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24-04-2020, 02:29 AM
(This post was last modified: 24-04-2020, 02:34 AM by rohitkapoor. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
तरक्की का सफ़र
लेखक: राज अग्रवाल
मैंने बिस्तर पर करवट बदल कर खिड़की के बाहर झाँका तो देखा सूरज देवता उग चुके थे। मैं उठ कर बैठा और एक सिगरेट जला ली। रात भर की चुदाई से सिर एक दम भारी हो रहा था। एक कप स्ट्राँग कॉफी पीने की जबरदस्त इच्छा हो रही थी पर खुद बनाने की हिम्मत नहीं थी। ‘राज ऑफिस चल, कोई लड़की बना के पिला देगी’ मैंने खुद से कहा। घड़ी में देखा सुबह के सात बजे थे। काफी जल्दी थी, पर शायद कोई मेरी तरह जल्दी आ गया होगा।
मैं तैयार होकर ऑफिस पहुँचा। कंप्यूटर चालू करके मैं रिपोट्र्स पढ़ रहा था। मैं सोचने लगा कि इन सात सालों में क्या से क्या हो गया। जब मैं पहली बार यहाँ इंटरव्यू के लिये आया था........
मेरा घर यहाँ से हज़ारों मील दूर नॉर्थ इंडिया में था। मेरे पिताजी श्री राजवीर चौधरी एक सादे से किसान थे। मेरी माताजी एक घरेलू औरत थी। मेरे पिताजी बहुत सख्त थे। मेरे दो बड़े भाई अजय २७, शशी २६, और मेरी दो छोटी बहनें अंजू २३, और मंजू २१, और मैं राज २४ इन चारों में तीसरे नंबर पर था। हम सब साथ-साथ ही रहते थे।
मैं पढ़ाई में कुछ ज्यादा अच्छा नहीं था पर हाँ मैं कंप्यूटर्स में एक्सपर्ट था। साथ ही मेरी मेमरी बहुत शार्प थी। इसलिये मैंने कंप्यूटर्स और फायनेन्स की परीक्षा दी और अच्छे मार्क्स से पास हो गया।
मैंने अपनी नौकरी की एपलीकेशन मुंबई की एक इंटरनेशनल कंपनी में की थी और मुझे ईंटरव्यू के लिये बुलाया था।
दो दिन का सफ़र तय करके मैं मुंबई के मुंबई सेंट्रल स्टेशन पर उतरा। एक नये शहर में आकर अजीब सी खुशी लग रही थी। स्टेशन के पास ही एक सस्ते होटल में मुझे एक कमरा किराये पर मिल गया।
२७ की सुबह मैं अपने इकलौते सूट में मिस्टर महेश, जनरल मैनेजर (अकाऊँट्स और फायनेन्स) के सामने पेश हुआ। मिस्टर महेश, ४८ साल के इन्सान है, ५ फीट ११ की हाइट और बदन भी मजबूत था। उन्होंने मुझे ऊपर से नीचे तक परखने के बाद कहा, “अच्छा हुआ राज तुम टाईम पर आ गये। तुम्हें यहाँ काम करके मज़ा आयेगा। और मन लगा कर करोगे तो तरक्की के चाँस भी ज्यादा है। देखता हूँ एम-डी फ़्री हो तो तुम्हें उनसे मिलवा देता हूँ, नहीं तो दूसरे काम में मसरूफ हो जायेंगे।”
मिस्टर महेश ने फोन नंबर मिलाया, “सर! मैं महेश, अपने नये एकाऊँटेंट मिस्टर राज आ गये हैं, हाँ वही, क्या आप मिलना पसंद करेंगे?” मिस्टर महेश ने आगे कहा, “हाँ सर! हम आ रहे हैं।... चलो राज एम-डी से मिल लेते हैं।“
मिस्टर महेश के केबिन से निकल कर हम एम-डी के केबिन में आ गये। एम-डी का केबिन मेरे होटल के रूम से चार गुना बड़ा था। मिस्टर रजनीश जो कंपनी के एम-डी थे और कंपनी में एम-डी के नाम से पुकारे जाते थे, अपनी कुर्सी पर बैठे अखबार पढ़ रहे थे।
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“वेलकम टू ऑर कंपनी राज, मुझे खुशी है कि तुमने ये जोब एक्सेप्ट कर लिया। हमारी कंपनी काफी आगे बढ़ रही है। मैं जानता हूँ कि हम तुम्हें ज्यादा वेतन नहीं दे रहे पर तुम काम अच्छा करोगे तो तरक्की भी जल्दी हो जायेगी मिस्टर महेश की तरह। तुम्हारा पहला काम है कंपनी के अकाऊँट्स को कंप्यूटराइज़ करना, उसके लिये तुम्हारे पास तीन महीने का टाईम है। क्यों ठीक है ना?”
“सर! मैं अपनी पूरी कोशिश करूँगा”, मैंने जवाब दिया।
मिस्टर महेश बोले, “आओ तुम्हें तुम्हारे स्टाफ से परिचय करा दूँ।”
हम अकाऊँट्स डिपार्टमेंट में आये। वहाँ तीन सुंदर औरतें थीं। मिस्टर महेश ने कहा, “लेडिज़ ये मिस्टर राज हमारे नये अकाऊँट्स हैड हैं। और राज इनसे मिलो... ये मिसेज नीता, मिसेज शबनम और ये मिसेज समीना।“
मेरी तीनों असिस्टेंट्स देखने में बहुत ही सुंदर थीं। मिसेज शबनम ४० साल की मैरिड महिला थी। उनके दो बच्चे, एक लड़का १६ और लड़की १५ साल की थी। उनके हसबैंड फार्मा कंपनी में वर्कर थे।
मिसेज नीता, ३५ साल की शादी शुदा औरत थी। उनके भी दो बच्चे थे। उनके हसबैंड एक टेक्सटाइल कंपनी में सेल्समैन थे इसलिये अक्सर टूर पर ही रहते थे। नीता देखने में ज्यादा सुंदर थी और उसकी छातियाँ भी काफी भरी-भरी थी... एकदम तरबूज़ की तरह।
मिसेज समीना सबसे छोटी और प्यारी थी। उसकी उम्र २७ साल की थी। उसकी शादी हो चुकी थी और उसके हसबैंड दुबई में सर्विस करते थे। उसकी काली-काली आँखें कुछ ज्यादा ही मदहोश थी।
हम लोग जल्दी ही एक दूसरे से खुल गये थे और एक दूसरे को नाम से पुकारने लगे थे। तीनों काम में काफी होशियार थी और इसलिये ही मैं अपना काम समय पर पूरा कर पाया। मैं अपनी रिपोर्ट लेकर एम-डी के केबिन में बढ़ा।
“सर! देख लीजिये अपने जैसे कहा था वैसे ही काम पूरा हो गया है। हमारे सारे अकाऊँट्स कंप्यूटराइज़्ड हो चुके हैं और आज तक अपडेट हैं”, मैंने कहा।
“शाबाश राज, तुमने वाकय अच्छा काम किया है। ये लो!” कहकर एम-डी ने मुझे एक लिफाफा पकड़ाया।
“देख क्या रहे हो, ये तुम्हारा इनाम है और आज से तुम्हारी सैलरी भी बढ़ायी जा रही और प्रमोशन भी हो रही है, खुश हो ना?” एम-डी ने कहा।
“थैंक यू वेरी मच सर!” मैंने जवाब दिया।
“इस तरह काम करते रहो और देखो तुम कहाँ से कहाँ पहुँच जाते हो”, कहकर एम-डी ने मेरी पीठ थपथपायी।
मैं काम में बिज़ी रहने लगा। होटल में रहते-रहते बोर होने लगा था, इसलिये मैं किराये पर मकान ढूँढ रहा था।
एक दिन नीता मुझसे बोली, “राज! मैंने सुना तुम मकान ढूँढ रहे हो।”
“हाँ ढूँढ तो रहा हूँ, होटल में रहकर बोर हो गया हूँ”, मैंने जवाब दिया।
“मेरी एक सहेली का फ्लैट खाली है और वो उसे किराये पर देना चाहती है, तुम चाहो तो देख सकते हो”, नीता ने कहा।
“अरे ये तो अच्छी बात है, मैं जरूर देखना चाहुँगा”, मैंने जवाब दिया।
“तो ठीक है मैं कल उससे चाबी ले आऊँगी और हम शाम को ऑफिस के बाद देखने चलेंगे”, नीता ने कहा।
“ठीक है”, मैंने जवाब दिया।
दूसरे दिन नीता चाबी ले आयी थी, और शाम को हम फ्लैट देखने गये। फ्लैट २-BHK था और फर्निश्ड भी था, मुझे काफी पसंद आया।
“थैंक यू नीता! तुम्हारा जवाब नहीं”, मैंने कहा।
“अरे थैंक यू की कोई बात नहीं... ये तो दोस्तों का फ़र्ज़ है.... एक दूसरे के काम आना, लेकिन मैं तुम्हें इतनी आसानी से जाने देने वाली नहीं हूँ, मुझे भी अपनी दलाली चाहिये”, नीता ने जवाब दिया।
ये सुन कर मैं थोड़ा चौंक गया। “ओके! कितनी दलाली होती है तुम्हारी?” मैंने पूछा।
“दो महीने का किराया एडवाँस”, उसने जवाब दिया।
“लेकिन फिलहाल मेरे पास इतना पैसा नहीं है”, मैंने जवाब दिया।
“कोई बात नहीं, और भी दूसरे तरीके हैं हिसाब चुकाने के, तुम्हें मुझसे प्यार करना होगा, मुझे रोज़ ज़ोर-ज़ोर से चोदना होगा”, इतना कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।
“नीता ये क्या कर रही हो, कहीं तुम पागल तो नहीं हो गयी हो। तुम्हारे पति को पता चलेगा तो वो क्या कहेंगे”, मैंने कहा।
“कुछ नहीं होगा राज, प्लीज़ मैं बहुत प्यासी हूँ, प्लीज़ मान जाओ”, इतना कहते हुए उसने अपने सैंडल छोड़कर बाकी सारे कपड़े उतार दिये और वो मुझे बिस्तर पर घसीटने लगी और मेरी पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी।
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उसके गोरे और गदराये बदन को देख कर मेरा मन भी सैक्स करने को चाहने लगा। मैंने ज़िंदगी में अभी तक किसी लड़की को चोदा नहीं था। मैं उसके बदन की खूबसूरती में ही खोया हुआ था।
“अरे क्या सोच और देख रहे हो? क्या पहले किसी को नंगा नहीं देखा है या किसी को चोदा नहीं है क्या?” उसने पूछा।
“कौन कहता है कि मैंने किसी को नहीं चोदा, मैंने अपने गाँव की लड़कियों को चोदा है।” मैंने उससे झूठ कहा, और अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मेरा लंड बाहर निकल कर खड़ा हुआ
“वाओ! तुम्हारा लंड तो बहुत ही लंबा और मोटा है... चुदवाने में बहुत मज़ा आयेगा। आओ अब देर मत करो”, इतना कहकर उसने अपनी टाँगों को और चौड़ा कर दिया। उसकी गुलाबी चूत और खिल उठी जैसे मुझे चोदने को इनवाइट कर रही थी।
मैंने चुदाई पर काफी किताबें पढ़ी थी, पर आज तक किसी को चोदा नहीं था। भगवान का नाम लेते हुए मैं उसके ऊपर चढ़ गया और अपना लौड़ा उसकी चूत में घुसाने की कोशिश करने लगा। मगर चार पाँच बार के बाद भी मैं नहीं कर पाया।
“रुक जाओ राज, प्लीज़ रुको”, उसने कहा।
“क्या हुआ?” मैंने पूछा।
उसने हँसते हुए मेरे लंड को पकड़ा और अपनी चूत के मुँह पर रख दिया, और कहा, “हाँ अब करो, डाल दो इसे पूरा अंदर।”
मैंने जोर से धक्का लगाया और मेरा लंड उसकी चिकनी चुपड़ी चूत में पूरा जा घुसा। मैं जोर-जोर से धक्के लगा रहा था।
“राज जरा धीरे-धीरे करो”, वो मुझसे कह रही थी, पर मैं कहाँ सुनने वाला था। ये मेरी पहली चुदाई थी और मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मैं उसके दोनों मम्मों को पकड़ कर जोर जोर से धक्के लगा रहा था। मैं झड़ने के करीब था, मैंने दो चार जोर के धक्के लगाये और अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। उसके ऊपर लेट कर मैं गहरी गहरी साँसें ले रहा था।
उसने मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेते हुए मुझे किस किया और बोली, “राज तुमने मुझसे झूठ क्यों बोला, ये तुम्हारी पहली चुदाई थी... है ना?”
