती थी।

फिर उसे याद आया सुबह क्या हुआ था तो उसे मुझ पर प्यार आया और उसे लगा नहीं उसे मुझे निराश नहीं करना चाहिए क्यणोकि वह मुझे और मैं उसे प्यार करता हूँ और वह मुझे अपना कौमर्य समर्पित करना चाहती हैl

वह अपने कपड़े निकालना चाहती थी, स्नान करना चाहती थी, बालों को ब्रश करन और खोलना चाहती थी; फिर, उसका शरीर डर, शर्म और जुनून से जल रहा था, उसने विचार किया कि क्या वह एक नाइटगाउन में अपने शरीर को छिपाने की सीमा तक मेरी अवज्ञा कर सकती है। उसे सुश्री जेन और मेरा डर था, फिर भी महसूस किया कि हमारी कठोरता शायद कुछ हद तक सही है; उसे डर था कि मैं उस प्रकार का आदमी हूँ जो आवश्यकता पड़ने पर बलपूर्वक, लेकिन ज्यादातर अनुनय द्वारा अपने उद्देश्य को हासिल कर लेता हूँ। उसने फ़ैसला किया कि वह अपने कपडे नहीं बदलेगी, क्योंकि वह जानती थी कि उसे जेन के प्रति और साथ ही मुझे भी जब भी अवज्ञा का जवाब देना होगा। लेकिन इससे भी अधिक वह मुझे खुश करना चाहती थी क्योंकि उसे एहसास था कि मैं उसे इन गहनो और कपड़ों को निहारना चाहता हूँ। हे भगवान, उसने शीशे में अपनी छवि देखी, वह उस पोशाक में बहुत सुंदर लग रही थी। वह ख़ुद को चूमना चाहती थी। इसलिए उसने दर्पण में छवि पर एक चुम्बन दे दिया।

मुझे भी इस मौके के लिए त्यार करने के लिए और सजाने से पहले मेरे चेहरे को साफ़ सुथरा बनाने के लिए पहले फेसिअल फिर क्रीम पाउडर आदि का प्रयोग किया गया। फिर मेरे बालों को अच्छे तरीके से संवारा गया। मेरी दाढ़ी मूछ को साफ़ किया। और शरीर पर उबटन लगा कर और की तेल से अच्छे से मालिश की गयी और नाहने के बाद मैंने सुहागरात के सेज पर ले जाने से पहले अच्छा-सा पायजामा कुर्ता पहना जिसमे मैं सुन्दर और आकर्षक युवक लगने लगा।

मेरे शरीर के भी कई भागों पर सुगंधित इत्र लगाया गया ताकि लूसी मेरे शरीर की महक से मंत्र-मुग्ध हो जाए। फिर मैंने माउथ फ्रेशनर का उपयोग भी कर लिया।

लुसी ने जेन द्वारा दिए गए निर्देशों का अनुपालन किया। वह निश्चिंत होकर बेडरूम में वापिस आ गयी। जेन ने उसे बिस्तर पर बैठने के लिए कहा l वह लूसी पर अपनी सावधान और सतर्क आँखों के साथ, फ़ोन पर थी। डायना ने लुसी को बिस्तर पर बैठने में मदद की।

उस क्षण मैंने कमरे में प्रवेश किया, मुझे देखकर जेन ने अपना फ़ोन बंद कर दिया।

प्रवेश करते ही मैंने अपने कमरे में चारों ओर देखा, मेरे कमरे का वातावरण बदला हुआ था बिस्तर पर गुलाब और चमेली के साथ बिखरे हुए थे। कमरा फूलो से सजा हुआ था। यह एक सुखद आश्चर्य मुझे पसंद आया। फूलों से निकलने वाली मीठी ख़ुशबू पूरे कमरे में फैल रही थी। बेडरूम की दीवार पर एक मशहूर पेंटर से ख़रीदि पुरुष और महिला के अन्तरंग क्षणों की पेंटिंग लगी हुई थी जो मेरे दोस्त दीपक कुमार ने सुश्री जेन को उपहार में दी थी। माहौल बहुत रोमांटिक और सेक्सी था। मैं सुश्री जेन से मिला और सभी विशेष व्यवस्था करने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया।

जेन बोली आज की पूरी व्यवस्था आपकी उम्मीद अनुसार है और आपको पसंद आएगी और फिर मुझे पकड़ कर लूसी के पास ले आयी और बोली आमिर पेश है ख़िद्मत है हमारी और से ख़ास आपके लिए आपकी प्यारी लूसी।

मुझे लुसी को एक राजकुमारी जैसी लगी, उसके खूबसूरत बालों का उसके सिर पर एक स्टाइल में ऊंचा किया हुआ था, जिसमें कोई संदेह नहीं था कि उसकी लंबी पतली सुराहीदार गर्दन में वह बहुत आकर्षक लग रही थीl यह ड्रेस गले से टखनों तक सोने की चमक लिए हुई थी और उस समय वह एक जन्नत से आयी हुई हूर लग रही थीl

स्पष्ट रूप से मैं अपनी धारणा में सही था कि वह पूरी दोपहर उसने अपनी साज सज्जा और त्यार होने में बितायी थी और अब ये सुंदर और प्यारी-सी लड़की आज रात एक महिला बनने वाली है।

उसका ये सुन्दर रूप देख मेरा लंड उग्र होने लगा था मेरा 8 इंची लुंड पूरा तन गया थाl और पायजामें में टेंट बन गया था बस कुछ देर में रूप का ये खजाना मेरा होने वाला थाl

आगे क्या हुआ पढ़िए अगले भाग 15 में।
 

आगे कहानी जारी रहेगी.

 
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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
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#44
मजे - लूट लो जितने मिले

चौथा अध्याय

मेरी पहली चुदाई की कहानी

भाग 15


तभी जेन उठी और उसने और लूसी को हमारे होने वाले पहले मिलन की बधाई दी तो डायना बोली आप लूसी से ऐसे नहीं मिल सकते आपको हमें कुछ नेग देना होगा तो मैंने ईवा, जेन और डायना को एक-एक अंगूठी नेग के तौर पर दी तो ईवा बधाई देने के बाद चली गयी l जेन मेरे कान में बोली आमिर इस नेग की ज़रूरत नहीं है मैं आपसे अपना नेग वसूल लूंगीl

लूसी ने ईवा को जाते हुए देखा तो बोली सुश्री जेन प्लीज आप यही रुकिए आपने वादा किया था इस समय आप मेरे पास रहेंगी l

मैंने देखा कि लूसी लाल लहंगा-चुन्नी पहनी हुई पलंग पर उसी का इंतज़ार कर रही थी। इसे देखकर शरीर में अधिक उत्तेजना हो उठी, कुछ उत्तेजना तो उसके शरीर में सुहागरात के कमरे में आने से पहले ही थी। मेरा अपने आप पर नियंत्रण खोता जा रहा था, उसकी उत्तेजना सीमा चरम को छूने लगी थी।

कमरे में लूसी दुल्हन बानी उस सुहागसेज पर मेरा इन्तजार कर रही थी फिर मैं सुहागसेज की तरफ़ आगे बढ़ा। लूसी मेरे अभिवादन करने के लिए सेज से उतरने की कोशिश करने लगी। मैंने लूसी को-को बैठे रहने के लिए अनुरोध किया तथा इसके साथ ही थोड़े से फासले पर बैठ गया।

लूसी इस समय घूँघट में अपने मुखड़े को छिपाये लज्जा की प्रतिमूर्ति के सामान बैठी हुई थी। लूसी की इस अदा नाज़ तथा नखरे का मैं दीवाना हो गया था।

फिर मैं थोड़ा सरक कर उससे सटकर बैठ गया तो उसने भी मेरी और थोड़ा सरक कर जैसे मेरा स्वागत किया और जो घूँघट उसने किया हुआ था उसमे उसका सर थोड़ा शर्म के मारे नीचे झुक गया, मैं उसे अपने आलिंगन में ले कर चूमना चाहता था। 'मेरी प्रिये!' मैंने फुसफुसाते हुए कहा, 'तुम बहुत सुंदर और ख़ास हो आई। लव यू लुसी' तुम! ... और तुम सच में इतनी प्यारी और मेरे ऊपर इतना भरोसा करती हो की अपना सर्वस्व मुझे निछावर करने को ततपर हो यहाँ तक की अपना कौमार्य भी आज मुझे समर्पित हो जाएगा! '

लुसी कोमलता से मुस्कुराई और धीरे से सिर हिलाया, उसकी आँखें मुझे प्यार से देख रही थीं। मैंने धीरे से उसका घूंघट हटा दियाl मुँह दिखाई की रस्म को पूरा करते हुए अंगूठी और एक हार, लूसी को दीया और उसे प्यार और कृतज्ञता से चूमा।

घूंघट हटाते ही और वह शर्माने लगी मुझे ऐसा महसूस हुआ कि मानो कमरे में चांद निकल आया हो। मैंने अपने हाथ से उसकी थोड़ी पकड़ी और चेहरा ऊपर किया तो मेरे वह से बस इतना ही निकला लूसी तुम सच में बहुत सुन्दर हो और वह और ज़्यादा शर्माने लगी। लूसी के लिपिस्टिक से रंगे सुर्ख होठों को देखकर मेरी उत्तेजना और भी बढ़ने लगीl

मैं फुसफुसाया, 'मुझे बताओ, प्रिय, क्या तुम सच में यह चाहते हो? क्या आप वास्तव में ... अपने कौमार्य, को खोने के लिए तैयार हैं?'

मेरे इस सवाल ने शर्म से उसके गाल लाल कर दिए-कुछ पलों के लिए वह चुप रही और मुझे लग रहा था कि वह कैसे कांप रही थी; तब वह गहरी भावना के साथ बहुत धीरे से बोली, 'हालांकि प्रत्येक लड़की अपने जीवन में इस पल का बेसब्री से इंतज़ार करती है। अगर यही सवाल किसी और ने पूछा होता, मैंने एक निश्चित नहीं के साथ मना कर दिया होता ... नहीं! ... नहीं! ... लेकिन आपके लिए, आमिर, मैं कहती हूँ, हाँ! ... और केवल हाँ! ...'

उसका जवाब सुन कर मैं कुछ देर कुछ नहीं बोल पाया मुझे उस पर बहुत प्यार आया और मैंने बस उसके ओंठो पर धीरे से एक किश की और फिर बार-बार उसके होंठ बार-बार चूमने लगा और वह मेरी आँखों में मेरी भावना पढ़ रही थी। मुझे याद आया जेन ने कहा था मेरे सिवा लूसी किसी को कभी भी अपना सर्वस्व नहीं समर्पित करेगी

इसके बाद मुझे केवल एक ही तरह से लुसी के प्यार और विश्वास को पुरस्कृत करने की प्रबल इच्छा हुई की अब मैं उसे अपना बना लू और ज़्यादा कुछ विचार करने की जगह मैं उसे प्यार करून और अपना कौमार्य भी उसको समर्पित कर दू और दोनों अपना कौमर्य एक साथ बलिदान कर परस्पर अद्भुत प्रेम करे और ये भावना बलवती होती चली गयी।

मैंने उसे पहले से कहीं अधिक निकटता से पकड़ अपने से चिपका लिया और उसकी प्यार भरी आँखों में देखते हुए मैंने धीरे से उसे छेड़ते हुए कहा, 'डार्लिंग, क्या, मैं सही समझा हूँ की आप अपने भविष्य की ख़ुशी के लिए स्वतंत्र रूप से मुझे एक लड़की के तौर पर अपने सबसे कीमती खजाने को अर्पण करने के लिए तैयार हैं और इसे बिना किसी झिझक और दबाब के प्रेमवश मुझे देने के लिए उत्सुक हैं। क्या आप मुझे उस ख़ुशी को सुनिश्चित करने के लिए अनुमति दे रही हैं? मेरी प्यारी लुसी, क्या तुम मेरी पहली प्रेमिका बनोगी क्योंकि जैसी तुम अक्षत यौवना हो \ वैसे ही मैं भी तुम्हारी ही तरह कुंवारा हूँ?'

मेरी इस बात ने उसे आश्चर्यचकित कर दिया, आश्चर्य में उसकी आँखें व्यापक रूप से खुलीं; यह स्पष्ट था कि वह अपने कानों पर विश्वास नहीं कर प् रही थी। मैं उसे देखकर मुस्कुराया और फुसफुसाया, 'क्या आप इसे फिर से सुनना चाहोगी? लुसी! मेरे प्रिय, मुझे बहुत ख़ुशी है कि तुम मेरे पहले प्रेमीका बन गयी हो।'

दुबारा यही बात सुन कर उसका आश्चर्य वाला भाव गायब हो गया, इसकी जगह एक अद्भुत मुस्कान आ गई और फिर वह शर्मा गयी उसने एक गहरी सांस ली और उसकी आँखें ख़ुशी के आँसुओं से भर गईं, उसके होंठ कांपते हुए खुले और वह धीरे से फुसफुसाई, 'ओह! आमिर!' और वह मुझसे प्यार से लिपट गई।

मैंने झुक कर उसके होंठ स्पंदन पर नम्रता से चूमा और धीरे से कहा, 'इसका मतलब है कि "हाँ" ... ओह! मेरे प्रिय! ... मेरे प्रिय!' और कुछ देर तक हम चुप रहे, हमारी आँखें एक-दूसरे को देख रही थीं और प्यार और शर्म से झुक रही थीं वह फिर धीरे से मुझे देखती थी और फिर शर्मा कर आँखे झुका लेती थी।

फिर भी एक पल की झिझक के बाद में लुसी एक जिज्ञासु मुस्कान, अर्ध-चिंतित और आधे-उत्सुकता और आग्रह के साथ फुसफुसायी, 'पिया जी! चलो आज की रात, करते हैं?' मैं उसकी बात सुन कर मुस्कुराया।

'ये सब व्यवस्था इसीलिए की गयी है मेरी जान, ,' मैंने जवाब दिया, 'डार्लिंग, हमें जेन और डायना के बारे में भी सोचना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ये पूरी व्यवस्था करने के लिए बहुत मेहनत की है और मैंने उसे ख़ुशी से चूम कर बोलै' जानेमन! हमें उन्हें निराश नहीं करना चाहिए। लुसी एक बार फिर शरमा गयी और मुझे प्यार से वापस चूमने लगी, मैंने जारी रखा ' मेरे प्यारे लुसी! अब तुम मेरी बाँहों में आकर प्रेम के रस का स्वाद लो। डार्लिंग मुझे उम्मीद है आप अब इसके बारे में खुश हैं,?

'ये सब व्यवस्था इसीलिए की गयी है मेरी जान, ,' मैंने जवाब दिया, 'डार्लिंग, हमें जेन और डायना के बारे में भी सोचना चाहिए, क्योंकि उन्होंने ये पूरी व्यवस्था करने के लिए बहुत मेहनत की है और मैंने उसे ख़ुशी से चूम कर बोला' जानेमन! हमें उन्हें निराश नहीं करना चाहिए।

थोड़ी हिचकिचाहट के साथ लुसी ने कुछ गंभीरता से कहा, क्या मैं आपसे कुछ मांग सकती हूँ इस मौके पर।

मैंने कहा ज़रूर मुझे ख़ुशी होगी अगर मैं आपकी कोई मांग पूरी कर सका।

लूसी बोली 'कृपया मुझे एक बात का वादा करें, आमिर!-कृपया सुश्री जेन और डायना के साथ भी आप दया करके आप अच्छा व्यवहार करेंगे और उन्हें यौन सुख देंगे, मुझे बहुत दुखी होगा अगर मैं उन्हें आपसे योन सुख न मिलने का कारण बनूँगी, वे भी आपसे प्रेम करती हैं और आपके प्रति मेरी जैसी ही प्रबल इच्छा और आवश्यकता रखते हैं। आप मुझसे क्या यह वादा करेंगे, आमिर डार्लिंग?'

मैं उसकी भक्ति से बहुत प्रभावित हुआ मैंने कहा 'मैं उन दोनों को भी अपने साथ रखने का इरादा रखता हूँ और मैं ये स्वेच्छा से वादा करता हूँ, प्रिय,' मैंने ईमानदारी से जवाब दिया। -फिर एक शरारती मुस्कुराहट के साथ मैंने जोड़ा, 'डार्लिंग-सुश्री जेन और डायना आज रात की तरह हमेशा हमारे कमरे में ही रहेंगी और उसके रहने की व्यवस्था साथ वाले कमरों में करेंगे, ताकि वे हमारे साथ चुपचाप आ जाये और यौन क्रिया में शामिल हो जाए और हम सब मिल कर नियमित रूप से सामूहिक आनंद लेंगे, डार्लिंग!'

लुसी मुस्करायी, फिर खुश होते हुए बोली 'ओह आमिर! यह तो बहुत बढ़िया और मजेदार होगा!' लुसी एक बार फिर शरमा गयी और मुझे प्यार से वापस चूमने लगी, मैंने जारी रखा ' मेरे प्यारे लुसी! अब तुम मेरी बाँहों में आकर प्रेम के रस का स्वाद लो। डार्लिंग मुझे उम्मीद है आप अब इसके बारे में खुश हैं,?

'मैं अब पूरी तरह से और पूरी तरह से सिर्फ़ तुम्हारी हूँ, आमिर,' लुसी ने धीरे से कहा, उसकी आँखें प्यार से भरी हुई थी-'मैं ताउम्र तुम्हारी रहूंगी। मैं आज रात और उसके बाद हमेशा तुम्हारी प्रेमिका बनकर खुश रहूँगी। इसलिए आप मेरे साथ जैसा चाहते हैं, वैसा करें!' और वह प्यार और भरोसे से मुस्कराई।

मैंने उसे कृतज्ञता से चूमा और एक मीठा विचार मेरे मस्तिष्क में आया; और एक शरारती मुस्कान के साथ, मैंने कहा, 'ठीक है जैसा तुम कह रही हो मैं वैसा ही करने जा रहा हूँ, प्रिय!'।

'ओह, आमिर!' उसने कहा और मेरी शरारत भरी नियत भांप कर उसने ख़ुद को समेटना चाहा और अपना बचाव करने लगी, उसी समय मैं उसके घबराहट पर थोड़ा मुस्कुरा कर और जिस तरह से मैंने उसकी की बात उस पर डाल कर मैंने उसे मुस्कुराते हुए देखा और अपना एक हाथ उसकी ड्रेस ऊपर करते हुए उसके नंगे घुटनों पर रखा।

'क्या करना चाहते हो, मेरे पिया?' वह घबरा कर भ्रम में फुसफुसायी।

'मैं अपनी प्रेमिका से मिलना चाहता हूँ जिसने अभी-अभी मेरा प्रेम स्वीकार किया है और उसे बधाई देने के लिए,' मैंने झूठ-मूठ से गंभीर होते हुए जवाब दिया-'मुझे पता है कि वह घर पर है और इसलिए आपकी इजाज़त मिले तो मैं उससे मिल लू।'

लुसी मुस्कुराई और सहजता से और धीरे से अपनी जांघों को अलग किया जिससे मेरा हाथ उसकी जांघो पर से होते हुए उसकी योनी तक सुविधापूर्वक जा सके। इस बीच वह मुझे प्यार से भरी आँखों से देख रही थी। मैंने प्रसन्नतापूर्वक अपना हाथ उसकी सुस्वाद जाँघों पर फेरा और फिसलता हुआ टांगो के जोड़ के माध्यम से फिसलकर यह अपने गंतव्य योनि द्वार पर पहुँच गया।

'ओह डार्लिंग!' लुसी गहरी सांसलेते हुए बोली, मेरी उंगलियों ने उसके योनि के दाने को सहलाया और उसने बहुत प्यारी और कुलबुलाहट के रूप में नेरी उंगलियों को महसूस किया।

जहाँ मेरा एक हाथ उसकी योनि पर था वही मैंने दुसरे हाथ से उसकी नज़ाकत भरे लचीले और रसदार खूबसूरत जिस्म को अपने पास खींच लिया-लिया और उसके रेशमी बाल के साथ खेलते हुए उन्हें सहलाया। उसने मेरे गले में अपनी बाहों डाल दी और मेरे ओंठो पर अपने होंठ दबाकर वह मुझे पूरी शिद्दत से चूमने लगी।

मैंने उसके हर जगह गाल, आंख, ठोड़ी और नाक चुंबन किया। उसका चेहरा मेरी लार से दमक रहा था। मैं फिर थोड़ा निचे को गया मैंने उसकी गर्दन और सीने के ऊपरी हिस्से जो क्षेत्र उसके ड्रेस और गहनों के-के साथ कवर नहीं किया गया था वहाँ चुंबन किया। जिससे हम दोनों समान रूप से आकर्षक हो कर उत्तेजित हो गए।

जल्द ही मेरी उंगली ने धीरे से उसकी टाइट योनी के होंठों के बीच और गर्म थिरकने वाले नम भाग के बीच अपना रास्ता बना लिया और अंदर प्रवेश करते हुए उसके कौमार्य की झिल्ली पर पहुँच गया, जिसे मैंने आज रात को भंग करना था। मेरी ऊँगली लूसी की योनि में जो उत्तेजना उत्पन्न कर रही थी उसके कारण वह अपनी टाँगे भींचने लगी तो मैंने धीरे से ऊँगली बहार निकाल ली और उसकी योनि के दाने को छेड़ने लगा और उसे सेक्स के लिए त्यार करने लगा।

ओह, आमिर! ... डार्लिंग! ' मेरी ऊँगली द्वारा उसकी योनि के दाने को छेड़ने की वज़ह से उसका शरीर अनियंत्रित झटके लेने लगा और वह उत्साहपूर्वक अपना शरीर इस तरह से तेजी से हिलाने लगी ताकि उसकी योनि का दाना और तीव्रता से मेरी ऊँगली को स्पर्श करे फिर उसकी टाँगे काम्पी शरीर ऐंठ और उसकी योनि रस से भर गयी और मेरी ऊँगली उसके रस से भीग गयी

 

आपका आमिर खान l
 

आगे क्या हुआ पढ़िए अगले भाग 16 में।
 
 
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#45
मजे - लूट लो जितने मिले

चौथा अध्याय

मेरी पहली चुदाई की कहानी

भाग 16


सबसे मजेदार बात ये है कि जिस कारण से मैं लूसी की तरफ़ पहली बार सबसे ज़्यादा आकर्षित हुआ था अभी तक मैंने कुँवारी लूसी के जवान जानलेवा स्तनों को छुआ भी नहीं था। उसका सरल स्वभाव उसकी मासूमियत और भोलेपन ने मुझे मोह लिया था और जब इस तरह से वह पहली बार स्खलित हुई तो उसे कुछ समझ नहीं आया ये क्या हुआ था।

हर अर्थ में लूसी के लिए एक नया अनुभव था क्योंकि न केवल वह एक कुंवारी थी, उसने पहले कभी हस्तमैथुन भी नहीं किया था। उसकी टाँगे पेट और छाती कांपने लगे। उसकी साँसें छिटपुट हो रही थीं और उसकी त्वचा फड़क रही थी। मैंने उसकी क्लिट को छेड़ते हुए उसके होंठो पर मौखिक हमला जारी रखा और उसने अपने होंठों से मेरे होंठो पर-पर दबाव डाला, फिर अलका उसके पहले संभोग सुख की उमंग में चिल्ला उठी! उसका शरीर अकड़ने लगा उसकी साँसे तेज चलने लगी उसके शरीर में एक उफान आया और वह निढाल हो कर मुझ से लिपट गयीl

लुसी ने अपने होंठ मेरे होंठो पर दबाये और बहुत स्वादिष्ट और उत्साही चुंबन करती रही जबकि मैं उसके गुप्तांगो को सहलात रहा। जब वह झड़ गयी तो उसने लंबे समय तक मुझे पकडे रखा और हम दोनों गीले चुम्बन करते रहे उसने नम आंखों के साथ मुझ पर कृतज्ञता व्यक्त की, वह हर्षातिरेक से फुसफुसाई 'ओह, आमिर! यह स्वर्गीय अनुभव था!'

तभी धीमे से जेन उठ कर लूसी के पास आयी और उसे सहलाते हुए बोली मेरी जान अभी तो ये सिर्फ़ शुरुआत है ... अभी तो आगे बहुत सारे अनूठे और शानदार अनुभव तुमको होंगे।

मैंने लूसी को अपनी बाहों में जकड़ लिया, अब डर का कोई मतलब नहीं था, खतरे की कोई भावना नहीं थी औरवो उस स्वतंत्रता में आनन्दित थी, उसने आनंद पूर्ण आहें भरींल ओर्गास्म होने के कारण वह पसीने से भीग गयी हमारे ओंठ जुड़ गए। मैंने पहली बार ड्रेस के ऊपर से उसके बूब्स सहलाये, दबाये और पकड़ लिए मेरा बदन उत्तेजना से तपने लगा था मैंने उसे अपने ऊपर खींच लिया

वो मेरे ऊपर लेटी रही और उसी पोजीशन में उसने मुझ से पुछा क्या मैं आपको अच्छी लगती हूँ? तो मैंने कहा आप मुझे बहुत अच्छी लगती हैं। आपकी मुस्कराहट इतनी अच्छी है के जब आप मुस्क़ुराती है तो आपके चेहरे से नज़र ही नहीं हटती हैl मन करता है आप मुस्कराती रहे और मैं आपको देखता रहूl पहले तो वह थोड़ा शर्मायी फिर वह बोली बस इतना ही!

अब मैंने उसकी तारीफ करनी शुरू कर दी।

लूसी तुम्हे ऊपर वाले ने बड़ी फुर्सत से बनाया है। तुम्हारी कमर, गाण्ड, पीठ, गला, स्तन, चेहरा, ओंठ सब कुछ जिश्म का हर एक हिस्सा शानदार है। 18 साल की उम्र की ऐसी जवान हो तुम जिसमे एक बच्ची और एक औरत भी नज़र आती है। तुम अल्हड सुन्दर गोरी कमसिन तरुण युवती हो जिसके उन्नत उरोज हैंl आपकी फिगर शानदार है और जबसे आपको उस दिन पहली बार जेन के साथ देखा है, तबसे मैं तो आपका दीवाना हो गया हूँ।

वह मेरे चेहरे के पास अपना चेहरा ले आयी और बोली मैं भी तबसे तुम्हें प्यार करती हूँ और ये आपके प्यार और आकर्षण का ही जादू है कि मैं आज आपकी पहली प्रेमिका दुल्हन बन आपकी आगोश में अपना कौमार्य आपको सम्पर्पित करने को ततपर हूँ। मैं कुछ भी कह पाता इससे पहले कि उसने मुझे चूमना शुरू कर दिया मैंने उसके चुम्बन का जवाब दिया और उसे वापस चूमना शुरू कर दिया।

मैं उसके रस भरे होंठ चूसने लगा।

आगे क्या होने वाला है इस प्रत्याशा में मेरा हथियार अपना विकराल रूप धारण कर चूका था और अंडरवियर के अंदर से मेरे लंड का उभार नज़र आ रहा था और लूसी को चुभने लगा। वह बोली कुछ चुभ रहा है लूसी बोली सुश्री जेन, आमिर मुझे ये ड्रेस और गहने चुभ रहे हैl

फिर मैंने कहा ठीक है लूसी अब आप खड़ी हो जाओ, मैं आपको इस ड्रेस में निहारना चाहता हूँ।

लूसी ने लाल लेहंगा चोली जिसकी कोई लगभग सात महीन परतें थी और उसके ऊपर ढेर सारे गहणे पहने हुए थे और साथ में गजरा और फूलों से शृंगार किये हुए बड़े-बड़े स्तनों वाली स्वर्ग से आयी हुई हूर लग रही थी। उसके ऊपर एक महीन चुनरी जिस पर सोने की नक्काशी की गयी थीो ओढ़ी हुई थी। मेरा लंड उसका ये रूप देख कर बेकाबू हो गया और मैं पूरी तरह से काम रोग से ग्रस्त हो गया था।

दूध जैसी गोरी चिट्टी लाल गुलाबी होंठ! नाक पर बड़ी नथ, मांग में टिका बालो में गजरा, उसका चेहरा नीचे को झुका हुआ था इतनी सुन्दर लूसी को दुल्हन के रूप में देख मेरे मुँह से निकला वाह जेन! तुम ठीक कह रही थी रोज़ी वाकई में बहुत सुन्दर है और दुल्हन के रूप में तो बस क्या तारीफ करूँ समझ ही नहीं आ रहा। मेरा लंड फुफकारने लगा था अब मुझ से सब्र नहीं हो रहा।

लूसी बिस्तर के पास शर्मायी हुई अपने पैरो की तरफ़ देख रही थी। उसने सर पर हल्का-सा घूंघट किया हुआ था। उसका चेहरा शर्म और आगे जो होने वाला था वह सोच नीचे झुका हुआ था। मैंने आगे होकर उसका हाथ अपने हाथ में ले लिया और उसको बेड पर ले गया।! उसका नरम गर्म हाथ पकड़ते ही मेरे तनबदन की आग और भड़क गयी और मेरा लंड सनसनाता हुआ पूरा 8 इंची बड़ा हो गयाl लगा वह पायजामा फाड़ कर अभी बाहर आ जाएगा।

मैंने धीरे से उसके चेहरे को ऊपर किया लूसी की आँखे बंद थी। बोला मेरी महबूबा अपनी आँखे खोलो और अपने दीवाने प्रेमी को देखो। उसने आँखे खोली और हलकी से मुस्करायी मैंने उसका ओंठो पर एक नरम-सा चुम्बन ले लिया। वह फिर शर्मा कर सिमट कर मुझ से लिपट गयी।

मैंने फिर उसको अपने से हल्का-सा दूर किया हाथो से उसका चेहरा ऊपर किया और होंठो पर एक लम्बी किस की। उसकी आँखे बंद थी मैंने उसके होंठो को छोड कर चेहरा ऊपर किया तो उसने आँखे खोली और मुस्करायी। मैं फिर तो मैंने उसे चूमना शुरू किया। उसके ओंठ बेहद नरम और गीले थे वह मेरा पूरा साथ दे रही थी।

फिर एक हाथ उसकी छाती पर ले गया और उसे सहलाते हुए उसके मुलायम बदन को महसूस कर रहा था और उसके गोल-गोल बूब्स को सहला दबा रहा था। वह भी मेरी छाती पर अपने हाथ फिराने लगी। मैंने उसकी छाती को कस कर दबाया तो वह मुझसे लिपट गयी थी और उसकी 35D साईज की चूचीयाँ मेरे सीने से दब गयी।

फिर मैंने उत्तेजना में उन्हें जकड़कर अपनी बाहों में मसल डाला। तो लूसी ने कहा कि प्लीज धीरे करो बहुत दर्द होता है। फिर मैंने उनके गालों पर अपनी जीभ फैरनी चालू कर दी और फिर उसके होठों को चूमता हुआ, नाक पर अपनी जीभ से चाट लिया। अब जेन भी उत्तेजित हो चुकी थी और सिसकारियाँ भरती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी। अब में उनके चेहरे के मीठे स्वाद को चूसते हुए उनकी गर्दन को चूमने, चाटने लगा था और मेरे ऐसा करते ही वह सिसकारी लेती हुई मुझसे लिपटी जा रही थी। मैं उसका पूरा चेहरा गाल नाक माथा आँखे धीरे-धीरे सब चूमते-चूमते चाट गया।

लुसी! मैं तुम्हें नग्न देखना चाहता हूँ। मैंने उससे कहाl

'मुझे डर है कि मुझे इन सभी बटन और डोरिया खोलने के लिए आपकी मदद चाहिए,' सुश्री जेन और डायना ने काफ़ी म्हणत और तकलीफ से बाँधा है उसने कहा मैं भी जल्दबाज़ी में कुछ भी फाड़ना नहीं चाहती ...'तेजी से साँस लेते हुए, लुसी थोड़ी घूमी और मुझे उसकी पतली पीठ को पेश किया।' मुझे अभी तक यह नहीं पता कि इसमें सभी बटन और डोरिया बिल्कुल दुर्गम स्थान पर क्यों हैं! '

'नहीं, यह वास्तव में शर्मनाक होगा,' मैंने स्वीकार किया। 'ऐसा लगेगा जैसे मैंने आप से जबरदस्ती कर दी हो।'

जब मैंने उसके कपडे उतारने शुरू कर दिए सबसे पहले धीरे से उसकी चुनरी हटा दी। पहली परत थी वह चुनरी जिसने लूसी का पूरा बदन छुपा हुआ थाl उसका चाँद-सा खूबसूरत रूप मेरे सामने था। आज की रात निश्चित रूप से आनंद दायक होगी। मैं तो एकदम से सन्न हो उसे देखता ही रह गया। गोरी चिट्टी कमसिन तीखी नैन नक्श। गोल मुस्कुरता हुआ शर्म के मारे लाल चेहराl मेरा लंड का तनाव फिर बढ़ने लगा।

ये सभी बटन और डोरिया बिल्कुल दुर्गम स्थान पर हैं ताकि आप इसे ख़ुद न खोल सके मैंने उसे धीरे से सूचित किया और जैसे ही मैंने बटन खोलने शुरू किये तो एक हलकी-सी थरथराहट उसे झकझोर रही थी क्योंकि उसने मेरी उंगलियों के कोमल दबाव को अपनी पीठ पर महसूस किया। इससे पहले कभी भी कोई पुरुष उसके इतने नज़दीक नहीं आया था की वह उसके कपडे उतारे और मेरी उंगलियों को उसने मह्सूस किया। भले ही वह उसके अनुरोध पर था, फिर भी ये हम दोनों के लिए एक चुनौती थी। ' आपका दूल्हा इन सात परतो को धीरे-धीरे और मोहक तरीके से हटाने वाला है। यह हमारी सांस्कृतिक परंपरा है।

ओह बोल कर लूसी ने एक गहरी सांस ली और फिर जैसे उसे इसका मतलब समझ आया तो दुबारा ओह बोलते हुए शर्माने लगी।

मैंने फिर कहा आपको इन परतो को पहनाने के लिए जेन और ईवा का शुक्रिया अदा करना चाहिए क्योंकि मुझे नहीं लगता कि इन दिनों ज्यादातर लड़कियाँ इस ख़ास परंपरा की ख़ास परवाह करती हैं, ' मैंने लूसी से कहा और दूसरी परत को उसके बदन से अलग कर मैंने उसे नीचे लूसी के पैरो पर गिरने दिया।

दूसरी परत हटने से लूसी की पीठ कंधे, बाजू और गर्दन का कुछ भाग उजागर हो गया और मैंने जो भाग उजागर हो गए थे उन पर किश किया

अब तीसरी परत के अगले बटन आगे की तरफ़ थे तो धीरे से उसके स्तनों को दबाते हुए उसके अगले बटन ढीले करने लगा। अब में लूसी की ड्रेस के ऊपर का हिस्सा खोल कर उसके बूब्स को दबाने लगा था। उसके मांसल बूब्स दबाने से वह सिहरने, सिकुड़ने और छटपटाने लगी थी, मैंने उसकी ड्रेस की तीसरी परत को बिलकुल ढीला कर दिया। तीसरी परत में वक्ष स्थल का कुछभाग और आधे कंधे उजागर हुए और उसकी टखने उजागर हो गए l

मैंने अपनी आँखें मूँद लीं और अपने सफ़ेद दाँतों को भींच लिया क्योंकि रेशम की परत को निकलना मेरे आत्म-नियंत्रण का परीक्षण कर रहा था। उसकी त्वचा रेशम की महीन परत के बीच में से मोतियों के सबसे चमकदार मोती की तरह चमक रही थी और उसके बदन से आ रही गुलाब और बादाम की मीठी-मीठी ख़ुशबू अविश्वसनीय रूप आकर्षक थी। परत ढीली करने के बाद मैंने धीरे-धीरे इस परत को भी हटा दिया और चौथी परत में उसका एक खूबसूरत कंधा पूरा नग्न हो गया और उसकी पिण्डलिया आधी उजागर हो गयी। मैं धीरे-धीरे नग्न हुए भागों को चूमता गया और फिर धीरे से उसकी गर्दन से होते हुए उसकी ठोड़ी को चूमते हुए उसके गुलाबी होठों को चूमने लगा और कुछ देर तक बड़ी शिद्दत से चूमता रहा।

फिर मैंने उसके गालो को चूमा, उसकी शर्मीलापन लिए हुए भोली आँखे प्रत्याशित ख़ुशी के करामाती मिश्रण के साथ चमक रही थी। मैंने फिर उसके नग्न कंधे चूमे, और उन अगली डोरियों को खोलने लग गया, जो पिछली परत को हटाने के बाद उजागर हुए थेl

मैंने इसके बाद इस परत को भी ढीली कर निकाल दिया और उसे नीचे गिरने दिया, पांचवी परत में दूसरा कंधा भी उजागर हो गया और टाँगे घुटनो तक नंगी हो गयी। अब उसके शरीर के ऊपरी हिस्से में उसके स्तन और पेट छुपे हुए थे और उसके कंधे पूरो नग्न हो गए थे। अब मुझे किसी और प्रोत्साहन की आवश्यकता नहीं थी। अगली परत को हटाने से पहले मैंने कंधो से लेकर ओंठो तक चुम्बन की प्रक्रिया को दोहराया।

मैं रुक गया और उसके इस रूप को निहारने लगाl

अब, लुसी इधर-उधर घूमने लगी उसने नोट कर लिया था कि मैं रुक गया हूँ और उसने बेहिचक कहा 'मैं इस में नहीं सोना चाहती'। 'ये पारियाँ वाली पोशाक आपके परिवार के लिए अनमोल हैं। जिस परवाह के साथ वे मुझे पहनाई गयी हैं स्पष्ट है ये पोशाक पारंपरिक हैं और ठोस सोने की कढ़ाई से बनाई गयी हैं।' मैं इसे खराब नहीं करना चाहती l

अब अगली परत में साइड से खोलने पर उसके स्तन लगभग नग्न हो गए और उसकी टाँगे घुटनो के ऊपर तक नग्न हो गयी और उसकी चिकनी जाँघे अब मेरे सामने थी और मैंने उसके पूरे शरीर पर इस बार हाथ फिराया ... पूराबदन एक दम चिकना थाl

अब एक ही परत रह गयी थीl

लूसी ने फ़रमाया, 'लेकिन अब मैं क्या पहन कर सोऊँगी?'

