06-02-2024, 04:56 AM
(This post was last modified: 18-08-2024, 08:43 PM by rohitkapoor. Edited 3 times in total. Edited 3 times in total.)
दंगल के मैदान से गुज़र कर हम अंदर गये जहाँ लंगोटी बाँधे चार नंगे ह़िंदू मर्द मौजूद थे, जिनके वरज़िशी जिस्म हमारे हिजाबी जिस्मों को जैसे प्यार से चोदने के लिये बेताब थे। अंदर आते ही नाज़िया झटके से अपनी नकाब हटाकर जल्दी जल्दी चारों ह़िंदू पहलवानों को सलाम-सलाम कहते हुए अपने आशिक से जाकर लिपट गयी जिसने पहले से ही अपने लंगोट से अपना ह़िंदू त्रिशूल लटकाया हुआ था। ये देख कर मेरी बुऱके में छुपी नंगी मुस्लि़म चूत भी जोश खाने लगी। करीब एक महीने से ह़िंदू लंड के लिये तरस रही थी मेरी रंडी मुस्लि़म चूत। जैसे ही मैंने बाकी तीन ह़िंदू पहलवानों को देखा तो उफ़्फ़ अल्लाह! ये क्या? इन ह़िंदू मर्दों ने भी अपने-अपने ह़िंदू त्रिशूल निकाल लिये थे और तीनों मर्दों के अनकटे बड़े-बड़े लौड़े खड़े हुए फनफना रहे थे। तीनों के लंड करीब दस से बारह इंच लंबे और मोटे थे। उनमें से एक ने अपने कड़क ह़िंदू लंड को सहलाते हुए मुझे सलाम किया और कहा “मुस्लि़म लौंडिया ज़रा अपने चेहरे से हिजाब हटा! देखें तो सही बुऱके में छुपा हुआ माल कैसा है!”
मैंने मुस्लि़मा अंदाज़ में अपने चेहरे से नकाब हटाया। “राम कसम! साली हिजाबी राँड मस्त है...!” मेरी भूरी आँखें और हसीन खूबसूरत चेहरा देख कर सबके ह़िंदू लंड और कड़क हो गये। एक ह़िंदू मर्द मेरे पास आया और मेरे बुऱके में छुपे गोल मुस्लि़म मम्मे को हल्के से मार कर बोला, “साली मस्त कटवी है तू हिजाबी राँड!” उसके मारते ही मेरे मुँह से सिसकी निकली और मैंने शोखी भरे अंदाज़ में कहा, “उफ़्फ़ आहिस्ता से हि़न्दु पहलवान जी! आपका नाम क्या है?” लेकिन उसे ठीक से सुनाई नहीं दिया। उसने मेरे पीछे हाथ डाल कर मेरे मुस्लि़मा चूतड़ों को ज़ोर से दबाया और बोला, “ज़रा ऊँचा बोल मेरी मुल्लनी रंडी जान!” मैंने फिर उसके होंठों के पास होंठ रखते हुए कहा, “आपका नाम क्या है गरम हि़ऩ्दू पहलवान मर्द जी?”
उसने जोश में मेरा एक मुस्लि़म चूतड़ और एक हिजाबी मम्मे को ज़ोर से दबाते हुए कहा, “किशन नाम है मेरा... साली गरम मुस्लि़म रंडी!” और फिर मेरे मुस्लि़म सुर्ख होंठों पर अपने हि़न्दू होंठ रख दिये। उफ़्फ़ अल्लाह! मेरे होंठ गरम थे और उसके भी। मैं आँखें बंद करके जोश में उसके होंठों को चूस रही थी। मेरा मुस्लि़म हाथ उसके हि़न्दू अनकटे लंड की तरफ़ बड़ा और उसके हि़न्दू त्रिशूल को पकड़ते ही मेरी आँखें हैरत से खुल गयी। तौबा! ये क्या! इतना गरम और सख्त हि़न्दू लंड! वो समझ गया। उसने अपने हि़न्दू होंठ मेरे होंठों से हटाये और बोला, “लौंडिया ये कटवा मुलायम लंड नहीं है... ये मेरा कट्टर हि़ऩ्दु त्रिशूल है साली!”
