Thread Rating:
  • 19 Vote(s) - 2.84 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
वो हमें इसी हालत में छोड़ कर अपने कपड़े पहन कर कमरे से निकल गया। कई घंटों तक रिटा मेरी तीमारदारी करती रही, जब तक मैं नॉर्मल चल सकने लायक ना हो गयी। फिर हम किसी तरह घर लौट आये। मैं अपने घर तो शाम को पहुँची क्योंकि होटल से सीधे रिटा के घर गयी थी। भगवान का शुक्र है किसी को पता नहीं चला।

 
रिटा ने अपने वादे के मुताबिक मेरे रिश्ते की बात अपने मम्मी पापा से चलायी और वो मान भी गये। साथ ही साथ उसका रिश्ता भी केशव के साथ पक्का हो गया। छः महीने में ही हम दोनों की शादी पक्की हो गयी - एक साथ। इन छः महीनों के दौरान केशव ने मुझे कई बार अलग-अलग जगह पर बुला कर चोदा। उसके पास मेरी मूवी थी जिसे एक दिन उसने हम दोनों को दिखाया। मैं तो शर्म से पानी-पानी हो गयी पर रिटा ने खूब चटखारे लिये। मैं अब केशव के चँगुल में पूरी तरह फँस चुकी थी। उसने मुझे अकेले में धमकी भी दे रखी थी की उसकी बात अगर मैंने नहीं मानी तो वोह ये फिल्म राज को दिखा देगा। खैर मैंने समझौता कर लिया।
 
शादी से कुछ ही दिन पहले केशव के किसी रिश्तेदार की मृत्यु हो गयी। इसलिये उनकी शादी स्थगित हो गयी। मेरी और राज की शादी निश्चित दिन को ही होनी थी। हमारे घर में शादी की तैयारियाँ चल रही थी। रिटा केशव को भी हमारे घर ले आयी। दोनों की सगाई हो चुकी थी इसलिये किसी को किसी बात की चिंता नहीं थी। हल्दी की रस्म शुरू होनी थी और मेरे घर वाले उस में व्यस्त थे। मेरे कमरे में आकर रिटा मुझे लेकर बाथरूम में घुसी।
 
"अपने ये कपड़े खोल कर ये सूती साड़ी लपेट ले" उसने कहा तो मैं अपने कपड़े खोलने लगी। तभी दरवाजे पर नॉक हुई। कौन है पूछने पर फुसफुसाती हुई केशव की आवाज आयी। रिटा ने हल्के से दरवाजा खोला और वो झट से बाथरूम में घुस गया।
 
"मरवाओगे आप... इस तरह भरी महफ़िल में कोई देख लेगा तो बड़ी मुश्किल हो जायेगी... जम कर जूते पड़ेंगे" रिटा ने कहा। मगर वो कहाँ इतनी जल्दी मान जाने वाला था। वैसे भी ये बाथरूम हमारे बेडरूम से अटेच्ड था। इसलिये किसी को यहाँ आने से पहले बेडरूम का दरवाजा खटखटाना पड़ता। केशव पहले से ही सारा इंतज़ाम करके आया था। उसने दरवाजा अंदर से बँद कर दिया था।
 
"आज तो अनिता बहुत ही सुंदर लग रही है," केशव ने कहा, "आज तो इसे मैं तैयार करूँगा... तू हट।"
 
रिटा मेरे पास से हट गयी और केशव उसकी जगह आ गया। उसने मेरे कुर्ते को ऊँचा करना चालू किया और मैंने भी हाथ ऊँचे कर दिये। अब तक मैं इतनी बार केशव की हम-बिस्तर हो चुकी थी की अब उसके सामने कोई शर्म बाकी नहीं बची थी। सिर्फ़ किसी के आ जाने का डर सता रहा था। उसने मेरे कुर्ते को बदन से अलग कर दिया। फिर मुझे पीछे घुमा कर मेरी ब्रा के हुक ढीले कर दिये। फिर दोनों स्ट्रैप पकड़ कर कँधे से नीचे उतार दिये और मेरी ब्रा खुलकर उसके हाथों में आ गयी। उसने उसे मेरे बदन से  अलग करके अपने होँठों से चूमा और फिर रिटा को पकड़ा दी। फिर उसने मेरी सलवार के नाड़े को पकड़ कर उसे ढीला कर दिया। सलवार टाँगों से सरसराती हुई नीचे ढेर हो गयी। फिर उसने मेरी पैंटी के इलास्टिक को दो अँगुलियों से खींच कर चौड़ा किया और अपने हाथ को धीरे-धीरे नीचे ले गया। छोटी सी पैंटी बदन से केंचुली की तरह उतर गयी। मैं उसके सामने अब बिल्कुल नंगी हो गयी थी। उसने खींच कर मुझे शॉवर के नीचे कर दिया। फिर मेरे बदन को मसल मसल कर नहलाने लगा। रिटा ने रोकना चाहा कि अभी नहीं। लेकिन उसने कहा "तुम दोबारा नहला देना।" मुझे नहलाने के बाद उसने मेरे सारे बदन को पोंछ-पोंछ कर सुखाया।
 
