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Adultery Bahu ki jawaani
#1
Saroj ki Kahaani in Hindi Fonts.

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#2
मेरा नाम मोहन देसाई है, मेरी उम्र ५२ साल है और मेरा जयपुर में कपडे का कारोबार है। मेरी पत्नी मुझे ८ साल पहले छोड़ के चलि गई और मैंने अकेले अपने बच्चों का पालन पोषण किया, मेरे दो लड़के हैं सतेन्द्र और मनिष। सतेंद्र ३० साल का है और अपने परिवार के साथ हैदराबाद में रहता है। छोटा बेटा इंजीनियर है, मैंने २ साल पहले उसकी शादी करा दी।

शादी के बाद नई बहु मेरे घर आयी, बहु का नाम सरोज है और वो देखने में बहुत ही आकर्षक है। शादी के बाद पास पड़ोस के लड़के तो जैसे उसे देखने के लिये व्याकुल रहते थे। हो भी क्यों न, लम्बा कद, गोरा रंग और भरा हुवा बदन। सरोज के उम्र २३ साल है उसके बूब्स बहुत आकर्षक है उसकी हिप्स काफी बडी है, मोहल्ले के सारे लड़के उसकी हिप्स पे मरते थे। उसका फिगर ३४-३०-३८ है।, सरोज भी दिल खोल अपनी जवानी मोहल्ले के लड़कों पे लुभाती थी।
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मनीष अक्सर काम के सिलसिले में बाहर रहता, घर में मैं और बहु आपस में बातें करते और इस तरह से हम दोनों एक घर में दिन बीता रहे थे।

मैन रोज सुबह पड़ोस के शमशेर सिंह के साथ मॉर्निंग वाक पे जाता था। शमशेर मुझसे ८-९ साल छोटा था वो अक्सर पार्क में जवान खूबसूरत लड़कियों की जवानी निहारता और साथ-साथ मुझे भी दीखाता। मैं भी चोर नज़रों से जवान लड़कियों के खुले अंगो को घूर लिया करता था। जब भी शमशेर कोई अच्छी लड़की देखता उसके बारे में मुझसे गन्दी-गन्दी बातें करता, वाइफ के जाने के बाद मुझे भी ऐसे बातें करना अच्छी लगती थी।

एक दिन रोज़ के तरह पार्क में -

शमशेर - देसाई जी, आपका बेटा कहाँ है आज कल? काफी दिनों से देखा नही।

मैन - पुणे में है, अगले महीने के १६ तारीख को आयेगा

शमशेर - बहु क्यों नहीं जाती मनीष के साथ कुछ झगड़ा तो नहीं?

मैन - नहीं नही। मनीष अभी पुणे में घर खरीद रहा है, बस 5-6 महिने में दोनों चले जाएंगे

षमषेर - बेचारी सरोज, शादी का आनन्द भी नहीं उठाया होगा अभी तक (मुस्कुराते हुऐ)

मै और शमशेर वाक पूरा करने के बाद घर आते है, और मैं शमशेर को डाइनिंग हॉल में बिठा के बहु को आवाज लगाता हूँ।।।।

बहू।।

सरोज - जी बाबूजी।

मैं- शमशेर जी आये हैं थोड़े पराठे तो खिला दो इन्हे अपने हाथो के।

बहु डार्क पर्पल कलर के साड़ी पहने हुवे डाइनिंग हॉल में आती है, मैंने देखा शमशेर की आंखे सरोज से हट नहीं रही। सरोज जब वापस जा रही होती है तब उसके बडे बड़े हिप्स देख के शमशेर से रहा नहीं जाता, और वो अपना लंड सहलाते हुए मुझसे कहता है। देसाई जी क्या बहु लाए है आप, ऐसा बॉडी स्ट्रक्चर तो मैंने अभी तक किसी लडकी का नहीं देखा मैंने भी सहमति से अपना सर हिला दिया, मुझे ऐसा करता देख शमशेर को और साहस मिली और वो बोला। देसाई जी साड़ी में सरोज के हिप्स बहुत अच्छे दिख रहे है।। मैंने कुछ नहीं कहा। शमशेर थोड़ी देर बाद अपने घर चला जाता है।

अगले दिन मैंने देखा सुबह ६ बजे शमशेर मेरे घर के बाहर आवाज लगा रहा है। मैं उठ के दरवाजा खोला। थोड़ी देर बाद हमदोनों वाक पे चल दिए।। रास्ते में  उसने मुझे बताया के वो बीति रात कैसे सरोज को याद कर मुठ मारा। मुझे ऐतराज़ करता न देख वो और खुल के बेशरमी से सरोज के अंगों के बारे में बात करने लगा। मुझे उसकी बातें सुन कर कुछ अजीब सा महसूस हुआ मैं घर आया और बहु को आवज़ दिया।

मै - बहु।।। बहु।।

सरोज -जी बाबूजी।

आज सरोज मुझे बाकी दिनों से ज्यादा अच्छी लग रही थी।। उसने एक रेड कलर का शर्ट कुर्ता और सलवार पहनी हुई थी। उसके कुरते के साइड से कभी मुझे उसकी गोरी कमर तो कभी उसकी पेट नज़र आ रहा था और रेड सलवार में उसकी मोती-मोटी जांघो को देख मेरा लंड खड़ा होने लगा था।

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मै - बेटा तुम अभी तक सो रही थी?

सरोज - वो पापा आज आप वाक के लिए जल्दी चले गए थे।।

मै- सोफ़े पे बैठ तकिये से अपना टेंट छुपाते हुए।। अच्छा आज वो कम्बख्त शमशेर जल्दी आ गया था। खैर तू नहा के पूजा कर ले मैं तबतक यहीं आराम करता हूँ।

सरोज - ओके बाबूजी।।।
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#3
congratulations for new thread
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#4
थोड़ी देर बाद सरोज एक वाइट टाइट टी-शर्ट और ब्लैक लेग्गिंग पहनी हुई कमरे में दाखिल हुई। वो अपने बाल पे टॉवल लपेटी थी। गीले बालों के वजह से
उसकी टीशर्ट ट्रांसपेरेंट हो गई थे और मुझे उसकी ब्रा स्ट्राप साफ़-साफ़ नज़र आने लगी थी।

बलैक लेग्गिंग में उसकी मांसल थाइस को देख के मेरा लंड खड़ा हो गया, मैंने धीरे से साइड में राखी ब्लैंकेट से अपने आप को कमर तक ढ़क लिया।
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डाईनिंग हाल से होते हुवे सरोज किचन की ओर बढ़ी और नाश्ता तैयार करने लगी।

मै सोफे पे बैठा उसके गांड को घूरता रहा न जाने कब मैं अपना लंड ब्लैंकेट के अंदर बाहर निकाल लिया और मुठ मारने लगा। उसके टाइट बूब्स के गोलाई और थाइस मुझे पागल बना रही थी। और फिर वो हुआ जिसका मुझे डर था, मेरे बहुत कोशिश करने के बावजूद मेरे लंड से पानी फव्वारे की तरह बाहर निकल आया।

मुझे एहसास हुआ के एक्सकिटमेंट के वजह से आज लंड से ज्यादा पानी निकल आया और ब्लैंकेट पे भी बड़े बड़े स्पॉट लग गए है। मैंने हाथों से रब करना चाहा लेकिन दो बड़े बड़े गीले स्पॉट साफ़ नज़र आ रहे थे। मैं ब्लैंकेट फोल्ड करके बाथरूम के तरफ बढ़ गया,मास्टरबैंग का इतना अच्छा एहसास मुझे पहले कभी नहीं हुआ वो भी अपनी बहु को टाइट कपडो में देख कर।

दोपहर को मैं अपने कमरे में लेता था, तभी बहु कमरे में आयी और मुझे लंच के लिए डाइनिंग हॉल में बुलाने लगी।

सरोज - बाबूजी लंच रेडी है

मैन - बहु, मेरा खाने का मन नहीं हो रहा है तुम खा लो मैं शाम को कुछ खा लूंगा।।

सरोज - बाबुजी भूख तो मुझे भी नहीं लग रही, नाश्ता काफी कर ली आज

मैन - देखो बहु तुम्हे डाइटिंग करने की जरुरत नहीं है, तुम खा लो।। ऐसा करो लंच यहीं ले के आ जाओ

सरोज - डाइटिंग तो करना है बाबूजी, मोटी हो गई हू।

मैन - कौन केहता है तुम मोटी हो गई हो, तुम परफेक्ट हो बाह

सरोज - (अपने कमर पे दोनों हाथ रखते हुऐ।।) बाबूजी मेरी कमर शादी से पहले २६ थे और अब ३० हो गई है। और आप कहते हैं की मैं मोटी नहीं हुई?