नाज़िया जो मेरे बिल्कुल करीब ही बैठी थी अपने आशिक के लंड को पकड़ कर मेरी तरफ़ देखते हुए बोली, “शबाना देख ये मेरा धगड़ा चोदू विजय शिंदे है” और फिर अपना पाकिज़ा मुँह खोल कर विजय का बड़ा सा लंड चूसने लगी। देखते ही देखते विजय शिंदे का अनकटा हि़न्दू मोटा लंड मेरी सहेली नाज़िया के मुस्लि़मा मुँह में और बड़ा हो गया। नाज़िया मस्ती से उसे चूसने लगी और विजय की तरफ़ देख कर बोली, “मेरी चिकनी मुसल्ली गरम चूत को अपने हि़न्दु त्रिशूल लंड से चोद डालो मेरे हि़न्दू सनम!” और फिर से उसके लंड पर टूट पड़ी और लंड चूसते हुए उसने मेरी गाँड पर मार कर कहा, “मेरी शबाना जान! देख क्या रही है जल्दी से किशन की हि़न्दू मुरली अपने मुस्लि़म मुँह में लेकर बजाना शुरू कर!”
मैं हंस पड़ी और किशन का लंड पकड़ कर नाज़िया से बोली, “चुप कर हिजाबी रंडी! पहले खुद अच्छे से विजय जी का शिवलिंग तो चूस कमबख्त!” मैं घुटने टेक कर बैठ गयी और किशान का एक फुटा लौड़ा मुँह में ले कर चूसने लगी। बलराम का लौड़ा भी ऐसा ही अज़ीम था इसलिये किशन का लौड़ा भी मज़े से अपने मुँह में ठूँस कर चूस रही थी। मेरे पीछे खड़े हुए दूसरे हि़न्दू मर्द ने ज़ोर से मेरे चूतड़ पर मारा। जैसे ही मैं उफ़्फ़ करते हुए पलटी उसने मेरी मुस्लि़मा चूची पकड़ ली और बोला, “साली कटल्ली लौंडिया! किशन की मुरली ही बजाती रहेगी या रवि लोहिया का लोहा भी चूसेगी।” मैंने रवि की तरफ़ देखा और किशन की मुरली की तरफ़ बुऱके वाली गाँड करके रवि का लोहे जैसा लंड चूसने लगी। पीछे से किशन ने मेरा बुऱका उठा कर मेरी मुस्लि़म गाँड नंगी कर दी। उधर विजय शिंदे नाज़िया के बाल पकड़ कर अपना हि़न्दू लंड उसके मुँह में चोद रहा था और चौथा हि़न्दू जिसका नाम विशाल था, उसने नाज़िया का बुऱका खोलना शुरू किया। बुऱका उतरते ही नाज़िया बिल्कुल नंगी हो गयी और विजय शिंदे के लंड को लगातार चूसती रही। उसके जिस्म पर अब ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल के अलावा और कुछ नहीं था।
मैंने मुस्लि़मा अंदाज़ में अपने चेहरे से नकाब हटाया। “राम कसम! साली हिजाबी राँड मस्त है...!” मेरी भूरी आँखें और हसीन खूबसूरत चेहरा देख कर सबके ह़िंदू लंड और कड़क हो गये। एक ह़िंदू मर्द मेरे पास आया और मेरे बुऱके में छुपे गोल मुस्लि़म मम्मे को हल्के से मार कर बोला, “साली मस्त कटवी है तू हिजाबी राँड!” उसके मारते ही मेरे मुँह से सिसकी निकली और मैंने शोखी भरे अंदाज़ में कहा, “उफ़्फ़ आहिस्ता से हि़न्दु पहलवान जी! आपका नाम क्या है?” लेकिन उसे ठीक से सुनाई नहीं दिया। उसने मेरे पीछे हाथ डाल कर मेरे मुस्लि़मा चूतड़ों को ज़ोर से दबाया और बोला, “ज़रा ऊँचा बोल मेरी मुल्लनी रंडी जान!” मैंने फिर उसके होंठों के पास होंठ रखते हुए कहा, “आपका नाम क्या है गरम हि़ऩ्दू पहलवान मर्द जी?”