“हाँ!” मैंने कहा।
“कोई बात नहीं, सब सीख जाओगे, धीरे-धीरे”, इतना कह कर वो मेरे लंड को फिर सहलाने लगी। मैं भी उसकी छातियों को चूसने लगा। उसने एक हाथ से मेरे चेहरे को अपनी छाती पर दबाया और दूसरे हाथ से मेरे लंड को मसलने लगी।
मेरे लंड में फ़िर गर्मी आने लगी। मेरा लंड फ़िर तन गया था।
“ओह राज! तुम्हारा लंड तो वाकय बहुत सुंदर है।”
इससे पहले वो कुछ और कहती मैंने अपने लंड को पकड़ कर उसकी चूत में घुसा दिया।
“राज इस बार धीरे-धीरे चोदो... इससे हम दोनों को ज्यादा मज़ा आयेगा।” उसने प्यार से कहा।
मैं धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा। करीब पाँच मिनट की चुदाई में वो भी अपनी कमर हिलाने लगी और मेरे धक्के से धक्का मिलाने लगी। अपने दोनों हाथों से मेरी कमर पकड़ कर अपने से जोर से भींच लिया और…..
“ओहहहहह राज! बहुत अच्छा लग रहा है। आआआआआहहहहहह जोओओओओर से चोदो... हाँ तेज और तेज ऊऊऊहहहहहह”
“बस दो चार धक्कों की देर है रा..आआ..ज जोर जोर से करो”, वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।
उसकी चींखें सुन कर मैं भी जोर-जोर से धक्के लगा रहा था। मेरी भी साँसें तेज हो चली थी। पर मेरी दूसरी बारी थी इसलिये मेरा पानी जल्दी छूटने वाला नहीं था।
वो नीचे से अपनी कमर जोर जोर से उछाल रही थी, “हाँआँआँआँ ऐसे ही करो ओहहहहहह चोदो राज और जोर से... आआहहहहहह... मेरा छूटने वाला है”, उसकी सिसकरियाँ कमरे में गूँज रही थी।
मैं भी धक्के पे धक्के लगा रहा था। हम दोनों पसीने में तर थे।
मैं भी छूटने ही वाला था और दो चार धक्के में मैंने अपना पानी उसकी चूत की जड़ों तक छोड़ दिया। मैं पलट कर उसके बगल में लेट गया।
“ओह राज! तुम शानदार मर्द हो। काफी मज़ा आया... इतनी जोर से मुझे आज तक किसी ने नहीं चोदा... आज पहली बार किसी ने मुझे इतना आनंद दिया है”, वो बोली।
“क्यों तुम्हारे पति तुमको नहीं चोदते क्या?” मैंने पूछा।
“चोदते हैं पर तुम्हारी तरह नहीं। वो टूर पर से थके हुए आते है, और जल्दी-जल्दी करते हैं। वो ज्यादा देर तक चुदाई नहीं करते और जल्दी ही झड़ जाते हैं”, उसने कहा।
करीब आधे घंटे में मेरा लंड फिर से तनने लगा। मैं एक हाथ से अपने लंड को सहला रहा था और दूसरे हाथ से उसके मम्मों से खेल रहा था। कभी मैं उसके निप्पल पर चिकोटी काट लेता तो उसके मुँह से दबी सिसकरी निकल पड़ती। उसमें भी गर्मी आने लग रही थी। वो भी अपनी चूत को अपने हाथ से मसल रही थी।
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“ओह राज तुमने ये मुझे क्या कर दिया है। देखो ना मेरी चूत गीली हो गयी है, इसे फिर तुम्हारा मोटा और लंबा लंड चाहिये, प्लीज़ इसकी भूख मिटा दो ना।” इतना कहकर वो मेरे हाथ को अपनी चूत पर दबाने लगी।
मेरा भी लंड तन कर घोड़े जैसा हो गया था, और मुझसे भी नहीं रुका गया। मैंने उसकी टाँगें फैलायीं और एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। उसके मुँह से चींख नकल पड़ी... “ओह मा...आआआ...र डाला। राज जरा धीरे... तुम तो मेरी चूत को फाड़ ही डालोगे।”
“अरे नहीं मेरी जान! मैं इसे फाड़ुँगा नहीं, बल्कि इसे प्यार से इसकी चुदाई करूँगा..., तुम डरो मत।” इतना कहकर मैं जोर जोर से उसे चोदने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरा साथ देने लगी।
“हाँ इसी तरह चोदो राजा। मज़ा आ रहा है। ओहहहहहह आआहहहहहह डाल दो और जोर से आआआईईईईईईईईईईई”, उसके मुँह से आवाजें आ रही थी। हमारी जाँघें एक दूसरे से टकरा रही थी। थोड़ी देर में हम दोनों का काम साथ-साथ हो गया।
वो पलट कर मेरे ऊपर आ गयी और बोली, “राज तुम बहुत अच्छे हो... ऑय लव यू।”
“मुझे भी तुम पसंद हो नीता”, मैंने कहा।
नीता ने बिस्तर पर से खड़ी होकर अपने कपड़े पहनने शुरू किये।
मैंने उसका हाथ पकड़ कर कहा, “थोड़ी देर और रुक जाओ ना, तुम्हें एक बार और चोदने का दिल कर रहा है।”
“नहीं राज, लेट हो रहा है। मुझे जाना होगा। घर पर सब इंतज़ार कर रहे होंगे। वादा करती हूँ डार्लिंग! वापस आऊँगी।” इतना कहकर वो चली गयी।
उसके जाने के बाद मैंने सोचा कि पिताजी ठीक कहते थे कि मेहनत का फ़ल अच्छा होता है। तीन महीनों में ही मेरी सैलरी बढ़ गयी थी, तरक्की हो गयी, फ्लैट भी मिल गया और अब एक शानदार चूत हमेशा चोदने के लिये मिल गयी। मुझे अपनी तकदीर पे नाज़ हो रहा था। मैंने निश्चय किया कि मैं और मेहनत के साथ कम करूँगा।
अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा कि समीना अपनी सीट पर नहीं है।
“समीना कहाँ है?” मैंने शबनम और नीता से पूछा।
“लगता है वो मिस्टर महेश के साथ कोई अर्जेंट काम कर रही है।” शबनम ने हँसते हुए जवाब दिया।
लंच टाईम हो चुका था पर समीना अभी तक नहीं आयी थी।
“राज चलो खाना शुरू करते हैं। समीना बाद में आकर हम लोगों को जॉयन कर सकती है”, नीता ने कहा।
“राज, तुम्हें वो फ्लैट कैसा लगा जो नीता तुम्हें दिखाने ले गयी थी?” शबनम ने पूछा।
“काफी अच्छा और बड़ा है। मैं तो नीता का शुक्र गुज़ार हूँ कि उसने मेरी ये समस्या का हल कर दिया वर्ना इतना अच्छा और सुंदर फ्लैट मुझे कहाँ से मिलता”, मैंने जवाब दिया।
पता नहीं क्यों शबनम शक भरी नज़रों से नीता को देख रही थी। मुझे ऐसे लगा कि उसे हमारे चुदाई के बारे में शक हो गया है। शबनम कुछ बोली नहीं। फिर हम सब काम में बिज़ी हो गये।
नीता बराबर ऑफिस के बाद मेरे फ्लैट पर आने लगी और हम लोग जम कर चुदाई करने लगे। उसने किचन में खाना बनाने का सामान भी भर दिया और मुझे भी खाना बनाना सिखाने लगी। वो मेरा बहुत ही खयाल रखने लगी जैसे एक पत्नी एक पति का रखती है।
एक दिन हम लोग बिस्तर पर लेटे थे और बड़ी जमकर चुदाई करके हटे थे। वो मेरे लंड से खेल कर उसमे फिर से गर्मी भरने कि कोशिश कर रही थी। उसके हाथों की गर्माहट से मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था। वो अचानक बोली, “राज आज मेरी तुम गाँड मारो।”
ये सुन कर मैं चौंक कर बोला, “पागल हो तुम। तुम्हें क्या मैं होमो नज़र आता हूँ।”
“अरे पागल गाँड मारने से कोई आदमी होमो थोड़ी हो जाता है। मानो मेरी बात... तुम्हें मज़ा आयेगा और रोज़ मेरी गाँड मारोगे”, उसने कहा।
मैं मना करता रहा और वो जिद करती रही। आखिर मैंने कहा कि “ठीक है! मैं तुम्हारी गाँड मारूँगा... पर एक शर्त पर... अगर मुझे मज़ा नहीं आया तो नहीं करूँगा, ठीक है?”
उसने कहा “ठीक है! मुझे मंज़ूर है, तुम्हारे पास वेसलीन है?”
“क्यों वेसलीन का क्या करोगी?” मैंने पूछा।
“वेसलीन अपनी गाँड पर और तुम्हारे लंड पर लगाऊँगी, जिससे मेरी गाँड चिकनी हो जाये और जब तुम्हारा घोड़े जैसा लंड मेरी गाँड में घुसे तो मुझे दर्द ना हो”, उसने कहा।
मैं बाथरूम से वेसलीन ले आया। वेसलीन लेते ही उसने मुझे वेसलीन अपनी गाँड पर और खुद के लंड पर लगाने को कहा। मैंने अच्छी तरह से वेसलीन मल दी। वो बिस्तर पर घोड़ी बन चुकी थी और कहा, “अब देर मत करो, मेरे पीछे आकर अपना मूसल जैसा लंड जल्दी से मेरी गाँड में डाल दो।”
मैं उसके पीछे आकर अपना लंड उसकी गाँड के छेद पर रगड़ने लगा।
“ममममम... अच्छा लग रहा है राज, अब तड़पाओ नहीं... प्लीज़! जल्दी से डाल दो।” इतना कह कर वो आगे से अपनी चूत को मसलने लगी।
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मैंने जोर से अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया। “ओहहहहहह राज! जरा धीरे डालो, दर्द होता है, थोड़ा सा प्यार से घुसेड़ो ना”, वो दर्द से करहाते हुए बोली।
मैं धीरे-धीरे उसकी गाँड में अपना लौड़ा अंदर बाहर करने लगा। अब उसे भी मज़ा आने लगा था। किसी की गाँड मारने का मेरा पहला अनुभव था पर मुझे भी अच्छा लग रहा था। मैं जोर-जोर से अब उसकी गाँड मार रहा था। वो भी घोड़ी बनी हुई पूरा मज़ा ले रही थी, साथ ही अपनी चूत को अँगुली से चोद रही थी।
थोड़ी ही देर में मैंने अपने लंड की पिचकारी उसकी गाँड में कर दी। उसकी गाँड मेरे पानी से भर सी गयी थी और बूँदें ज़मीन पर चू रही थी।
मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देख कर वो बोली, “कैसा लगा? अब कौन से छेद को चोदना चाहोगे?”