मैन - (उसके गदराये कमर को देखते हुए।।) नहीं बेटी तुम्हारी कमर अच्छी है। तुम बिलकुल मोटी नहीं हो मोटी तो वो होती हैं जिनका कोई शेप नहीं होता।।और पेट बाहर के तरफ निकला होता है।

सरोज - (मुस्कुराते हुए अपनी टी-शर्ट को थोड़ा ऊपर उठाती है। और उसकी डीप गोरी नाभी मुझे नज़र आने लगती है।।) पापा मैं डाइटिंग करुँगी देखो मेरा पेट कुछ दिनों में बाहर आ जाएग।
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मै - (बहु के पास बढ़कर और उसकी नावेल को देखते हुए।) बहु तुम्हारी कमर की शेप अच्छी है और तुम्हारी नावेल भी। तुम्हे डाइटिंग की कोई जरुरत नहीं है।। हाँ अगर तुम चाहो तो मेरे साथ रोज मॉर्निंग वाक पे चल सकती हो।

सरोज - नहीं बाबूजी मैं ज्यादा चलती हूँ तो थक जाती हू।

मै -  है क्यों? अब ये मत केहना के तुम्हारी थाइस मोटी हैं इस्लिये।।

सरोज (शर्माते हुये अपनी टी-शर्ट नीचे करती है।। मेरी बात का कोई जवाब नहीं देती।।) तभी डोरबेल्ल बजती है और सरोज मेन डोर के तरफ भगति है।
मै भी कमरे से बहार निकल के आता हूं, शायद दूधवाला है।

सरोज - (दूध वाले को डांटते हुए। तुम सुबह क्यों नहीं आते ये कोई टाइम है आने का? )

मैन ये सोच के उतावला था की दूधवाला टाइट टी-शर्ट में मेरी बहु के बूब्स को देख रहा है, और मैं बहु के मांसल हिप्स को देख रहा हू। मेरी बहु एक साथ दो लोगों को अपनी जवानी दिखा रही है। मैंने तो सुबह मास्टरबैंग किया था और एक बार फिर मेरा लंड मुझे मजबूर कर रहा था।

मैन सोचने लगा शायद दूधवाला भी जब घर जायेगा अपने लंड को हाथों में लिए मेरी बहु के बारे में गन्दा सोच के रगडता होगा।।  न जाने अबतक कितने मरद इसकी जवानी को देख अपने लंड से पानी निकालें होंगे। पिछले दो दिन में मैं और शमशेर मास्टरबैंग कर चुके थे न जाने और कौन कौन दूधवाला, शायद न्यूज़पेपर वाला भी या फिर माली, पड़ोस के गुप्ता जी न जाने कौन कौन ये सब सोच के मेरा लंड अपनी चरम सीमा पे था। 

मै अब रोजाना दिन में रात में कई बार बहु के बारे में सोच के मास्टरबैंग करने लगा।। कभी कभी वो मेरे सामने होती और मैं दरवाजे के पीछे छूप के उसे देखते हुए मास्टरबैंग करता।। मेरे बेडशीट पे कई स्पॉट पड़ गए थे। शायद बहु ने कभी नोटिस किया हो या फिर नहीं भी।।।
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#5
NICE story
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#6
अब किसी बहाने से उसे छूने की कोशिश करता।। कामयाब भी हआ एक दोपहर मैं जब वो डाइनिंग हाल में सोफ़े पे कुछ पढ़ते पढ़ते सो गई तो मैंने उसकी खुली हुई नाभि देखि और मुझसे रहा नहीं गया।।

मैन बहु को नींद से जगाने के बहाने उसके पेट पे हाथ फेरा फिर उसकी सॉफ्ट डीप नावेल को भी।। और जब उसकी नींद टूटी तो मैं झट्ट से अपना हाथ उसके हाथ पे रख के उठाने लगा।। वो उठ के बाथरूम चलि गई। 

ओ दिन मैं उसकी नावेल के बारे में सोच के ४-५ बार मास्टरबैंग किया।। अब मैं उसे पना चाहता था। उसके बूब्स को मसलना चाहता था, उसकी थाइस को रब करना चाहता था, उसकी जूसी चुत को चाटना चाहता था उसे ख्यालों में तो कई बार चोद चूका था लेकिन हकीकत में शायद अभी देरी थी।

दूसरे दिन सुबह मैंने बहु को मॉर्निंग वाक पे चलने के लिए राज़ी कर लिया। बहु अपने कमरे में गई और मैं बाहर इंतज़ार करता रहा, थोड़ी देर बाद वो एक पिंक कलर के टाइट टीशर्ट और ट्रैक पैंट में सामने आयी। टीशर्ट थोड़ी छोटी होने की वजह से उसकी नावेल मुझे नज़र आ रही थी और टाइट-थिन पैंट में उसकी मांसल थाइस और उसके जांघो के बीच में उसकी भरी-भरी चूत। 

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थोडी देर इंतज़ार के बाद शमशेर ने दरवाजे पे नॉक दिया और फिर हम तीनो वाक के लिए निकल पड़े।। शमशेर तो बहु के हिप्स का दिवाना था, इस्लिये वो सरोज के दो कदम पीछे चल रहा था।। ताकि वो बहु की मटकती गांड का लुफ्त उठा सके। मैंने साफ़-साफ़ शमशेर को अपना लंड एडजस्ट करते हुए देखा, मेरे भी लण्ड में थोड़ी इरेक्शन थी लेकिन मैं अपनी टाइट अंडरवियर के अंदर इरेक्शन छुपाने में कामयाब रहा। 

धूप बहुत तेज़ थी और हम करीब १ घंटे बाद घर आ गए

घर पहुचते ही सरोज बेड पे लेट गई।

सरोज - ओह पापा। बहुत थक गई मैं, कितना धूप था बाहर मैं तो काली हो जाऊंगी।

सरोज बिस्तर पे लेटे हुए बोल रही थी, मैंने पीछे मुड के देखा तो उसकी टीशर्ट काफी ऊपर थी और उसकी नावेल खुली थी। मैं बहु के पास बैठ गया और वो लेटी रही। बहु को मैंने कभी इतने खुलते हुए कभी नहीं देखा था, मैं उसके करीब बैठा था और वो अपनी नावेल खोले मेरे बगल में बेशर्म हो के लेटी रही। 
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मै - हाँ बहु आज पता नहीं क्यों धूप बहुत तेज़ थी, तुम तो हांफ रही हो।। 

सरोज - मुझे इसकी आदत नहीं है पापा, मेरी साँस फुल रही है, देखिये कितना हांफ रही हू। ( सरोज ने करवट लेते हुए अपने गाल से पसीना पोंछते हुए कहा। ) 

सरोज - पूरा अंदर तक भींग गई हूँ मैं ये देखिये मेरा पेट कितना गरम है।।

मैने बिना देरी किये अपनी हथेली से उसकी पेट को छूने लगा। और फिर उसकी नर्म मुलायम नावेल को छुआ।। 

मै - हाँ बहु।। तुम तो बहुत गरम हो गई हो।। (मैंने जान बूझ के डबल मीनिंग में बात की। ) 

फिर बात करते करते मैंने अपना हाथ उसकी जांघो पे रखा और धीरे धीरे सहलाने लगा, उसकी तरफ से कोई ऑब्जेक्शन न देख मैंने अब अपना हाथ उसकी इनर थाइस पे रख दिया और सहलाने लगा। अपनी जवान बहु के मांसल थाइस मैंने पहली बार छुआ।। मैंने शायद ही किस्सी लड़की के इतनी मांसल थाइस देखि हो।। और मैं अपनी ही बहु के थाइस सहला रहा था।

उसकी गरम चूत बस २-३ इंच के दूरि पे थी और थोड़ा ऊपर उसके ट्रैक पैंट की ड़ोरी बाहर निकली थी। मन हुआ की वो झुक के अपने दांतो से उसकी ड़ोर को खोल दुं, लेकिन नहि।।।। मेरे अंदर इतनी हिम्मत नहीं थी मेरे लंड को तो जैसे सारे दिन खड़े होने की सजा मिल गई हो। अब बहु बिस्तर से उठ के बैठ गई और मैंने अपना हाँथ हटा लिया। मैं उठा और फ्रिज खोल के पानी की बोतल निकालने लगा। बहु अपने कमरे में चलि गई, करीब आधे घंटे बाद मैं बहु के कमरे में गया। बहु नहाने गई थी उसकी ब्लैक ब्रा और ब्लू पैंटी वहीँ बिस्तर पे पड़ी थी। मैं उसकी पैंटी उठा कर देखने लगा। 

पैंटी में थोडा सा दाग था शायद पसीने या फिर उसकी चूत का जुस। मैं उसकी पैंटी को सूँघने  लगा।। एक अजीब से एक्साइट करने वाली स्मेल थी। मैंने पैंटी को लेफ्ट हैंड में लिए जीभ से उसकी चूत वाली जगह को चाटने लगा और राइट हैंड में अपना लंड पकड़ के हिलाने लगा। बस कुछ ही देर में मेरे लंड से पानी निकल फर्श और हाथ पे गिर गया। फिर मैंने अपना लंड उसकी पैंटी से पोंछ उसे वहीँ छोड़ कमरे से बाहर निकल गया।।।

बहु ने नहाने के बाद साड़ी पहनी थी वो भी पहली बार उसने साड़ी को अपने नावेल से करीब ३ इंच नीचे बांधे थी न जाने क्योँ, शायद २ दिन पहले जब मैंने उसकी नावेल की तारीफ की थी इसलिए। 

बहु मुझे अपनी नावेल बड़ी ही बेशरमी से पूरे दिन दिखाती रहि।। किचन में काम करते वक़्त जब उसने पल्लू कमर में बांधा तो उसकी कमर और पेट का हिस्सा पूरा पूरा खुल गया और वो अधनंगे बदन मेरे सामने बड़े ही बेशरमी से आती जाती रहि।। 

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रात को मैं और मेरी बहु उसके कमरे में बैठ के बातें कर रहे थे।। क़रीब १० बजे बहु ने डिनर के लिए पुछा मैंने उससे कहा की वो डिनर इसी कमरे में लेती आए। फिर हमदोनो बिस्तर पे बैठे के डिनर किये।। डिनर के बाद बहु किचन में बर्तन साफ़ करने चलि गई और मैं वहीँ बहु के कमरे में सो गया।। 

