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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
#1
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हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह

मैं इस सूत्र में अन्य लेखकों की लिखी कहानियों को हिंदी फॉण्ट में लिप्यन्तरित करके पोस्ट करूँगा| xossip /exbii पर भी मेरा ये सूत्र काफी लोकप्रिय हुआ था जहाँ मैं sinsexx के नाम से पोस्ट करता था| आशा है की यहां भी पाठको से वही स्नेह प्राप्त होगा| 

सूचि/Index 

  1. फलवाले से चुदाई                                      (लेखिका: सानिया रहमान)
  2. गरमी की दोपहर                                       (लेखक : अंजान) 
  3. दास्तान - वक्त के फ़ैसले                           (लेखक: राज अग्रवाल)
  4. नये पड़ोसी                                                (लेखक: राज अग्रवाल)
  5. बरसात की एक रात                                  (लेखिका: सबा रिज़वी)
  6. चाची की चुदाई                                          (लेखक: सुनील जैन)
  7. दस लाख का सवाल                                   (लेखक: अन्जान)
  8. टीचर ने चोदना सिखाया                            (लेखक: अन्जान)
  9. अमीना की कहानी                                     (लेखिका: अमीना काज़ी)
  10. आयशा आँटी की चुदाई                              (लेखक:  राजू राय)
  11. छोटे लंड का पति                                        (लेखक: अंजान)
  12. मैडम को कार चलाना सिखाया                   (लेखक: अंजान)
  13. प्रमोशन की मजबूरी                                     (लेखक: दीनू)
  14. ननद और भाभी की चुदाई                           (लेखक: दीनू)
  15. दो चुदासी औरतों के साथ मस्ती                   (लेखक: अंजान)
  16. उदयपुर की सुहानी यादें                               (लेखक: पारतो सेनगुप्ता)
  17. सायकोलोजी लैब में बीएड मैडम को चोदा   (लेखक: अंजान)
  18. रज़िया और टाँगेवाला                                   (लेखिका: रज़िया सईद)
  19. दोस्त की बीवी                                              (लेखक: अंजान)
  20. प्यासी शबाना                                                         (लेखक: अंजान)
  21. सफर का आनंद                                           (लेखक: अंजान)      
  22. दोहरी ज़िंदगी                                                (लेखिका: तबस्सुम अख़्तर)  
  23. मजदूर नेता                                                   (लेखक: अंजान)
  24. बीवी की सहेली                                             (लेखक: पार्थो सेनगुप्ता)
  25. शबाना की चुदाई                                           (लेखक: अंजान)            RUNNING NOW
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#2
reserved for index
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#3
Reserved
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#4
आरक्षित
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#5
फलवाले से चुदाई
लेखिका: सानिया रहमान
 
मेरा नाम सानिया रहमान है। मैं अपने शौहर के साथ चंडीगढ़ में रहती हूँ लेकिन हम दोनों ही लखनऊ के रहने वाले हैं। मैं दिखने में बेहद खूबसूरत और सैक्सी हूँ। मेरा रंग गोरा, बाल एक दम काले घने लंबे और आँखें भुरी हैं। मैं अपने रंग-रूप का बेहद ख्याल रखती हूँ और हमेशा सज-संवर कर टिपटॉप रहना पसंद है मुझे। मैंने होम-सायंस में एम-ए किया है। शौहर से मेरी शादी कुछ साल पहले ही हुई है। शौहर एक बड़ी कंपनी में मार्कटिंग मैनेजर हैं। वो सुबह जल्दी चले जाते हैं और फिर रात के आठ-नौ बजे तक वापस आते हैं। महीने में करीब दस से बारह दिन तो उन्हें चंडीगढ़ से बाहर भी जाना पड़ता है। मैं बेहद सैक्सी हूँ लेकिन शौहर छः-सात दिनों में महज़ एक ही दफा मेरी चुदाई करते हैं। मेरी चुदाई की भूख नहीं मिट पाती और मैं खूब चुदवाना चाहती हूँ।
[Image: 52d37be7dadc0.jpg]

घर में तमाम दिन अकेली रहती हूँ। घर की साफ-सफाई के लिये सुबह एक कामवाली आती है इसलिये मुझे दिन भर ज्यादा कुछ काम भी नहीं होता। वैसे टीवी से काफी वक्त बीत जाता है क्योंकि मैं केबल पर सीरियल और रियल्टी शो वगैरह देखने की शौकीन हूँ। हफ्ते में तीन-चार दिन तो अकेले ही दोपहर में मार्केट या मॉल में खरीददरी और विन्डो शॉपिंग या फिर थियेटर में फिल्म देखने निकल जाती हूँ। इसके अलावा इंटरनेट सर्फिंग भी करती हूँ और अक्सर पोर्न वेबसाइटों पर गंदी फिल्में और कहानियाँ पढ़ कर मज़ा लेती हूँ। हकीकत में सिर्फ मेरे शौहर ने ही मुझे चोदा था लेकिन तसव्वुर में तो मैं हज़ारों मर्दों से चुद चुकी थी जिनमें फिल्मी हीरो और दूसरे सलेब्रिटी से लेकर रोज़मर्रा की ज़िंदगी में  मिलने वाले हर तबके के गैर-मर्द शामिल थे। अक्सर मैं किसी पड़ोसी या किसी दुकानदार,  माली,  पोस्ट-मैन,  फल-सब्ज़ी वाले का तसव्वुर करते हुए केले से चोद कर अपनी चूत की आग बुझाती थी। शौहर की सर्द-महरी की वजह से वक्त के साथ-साथ मेरी तिशनगी इस कदर बढ़ गयी कि मैं किसी गैर मर्द के लंड से हकीकत में चुदवाने का सोचने लगी।
 
हमारे मुहल्ले में घूम-घूम कर सब्ज़ी और फल बेचने वाले आते रहते हैं। उनमें से एक फल बेचने वाले का नाम मोहन था। वो मुझसे बहुत ही मुस्कुरा-मुस्कुरा कर बात करता था और कभी-कभी मज़ाक भी कर लेता था। क्योंकि मैं हमेशा अच्छे कपड़े और सैंडल पहन कर सज-संवर के रहती हूँ इसलिये वो कईं बार मेरी तारीफ भी कर देता और कहता कि आपको तो फिल्मों में काम करना चाहिये! दिखने में वो भी ठीक-ठाक था। उसकी उम्र बीस-इक्कीस साल से ज्यादा नहीं थी लेकिन उसका जिस्म एक दम गठीला था। मैं अक्सर उसका तसव्वुर करते हुए अपनी चूत को केले से चोद कर मज़ा लेती थी। मैंने सोचा कि मैं मोहन को थोड़ा सा और ज्यादा लिफ्ट दे दूँ तो शायद बात बन जाये और मुझे उससे चुदवाने का मौका मिल जाये। क्योंकि मुहल्ले के लोग शौहर को अच्छी तरह से जानते पहचानते थे,  मुझे डर था कि अगर मैंने मुहल्ले में किसी के साथ चुदवाया तो शौहर को पता चल जायेगा। मुहल्ले में ज्यादातर सर्विस करने वाले ही रहते थे और नौ-दस बजे के बाद मुहल्ले में सन्नाटा हो जाता था।
 
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#6
करीब एक हफ्ता लगा मुझे हिम्मत जुटाने में और सही मौका मिलने में। इस दौरान मैंने एहतियात के तौर पे बर्थ-कंट्रोल पिल्स भी लेनी शुरू कर दी। फिर एक दिन मेरे शौहर दो-तीन दिन के लिये बाहर गये हुए थे और मैं पक्के इरादे से मोहन का इंतज़र करने लगी। उस दिन मैंने तैयार होने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी। गुलाबी रंग के डिज़ायनर सलवार कमीज़ के साथ काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सेन्डल पहने और मैचिंग लिपस्टिक, ऑय-शेडो, फाऊँडेशन वगैरह से पूरा मेक-अप किया था। करीब ग्यारह बजे मोहन की आवाज़ सुनायी पड़ी,  “केले ले लो केले! वो जब मेरे घर के सामने आया तो बोला, मेम साब! केले चाहिये? बहुत ही लंबे और मोटे केले हैं! मैंने कहा, पहले अपने केले दिखा तो सही! वो गेट खोलकर बरामदे में मेरे पास आया और अपने सिर से फल की टोकरी उतार कर ज़मीन पर रख दी। फिर वो खुद भी नीचे बैठ गया और उसने मुझे एक बहुत बड़ा केला दिखाते हुए कहा,  “मेम साब! आप ये केला देखो! बहुत ही अच्छा है आपको मज़ा आ जायेगा! मैंने मुस्कुराते हुए सैक्सी अंदाज़ में कहा, ये केला तो मुलायम सा है मुझे एक दम टाइट और बड़ा केला चाहिये! उसने मुझे दूसरा केला दिखाते हुए कहा, तो ये वाला देखो! मैंने कहा,  मुझे कोई खास केला दिखा! उसने दूसरा केला निकाला और मुझे दिखाते हुए बोला,फिर ये वाला देखो... आपको ज़रूर पसंद आयेगा! लंबा-मोटा है और टाइट भी है और बहुत पका भी नहीं है!