मुझे उसकी ओर देखने के लिए मजबूर होना पड़ा और मैं उसके रूप को देखता हो रह गया। मेरी प्रतिक्रिया देख वह सोचने लगी कही उसने कुछ ग़लत तो नहीं कह दिया। पर मैं उसके रूप में खो-सा गया था। वह बहुत कम कपड़ो में लगभग नग्न अवस्था में वहाँ खड़ी थी क्योंकि ये महीन परत बहुत छोटी थी और बहुत कम अंग छुपा रही थी। उसके बड़े गोल और कड़े स्तनों स्पष्ट थे, उसके गुलाब के रंग के उभरे हुए निप्पल अपनी उपस्थिति दर्ज कर रहे थे। मैंने एक गहरी सांस भरी। ' मैं कहना चाहता था कि इस कमरे में आज रात को कौन सोने वाला है, लेकिन मैं सिर्फ़ इतना ही कह पाया कि मैं तुम्हें कुछ दिलवाऊंगा।

मुझे महसूस हुआ अब वासना मेरे ऊपर हावी हो रही है क्योंकि मेरा लंड अब बिलकुल अकड़ गया था। और मेरे मुँह से एक आह निकलीl

'मुझे खेद है कि मैं आपको परेशान कर रही हूँ,' लूसी ने असहजता के साथ कहाl

लुसी ने मेरे पास आ गयी और मेरे हाथ से जो परत मैंने अभी निकाली थी उसे पकड़ लिया। उसने कहा, "बस प्लीज अब आखिरी वाली को भी निकाल दो फिर मैं तुम्हे परेशान नहीं करूंगी, मैं आपसे वादा करती हूँ ।"

फिर मैं सोचने लगा जिसने भी ये ड्रेस डिज़ाइन की है और इस तरह से सोचा है उस पर क्या प्रभाव हुआ होगा और इस पोशाक का किस तरह का कामुक प्रभाव मेरे पूर्वजो पर पड़ा होगा क्योंकि ये पोशाक तो पारम्परिक है । मुझे ऐसे सोचते देख डायना धीरे से मेरे पास आयी और बोली जब लूसी को ये पोशाक पहना रहे थे तो हमारा भी कुछ ऐसा ही हाल था जैसा आपका अब है अगर हम पुरुष रही होती तो पता नहीं हम क्या कर बैठती लूसी से साथ l

मैंने बड़ी कठिनाई से एक कराह को दबा दिया, मेरा ध्यान उसके स्तनों और उसके नितम्बो के उभारो की और चला गया और मैं उत्तेजना से भर गया। अद्भुत उत्तेजक नज़ारा था। मैं अब आखिरी डोरियों और बटनो के साथ जूझ रहा था और कल्पना करने लगा की अब उसे पकड़ कर बिस्तर पर लिटा कर मुझे इस तरह उत्तेजित करने का क्या परिणाम हुआ है ये उसे बताने का समय अब आ गया है। लेकिन मैं विश्वस्त था कि उसे कोई आभास नहीं था की उसे ऐसे देख कर मेरा क्या हाल हुआ है।

कल मैंने जेन को भी लगभग ऐसे ही अर्धनग्न और फिर नग्न होते हुए देखा था लेकिन लूसी का ये नज़ारा कुछ अलग ही था और इसका प्रभाव अत्यधिक उत्तेजक थाl

मैंने एक बार फिर एक आदमी को ऐसे उत्तेजित करने का परिणाम लूसी को सिखाने के बारे में सोचा और अपना कुरता और पायजामा उतार दिया लेकिन फिर मुझे उससे बहुत शर्मिंदगी हुई क्योंकि मुझे पता था कि वह मुझ पर पड़ने वाले प्रभाव से काफ़ी अनजान थी। मैं भी इससे पहले कभी ऐसी किसी महिला के साथ ऐसी स्थिति में नहीं रहा हूँ जो अपनी मोहक शक्ति के बारे अनजान हो या नहीं जानती हो और पहली बार में, मैंने पाया था कि इश्कबाज़ी और चापलूसी करने का क्या अंजाम हो सकता है, लेकिन फिर अचानक, मुझे उसकी मासूमियत बड़ी चुनौती लग रही थी।

लुसी मेरी ओर घूम गयी, मेरी भारी हो गयी आवाज़ की कठोर धार को उसने पकड़ लिया और मेरी ओर देखते हुए मेरी आँखों की चमक को देखने लगी। 'आमिर ... क्या कुछ गड़बड़ है?' उसने बेबसी से सवाल किया।

'मैं कितना ईमानदार हो सकता हूँ?' आमिर ने पूछा।

'आप हमेशा मेरे साथ ईमानदार रह सकते हैं। वास्तव में, यह मेरे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण है।'

'भले ही यह आपको शर्मिंदा करे?' मैंने संकेत किया।

'भले ही यह मुझे शर्मिंदा करे,' लूसी ने बिना किसी हिचकिचाहट के पुष्टि की।

तुम इस समय अर्ध नग्न हो और बहुत खूबसूरत हो, 'मैंने सांस ली। मेरा चेहरा वासना जनित उत्तेजना से लाल हो गया।' तुम मुझे लुभा रही हो' और वह चौंकी।


आगे क्या हुआ पढ़िए अगले भाग 17 में।

 
आपका आमिर खान l

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मजे - लूट लो जितने मिले

चौथा अध्याय

मेरी पहली चुदाई की कहानी

भाग 17


कल मैंने जेन को भी लगभग ऐसे ही अर्धनग्न और फिर नग्न होते हुए देखा था लेकिन लूसी का ये नज़ारा कुछ अलग ही था और इसका प्रभाव अत्यधिक उत्तेजक था। मेरी नज़र उसके पारदर्शी ब्लाउज के पार जाकर उसके चुचकों के देखा तो हाथो से महसूस किया वह उत्तेजना से कठोर हो गए थे उसका झीना ब्लाउज उसके रसदार खरबूजों को ठीक से पकड़ नहीं सका था। लूसी के दोनों कबूतर खुलने के लिए जैसे छटपटा रहे थे।

मैंने उसके ओंठो को किश किया और फिर थोड़ी गर्दन पर किस करते हुए और उसके कंधे को चूमा उसके वक्ष स्थल पर आ गया मैंने उसके क्लीवेज को भी चाटा। वह मेरे कोमल स्पर्श का आनंद ले रही थी और उसके रस भरे यौवन कलशो पर हाथ लेजा कर उन्हें सहला कर महसूस किया। उसके उरोज नरम पर सुदृढ़, गोल, उन्नत और आकर्षक थे।

मैं उसके बूब्स उस आखिरी परत के ऊपर से पूरी मस्ती से धीरे-धीरे सहलाया और फिर दबाया। उसके स्तन पिंजरे में बंद कबूतरों की तरह आज़ाद होने हो तड़प रहे थे। मैंने उनकी तड़प को समझा और हाथ उसकी कमर पर ले जाकर मैंने उसके टॉप की आखिरी डोरियों को खींच कर खोला और खींच कर उसके शरीर से हटा दी। वह मुझे रोकने की कोशिश नहीं कर रही थी बल्कि सहयोग कर रही थी अब मेरी संगनी ऊपर से निर्वस्त्र हो गयी थी। मैंने टॉप के पिंजरे से लूसी की गर्वित पहाड़ियों को बाहर निकाल लिया था। वे सीधे हवा में खड़े थे।

लूसी के स्तन मेरी कल्पना से भी अधिक उठे तथा सुन्दर है। उसके स्तन कोमल हैं। शीर्ष पर गुलाबी निपल्स ने उन्हें और अधिक सुंदर बना दिया।

मैं उसके स्तनों को घूरने लगा तो उसने अपने हाथों से अपने सीने को ढँक लिया। मैंने उसको सिर से पैर तक एक बार फिर अच्छी तरह से देख रहा था। वह एक वास्तव में बहुत सुंदर थी। फिर से मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर दबा दिए। वह मेरे होंठों को अपने अंदर लेने के लिए तैयार थी। हम फिर से एक दूसरे को चुंबन और एक दूसरे के होंठ चूस रहे थे। हम दुनिया के बाक़ी हिस्सों के बारे में भूल गए।

अब मेरे हाथ उसके स्तनों पर पहुँच गए और उन्हें पहले तो सहलाया फिर हाथ फिरा कर अनारो की गोलाईयों को सराहा फिर स्तनो के नीचे हाथ लेजाकर स्तनों को ऊपर उठाकर कर उनकी दृढ़ता को जांचा। फिर दबा कर उनको नरम और दृढ पाकर एक बार फिर प्यार से सहलाया। । फिर निप्पल पर हाथ फेरा तो उन्हें कठोर पा कर उन्हें मसला तो वह कराह दी। तो उन्हें सहला दिया। मैं अपने दोनों हाथों से उसके दोनों स्तन मसल रहा था और फिर चुम्बन तोड़ कर लूसी की आँखों में झाँका तो लूसी भी मुस्कुरा दी।

अब उसके दो शानदार बूब्स मेरी आँखों के सामने दो मस्त निप्पल थे। उसके निप्पल कम से कम 1 इंच लंबे और सख्त खड़े थे। उसके रसीले खरबूजे बहुत सुंदर और आकर्षक थे। मैं झुक और चूमा और उसके दोनों दूध के कटोरो को चूसा।

मैंने उसकी क्लीवेज के बीच के पसीने को चखा। मैंने अपनी लार को वासना की घाटियों के बीच गिरा दिया। मैं ध्यान से उसके पूरे स्तन को चाट और चूस रहा था लेकिन उसके निप्पलों को नहीं छुआ। वह अपने निप्पल मेरे मुँह में देने की कोशिश कर रही थी। मैं उसे और सताना चाहता था।

मैंने उसे अपनी बाहो में भींच लिया और उनसे भी कस के मुझे अपनी दोनों बाहों मे। लूसी को दोनों अनछुए गोल उरोज कस के मेरे सीने से दबे थे और मैं उन्हे और कस के भीच रहा था । बस लग रहा था हम दोनों की धड़कने मिल गयी है।

और उसकी खड़ी चोन्चे सीधे मेरे चौड़े मज़बूत सीने पर चुभ रही थी तो मुझे पहली बार आभास हुआ लूसी भी इस समय उत्तेजित थी और जब मैंने उसके नितंबों को पकड़ के कस के भींचा तो उसके फैली जाँघो के ठीक बीच... मेरा खूंटा उसकी टांगो के ठीक बीच में चला गया और वह बजाय छितकने के मेरे साथ चिपक गयी। मेरी हालत खराब थी।

वह बहुत खूबसूरत थी और यह बहुत कम आश्चर्य की बात थी कि वह जुनूनी थी, मेरे खड़े लंड की चुभन को उसने महसूस किया, लेकिन अभी मैंने ऐसा करने का इरादा नहीं किया था।

मैंने उसे एक हल्का-सा चुम्बन किया और अपनी पकड़ ढीली कर दी। और उसकी ड्रेस की आखिरी परत भी उसके किस करते हुए धीरे-धीरे उतार दी । पर आखिरी परत उतारते ही लूसी की भी आभास हो गया वह अब वस्त्रहीन हो गयी है तो वह मेरे से चिपक गयी।

मैंने उसे धीरे से अलग किसे तो वाह क्या नज़ारा था । शानदार और उत्तेजक

पेड़-सी लंबी, , 5-7 की। पतली पर इतनी पतली भी नही, गोरी। बड़ी-बड़ी आँखे, लंबे सुनहरे बालों, पतली लंबी गर्दन और 36D गोल उठे हुए और तने हुए गुलाबी चूचक जेन और डायना से ज़्यादा विकसित उरोज और पतली कमर और स्लिम बॉडी पर बूब काफ़ी उभरे लगते थे और वही हालत हिप्स की भी थी, भरे भरे। आज के लिए भारी मेकप हल्का-सा काजल, लाल लिपस्टिक और थोड़ा-सा रूज गालो पे, अद्भुत सौंदर्य और कामुक काया की मालकिन अब मेरी हो गयी थी।

उसके गोरे सुन्दर और गर्म बदन ने ही मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था और ऊपर से जब मैं उसको प्यार कर रहा था तब तो मई इ उसको घुमाया उसके सफ़ेद बदन उसके ऊपर उसके सुनहरे बाल और उसके बड़े गोल चूतड़ों उसे ग़ज़ब का सेक्सी बना रहे थे।

फिर जब उसकी पीठ को चूमते हुए तो उसके हिलते हुए चूतड़ों के बीच उसका सुरमई गुदा-द्वार और उसकी झांकती गुलाबी, चिकनी चूत जिसके दोनों होंट आपस में चिपके थे, मेरा लंड पूरा तन गया था और लगा अभी लावा उगल देगा।

इस बीच लूसी का ध्यान भी मेरी शारीरिक सुंदरता की और गया, मेरी बड़े-बड़े मज़बूत कंधों वाला कसरती जिस्म है मेरा रंग गोरा न ज़्यादा दुबला-पतला न ज़्यादा मोटा, हाइट 6 फुट, लंबे पैर वाली काया और काली और बड़ी-बड़ी गहरी-गहरी आँखें और सबसे महत्त्वपूर्ण मनमोहक चहरा जिस पर हर समय मुस्कान रहती है जो चुम्बकीय रूप से लड़कियों का ध्यान मुझ पर खींचती है ।

फिर मैंने उसे देखा, सोने के गहने में उसके पूरे शरीर को घेरे हुए थे। हालाँकि मैंने जानभूझ कर अभी तक कोई भी गहना नहीं उतारा था क्योंकि मैं उसे सिर्फ़ गहने पहना देखना चाहता था । उसने मेरी और ऊपर देखा और शर्म के मारे अपनी आँखे बंद कर ली, उसके गोल भरे और बड़े स्तनों को नुकीले नुस्खों को परिभाषित करने के लिए बेहतरीन सोने के गहनों के खिलाफ धक्का दे रहा थे और यही वह क्षण था जब मैं आखिरकार जो थोड़ा बहुत संयम मुझ में था वह भी हार गया। इस तरह की शक्ति के साथ मुझे कामवासना ने घेरा कि यह वास्तव में उसने मेरी सचेत सोच को मिटा दिया। वह वहाँ थी, जहाँ मैं उसे होना चाहता था और उस पल में, अब ख़ुद को रोक पाना असंभव था ।

मांग में टीका । बालो में चूरामणि, कानो में लटकी सुन्दर बालिया और नाक में बड़ी-सी सुन्दर नथ, पैरों की ऊँगलियों में बिछिया, पैरों में पायल, कमर में करधनी, हाथों की ऊँगलियों में अनेक अंगूठियाँ, हाथो के फूल, कलाई में चूड़ियाँ व कंगन, गले में हार और मटरमाला या चेन। मैं बस उसे देखता ही रह गया।

मैंने उसके हर जगह गाल, आंख, ठोड़ी और नाक चुंबन किया। उसका चेहरा मेरी लार से दमक रहा था। मैं फिर थोड़ा निचे को गया मैंने उसकी गर्दन और सीने के ऊपरी हिस्से जो क्षेत्र पर चुंबन किया।

मैंने कहा लूसी देखो इस मिले जुले उसको नग्न सिर्फ़ गहने पहन देख कर का मुझ पर क्या असर हुआ है देखना चाहोगी! इससे पहले वह कोई उत्तर देती मैंने धीरे से अंडरवियर नीचे उतार दियाl मेरा लंड पूरा 90 डिग्री पर तना हुआ था और फुदक कर सलामी दे रहा था। उसने शर्मा कर फिर अपनी आँखे बंद कर ली।

मैं विश्वास नहीं कर सकता था कि लूसी शर्माती हुई बहुत सुंदर लग रही थी। मैंने कहा प्रिय लूसी अपने प्रेमी को देखो तो उसने धीरे से आँखे खोली। यह पहली बार था जब उसने पुरुष के लिंग को इतने उत्कृष्ट कठोर और प्रकट और विक्रांत रूप में देखा था और उसकी पहली प्रतिक्रिया ईमानदार प्रशंसा थी। जिस तरह से उसकी आँखों अभी भी स्पार्कलिंग थे। मैंने लंड को सहलाया और ऊपरी त्वचा को पीछे किया तो गुलाबी लिंगमुण्ड उजागर हो गयाl मैंने और भी अधिक प्यार में लूसी के हाथ को पकड़ा और अपने लंड पर रख दियाl उसने धीरे से एक बार लंड को हाथ से सहलाया और लंड को छोड़ कर, फिर शर्म के मारे अपने हाथो से अपने चेहरे हो छुपा लिया।

मैंने उससे पुछा कैसा लगा तो वह शर्मा कर बोली आपका तो काफ़ी लम्बा और बड़ा है। मेरी तो दुर्गति कर देगा। मुझे बहुत डर लग रहा है तो जेन ने कहा लूसी घबराओ मत, ये ही तो इस प्यार के खेल का असली औजार हैi यही तुम्हे और आमिर को जन्नत की सैर करवाएगा, इसलिए, बिलकुल मत घबराओ एक बार इस के साथ मजे ले लोगों तो इसके बिना रह नहीं पाओगी, ये सुन कर लूसी धीरे से मुस्कुरा कर मेरे गले लग गयी।

मैंने उसके माथे को चूमा। उसे धीरे से उठाया और मैं उस को बिस्तर पर ले गया और उसे एक पागल आदमी की तरह चूमना शुरू कर दिया।

अब मैंने किश करते हुए और सहलाते हुए धीरे-धीरे उसके सारे गहने उतार दिए बस नथ रहनी दी तो उसने नथ पर हाथ लगा कर इशारा किया नथ तो रह गयी मैंने धीरे से कहा इसे बाद में उतारूंगा तो वह ईवा के शब्द याद करके की नथ उसके कुंवारेपन का प्रतिक है और उसे आज मैं उतारूंगा शर्मा गयी और मुझे उसकी ये डा बहुत प्यारी लगी और मैं उसे चूमने लगा

अब वह मेरे सामने बिलकुल नग्न थी सिर्फ़ नाथ पहने हुए. ऐसा रूप देख कर मेरा अब होने आप पर काबू नहीं रहा। फिर उसने मेरा सर पकड़ा और मेरे ओंठो से अपने ओंठ मिला दिया और हम 10-15.मिनट चुम्बन करते रहे मैंने चुम्बन को तोडा और गर्दन पर चूमते हुए धीरे-धीरे नीचे का रास्ता पकड़ने लगा। जब मैंने उसकी गर्दन पर चूमा तो उसके बदन ने थोड़ा झटका दिया और उसने मुझे कस कर अपने गले लगाया।

जब मैं उसे लिप किस कर रहा था तो वह मेरे बाल कस कर पकड़े हुए थी। मैंने फिर उसके शरीर की पूरी महिमा को सराहा। मैं समझा नहीं सकता कि वह कितनी सुंदर है, नाभि एक ऐसी कुंवारी गुफा की तरह थी जिसका पता लगाया जाना अभी बाक़ी था। उसके शरीर के सभी अंग सुडौल थे उसकी बलखाती कमर स्पॉट पेट और गोल चिकनी नितम्ब और मुझे उसकी गुलाबी चूत दिख रही थी।

मैं धीरे से उस के ऊपर चढ़ गया और उसके होंठो को चूमा तो उसने अपनी बाहो को मेरे चारो और लपेट लिया। हमारे चुंबन अब नरम नहीं थे बल्कि जो उत्तेजना और जोश आ गया था उसके अनुसार ही गर्म से गर्मतर होते जा रहे थे। फिर होंठ थोड़ा खुल गए और हमारी झीभे एक दूसरे के चारों ओर नाच रही थी और दुसरे की होंठ और मुंह में सब जगह घूम रही थी जैसे कुछ खोज रही हो।

मैंने उसके नंगे कंधे को चूम लिया। मैं धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी गर्दन पर चुंबन रोपण किये जिससे लूसी कराहने लगी।

इस तरह मैंने लूसी के नंगे कंधे को चूम लिया। मैं धीमी गति से चुंबन करते हुए उसकी गर्दन पर चुंबन रोपण किये जिससे लूसी कराहने लगी।

मेरे फिसल हाथ लूसी की कमर तक पहुँच गए. क्या चिकनी नर्म और नाज़ुक कमर थी। मेरे हाथ फिसल कर उसकी गांड पर पहुँच गए थे और उसकी गांड की दरार को मैंने महसूस किया।

"आअह्ह्ह ..." उसकी सिसकी निकल गयी।

मैंने फिर पूछा-क्या तुम तैयार हो?

उसने हाँ में सर हिलाऔर जबसे मैंने आपको देखा है, मेरे तन बदन में आग लगी हुई है।

मेरा भी हाल कुछ ऐसा ही था-मेरे सपनों की रानी ... मैं तो दीवाना हो गया हूँ।

मैंने हल्की-सी आवाज़ में 'आई लव यू लूसी' कहा और बोला-आपको मालूम नहीं है कि मेरी क्या हालत है। मेरा मन आपको देखते ही बेकाबू हो गया है तुम तो मेरे दिल की मल्लिका हो।

मैं आगे बोला-आपके गुलाबी नर्म गुलाब की पंखुरियों जैसे होठों का रस चूसना शुरू करे तो रूकने का नाम ही न ले। मैंने आज तक तुम जैसी सेक्सी लड़की नहीं देखी! आय लव यू जान! तुम बहुत अच्छी लग रही हो! आज मैं अपनी दुल्हन को प्यार करूंगा और तुम्हारी सील तोड़ दूँगा!

मेरी ऐसी बातों से लूसी पागल हो गयी, उसकी गर्म बांहों में मेरा शरीर जल रहा था। मैंने लूसी को अपनी तरफ़ किया और अपने होंठ लूसी के होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा। मैं बहुत जोश में था और लूसी के होंठों पर ही टूट पड़ा।

लूसी के सफ़ेद बड़े-बड़े खरबूजे देख कर मेरी तो ज़ुबान रुक गई। मैं लूसी की आधी नंगी चूची को देख कर मस्त होने लगा, मेरा लंड टाइट हो गया।

मैं लूसी की जांघों और नंगी चूची को टच करने की कोशिश करने लगा। लूसी को भी एक्साइटमेंट होने लगा, लूसी भी मेरे सामने ढीली पड़ने लगी, मैं उसे हग करके लूसी की गांड को सहलाने लगा। और मैंने बारी-बारी दोनों चूची को दबा दिया।

फिर मैंने बिना कुछ कहे उठा कर लूसी को अपनी गोद में घसीटा और लूसी के लिपस्टिक से रंगे होंठ बिना लिपस्टिक के कर दिए। लूसी भी मेरे इस चुंबन से पागल-सी हो गई और अपने हाथ मेरी गर्दन पर फिराने लगी। वह मुझे पागलों की तरह किस करने लगी और मैं भी उसका पूरा-पूरा साथ देने लगा था। मैं उसके बड़े-बड़े सफ़ेद मम्में देख कर पागल हो रहा था जो उत्तेजना से लाल हो रहे थे। उसके चूचुक गुलाबी रंग के थे।

ने एक हाथ से उसके दूध पकड़ कर ज़ोर से दबा दिए और वह सिसकिया लेने लगी अहहह अम्म्म ऊऊऊ मम्मम और वह कहने लगी की और ज़ोर से दबावों। हम दोने की ही पता भी नहीं चला था कि मैंने कब लूसी को नंगी कर दिया। सिर्फ़ नथ रहने दी... नथ मुझे चोदने के लिए उकसाने लगती है ... सिर्फ़ बड़ी नथ में लूसी बहुत सेक्सी लग रही थी

मैंने लूसी पर ध्यान दिया तो पता चला कि वह मेरे ऊपर नंगी बैठी है ... उसने अपने हाथ मेरे सीने पर टिका रखे हैं।

लूसी पूरी नंगी ... गोद में किसी बच्चे की तरह बैठी हुई थी। लूसी का बदन बेहद मुलायम चिकना नर्म और कमसिन था।

मैंने धीरे-धीरे लूसी को पीछे खिसकाया और बिस्तर पर गिरा दिया और ख़ुद लूसी के ऊपर आ गया। मेरे शरीर का पूरा भार लूसी पर था। लूसी ने मेरी लोहे जैसी बाजुओं को पकड़ा और मुझे अपने पर से हटाना चाहा पर नाकामयाब रही। बल्कि जितना वह मुझे हटाती थी, मैं उतना ही लूसी पर लदे जा रहा था।

अंत में उसने हार मान ली और अपने आपको मुझे सौंप दिया।

मैं लूसी के होंठों को चबा रहा था और लूसी के निप्पल को अपने मज़बूत हाथों से नौच रहा था, लूसी ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ भर रही थी जिससे मुझे और जोश आ रहा था।

कुछ देर हम यूँ ही करते रहे!

थोड़ी देर बाद मैं लूसी पर से हट गया तो लूसी ने राहत की सांस ली। फिर मैंने चाकलेट्स उठाई!

लूसी बहुत खुश हो गयी क्योंकि उसे चाकलेट्स बहुत पसंद थी।

मैंने एक चाकलेट का पैकेट फाड़ा, चाकलेट को अपने मुँह में रखा और अपने मुंह को लूसी के मुंह के पास लाया! चाकलेट देख लूसी के मुंह में पानी आ गया और लूसी आगे बढ़ कर मेरे मुंह से चाकलेट खाने लगी। अब मैंने मुंह से सारी चाकलेट अपने और लूसी के मुंह पर लगा दी, मैं लूसी के मुंह पर लगी चाकलेट खाने लगा, लूसी भी मेरे मुंह पर लगी चाकलेट चाटने लगी।

हमने चाट-चाट कर एक दूसरे का मुंह साफ़ किया।

पहले तो मैंने लूसी के गले पर बेतहाशा किस किया और काट कर निशान-सा बना दिया। फिर उसके कंधों पर किस किया और चूस-चूस कर दांत लगा दिए.

वह कराह उठी-आआह्ह ... धीरे करो ... प्लीज काटो मत! निशान पड़ जाएंगे!

पर मैं कहाँ रुकने वाला था ... मैंने दोनों कन्धों पर काट लिया और वहाँ लव बाईट के निशान पड़ गए.

फिर मैं उसके गालों पर टूट पड़ा। उसके गाल बहुत नर्म मुलायम और स्वाद में मीठे थे। वहाँ भी मैंने दांतों से काटा तो वह कराहने लगी-आअह्ह उई ऊह्ह्ह मह्ह मर गयी ... मार डाला ... अअअ प्लीज प्यार से करो ... काटो मत ... दर्द होता है!

और उसकी कराहट से मेरे जोश और बढ़ जाता।

मैं पूरा सेक्स में डूब चुका था, मैं अपने हाथ उसके पीछे ले गया और उसकी मुलायम नर्म पीठ को कस कर पकड़ लिया। कुछ देर बाद मैंने उसे थोड़ा ऊपर किया और लूसी की चुची पर जानवरों की तरह टूट पड़ा। उसके निप्पल जिनको आज तक किसी ने नहीं काटा था, अब मैं उसके दायें निप्पल को चूस रहा था और काट रहा था। फिर मैंने बायें निप्पल को चूसा और काटा और पहली को हाथ से दबोच रहा था। वह बहुत फूल चुकी थी।

मैं बोला-तू बहुत मीठी है, मैं तुझे खा जाऊँगा।

लूसी बोली-अगर खा जाओगे तो कल किसे प्यार करोगे?

लूसी ने मेरा सर पकड़ कर मुझे हटाना चाहा लेकिन मैं टस से मस नहीं हुआ और दोनों चूची को एक साथ चूसने और काटने लगा।

लूसी बहुत चीख रही थी-आआह ... ओमम्म्म ममम ... चाटो ना ज़ोर से, सस्स्सस्स हहा!

