22-08-2024, 11:37 PM
"अभी से क्यों घबड़ा रही है जानेमन अभी तो सारी रात दो मूसल तेरी चूत को कूटेंगे तब क्या होगा," केशव मेरी मजबूरी पर हँसने लगा, "पता है सुरेश इस दो टके की छोकरी ने मुझे केशव को... खुले आम झापड़ मारा था। उस दिन मैंने तय किया था कि इसकी हालत कुत्तिया की तरह बना कर रहुँगा। तू तो अब देखती जा कैसे मैं तुझे अपने इशारे पर नचाता हूँ।" उसने हँसते हुए अपनी अँगुलियों को चूत में डाल कर ऊपर की और उठाया। मैं हाई हील सैंडल के बावजूद भी अपने पँजों पर उठने को मजबूर हो गयी। पहली बार मेरे बदन से कोई खेल रहा था इस लिये ना चाहते हुए भी शरीर गरम होने लगा। मेरा दिमाग का कहना अब मेरा शरीर नहीं मान रहा था। "अब तुझे दिखाते हैं कि लंड किसे कहते हैं।" कहकर दोनों अपने-अपने शरीर पर से कपड़े खोलने लगे। दोनों बिल्कुल नंगे हो गये। दोनों के लंड देख कर मेरा मुँह खुला का खुला रह गया। मेरी चूत का छेद तो बहुत ही छोटा था। एक अँगुली डालने में दर्द होता था मगर दोनों के लंडों का घेर तो मेरी मुठ्ठी से भी ज्यादा था। घबड़ाहट से मेरे माथे पर पसीना आ गया।
"प्लीज़ मुझे छोड़ दो" मैंने सुबकते हुए कहा।
"हम ने तो तुझे नहीं पकड़ा। तू खुद चलकर इस दरवाजे से अंदर आयी है... हम से चुदने के लिये। आयी है कि नहीं... ? बोल!" मैंने सिर हिलाया। "फिर क्यों कह रही है कि मुझे छोड़ दो। तू जा मैं भी रिटा से अपने संबंध तोड़ देता हूँ। तुझे पता है... रिटा प्रेगनेंट है? मेरा बच्चा है उसके पेट में। तेरी मर्जी तू चली जा।" उसकी बात सुनकर ऐसा लगा मानो किसी ने मेरे अंदर की हवा निकाल दी हो। मैंने एक दम विरोध छोड़ दिया। केशव ने मुझे घुटनों पर बैठने को मजबूर कर दिया। दोनों अपने-अपने लंड मेरे होंठों पर फिराने लगे। "ले इन्हें चाट," केशव ने कहा, "खोल अपना मुँह।"
मैंने अपने मुँह को थोड़ा सा खोला। केशव ने अपने लंड को मेरे मुँह में डाल दिया। मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड को अंदर तक पेल दिया। बहुत ही तीखी गंदी सी गंध आयी। मुझे घिन्न सी आने लगी। सुरेश मूवी कैमरा लकर मेरी तस्वीरें लेने लगा। मेरी आँखें उबल कर बाहर को आ रही थी। मुझे साफ दिख रहा था कि आज मेरी बहुत बुरी गत बनने वाली है। पता नहीं सुबह तक क्या हालत हो जायेगी। केशव मेरे मुँह में धकाधक अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था। कुछ देर इस तरह मेरे मुँह को चोदने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाल। उसकी जगह सुरेश ने अपना लंड मुँह में डाल दिया। फिर वोही होने लगा जो पहले हो रहा था। मेरे जबड़े दर्द करने लगे। जीभ भी खुरदरी हो गयी थी।
"चल अपना मुँह और खोल... हम दोनों अपना लंड एक साथ डालेंगे" केशव ने कहा।
"नहीं...." मैंने अपना मुँह हटाना चाहा मगर दोनों ने मेरे सिर को अपने हाथों में जकड़ रखा था। मगर मेरे मुँह में एक साथ दो मूसल जा सकते हैं क्या। दोनों अपने अपने लंड ठेल रहे थे अंदर करने के लिये। मैं दर्द से चीख रही थी। ऐसा लग रहा था कि शायद मुँह फट जायेगा। केशव ने अपना लंड तो वापस मुँह में डाल दिया मगर सुरेश बाहर गालों पर ही फेरता रह गया। मेरे होंठों के कोने शायद फट गये थे। उसका लंड मुँह के अंदर आधा ही जा कर रह जाता था। वो उसे पूरा अंदर डालने में सफल नहीं हो पा रहा था। मुझे खींच कर वहाँ बिस्तर पर पटक दिया और मेरे सिर को खींच कर बेड के कोने तक इस तरह लाया कि मेरा सिर बिस्तर से नीचे झूल रहा था। अब उसने वापस मेरा सिर अपने हाथों में उठाकर अपना लंड अंदर डालना शुरू किया और लंड को गले के अंदर तक डाल दिया। लंड पूरा समा गया था। उसकी झाँटें मेरे नथुनों में घुस रही थी। मैं साँस लेने के लिये छटपटा रही थी।
"अरे ये मर जायेगी केशू। ऐसे मत ठोक उसे" सुरेश जो मेरी तस्वीरें ले रहा था, उसने कहा। ये सुन कर केशव ने अपना लंड थोड़ा बाहर खींचा। वो तो अब पूरा वहशी लग रहा था। आँखों में खून उतर आया था। सुरेश की बातों से थोड़ा सा नॉर्मल हुआ। फिर कुछ देर तक मेरे मुँह को मेरी चूत की तरह चोदने के बाद मुझे बिस्तर पर चित लिटा दिया। अब वोह भी बिस्तर पर चढ़ गया और मेरी टाँगें फैला दीं और जितना हो सकता था उतना फैला कर हाथों से पकड़े रखा।