मोहन ने निक्कर और बनियान पहनी हुई थी। उसके निक्कर के ऊपर से ही उसका लंड महसूस हो रहा था। ऊपर से उभार देखने में ही मैंने अंदाज़ा लगाया कि उसका लंड आठ-नौ इंच से कम लंबा नहीं होगा। मैंने बिल्कुल बेहया होकर अपना पैर उठा कर सैंडल से उसके लंड की तरफ़ इशारा करते हुए कहा,  तूने जो वहाँ पर एक स्पेशल केला छुपा कर रखा है वो नहीं दिखायेगा? वो क्या किसी और के लिये छुपा रखा है! वो बोला,  आप मज़ाक कर रही हैं! मैंने अपने होंठ दाँतों में दबाते हुए कहा,  मैं मज़ाक नहीं कर रही हूँ! वो शरमाते हुए बोला,  “मैं ये केला यहाँ पर कैसे दिखा सकता हूँ?” मैंने इधर उधर देखा तो आसपास कोई नहीं था। मैंने मोहन से कहा,  “तू अंदर आ जा और फिर मुझे अपना केला दिखा! वो अंदर आ गया तो मैंने दरवाज़ा बंद कर लिया।
 
मैंने उससे कहा,अब तू अपना वो खास केला मुझे दिखा! वो बोला,  “मेम साब ये केला आपके लायक नहीं है... ये बहुत ही बड़ा है! मैंने कहा,  “ये तो और अच्छी बात है! मुझे बड़ा केला ही चाहिये! उसने शरमाते हुए अपना लंड निक्कर से बाहर निकाला और बोला, लो देख लो! उसका लंबा और मोटा लण्ड देखकर मेरी धड़कनें तेज़ हो गयीं और चूत में खलबली सी मच गयी। मैंने कहा,  बेहद शानदार केला है ये तो! मुझे तेरा केला पसंद  है... मुझे यही केला चाहिये! वो बोला,  “मेम साब बहुत दर्द होगा! मैंने कहा,  बाद में मज़ा भी तो आयेगा! वो बोला,  वो तो मुझे पता नहीं मेम साब! लेकिन ये केला खाने से आपकी फट सकती है! अब तक मेरी भाभी और आपकी तरह ही एक मेम साब के कहने पर उन्हें अपना ये केला खिला चुका हूँ और दोनों ही बर्दाश्त नहीं कर सकीं! दोनों की कईं जगह से कट फट गयी थी और दोनों ने ही फिर कभी इसे खाने की हिम्मत नहीं की! मैंने कहा,  मैं तो कईं दिनों से ऐसा ही केला ढूँढ रही थी! वो बोला,  आप सोच लो मेम साब! मैं तो जैसा आप कहेंगी वैसा करने के लिये तैयार हूँ आगे आपकी मर्ज़ी! कुछ हो गया तो मुझ पर इल्ज़ाम मत लगाना!
 
मैं मोहन के करीब गयी तो उसके जिस्म से पसीने की बास आ रही थी। मैंने कहा, तेरे जिस्म से तो बास आ रही है पहले तू नहा ले उसके बाद मैं तेरे इस केले का स्वाद चखुँगी! मैंने उसे बाथरूम में लेजाकर एक अच्छी सी महक वाला साबुन दे दिया। उसने अपनी बनियान और निक्कर उतार दी और नहाने लगा। मैं वहीं खड़ी उसे निहारती रही। उसने जब अपने लंड पर साबुन लगा कर उसे खूब रगड़ा तो उसका लंड एक दम टाइट हो गया। मैं उसके नौ इंच लंबे और बहुत ही मोटे लंड को देखती ही रह गयी। लंड लम्बा तो था ही लेकिन उससे ज्यादा खास बात थी उसकी गैर-मामुली मोटाई। सुभान अल्लाह! मेरे मुँह से निकला और मेरे जिस्म में उसके लंड को देखकर आग सी लगने लगी। मैंने कहा,  ला मैं तेरे इस केले पर साबून लगा देती हूँ। मैंने उसके हाथ से साबुन लेकर उसके लंड पर साबुन लगाना शुरू कर दिया। थोड़ी देर में ही उसके लंड का जूस निकल कर मेरे सैंडलों पर गिरने लगा। मैंने खिझते हुए थोड़ा गुस्से से कहा,  “ये क्या? तेरे लंड का जूस तो इतनी जल्दी निकल गया?” वो बोला,  मेम साब क्या करूँ ज़िंदगी में तीसरी बार किसी औरत ने मेरे लंड पर अपना हाथ लगाया है वो भी एक साल बाद  इसलिये मैं जोश में आ गया लेकिन अब इसका जूस जल्दी नहीं निकलेगा! मैंने कहा, अब तो तेरे लण्ड को खड़े होने में थोड़ा वक्त लगेगा अब तू जल्दी से नहा कर बाहर आ जा ताकि मैं तेरे केले का स्वाद चख सकूँ! वो बोला,  बस मैं अभी आता हूँ मेमसाब!
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#7
मैं बाहर बेडरूम में आ गयी। पहले तो मैंने अपनी उंगलियों से अपने पैरों और सैंडलों से उसके वीर्य को पोंछा और फिर अपना हाथ नाक के पास ले जाकर सूँघा। फिर ज़ुबान बाहर निकाल कर मैं अपनी उंगलियों से मोहन का वीर्य चाटने लगी। मेरी चूत की हालत खराब थी और खूब भीग गयी थी। मुझ से रहा नहीं गया और मैंने फटाफट सलवार कमीज़ उतार दी और पैंटी चूत पर से एक तरफ खिसका कर सहलाने लगी। इतने में ही वो भी नहा कर मेरे बेडरूम में नंगा ही आ गया। वो आँखें फाड़े मुझे निहारता रह गया क्योंकि मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी और हाई हील के सैंडल पहने उसके सामने मौजूद थी और अपनी चूत सहला रही थी। मैं अपनी चूत सहलाना छोड़ कर उसके करीब आ गयी। अब उसका जिस्म खुशबू से महक रहा था। मैंने उसका ढीला लंड अपने हाथ से सहलाना शुरू कर दिया और फिर थोड़ी देर बाद नीचे बैठते हुए मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी। उसके लण्ड मेरे मुँह में अकड़ने लगा तो मैंने उससे कहातू भी मेरी चूत को अपनी ज़ुबान से चाट! फिर मैंने खुद ही अपनी ब्रा और पैंटी उतार दी और सैंडलों के अलावा बिल्कुल नंगी हो गयी। मैंने कहा,  “मैं लेट जाती हूँ और तू मेरे ऊपर आ जा ताकि मैं भी तेरा केला खा सकूँ! मैं लेट गयी और वो मेरे ऊपर 69 की पोज़िशन में हो गया। मैंने उसका लंड मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया और वो मेरी चूत को चाटने लगा। जैसे ही उसने अपनी ज़ुबान मेरी चूत पर लगायी तो मेरे जिस्म में सुरसुरी सी होने लगी और मैं सिसकरियाँ भरते हुए उसके लंड को तेजी के साथ चूसने लगी।


दो मिनट बाद ही मेरी चूत से रस निकलने लगा। मैं बड़े प्यार से मोहन का लंड चूस रही थी। मेरी चूत का रस चाटने के बाद वो रुक गया। मैंने पूछा, क्या हुआ तू रुक क्यों गया?” तो वो बोला,  मेमसाब आपकी चूत ने तो रस छोड़ दिया...! मैंने कहा,  “तो क्या हुआथोड़ी देर और मेरी चूत को चाट फिर उसके बाद मेरी चुदाई करना! वो फिर से मेरी चूत को चाटने लगा। उसका लण्ड भी अब फिर से कड़क हो गया था और मोटाई की वजह से मेरे मुँह में बेहद मुश्किल से समा रहा था। मुझे अपना मुँह इस कदर फैला कर खोलना पड़ रहा था की मुझे लग रहा था कि मेरा जबड़ा ही ना टूट जाये।
 
