Thread Rating:
  • 13 Vote(s) - 2.62 Average
  • 1
  • 2
  • 3
  • 4
  • 5
Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
"तेल लाऊँ" सुरेश ने पूछा। "अबे तेल लगाने से तो आराम से अंदर चला जायेगा। फिर क्या मजा आयेगा। मैं तो इसे चींखते हुए देखना चाहता हूँ।" वो बिस्तर की चादर से मेरी चूत को साफ करने लगा। एक अँगुली में चादर का कोना पकड़ कर चूत के अंदर भी साफ़ कर दिया। अब मेरी चूत सूखी हो गयी। इस बार अपनी अँगुलियों से मेरी चूत के मुँह को फैला कर अपने लंड के टोपे को वहाँ लगाया और अपने शरीर का पूरा वजन मेरे ऊपर डाल दिया। उसका लंड मेरी चूत के दीवारों को छीलता हुआ अंदर जाने लगा। मैं जोर-जोर से चींखने लगी "ओह्हहहह उहहहहऊऊऊऊऊ..... माँआआआआआ... मर गयीईईईईईई मुझे कोईईईईईई बचाओओ ऊऊऊऊऊऊऊहहहहह नहींईंईंईंईं!"
 
अगले झटके में मेरी वर्जिनिटी तोड़ते हुए अपने लंड को पूरा अंदर डाल दिया। अगर चूत गीली होती या उसमे कोई तेल लगाया होता तो इतना दर्द नहीं होता लेकिन वो तो मेरी जान लेना चाहता था। मुझे दर्द से चींखते और तड़पते देख कर उसे बहुत मजा आ रहा था। दूसरे झटके में इतना दर्द हुआ कि मैं कुछ ही देर के लिये बेहोश हो गयी। जब होश आया तो मैंने उसके लंड को उसी स्थिति में पाया। उसका लंड इतना मोटा था कि चूत की चमड़ी उसके लंड पर चिपक सी गयी थी। कुछ देर तक इसी तरह रहने के बाद जैसे ही वो अपने लंड को बाहर खींचने लगा तो ऐसा लगा कि मेरा गर्भाशय भी लंड के साथ बाहर आ जायेगा। मैं वापस छटपटाने लगी। उसने अपने लंड को पूरा बाहर निकाला और मेरे सामने ले कर आया। उसके लंड पर मेरे खून के कतरे लगे हुए थे। मेरी चूत से खून रिस कर बिस्तर पर टपक रहा था।
 
"देखा मुझसे पँगा लेने का अँजाम। तेरी चूत को आज फड़ ही दिया। ले इसे चाट कर साफ कर।" मैंने नफ़रत से आँखें बँद कर ली। मगर वो मानने वाला तो था नहीं। मैंने आँखें बँद किये हुए अपना मुँह खोल दिया। उसने अपना लंड वापस मेरे मुँह में डाल दिया जिसे जीभ से चाट कर साफ करना पड़ा। फिर उसने वापस उसे मेरी चूत में घुसेड़ दिया और तेज-तेज धक्के मारने लगा। उसके हर धक्के से मेरी जान निकल रही थी। लेकिन कुछ ही देर में दर्द खतम हो गया और मुझे भी मजा आने लगा। मैं भी नीचे से अपनी कमर उछालने लगी। आधे घंटे तक इस तरह से चोदता रहा। इस बीच मेरा एक बार रस झड़ गया था। उसके बाद उसने मुझे उठा कर अपने ऊपर बिठा लिया। मैं उसके लंड को अपनी चूत पर सैट कर के उस पर बैठ गयी।
 