सूबह के क़रीब ५ बजे मेरी नींद खुली कमरे में हलकी हलकी रौशनी थी मैंने देखा बहु मेरे बगल में मेरी ओर पीठ किये सोयी है। मुझे याद आया की रात को डिनर करने के बाद मैं यहीं सो गया, और बहु शायद बाद में मेरे बगल में सो गई। मैंने नोटिस किया बहु एक वाइट कलर के टी-शर्ट पेहने हुए है और बेड के बगल में एक चेयर पे बहु की साड़ी, पेटीकोट, ब्लाउज और सबसे ऊपर ब्लैक कलर की ब्रा पड़ी थी।
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#7
मैं धीरे से बहु के पीठ पे हाथ फेरा तो मुझे उसकी पीठ नंगी महसूस हुई, बहु ने ब्रा नहीं पहनी थी मुझे ये सोच के बहुत एक्साईटमेंट हुआ की मैं बहु के बैडरूम में हूँ और बहु बिना ब्रा के मेरे बगल में लेटी है, मैं अपना लंड बहार निकाल के मुठ मारने लगा और मैंने अपने लंड का पानी उसके बेड पे निकाल दिया।

करीब १ घंटे बाद बहु कमरे में चाय ले के आयी, वो मेरे सामने थिन टी-शर्ट में झुकि हुई थे और बिना ब्रा की उसके बूब्स के निप्पल के इम्प्रैशन साफ़ नज़र आ रहे थे।

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सरोज- पापा उठिये आप मॉर्निंग वाक पे नहीं जाएंगे।। ? (बहु अपने दोनों हाथ उठा के अपने बाल बाँधते हुवे बोली।। हाथ उठाने से उसके बूब्स बड़े लग रहे थे और निप्पल भी साफ़ नज़र आ रहा थे।।)

मै- हाँ बहु चलो मैं चेंज कर लेता हूँ।

सरोज -बाबू जी आप अकेले चले जाईये मैंने कल का ट्रैक सूट वाश के लिए डाल दिया है।।

मै - तो क्या हुवा बहु, तुम यही टी-शर्ट और स्कर्ट पहन के चलो, पार्क में तो और भी लड़कियां ऐसे आती है।। (मैंने उसके बूब्स के तरफ घूरते हुए कहा)

सरोज - ठीक है बाबू जी आप चलिये मैं ब्रा पहन के आती हू।।

बहु के मुह से ब्रा पहनने की बात सुन के मेरा लंड खड़ा हो गया, बहु ने कितनी बेशरमी से मुझसे ब्रा पहनने की बात कह डालि।।
थोड़ी देर बाद मैंने देखा के सरोज बेड पे कुछ देख रही है।।

मैन - क्या हुआ बहु?

सरोज - बाबू जी देखिये न।।। यहाँ बेड पे कुछ गिरा है।।(बहु ऊँगली से बेड पे गिरि मेरे लंड के पानी को छु रही थी।)

मै - (मेरी बहु मेरे मुट्ठ को हाथ से छु रही थी।) मुझे लगता है बहु वो कल रात जो हमने पराठे खाये थे उसी का घी गिर गया होगा।।

मै मन में सोच रहा था की काश बहु मेरे मूठ को घी समझ के चाट लेती।।

सरोज - (बिस्तर ठीक करने के बाद।।) चलिये बाबू जी

मै - हाँ बहु जरा एक गिलास पानी ला देना।। ( मेरा लंड खड़ा था और मैं इस खड़े लंड के साथ नहीं जा सकता था इसलिए मैंने उससे बहाने से पानी लाने भेज दिया)

सरोज - ये लिजीये बाबू जी

मैन - थैंक यू बहु।।। (मेरे इरेक्शन अब कम हो गया था।)

मै और बहु मॉर्निंग वाक के लिए चले गये।।

उस दिन शाम को फिर से हमदोनो बहु के कमरे में बैठ के बातें कर रहे थे।। डिनर करने के बाद जैसे ही मैं अपने कमरे में जाने के लिए उठा।।

सरोज - पापा कहाँ जा रहे हैं?

मैन - बहु नींद आ रही है, देर हो गई बात करते-करते सुबह उठना भी है।।

सरोज - बाबूजी, यहीं सो जाइये न।।। मैं भी तो चलूँगी आपके साथ वाक पे कल।।

बहु ने मुझे अपने साथ सोने के लिए बोल के मेरी मुराद पूरी कर दि।। अपनी सेक्सी बहु के साथ बेड पे सोने का मौका मैं कैसे छोड़ सकता था। मैं झट्ट से हाँ कह दिया और वापस बेड पे बैठ गया।।

मुझे आज नींद नहीं आ रही थी, मैं अपनी सेक्सी बहु का वेट कर रहा था। कुछ देर बाद बहु कमरे में आयी और लाइट ऑफ कर दिया, अब कमरे में बहुत कम लाइट थी। बहु ने सोचा की मैं सो गया हूं, उसने पास आकर मुझे देखा फिर बेड के पास अपनी साड़ी उतारने लगी। मैं अँधेरे में हल्का सा आँख खोले उसकी गोरी बदन को देख रहा था।। फिर उसने अपना ब्लाउज खोला और पीछे हाथ करके अपनी ब्रा भी उतार दी। उसकी पीठ पीछे से पूरी नंगी हो गई।

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उसने अब एक टी-शर्ट डाल लिया। और फिर से मेरी तरफ मुड के देखी। अगले पल झट्ट से अपनी पेटीकोट की डोरी खोल दिया और एक झटके में उसकी पेटीकोट जमीन पे गिर गई। अब उसकी मांसल गोरी जांघें मेरे सामने थी, पेटीकोट उतार कर वो एक स्कर्ट पहन मेरे बगल में लेट गई।। मैं अपना हाथ अपने अंडरवियर के अंदर डाल अपने लंड को धीरे धीरे मसल रहा था।। मुझे आज साड़ी रात नींद नहीं आनी थी।। अपनी बहु के नंगी पीठ और नंगी जाँघ देखने के बाद नींद आती भी कैसे?।।
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#8
मैं और बहु एक बिस्तर पे क़रीब ६ इंच के दूरी पे थे, मैं सीधा लेटा ऊपर फैन को देख रहा था। तभी बहु मेरी ओर करवट ली और उसके बड़े बूब्स मेरे एल्बो से टकराने लगे। मैं अपना हाथ सीधा किया और अब बहु के बूब्स मेरी हथेली को दबा रहे थे।। मैंने हलके हाथ से बहु के बूब्स दबाने लगा।। इतनी सॉफ्ट बूब्स वो भी बिना ब्रा के।। मक्खन से मुलायम उसके बूब्स को थोड़ी देर दबाने के बाद मैंने अपना लेफ्ट हैंड उसकी गरम चूत पे रख दिया। 

मै बहु के ओर क़रीब गया, बहु के दोनों हाथ ऊपर थे, मैं धीरे से उसके ऊपर गया और अपना चेहरा उसके बूब्स पे रख दिया। मेरे लेफ्ट हैंड अभी भी उसकी चूत को सहला रहे थे तभी शायद बहु की नींद खुली और उसने मेरा हाथ अपनी चूत से हटा दिया और फिर मेरा चेहरा भी अपने बूब्स से दूर कर दिया। मैं थोड़ा डर गया, कहीं बहु बुरा न मान जाए। इसलिए दूबारा कोशिश नहीं किया।

मैने एक हाथ से अपना लंड बाहर निकाला और बहु के चुचि देख कर रब करने लगा। एक बार फिर मेरे लंड का पानी बिस्तर पे बहु के पेट के पास गिर गया। 

सूबह होने में अब ज्यादा देर नहीं थी, और मुझे नींद आ गई। सुबह बहु मेरा हाथ जोर जोर से हिला के उठाने लगी।।

सरोज - बाबूजी।।। बाबूजी।।

मैन - क्या हुआ बहु।। ?

सरोज - यहाँ देखिये न बाबू जी कुछ गिला सा लग रहा है।। और चिपचिपा सा भी।। क्या है ये?

मैन - अरे बहु लगता है कल रात डिनर करते वक़्त फिर से कुछ गिर गया बिस्तर पे।।

सरोज - (अपने हाथ से मेरे मूठ को छूते हुए बहु बोली।। ) ये देखिये ये कुछ सफ़ेद रंग का चिपचिपा सा है।।

मै - (मैं मन में सोच रहा था। बहु इतना नादान तो नहीं हो सकती।। कहीं ये जानबूझ के अनजान तो नहीं बन रही। ? लेकिन बहु ऐसा क्यों करेगी? )

सरोज - (सरोज ने मेरे मूठ को स्मेल किया और फिर अपनी ऊँगली पे लगी मेरे मुट्ठ को चाट्ने लगी।। ) पप।। ये कुछ नमकीन सा टेस्ट है।। मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा की ये क्या गिर गया कल रात?

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मैन - नहीं बहु कुछ घी या मक्खन गिर गया होगा।। थोड़ा सा और चाट के देखो पता चल जाएगा।

सरोज - (सेक्सी तरीके से स्मेल करते हुवे और अपना मुह खोल मेरा मूठ चाट्ने लगी।।)।। उम्मम्मम बाबूजी।। जो भी है ये तो अच्छा टेस्ट लग रहा है।।

मै - (बहु के इस हरकत पे मैं सोचने लगा की शायद बहु को सब पता है और वो बेवजह अन्जान बनने की कोशिश कर रही है।। बहु को ऐसे मेरा मूठ चाटते देख मेरा लंड खड़ा हो गया। दिल में तो ख़याल आया के अपना लंड खोल के बहु के मुह में दे दूँ, और उसकी मुह में अपना पानी छोड़ दूँ )

बहु मेरे मूठ को बहुत ही बेशरमी से चाट रही थी। थोड़ी देर बाद बहु बाथरूम जा के फ्रेश हो आयी और मैं भी बिस्तर से बाहर आ गया।

डायनिंग हॉल में बहु चाय लायी।। हमेशा की तरह आज भी बहु ने साड़ी काफी नीचे पहनी थी और मुझे अपना नवेल दिखा रही थी।

बहु चाय के सिप लेते हुए मेरे बगल में बैठ गई।

सरोज - बाबूजी।। आज मुझे कुछ शॉपिंग करनी है क्या आप चलेंगे?