और मचलने लगी और अपनी गांड को इधर उधर घुमाने लगी।

अब वह ख़ूब सिसकारियाँ भरने लग गई थी, वह 'अहाह ... आहहह ... आहहह ...' कर रही थी। उसके ऐसा करने से मेरे लंड में भी और ज़्यादा सनसनी होने लगी थी। लूसी की आवाज़ गूँज रही थी लेकिन लूसी की मदद को आने वाला वहाँ कोई नहीं था।

मैंने उसे बिस्तर पर चित्त लिटा दिया। मैंने धीरे से उसकी गर्दन को चूसा जिससे लूसी फिर से कराहने लगी। अपने होठों को अलग करते हुए, मैंने उसे उस प्यार से एक छोटे से निशान से लेकर उसके कान के निचले हिस्से तक चूमते हुए उसकी कामुक गर्दन को अपनी जीभ की नोक से गीला कर दिया। उसने धीरे से उसके कानों को चूसा, उस पर अपने होठों से किस किया। फिर अपनी जीभ उसके पूरे कान के बाहरी हिस्से पर घुमाई, फिर जीभ की नोक उसके कान के अंदर गुसाई तो वह फिर इसससस करती हुई कराह उठी और फिर धीरे से उसके कान के नीचे की लटकन को चूसने लग गया।

मैं जो कुछ कर रहा था, उसकी कामुकता पर लूसी हैरान थी। उसका मन नियंत्रण से बाहर हो रहा था और उसका शरीर पहले से ही ख़ुशी की लहर पर सवार था, जिसकी तीव्रता धीमी होने का कोई संकेत नहीं दिखा रहा था। मेरे होठ उसके कान से उसके माथे पर चले गए और फिर मैंने उसकी आँखों में से प्रत्येक पर एक कामुक नरम चुम्बन किया। उसके गाल उसके नाक और फिर उसकी ठोड़ी। लूसी की आँखे बंद थी। जैसे मैं उसे किस कर रहा था उससे उसने अनुमान लगाया के अब मैं उसे ओंठो को किस करूंगा।

बेसब्री से मेरे होठों का अपने होठों का अनुमान लगाते हुए, लूसी ने अपना सिर ऊपर कर लिया ताकि हमारे ओंठ मिल जाए लेकिन मैंने उसके ओंठो पर अपनी कुछ गर्म साँसे छोड़ी जिससे उसे मालूम हो गया मेरे ओंठ उसके ओंठो के ऊपर ही मंडरा रहे हैं, इतना पास के उसे मेरे ओंठो का अनुमान लगता रहे पर किस न हो। हमारी साँसे तेज चल रही थी मेरी गर्म सांसे वह मह्सूस कर रही थी और मैं उसकी गर्म साँसे महसूस कर रहा था।

उसने अपने होंठ अलग किए और मुँह खोला और फिर से अपना सर उठा कर मुझे चुंबन करने की कोशिश की, लेकिन मैंने अपना सर उतना ही पीछा कर लिया जितना उसने उठाया था ताकि ओंठो का चुम्बन उसकी पहुँच से बाहर रहे। वह व्यग्र हो उठी और आँखे बंद रखते हुए बोली"मेरे ओंठो पर चुम्बन कीजिये प्लीज, मेरे ओंठो को क्यों तरसा रहे हो आप, प्लीज, मुझे अपने ओंठ दीजियेl" लूसी ने गुहार लगायी और उसने अपने ओंठ खोलते हुए जीभ को लहराते हुए अपना सर और ज़्यादा ऊपर उठा दिया। वह तड़प उठी थी।

मैं उसकी तड़प को और नहीं देख सका और अपने खुले मुंह को उस के मुँह पर लगाया। अब इस के बाद व्यग्रता के कारण लूसी ने ऐसा तीव्र चुंबन किया जिसकी तीव्रता बहुत अधिक थी। यह किस काफ़ी लम्बा चला ये क्षण सिर्फ़ मेरा और लूसी का था, इस क्षण और कुछ महत्त्व नहीं रखता था, कुछ नहीं और कुछ भी अस्तित्व में नहीं रहा। वह मेरी थी और मैं उसका था। शरीर, मन और आत्मा दोनों एक हो गए।

प्रेम और वासना के साथ दोनों पता नहीं कितनी देर तक एक दुसरे को अपने हाथ और पैर, शरीर के चारों ओर लपेटकर चूमा। कभी मैं ऊपर कभी वह ऊपर बस पागलो की तरह चूमते रहे। लूसी ने अपनी उंगलियों को मेरी नंगी पीठ के ऊपर और नीचे दौड़ाया, धीरे से उसने अपने नाखूनों को नेरी पीठ की त्वचा पर रगड़ दिया। मेरी उंगलियों ने उसकी रेशमी त्वचा को महसूस किया मेरा स्पर्श उसकी निर्दोष चिकनी रेशमी त्वचा जो काफ़ी गर्म थी उसे महसूस कर रहा था।

मैंने हाथ नीचे खिसकाया और धीरे से उसकी गांड को सहलाया। जैसे-जैसे हमारे होंठ और जीभ अपने हमले जारी रखते थे, मेरे हाथ उसकी चिकनी पीठ और उनके कामुक नितम्बो के गालो को ऊपर-नीचे हो रहे थे। मैंने धीरे से अपने हाथों से उसकी गांड को दबाया तो लूसी ने मुझे और भी अधिक आक्रामक तरीके से चुंबन करते हुए जवाब दिया। मैंने उसकी गांड की दरार में अपनी उंगलियाँ फँसा दी और उसकी चूत तक पहुँच धीरे से अपनी उंगली उसके ऊपर चलाई। अपनी उंगली पर गीलेपन का आनंद लेते हुए, उसने उसकी चूत को रगड़ा और अपनी उंगली से उसकी चूत के दाने को दबाया। मैं उसकी चूत पर हाथ फेरने लगा उसे जैसे करंट-सा लगा और उसने मुझे कस कर पकड़ लिया और मुझसे लिपट गयी, उसका गोरा बदन सुर्ख लाल हो गया थाl

"ऊह यस।" लूसी कराही और उसने चुंबन तोड़ दिया। उसने वासना भरी आँखों से मुझे देखा और उसे फिर मुझे उतनी ही उत्तेजना से दुबारा चूमा, मैंने अपने जीभ उसके मुँह में सरका दी तो वह मेरी जीभ चूसने लगी। मेरा हथियार अपने पूरे जोश पर था वह भी उसके बदन पर अपने चुम्मे दे रहा था म्यान प्रवेश के लिए मचल रहा था। वह अभी भी अपने हाथों को मेरी पीठ और नितंब पर चला रही थीl

वो हैरान-परेशान ये सब देख रही थी कि मैं अपना हाथ नीचे ले गया और चूत और गांड पर पूरा हाथ फेरा। बिल्कुल मक्खन जैसी चूत और गांड देख कर मैंने कहा-ओह, वाह ... मज़ा आ गया जेन मेरी जान मुझे तुझसे यही उम्मीद थीl ऐसा लगता है जैसे लूसी के बाल आते ही ना हों। तुमने इसके बाल इतने बढ़िया साफ़ करे हैंl यह कहकर मैंने अपने होंठ, लूसी के लबों पर रख दिये और चूसने लगा।

इस बार यह किस कुछ और ही था ... ज़बरदस्त। मैं मुँह में मुंह डाल कर वह किस नहीं कर रहा था बल्कि लूसी को घूंटें भर के पी रहा था।

मैंने अपना हाथ बूर पर रख दिया, लूसी ओह्ह्ह्हह आमीररर कहकर चिहुँक उठी, उसका पूरा बदन थरथरा और गनगना उठा, मेरे को हाथ लगाते ही ये महसूस हुआ कि उसकी बूर तो पहले से ही भट्ठी की तरह जल रही है, मैं मदहोश हो गया इतनी नरम और गरम बूर को छूकर, बूर तो फूलकर अपने सामान्य आकार से काफ़ी ज़्यादा बड़ी हो चुकी थी पर उसका प्यारा-सा नरम-नरम संकरी छेद वैसे ही कसा हुआ था, बूर की फांकें संभोग की आग में गरम होकर जल रही थी। मैं लूसी की

बूर को हथेली में भरकर मीजने लगा, फांकों पर तर्जनी उंगली से दबाने लगा, पूरी बूर का मानो मुआयना कर रहा हो, कभी अपनी बीच वाली उंगली को बूर की दरार में डुबोता तो कभी फांकों को सहलाता।

लूसी का बदन अब थरथराने लगा, उत्तेजना चरम सीमा तक इतनी जल्दी चढ़ जाएगी ये लूसी को विश्वास नहीं था, उसकी बूर नदी की तरह बहकर कामरस छोड़ने लगी।

लूसी हाय-हाय करने लगी, उसको असीम आनद की अनुभूति होने लगी, काफ़ी देर मैं लूसी की बूर को छेड़ता, सहलाता और भींचता रहा, कभी वह दाने को दो उंगलियों से पकड़कर सहलाता, कभी अपनी तर्जनी उंगली दाने पर गोल-गोल घुमाता और फिर कभी उँगलियों से बूर के मदमस्त नरम-नरम छोटे से छेद को छेड़ता। जैसे ही मैं लूसी की बूर के भागनाशे को छेड़ता लूसी बुरी तरह थरथरा जाती, उसका पूरा बदन ऐंठ जाता और उसके मुंह से आहह, ह्ह्ह्हआआईइइइ, उफ़, धीरे-धीरे सिसकारियों के साथ निकलने लगता। लूसी को इतना मज़ा अभी तक कभी नहीं आया था वह तो जैसे जन्नत में पहुँच गयी थी।

नीचे से मैंने अपनी एक उंगली जब लूसी की भीगी चूत में डाली तो वह बेचारी हिल गयी। वह अगले ही पल मैं कबूतर की तरह फड़फड़ाने लगी और मुझ से चिपट गयी। यह देखकर मैंने अपनी उंगली का अगला हिस्सा चूत में घुसा दिया। होंठ अभी होंठों में थे और मैं उसी तरह उसे पी रहा था।

इन 5-7 मिनटों में ही काम के समुन्दर की जिन गहराइयों में वह मुझे ले गयी, मैं वहाँ तक पहले कभी नहीं गया था और लूसी तो अनछुयी हुई थी ही। इसलिए उसके मुंह से एक तेज़ 'ऊंह...' निकली क्योंकि मैंने अपने होठों के शिकंजे से उसके लबों को भींचा हुआ था।

अब इसी तरह वह मेरी मज़बूत बांहों में लेटी रही क्योंकिउसे अब अहसास हो गया था कि प्रतिरोध एकदम व्यर्थ है। उसने अपना जिस्म ढीला छोड़ दिया और उसमें गुम होने लगी। ऐसा लग रहा था जैसे कोई सपना हो।

मैं अपनी आधी उंगली चूत में आगे पीछे कर रहा था। एक बार फिर दर्द एक असीम आनंद में बदल गया था। कुछ पलों बाद वह बड़ी तेज़ी से झड़ने की कगार पर पहुँची ही थी कि मैंने अचानक उंगली एकदम बाहर निकाल ली। ऊँगली बाहर निकालते ही उसने होंठों को भी आज़ाद कर दिया।

लूसी के काम रस से मेरी पूरी उंगली काफ़ी पहले ही भीग चुकी थी, अब वह लंड खाकर उसकी जबरदस्त चुदाई से झड़ना चाहती थी। मैंने उंगलियों को अपनी नाक के पास लाके सूंघा और कामरस को चाटने लगा

लूसी ने अपना हाथ वहाँ से हटा लिया और पीठ के बल लेट गयी, उसने महसूस किया कि मैं बड़े चाव से कामांध होकर उसकी बूर का रस चाट रहा हूँ, मैंने तर्जनी उंगली डालकर मक्ख़न निकाला, जैसे ही मैंने तर्जनी उंगली को बूर की दरार में डुबोया, लूसी के मुंह से फिर से एक बड़ी आआह्ह्ह्ह निकल गयी।

महक में सना बूर का मक्ख़न मैं मदहोश होकर चाट गया, फिर लूसी की ही बूर का मक्ख़न अपनी उंगली में लगा के उसके होंठो तक ले गया, लूसी उसकी महक से फिर मदहोश हो गयी और लब खोल दिये, मैंने उंगली उसके मुँह में डाल दी और वह चाटने लगी जैसे बरसों की प्यासी हो, मैं कभी उसके होंठों पर अपनी उंगली से वह रस लिपिस्टिक की तरह लगाता और लूसी जीभ होंठों पर फिरा-फिरा के चाटती तो कभी अपनी पूरी उंगली उसके मुँह में घुसेड़ देता और लूसी लॉलीपॉप की तरह चूसती, ऐसे ही मैंने तीन बार बूर का रस छाता और लूसी को चटाया।

हैरान-परेशान लूसी ने उस समय इतनी हिम्मत भी नहीं थी कि एक लफ्ज़ भी मुँह से निकाल सके।

कहानी जारी रहेगी
 

आगे क्या हुआ पढ़िए अगले भाग 18 में।

 
आपका आमिर खान l

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#47
मजे - लूट लो जितने मिले

चौथा अध्याय

मेरी पहली चुदाई की कहानी

भाग 18


अब जेन धीरे से बोली आमिर लूसी को स्तनों को हाथों से दबाओ। मैंने लूसी को स्तनों को पहले आराम से दबाया ... फिर थोड़ी देर बाद ज़ोर से दबाया ... कभी लेफ्ट कभी राइट वाला... ' फिर निप्पल को थोड़ा खींचा और थोड़ा सहलाया। फिर अपनी ज़बान को लूसी के निप्पल पर घुमाया ... फिर मुँह में लेकर चूसा। जितना अन्दर तक हो सके.। उतना मुँह में लिया और दूसरे स्तन को हाथों से दबाता रहा

लूसी के स्तन रुई की तरह की तरह नरम थे। लूसी के स्तनों से साथ खेलने में मज़ा आ रहा था।

वो बीच-बीच में चिल्ला रही थीं कि और ज़ोर से और ज़ोर से दबाओ.।

मेरे दूध चूसने से जल्द ही लूसी मदहोश होने लगीं... वे थोड़ी देर बाद अकड़ गईं। "

ओह, आमिर, "लूसी ने साँस ली, ," ओह, आमिर, तुमने मेरे साथ ऐसा क्या किया है जिसने मुझे इतना प्रभावित किया है? ओह, मैं सिर्फ़ तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ; तुम सबसे योग्य और सबसे प्यारे आदमी हो दुनिया! ओह, तुमने अभी मेरे लिए जो कुछ किया, वह मेरे जीवन में सबसे अधिक ख़ुशी के पल थे ओह, यह प्यारा था! अधिक, आमिर, कृपया? " और वह उसने मुझे चूमाl

तो जेन बोली आमिर अब जल्दी चुदाई शुरू करो l

जेन-आमिर अब तुम लूसी नाभि के साथ खेलो l

मैं लूसी की नाभि में अपनी उंगली डाल उसे किस करने लगा ... उसमें अपनी जीभ डाली । और फिर अपनी जीभ को नाभि में आगे-पीछे किया?


मैं अपनी उंगली लूसी की नाभि में डाल कर खेलने लगा। फिर उस पर हल्के से चाटने लगा... जैसे कुल्हड़ की कुल्फी चाट रहा होऊँ... मैं अपनी जीभ को नाभि में डाल कर आगे-पीछे करने लगा।

लूसी को भी इसमें मज़ा आ रहा था।

उधर मुझे डायना की आहे सुनाई दे रही थी क्योंकि यही काम जेन डायना के साथ कर रही थी और फिर डायना ने भी जेन को चूमना और चाटना शुरू कर दिया l

जेन बोली-आह्ह... डायना थोड़ा रुको । आमिर, लूसी और डायना अब तुम्हें असली काम सिखाने जा रही हूँ। उसे ध्यान से सुनो... आमिर तुम अपनी उंगली से लूसी की चूत के साथ खेलो... वैसे ही जैसे निप्पल के साथ किया था। फिर उसके दाने के साथ खेलो और मेरा हाथ लूसी के दाने पर रख दिया l

' तुम अपनी उंगली को धीरे-धीरे लूसी चूत में अन्दर तक डाल देना जैसी तुमने थोड़ी देर पहले किया था। और हाँ... लूसी कुंवारी है इसलिए सिर्फ़ एक उंगली ही डालना। नहीं तो उसे ज़्यादा दर्द होगा l

फिर मैंने उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगाया और उंगली से ज़ोर जोर से चोदने लगा। पांच मिनट तक तो ऐसे ही उंगली से चोदता रहा। फिर जब चूत ढीली हो गई, वह भी अब बहुत गर्म हो गई थी और बार-बार बोल रही थी-अब डाल दो... रहा नहीं जाता।

मैंने धीरे-धीरे डाल कर आगे-पीछे किया। तब तक करता रहा जब तक मेरी उंगली गीली नहीं हो गयी । उधर जेन धीरे-धीरे लूसी के स्तन सहला रही थी और दुसरे हाथ से मेरे लैंड को भी सहला रही थी और डायना लूसी को किश कर रही थी l

इसके बाद तुम मैंने लूसी की चूत पर हल्के-हल्के चुम्मी करना शुरू दिया और उसके दाने को होंठों से पकड़ कर खेला, फिर अपनी जीभ से मेरी चूत को साफ़ कर दिया और जिस तरह नाभि में जीभ डाल कर आगे-पीछे किया... बिल्कुल उसी तरह चूत में डाल कर किया ... और पानी निकलने के पास आकर रुक गया, इससे लूसी मुझसे चुदाई की भीख मांगने लगी और बोली आमिर प्लीज फ़क में ।

... जेन बोली आमिर अब ये त्यार है तुम अब लूसी की चुदाई कर दो।

अब मैं एक उग्र अवस्था में था-कुछ राहत पाना मेरे लिए नितांत आवश्यक था। मैंने जेन को पकड़ लिया और फुसफुसाया, 'क्या लूसी त्यार है या अभी थोड़ा टाइम लगेगा?'

'अब समय आ गया है कि बेहतर है कि अब कोई इंतज़ार न किया जाए,' उसने कहा।

मैं जेन पर मुस्कुराया और उसे और भी अधिक उग्रता से चूमा। 'तुम बहुत अच्छी हो,' मैंने हुंकार भरी।

'अब,' मैंने कहा ' मैं बहुत उत्तेजित हूँ और मैं भी अब और इंतज़ार नहीं कर सकता " और अब मैं लूसी को उसके कौमार्य से वंचित करने का उत्तम आनंद लेने वाला था।

'अब मुझे लगता है कि आप लूसी को चोदना चाहेंगे!' जेन ने उत्सुकता से कहा। मैंने सिर हिलाया। 'फिर मैं उसके लिए सब कुछ तैयार कर देती हूँ,' उसने कहा कि एक मुस्कान के साथ उसने तौलियेा उठाया और बिस्तर की चदर पर दाग न पड़े इसलिए बिछाने लगी मैंने कहा लेकिन मैं एक संस्मरण के रूप में बिस्तर की चादर को रखना चाहूंगा।

डायना ने लूसी को अपनी बाहो में ले कर सहलाती रही और उसे पीठ पर बिस्तर पर लेटा दिया था-जेन ने एक अंगूठे और तर्जनी के साथ चला बना कर उसने मेरी लंड की उत्तेजना बढ़ा दी और दूसरे हाथ डायना ने मेरी गेंदों पर धीरे से कब्जा कर लिया था।

जेन बोली लूसी अपनी टाँगे खोले और आमिर तुम अब अपना लंड चूत के पास ले आओ फिर जेन ने मेरा लण्ड पकड़ कर पहले लूसी की मेरी चूत पर रगड़ा ... फिर लंड ज़े दाने को दबाया तो लूसी की कराह निकल गयी फिर लण्ड के लाल भाग को लूसी की चूत के ऊपर रख कर मुझे आगे धक्का मारने का इशारा किया पर लंड अंदर नहीं गया क्योंकि हम दोनों इस खेल में उस समय अनाड़ी थे और लूसी की चूत बहुत टाइट थी l

मैंने एक बार फिर कोशिश की लेकिन कोई ज़्यादा फायदा नहीं हुआ l

तो जेन ने इस बार अपनी उंगलिया इस्तेमाल करते हुए चूत की फांको को अलग किया तो लूसी की एक आह निकली और लंड को पकड़ कर लण्ड का जो लाल भाग योनि द्वार पर लगा कर उसे अंदर डालने का इशारा किया और उषा डायना ने मेरे नितम्बो पर हल्का-सा दबाब दिया तो जेन बोली बस थोड़ा-सा बर्दाश्त कर लो पहली बार थोड़ा दर्द होगा, लूसी!

तभी मैंने लूसी की कमर पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा। वह उछल पड़ी। तब तक मगर मेरे लण्ड का टोपा चूत में फंस चुका था। मैंने और एक जोरदार धक्का मारा। पूरा कमरा लूसी की चीख से भर गया हाय माँ री ... मर गयी मैं ... जेन बचा ले मुझे!

और मैंने लूसी की चुची को दबाना चालू कर दिया।

फिर जेन ने मुझे रुकने का इशारा किया और देखा की लंड का लाल सूपड़ा अंदर चला गया तो वह लूसी के स्तनों को सहलाने लगी जिससे लूसी थोड़ा शांत हुई ... मुझे भी लंड के सुपाड़ी पर लूसी की टाइट चूत का कसाव मह्सूस हो रहा था मेरा मन हुआ लूसी को चूमने का तो मैं आगे झुक कर उसके ओंठ चूमने लगा, फिर जेन से कुछ देर बाद दुबारा मेरा लंड पकड़ा और मेरे नितम्बो पर थाप दी जो फिर झटका मारने का इशारा था मैंने दूसरा झटका दिया और अपना दो इंच लंड चूत में घुसेड़ दिया। इस बार लूसी पहले से ज़्यादा तेज़ चिल्लाई, लूसी के आंसू निकल आये थे l मैंने फिर एक और ज़ोर से धक्का मारा। इस बार करीब 3 इंच लंड अन्दर घुस गया था। जैसे ही लंड घुसा ... वह बहुत ज़ोर से चिल्लाने लगी-आह ... फट गई ... आहह आआअहह ... प्लीज़ इसे बाहर निकालो ... मैं मर जाऊँगी ... उफ़फ्फ़ आहह आआहह!

उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे लेकिन मैं नहीं रुका। मुझे लगा मेरा लंड उसकी झिल्ली के टकराया था और मैंने अवरोध महसूस किया। मैंने हल्का ज़ोर लगाया लेकिन लंड अंदर नहीं जा रहा था।

लूसी चीखने चिल्लाने लगी-हाअ ... निकालो ... मर गयी मैं!

लेकिन मैं लूसी के अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित था। वह मेरे लिंग को अपनी योनि के दीवारों पर महसूस कर रही थी। मैं अपने लंड को उसकी योनि में भिंचा हुआ महसूस कर रहा था।

अब लूसी पहले से भी ज़ोर से चिल्लाई पर आवाज़ मेरे गले में गयी क्योंकि मेरा मुँह उसके मुँह पर था ओंठ पर ओंठ थे और चीख दब गयी ... पर लूसी ने अपनी टाँगे थोड़ी भींच ली तो जेन ने फिर देखा और बोली शाबाश लूसी और आमिर ... लूसी अब अपनी योनि और टांगो को-को थोड़ा ढीला करो और मन में आमिर के लंड का अपने अंदर स्वागत करो और कुछ देर मैं लूसी को चूमता रहा और उसके स्तनों से खेलता रहा

मैं बिस्तर लुसी के ऊपर लेट कर और फुसफुसाया 'मुझे हम्मरे कौमर्य का आखरी चुंबन करने दो प्रिय लूसी!' ये सुन कर लूसी ने मुझे किस की और उसके साथ ही जेन और डायना ने भी किश की ... ये मेरी और लूसी की आखरी कुंवारी किस थी

फिर जेन ने फिर मेरे नितम्बो पर थाप दे कर इशारा किया तो मैंने हल्का-सा लंड पीछे खींचा और एक जोरदार झटका मारा जिससे मेरा लंड इस बार झिली को चीरता हुआ आधे से ज़्यादा लण्ड लूसी की चूत में चला गया ...लूसी की चीख निकल पड़ी, आमिर आईईईईईईईई दर्द उउउउइईईईईई हो रहा है अब दर्द से दोहरी लूसी ओह्ह्ह्हह अह्ह्ह्ह ओह जेन कहकर चीखने लगी और छटपटाने लगी थी। मैंने फिर उसे किस करना शुरू करना और साथ में हाथों से उसके स्तन भी दबाने लगा बोली बहुत दर्द हो रहा है मुझे भी अपनी लंड पर गर्म-गर्म कुछ महसूस हुआ ।

अब वह ज़ोर से चिल्लाने लगी थी और चीखने लगी थी, मुझे नहीं चुदना मुझे मार डाला फि मैं उसे चूमने लगा और जेन और डायना उसे सहलाने लगी और जेन बोली मेरी जान थोड़ा-सा दर्द तो होगा तुम्हे पता ही था अब ऐसे क्यों कर रही हो तो लूसी सुबकते हुए बोली थोड़ा तो मैं सह लेती पर ये तो बहुत ज़्यादा है मुझे लगता है मेरी फट गयी है अपनी मुझ पर रहम करो, आमिर ने ये लोहे की रोड घुसा दी है मेरे अंदर जहाँ आज से पहले कभी मैंने ऊँगली भी नहीं डाली थी,

मैंने उसके गर्दन और कानो पर किस करते हुए उसके होंठ चूसने चालू कर दिए और उषर जेन उसका एक स्तन सहला रही थी तो डायना उसका दूसरा स्तन चूसने और चूमने लग गयी और जेन लूसी के माथे को सहलाने लगी और मैं अपने हाथो से उसके स्तन दबाने लगा

जब वह थोड़ी नॉर्मल हो गयी ... तो मैंने एक झटका और मारा और पूरा अन्दर डाल दिया इस बार उसे थोड़ा-सा ही दर्द हुआ ... मैंने उसके दूध को दबाना चालू रखा ...लूसी की आँखों से पानी आ गया और बोली प्लीज निकाल लो आमिर बहुत दर्द हो रहा है। तो जेन ने नेरी और देखा और मुझे इशारा किया के निकालना मत और दूध को दबाते रहना।

और अपना लंड 2 इंच बाहर निकालकर फिर से एक ज़ोर का शॉट मारा तो मेरा लंड उसकी चूत को चीरता हुआ चूत की जड़ में समा गया। वह फिर चीखी, फिर 10 मिनट के बाद जब उसकी चीखे कम हुई और सिसकारी में बदलने लगी तो मैंने अपना लंड आधा बाहर कर लिया और अंदर बाहर करने लगा l

लूसी ने अपने होंठ दातों में दबाकर रखे हुए थे।

मैंने लूसी को किस करना चालू किया... साथ ही दूध भी दबाना चालू किए।

लूसी के नॉर्मल होते ही एक करारा झटका और मारा कि मेरा पूरा लण्ड चूत में चला गया।

लूसी मुझे बाहर निकालने को कह रही थीं... पर मैं उनके दूध को चूसने लगा।

करीब 5 मिनट के बाद लूसी नॉर्मल हो गईं।

फिर मैंने धक्का लगाना शुरू किए।

लूसी-और ज़ोर से । और ज़ोर से... फाड़ दे मेरी चूत... आहईई... ऊम्मम्म... ऊऊऊआ आआहह...

लूसी भी कमर उठा-उठा कर चुदा रही थीं 'आहअम्म म्मम्म... ऊऊऊऊह...'

कुछ देर बाद मैंने भी अपना पानी लूसी की चूत में छोड़ दिया।

मेरी पहली चुदाई 20-25 मिनट तक चलीl

लेकिन मैं लूसी के अन्दर उस गहरायी में हो रहे उस अनुभव को लेकर बहुत आश्चर्यकित था। वह मेरे लिंग को अपनी योनि के दीवारों पर महसूस कर रही थी। मैं अपने लंड को उसकी योनि में भिंचा हुआ महसूस कर रहा था।

एक बार फिर मैं थोड़ा-सा पीछे हटा और फिर अन्दर की ओर दबाव दिया। मैंने लंड थोड़ा-सा पीछे किया, उठा और फिर से धक्का दिया, ज़्यादा गहरायी तक नहीं पर लगभग आधा अंदर चला गया था। मुझे महसूस हुआ कि मेरे लिंग को लूसी ने अपनी योनि रस ने भिगो दिया था जिसकी वज़ह से लिंग आसानी से अन्दर और बाहर हो पा रहा था।

और अगली बार के धक्के में मैंने थोड़ा दबाव बढ़ा दिया। मेरी साँसें जल्दी-जल्दी आ रही थीं। लूसी ने अपनी टांगें मेरे चूतड़ों से और बांहें मेरे कंधे पर लपेट दी थीं और अपने नितम्बों को ऊपर की ओर उठा दिया। अन्दर अवरोध महसूस होने लगा था। मेरा लंड झिल्ली तक पहुँच चुका था मेरा लण्ड हायमन से टकरा रहा था और जब उसने उसे भेदकर आगे बढ़ना चाहा तो लूसी चिल्लाने लगी-दर्द हो रहा है ... मैं मर जाऊँगी।

मैंने पूरी ताकत के एक धक्का लगा दिया। लूसी की टांगों ने भी मेरे चूतड़ों की नीचे की और कस लिया।

"अम्माह ओह ... मर गयी मैं!" लूसी के मुंह से निकला। लूसी के स्तन ऊपर की ओर उठ गए और शरीर एंठन में आ गई जैसे ही मेरा 8 इंची गर्म लिंग पूरी तरह से गीली हो चुकी योनि में घुस गया। अन्दर ... और अन्दर वह चलता गया, चूत के लिप्स को खुला रखते हुए क्लिटोरिस को छूता हुआ वह पूरा 8 इंच अन्दर तक चला गया था। लूसी की योनि मेरे लिंग के सम्पूर्ण स्पर्श को पाकर व्याकुलता से पगला गयी थी।

उधर मेरे हिप्स भी कड़े होकर दबाव दे रहे थे और लिंग अन्दर जा चुका था। लूसी भी दर्द के मारे चिल्लाने लगी-आहहह उम्म्ह... अहह... हय... याह... आई उउउइइई ओह्ह बहुत दर्द हो रहा है। प्लीज इसे बाहर निकाल लो ... मुझे नहीं चुदना तुमसे! तुम बहुत ज़ालिम हो! यह क्या लोहे की गर्म रॉड घुसा डाली है तुमने मुझ में! निकालो इसे ... प्लीज बहुत दर्द हो रहा है ... मैं दर्द से मर जाऊँगी ... प्लीज निकालो इसे!

और लूसी की से आँखों से आंसू की धारा बह निकली। मैं उन आंसुओं को पी गया, बोला-मेरी रानी, बस इस बार बर्दाश्त कर लो, आगे मज़ा ही मज़ा है।

लूसी की चूत बहुत टाइट थी, मुझे लगा मेरा लंड उसमें जैसे फंस गया और छिल गया है। मेरी भी चीखें निकल गयी। हम दोनों एक साथ चिल्ला रहे थे-ऊह्ह्हह्ह मर गया ...

मगर मैं उस पर लेट गया और उसको किस करने लगा। मैंने उसके होंठों से अपने होंठ सटा कर एक जोरदार धक्का मारा और मेरा लंबा और मोटा लंड पूरा अन्दर चला गया था। इस बार के झटके से उसकी चीख उसके गले में ही रह गई और उसकी आँखों से तेजी से आँसू बहने लगे। उसने चेहरे से ही लग रहा था कि उसे बहुत दर्द हो रहा है। मैंने सलमा को धीरे-धीरे चूमना सहलाना और पुचकारना शुरू कर दिया, मैं बोला मेरी रानी डर मत कुछ नहीं होगा थोड़ा देर में सब ठीक हो जाएगा। मैंने उसे लिप किश किया मैं उसे लिप किश करता ही रहाl वह मुश्किल से शांत हो पाई थीl

मैंने धीरे-धीरे उसकी चूत पर अपने दूसरी ऊँगली से-से उसके क्लाइटोरिस तो सहलाना शुरू कर दिया लूसी गर्म होने लगी l इक मिनट रुकने के बाद मैंने धक्का लगाना शुरू किया... फिर कुछ देर में ही वह भी मेरा साथ देने लगी। मुझे जैसे जन्नत का मज़ा आ रहा था। मैं लिप्स किस करता रहा । करीब 30 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों ही साथ में झड़ गए। दो-तीन झटकों बाद मैंने लण्ड निकाल लिया।

कुछ देर बाद जब हम लोग उठे और चादर को देखा तो उस पर खून लगा हुआ था।

जेन और डायना ने हम दोनों के गले लग कर दोनों को बधाई दी ।

लूसी मुझे बोली मरे पिया मेरे राजा आयी लव यू मैंने भी कहा मेरी रानी आयी लोव यू 2

फिर हम दोनों एक दूसरे को ताबड़तोड़ चूमने लगे, मैंने लूसी के निचले होंठों को अपने होंठों में भर लिया और चूसने लगा, लूसी ने भी मस्ती में आँखें बंद कर ली और अपने राजा के होंठों का आनंद लेने लगी, कभी मैं नीचे वाले होंठों को चूसता तो कभी ऊपर वाले होंठों को चूसता, लूसी भी बेताहाशा सिसकने लगी और आआ ....आहहहह.........उफ्फ्फ .ओओओफ़फ़फ़फ़...हायययय ....करने लगी,

मैं - लूसी, अपनी जीभ निकालो ।

लूसी ने अपनी जीभ बाहर निकाल कर नुकीली बना ली।

मैं ने भी अपनी जीभ नुकीली बनाई और अपनी जीभ के नोक को अपनी लूसी की जीभ के नोक से छुआने लगा. दोनों के जीभ के नोक आपस में छूने से मेरे बदन में झनझनाहट सी होने लगी, लूसी ने अपनी जीभ और कस के बाहर निकाल ली, मैं अपनी जीभ को लूसी की जीभ के किनारे गोल गोल घुमाने लगा, लूसी का पूरा बदन मस्ती में झनझना रहा था, वो भी अपनी जीभ कोमेरी जीभ से लड़ाने लगी, कभी मैं अपनी लूसी की जीभ को मुँह में भरकर चूसने लगता और फिर अपनी जीभ निकाल लेता और फिर लूसी मेरी जीभ को मुँह में भरकर चूसती, कभी दोनों जीभ लड़ाने लगते, माहौल बहुत गर्म होता जा रहा था, लूसी वासना से सराबोर होकर मस्ती में बहते हुए बेकाबू होती जा रही थी, उसकी सिसकियां और कामुक सिसकारियां काफी तेज हो चुकी थी।

काफी देर ऐसे ही जीभ मिलन का खेल खेलने के बाद मैंने अपनी पूरी जीभ लूसी के मुँह में डाल दी और पूरे मुँह में हर तरफ गुमाते हुए अपनी लूसी के मुँह का चप्पा चप्पा जीभ से छूकर चूमने से लगा, लूसी मस्ती में आँखें बंद कर वो तड़पते हुए अपने बदन को ऐंठकर से लिपट गयी, जीभ चुसाई का खेल भी इतना मादक होगा इसका उसे आज से पहले आभास नही था, न ही ऐसा मजा पहले कभी आया था, उसे नहीं पता था कि शरीर के हर अंग के खेल का संभोग में अलग ही मजा है, और, समझ गयी कि उसे मर्द मिला है जिसने उसे अच्छे से चोदकर लड़की से औरत बना दिया है, और अभी आगे पता नहीं क्या क्या होने वाला है.