करीब पाँच मिनट बाद मैं फिर झड़ गयी। फिर मैंने कहा,  अब तू मेरी चुदाई कर अपने इस मोटे लण्ड से! मैंने अपने चूतड़ के नीचे दो तकिये रख लिये। इससे मेरी चूत एक दम ऊपर उठ गयी। उसके बाद मैंने उसे एक पका हुआ केला लाने को कहा। वो बाहर कमरे में जाकर अपनी टोकरी में से एक केला ले आया। मैंने वो केला लकर छीला और उसे अपनी मुठ्ठी में मसल डाला और केले का थोड़ा सा गूदा अपनी चूत पर लगाने लगी। वो बोला,  मेमसाब ये आप क्या कर रही हो?”  मैंने मुस्कुराते हुए शोख अदा से कहा,  बस तू देखता जा! फिर मैंने थोड़ा सा केले का गूदा उसके पूरे लंड पर भी लगा दिया! उसके बाद मैंने उससे कहा, अब चोद अपने लण्ड से मेरी चूत को अब केले के गूदे की वजह से तेरा ये लंबा और मोटा लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में आसानी से घुस जायेगा!
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#8
वो मेरी टाँगों के बीच में आ गया और उसने अपने लंड का सुपाड़ा मेरी चूत के लबों को फैला कर बीच में रख दिया और मेरी चूत के अंदर दबाना शुरू कर दिया। उसका लंड फिसलते हुए मेरी चूत में घुसने लगा। मुझे हल्का-हल्का दर्द होने लगा। जैसे ही उसका लंड मेरी चूत में करीब पाँच इंच तक घुसा तो मुझे बहुत ज्यादा दर्द महसूस होने लगा और मेरे मुँह से चींखें निकलने लगी। वो बोला,  मेमसाब आप कहें तो मैं बाहर निकाल लूँ! मैंने कहा,  तू परवाह ना कर और धीरे-धीरे पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसाना ज़ारी रख मैं कितनी भी चिल्लाऊँ पर तेरा तमाम लण्ड अंदर घुस जाने से पहले तू रुकना मत! उसने अपना लंड दबाना ज़ारी रखा। दर्द के मारे मेरा बुरा हाल था। लग रहा था कि जैसे कोई गरम लोहे का रॉड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर घुसता जा रहा हो। मेरा सारा जिस्म थरथर काँपने लगा और मेरी टाँगें जवाब देने लगी। जब उसका पूरा का पूरा लंड मेरी चूत के अंदर घुस गया तो मैंने मोहन से रुक जाने को कहा तो वो रुक गया। वो मेरे मम्मों को मसलते हुए मुझे चूमने लगा। थोड़ी देर बाद जब मेरा दर्द कुछ कम हो गया तो मैंने कहा,  अब तू बहुत ही धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर कर! वो अपना लंड मेरी चूत में धीरे-धीरे अंदर बाहर करने लग। मुझे फिर से दर्द होने लगा और मैं दर्द के मारे चींखने लगी। मेरा सारा जिस्म पसीने से नहा गया था।

 
पाँच मिनट तक वो बहुत ही धीरे-धीरे अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर करता रहा। अब मेरा दर्द कुछ कम हो चुका था और मुझे मज़ा आने लगा था। दो मिनट बाद ही मैं झड़ गयी तो मैंने मोहन से कहा,  अब तू जिस तरह से चाहे मेरी चुदाई कर! उसने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और जोर-जोर के धक्के लगाने लगा। अब मुझे और ज्यादा मज़ा आने लगा। मैं भी अपने चूतड़ उठा-उठा कर मोहन का साथ देने लगी। मुझे एक दम ज़न्नत का मज़ा मिल रहा था जो कि मुझे आज तक कभी नहीं मिला था। वो मेरे मम्मों को मसलते हुए मेरी चुदाई कर रहा था।
 
दस मिनट इस तरह चुदवाने के बाद जब मैं फिर से झड़ गयी तो मैंने उसे लंड मेरी चूत के बाहर निकालने को कहा। वो बोला,  “क्या हुआ मेमसाब! मैंने कहा,  अब तू अपना लंड और मेरी चूत को साफ़ कर दे और फिर मेरी चुदाई कर अब केले के गूदे का कोई काम नहीं है! वो तो मैंने तेरा ये लंबा और मोटा लंड आसानी से अपनी चूत में लेने के इरादे लगाया था!
 
उसने बेड की चादर से मेरी चूत को साफ़ कर दिया और फिर अपने लंड को साफ़ करने लगा। उसके बाद उसने अपना लंड फिर से मेरी चूत में धीरे-धीरे घुसाना शुरू कर दिया। मुझे फिर से दर्द होने लगा लेकिन मैंने उसे रोका नहीं। धीरे-धीरे उसने अपना पूरा का पूरा लंड फिर से मेरी चूत में घुसा दिया और मुझे धीरे-धीरे चोदने लगा।
 
दस-पंद्रह मिनट चुदवाने के बाद मैं फिर से झड़ गयी। मोहन के लण्ड से चुदने में मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि क्या बताऊँ। मन कर रहा था कि इसी तरह चुदवाती रहूँ। मैं पलट कर डॉगी स्टाइल में हो गयी और उसे फिर से चोदने को कहा। उसके बाद उसने अपना पूरा का पूरा लंड एक झटके में पीछे से मेरी चूत में डाल दिया। मेरे मुँह से जोर की चींख निकली लेकिन वो रुका नहीं। वो मुझे एक दम आँधी की तरह से चोदने लगा। तमाम बेड जोर-जोर से हिलने लगा। कमरे में चप-चप और धप-धप की आवाज़ गूँज रही थी। मैं जोश में पागल सी हुई जा रही थी और मैंने और तेज चोद.. और तेज चोद मुझे! कहना शुरू कर दिया था। मोहन ने भी मेरी आवाज़ सुन कर और भी जोरदार धक्के लगाते हुए मेरी चुदाई करनी शुरू कर दी। अब उसके हर धक्के से मेरा पूरा का पूरा जिस्म हिल रहा था। वो बहुत ही बुरी तरह से मेरी चुदाई कर रहा था और मैं भी पूरे जोश के साथ मोहन से चुदवा रही थी।

[Image: 5530r0671.jpg]
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#9
थोड़ी देर की चुदाई के बाद मैं फिर से झड़ गयी तो उसने अपना लंड मेरी चूत के बाहर निकाल लिया और मुझे बेड के किनारे पर लिटा दिया। उसके बाद वो मेरी टाँगों के बीच में आ कर ज़मीन पर खड़ा हो गया और मेरी चूत में लंड घुसेड़ कर चुदाई करने लगा। अब वो मेरे दोनों मम्मों को मसलते हुए मुझे बहुत ही ज़ोरों चोद रहा था। मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था और मेरे मुँह से ऊऊहहह. आआहहह.. और. तेज. और.. जोर से.. फाड़ दे मेरी चूत…” को जैसी आवाज़ें निकलने लगी। वो भी पूरे दमखम के साथ मेरी चुदाई कर रहा था।

 
इसी तरह से उसने मुझे काफी देर तक चोदा और फिर आखिर में मेरी चूत में ही झड़ गया। उसके साथ ही साथ मैं भी फिर से झड़ गयी। वो मेरे ऊपर लेट गया और मुझे चूमने लगा। हम दोनों की साँसें बहुत तेज चल रही थी। उससे चुदाई के दौरान मैं पाँच बार झड़ चुकी थी। आज मुझे चुदवाने का वो मज़ा मिला जिसका मैं बरसों से इंतज़ार कर रही थी। थोड़ी देर बाद जब उसका लंड मेरी चूत में बिल्कुल ढीला पड़ गया तो उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मेरे ऊपर से हट गया।
 