उसने जोश में मेरा एक मुस्लि़म चूतड़ और एक हिजाबी मम्मे को ज़ोर से दबाते हुए कहा, “किशन नाम है मेरा... साली गरम मुस्लि़म रंडी!” और फिर मेरे मुस्लि़म सुर्ख होंठों पर अपने हि़न्दू होंठ रख दिये। उफ़्फ़ अल्लाह! मेरे होंठ गरम थे और उसके भी। मैं आँखें बंद करके जोश में उसके होंठों को चूस रही थी। मेरा मुस्लि़म हाथ उसके हि़न्दू अनकटे लंड की तरफ़ बड़ा और उसके हि़न्दू त्रिशूल को पकड़ते ही मेरी आँखें हैरत से खुल गयी। तौबा! ये क्या! इतना गरम और सख्त हि़न्दू लंड! वो समझ गया। उसने अपने हि़न्दू होंठ मेरे होंठों से हटाये और बोला, “लौंडिया ये कटवा मुलायम लंड नहीं है... ये मेरा कट्टर हि़ऩ्दु त्रिशूल है साली!”
नाज़िया जो मेरे बिल्कुल करीब ही बैठी थी अपने आशिक के लंड को पकड़ कर मेरी तरफ़ देखते हुए बोली, “शबाना देख ये मेरा धगड़ा चोदू विजय शिंदे है” और फिर अपना पाकिज़ा मुँह खोल कर विजय का बड़ा सा लंड चूसने लगी। देखते ही देखते विजय शिंदे का अनकटा हि़न्दू मोटा लंड मेरी सहेली नाज़िया के मुस्लि़मा मुँह में और बड़ा हो गया। नाज़िया मस्ती से उसे चूसने लगी और विजय की तरफ़ देख कर बोली, “मेरी चिकनी मुसल्ली गरम चूत को अपने हि़न्दु त्रिशूल लंड से चोद डालो मेरे हि़न्दू सनम!” और फिर से उसके लंड पर टूट पड़ी और लंड चूसते हुए उसने मेरी गाँड पर मार कर कहा, “मेरी शबाना जान! देख क्या रही है जल्दी से किशन की हि़न्दू मुरली अपने मुस्लि़म मुँह में लेकर बजाना शुरू कर!”
मैं हंस पड़ी और किशन का लंड पकड़ कर नाज़िया से बोली, “चुप कर हिजाबी रंडी! पहले खुद अच्छे से विजय जी का शिवलिंग तो चूस कमबख्त!” मैं घुटने टेक कर बैठ गयी और किशान का एक फुटा लौड़ा मुँह में ले कर चूसने लगी। बलराम का लौड़ा भी ऐसा ही अज़ीम था इसलिये किशन का लौड़ा भी मज़े से अपने मुँह में ठूँस कर चूस रही थी। मेरे पीछे खड़े हुए दूसरे हि़न्दू मर्द ने ज़ोर से मेरे चूतड़ पर मारा। जैसे ही मैं उफ़्फ़ करते हुए पलटी उसने मेरी मुस्लि़मा चूची पकड़ ली और बोला, “साली कटल्ली लौंडिया! किशन की मुरली ही बजाती रहेगी या रवि लोहिया का लोहा भी चूसेगी।” मैंने रवि की तरफ़ देखा और किशन की मुरली की तरफ़ बुऱके वाली गाँड करके रवि का लोहे जैसा लंड चूसने लगी। पीछे से किशन ने मेरा बुऱका उठा कर मेरी मुस्लि़म गाँड नंगी कर दी। उधर विजय शिंदे नाज़िया के बाल पकड़ कर अपना हि़न्दू लंड उसके मुँह में चोद रहा था और चौथा हि़न्दू जिसका नाम विशाल था, उसने नाज़िया का बुऱका खोलना शुरू किया। बुऱका उतरते ही नाज़िया बिल्कुल नंगी हो गयी और विजय शिंदे के लंड को लगातार चूसती रही। उसके जिस्म पर अब ऊँची पेन्सिल हील के सैंडल के अलावा और कुछ नहीं था।