काफी देर तक मैं लूसी के मुँह में अपनी जीभ डाले मस्ती करता रहा और लूसी मेरी जीभ को मुँह में भरकर पीती रही फिर मैंने अपनी जीभ बाहर निकाल ली तो लूसी ने अब अपनी जीभ मेरे मुँह में भरकर मस्ती करनी शुरू कर दी, अपनी लूसी की अत्यंत नरम नरम रसमलाई के समान लूसी की नरम मुलायम जीभ को मुँह में भरकर मैं बड़ी तन्मयता से चूसने लगा, काफी देर तक चूसता रहा। अद्भुत आनंद में दोनों खो गए। ये हमारे कुंवारापण खोने के बाद पहली किस थी वह मुस्कुराने लगी और मुझसे चिपक गईl

फिर उसके बाद हम दोनों ऐसे ही बार-बार चुदाई करते रहे " मैंने पूरी रात लुसी के साथ बिताईl हम दोनों ने पूरी रात मस्ती करके अपनी वर्जिनिटी भंग करने का जश्न मनाया। हम लगातार आसन बदल-बदल कर चुदाई करते रहे, कभी मैं चुदाई करता तो कभी वह करती रही।

सुबह मैंने उसे चूम कर बोला-लूसी ये मेरा पहला अनुभव बहुत ख़ास था और मैं इसे कभी भूल नहीं पाऊँगा l मुझे जीवन में अब तक ऐसा कुछ नहीं मिला था। और मैं चाहता हूँ तुम हमेशा मेरे से ऐसे ही प्यार करती रहो l

लूसी बोली मैं भी सदा सिर्फ़ आपकी ही रहूंगी l


लूसी के साथ मेरी पहली चुदाई की कहानी को यही विराम देता हूँl


चौथा अध्याय - समाप्त

आगे पढ़िए पांचवा अध्याय
 

कहानी जारी रहेगी

आपका आमिर खान l


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#48
मजे - लूट लो जितने मिले
पांचवा अध्याय
मजो की दुनिया में मेरे अनुभव

कहानी अब तक


अब तक आपने पढ़ा कि खाला की चुदाई के बाद आपा का हलाला कि कैसे मैंने सारा आपा के हलाला से पहले नूरी खाला को चोदाl उसके बाद मेरा निकाह-ऐ-हलाला कुंवारी सारा आपा के साथ हुआ और कैसे मैंने कश्मीर में उसके साथ सुहागरात में उसे चोदा।

मैंने इमरान से कहाः मैं सारा को तलाक इमरान का इलाज हो जाने के बाद ही दूंगा और तभी इमरान सारा से दुबारा निकाह कर सकेगा।

अगली रात जरीना की सुहागरात थी लेकिन उस रात बिस्तर में सारा और जरीना दोनों मेरे साथ थीl

उसके बाद हैदराबाद वापिस आकर अम्मी ने मुझे अपनी दूसरी बीवी के साथ सुहाग रात का हुकुम सुनाया पर सारा मेरे साथ ही सोने पर अड़ गयी, तो अपनी दूसरी बीवी जरीना की के साथ सुहागरात के बिस्तर पर पहले मैंने सारा की चुदाई की।

सारा की चुदाई के बाद मेरी छोटी बीवी कुंवारी जरीना की पहली चुदाई हुई और उसके बाद सारा और ज़रीना दोनों की एक साथ चुदाई हुई।

वलीमे की रात मैंने दोनों की गांड मारी और सुबह डॉक्टर को दिखाना पड़ा और डॉक्टर ने ३ दिन चुदाई बंद का हुकुम सुना दिया।

वलीमा की रात मैंने सारा और ज़रीना को 4 बार चोदा और उनकी गांड भी मारी और सुबह डॉक्टर को दिखाना पड़ा और डॉक्टर ने ३ दिन चुदाई बंद का हुकुम सुना दिया।

कुछ देर बाद मैं सारा से उसकी तबियत पूछने गया तो वह मुझसे लिपट गयी फिर मुझे चूमने लगी। और कहने लगी मेरा दूल्हा पूरा कसाई हैl फिर मैंने कहा कि कसाई कैसा है? तो आपा ने कहा कि अरे बड़ा जालिम है, लेकिन प्यारा और मस्त है।

सारा कहने लगी ओह आमिर ये तुमने कल क्या कर दिया। मेरी चुत का भुर्ता बना दिया देखो कैसे सूज गयी हैl बहुत दर्द हो रहा है , में मर जाउंगी, आआई रे! मेरे ज़नाज़े का इंतज़ाम कर लो।

मैंने चूत पर हाथ रखा तो वह बिलकुल सूजी हुई थी। उनके लिप्स पर किस किया और कहा आय लव यू! सारा, आपको चोद कर मैं धन्य हो गयाl रोते और सिसकते हुए बहुत प्यारी लग रही थी लेकिन मुझसे गुस्सा थी और बोली जाओ हम तुमसे अब कभी नहीं चुदवातीl कोई ऐसे भी अपनी खाला की लड़की को चोदता है। उसकी आँखो से आंसू आ गये, लेकिन मुझे उनके चेहरे पर संतुष्टि साफ साफ नजर आ रही थी।

तभी वहां पर सारा की बहने ज़रीना, नरगिस और आयशा तथा इमरान की बहने दिलिया, अबीर और ज़ारा भी आ गयी और सारा की तबियत पूछने लगी। दिलिया ने मेरे पास आकर मेरे कान में कहा कि पूरी हवेली को रातभर सोने नहीं दिया, ऐसा क्या कर डाला सारा और ज़रीना आपा के साथ? तो मैंने कहा कि मेरी जान जल्द ही तेरी भी यही हालत करूँगा, तो दिलिया ने कहा कि तो कर लेना, आओ तो सही, में चैलेंज देती हूँ तुम हार जाओगे, ज़रीना और सारा आपा तो सीधी थी, मीठी थी, नमकीन और कमसिन का मज़ा तो में ही दूँगी।

पिछली तीन रात जो मैंने सारा और ज़रीना के साथ गुजारी थी और जो जलवा देखा था उसके बाद सोचने लगा अगर सारा ज़रीना मीठी और सीधी थी तो नमकीन कैसी होगी। मेरे तनबदन की आग और भड़क गयी और मेरा लंड सनसनाता हुआ पूरा 8 इंची बड़ा हो गया और सलामी देने लगा।

फिर सारी बहने हमसे अपनी सुहाग रात का किस्सा पूछने लगीl तो सारा बोली इनसे क्या शर्मl ये सभी मेरी बहने हैं, और तफ्सील से सुहाग रात का पूरा किस्सा सुनाने लगी। दोस्तों आप पूरा किस्सा "खाला कि चुदाई के बाद आपा का हलाला" भाग १-६ में पढ़ सकते हैं।

लूसी के साथ मेरी पहली चुदाई का वाकया सुन कर सब लड़कियाँ बहुत गर्म हो गयी थीl मेरा भी लंड सलामी दे रहा थाl मैंने सारा और ज़रीना को किस किया।

  
आगे पढ़िए पांचवा अध्याय- वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

 

कहानी जारी रहेगी

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#49
मजे - लूट लो जितने मिले

पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

भाग 1

मजो की दुनिया में मेरे अनुभव

मेरी तीसरी दुल्हन दिलिया के साथ सुहागरात. 


तभी अम्मी मेरे कमरे में आयीl अम्मी बोली- सब दुल्हनों को अलग अलग कमरा दे दिया हैl सारा के साथ वाला कमरा दिलिया का हैl

अम्मी बोली- आमिर बेटा, दिलिया तैयार हो रही है, तुम आज दिलिया के पास जाओl लेकिन देखो, ज्यादा शोर मत करना, और चली गयीl

पूरा परिवार अब्बा हज़ूर के दोस्त के बच्चों की शादी में दो दिन के लिए बाहर चला गयाl सारा की तबियत ठीक नहीं थीl घर में कोई ज्यादा लोग नहीं थे तो नौकरों को छुट्टी दे दी, सिर्फ मेरी पहली चुदाई की साथी लूसी, सारा और दिलिया रह गए घर मेंl

जब अम्मी और परिवार वाले चले गए तो घर में मैं सारा लूसी और दिलिया ही रह गए तभी घर के बाहर एक फ़क़ीर बाबा मुझे नजर आये वो बहुत भूखे लग रहे थे तो मैंने उन्हें अंदर बुलाया उनके हाथ पैर और उन्हें पुछा .. तो वो बोलो कई दिनों से भूखा हूँ

तो मैंने उन्हें खाना खिलवाया और फिर उनसे पुछा बाबा आपको और क्या चाहिए ?

तो बाबा बोले थोड़ा सा दूध तो मैंने उन्हें दूध और मिठाईया मंगवा दी

बाबा खा कर खुश हो गए बाबा ने मुझ से मेरा नाम पुछा तो मैंने अपना और सारा और लूसी का परिचय उनसे करवाया और सारा की दुल्हन की तरह सजी हुई देख कर बोले ये तुम्हारी बेगम हैं क्या ?

मैंने कहा जी बाबा अभी हाल ही में मेरा इनके साथ निकाह हुआ है और सारा बोली बाबा आप थोड़ी मिठाई मेवे और पैसे और रुपए अपने पास रख लो तो बाबा बोले खुदा! मेरा निगाहबान है! अब मैं अल्लाह के भरोसे हूँ मेरी जरूरतों का ख्याल वो रखता है !

तो मैंने कहाः बाबा आपको जब भी कुछ चाहिए हो जो बेझिझक यहाँ आ जाईयेगा .. तो बाबा बोले मैं तो घूमता रहता हूँ पता नहीं कब कहा ..का दाना पानी अल्लाह ने लिखा है

फिर मुझे बोले तुम बहुत नेक दिल हो आमिर खुदा तुह्मे अपनी सब नियामते बख्शेगा और . बाबा ने मिठाई का एक टुकड़ा और उस पर एक फल और मेवा रख कर कुछ दुआ की और मुझे दिया और बोले ये तुम्हारे लिए है और बोलै इसे मेरे सामने खा लो .. मैंने वो खा लिया .. फिर उसके बाद कुछ मेवे उठा कर मुझे कुछ दुआ कर के मुझे दे कर बोले आमिर तुम्हे और तुम्हारी बेगमो को इस दुनिया की और जन्नत की सभी खुशिया मिलेंगी और वो भी बहुत जल्दी . ये एक एक मेवा अपनी हर बेगम को खिला देना ..

मैंने उन्हें कुछ और लेने को और रुकने को कहा पर वो रुके नहीं और चले गए ..

मैंने एक एक मेवा लूसी और सारा को खिला दियाl

उसके बाद मैंने वो मेवे सारा को संभाल कर रखने के लिए दे दिए तो लूसी कुछ देर बाद उनको गिन कर बोली आमिर ये तो 72. मेवे हैं ...

सारा बोली- आमिर, आज आप दिलिया की साथ सुहागरात मनायें! मैंने एक मेवा लिया और दिलिया के कमरे में चला गया l

मैं दिलिया के कमरे में पहुंचाl पूरा कमरा ताजे फूलों से सजा हुआ था और बेड पर ढेर सारे फूल थेl मेरी नजरें दिलिया को ढूंढ रही थी और मैं बिस्तर पर बैठ गया, तो लगा कि बिस्तर पर फूलों के बीच कोई हैl

मेरे हाथ को कुछ नर्म नर्म लगा, तो कुछ फूल हटाए, तो वहां फूलों में छुपी हुई दिलिया का चेहरा नज़र आयाl मैंने धीरे से उसके ओंठों को चूमा और धीरे धीरे सारे फूल हटाने लगाl फूलों के बीच दिलिया बिना कपड़ों के सिर्फ जेवर पहन के लेटी हुई थीl

फिर मैं अपने मुँह से एक एक फूल हटाने लगाl सबसे पहले मैंने दिलिया के माथे से फूल हटाए और उसके माथे को धीरे से चूमाl फिर आँखों पर से फूल हटाए और आँखों को चूमा,तो दिलिया ने आँखें खोल दीl उसकी आँखों में एक शरारत थी और वह मुस्करा रही थीl


मैंने और फूल हटाए और उसके नाक फिर उसको गालों को चूमाl उसका नर्म गाल चूमते ही मेरे तनबदन की आग और भड़क गयी, और मेरा लंड सनसनाता हुआ पूरा 8 इंची बड़ा हो गया, और सलामी देने लगाl

मैंने यह तो सोचा था आज दिलिया मिलेगी, पर इस तरह मिलेगी, ये मैंने सपने में भी नहीं सोचा थाl मैंने भी सोचा कि चलो अब दिलिया को ऐसे हो प्यार करूंगाl मेरे ऐसे चूमने से दिलिया की साँसें तेज होने लगीl

उसके बाद मैंने उसके मुँह पर से सभी फूल हटा दिए . मैंने दिलिया को वो मेवा खिला दिया और कहा दिलिया ये मेवा खा लो बाबा ने आर्शीवाद के साथ दिया हैl

उसके बाद मैंने अपने होंठ दिलिया के होंठों पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा। वह भी मेरा साथ देने लगीl

फिर मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाल दीl मेरी जीभ जब उसकी जीभ से मिली तो उसका शरीर सिहरने लगा और वह मेरी जीभ को चूसने लगीl फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसाl मैं दिलिया को बेकरारी से चूमने लगाl चूमते चूमते, हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थी, और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था।

जब मैंने अपना मुँह हटाया, तो दिलिया ने अपना सर ऊपर उठा लिया, जैसे कह रहो हो रुक क्यों गए, तो मैंने उसे एक बार और चूमा और उसके बाद उसकी गर्दन को चूमने लगाl दिलिया अपने हाथ हिलाने लगी और मुझे पकड़ कर अपनी ओर खींचने लगीl मैंने उसके हाथ पकड़ कर फूलों में छिपा दिए और न में गर्दन को हिलायाl

हम दोनों कुछ नहीं बोल रहे थे, तो दिलिया ने आँखें बंद कर अपनी सहमति दीl मैंने उसको होंठों पर एक और किस कर दीl उसके बाद मैंने दिलिया के कंधों से सभी फूल हटा दिए, और कंधों को पहले किस किया, फिर गर्दन का पास दाए कंधे को पहले चूसाl वहां निशान पड़ गया और दिलिया के मुँह के आह निकलीl

मैंने उसकी आँखों में देखा, उसकी आँखें कह रही थी 'प्लीज दर्द होता हैl'

मैंने जहाँ निशान था, वहां धीरे से किस किया और पूरा दाया कन्धा जीभ से चाट लियाl वाह क्या नमकीन स्वाद थाl फिर वैसे ही बायें कंधे को चूमा और चाटाl दिलिया मेरे चूमने से सिहर जाती थीl

उसके बाद मैंने उसके पेट को चूमा और नाभि में अपनी जीभ घुसा दीl दिलिया पानी पानी हो गयीl

उसके बाद दिलिया के सफ़ेद बड़े-बड़े खरबूजे देख कर मेरी तो जुबान रुक गई। जैसे ही फूल हटे दिलिया के आधे नंगे स्तन को देख कर मस्त होने लगा, मेरा लंड टाइट हो गयाl मैं उसके बड़े बड़े सफ़ेद मोमे देख कर पागल हो गया, जो उत्तेजना से लाल हो रहे थेl

मैंने स्तनों को चूमा, पर चूचुक से फूल नहीं हटाया, और स्तनों को जीभ से चाटने लगाl मेरे चूमने से उसका सीना सिहरने लगा और दिलिया उत्तेजना में सर इधर उधर करने लगीll वह सिसकारियाँ लेने लगी 'अह अम्म् ऊऊऊ मम्मम!' और मैंने एक हाथ से उसके दूध पकड़ कर जोर से दबा दिएl

दिलिया की हालात ख़राब हो रही थीl मैं भी पूरा सेक्स में डूब चुका था, मैं अपने हाथ उसके पीछे ले गया, और उसकी मुलायम नर्म पीठ को कस कर पकड़ लिया, और अपने कपड़े भी उतार कर नंगा हो गयाl मेरा लंड तन कर तैयार थाl

फिर मैंने दिलिया के हाथ ऊपर उठा दिए, और उसकी बगलों को किस लिया,और जीभ से चाट लियाl वह सिहर गयीl

फिर मैंने उसकी बाजुओं और फिर हाथों को चूमा और उंगलियों को चाट लियाl फिर मैंने उसके पेट को जहाँ तहाँ चूमा और नाभि पे किस करने के बाद उसकी नाभि में अपनी जीभ घुसेड़ दीl वो गनगना गयी, वो गर्म से गर्मतर हो रही थीl

फिर मैंने उसकी टांगों से फूलों को हटाया, लिक-किस करके हुए पाँव तक पहुंच गया, और जहाँ जहाँ के फूल हटाता था, वहां किस करता चला गयाl वासना से दिलिया की हालत ख़राब हो चुकी थीl मैंने उसे सब जगह चूमा और चाटा, परन्तु उसकी चूत और चूचुक तो छुए भी नहींl

वह तड़प रही थीl फिर दिलिया ने मेरे सर को पकड़ा और मुँह को चूचुकों के पास ले आयीl उसके चूचुक बिल्कुल कड़े होकर ऊपर को उठ गए थेl कह रहे थे हमें भी किस करो, चूसोl

मैंने और तड़पाना ठीक नहीं समझा, और मुँह से उसके चूचुक पर पड़ी गुलाब की पंखुरियाँ निगल गया. और चूचुक चूसने लगाl उसके चूचुक गुलाबी रंग के थेl मैं दिलिया की चुची पर जानवरों की तरह टूट पड़ा। उसके चूचुक जिन्हें आज तक किसी ने नहीं छुआ था, अब मैं उसके दायें निप्पल को चूस रहा था और काट रहा था। फिर मैंने उसके बायें स्तन को भी फूल हटा कर नंगा कर दिया निप्पल को चूसा और काटा! उसके स्तन एकदम फूल कर सख्त हो गए थे और निप्पल भी कठोर हो ऊपर को तन गए थे।

दिलिया समझ गयी कि अब उसकी चूत की बारी हैl

मैंने उसकी टांगों को पूरा खोल दिया और और उसकी कुंवारी चूत को जबान से लिक करने लगाl फिर धीरे धीरे करके मैंने अपनी पूरी जबान को चूत के छेद में डाल दी और अपनी एक उंगली के ऊपर थूक लगा के मैंने उसकी गांड के छेद में पिरो डालीl मेरी नयी दुल्हन के मुँह से 'इस्स्स्सस!' निकल गयाl मैं आगे से चूत को चाट रहा था और पीछे गांड के छेद को उंगली से चोद रहा थाl

चूत की खुशबू और नमकीन स्वाद से बड़े मजे मिल रहे थे मुझेl

मेरी तीसरी कुंवारी दुल्हन सिसकारी लेती हुई सेक्सी आवाज में बोली- प्लीज! मेरा पिशाब निकलने वाला है, क्या कर रहे है आप?

मैं समझ गया कि उसका लंड खाये बिना ही क्लाइमेक्स होने वाला हैl

और फिर अहो होह आह! करते हुए उसका बदन कांपने लगाl जैसे ही वह झड़ी उसने आनन्द में अपनी आँखें बंद कर लीl उसके चेहरे पर परमान्द के भाव थेl

दिलिया की चूत से इतना पानी निकलाकि मेरा पूरा चेहरा गीला हो गयाl मैंने मुँह को हटाया नहीं और चूत को पूरी तरह से चाट के सारे पानी को चाट भी गयाl

मैं इस तरह उसके जिस्म से करीब एक घंटे खेलाl

और तभी सारा की आवाज़ आयी- अरे इसकी चुदाई तो करो!

और मैंने देखा कि दरवाज़ा जो मैंने खुला छोड़ दिया था उस पर सारा और लूसी खड़ी हमें देख रही थीl

मैंने उसे डांटा तो दिलिया बोली- देखने दो ना, इनसे क्या शर्म?

सारा बोली- दिलिया देख, अब इसी लंड से तेरी भी चूत फटेगीl

दिलिया तेज़-तेज़ साँसें ले रही थी और पागलों की तरह मुझे चूम रही थी।

मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रख दिया। अब दिलिया का खुद के ऊपर काबू नहीं रहा था, वो मेरे लोड़े को हिला के बोली- जल्दी से अपना हथियार डाल दो मेरे अंदर! अब मेरे से रहा नहीं जा रहा हैl

और दिलिया उत्तेजना में भर बोली- फाड़ दो मेरी चूत एक ही झटके में! इस गुफा की झिल्ली अपने हथियार से चीर कर रख दो! और अपनी कजिन की चूत की धज्जियाँ उड़ा दोl चोद दो पटक कर मुझे! और कसम है आपको कि हम पे कोई भी दया मत करनाl

और फिर मैंने उसकी मुलायम झांटों पर अपना लंड टिकाया और फनफनाते हुए लंड से उसकी चूत रगड़ने लगाl दिलिया अपने कूल्हे उछाल उछाल कर मज़े ले रही थीl मैं उसके होंठ चूसने लगा और मैंने अपना औज़ार एक ही झटके में उसकी चूत में दे माराl

एक हल्की सी रुकावट और फिर फचक की आवाज़ से लंड पूरा जड़ तक मेरी कुंवारी दुल्हन की बुर में समा गयाl

और दिलिया की चीख निकल गयी- आईई आहाह आआआआ आईईईई स्स्सस!

मगर गजब की हिम्मत थी उसमेंl अपने हाठों में मेरा चेहरा लेकर चूमते हुए बोली- गज़ब किला फ़तेह किया तुमने आमिर! आई लव यू! बहुत दर्द हुआ लेकिन मुझे गर्व है कि मेरी चूत को तुमने एक ही धक्के में ही फाड़ दियाl अब शांत रहो, कोई धक्का मत मारनाl और मेरे बदन को चूमोl जब मैं अपने चूतड़ उछालूं तो शताब्दी की स्पीड से चोदना और मेरे झड़ने की परवाह मत करनाl मैं पहले ही झड़ चुकी हूँl मेरी फ़िक्र न करते हुए मस्ती से अपना पूरा रस मेरे अंदर ही डाल देनाl मैं आपके बच्चे की माँ आज ही की चुदाई में बनना चाहती हूँl

यह कामुक कहानी चलती रहेगीl


आमिर

आगे पढ़िए पांचवा अध्याय- वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई  भाग 2 में



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मजे - लूट लो जितने मिले

पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

भाग 2

मजो की दुनिया में मेरे अनुभव

मेरी तीसरी दुल्हन दिलिया के साथ सुहागरात में क्या क्या खेल रचाए


मैं लंड से उसकी चूत रगड़ने लगा और अपना औज़ार एक ही झटके में उसकी चूत में दे माराl एक हल्की सी रुकावट पार करने लंड पूरा जड़ तक मेरी कुंवारी दुल्हन की बुर में समा गया, और दिलिया की चीख निकल गयी- आईई आहाह आआआआ आईईईई स्स्सस!

मगर गजब की हिम्मत थी उसमें, अपने हाठों में मेरा चेहरा लेकर चूमते हुए बोली- गज़ब किला फ़तेह किया तुमने आमिर, आई लव यू! बहुत दर्द हुआ लेकिन मुझे गर्व है कि मेरी चूत को तुमने एक ही धक्के में ही फाड़ दियाl अब शांत रहो, कोई धक्का मत मारनाl और मेरे बदन को चूमोl जब मैं अपने चूतड़ उछालूं तो शताब्दी की स्पीड से चोदना और मेरे झड़ने की परवाह मत करनाl मैं पहले ही झड़ चुकी हूँl मेरी फ़िक्र न करते हुए मस्ती से अपना पूरा रस मेरे अंदर ही डाल देनाl मैं आपके बच्चे की माँ आज ही की चुदाई में बनना चाहती हूँl

फिर कुछ देर बाद उसने अपने चूतड़ ऊपर उछाल कर इशारा कियाl मैंने अपने लंड को धीरे धीरे से दिलिया की चूत से बाहर करने की कोशिश चालू कर दी और वो भी 'अह अह्ह येस्स अह्ह्ह येस और आह्ह अह्ह!' करने लगीl

लेकिन दिलिया की चूत मेरे लोड़े को कसने लगी और लण्ड को जकड़ लियाl सच में बता नहीं सकता कि कितना मजा आ रहा था मुझेl ऐसा लग रहा था कि मेरा लण्ड अंदर फंस गया होl मैंने निकालने की बहुत कोशिश की लेकिन लंड बाहर नहीं निकल रहा थाl

फिर मैंने दिलिया को लिप्स पर किस करना शुरू कर दियाl जब मैं उसके ऊपरी ओंठ चूसता था तो चूत लण्ड को जकड़ने लगती थी और जब निचले ओंठ को चूसता था तो चूत लण्ड को ढीला छोड़ देती थीl जब मैं उसकी जीभ को अपनी जीभ से चूसता था तो चूत लण्ड को अंदर खींचने लगती थी जैसे चूत लण्ड को चूस रही होl

मेरी चीखें निकलने लगी- अह्ह आह येस अह्ह येस्स आह्ह अह्ह आह मजा आ गयाl

मैं जन्नत में थाl

फिर तो जैसे मुझे दिलिया की चूत की चाबी मिल गयीl मैं उसका निचला ओंठ चूस कर अपना लण्ड हल्का से पीछे करता था फिर कस कर धक्का लगा कर उसका ऊपरी ओंठ चूसने लगता था जिससे चूत लण्ड को जकड़ लेती थी, उसकी जीभ को चूसने लगता था तो जैसे चूत लण्ड को अंदर खींच कर चूसने लगती थीl

दिलिया को भी मजा आने लगा, उसने अपने टाँगें उठा कर मेरी पीठ पर लपेट लीl

मैंने भी ओंठ चूसने और अपनी चोदने की स्पीड को बढ़ा डाली और मेरे धक्के और भी तेज हो गएl मैं पूरे लंड को अन्दर डाल के बाहर निकालता था और फिर जोर से वापस अन्दर पेल देता थाl और मेरे लंड के झटकों से दिलिया के बड़े चूचे उछल रहे थेl

करीब दस मिनट चोदने के बाद फिर हम दोनों एक साथ झड़ गएl मैंने ध्यान रखा कि मेरा लण्ड मेरी नयी दुल्हन की चूत से बाहर न निकलेl मैं

कुछ देर के लिए अपनी तीसरी बेगम नंगे जिस्म के ऊपर ही पड़ा रहाl

कुछ देर के बाद वो शांत हुई तो मैं उसके बूब्स को चूसने लगा और अपने एक हाथ से उसके बालों और कानों के पास सहलाने लगाl और फिर कुछ देर के बाद मैंने उसकी बगलों को चाटा, वह पागल हो गयी और मुझे कस कर पकड़ लियाl मैंने उसके कानों को भी चूमना शुरू कर दिया तो कुछ देर के बाद वो फिर से गर्म हो गई।

मेरा लंड तो मेरी दुल्हन की चूत में पहले से ही था, फिर मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाना शुरू किया तो पहले तो वो चिल्लाई 'उम्म्ह! अहह! हय! याह!'

लेकिन फिर कुछ देर के बाद मैंने पूछा- मज़ा आ रहा है?

वो बोली- हाँ बहुत मज़ा आआआआ रहा है, हाईईईई, म्म्म्मम।

मैं उसको चूमता रहा और उसके बूब्स सहलाता रहाl

कुछ देर बाद मैं दिलिया को उठा कर बैठ गया, दिलिया मेरी गोद में थी, मैंने ध्यान रखा कि मेरा लण्ड चूत से बाहर न निकलेl और फिर हम बैठ कर चोदन करने लगेl मैं नीचे और दिलिया मेरे ऊपर थी। मैं उसका निचला ओंठ चूस कर अपना लण्ड हल्का से पीछे करता था, फिर कस कर धक्का लगा कर उसका ऊपरी ओंठ चूसने लगता थाl जिससे चूत लण्ड को जकड़ लेती थीl फिर उसकी जीभ को चूसने लगता था तो जैसे चूत लण्ड को अंदर खींच कर चूसने लगती थीl

मेरे तनकर खड़े लंड पर धीरे धीरे दिलिया अपनी चूत दबाकर लंड को अंदर घुसा रही थी। और मैं आपको बता नहीं सकता कि मुझे उस समय कितना मज़ा आ रहा था। वो मेरे लंड पर धीरे से उठती और फिर नीचे बैठ जाती जिसकी वजह से लंड अंदर बाहर हो रहा था और मेरी नयी ब्याहता बहुत मज़े कर रही थी।

सच कहूँ तो मेरी दिलिया बहुत मादक लग रही थी, उनके रेशमी सुनहरी बाल चारों तरफ फ़ैल गए थेl दिलिया उन्हें पीछे करते हुए मेरी छाती पर अपने हाथ रख देती थी मैंने भी अपने चूतड़ उठा कर उनका साथ दियाl मेरा लंड उसकी चूत के अंदर पूरा समा जाता था तो दोनों की आह निकलती थीl

फिर मेरे हाथ उनके बूब्स को मसलने लगे, मैं उसकी चूचियों को खींचने लगा तो दिलिया सिसक जातीl उसके बाद हम लिप किस करते हुए लय से चोदने में लग गएl मैं दिलिया को बेकरारी से चूमने लगा। चूमते हुए हमारे मुंह खुले हुये थे जिसके कारण हम दोनों की जीभ आपस में टकरा रही थीl फिर मैंने दिलिया की जम कर चुदाई की और उनको जन्नत की सैर कराई।

मैं दिलिया के ओंठ चूस रहा थाl दिलिया बोली- मेरा निचला होंठ चूसो!

मैं निचला होंठ चूसने लगा तो मेरी दुल्हन की चूत ने मेरा लण्ड ढीला छोड़ दिया, वह ऊपर उठ गयी और लण्ड बाहर आ गयाl

तभी दिलिया ने अपनी अलमारी से दो साड़ी निकाली, और पंखे के ऊपर डाल कर दो झूले बना लिए, और एक में वो बैठ गयी, और दूसरा थोड़ा लम्बा बनाया, और मेरे चूतड़ों के नीचे डाल कर मुझे बिठा दियाl

फिर वो इस तरह से बैठी कि उसने अपनी चुत लण्ड के ऊपर लगा दी और थोड़ी नीचे हुई सर्र से लण्ड थोड़ा सा अंदर गयाl दिलिया ने अपने हाथ ऊपर कर लिए और बोली- मुझे लिप-किश करोl

मैं बाजुओं के सहारे झूले पर बैठ गया और उसका निचला होंठ चूसने लगा, दुल्हन की चुत ढीली होने लगीl फिर दिलिया घूमने लगी उसने दोनों पैर बैठे बैठे दायीं ओर कर लिए और खुद को थोड़ा नीचे कियाl

सच में मजा आ गया! ऐसा लगा कि मैं जन्नत में पहुँच गया हूँl हम दोनों कराह रहे थे 'आआह ह ऊऊह्ह!'

कुछ देर में वह फिर घूमी और अपनी पीठ मेरी ओर कर दीl हम दोनों कराह रहे थे 'आआह! बहुत मजा आ रहा है!'

और वो फिर घूमी और दोनों पैर बायीं और कर दिए फिर उसने मुँह मेरे सामने कर लियाl हम फिर किस करने लगे, कभी मैं उसका ऊपर का होंठ चूसता कभी नीचे का तो कभी जीभ से जीभ मिला कर जीभ चूसतेl मुझे लग रहा था जैसे मेरे लण्ड की नसें कस रही होंl

और मेरी तीसरी बीवी इसी तरह घूमती रहीl ऊपर झूले में बल पड़ रहे थे और झूला कस रहा थाl पर वह जोर लगा कर लण्ड पर पेंच कस रही थीl लण्ड धीरे धीरे पूरा अंदर चला गयाl ऊपर झूला कसने के कारण दिलिया को ऊपर खींच रहा थाl

फिर दिलिया बोली- अब तुम भी घूमोl

मैं जैसे दिलिया घूमी थी, उसका उल्टा घूमने लगाl जब दोनों के झूले पूरे कस गए तो हम दोनों बिस्तर से ऊपर हो हवा में लटक गएl

तब दिलिया ने खुद को ढीला छोड़ दिया और मुझे बोली- मुझे ढीला छोड़ दो!

और उसने पैर भी ऊपर उठा लिएl झूले के दबाव के कारण दिलिया उलटी घूमने लगी और हम दोनों बेतहाशा चिल्लाने लगेl दोनों के बहुत मजा आ रहा थाl

फिर मैंने भी खुद को ढीला छोड़ पैर ऊपर उठा दिए मैं भी उल्टा घूमने लगाl झूला ऐसे कई बार घूमा और हम भी घूमेl हमारी हालत ख़राब थीl फिर हम दोनों एक साथ झड़ गएl

मैंने दिलिया की चूत अपने वीर्य से भर दीl मैं दिलिया की जीभ चूसने लगा और मेरी दुल्हन दिलिया की चूत मेरे लण्ड का रस निचोड़ती रहीl सच में, बता नहीं सकता कि हमें कितना मजा आयाl

हम दोनों झूले से नीचे उतरे तो मेरा लण्ड अभी भी अकड़ा हुआ था और दिलिया निढाल पड़ी थीl मैंने दिलिया को सहलाया उसका निचला ओंठ चूसा तो दिलिया की चुत का छेद वापस सिकुड़ गया थाl

मेरे लण्ड पर कई नील पड़ गए थेl दिलिया ने मेरे लण्ड पर पड़े हरेक नील तो चूमा, फिर प्यार से सहलाते हुए और मैंने दिलिया के लिप्स पर किस किया और कहा- आय लव यू! आपको चोद कर मैं धन्य हो गया!

दिलिया निढाल होकर लेट गयी, मैं उसको प्यार से सहलाने लगा और किस करने लगा और बोला- दिलिया, क्या तुमको मजा आया? दर्द तो नहीं हुआ?

वो बोली- बहुत मजा आयाl

मेरी छोटी कजिन बहन, जो अब मेरी दुल्हन थी, उसकी चूत बुरी तरह से सूज चुकी थी. लेकिन मेरा लण्ड तना हुआ खड़ा थाl

दिलिया लण्ड को खड़ा देख शर्मा कर सिकुड़ गयी और मुझसे लिपट गयी और बोली- मुझे और चोदो!

फिर मेरे हाथ दिलिया के बड़े बूब्स के ऊपर चले गएl वो सिसकारियाँ भर रही थी और एकदम मादक आवाजों से मुझे भी मोहित कर रही थीl

दिलिया के बूब्स एकदम मोटे थे और उसके निपल्स एकदम कस गए थेl वो गहरी साँसें ले के अपने पेट को हिला रही थीl

तभी दरवाजा खटखटाया गया और मेरी पहली बेगम सारा अंदर आयीl सारा दिलिया से लिपट गयी और बोली- दिलिया, आप तो सबसे कमाल होl आपने तो जबरदस्त नया पोज़ निकाला हैl

और मेरे लण्ड को सहलाते हुए बोली- अब मुझे भी चोदो!

मैंने सारा के कपड़े निकाल दिए और उसे किस करने लगाl मैंने सारा के हर अंग को चूमा और फिट पेट के बल लेटा दिया पीठ को चूमा और चाटाl मैंने सारा के मांसल गोरे चूतड़ों की जम कर जीभ से चटाई की और दांत से हल्के हल्के काटा भीl

सारा मस्त हो गयी, उसकी चुत पूरी गीली थीl वह मेरी और दिलिया की मस्त चुदाई देख कर कई बार झड़ चुकी थीl

मैंने उसके मोमे दबाये, चूचियों को चूसा और सारा की चुत में उंगली करने लगाl वह 'ऊऊह आआह्ह!' करने लगी, उसे फिंगर सेक्स का मजा देने के बाद मैंने सोचा कि अब उसकी चूत में लंड डालने का सही टाइम हो गया हैl

मैंने उसके बूब्स को दबाये और उसके निपल्स को अपनी जीभ से हिलाने लगाl फिर मैंने उसको घोड़ी बना दिया और अपना टनटनाया हुआ लंड उसकी चूत में पीछे से डालकर चोदना शुरू कियाl सारा भी मस्ती में गांड आगे पीछे कर मेरा साथ देने लगीl उसका चिल्लाना एकदम बंद हो गयाl

मैं उसे लगातार धक्के देकर चोदता रहा। मैं पीछे से उनके मोमों को पकड़ कर दबाता रहा और चूचुक मसलता रहाl जब मैं उनके मोमे दबाता था और फिर सारा को लिप किस करता तो इससे मेरा लण्ड अंदर बाहर जाता रहाl करीब बीस मिनट तक लगातार उसको उस पोज़िशन में चोदाl

सारा की हालत बुरी थी, मेरे साथ चुदने में वो भी दो बार झड़ गई थी और आज उसे चुदाई का अलग ही आनंद और संतोष मिला थाl

फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए, मैंने सारा की चूत अपने वीर्य से भर दीl

फिर कुछ देर आराम करने के बाद मैं दिलिया की जीभ चूसने लगाl मेरा लंड फिर कड़क हो गयाl मैं दिलिया की चूत में लण्ड डाल दिया और लिप किश करते हुए चोदने लगाl उसकी चुत बंद होती रही और खुलती रही और वो मेरे लण्ड का रस निचोड़ती रहीl

मैंने कस कस के झटके दिए और मेरे लंड का एक एक बूंद वीर्य मैंने दिलिया की चूत के अन्दर भर दियाl दिलिया की चूत का पानी भी धार मार गयाl हम दोनों के पानी के मिलने से दिलिया के चेहरे पर एक अजीब सा सकून थाl

दिलिया को खुश देख के मुझे भी बड़ी ख़ुशी हुईl लेकिन मेरे लण्ड अब बैठ नहीं रहा था और नील गहरे हो गए थेl

तभी सारा बोली- मुझे भी दिलिया की तरह चुदना हैl

और दिलिया की तरह झूले पर चढ़ गयी और मुझे नीचे लिटा कर ऊपर आ गयी फिर गोल घूमी ... फिर हम दोनों घूमते रहे और झड़ गएl

मेरे लण्ड पे नील और गहरे हो गए और लण्ड दुखने लगा परन्तु झड़ने के बाद भी बैठा नहींl

मैंने सारा को अपनी बाहों में ले लिया और उनकी चूत से बिना लंड को निकाले ऐसे ही लेटा रहा और तीनों चिपट कर सो गयेl

कहानी आगे जारी रहेगी

आपका आमिर
  

आमिर

आगे पढ़िए पांचवा अध्याय- वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई  भाग 3 में


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#51
मजे - लूट लो जितने मिले

पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

भाग 3

मजो की दुनिया में मेरे अनुभव

लंड सूज गया था और बैठ नहीं रहा था.