उसने अपने कपड़े पहन लिये और जाने लगा तो मैंने उससे कहा,  “अब तू रोज आ कर मेरी चुदाई ज़रूर करना! वो बोला,  “मेम साब! मुझे भी आज आपकी चुदाई करने में वो मज़ा आया है कि मैं बता नहीं सकता... कमाल की औरत हो आप मैं रोज ही आपकी चुदाई करुँगा! उसके बाद वो चला गया। करीब एक महीने तक मैं उससे रोज-रोज चुदवाती रही और खूब मज़ा लेती रही। उसके बाद एक दिन मैंने मोहन से कहा, आज मैं तुझसे गाँड मरवाना चाहती हूँ! वो बहुत ही खुश हो गया। मोहन से पहली-पहली बार गाँड मरवाने के बाद मैं तीन-चार दिनों तक ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। उसके बाद मैं मोहन से आराम से गाँड भी मरवाने लगी। मुझे उससे गाँड मरवाने में भी बहुत मज़ा आता था। वो रोज ही मेरे पास आता और तरह-तरह के स्टाइल में मेरी बहुत ही बुरी तरह से चुदाई करता था। उसे झड़ने में भी बहुत वक्त लगता था और वो मेरी गाँड भी बहुत ही बुरी तरह से मारता था।
 
करीब छः-सात महिनों तक मैं मोहन से चूत और गाँड दोनों ही मरवाती रही। उसके बाद वो अपने गाँव वापस चला गया। उसके जाने के बाद मैंने कईं गैर-मर्दों के साथ चुदवाया लेकिन मुझे मोहन के लंड से चुदवाने में जो मज़ा आया था वो मज़ा मुझे अब तक नहीं मिला और ना ही मोहन के जैसा लंबा और मोटा लंड ही  कभी मिला।
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#10
गरमी की दोपहर
लेखक : अंजान ©
 
कहते हैं कि किसी औरत को गैर-मर्द के साथ अकेला नहीं छोड़ना चाहिये क्योंकि मर्द उसे पकड़ कर चोदने की ही सोचेगा। कैसे इसकी चूत में अपना लंड डाल दूँ - यही ख्याल उसके मन में कुलबुलायेगा। दोस्तों मेरे साथ ऐसा ही हुआ।
 
गरमी के दिन थे और भरी दोपहर थी। मैं अपने घर में अकेला था क्योंकि अभी मेरी शादी नहीं हुई थी। मैंने घर में कुछ ज़रूरी काम करने के लिये ऑफिस से छुट्टी ले रखी थी। काम निबटा कर मैं बेडरूम में ठंडी बीयर का आनन्द ले रहा था।
 
करीब एक बजे दरवाजे पर हुआ टिंग-टोंग! दरवाजा खोला तो सामने मानो एक अप्सरा खड़ी थी। पैंतीस-छत्तीस साल की साँवली और गज़ब की सुंदर औरत साड़ी पहने हुए और हाथों में कागज़ और कलम लिये हुए कोयल का आवाज़ में बोली, "माफ़ कीजियेगा! क्या कोई लेडी हैं घर में?"
[Image: sony-charishta-black-saree-hot-photos110.jpg]
 
मैंने कहा, "जी नहीं, मैं बेचलर हूँ और अकेला ही रहता हूँ। आप कौन हैं?"
 
उसके माथे पर पसीने की कुछ बूंदें थी। वोह बोली, "ज़रा एक ग्लास पानी मिलेगा?"
 
मैंने कहा, "हाँ, क्यों नहीं?"
 
वोह ज़रा सा अंदर आयी। मैंने पानी का ग्लास देते हुए पूछा, "क्या बात है, आप हैं कौन?"
 
पानी पी कर वोह बोली, "जी मेरा नाम सना खान है और मुझे एक कनज़्यूमर कंपनी ने भेजा है सर्वे के लिये। क्या आप मेरे कुछ सवालों का जवाब दे देंगे?"
 
मैंने कहा, "जी कोशिश कर सकता हूँ। आप प्लीज़ यहाँ बैठ जाइये।"
 
वोह सोफ़े पर बैठ गयी और हमारे घर का दरवाजा अभी खुला ही था। मैंने दूसरे सोफ़े पर बैठ कर कहा, "पूछिये जो पूछना है।"
 
वो बोली, "जी आपका नाम और आपकी उम्र क्या है?"
 
"जी मैं प्रताप सिंघ हूँ और उम्रछब्बीस साल!" मैंने जवाब दिया।
 
आप अपने घर की ज़रूरत की चीजें कहाँ से खरीदते हैं?" इस तरह वो सवाल पर सवाल पूछती रही और मैं जवाब देता गया।
 
कुछ देर बाद मैंने पूछा, "इस तरह इतनी गर्मी के वैदर में भी आप क्या सब घरों में जाकर सर्वे करती हैं?"
 
"जी, जॉब तो जॉब ही है ना।"
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#11
"तो आप शादी शुदा हो कर (उसने बड़ी सी अंगूठी पहनी हुई थी) भी जॉब कर रही हैं?"

 
अब वो भी थोड़ी-सी खुल सी गयी। बोली, "क्यों, शादी शुदा औरत जॉब नहीं कर सकती?"
 
"जी यह बात नहीं, घर-घर जाना, जाने किस घर में कैसे लोग मिल जायें?"
 
उसने जवाब दिया, "वैसे तो दिन के वक्त ज्यादातर हाऊज़वाइफ ही मिलती हैं। कभी-कभी ही कोई मेल मेंबर होता है।"
 
"तो आपको डर नहीं लगता।"
 
"जी अभी तक तो नहीं लगा। फिर आप जैसे शरीफ इंसान मिल जायें तो क्या डर?"
 
‘शरीफ इंसान’ - एक बार तो सुन कर अजीब लगा। इसे क्या मालूम कि मैं इसे किस नज़र से देख रहा था। साड़ी और ब्लाऊज़ के नीचे उसकी चूचियाँ तनी हुई थीं और मेरे लंड में खुजली सी होने लगी। जी चाह रहा था कि काश सिर्फ़ एक बार चूम सकता और ब्लाऊज़ के नीचे उन चूचियों को दबा सकता। हाथों कि अँगुलियाँ लंबी-लंबी मुलायम सी। वैसे ही मुलायम से सैक्सी पैर ऊँची ऐड़ी के सैंडलों में कसे हुए। देख-देख कर लंड महाराज खड़े हो ही गये। मन में ज़ोरों से ख्याल आ रहा था कि क्या गज़ब की अप्सरा है। इसकी तो चूत को हाथ लगाते ही शायद हाथ जल जायेगा।
 
तभी वोह बोली, "अच्छा, थैंक्स फ़ोर एवरीथिंग। मैं चलती हूँ।"
 
मानो पहाड़ टूट गया मेरे ऊपर। चली जायेगी तो हाथ से निकल ही जायेगी। अरे प्रताप, हिम्मत करो, आगे बढ़ो, कुछ बोलो ताकि रुक जये। इसकी चूत में अपना लंड नहीं डालना है क्या? चूत में लंड? इस ख्याल ने बड़ी हिम्मत दी।
 
"माफ़  कीजियेगा सना जी, आप जैसी खूबसूरत औरत को थोड़ा केयरफुल रहना चाहिये।" मैंने डरते हुए कहा।
 
"खूबसूरत?"
 
मैं थोड़ा सा घबराया, लेकिन फिर हिम्मत करके बोला, "जी, खूबसूरत तो आप हैं ही। बुरा मत मानियेगा। आप प्लीज़ अब तो चाय पी कर ही जाइये।"
 
"चाय, लेकिन बनायेगा कौन?"
 
"मैं जो हूँ, कम से कम चाय तो बना ही सकता हूँ।"
 
वोह हंसते हुए बोली, "ठीक है... लेकिन इतनी गर्मी में चाय की बजाय कुछ ठंडा ज्यादा मुनासिब होगा!"
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#12
मैंने कहा, "क्यों नहीं... क्या पीना पसंद करेंगी... नींबू शर्बत या पेप्सी... वैसे मैं भी आपके आने के पहले चिल्ड बीयर ही पी रहा था!"

 
"तो फिर अगर आपको एतराज़ ना हो तो मैं भी बीयर ही ले लूँगी!"  मुझे उससे इस जवाब की उम्मीद नहीं थी लेकिन मुझे बहुत खुशी हुई। मैंने उसे फिर बैठने को कहा और किचन में जाकर दो ग्लास और फ्रिज में से हेवर्ड फाइव थाऊसैंड बीयर की दो ठंडी बोतलें निकाल कर ले आया। हम दोनों बीयर पीने लगे और इधर मेरा लंड उबल रहा था। पहली बार किसी औरत के साथ बैठ कर बीयर पी रहा था और वो भी इतनी सुंदर औरत - और मुझे पता नहीं था कि कैसे आगे बढ़ूँ।
 
तभी वो बोली, "आप अकेले रहते हैं... शादी क्यों नहीं कर लेते?"
 
