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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
"ऐसा नहीं है... साला लोफर... मैं जानती हूँ कितनी लड़कियों से उसके संबंध हैं। तू वहाँ मेरे साथ रहेगी। रात को तू भी वहीं रुकेगी। नहीं तो मैं नहीं जाऊँगी।"
 
"अरे नहीं मैं तेरे साथ ही रहूँगी। घबड़ा मत... मैं उसे समझा दुँगी। वो तेरे साथ बहुत अच्छे से पेश आयेगा।"
 
हम ऑटो लेकर होटल ललित पहुँचे। वहाँ हमें सुइट नम्बर दौ-सौ-आठ के सामने पहुँचा दिया गया। रिटा ने डोर-बेल पर अँगुली रखी। बेल की आवाज हुई और कुछ देर बाद दरवाजा थोड़ा सा खुला। उसमें से केशव का चेहरा दिखा। "गुड गर्ल!" उसने मुझे ऊपर से नीचे तक देखा और अपने होंठों  पर जीभ फ़िरायी। मुझे लगा मानो मैं उसके सामने नंगी ही खड़ी हूँ। "आओ अंदर आ जाओ" उसने दरवाजे को थोड़ा सा खोला। मैं अंदर आ गयी। मेरे अंदर आते ही दरवाजे को बँद करने लगा।
 
रिटा ने आवाज लगायी "केशू मुझे भी तो आने दो।"
 
"तेरा क्या काम है यहाँ। चल भाग जा यहाँ से... कल सुबह आकर अपनी सहेली को ले जाना" कह कर भड़ाक से उसने दरवाजा बँद कर दिया। मैंने चारों और देखा। अंदर अँधेरा हो रहा था। एक डेकोरेटिव स्पॉट लाईट कमरे के बीचों बीच गोल रोशनी का दायरा बना रही थी। कमरा पूरा नज़र नहीं आ रहा था। उसने मेरी बाँह पकड़ी और खींचता हुआ उस रोशनी के दायरे में ले गया।
 
"बड़ी शेरनी बनती है। आज तेरे दाँत ऐसे तोड़ुँगा कि तेरी कीमत दो टके की भी नहीं रह जायेगी।" मैं अपने आप को समेटे हुए खड़ी हुई थी। उसने मुझे खींच कर अपने सीने से लगा लिया और मेरे होंठों पर अपने मोटे होंठ रख दिये। उसकी जीभ मेरे होंठों को एक दूसरे से अलग कर मेरे मुँह में प्रवेश कर गयी। शराब की तेज बू आ रही थी उसके मुँह से। शायद मेरे आने से पहले पी रहा होगा। वो मेरे मुँह का कोई कोना अपनी जीभ फिराये बिना नहीं छोड़ना चाहता था। एक हाथ से मेरे बदन को अपने सीने पर भींचे हुए था और दूसरे हाथ को मेरी पीठ पर फेर रहा था। अचानक मेरे चूत्तड़ों को पकड़ कर उसने जोर से दबा दिया और अपने से सटा लिया। मैं उसके लंड को अपनी चूत के ऊपर सटा हुआ महसूस कर रही थी। मैं उस के चेहरे को दूर करने की कोशिश कर रही थी मगर इसमे सफल नहीं हो पा रही थी। उसने मुझे पल भर के लिये छोड़ा और मेरे कुर्ते को पकड़ कर ऊपर कर दिया। मैं सहमी सी हाथ ऊपर कर खड़ी हो गयी। उसने कुर्ते को बदन से अलग कर दिया। फिर मेरी ब्रा में ढके दोनों बूब्स को पकड़ कर जोर से मसल दिया। इतनी जोर से मसला कि मेरे मुँह से "आआआआहहहह" निकल गयी। उसने मेरी दोनों चूचियों के बीच से ब्रा को पकड़ कर जोर से झटक दिया। ब्रा दो हिस्सों में अलग हो गयी। मेरे बूब्स उसकी आँखों के सामने नग्न हो गये। उसने मेरे बदन से ब्रा को उतार कर फेंक दिया और दोबारा मेरे निप्पलों को पकड़ कर जोर-जोर से मसलने लगा। "ऊओफफफफ प्लीज़ज़ज़.... प्लीज़ धीरे करो मैंने दर्द से तड़पते हुए कहा।
 
"क्यों भूल गयी अपने झापड़ को। आज भी मैं भूला नहीं हूँ वो बे-इज्जती। आज तेरे परों को ऐसे कुतर दुँगा कि तू कभी अपना सिर उठा कर बात नहीं कर पायेगी। सारी ज़िंदगी मेरी राँड बन कर रहेगी" कह कर वो मेरी एक छाती को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा।
 
उसने मेरी सलवार के नाड़े को एक झटके में तोड़ दिया। सलवार सरसराती हुई मेरे कदमों पर ढेर हो गयी। "मैं ऐसा ही हूँ। जो भी मेरे सामने खुलने में देर लगाती है उसे मैं तोड़ देता हूँ।" उसने मेरी एक बाँह पकड़ कर उमेठ दी। मैं दर्द के मारे पीछे घूम गयी। उसने जमीन से मेरी चुन्नी उठा कर मेरे दोनों हाथ पीछे की और करके सख्ती से बाँध दिये। अब मैं उसे रोकने की स्तिथि में भी नहीं रही। उसने लाईट का स्विच ऑन कर दिया। पूरा कमरा रोशनी से जगमगा उठा। सामने सोफे पर एक और आदमी बैठा हुआ था। "इसे तो तुम पहचानती होगी। मेरा दोस्त सुरेश। आज तेरा गुरूर हम दोनों अपने कदमों से कुचलेंगे।"
 
मैं अपना बचाव करने की स्तिथि में नहीं थी। सुरेश उठा कर पास आ गया। उसने मेरे बदन की तरफ हाथ बढ़ाये। मैंने झुक कर अपना बचाव करने की कोशिश की। सुरेश ने मेरे बालों को पकड़ कर मेरे चेहरे को अपनी तरफ खींचा। मेरे चेहरे को अपने पास लेकर मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिये। केशव मेरे शरीर के नीचे के हिस्सों पर हाथ फिरा रहा था। मेरे चूत्तड़ों पर कभी चिकोटी काटता तो कभी चूत के ऊपर हाथ फेरता। मेरी पैंटी को शरीर  से अलग कर दिया। फिर उसने एक झटके से अपनी दो मोटी-मोटी अँगुलियाँ मेरी चूत में डाल दीं। ज़िंदगी में पहली बार चूत पर किसी बाहरी वस्तु के प्रवेश ने मुझे चिहुँक उठने को मजबूर कर दिया।
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 22-08-2024, 11:36 PM



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