मै - हाँ बहु क्या-२ चाहिए बोलो मैं पेपर पे लिखता हूँ

सरोज - ओके बाबूजी।। ये लिजीये पेन और पेपर

मै- बोलो बहु।।

सरोज - मेरे पास एक ही ट्रैक सूट है तो एक एक्स्ट्रा ट्रैक सुट, शूज, हेयर डॉयेर्, बँगलेस

मै- हाँ ठीक है और बोलो बहु

सरोज - ब्लैक कलर लेग्गिंग, छोटा टॉवेल, ब्रा और पैंटी

सरोज - और हाँ भूल गइ एक शेवर भी

मैन - बेटी तुम शेवर यूज करती हो? तुम हेयर रिमूवल क्रीम क्यों नहीं यूज करती?

सरोज - नहीं बाबूजी उसके लिए नहि, मुझे तो हेयर रिमूवल की जरुरत ही नहीं पडती

मै - क्यों? तुम पैरों के बाल नहीं साफ़ करती?

सरोज - बाबूजी, बाल होंगे तब तो करुँगी न।। मेरे पैर पे तो बाल बहुत कम आते है।। (बहु ने थोड़ा सा साड़ी ऊपर उठाते हुए अपने पैर दिखाए।।)

सरोज - और मेरी थाइस पे तो बिलकुल बाल नहीं है।। मेरी थाइस एकदम चिकनी और सॉफ्ट है। साड़ी अगर नहीं पहनी होती तो मैं आपको अपनी थाइस दिखाती।। बिलकुल चिकनी है।। मैं बहुत लकी हूँ जो मेरे थाइस पे बाल नहीं है।

बहु के मुह से अपनी थाइस दिखाने की बात सुन कर मेरे लंड में तूफान भर गया।। ये मेरी बहु को कुछ दिनों से क्या हो गया है।।? इतनी बेशरमी से बातें करती है।। मेरी बहु तो जैसे एक नयी दुल्हन से अब रंडी बन गई हो।। अब मैं जब बहु के बारे में सोच के मास्टरबैट करता तो इमेजिन करता के वो मेरे सामने पड़ोसियों के लंड चूस रही है। सोफ़े पे लेते वो एक रंडी की तरह शमशेर का लंड मुह में ले रही है और मैं नीचे बैठ बहु के चूत चाट रहा हूं।।

ये सब इमेजिन करने से मेरे लंड से पानी 5 मिनट में आ जाता था और मुझे बहुत सन्तुष्टि मिलती ।।
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#9
मैं और बहु शाम ५ ओ क्लॉक शॉपिंग के लिए अपनी मारुती स्विफ्ट में निकल गये। बहु मेरे बगल वाली सीट पे डार्क ग्रीन कलर के साड़ी पहने बैठी थी, मैंने नोटिस किया की बहु ने काफी सादगी से साड़ी पहने थी उसकी नवेल बिलकुल नज़र नहीं आ रही थी और साइड से उसके थोड़े से खुले हुए पेट् नज़र आ रहे थे। घर पे मेरी बहु एसे साड़ी को काफी नीचे पहेनती थी और उसकी नवेल साफ़ साफ़ नज़र आती थी। बहु के इस दोहरे चरित्र को देख मुझे बहुत अच्छा लगा, ऐसा लगा जैसे बहु को घर पे मुझे अपना बदन दिखाने में कोई प्रॉब्लम नहीं होती या शायद उसे मुझे अपना बदन दिखाना अच्छा लगता है। वहीँ बाहर वो एक घरेलु स्त्री की तरह सादगी से रहती है।

बहु सीट पे बैठे हुए सामान के लिस्ट निकाल दोहराने लगी और मैंने अपनी कार एक मॉल के तरफ मोड़ लिया। मैं गाडी पार्किंग में लगा के बहु को फॉलो करने लगा। बहु ने अपने बदन को साड़ी में तो ढक लिया था लेकिन वो अपने सेक्सी फिगर ३४-३०-३८ को नहीं छुपा पा रही थी और साड़ी में उसके बड़ा-बड़े हिप्स किस्सी को भी पागल बना सकते थे।

मॉल में हर उम्र के लोग एक बार मुड के मेरी बहु के मटकती गांड को जरूर देखते। लगभग सभी सामान लेने के बाद एन्ड में हमदोनो लेडीज सेक्शन में ब्रा और पैंटी लेने पहुचे। मेरी चारो तरफ लेडीज के अंडरर्गारमेंट लटके थे  मेरे अलावा वहां सभी लड़कियां शॉपिंग कर रही थी।

बहु ने कुछ कलरफुल ब्रा और पेंटी सर्च करने लगी मैंने भी हेल्प करना चाहा तो बहु ने अपना साइज बताते हुये मुझे ३४ साइज ढूंढने के लिए बोला। मैं २-३ ब्रा उठा कर बहु के तरफ बढाया।

सरोज - ओह पापा ये ब्रा तो अछि लग रही है लेकिन ये ३४ब है

मै - ३४ब, बहु तुमने ३४ ही तो बोला था।

सरोज - हाँ लेकिन मुझे कप साइज डी चहिये।

मै - तो क्या ३४ब छोटा साइज है?

सरोज - (अपने हाथो को अपने बूब्स के तरफ दीखते हुए।) साइज सेम है बाबूजी लेकिन ३४डी का कप बड़ा होता है ।

मै - बहु के बूब्स को घूरते हुये। ओके मैं लाता हूं

कुछ ब्रा पैंटी लेने के बाद मैं और बहु घर आ गये।।

थोड़ी देर बाद।।। बहु कमरे से मुझे आवाज़ लगाने लगी।।।

सरोज - बाबूजी।। बाबूजी

मै - क्या हुआ बहु?

बहु अपने कमरे में अपनी ग्रीन साड़ी उतार रही थी और नए कपडे ट्राई करना चाहती थी।। 

(थोड़ी देर में मैंने देखा बहु ग्रीन कलर ब्लाउज और डार्क ब्राउन कलर का ट्रैक पेंट पहने मेरे सामने खड़ी है।। सिर्फ ब्लाउज और ट्रैक पेंट में बहु बहुत ही ज्यादा हॉट लग रही थी। उसके डीप नवेल पूरे खुले हुवे थे।।)

[Image: 72054311_002_fab3.jpg]

सरोज - बाबूजी।।। ये ट्रैक पेंट तो बहुत टाइट है, मैंने कमर के साइज ३० देख के लिया था। लेकिन यहाँ मेरी जाँघो पे पैंट बहुत टाइट है।।

मै - (टाइट ट्रैक पैंट में बहु की जांघें कसी-कसी थी और उसकी चूत के उभार भी साफ़ नज़र आ रहे थे।। ) हाँ बहु ये तो टाइट है।। लेकिन इसमे तुम्हारी जांघे अच्छी दिख रही है (मैंने मुस्कराते हुए कहा।)

सरोज - बाबूजी, मैंने ये ट्रैक पैंट बिना पैन्टी के पहनी है फिर भी ये इतनी टाइट है।। तो पैन्टी पहनने के बाद और टाइट हो जाएगी।

मै - (बिना पैन्टी के??? बहु के बात सुनते हे मैंने अपनी नज़र उसकी चूत पे गडा ली। ओह बहु के चूत के बीच की लाइन साफ नज़र आ रही थी।। मेरा लंड खड़ा होने लगा।)

सरोज - (उदास होते हुये।।) मुझे सारे कपडे ट्राई कर के लेने चाहिए थे।

मै - कोई बात नहीं बहु दूसरा ले लेंगे तुम बाकी के कपडे भी ट्राई कर के देख लो ब्रा और पैन्टी भी कहीं वो तो छोटी नहीं है?

सरोज - ठीक है बाबू जी आप यहीं बेड पे बैठिये मैं बाकी के कपडे ट्राई करती हूँ।
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#10
मै बेड पे बैठ गया, और बहु पीछे मुड कर अपनी ब्लाउज उतारने लगी।। और अब ब्रा भी खोल दिया। उसकी नंगी पीठ मेरे सामने थी

[Image: 85539163_007_a079.jpg]

सरोज - बाबू जी।। वो रेड वाली ब्रा दिजिये न पहले।

मै बैग से उसकी रेड ब्रा निकाल के बहु के तरफ बढाया।। सरोज मेरे सामने ब्रा पहन रही थी। मैं सोचने लगा की बहु के सामने से बूब्स अभी कैसे दिख रहे होंगे। मैं दिवार के तरफ पिलो लगा कर बैठा था बहु को ऐसे अधनंगा देख मेरा लंड रगडने का मन करने लगा।

मैं बेड पे रखी ब्लैंकेट को खीच उसके अंदर घुस गया और अपना लोअर नीचे कर लंड को मसलने लगा।।

बहु बिना मेरी तरफ मुड़े अपनी पैन्टी भी मांगा, मैंने एक हाथ से पैन्टी उठा के उसकी तरफ बढ़ाया मेरा एक हाथ अभी भी लंड को मसल रहा था। बहु एक टॉवल लपेट अपनी ट्रैक पेंट उतार बेड पे फेंक दी और पैर उठा के पेंटी पहनने लगी। मैं तेजी से मुठ मार रहा था। बहु पेंटी और ब्रा पहनने के बाद टॉवल को नीचे गिरा दिया और मेरी तरफ मुड गई।

मेरी तो जैसे साँस ही अटक गई।। मेरी जवान बहु अपने भरे-भरे बदन को सिर्फ एक रेड कलर के ब्रा और पैन्टी में ढके मेरे सामने खड़ी थी।।

[Image: 80655394_003_9819.jpg]

मैने अपना हाथ स्लो कर दिया ताकि बहु को पता न चले के मैं ब्लैंकेट के अंदर मुठ मर रहा हू।।

सरोज - कैसी लग रही हूँ बाबूजी।।

मै - (मेरी साँसे तेज़ थी।।) बहुत अच्छी लग रही हो बहु।। लाल कलर के ब्रा पैन्टी में बहुत गोरी लग रही हो । और तुम्हारी जांघे कितनी मोटी, चिकनी और मांसल हैं बहु।। (ऐसा कहते हुए मैं आँख बंद कर अपने लंड का स्किन पूरा खोल ३-४ बार जोर से स्ट्रोक दिया।)

सरोज - (हँसते हुवे।। ) सच्ची बाबूजी।। मुझे भी इसकी कलर बहुत पसंद है।। आपको ठण्ड लग रही है क्या? आपने ब्लैंकेट क्यों ले लिया?

