03-03-2025, 11:14 PM
Continued from post # 693
"नहीं इतनी जल्दी भी क्या है। तू भी तो देख अपनी सहेली को चुदते हुए।" केशव एक भद्दी तरह से हँसा। पता नहीं रिटा कैसे उसके चक्कर में पड़ गयी थी। अपने ढीले पड़े लंड की और इशारा करके रिटा से कहा, "चल इसे मुँह में लेकर खड़ा कर।"
रिटा ने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखा लेकिन वो बेहुदी तरह से हँसता रहा। उसने रिटा को खींच कर पास पड़ी एक कुर्सी पर बिठा दिया और अपना लंड चूसने को बोला। रिटा उसके ढीले लंड को कुछ देर तक ऐसे ही हाथ से सहलाती रही और फिर उसे मुँह में ले लिया। केशव ने रिटा की कमीज़ और ब्रा उतार दी। ज़िंदगी में पहली बार हम दोनों सहेलियाँ एक दूसरे के सामने नंगी हुई थी। रिटा का बदन भी काफी खूबसूरत था। बड़े-बड़े बूब्स और पतली कमर। किसी भी लड़के को दीवाना बनाने के लिये काफी था। केशव मेरे सामने ही उसके बूब्स को सहलाने लगा।
केशव ने एक हाथ से रिटा का सिर पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से उसके निप्पलों को मसल रहा था। चेहरे से लग रहा था कि रिटा गर्म होने लगी है। मैं बिस्तर पर बैठ कर उन दोनों की रास-लीला देख रही थी और अपने को उसमें शामिल किये जाने का इंतज़ार कर रही थी। मैंने अपने बदन पर नज़र दौड़ायी। मेरे दोनों बूब्स पर अनेकों दाँतों के निशान थे। मेरी चूत सूजी हुई थी। जाँघों पर भी दाँतों के निशान थे। निप्पल भी सूजे हुए थे। रिटा ने कोई पेन-किलर खिलाया था बाथरूम में जिसके कारण दर्द कुछ कम हुआ था। मैं उन दोनों का खेल देख-देख कर कुछ गर्म होने लगी थी।
केशव लगातार रिटा के मुँह को चोद रहा था। केशव का लंड खड़ा होने लगा। उसे देख कर लगता ही नहीं था कि उसने रात भर मेरी चूत में वीर्य डाला है। मुझे तो पैरों को सिकोड़ कर बैठने में भी तकलीफ हो रही थी और वो था कि साँड की तरह मेरी दशा और भी बुरी करने के लिये तैयार था। पता नहीं कहाँ से इतनी गर्मी थी उसके अंदर। उसका लंड कुछ ही देर में एक दम तन कर खड़ा हो गया। अब उसने रिटा को खड़ा करके उसके बाकी के कपड़े भी उतार दिये। अब रिटा मेरी तरह ही सिर्फ अपने हाई हील सैंडल पहने हुए पूरी तरह नंगी थी। रिटा को वापस कुर्सी पर बिठा कर केशव ने उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी। अँगुली जब बाहर निकली तो वो रिटा के रस से भीगी हुई थी। केशव ने उस अँगुली को मेरे होंठों से छूआ।
"ले चख कर देख... कैसी मस्त चीज है तेरी सहेली।" मैं मुँह नहीं खोल रही थी मगर उसने जबरदस्ती मेरे मुँह में अपनी अँगुली घुसा दी। अजीब सा लगा रिटा के रस को चखना। "पूरी तरह मस्त हो गयी है तेरी सहेली" उसने मुझ से कहा और अपना लंड रिटा के मुँह से निकाल लिया। उसका काला लंड रिटा के थूक से चमक रहा था।
फिर मुझे उठा कर उसने रिटा पर कुछ इस तरह झुका दिया कि मेरे दोनों हाथ रिटा के कँधों पर थे और मैं उसके कँधों का सहारा लिये झुकी हुई थी। मेरे बूब्स रिटा के चेहरे के सामने झूल रहे थे। केशव ने मेरी टाँगों को फैलाया और मेरी चूत में वापस अपना लंड डाल दिया। लंड जैसे-जैसे भीतर जा रहा था, ऐसा लग रहा था मानो कोई मेरी चूत की दीवारों पर रेगमाल (सैंड-पेपर) घिस रहा हो। मैं दर्द से "आआआआहहह" कर उठी। पता नहीं कितनी देर और करेगा। अब तो मुझ से रहा नहीं जा रहा था। वो मुझे पीछे से धक्के लगाने लगा तो मेरे बूब्स रिटा के चेहरे