“गाँड को”, मैंने हँसते हुए जवाब दिया।
समय के साथ साथ नीता और मेरा रिश्ता बढ़ता गया। साथ-साथ ही शबनम का शक भी बढ़ रहा था।
एक दिन शाम को जब मैं नीता के कपड़े उतार रहा था तो उसी समय दरवाजे पर घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो शबनम को वहाँ पर खड़े पाया। मैंने उसे अंदर आने से रोकना चाहा पर वो मुझे धक्का देती हुई अंदर घुस गयी। जब उसने नीता को बिस्तर पर सिर्फ सैंडल पहने नंगी लेटे देखा तो बोली, “अब समझी... तुम दोनों के बीच क्या चल रहा है, तो मेरा शक सही निकला।”
शबनम को वहाँ देख कर नीता नाराज़ हो गयी, “तुम यहाँ पर क्यों आयी हो, हमारा मज़ा खराब करने?”
“अरे नहीं यार मैं मज़ा खराब करने नहीं बल्कि तुम लोगों का साथ देने और मज़ा लेने आयी हूँ।” ये कहकर वो अपने कपड़े उतारने लगी।
शबनम का बदन देख कर लगता नहीं था कि वो ४० साल की है। उसकी चूचियाँ काफी बड़ी-बड़ी थी। निप्पल भी काले और दाना मोटा था। उसकी चूत पर हल्के से तराशे हुए बाल थे जो उसे और सुंदर बना रहे थे। उसका नंगा जिस्म और लंबी गोरी टाँगें और पैरों में गहरे ब्राऊन रंग के हाई हील के सैंडल देख कर ही मेरा लंड तन गया था।
“राज! आज इसकी चूत और गाँड इतनी जोर-जोर से चोदो कि इसे नानी याद आ जाये कि मोटे और तगड़े लंड से चुदाने से क्या होता है”, नीता ने कहा।
मैंने शबनम को बिस्तर पर लिटाकर उसकी टाँगों को घुटनों के बल मोड़ कर उसकी छाती पर रख दिया, और एक जबरदस्त झटके से अपना पूरा लंड उसकी चूत में पेल दिया।
“ओहहहहह..... राज.... तुम्हारा लंड कितना मोटा और लंबा है। मेरी चूत को कितना अच्छा लग रहा है। डार्लिंग अब जोर से चोदो, फाड़ डालो इसे”, वो मज़े लेते हुए बोल पड़ी।
मैंने अपना लंड बाहर खींचा और जोर के झटके से अंदर डाल दिया।
“याआआआआआ हाँआँआँआँ ऐसे..... एएएएएए.... चोदो....ओओओ, जोर से”, उसके मुँह से सिसकरी भरी आवाज़ें निकल रही थी।
थोड़ी देर में वो भी अपने चूतड़ उछाल कर मेरे धक्के से धक्का मिलाने लग गयी। उसकी साँसें मारे उन्माद के उखड़ रही थी।
“ओहहहहहह राज...... जोरररररर...... से जल्दीईईईईईई जल्दीईईईईई डालो.... मेरा अब छूटने वाला है..ऐऐऐऐ। प्लीज़ जोर से चोदो...ओओओओ”, इतना कहकर उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और वो निढाल पढ़ गयी।
मैंने भी अपनी रफ़्तार बढ़ा दी और दो धक्के मार कर उसे कस कर अपने से लिपटा कर अपने पानी की पिचकारी उसकी चूत में छोड़ दी। लगा जैसे मेरा लंड उसकी बच्चे दानी से टकरा रहा था।
जब हमारी साँसें संभलीं तो उसने मुझे बाँहों में भरते हुए कहा, “ओह राज, मज़ा आ गया। आज तक किसी ने मुझे ऐसे नहीं चोदा है, ऑय लव यू डार्लिंग।”
“क्यों क्या तुम्हारा शौहर तुम्हें नहीं चोदता?”
“चोदता है! लेकिन हफ़्ते में एक बार। वो अब बुढा हो गया है, दो मिनट में ही झड़ जाता है और मेरी चूत प्यासी रह जाती है। मुझे जोरदार चुदाई पसंद है जैसे तुम करते हो”, शबनम बोली।
शबनम ने मुझे नीता पर ढकेलते हुए कहा, अब तुम नीता को चोदो.... “हमारी चुदाई देख कर इसकी चूत म्यूंसिपल्टी के नल की तरह चू रही है।”
“नहीं राज, आज शबनम को तुम्हारे लंड का मज़ा लेने दो। मैं तो कईं महीनों से मज़ा ले रही हूँ”, नीता ने जवाब दिया।
“ओह नीता! तुम कितनी अच्छी हो...” ये कह कर शबनम मेरे लंड को सहलाने लगी। मैं भी उसके मम्मे दबा रहा था। उसके मुँह से सिसकरी निकल रही थी।
“ओह राज! अब नहीं रहा जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो”, वो कहने लगी।
मैंने अपना लौड़ा जोर से उसकी चूत में डाल दिया और जोर से उसे चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों का पानी छूट गया।
जब हम चुदाई करके अलग हुए तो नीता बोली, “राज! अब शबनम की गाँड मारो।”
“ठीक है! मैं इसकी गाँड भी मारूँगा पहले मेरे लंड को फिर से खड़ा तो होने दो, तब तक तुम जा कर वेसलीन क्यों नहीं ले आती”, मैंने कहा।
“शबनम क्या तुम्हें वेसलीन की जरूरत है?” नीता ने शबनम से पूछा।
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“हाँ यार वेसलीन तो लगानी पड़ेगी, नहीं तो राज का मोटा और लंबा लंड तो मेरी गाँड ही फाड़ के रख देगा”, शबनम ने जवाब दिया।
उसकी गाँड और अपने लंड पर वेसलीन लगाने के बाद मैंने जैसे ही अपना लंड उसकी गाँड में घुसाया वो दर्द के मारे चिल्ला उठी, “राज!!!! दर्द हो रहा है बाहर निकालो!”
मैंने उसकी बात सुने बिना जोर से अपना लंड उसकी गाँड में डाल दिया, और जोर- जोर से अंदर बाहर करने लगा। थोड़ी देर में उसे भी गाँड मरवाने में मज़ा आने लगा। थोड़ी देर में मेरे लंड ने अपना पानी उसकी गाँड में उढ़ेल दिया।
वो दोनों कपड़े पहन कर जाने के लिये तैयार हो गयी। फ़िर आने का वादा कर के दोनों चली गयी। अब नीता और शबनम हफ़्ते में तीन चार दिन आने लग गयी। हम लोग जम कर चुदाई करते थे।
एक दिन मैंने कहा, “तुम दोनों साथ-साथ क्यों आती हो? और अकेले आओगी तो मैं अच्छी तरह से तुम्हारी चुदाई कर सकुँगा और अगली रात मुझे अकेले भी नहीं सोना पड़ेगा।”
“नहीं राज! हम लोग साथ में ही आयेंगे... इससे किसी को शक नहीं होगा”, नीता ने जवाब दिया।
“ठीक है जैसे तुम लोगों की मरज़ी। क्या तुम दोनों संडे को नहीं आ सकती जिससे हमें ज्यादा वक्त मिलेगा।” मैंने पूछा।
“नहीं राज... संडे को हम हमारे परिवार के साथ रहना चाहते हैं।”
मुझे सोचते हुए देख शबनम ने कहा, “तुम समीना को क्यों नहीं बुला लेते, उसका हसबैंड दुबई में है और वो अकेली रहती है।”
मैंने चौंकते हुए पूछा, “तुम्हें क्या लगता है वो आयेगी?”