अगले दिन सुबह उठे तो मेरा लण्ड पर जगह जगह पड़े हुए नील बहुत गहरे हो चुके थे और बहुत दर्द हो रहा थाl

सारा और दिलिया भी उठी तो मरे तने हुए लण्ड को देख हैरान थी, सारा बोली- क्या हुआ? ये रात भर से ऐसा ही क्यूँ रहा है?

मैंने कहा- जब ऐसी जबरदस्त हूरें साथ हो तो लण्ड कैसे ढीला हो? तुम्हें जितना चोदता हूँ उतना ही दिल और करता हैl

सारा ने मेरे लण्ड को सहलाना शुरू कर दियाl लण्ड और कड़ा हो गयाl मैंने भी सारा को किस करना शुरू कर दियाl उधर से दिलिया ने भी मेरे शरीर को सहलाना शुरू कर दिया और मेरे निप्पल से खेलने लगीl मैंने भी दिलिया के मोमे दबाने शुरू कर दिएl

दिलिया बोली- रात को बहुत मजा आया, हमें एक बार फिर चोदो ... तुम्हारा लण्ड भी तैयार हैl

सारा ने मेरे लण्ड को सहलाया और लण्ड पर किस करने लगीl मैं दिलिया को किस करने लगाl सारा मेरे लण्ड को लोलीपॉप की तरह चूसने लगीl मैं भी अपने एक हाथ से सारा की चूत में उंगली काने लगा और दूसरे हाथ से दिलिया की चूत में उंगली करने लगाl

दोस्तो, मैंने सारा को सीधा लिटाया और थोड़ी सी रूई सारा के दायें चूतड़ के नीचे, एक छोटा सा कपड़ा उसकी गांड के नीचे और एक फूल उसके बाएं चूतड़ के नीचे रख दियाl

मैं सारा से बोला- जब मैं रूई कहूँ तो सिर्फ दायाँ चूतड़ ऊपर को उठाना, मैं उसी और धक्का मारूंगा, जब मैं कपड़ा कहूँ तो गांड ऊपर उठाना और जब फूल कहूँ तो सिर्फ बायाँ चूतड़ ऊपर उठानाl मैं भी उसी और धक्के मारूँगाl देखना बहुत मजा आएगाl

उसके बाद मैं सारा के ऊपर आ गया और एक झटके में लंड उसकी चूत के अंदर कर दियाl वह कराह उठीl

फिर मैं शुरू हो गया, बोला- रूई!

और सारा ने अपना दायाँ चूतड़ ऊपर उठा दिया, मैंने पूरा लंड निकाल कर उधर को धक्का मारा, लंड चूत को रगड़ते हुए अंदर चला गयाl वह चिल्लाने लगीl फिर मैंने कपड़ा बोला तो उसने चूतड़ टिका कर गांड ऊपर उठा दी और मैंने लंड पूरा निकाल कर उसकी चूत में पूरी ताकत से मार दियाl फिर ऐसे ही फूल बोला तो वह अपना बायाँ चूतड़ उठाने लगी और मैंने पूरा लंड निकाल कर बायीं ओर धक्का माराl लंड चूत को रगड़ते हुए अंदर चला गयाl

सारा बोली- सच बड़ा मजा आया!

और दिलिया बोली- मैं बोलती हूँ और आप दोनों रिदम में चोदो!

मैंने सारा को कस कर पकड़ा और उसके ओंठों को चूसने लगाl

दिलिया बोलने लगी- रूई, कपड़ा, फूल!

और मैं वैसे ही धक्के मारने लगाl

फिर वह क्रम में बोलने लगी- रूई ... कपड़ा ... फूल ... कपड़ा ... रूई ... कपड़ा ... फूल ... कपड़ा ... कपड़ा ... कपड़ा ... रूई ... रूई ... फूल ... फूल!

सच हम दोनों को बहुत मजा आयाl सबसे ज्यादा मजा कपड़ा बोलने पर आयाl

और फिर दिलिया ने अपनी बोलने की स्पीड बढ़ा दी और हम उसी स्पीड से चुदाई में लग गएl

कुछ देर में सारा आहा आह आह करती झड़ गयीl

फिर सारा बोली- आमिर, अब दिलिया की बारी!

तो दिलिया लेट गयी और मैंने उसके लिप्स को किस करते हुए एक झटके में पूरा लंड अंदर उतार दियाl मैं उसके ओंठों को चूसने लगाl

सारा बोलने लगी- रूई ... कपड़ा ... फूल!

मैं वैसे ही दिलिया के ऊपर नीचे के ओंठ चूसते हुए धक्के मारने लगाl

फिर वह क्रम में बोलने लगी- रूई ... कपड़ा ... फूल ... कपड़ा ... रूई ... कपड़ा ... फूल ... कपड़ा ... कपड़ा ... कपड़ा ... रूई ... रूई ... फूल... फूल! और दोनों एक साथ झड़ गएl

लेकिन झड़ने के बाद भी लंड महाराज बदस्तूर खड़े थेl

फिर मैंने कहा- सारा तुम नीचे लेट जाओ और दिलिया तुम सारा के ऊपर घोड़ी बन कर लेट जाओl मैं तुम दोनों को एक साथ चोदूँगाl

सारा लेट गयी और दिलिया उसके ऊपर लेट कर उसे लिप किस करने लगी और दोनों एक दूसरे की चूचियों से खेलने लगीl दोनों ओह्ह्ह आअह करने लगीl

मैंने ऊपर आकर सारा की चूत पे लण्ड रख कर धक्का दिया, लण्ड थोड़ा सा अंदर चला गया और दिलिया की चूत पर उंगली करने लगाl उसकी चूत पूरी गीली हो रही थीl फिर मैंने कुछ धक्के मारे और लण्ड पूरा अंदर चला गयाl मेरी दोनों बेगम एक दूसरी को बेतहाशा चूम रही थीl

फिर कुछ पांच छह धक्के मारे तो सारा झड़ गयी और मैंने लण्ड बाहर निकाल कर घोड़ी बनी हुई दिलिया की चूत में डाल दियाl मेरे लण्ड में दर्द हो रहा था, मैंने सारा से कहा- दिलिया का निचला होंठ चूसो!

इससे दिलिया की चूत ढीली हो गयी और अगले धक्के में लण्ड पूरा अंदर चला गयाl

मैंने कुछ धक्के मारे तो हम दोनों उम्म्ह... अहह! हय! या!मैंने सारा से कहा- दिलिया के ऊपर नीचे के ओंठ बारी बारी चूसो और जीभ भी चूसो!

मैंने उसे कहा- जब मैं एक कहूँ तो निचला होंठ, दो कहूँ तो ऊपर का ओंठ, और तीन कहूँ तो जीभ चूसोl

एक दो तीन ... तीन दो एक ... एक एक दो ... दो तीन तीन कहता हुआ मैं रिदम से दिलिया को चोदने लगाl जब भी दो कहता था उसकी चूत मेरे लण्ड को भींच लेती थी और लण्ड में बहुत दर्द होता था मैं दर्द और आनंद से कराहने लगता थाl

सारा मुझे कराहते देख दिलिया के ऊपर के होंठ को और जोर से चूसने और काटने लगती थी जिससे चूत और जोर से भींचने लगती थी फिर सारा ऊपर का होंठ चूसते हुए उसकी जीभ भी चूसने लगती थी जिससे चूत लण्ड को भींच कर निचोड़ने लगती थीl

मेरा दर्द मेरा मजा बढ़ा रहा थाl सच में हम तीनों को बहुत मजा आ रहा थाl

फिर मैंने एक कहा और लण्ड बाहर निकाल सारा की चूत में लण्ड डाल दियाl उसकी गीली चूत में लण्ड सर्र से अंदर चला गया और मैंने उसे 15 मिनट तक चोदा और हम दोनों झड़ गएl मैंने धीरे से लण्ड निकाला तो वह और सूज चूका था और बड़ा दर्द हो रहा थाl इस बार लण्ड फिर खड़ा था और पूरा सूजा हुआ लग रहा थाl

सूजा हुआ लण्ड देख सारा और दिलिया घबरा गयी और बोली- हय अल्ला! ये क्या हो गया तुम्हारे लण्ड को?

मैंने दिलिया से कहा- थोड़ा गर्म पानी ले आओ, सिकाई करूंगा तो ठीक हो जाएगाl

दिलिया गर्म पानी मग में डाल कर ले आयी और मैंने लण्ड पानी में डाल दियाl थोड़ा आराम मिला पर लण्ड फिर भी खड़ा रहाl

कुछ देर आराम करने के बाद हमने नाश्ता किया तो दिलिया बोली- आमिर, डॉक्टर को दिखा लो, कहीं कोई दिक्कत न हो गयी हो?

मुझे भी उसकी बात जंचीl फिर सोचने लगा कि किस डॉक्टर को दिखाया जाये?

तो सारा बोली- जिस लेडी डॉक्टर ने हमें देख कर दवा दी थी, वह काफी समझदार है, उसे दिखा दोl

मुझे थोड़ी हिचक हुई पर सारा ने कहा- शर्म छोड़ो और डॉक्टर के पास जाओl मैं भी साथ चलूंगीl

नाश्ता करके तैयार हो हम डॉक्टर के पास गएl डॉक्टर मेरी बीवी सारा को पहले से जानती थीl सारा ने मेरा तार्रुफ़ डॉक्टर से करायाl तब डॉक्टर ने अपना नाम जूली बतायाl मालूम चला कि डॉक्टर मेरी बचपन की दोस्त जूली हैl उसने डॉक्टरी पास कर ली है और हमारी हवेली के पास ही रहती थीl

जूली बहुत सुन्दर थी, उसकी आवाज़ बहुत मीठी थीl हम दोनों बचपन में एक ही स्कूल में पढ़ते थे और साथ में खेलते थेl वह मेरी बचपन की सबसे अच्छी दोस्त थीl उसने मुझे शादी की मुबारकबाद दी और पूछा- अब सारा को क्या कर दिया? थोड़ा आराम से सेक्स किया करोl

तब तक मैं थोड़ा सहज हो गया, जूली डॉक्टर को समस्या बताई तो डॉक्टर ने पैंट उतारने को कहाl पैंट उतारी तो अंडरवियर में तम्बू बना लण्ड खड़ा थाl

डॉक्टर मुस्करायी और बोली- आमिर, अंडरवियर भी उतारिये, मैंने आपको बचपन में कई बार नंगा देखा है और फिर डॉक्टर से कैसी शर्म?

मैंने धीरे धीरे अंडरवियर नीचे कर दिया और लण्ड सरसराता हुए तन कर बाहर आ गयाl

डॉक्टर हैरानी से देखती रह गयी बोली- उफ़ इतना बड़ा इतना मोटा तो कभी नहीं देखाl

फिर उसने हल्के हाथ से लण्ड को पकड़ा और ऊपर नीचे करके देखने लगीl नील देख कर बोली- काफी कस कर चुदाई की है तुमने सारा की! पूरा समझने के लिए मुझे पूरी चुदाई की कहानी तफ्सील से सुनाओ आमिर!

मैंने कैसे दिलिया और सारा को कल रात और आज सुबह चोदा, पूरी तफ्सील से सुना दियाl

जूली बोली- इसको समझने के लिए मुझे ये पूरी चुदाई देखनी पड़ेगी, क्या तुम सब दुबारा कर सकोगे?

मैं बोला- अभी तो दर्द हो रहा है, दर्द कम होगा तो सब दिखा दूंगाl और मेरा लण्ड तो हरदम तैयार ही रहता हैl

उसने एक क्रीम बताई लगाने ले लिए और बर्फ की सिकाई करने को कहाl

डॉक्टर ने कहा- मैं शाम को आ जाऊंगी, फिर सब कर के दिखाना, तब तक आराम करोl

शाम को जूली हवेली पर आ गयी, हमने मिल कर खाना खायाl तब तक मेरा दर्द सिकाई और क्रीम के लगाने से कम हो चुका था परन्तु लण्ड फिर भी तना हुआ थाl

डॉक्टर जूली बोली- आमिर एक बार मुझे फिर तुम्हारे लंड का मुआयना करने दो ताकि चुदाई की बाद होने वाले फर्क पता चल सकेl

तो मैंने अपने कपड़े उतार दिए तो डॉक्टर को खड़े लण्ड ने सलामी दीl

डॉक्टर ने लण्ड को पकड़ा और घुमा कर हाथ फेर कर बोली- अभी कुछ आराम हुआ है, अब देखते हैं कि चुदाई से क्या फर्क पड़ता हैl

और फिर हम चारों दिलिया के कमरे में गएl

मैं दिलिया और सारा शुरू हो गएl मैंने दिलिया और सारा के कपड़े उतार उन्हें नंगी कर दियाl मैंने दिलिया को चूमना शुरू किया तो वह गर्म हो मेरी किस का जवाब देने लगीl

सारा भी मुझे जहाँ तहाँ चूमने लगी और मेरा लण्ड को चूमने लगी फिर लण्ड को मुँह में लेकर चूसने लगीl लण्ड और ज्यादा खड़ा हो गया और फड़फड़ाने लगाl

फिर मैं दिलिया की चूचियाँ दबाने लगा और सारा की चूत में उंगली करने लगाl मेरी दोनों बेगमें पूरी गर्म हो गयी, दोनों की चूत पूरी गीली हो गयी, दोनों ने अपना चूत रस मेरे लण्ड पर लगा कर उसे चिकना कर दियाl

दिलिया झूले पर आ गयी, मैं दूसरे झूले पर आ गया और दिलिया मेरे लण्ड पर बैठ गयी और मुझे चूमने लगीl मैं उसका निचला होंठ चूसता रहा, वह धीरे धीरे नीचे होने लगीl फिर वो घूमने लग गयीl

सारा ने भी एक नया काम किया, उसने भी एक झूला बनाया और दिलिया के झूले से बाँध लिया, दिलिया को किश करने लगी और उसके मोमे सहलाने लगीl मैं एक हाथ से सारा के मोमे और चूची दबाने लगा और दूसरे हाथ से सारा की चूत में उंगली करने लगाl

सारा को समझ आ गया था कि दिलिया की चूत की चाबी उसके ओंठ और जीभ है और उसे इस तरह से किस करने लगीl जब वो उसके ऊपरी ओंठ चूसती थी तो चूत लण्ड को जकड़ने लगती थी और जब निचले ओंठ को चूसती थी तो चूत लण्ड को ढीला छोड़ देती थीl जब सारा उसकी जीभ को अपनी जीभ से चूसती थी तो चूत लण्ड को अंदर खींचने लगती थी जैसे चूत लण्ड को चूस रही होl

मेरी चीखें निकलने लगी थी- अह्ह अह्ह येस अह्ह येस!

और दिलिया चिल्ला रही थी- जोर से चोदो मुझे ... उम्म्ह... अहह... हय... याह... मजा आ गया,

सारा भी दिलिया के साथ साथ उसे किस करती हुई घूम रही थीl

आज का मजा कल से बढ़ कर थाl सारा जो दिलिया के ओंठ और जीभ चूस रही थी, उसने मजा दुगना कर दिया था, ऐसा लग रहा था जैसे कोई लण्ड चूत में पेंच की तरह जा रहा होl ऊपर से झूला भी कस रहा था, दिलिया की चूत बार बार झड़ रही थी और पिचकारियां छोड़ रही थीl

मेरा और दिलिया का निचला भाग पूरा भीग चुका थाl

मैं भी उल्टा दिशा में घूमने लगा जिससे दोनों झूले कसने लगेl हम दोनों दस बारह बार पूरा चक्कर घूमे, मैं घड़ी की उल्टा दिशा में घूमा और दिलिया घड़ी की दिशा में घूमीl

फिर वो बोली- हाँ बहुत मज़ा आ रहा है ... हाईईई म्म्म्मम!

कुछ देर के बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। अब वो पूरी मस्ती में थी और मस्ती में सिसकार कर रही थी- अआह्ह्ह आाआइईई और करो, बहुत मजा आ रहा है।

अब वो इतनी मस्ती में थी कि पूरा पूरा शब्द भी नहीं बोल पा रही थी।

हम दोनों के चूतड़ बिस्तर से ऊपर उठ गए, केवल पैर बेड पर हमें रोके हुए थेl

तभी सारा ने हमारे पैर ऊपर उठा दिए हम दोनों घूमने लगे मैं घड़ी की दिशा में घूमा और दिलिया घड़ी की उलटी दिशा में घूमने लगीl मैंने दिलिया के चूतड़ों को उस तरह पकड़ा कि लण्ड बाहर न निकलेl

हम तीनों लटक कर एक दूर से उलटे घूम कर चूत में पेंच की तरह लण्ड को कस और ढीला कर रहे थेl हम दोनों बुरी तरह चिल्ला रहे थे- आअह्ह ह्ह ओह ह्हह उफ ममम आअह्ह्ह मर गय्ययीईइ राजजा!

सारा दिलिया के ओंठ लगातार चूस रही थी और चूची दबा रही थीl मैं सारा की चूत में उंगली कर रहा था सारा भी लगातार झड़ रही थीl

हमें इस तरह लटक कर चोदते देख डॉक्टर जूली की भी हालत ख़राब हो रही थीl शायद वह भी झड़ गयी थी लेकिन उसने खुद पर काबू किया हुआ थाl

कुछ देर में मैं भी झड़ गया और सारा ने दिलिया की जीभ चूसनी शुरू कर दी जिससे उसकी चूत ने मेरे लण्ड को निचोड़ दियाl

कुछ देर में हम तीनों थक कर नीचे लेट गए और मैंने दिलिया के निचले होंठ चूस कर अपने लण्ड को बाहर निकालाl

वह सूज गया था और बदस्तूर खड़ा डॉक्टर जूली को सलामी दे रहा थाl

डॉक्टर ने लण्ड को रूमाल से साफ़ किया और फिर पकड़ कर ऊपर नीचे और घूमा कर मुयायना किया और बोली- आमिर, चुदाई के दौरान अंदर की कुछ नसें दब गयी हैं जिससे लण्ड अब बैठ नहीं रहा हैl इसके लिए गहन जांच करनी पड़ेगीl इसके लिए अल्ट्रा साउंड, एक आर आई और कैट स्कैन करवाना पड़ेगा जो दिल्ली में होता हैl तभी कुछ पक्का कह पाऊंगी कि क्या समस्या है, तब तक आराम करो और सिकाई करोl और जल्द ही दिल्ली चलो ताकि पूरी जांच हो जाए इस मामले में देर करना ठीक नहीं होगाl

डॉक्टर के जाने के बाद सारा मेरे ऊपर आ गयी और मैंने उसे चोदा उसके बाद उसके अंदर पानी छोड़ा और तीनों सो गएl

कहानी जारी रहेगीl


आपका आमिर


आगे पढ़िए पांचवा अध्याय- वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई  भाग 4 में

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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
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#52
सबको नए साल की बधाईया
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#53
मजे - लूट लो जितने मिले

पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

भाग 4

मजो की दुनिया में मेरे अनुभव
जुली को पहली बार नग्न देखा


सुबह उठ कर मैंने दोनों दिलिया, सारा और लूसी को अपनी कसम दी कि वह मेरे लंड के सूजने, और न बैठने की बात खास कर परिवार में किसी को नहीं बताएंगी, क्योंकि खानदान के लोग बेकार में फ़िक्र करेंगेl मैंने उनको कह दिया कि पहले जांच करवा कर देख लेते हैं फिर आगे सोचेंगेl अगर जरूरत समझूंगा तो खानदान में मैं खुद बता दूंगाl

अगले दिन पूरा परिवार वापस आ गया और सब बीवियां व सालियां मिल कर मेरे पास बैठ गयींl मैंने उन सबको दिलिया की घमासान चुदाई की कहानी सुनाईl कहानी सुनाते हुए मैं डॉक्टर के पास जाने की और सूजे हुए लंड की बात गोल कर गयाl

कुछ दिन आराम करने से लंड में दर्द तो कम हो गया था लेकिन लंड बैठ नहीं रहा थाl

लेडी डॉक्टर, जो मेरी स्कूल की क्लासमेट थी, से बात की तो वो बोली- चूंकि लंड की नसें खड़े रहते समय दबी लगती हैं इसलिए ये बैठ नहीं रहा है बाकी तो पूरी गहन जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता हैl

इस दौरान मैं अपनी तीनों बीवियों को रात में एक- एक करके चोदता रहाl चुदाई जारी रहीl मेरा लंड झड़ता भी रहा लेकिन झड़ने के बाद बैठा नहींl

कुछ दिन बाद मैंने दिल्ली में कुछ जरूरी काम का बहाना बना कर दिल्ली का प्रोग्राम बना लिया और सारा भी मेरे साथ हो लीl

अम्मी ने बोला- दिल्ली में अपना घर हैl वहीं चले जानाl लूसी को साथ ले जाओl तुम्हारे रहने व खाने-पीने के लिए आराम रहेगाl

अम्मी के कहने पर लूसी की भी टिकट हो गयीl मैंने अपनी, सारा और डॉक्टर जूली की फ्लाइट की टिकट बुक कर दीl फ्लाइट में जूली मेरे एक तरफ बैठी थी और सारा दूसरी तरफl जूली और मैं दोनों अपने स्कूल के ज़माने की बातें करते रहेl

हमने अपने सभी पुराने दोस्तों को याद कियाl सारा मेरा हाथ पकड़े रही और बीच-बीच में मेरे लण्ड को सहला देती थीl एक बार जब सारा मेरे लण्ड को सहला रही थी तो डॉक्टर जूली से उसकी नज़रें मिलीं और दोनों मुस्कुरा दींl

एयरपोर्ट से जूली हमें दिल्ली के सबसे बड़े मशहूर हॉस्पिटल ले गयीl उसने अपनी जान-पहचान से मेरे टेस्ट जल्दी से करवा दिएl टेस्ट करने वाली नर्स भी मेरे लण्ड को यूँ खड़ा देख कर हैरान थीl वो सब आपस में फुसफुसा कर मेरी ही बात कर रही थीl

टेस्ट करने वाली लड़की ने अपने गोरे-गोरे नर्म हाथों को मेरे लण्ड पर कई बार फेर कर देखा तो उसके स्पर्श से मेरा लण्ड और तन गयाl

फिर उसने मुझसे पूछा- क्या आप हॉस्पिटल में एडमिट हैं?

मैंने कहा- नहींl

मुझे ऐसा लगा कि शायद वह मुझसे मिलना चाहती थीl यह सब डॉक्टर जूली की निगरानी में हो रहा था इसलिए वह भी नर्स की हरकतें देख कर मुस्कुरा रही थीl टेस्ट की रिपोर्ट के लिए हमें हस्पताल में अगले दिन का टाइम मिलाl

मैंने सबसे कहा- चलो अपना घर हैl वहीं रुकते हैंl

जूली बोली- हमारा भी दिल्ली में एक घर हैl मैं वहीं रुकूंगीl घर दिल्ली के सबसे बड़े और मशहूर हॉस्पिटल के पास ही है इसलिए आसानी रहेगीl

लिहाज़ा जूली अपने घर चली गयीl घर में सिर्फ हम 3 थे और कोई नहीं थाl घर काफी बड़ा और आलिशान थाl घर का सब काम-काज लूसी ने संभाल लियाl

लूसी और सारा जरूरी सामान लेने बाजार चली गयीl मैं थका हुआ था तो सोचा कि नहा कर फ्रेश हो जाता हूँl

मैं सारे कपड़े निकाल कर नहाने जा ही रहा था कि घर के बाहर वाले दरवाजे की बेल बजीl मैंने तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला तो देखा गेट पर गोरी-चिट्टी जूली एक लाल रंग की साड़ी और ब्लाउज में खड़ी हुई थीl उसके होंठों पर साड़ी के रंग वाली ही गहरी लाल लिपस्टिक रंगी हुई थीl उसने बालों में लाल गुलाब लगाया हुआ थाl

उसको देख कर ऐसा लग रहा था कि आसमान से कोई परी ज़मीन पर आकर उतरी होl

उसको लाल रंग की साड़ी में देख कर मेरा लंड एकदम कड़ा हो गया और तौलिया बुरी तरह से तन गयाl मैं जूली को देखता ही रह गयाl

मेरे मुँह से बेसाख्ता निकला- वो आये घर में हमारे, खुदा की कुदरत हैl कभी हम उनको तो कभी अपने घर को देखते हैं!

जूली शरमाते हुए बोली- अंदर आने के लिए नहीं बोलोगे?

मैंने कहा- सॉरी ... अंदर आ जाओ! आज तक तुम इतनी सुन्दर नहीं लगीl मैं तो तुम्हें देखता ही रह गयाl

मैं जूली के साथ कमरे में चला गया और हम बाते करने लगे

मैंने हिम्मत करके पूछ ही लिया- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड है या नहीं?

उसने बोला- पढाई से फुर्सत नहीं मिली तो बॉयफ्रेंड कहां से पालूँ?

मैंने कहा डॉक्टरी में कोई डॉक्टर नहीं मिला तो वह बोली उसका लड़कियों का मेडिकल कॉलेज था किसी लड़के से दोस्ती नहीं हुई

धीरे-धीरे मैं उससे खुल कर बात करने लगा, वो भी मुझे वैसा ही जवाब देने लगी,

मैं कुछ देर बाद वाशरूम में घुसा और फ्रेश होने लगा।

इसलिये फारिग होने पर मैंने अपने पूरे कपड़े उसी वाशरूम में उतारे और बाहर नंगा ही आ गया।

जैसे ही मैंने वाशरूम का दरवाजा खोला, जूली सामने थी, मुझे नंगा देखकर बोली- तुम नंगे क्यों हो?

आम तौर पर कोई भी लड़की किसी को नंगा देखे तो तुरन्त अपनी आँख बन्द कर लेती, पर जूली मुझे एकटक देख रही थी, मुझ उसकी इस बात से थोड़ा हौंसला मिला। तभी वो मुझसे बोली- जल्दी से अपने कपड़े पहनो सारा कभी भी आ सकती है ।

'यह तो कोई बात नहीं हुई कि तुम मुझे नंगा देखो।'

मैंने अपने कपड़े उठाये और गुसलखाने में घुस गया और वहीं से जूली को आवाज लगाई, मेरी आवाज सुनकर जूली गुसलखाने के पास आई और मुझे हल्के से झड़पते हुए बोली- अभी तक तुमने अपने कपड़े नहीं पहने, जल्दी करो, सारा आती ही होगी ।

मैंने उसकी इसी बात को पकड़ते हुए अपनी कपड़े को पानी से भरे हुए टब की तरफ करते हुए बोला- तुमने मुझे नंगा देखा है, मुझे भी तुम्हें नंगी देखना है।

'यह नहीं हो सकता, तुम अपने कपड़े पहनो। नहीं तो अब बुरा हो जायेगा।'

मैं थोड़ा डर गया, लेकिन मन ने कहा कि 'एक अन्तिम कोशिश कर लो, शायद नजर को सकून मिल जाये।'

यह ख्याल आते ही मैंने चड्डी को टब में डाल दिया और बोला- अगर तुम नंगी नहीं होगी तो मैं अपने सब कपड़े पानी में डाल दूंगा और इसी तरह नंगा रहूँगा, फिर तुम जानो और तुम्हारा काम!

बनियान डालने वाला ही था कि जूली मुझे रोकते हुए बोली- रूको!

कहकर वो अपने एक-एक कपड़े उतारने लगी और पूरी तरह से नंगी हो गई।

क्या उजला शरीर था जूली का! उम्म्ह... अहह... हय... याह!... मैं टकटकी लगा कर देखता ही रह गया!, क्या छोटे-छोटे संतरे जैसी उसकी चुची थी? उन संतरों जैसी चुची पर काली छोटी मोटी सी निप्पल थी। उसकी योनि पर घने-घने गुच्छे रूपी बालों को पहरा था। वह अपने दोनों हाथों से अपनी बुर को छुपाने का अथक प्रयास कर रही थी। उसकी कांखों और टाँगों पर भी बाल थे, जैसे एक अनछुई नवयौवना के होते हों।

तभी वो मुझे झकझोरते हुए मुझसे बोली- आमिर, अब तुमने मुझे नंगी देख लिया है, अब तुम जाओ प्लीज कपडे पहनो!

मैं तुरन्त अपने घुटने के बल पर उसके समीप बैठ गया और उसकी नाभि को चूमते हुए उसे थैंक्स बोला।

वो मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बोली- जाओ प्लीज, सारा कभी भी आ सकती है ।

मैंने उसकी बात को सुना और खड़े होकर उसको अपने से चिपका लिया, वो भी मुझसे कस कर चिपक गई, वो बड़ी गहरी-गहरी सांसें ले रही थी और उसकी गर्म सांसें मुझसे टकरा रही थी।

फिर वो मुझसे अलग होते हुए बोली- अब जल्दी से जाओ, मैंने तुम्हारी बात मान ली, अब तुम भी मेरी बात मानो।

मैंने कहा ठीक है पर अब तुम यही रुक जाओ, वो मेरी बात मान गयीl मैं उसे अपने साथ वाले कमरे ले गया और उसके कपडे दे कर बोला, तुम यही रुको मुझे तुम्हारे पास रहने से सकून रहता है, की अगर कोई जरूरत होगी तो तुम पास ही होl

मैंने तुरन्त ही अपने कपड़े पहने और वहां से चला गया। वो मुझे नंगी ही दरवाजे तक छोड़ने आई।

मैं खुद भी नहीं समझ पाया, मेरे मन में जूली की बुर की चुदाई का ख्याल आ रहा था, पर हिम्मत नहीं पड़ रही थी।

मैं चुपचाप अपने कमरे में चला आया, लेकिन मैं आराम नहीं कर पाया कि कहीं मैंने जूली को हर्ट तो नहीं कर दिया, मुझे लगा कि जूली की बुर की चुदाई के बारे में मेरी सोच अनुचित है। लेकिन जूली की चुप्पी ने भी तो मेरा हौंसला बढ़ाया था और वो खुद भी मुझसे लिपटी हुई थी, उसकी बातों में कहीं भी सख्ती नहीं थी।

तभी मेरी नजर एक छोटी सी पर्ची पर पड़ी, जो मॉनीटर से दबी हुई थी। उसमें लिखा था कि क्या आज तुम रात को मेरे कमरे में आ सकते हो?

