17-12-2025, 09:09 PM
मैं एक दम से नंगी हो चुकी थी और वो भी। चार इंच ऊँची हील के सैंडल पहने होने के बाद भी मेरी हाईट एस-के की हाईट से काफी कम थी और जब उसने मुझे खींच के अपने जिस्म से लिपटा लिया तो उसका लंड मेरे पेट में घुसता हुआ महसूस होने लगा। वो लोहे की तरह से सख्त था और मेरे पेट में ज़ोर से चुभ रहा था और मेरी चूचियाँ हम दोनों के जिस्म के बीच में चिपक गयी थीं। उसका नंगा जिस्म मेरी चूचियों को टच होते ही मेरे निप्पल खड़े हो गये। इसी तरह से वो मुझसे लिपटा रहा। मैं भी ज़ोर से उसको पकड़े रही और अपनी ग्रिप टाइट कर ली। मेरी चूत का हाल तो मत पूछो। उस में से जूस ऐसे निकल रहा था जैसे कोई नल खुला हो और उस में से पानी निकल-निकल के बह रहा हो। उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने लंड से लगाया तो मेरे जिस्म में झुरझुरी सी आ गयी। पहले तो मैंने डर के मारे अपना हाथ हटा लिया पर एस-के ने फिर से मेरा हाथ अपने लंड पे रखा तो मैं उसको धीरे से दबाने लगी और दिल में सोचने लगी कि आज मेरी छोटी सी चूत की खैर नहीं। आज तो ज़रूर मेरी चूत फटने वाली है। एस-के के हाथ मेरे जिस्म पे फिसल रहे थे, कभी चूचियों पर तो कभी गाँड पर, और जब उसका हाथ मेरी चिकनी चूत पे लगा तो मैं बहुत ज़ोर से काँपने लगी और साथ में ही झड़ने लगी तो एस-के बोला, “वॉव किरन, तुम्हारी चूत तो मक्खन जैसी चिकनी और समंदर जैसी गीली है..... मज़ा आयेगा इसे चोदने में।“ और जब उसने अपनी मोटी उंगली मेरी छोटी सी चूत के अंदर डाली तो मानो ऐसे महसूस हुआ कि कोई छोटा सा लंड ही घुस गया हो। वो मेरा जूस उंगली में लेकर चूसने लगा और बोला, “वाह तुम्हारी मीठी चूत का जूस भी बहुत मीठा है”, और फिर से मेरी चूत में अपनी उंगली डाल के मेरी चूत का जूस निकाल के मेरे मुँह में दे दिया और कहा कि “तुम भी टेस्ट करो कि तुम्हारी चूत का जूस कितना मीठा है।“ मैंने अपनी चूत का जूस चाट तो लिया पर मस्ती में मेरी कुछ समझ में नहीं आया कि टेस्ट कैसा है।
कंप्यूटर की टेबल काफी बड़ी थी। कंप्यूटर रखने के बाद भी काफी जगह रहती थी तो एस-के ने मुझे मेरे बगल से पकड़ कर उठा लिया और मुझे टेबल पे बिठा दिया और वो नीचे खड़े-खड़े मेरी चूचियों को दोनों हाथों से मसलने लगा और एक के बाद दूसरी चूँची को चूसने लगा और निप्पलों को काटने लगा। मैं बहुत ही मस्त और गरम हो गयी और उसके अकड़े हुए लंबे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। मैं उसके लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए थी लेकिन उसका लंड फिर भी मेरे दोनों हाथों के थोड़ा सा बाहर निकल रहा था और मैं उसके लंड को अपने पूरे हाथ में पकड़ नहीं पा रही थी। कितना मोटा और बड़ा था उसका लंड जो मेरे हाथ में नहीं आ रहा था। मैं उसके लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी। वो मेरे सामने खड़ा था और उसका लंड मेरे जाँघों पे लग रहा था। मैं खुद थोड़ा सा टेबल पे सामने को खिसक गयी और टेबल के किनारे पे आ गयी तो उसका लंड अब मेरी चूत पे लगने लगा जिसमें से निकलता हुआ प्री-कम मेरी चूत के अंदरूनी हिस्से को चिकना कर रहा था। मैंने अपनी टाँगें थोड़ी और खोल लीं और उसके बैक पे क्रॉस कर लीं और उसे अपनी तरफ़ खींचने लगी। उसके लंड के सुपाड़े को अपनी चूत के लिप्स के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया और इतना एक्साइटमेंट था कि उसके प्री-कम से चिकने लंड का सुपाड़ा चूत के अंदर लगने से मैं जल्दी ही झड़ने लगी। इतना बड़ा तगड़ा लंड देख के डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