मैंने जवाब दिया, "जी घर वाले तो काफी ज़ोर दे रहे हैं लेकिन कोई लड़की अभी तक पसंद ही नहीं आयी!।" मैंने अब और हिम्मत कर के कहा, "सना जी, आप वाकय में बहुत खूबसूरत हैं। और बहुत अच्छी भी। आपके हसबैंड बहुत ही खुशनसीब इंसान हैं।"
 
"आप प्लीज़ बार-बार ऐसे ना कहिये। और मुझे सना जी क्यों कह रहे हैं। मैं उम्र में आपसे बड़ी ज़रूर हूँ लेकिन इतनी ज़्यादा भी नहीं!" वो इतराते हुए अदा से मुस्कुरा कर बोली।
 
दोस्तों यह हिंट काफ़ी था मेरे लिये। मैं समझ गया कि ये अब चुदवाने को आसानी से तैयार हो जायेगी। हमारी बीयर भी खतम होने आयी थी।
 
"ठीक है, सना जी नहीं... सना... तुम भी मुझे आप-आप ना कहो! वैसे तुम कितनी खूबसूरत हो, मैं बताऊँ?"
 
"कहा तो है तुमने कईं बार। अब भी बताना बाकी है?"
 
"बाकी तो है। अपनी बीयर खतम करके बस एक बार अपनी आँखें बन्द करो... प्लीज़।"
 
दो-तीन घूँट में जल्दी से बीयर खतम करके उसने आँखें बंद की। मैंने कहा, "आँखें बंद ही रखना।" मैंने उसे कुहनी से पकड़ कर खड़ा किया और हल्के से मैंने उसके गुलाबी-गुलाबी नर्म-नर्म होंठों पर अपने होंठ रख दिये। एक बिजली सी दौड़ गयी मेरे शरीर में। लंड एकदम तन गया और पैंट से बाहर आने के लिये तड़पने लगा। उसने तुरन्त आँखें खोलीं और आवाक सी मुझे देखती रही और फिर मुस्कुरा कर और शर्मा कर मेरी बाँहों में आ गयी। मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा। कस कर मैंने उसे अपनी बाँहों में दबोच लिय। ऐसा लग रहा था बस यूँ ही पकड़े रहूँ। फिर मैंने सोचा कि अब समय नहीं बर्बाद करना चाहिये। पका हुआ फल है, बस खा लो।
 
तुरंत अपनी बाँहों में मैंने उसे उठाया (बहुत ही हल्की थी) और बेडरूम में लाकर बिस्तर पर लिटा दिया। उसकी आँखों में प्यास नज़र आ रही थी। साड़ी और सैंडल पहने हुए बिस्तर पर लेटी हुई वो प्यार भरी नज़रों से मुझे देख रही थी। ब्लाऊज़ में से उसके बूब्स ऊपर नीचे होते हुए देख कर मैं पागल हो गया। आहिस्ते से साड़ी को एक तरफ़ करके मैंने उसकी दाहिनी चूंची को ऊपर से हल्के से दबाया। एक सिरहन सी दौड़ गयी उसके शरीर में।
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#13
वो तड़प कर बोली, "प्लीज़ प्रताप! जल्दी से! कोई आ ही ना जाये।"

"घबराओ नहीं, सना डार्लिंग। बस मज़ा लेती रहो। आज मैं तुम्हे दिखला दूँगा कि प्यार किसे कहते हैं। खूब चोदूँगा मेरी रानी।" मैं एकदम फ़ोर्म में था। यह कहते हुए मैंने उसकी चूचियों को खूब दबाया और होंठों को कस-कस कर चूसने लगा। फिर मैंने कहा, "चुदवाओगी ना?" 
 
आह! गज़ब की कातिलाना मुस्कुराहट के साथ बोली, "प्रताप! तुम भी... बहुत बदमाश हो... तो क्या बीयर पी कर यहाँ तुम्हारे बिस्तर पे तीन पत्ती खेलने के लिये तुम्हारे आगोश में लेटी हूँ! अब इस भरी दोपहर में दर-दर भटकने की बजाय यही अच्छा है।"
 
सना रानी, बदमाश तो तुम भी कम नहीं हो!" और उसके नर्म-नर्म गालों को हाथ में ले कर होंठों का खूब रसपान किया। मैं उसके ऊपर चढ़ा हुआ था और मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर था। चूत मुझे महसूस हो रही थी और उसकी चूचियाँ... गज़ब की तनी हुई... मेरे सीने में चुभ-चुभ कर बहुत ही आनंद दे रही थी। दाहिने हाथ से अब मैंने उसकी बाँयी चूंची को खुब दबाया और एक्साईटमेंट में ब्लाऊज़ के नीचे हाथ घुसा कर उसे पकड़ना चाहा।
 
"प्रताप, ब्लाऊज़ खोल दो ना।" उसका यह कहना था और मैंने तुरन्त ब्लाऊज़ के बटन खोले और उसे घुमा कर साथ ही साथ ब्रा का हुक खोला और पीछे से ही उसके बूब्स को पुरा समेट लिया। आहा, क्या फ़ीलिंग थी, सख्त और नरम दोनों, गरम मानो आग हो। निप्पल एकदम तने हुए। जल्दी-जल्दी ब्लाऊज़ और ब्रा को हटाया। साड़ी को परे किया और पेटीकोट के नाड़े को खोल कर उसे हटाया। पिंक पैंटी और सफेद हाई-हील के सैंडल पहने हुए सना को नंगी लेटी हुई देख कर तो मैं बर्दाश्त ही नहीं कर सका। मैंने अब अपने कपड़े जल्दी-जल्दी उतारे। लंड तन कर बाहर आ गया और ऊपर की तरफ़ हो कर तड़पने लगा। उसका एक हाथ ले कर मैंने अपने फड़कते हुए लंड पर रख दिया।
 
"उफ हाय अल्लाह कितना बड़ा और मोटा है", वोह बोली और आहिस्ता-आहिस्ता लंड को आगे पीछे हिलाने लगी। शादी शुदा औरत को चोदने का यही मज़ा है। कुछ सिखाना नहीं पड़ता। वो सब जानती है और आमतौर पर शादी शुदा औरतें फैमली प्लैनिंग के लिये पिल्स या कोई और इंतज़ाम करती हैं तो कंडोम की भी ज़रूरत नहीं।
 
मैंने आखिर पूछ ही लिया, "सना डार्लिंग, कंडोम लगाऊँ?"
 
वो मुँह हिलाते हुए मना करते हुए खिलखिलायी, "सब ठीक है। मैं पिल्स लेती हूँ।"
 
मैंने अब उसके बदन से उस पिंक पैंटी को हटाया और इतमिनान से उसकी चूत को निहारा। एक दम साफ चिकनी सुंदर सी चूत थी। कुछ फूली हुई थी। मैंने उसके ऊपर हाथ रखा और हल्के से दबाया। अँगुली ऐसे घुसी जैसे मक्खन में छूरी। रस बह रहा था और चूत एकदम गीली थी। मैं जैसे सब कुछ एक साथ कर रहा था। कभी उसके होंठों को चूसता, चूचियों को दबाता - कभी एक हाथ से कभी दोनों से। एकदम टाइट गोल और तनी हुई चूचियाँ। उसके सोने जैसे बदन पर कभी हाथ फिराता। फिर मैंने उसकी चूचियों को खूब चूसा और अँगुलियों से उसकी बूर में खूब अंदर बाहर करके हिलाया।
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#14
"सना, अब मैं नहीं रह सकता, अब तो चोदना ही पड़ेगा। कस-कस कर चोदूँगा मेरी रानी।"

पहली बार उसके मुँह से अब सुना, "चोद दो ना प्रताप, बस अब चोद दो।" 
 
मज़ा लेते हुए मैंने पूछा, "क्या चोदूँ जानेमन। एक बार फिर से कहो ना। तुम्हारे मुँह से सुनने में कितना अच्छा लग रहा है।"
 
"अब चोदो ना... इस... इस चूत को।"
 
"अब मैं तेरी गरम-गरम और गुलाबी-गुलाबी बूर में अपना ये लंड घुसाऊँगा और कस-कस कर चोदूँगा।" मैंने अपना लंड उसकी बूर के मुँह पर रखा और हल्के से धक्का दिया। उसने अपने हाथों से मेरे लंड को पकड़ा और गाईड करते हुए अपनी चूत में डाल दिया। दोस्तों मानो मैं जन्नत में आ गया।
 
मैं बोल ही उठा, "उफ़, क्या चूत है सना। मज़ा आ गया।"
 
उसने भी एक्साइट हो कर कहा, "चोद दो प्रताप... बस अब इस चूत को खूब चोदो।"