मेरी तो खुशी का ठिकाना न रहा।

जब सारा और लूसी वापिस आये तो अमीने उन्हें बताया की डॉ जुली भी आ गयी है और मेरे कहने पर अब यही रुकेगी तो दोनों बहुत खुश हो गयीl

मैं अब समय को किसी तरह से बिता रहा था और बार-बार मेरी नजर घड़ी पर जा रही थी।

रात को खाना खाने के बाद अपने कमरे में आ कर मैं सारे कपड़े उतार कर पूरी तरह से निर्वस्त्र हो गयाl सारा नीचे जूली के पास बैठी रहीl

ऐसे करते करते कुछ ही मिनट हुए होंगे, कि तभी दरवाजा धीरे से खुलने की चरमराहट जैसी आवाज आई, और साथ में खुशबू का एक झोंका सा अन्दर घुसा।

मैं सन्न रह गया दरवाजे पर सारा थी ।

तभी सारा ने भीतर कदम रखा और अपने पीछे दरवाजा वापिस भिड़ा दिया और मेरे पहलू में आ के लेट गयी । उसके बदन से उठती भीनी भीनी महक से पूरे कमरे में रच बस गई।

अचानक उस ने मेरी तरफ करवट ली और मुझे अपने बाहुपाश में जकड़ लिया।

'सॉरी जानू, देर हो गई आने में! गुस्सा तो नहीं हो ना?' कहते हुए वो मेरे नंगे बदन पर चूम चूम के हाथ फिराने लगी।

सारा के उरोज मुझसे चिपके हुए थे और वो मुझसे चूमा चाटी करने लगी थी।

सारा लगातार मुझे अपने अंक में समेट रही थी और मेरे सीने पर फिरतीं उसकी हथेलियाँ मुझे जहाँ तहाँ जकड़ने लगीं थीं।

फिर उसने अपना एक पैर उठा के मेरे ऊपर रखा, उसकी मांसल जांघ का उष्ण स्पर्श मुझे अपने सीने पर महसूस हुआ और फिर उसने मेरी कमर के पास अपनी एड़ी अड़ा कर मुझे और कस लिया।

सारा कामातुरा होकर मुझे अपने से चिपटाए हुए मुझे चूम रही थी।

अचानक उसका हाथ मुझे सहलाते हुए नीचे की तरफ फिसल गया और मेरा तना हुआ कठोर लिंग उसके हाथ से छू गया।

दर्द के कारण मेरा मन तो बुझा हुआ था और छटपटा रहा था कि इस विवशता से कैसे मुक्ति मिले, लेकिन मेरा लिंग अविचल खड़ा था उस पर मेरा कोई वश नहीं रह गया था।

'अच्छा जी, आप तो बोल नहीं रहे लेकिन आपके ये तो कुछ और ही कह रहे हैं। देखो, मेरे आते ही ये कैसे तन खड़े होकर सैल्यूट मार रहा है मुझे! आखिर पहचानता है न मुझे!' कहते हुए सारा ने मेरा लिंग अपनी मुटठी में जकड़ लिया और चमड़ी को ऊपर नीचे करते हुए उसे सहलाने लगी, कभी मेरे अन्डकोषों को सहलाती, कभी लिंग के ऊपर उगे हुए बालों में अपनी उंगलियाँ फिराती। उसके कोमल हाथों का स्पर्श और महकते हुए जवान जिस्म की तपिश मुझे बेचैन किये दे रही थी, मैं बस जैसे तैसे खुद पर कंट्रोल रख पा रहा था।

'सुनो जी, आपका ये आज कुछ बदला बदला सा क्यों लग रहा है मुझे? जैसे खूब मोटा और लम्बा हो गया हो पहले से?' वो मुझे चिकोटी काटते हुए बोली।

अचानक वह मुझसे अलग हुई और उसके कपड़ों की सरसराहट मुझे सुनाई दी, मैं समझ गया कि उसने अपने कपड़े उतार दिये हैं और फिर उसका नंगा बदन मुझसे लिपट गया।

'अब आ भी जाओ राजा, और मत तरसाओ मुझे, समा जाओ मुझमें! देखो आपकी ये बुर कैसे रसीली हो हो के बह रही है।' वो बोली और मेरा हाथ पकड़ कर अपनी योनि पर रख कर दबा दिया।

उसकी गुदगुदी पाव रोटी जैसी फूली और योनि रस से भीगे केशों का स्पर्श मुझे भीतर तक हिला गया।

फिर सारा मेरा हाथ दबाते हुए अपनी गीली योनि पर फिराने लगी, मक्खन सी मुलायम उष्ण योनि ने मेरा स्पर्श पाते ही अपनी फांकें स्वतः ही खोल दीं और मेरी उंगलियाँ बह रहे रस से गीलीं हो गई।

मैं अभी भी क्रियाहीन और अविचल पड़ा था। मेरे दर्द पर वासना हावी होने लगी थी, रूपसी कामिनी सम्पूर्ण नग्न हो कर मुझसे लिपटी हुई मुझे सम्भोग करने के लिये उकसा रही थी, मचल रही थी, आमंत्रित कर रही थी, झिंझोड़ रही थी।

उसकी गर्म साँसें और परफ्यूम से महकता हुआ बदन मेरे भीतर आग भरने लगा था, मेरी कनपटियाँ तपने लगीं और मेरा बदन भी जैसे विद्रोह करने पर उतारू हो गया।

उधर सारा अभी भी मेरा हाथ पकड़े हुए अपनी योनि पर फिरा रही थी और मेरी उंगलियाँ योनि रस से भीगी हुईं केशों को ऊपर तक गीला किये दे रहीं थीं।

मैंने सोचा इसे थोड़ा और तड़पना चाहिए और नाटक करते हुए अपना हाथ उससे छुड़ाते हुए अलग कर लिया।

लेकिन सारा तो बुरी तरह से जैसे कामाग्नि में जल रही थी, उसने मेरा हाथ पुनः पकड़ लिया और अपने बाएं नग्न स्तन पर रख दिया।

मेरी हथेली में उसकी कड़क घुंडी और मुलायम रुई के फाहे जैसे मृदु कोमल उरोज का मादक स्पर्श हुआ। एक बार तो मन किया कि दबोच लूं उसे और चूस लूं।

लेकिन फिर रुक गया।

कहानी अगले भाग में जारी रहेगीl

आगे पढ़िए पांचवा अध्याय- वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई  भाग 5 में


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#54
मजे - लूट लो जितने मिले

पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

भाग 5

मजो की दुनिया में मेरे अनुभव
सारा की गर्म चुदाई.



मेरा हाथ अभी भी सारा के स्तन पर रखा था और उसकी सांसों, धड़कन का स्पंदन मैं अपनी हथेली पर महसूस कर रहा था। मैंने दूसरी करवट ले ली सारा पर तो जैसे साक्षात् रति देवी सवार थी उस रात!

मेरे करवट लेते ही सारा मेरे ऊपर से लुढ़क कर मेरे सामने की तरफ आ गई।

'अच्छा ये लो, आज मुंह में लेकर चूसती चूमती हूँ इसे। बहुत दर्द हुआ न आपको अब मैं इसे आराम देती हूँ सारा बोली और मेरा लंड पकड़ कर उस पर झुक गई और अपनी जीभ की नोक से उसे छुआ, फिर फोरस्किन को नीचे खिसका के सुपारा अपने मुंह में ले लिया। मेरा लण्ड तो सारा के मुंह में प्रवेश करते ही फूल के कुप्पा हो गया।

सारा ने पूरा सुपारा अपने मुंह में भर लिया और एक बार चूसा जैसे पाइप से कोल्ड ड्रिंक चूसते हैं।

सारा ने फिर मेरे लंड की चमड़ी को चार छः बार ऊपर नीचे किया जैसे मुठ मारते हैं और फिर लंड को फिर से अपने मुंह में भर लिया, इस बार उसने पूरा सुपारा मुंह में ले लिया, मुंह को ऊपर नीचे करने लगी जिससे लगभग एक तिहाई लंड उसके मुंह में आने जाने लगा।

कुछ देर ऐसे ही करने में बाद सारा बेगम मेरे ऊपर आ गई और लंड को मेरे पेट पर लिटा दिया और अपनी चूत से लंड को दबा दबा के रगड़ा मारने लगी।

सारा के इस तरह रगड़ने से उसकी चूत के होंठ स्वतः ही खुल गये और मेरा लंड उसकी चूत के खांचे में फिट सा हो गया।

सारा जल्दी जल्दी अपनी चूत को मेरे लंड पे घिसने लगी, उसकी बुर से रस बहता हुआ मेरे पेट तक को भिगो रहा था।

अचानक उसकी रगड़ने की स्पीड बहुत तेज हो गई और उसके मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगीं 'आह, जानू, कितना अच्छा लग रहा है इस तरह! आपके लण्ड पर अपनी चुत ऐसे रगड़ने का मज़ा आज पहली बार मिल रहा है, आह! ओह!... उई माँ!... बस मैं आने ही वाली हूँ मेरे राजा!... जानू। इसे एक बार घुसा दो न प्लीज, उम्म्ह!... अहह!... हय!... याह!... फिर मैं अच्छे से आ जाऊँगी!

ऐसा कहते हुए सारा अपनी चूत को कुछ ऐसे एंगल से लंड पर रगड़ने लगी कि वो उसकी चूत में चला जाए।

लेकिन मैंने वैसा होने नहीं दिया इस पर सारा खिसिया कर पागलों की तरह अपनी चूत को मेरे लंड पर पटक पटक कर रगड़ते हुए मज़ा लेने लगी।
लंड पर मेरा कोई वश नहीं था, वो तो जवान कसी हुई नर्म गर्म चूत के लगातार हो रहे वार से आनन्दित होता हुआ मस्त था।

उधर सारा की चूत मेरे लंड पे रगड़ती हुई संघर्षरत थी और झड़ जाने की भरपूर कोशिश कर रही थी।

सारा के नाखून मेरे कन्धों में गड़ रहे थे और वो लगातार अपनी चूत मेरे बिछे हुए लंड पर रगड़ती हुई अपनी मंजिल की तरफ पहुँच रही थी।

मेरा बदन भी किसी रिफ्लेक्स एक्शन की तरह अनचाहे ही सारा का साथ देने लगा था और मैं अपनी कमर उठा उठा कर सहयोग दे रहा था।
अचानक अनचाहे ही मैंने सारा को अपनी बाहों में जोर से भींच लिया, उसके सुकोमल स्तन मेरे कठोर सीने से पिस गये। फिर मैंने पलटी मारी, अगले ही क्षण सारा मेरे नीचे थी, मैंने झुक कर उसके फूल से गालों को चूमा और उसका निचला होंठ अपने होंठों में कैद करके चूसने लगा।

सारा ने भी अपनी बाहें मेरे गले में लपेट दीं और मुझे चुम्बन देने लगी।

सब कुछ जैसे अनायास ही हो रहा था, पता नहीं कब मेरी जीभ सारा के मुंह में चली गई और वो उसे चूसने लगी। फिर अपनी जीभ निकाल के मेरे मुख में धकेल दी।

नवयौवना के चुम्बन का आनन्द ही अलग होता है, अब मैं सारा की गर्दन चूम रहा था, कभी कान की लौ यूं ही चुभला देता और वो मेरे नीचे मचल रही थी चुदने के लियेl बार बार अपनी कमर उठा उठा कर, मुझे जैसे उलाहना दे रही थी,अब जल्दी से पेल दो लंड को!

लेकिन मैं अपने अनुभव से जानता था कि खुद पर काबू कैसे रखना है और अपनी संगिनी को कैसे चुदाई का स्वर्गिक आनन्द देना है।

मैं सारा रानी को चूमता हुआ नीचे की तरफ उतर चला और उसका दायां मम्मा अपने मुंह में भर के पीने लगा, साथ ही बाएं मम्मे को मुट्ठी में ले के धीरे धीरे खेलने लगा उससे!

मेरी हरकतें सारा रानी को कामोन्माद से भर रहीं थीं और अब वो मुझे अपने से लिपटाने लगी थी।

मैं भी अत्यंत उत्तेजित हो चुका था, बढ़ती उत्तेजना में मैंने सारा के दोनों स्तन मुट्ठियों में जकड़ कर उसके गाल काटना शुरू कर दिया।

'राजा .... जानू, गाल मत काटो ना जोर से! निशान पड़ जायेंगे तो सवेरे मैं डॉक्टर को कैसे मुंह दिखा पाऊँगी?' सारा बहुत भोलेपन से बोली।
फिर मैंने सारा के गाल काटना छोड़ के उसके स्तनों को ताकत से गूंथते हुए पीना शुरू कर दिया।

'जानू, अब सब्र नहीं होता! समा जाओ मुझमें! अब और मत सताओ राजा!' सारा की शहद सी मीठी कामुक थरथराती हुई आवाज मेरे कानों में गूंजी।
पर मैं तो अपनी ही धुन में मग्न था, मैं उसे पेट पर से चूमते हुए उसकी नाभि में जीभ से हलचल मचाते हुए उसकी चूत को अपनी मुट्ठी में ले लिया।
सारा की पाव रोटी सी फूली गुदाज, नर्म चूत पर हल्की हल्की झांटें थीं और चूत से जैसे रस का झरना सा धीरे धीरे बह रहा था।

मुझसे भी सब्र नहीं हुआ और मैं चोदने की मुद्रा में उसकी टांगों के बीच बैठ गया।

सारा ने तुरन्त अपनी टाँगें उठा कर अपने हाथों में पकड़ लीं, उस अँधेरे में दिख तो कुछ रहा नहीं था, मैंने अंदाज से अपने लंड को उसकी चूत से भिड़ाया और उसकी रसीली दरार में ऊपर से नीचे तक रगड़ने लगा।

'अब घुसा भी दो जल्दी से, क्यों पागल बना रहे हो मुझे?' सारा मिसमिसाती हुई सी बोली।

मैंने उस अँधेरे में सारा की चूत का छेद अपनी उंगली से तलाशा और फिर सुपाड़े को की चूत के छेद पर टिकाया और फिर धकेल दिया आगे की तरफ!

चूत की चिकनाई की वजह से सुपारा गप्प से समा गया उसकी चूत में!

'उई माँ! धीरे से डालो, कितना मोटा लग रहा है यह आपका आज!' सारा थोड़े दर्द भरे स्वर में विचलित होकर बोली।

लेकिन मैंने उसके दर्द की परवाह किये बगैर लंड को थोड़ा और आगे हांक दिया।

'उफ्फ जानू, आपका यह लण्ड कितना मोटा लग रहा है आज! मेरी चुत की नसें खिंच गईं पूरी!' सारा बोली और फिर अपने हाथ चूत पे ले जाकर टटोलने लगी।

अभी मेरा सिर्फ सुपारा तीन इंच ही घुसा था उसकी चूत में, अभी भी कोई सात आठ अंगुल बाहर था चूत से!

मैं इसी स्थिति में कुछ देर रुका रहा, फिर जब सारा की चूत ने मेरा लंड ठीक से एडजस्ट कर लिया तो मैंने लंड को जरा सा पीछे खींच कर एक करारा शॉट लगा दिया।

पूरा लंड फचाक से उसकी चूत में समा गया और मेरी झांटें सारा की झांटों से जा मिलीं।

'हाय! लगता है फट गई! उफ्फ! आज पहली बार इतनी चौड़ी कर दी आपने! भीतर की नसें टूट सी गईं हैं।' सारा कराहते हुए बोली।

मैं चुप रहा और शांत लेटा रहा उसके ऊपर!

मेरा लंड सारा की चूत में फंस सा गया था, जैसे किसी ने ताकत से मुट्ठी में जकड़ रखा हो।

मैंने एक बार लंड को पीछे खींचना चाहा तो लंड के साथ चूत भी खिंचती सी लगी मुझे!

मैं रुक गया, फिर मुझे लगा कि सारा अपनी चूत को ढीला और शिथिल करने का प्रयास कर रही थी।

कुछ ही देर बाद सारा ने गहरी सुख की सांस ली और मेरी पीठ को सहलाते हुए अपनी कमर को हल्के से उचकाया जैसे उलाहना दे रही थी कि अब चोदो भी या ऐसे ही पड़े रहोगे?

सारा का संकेत पाकर मैंने लंड को पीछे लिया और फिर से धकेल दिया गहराई तक!

बदले में सारा के नाखून मेरी पीठ में गड़ गये और उसने अपनी चूत को उछाल कर जवाबी कार्यवाही की।

फिर तो यह सिलसिला चल पड़ा, तेज और तेज! मैं लंड को खींच खींच कर फिर फिर उसकी चूत में पेलता और सारा रानी पूरी लय ताल के साथ साथ निभाती हुई अपनी कमर उठा उठा के अपनी चूत देती जाती!

जब मैंने अपनी झांटों से सारा रानी के भागंकुर को रगड़ना शुरू किया तो जैसे वो उत्तेजना के मारे पगला सी गई और किलकारी मार कर मेरे कंधे में

अपने दांत जोर से गड़ा दिए और मेरे बाल अपनी मुट्ठियों में कस लिए और किसी हिस्टीरिया के मरीज की तरह पगला के अपनी चूत उछाल उछाल के


मेरा लंड सटासट लीलने लगी अपनी चूत में, और उसकी चूत से रस का झरना सा बहते हुए मेरी झांटों को भिगोने लगा।

मैंने भी अपने धक्कों की स्पीड और बढ़ा दी, अब चुदाई की फचफच और सारा की कामुक कराहें और किलकारियां गूँज रही थी-'राजा, बहुत मज़ा आ रहा आज तो और जोर से करो न,फाड़ डालो इसे आज!

सारा सटासट चलते लंड का मज़ा लेती हुई मुग्ध स्वर में बोली।

मेरी उत्तेजना भी अब चरम पर थी, मैं झड़ने की कगार पर था, मैंने बहूरानी के दोनों मम्मे कस के अपनी मुट्ठियों में जकड़ लिए और पूरी बेरहमी से उसकी चूत चुदाई करने लगा।

सारा भी तरह तरह की सेक्सी आवाजें निकालती हुई अपनी चूत मुझे परोसने लगी।

मेरी भोली भाली सौम्य सी लगने वाली सारा कितनी कामुक और चुदाई में सिद्धहस्त थी मुझे उस रात साक्षात अनुभव हुआ।अपनी चूत को सिकोड़
सिकोड़ के कैसे लंड लेना है उसे बहुत अच्छे से पता था, वो मज़ा लेना जानती थी और मज़ा देना भी जानती थी।

'जानू, निहाल हो गई आज मैं, ऐसा मज़ा पहले क्यों नहीं दिया आपने? बस चार छः करारे करारे शॉट और लगा दो, मैं आने ही वाली हूँ।' सारा मेरा गाल चूमते हुए बोली।

मैं भी झड़ जाने को बेचैन था, मैंने कुछ आखिरी धक्के सारा के मनमाफिक लगा कर उसे अपने सीने से लिपटा लिया और मेरे लंड से वीर्य की पिचकारियाँ निकल निकल के चूत में भरने लगीं।

मेरे झड़ते ही सारा ने मुझे कस के पूरी ताकत से भींच लिया और अपनी टाँगें मेरी कमर में लॉक कर दीं। वो भी झड रही थी लगातार और उसका बदन धीरे धीरे कंप कंपा रहा था।

जब सारा की चूत से स्पंदन आने शुरू हुए तो उस जैसा अलौकिक सुख मुझे शायद ही कभी किसी चूत ने दिया हो।

सारा रानी की चूत सिकुड़ सिकुड़ कर मेरे लंड को जकड़ती छोड़ती हुई सी वीर्य की एक एक बूँद निचोड़ रही थी।

बहुत देर तक हम दोनों इसी स्थिति में पड़े रहे, फिर सारा रानी ने अपनी टाँगें फैला दीं, मेरा लंड भी झडा तो फिर चूत ने उसे बाहर धकेल दिया।
झड़ने के बाद भी लंड बदस्तूर खड़ा था।

उधर सारा रानी गहरी गहरी साँसें भरती हुई खुद को संभाल रही थी, वो मुझसे एक बार फिर से लिपटी और मुझे होंठों पर चूम लिया। मैंने उसके मुंह से अपने वीर्य की गंध महसूस की जो संभोग के उपरान्त कुछ ही स्त्रियों के मुंह से आती है।

जल्दी ही सारा रानी का बाहुपाश शिथिल होने लगा और वो जम्हाई लेने लगी।

मेरी नज़र दरवाजे पर पड़ी तो देखा डॉक्टर जूली हमारा पूरा कार्यकर्म मुस्कुरा कर देख रही थीl

कहानी अगले भाग में जारी रहेगीl


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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम
  7. मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
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#55
मजे - लूट लो जितने मिले


पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

भाग 6

मजो की दुनिया में मेरे अनुभव

डॉक्टर जूली की चुदाई


डॉक्टर जूली ने भी मुझे और मेरे खड़े लैंड को देखाl मेरा लंड हर वक्त तना हुआ रहने लगा, इसीलिए लंड सामान्य स्थिति में नहीं आ रहा हैl डॉक्टर जूली ने लंड को पकड़, एक बार मुआयना किया, और उसे सहलाने लगीl

उसके होंठों पर सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक थी और तन पर काली पारदर्शी नाइटी थीl ये नाइटी उसको लूसी ने दी थी, उसके अन्दर उसने ब्रा और पैंटी नहीं डाली हुई थीl

वो ऐसी मस्त माल लग रही थी कि क्या बताऊंl उसकी तैयारी देख कर लग रहा था कि वो चुदने की पूरी तैयारी के साथ आई थीl

उसके एक हाथ को पकड़ कर मैंने झटके से अपनी ओर खींचा तो वह एकदम से मेरी तरफ आ गईl

मैंने उसके बालों से होते हुए उसके चेहरे को पकड़ा और उसके लाल होंठों पर धीरे से किस कियाl

मैंने जो बाबा ने दिए थे उनमे से एक मेवा उसके मुँह में डाल कर उसे खिला दिया l

वो सिहर गई और मुझसे चिपक गईl

फिर हम दोनों धीरे धीरे किस करने लगेl कभी मैं उसके ऊपर के होंठों को चूसता, तो कभी वो मेरे होंठों को चूसतीl

धीरे से मैंने अपनी जीभ उसके मुँह में डाली, जिसे उसने प्यार से चूसा और अगले ही उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल दी, जिसे मैंने भी प्यार से चूसाl

और शर्मा कर मुझ से लिपट गयीl मुझ से रहा नहीं गया और मैंने उसे किस कर दियाl

वह थोड़ा दूर हुईl जुली बोली आमिर मैं तुम्हे बहुत चाहती हूँ, आज हिम्मत कर तुम्हे अपने दिल के बात कहने आयी हूँl

मैं उसे देखता रह गया और उसके हाथ को पकड़ कर अपनी और खींचा और उसके होंठो पर अपने होंठ लगा कर किस करने लगा, और बोला जुली, तुम बहुत सुन्दर हो और प्यारी भी होl

मैंने जुली को अपनी गोदी में उठा लिया और किस करना लगाl जुली बोली प्लीज रुकोl तो मैंने उसे अंदर सोफे पर बिठा दियाl मैंने कहा जुली तुम बहुत सुन्दर हो अब जब मैंने तुम्हे आधा नंगा देख ही लिया है तो अब तुम शर्म छोड़ कर मुझे प्यार करने दोl

जुली बोली मैं मन ही मन तुम्हे अपना मान चुकी हूँl मैंने सिर्फ मर्द के तौर पर तुम्हे नंगा देखा है और तुमने मुझे नंगा देखा है, और मैंने उसे पकड़ कर गले लगा लियाl

जुली मुझसे लिपट गयीlऔर मैं उसके ओंठ चूसने लगा वह भी मेरा साथ देने लेगीl

इसके बाद वो एक दम से हटी और एक कोने में सिमट कर दुबक कर बैठ गयीl

एक डॉक्टर होने के बाद भी उसका ये व्यवहार मुझे समझ नहीं आयाl

मैंने उससे पुछा तुम तो डॉक्टर हो यह सब तो जानती होगी? वह बोली हाँ पढ़ा तो सब है, पर देखा सिर्फ तुम्हे l बचपन से ही तुम्हे चाहती थीl फिर पढाई के लिए दिल्ली आ गयीl सोचती थी तुम मुझे भूल गए होंगेl मेरा परिवार बहुत पुराने ख़यालात का हैl कल जब तुम्हे सेक्स करते हुए देखा तो मेरी दबी हुई कामनाये जाग उठीl इसलिए यहाँ आयीl

फिर मैंने पुछा क्या तुम कुंवारी होl

तो जुली कुछ नहीं बोली l

तो मैंने पुछा कोई बॉय फ्रेंड थाl तो बोली हां एक बना था , उसी से एक बार सेक्स किया था l उसका लंड बहुत पतला थाl बस उसने कुछ धक्के लगा के दम निकल गया और वह शर्म के मारे भाग गयाl

फिर कभी भी इसलिए हिम्मत नहीं की कोई बॉय फ्रेंड बनाने की फिर सेक्स तो दूर की बात हैl आज मैं अपने सुख का अहसास करना चाहती हूँ।'

उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली- आज अपनी इच्छा से अपने लिये कुछ कर रही हूँ और मेरे परिवार में किसी को कुछ नहीं मालूम है।

मैंने कहा- कोई बात नहीं, अगर तुम नहीं चाहती तो कोई बात नहीं, कोई जबरदस्ती नहीं हैl

वो आगे कुछ नहीं बोली बस मेरे लिप्स को किश करने लगीl मैंने उसका ओंठो पर एक नरम सा चुम्बन ले लिया, और जुली के चेहरे को अपने हाथों में लेकर गाल पर किस किया, और वह फिर शर्मा कर सिमट कर मुझ से लिपट गयीl मैंने जुली को अपने गले लगाया और पीठ पर हाथ फिरा दियाl उसकी पीठ बहुत नरम मुलायम और चिकनी थीl

ओए होएll क्या बताऊँll जुली जो की 21 साल की बला की ख़ूबसूरत हैl उसे देख मेरा लंड बेकाबू हो गयाl जुली का रंग दूध से भी गोरा, इतना गोरा के छूने से मैली हो जाए l बड़ी बड़ी काली मदमस्त आँखे, गुलाबी होंठ, हलके भूरे रंग के लम्बे बाल, बड़े बड़े गोल गोल बूब्सl नरम चूतड़, पतली कमर, सपाट पेट, पतला छरहरा बदन और फिगर ३6 २४ ३६ थाl कद ५ फुट ५ इंच थाl दिखने में एकदम माधुरी जैसी है और आवाज़ मीठी कोयल जैसीl जुली किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। मेरा 7 इंची हथियार शिकार के लिए तैयार l

उसे गोदी उठा कर बेड रूम में ले गया और उसे बिस्तर पर बिठा दिया मैं थोड़ा सा आगे होकर बिस्तर पर बैठ गया और उसका हाथ पर अपना हाथ रख दिया l उसका नरम मुलायम मखमल जैसा गर्म हाथ पकड़ते ही मेरा लंड फुफकारे मारने लगा और सनसनाता हुआ पूरा 8 इंची बड़ा हो गया थाl

उसकी चमड़ी इतनी नरम मुलायम नाजुक और पारर्दर्शी थी के उसकी फूली हुई नसे साफ़ नज़र आ यही थीl मैने एक गुलाब उठा कर उसके हाथो को छू दिया और वह कांप कर सिमटने लगी दूध जैसी गोरी चिट्टी लाल गुलाबी होंठ!

तुम तो बेहद हसीं हो हो मेरी जान l मैंने धीरे से उसके चेहरे को ऊपर किया जुली की आँखे बंद थी ll उसने आँखे खोली और हलकी से मुस्करायीl

जुली ने सिर्फ नाइटी डाली हुई थी, अन्दर उसने ब्रा और पैंटी नहीं डाली हुई थीl उसके गोल गोल सुडोल मम्मी मुझे ललचा रहे थे फिर मेरे हाथ फिसल कमर तक पहुँच गए थेll क्या चिकनी नरम और नाजुक कमर थीl और उसे घूरने लगाl मेरे इस तरह घूरने से जुली को शर्म आने लगी और वो पलट गयी l

मैंने उसे अपनी बाहों में लिया, वो शरमाई लेकिन मैं तो पक्का खिलाड़ी था। उसको खड़ा किया और पूरे जिस्म को अपने बाँहों में जकड़ लिया। मैंने उसे दीवार के साथ खड़ा कर दिया। उसके दोनों हाथ दीवार के साथ सटे हुए थे गांड मेरी तरफ थी, मैंने पीछे से उसके मोम्मे पकड़ लिए और दबाना शुरू कर दिया, वो कसमसाने लगी। मैंने उसकी गांड पर हाथ फिराते हुए उसे गर्म कर दिया, और धीरे धीरे नाइटी उतार कर उसे बेपर्दा कर दिया, और मैं तो नंगा था हीl

उसके बूब्स को पकड़ कर सहलाने लगा और चूमने लगा क्या मस्त बूब्स थे उसकेll एकदम सेक्सी बड़े बड़ेll फिर में धीरे धीरे उसकी चूत तक पहुंचा और उसकी चूत को देखने लगा। तभी वो बोली कि क्या देखते ही रहोगे या कुछ करोगे भी? और फिर में अपने मुहं को उसकी चूत के पास ले जाकर मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू किया और जीभ से चोदने लगा।

वो शरमा रही थी लेकिन मैं पागल हुआ जा रहा था। एक भरी-पूरी जवान लड़की मेरे सामने नंगी खड़ी थी। मैंने उसके मोम्मे चूसना शुरू कर दिया। उसे भी मजा आने लगा लेकिन मुझ से रहा नहीं गया। मैं जल्दी से जल्दी उसे चोदना चाहता था।

लंड पकड़ कर बोली तुम्हारे लंड से चुदने में बहुत मजा आएगा और उसे सहलाने लगीl

मैंने उसे किस चूमने और सहलाने के बाद तभी करीब दस मिनट बाद मैंने उसके दोनों पैरो को फैलाकर. उसे लिटा लिया और लंड उसकी चूत पर रख दिया। जैसे ही धक्का लगाया वो सिहर उठी। उसकी चूत कसी थी। जैसे ही मैंने जोर लगाया वो रोने लगी।

मैंने जोर से धक्का लगाया, लंड पूरा अंदर चला गया वो चीख पड़ी- मर गई मां, फाड़ दिया! मार दिया, बचाआआआआओ! कोई है मुझे इस जालिम से बचाओ! फाड़ दी मेरी, धीरे डालो!

लंड ने जुली की चूत के अन्दर जगह बना ली थी। पर जुली मुझे मेरा लंड निकालने के लिये लगातार बोले जा रही थी, कह रही थी- आमिर , प्लीज मेरे अंदर बहुत जलन हो रही है। निकालो!

मैंने उसकी बात को अनसुना करते हुए अपने काम को करना चालू रखा, बस हल्के-हल्के मैं अपने लंड को अन्दर बाहर कर रहा था, दोनों हाथ मेरे पूरे जिस्म का बोझ उठाये हुए थे और वो भी दर्द करने लगे थे, तो मैंने अपना पूरा बोझ जुली के ऊपर दे दिया और उसके होंठों को चूसने लगाl

धीरे-धीरे मेरी मेहनत रंग लाने लगी और अब जुली अपनी कमर भी उचकाने लगी, मैंने अपने को रोका और जुली की तरफ देखते हुए बोला- तुम अपनी कमर को क्यों उचका रही हो?

तो बड़ी ही साफगोई से बोली- मेरी चूत के अन्दर जहाँ-जहाँ खुजली हो रही है, तुम्हारे लंड से खुजलाने का मन कर रहा है। कितनी मीठी! यार ये बहुत ही मीठी-मीठी खुजली है, जितनी मिटाने की कोशिश कर रही हूँ, उतनी ही बढ़ती जा रही है।

'मजा आ रहा है?'

'बहुत मजा आ रहा है!' जुली बोली- मैं चाहती हूँ कि तुम अपना लंड मेरी बुर के अन्दर डाले ही रहो।

उसके इतना कहने के साथ ही मैं रूक गया और उसके चूची को मैं अपने मुंह के अन्दर भर लेता, तो कभी उसके दाने पर अपनी जीभ चलाता. या फिर उन दानों को बोतल में भरे हुए आमरस के अन्तिम बूंद समझ कर चूसता।

मुझे बहुत मजा आ रहा था कि जुली एक बार फिर बोली- आमिर, खुजली और बढ़ रही है।

मैं समझ चुका था, अब उसे मेरे लंड के धक्के चाहिये थे, इसलिये मैं एक बार फिर पहली वाली पोजिशन में आया और अपने दोनों हाथों को एक बार फिर बिस्तर पर टिकाया और इस बार थोड़ा तेज धक्के लगाने लगाl

जुली भी अपनी कमर उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी, करीब 10 मिनट तक दोनों एक दूसरे से दंगल लड़ रहे थे कि जुली ढीली और सुस्त हो गई और अब उसने अपनी कमर उचकाना बंद कर दिया थाl वो झड़ गयी थीl तो मैंने उसे दुबारा किस करना शुरू किया और उसके मोमे चूसने लगा वो दुबारा गर्म हो गयीl


एक बार जब लंड बाहर निकल आया था. लंड पर उसके योनि से निकली कुछ खून के बूंदे लगी हुई थी मतलब उसका बॉय फ्रेंड उसकी कौमार्य की झिल्ली का भेदन नहीं कर पाया था और वो अभी तक कुंवारी ही थीl

मैंने अपना लंड तभी उसकी चूत में डालकर धीरे धीरे चोदने लगाll लेकिन वो दर्द से अपनी आंखे बंद करके, मुझे जोर से पकड़कर चुपचाप पड़ी रही, और कहने लगी कि और जोर से चोदो मुझेll कर दो आज मुझे पूराll दो मुझे आज चुदाई का पूरा मजाl लेकिन उसकी चूत बहुत टाईट थीl तभी में उसे स्पीड बड़ा कर चोदे जा रहा था और उसे जबरदस्त धक्को के साथ चोदने लगाl

मुझे मजा आने लगा। मेरे धक्के बढ़ने लगे और डॉक्टर जुली को भी स्वाद आने लगा। वो लगातार बोले जा रही थी- फ़क फ़क कम फ़क मि हार्डर! आह आह ओह्ह! वो चीखे जा रही थी, मैं धक्के मारता चला जा रहा था। मज़ा दोनों को आ रहा था। 15 मिनट की चुदाई के बाद मैं झड़ने जा रहा था। मैं भी चिल्लाने लगा- हाय जुली, मेरी जान! मजा आ गया तुझे चोद कर कर! वाह क्या जवानी है! ले मेरी जान, ले ले ले! वो भी बोले जा रही थी- आह आह आह आआआआआआआ! और मैं झड़ गया। वो भी तीन बार झड़ चुकी थी। अपना पूरा वीर्य चूत में छोड़कर उसके ऊपर ही लेटा रहा और उसके बूब्स को चूसने लगा।

लंड महाराजा झड़ने के बाद भी बादस्तूर खड़े थेl

कहानी जारी रहेगीl

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#56
मजे - लूट लो जितने मिले

पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

भाग 7

मजो की दुनिया में मेरे अनुभव
जूली अपने पूरे रंग में


थोड़ी देर बाद लूसी और सारा कमरे में ख़ास मेवों और केसर वाला दूध चाय ले कर आयीं और हमें उठायाl वो दोनों एक स्वर में बोलीं- मुबारक हो! बना गयी जूली के साथ सुहाग रात, आमिर मियाँ! जहाँ जाते हो नयी-नयी हसीनाओं को अपने बीवी बना लेते होl एक और नयी बेगम मुबारक होl

उन्होंने जूली से लिपट कर उसे मुबारकबाद दीl

जूली शरमा कर अपने बदन को चादर से ढकने लगी तो सारा बोली- मुझसे क्यों शर्मा रही हो जूली आपा? मैंने और लूसी ने आपका पूरा सुहाग रात खड़े होकर देखा हैl तुम दोनों तो एक दूसरे में इतना खोये हुए थे कि कुछ होश ही नहीं था तुम्हें!

फिर वो जूली को पकड़ कर वॉशरूम में ले गयी और उसे नहलायाl नहलाने के बाद उन्होंने जूली को अच्छी तरह साफ़ कियाl मैं भी अंदर चला गया और खुद को साफ़ कियाl मेरा लंड अभी भी तना हुआ थाl सारा ने भी कोई कपड़ा नहीं पहना हुआ थाl

सारा ने जूली की झाटें साफ़ कर दींl फिर हम तीनों ने एक साथ शावर लिया और मैंने शावर में ही जूली को किस करना शुरू कर दियाl ऊपर से शावर का पानी जैसे बदन में आग लगा रहा थाl जूली के गीले बदन से चिपकने के बाद मेरी वासना भड़कने लगी थी, जूली भी मुझसे लिपट गयीl

मैंने पूछा- कैसा लगा मेरे साथ चुदाई करके मेरी जान?

वो बोली- शुरू में तो दर्द हुआl लेकिन फिर बहुत मजा आयाl आई लव यू आमिर! (मैं तुमसे प्यार करती हूँ आमिर)। तुमने मुझे वह सुख दिया जिससे मैं आज तक महरूम रहीl

हम तीनों बाहर आ गए और एक दूसरे के भीगे हुए बदनों को चाट-चाट कर सुखाने लगेl तीनों पूरे गर्म हो गए थेl

जूली बोली- आमिर, मैंने तुम्हारे जैसा लंड नहीं देखाl डॉक्टरी पढ़ने में मैंने कई शरीर देखेl मगर इतना लम्बा और तगड़ा लंड नहीं देखाl

सारा बोली- आमिर, तुम जूली को फिर से चोदोl लगता है इसको तुम्हारे लंड से कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया हैl जब से इसने तुमको नंगा देखा है इसकी आंखें तुम पर ही लगी रहती हैंl इसकी प्यास अच्छे से बुझाओ मेरे शौहर!