"लो अनिता को ये साड़ी पहनानी है। देर हो रही है उसे हल्दी लगवानी है।" रिटा ने एक साड़ी केशव की तरफ बढ़यी।
 
"पहले मैं इसे अपने रस से नहला दूँ... फिर इसे कपड़े पहनाना।" कह कर केशव ने मुझे बाथरूम में ही झुकने को मजबूर कर दिया। पहले केशव की इन बदतमीजियों से मुझे सख्त नफ़रत थी मगर आजकल जब भी वो मुझे विवश करता था तो पता नहीं मुझे क्या हो जाता था। मैं चुपचाप उसके कहे अनुसार काम करने लगती थी... मानो उसने मुझे किसी मोहपाश में बाँध रखा हो। उसने पीछे से अपना लंड मेरी चूत में डाल दिया और मेरे बूब्स को मसलता हुआ धक्के मारने लगा।
 
"जल्दी करो... लोगबाग खोजते हुए यहाँ आते होंगे" रिटा ने केशव से कहा। वो मुझे धक्के खाते हुए देख रही थी। "मेरी सहेली को क्या कोई रंडी समझ रखा है तुमने... जब मूड आये टाँगें फैला कर ठोकने लगता हो।"
 
केशव काफी देर तक मुझे इस तरह चोदता रहा और फिर मेरी एक टाँग को ऊपर कर दिया। उस वक्त मैं दीवार का सहारा लिये हुए खड़ी थी और मेरा एक पैर जमीन पर था और दूसरे को केशव ने उठा कर अपने हाथों में थाम रखा था। वोह मेरी फैली हुई चूत में अपना लंड डाल कर फिर चोदने लगा। मगर इस स्थिति में वो ज्यादा देर नहीं चोद सका और मेरी टाँग को छोड़ दिया। फिर उसने मुझे रिटा का सहारा लेने को मजबूर कर दिया और फिर शुरू हो गया। मैंने उसकी इस हरकत से तड़पते हुए अपने चूत-रस की वर्षा कर दी। वो भी अब छूटने ही वाला था। उसने अचानक अपना लंड बाहर निकाल लिया और मुझ घुटनों के बल झुका कर मेरे बदन को अपने वीर्य से भिगो दिया। मेरे चेहरे पर, बूब्स पर, पेट, टाँगों और यहाँ तक कि बालों में भी वीर्य के कतरे लगे हुए थे। कुछ वीर्य उसने मेरी ब्रा के कप्स में डाल दिया। केशव ने फिर एक बार अपना लंड मसल कर मेरे बदन पर अपने वीर्य का लेप चढ़ा दिया। पूरा बदन चिपचिपा हो रहा था। फिर उसने मुझे उठा कर अपने वीर्य से भीगी हुए ब्रा मुझे पहना दी। उसने फिर मुझे बाकी सारे कपड़े पहना दिये और मैं बाथरूम से बाहर आ गयी। फिर रिटा ने आगे बढ़ कर दरवाजा खोल दिया और हम बाहर निकल गये। केशव दरवाजे के पीछे छिप गया था और हमारे जाने के कुछ देर बाद जब वहाँ कोई नहीं था तो चुपचाप निकल कर भाग गया। उसकी हरकतों से मेरा दिल तो काफी देर तक जोर-जोर से धड़कता रहा। रिटा के माथे पर भी पसीना चू रहा था। हल्दी की रस्म अच्छी तरह पूरी हो गयी और फिर कोई घटना नहीं हुई।
Like Reply


Messages In This Thread
RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 03-03-2025, 11:16 PM



Users browsing this thread: 33 Guest(s)