"अबे अब पास आ कर क्लोज़-अप ले। एक-एक हर्कत को रिकॉर्ड कर। अभी इसकी चूत से खून भी टपकेगा। सब कैमरे में आना चाहिये," उसने सुरेश को कहा। सुरेश मेरी चूत के होंठों के बीच सटे केशव के लंड पे फोकस करने लगा। उसने अब धीरे -धीरे मेरी चूत पर दबाव डाला। मगर उसका लंड इतना मोटा था कि अंदर ही नहीं घुस पा रहा था। उसके लंड से निकले प्री-कम से और कुछ मेरे रस से वो जगह चिकनी हो रही थी। दबाव बढ़ता गया मगर बार-बार उसका लंड फ़िसल जाता था।
"प्लीज़ मुझे छोड़ दो" मैंने सुबकते हुए कहा।
"हम ने तो तुझे नहीं पकड़ा। तू खुद चलकर इस दरवाजे से अंदर आयी है... हम से चुदने के लिये। आयी है कि नहीं... ? बोल!" मैंने सिर हिलाया। "फिर क्यों कह रही है कि मुझे छोड़ दो। तू जा मैं भी रिटा से अपने संबंध तोड़ देता हूँ। तुझे पता है... रिटा प्रेगनेंट है? मेरा बच्चा है उसके पेट में। तेरी मर्जी तू चली जा।" उसकी बात सुनकर ऐसा लगा मानो किसी ने मेरे अंदर की हवा निकाल दी हो। मैंने एक दम विरोध छोड़ दिया। केशव ने मुझे घुटनों पर बैठने को मजबूर कर दिया। दोनों अपने-अपने लंड मेरे होंठों पर फिराने लगे। "ले इन्हें चाट," केशव ने कहा, "खोल अपना मुँह।"
मैंने अपने मुँह को थोड़ा सा खोला। केशव ने अपने लंड को मेरे मुँह में डाल दिया। मेरे सिर को पकड़ कर अपने लंड को अंदर तक पेल दिया। बहुत ही तीखी गंदी सी गंध आयी। मुझे घिन्न सी आने लगी। सुरेश मूवी कैमरा लकर मेरी तस्वीरें लेने लगा। मेरी आँखें उबल कर बाहर को आ रही थी। मुझे साफ दिख रहा था कि आज मेरी बहुत बुरी गत बनने वाली है। पता नहीं सुबह तक क्या हालत हो जायेगी। केशव मेरे मुँह में धकाधक अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था। कुछ देर इस तरह मेरे मुँह को चोदने के बाद उसने अपना लंड बाहर निकाल। उसकी जगह सुरेश ने अपना लंड मुँह में डाल दिया। फिर वोही होने लगा जो पहले हो रहा था। मेरे जबड़े दर्द करने लगे। जीभ भी खुरदरी हो गयी थी।
"चल अपना मुँह और खोल... हम दोनों अपना लंड एक साथ डालेंगे" केशव ने कहा।
"नहीं...." मैंने अपना मुँह हटाना चाहा मगर दोनों ने मेरे सिर को अपने हाथों में जकड़ रखा था। मगर मेरे मुँह में एक साथ दो मूसल जा सकते हैं क्या। दोनों अपने अपने लंड ठेल रहे थे अंदर करने के लिये। मैं दर्द से चीख रही थी। ऐसा लग रहा था कि शायद मुँह फट जायेगा। केशव ने अपना लंड तो वापस मुँह में डाल दिया मगर सुरेश बाहर गालों पर ही फेरता रह गया। मेरे होंठों के कोने शायद फट गये थे। उसका लंड मुँह के अंदर आधा ही जा कर रह जाता था। वो उसे पूरा अंदर डालने में सफल नहीं हो पा रहा था। मुझे खींच कर वहाँ बिस्तर पर पटक दिया और मेरे सिर को खींच कर बेड के कोने तक इस तरह लाया कि मेरा सिर बिस्तर से नीचे झूल रहा था। अब उसने वापस मेरा सिर अपने हाथों में उठाकर अपना लंड अंदर डालना शुरू किया और लंड को गले के अंदर तक डाल दिया। लंड पूरा समा गया था। उसकी झाँटें मेरे नथुनों में घुस रही थी। मैं साँस लेने के लिये छटपटा रही थी।
"अरे ये मर जायेगी केशू। ऐसे मत ठोक उसे" सुरेश जो मेरी तस्वीरें ले रहा था, उसने कहा। ये सुन कर केशव ने अपना लंड थोड़ा बाहर खींचा। वो तो अब पूरा वहशी लग रहा था। आँखों में खून उतर आया था। सुरेश की बातों से थोड़ा सा नॉर्मल हुआ। फिर कुछ देर तक मेरे मुँह को मेरी चूत की तरह चोदने के बाद मुझे बिस्तर पर चित लिटा दिया। अब वोह भी बिस्तर पर चढ़ गया और मेरी टाँगें फैला दीं और जितना हो सकता था उतना फैला कर हाथों से पकड़े रखा।
"अबे अब पास आ कर क्लोज़-अप ले। एक-एक हर्कत को रिकॉर्ड कर। अभी इसकी चूत से खून भी टपकेगा। सब कैमरे में आना चाहिये," उसने सुरेश को कहा। सुरेश मेरी चूत के होंठों के बीच सटे केशव के लंड पे फोकस करने लगा। उसने अब धीरे -धीरे मेरी चूत पर दबाव डाला। मगर उसका लंड इतना मोटा था कि अंदर ही नहीं घुस पा रहा था। उसके लंड से निकले प्री-कम से और कुछ मेरे रस से वो जगह चिकनी हो रही थी। दबाव बढ़ता गया मगर बार-बार उसका लंड फ़िसल जाता था।