[Image: bns0001035.jpg]
 
दोस्तों... चूचियाँ दबाते हुए, होंठ चूसते हुए ज़ोर-ज़ोर से चोद-चोद कर ऐसा मज़ा मिल रहा था कि पता ही नहीं चला कि कब मैं झड़ गया। झड़ते-झड़ते भी मैं उसे बस चोदता ही रहा और चोदता ही रहा।
 
"सना... बहुत टेस्ती चुदाई थी यार। तुम तो गज़ब की चीज़ हो।"
 
"मुझे भी बेहद मज़ा आया, प्रताप।" वो कसकर मुझे पकड़ते हुए बोली। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से लग कर एक अलग ही आनंद दे रही थी। दोस्तों, फिर बीस मिनट बाद, पहले तो मैंने उसकी बूर को चाटा और उसने मेरे लंड को चूसा, हल्के-हल्के। फिर हमने कस-कस कर चुदाई की और इस बार झड़ने में काफी समय लगा। मैंने शायद उसकी चूचियाँ और बूर और होंठ और गाल के किसी भी अंग को चूसे बगैर नहीं छोड़ा। इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया था। बस गज़ब की चीज़ थी वो औरत।
 
कपड़े पहनने के बाद मैंने पूछा, "सना, अब तो तुम्हें और कईं बार चोदना पड़ेगा। अपनी इस प्यारी सी चूत और प्यारी-प्यारी चूचियों और प्यारे-प्यारे होंठों और प्यारी-प्यारी सना डार्लिंग के दर्शन करवाओगी ना?" मैंने उसका फोन नंबर ले लिया और कह दिया कि मैं बता दूँगा जिस दिन मैं दिन में घर पे होऊँगा!
 
अब वोह मुझसे फ़्री हो गयी थी और बोली, "प्रताप, डोंट वरी, जब भी मुनासिब मौका मिलेगा खूब चुदाई करेंगे!"
 
उसकी यह बात सुनते ही मैंने उसे एक बार और बाँहों में भींच लिया और उसके होंठों का एक तगड़ा चुंबन लिया। फिर वो मेरे बंधन से आज़ाद होकर दरवाजे से बाहर निकल गयी। कुछ दूर जाकर पीछे मुड़ी और एक मुस्कान बिखेर कर धीरे-धीरे मेरी आँखों से ओझल हो गयी।
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#15
दास्तान - वक्त के फ़ैसले
 
लेखक: राज अग्रवाल
 
अध्याय-१
 
ज़ूबी ने अपने चेहरे पर आते हुए अपने बालों को हटाया और कंप्यूटर में रिपोर्ट तैयार करने में जुट गयी। ज़ूबी को चार साल हो गये थे “रवि एंड देव” कंपनी के साथ काम करते हुए। “रवि एंड देव” देश की मानी हुई लॉ फ़र्म थी। ज़ूबी को ये नौकरी अपनी मेहनत और लगन से हासिल हुई थी। काम का बोझ इतना ज्यादा था कि कभी-कभी तो उसे १८ घंटे तक काम करना पड़ता था। वो पूरी मेहनत से काम कर रही थी और उसका लक्ष्य अपनी मेहनत से फ़र्म का पार्टनर बनने का था। उसकी गहरी नीली आँखें कंप्यूटर स्क्रीन पर गड़ी हुई थी कि उसकी सेक्रेटरी ने उसे आवाज़ दी, “ज़ूबी रवि सर अपने केबिन में तुमसे मिलना चाहेंगे।”
 
ज़ूबी ने मुड़कर सेक्रेटरी की तरफ़ देखा, क्या तुम्हें पता है वो किस विषय में मिलना चाहते हैं?”
 
नहीं मुझे सिर्फ़ इतना कहा कि मैं तुम्हें ढूँढ कर उनसे मिलने को कह दूँ सेक्रेटरी ने जवाब दिया।
 
शुक्रिया रजनी, मैं अभी उनसे मिल कर आती हूँ। मेरे जाने के बाद मेरे केबिन को बंद कर देना,” इतना कहकर वो कमरे में लगे शीशे के सामने अपना मेक-अप ठीक करने लगी। प्रोफेशन में होने के बावजूद ज़ूबी अपने पहनावे का और दिखावे का पूरा ख्याल रखती थी। उसने अपने पतले और सुंदर होठों को खोल कर उन पर हल्के गुलाबी रंग की लिपस्टिक लगायी। ज़ूबी ने फिर अपने सिल्क के टॉप को दुरुस्त किया जो उसकी भारी और गोल चूचियों को ढके हुए था। २८ साल की उम्र में भी उसका बदन एक कॉलेज में पढ़ती लड़की की तरह था।
[Image: 70623659-001-8a6c.jpg]
उसने अपनी हाई हील की सैंडल पहनी जो उसने अपने पैरों को आराम देने के लिए कुछ देर पहले खोल दी थी। वो रवि के केबिन की और जाते हुए सोच रही थी, पता नहीं रवि सिर मुझसे क्यों मिलना चाहते हैं, इसके पहले ऐसा कभी नहीं हुआ है।
 
ऑफिस के हाल से गुजरते हुए उसे पता था कि सभी मर्द उसे ही घुर रहे हैं। सबकी निगाहें उसके चूत्तड़ की गोलाइयों पे गड़ी रहती थी। वो हमेशा चाहती थी कि उसकी लंबाई पाँच फुट पाँच इंच से कुछ ज्यादा हो जाये। इसी लिए वो हाई हील की सैंडल पहना करती थी।
 
ज़ूबी केबिन के दरवाजे पर दस्तक देते हुए केबिन मे पहुँची। रवि ने उसे बैठने के लिये कहा।
 
ज़ूबी! मिस्टर राज के केस में कुछ प्रॉब्लम क्रियेट हो गयी है रवि ने कहा। 
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#16
ज़ूबी रवि की बात सुनकर चौंक पड़ी। मिस्टर राज हज़ारों करोड़ रुपैयों की एक मीडिया कंपनी के मालिक थे। मिस्टर राज की कंपनी रवि की कंपनी के बड़े ग्राहकों में से थी बल्कि उनकी सिफारिश से भी कंपनी को काफी बिज़नेस मिलता था। ज़ूबी पिछले एक साल से मिस्टर राज की कंपनी के टीवी और रेडियो स्टेशन के लायसेंस को सरकार से रीन्यू (नवीकरण) के काम में लगी हुई थी। 

ज़ूबी मुझे अभी-अभी खबर मिली है कि सरकार शायद मिस्टर राज की रीन्यूअल ऐप्लीकेशन को रद्द कर दे... कारण उनकी ऐप्लीकेशन में बहुत सी बतों का खुलासा करना रह गया है रवि ने घूरते हुए उसकी तरफ़ देखा। 
 
ज़ूबी घबरा गयी। उसने पूरे साल भर मेहनत करके सब ऐप्लीकेशंस तैयार की थी। उसे याद नहीं आ रहा था कि उससे गलती कहाँ हुई है पर रवि के गुस्से से भरे चेहरे से पता चल रहा था कि गलती कहीं न कहीं तो हो चुकी है।
 
रवि ने उसे थोड़ा नम्र स्वर में कहा,देखो ज़ूबी मुझे पता है कि तुमने काफी मेहनत से ये ऐप्लीकेशंस तैयार की थी। मैं हमेशा से तुम्हारी मेहनत और लगन का कायल रहा हूँ। पर कभी कभी गलतियाँ घर चल कर आ जाती हैं।
 
ज़ूबी जानती थी कि ये बात कहाँ जाकर खत्म होगी, सर अगर इस गलती का दंड किसी को मिलना है तो वो मुझे मिलना चाहिए, क्योंकि सही ऐप्लीकेशंस तैयार करने की जिम्मेदारी मेरी थी और मैं ही अपना काम अच्छी तरह नहीं कर पायी।
 
ज़ूबी ने हिम्मत से ये कह तो दिया था, पर वो जानती थी कि इससे उसका भविष्य बर्बाद हो जायेगा। जो सपने उसने इस कंपनी के साथ रहते हुए देखे थे वो सब चूर हो जायेंगे और शायद उसे किसी दूसरी कंपनी में भी नौकरी नहीं मिलेगी।
 
तभी रवि ने उसपर दूसरी बिजली गिरायी।
 
ज़ूबी जैसे तुम्हें पता है कि ऐप्लीकेशन पर तुम्हारे और मिस्टर राज के दस्तखत हैं, डिपार्टमेंट वाले सोच रहे हैं कि जानबूझ कर ऐप्लीकेशन में कुछ बातें छिपायी गयी हैं। और इस वजह से तुम दोनों को हिरासत में भी लिया जा सकता है और मुकदमा भी चल सकता है।
 
 ज़ूबी ये सुन कर दहल गयी। उसकी आँखों में दहशत के भाव आ गये। उसकी बदनामी, गिरफतारी, मुकदमा सब सोच कर वो डर गयी। कोई बात खुलासा करना रह गयी वो फ्रॉड कैसे हो सकता है। सर आप तो जानते हैं कि मैंने ये सब जानबूझ कर नहीं किया, गलती ही से रह गया होगा। वो रोने लगी, सर आप ही बतायें कि मैं क्या करूँ?” 
 