उसका लंड पूरा अंदर चला गया। उसके सीने पर घने बाल थे जिसे अपने हाथों से सहलाते हुए मैं अपनी कमर ऊपर नीचे कर रही थी। मेरी दोनों चूंचियाँ ऊपर नीचे उछल रही थी। सुरेश से नहीं रहा गया। और बिस्तर पर खड़ा होकर मेरे मुँह में अपना लंड डाल दिया। मैं उसके लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी। इस तरह दोनों से चुदते हुए मैं वापस झड़ गयी। केशव मेरे छातियों से खेल रहा था। सुरेश इतना उत्तेजित था कि उसका लंड थोड़ी ही देर में झड़ गया और ढेर सारे वीर्य से उसने मेरा मुँह भर दिया। मुझे घिन्न सी आ गयी। मैंने सारा वीर्य बिस्तर पर ही उलट दिया। वो लेटा-लेटा अब गहरी साँसें ले रहा था। मगर केशव की स्पीड में कोई कमी नहीं आयी थी। इस आसन में भी वो मुझे पँद्रह मिनट तक चोदता रहा।
 
"प्लीज़ अब बस भी करो। मैं थक गयी हूँ। अब मुझसे ऊपर नीचे नहीं हुआ जा रहा।" मैंने उससे विनती की। मगर वो कुछ भी नहीं बोला। लेकिन अगले पाँच मिनट में उसका बदन सख्त हो गया। उसके हाथ मेरी चूँचियों पर गड़ गये। मैं समझ गयी की अब वोह ज्यादा देर का मेहमान नहीं है। उसने मेरे निप्पलों को पकड़ कर अपनी और खींचा। मैं उसके सीने पर लेट गयी। उसने मेरे होंठ पर अपने होंठ रख दिये और ऐसा लगा मानो एक गरम धार मेरे अंदर गिर रही हो। अब हम तीनों एक दूसरे से लिपटे लेटे हुए थे। मेरा पूरा बदन पसीने से भीगा हुआ था। ए-सी चल रहा था मगर उसके बाद भी मैं पसीने से नहा गयी थी। पहली बार में ही इतनी जोरदार चुदाई ने मेरे सारे अँग ढीले कर दिये थे। एक-एक अँग मेरा दुख रहा था। मैंने किसी तरह उठा कर बिस्तर के पास रखा पानी का ग्लास आधा पिया और आधा अपने चेहरे पर डाल लिया।
 
थोड़ी देर बाद सुरेश उठा और मुझे हाथों पैरों के बल बिस्तर पर झुकाया और खुद बिस्तर के नीचे खड़े होकर मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। वो जोर-जोर से मुझे पीछे की और से ठोकने लगा। मेरे चेहरे को पकड़ कर केशव ने अपने ढीले पड़े लंड पर दबा दिया। मैं उसका मतलब समझ कर उसके ढीले लंड को अपनी जीभ निकाल कर चाटने लगी। मैं पूरे लंड को अपनी जीभ से चाट रही थी। सुरेश जोर-जोर से मुझे पीछे से ठोक रहा था। कुछ ही देर में केशव का लंड धीरे-धीरे वापस खड़ा होने लगा। अब वो  मेरे बालों से मुझे पकड़ कर अपने लंड पर मेरा मुँह ऊपर नीचे चलाने लगा।
 
काफी देर तक मुझे पीछे से चोदने के बाद सुरेश ने अपना वीर्य उसमें छोड़ दिया। केशव ने मुझे उठा कर जमीन पर पैर चौड़े कर के खड़ा किया और बिस्तर के किनारे बैठ कर मुझे अपनी गोद में दोनों तरफ पैर करके बिठा लिया। उसका लंड वापस मेरी चूत में घुस गया। मैं उसके घुटनों पर हाथ रख कर अपने शरीर को उसके लंड पर ऊपर नीचे चलाने लगी। कुछ देर तक इसी तरह चोदने के बाद वो वापस मेरे अंदर खलास हो गया। इस बार मैंने भी उसका साथ दिया। हम दोनों एक साथ झड़ गये।
[+] 1 user Likes rohitkapoor's post
Like Reply


Messages In This Thread
RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 22-08-2024, 11:37 PM



Users browsing this thread: 18 Guest(s)