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Misc. Erotica हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह
सहेली की खातिर
लेखक: अंजान
 
मैं अनिता हूँ। तैंतीस साल की बहुत ही खूबसूरत महिला। मेरे पति राज शेखर बिज़नेस-मैन हैं। मैं आपको उस घटना के बारे में बताना चाहती हूँ जो आज से कोई दस साल पहले घटी थी। इस घटना ने मेरी ज़िंदगी ही बदल दी। मेरे जिसमानी सम्बंध मेरी सहेली के पति से हैं और इसके लिये वो ही दोषी है। मेरे दो बच्चों में एक का पिता मेरे पति नहीं बल्कि मेरी सहेली का पति है। उस समय मैं पढ़ाई कर रही थी। मेरी एक प्यारी सी फ्रैंड थी, नाम था रिटा। वैसे आजकल वो मेरी ननद है। राज रिटा का ही भाई है। रिटा के भाई से शादी करने के लिये मुझे एक बड़ी कीमत चुकानी पड़ी।
 
हम दोनों कॉलेज में साथ-साथ पढ़ते थे। हमारी जोड़ी बहुत मशहूर थी। दोनों ही बहुत खूबसूरत और छरहरे बदन की थी। बदन के कटाव बड़े ही सैक्सी थे। मेरे चूचियाँ रिटा से भी बड़ी-बड़ी थी। लेकिन एक दम टाईट थी। हम अक्सर एक दूसरे के घर जाती थीं। मेरा रिटा के घर जाने का मक्सद एक और भी था... उसका भाई राज। वो मुझे बहुत अच्छा लगता था। उस समय वो बी-टेक कर रहा था। बहुत ही हेंडसम और खूबसूरत शख्सियत का मालिक था। मैं उससे मन ही मन प्यार करने लगी थी। राज भी शायद मुझे पसंद करता था। लेकिन मुँह से कभी कहा नहीं। मैंने अपना दिल रिटा के सामने खोल दिया था। हम आपस में लड़कों की बातें भी करती थी। मुसीबत तब आयी जब रिटा केशव के प्यार में पड़ गयी। केशव कॉलेज युनियन का लीडर था। उसमें हर तरह की बुरी आदतें थी। वो एक अमीर बाप की बिगड़ी हुई औलाद था। उसके पिताजी एक जाने माने उद्योगपति थे। अनाप शनाप कमाई थी। और बेटा उस कमाई को अपनी अय्याशियों में खर्च कर रहा था। दो साल से फेल हो रहा था। मैं उससे बुरी तरह नफ़रत करती थी। केशव मुझ पर भी गंदी नज़र रखता था। मगर मैं उससे दूर ही रहती थी। रिटा पता नहीं कैसे उसके प्यार में पड़ गयी। मुझे पता चला तो मैंने काफी मना किया लेकिन उसने मेरी बात की बिल्कुल भी परवाह नहीं की। वो तो केशव की लछेदार बातों के भुलावे में ही खोयी हुई थी। एक दिन उसने मुझे बताया कि उसके साथ केशव के शारीरिक सम्बंध भी हो चुके हैं। मैंने उसे बहुत बुरा भला कहा मगर वो थी मानो चिकना घड़ा। उस पर कोई भी बात असर नहीं कर रही थी।
 
एक दिन मैं अकेली स्टूडेंट रूम में बैठी कुछ तैयारी कर रही थी। अचानक केशव वहाँ आ गया। उसने मुझ से बात करने की कोशिश की मगर मैंने अपना सिर घुमा लिया। उसने मुझे बाँहों से पकड़ कर उठा दिया।
 
"क्या बात है क्यों परेशान कर रहे हो।"
 
"तू मुझे बहुत अच्छी लगती है।"
 
"मैं तेरे जैसे आदमी के मुँह पर थूकना भी पसंद नहीं करती।" मैंने कहा तो वो गुस्से से तिलमिला गया। उसने मुझे खींच कर अपनी बाँहों में ले लिया और तपाक से एक चुंबन मेरे होंठों पर दे दिया। मैं एक दम हकबका गयी। मुझे विश्वास नहीं था की वो किसी कॉमन जगह पर ऐसा भी कर सकता है। इससे पहले कि मैं कुछ संभलती, उसने मेरे दोनों बूब्स पकड़ कर मसल दिये। मैं फोरन होश में आयी। मैंने एक जबरदस्त चाँटा उसके गाल पर रसीद कर दिया। पाँचों अँगुलियाँ छप गयी थीं गाल पर। वो तिलमिला गया। "कुत्ते मुझे कोई बाजारू लड़की मत समझना जो तेरी बाँहों में आ जाऊँगी" उसे भी मुझसे ऐसी हरकत की शायद उम्मीद नहीं थी। वो अभी अपने गाल सहलाता हुआ कुछ कहता कि तभी किसी के कदमों की आवाज सुनकर वो वहाँ से भाग गया।
 
मेरा उस पूरे दिन मूड खराब रहा। ऐसा लग रहा था जैसे वो अभी भी मेरे बूब्स को मसल रहा हो। बहुत गुस्सा आ रहा था। दोनों बूब्स छूने से ही दर्द कर रहे थे। घर पहुँच कर अपने कमरे में जब कपड़े उतार कर अपनी गोरी छातियों को देखा तो रोना आ गया। छातियों पर मसले जाने के नीले-नीले निशान दिख रहे थे।
 
शाम को रिटा अयी। "आज सुना है तू केशू से लड़ पड़ी?" उसने मुझसे पूछा।
 
"लड़ पड़ी? मैंने उसे एक जम कर चाँटा मारा। और अगर वो अब भी नहीं सुधरा तो मैं उसका सैंडलों से स्वागत करूँगी... साला लोफर"
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RE: हिंदी की सुनी-अनसुनी कामुक कहानियों का संग्रह - by rohitkapoor - 22-08-2024, 11:34 PM



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