सारा की बात सुन कर मैंने जूली को चूमना शुरू कर दियाl उसकी चूत पर हाथ रखा तो उसकी चूत सूजी हुई थी और गीली भी लग रही थीl मैंने धीरे-धीरे उसके चूचे दबाये और निप्पल से खेलने लगाl उसके बूब्स और निप्पल कड़े हो गएl सारा भी उसकी नाभि को चूम रही थीl जूली ने भी सारा के चूचों से खेलना शुरू कर दियाl

मैं घूम कर उसके पीछे गया और उसके कंधे पर अपनी ठोड़ी टिकाकर उसके गाल से अपने गाल सटाकर बोला- जूली, तुम बहुत सुन्दर लग रही हो मेरी जान! तुम्हारे अन्दर से आती हुई महक मुझे और भी ज्यादा मदहोश करके तुम्हारा दीवाना बना रही है।

जूली भी मेरे गालों को सहला रही थी। मैं पीछे से ही उसकी तनी हुई चूचियों को दबाने लगाl

उसने अपने दोनों हाथों को पीछे की तरफ लाते हुए उनकी माला बनाकर मेरी गर्दन के पिछले हिस्से पर डाल दीl मेरे हाथ जब उसकी चूचियों को सहलाते हुए उसकी बगल में गये तो वहां बिल्कुल भी बाल नहीं थेl मुझे उसकी बगलों को सहलाने में बड़ा मजा आ रहा था।

थोड़ा सा और आगे झुकने के बाद मेरी नजर जब उसकी चिकनी चूत पर पड़ी तो मुझे लगा कि वास्तविक खजाना तो अब दिखाई पड़ रहा है। क्या उभारदार गुलाबी रंग की चूत थी उसकी!

अब मैं आगे की तरफ आया और अपने घुटनों पर बैठ गयाl मेरी उंगलियाँ उसकी चिकनी और सफाचट चूत को केवल सहला रही थीं। अब बाल का नामोनिशान नहीं था उसकी चूत परl झाटें साफ होने के बाद क्या मुलायम चूत लग रही थी!

मैंने जूली से कुर्सी पर बैठने के लिये कहाl मैं उसकी चूत को अच्छे से देखना चाहता थाl पहली बार की चुदाई के समय तो कुछ समझ में भी नहीं आया था।

मैंने उसकी चूत की फांकों को फैलायाl उसकी लाल-लाल गहराई में उसकी चॉकलेटी रंग की पत्तियां छुपी हुई थी। मैंने एक बार प्रशंसा भरी नज़र से जूली को देखा और फिर बिना उसके उत्तर का इंतजार किये ही मेरे होंठ उस मदहोश कर देने वाली चूत से टच हो गये।

शुरू में तो मैं उसकी कोमल चॉकलेटी चूत को बस चूमने के इरादे से ही छू रहा थाl मगर उसकी चूत की मदहोशी ऐसी थी कि पता नहीं कब मेरी जीभ उसकी चूत पर चलने लगीl उसके दाने को होंठों के बीच फंसा कर लॉलीपॉप की तरह चूस रहा था मैं।

मुझे तो पता ही नहीं चला कि कब मेरे दांत उसकी चूत के उभारों को काटने लगे, वासना इतनी प्रबल हो रही थी कि मैं उसकी चूत को खा जाना चाहता थाl

वो मेरे बालों को सहला रही थीl मगर जूली की उत्तेजना शायद मुझसे भी ज्यादा थीl इसी उत्तेजना का परिणाम था कि वो जल्दी ही खल्लास हो गई और उसका पानी मेरे मुंह में गिरने लगा। वो शायद संकोचवश मेरे मुंह को अपनी चूत से अलग करना चाह रही थी लेकिन वो असफल रहीl कुछ पल की कोशिश के बाद उसने प्रयास करना बंद कर दिया।

उसकी चूत के रस को चाटते हुए, नाभि से होते हुए उसके दूध को पीते हुए मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिएl उसने कोई प्रतिरोध नहीं कियाl

मैंने होंठ चूमने के बाद पूछा- जूली मैंने तुम्हारी मलाई चखीl मुझे बहुत पसंद आईl क्या तुम मेरी मलाई चखोगी?

वो खड़ी हुई और मुझे अपनी जगह बैठाकर खुद नीचे बैठ गई और मेरे लंड को अपने मुंह में भर लिया। मेरे लौड़े को मुंह में प्यार से भरने के बाद उसने अपने होंठों को भींचते हुए मेरे लंड की मैथुन शुरू कीl जूली बहुत प्यार से मेरे लंड को चूस रही थीl

उसके मुंह में लंड जाते ही मेरे मुंह से काम की ज्वाला सिसकारियों के साथ आनंद के रूप में आवाज बनकर मेरे होंठों से फूटने लगी- उम्म्ह! अहह! हय! याह! स्स्! आह्ह! जूली! मेरी जान! उफ्फ ओह्ह!

कभी वो लंड को पूरा मुंह में भर लेती तो कभी सुपाड़े की खोल को खींचकर अग्रभाग पर अपनी जीभ चला देतीl

वो मुझे दीवाना बना रही थीl कभी टट्टों को भी बारी-बारी से मुंह में भर लेती तो कभी फिर से पूरे लंड को मुंह गलप जातीl इधर मैं भी उसकी दोनों चूचियों से खेल रहा था।

जब उसने काफी देर मेरा लंड चूस लिया तो मैंने उसे अपनी गोदी में उठाया और बेड पर लेटा दिया और उसकी दोनों जांघों के बीच बैठकर उसकी चूत पर लंड सेट कियाl उसकी चूत अभी भी धधक रही थीl मैंने एक जोर का झटका दियाl

"आह्ह, बस!" जूली के मुंह से निकला।

मैंने तुरन्त ही अपने आपको काबू में किया और रुक गया और फिर धीरे-धीरे करके लंड को उसकी चूत के अन्दर पेवस्त किया। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसकी चूची को अपने मुंह में भर लिया।

"आमिर, तुम बहुत अच्छे हो। मैं आज दुनिया के सब सुख पा गई!" जूली के मुंह से आनंद के सीत्कार बहने लगेl

मुझे लगा कि ये उसके इमोशन हैंl मैंने अपना काम चालू रखा। अब मैं धीरे-धीरे अपने लंड को आगे-पीछे करने लगा और धक्के की स्पीड भी धीरे-धीरे बढ़ाने लगा।

एक जैसी पोजिशन में धक्के मारते-मारते मैं थकने लगा तो मैं चित लेट गया और जूली को अपने ऊपर कर लिया और फिर उसकी चूत में लंड डालकर नीचे से अपनी कमर उठा-उठाकर उसको चोदने लगा।

जूली भी अब समझ चुकी थीl वो भी मुझे चोदने की कोशिश कर रही थीl हालांकि उसके इस प्रयास से उसकी चूत से लंड बाहर आ जा रहा था।

लेकिन एक बार जब वो समझ गई तो एक एक्सपर्ट की तरह वो भी मुझसे खेलने लगी।

कई मिनट तक जूली मेरे लंड पर कूदती रही और मैं आनंद में गोते लगाता रहाl मगर मेरे लौड़े की चुदाई से जूली जल्दी ही स्खलित होने के कगार पर पहुंच गईl उसके मुंह से तेजी के साथ जोर की आवाजें निकलने लगींl आह्ह ll आह्ह! उम्म! ओ! आमिर! आह्ह! मजा आ रहा है बहुत!

कुछ ही पल के बाद जूली की चूत से एक बार फिर उसकी मलाई मेरे लंड पर फैलकर उसको चिकना कर गईl जूली एक तरफ जाकर गिर गईl लंड अभी भी टॉवर की तरह तना हुआ था तो सारा मेरे ऊपर चढ़ कर लंड को अपने अन्दर ले कर ऊपर-नीचे उछलने लगीl

जब तक सारा भी झड़ नहीं गयी तब तक वह भी मेरे लौड़े पर बैठ कर उछलती रहीl सारा को चोदते हुए मैं जूली की चूचियां भी साथ के साथ ही सहलाता रहा और उसे लिप-किस करता रहाl

मेरे इन प्रयासों से कुछ देर में जूली फिर गर्म हो गयी और सारा को एक तरफ हटा कर मेरे ऊपर आ गयीl उसका मुंह मेरे पैरों की तरफ था और उसकी पीठ मेरे मुंह की तरफl मेरे लंड को उसने अपने हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर सेट करके उसने अपने शरीर का भार मेरे लंड पर छोड़ना शुरू कर दियाl

धीरे-धीरे मेरा लंड उसकी चूत के अंदर समा गयाl वह फिर से उछल-उछल कर मुझे चोदने लगीl मैंने भी उसकी चूत में लंड को अंदर-बाहर करते हुए उसका पूरा साथ देना शुरू कर दियाl

कुछ देर इसी पोजीशन में चुदने के बाद वो मेरे कहने से उठी और उठ कर सीधी बैठ गईl अब उसका मुंह मेरी छाती की ओर आ गया था और उसकी गांड मेरे पैरों की ओर थीl

कई बार उसने ऐसे ही पोजीशन बदलीl जब भी वह उठती तो उसकी तनी हुई चूचियां देख कर मेरे लंड में वासना की एक लहर सी उठ पड़तीl मन करता कि उसको पटक-पटक चोद दूं लेकिन मैं नीचे लेटा हुआ था और जूली को अपने मन की हसरत पूरी करने का पूरा मौका दे रहा थाl

उसके इस तरह के प्रयास में ही मेरा लंड जवाब देने लगा थाl दो-तीन बार पोजीशन बदलने के बाद मैंने जूली को नीचे उतारा और उससे बोला- अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी चूत के बाहर अपना पानी निकाल सकता हूँ और अगर तुम चाहो तो मेरी मलाई को अपने मुंह में ले सकती हो!

मेरी बात सुनने के बाद उसने मेरे लंड को अपने मुंह में भर लियाl

वह मेरे लंड को मुंह में लेकर तेजी से चूसने लगीl चूंकि मैं अपने आनंद की परम सीमा पर पहुंच चुका था इसलिए उसके सिर को पकड़ कर अपने लंड पर जोर से दबाते हुए उसके मुंह को चोदने लगाl उसको खांसी हुई तो मैंने उसके सिर को आजाद कर दियाl

उसके बाद फिर से मैं उसके मुँह में धक्के लगाने लगा और आखिरकार मेरा वीर्य मेरे टट्टों से चलकर मेरे लंड से होता हुआ बाहर आने को हुआ तो मैंने जूली के मुंह को पीछे की तरफ करके अपने लंड को हाथ में ले लियाl

मेरी बीवी सारा मंझी हुई खिलाड़ी थी तो मेरी हालत समझ गईl उसने तुरंत ही जूली के मुंह के साथ ही अपना मुंह भी सटा कर मेरे लंड के सुपाड़े की तरफ वीर्य की आस में लगा लियाl हाह!आह्ह! होफ! ओ! हह्ह! की आवाजों के साथ मेरा बदन अकड़ने लगा और मेरे लंड ने वीर्य की पिचकारियां दोनों के मुंह पर बरसानी शुरू कर दींl उन दोनों ने मेरे वीर्य की हर एक बूंद को चाट लियाl

जूली की चूत फूल कर लाल हो गई थीl वहीं सारा ने भी वीर्य की बहती नदी में चूत को धो लिया थाl दोनों की दोनों खुश लग रही थींl मैं भी उन दोनों को खुश करने के बाद थक सा गया थाl यूँ तो तीनों ही थके हुए थे मगर मैं अब कुछ देर लेटना चाहता थाl लंड की तरफ देखा तो वो पहले से ज्यादा मोटा लग रहा थाl

जूली की टाइट चूत को चोदने के बाद उसकी मोटाई शायद और बढ़ गई थीl कुछ पहले से ही सूजन थी ऊपर से जूली की कसी हुई चूत और साथ में सारा की चुदाई करके लंड लाल गाजर के जैसा हो गया थाl मगर एक कहावत है कि रस्सी जल गई मगर बल नहीं गयाl मेरे लंड के साथ भी यही हो रहा थाl दो बार झड़ चुका था मगर अकड़ यूं की यूं बनी हुई थीl

खैर, इस सामूहिक स्खलन के बाद हम तीनों के तीनों थोड़ी देर तक एक-दूसरे के साथ चिपक कर लेटे रहे।

पहली बार तो जूली के साथ सब कुछ जल्दी जल्दी में हुआ था मगर दूसरी बार में जूली भी अपने पूरे रंग में आ गई थीl इस दूसरी बार में जूली की चूत को चोद कर लंड को अबकी बार कुछ ज्यादा सुकून सा मिलाl जूली भी पहले से ज्यादा संतुष्ट दिखाई दे रही थीl

मगर लंड महाराज ज्यों के त्यों तने हुए खड़े थेl

कहानी जारी रहेगीl

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पांचवा अध्याय - वासना भरी ताबड़ तोड़ चुदाई

मजो की दुनिया में मेरे अनुभव


आपने अब तक मेरी कहानी "मजे - लूट लो जितने मिले: के अध्याय 1-5 में आपने पढ़ा कैसे मैंने सारा आपा के हलाला से पहले नूरी खाला को चोदाl मेरा निकाह सारा आपा से हुआl सारा को चोदने के बाद कैसे मैंने अपनी दूसरी बीबी ज़रीना को चोदाl

वलीमे की रात मैंने दोनों की गांड मारी और सुबह डॉक्टर को दिखाना पड़ा और डॉक्टर ने ३ दिन चुदाई बंद का हुकुम सुना दियाl

उसके बाद मैंने अपनी बीबियो और सालीयो को सुहागरात की चुदाई की कहानी और लूसी के साथ मेरी पहली चुदाई की कहानी सुनाई

रात को दिलिया के साथ सुहागरात मनाई और वहां हुई झूले पर घमासान चुदाई के बाद, मेरे लंड की नसें दब गईंl मेरा लंड हर वक्त तना हुआ रहने लगाl मेरे लंड का बूरा हाल हो गयाl उस पर नील पड़ गए और सूजा हुआ लंड बस खड़ा रहा l

लंड पर नील पड़ गए और सूज भी गया थाl डॉक्टर जूली ने चेक-अप के बाद प्राथमिक जांच में बताया था कि चुदाई करते वक्त लंड की नसें नीचे दबी रह गई होंगी, शायद इसीलिए लंड सामान्य स्थिति में नहीं आ रहा हैl डॉक्टर ने आगे गहन जांच की बात करिl

उसके बाद मैंने लूसी और सारा के साथ दिल्ली जाकर चेक-अप करवाने का प्लान बनायाl डॉक्टर जूली की दिल्ली में जान-पहचान थी और उसने मेरे सारे टेस्ट जल्दी ही करवा दियेl

फिर कुछ दिन बाद मैं लूसी और सारा चेकउप के लिए डॉक्टर जुली के साथ दिल्ली आ गए और जुली मेरे घर आयी और मैंने डॉक्टर जूली को सारा के बेडरूम में ले जाकर चोद दियाl


ll पांचवा अध्याय समाप्त ll


अगले छठे अध्याय में पढ़िए -खड़े लंड की दास्ताँ.

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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम
  7.  मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
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#58
मजे - लूट लो जितने मिले


छठा अध्याय -खड़े लंड की दास्ताँ.

INDEX 

भाग 1 -जन्नत
भाग 2- खड़े लण्ड की अजीब दास्ताँ -Priapism
भाग 3- गेंद खेलती लड़की के साथ बगीचे में सेक्स
भाग 4- डॉ जस्सी के क्लिनिक पर मेरे लंड की जांच
भाग 5- कुंवारी जस्सी के साथ सेक्स
भाग 6-हूर जैसी लड़की ने लिया मेरा इम्तेहान
भाग 7-जन्नत की हूर जैसी सोनी
भाग 8-सोनी की पहली और 6 सुंदरियों की चुदाई
भाग 9-खाला की चुदाई
भाग 10- निकाह मिस्यार, एक से अधिक निकाह
भाग-11 - तीनों बीवियों ने मिल कर कैसे ग्रुप सेक्स का मजा लिया.
भाग-12 - तीनों बीवियों ने मिल कर कैसे ग्रुप सेक्स का मजा लिया
भाग-13 - नर्स के साथ सेक्स का मजा लिया
भाग-14 - नर्स मधु की पहली चुदाई
भाग-15- डॉक्टर और नर्सो के साथ समूह सेक्स.
भाग-16 एक नयी हसीना ऐनी से मुलाकात
भाग-17 हसीना ऐनी
भाग-18 ऐनी के साथ पहला सम्भोग
भाग-19 खुली बालकनी में बारिश के साथ में चुदाई
भाग-20 ताज के पास नदी के किनारे पर न्यूड और सेक्सी फोटोशूट.


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मजे - लूट लो जितने मिले

छठा अध्याय -खड़े लंड की दास्ताँ.

भाग 1

जन्नत


रात को डॉक्टर जुली और सारा के साथ घमासान दो राउंड चुदाई हुई l और मैं दोनों के साथ चिपक कर सो गयाl

सुबह सुबह लूसी मेरे पास आयी सारा और डॉक्टर जूली दोनों नंगी थकी हुई सो रही थी और मुझे चूमा और बोली आपसे बात करनी हैl

तो मैं दुसरे कमरे में चला आया तो लूसी मुझ से चिपक गयी और किस करते हुए लेंस पर हाथ फेरते हुए बोली कैसे हैं?

मैंने कहा अब दर्द तो नहीं है पर ये लंड अब बैठ नहीं रहा जबकि इस वक़्त मेरे मन में कुछ भी सेक्स का नहीं है l

तो लूसी बोली जब से आप कश्मीर हो कर आये हो, मुझे तो भूल ही गए हैंl उधर मैं आपकी चुदाई देख देख कर तड़प रही हूँ l मैं बोला मेरी जान मैं तो कश्मीर से सिर्फ तुम्हारे चक्कर में ही जल्दी वापिस आया, जबकि खाला तो कह रही थी कुछ दिन रूक जाओ और अपनी तीनो बीवियों के साथ यही पर सुहागरात और हनीमून मना लो फिर चले जाना, पर मेरे मन में उस समय तुम घूम रही थी, इसीलिए भागा चला आया, पर फिर मौका ही नहीं मिला तुमसे मिल कर चुदाई करने काl

मैंने कहा मेरी लूसी तो चलो सुबह सुबह एक राउंड हो जाए लंड महाराज तो त्यार ही हैं और लूसी को लिप किस करने लगाl मैंने लूसी के सारे कपडे उतार दिए और बेड पर पटक कर कस कर चोदा और उसकी चूत के अंदर ही पानी छोड़ा l

लंड महाराजा झड़ने के बाद भी बादस्तूर खड़े थेl

हमारी आवाज़े सुन डॉक्टर जग गयीl चाय नाश्ते के बाद जूली बोली मुझे कुछ जरूरी काम है थोड़ी देर में आती हूँl डॉक्टर जुली, ये कह कर मेरे लंड पर पैंट के ऊपर से हाथ फेरने लगीl धीरे धीरे खड़ा लंड और कड़क होने लगाl डॉक्टर बोली लूसी तुम और सारा आमिर और उसके लंड का ख्याल रखो, मैं कुछ जरूरी काम और सामान चाहिए वो सब ले कर आती हूँ और डॉक्टर बाहर चली गयीl

लूसी ने मुझे लिप किस किया और लण्ड सहला का बोली जानू चिंता मत करो मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगी और चाय बनाने चली गयीl हम दोनों ने चाय पी

तो सारा भी वहां आ गयी और मेरा खड़ा लंड देख कर बोली क्या आपका लंड अब ऐसे ही खड़ा रहेगा तो मैंने कहा

जब से फ़क़ीर ने बोला है तुम्हे जन्नत के मजे यहीं पर मिलेंगे तब से मेरे साथ ऐसा हो रहा है और उन्होंने मुझे दुआ दी थी के मेरी तकलीफ बहुत जल्द दूर हो जायेगी और मुझे इस तकलीफ के बदले अद्भुत सुख मिलेगा

तो सारा बोली जानू कहते हैं जन्नत में मर्दो का लंड हमेशा खड़ा रहता है और अद्भुत सुख मिलता है कहते हैं ''जन्नत में एक पुरुष को एक सौ पुरुषों के बराबर कामशक्ति दी जाएगी'' l जन्नत में ऐश व निशात के लिए दुनिया की औरतें और जन्नत की हूरें हैं। जो बेइंतेहा हसीन वह खूबसूरत हैं मर्द वहां अपनी हुरों से खूब आनंद लेंगे.

तो मैंने कहा हूरे तो मेरी बीविया हैं ही और मजे तो मुझे मिल ही रहे हैं

लूसी ने मुझे लिप किस किया और लण्ड सहला का बोली जानू चिंता मत करो मैं तुम्हारा पूरा ख्याल रखूंगी और बोली हज़ूर आज सारा का जन्मदिन है और आज उसका चौदहवा दिन हैं वह आपसे से जल्द से जल्द बच्चा चाहती हैl मैंने डॉक्टर जुली से बात करि है उसने बताया है के माहवारी के 10-15 दिन में गर्भादान की संभावना सब से ज्यादा होती है आज आप उसे जी भर कर चोदे और माँ बना देl

मैंने कहा ठीक है और सारा के पास जा कर उसे किस करि आज उसमे से बहुत अच्छी महक आ रही थी ऐसी महक मैंने कभी सारा में महसूस नहीं करि थीl उससे मेरा लंड भड़क गया और पूरा तन गया मैंने सारा को बोला हैप्पी बर्थडे जानू आज तुम्हे मुझ से क्या तोहफा चाहिए तो सारा बोली मेरे खाबिन्द आज मेरा चौदहवा दिन हैं आज आप मुझे माँ बना दे और बोलै मेरी जान आज तुम्हे बहुत प्यार करूंगा तो वह बोली आमिर आप थोड़ा सा इंतज़ार करो फिर अपने कमरे में आ जाना l

लगभग सुबह 10 बजे लूसी मुझे मेरे कमरे में ले गयी फिर गहनों और फूलों से सजी धजी सारा को मेरे फूलों से सजे कमरे में ले आयी और मुझे छेड़ने लगी हैl आज सारा के सारी हसरते निकाल देना आज उसका चौदहवा दिन है आज कस कर चोदना के माँ बन जाए कोई कसर मत छोडना वह हँसते हुए सारा को मेरे पास छोड कर दरवाजा बंद कर चली गयीl

सारा ने मुझसे पूछा कि आपको मेरे जन्मदिन के बारे में कैसे पता चला? तो मैं बोलै लूसी ने बताया सारा इस बात से बहुत खुश थी और हम दोनों ने उस दिन साथ में केक काटा। हम दोनों एक साथ में बैठे हुए थे और सारा ने मुझे केक खिलाया तो वह कहने लगी आप बहुत ही अच्छे हो मैं सारा की तारीफ करने लगा उन्होंने मुझे कहा कि मुझे आज आपके साथ आपका बर्थडे मनाना बहुत अच्छा लग रहा है। मैंने उनको कहा मुझे भी आपके साथ बहुत अच्छा लग रहा है सारा बोली काफी समय बाद मेरे जीवन में इतनी खुशियां आई है। मैंने सारा को गले लगा लिया जब मैंने सारा को गले लगाया तो वह मुझे कहने लगी कि आप बहुत अच्छे हैं। उसने यह कहते ही मेरे होठों पर अपने गुलाबी होठों को टकरा दिया और जिस प्रकार से वह मेरे होठों का रसपान कर रहे थी उससे मैं बहुत ज्यादा खुश था और वह भी बहुत खुश नजर आ रहे थी ।

काफी देर तक मैंने उसके होठों को चूमा जब वो पूरी तरीके से उत्तेजित होने लगी तो हम दोनों ही अब रह ना सके क्योंकि मैं भी अपने अंदर की गर्मी को निकालना चाहता था । मैंने सारा के और अपने सारे कपडे निकाल दिएl

उसके बाद मैंने केक उसके मुँह बदन पर पर चुचो पर और चूत पर लगा दिया उसकी चूत की महक से मेरा लंड भड़कने लगा और उसके साथ चिपक गया तो मेरे बदन पर भी केक लग गयाl जिसे सारा ने मेरे पूरे बदन पर हाथ फिर कर फैला दिया दोनों के बदन केक की क्रीम से एकदम चिकने हो गए मैंने उसकी मोमे चूत ,और बाकी बदन पर लगे केक को चाट चाट कर साफ़ कर दिया और फिर सारा ने भी केक मेरे लैंड पर लगा दिया, और उसे चाट चाट कर साफ़ कर दिया पर केक पर लगी क्रीम के वजह से दोनों के बदन एक दम चिकने हो गएl

उसने मुझ से कहा मैं अपने आपको बिल्कुल भी रोक नहीं पा रही हूं। मुझे भर दो आज, कोई कसर मत छोड़नाl मैंने कहा मैं आपकी चूत के अंदर अपने लंड को घुसा देता हूंl मैंने सारा को पीठ के बल लिटाया और एक ही झटके में अपने मोटे लंड को उसकी चूत के अंदर पूरा घुसा दिया। वो चिल्लाने लगी उसके मुंह से बड़ी तेज चीख निकलने लगी थी और अपने आपको रोक नहीं पा रही थी उसे बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था।

आज उसकी चूत कुछ ज्यादा ही टाइट लग रही थी और रसीली हो गयी थी मुझे भी बहुत मजा आ रहा थाl मैंने रेलगाड़ी की स्पीड से धक्के लगाने शुरू कर दिएl वह भी अपने चूतड़ उठा कर कर लंड को ज्यादा से ज्यादा अंदर लेने लगीl हम दोनों एक दूसरे के साथ ऐसे ही मजे करते रहेl मुझे भी बहुत अच्छा लगा, फिर तो मैंने रेल ही चला दी, और वो दनादन धक्के मारे, और सारा भी चूतड़ उठा उठा कर साथ देती रही, और रस उसकी चूत में ही छोड़ दिया और सारा भी मेरे साथ ही झड़ गयीl

कुछ देर बाद फिर मैंने सारा को घोड़ी बनाकर लंड घुसा कर बड़ी तेजी से वह धक्के मारने लगा सारा भी अपने चूतडो को मुझसे टकरा रही थीl जिस प्रकार उसके चूतडो को टकरती जा रही थी उससे चूतडो का रंग भी लाल होने लगा था मैंने चूतड़ों पर जोर से चांटे मार दिएl जिससे वह बिलबिला उठी, और मेरे हर धक्के के साथ उसके आह निकलती थी, और वह कहती थी आह! और जोर से, आमिर और जोर से, चोदो मुझे! मैं उसके बूब्स दबाता रहा l लगभग २० मिनट के जोर दार चुदाई के बाद मैं भी अपने आपको बिल्कुल ना रोक सका, और जैसे ही मैंने चूत के अंदर आपने माल को गिराया, और सारा भी मेरे साथ ही झड़ गयीl उसने कहा मुझे बहुत ही अच्छा लगा और आपने आज मेरे बर्थडे कि मुझे बहुत ही अच्छी ही खुशी दी l मैं आपसे बहुत खुश हूं।

तो मैंने उसे सीधा लेटा दिया, और सारा को बोलै मेरे माल को अंदर ले जाओ, और बिलकुल बाहर मत निकलने देनाl उसके बाद, मैंने थोड़ी देर बाद उसकी एक बार और चुदाई की, और उसकी चूत को अपने रस से भर दिया l मैंने कहा सारा ऐसी चुदाई करके मुझे आज बहुत मजा आया l

इसके बाद हम सब सो गएl

लंड महाराजा झड़ने के बाद भी बादस्तूर खड़े थेl

कहानी जारी रहेगी

आमिर खान हैदराबाद

 


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  1. मजे - लूट लो जितने मिले
  2. दिल्ली में सुलतान V रफीक के बीच युद्ध
  3. अंतरंग हमसफ़र
  4. पड़ोसियों और अन्य महिलाओ के साथ एक नौजवान के कारनामे
  5. गुरुजी के आश्रम में सावित्री
  6. छाया - अनचाहे रिश्तों में पनपती कामुकता एव उभरता प्रेम
  7.  मेरे निकाह मेरी कजिन के साथ
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#59
मजे - लूट लो जितने मिले

छठा अध्याय -खड़े लंड की दास्ताँ.



भाग 2



खड़े लण्ड की अजीब दास्ताँ -Priapism




दोपहर लगभग २ बजे सारा में मुझे जगाया और बोली जानू उठो खाना खा लो और डॉक्टर जुली भी वापिस आ गयी हैl

डॉक्टर जुली बाजार से खाना ले आयी थी जुली बोली आमिर तुम्हारी डॉक्टरी जांच की रिपोर्ट आ गयी हैं जुली के साथ एक बहुत खूबसूरत लड़की भी आयी थी जुली ने उसका नाम जेसिका (बदला हुआ) बताया और मैं इसे प्यार से जस्सी कहती हूँl

तो मैंने जस्सी से पुछा क्या आप पंजाबी हैं तो वो बोली जी मैं पंजाब के सिख परिवार से हूँl

जुली बोली आमिर जस्सी भी डॉक्टर है और सेक्स विशेषज्ञ हैl इन्हे मैंने तुम्हारी खड़े और न बैठने वाले लंड की दिक्कत के बारे में बताया है, और इन्होने ही जो टेस्ट बताये थे, वह मैंने करवाए थे, और तुम्हारी सारी रिपोर्ट भी देखि हैं l

जुली बोली "जस्सी" आमिर और हमे और तुम्हारी मदद चाहिए l तुम जानती हो आमिर मेरे बचपन के दोस्त हैं और इनके लण्ड की इस हालत को परिअपीज़म ( PRIAPISM ) कहते हैं और इसके खतरे तुम्हे अच्छी तरह मालूम हैंl

जुली बोली आमिर रायपिज्म पुरुषों को होने वाली एक गंभीर समस्या है जिसमें कई बार लगातार इरेक्शन या दर्दनाक इरेक्शन होता है। वैसे यह मेडिकल कंडिशन सामान्य नहीं है, लेकिन जब होती है तो आमतौर पर 30 साल की उम्र के पुरुषों में अधिक होती है। प्रायपिज्म से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें तुम्हे मालूम होनी चाहिएl

यौन संबंध बनाने के दौरान पुरुषों में इरेक्शन सामान्य है, लेकिन क्या आपको पता हैकि इरेक्शन बिन पर्याप्त ब्लड फ्लो के नहीं हो सकता। जब पुरुष उत्तेजित होते हैं तो उनके पेल्विस और पेनिस की धमनियां रिलैक्स होकर बड़ी हो जाती हैं, जिससे पेनिस के स्पंजी टिशू (उत्तकों) में रक्त प्रवाह अधिक होता है। उसी समय नसों के वॉल्व बंद हो जाते हैं, जिससे उस हिस्से में रक्त फंस जाता है और इरेक्शन होता है। इसके बाद उत्तेजना समाप्त हो जाती है, नसों के वॉल्व खुल जाते हैं और रक्त बाहर आ जाता है और पेनिस सामान्य स्थिति में आ जाता है। लेकिन जब यह रक्त प्रवाह सामान्य नहीं होता तो प्रायपिज्म होता है। इरेक्शन जब 4 घंटे से अधिक समय तक रहता है और यह दर्दनाक होता है और बिना यौन उत्तेजना के होता है तो यह प्रायपिज्म है।

कम प्रवाह या इस्केमिक प्रायपिज्म तब होता है जब रक्त इरेक्शन चेंबर के बीच फंस जाता है। टूटी धमनियों के कारण पेनिस में रक्त प्रवाह ठीक तरह से नहीं हो पाता जिससे इरेक्शन का प्रवाह अधिक होता है या नॉनइस्केमिक प्रायपिज्म होता है। ऐसा चोट लगने की वजह से हो सकता है। यदि इरेक्शन 4 घंटे से अधिक समय तक होता है तो यह एक मेडिकल इमरेंजी है और तुरंत डॉक्टर के पास जाने की जरूरत है। पेनिस में मौजूद रक्त में ऑक्सिजन की कमी हो जाती है जिससे टिशू के क्षतिग्रस्त होने का खतरा रहता है। यदि प्रायपिज्म का उपचार न किया जाए तो पेनिस टिशू को नुकसान पहुंचता है या परमानेंट इरेक्टाइल डिसफंक्शन हो सकता है।

तो मैंने पुछा डॉ इसके क्या कारण हैं

जस्सी बोली आमिर प्रायपिज्म कई कारणों से हो सकता है जिसमें शामिल हैः

दवाएं- कुछ दवाएं शरीर के नर्व को प्रभावित करती हैं जिसमें पेनिस भी शामिल है। आमतौर पर, ये नर्व (तंत्रिकाएं) लिंग को आपूर्ति करने वाली धमनियों को चौड़ा करती हैं, जिससे यह उत्तेजित और इरेक्ट होती हैं।

सिकल सेल एनीमिया: वैज्ञानिकों को लगता है कि सिकल सेल रोग वाले लगभग 42% पुरुषों को किसी न किसी बिंदु पर प्रतापवाद मिलेगा।

ड्रग्स: कुछ ड्रग्स जिसमें क्रिस्टल मेथ, मारिजुआना, कोकीन आदि शामिल है, के सेवन से भी यह समस्या हो सकती है।

कैंसर: दुर्लभ मामलों में प्रायपिज्म किसी तरह के कैंसरस ग्रोथ के कारण होता है।

रक्त से जुड़ी बीमारी- दुर्लभ मामलों में कुछ ब्लड कंडिशन भी प्रायपिज्म का कारण हो सकता है। थायलसेमिया, क्रॉनिक ल्यूकेमिया और मल्टिपल मायेलोमा प्रायपिज्म से संबंधित हैं।

चोट: पेनिस और पेरिनियम में किसी तरह की चोट लगने पर रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता। यह नॉन इस्केमिक प्रायपिज्म का कारण है।

जुली बोली आमिर जैसा तुमने बताया जोरदार चुदाई के दौरान पेनिस औ र पेरिनियम में किसी तरह की चोट लगने पर रक्त प्रवाह ठीक से नहीं हो रहा यही तुम्हारी समस्या का मुख्या कारण हैl

अन्य कोई समस्या तुम्हारे टेस्ट में नज़र नहीं आयी हैl जुली बोली जब ये मेरे पास पहली बार इस समस्या को ले कर आये थे, मैं तभी इनकी बिमारी को पहचान गयी थी ये प्रायपिज्म के लक्षण हैं?