से टकराने लगे। रिटा भी उत्तेजना में कसमसा रही थी। वो पहली बार मुझे इस हालत में देख रही थी। हम दोनों बहुत पक्की सहेलियाँ जरूर थीं मगर लेस्बियन नहीं थी। केशव ने मेरा एक निप्पल अपनी अँगुलियों में पकड़ कर खींचा तो मैंने दर्द से बचने के लिये अपने बदन को आगे की और झुका दिया। उसने मेरे निप्पल को रिटा के होंठों से छुवाया। "ले चूस... चूस अपनी सहेली के मम्मों को।" रिटा ने अपने होंठ खोल कर मेरे निप्पल को अपने होंठों के बीच दबा लिया। केशव मेरे बूब्स को जोर-जोर से कुछ इस तरह मसलने लगा कि मानो वो उन से दूध निकाल रहा हो। मेरी चूत में भी पानी रिसने लगा।
मैं "आआआआहहहहह ऊऊऊऊहहहहह ऊऊऊऊईईईईईई माँआआआआआ उउउफ्फ्फ्फ" जैसी आवाजें निकाल रही थी। कमरे में चुसाई और चुदाई की "फच-फच" की आवाज गूँज रही थी। वो बीच-बीच में रिटा के बूब्स को मसल देता था। केशव ने मेरे बाल अपनी मुठ्ठी में भर लिये और अपनी तरफ खींचने लगा जिसके कारण मेरा चेहरा छत की तरफ उठा गया। कोई पँद्रह मिनट तक मुझे इसी तरह चोदने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और हमें खींच कर बिस्तर पर ले गया। बिस्तर पर घुटनों के बल हम दोनों को पास-पास चौपाया बना दिया। फिर वो कुछ देर रिटा को चोदता तो कुछ देर मुझे। काफी देर तक इसी तरह चुदाई चलती रही। मैं और रिटा दोनों ही झड़ चुके थे। उसके बाद भी वो हमें चोदता रहा। काफ़ी देर बाद जब उसके झड़ने का समय हुआ तो उसने हम दोनों को बिस्तर पर बिठा कर अपने-अपने मुँह खोल कर उसके वीर्य को मुँह में लेने को बाध्य कर दिया और ढेर सारा वीर्य मेरे और रिटा के मुँह में भर दिया। हम दोनों के मुँह खुले हुए थे और उनमें वीर्य भरा हुआ था और मुँह से छलक कर हमारे बूब्स पर और बदन पर गिर रहा था।
"नहीं इतनी जल्दी भी क्या है। तू भी तो देख अपनी सहेली को चुदते हुए।" केशव एक भद्दी तरह से हँसा। पता नहीं रिटा कैसे उसके चक्कर में पड़ गयी थी। अपने ढीले पड़े लंड की और इशारा करके रिटा से कहा, "चल इसे मुँह में लेकर खड़ा कर।"
रिटा ने उसे खा जाने वाली नज़रों से देखा लेकिन वो बेहुदी तरह से हँसता रहा। उसने रिटा को खींच कर पास पड़ी एक कुर्सी पर बिठा दिया और अपना लंड चूसने को बोला। रिटा उसके ढीले लंड को कुछ देर तक ऐसे ही हाथ से सहलाती रही और फिर उसे मुँह में ले लिया। केशव ने रिटा की कमीज़ और ब्रा उतार दी। ज़िंदगी में पहली बार हम दोनों सहेलियाँ एक दूसरे के सामने नंगी हुई थी। रिटा का बदन भी काफी खूबसूरत था। बड़े-बड़े बूब्स और पतली कमर। किसी भी लड़के को दीवाना बनाने के लिये काफी था। केशव मेरे सामने ही उसके बूब्स को सहलाने लगा।
केशव ने एक हाथ से रिटा का सिर पकड़ रखा था और दूसरे हाथ से उसके निप्पलों को मसल रहा था। चेहरे से लग रहा था कि रिटा गर्म होने लगी है। मैं बिस्तर पर बैठ कर उन दोनों की रास-लीला देख रही थी और अपने को उसमें शामिल किये जाने का इंतज़ार कर रही थी। मैंने अपने बदन पर नज़र दौड़ायी। मेरे दोनों बूब्स पर अनेकों दाँतों के निशान थे। मेरी चूत सूजी हुई थी। जाँघों पर भी दाँतों के निशान थे। निप्पल भी सूजे हुए थे। रिटा ने कोई पेन-किलर खिलाया था बाथरूम में जिसके कारण दर्द कुछ कम हुआ था। मैं उन दोनों का खेल देख-देख कर कुछ गर्म होने लगी थी।