“क्यों नहीं आयेगी??? जरूर आयेगी!!! अब ये मत बोलना कि तुमने उसे नहीं चोदा है”, शबनम ने कहा।
“चोदा तो नहीं पर चोदना जरूर चाहुँगा, वो बहुत ही सुंदर है।”
“हाँ! सुंदर भी है और हम दोनों से छोटी भी... तुम्हें बहुत मज़ा आयेगा”, शबनम ने हँसते हुए कहा।
“अरे तुम दोनों बुरा मत मानो... मैंने तो ऐसे ही कह दिया था।”
“अरे नहीं!!!! हमें बुरा नहीं लगा। तुम्हें समीना को चोदना अच्छा लगेगा। उसकी चूत भी कसी-कसी है, क्योंकि उसे अभी बच्चा नहीं हुआ है ना। वैसे भी सुना है कि मर्दों को कसी चूत अच्छी लगती है”, नीता ने कहा।
“तुम्हें कैसे मालूम कि वो आयेगी?” मैंने पूछा।
“तो तुम्हें नहीं मालूम???????” शबनम ने नीता की तरफ मुड़ कर पूछा, “तो तुमने राज को कुछ भी नहीं बताया?” नीता ने ना में सिर हिला दिया।
“मुझे क्या नहीं मालूम, चलो साफ साफ बताओ कि बात क्या है”, मैंने कहा।
“ठीक है! मैं तुम्हें बताती हूँ!!!” शबनम ने कहा, “हमारी कंपनी आज से १५ साल पहले मिस्टर संजय ने शुरू की थी। वो इंसान अच्छे थे पर उनकी पॉलिसीज़ गलत थी। इसलिये कंपनी में मुनाफा कम होता था और हम लोगों की सैलरी भी कम थी। मगर मिस्टर संजय की डैथ एक प्लेन क्रैश में हो गयी और सारा भार उनकी विधवा मिसेज योगिता पर आ गया। शुरू में तो वो सब काम संभालती थी पर बाद में उन्हें लगा कि ये उनके बस का नहीं है.... सो उन्होंने अपने रिश्तेदार मिस्टर रजनीश को कंपनी का एम-डी बना दिया।”
“मिस्टर रजनीश काफी पढ़े लिखे हैं और होशियार भी। थोड़े ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट बढ़ने लगा। जैसे मुनाफा बढ़ा हम लोगों की सैलरी भी बढ़ गयी।“
“कम ऑन शबनम!!! ये सब मुझे मालूम है, मुझे वो बताओ जो मुझे नहीं मालूम है।” मैंने कहा।
“ठीक है मैं बताती हूँ”, नीता ने कहा, “अपने एम-डी चुदाई के बहुत शौकीन हैं। जब हम नये ऑफिस में शिफ़्ट हुए तो उन्होंने चूतों की खोज करनी शुरू कर दी। इस काम के लिये उन्हें मिस्टर महेश मिल गये।”
“तुम्हारा मतलब अपने मिस्टर महेश?” मैंने पूछा।
“हाँ वही!!!” नीता ने सहमती में कहा।
“क्या औरतों ने बुरा नहीं माना?” मैंने पूछा।
“शुरू में माना पर एम-डी ने एकदम क्लीयर कर दिया कि नौकरी चाहिये तो चुदाना पड़ेगा। इसलिये वो शादी शुदा औरतों को ही रखता था जिससे किसी को कोई शक ना हो”, नीता ने कहा।
“तुम्हारे कहने का मतलब कि ऑफिस की सभी लेडिज़ चुदवाती हैं?” मैंने पूछा।
“हाँ सभी चुदवाती हैं राज! देखो... एक तो सैलरी भी डबल मिलती है, और काम भी अच्छा है। ऐसी नौकरियाँ रोज़ तो नहीं मिलती ना। और अगर ऐसी नौकरी के लिये एक दो बार चुदवाना भी पड़ गया तो क्या फ़रक पड़ता है”, नीता ने कहा।
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“और एक बात तुमने नोटिस की है राज! ऑफिस में काम करने वाली सभी लेडीज़ हमेशा हाई हील्स की सैंडल पहनती हैं... ये भी महेश और एम-डी की रिक्वायरमेंट है... चुदवाते वक्त भी हमें सैंडल पहने रखना होता है... हमारे लिये तो अच्छा ही है... हम औरतों को तो नये कपड़े सैंडल इत्यादि खरीदने का शौक होता ही है और हमारी कंपनी की तरफ से हर महीने दो हज़ार रुपये तक का सैंडलों का खर्च रिएम्बर्स हो जाता है।” शबनम बोली।
“यह हाई हील के सैंडल पहनने की पॉलिसी तो अच्छी है!!! औरतें ज्यादा सैक्सी और स्मार्ट लगती हैं... पर इसका मतलब तुम दोनों भी एम-डी और मिस्टर महेश से चुदवाती हो?” मैंने पूछा।
“हाँ दिल खोलकर और मज़े लेकर”, दोनों ने जवाब दिया।
“तुम्हारा मतलब है ये सब ऑफिस में होता है?” मैंने फ़िर सवाल किया।
“हाँ ऑफिस में भी और होटल शेराटन में भी। वहाँ पर एम-डी ने पूरे साल के लिये एक सूईट बुक कराया हुआ है”, शबनम बोली।
मुझे अब भी विश्वास नहीं हो रहा था और मैं अजीब नज़रों से दोनों को घूर रहा था।
मुझे घुरते देख नीता बोली, “शबनम इसे तब तक विश्वास नहीं आयेगा जब तक ये अपनी आँखों से नहीं देख लेगा। एक काम करते हैं... संडे को समीना को बुलाते हैं और उसी से सुनते हैं कि वो इस जाल में कैसे फँसी। लेकिन पहले उसे यहाँ आने पर तैयार करना है और उसे राज के लंड का मज़ा चखाना है।”
“ये संडे को मेरा बर्थडे है... तो क्यों नहीं मैं तुम तीनों को दोपहर के खाने पर दावत दूँ?” मैंने कहा।
“ये ठीक रहेगा... इस तरह समीना न भी नहीं बोल पायेगी”, शबनम बोली।
अपनी गर्दन हिलाते हुए मैंने कहा, “मुझे अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है, ऐसे लग रहा है जैसे मैं किसी रंडी खाने में काम कर रहा हूँ।”
इतने में शबनम ने मेरा लंड पकड़ते हुए कहा, “तुम्हें तो खुश होना चाहिये राज, रोज़ नयी और कुँवारी चूत मिलेगी चोदने के लिये। और अगर बात फ़ैल गयी कि तुम्हारा लंड इतना लंबा और मोटा है तो थोड़े ही दिनों में तुम ऑफिस की हर लड़की को चोद चुके होगे। सब एक से बढ़ कर एक चुदक्कड़ हैं... तुम्हारे लंड की तो खैर नहीं... मेरी मानो तो वायग्रा का स्टॉक जमा कर लो... बहुत जरूरत पड़ेगी... चलो अब एक बार हम दोनों को और चोद दो।”
संडे के दिन मैं जल्दी उठ गया और खाने का इंतज़ाम करने लगा। ठीक बारह बजे वो तीनों आ गयी। शबनम ने लाल कलर की साड़ी पहनी थी, और नीता ने हरे रंग की। समीना ने स्लीवलेस ब्लाऊज़ के साथ ब्लू कलर की साड़ी पहन रखी थी। शबनम ने काले रंग के ऊँची ऐड़ी के सैंडल पहने हुए थे और बाकी दोनों ने सफ़ेद रंग के सैंडल पहने थे। तीनों बहुत ही सुंदर लग रही थी।
मैंने उन तीनों को सोफ़े पर बैठने को कहा और खुद उनके सामने बैठ गया। थोड़ी देर बाद तीनों को ठंडी बियर की बोतलें और तीन ग्लास देकर मैंने कहा “तुम तीनों बातें करो, तब तक मैं खाने का इंतज़ाम करके आता हूँ।”
ये हमारे प्लैन के तहत हो रहा था जो हमने पिछले दिन तैयार किया था। इसलिये मैं किचन में ना जा कर बाहर दरवाजे से उनकी बातें सुनने लगा।
वो तीनों बियर पीती हुई बातें करती रही। कुछ देर बाद जब बियर का कुछ असर हुआ तो शबनम ने समीना से पूछा, “अच्छा समीना! तुम्हारी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ?”
“कैसी सैक्स लाइफ? तुम्हें तो पता है मेरे शौहर तो बाहर रहते हैं।”
“हमें पागल मत बनाओ, हम सब जानते हैं, तुम मिस्टर महेश के साथ क्या करती हो, जब अर्जेंट एसाइनमेंट निपटाने होते हैं।”
“क्या मतलब तुम्हारा?” समीना ने जल्दी से कहा।
“अरे पगली तेरे आने से पहले हम ही उसका अर्जेंट एसाइनमेंट निपटाते थे।”
“तो क्या उसने तुम दोनों को भी चोदा है?” समीना ने पूछा।
“आज से नहीं! वो हमें कई सालों से चोद रहा है”, शबनम ने जवाब दिया।
“मैं तो समझती थी कि मैं अकेली ही हूँ” समीना बोली।
“अरे हम तो ये भी जानते हैं कि तू उस स्टोर मैनेजर के साथ क्या करती है”, नीता ने कहा।
“बाप रे! तुम्हें उसके बारे में भी पता है, क्या तुम लोग मेरा पीछा करती रहती हो?” समीना थोड़ा नाराज़ होते हुए बोली।
“नाराज़ मत हो, हम तेरा पीछा नहीं करते पर ऑफिस में क्या हो रहा इस बात की जानकारी जरूर रखते हैं”, शबनम ने कहा।
“समीना जब महेश तुम्हारी चूत का खयाल रखता है तो तुम उस स्टोर मैनेजर से क्यों चुदवाती हो?” नीता ने पूछा।
“नीता तुम्हें तो पता है कि मिस्टर महेश को सिर्फ़ मम्मे और गाँड मारना पसंद है। पक्का गाँडू है वो। इसलिये मेरी चूत प्यासी रह जाती है। एक दिन मैं स्टोर में कुछ सामान लेने गयी और मेरी चूत में बहुत खुजली हो रही थी, बस तभी मैंने इस मैनेजर को देखा और उसे मैंने चोदने के लिये पटा लिया। अब मैनेजर मेरी चूत चोदता है और महेश मेरी गाँड। इस तरह मेरी दोनों भूख मिट जाती हैं। महेश ने तो मुझे ब्रा पहनने को भी मना किया है, देखो इस वक्त भी नहीं पहनी हूँ।” उसने अपने ब्लाऊज़ के बटन खोल कर दिखाया।
उसकी नाज़ुक और नरम चूचियाँ देख कर मेरा लंड तन कर खड़ा गो गया।
नीता ने अपने दोनों हाथ उसके ब्लाऊज़ में डाल दिये और उसके मम्मों को दबाने लगी।
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“हे! इन्हें इस तरह मत दबाओ नहीं तो गरम हो जाऊँगी।” समीना हँसती हुई अपने ब्लाऊज़ के बटन बंद करने लगी।
“अच्छा एक बात बताओ! तुम यहाँ काम करने के लिये क्यों आयी? तुम्हारे हसबैंड दुबई में काम करते हैं और पैसा भी अच्छा कमाते हैं, तो जाहिर है पैसे के लिये तो तुम नहीं आयी”, नीता ने पूछा।
“नहीं पैसे के लिये नहीं आयी, मैं घर पर बोर होती रहती थी। और अपने मियाँ को मिस करते हुए मैं अपनी चूत में अँगुली भी करने लगी थी। फिर मैंने ये एडवरटाइज़मेंट देखी। मैंने अकाऊँट्स और कंप्यूटर में डिप्लोमा लिया हुआ था तो एपलायी कर दिया, और मुझे जोब मिल गयी।”
“इसका मतलब तुम्हें चुदवाये बगैर जोब मिल गयी?” नीता ने पूछा।
“हाँ! लेकिन बाद में चुदवाना पड़ा”, समीना ने हँसते हुआ कहा, “एक दिन दोपहर को मिस्टर महेश ने कहा एम-डी तुमसे मिलना चाहते हैं तो मैंने चौंकते हुए पुछा कि मुझ जैसी छोटी क्लर्क से, तो महेश ने कहा कि आदमी चाहे छोटा हो या बड़ा, एम-डी अपने स्टाफ का पूरा खयाल रखते हैं, चलो एम-डी ने बुलाया है। फिर उस दिन लंच के बाद महेश मुझे एम-डी से मिलवाने ले गया और उस दिन दोनों ने मेरी खूब चुदाई की।”
“तुमने मना नहीं किया?” शबनम ने पूछा।
“शुरू में किया पर मेरे शौहर बाहर रहते हैं और मेरी भी चुदवाने की इच्छा थी सो मैंने उन्हें चोदने दिया”, समीना हँसते हुए बोली।
“क्या तुम्हें प्रेगनेंट होने का डर नहीं लगता?” नीता ने पूछा।
“नहीं! मेरे शौहर के जाने के बाद मैंने बर्थ कंट्रोल की गोली लेनी शुरू कर दी थी”, समीना बोली।
“महेश तो तुम्हें ऑफिस में चोदता है, पर एम-डी का क्या?” शबनम ने पूछा।
“महेश मुझे बता देता है कि ऑफिस के बाद मुझे हॉटल शेराटन में जाना है, तुम लोगों को होटल शेराटन के बारे में तो मालूम है ना?” समीना ने कहा। नीता और शबनम दोनों ने साथ में कहा, “हाँ मालूम है।”
“अच्छा मेरे बारे में तो बहुत हो गया अब तुम दोनों अपनी सैक्स लाइफ के बारे में बताओ जबकि महेश तुम लोगों को नहीं चोदता”, समीना ने कहा।
“हमारे हसबैंड हैं हम दोनों के लिये। और...” शबनम ने किचन की तरफ हाथ से इशारा करते हुए कहा।
“क्या राज तुम दोनों को चोद रहा है?” समीना ने चौंकते हुए पूछा।
“हाँ! कई महीनों से”, नीता हँसते हुए बोली, “अगर तू चाहे तो राज तुझे भी चोद सकता है।”
“ना बाबा! मैं जैसी हूँ, ठीक हूँ”, समीना ने अपनी नज़रें झुकाते हुए कहा, “मैंने सुना है कि गाँव वालों का लंड लंबा और मोटा होता है?”
