17-12-2025, 08:57 PM
(This post was last modified: 17-12-2025, 09:17 PM by rohitkapoor. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
दूसरे दिन मैं बेहद अच्छे से तैयार हो के एस-के के ऑफिस गयी। मैं साड़ी कुछ खास मौकों पर बहुत कम पहनती हूँ लेकिन उस दिन मैंने फिरोज़ी रंग की साड़ी इस तरह बांधी थी की मेरी पतली कमर और नाभी दिखायी दे और मेरा स्लीवलेस ब्लाऊज़ भी काफी लो-कट और लगभाग बैकलेस था। मैंने ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि मेरा ब्लाऊज़ किसी ब्रा से ज्यादा बड़ा नहीं था। साथ ही मैं चार इंच ऊँची हील के काले रंग के स्ट्रैपी सैंडल पहनना नहीं भूली क्योंकि एक तो इससे मेरी हाईट पौने छ: फुट के करीब हो गयी थी और दूसरा ये कि उँची हील के सैंडलों से मेरा फिगर और कयामत-खेज़ हो गया था क्योंकि मेरी छातियाँ बाहर को उघड़ रही थीं और चूतड़ भी और ज्यादा उभर आये थे और चाल में भी नज़ाकत आ गयी थी। मैंने अपने लंबे बाल खुले ही रखे थे।
ऑफिस अच्छा खासा बड़ा था और नीट और क्लीन था। सारे ऑफिस में कार्पेट बिछी हुई थी और एस-के का ऑफिस तो एक दम से शानदार था। एक बहुत बड़ी सेमी-सर्क्यूलर टेबल थी जिसके एक साईड में छोटी सी कंप्यूटर टेबल भी थी जिस पर कंप्यूटर, एल-सी-डी मॉनिटर और नीचे प्रिंटर भी रखा हुआ था। डोर को अंदर से लॉक करने ये खोलने के लिये उसके पास आटोमेटिक बटन था। उसके रूम के बाहर एक छोटा सा कैमरा था जिससे उसको पता चल जाता था कि बाहर कौन वेट कर रहा है और उसको मिलना हो तो वो आटोमेटिक लॉक का बटन प्रेस कर देता जिससे दरवाजा खुल जाता और फिर अंदर से खुद-ब-खुद बंद भी हो जाता। ऑफिस सेंट्रली एयर कंडिशंड था। सब मिलाकर बहुत शानदार ऑफिस था। ऑफिस का सारा स्टाफ अपने-अपने काम में बिज़ी था।
मैं ऑफिस गयी तो एस-के ने मुझे फौरन अंदर बुला लिया और अपनी चेयर से खड़ा हो के मुझसे शेक हैंड किया तो उसका गरम हाथ मेरे हाथ में आते ही मेरे जिस्म में बिजली दौड़ने लगी और मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने कहा कि “सर आपका ऑफिस तो वंडरफुल है, एक दम से शानदार।“ उसने कहा कि “देखो किरन मुझे ये सर वगैरह कहने की ज़रूरत नहीं है। तुम मेरे लिये किरन हो और मैं तुम्हारे लिये सुशांत, तुम मुझे सब की तरह एस-के भी कह सकती हो लेकिन अगली बार से सर नहीं कहना, ठीक है?” मैंने मुस्कुराते हुआ कहा, “ठीक है सर!” और हम दोनों हँस पड़े। एस-के ने कॉफी के लिये ऑर्डर दे दिया जो थोड़ी ही देर में आ गयी। कैपेचिनो कॉफी की फ़र्स्ट क्लास खुशबू से सारा ऑफिस महक उठा। दोनों कॉफी पीने लगे। उसके बाद उसने किसी को बुला के एक कंप्यूटर, मॉनिटर और प्रिंटर अपनी कार में रखने के लिये कहा और थोड़ी देर के बाद वो मुझे अपनी कार में लेकर मेरे घर आ गया।
हमारे घर में एक स्पेयर रूम भी है जिस में कंप्यूटर रख दिया गया। कंप्यूटर की स्पेशल टेबल तो नहीं है लेकिन घर की ही एक टेबल पे रख दिया गया और एस-के ने कंप्यूटर के कनेक्शन लगा दिये और कंप्यूटर स्टार्ट कर के मुझे बता दिया। कनेक्शन लगाने के बाद वो हाथ धोने के लिये बाथरूम में चला गया तो मैं कॉफी बनाने लगी। हम दोनों ड्राईंग रूम में आ के बैठ गये और कॉफी पीने लगे। एस-के और मैं इधर-उधर की बातें करने लगे। वो अपने कॉलेज और कॉलेज के किस्से सुनाने लगे कि कैसे वो कॉलेज में बदमाशियाँ किया करते थे और लड़कियों को छेड़ते रहते थे। मैंने कहा कि “आप पर तो लड़कियाँ मरती होंगी!” तो वो हँस पड़ा और कहा “नहीं ऐसी बात नहीं है, बस हमारे कुछ क्लासमेट और कुछ जूनियर लड़कियाँ थीं, हम (एक आँख दबा के बोला) मस्ती करते थे।“ इतनी देर में लंच का टाईम हो गया तो मैंने कहा कि यहीं रुक जायें और साथ में खाना खा कर ही जाना तो उसने कहा कि “किरन तुम जैसी क्यूट लड़की के साथ किसे लंच या डिनर करना पसंद न होगा, पर सच में मुझे थोड़ा सा काम है..... हम किसी और दिन लंच या डिनर ले लेंगे साथ में।“ जब उसने मुझे क्यूट लड़की कहा तो मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया जिसको उसने भी नोट किया। उसने कहा कि मैं कल ऑफिस आ जाऊँ, तब तक वो सारी चीज़ें रेडी रखेगा मेरे लिये।
