17-12-2025, 09:08 PM
उस दिन भी मैंने स्काई ब्लू कलर की स्लीवलेस कमीज़ और सफेद सलवार पहनी थी जो मेरे जिस्म पे बहुत अच्छी लग रही थी। मेरी कमीज़ का गला भी काफी लो-कट था और चूछियों का क्लीवेज काफी हद तक नुमाया हो रहा था। मेरे कंधे खुले हुए थे और एस-के के दोनों हाथ मेरे कंधों पे थे। उसके गरम हाथों के लम्स से मेरा सारा जिस्म जलने लगा और मेरी ज़ुबान लड़खड़ाने लगी। मैं कुछ बोलना चाहती थी और ज़ुबान से कुछ और निकल रहा था। मेरे सारे जिस्म में जैसे बिजली का करंट दौड़ रहा था और दिमाग में साँय साँय होने लगी थी।
एस-के के दोनों हाथ अब मेरे कंधों से स्लिप हो के मेरी चूचियों पे आ गये थे और मेरी आँखें बंद होने लगी थी। पहले कमीज़ के ऊपर से ही दबाता रहा और फिर बिना हुक खोले ऊपर से ही कमीज़ के अंदर हाथ डाल दिये। क्योंकि मैंने लो-कट कमीज़ के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी तो उसके हाथ डायरेक्ट मेरी चूचियों के ऊपर आ गये और वो उनको मसलने लगा। मेरी कुर्सी सेक्रेटरी चेयर टाइप कि थी जिस में नॉर्मल कुर्सी की तरह से बैक-रेस्ट नहीं था बल्कि पीठ की जगह पर एक छोटा सा रेस्ट था और कुर्सी के बैठने कि जगह से बैक-रेस्ट तक पतली सी प्लास्टिक की पट्टी लगी हुई थी जिससे मेरा पीछे से सारा जिस्म एक्सपोज़्ड था, सिर्फ मेरी पीठ का वो हिस्सा छोड़कर जहाँ बैक रेस्ट का छोटा सा कुशन था। एस-के मेरे और करीब आ गया तो उसकी पैंट में से उसके लंड का लम्स मुझे मेरे जिस्म पे महसूस होने लगा। मैं तो उसका हाथ चूचियों पे महसूस कर के पहले से ही गीली हो चुकी थी और जब लंड मेरे जिस्म से लगा तो मैं अपनी जाँघें एक दूसरे से रगड़ने लगी और एक ही मिनट में झड़ गयी और मेरे मुँह से एक लंबी सी “आआआआहहहहह” निकल गयी और मैं अपनी कुर्सी पे थोड़ा सा और आगे को खिसक गयी और मेरे पैर खुद-ब-खुद खुल गये। मेरी जाँघें और टाँगें मेरे चूत के रस से भीग गयीं और मेरी आँखें बंद हो गयीं और मैं रिलैक्स हो गयी। मेरी सलवार बिल्कुल भीग गयी और मुझे अपना रस टाँगों से बह कर अपने पैरों के तलवों और सैंडलों के बीच में चूता हुआ महसूस हुआ। इतना रस था कि ऐसा लग रहा थ जैसे मेरा पेशाब निकल गया हो। अब मुझे यकीन हो गया कि आज मेरे दिल कि मुराद पूरी होने वाली है।
एस-के मेरी चूचियों को मसल रहा था और मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि दिखावे की मुज़ाहमत भी नहीं कर सकी और मेरे हाथ उसके हाथ पे आ गये और मैं उसके हाथों को सहलाने लगी। उसने मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा और निप्पलों को पिंच करने लगा। मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि अपने ही हाथों से अपनी कमीज़ के हुक खोलने लगी। हुक खोल कर कमीज़ ढीली करते हुए ज़रा नीचे खिसका दी और अब वो मेरी चूचियों को अच्छी तरह से मसल रहा था और कह रहा था कि, “आअहह किरन! क्या मस्त चूचियाँ हैं, लगाता है अशफाक इन्हें दबाता नहीं है।“ मैं कुछ नहीं बोली और खामोश रही। वो मेरे पीछे से ही झुक कर मेरी गर्दन पे किस करने लगा और उसके लिप्स मेरे जिस्म पे लगते ही मेरे जिस्म में एक करंट सा दौड़ने लगा। फिर ऐसे ही किस करते-करते वो झुके हुए ही मेरी चूचियों को किस करने लगा तो मेरे हाथ बेसाखता उसकी गर्दन पे चले गये और मैं उसको अपनी तरफ़ खींचने लगी।