“मुझे नहीं मालूम तुम्हारा मापडंड क्या है पर इतना जानती हूँ कि राज का लंड अपने महेश के लंड से लंबा और मोटा है”, शबनम बोली।
“ओह गॉड, महेश से बड़ा! मुझे विश्वास नहीं होता”, समीना बोली।
“अपनी आँखों से देख कर फैसला कर लेना.... मैं उसे अभी बुलाती हूँ....”
“नहीं! उसे ना बुलाना, मुझे शरम आयेगी”, समीना ने नीता को रोकना चाहा।
समीना के रोकने के बावजूद नीता ने मुझे आवाज़ लगायी, “राज.... यहाँ आओ, समीना तुम्हारा लंड देखना चाहती है।”
मुझे इसी मौके का तो इंतज़ार था। मैंने अपने कपड़े उतारे और अपने खड़े लंड के साथ कमरे में दाखिल हुआ। “किसने मुझे पुकारा?” मैंने पूछा और अपने लौड़े को हिलाने लगा।
दोनों, नीता और शबनम ने, समीना को खड़ा करके मेरी तरफ ढकेल दिया।
मैंने समीना को बाँहों में भरते हुए उसका हाथ अपने खड़े लंड पर रखते हुए कहा, “तुम खुद देख लो।”
“हाय अल्लाह! राज तुम्हारा लंड तो सही में काफी तगड़ा और मोटा है।” समीना मेरे कानों में फुसफुसायी और मेरे लंड को सहलाने लगी।
मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोल दिये और अपने होंठ उसकी चूचियों पर रख दिये। समीना ने मेरा चेहरा ऊपर उठा कर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिये। हम दोनों की जीभ एक दूसरे से खेल रही थी। दोनों एक दूसरे की जीभ को मुँह में लेकर चूस रहे थे और शबनम ने समीना की साड़ी खोलनी शुरू कर दी और उसके पेटीकोट का नाड़ा भी खोल दिया। नीता ने झटके में उसका पेटीकोट भी खींच कर नीचे कर दिया। अब समीना सिर्फ अपने सफ़ेद रंग के हाई हील सैंडल पहने मेरी बाँहों में थी।
“शबनम देख, समीना ने पैंटी भी नहीं पहनी है, लगता है महेश ने पैंटी पहनने को भी मना किया है”, नीता हँसते हुए बोली।
“नहीं! मुझे लगता है ये स्टोर मैनेजर के लिये है, कि काम जल्दी हो जाये”, शबनम ने भी हँसते हुए जवाब दिया।
हम दोनों खड़े खड़े एक दूसरे के बदन को सहला रहे थे। “राज! किसका इंतज़ार कर रहे हो, समीना को चोदो”, शबनम बोली।
“राज! समीना को चोदते क्यों नहीं?” इतने में नीता भी बोली।
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“हाँ राज! मुझे चोदो ना अब रहा नहीं जाता”, समीना ने धीरे से कहा।
मैंने समीना को अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर लिटा दिया। फिर उसके ऊपर लेट कर मैं उसके बूब्स से खेलने लगा और धीरे धीरे उन्हें भींचने लगा। समीना की सिसकरियाँ तेज हो रही थी। मैं उसके निप्पलों को अपने दाँतों से दबाने लगा। कभी जोर से भींच लेता तो वो उछल पड़ती। उसकी बाँहें मेरी पीठ को सहला रही थी और मुझे भींच रही थी। मैं थोड़ा नीचे खिसका और उसकी जाँघों के बीच आकर उसकी चूत को चाटने लगा। अपनी जीभ को उसकी चूत में डाल देता और जोर-जोर से चूसता।
जैसे ही मैं और जोर से उसकी चूत को चाटने लगा, समीना पागल हो गयी, “ओह राज! ये क्या कर रहे हो, आज तक किसी ने ऐसा नहीं किया, हाय अल्लाह! मुझे बहुत अच्छा लग रहा है, हाँ जोर-जोर से चाटो हाँआँआँआँ”, वो उत्तेजना में चिल्ला रही थी।
मैंने नीता को कहते सुना, “देख शबनम! राज समीना की चूत चाट रहा है। उसने मेरी तो चूत कभी नहीं चाटी, क्या तुम्हारी चाटी है?”
“नहीं! मेरी भी नहीं चाटी, लगता है समीना की बिना बालों की बिल्कुल चिकनी चूत ने राज को उक्सा दिया”, शबनम बोली।
“बाल तो मैं भी साफ करती हूँ पर मेरी चूत इतनी चिकनी नहीं हो पाती... थोड़े से रोंये रह ही जाते हैं... हमें तुरंत कुछ करना चाहिये”, नीता ने जवाब दिया।
“हाँ कुछ करेंगे, पहले इन्हें तो देख लें”, शबनम बोली।
मैंने समीना के घुटनों को मोड़ कर उसकी छाटी पर कर दिया जिससे उसकी चूत का मुँह ऊपर को उठ गया और अच्छी तरह दिखायी देने लगा। उसकी चूत का मुँह बड़ा जरूर था पर नीता और शबनम जितना नहीं। मैं अपनी जीभ जो-जोर से उसकी चूत में अंदर बाहर करने लगा।
“ओहहहहहह....... आआआआहहहहहह..... ओहहहहह.... राज!” इतना कहते हुए समीना दूसरी बार झड़ गयी।
“ओह राज अब और मत तड़पाओ, अब सहा नहीं जाता, जल्दी से अपना लंड मेरी चूत में डाल दो”, प्लीज़! समीना गिड़गिड़ाने लगी।
जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा तो वो बोली, “राज! धीरे-धीरे डालना, मुझे तुम्हारे लंबे लंड से डर लगता है।”
नीता और शबनम की तरफ हँस कर देखते हुए मैंने एक ही झटके में अपना पूरा लंड उसकी चूत में डाल दिया। “तुम्हारा मतलब ऐसे?” मैंने कहा।
“ओहहहहह म म म मर गयी, तुम बड़े बदमाश हो जब मैंने धीरे से डालने को कहा तो तुमने इतनी जोर से क्यों डाला, दर्द हो रहा है ना!” उसने तड़पते हुए कहा।
“सॉरी डार्लिंग! तुम चुदाई में इतनी एक्सपीरियंस्ड हो तो मैं समझा तुम मजाक कर रही हो, क्या ज्यादा दर्द हो रहा?” यह कहकर मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा।
“ओह राज बहुत मज़ा आ रहा है, अब और मत तड़पाओ, जोर-जोर से करो, आआआहहहहह.... राज आज मुझे पता चला कि असली चुदाई क्या होती है। हाँ राजा.... जोर से चोदते जाओ, ओहहहहहह मेरा पानी निकालने वाला है, हाँ ऐसे ही”, समीना उत्तेजना में चिल्ला रही थी और अपने कुल्हे उछाल-उछाल कर मेरे धक्कों का साथ दे रही थी।
नीता और शबनम ने सच कहा था, समीना की चूत वाकय में कसी-कसी थी। ऐसा लग रहा था कि मैं उसकी गाँड ही मार रहा हूँ। मैं उसे जोर-जोर से चोद रहा था और अब मेरा भी पानी छूटने वाला था। अचानक उसका जिस्म थोड़ा थर्राया और उसने मुझे जोर से भींच लिया। “ऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊऊ राज मेरी चूऊऊत गयी…”, कहकर वो निढाल हो गयी। मैंने भी दो तीन धक्के लगा कर अपना पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों की साँसें तेज चल रही थी।
हम दोनों थक कर लेटे हुए थे कि नीता और शबनम बाहर जाने लगी। मैंने पूछा, “कहाँ जा रही हो?”
“बाज़ार से थोड़ा सामान लेकर आ रहे हैं, तब तक तुम समीना से मज़े लेते रहो”, इतना कह कर नीता और शबनम चली गयीं।
“हाँ! ये अच्छी बात है, राज मुझे फ़िर से चोदो”, समीना ने ये कहकर एक बार फ़िर मुझे अपने ऊपर घसीट लिया।
जब तक नीता और शबनम लौटीं, हम लोग थक कर चूर हो चुके थे।
“आओ चल कर कुछ खाना खा लो.... फ़िर लंच के बाद करेंगे”, शबनम ये कह कर खाना लगाने लगी। खाना खाने के बाद ड्रिंक्स का दौर चला और हम सब ने दो-दो पैग रम के पी लिये।
“लेकिन नीता और शबनम, ये अच्छी बात नहीं है कि हम दोनों तो नंगे हैं और तुम दोनों कपड़े पहने हुए हो। राज! आओ हम लोग इनके कपड़े उतार दें।” यह कहकर समीना नीता को नंगा करने लगी और मैं शबनम को। अब हम सब पूरे नंगे थे। तीनों औरतों ने सिर्फ अपने-अपने हाई-हील सैंडल पहने हुए थे।
“समीना अब हमें चूत के बाल साफ़ करना सिखाओ, हम बाज़ार से एन-फ्रेंच क्रीम ले आये हैं”, नीता ने कहा।
लाओ सिखाती हूँ, ये कह कर समीना उन दोनों की चूत पर और गाँड की दरार में क्रीम लगाने लगी। मैं उन दोनों के देखते हुए अपनी ड्रिंक ले रहा था।
“राज हमारी बिन बालों की चूत अब कैसी लग रही है?” शबनम ने पूछा।
“बहुत सुंदर और अच्छी”, ये कह कर मैं नीता की जाँघों के बीच आ गया और उसकी चूत को चाटने लगा। अब मैं बारी बारी से दोनों कि चूत चाट और चूस रहा था। थोड़ी देर में दोनों झड़ गयी।
हम लोग शाम तक चुदाई करते रहे। मुझे नहीं मालूम शराब के नशे में मैं कब सो गया और कब तीनों चुदैल औरतें मुझे सोता छोड़ कर चली गयी।
सुबह मैं तैयार होकर अपने केबिन में किसी सोच में डूबा था कि अचानक किसी की हँसी सुनकर मैंने नज़रें उठायीं तो तीनों को अपने सामने पाया।
“गुड मोर्निंग राज!!!” तीनों ने साथ में कहा।
“इतनी जोर से नहीं, कोई सुन लेगा, इस समय मुझे एक कप कॉफी चाहिये”, मैंने कहा।
“मैं लाती हूँ!” यह कहकर समीना अपनी सैंडल की हील खटखटाती हुई कॉफी लाने चली गयी।
मुझे नीता कुछ अपसेट लग रही थी। “क्या बात है नीता, तुम कुछ परेशान हो?” मैंने पूछा।
“मुझे तुमसे कुछ बात करनी है”, नीता ने कहा।
“मुझसे, कहो क्या बात है?” मैंने कहा।
“राज! अगर आज के बाद जब मैं तुम्हारा लौड़ा चूस रही हूँ तो सो मत जाना वर्ना मैं उस दिन के बाद...” उसने अपना वाक्य अधूरा छोड़ दिया।
“हाँ बोलो ना कि आज के बाद तुम राज से नहीं चुदवाओगी”, समीना ने हँसते हुए कहा।
“नहीं! मैं ये नहीं कह सकती, मैं राज के लंड के बिना नहीं रह सकती। राज! बस इतनी सी बात है कि मैं तुम्हारे लंड को चूस कर उसका पानी पीने को तरस रही थी और तुम... क्या कहूँ... ड्रिंक तो हम लोगों ने भी खूब की थी... हमें भी नशा चढ़ा हुआ था पर इतनी भी तो नहीं पीनी चाहिये कि बेहोश ही हो जाओ, अगर हम में से कोई इतना पी कर सो जाती तो कुछ फर्क नहीं पड़ता था पर तुम्हारे लंड पर तीन-तीन औरतें डिपेंडेंट थीं”, नीता ने कहा।
“अच्छा अब ये सब बातें छोड़ो, ऑय एम सॉरी! मैं आगे से ज्यादा ड्रिंक नहीं करूँगा, अब सब काम पर लग जाओ”, मैंने कहा।
मैं बहुत खुश था, नीता और शबनम हफते में तीन बार आती थी, और समीना सैटरडे को शाम को आती थी और संडे शाम तक मेरे साथ रहती थी। समय मस्ती में कट रहा था।
॥॥। क्रमशः॥॥
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24-04-2020, 08:54 PM
(This post was last modified: 24-04-2020, 08:56 PM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
(भाग-२)
करीब एक महीने बाद की बात है। मैं सुबह ऑफिस पहुँचा तो देखा कि ऑडिट डिपार्टमेंट में एक नयी लड़की काम कर रही है। वाओ! कितनी सुंदर थी वो। वो करीब ५ फ़ुट ४ इंच की थी पर इस समय हाइ-हील की सैंडल पहने होने की वजह से ५ फ़ुट आठ इंच के करीब लग रही थी। गाल भरे-भरे और आँखें भी तीखी थी। उसने टाइट स्लीवलेस टॉप और टाइट जींस पहन रखी थी। कपड़े टाइट होने की वजह से उसके बदन का एक-एक अंग जैसे छलक रहा था। उसे देखते ही मेरे लंड में गर्मी आ गयी।
मुझे उससे मिलना पड़ेगा मैंने सोचा और उस पर नज़र रखने लगा।
एक दिन लंच से पहले मैंने उसे अपनी सीट से उठ कर जाते हुए देखा तो मैं उसके पीछे-पीछे पैसेज में आ गया। मैंने हिम्मत कर के पूछा, “लगता है... आप यहाँ नयी आयी हैं, इसके पहले कभी नहीं देखा?”