ऑफिस अच्छा खासा बड़ा था और नीट और क्लीन था। सारे ऑफिस में कार्पेट बिछी हुई थी और एस-के का ऑफिस तो एक दम से शानदार था। एक बहुत बड़ी सेमी-सर्क्यूलर टेबल थी जिसके एक साईड में छोटी सी कंप्यूटर टेबल भी थी जिस पर कंप्यूटर, एल-सी-डी मॉनिटर और नीचे प्रिंटर भी रखा हुआ था। डोर को अंदर से लॉक करने ये खोलने के लिये उसके पास आटोमेटिक बटन था। उसके रूम के बाहर एक छोटा सा कैमरा था जिससे उसको पता चल जाता था कि बाहर कौन वेट कर रहा है और उसको मिलना हो तो वो आटोमेटिक लॉक का बटन प्रेस कर देता जिससे दरवाजा खुल जाता और फिर अंदर से खुद-ब-खुद बंद भी हो जाता। ऑफिस सेंट्रली एयर कंडिशंड था। सब मिलाकर बहुत शानदार ऑफिस था। ऑफिस का सारा स्टाफ अपने-अपने काम में बिज़ी था।
मैं ऑफिस गयी तो एस-के ने मुझे फौरन अंदर बुला लिया और अपनी चेयर से खड़ा हो के मुझसे शेक हैंड किया तो उसका गरम हाथ मेरे हाथ में आते ही मेरे जिस्म में बिजली दौड़ने लगी और मेरी चूत गीली होने लगी। मैंने कहा कि “सर आपका ऑफिस तो वंडरफुल है, एक दम से शानदार।“ उसने कहा कि “देखो किरन मुझे ये सर वगैरह कहने की ज़रूरत नहीं है। तुम मेरे लिये किरन हो और मैं तुम्हारे लिये सुशांत, तुम मुझे सब की तरह एस-के भी कह सकती हो लेकिन अगली बार से सर नहीं कहना, ठीक है?” मैंने मुस्कुराते हुआ कहा, “ठीक है सर!” और हम दोनों हँस पड़े। एस-के ने कॉफी के लिये ऑर्डर दे दिया जो थोड़ी ही देर में आ गयी। कैपेचिनो कॉफी की फ़र्स्ट क्लास खुशबू से सारा ऑफिस महक उठा। दोनों कॉफी पीने लगे। उसके बाद उसने किसी को बुला के एक कंप्यूटर, मॉनिटर और प्रिंटर अपनी कार में रखने के लिये कहा और थोड़ी देर के बाद वो मुझे अपनी कार में लेकर मेरे घर आ गया।
हमारे घर में एक स्पेयर रूम भी है जिस में कंप्यूटर रख दिया गया। कंप्यूटर की स्पेशल टेबल तो नहीं है लेकिन घर की ही एक टेबल पे रख दिया गया और एस-के ने कंप्यूटर के कनेक्शन लगा दिये और कंप्यूटर स्टार्ट कर के मुझे बता दिया। कनेक्शन लगाने के बाद वो हाथ धोने के लिये बाथरूम में चला गया तो मैं कॉफी बनाने लगी। हम दोनों ड्राईंग रूम में आ के बैठ गये और कॉफी पीने लगे। एस-के और मैं इधर-उधर की बातें करने लगे। वो अपने कॉलेज और कॉलेज के किस्से सुनाने लगे कि कैसे वो कॉलेज में बदमाशियाँ किया करते थे और लड़कियों को छेड़ते रहते थे। मैंने कहा कि “आप पर तो लड़कियाँ मरती होंगी!” तो वो हँस पड़ा और कहा “नहीं ऐसी बात नहीं है, बस हमारे कुछ क्लासमेट और कुछ जूनियर लड़कियाँ थीं, हम (एक आँख दबा के बोला) मस्ती करते थे।“ इतनी देर में लंच का टाईम हो गया तो मैंने कहा कि यहीं रुक जायें और साथ में खाना खा कर ही जाना तो उसने कहा कि “किरन तुम जैसी क्यूट लड़की के साथ किसे लंच या डिनर करना पसंद न होगा, पर सच में मुझे थोड़ा सा काम है..... हम किसी और दिन लंच या डिनर ले लेंगे साथ में।“ जब उसने मुझे क्यूट लड़की कहा तो मेरा चेहरा शरम से लाल हो गया जिसको उसने भी नोट किया। उसने कहा कि मैं कल ऑफिस आ जाऊँ, तब तक वो सारी चीज़ें रेडी रखेगा मेरे लिये।


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