अब एस-के मेरे पीछे से हट कर मेरे सामने आ गया था। उसकी पैंट में से उसका लंड बाहर निकलने को बेताब था। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपने लंड पे रख दिया और सच मानो, मैं अपना हाथ वहाँ से हटा ही नहीं सकी और उसने मेरे हाथ को ऐसे दबाया जैसे मेरा हाथ उसके लंड को दबा रहा हो। उसने अपनी पैंट की ज़िप खोल दी और बोला कि, “किरन! इसे बाहर निकाल लो”, तो मैंने उसका अंडरवीयर नीचे को खींच दिया और उसका लंड बाहर निकाला तो वो एक दम से उछल के मेरे मुँह के सामने आ गया और मैं तो सच में डर ही गयी। इतना लंबा मोटा बिला-खतना लंड और उसका मशरूम जैसा चिकना सुपाड़ा चमक रहा था और जोश के मारे हिल रहा था। मेरे मुँह से निकल गया, “हाय अल्लाह!! ये क्या है एस-के? इतना बड़ा और मोटा..... ये तो किलर है.... ये तो जान ही ले लेगा!” तो वो हँसने लगा और बोला कि “आज से ये तुम्हारा ही है, जब चाहो ले लेना” और फिर उसने अपनी पैंट नीचे करके उतार दी।
उसका लंड इतना मोटा और लंबा वो भी बिला-खतना लंड देख कर मैं तो सच में घबरा गयी थी और मन में ही सोचने लगी कि ये तो मेरी चूत को फाड़ के गाँड में से बाहर निकल जायेगा। इतना मस्त लंड और उसका सुपाड़ा भी बहुत ही मोटा था, बिल्कुल हेलमेट की तरह से, जैसे कोई बहुत बड़ा चिकना मशरूम हो और लंड के सुपाड़े का सुराख भी बहुत बड़ा था। मैंने कभी इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा था। और पहली दफा बिला -खतना लंड देख रही थी| उसका लंड बहुत गरम था। हाथ में लेते ही मुझे लगा जैसे कोई गरम-गरम लोहे का पाइप पकड़ लिया हो। लगाता है वो झांटें शेव करता था। उसका लंड एक दम से चिकना था और बिना झाँटों वाला लंड बेहद दिलकश लग रहा था। उसने अपनी शर्ट भी उतार दी तो मैं उसके नंगे जिस्म को देखती ही रह गयी। सारे जिस्म पे हल्के-हल्के से नरम-नरम बाल जो बहुत सैक्सी लग रहे थे और मसक्यूलर बॉडी। उसने मुझे चेयर पे से उठाया और मेरे हाथ पीछे कर के मेरी कमीज़ को निकाल दिया और साथ में मेरी सलवार का नाड़ा उसने एक ही झटके में खोल दिया और मेरी टाँगों से चिपकी हुई भीगी सलवार एक-एक करके मेरी दोनों टाँगों और सैंडलों से नीचे खींचते हुए उतार दी।
एस-के के दोनों हाथ अब मेरे कंधों से स्लिप हो के मेरी चूचियों पे आ गये थे और मेरी आँखें बंद होने लगी थी। पहले कमीज़ के ऊपर से ही दबाता रहा और फिर बिना हुक खोले ऊपर से ही कमीज़ के अंदर हाथ डाल दिये। क्योंकि मैंने लो-कट कमीज़ के नीचे ब्रा नहीं पहनी थी तो उसके हाथ डायरेक्ट मेरी चूचियों के ऊपर आ गये और वो उनको मसलने लगा। मेरी कुर्सी सेक्रेटरी चेयर टाइप कि थी जिस में नॉर्मल कुर्सी की तरह से बैक-रेस्ट नहीं था बल्कि पीठ की जगह पर एक छोटा सा रेस्ट था और कुर्सी के बैठने कि जगह से बैक-रेस्ट तक पतली सी प्लास्टिक की पट्टी लगी हुई थी जिससे मेरा पीछे से सारा जिस्म एक्सपोज़्ड था, सिर्फ मेरी पीठ का वो हिस्सा छोड़कर जहाँ बैक रेस्ट का छोटा सा कुशन था। एस-के मेरे और करीब आ गया तो उसकी पैंट में से उसके लंड का लम्स मुझे मेरे जिस्म पे महसूस होने लगा। मैं तो उसका हाथ चूचियों पे महसूस कर के पहले से ही गीली हो चुकी थी और जब लंड मेरे जिस्म से लगा तो मैं अपनी जाँघें एक दूसरे से रगड़ने लगी और एक ही मिनट में झड़ गयी और मेरे मुँह से एक लंबी सी “आआआआहहहहह” निकल गयी और मैं अपनी कुर्सी पे थोड़ा सा और आगे को खिसक गयी और मेरे पैर खुद-ब-खुद खुल गये। मेरी जाँघें और टाँगें मेरे चूत के रस से भीग गयीं और मेरी आँखें बंद हो गयीं और मैं रिलैक्स हो गयी। मेरी सलवार बिल्कुल भीग गयी और मुझे अपना रस टाँगों से बह कर अपने पैरों के तलवों और सैंडलों के बीच में चूता हुआ महसूस हुआ। इतना रस था कि ऐसा लग रहा थ जैसे मेरा पेशाब निकल गया हो। अब मुझे यकीन हो गया कि आज मेरे दिल कि मुराद पूरी होने वाली है।