“हाँ! मैं यहाँ पर नयी हूँ, अभी एक हफ्ता ही हुआ है।”
“हाय! मुझे राज कहते है।” मैंने अपना हाथ आगे बढ़ा दिया।
मुझसे हाथ मिलाते हुए उसने कहा, “मुझे रजनी कहते हैं। आपसे मिलकर अच्छा लगा।” कुछ देर बात करने के बाद हम अपने काम में लग गये।
उस दिन के बाद मैं अक्सर उससे टकराने के बहाने ढूँढता रहता था। कभी सीढ़ियों पर, कभी स्टोर रूम में। हम लोग अक्सर बात करने लगे थे। काफी खुल भी गये थे। हम इंटरनेट पर भी चैटिंग करने लगे थे। रजनी में बढ़ती मेरी दिलचस्पी तीनों लेडिज़ से छुपी ना रह सकी।
“क्या तुम लोगों ने देखा.... कैसे हमारा राज उस नयी लड़की के पीछे पड़ा हुआ है?” समीना ने एक दिन लंच लेते हुए कहा।
“राज! संभल कर रहना, सुनने में आया है कि एम-डी की भतीजी है”, शबनम ने कहा।
“छोड़ो यार! मुझे उसमें कोई दिलचस्पी नहीं है। तुम लोग सिर्फ़ राई का पहाड़ बना रही हो। मैं तो सिर्फ़ उससे हँसी मजाक कर लेता हूँ और कुछ नहीं।” मैंने उनसे झूठ कहा।
एक दिन इंटरनेट पर बात करते हुए मैंने हिम्मत कर के पूछा, “रजनी! शाम को कॉफी पीने मेरे साथ चलोगी?”
“जरूर चलूँगी, क्यों नहीं?” उसने जवाब दिया।
उस दिन शाम को हम लोग पास के रेस्तोरां में कॉफी पीने गये। फिर बाद में एक दूसरे का हाथ थामे पार्क में घूमते रहे। वो शाम काफी सुहानी गुजरी थी।
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दूसरे दिन लंच पर नीता ने शिकायत की, “कल शाम को कहाँ थे? मैं और शबनम कितनी देर तक तुम्हारा इंतज़ार करते रहे।”
मैं रजनी के चक्कर में ये भूल गया था कि नीता और शबनम आने वाली थी। “सॉरी! लेडिज़, कल शाम को मैं रजनी को कॉफी पिलाने ले गया था”, मैंने कहा।
“क्या हम दोनों की कीमत पर उसे बाहर ले जाना तुम्हें अच्छा लगा राज?” नीता शिकायत करते हुए बोली।
“सब्र से काम ले नीता, हमें पहले कनफर्म करना चाहिये था राज से। राज को हक है वो अपनी उम्र वालों के साथ घूमे फ़िरे”, शबनम उसे समझाते हुए बोली।
“हाँ! हम नहीं चाहते कि रजनी की कुँवारी चूत चोदने का मौका राज के हाथ से जाये, वैसे राज! आजकल की लड़कियों की कोयी गारंटी नहीं कि वो कुँवारी हो।” समीना शरारत करते हुए बोली।
“दोबारा कब उसके साथ बाहर जा रहो हो?” नीता ने पूछा।
“कल शाम को”, मैंने जवाब दिया।
“ओह वापस हम लोगों की कुरबानी पर नहीं”, नीता नाराज़गी से बोली।
“तुम लोग चाहे तो आज की रात आ सकती हो”, मैंने सुझाव दिया। फैसला होने के बाद हम लोग काम पर वापस आ गये।
मैं और रजनी अब बराबर मिलने लगे। पिक्चर देखते, साथ खाना खाते, पार्क में घूमते। एक महीना इसी तरह गुजर गया। तीनों लेडिज़ चिढ़ाने से बाज़ नहीं आती थी, “रजनी को तुम अब तक चोद चुके होगे, सच बताओ उसकी चूत कैसी है, बहुत टाइट थी क्या?”
“ऐसा कुछ नहीं हुआ है और मुझे इंटरस्ट भी नहीं है... कितनी बार तुम लोगों से बोलूँ?” मैंने गुस्सा करते हुए कहा।
“ठीक है कभी हमारी जरूरत पड़े तो बताना”, कहकर तीनों लेडिज़ अपनी अपनी सीट पर चली गयी।
एक दिन शाम को मैं और रजनी पिक्चर देखने जाने वाले थे। जब सिनेमा हॉल में दाखिल होने जा रहे थे तो मुझे याद आया कि मैं टिकट तो घर पर ही भूल आया हूँ। “तुम यहीं रुको, टिकट मिल रही है... मैं दूसरी दो टिकट ले आता हूँ”, मैंने रजनी से कहा।
“और वो दो टिकट वेस्ट जाने दें? नहीं! अभी वक्त है... चलो घर से ले आते हैं”, इतना कहकर वो मेरे साथ मोटर-साइकल पर बैठ गयी।
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हम लोग मोटर-साइकल पर घर जा रहे थे कि जोरदार बारिश शुरू हो गयी। मेरे फ्लैट तक पहुँचते हुए हम लोग काफी भीग चुके थे। रजनी सिर से नीचे तक भीग चुकी थी। उसका टॉप भीगा होने से उसके शरीर से एक दम चिपट गया था और उसके निप्पल साफ दिखायी दे रहे थे। उसने ब्रा नहीं पहन रखी थी। उसकी जींस भी चिपकी हुई थी और उसके कुल्हों की गोलियाँ मुझे मादक बना रही थी। मैं अपने लंड को खड़ा होने से नहीं रोक पा रहा था।
“राज मुझे बहुत ठंड लग रही है”, रजनी ने ठिठुरते हुए कहा, “जल्दी से मुझे कुछ पहनने को दो, और तुम भी कपड़े बदल लो नहीं तो तुम्हें भी ठंड लग जायेगी।”
हालात को बदलते देख मैं चौंक उठा और कपबोर्ड में उसके लिये कपड़े ढूँढने लगा, “सॉरी रजनी तुम्हारे पहनने के लायक मेरे पास कुछ नहीं है।”
“क्या बात करते हो? तुम्हारे पास पायजामा सूट नहीं है क्या?” रजनी ने पूछा।
“हाँ है! पर वो बहुत बड़ा पड़ेगा तुम पर।”
“राज! जल्दी करो, शर्ट मुझे दो और पायजामा तुम पहन लो, मुझे बहुत ठंड लग रही है।” रजनी ने काँपते हुए कहा।
मैंने उसे शर्ट दी और वो उसे लेकर बाथरूम में बदलने चली गयी। थोड़ी देर में वो दरवाजे से झाँकती हुई बोली, “राज ये तो बहुत छोटा इससे मेरी चू... मेरा मतलब ही कि पूरा शरीर नहीं ढक पायेगा।”
मैंने उसकी तरफ देखा तो मेरे बदन में आग लग गयी। उसके मम्मे साफ झलक रहे थे। मेरा लंड तन कर खड़ा हो रहा था। मैंने उसे बीच में ही टोक कर पूछा, “क्या तुमने पैंटी नहीं पहनी है क्या?”
“अरे पहनी थी बाबा! पर वो भी तो भीग गयी थी, मैं ये जानना चाहती हूँ कि क्या मैं तुम्हारा बाथरोब पहन लूँ?” उसने कहा।
उसके रूप में मैं इतना खो गया था कि ये भी भूल गया कि मेरे पास बाथरोब भी है। “हाँ ले लो”, मैंने कहा।
थोड़ी देर बाद रजनी मेरे सफ़ेद बाथरोब में लिपटी हुई बाथरूम से बाहर आयी। सफ़ेद बाथरोब उसके शरीर से एकदम चिपका हुआ था। उसके शरीर की एक-एक गोलायी साफ नज़र आ रही थी। मैं अपने लंड को खड़ा होने से नहीं रोक पा रहा था। अपनी हालत छुपाने के लिये मैंने मुड़ कर रजनी से पूछा, “रजनी कॉफी पीना पसंद करोगी या कोल्ड ड्रिंक?”