मै - हाँ बहु थोड़ी ठण्ड लग रही थी। (मैं बहु की सेक्सी स्ट्रक्चर देख तेज़ी से मस्टरबैट करने लगा।।)

सरोज - क्या हुवा बाबू जी? आपके हाथों को ? इतना क्यों हिल रहे हैं?

मै - कुछ नहीं बहु तुम्हारे कमरे में मच्छर (मॉस्क्वीटो) ज्यादा है, पैर पे कोई मच्छर ने काट लिया शायद।। (मैंने खुजलाने के बहाने और तेज़ी से लंड हिलाने लगा और बस थोड़ी देर में ब्लैंकेट के अंदर मेरे लंड से गाढ़ा पानी निकल गया।। )

सरोज - हाँ बाबूजी मच्छर तो ज्यादा है यहाँ। मैं गुड नाईट लगा देति हूं।। (बहु मेरे सामने ब्रा पैन्टी में अपनी गांड मटकाते हुए स्विच के तरफ गई और गुड नाईट लगाने लगी।।)

मै मौका देख तुरंत अपना लंड अंडरवियर के अंदर वापस डाल लिया।

सरोज बेड के ऊपर आ गई और घुटने पे मेरे सामने बैठ अपने ब्रा को छूते हुये बोली।

सरोज - बाबूजी।। इस ब्रा की क्वालिटी कितनी अच्छी है न?

मै- (मैं बहु के पास आया और अपने हाथ बहु के काँधे के पास ब्रा को छूते हुए ।बोला) हाँ बहु ये तो बहुत अच्छा है।

मैन धीरे से अपना हाथ नीचे ले आया और।। साइड से बहु के ब्रा के अंदर हाथ ड़ालते हुये ब्रा के कपडे को छूने लगा।। मेरी उंगलियाँ बहु की नंगी बूब्स को महसूस कर रही थी।

सरोज - बाबूजी ब्रा तो मुझे बहुत पसंद आयी है लेकिन पेंटी उतनी सॉफ्ट नहीं है और स्टीचिंग भी अच्छी नहीं है देखिये न साइड से धागे (थ्रेड) निकल रहे है। (बहु ने एक छोटी सी थ्रेड पकड़ के कहा)

मै - बहु  सब थ्रेड को काट दो नहीं तो स्टीचिंग खुल जाएगी।। कुछ काटने के लिए है बहु?

सरोज - नहीं बाबू जी।। यहाँ तो कुछ नहीं है।।

मै - बहु तुम थोड़ा पास आओ तो मैं अपने दांतो से काट देता हू।

सरोज - ठीक है बाबूजी।। (बहु ने थोड़ा ऊपर होते हुये अपनी पेंटी मेरे चेहरे के पास लायी।

मैने अपने हाथ बहु के ब्रा से निकल।। बहु के नंगी कमर और गांड पे रख दिया और झुक कर अपनी तरफ पुल्ल किया। बहु अपनी लेफ्ट हाथ बेड पे रख अपनी कमर को मेरे मुह के पास ले आयी। मैंने धीरे से अपने होठ बहु के इनर थाइस के पास ले गया और थ्रेड काटने की कोशिश करने लगा।

मै- बहु और पास आओ।।(मैं अपना राइट हैंड बहु के गांड से हटा के बहु के पेंटी के साइड में ऊँगली ड़ालते हुये अपनी तरफ पुल्ल किया।। मुझे बहु के चूत की साइड के हलकी-हलकी बाल महसूस हुई।।।)
सरोज अब अपनी चूत को मेरे नाक के पास ले आयी।। पैंटी की साइड से चुत नज़र आ रही थी मैं अपने नोज को बहु के चूत के काफी क़रीब ले गया।। बहु के चूत की स्मेल मुझे पागल कर रही थी।।

मैने बहु के पेंटी साइड से हटा कर थ्रेड काटने लगा, मेरी उंगलिया बहु के गरम चूत से रगड खा रही थी। एक-दो बार मैंने थ्रेड काटने के बहाने अपने होठ बहु के चूत पे रगड दिए।। धीरे-धीरे बहु बेड पे लेट गई और मैं उसके थाइस के बीचे में उसकी चूत के स्मेल का मजा ले रहा था। बहु के आँखें बंद थी।

सरोज - (अपनी टाँगे फैला दी और मेरे बाल पकड़ते हुए अपनी चूत के पास खीचा।।और बोली) आह।। बाबूजी।। संभल के सारे थ्रेड काट दिजिये बाबूजी।।
[Image: images?q=tbn%3AANd9GcQG0tTZBAOwL33crI9Gs...CLCdBRYI1A]
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#11
बहु के आवज़ में कुछ नशा सा था। मैं पैंटी को साइड से खीच के बहु के चूत को नंगा कर दिया।। अबतक बहु की चूत गिली हो गई थी।। मैंने अपनी एक ऊँगली बहु के चूत के बीच रखा।। ये क्या बहु के चूत एकदम गरम और मक्ख़न की तरह मुलायम थी।।
[Image: 39850766_049_d65a.jpg]

बहु के बुर(चूत) से पानी निकल रहा था। जिससे मेरी ऊँगली गिली हो गई। उसके चूत की महक ने मुझे पागल बना दिया, मैं ऊँगली से छुइ को खोल अपने जीभ से बहु के बुर(चूत) २-३ बार चाट लिया।

सरोज - (अपनी चूत को पीछे करते हुए।।) बाबूजी।।।। ये आपने थ्रेड काट दी सारी?

मै - (अपना चेहरा ऊपर करते हुए।) हाँ बहु।। वो नीचे थोड़ा गिला होने के वजह से थ्रेड चिपक गया था। इसलिए मैंने जीभ से निकाल के काट दिया।

मेरे होठ और मुह पे बहु के चूत का पानी लगा था।। मैं उसे पोंछते हुए मुस्कराते हुये बोला।

तभी बेड के किनारे रखे बहु का मोबाइल बजा।। बहु ने हाथ बढा के सेल फ़ोन उठाया।। और अपनी पेंटी ठीक कर बिस्तर पे बैठ गई।

सरोज - (सेल फ़ोन देखते हुए।।) बाबूजी मनीष का फ़ोन है।।

अपने मन में मैं अपने बेटे को गाली दे रहा था। कैसे गलत टाइम पे फ़ोन किया मेरी बहु के पास। शायद मैं कुछ देर और बहु की बुर(चूत) चाट पाता।
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#12
बहु मनीष से फ़ोन पे बात करते हुए।।

सरोज - हेलो मनीष कैसे हो आप?

सरोज - ठीक हूं।। नहीं ।अभी शॉपिंग कर के आयी हूँ।। अपने कमरे में हूँ।

सरोज - बाबूजी ठीक है।। यहीं है।

सरोज - कुछ नहि।। यूँ ही मैं और बाबूजी बातें कर रहे थे 

मै बहु के बेड पे बैठा बहु और मनीष की बातें सुन रहा था। बहु ने मनीष से बस ये बोली की मैं और बहु बातें कर रहे थे।। लेकिन सच्चाई तो कुछ और है।

बहु को झूठ बोलता देख मैंने राहत की साँस ली, इसका मतलब मेरे और बहु के बीच अभी जो भी हो रहा था मनीष को इस बात का कभी पता नहीं चलेगा।

सरोज - ओके।।मनीष में शाम को कॉल करती हूँ अभी कुकिंग करनी है

बहु ने फ़ोन काट दिया और बेड पे रखे पेंट टीशर्ट पहनते हुये मुझसे बोली।।

सरोज - बाबूजी मैं कुछ डिनर बना देती हूं।। आज रात आप अपने कमरे में सोयेंगे या मेरे कमरे में।।? एक्चुअली रात को मैं मनीष से बात करुँगी।।

मै - ठीक है बहु मैं अपने कमरे में सोउंगा।

बहु कमरे से बाहर चलि गई, मैंने बेड पे गिरि अपने मुट्ठ को बहु के साड़ी से पोंछ दिया लेकिन निशान नहीं मिटा। मैं वेसे छोड़ के कमरे के बाहर आ गया।

रात में डिनर के बाद मैं अपने कमरे में लेटा था।आज जो भी हुआ उसके लिए मैं अपने लक पे बहुत खुश था। आज़ मुझे अपनी ही जवान बहु के बुर(चूत ) चाटने का मौका मिला था। मैं बहु के बारे में सोच मुठ मार कर सो गया।

सूबह क़रीब ६ बजे शमशेर ने डोर पे नॉक किया।। मैंने दरवाजा खोला और शमशेर मेरे पीछे कमरे तक आ गया।।

मै - समशेर तुम ५ मिनट वेट करो मैं अभी आता हू।

शमशेर -(बेड पे बैठा हुआ।। ) हाँ मैं वेट करता हूँ जल्दी आओ। बहु चलेगी?

मै - हाँ

थोड़ि देर बाद मैं जब कमरे में आया तो देखा। शमशेर बेड पे आँखे गड़ाए हुए था। मुझे कमरे में आता देख।।।

शमशेर- देसाईजी। ये क्या है बेड के बीच में?

मै - (अनजान बनते हुए।। ) पता नही

शमशेर - देसाई।।। झूठ मत बोल।। सच बता ये तेरी रात की करतूत है न?

