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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
हम दोनों टेबल पे आ गये और पिज़्ज़ा खाने लगे। एस-के मुझे अपने हाथों से पिज़्ज़ा खिला रहे थे तो मैंने एक पिज़्ज़ा का पीस अपने मुँह में रखा और एस-के को खिलाया और उसके साथ ही किस भी हो गया। इसी तरह से हम एक दूसरे को एक दूसरे के मुँह से खिलाते रहे और एक-एक पीस के साथ किसिंग भी चलती रही। दिल कर रहा था कि एस-के और मैं तमाम ज़िंदगी एक दूसरे के साथ ही रहें और ऐसे ही एक दूसरे को प्यार करते रहें। ये ऐसी दिल थी जो पूरी नहीं हो सकती थी, ये मुझे भी मालूम था और एस-के को भी। पिज़्ज़ा खतम हो गया और हम थोड़ी देर ऐसे ही मस्ती करते रहे।

डिनर खतम होने तक तकरीबन नौ बज गये थे। थोड़ी देर के बाद एस-के ने व्हिस्की के दो पैग बनाये और हम दोनों सोफ़े पे बैठ के व्हिस्की पीने लगे। व्हिस्की पीते-पीते एस-के ने मेरी कमीज़ के स्ट्रैप मेरे कंधों से नीचे खिसका दिये और मेरी चूचियों से खेलने और दबाने लगा। पिछली रात की चुदाई के बाद और व्हिस्की के सुरूर से अब मैं भी बोल्ड हो गयी थी और मैंने अपना हाथ एस-के के लंड पे रखा तो उसका लंड फौरन उसकी पैंट के अंदर खड़ा हो गया। मैंने सोचा कि इतना बड़ा और मोटा लंड पैंट के और अंडरवीयर के अंदर अकड़ेगा तो एस-के को तकलीफ होगी। इसलिये मैं सोफ़े से उठ गयी और अंदर कमरे में जा कर अशफाक की एक लुँगी ले आयी और एस-के को दे दी। चलते वक्त मुझे महसूस हुआ कि मुझ पर व्हिस्की का नशा हावी होने लगा था क्योंकि मेरे कदम उन हाई-हील सैंडलों में थोड़े से लड़खड़ा रहे थे। एस-के सोफ़े से उठ कर खड़ा हुआ और अपनी शर्ट और बनियान निकाल दी और बोला, किरन ज़रा पैंट निकाल दो तो मैंने पैंट की बेल्ट खोली और ऊपर से हुक खोल कर ज़िप को नीचे करके पैंट उतार दी। अब लंड अंडरवीयर के अंदर तंबू बनाये हुए था। मैंने थोड़ा सा आगे को झुक कर अंडरवीयर के दोनों तरफ़ से दो हाथ डाल कर जैसे ही अंडरवीयर नीचे किया तो मैं एक दम से उछल पड़ी। लंबा, मोटा रॉकेट जैसा लंड उछल कर मेरे मुँह के सामने लहराने लगा तो मैंने मस्ती में उसको अपने हाथ से पकड़ लिया और लंड के सुपाड़े का एक ज़बरदस्त चुंबन ले लिया और थोड़ा सा चूस लिया। एस-के ने अभी मेरे मुँह में लंड घुसाना सही नहीं समझा क्योंकि अभी-अभी हम ने खाना खाया था और मैं व्हिस्की के तीन पैग पी चुकी थी। उसने सोचा होगा कि कहीं उलटी ना हो जाये और खाना बाहर निकल ना जाये। एस-के ने लुँगी लपेट ली। फिर एस-के ने कहा कि अरे इसकी क्या ज़रूरत है और अपनी लूँगी निकाल दी और बिना शर्ट और बिना लुँगी के मेरे पास नंगा ही सोफ़े पे बैठ गया। मैं अपने लिये चौथा पैग डालने लगी तो एस-के ने मुझे रोक दिया। एस-के ने मेरे भी सारे कपड़े भी उतार दिये और अब मैं भी सिर्फ सैंडल पहने, नंगी ही उसके साथ सोफ़े पे बैठी थी और हम एक दूसरे के जिस्म से खेलने लगे। मैं उसका लंड दबाती और मसलती रही। वो मेरी चूचियों को मसलता और निप्पलों को काटता रहा और चूत का मसाज भी करता रहा।
 