लंबे समय तक इरेक्शन प्रायपिज्म का एक लक्षण हैं। इसके अन्य लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपको लो फ्लो या हाई फ्लो प्रायपिज्म हैं। यदि आपको लो फ्लो प्रायपिज्म हैं तो आपको दिखने वाले लक्षणों में शामिल हैः

चार घंटे से अधिक समय तक इरेक्शन

ऐसा इरेक्शन जिसमें पेनिस का ऊपरी हिस्सा कोमल ही रहता है

पेनिस में दर्द

लो फ्लो या इस्केमिक प्रायपिज्म बार-बार हो सकता है। शुरुआत में जब इसके लक्षण दिखते हैं तो इरेक्श कुछ मिनट के लिए होता है, लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है इरेक्शन बार-बार और लंबे समय के लिए होता है।

तो जस्सी बोली मुझे एक बार आमिर का मुआयना करने दो, तो शर्म भूल कर मैंने अपना पायजामा अंडरवियर नीचे कर दियाl इतनी खूबसूरत लड़कियों सारा. गुलाबो, डॉ जुली, और जस्सी के बीच में मेरा लंड उनको सलामी देने लगा और एक दम कड़क हो गया l

मुस्कराते हुए डॉ जस्सी ने मेरी और देखाl मेरा लंड पकड़ कर हिला हिला कर मुआयना किया और बोली डॉ जुली जो तुमने बताया है, दिक्कत वैसी ही हैl इसके लिए मुझे एक बार इनको सेक्स करते हुए देखना पड़ेगा और फिर क्या इनका लणड झड़ने के बाद भी खड़ा रहता है, वह भी देखना चाहूंगीl

फिर मुझसे बोली "क्या आप अभी हमारे सामने सेक्स कर सकेंगे?"

तो मैं बोला क्यों नहीं मैं तो हमेशा तैयार हूँ l जब डॉ जुली के सामने सारा और अपनी दूसरी बीवी को चोद ही चूका हूँ, तो अब आपसे क्या शर्म, क्योंकि आप भी डॉक्टर ही हैंl डॉक्टर से कैसी शर्मl अगर आप से शर्म करूंगा, तो आप मेरा इलाज और मदद कैसे करेंगीl

मैंने पुछा लड़कियों में से कौन तैयार है? तो लूसी बोली आज का दिन सारा का हैl आज आप सारा को ही चोदिये तो मैंने सारा से पुछा क्यों सारा क्या इरादा है, तो वो मेरे पास आ कर मेरा लैंड सहलाने लगी और बोली मैं तो आपकी चुदाई की दीवानी हूँl

सारा नहा कर आयी थी बहुत हॉट लग रही थी और उसमे के ख़ास महक आ रही थी l मैंने उसे हाल में ही बांहों में भर लिया और उसे किस करने लगाl वो भी मेरे मुँह में जुबान डाल के मेरा साथ दे रही थीl

फिर 5 मिनट तक हम एक दूसरे के बदन से खेलते रहे और फिर वो मेरा लंड मुँह में रख के चूसने लगीl मैं सारा से बोला- एक पैर बेड पर रख लो खड़े खड़े और थोड़ा आगे झुक जाओ।

तो वैसे ही झुक गयी। मैं पीछे से चूत पर आया और अपना लन्ड चूत के मुंह पर रगड़ने लगा, तो सारा को बड़ी बैचनी सी होने लगी।

सारा बोली बोली- डालो न, रगड़ क्या रहे हो?

तो मैंने ने एक झटके से लन्ड खड़े खड़े ही पूरा अंदर घुसा दिया और हल्की सी आउच की आवाज के साथ आगे को झटके से हिलीl

मैंने सारा की कमर को हाथों से पकड़ा और धक्के मार मार के चोदने लगा। आ उम्म्, अहह, हय, याह, अहह! कर के सारा ज़ोर ज़ोर से आवाजें कर रही थी l सारा के बूब्स, बाल सारा शरीर धक्कों से आगे पीछे हिल रहा था। मैं सारा को हूँ, हूँ, आह! आह, हम्म, म्म, हम्म, कर के चोदे जा रहा था और पट्ट पट्ट की आवाज आ रही थी।

फिर मैंने लंड बहार निकाला, सारा को सीधा घुमा लिया, और अपनी गोदी में उठा लियाl सारा ने भी अपनी बाहे मेरे गले में डाल दी और दोनों एक दुसरे को बेकरारी के साथ किस करने लगेl

उसके बाद सारा ने मुझे पकड़ कर वापिस मेरे होंठो को किस किया l और मेरे सर को जकड़ के अपने मुंह से मुंह लगा दियाl वह मेरे ओंठ चूसने लगी और मैं उसके ओंठ चूसने लगाl थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगाl फिर उसने अपना मुंह थोड़ा सा खोला और मेरी जीभ सारा के मुंह में चली गयीl

सारा मेरी जीब चूसने लगी फिर सारा मेरी झीब से खेलने लगी और मैं सारा की झीभ से खेलने लगाl जो सारा करती थी मैं भी वही कर उसका जवाब देता थाl वह जीभ फिराती मैं जीभ फिराता, वह ओंठ चूसती मैं ओंठ चूसता, वह मेरे साथ लिपट गयीl उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया उसके दूध मेरी छाती में दब गए थेl सारा के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थेl हम दोनों एक दुसरे को बेकरारी से चूमने लगी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 5 मिनट हम एक दुसरे के लबों को चूमते रहेl फिर रुक कर सांस लेती हुई बोली सच मजा आ गयाl

मेरे हाथ सारा के नंगे बदन पर फिर रहे थे, मह्सूस कर रहे थे, सहला रहे थे, कुछ अंगो को दबा रहे थे, और उसके हाथ भी शररराते कर रहे थेl मेरा खड़ा लड उसकी चूत को छु रहा था और दो शरीर एक दुसरे में समां जाने को आतुर हो गए थेl

मैंने देखा डॉक्टर जस्सी हमारी और हैरानी से बिना पलक झपकाए आँखे फाड़े हमारी चुदाई देख रही थीl मैंने जस्सी को आँख मारी तो वह मुस्कुरा कर बोली लगे रहो l

फिर मैंने अपने लंड पकड़ कर सारा की चुत पे लगा दिया और सारा जो मेरी गोद में थी उसे निचे दबा दिया, और लंड फच की आवाज के साथ पूरा का पूरा अंदर चला गयाl मैंने अपने आठ उसके चूतड़ों के नीचे लगा कर और ऊपर नीचे कर गोद में उठा कर खड़े खड़े ही चोदने लगा l सच बहुत मजा आ रहा था मुझेl

अब मैंने अपनी स्पीड बहुतबढ़ा दी थी और 8-9 मिनट से लगातार चोदे जा रहा था। सारा झड़ने के करीब पहुँचने लगी थी तो बहुत ज़ोर ज़ोर से बोलने लगी 'आहह ... आहह! मेरे सरताज और तेज़ ... और तेज़l '

मैंने भी अपनी पूरी ताकत झोंक दी और तेज़ तेज़ चोदने लगा, ऐसा करने से मैं भी झड़ने के करीब पहुँचने लगा।

थोड़ी देर बाद ही सारा का शरीर और टांगें अकड़ने सी लगी, तो सारा ने पीछे हाथ लगा के मुझे रोक लिया, और फच्छ-फच्छ कर के, मेरे लन्ड और जांघों पर ही झड़ गयी, और बेड पर उल्टी ही गिर गयी।

मैं उस वक़्त झड़ने के करीब था, तो तुरंत उसकी चूत पर आ के पीठ की तरफ से ही आखिरी झटकों से उम्मह... ओम्महह... मह्ह!... करता हुआ चोदने लगा, और अपनी 3-4 पिचकारियाँ छोड़ता हुआ आहह! करते हुए चूत में झड़ गया, और सारा के बगल में आकर लेट गया, और हाँफने लगा।

मैं भी उल्टी पड़े पड़े उसकी तरफ देखते हुए, हूंह... हूंह... हूंह! कर के हाँफ रही थी। मेरा लन्ड खुद के वीर्य और उसकी चूत के पानी में सना हुआ था और सारा की चूत से भी पानी और मेरे वीर्य के बूंदे टपक रही थी जो मैंने उसकी चूत में ही डाल दी थी।

मैं कोहनी बेड में रखते हुए सिर को हाथ के टेक लगा के उसकी तरफ घूमा और पूछा- मजा आया ना? एक बार फिर से हॅप्पी बर्थडे।

उसने लेटे लेटे ही मेरे बालों में हाथ फिराया और बोली - बहुत मजा आया जानूl

लंड महाराजा झड़ने के बाद भी बादस्तूर खड़े थेl

डॉ जस्सी ने मेरा लंड पकड़ कर हिला हिला कर मुआयना कियाl

डॉक्टर जस्सी बोली जैसा की डॉक्टर जूली ने बताया, तुम्हारी जबरदस्त चुदाई के तुम्हारी कुछ नसे इस तरह से हो गयी है, की अब तुम्हारा लंड खड़ा ही रहता हैl ये साधारणतया नहीं होता है, उसका सीधा सीधा इलाज नहीं है l लेकिन तुम्हे ये कुदरत से ख़ास मिली है तो इसे बचा कर रखो l

वैसे तो चुदाई मर्द के झड़ने के बाद ख़तम हो जाती है, क्योंकि झड़ने के बाद लंड में आया फ़ालतू खून वापिस चला जाता है, और लंड बैठ जाता है, पर तुम्हारे केस में ऐसा नहीं है, खून नसे में आयी हुई सुकड़न के बाद वापिस नहीं जाता है, और लंड खड़ा रहता हैl इसमें लड़कियों की और तुम्हारी बीवियों की तो मौज ही मौज है, वह जितनी देर चाहे चुद सकती हैl

मैंने जब इनको सेक्स करते देखा तो मह्सूस किया कुदरत की इन पर मेहरबानी रही है वो यह है कि इनके लंड से वीर्य भी निकलता है जैसे कि नार्मल पुरुषों के साथ होता है लेकिन यह क्रिया प्रियापिज्म के असली बीमार मर्दों में नहीं होती। वो बेचारे फुल इरेक्शन होते हुए ही भी किसी स्त्री को गर्भवती नहीं कर सकते।

लेकिन यह नार्मल प्रियापिज्म के बीमारों के साथ नहीं होता, उनके लंड की नसों में खून हर वक्त जमा रहता है, जिसके कारण उनका लंड हर वक्त खड़ा रहता है, और कुछ ही वर्षों में वो नपुंसक हो जाते है, यानि उनका लंड खड़ा होने की शक्ति खो देता है।

डॉक्टर जस्सी बोली आमिर का जब लंड खड़ा होता है तो खून लंड की नसों में आ जाता है जैसा कि साधारण इरेक्शन ( errection ) में पुरुषों के साथ होता है। लेकिन इनके लंड की नसों में जो खून आ जाता है वो कई घंटे वापस नहीं जाता है (जैसा कि आम आदमियों के साथ होता है) जिसके कारण इनका लंड खड़ा रहता है

सारा और डॉ जुली बोली आप इनका ऐसा इलाज करिये जिससे इनकी कबबलियत बची रहेl

डॉक्टर जस्सी मुस्कुराते हुए बोली, इस क़ाबलियत को बचा कर रखने का उपाय आमिर के अपने पास है, इनके पास जो क़ाबलियत है उसे बचाने में मैं तुम्हारी मदद करूंगी l सेक्स का दरअसल दिमाग से सीधा नाता हैl उत्तेजना यौन-सम्बंधित दृश्यों, आवाजों, स्पर्श या कामुक यादों से होती है। इस उत्तेजना का संकेत उसके मस्तिष्क (para-ventricular nucleus) में पैदा होकर, रीढ़ की हड्डी की विशेष नसों से गुजरता हुआ, श्रोणि (pelvis) नसों और प्रोस्टेट ग्रंथि से होता हुआ लण्ड तक पहुँचता है।

आमिर प्रायपिज्म का उपचार उसके प्रकार और कारण पर निर्भर करता है। डॉक्टर आपकी जांच करके पहले यह पता लगाता है कि प्रायपिज्म लो फ्लो है या हाई फ्लो।

यदि इरेक्शन 4 घंटे से कम समय के लिए रहता है तो पेनिस में रक्त प्रवाह कम करने के लिए डिकन्जेस्टैंट दवाएं दी जाती हैं। ये दवाएं आमतौर पर 4-6 घंटे तक होने वाले इरेक्शन पर प्रभावी होती है, लेकिन यदि किसी मामले में दवा का असर नहीं होता है या इरेक्शन 6 घंटे से भी अदिक होता है तो उपचार के लिए अन्य तरीके अपनाए जाते हैं, इसमें शामिल हैः

एस्पीरेशन- इस प्रक्रिया में पेनिस को दवा से सुन्न कर दिया जाता है और सुई डालकर डॉक्टर रुके हुए ब्लड को निकालता है। इस प्रक्रिया के तुरंत बाद दर्द और सूजन कम हो जाती है।

आइस पैक्स- पेनिस या पेरिनियम पर आइस पैक लगाने से सूजन और नॉन इस्केमिक प्रायपिज्म से आराम मिलता है।

सर्जरी- यदि आइस पैक और एस्पीरेशन से समस्या हल नहीं होती है तो पेनिस में सामान्य रक्त प्रवाह बनाए रखने के लिए सर्जरी की जरूरत होती है।

जब भी दर्द ज्यादा हो तो पेनिस पर आइस पैक लगाने से सूजन और नॉन इस्केमिक प्रायपिज्म से आराम मिलता है। तुम वो लगा सकते होl

तो मैंने कहा नहीं अब दर्द नहीं है पर अगर होगा तो मैं आइस पैक लगा लूँगा l

डॉक्टर जस्सी बोली आमिर मैं तुम्हे वह तरीका बताती हूँ, जिससे जब भी तुम्हारे मन से सेक्स का विचार दूर हो जायेगा. तो तुम्हारे लंड में आया खून वापस चला जाएगा ।

आमिर सेक्स का मतलब सिर्फ चूत में लण्ड डाल कर धक्के लगाना नहीं हैl लण्ड और चूत के मिलन से पहले चूमना चाटना सहलाने भी जरूरी हैl और मैंने अनुभव किया है तुम्हे चूमने चाटने सहलाने और दबाने में मजा आता हैl तुम्हारी बीविया भी कहे न कहे, उन्हें भी चूमने, चाटने, और सहलाने में मजा आता हैl

एक तो आमिर जब तुम्हे लगे तुम जड़ने वाले हो तो अपने धक्के लगाने की स्पीड कम कर दिया करो जिससे तुम झड़ोगे नहीं l

दूसरा जब तुम्हारी साथी को ओर्गास्म हो जाए या वह झड़ जाए तो तुम रुक जाया करोl

तीसरा बार बार पोज़ या आसान बदल लिया करो ताकि तुम्हे थोड़ा आराम मिल जाएl

सम्भोग के बाद भी अपने साथी को सहलाने और चूमने से आनंद आता है और वह प्यार का इजहार बहुत जरूरी हैl

चौथा जब मन भर कर सेक्स कर चुके हो, तो मन से सेक्स के विचार निकाल कर कुछ और सोचा करोl जिससे तुम्हारे लण्ड में आया हुआ अतिरिक्त खून धीरे धीरे वापिस चला जाए और ये नार्मल पोजीशन में आ जाएl

डॉक्टर जुली बोली आमिर तुम्हारी 3 बीविया हैं, इसलिए सब को खुश रखने के लिए तुम्हे सब से सम्भोग करो l लेकिन तुम अपने झड़ने पर अपने मन और दिमाग से नियंत्रण कर लो, ताकि जब तक तुम न चाहो, तुम न झडो, इस तरह तुम अपना वीर्य भी बचा सकोगे और नपुंसक नहो होंगेl इस तरह पूरे मजे ले सकोगे और अपनी सभी बीवियों को खुश रखोगेl

डॉक्टर जस्सी बोली जब तक तुम दिल्ली में रहोगे तुम मेरे बताये हुए नुस्खे आजमानाl अब सब आराम करो, बाकी जुली तो है हीl अब तुम्हारे साथ वह तुम्हारा पूरा ख्याल रखेगीl

कल सुबह तुम मेरे घर पर आना वह मेरा क्लिनिक भी है और कुछ टेस्ट भी वही करूंगी और डॉक्टर जस्सी चली गयीl

कहानी जारी रहेगीl

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#60
मजे - लूट लो जितने मिले

छठा अध्याय -खड़े लंड की दास्ताँ.

भाग- 3


गेंद खेलती लड़की के साथ बगीचे में सेक्स




अगले दिन मैं, सारा और डॉक्टर जुली, डॉक्टर जस्सी के घर जो की उसका क्लिनिक भी था वहाँ पर गएl तो डॉक्टर के पास कुछ लोग बैठे थे तो सब वही इंतज़ार करने लगे तो सारा बोली आमिर अभी डॉ जस्सी को देर लगेगी कुछ लोग आ गए हैं तुम चाहो तो बाहर बगीचे में घूम आओ डॉक्टर जस्सी का घर बहुत शानदार था पूरा फार्म हाउस था उसमे पिछले भाग में स्विमिंग पूल भी था और उसके आगे एक बहुत सुन्दर बगीचा थाl

मैं बगीचे में घुमते हुए काफ़ी दूर निकल गया। मैं एक रंग-बिरंगे फूलों से भरे-पुरे उपवन में पहुँच गया l वहाँ उन्होंने बड़े ही सुन्दर साड़ीपहने हुए, कमर में करधनी पहने. एक बहुत सुन्दर गोरी कमसिन लड़की को गेंद के साथ खेलते हुए देखा। वह गेंद से खेल रही थी और खेलते-खेलते उसकी साड़ी का पल्लू सरक कर गिर गया और उसकी चोली में उसके बड़े-बड़े सुडोल स्तन नज़र आने लगेl मैं पेड़ो के पीछे छिप कर उसे देखने लगाl उसे देख मेरा लंड तन कर कड़क हो गया, तभी वह खेलती हुई मेरी तरफ़ ही आ रही थीl

उन ने लज्जा भाव से मुस्कराकर तिरछी नज़र से मेरी और देखा और एक तेज हवा का झोंका आया तो उसकी साड़ी से उसके उरोज आजाद हो गए, बस फिर क्या था मेरा मन मेरे हाथ से निकल गया। मैं उसे एकटक निहारने लगा उसकी चितवन के रस में डूब इतना भावातुर हो गया की अपने आप की भी सुध न रहीं। जहाँ मेरी उस लड़की पर आंखें लग जाती थीं, लगी ही रहती थीं तथा उनका मन वही रमण करने लगता था, मैं उस लड़की पर अत्यंत आकृष्ट हो गया l

तभी उसकी गेंद उछली और मेरी और आ गयी तो पीछे-पीछे वह भी आ गयीl

उसने भी मेरा तना हुआ पायजामा देखा तो देखती ही रह गयी और गेंद को जैसे भूल गयी मुझे वह भी अपने प्रति आसक्त जान पड़ती थीं, उसके हाव-भाव के मेरा विवेक शून्य हो गया था और मैं सेक्स में डूब गया l

वो मुझे देख शर्म से मुस्करायी और उसने पुछा आप कौन हैं. यहाँ क्यों आये है?
तो मैंने बोला मेरा नाम आमिर हैl मैं डॉक्टर जस्सी से मिलने आया हूँl
वह बोली आप डॉक्टर जूली के दोस्त हैं मुझे दीदी (डॉक्टर जस्सी) ने आपके बारे में बताया था कि आप आज आने वाले हैंl मेरा नाम मोनी (बदला हुआ नाम) हैl मैं डॉक्टर जस्सी की बहन हूँ और अपना हाथ आगे बढ़ा दिया तो मैंने हाथ उससे हाथ मिलाया और ऐसा खोये के दोनों ही हाथ छुड़ाना भूल गए और एक दुसरे में जैसे खो गएl

फिर जैसे मोनी होश में आयी और हाथ छुड़ा कर बोली अरे मेरा हाथ छोड़िये क्या कभी कोई लड़की नहीं देखि है आपने?

मैंने कहा बहुत देखि हैं मोनी जी पर आप जैसी कोई नहीं मिली!

उसने पुछा क्या आप खेलेंगे मेरे साथ और गेंद की और भाग गयी और खेलने लगीl उसने गेंद मेरी और फेंक दी और मैंने भी गेंद पकड़ कर उसकी और फेंकीl हवा का झोंका गेंद को दूर ले गया और वह गेंद के पीछे भागने लगीl मैं भी उसके पीछे-पीछे दौड़ने लगाl
डॉक्टर से मिलने और अपनी जांच का ख़्याल त्याग कर मैं मोनी के पीछे लग गया। उसने गेंद मुझे ज़ोर से फेंक कर मारी तो मैंने भी गेंद उठा कर उसकी तरफ़ ऊपर उछाल दी और गेंद पकड़ने के चक्कर में दोनों एक दुसरे से टकरा गएl मोनी मेरे नीचे थी और मैं उसके ऊपर। मैं मोनी से बोला तुमने मुझे गेंद क्यों मारी तो उसने कटीली स्माइल दी और ज़ोर से हसी। मैंने उन्मत्त होकर मोनी के बाल पकड़ लिए और उसे किस करने के लिए अपने होंठ उसके गालो को छुआ दिए, तो मोनी अपने बालो को छुडवाकर फिर वहाँ से चल दी और बोली मुझे पकड़ कर दिखाओ फिर किस मिलेगीl

मैंने दौड़कर गेंद से खेलती हुई मोनी को ज़बरदस्ती दोनों बाजुओं के बीच पकड़ लिया।
तब दोनों बाजुओं के बीच से अपने को छुड़ाकर मोनी भाग चली, मैं उसके पीछे भगा और उसको पकड़ने की कोशिश करने लगाl मेरे हाथ उसकी साडी का एक सिरा आ गया, पर वह भागती रही और मैं साडी खींचने लगा, तो साडी खुलने लगी और पूरी उतर lमोनी रुकी नहीं, सिर्फ़ पेटीकोट और चोली में भागती रही और मैं दीवानो की तरह उसके पीछे भागने लगा l मैं ज़ोर से भाग कर उसको पकड़ने लगा, तो इस बार मेरे हाथ में उसकी चोली की डोरी आ गयी और चोली उत्तर गयीl उसने ब्रा नहीं पहनी थी और मोनी ऊपर से पूरी नंगी हो गयी, तो मोनी अपनी बाजुओं से अपने उरोज छुपाने लगी l

उसके भागने की स्पीड कम हो गयी, तो मैंने उसे पकड़ लियाl मैंने अपनी बाहो में जकड लिया और बोला मोनी मैंने तुम्हे पकड़ लियाl अब लाओ मेरा इनामl मोनी बोली यहाँ नहीं पीछे चलते हैंl और मेरा हाथ पकड़ कर ले झाड़ियों में चली मैं भी मंत्रमुग्ध उसके पीछे-पीछे चल दिया l

आगे एक जगह झाड़ियों का झुरमुट था और उसके बीच में फूल गिरे हुए थेl मानो फूलो का बिस्तर लगा हुआ थाl वह मेरे पास आयी, उसने अपने बाल पीछे किये और गाल आगे कर दिए, तो मैंने उसके गालो पर किस किया ,और उसके ओंठो पर अपने ओंठ रख दिएl

उसके जवाब में मोनी ने मुझे पकड़ कर, वापिस मेरे होंठो को किस किया. और मेरे सर को जकड़ के अपने मुंह से मुंह लगा दियाl वह मेरे ओंठ चूसने लगी और मैं उसके ओंठ चूसने लगाl थोड़ी देर बाद वह मेरा निचला होंठ चूसने लगी और मैं उसका ऊपर का ओंठ चूसने लगाl फिर उसने अपना मुंह थोड़ा-सा खोला और मोनी की जीभ मेरे मुंह में चली गयी.l

मैं मोनी की जीब चूसने लगाl फिर मोनी मेरी झीब से खेलने लगी और मैं मोनी की झीभ से खेलने लगाl जो मोनी करती थी, मैं भी वही कर उसका जवाब देता थाl वह जीभ फिराती मैं जीभ फिराताl वह ओंठ चूसती मैं ओंठ चूसताl वह मेरे साथ लिपट गयीl उसका बदन मेरे बदन से चिपक गयाl उसके दूध मेरी छाती में दब गए थेl मोनी के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थे। हम दोनों एक दुसरे को बेकरारी से चूमने लगे और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट हम एक दुसरे के लबों को चूमते रहेl

मेरे हाथ मोनी के नंगे बदन पर फिर रहे थे मह्सूस कर रहे थे, सहला रहे थे, कुछ अंगो को दबा रहे थे और उसके हाथ भी शररराते कर रहे थेl फिर मैं उसे अपने नीचे करके उसके पेटीकोट और पैंटी को उतर डाला मेरा खड़ा लड उसकी चूत को छु रहा था और दो शरीर एक दुसरे में समां जाने को आतुर हो गए थेl

फिर मैं एक हाथ से उसके मम्मों को दबाने लगा और किस करता रहा। वह भी गर्म होने लगी। फिर मैं पीछे होकर उसकी गर्दन और कानों पर किस करने लगा। उसकी ख़ुशबू मुझे मदहोश करने लगी। मैंने आगे दोनों हाथ करके उसके मम्मों को पकड़ लिया और दबाने लगा। वह मचलते हुए सिसकारी भरने लगी ' ओह्ह आह प्लीज धीरे दबाओ दर्द होता है

उसके मुँह से कामुक सिसकारी सुन कर मैं भी जोश में आ गया। मैं पागलों की तरह उसे किस करने लगा और काटने लगा l

यह सब करते-करते मैं धीरे-धीरे सरक-सरक कर मोनी को एक पेड़ के पास ले गया और मोनी मेरे साथ लिपट गयी उसका बदन मेरे बदन से चिपक गया उसके दूध मेरी छाती में दब गए थे और मुझे पेड़ से सटा दिया मोनी के हाथ भी मेरे बदन पर फिर रहे थे और वह मेरी जीभ को चूसने लगी। फिर मैंने भी उसकी जीभ को चूसा। मोनी मुझे बेकरारी से चूमने लगी और हमारे मुंह में एक दूसरे का स्वाद घुल रहा था। कम से कम 15 मिनट तक वह मेरे लबों को चूमती चुस्ती रही l फिर रुक कर सांस लेने लगी और अपने होंठो को जीब पर फिरते हुए बोली सच मज़ा आ गयाl

मोनी की सारी लिपस्टिक मेरे और उसके मुँह पर फ़ैल गयी थी और मोनी के होंठ फिर मेरे होंठो से जुड़ गएl हम दुबारा किस करने में लग गएl हमारे नाक आपस में टकरा रहे थे और कभी सीधे और कभी दाए कभी बायीं और मुँह घुमा-घुमा कर किस कर रही थीl मोनी की गर्म-गर्म मादक साँस मेरे मुंह पर लगने लगी मुझेl उसके होंठ बहुत नरम थे। उसे मैंने भी कस कर किश किया और जैसे वह किस करती थी, वैंसे ही जवाब दियाl मेरे हाथ उसकी पीठ पर पहुँच गए;
l

हम एक दुसरे के ओंठ चूसने लगे और हमारे मुँह खुल गए और मुँह का रास एकदूसरे के मुँह में रस घुलने लगा। उसकी गरम साँसे और ख़ुशबू मुझे मदहोश करने लगी। सच में मोनी बहुत सेक्सी थी। तभी मोनी ने पायजामे के ऊपर से मेरा लैंड पकड़ लिया और दबाने लगी लंड कड़ा हो चूका था। उसने मेरा पूरा लंड हाथ से सहलाया, और एक झटके में पायजामे का नाडा खोल. अंडरवियर निचे कर लंड पकड़ लिया. और हाथ फेरने लगी. और बोली सच में बहुत बड़ा लंड हैl आमिर का 7-8 इंच का तो होगाl आमिर अपना कुरता भी उतार दो मुझसे इंतज़ार नहीं हो रहा, मैं कामाग्नि में जल रही हूँl

मैंने अपना कुरता बनियान उतार दिया और बिलकुल नंगा हो गया । तबतक मोनी नीचे बैठ कर लंड के सुपडे पर अपनी जीब फेरने लगी । तो मैं एक हाथ से उसके दूध दबाने लगा उसके दूध बिलकुल गोल सुडोल और बिलकुल ढलके हुए नहीं थे ऐसा लगता था दो कटोरे छाती पर चिपके हुए हो और दूसरा हाथ उसकी कमर पर फिराने लगा l वाह! क्या चिकनी कमर थी l.

फिर मोनी मेरा पूरा लंड चूसने लगी और चूसने से लैंड बिलकुल कड़ा हो गया । वह और उतावली हो गयी और पेटीकोट और पैंटी उतार कर बिलकुल नंगी हो गयी और मुझे जहाँ तहँ चूमने लगी । मैंने भी उसकी चुचकों को चूसा और चूत पर हाथ फेरा तो वह एक दम चिकनी थी कोई बाल का नामोनिशान नहीं ।बोली आज ही साफ़ करि है मैंने अपनी ऊँगली पर लगा उसका चुतरस चाट लिया । वाह क्या स्वाद था । मुझे उसका चुतरस अच्छा लगातो मैंने दुबारा ऊँगली लगाई तो थोड़ी से अंदर घुसा कर घुमा दी मोनी उचक गयी बोली वाह! जी यह अदा और मेरा हाथ पकड़ कर मेरी उंगलिया चाट गयी बोली कुंवारी चूत है आज इसे फाड़ दोl

मैंने उसको गालो को चूमा फिर कंधो को पहले किस किया फिर गर्दन का पास दाए कंधे को पहले चूसा वहाँ निशान पड़ गया और मोनी के मुँह के आह निकलीl

मैंने उसकी आँखों में देखा उसकी आँखे कह रही थी प्लीज दर्द होता है ... मैंने धीरे से जहाँ निशान था वहाँ किस किया और पूरा दाया कन्धा जीभ से चाट लिया। वह क्या नमकीन स्वाद था। फिर वैसे ही बाये कंधे को चूमा और चाटा मोनी मेरे चूमने से सिहर जाती थी। अब मोनी का ख़ुद के ऊपर काबू नहीं रहा था। वह मेरे लोडे को हिला के बोली, जल्दी से अपना हथियार डाल दो मेरे अंदर अब मेरे से रहा नहीं जा रहा हेl.

और मोनी उत्तेजना में भर बोली फाड् दो मेरी चूत एक ही झटके से मेरी कुंवारी चूत की सील अपने हथियार से चीर कर रख दो l

कुछ देर बाद उसने धक्का देकर, मुझे घास और फूलो पर गिरा दियाl मेरे ऊपर चढ़ गयी और लंड पकड़ कर सर्र से लैंड के ऊपर बैठ गयीl अब वह मुझे मेरे होंठो गालो सीने और गले पर पागलों की तरह किस करने लगी और काटने लगी। फिर मैंने उसकी चूत पर अपना लंड टिकाया और फनफनाते हुए लंड से उसकी चूत रगड़ने लगा और मोनी मज़े ले रही थीl

फिर मैं नीचे लेट गया और उसे ऊपर बिठा लियाl वह बोली-आपका बहुत बड़ा हैl आप लेटे रहो, मैं ऊपर से धीरे-धीरे एडजस्ट करूँगी। मैं चित लेटा रहा। वह मेरे ऊपर मेरे लंड पर बैठने लगी और धीरे-धीरे ओंठो को भींचते हुए लंड पर बैठ गयी। लंड अंदर घुसवाने के बाद वह शांत होकर अपने होंठ काटने लगे। मेरा लंड उसकी चुत में फंस गया था। वह भी दर्द सहते हुई लंड पर बैठी रही। लंड उसकी चुत के अन्दर सेट हो गयाl वह दर्द से कराह उठी और उसके मुँह से चीख़ निकल गयी ' उम्म्ह! अहह! हय! याह!

तभी मैंने नीचे से धक्का लगा दिया और वह चिल्ला उठी प्लीज आराम से डालो l '

अपना औज़ार एक ही झटके में उसकी चूत में दे मारा, एक हलकी-सी रुकावट और फिर फचक की आवाज़ से लुंड पूरा जड़ तक समां गया और मोनी की चीख निकल गयीl आईई याह!

लैंड उसकी चूत में एक झटके में ही पूरा समां गया और उसकी आह्हः निकली। फिर कुछ देर बाद-बाद वह ऊपर नीचे होने लगी। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। वह ऊपर से कूद रही और मैं नीचे से गांड उठा कर उसकी चूत चोद रहा था। पूरा कमरा हमारी मादक सिसकारियों से गूंज रहा थाl

तो वह धीरे-धीरे ऊपर नीचे होने लगी पूरी 6-7 इंच ऊपर उठतीl सिर्फ़ 1-2 इंच सुपर अंदर रह जाता और फिर बैठ जाती और मैं भी चुतर उठा कर धक्का दे देताl

और वह आह करती थी । ऐसा उसने कई बार किया और वह मुझे चोद रही थी। फिर उसकी स्पीड बढ़ गयी और उसके गोल सुडोल चूचे उछलने लगे । मेरे हाथ उसके दूध दबाने खींचने लगा लगे तो वह बोली आराम से दबाओ। मैं उसके हर झटके का साथ चुतर उठा कर दे रहा था और मेरे हर झटके से हर बार उसके मुँह से आह निकलती थी । इस तरह ले में 5-6 मिनट धक्के लगाने के बाद वह मेरे ऊपर झुक गयी और मेरे ओंठो की लिपकिस करने लगी मैंने भी लिप किस का जवाब लिप किस से दिया और दोनों एक दुसरे के ओंठो में खो गए । उसके झटको की रफ़्तार कुछ मंद हुई तो बोली अपनी चूत 6-7 इंच ऊपर उठा कर बोली अब तुम झटके मारो तो मैं नीचे से कस-कस कर झटके मारने लगा l

दस मिनट चुदने पर वह झड़ गयी। करीब 20 मिनट की चुदाई में वह 2 बार झड़ चुकी थी। अब झड़ने की मेरी बारी थी। मैंने अपना सारा रस उसकी चुत में डाल दिया और खून चूत रास और वीर्य से सना लंड बाहर निकाल लिया । वह मेरे ऊपर गिर गयी और मैं उसकी पीठ पर हाथ फेरता रहा । वह बोली सच में आमिर बहुत मज़ा आयाl

लंड महाराजा झड़ने के बाद भी बादस्तूर खड़े थेl

आप आपने कमैंट्स भेजते रहिये इससे और बेहतर कहानी लिखे को प्रोत्साहन मिलता है।

कहानी जारी रहेगी…

आमिर खान हैदराबाद

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