मै - क्या बोल रहे हो?

शमशेर - मैं अच्छी तरह जानता हूँ ये क्या है? बोल सच सच?

मै - हा।।मेरी मूठ है

शमशेर - देसाई।। ऐसा क्या हुआ कल जो तूने बेड पे मास्टरबैट कर लिया।। सच बोल

मै- कुछ नहीं बस ऐसे ही मन किया

शमशेर - किसके बारे में सोच के किया? बोल?

मै - तू जानता है यार। (मैंने टॉवल से मुह पोछते हुए बोला।।)

शमशेर - क्या तूने सरोज।। मतलब अपनी बहु के बारे में सोच मास्टरबैट किया?

मै - (गर्दन झुकाते हुवे।।) हाँ

शमशेर - वो।।। देसाई

शमशेर - तेरी बहु है ही ऐसी । देखा आखिर तूने भी उसके नाम की मूठ मार ही डाली। साली है हे ऐसे चीज़।। उसके बारे में सोच तो मैं रोज़ मूठ मारता हूँ

ओ भी २-३ बार एक दिन में।।
[Image: 48801919_008_0660.jpg]
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#13
मै - सच कह रहा है तु।। मुझसे भी कण्ट्रोल नहीं होता उसकी भरी जवानी देख कर।

शमशेर - तो कितनी बार मास्टरबैट करता है।। ? कभी उस के सामने रह कर किया?

मै - सच कहूं तो मैं ६ से ७ बार एक दिन में मुट्ठ मारता हूं।। और कई बार बहु के बेड पे भी गिराया है।।

शमशेर - देसाई क्या बोल रहा है।।। बहु के बेड पर???? ( मैंने देखा शमशेर का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था। )

हा - बहु की बड़ी बड़ी चूचियां, उसकी मांसल जाँघें और मोटी गांड मेरे दिमाग में रात दिन घूमति हैं और मैं मुठ मारने पे मजबूर हो जाता हूँ।।

(मैं अपने लंड को एडजस्ट करते हुए बोला)

शमशेर - न जाने कितने लोग तेरी बहु को देख मुट्ठ मारते होंगे।। तू किस्मत वाला है जो वो तेरे सामने है कभी मुझे भी उसके अधखुले जिस्म का मजा उठाने दे।
कभि मैं भी उसको सामने देख मुठ मारूँगा।। (ये कहते हुए शमशेर लोअर के ऊपर से अपने लंड को मसलने लगा)

शमशेर - साली तेरी बहु का नाम लेते ही मेरा लंड खड़ा हो जाता है।। आज तो उसकी गांड देख के मूठ मारने का मन है।। देसाई कुछ करो प्लिज।

मै न जाने क्यों चाहता था की शमशेर भी मेरी बहु के साथ मजे ले और मैं बहु और शमशेर को मस्ती करते देखुं। मैं बहु को रंडी बनते देखना चाहता था।

मैने शमशेर को बोला के वो चाहे तो २-३ दिन मेरे घर रुक सकता है और मैं बहु से कह दूंगा के तुम्हारे गाओं से कुछ मेहमान आये हैं और तुम मेरे घर पे रहोगे। शमशेर खुश हो गया।

शमशेर - बहु अपने कमरे में सो रही है क्या?

मै - हाँ अभी सो रही होगी, मैं उठाता हू।

शमशेर - रुक मैं भी आता हूं।। मैं देखूँ बहु सोती कैसे है?

मै और शमशेर बहु के कमरे में गये। कमरे में बहु केवल एक वाइट कलर ब्रा पहने और ब्लैंकेट के अंदर सो रही थी। हमदोनों को उसकी नंगी पीठ और नवेल नज़र आ रही थी।
[Image: 75999540_063_4371.jpg]
शमशेर की नज़र लगातार बहु के नवेल पे थी। मैंने बहु को उठाया।। थोड़ी देर बाद मैंने शमशेर के बारे में भी बहु को बता दिया।

दोपहर में बहु किचन में थी, मैं और शमशेर टीवी देख रहे थे। शमशेर बार बार किचन में बहु को देख रहा था बहु के नवेल और पेट थोड़े से खुले थे , जीसको देख शमशेर अपने लंड मसल रहा था। 

शमशेर - देसाई।। दिल करता है लंड बाहर निकाल के तेरी बहु के गांड और नंगी कमर देखते हुए मास्टरबैट करूँ ।

मै - पागल हो गया है तू? यहाँ ?

शमशेर - हा।। तूने तो बहुत मज़े लिए हैं अब मुझे उसकी गांड का मजा लेने दे।

इससे पहले मैं कुछ कह पता शमशेर ने अपना विशाल लंड बाहर निकल लिया, और स्किन नीचे कर ऊपर नीचे रगडने लगा। मेरे सामने मेरी बहु को देख एक पडोसी मुठ मार रहा था।। मुझे सोच के इरेक्शन होने लगा। मैंने देखा शमशेर का लंड बहुत बड़ा था और उसमे से काफी स्मेल आ रही थी, ऐसा लग रहा था जैसे उसके लंड की स्मेल पूरे कमरे में फैल जाएगी।। थोड़ी देर में शमशेर के लंड का पानी सोफ़े और टेबल पे निकल गया। शमशेर को मैंने बहु की ब्रा लाके दी तब उसने अपना मुट्ठ साफ़ किया। 

बहु आयी और बोली

सरोज - बाबूजी यहाँ कुछ अजीब सी स्मेल आ रही है

शमशेर - बेटा मेरे हाथ से आ रहा होगा।। (शमशेर जिस हाथ से अपना लंड मसल रहा था। उसी हाथ को बहु की नाक के पास लगा दिया)

सरोज - हाँ अंकल आपके हाथ में से स्मेल आ रही है।। किस चीज़ की स्मेल है? अजीब सी है कुछ जानी पहचानी भी। लेकिन स्मेल अच्छी है।।

शमशेर - बेटा ये स्मेल मेरे फैक्ट्री में लगे केमिकल की है। तुम्हे अच्छा लगता है तो तुम रोज मेरा हाथ स्मेल कर सकती हो।।

सरोज - ओके अंकल

बहु को शमशेर के लंड की महक लेते देख मेरा लंड फडकने लगा।। लंच करते वक़्त मैं टेबल के नीचे एक हाथ से लंड निकाला। बहु के टाइट ब्लाउज में चूचि देख मुठ मारने लगा और फर्श पे पानी निकाल दिया।

सूबह से बहु मेरा और शमशेर दोनों के लंड का पानी निकाल चुकी थी।।
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#14
शाम को बहु रेड कलर की साड़ी पहने किचन में बर्तन धुल रही थी। मैं किचन में उसके पीछे एक टीशर्ट और लोअर पहने चाय की प्यालि लिए खड़ा बहु से बातें कर रहा था।।

सरोज - (अपनी साड़ी के पल्लू को कमर में खोसति हुई।।) बाबूजी।। आज रात शमशेर अंकल यहीं रुकेंगे?

मै - हाँ बहु।।

सरोज - ठीक।। अगर ऐसा है तो मैं आपका कमरा ठीक कर देती हूं, उनको वहीँ कमरे में सोने दिजिये और आप मेरे कमरे में सो जाइये।

मै - ठीक है बहु जैसा तुम्हे ठीक लगे।

सरोज - कमरा थोड़ा साफ़ करना पडेगा।। चीज़ें बिखरी पड़ी हैं बहुत दिन से हमलोगों ने साफ़ नहीं किया। मैंने बर्तन धूल लिए हैं आप अगर मेरी थोड़ी सी मदद कर दें तो मैं जल्दी से कमरा साफ़ कर दूँगी।

मै - (बहु के खुली चिकनी कमर को देखते हुए।) हाँ बहु क्यों नही।।

किचेन से निकल कर मैं और बहु मेरे कमरे में जाते हैं और बिखरे पड़े सामान को ठीक करने लगते है।।

सरोज - बाबूजी।। यहाँ रखे पुराने सामान को मैं ऊपर वुडेन कवर में रख देति हूं, बहुत सारा स्पेस हो जायेगा कमरे में।

मै - हाँ बहु रुको मैं कोई चेयर लगता हूं, जिसपे तुम चढ़ के सामान रख सको।

सरोज - अच्छा बाबूजी।।

मैन डाइनिंग हॉल से एक प्लास्टिक के चेयर लाया और कमरे में बेड के पास लगा दिया।

मैन - बहु तुम इस चेयर पे चढ़ जाओ और बॉक्स ऊपर रख दो।। और संभल के चढ़ना बेटी।।

सरोज - जी बाबूजी।

बहु ने एक बार फिर अपनी साड़ी के पल्लू को अपनी कमर में बांधे और अपनी पूरी तरह से खुली नवेल को बेशरमी से दिखाती हुई चेयर पे चढ़ गई।

[Image: 12028095_010_2c80.jpg]

सरोज - बाबूजी।। मुझे होल्ड करिये मैं गिर जॉंउगी, मैं कोशिश करती हूँ बॉक्स को ऊपर ड़ालने की।।

मै बहु के बिलकुल सामने था, उसकी नवेल मेरे फेस के पास थी। मैंने अपने दोनों हाथों से बहु के बड़ी सी हिप्स को घेर लिया, और अपनी हथेली से बहु के नर्म मुलायम गांड को साड़ी के ऊपर से दबा दिया।

बहु - आह बाबूजी।। थोड़ा ऊपर को पुश कीजिये मेरे हाथ लगभग पहुच गया है।

मैने बहु के बड़ी गांड को कस्स के दबाते हुवे ऊपर उठा दिया और अपना फेस बहु के डीप सॉफ्ट नवेल(नाभि) में चिपका लिया।। मेरे गाल और होठ बहु के नवेल से टच हो रहे थे।। मैंने बहाने से अपने होठ बहु के नवेल पे रगड दिए।