एस-के मेरी चूचियों को मसल रहा था और मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि दिखावे की मुज़ाहमत भी नहीं कर सकी और मेरे हाथ उसके हाथ पे आ गये और मैं उसके हाथों को सहलाने लगी। उसने मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और दबाने लगा और निप्पलों को पिंच करने लगा। मैं इतनी मस्त हो चुकी थी कि अपने ही हाथों से अपनी कमीज़ के हुक खोलने लगी। हुक खोल कर कमीज़ ढीली करते हुए ज़रा नीचे खिसका दी और अब वो मेरी चूचियों को अच्छी तरह से मसल रहा था और कह रहा था कि, “आअहह किरन! क्या मस्त चूचियाँ हैं, लगाता है अशफाक इन्हें दबाता नहीं है।“ मैं कुछ नहीं बोली और खामोश रही। वो मेरे पीछे से ही झुक कर मेरी गर्दन पे किस करने लगा और उसके लिप्स मेरे जिस्म पे लगते ही मेरे जिस्म में एक करंट सा दौड़ने लगा। फिर ऐसे ही किस करते-करते वो झुके हुए ही मेरी चूचियों को किस करने लगा तो मेरे हाथ बेसाखता उसकी गर्दन पे चले गये और मैं उसको अपनी तरफ़ खींचने लगी।
अब एस-के मेरे पीछे से हट कर मेरे सामने आ गया था। उसकी पैंट में से उसका लंड बाहर निकलने को बेताब था। उसने मेरा हाथ पकड़ा और मेरे हाथ को अपने लंड पे रख दिया और सच मानो, मैं अपना हाथ वहाँ से हटा ही नहीं सकी और उसने मेरे हाथ को ऐसे दबाया जैसे मेरा हाथ उसके लंड को दबा रहा हो। उसने अपनी पैंट की ज़िप खोल दी और बोला कि, “किरन! इसे बाहर निकाल लो”, तो मैंने उसका अंडरवीयर नीचे को खींच दिया और उसका लंड बाहर निकाला तो वो एक दम से उछल के मेरे मुँह के सामने आ गया और मैं तो सच में डर ही गयी। इतना लंबा मोटा बिला-खतना लंड और उसका मशरूम जैसा चिकना सुपाड़ा चमक रहा था और जोश के मारे हिल रहा था। मेरे मुँह से निकल गया, “हाय अल्लाह!! ये क्या है एस-के? इतना बड़ा और मोटा..... ये तो किलर है.... ये तो जान ही ले लेगा!” तो वो हँसने लगा और बोला कि “आज से ये तुम्हारा ही है, जब चाहो ले लेना” और फिर उसने अपनी पैंट नीचे करके उतार दी।
उसका लंड इतना मोटा और लंबा वो भी बिला-खतना लंड देख कर मैं तो सच में घबरा गयी थी और मन में ही सोचने लगी कि ये तो मेरी चूत को फाड़ के गाँड में से बाहर निकल जायेगा। इतना मस्त लंड और उसका सुपाड़ा भी बहुत ही मोटा था, बिल्कुल हेलमेट की तरह से, जैसे कोई बहुत बड़ा चिकना मशरूम हो और लंड के सुपाड़े का सुराख भी बहुत बड़ा था। मैंने कभी इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा था। और पहली दफा बिला -खतना लंड देख रही थी| उसका लंड बहुत गरम था। हाथ में लेते ही मुझे लगा जैसे कोई गरम-गरम लोहे का पाइप पकड़ लिया हो। लगाता है वो झांटें शेव करता था। उसका लंड एक दम से चिकना था और बिना झाँटों वाला लंड बेहद दिलकश लग रहा था। उसने अपनी शर्ट भी उतार दी तो मैं उसके नंगे जिस्म को देखती ही रह गयी। सारे जिस्म पे हल्के-हल्के से नरम-नरम बाल जो बहुत सैक्सी लग रहे थे और मसक्यूलर बॉडी। उसने मुझे चेयर पे से उठाया और मेरे हाथ पीछे कर के मेरी कमीज़ को निकाल दिया और साथ में मेरी सलवार का नाड़ा उसने एक ही झटके में खोल दिया और मेरी टाँगों से चिपकी हुई भीगी सलवार एक-एक करके मेरी दोनों टाँगों और सैंडलों से नीचे खींचते हुए उतार दी।


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