“राज! अगर ब्रांडी मिल जाये तो ज़्यादा अच्छा रहेगा...” रजनी ने कहा।
“ब्रांडी तो नहीं है पर हाँ रम है मेरे पास”, कहकर मैं किचन में जा कर दो पैग रम बना लाया और उसके साथ सोफ़े पर बैठ गया। मेरे दिमाग में एक ही खयाल आ रहा था -- रजनी को नंगे बदन देखने का -- और ये सोच मेरे लंड को और तगड़ा कर रही थी।
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रजनी ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर पूछा, “राज तुम अपने बारे में बताओ।” मैंने रजनी को अपने परिवार के बारे में बता दिया। मेरे भाई भाभी और दोनों बहनों के बारे में। “अब तुम अपने बारे में बताओ रजनी।”
“तुम्हें तो मालूम है ये कंपनी मेरे पापा ने शुरू की थी। मम्मी काम नहीं संभाल पायी तो अपने दूर के रिश्तेदार मिस्टर रजनीश को बुला लिया। रजनीश अंकल ने अपने दिमाग और मेहनत से कंपनी को कहाँ से कहाँ पहुँचा दिया।”
“हमारा घर काफी बड़ा है, इसलिये कुछ सालों के बाद मम्मी ने रजनीश अंकल और उनके परिवार को हमारे साथ ही रहने को बुला लिया। रजनीश अंकल और उनकी बीवी और दोनों बेटियाँ अब हमारे साथ ही रहते हैं। उनकी बेटियों से मेरी दोस्ती भी अच्छी है।”
रजनी की बातों से लगा कि उसे अपने अंकल की चुदाई की कहानियाँ नहीं मालूम हैं। इसलिये मैंने भी बताना उचित नहीं समझा।
हम दोनों काफी देर तक बात कर रहे थे। अचानक वो मेरी आँखों में देखने लगी और मैं भी उसकी आँखों को देख रहा था जैसे वो मुझसे कुछ कहना चाहती हो।
उसने अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए अपना चेहरा मेरी तरफ बढ़ाया। मैं भी उसकी और बढ़ा और अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये। उसने मेरे चेहरे को कस कर पकड़ते हुए अपने होंठों का दबाव मेरे होंठों पर कर दिया और चूसने लगी। हम दोनों के मुँह खुले और दोनों की जीभ आपस में खेलने लगी। हम दोनों की साँसें उखड़ रही थी।
“ओह राज!” वो सिसकी। “ओह रजनी!” मैं भी सिसका।
मेरा लंड मुझसे कह रहा था कि मैं इस कुँवारी चूत को अभी चोद दूँ और दिमाग कह रहा था कि नहीं! कंपनी के एम-डी की भतीजी है, कहीं कुछ गलत हो गया तो सब सत्यानाश हो जायेगा। मैं इसी दुविधा में उल्झा हुआ सोच रहा था।
“राज मुझे एक बार और किस करो ना”, वो बोली।
मैंने अपने होंठ उसके होंठों पर रख दिये और उसके होंठों को चूसने लगा। अब हम लोग धीरे से खिसकते हुए सोफ़े पर से ज़मीन पे लेट गये थे। मैं उसके ऊपर अध-लेटा हुआ था और अपने हाथ बाथरोब में डाल कर उसके मम्मे सहला रहा था और जोर से भींच रहा था।
“ओह राज! कितना अच्छा लग रहा है!” वो मादकता में बोली।
मेरा लंड भी अब तंबू की तरह मेरे पायजामे में खड़ा था। अब मुझे परवाह नहीं थी कि वो देख लेगी। मैंने उसका बाथरोब खोल दिया और उसका नंगा बदन मेरी आँखों के सामने थे।
“ओह रजनी!! तुम कितनी सुंदर हो। तुम्हारा बदन कितना प्यारा है”, यह कहकर मैं उसके मम्मे चूसने लगा और बीच-बीच में उसके निप्पल को दाँतों से काट रहा था।
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उसके मुँह से सिसकरी निकल रही थी, “ओहहहहहहह आआहहहहह राज ये क्या कर डाला तुमने। बहुत अच्छा लग रहा है... हाँ किये जाओओओओ।”
मैं उसे चूमते हुए नीचे की ओर बढ़ रहा था। उसकी प्यारी चूत बहुत ही अच्छी लग रही थी। उसकी चूत बिल्कुल साफ़ थी। मैं उसकी चूत को चाटने लगा। मैंने जोर लगाया तो वो और जोर से सिसकने लगी, “ओहहहहहहहहहहह आआआआहहहहहह राजजजजजज!!!!!”
मैंने उसकी टाँगों को थोड़ा फैला कर उसकी कुँवारी चूत के छेद को पहली बार देखा। काफी छोटा है, मैंने सोचा।
जैसे ही मैं अपनी जीभ उसकी चूत के छेद पर रगड़ने लगा, उसने मेरे सर को जोर से अपनी चूत पर दबा दिया। मैं अपनी जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा। रजनी ने जोर से सिसकरी भरी और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया।
रजनी ने मेरे बाल पकड़ कर मुझे उसके ऊपर कर लिया और बोली, “राज मुझे चोदो, आज मेरी कुँवारी चूत को चोद दो, मुझे अपना बना लो।”
मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर रख कर पूछा, “रजनी तुम वाकय चुदवाना चाहती हो?”
“हाँ!!! अब देर मत करो और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो, फाड़ दो मेरी चूत को”, वो उत्तेजना में चिल्लायी।
मैं अपने लंड को धीरे-धीरे उसकी चूत में डालने लगा। उसकी चूत बहुत ही टाइट थी। फिर थोड़ा सा खींच कर एक जोर का धक्का मारा और मेरा लंड उसकी कुँवारी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया।
“ओह!!! बहुत दर्द हो रहा है राज!” वो दर्द से चिल्ला उठी और उसकी आँखों में आँसू आ गये। उसकी आँखों के आँसू पौंछते हुए मैंने कहा, “डार्लिंग! अब चिंता मत करो, जो दर्द होना था वो हो गया... अब सिर्फ़ मज़ा आयेगा”, इतना कहकर मैं उसे चोदने लगा। मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद उसे भी मज़ा आने लगा। वो भी अपनी कमर उछाल कर मेरे धक्के का साथ देने लगी। उसकी सिसकरियाँ बढ़ रही थी।
“हाँ राज! जोर जोर से करो, ऐसे ही करते जाओ, बहुत अच्छा लग रहा है, प्लीज़ रुकना नहीं... आआआआहहहहह और जोर से, लगता है मेरा छूटने वाला है।”
मुझे अभी अपने लंड में तनाव लग रहा था। वो किसी परेशानी में ना पड़ जाये, इसलिये मैं अपने लंड को उसकी चूत से निकालने जा रहा था कि वो बोली, “क्या कर रहे हो? निकालो मत, बस मुझे चोदते जाओ।”
“रजनी तुम प्रेगनेंट हो सकती हो, मुझे निकाल लेने दो”, मैंने जवाब दिया।
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“हिम्मत ना करना निकालने की, बस चोदते जाओ, और अपना सारा पानी मेरी चूत में डाल दो। आज इस प्यासी चूत की साऱी प्यास बुझा दो।” ये कहकर वो उछल-उछल कर चुदवाने लगी। मैंने भी अपनी स्पीड बढ़ा दी।
उसका शरीर कंपकंपाया, “ओह राज!!!! हाँआँआँआआआ... चोदो लगता है मेरा छूटने वाला है”, वो जोर से चिल्लायी और वैसे ही मैंने अपना वीर्य उसकी चूत में छोड़ दिया।
हम दोनों काफी थक चुके थे। जब मेरा मुरझाया लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया तो मैंने उसकी बगल में लेट कर सिगरेट जला ली।
“राज बहुत मज़ा आया, आज मैं लड़की से औरत बन गयी”, रजनी ने कहा।
“हाँ रजनी! काफी आनंद आया”, मैंने जवाब दिया।
मैं उसके मम्मे सहला रहा था, और देखना चाहता था कि अब उसकी चूत कैसी दिखायी दे रही है। मैंने उसकी जाँघें ऊपर उठायीं तो देखा कि उसकी चूत थोड़ी चौड़ी हो गयी थी। उसमें से वीर्य और खून दोनों टपक रहे थे। मेरा बाथरोब भी खून और पानी से सराबोर था।
मैं उसके मम्मे और चूत दोनों सहला रहा था जिससे मेरे लंड में फिर गरमी आ गयी थी।
जैसे ही उसका हाथ मेरे खड़े लंड पर पड़ा वो चिहुँक उठी, “राज ये तो फिर तन कर खड़ा हो गया है, इसे फिर से मेरी चूत में डाल दो।“
“हाँ रानी! मैं भी मरा जरा जा रहा हूँ, तुम्हारी चूत है ही इतनी प्यारी”, ये कह कर मैंने अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया और उसे कस कर चोदने लगा। थोड़ी देर में ही हम दोनों खलास हो गये।
उस दिन रात तक हम लोगों ने चार बार चुदाई कि और काफी थक गये थे। करीब नौ बजे वो बोली, “राज अब मुझे जाना चाहिये, मम्मी घर पर इंतज़ार कर रही होगी।”
“अभी तो सिर्फ़ नौ बजे हैं, थोड़ी देर रुक जाओ.... फिर मैं तुम्हें घर छोड़ दूँगा”, मैंने उसे रोकना चाहा।
“नहीं राज! मैंने मम्मी से कहा था कि मैं सहेली के साथ सिनेमा देखने जा रही हूँ और साढ़े नौ तक वापस आ जाऊँगी। अगर टाईम से घर नहीं पहुँची तो मम्मी को मुझपर विश्वास नहीं रहेगा”, ये कहकर वो कपड़े पहन के अपने घर चली गयी।
अगले दिन मैं ऑफिस पहुँचा तो देखा रजनी का ई-मेल आया था, “राज डार्लिंग! कल कि शाम बहुत अच्छी थी, मुझे बहुत मज़ा आया, क्यों ना हम फिर से करें। आज शाम छः बजे कैसा रहेगा? ऑय लव यू, रजनी।”
मैंने उसे जवाब दिया, “हाँ मुझे भी अच्छा लगा। मैं भी आज शाम छः बजे तुम्हारा इंतज़ार करूँगा।”
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लंच के समय शबनम बोली, “आखिर हमारे राज ने रजनी की कुँवारी चूत फाड़ ही दी।”
“ये तुम कैसे कह सकती हो?” नीता ने पूछा।
“आज सुबह मैं जब ऑफिस में आयी तो, जैसे सब कहते हैं, मैंने भी रजनी से कहा, गुड मोर्निंग रजनी, कैसी हो, मैंने देखा उसके चेहरे पर रोज़ से ज्यादा चमक थी। उसने कहा, गुड मोर्निंग शबनम। और मुझे बाँहों में भर कर बोली ओह शबनम आज मैं बहुत खुश हूँ। उसकी मादकता और चंचलता देख कर मुझे लगा कि वो चुदाई कर चुकी है।”
“क्या सिर्फ़ उसके इस व्यवहार से तुम कैसे अंदाज़ा लगा सकती हो कि वो कुँवारी नहीं रही?” समीना ने कहा।
“एक और बात भी है जो मुझे सोचने पर मजबूर कर गयी, आज राज सुबह जब ऑफिस में आया तो उसके चेहरे पर खुशी की झलक थी और होंठों से गीत गुनगुना रहा था”, शबनम ने कहा।
“क्या ये ठीक कह रही है राज?” नीता और समीना ने पूछा।
“हाँ मेरी जानू! ये ठीक कह रही है, उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे अब भी मेरे लंड पर दर्द हो रहा है”, मैंने खुशी के मारे जवाब दिया।