वो कभी मेरी चूचियों को मसलता तो कभी मेरी गाँड को दबाता। मेरा तो मस्ती के मारे बुरा हाल था। उसने चेयर को टेबल के करीब खींच लिया और उसपे बैठ गया और मेरी टाँगों और जाँघों पे अपने होंठ रख दिये। मैं टेबल के पूरे किनारे पे आ गयी और अपने हाथों से उसका सर पकड़ के अपनी चूत पे दबा दिया और अपनी टाँगें उसके कंधों पे रख के उसको अपनी तरफ़ खींचने लगी। उसका मुँह मेरी चूत पे लगते ही मैं फिर से झड़ने लगी। मैं आज बहुत मस्ती मैं थी, एक तो ये कि आज से पहले कभी इतना बड़ा और इतना मस्त लंबा-मोटा और लोहे जैसा सख्त लंड देखा भी नहीं था और दूसरे ये कि अशफाक तो बस आग लगाना ही जानता था, आग बुझाना नहीं। आज मुझे पक्का यकीन था के मेरी इतने महीनों से जलती चूत में लगी आग आज इस तगड़े लंड से बुझ जायेगी। मेरे हाथ उसके सर को पकड़े हुए थे और मैं उसके सर को चूत के जितना करीब हो सकता था, दबा लेना चाहती थी। वो चाटता रहा और उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर बहुत मज़ा दे रही थी। कभी-कभी तो पूरी चूत को अपने दाँतों से पकड़ के काट लेता तो मेरी सिसकरी निकल जाती। मेरी आँखें बंद थी। “ओओओओओहहहह”, बेइंतेहा मज़ा आ रहा था। चूत बेहद गीली हो चुकी थी और जूस लगातार निकल रहा था। पता नहीं कितने टाईम मैं झड़ गयी और एस-के सारा जूस पीता रहा।
कंप्यूटर की टेबल काफी बड़ी थी। कंप्यूटर रखने के बाद भी काफी जगह रहती थी तो एस-के ने मुझे मेरे बगल से पकड़ कर उठा लिया और मुझे टेबल पे बिठा दिया और वो नीचे खड़े-खड़े मेरी चूचियों को दोनों हाथों से मसलने लगा और एक के बाद दूसरी चूँची को चूसने लगा और निप्पलों को काटने लगा। मैं बहुत ही मस्त और गरम हो गयी और उसके अकड़े हुए लंबे लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया। मैं उसके लंड को अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए थी लेकिन उसका लंड फिर भी मेरे दोनों हाथों के थोड़ा सा बाहर निकल रहा था और मैं उसके लंड को अपने पूरे हाथ में पकड़ नहीं पा रही थी। कितना मोटा और बड़ा था उसका लंड जो मेरे हाथ में नहीं आ रहा था। मैं उसके लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर आगे पीछे करने लगी। वो मेरे सामने खड़ा था और उसका लंड मेरे जाँघों पे लग रहा था। मैं खुद थोड़ा सा टेबल पे सामने को खिसक गयी और टेबल के किनारे पे आ गयी तो उसका लंड अब मेरी चूत पे लगने लगा जिसमें से निकलता हुआ प्री-कम मेरी चूत के अंदरूनी हिस्से को चिकना कर रहा था। मैंने अपनी टाँगें थोड़ी और खोल लीं और उसके बैक पे क्रॉस कर लीं और उसे अपनी तरफ़ खींचने लगी। उसके लंड के सुपाड़े को अपनी चूत के लिप्स के अंदर रगड़ना शुरू कर दिया और इतना एक्साइटमेंट था कि उसके प्री-कम से चिकने लंड का सुपाड़ा चूत के अंदर लगने से मैं जल्दी ही झड़ने लगी। इतना बड़ा तगड़ा लंड देख के डर भी लग रहा था और मज़ा भी आ रहा था।
वो कभी मेरी चूचियों को मसलता तो कभी मेरी गाँड को दबाता। मेरा तो मस्ती के मारे बुरा हाल था। उसने चेयर को टेबल के करीब खींच लिया और उसपे बैठ गया और मेरी टाँगों और जाँघों पे अपने होंठ रख दिये। मैं टेबल के पूरे किनारे पे आ गयी और अपने हाथों से उसका सर पकड़ के अपनी चूत पे दबा दिया और अपनी टाँगें उसके कंधों पे रख के उसको अपनी तरफ़ खींचने लगी। उसका मुँह मेरी चूत पे लगते ही मैं फिर से झड़ने लगी। मैं आज बहुत मस्ती मैं थी, एक तो ये कि आज से पहले कभी इतना बड़ा और इतना मस्त लंबा-मोटा और लोहे जैसा सख्त लंड देखा भी नहीं था और दूसरे ये कि अशफाक तो बस आग लगाना ही जानता था, आग बुझाना नहीं। आज मुझे पक्का यकीन था के मेरी इतने महीनों से जलती चूत में लगी आग आज इस तगड़े लंड से बुझ जायेगी। मेरे हाथ उसके सर को पकड़े हुए थे और मैं उसके सर को चूत के जितना करीब हो सकता था, दबा लेना चाहती थी। वो चाटता रहा और उसकी ज़ुबान मेरी चूत के अंदर बहुत मज़ा दे रही थी। कभी-कभी तो पूरी चूत को अपने दाँतों से पकड़ के काट लेता तो मेरी सिसकरी निकल जाती। मेरी आँखें बंद थी। “ओओओओओहहहह”, बेइंतेहा मज़ा आ रहा था। चूत बेहद गीली हो चुकी थी और जूस लगातार निकल रहा था। पता नहीं कितने टाईम मैं झड़ गयी और एस-के सारा जूस पीता रहा।


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