अभि २ मिनट हे हुए थे की तभी, पावर कट हो गया।। शाम हो चुकी थे और इस वजह से कमरे में अँधेरा छा गया।

सरोज - हो गया बाबूजी, अब मुझे धीरे से नीचे उतारिये प्लीज।। मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रह था।।

मै - ठीक है बहु।। (कहते हुए मैंने हाथ के घेरे को ढीला किया और बहु को नीचे आने दिया।। )

अंधेरे में मैं अपने हाथ धीरे-धीरे बहु के गांड से होती हुये उसकी नंगी कमर को महसूस कर पा रहा था। सामने के तरफ मेरे फेस उसकी नवेल से होता हुआ अब उसके बूब्स के काफी क़रीब आ चूका था। नीचे आते वक़्त बहु के घुटने (कनी) से मेरा लोअर और अंडरवियर नीचे की तरफ खिच गया और मेरा खड़ा लंड पूरी तरह से बाहर निकल गया।

एससे पहले की मैं संभल पाता बहु चेयर से उतारते ही अपना बैलेंस खो बैठी और जमीन पे झुकते ही उसके नर्म होठ मेरे लंड से कस के रगड खा गई।

मैने अँधेरे में उसके गीले होठ को साफ़ अपने लंड पे महसूस किया।।। मैंने बिना कोई मौका गवाये अँधेरे का फ़ायदा उठाते हुये जानबूझ कर बैलेंस खोने का नाटक किया और एक हाथ से लंड का स्किन नीचे खोल बहु के मुह में डाल दिया। बहु की गरम साँस और मुह के अंदर के लार (सैल्विया) का स्पर्श पा कर मेरे लंड से थोड़ा सा पानी निकल गया।।।
[Image: 51239218_077_4545.jpg]


सरोज - बाबुजी।।। (कहते हुए अपने हाथ मेरी टाँगो पे रख दिया और लंड को अपने मुह में और अंदर जाने से रोक लिया)

मै - ओह बहु।।।सॉरी (कहते हुए अपने लंड को बहु के मुह से निकाल लिया।।)

लेकिन इतना सब होने के बाद मेरे अंदर इतना कण्ट्रोल नहीं था की मैं रुक पाता।। लंड बहु के मुह से बाहर  आते ही फच-फच के आवाज के साथ ढेर सारा पानी मेरे लंड से निकल गया। मेरे लंड का पानी बहु के चेहरे, गर्दन और शायद बूब्स पे पड़े और बाकी फर्श पर।। बहु का चेहरा मेरे लंड के पानी से भीग गया था।।
[Image: 74578686_160_ec2f.jpg]
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#15
मैने अपने लंड को अंदर अपने लोअर में छिपा लिया।

थोडी देर के लिए कमरे में सन्नाटा था हमदोनो में से किसी ने कुछ नहीं कहा। बहु ने अपने आँचल से अपना चेहरा साफ़ किया और उठ के खड़ी हो गई। मैं भी बहु से बिना नज़रें मिलाये बिस्तर के तरफ बढ़ गया। बहु ने अँधेरे में फर्श पे गिरी मेरे मुठ को देखने की कोशिश की और फिर बगल के कमरे से एक कपडा लाकर फर्श पोंछने लगी। मैं वहीँ खड़ा बहु को देखता रहा। बहु ने चुप्पी तोड़ने के लिए मुझसे रिक्वेस्ट की।।

सरोज - बाबूजी।। ये चेयर हॉल में रख दिजिये न प्लीज

मै - अच्छा बहु।।

मैने चेयर वापस हॉल में रख दिया।। (मैंने थोड़ी राहत की साँस लिया, जो कुछ भी हुआ उसके रिएक्शन से साफ़ नज़र आ रहा था की बहु को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ा और अब वो नार्मल हो चुकी थी।
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#16
लग रहा है की कहानी किसी को पसंद नहीं आ रही।कोई कमेंट नहीं आ रहा है।
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#17
रात को मैं, बहु और शमशेर डिनर करने के बाद बिस्तर पे बैठे बातें कर रहे थे।।।

शमशेर - लगता है आज सारी रात पावर नहीं आएगी, बहु को कैंडल के रौशनी में डिनर बनाने में काफी तकलीफ हुई होगी न?

सरोज - नहीं अंकल मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं हुई, इस मोहल्ले में शम को लाइट जाना तो आम बात है।

मै - हाँ शमशीर, हमारे घर का पावर बैकअप भी ख़राब पड़ा है कल मैं उसे बाजार में ठीक कराने की कोशिश करता हूं, देखो अब तो सारे कैंडल भी ख़तम हो जाएंगे। बहु और कैंडल हैं?

सरोज - नहीं बाबूजी।। और कैंडल नहीं है।

शमशेर - (मुझे आँखों से इशारा करते हुए।। ) शायद बहु बहुत ज़्यादा कैंडल यूज करती है।। (शमशेर जानबूझ कर डबल मीनिंग में बातें की)

सरोज - हाँ अंकल मैं तो बहुत सारे कैंडल यूज करती हू।।। कैंडल भी पतले हैं तो ज्यादा देर तक नहीं चलते।। मोटा होता तो अच्छा होता

मैन - बहु तुम्हे मोटा कैंडल चाहिए तो मैं ला दूंगा।

शमशेर - मेरा कैंडल बहुत मोटा है बहु तुम्हे चाहिए तो मैं दे दूंगा।। मेरा मतलब मुझे घर से लाना होगा।।

शमशेर - वैसे बहु तुम कैंडल के अलावा और क्या-क्या  यूज करती हो? (शमशेर फिर से गन्दी टॉक करते हुए।।)

सरोज - अंकल जी में।। ज्यादा तो कैंडल ही यूज करती हूँ कभी कभी किचन में अपना मोबाइल भी यूज कर लेती हूं।। उसमे टोर्च है न।।

शमशेर - बहु।।। तुम बाबूजी का मोबाइल क्यों नहीं यूज करती।।? वो बड़ा भी है और उसकी रौशनी भी ज्यादा है।

शमशेर - वैसे बहु तुम्हे मोबाइल से ज्यादा मजा आता है या कैंडल से?? मेरा मतलब आसान क्या है?

शमशेर इस बार काफी खुल के डबल मीनिंग क्वेश्चन किया, और मुझे लगा शायद बहु को भी समझ आने लगा की क्या ये डबल मीनिंग बातें हो रही है।। लेकिन फिर भी बहु शायद जानबूझ कर बोली।।

सरोज - अंकल जी।। मुझे तो कैंडल यूज करने में ज्यादा मजा आता है।।

[Image: 83238285_066_a091.jpg]

बहु के मुँह से ऐसी बात सुन कर मेरा लंड खड़ा हो चूका था।। मैंने भी अपनी तरह से डबल मीनिंग जोड़ने के कोशिश की।।

मै - बहु क्या तुम रात में भी कैंडल उसे करती हो।।।?

सरोज - हाँ बाबूजी मैं रात में मोटा कैंडल यूज करती हूँ ताकि देर तक चले।। वरना मुझे अँधेरे में डर लगता है।

मै - कोई बात नहीं बहु आज तो मैं तुम्हारे साथ ही सोउंगा तो आज तुम्हे किसी मोटे कैंडल की जरुरत नहीं पडेगी।।

कुछ देर बात करने के बाद शमशेर सोने चला गया। मैं और बहु बैडरूम में आ गये।। बैडरूम में आने के साथ ही बहु ने मेरी तरफ प्यासी नज़रों से देखते हुए एक मादक अंगडाई ली। मैंने अपनी नज़र बहु के चेहरे से हटा कर उसके बड़े बूब्स को देखने लगा, उसकी अंगडाई देख कर ऐसा लगता था मानो बहु के दोनों चूचियां ब्लाउज का बटन तोड़ के बाहर आ जाएंगी। बहु ने अपना पल्लू निचे गिरा दिया और बोली।।

सरोज - बाबूजी आज कितनी गर्मी है कमरे में।।

मै बहु के नाभि देखने लगा, पल्लू उतरने से उसकी पेट पूरी नंगी हो चुकी थी और उसके गोरे पेट् और कमर अन्धेर में भी चमक रहे थे। मैंने भी अपनी टीशर्ट उतारते हुए कहा।।

मै - हाँ बहु बहुत गर्मी है।। ( बहु के नंगी पेट देखकर लोअर में मेरा लंड खड़ा था।।)

सरोज - पता नहीं कब लाइट आएगी।। (बहु ने अपने ब्लाउज के ३ बटन खोल दिए )

मै - (मैं बहु की क्लीवेज को देखता रहा।।उसकी चूचियां ब्रा के अंदर से बाहर निकल आयीं थी।।) बहु।। तुम साड़ी में बहुत अच्छी लगती हो।।

सरोज - सच बाबूजी।। क्या अच्छा लगता है?
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#18
मै - सबकुछ बहु।। तुम्हारी पसंद के कलर, तुम्हारी साड़ी पहनने का स्टाईल।। तुम्हारी साड़ी में बॉडी सबकुछ अच्छा लगता है

सरोज - साड़ी पहनने के स्टाइल? कौन सी स्टाइल?

मै - वही बहु जो तुम साड़ी को नवेल के नीचे बाँधती हो और टाइट भी

सरोज - हाँ बाबू जी मुझे साड़ी नवेल के नीचे पहनना अच्छा लगता है।। मनीष भी मुझे हमेशा नवेल दिखाने को कहते है

मै - बहु तुम्हारी नवेल बहुत ही अच्छी दिखती है।। ऐसे नवेल तो किसी एक्ट्रेस की भी नहीं है बहु।

सरोज - (अपनी साड़ी को नवेल के और नीचे करते हुये।। ) बाबूजी।। ऐसा क्या है मेरी नवेल में ?