“देखा! मेरा शक ठीक निकला ना! फ्रैंड्स अब हमको राज के आनंद में बाधा नहीं बनना चाहिये, इसलिये आज से हम उसके घर नहीं जायेंगे”, शबनम ने कहा।
“तो क्या हम राज के लंड का मज़ा नहीं ले सकेंगे?” नीता ने कहा।
“क्यों नहीं ले सकेंगे? स्टोर रूम जिंदाबाद!” समीना ने हँसते हुए स्टोर रूम की चाबी दिखायी।
अगले दिन मैंने कुछ कंडोम खरीद लिये जिससे कोई खतरा ना हो। मुझे हमेशा डर लगा रहता था कि कहीं रजनी प्रेगनेंट ना हो जाये। हम लोग बराबर मिलते थे और जम कर चुदाई करते थे।
एक दिन रजनी बोली, “राज ये कंडोम पहनना जरूरी है क्या? इस रबड़ के साथ मज़ा नहीं आता।”
“तो तुम बर्थ कंट्रोल पिल्स लेना शुरू कर दो”, मैंने कहा।
“मैं कहाँ से लाऊँगी, और मुझे कौन लिख कर देगा, कहीं मम्मी को पता चल गया तो मुझे जान से ही मार डालेगी”, उसने जवाब दिया।
दूसरे दिन ऑफिस में मैंने समीना से कहा, “समीना! तुम्हें मेरा एक काम करना होगा, मुझे बर्थ कंट्रोल की गोलियाँ चाहिये रजनी के लिये।”
“तुम कंडोम क्यों नहीं इस्तमाल करते?” समीना ने पूछा।
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“कंडोम इस्तमाल करता हूँ लेकिन रजनी को उसमे मज़ा नहीं आता”, मैंने कहा।
“ठीक है मैं ला दूँगी”, कहकर समीना अपने कम में लग गयी।
अगले दिन समीना ने मुझे पैकेट दिया और कहा, “जाओ ऐश करो।”
अब हम लोगों के दिन आराम से कट रहे थे। दिन में ऑफिस में तीनों को चोदता था और घर पर रजनी को। मन में आता था कि मैं रजनी से शादी कर लूँ, इसलिये नहीं कि मैं उससे प्यार करता था मगर इसलिये कि मैं कंपनी के एम-डी का दामाद बन जाता, और क्या पता भविष्य में कंपनी का एम-डी।
एक दिन रजनी अपनी आगे की पढ़ाई पूरी करने के लिये काम छोड़ कर चली गयी। मैं भी बोर हो रहा था तो सोचा अपने घर हो आऊँ। काफी दिन हो गये थे सब से मिले।
ऑफिस में छुट्टी की एपलीकेशन देकर मैं अपने घर पहुँचा। सब से मिलकर बहुत मज़ा आया, खास तौर पर अपनी दोनों बहनें, अंजू और मंजू से।
एक दिन पिताजी ने कहा, “राज मैंने तुम्हारी शादी फिक्स कर दी है, आज से ठीक पाँच दिन बाद तुम्हारी शादी मेरे दोस्त की बेटी प्रीती से हो जायेगी।”
मैं चिल्ला कर कहना चाहता था कि “नहीं पिताजी! मैं प्रीती से शादी नहीं करना चाहता, मुझे रजनी से शादी करनी है और कंपनी का एम-डी बनना है।” पर हिम्मत नहीं हुई, सिर्फ इतना कह पाया, “आप जैसा बोलें पिताजी।”
आज मेरी सुहागरात थी। मैं अपने दोस्तों के बीच बैठा था और सब मुझे समझा रहे थे कि सुहागरात को क्या करना चाहिये, सैक्स कैसे किया जाता है। उन्हें क्या मालूम कि मैं इस खेल में बहुत पुराना हो चुका हूँ। रात काफी हो चुकी थी। अपने दोस्तों से विदा ले मैं अपने कमरे की और बढ़ गया।
कमरे में घुसते ही देखा कि कमरा काफी सज़ा हुआ था। चारों तरफ फूल ही फूल थे। बेड भी सुहाग सेज़ की तरह सज़ा हुआ था। बेड पे मेरी दुल्हन यानी प्रीती, लाल रंग का जोड़ा पहने, घूँघट निकाले हुए बैठी थी। कमरे में पर्फयूम की सुगंध फैली हुई थी। मेरे कदमों की आवाज़ सुन कर उसने अपना सिर उठाया।
मैंने उसके पास बेड पर बैठते हुए कहा, “प्रीती ये तुमने घूँघट क्यों निकाल रखा है? मम्मी कहती थी कि तुम बहुत सुंदर हो, अपना घूँघट हटा कर मुझे भी तुम्हारे रूप के दर्शन करने दो।” उसने ना में गर्दन हिलाते हुए जवाब दिया।
अगर तुम नहीं हटाओगी तो ये कम मुझे अपने हाथों से करना पड़ेगा। ये कहकर मैंने अपने हाथों से उसका चेहरा ऊपर उठाया और उसका घूँघट हटा दिया। घूँघट हटाते ही ऐसे लगा कि कमरे में चाँद निकल आया हो। प्रीती सिर्फ काफी नहीं बल्कि बहुत सुंदर थी। गोरा रंग, लंबे बाल। उसकी काली काली आँखें इतनी तीखी और प्यारी थी कि मैं उसकी सुंदरता में खो गया। रजनी, प्रीती के आगे कुछ भी नहीं थी। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थीं, चेहरे पे शर्म थी। मैंने उसका चेहरा अपने हाथों में लेते हुए कहा, “प्रीती! तुम दुनिया की सबसे सुंदर लड़की हो, अपनी आँखें खोलो और मुझे इसकी गहराइयों में डूब जाने दो।”
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उसने अपनी मादकता से भरी आँखें धीरे से खोली, और मैंने अपने तपते हुए होंठ उसके लाली से भरे होंठों पर रख दिये। उसके शरीर में कोई हरकत नहीं थी इसके सिवा कि उसकी साँसें तेज हो रही थी। प्रीती ने काफी ज्वेलरी पहन रखी थी। मैं एक-एक कर के उसके जेवर उतारने लगा।
“आओ प्रीती! मेरे पास लेट जाओ”, कहकर मैंने उसे अपने बगल में लिटा दिया। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए हम लोग ऐसे ही कितनी देर तक लेटे रहे। थोड़ी देर बाद मैं अपना एक हाथ उसकी छाती पर रख कर उसके मम्मे दबाने लगा।
“ये क्या कर रहे हो?” उसने धीरे से कहा।
“कुछ नहीं! तुम्हारे बदन को परख रहा हूँ”, मैंने जवाब दिया।
जब मैंने उसके ब्लाऊज़ के बटन खोलने शुरू किये तो उसने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा, “प्लीज़ मत करो ना।“
“मुझे करने दो ना, आज हमारी सुहागरात है और सुहागरात का मतलब होता है दो शरीर और अत्मा का मिलन, और मैं नहीं चाहता कि हमारे मिलन के बीच ये कपड़े आयें”, और मैं उसके कपड़े उतारने लगा।
“अच्छा लाइट बंद कर दो... नहीं तो मैं शरम से मर जाऊँगी।” उसने अपना चेहरा दोनों हाथों में छुपाते हुए कहा।
“अगर लाइट बंद कर दूँगा तो तुम्हारे गोरे और प्यारे बदन को कैसे देख सकुँगा”, मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
अब मैं धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने लगा। उसका नंगा बदन देख कर मुझसे रहा नहीं गया। मैंने उसे बाँहों में भरते हुए कहा, “प्रीती! तुम्हारा बदन तो मेरी कल्पना से भी ज्यादा सुंदर है।” ये सुनकर उसने अपने आँखें और कस कर बंद कर ली।
मैं उसकी दोनों छातियों को सहला रहा था और उसके निप्पल चूस रहा था। जब कभी मैं उसके निप्पल को दाँतों में भींच लेता तो उसके मुँह से सिसकरी छूट पड़ती थी।
मैं उसकी चूत का छेद देखना चाहता था कि क्या वो रजनी के छेद जैसा ही था या उससे छोटा था। मैं धीरे-धीरे नीचे की ओर बढ़ने लगा और उसकी नाभी को चूमते हुए उसकी चूत के पास आ गया। उसकी चूत बारिकी से कटे हुए बालों से ढकी पड़ी थी।
मैंने उसकी चूत को धीरे से फैला कर अपनी जीब उस पर रख दी और चाटने लगा।
“प्लीज़! ये मत करो”, उसने सिसकते हुए कहा।
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उसकी चूत को चूसते और चाटते हुए मैंने उसकी जाँघों को थोड़ा ऊपर उठाया और उसकी चूत के छेद को देखा। प्रीती की चूत का छेद रजनी की चूत के छेद जैसा ही था।
“वहाँ मत देखो मुझे बहुत शरम आ रही है”, उसने कहा।
“इसमे शरमाने की क्या बात है? हमारी शादी हो चुकी है, और हम दोनों को एक दूसरे के शरीर को देखने और खेलने का हक है। तुम भी मेरा लंड देख सकती हो।” उसने शर्माते हुए मेरे लंड की तरफ देखा जो तंबू की तरह मेरे पायजामे में तन कर खड़ा था।
मैं खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतार कर उस पर लेट गया। प्रीती ने अपनी दोनों टाँगें आपस में जोड़ रखी थीं।
“डार्लिंग! अपनी टाँगें फैलाओ और मेरे लंड के लिये जगह बनाओ!”
उसने कुछ जवाब नहीं दिया और अपनी टाँगें और जकड़ ली। जब मेरे दोबारा कहने पर भी वो नहीं मानी तो मैं अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
अपनी चूत पर मेरे लंड की गर्मी से उसका बदन हिलने लगा और मैंने अपने घुटनों से उसकी जाँघें फैला दी।
उसकी कुँवारी चूत को चोदने के खयाल से ही मैं उत्तेजना में भरा हुआ था, मगर मैं रजनी की चूत की तरह एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में नहीं डालना चाहता था। बल्कि उसकी चूत के मुँह पर अपना लंड मैंने धीरे से डाला जिससे पूरा मज़ा आ सके।
प्रीती का बदन घबड़ाहट में कंपकंपा गया जब उसे लगा कि मेरा लंड उसकी चूत में घुसने वाला है। उसे अपनी बाँहों में भरते हुए एक धीरे से धक्का लगाया जिससे मेरे लंड का सुपाड़ा उसकी चूत में जा घुसा। उसकी चूत की कुँवारी झिल्ली मेरे लंड का रास्ता रोके हुए थी।
“डार्लिंग थोड़ा दर्द होगा, सहन कर लेना”, कहकर मैंने अपने लंड को थोड़ा सा दबाया। उसने अपनी आँखें बंद कर रखी थी और अपने होंठ दाँतों में भींच रखे थे जैसे दर्द सहने की कोशिश कर रही हो।
मेरा लंड उसकी झिल्ली पर ठोकर मार रहा था, उसके मुँह से “ऊऊऊऊऊऊऊऊ आआआआआआआआआआ” की आवाजें निकल रही थी। अब मैंने थोड़ा जोर से अंदर घुसेड़ा और मेरा लंड उसकी झिल्ली को फाड़ता हुआ उसकी चूत में जड़ तक समा गया, उसके मुँह से जोर की चींख निकली, “ऊऊऊ ईईईई माँ!!! मैं मर गयी!”
मैं रुक गया और देखा कि दर्द के मारे उसकी आँखों से आँसू निकल पड़े थे। मैंने उसके आँसू पौंछते हुए कहा, “डार्लिंग जो दर्द होना था वो हो गया अब तुम्हें कभी दर्द नहीं होगा”, और मैं अपने लंड को धीरे- धीरे अंदर बाहर करने लगा।
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