22-08-2024, 11:35 PM
"अरे क्यों गुस्सा करती है? थोड़ा सा अगर छेड़ ही दिया तो इस तरह क्यों बिगड़ रही है। वो तेरा होने वाला नंदोई है। रिश्ता ही कुछ ऐसा है कि थोड़ी बहुत छेड़छाड़ तो चलती ही रहती है," उसने कहा।
"थोड़ी छेड़ छाड़... मॉय फ़ुट। देखेगी क्या किया उस तेरे आवारा आशिक ने?" मैंने कहकर अपनी कमीज़ ऊपर करके उसे अपनी छातियाँ दिखायीं। "चचचच कितनी बुरी तरह मसला है केशू ने" वो हँस रही थी। मुझे गुस्सा आ गया मगर उसकी मिन्नतों से मैं आखिर हँस दी। लेकिन मैंने उसे चेता दिया "अपने उस आवारा आशिक को कह देना मेरे चक्कर में नहीं रहे। मेरे आगे उसकी नहीं चलनी"
बात आयी गयी हो गयी। कुछ दिन बाद मैंने महसूस किया कि रिटा कुछ उदास रहने लगी है। मैंने कारण जानने की कोशिश की मगर उसने मुझे नहीं बताया। मुझ से उसकी उदासी देखी नहीं जाती थी। एक दिन उसने मुझ से कहा "नीतू तेरे प्रेमी के लिये लड़की ढूँढी जा रही है।"
मैं तो मानो आकाश से जमीन पर गिर पड़ी "क्या?"
"हाँ। भैया के लिये रिश्ते आने शुरू हो गये। जल्दी कुछ कर नहीं तो उसे कोई और ले जायेगी और तू हाथ मलती रह जायेगी।"
"लेकिन मैं क्या करूँ?"
"तू भैया से बात कर"
मैंने राज से बात की। लेकिन वो अपने मम्मी पापा को समझाने में अस्मर्थ था। मुझे तो हर तरफ अँधेरा ही दिख रहा था। तभी रिटा एक रोशनी की किरण की तरह आयी। "बड़ी जल्दी घबड़ा गयी? अरे हिम्मत से काम ले।"
"मगर मैं क्या करूँ? राज भी कुछ नहीं कर पा रहा है।"
"मैं तेरी शादी राज से करवा सकती हूँ।" रिटा ने कहा तो मैं उसका चेहरा ताकने लगी। "लेकिन... क्यों?"
"क्यों? मैं तेरी सहेली हूँ... हम दोनों ज़िंदगी भर साथ रहने की कसम खाती थीं। भूल गयी?"
"मुझे याद है सब लेकिन तुझे भी याद है या नहीं मैं देख रही थी।" उसने कहा, "मैं मम्मी पापा को मना लुँगी तुम्हारी शादी के लिये मगर इसके बदले तुझे मेरा एक काम करना होगा"
"हाँ बोल ना क्या चाहती है मुझसे" मुझे लगा जैसे जान में जान आयी हो।
"देख तुझे तो मालूम ही है कि मैं और केशव सारी हदें पार कर चुके हैं। मैं उसके बिना नहीं जी सकती" उसने मेरी और गहरी नज़र से देखा, "तू मेरी शादी करवा दे मैं तेरी शादी करवा दुँगी।"
"मैं तेरे मम्मी पापा से बात चला कर देखुँगी" मैंने घबड़ाते हुए कहा।
"अरे मेरे मम्मी पापा को समझाने की जरूरत नहीं है। ये काम तो मैं खुद ही कर लुँगी," उसने कहा।
"फिर क्या परेशानी है तेरी?"
"केशव!" उसने मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहा, "केशव ने मुझसे शादी करने की एक शर्त रखी है।"
"थोड़ी छेड़ छाड़... मॉय फ़ुट। देखेगी क्या किया उस तेरे आवारा आशिक ने?" मैंने कहकर अपनी कमीज़ ऊपर करके उसे अपनी छातियाँ दिखायीं। "चचचच कितनी बुरी तरह मसला है केशू ने" वो हँस रही थी। मुझे गुस्सा आ गया मगर उसकी मिन्नतों से मैं आखिर हँस दी। लेकिन मैंने उसे चेता दिया "अपने उस आवारा आशिक को कह देना मेरे चक्कर में नहीं रहे। मेरे आगे उसकी नहीं चलनी"
बात आयी गयी हो गयी। कुछ दिन बाद मैंने महसूस किया कि रिटा कुछ उदास रहने लगी है। मैंने कारण जानने की कोशिश की मगर उसने मुझे नहीं बताया। मुझ से उसकी उदासी देखी नहीं जाती थी। एक दिन उसने मुझ से कहा "नीतू तेरे प्रेमी के लिये लड़की ढूँढी जा रही है।"
मैं तो मानो आकाश से जमीन पर गिर पड़ी "क्या?"
"हाँ। भैया के लिये रिश्ते आने शुरू हो गये। जल्दी कुछ कर नहीं तो उसे कोई और ले जायेगी और तू हाथ मलती रह जायेगी।"
"लेकिन मैं क्या करूँ?"
"तू भैया से बात कर"
मैंने राज से बात की। लेकिन वो अपने मम्मी पापा को समझाने में अस्मर्थ था। मुझे तो हर तरफ अँधेरा ही दिख रहा था। तभी रिटा एक रोशनी की किरण की तरह आयी। "बड़ी जल्दी घबड़ा गयी? अरे हिम्मत से काम ले।"
"मगर मैं क्या करूँ? राज भी कुछ नहीं कर पा रहा है।"
"मैं तेरी शादी राज से करवा सकती हूँ।" रिटा ने कहा तो मैं उसका चेहरा ताकने लगी। "लेकिन... क्यों?"
"क्यों? मैं तेरी सहेली हूँ... हम दोनों ज़िंदगी भर साथ रहने की कसम खाती थीं। भूल गयी?"
"मुझे याद है सब लेकिन तुझे भी याद है या नहीं मैं देख रही थी।" उसने कहा, "मैं मम्मी पापा को मना लुँगी तुम्हारी शादी के लिये मगर इसके बदले तुझे मेरा एक काम करना होगा"
"हाँ बोल ना क्या चाहती है मुझसे" मुझे लगा जैसे जान में जान आयी हो।
"देख तुझे तो मालूम ही है कि मैं और केशव सारी हदें पार कर चुके हैं। मैं उसके बिना नहीं जी सकती" उसने मेरी और गहरी नज़र से देखा, "तू मेरी शादी करवा दे मैं तेरी शादी करवा दुँगी।"
"मैं तेरे मम्मी पापा से बात चला कर देखुँगी" मैंने घबड़ाते हुए कहा।
"अरे मेरे मम्मी पापा को समझाने की जरूरत नहीं है। ये काम तो मैं खुद ही कर लुँगी," उसने कहा।
"फिर क्या परेशानी है तेरी?"
"केशव!" उसने मेरी आँखों में आँखें डाल कर कहा, "केशव ने मुझसे शादी करने की एक शर्त रखी है।"