मैं जानता हूँ कि तुम एक मेहनती और इमानदार औरत हो, पर पहले हमें मिस्टर राज की चिंता करनी चाहिए। अगर सरकार ने हमारी फ़र्म और मिस्टर राज को जिम्मेदार ठहरा दिया तो हम सब बर्बाद हो जायेंगे। रवि ने अपनी बात जारी रखी, एक काम करो... तुम अपने केबिन में जाकर शांति से बैठ जाओ, और इस बात का जिक्र किसी से भी नहीं करना। ये बहुत ही नाजुक मामला है... अगर एक शब्द भी लीक हो गया तो हम बर्बाद हो जायेंगे।
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#17
ज़ूबी ने सहमती में अपनी गर्दन हिला दी।

अपने केबिन में जाओ और मेरे फोन का इंतज़ार करो। मैं मिस्टर राज से कॉन्टेक्ट करता हूँ और उन्हें सारी बात समझाता हूँ... फिर सोचते हैं कि हमें क्या करना चाहिए रवि ने कहा। 
 
ज़ूबी वापस अपने केबिन मे पहुँची। उसका दिमग काम नहीं कर रहा था कि वो क्या करे। उसे पता नहीं था कि अगर वो गिरफ़्तार हो गयी तो उसका मंगेतर आगे उससे रिश्ता रखेगा कि नहीं। वो अपनी कुर्सी पर बैठ कर बाहर देखने लगी। उसे महसूस हुआ कि उसका शरीर डर के मारे काँप रहा था।
 
करीब एक घंटे के लंबे इंतज़ार के बाद रवि का फोन आया,ज़ूबी राज एक कॉनफ्रेंस के सिलसिले में होटल अंबेसडर के सुइट नंबर १५०४ में है। उसने तुम्हें तुरंत ऐप्लीकेशन की कॉपी लेकर बुलाया है। तुम तुरंत चली जाओ... मैं थोड़ी देर में आता हूँ।
  
ठीक है सर! मैं अभी चली जाती हूँ।
 
फोन पर थोड़ी देर खामोशी छायी रही।
 
ज़ूबी तुम्हें पता है ना कि ये मीटिंग हमारी फ़र्म के लिये कितनी महत्वपूर्ण है। थोड़ी और खामोशी के बाद, और तुम्हारे लिए भी।
 
ज़ूबी ने रवि को बताया कि उसे पता है।
 
काँपती हुई ज़ूबी ने फाइल उठाई और होटल अंबेसडर की ओर चल दी।
 
करीब डेढ़ घंटे की बहस के बाद भी ज़ूबी मिस्टर राज को ये नहीं समझा पायी कि उससे गलती कैसे और कहाँ हुई। ये बात राज को झल्लाय जा रही थी और आखिर वो गुस्से में बरस पड़ा। क्या तुम मुझे ये बताने की कोशिश कर रही हो कि तुम्हें ये नहीं पता कि क्या और कौनसी बातें ऐप्लीकेशन मे छूट गयी हैं। मैं ही बेवकूफ़ था जो इतने महत्वपूर्ण काम पर रवि एंड देव पर भरोसा किया। क्या तुम कोई जवाब दे सकती हो?” राज गुस्से में जोर से बोला।
 
ज़ूबी की आँखों में आँसू आ गये। आज तक राज ने उसे बहुत इज्जत और अच्छे व्यवहार से ट्रीट किया था। ४५ साल का राज एक कसरती बदन का मर्द था। वो गुस्से में अपने हाथ का मुक्का बना कर दूसरी हथेली पे मार रहा था जैसे कि एक ही वार में ज़ूबी को मार गिरायेगा।
 
राज ज़ूबी की ओर देख कर अपने आप से कह रहा था,क्या बदन है इसका। भारी-भारी चूचियाँ और इतनी पतली कमर। पता नहीं बिस्तर में कैसी होगी। जब ज़ूबी कागज़ों से भरी टेबल पर झुकी तो राज को उसकी लंबी टाँगें और बड़े-बड़े कुल्हों की झलक मिली। थोड़ी देर में ही इसकी गाँड ऐसे मारूँगा कि ये याद रखेगी।
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#18
ज़ूबी! मैंने अपने क्रिमिनल लॉयर से बात कर ली है, उसका कहना है कि अगर मैंने तुम पे और तुम्हारी फ़र्म पे भरोसा करके साइन किये हैं तो मुझ पर कोई इल्ज़ाम नहीं आता है। अब तुम फँस चुकी हो... मैं नहीं। मुझे टेंशन है कि मेरा करोड़ों का नुकसान हो जायेगा। राज ने उसे घूरते हुए कहा। 

मैं समझ सकती हूँ सर ज़ूबी अपनी गर्दन झुकाते हुए बोली। 
 
क्या समझती हो तुम, कि तुम्हारी जैसी नासमझ वकिल की वजह से मैं अपना करोड़ों का नुकसान होने दूँगा। याद रखना तुम कि अगर मेरा एक पैसे का भी नुकसान हुआ तो मैं तुम्हारी पूरी लॉ फ़र्म बंद करवा दूँगा।
 
सर मैं कुछ भी करने को तैयार हूँ। ज़ूबी गिड़गिड़ाते हुए बोली, सर कुछ भी जो आप कहें।
 
राज थोड़ी देर तक कुछ सोचता रहा, ठीक है मैं अपने क्रिमिनल लॉयर से बात करता हूँ कि वो तुम्हें कैसे बचा सकता है। जब तक मैं बात करता हूँ, तुम एक काम करो... अपने कपड़े उतार कर नंगी हो जाओ और मेरे लंड को चूसो... सिर्फ़ इसी तरह तुम मेरी मदद कर सकती हो।
 
ज़ूबी पत्थर की बुत बन कर खड़ी थी। राज फोन पर अपने वकिल से बात कर रहा था, हाँ वो तो फँसेगी ही पर उसकी फ़र्म को भी काफी नुकसान होगा, क्या कोई तरीका नहीं है कि इन सबसे छुटकारा मिल सके?”
 
थोड़ा उसकी उम्र और उसके भविष्य का ध्यान दो, बेचारी मर जायेगी। उसकी फ़र्म के बारे में सोचता हूँ कि मुझे क्या करना चाहिए। हाँ वो इस समय मेरे पास ही खड़ी है।
 
क्या तुम ये कहना चाहते हो कि अब उसका और उसकी फ़र्म का भविष्य मेरे हाथ में है...? तो ठीक है मैं सोचुँगा कि इस लड़की को इस समस्या से बचाना चाहिए कि  नहीं।
 
राज ज़ूबी को घुरे जा रहा था, जैसे वो उसके आगे बढ़ने का इंतज़ार कर रहा हो। राज होटल की कुर्सी पे अपनी दोनों टाँगों को फैलाये बैठा था।
 
अपने आपको भविष्य के सहारे छोड़ते हुए ज़ूबी ने अपनी ज़िंदगी की राह में अपना पहला कदम बढ़ा दिया। उसने गहरी साँस लेते हुए अपने हाथ अपने टॉप के ऊपर के बटन पर रखे और बटन खोलने लगी। थोड़ी ही देर में उसका टॉप खुल गया और उसने उसे अपने कंधों से निकाल कर उसे उतार दिया। फिर उसने अपनी स्कर्ट के हुक खोल कर उसे नीचे गिरा दिया। अपनी हाई हील्स की सैंडल निकाले बगैर उसने स्कर्ट को उतारा और सैंडलों के अलावा सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में राज के सामने खड़ी थी।
[Image: 41450586-003-7bb2.jpg][Image: 41450586-007-f2cd.jpg]
 
ज़ूबी राज को देख रही थी कि उसकी ओर से कोई प्रतिक्रिया हो पर वो वैसे ही अपनी कुर्सी पर बैठा रहा।
 