हम तकरीबन एक घंटे तक ऐसे ही सोफ़े पे बैठे रहे। मेरा जिस्म जोश में गरम हो गया था और नशे में मुझे काफी हल्का और मदहोश महसूस हो रहा था। एस-के ने कहा कि किरन तुम्हारा जिस्म इतना गरम क्यों हो गया, तुम्हें इतनी व्हिस्की नहीं पीनी चाहिये थी क्योंकि तुम्हें आदत नहीं है। मैंने हँस के कहा कि नहीं एस-के, ये मेरे जिस्म का टेम्परेचर ज्यादा व्हिस्की पीने की वजह से नहीं है, ये तो मेरी चूत का टेम्परेचर है जो जिस्म पे महसूस हो रहा है। एस-के ने हँस के कहा कि लगाता है तुम्हारी चूत की गर्मी को निकालना पड़ेगा, बोलो तैयार हो?” तो मैंने हँस कर कहा कि कल रात तुम जबसे गये हो, मैं तो तब ही से तैयार हूँ, जैसे तुम चाहो, निकाल दो इस चूत की सारी गर्मी को। एस-के ने कहा ठीक है अभी मैं चूत को ठंडा करने का इंतज़ाम करता हूँ और फ्रिज से चॉकलेट आईस क्रीम निकाल के ले आया।
 
मैं उतनी देर में सोफ़े के सामने पड़ी हुई सेंटर टेबल पर से व्हिस्की की बोटल और ग्लास उठा के ले गयी। अब तो मेरे कदम ज़ाहिराना तौर से लड़खड़ा रहे थे पर मैं तो अपनी ही मस्ती में मदहोश थी। हमारी सेंटर टेबल सोफ़ा सेट के बीच में पड़ी है जो रेक्ट-‍एंगल शेप की है और अच्छी खासी बड़ी है, जिसपर एक आदमी अपनी टाँगें नीचे लटका कर आराम से लेट सकता है। टेबल बहुत ऊँची भी नहीं है और बिल्कुल नीची भी नहीं। मतलब के ऐसी हाईट की है कि कोई टेबल पे लेटा हो तो उसको बहुत मस्त तरीके से चोदा जा सकता है। हाँ तो एस-के ने मेरे सारे कपड़े तो पहले ही उतार दिये थे और मैं सिर्फ सैंडल पहने हुए थी। एस-के ने मुझे सेंटर टेबल पे लिटा दिया। मैं घुटने मोड़कर टाँगें नीचे छोड़ कर टेबल पे लेट गयी और मेरे पैर साढ़े-चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने से आसानी से फ़्लोर पे लग गये। एस-के खुद टेबल के साईड में खड़ा हो कर मेरे जिस्म पे ठंडी ठंडी चॉकलेट आईस ख्रीम डालने लगा। ठंडी आईस क्रीम जिस्म पर लगते ही सारे जिस्म में एक करंट सा दौड़ गया और मज़ा आने लगा। एस-के ने सारी क्रीम मेरे जिस्म पे डाल दी और मेरे जिस्म पे मलने लगा। चूत पे कुछ ज़्यादा ही क्रीम डाली। गरम चूत पे ठंडी क्रीम बहुत अच्छी लग रही थी और गरम चूत पे ठंडी आईस क्रीम पड़ते ही चूत की गर्मी से पिघलने लगी।
 
चूचियों पे आईस क्रीम डाल कर वो मसलता और दबाता रहा। मेरा तो आने वाली चुदाई का सोच के ही चूत में से जूस निकलने लगा। जब सारे जिस्म पे क्रीम फैला दी तो अब एस-के मेरे जिस्म को चाटने लगा। कुछ क्रीम मेरे मुँह पे भी लगा दी थी। पहले तो किस किया जिससे क्रीम हम दोनों के मुँह में भी गयी और मज़ा आने लगा। अब एस-के मेरे जिस्म को चाट रहा था। छूचियों को दोनों हाथों से पकड़ के मसल भी रहा था और चूस भी रहा था और आईस क्रीम के मज़े भी ले रहा था। एस-के मेरी दोनों टाँगों के बीच में खड़ा हुआ तो मेरी टाँगें खुद-ब-खुद उसके जिस्म के ऊपर कैंची बन गयीं और उसके जिस्म को अपनी टाँगों से पकड़ लिया। ऐसी पोज़िशन में उसके तने हुए लहराते लंड को देख कर मेरी चूत के मुँह में पानी आ गया। एस-के मेरी चूचियों को चूसता रहा और फिर मेरे नेवल के आसपस क्रीम डाल कर चाटता रहा। मेरा तो मस्ती के मारे बुरा हाल हो गया था। मेरी साँसें गहरी हो गयी थीं। अब एस-के नीचे फ़्लोर पे बैठ गया और मेरी टाँगों और पैरों और सैंडलों से क्रीम चाटने लगा। फिर जब वो चूत पे से क्रीम चाटने लगा तो मैंने अपने पैर उसकी गर्दन पे डाल कर अपनी चूत में उसका मुँह खींच लिया और उसका सर पकड़ के चूत के ऊपर दबा दिया और उसके मुँह से अपनी चूत को रगड़ने लगी।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 17-12-2025, 09:43 PM



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