केशव लगातार रिटा के मुँह को चोद रहा था। केशव का लंड खड़ा होने लगा। उसे देख कर लगता ही नहीं था कि उसने रात भर मेरी चूत में वीर्य डाला है। मुझे तो पैरों को सिकोड़ कर बैठने में भी तकलीफ हो रही थी और वो था कि साँड की तरह मेरी दशा और भी बुरी करने के लिये तैयार था। पता नहीं कहाँ से इतनी गर्मी थी उसके अंदर। उसका लंड कुछ ही देर में एक दम तन कर खड़ा हो गया। अब उसने रिटा को खड़ा करके उसके बाकी के कपड़े भी उतार दिये। अब रिटा मेरी तरह ही सिर्फ अपने हाई हील सैंडल पहने हुए पूरी तरह नंगी थी। रिटा को वापस कुर्सी पर बिठा कर केशव ने उसकी चूत में अपनी अँगुली डाल दी। अँगुली जब बाहर निकली तो वो रिटा के रस से भीगी हुई थी। केशव ने उस अँगुली को मेरे होंठों से छूआ।
"ले चख कर देख... कैसी मस्त चीज है तेरी सहेली।" मैं मुँह नहीं खोल रही थी मगर उसने जबरदस्ती मेरे मुँह में अपनी अँगुली घुसा दी। अजीब सा लगा रिटा के रस को चखना। "पूरी तरह मस्त हो गयी है तेरी सहेली" उसने मुझ से कहा और अपना लंड रिटा के मुँह से निकाल लिया। उसका काला लंड रिटा के थूक से चमक रहा था।
फिर मुझे उठा कर उसने रिटा पर कुछ इस तरह झुका दिया कि मेरे दोनों हाथ रिटा के कँधों पर थे और मैं उसके कँधों का सहारा लिये झुकी हुई थी। मेरे बूब्स रिटा के चेहरे के सामने झूल रहे थे। केशव ने मेरी टाँगों को फैलाया और मेरी चूत में वापस अपना लंड डाल दिया। लंड जैसे-जैसे भीतर जा रहा था, ऐसा लग रहा था मानो कोई मेरी चूत की दीवारों पर रेगमाल (सैंड-पेपर) घिस रहा हो। मैं दर्द से "आआआआहहह" कर उठी। पता नहीं कितनी देर और करेगा। अब तो मुझ से रहा नहीं जा रहा था। वो मुझे पीछे से धक्के लगाने लगा तो मेरे बूब्स रिटा के चेहरे से टकराने लगे। रिटा भी उत्तेजना में कसमसा रही थी। वो पहली बार मुझे इस हालत में देख रही थी। हम दोनों बहुत पक्की सहेलियाँ जरूर थीं मगर लेस्बियन नहीं थी। केशव ने मेरा एक निप्पल अपनी अँगुलियों में पकड़ कर खींचा तो मैंने दर्द से बचने के लिये अपने बदन को आगे की और झुका दिया। उसने मेरे निप्पल को रिटा के होंठों से छुवाया। "ले चूस... चूस अपनी सहेली के मम्मों को।" रिटा ने अपने होंठ खोल कर मेरे निप्पल को अपने होंठों के बीच दबा लिया। केशव मेरे बूब्स को जोर-जोर से कुछ इस तरह मसलने लगा कि मानो वो उन से दूध निकाल रहा हो। मेरी चूत में भी पानी रिसने लगा।
मैं "आआआआहहहहह ऊऊऊऊहहहहह ऊऊऊऊईईईईईई माँआआआआआ उउउफ्फ्फ्फ" जैसी आवाजें निकाल रही थी। कमरे में चुसाई और चुदाई की "फच-फच" की आवाज गूँज रही थी। वो बीच-बीच में रिटा के बूब्स को मसल देता था। केशव ने मेरे बाल अपनी मुठ्ठी में भर लिये और अपनी तरफ खींचने लगा जिसके कारण मेरा चेहरा छत की तरफ उठा गया। कोई पँद्रह मिनट तक मुझे इसी तरह चोदने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाला और हमें खींच कर बिस्तर पर ले गया। बिस्तर पर घुटनों के बल हम दोनों को पास-पास चौपाया बना दिया। फिर वो कुछ देर रिटा को चोदता तो कुछ देर मुझे। काफी देर तक इसी तरह चुदाई चलती रही। मैं और रिटा दोनों ही झड़ चुके थे। उसके बाद भी वो हमें चोदता रहा। काफ़ी देर बाद जब उसके झड़ने का समय हुआ तो उसने हम दोनों को बिस्तर पर बिठा कर अपने-अपने मुँह खोल कर उसके वीर्य को मुँह में लेने को बाध्य कर दिया और ढेर सारा वीर्य मेरे और रिटा के मुँह में भर दिया। हम दोनों के मुँह खुले हुए थे और उनमें वीर्य भरा हुआ था और मुँह से छलक कर हमारे बूब्स पर और बदन पर गिर रहा था।