ज़ूबी सोच रही थी कि आगे वो क्या करे कि इतने में राज ने फोन के माउथ पीस पर हाथ रख कर कहा, अब तुम किसका इंतज़ार कर रही हो। जल्दी से अपनी पैंटी और ब्रा उतार के मेरे पास आओ।
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#19
ज़ूबी ने अपनी ब्रा के हुक खोल कर अपनी ब्रा उतार दी। उसकी गोल -गोल चूचियाँ बाहर निकल पड़ी। फिर उसने अपनी पैंटी नीचे कर के उतार दी। उसने देखा कि राज उसकी चूत को घूर रहा था। उसने अपने मंगेतर के कहने पर कल ही अपनी चूत के बल साफ किये थे। उसे शरम आ रही थी कि आज कोई मर्द उसकी चूत को इस तरह घूर रहा है।

[Image: 42576067-012-ec3b.jpg]

 
राज अभी भी फोन पर बात कर रहा था। वो अपनी कुर्सी से उठा और ज़ूबी को देख कर अपनी पैंट की ज़िप की ओर इशारा किया। ज़ूबी उसके पास आ घुटनों कल बैठ गयी। फिर उसने उसकी पैंट के बटन खोले और उसके सुस्त पड़े लंड को अपने हाथों में ले लिया। फिर अपने होठों को खोल कर अपनी जीभ से उसके लंड के सुपाड़े को चाटने लगी।
 
ज़ूबी ने आज से पहले अपने मंगेतर के सिवाय किसी और के लंड को नहीं चूसा था। अपने मंगेतर का भी सिर्फ़ एक बार जब वो काफी नशे में हो गया था और उसे चूसने की जिद की थी। पर आज उसके पास कोई चारा नहीं था। उसने अपना पूरा मुँह खोल कर राज के लंड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी। उसकी जीभ का स्पर्श पाते ही लौड़े में जान आ गयी और वो ज़ूबी के मुँह में पूरा तन गया।
 
राज ने अपनी पैंट नीचे खिसका दी। ज़ूबी एक हाथ से उसके लंड को पकड़े हुए थी और अपने मुँह को ऊपर नीचे कर रही थी जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रही हो। राज हाथ बढ़ा कर उसकी चूचियों के निप्पल को अपने अंगूठे और अँगुली में ले कर भींचने लगा। उसके छूते ही निप्पल में जान आ गयी और वो खड़े हो गये।
 
राज ने फोन पर बात करना जारी रखा।
 
ज़ूबी खान नाम है उसका। हाँ यार तुम जानते हो उसे... वही जिसने लॉ परीक्षा मे स्टेट में टॉप किया था। हाँ वही...। अरे वो यहीं है इस वक्त... मेरे लंड को चूस रही है... तुम्हें क्या लगता है... मैं मजाक कर रहा हूँ...? थोड़ी देर में मैं उसकी चूत चोदने वाला हूँ।
 
राज की बातें सुनकर ज़ूबी का चेहरा शर्म से लाल हो गया। फिर भी वो जोरों से उसके लंड को चूस रही थी। वो जानती थी कि उसके पास बस एक यही उपाय है अपने आप को इस मुसीबत से बचाने का। उसने लंड चूसना जारी रखा।
 
राज ने फोन नीचे रखा और अपने दोनों हाथ ज़ूबी के सिर पर रख कर अपने लंड को और अंदर उसके गले तक डाल दिया। उसकी बढ़ती हुई साँसों के देख कर ज़ूबी समझ गयी कि उसका लंड अब पानी छोड़ने वाला है।
 
हाँआँआँआँ चूऊऊसो ओहहहहह और जोर से चूसो राज अपने लंड को और अंदर तक घुसेड़ कर बड़बड़ा रहा था।
[Image: 88620725-013-ea70.jpg]
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#20
ज़ूबी एक हाथ से उसके लंड की गोलियों को सहला रही थी और दूसरे हाथ से उसके लंड को पकड़े चूस रही थी। थोड़ी देर में राज का लंड अकड़ना शुरू हो गया। राज ने अपने दोनों हाथों का दबाव ज़ूबी के सिर पर रख कर अपने लौड़े को और अंदर गले तक डाल दिया और अपने वीर्य की पिचकारी छोड़ दी।
[Image: FIMG-749.jpg]
 
ज़ूबी ना चाहते हुए भी उसके लंड से निकला पूरा पानी गटक गयी। राज अपने लंड को उसके मुँह मे तब तक अंदर बाहर करता रहा जब तक कि उसका लंड थोड़ा ढीला नहीं पड़ गया। ज़ूबी उसके लंड को अपने मुँह से निकालने को डर रही थी कि कहीं वो नाराज़ ना हो जाये पर राज ने अपना लंड उसके मुँह से निकाल लिया। उसके लंड के निकलते ही उसके पानी की धार ज़ूबी के चेहरे से होती हुई उसकी छाती और टाँगों पर चू पड़ी।
 
तभी फोन की घंटी बजी और राज फोन उठा बात करने लगा। बात करते हुए उसने ज़ूबी को उसके कंधों से पकड़ कर खड़ा कर दिया। राज ने उसे घुमा कर इस तरह खड़ा कर दिया कि ज़ूबी की पीठ उसकी तरफ़ थी।
 
फोन पर बात करते हुए राज पीछे से अपने हाथ उसकी छाती पर रख कर उसके मम्मे मसल रहा था। ज़ूबी ने महसूस किया की उसका लंड उसकी गाँड की दरार पर रगड़ खा रहा है। राज उसके कान में धीरे से बोला, जाओ जाकर बिस्तर पर लेट जाओ, अब मैं तुम्हें चोदूँगा।
 
जैसे ही ज़ूबी बिस्तर की ओर बढ़ी, राज उसके बदन को घुरे जा रहा था। क्या पतली कमर है और क्या गोल गोल चूत्तड़। उसने ऐसे बदन जिम में कई देखे थे। उसके भरे चूत्तड़ों को देख कर राज के मुँह में पानी आ रहा था, आज मैं इसकी गाँड मार के रहुँगा वो सोच रहा था।
 
ज़ूबी जैसे ही बिस्तर पर लगे कवर को हटाकर उसमें घुसने लगी तो राज बोला, “ज़ूबी तुम बेड के ऊपर नंगी ही लेटी रहो... मैं तुम्हारे नंगे बदन को देखना चाहता हूँ और अपने सैंडल मत उतारना।”
 
राज उसे घुरे जा रहा था। वो जानता था की ज़ूबी आज हर वो काम करेगी जो वो कहेगा। उसकी उभरी और भरी हुई चूचियाँ फिर एक बार उसके लंड में जान फूँक रही थी।
 
पिछले आधे घंटे से राज ज़ूबी के ऊपर लेटा हुआ अपने भारी लंड को उसकी चूत में अंदर बाहर कर रहा था। ज़ूबी की दोनों टाँगें राज की कमर से लिपटी हुई थी। राज अपने हाथों से उसके दोनों चूत्तड़ों को पकड़े हुए था और अपने लंड को आधा बाहर  निकालते हुए पूरी ताकत से उसकी चूत में पेल रहा था।
 
ज़ूबी के दोनों हाथ राज की पीठ पर थे और राज जब पूरी ताकत से धक्का लगाता तो ज़ूबी को अपना शरीर पिसता हुआ महसूस होता। वो दिवार पर लगे शीशे में देख रही थी की राज का भारी शरीर कैसे उसके नाज़ुक बदन को रौंद रहा था।
 
मन में डर और इस बे-इज्जती के बावजूद अब उसके शरीर और टाँगों ने विरोध करना छोड़ दिया था। चुदाई इतनी देर चल रही थी की अब उसे भी आनंद आ रहा था। वो भी अपने कुल्हे उछाल कर उसका साथ दे रही थी। उसे ऐसा लग रहा था की राज का लंड नहीं बल्कि उसके मंगेतर का लंड उसे चोद रहा है। जब भी राज का लंड उसकी चूत की जड़ पर ठोकर मारता तो उसके मुँह से सिस्करी निकल रही थी, ओहहहहहहह आहहहहहहह
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आखिर में राज का शरीर अकड़ने लगा और उसने ज़ूबी को जोर से बाँहों में भींचते हुए अपना लंड पूरा अंदर डाल कर अपना पानी छोड़ दिया। ज़ूबी ने भी सिस्करियाँ भरते हुए उसके साथ ही पानी छोड़ दिया।
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