मै - (बहु के पास जा कर अपने दोनों हाथों से उसकी नंगी कमर को पकड़ते हुए।।) बहु तुम्हारी नवेल कितने डीप और बड़ी है।। मुझे हमेशा से ऐसी नवेल पसंद थे।। बहु जब तुम कॉलेज में होगी तब तुम्हारी नवेल के तो बहुत सारे दिवाने होंगे न?

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सरोज - (हँसते हुए।। ) होंगे बाबूजी मुझे नहीं मालूम।। अभी तो मुझे इतना पता है की मेरी नवेल को मेरे पति और ससुर दोनों बहुत पसंद करते है

बहु अब अपनी साड़ी और ब्लाउज उतार चुकी थी, वो मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी।

सरोज - बाबूजी मैं कपडे बदल लेती हूं।। आप भी चेंज कर लिजीये ( बहु ने अपने पेटीकोट की डोर खीचते हुए कहा।)

सरोज - ओह बाबूजी।। ये पेटीकोट खुल नहीं रहि।। लगता है गाँठ पड़ गई है।।

मै - (बेड पे बैठे हुए।।।) इधर आओ बहु मैं तुम्हारी पेटीकोट खोल देता हूँ।

सरोज - जी बाबूजी (मेरे क़रीब आ जाती है)
मैने कुछ देर कोशिश की।। 

मै - अरे बहु लगता है गाँठ पड़ गई है ये नहीं खुलेगी। तुम ऐसे ही सो जाओ।। सुबह खोल दूँगा

सरोज - नहीं बाबूजी मैं गर्मी से मर जाऊँगी।। आप प्लीज खोल दिजिये ना

मै - ठीक है बहु।। मैं अपने दांतो से कोशिश करता हू

बहु को अपने और पास खीच कर मैं बहु के पेटीकोट को अपने होठ और दाँत से खोलने लगा। ऐसा करते वक़्त मैं कई बार बहु के नाभि भी चाट लिया।


मै- खुल गई बहु।। ( मैंने बहु के पेटीकोट को मैंने नीचे गिरा दिया)

मै बहु के नंगी जाँघो को छूने लगा।। 


मै - बहु तुम सच ही कहती थी तुम्हारी जाँघो पे बिलकुल बाल नहीं है। (मैं बहु के थाइस पे हाथ फिराते हुए कहा) 

सरोज - हाँ बाबुजी।।। (बहु के आवाज़ थोड़ी बदली सी थी।। जैसे उसे कुछ हो रहा हो)

मै बहु के इनर थाइस को सहलाते हुए उसकी बुर(चूत) के काफी करीब ऊँगली लगा दिया।। मुझे वहां पे बहुत गिला सा लगा।। बहु शायद गरम थी।

मै - अरे बहु तुम्हे तो पसीना (स्वेटिंग) हो रहा है।।

सरोज - आआआहहह नहीं बाबूजी ये स्वेटिंग नहीं है।।

मै - फिर क्या है बहु?

सरोज - बाबूजी वो बस ऐसे ही, कुछ नहीं छोड़िये न।। (बहु मेरा हाथ हटा कर बिस्तर पे एक पतले चादर के अंदर लेट गई)

मुझे महसूस हुआ की शायद बहु गरम हो गई है और वो पसीना नहीं बहु के बुर का पानी था। मैं बहु के बगल में उसी चादर में केवल लोअर पहने लेट गया।

मै - बहु क्या तुम ऐसे भीगी पैन्टी पहन कर सोओगी ?? ऐसे तो तुम्हारे थाइस के बीच रशेस आ जाएंगे

सरोज - ओह।।। बाबूजी क्या भीगी पैन्टी पहनने से रशेस हो जाती है।।? 

मै - हाँ बहु।। और फिर स्किन डिजीज भी हो जाते है।। 

सरोज - क्या सच में बाबूजी।। एक बात कहूं पापा मुझे वहां २ दिन से इचिंग हो रही है।। मुझे लगा की मैंने हेयर रिमूव किया इसलिए हो रही है।

मै - नहीं बहु रशेस भी हो सकती है क्या तुम्हे २ दिन से लगातार ईचिंग हो रही है?

सरोज - हाँ बाबूजी
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#19
मै - बहु जब तुम्हे रशेस हो तो रात को सोते वक़्त सब उतार दिया करो। लड़कियों का बदन बहुत नाज़ुक होता है इसलिए रशेस होना बहुत कॉमन हो जाता है।

सरोज - मैं तो कपडे उतार के सोती हूं।। देखिये अभी भी मैंने बस ब्रा और पैन्टी ही पहनी है

मै - बहु मैं इनको भी उतारने को कह रहा हूं।। तुम्हे पूरी तरह से नंगी सोना चाहिए कुछ दिन। आज तो लाइट भी नहीं है, गर्मी भी बहुत है और तुमने भीगी पैन्टी पहनी है।। तुम उतार दो बहु

बहु मेरी बात सुन अपनी ब्रा उतार दी।। और अपनी पैन्टी हाथ में लेकर मुझे दीखाते हुए बोली।।


सरोज - ये लिजीये बाबू जी मैंने अपनी पैन्टी उतार दिया।।

बहु के पैन्टी हाथ में देख मैं पूरी तरह से एक्साइटेड हो गया। मैं अपनी लोअर और अंडरवियर खोल बिस्तर के नीचे गिरा दिया और एक हाथ से लंड को पकड़ सहलाने लगा।

मैने बहु के हाथ से पैन्टी ले ली और उसके गिली पैन्टी को सूँघने (स्मेल) लगा।

सरोज - ये क्या कर रहे हैं बाबूजी?

मै - बहु तुम्हारी पैन्टी से कुछ अजीब सी स्मेल आ रही है।। 

सरोज - ओह बाबूजी फेंकिये न ।।। (बहु ने अपनी पैन्टी मेरे हाथ से लेकर नीचे फेंक दिया और शीट के अंदर अपना चेहरा ढक लीया)

सरोज - बाबू जी।।। ये शीट के अंदर कैसी स्मेल है?

मुझे रिलीज़ हुआ की मैंने लंड सहलाते-सहलाते अपने लंड का स्किन नीचे खोल दिया था और मेरे लंड की स्मेल फैल् गई थी।

मै - बहु वो मुझे गर्मी लग रही थी तो मैंने अपनी लोअर और अंडरवियर उतार दी है।।

सरोज - ओह्ह बाबूजी आपको भी ज्यादा गर्मी लग रही है? ठीक किया आपने न जाने कबतक लाइट आएगी।। लेकिन ये स्मेल क्यों है?

मै- वो बहु।।।।। जैसे तुम्हारे पैन्टी से स्मेल आ रही थी न। वैसे ही जब मैंने अपनी अंडरवियर उतार दी तो आ रही है।। ये देखो ठीक वैसी ही स्मेल मेरे हाथ से भी आ रही होगी (मैंने अपना हाथ लंड से हटा कर बहु के तरफ बढ़ाया)

सरोज - (बहु मेरे हाथ को स्मेल करते हुए। ) हाँ बाबूजी।। ये तो वैसे ही स्मेल है।। लेकिन ये आपके हाथ से क्यों? इसका मतलब आप अपने हाथ से क्या कर रहे थे।।

मै - अरे बहु वो मैंने जो अंडरवियर उतारा तो साथ में वूऊ।।।आआ।।। मेरा मतलब।।। ओ।।।। स्किन खुल गया और फिर हाथ लगाने से स्मेल मेरे हाथ में भी आ गई।

सरोज - ओह बाबूजी।। आपको दर्द तो नहीं हुआ।।??

मै - नहीं बहु।।

मै - बहु एक बात पूछूँ?

सरोज - हाँ बाबूजी पूछिये

मै - तुम्हारी पैंटी गिली क्यों थी।। ? और तुम्हारी पेंटी में स्मेल कैसी थी? 

सरोज - (शर्माते हुए।) ओह प प।। वो ऐसा ही होता है।। वहां नीचे स्मेल तो होती है न जैसे आपकी है।। तो पेंटी में भी वही स्मेल थी।।

मै - (बहु का जवाब सुनकर मैं तेज़ी से लंड हिलाने लगा, और भारी सां लेते हुए फिर से पूछा) क्या तुम नीचे अभी भी गिली हो।।??

सरोज - (शर्माते हुए ) जी बाबूजी।। 

मै - क्या तुम्हारे नीचे ज्यादा पानी आ रहा है या कम?

सरोज - जी बाबूजी ज्यादा आ रहा है।।

मै - ओह्ह्ह बहु।। अपना एक हाथ नीचे ले जाओ और अंदर से पानी पोंछ लो

सरोज - क्यों बाबूजी?

मै - बहुउउउउउउउउ जैसा मैं कह रहा हूँ करो।।

सरोज - ठीक है बाबूजी।। (बहु ने अपना हाथ अपने बुर पे ले गई और २ उँगलियों से पानी को साफ़ कर अपना हाथ बाहर ले आयी) 

मैने पहले बहु का हाथ पकड़ क़रीब से स्मेल किया और फिर उसकी बुर के पानी से चिपचिपे ऊँगली को मुह में ले चाटने लगा।।

सरोज - आआह बाबूजी ये क्या कर रहे हैं??

मै- बहु।। मैं सोच रहा था की जब इसकि स्मेल इतनी अच्छी है तो इसे चाटने में कितना मजा आयेगा।।

सरोज - बाबूजी।। ये आप क्या कह रहे है।। आपने मेरे वहां के पानी को चाटा।। ओहः

मै - हाँ बहु तुम्हारे बुर का पानी चाटने में बहुत मजा आ रहा है बहु।।
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#20
NICE update
VIsit my story  

Main ek sex doll bani..https://xossipy.com/thread-2030.html

 uncle ne banai meri movie(bdsm).. https://xossipy.com/thread-40694.html
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